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वो अपनी आँखों को गोल-गोल घुमाते हुए बोली- क्यों बेटा.. पक्का तुम यही सोच रहे होगे कि मैंने झूट क्यों बोला.. मैं कैसे किसी की गंदी जगह को सूंघ सकता हूँ.. अब फंस गए ना.. अभी तक मुझे बेवकूफ़ बना रहे थे.. चलो छोड़ो.. लेट जाओ मैं समझ गयी की तुम इसे सूंघ नहीं पाओगे.खैर अब ऐसा दोबारा ना करना।
तभी मैंने बोला- माँ.. तुम नहीं जानती कि आज मैंने अपनी पूरी जिंदगी में पहली बार इतने पास से आपकी चूत देखी है.. जिसे अक्सर ख़्वाबों में ही देखता था.. पर जब आज सच में सामने आई.. तो मैं देखता ही रह गया था?
मैं उसकी चूत की कसावट को देखते हुए बोला- " रही बात सूंघने की.. तो मैं तो सोच रहा हूँ.. इसे चाट कर सूँघूं या सूंघ कर चाटूं."।
तो माँ बोली- जो भी करना.. जल्दी करो..
मैंने तुरंत ही उसके नितंबों को पकड़ कर बिस्तर के आगे की ओर खींचा ताकि उसकी चूत पर मुँह आराम से लगा सकूँ।
फिर मैंने बिना देर किए हुए उसे बिस्तर के किनारे लाया और सीधा उसकी चूत पर मुँह लगा कर उसके दाने को अपनी जुबान से छेड़ने लगा.. जिससे उसके मुँह से मादक सिसकारियाँ फूट पड़ीं- ओह्ह..शिइई..
मैंने जब उसकी ओर देखा तो वो अपने चेहरे को अपने दोनों हाथों से ढके हुए थी.. पर जब उसने अपनी चूत पर मेरा मुँह नहीं महसूस किया.. तो अपनी आँख खोल कर मुझसे बोली- बेटा.. यार फिर से कर न.. मुझे बहुत अच्छा लगा.. मुझे नहीं पता था कि इसमें इतना मज़ा आता है।
तो मैं बोला- परेशान मत हो... अभी तो खेल शुरू हुआ है.. देखती जाओ.. मैं क्या-क्या और कितना मजा देता हूँ।
वो बोली- एक बात पूछू.. मज़ाक तो नहीं बनाओगे मेरा?
तो मैं बोला- हाँ.. पूछो..
वो बोली- बेटा मैं चाहती हूँ.. कि जो मज़ा तुम मुझे दे रहे हो.. वो मैं भी दूँ.. क्या ये एक साथ हो सकता है? मेरा मतलब तुम मेरी चूत को मुँह से प्यार करो और मैं तुम्हारे हथिआर को अपने मुँह से प्यार करूँ।
मैंने अपनी ख़ुशी दबाते हुए कहा- हो सकता है..
तो वो चहकते हुए स्वर में बोली- बेटा सच..
मैंने बोला- हम्म..
मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया कि चलो अपने आप ही मेरा काम आसान हो गया।
मैंने तुरंत ही खड़े होकर अपने अंपने 'सामान' को हिलाने लगा।
मेरा लवड़ा देखकर माँ बोली- बेटा ये बताओ.. तुम्हारा ये हथिआर मेरे मुँह तक कैसे आएगा.. जब तुम नीचे बैठोगे तभी तो मैं कुछ कर पाऊँगी
तो मैं बोला- पहले तो इसे हथिआर नहीं लण्ड बोलो.. और अपना दिमाग न लगाओ.. जैसे मैं बोलूँ.. वैसे करो।
तो वो शर्मा कर बोली- ठीक है.. चलो अब जल्दी से अपना ल..लण्ड मेरे मुँह में डालो और अपना मुँह मेरी च..चूत पर लगाओ.. अब मुझसे और इंतज़ार नहीं हो सकता।
लण्ड-चूत कहने में वो कुछ हिचक रही थी.. बेचारी.. सच में एक माँ के लिए यह बहुत मुश्किल है की अपने ही बेटे के साथ सेक्स करना और फिर इस तरह खुले तौर से गुप्त अंगों के नाम लेना। पर अब यह सब तो करना ही था.
खैर.. मैंने उसे बिस्तर पर सही से लिटाया और हम 69 अवस्था में लेट गए। यह देख कर उसके दिमाग की बत्ती जल उठी और माँ खुश होते हुए बोली- बेटा वाकयी में तुम स्मार्ट के साथ-साथ होशियार भी हो.. क्या जुगाड़ निकाला है..
मैं हँसते हुए माँ से बोला "माँ। जिस की माँ तुम्हारे जितनी सुन्दर हो उस का बेटा तो अपने आप अकलमंद हो ही जायेगा. "
माँ खुश हो गयी।
मैं तुरंत ही उसकी चूत के दाने को अपनी जुबान से छेड़ने लगा और वो मेरे लण्ड को पकड़ कर खेलने लगी और थोड़ी ही देर में उसने अपनी नरम जुबान मेरे लौड़े पर रखकर सुपाड़े को चाटने लगी.. जिससे मुझे असीम आनन्द की प्राप्ति होने लगी। माँ मेरे लण्ड के सुपाडे को ऐसे चूस और चाट रही थी जैसे वो लण्ड न हो कर कोई आइसक्रीम हो. माँ को बहुत सालों के बाद इक हाड मांस का लौड़ा मुँह में लेने का मौका मिला था तो माँ उस का पूरा फ़ायदा उठाने जा रही थी.
उसकी गीली जुबान की हरकत से मेरे अन्दर ऐसा वासना का सैलाब उमड़ा.. जिसे मैं शब्द देने में असमर्थ हूँ.. फिर मैंने भी प्रतिउत्तर में उसके दाने को अपने मुँह में भर-भर कर चूसना चालू कर दिया.. जिससे उसके मुँह से 'अह्ह्ह ह्ह.. हाआआह... आआआ..' की आवाज स्वतः ही निकलने लगी।
उसके शरीर में एक अजीब सा कम्पन हो रहा था.. जिसे मैं महसूस करने लगा।
चूत चुसवाने के थोड़ी ही देर में वो अपनी टाँगें खुद ही फ़ैलाने लगी और अपने चूतड़ों को उठा कर मेरे मुँह पर रगड़ने लगी।
अब मुझे एहसास हो गया कि माँ को इस क्रिया में असीम आनन्द की प्राप्ति हो रही है। फिर मैंने उसके जोश को और बढ़ाने के लिए अपनी उँगलियों के माध्यम से उसकी चूत की दरार को थोड़ा फैलाया और देखता ही रह गया.. चूत के अन्दर का बिलकुल ऐसा नज़ारा था.. जैसे किसी ने तरबूज पर हल्का सा चीरा लगा कर फैलाया हो.. उसकी चूत से रिस रहा पानी उसकी और शोभा बढ़ा रहा था।
मैंने बिना कुछ सोचे अपनी जुबान उसकी दरार में डाल दी.. और उसे चाटने लगा।
जिससे उत्तेजित होकर माँ ने भी मेरे लण्ड के शिश्न-मुण्ड को और अन्दर ले कर चूसते हुए 'ओह.. शिइ... इइइइ.. शीईईई..' की सीत्कार के साथ 'अह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह ह्ह..' करने लगी।
तो मैंने वक्त की नज़ाकत देखते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी चूत के छेद में घुसेड़ दी.. जिससे उसकी एक और दर्द भरी 'आह्ह्ह्ह ह्ह..' छूट गई और दर्द से तड़पते हुए बोली- बेटा..तुम्हारी ऊँगली मेरे अंदर लग रही है ये.. क्या कर दिया.. अब तो अन्दर जलन सी होने लगी है..
मैंने बोला- बस थोड़ा रुको.. अभी सही किए देता हूँ।
फिर मैंने उंगली बाहर निकाली और उसकी चूत पर थूक लगाकर.. उसके छेद को चूसते हुए.. धीरे धीरे फिर से ऊँगली को अंदर करने लगा... जिससे उसका दर्द अपने आप ही ठीक होने लगा।
'अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह ह्ह्ह्ह.. शिइइ... शहअह...' की ध्वनि उसके मुँह से निकलने लगी।
सच में उस समय मेरी थूक ने उसके साथ बिल्कुल एंटी बायोटिक वाला काम किया और जब वो मस्ति के फिर से मेरा लण्ड चूसने लगी.. तो मैंने अपनी दूसरी ऊँगली भी अब माँ की चूत में डाल दी।
इस बार वो थोड़ा कसमसाई तो.. पर कुछ बोली नहीं.. शायद वो और आगे का मज़ा लेना चाहती थी.. या फिर उसे दोबारा में दर्द कम हुआ होगा।
अब मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत में उंगली करते हुए उसके दाने को अपनी जुबान से छेड़ने और मुँह से चूसने लगा। मेरी इस हरकत से उसने भी जोश में आकर मेरे लौड़े को अपने मुँह में और अन्दर ले जाते हुए तेज़ी से अन्दर-बाहर करने लगी।
उसके शरीर में हो रहे कम्पन को महसूस करते हुए मैं समझ गया कि अब माँ झड़ने वाली है.. यही सही मौका है उंगली की स्पीड तेज कर दो.. ताकि छेद भी थोड़ा और फ़ैल जाए।
इस अवस्था में इसे दर्द भी महसूस नहीं होगा.. ये विचार आते ही मेरा भी जोश बढ़ गया और मैं एक सधे हुए खिलाड़ी की तरह उसकी चूत में तेजी से उंगली अन्दर-बाहर करने लगा।
अब माँ के मुँह से भी 'गु.. गगगग गु.. आह्ह..' की आवाज़ निकलने लगी.. क्योंकि वो भी मेरा लौड़ा फुल मस्ती में चूस रही थी.. जैसे सारा आज ही रस चूस-चूस कर खत्म कर देगी।
मैंने तुरंत ही अपनी उंगली अन्दर-बाहर करते हुए अचानक से पूरी बाहर निकाली और दोबारा तुरंत ही दो उँगलियों को मिलाकर एक ही बार में घुसेड़ दी..
माँ को शायद थोड़ा दर्द हुआ, जिससे उसके दांत मेरे लौड़े पर भी गड़ गए और उसके साथ-साथ मेरे भी मुँह से भी 'अह्ह ह्ह्ह्ह..' की चीख निकल गई।
सच कहूँ, हम दोनों को इसमें बहुत मज़ा आया था।
आज भी हम आपस में जब मिलते हैं तो इस बात को याद करते ही एक्साइटेड हो जाते हैं मेरा लौड़ा तन कर आसमान छूने लगता है और उसकी चूत कामरस की धार छोड़ने लगती है।
खैर.. जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो फिर से वो लण्ड को चचोर-चचोर कर चूसने लगी और अपनी टांगों को मेरे सर पर बांधते हुए कसने लगी।
वो मेरे लौड़े को बुरी तरह चूसते हुए 'अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह..' के साथ ही झड़ गई। माँ का पूरा शरीर कांप रहा था, और उसकी चूत से कम्पन मेरी जीभ पर भी अनुभव हो रहा था। माँ की चूत से उसके काम रस का बाहर आ रहा था जिसे मैं फटाफट चाट रहा था ताकि माँ के रस का एक भी कटरा बाहर न रह जाये. अपने बेटे से चूत चटवाने का माँ का यह पहला अनुभव था..
मैंने इस तरह उसके रस को पूरा चाट लिया और छोड़ता भी कैसे.. आखिर मेरी मेहनत का फल था। और आप तो जानते ही हो की मेहनत का फल मीठा होता है। सचमुच माँ की चूत का रस बहुत मीठा था.
उसकी तेज़ चलती सांसें.. मेरे लौड़े पर ऐसे लग रही थीं.. जैसे मेरे लौड़े में नई जान डाल रही हो.. और मैं भी पूरी मस्ती में उसकी बुर को चाट कर साफ करने लगा।
जब उसकी सांसें थोड़ा सधी.. तो वो एक लम्बी कराह 'अह्ह्ह ह्ह्ह्ह..' के साथ चहकते हुए स्वर में बोली- बेटा.. मुझे जिंदगी में पहली बार चुसवाने में इतना मजा आया है... मुझे तो तूने फुल टाइट कर दिया"
तो मैं बोला- माँ तुम्हारा डिस्चार्ज हो गया है और मेरा अभी नहीं हुआ है और असली मज़ा डिस्चार्ज होने के बाद ही आता है। प्लीज जल्दी से मेरा लौड़ा चूसो ताकि मेरा भी रस निकल सके.
उसने झट से बिना कुछ बोले- मेरे लण्ड को पकड़ा और दबा कर बोली- अच्छा.. और मेरे लौड़े को पकड़ कर अपने मुँह में डालकर चूसने लगी।
बीच-बीच में वो अपनी नशीली आँखों से मुझे देख भी लेती थी.. जिससे मुझे भी जोश आने लगा।
और यह क्या.. तभी उसकी बालों की लटें उसके चेहरे को सताने लगी.. जिसे वो अपने हाथों से हटा देती।
तो मैंने खुद ही उसके सर के पीछे हाथ ले जाकर उसके बालों को एक हाथ से पकड़ लिया।
हाय.. क्या सेक्सी सीन लग रहा था.. ओह माय गॉड.. एक सुन्दर परी सी अप्सरा जैसी मेरी माँ मेरे लण्ड के अधीन हो कर..आपका लण्ड चूसे.. तो आपको कैसा लगे.. बिलकुल मुझे भी ऐसा ही लग रहा था।
फिर मैंने दूसरे हाथ से उसकी ठोड़ी को ऊपर उठाकर उसकी आँखों में झांकते हुए.. उसके मुँह में धक्के देने लगा.. जिससे उसके मुँह से 'उम्म्म.. उम्म्म्म.. गगग.. गूँ.. गूँ..' की आवाजें आने लगीं।
इस तरह कुछ देर और चूसने से मेरा भी काम होने के पास आने लगा. मुझे मालूम था की किसी भी टाइम मेरा माल निकल सकता है तो मैंने माँ को मुह को जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया. फिर एक जोर की आअह्ह के साथ मेरा माल उसके मुँह में ही छूट गया और वो बिना किसी रुकावट के सारा का सारा माल गटक गई।
हम दोनों माँ बेटा अपने पहले सेक्स से बहुत थक गए थे तो हम दोनों एक दुसरे के साथ लेट गए। हम दोनों ही बिलकुल नंगे थे. तो मैंने उसे छेड़ते हुए पूछा- अरे माँ तुम तो बहुत माहिर हो लण्ड चूसने में... कहाँ से सीखा?
तो बोली- और कहाँ से सीखूँगी... तुम्हारे पिता भी तुम्हारे तरह ही लण्ड चुसवाने के शौकीन थे. उन्ही से सब सीखा है.!
तो मैं बोला- माँ आप को मेरा आप की चूत को चूसना और चाटना कैसा लगा.?
तो वो बोली- जैसे तुम अच्छे से बिना दांत गड़ाए मेरी चूत को अपने मुँह में भर भर कर चूस रहे थे तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, ऐसा लग रहा था कि तुम बस चूसते ही रहो... मुझे सच में बहुत अच्छा लगा और तुम्हारी उँगलियों ने तो कमाल कर दिया, जैसे तुमने अपनी उंगली नहीं बल्कि मेरे अंदर नई जान डाल दी हो! ठीक वैसे ही मैंने भी सोचा कि क्यों न तुम्हें भी तुम्हारी तरह मज़ा दिया जाये! बस मैंने तुम्हारी नक़ल करके वैसे ही किया और मुझे पता है कि तुम्हें भी बहुत मज़ा आया... पर तुमने मेरी हालत ही बिगाड़ दी थी, मेरी तो सांस ही फूल गई थी।
तो मैं बोला- फिर अभी क्यों किया?
माँ बोली - बेटा तुम्हारे पापा का लौड़ा काफी बड़ा था पर तुम्हारा लौड़ा तो उन से काफी बड़ा है. कम से कम तुम उनसे २-३ इंच लम्बे हो. पर असली चीज है तुम्हारे लण्ड की मोटाई। तुम्हारा लौड़ा तुम्हारे पापा से बहुत मोटा है.इसलिए मुझे उसे मुँह में लेने में समस्या हो रही थी। पर कोई बात नहीं। धीरे धीरे आदत हो जाएगी। अगली बार तुम्हे अधिक मजा आएगा.
मैंने कहा _ माँ तुम्हे लौड़ा चूसने में ज्यादा मजा आया या चूत चटवाने में?
वो बोली- बेटा मुझे दोनों में मजा आया. पर एक बात बोलूं. तुम्हारा लौड़ा ही तुम्हारे पापा से बड़ा नहीं है. असली चीज है की तुम्हारी जीभ भी बहुत लम्बी है. तुम्हारे पापा मेरी चूत चाटते तो थे पर थोड़ा सा ही. असल में उन्हें चूत चाटना अच्छा नहीं लगता था. पर तुमने तो मुझे स्वर्ग में ही पहुंचा दिया. तुम्हारी जीभ लम्बी होने के कारण इतनी अंदर तक जा रही थी की आज तक कभी इतने आगे तक चुसाई नहीं हुई. यह मेरे लिए एक बहुत ही अलग अनुभव था। मैं तो आज बहुत खुश हूँ. क्योंकि तुमने मुझे इतनी मज़ा दिया था जिसे मैं अपने जीवन में कभी नहीं भुला सकती!
मैंने बोला- अच्छा अगर मैं इसी तरह तुम्हें मज़ा देता रहा तो क्या तुम भी मुझे मज़े देती रहोगी?
वो बोली- यह बाद की बात है पर तुमने अपने आखिर में तो मेरे मुंह में इतने जोर से धक्के मरे की सच में मेरे गले में दर्द होने लगा था!
मैंने बोला- अच्छा, अब आगे से ध्यान रखूँगा पर तुम्हें बता दूँ कि आने वाले दिनों में मैं बहुत कुछ देने वाला हूँ।
वो बोली- और क्या?
तब मैंने बोला- यह तो सिर्फ शुरुआत है, और अभी सब बता कर मज़ा नहीं खराब करना चाहता, बस देखती जाओ कि आगे आगे होता है क्या?
कहते हुए मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा कर उसके होंठों का रसपान करने लगा और वो भी मेरा पूर्ण सहयोग देते हुए मेरे निचले होंठ को पागलों की तरह बेतहाशा चूसे जा रही थी, मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं जन्नत में हूँ,
सबसे ज्यादा ख़ुशी की बात तो यह थी एक अब माँ की शर्म पूरी तरह दूर हो चुकी थी और वो चूत लण्ड जैसे शब्द खुल कर बोल रही थी और पूरा मजा ले रही थी.
"....ओह्ह्ह्हह...ओह...." माँ के होंठ धीरे धीरे बुदबुदा रहे थे.
होंठ को अच्छी तरह चूमने के पश्चात मैं जल्द ही अपनी माँ के स्तन पर पहुँच गया.
यहाँ पर अभी भी माँ के हाथ थे. मेरा चेहरा जैसे ही माँ के स्तन के ऊपर रखे हाथों से टकराता है तो वो अपने हाथ हटा लेती है और मुझे अपने स्तन चूमने देती है. मैं फिर से माँ के निप्पल बदल बदल कर चूस रहा था.
माँ मेरे बालों में उँगलियाँ घुमा रही थी.
अपनी चूत चटवाई के उस जबरदस्त सख्लन के पश्चात बिलकुल सुस्त पड चुकी माँ अब अपने जिस्म में कुछ हरकत महसूस कर रही थी.
तकरीबन दस सालो के बाद माँ ने यह परम संतुष्टी प्राप्त की थी इतना मजा माँ को पहली बार मिल रहा था इस आनंद को तो वह भूल ही चुकी थी मगर इतने सालों बाद उनके बेटे ने यह सुख उसे दिया.
निप्पलों को चूसते चूसते मैंने अपनी नज़र अपनी माँ पर डाली जो मेरे बालों में उँगलियाँ फेरते हुए मुझे बेहद प्यार, स्नेह और ममतामई नज़र से देख रही थी.
हम दोनों माँ बेटे की नज़रें मिलती हैं और मैं आगे अपनी माँ के चेहरे की और बढ़ता हु.
माँ भी मेरा चेहरा अपने हाथों में थाम अपने मुंह पर खींचती है. मेरा चेहरा सीधा अपनी माँ के चेहरे पर झुक जाता है
और हमदोनों के होंठ आपस में जुड़ जाते हैं. दोनों प्रेमियों की तरह एक दुसरे को चूम रहे थे. कभी माँ मेरे तो कभी मैं माँ के होंठों को चूस रहा था.
उधर माँ को अपनी जांघों पर मेरा लण्ड ठोकरें मारता महसूस होता है.
बेटे के लण्ड को अपनी योनि के इतने नजदीक पाकर उनके बदन में कामौत्तेजना लौटने लगती है
और उसकी साँसों की गहराई बढ़ने लगती है.
माँ की जिव्हा मेरे होंठो को चाटने लगती है और वो उसे मेरे मुंह में धकेलती है. मैं अपना मुंह खोल देता हु और माँ की जिव्हा मेरे मुख में प्रवेश कर जाती है.
माँ मेरी जीभ को अपनी जीभ से सहलाती है.
मगर मैंने एकदम से उसकी जीभ को अपने होंठो में दबाकर उसे चूसने लगा क्या शहद के जैसा स्वाद था.
"उन्न्न्गग्घ्ह्ह......" माँ मेरे मुंह में सिसकने लगी और वो अपनी कमर इधर उधर हिलाने लगी.
मैं यह समझकर कि माँ क्या चाहती है अपनी कमर को थोडा सा हिलाता डुलाता हु और फिर हम दोनों एकदम से सिसक उठते हैं.
माँ योनि दरार में लण्ड के एहसास को पाकर ठिठक गई थी वो मेरे चेहरे की और देखती है मैं उसी की और देख रहा था मैं सोच मैं पड गया इतनी छोटी योनि में मेरा लण्ड कैसे जाएगा जो ना सिर्फ नौ इंचलम्बा था बल्कि चार इंच मोटा भी था और उनका आगे का टोपा बहोत बडा किसी जंगली आलू की तरह.
वह इस संकरी जगह में कैसे जाएगा.
माँ को बहोत दर्द होगा क्या वह झेल पाएगी मैं अपनी माँ को कोई दर्द नही देना चाहता. अब मैं गहरे सोच मैं पड़ गया
माँ ने मेरी तरफ देखा मुझे किसी सोच में पड़ा देखकर मुझे हिलाकर नजरोसे कहा
"क्या हुआ"?
मैने उन्हें सब बताया तब वह हस पड़ी और उन्होंने कहा
"बेटा कुछ नही होता तुम कुछ मत सोचो, जो होता है वह हो जाने दो "
पर मैन कहा "आपको बहुत दर्द होगा कैसे सह पाओगी तुम"
तब माँ ने कहा "हर औरत यही चाहती है की उनका प्यार करने वाला उसे बहोत सारा प्यार करे, हर नारी को यह दर्द सहना ही पड़ता है, जीवन मे सिर्फ एक बार, हालाँकि मैं तुम्हारी माँ हूँ और बहुत बार तुम्हारे पापा के साथ सेक्स कर चुकी हूँ, पर ठीक है की अब मुझे किसी मर्द के साथ यह सब किये १० साल हो चुके हैं, पर मैं खीरा या मूली आदि से अपना काम चला ही लेती थी तो मुझे अभी भी आदत है. कुछ नहीं होगा इसलिए तुम कोई चिंता मत करो "
मैंने उनकी और देखा तो माँ धीरे से हल्के से सर हिलाती है जैसे मेरे किसी सवाल का जवाब दे रही हो.
मैं माँ के इशारे को पाकर वापिस उठ गया
जब मैं ने माँ की जाँघो पर किस करना शुरू किया तब धीरे धीरे माँ अपने पैर को अलग कर रही थी.
जैसे मैं उपर जाता वैसे उनके पैर एक दूसरे से अलग हो रहे थे.
अब माँ की योनि मेरे सामने थी. माँ की स्मॉल योनि जिसके लिप्स अंदर की तरफ थे सिर्फ एक लकीर दिख रही थी किसी छोटी बच्ची की योनि की तरह थी बिना बालो की गुलाबी रंगत लिए हुये मैंने उँगलिसे लिप्स अलग करके देख तो अंदर से पूरी लाल थी मानो अंदर लिपस्टिक लगाई हो बहोत छोटा सा होल था इसमें मेरा इतना बड़ा लिंग कैसे जाएगा मेरा लिंग तो पूरी तबाही मचाएगा
माँ की योनि पूरी गीली हो चुकी थी. माँ की योनि चमक रही थी.
वो चमक मेरे आँखो को अपनी तरफ अट्रॅक्ट कर रही थी.
...मैं तो आँखो से माँ की चुदाई करने लगा.
माँ की योनि गीली थी जिस से मुझे पहले माँ की योनि को साफ करना था.
मैं ने अपनी जीभ से माँ की योनि को साफ करना शुरू किया.
जब भी मैं माँ के किसी पार्ट को अपने जीभ से टच करता तब मुझे क्या हो जाता
मैं अपने होश खो बैठता. मुझे ऐसा लगता कि इस दुनिया मे माँ और मैं,सिर्फ़ हम दोनो ही हो,जो सिर्फ़ प्यार करना जानते है.
मैं अपनी जीभ से माँ की योनि चाटने लगा. माँ बस एक काम कर रही थी वो था सिसकिया लेना.
एक पत्नी जैसे सुहागरात के दिन अपने पति के साथ चुदाई करते हुए शरमा कर खुल कर सिसकिया नही लेती उसी तरह माँ भी मुझसे शरमा कर सिसकारियों पर कंट्रोल रख रही थी.
पर जो भी था उसमे मुझे एक अलग ही आनंद मिल रहा था.
माँ की बिना बालो वाली गुलाबी योनि अब मैं ने चाट कर साफ कर दी थी.
फिर मैं ने अपनी जीभ को माँ की योनि मे डाल कर माँ को भी आनंद देने लगा. माँ भी अपना पानी छोड़ कर मेरी प्यास बुज़ा रही थी.
मैं ने हाथो से माँ की योनि के होंठ खोल दिए.
फिर मैं आराम से अपनी जीभ माँ की योनि मे डाल कर चाटने लगा खेलने लगा.
माँ की योनि मे मैं जितनी ज़ोर से अपनी जीभ अंदर डालता उतनी ज़ोर से माँ की योनि जीभ को बाहर फेक देती.
जैसे कह रही थी कि मुझे जीभ नही तुम्हारा लण्ड चाहिए. देना है तो लण्ड दो जीभ से मेरा क्या होगा.
जीभ से तो मेरी आग भड़क जाएगी. पर मैं भी कहा हार मानने वाला था,मैं ने भी उसकी योनि मे जीभ डालना जारी रखा.
उसकी टाइट योनि मेरी जीभ को बाहर धकेल देती इस खेल मे मुझे अपना ही आनंद मिल रहा था. साथ मे माँ को भी.
माँ इतनी गरम हो चुकी थी की उसको कुछ भी करना बर्दास्त नही हो रहा था.
फिर ज़्यादा देर करना ठीक नही होता.
मैं ने माँ को आँखो खोलने के लिए कहा. उसने आँखो खोल दी.मैं ने लण्ड को माँ के हाथो मे दिया.
माँ ने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर लण्ड की तरफ. फिर लण्ड पे एक किस कर के लण्ड को छोड़ दिया और गर्दन हिला दी.
मतलब अब बस एक काम बाकी था. वो था...ढेर सारी चुदाई
फिर मैं ने माँ के नितम्बो के नीचे पिल्लो रख दिया.
फिर मैं माँ के टाँगो के बीच मे आ गया.
मैं ने लण्ड पे थूक लगा दी. और लण्ड को योनि पर रख दिया. मेरा लण्ड माँ की योनि को प्यार करना चाहता था.
उसको फील करना चाहता था. मैं ने लण्ड वैसे ही रहने दिया. लण्ड और योनि का मिलन होने वाला था.
उस मिलन मे दर्द होने वाला था पर मेरा लण्ड योनि को दर्द देने से पहले उसको प्यार कर रहा था.
दर्द से पहले प्यार...
मुझे कुछ ना करते हुए देख कर माँ ने आँखें खोल कर मुझे आगे बढ़ने को कहा.
इसका मतलब था की मेरे जीवन का वो स्वर्णिम क्षण आ गया था जिस की मैं न जाने कब से इन्तजार कर रहा था.
मैं ने फिर से लण्ड पर थूक लगाया और लण्ड को योनि पर रखा.
और माँ के उपर आ गया.
मैं ने पहले माँ के होंठो पर एक किस किया और फिर मैं ने एक झटका मारा पर कुछ नही हुआ, मेरा लण्ड फिसल गया. फिसलता भी क्यों नहीं. आखिर माँ की चूत थी ही इतनी टाइट और माँ को छोड़ने का मेरा यह पहला ही मौका था.
मैं ने फिर से लण्ड को योनि पर रखा और एक ज़ोर का झटका मारा कि लण्ड का टोपा माँ की योनि मे चला गया.
माँ के मुँह से चीख निकल गयी.
माँ की दर्द भरी चीख सुनकर मुझे ऐसा लग रहा था कि दर्द माँ को नही बल्कि मुझे हो रहा हो.
दर्द माँ को हो रहा था और मेरी आँखो मे पानी आ रहा था.
माँ ने जब मेरी आँखो मे पानी देखा तो उन्होने चीखना बंद किया. और दर्द को बर्दास्त करना शुरू किया.
माँ अपने होंठो को दबा कर अपनी चीख को रोकने लगी.
पर माँ को दर्द हो रहा था.
माँ का दर्द कम करने के लिए मैं अपने होंठ माँ के होंठो पर रख कर चूसने लगा.
जिस से माँ दर्द को भूल कर किस पर फोकस कर सके ताकि दर्द कम होज़ाये.
अभी तो सिर्फ़ टोपा अंदर गया था.
मेरा टोपा बहुत बड़ा था किसी जंगली आलू की तरह और इतने सालों से माँ ने सेक्स नही किया था, ठीक है की उंगली से माँ मजा लेती थी पर आखिर लण्ड तो लण्ड ही उसका और एक ऊँगली का क्या मुकाबला. इसलिए उनकी योनि किसी कुँवारी लड़की की तरह हो गई थी अभी तो सिर्फ टोपा अंदर गया था पूरा लण्ड अभी अंदर जाना बाकी था.
पर मुझे क्या हुआ था कि मैं माँ को दर्द होता हुआ देख नही पा रहा था.
पर माँ को प्यार भी करना था.
उपर से मेरा लण्ड माँ की योनि मे जाने के लिए बेताब हो रहा था.
थोड़ी देर मे माँ शांत हो गयी फिर भी मैं हाथो से स्तन को दबाने लगा. थोड़ी देर मे माँ को पूरी तरह से अच्छा लगने लगा.
मैं ने माँ को इशारे मे पूछा कि अंदर डालु उसने हाँ मे गर्दन हिला दी.
फिर मैं ने एक जोरदार झटका मारा,वो झटका जिसे कोई औरत अपनी ज़िंदगी भर भूल नही सकती, झटका मार कर लण्ड माँ की योनि में अपना रास्ता बनाता हुआ पांच इंच तक अंदर चला गया.
माँ ने बहुत कोशिस की चीख ना निकले पर ये ऐसा झटका था जिस के मारते ही हर औरत की चीख निकल जाती है.
माँ की भी चीख निकल गयी.पर मेरे किस करने से उसकी दबी हुई चीख मेरे मुँह मे दब गयी.
माँ और मेरे भी आँखो से पानी निकलने लगा क्यों कि मैं अपने माँ को कोई भी तकलीफ होते हुए नही देख सकता
उसको सासे लेने की ज़्यादा ज़रूरत थी जिस से मैं ने उनके होंठो को अपने होंठो से आज़ाद किया. पर मैं स्तन को दबाता रहा.
माँ के मुँह से दर्द भरे शब्द निकले. पर माँ ने कंट्रोल करते हुए उन शब्दो को बीच मे रोख दिया.
मुझे पता था कि माँ को दर्द हो रहा है. फिर भी माँ ने मुझे लण्ड बाहर निकालने को नही कहा और अंदर डालने को भी नही कहा.
वो बस मेरे नीचे लेटी हुई अपने दर्द को मुझ पर जाहिर नही होने देना चाहती थी.
माँ मुझसे इतना प्यार करती थी कि उसने आँखो को खोल कर मुझे आँखो से इशारा करके थोड़ी देर रुकने को कहा.
उसे लगा कि अगर मैं भी उस से प्यार करता हू तो मैं उनका इशारा समझ जाउन्गा.
और हुआ भी ऐसा ही मैं समझ गया कि वो क्या कहना चाहती है.
मैं ऐसे ही रुका रहा. मुझे ऐसे देख कर उसकी आँखो मे एक चमक आ गयी. वो मुझे लण्ड को बाहर निकलवाना नहीं चाहती थी. माँ तो चुदाई चाहती थी बस दिक्कत थी तो इतने मोठे लण्ड के दर्द की. माँ भी जानती थी की यह दर्द थोड़ी ही देर का है और थोड़ी ही देर में इसके पीछे पीछे मजा आने वाला है जिसके लिए मैं और मेरी माँ न जाने कितने सालों से तड़प रहे थे।
मैं ने अपने लण्ड को ऐसे ही रखा.और फिर से माँ के होंठो को चूसने लगा. स्तन को दबाने लगा.कुछ समय के बाद माँ को अच्छा लगने लगा.
उनका दर्द कम हो गया. मैं ने माँ के होंठो को छोड़ दिया.और स्तन को भी...
माँ के चेहरे पर अब दर्द नही था बस प्यार ही प्यार दिख रहा था.
मैं लण्ड को धीरे से बाहर निकाल कर अंदर डालने लगा.धीरे धीरे लण्ड को अंदर बाहर करने लगा. अभी तक पांच इंच लण्ड अंदर था.मैं आराम से दो मिनट तक लण्ड को हिलाता रहा.
माँ बस बिना पलके झुकाए मुझे देख रही थी. क्या पता क्या देख रही थी.
मैं जो प्यार से लण्ड अंदर बाहर कर रहा था.मैं उसे ज़्यादा दर्द नही होने दे रहा था. शायद माँ यही देख रही थी.
मैं लण्ड को बड़े प्यार से माँ की योनि मे डाल रहा था. शायद माँ मेरा यही प्यार देख रही थी.
फिर धीरे धीरे गति बढ़ाने लगा.अब माँ का कुछ दर्द कम हुआ था. पर मैं ने अभी तक पूरा लण्ड अंदर नही डाला था.मैं इंतज़ार करने लगा कि कब माँ की योनि पानी छोड़ेगी.
पांच मिनट तक ऐसे ही चुदाई करने से माँ की योनि ने पानी छोड़ दिया.
माँ की योनि में पानी आ गया था. योनि अब गीली हो गयी थी. लण्ड के लिए जगह बन रही थी. माँ कुँवारी नही थी पर मेरा लण्ड ही बहोत बडा था नौ इंच लंबा और चार इंच चौड़ा और उसका सुपडा किसी जंगली आलू की तरह बडा था और माँ की योनि बहुत छोटी थी किसी छोटी बच्ची की तरह माँ की योनि और मेरे लिंग का कोई मेल ही नही था तो रिझल्ट तो ऐसे ही आना था मेरे लिंग ने माँ की योनि का बहोत बुरा हाल कर दिया था
फिर मैं ने आख़िरी झटका मारा और पूरा लण्ड अंदर चला गया. माँ की दबी हुई दर्द भरी चीख निकल गयी.
मैं माँ का बचा हुआ दर्द स्तन को दबा कर कम करने लगा.
मैं ने माँ से कहा बस हो गया.अब दर्द नही होगा... जितना दर्द होना तो हो गया...पूरा लण्ड अंदर चला गया है..,बस थोड़ी देर रूको सब ठीक हो जाएगा
माँ ने कहा., मुझे दर्द नही हो रहा है.
मुझे पता था कि माँ झूठ बोल रही थी.
मेरे लण्ड से दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.
माँ की स्मॉल योनि मे दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.
लण्ड अंदर जाने के बाद चीख निकली और दर्द ना हो ये हो ही नही सकता.
फिर भी माँ ने मेरे लिए कहा कि उन्हें दर्द नही हो रहा.
माँ की बात सुन ने के बाद मैं ने लण्ड को बाहर निकाल लिया. माँ के चेहरे पर जो भाव था वो ये बता रहा था कि माँ को कितना दर्द हो रहा है.
मैं समझ गया कि वो मेरे लिए,अपने प्यार के लिए दर्द बर्दास्त कर रही है.
मैं ने लण्ड को धीरे से फिर से अंदर डाल दिया और माँ के स्तन दबाते हुए लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किया.
लण्ड के हिलने से माँ को दर्द हो रहा था.उन्होने अपने हाथ मेरी पीठ पे रख दिए. जैसे उनको दर्द होता वो अपने नाख़ून मेरे पीठ मे गाढ देती.और कहती कि मुझे दर्द नही हो रहा.
एक तरफ दर्द के वजह से नाख़ून से मेरे पीठ को खरॉच रही थी और दूसरी तरफ कह रही थी कि मुझे दर्द नही हो रहा.
माँ के साथ चुदाई करते हुए मुझे कोई जल्दी नही थी.
मैं हर एक धक्के को महसूस करना चाहता था. मैं ऐसा क्यू कर रहा था मुझे पता नही था.
पर हर एक धक्के के साथ मुझे एक अलग ही आनंद मिल रहा था.
माँ भी अब मेरे धक्को को महसूस करके अपने दिलो दिमाग़ मे ये माँ बेटे की पहली चुदाई फिट कर रही थी.
मैं बड़े प्यार से माँ की चुदाई कर रहा था. आज मुझे क्या हुआ था कुछ समझ नही आरहा था.
ना माँ को जल्दी थी और ना मुझे जल्दी थी. ना माँ मुझसे अलग होना चाहती थी. और ना मैं माँ को अलग होने देना चाहता था
मैं लण्ड को माँ की योनि की गहराई तक अंदर डाल कर धक्के मारता गया. फिर भी उनका दर्द कम नही हुआ.पर मुझे लग रहा था कि उनका प्यार बढ़ रहा है.
चुदाई के बाद मैं माँ को क्या कहूँगा,उनका सामना कैसे करूँगा,इसकी मुझे कोई फिकर नही थी.
बस मैं धक्के मार कर अपने जीवन को सफल कर रहा था.
मैं लण्ड को धीरे से पूरा बाहर निकाल लेता फिर अंदर कर लेता. ऐसा कुछ देर करने के बाद माँ की योनि ने मेरे लण्ड के लिए जगह बना दी.और लण्ड आराम से अंदर जाने लगा.
योनि मे लण्ड के लिए जगह बनने से माँ का दर्द ख़तम हो गया. मैं धक्के लगाता रहा.
अब माँ भी अपने चूतड़ उपर करके मेरा साथ दे रही थी माँ अब सिसकिया ले रही थी पर खुल कर नही ले रही थी. वो मुझसे शरमा रही थी.
बस बीच बीच मे आहह आहह कर रही थी.दस मिनट तक मैं ने दिमाग़ को सेक्स से अलग रख कर दिल को माँ की चुदाई फील करने दे रहा था.
मैं माँ की ऐसे ही चुदाई करता रहा.फिर से माँ ने पानी छोड़ दिया.
फिर मैं ने माँ के पैरो को थोड़ा ज़्यादा फैला दिया और धक्के बहुत धीमी गति से मैं माँ की योनि मे धक्के मार रहा था.
मैं माँ को हर धक्के का मज़ा दे रहा था और ले भी रहा था. कमरे मे हमारे चुदाई का म्यूज़िक गूँज रहा था.
यह चुदाई का म्यूज़िक कब से बज रहा था ये ना माँ को पता था और ना मुझे पता था.
माँ ने ज़्यादा तर समय अपनी आँखो को बंद रखा था.पर माँ बीच बीच मे अपनी आँखो खोल कर मुझे धक्के मारते हुए देख कर फिर से अपनी आँखो बंद कर लेती.
माँ ने फिर एक बार पानी छोड़ दिया.इस लंबी चुदाई मे मुझे भी लग रहा था कि अब मेरा भी होने वाला है.
अब मुझे अपनी धक्के मारने की गति बढ़ानी थी.पर माँ को दर्द ना हो,इसके लिए दिल मुझे इसकी इजाज़त नही दे रहा था. अगर दिल की जगह दिमाग़ होता तो अब तक मैं ने अपनी गति बढ़ा दी होती और मेरा वीर्य माँ की योनि मे होता.
मैं बड़े प्यार के साथ आख़िरी झटके भी धीरे धीरे मार रहा था.
आख़िरी झटके वो भी धीरे धीरे मारने के लिए मुझे मेरे दिल ने बहुत मदद की.
मेरे धक्के की गति अपने आप थोड़ी बढ़ गयी थी शायद उस से माँ ने पता लगा लिया होगा कि मेरा होने वाला.
इस लिए वो अपने चूतड़ उठाकर मेरा साथ देने लगी.
मैंने माँ को प्यार से पूछा - "माँ मेरा होने वाला है. मैं अपना माल कहाँ निकालूँ? क्या अंदर ही छोड़ दूँ. कोई दिक्कत तो नहीं है न?'
माँ भी प्यार से बोली - "हाँ बेटा मेरे अंदर ही अपना माल छोड़ दो. मेरा अब माँ बनने का टाइम निकल चूका है. इसलिए कोई खतरा नहीं है. तुम आराम से अंदर ही अपना वीर्य छोड़ सकते हो. वैसे भी मैं पहली बार अपने बेटे के साथ यह सब कर रही हूँ तो तुम्हारा वीर्य मैं अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ. "
फिर एक आखरी धक्के के साथ मेरा वीर्य निकल गया.
मैं ने अपना वीर्य माँ की योनि मे डाल दिया.
मेरा वीर्य योनि मे महसूस कर के माँ ने आँखो खोल दी और मैं माँ के उपर गिर गया.
थोड़ी देर मैं माँ के उपर ही रहा.
फिर माँ नॉर्मल हो गयी.
अब माँ को अपने बदन मे दर्द महसूस हो रहा था.
क्यू कि मैं अभी तक माँ के उपर था
मुझे इस बात का अहसास हुआ.मैं माँ के उपर से अलग हो गया.
मैं ने अपने लण्ड को माँ की योनि से बाहर निकाल लिया.
मेरा लण्ड तो माँ की योनि से बाहर आने को तैय्यार नही था.
उसे हमेशा के लिए आखिर एक घर मिल गया था और वो वही रहना चाहता था.
दिल पर पत्थर रख कर लण्ड को बाहर निकाल लिया.
मेरे लण्ड पे माँ की चूत का रस और मेरा वीर्य लगा हुआ था.
माँ के योनि पर भी उनका अपना रस और उनके बेटे का वीर्य लगा हुआ था.
तब माँ ने कहा "ऐसे ही पड़े रो कुछ देर अच्छा लग रहा था" और शर्मा गई फिर मैंने फिर मेरा लिंग अंदर डालकर उनके ऊपर पडा रहा उनको किस करता रहा
और साथ मे उनके स्तन के साथ प्यार से खेलता रहा हम एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुरा रहे थे माँ को अब दर्द नही हो रहा था
उनके बदन के पसीने की गंध से मेरा लण्ड फिर हार्ड होने लगा माँ मेरे लण्ड का कड़ापन महसूस करके हैरत से बोली
"ये क्या फिर से"कहते हुए मेरी तरफ हैरत और अभिमान से देखने लगी उनकी उस नजर से मुझे फिर से ताकत मिली और मैं फिर धीरे धीरे अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा अभी कुछ देर पहले मैं अंदर झड़ा था इसलीए मेरे वीर्य से पूरी योनि अछि तरह चिकनाई युक्त हो गई थी माँ ने प्यार भरे गुस्से में मुझे देखा और धीरे से कहा
"ये क्या तुम फिर शरू हुये, क्या अब भी दिल नही भरा? अब एक बार हो तो गया है. "
माँ के ऐसे कहते ही मुझे अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया कि माँ को कितना दर्द हुआ था और मैं उन्हें आराम देने के बदले फिर सेक्स के बारे में सोचने लगा मैने झटसे अपना लिंग बाहर निकाला और माँ के ऊपर से उतर के अलग हुआ
मुझे यू अपने उपरसे हटते हुए देखकर माँ को हैरत का झटका लगा. उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर कहा
" क्या हुआ तुम हट क्यों गये"
मैंने कहा "सॉरी माँ मुझसे गलती हुई तुम्हे इतना दर्द था और मैं सिर्फ सेक्स के बारे में सोच रहा था मुझे माफ़ करो मुझसे गलती हुई"
माँ ने हस कर मेरी तरफ देखा और कहा
"बेटा तुम मुझसे इतना प्यार करते हो, मैं आज बहुत खुश हूं अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझती हूं जो मुझे अपने साथी के रूप में तुम मिले, और मुझे इतना दर्द नही हो रहा है, मैं तो मजाक कर रही थी, मेरी भी इच्छा थी तुम मुझे प्यार करते रहो "
मैने माँ की आंखों में अपने लिए बेइंतहा प्यार देखा मेरी आँखों मे खुशी के आंसू आगये मैं माँ लिपटकर उन्हें पागलो की तरह चुमने लगा माँ भी मेरा साथ देने लगी मेरा ढीला पड़ा लिंग फिर हार्ड हो गया माँ की दोनो थाइस मेरी कमर से लिपट गई मैने अपना लिंग माँ की रसभरी योनि में फिर से घुसा दिया माँ के मुह से आनंददायक सिसकारी निकल गई मैं फिरसे माँ की चुदाई करने लगा माँ और मैंने का सेक्सुअल पार्ट्स एकदम चिपक चुका था... पूरा लण्ड माँ की योनि में घूसा बैठा था...
मैंने माँ के शोल्डर्स को अपने हाथों में थाम लिया, फेस और लिप्स पर किसिंग करने लगा.. मैं अपने लण्ड को कुछ देर माँ की योनि में घूसा कर रखना चाहता था.. शायद इस तरह से माँ की योनि मेरे लण्ड के साइज की तरह हो जाए.... मैंने पूरा लण्ड धीरे धीरे योनि से बाहर निकाला और फिर झटके से पूरा अन्दर डाल दिया.. माँ दर्द से फिर चिल्ला उठि.. मैंने ने कोई १० - १५ धक्के इस तरह मारे..हर धक्के पर माँ के मुँह से हाय मर गइ..ओह माँ मा..अह निकल रहा था.. लण्ड योनि में अपनी जगह बनाने में लगा था.. धीरे धीरे जब मैंरे लण्ड ने माँ की टाइट योनि में अपनी जगह बना ली तो दर्द कुछ कम होने लगा. फिर मैंने माँ को चोदना शुरू कर दिया.. माँ मेरी बाँहों में पड़ी चुप चाप चुद रही थी.. थोड़ी देर में माँ का दर्द बिलकुल ख़तम हो गया और वो भी अब मेरा साथ देने लगी.. माँ ने मुझे अपने से लिपटा लिया. माँ के सेक्सी लेगस, उन लेग्स पर पायल, और सेक्सी रेड पेंटेड नेल्स चुदाई के टाइम बहुत मस्त लग रही थी. मैंने स्लो और तेज दोनों तरह से रेगुलर माँ की योनि चोद रहा था. माँ भी मुझ को अपने चूतड़ ऊपर उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी.. हमदोनों का सेक्सुअल चुदाई इतना परफेक्ट दीख रहा था मानो हम एक दूसरे के साथ कई सालों से सेक्स कर रहा हो.. दोनों की सेक्सी अवाज़ों से पूरा कमरा गूँज रहा था.
इतने दिनों की प्रतीक्षा में दोनी का संयम अब टूट चुका था मैंने अब अपनी माँ को अब वह सुख दे रहा था जिसके लिए मां न जाने कितने सालो के लिये तरसी थी आज उसे वह सुख मिल रहा था जो वह भूल गई थी उनका पति पिछले १० साल पहले मर चूका था और तब से वह इस सुख से वंचित थी और उसने इसे अपना भाग्य मान लिया था
पर आज उनका बेटा ही उनका पति के स्थान पर उन्हें चोद रहा था, उनका अपने वो बेटा जो न केवल उसे प्यार करता है बल्कि सेक्स में भी बहुत जोरदार है जो उसे वह सुख दे रहा है जिसके लिए वह न जाने कबसे तड़पी थी पर अब उसे वह सुख मिल रहा था वह बहुत खुश थी तभी मेरी आवाज से वह सोच से बाहर आई.
माँ के फेस से अब साफ़ दीख रहा था के उनको भी सेक्स करने में खूब मजा आ रहा है..
रेगुलर धक्को से माँ के चूतड़ बिस्तर में धस चुके थे..उनके सेक्सी टांगों को जो कभी तो मेरे हिप्स पर होते,,, तो कभी हवा में,,, और कभी मैंने उनको अपने शोल्डर पेर रख कर योनि को चोदता.,,, मेरे धक्कों के साथ साथ माँ के पायल की छन छन साउंड भी सुनाई देती. जिस जगह माँ के चूतड़ थे वहां पर से मैट्रेस भी नीचे घुस गया था..
मैं बिना रुके धक्के पर धक्के लगा रहा था. लगा के शायद मेरा लण्ड बहुत जल्दी पानी छोड़ देगा, क्योंकि ज़िंदगी मे पहली बार माँ की योनि का दर्शन किया था, मगर पूरे बीस मिनट हो चुके थे और अब भी रेगुलर मेरा लण्ड माँ की योनि की गहराई नाप रहा था.. मैं चुदाई ग के साथ साथ कभी माँ के स्तन को चूसता तो कभी लिप्स को चूसता.
मेरे चेहरे पर मजे के रंग आ रहे थे माँ भी उन्हें देख कर समझ रही थी की मुझे चुदाई में बहुत आनंद आ रहा है. उन्हें खुद भी बहुत मजा आ रहा था. आखिर यह माँ बेटे की पहली चुदाई जो थी.
मैं अब झड़ने वाला था.. तभी कोई दस धक्कों के बाद मैं गुर्राने लगा..ओर मैंने माँ को अपने बदनसे इस तरह से चिपका लिया के मानो हवा भी पार न हो पाये. आह आह आए माँ में आ रहा हूँ। अब नहीं रुक सकता।. ओह माँ ओह.और एक जटके के साथ मैंने अपने लण्ड का पानी माँ की योनि में डाल दिया..माँ भी साथ साथ चीख उठि.. आआह में भी झड़ रही हु.ओह माँ मर गई. आह
झड़ने के बाद मैं माँके ऊपर ही ढेर हो गया.. माँ के स्तन में मेरा सर पड़ा था. मैं बहुत थक चुका था मगर लण्ड अब भी योनि में ही घूसा बैठा था..दस मिनट बाद हमदोनो के बदन अलग हुये.. मैं माँ के साइड में लेट गया.
मेरी नज़र माँ पर गई तो देखा.. वो बेड पर टाँगे खोले पोजीशन में पड़ी थी.ऐसा लग रहा था के जैसे दोनों सेक्सी टाँगे इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद बंद होने का नाम ही नहीं लें रही थी।
माँ का बदन पसीना पसीना हो रहा था.. माँ के पसीने की बूंदे पूरे बदन पर चमक रहीं थी. बाल गीले हो कर चेहरे से चिपक गए थे. मैंने ने खूब जम कर माँ के होंठों को चूसा था, होंठों का साइज खुल कर डबल हो गया था.. पूरे शरीर पर मेरे काटने के निशान थे.
मैंने दोनों टाँगो को और ख़ौल दिया और अपनी जन्मभूमि योनि के दर्शन किये. ओह भगवान. माँ के योनि का रंग बदल कर पूरा लाल हो गया था. लण्ड से चुदने के वजह से योनि के होंठों खुले के खुले ही रह गए थे.. योनि के अन्दर कई इंच तक साफ़ देखा जा सकता था.. मेरा ख़ूनमिश्रित वीर्य भी माँ के योनि से रिस रिस के बाहर आ रहा था.
माँ बेहाल बेड पर पड़ी थी.. ऐसा लग रहा था मानो किसी ने उनका रेप किया हो. माँ के योनि के नीचे की चादर पूरी गीली और लाल हो चुकी थी,,माँ चुदाई के दोरान ४-५ बार झड़ गई थी और सारा पानी चादर पर ही बह गया.. फिर हम दोनो बारी बारी से बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आगये और बेडसे बेडशीट बदल कर दोनों बेड पर पड़े थे. फिर मैं ने माँ को अपने बदन से चिपका लिया
फिर मैंने माँ की आँखों में जहाँ मेरे लिए प्यार ही प्यार था को देखा और माँ को कहा
"माँ आपका बहुत बहुत धन्यवाद् है की आप ने मेरी बात को माना. मैं कहता था न कि, पूरी दुनिया ने हम को छोड़ दिया है. हमारा कोई और सहारा नहीं है. बस हम दोनों माँ बेटा ही अब इस जीवन में एक दूजे के सहारे हैं. इसलिए हमे ही एक दुसरे की हर तरह की जरूरत का ध्यान रखें है और इस हर तरह की जरूरत में शरीर की जरूरत भी शामिल है. आज हमने माँ बेटे के संबंधों की आखरी दिक्कत भी दूर कर ली है और अब सारी जिंदगी इसी तरह हूँ एक दुसरे का सहारा बने रहेंगे। ठीक है न?
माँ की आँखों में मेरे लिए अनन्त प्यार दिखाई दे रहा था. वो भी बोली
"बेटा पहले तो मुझे तुम्हारी बात बहुत गलत लगी. पर फिर मैंने भी जब तुम्हारी बात पर ध्यान से और शांति से गौर किया तो मुझे भी लगा की तुम ठीक ही कह रहे हो. अब हम दोनों माँ बेटा को ही एक दुसरे का सहारा बनना है. चलो जो भी हुआ अच्छा ही हुआ. अब बाकि की सारी जिंदगी हम दोनों इसी तरह गुजारेंगे।
दुनिआ के लिए हम माँ बेटा होंगे और घर के अंदर हम प्रेमी प्रेमिका, या जो भी नाम तुम हमारे इस नए रिश्ते को दो. लेकिन बस अब आगे से हमारे जीवन में प्यार ही प्यार होगा। "
यह कह कर माँ मेरे से जोर से चिपक गयी और मैंने भी माँ को अपनी आगोश में जकड लिया और फिर हम दोनों माँ बेटा नींद की वादियो मे खो गये..
हम अब जानते थे की हमारे जीवन से दुःख जा चूका है और आगे खुशियाँ ही खुशियां हैं.
समाप्त।