Update 06

अब हर्ष हॉस्पिटल पोहोंच जाता है। वहाँ वे वो चीज़े लेके निकल ही रहा था कि एक नर्स उसको बुलाती है

नर्स:-जी आप उसके बेटे है ना,जी अभी एक्सीडेंट मैं आये थे।

मैं:- जी।

नर्स:- जी वो मुझे आपको एक बात बतानी है।

मैं:-जी बोलिये ना।

नर्स:- पर आप किसी से भी ये मत बोलना की ये बात मैंने आपको बताई है।

मैं:- हाँ, लेकिन बात क्या है?

नर्स:- वो.....आपके आपके साथ उस दिन वो लड़का आया था वो को था?

मैं:-तुम बताओ तो यही हुआ क्या है?

नर्स:-वो जब आप लोग यहाँ से घर गए थे तभी वो यहाँ अकेला था।

मैं:- हाँ, तो क्या हुआ?

नर्स:-उसने आपके जाने के बाद ... प्लीज आप मैंने बताया है ऐसा किसी से भी मत कहना। मेरी जान चली जाएगा,मेरे बच्चे की भी।

मैं:-ठीक है, लेकिन हुआ क्या है ये तो बताओ?

नर्स:-वो उस लड़के ने आपके पिता को मारा है।

मैं:- क्या बोल रही हो तुम ये सब?

नर्स:- मैं सच बोल रही हूँ। आपके पिता को ऑक्सीजन मिलना जरूरी था। और मैं रात को आपके पिता के पास आयी थी तब देखा कि वो ऑक्सीजन हटा रहा था।

मैं:-(गुस्से में) क्या? सच मैं? तुमने रोका क्यो नही?

नर्स:- मैंने उसने माना किया और बाहर भेजने की कोशिश की लेकिन उसने मेरा गला दबा दिया और बोला कि अपनी जान की परवाह है तो चुप रहना।

अब इसके बाद से हर्ष कुछ बोला ही नही। नर्स चली गयी और हर्ष यही सोच रहा था कि ऐसा क्या हुआ जो उसके पिता को निरज ने मार डाला। और वो जल्दी से अब अपनी माँ के पास जाता है और अब उससे रहा नही जाता और जल्दी से घर जाके पूछने लगता है।

मैं:-(गुस्से और दर्द दोनो मैं) माँ पापा का एक्सीडेंट क्यो हुआ?

माँbananaरोते हुए)बेटा मुझे माफ़ कर दे। तू मुझे छोड़ के कही मत जाना ।

मैं:- माँ मैं आपको छोड के कही नही जाऊंगा।

माँ:-बेटा बस मुझे माफ़ कर देना।(और रोने लगती है)

यहाँ पे माँ के पास और बेटे के पास दोनो के पास एक ऐसी खबर थी जो एकदूसरे को रुला देने वाली थी,जिसका सामना अभी होता है।

मैं:-माँ, आप सच बोलो,आपको किसी ने कुछ परेशान किया? किसी ने जबरजस्ती की?

माँ:- नही बेटा, ऐसा कुछ नही है।

मैं:- माँ,आप सच नही बोल रही मुझे ही बोलना होगा।

माँ:-(रोते और डरते हुए) बेटा मैं झूठ क्यों बोलूंगी?

मैं:-(अपने फोन में से रेकॉर्डिंग किये वीडियो दिखाते हुए) माँ मुझे आपके और निरज के बारे में सब पता है।

माँ:-(वीडियो देखते हुए और बेटे से गले लग के रोते हुए) बेटा मुझे माफ़ कर दे,मुझसे बड़ी गलती हो गयी।

मैं:-लेकिन माँ आप कैसे फस गयी इन सब मैं?

माँ:- बेटा मुझे भी खुद को नही पता।

मैं:-माँ लेकिन पापा का एक्सीडेंट कैसे हुआ?

ये सवाल के बाद भावना ने उस दिन जो भी हुआ सब बता दिया। क्योंकी उसको पता था कि अब झूठ बोलने का कोई फायदा नही।

मैं:-माँ आपको पता है,पापा ठीक होने वाले थे।

माँ:-हाँ, बेटा लेकिन अब किस्मत ही ऐसी हो तो क्या करे?

मैं:-नही माँ , आप यकीन नही करेगी, निरज ने.....

माँ:-क्या बेटा? बोलो ना?

मैं:- निरज ने पापा को मार डाला था।

माँ:-(शॉक होते हुए) क्या????

मैं:-जी माँ ,मैं अभी हॉस्पिटल गया था तब एक नर्स ने बताया।

माँ:- तो उसने किसी को बताया क्यों नही?

मैं:- उसको मार डालने की धमकी दी।

माँ:- उस हरामी ने मुझे भी धमकी देके करवाया।

मैं:- क्या माँ?

माँ:- (हड़बड़ी में)कुछ नही बेटा.

मैं:- माँ सच बोलो ।।

माँ:- (रोते हुए) बेटा, तुम वादा करो कि तुम मेरे साथ हमेशा रहोगे।

मैं:-(माँ का हाथ पकड़ते हुए) माँ मैं आपके साथ हमेशा रहूंगा। लेकिन निरज ने आपको क्या धमकी दी?

माँ:- बेटा, उसका बच्चा.....

मैं:- बोलो ना माँ..

माँ:- बेटा उसका बच्चा मेरे पेट में पल रहा था। ये सब होने के बाद वो डरने लगे और मुझे मेरी वीडियो दिखा के बच्चा गिरा देने की धमकी दी।

मैं:- (गुस्से में) उसको तो मैं छोडूंगा नही अब।

माँ:- बेटा अभी कुछ मत कर।।

मैं:-माँ लेकिन आपसे एक बात पुछु?

माँ:- हम्म

मैं:- आप लोग तो हमेशा वो पहनते हो ना?

माँ:- (शर्माते हुए) हम्म ,उस दिन तो वो बोल भी रहा था कि बिना उसके करने दो लेकिन मैंने मना कर दिया था।लेकिन बाद में पहन लिया था लेकिन ये फट गया।

अब ये सुनने के बाद हर्ष सोचता है कि ऐसा तो हो नही सकता, उसको बात कुछ और ही लग रही थी। लेकिन अब भावना खाना बनाने लगी और हर्ष थोड़ी देर अपने रूम के जाके बैठा। और वो सिर्फ यही सोचे जा रहा था कि उन दोनों को ये सब करते बहुत दिन हो गए इतने दिन मैं ऐसा नही हुआ। तो उसने उस दिन वाली वीडियो देखनी चाही। फिर वो मेमोरी कार्ड ले आया और मोबाइल मैं डाल के देखने लगा।

उसने देखा कि वो दोनों आये और फिर भावना रूम से बाहर गयी, और उसी वख्त निरज ने आस पास देखा तो उसको बाहर एक कैंची मिली जिससे उसने कॉन्डोम का आगे का हिस्सा काट दिया था और जल्दी से लन्ड पे हाथ रख के खड़ा हो गया,और फिर भावना पानी लेके आयी। फिर वो लोग लग गए अपने काम में। ये देख हर्ष और ज्यादा गुस्सा हो जाता है। और वो अपनी माँ के पास किचन में जाता है।

मैं:-माँ।

माँ:-(किचन से) मैं यहां हूँ बेटा।

मैं:- माँ उस दिन आपको उसने पानी लेने भेजा था ना?

माँ:-(याद करते हुए) हाँ, बेटा, लेकिन तुझे कैसे पता?

मैं:-मैंने आपके रूम में कैमरा लगाया था ।

माँ:-(शौक होते हुए) क्या? मतलब तुमने सब देखा?

मैं:-(सर नीचे करके) जी माँ।

माँ:-(रोते हुए) बेटा मुझे माफ़ कर दे।

मैं:- उससे निरज को अब मैं छोड़ूंगा नही।

माँ:- बेटा, रहने दो उसको।

मैं:- आपको पता नही उसने क्या किया?

माँ:- क्या हुआ बेटा?

मैं:- उसने आपको जानबूझकर पानी लेने भेजा था और कॉन्डोम को आगे से काट दिया था।

माँ:- क्या?

मैं:- हाँ माँ।

अब भावना कुछ बोलती नही ,अब उसकी आँखों में गुस्सा आने लगा था कुछ देर ऐसे ही खड़े रहने के बाद वो अपने बेटे से बोलती है.....

माँ:-बेटा, अब तू मेरा बदला ले ।

मैं:-मतलब माँ?

माँ:- तू कुछ भी कर लेकिन उस हरामी को हमने जो दर्द सहन किया है तुम उससे ज्यादा करवाना।

मैं:- हम उस पर केस करेंगे।

माँ:- हाँ, सही कहा तूने।

अब उस दिन से न निरज दिखाई दिया ना उसकी जिम की दुकान खुली। और भावना और हर्ष ने उस पर केस तो कर दिया और उसकी दुकान बंद करवा दी और उससे कुछ पैसे भी इन लोगो को मिले,लेकिन कोर्ट फैसला नही सुना रहा था, सिर्फ तारीख़ ही देते जा रहा था।

और उस दिन के हादसे के बाद दोनों माँ बेटे मुंबई छोड के पुरानी यादों को छोड़ के दिल्ली आ गए थे,और वहाँ पे अपनी जिंदगी की शुरुआत की थी।

वो लोग वहां दिल्ली में शहरों से थोड़ा दूर एक शान्त जगह पे रहने लगे थे। जहां आसपास कोई भी नही रहता,

घर भी अच्छा था। और नीचे बेसमेंट भी था,एकदम बडा वाला। आसपास कोई शोर नही था।तो वो लोगो को अब दिल्ली आए हुए 6,7 महीने हो गए थे।

इधर भावना घर में रहती और हर्ष ने दिल्ली में कॉलेज जॉइन कर ली थी। दोनो पुरानी बातों को भूल कर अपनी नई जिंदगी की शुरुआत में थे।

रोज की तरह

मैं:-माँ ,मेरा नास्ता दो माँ. मुझे लेट हो रहा है।

माँ:-(नास्ता लाते हुए) ये ले मेरा बेटा, खा ले।

मैं:-हाँ, माँ।

माँ:-बेटा, अब कॉलेज खत्म होने में कितना समय बचा है?

मैं:- माँ अभी सिर्फ और 3,4 महीने ही है।

माँ:- ठीक है आराम से पढ़ लो।

मैं:- ठीक है माँ, मैं कॉलेज जाता हूँ।

अब रोज की तरह हर्ष कॉलेज जाता है। और शाम को कॉलेज के गेट के बाहर अपने दोस्तों से बाते कर रहा होता है तब पीछे से एक लड़की आती है

जो दिखने में सुंदर थी और उसकी उम्र करीब 27 होगी। और बोलती है.

लड़की:- सुनिए। क्या आप मुझे अपना फोन दे सकते है? मुझे मेरे भाई को फोन करना है मेरे फोन में बैटरी नहीं है।

मैं:- जी ठीक है ये लीजिये।

लड़की:-(फोन लेते हुए) थैंक्यू।

मैं:- नही उसमे क्या।।

अब वो लड़की अपने भाई को फोन करती है और बाते करती है और इधर हर्ष भी अपने दोस्तों से हसी मजाक कर रहा होता है। और तभी...

लड़की:- हाँ हाँ, भाई, मुझे कोई तकलीफ नही है। मैं ठीक हूँ।

और सामने से कोई बात कर रहा था।

फिर लड़की बोली.....

लड़की:- हाँ निरज भाई, मैंने कहा ना कुछ भी प्रॉब्लम नही है यहां पे। अब मैं फ़ोन रखती हूं।

हर्ष के कान में निरज नाम सुनते ही वो सब बातें फिर से याद आ जाती है। फिर लड़की हर्ष को फ़ोन देके थैंकयु बोल के जाने लगती है। हर्ष के फोन में ऐसा था कि किसी का भी नंबर हो उसका नाम बता देता था,तो उस लड़की ने जो नंबर अभी लगाया था उस पे “निरज जिम” ऐसा लिखा था। फिर वो जल्दी से उस लड़की के पास जाता है।

मैं:-(लड़की से पूछते हुए) जी आप निरज की बहन हो क्या?

लड़की:-जी हाँ, आप जानते हो मेरे भाई को?

मैं:-(कुछ सोच कर) हाँ ..मतलब उसका जिम था वो पता है।

लड़की:- हाँ मैं उसकी बहन हूँ।

मैं:- वैसे आप का नाम?

लड़की:-(अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए) जी मैं मानशी।

मैं:-(दोनो हाथ मिलाते हुए) मैं हर्ष।

मानशी:- आप यही पढ़ते हो?

मैं:- हाँ, अभी कुछ महीनों पहले ही आया।

मानशी:- अच्छा।

मैं:- लगता है आपके भी को आपकी बहुत फिक्र हो रही है।

मानशी:-(परेशान होते हुए) हाँ, देखो ना 1 मिनीट भी फोन न करु तो परेशान हो जाते है।

मैं:- वैसे वो कहा पे रहते है?

मानशी:- अभी तो वो बैंगलोर मैं है। उसका जिम कुछ महीनों पहले बंद हो गया था और वो भी अचानक से बैंगलोर चले गए।

मैं:-(अब सब समझते हुए) ऐसा है।भाई है फिक्र तो होगी ही।

मानशी:- हाँ।चलो अब मैं चलती हूँ।

मैं:- ठीक है।

अब वो जल्दी से सीधा घर आ जाता है और इतने महीनों बाद उसको उसका शिकार मिल जाता है। अब रात को माँ बेटे खाने बैठे थे और वो अपनी माँ से बोलता है।

मैं:- माँ।

माँ:- हाँ बेटा, कुछ चाहिए क्या? रोटी दूँ?

मैं:- नही माँ आपसे कुछ बात करनी है।

माँ:-क्या हुआ बेटा?

मैं:- (आंखों में नमी होते हुए) माँ लगता है जो 2 जान गई थी उसका बदला लेने का समय आ चुका है।

माँ:- मतलब बेटा?

मैं:-पापा की और उस छोटे बच्चे की जो उस दिन....( इतना बोल के चुप हो जाता है)

माँ:-(सब बातों को याद करते हुए) लेकिन कैसे बेटा?

मैं:-वो उस दिन से मुंबई छोड़ के बैंगलोर चला गया था।

माँ:- तुम्हे कैसे पता?

मैं:- माँ मैं जिस कॉलेज में हूँ,उसकी बहन भी उसी कॉलेज में है।

अब भावना के दिन मैं किसी की जिंदगी बर्बाद करना तो नही था लेकिन उसके साथ जो हुआ और 2 जान की कीमत चुकानी होगी निरज को। क्योंकि कोर्ट का तो पता ही था कुछ नही करने वाला। तो उसने बेटे को बोला

माँ:-(गुस्सा दिखाते हुए) बेटा, तू अपनी माँ का बदला लेगा।कुछ भी कर लेकिन मेरा बदला ले।

मैं:- जी माँ, मैं बदला लूंगा। और ऐसा बदला लूंगा, जो दर्द हमने लिया था वो दर्द व भी ले।

माँ:-हाँ, बेटा।

मैं:- अब वो खुद सामने से हमारे पास आएगा।

माँ:- वैसे बेटा क्या करेगा तू?

मैं:- अब तीर वही मांरूँगा जहाँ दर्द ज्यादा हो।

माँ:- बेटा, तू बस मेरा बदला ले।

मैं:- जी माँ, आप टेंसन न लो।

अब दोनों खाना खा के सो जाते है। और इधर हर्ष ने सब अपने दिमाग में खेल बना लिया था ,अब उसको अपनी चाल चलनी थी। निरज ने जैसे उसकी माँ को फसाया वैसे अब हर्ष उसकी बहन को फसएगा।

अब दूसरी सुबह वो कॉलेज जाने निकला और वो अब मानशी को देखने लगा कि वो कब कितने बजे कहां जाती है।

फिर कॉलेज जाने के बाद , उसने देखा कि वो एक घर से निकली और ऑटो वाले से बाते कर रही थी कि ये आप ज्यादा पैसे बोल रहे है आप जाइये ,ऐसे सब ।और तभी इस बात का फायदा देखते हुए हर्ष उस के पास गया,और ऐसे गया कि उसको मालूम न हो कि वो भी यही से जाएगा। और बाइक लेके निकल और मानशी को देखे बोला।।

मैं:- अरे आप यहां?

मानशी:- हाँ, देखो न कोई ऑटो वाला मिल ही नही रहा ।

मैं:- अरे तो मेरे साथ बाइक ओर चलो ना मैं भी कॉलेज ही जा रहा हूँ।

मानशी:- जी ठीक है।

और मानशी बाइक पर बैठ के हर्ष के साथ निकल जाती है

मैं:- वैसे आप वहाँ रहते हो क्या?

मानशी:-हाँ, रूम रेन्ट पे ले के रहती हूँ।और अभी तो रूम में भी कोई नही है बस में अकेली ही रहती हूँ।

मैं:- अच्छा, मेरा घर भी आपके रूम से पास ही है,आना होगा आपको।

मानशी:- आप बुलाये मैं आ जाऊँगी।

और दोनों हसने लगे।और कॉलेज पोहोंच गए। अब दोनों अपनी अपनी क्लास में गए, और इधर हर्ष क्लास में बस बदले के बारे में ही सोच रहा था।अब शाम को जब वो घर जाने निकला तो फिर मानशी ऑटो की राह देख रही थी कॉलेज के पास। तो हर्ष फिर से आ गया उसके पास और..

मैं:- नही मिलेगा ऑटो,मैं हूँ ना, मैं छोड़ दूंगा।

मानशी:- (खुश होते हुए) हाँ, ठीक है।

अब दोनों रोज इसी तरह मिलते रहे। और हर्ष उसको अपनी चाल में फसाता रहा।

लेकिन भावना सोच रही थी कि..

मेरा बेटा बदला तो ले लेगा ,लेकिन जितना जल्दी ले ले उसके लिए अच्छा होगा। अब वो भी जवान हो चुका है, शायद वो लड़की मैं बहक गया तो क्या होगा?

तो वो अपने बेटे से बोलती है कि ..

माँ:- बेटा, तुम जल्दी से मेरा बदला ले लो।

मैं:- माँ अभी काम चल ही रह है।

माँ:- बेटा, बस में जितना बोलती हूँ उतना करो।,बस तुम बदला ले लो।

मैं:- हाँ माँ,

माँ:- बेटा, उसकी बहन से क्या बदला लेगा?

मैं:- माँ वो अब मेरा काम है। उस निरज को उसने जो किया है वो उसकी बहन के साथ भी होगा अब।

माँ:-( सोचती है कि ये तो गलत हो जाएगा, लेकिन उसको खोये हुए बच्चे और पति की याद उसको और ज्यादा परेशान करती है तो वो बदला लेने को हाँ बोल देती है) ठीक है लेकिन तुम फस मत जाना।

मैं:- माँ मैंने पूरी तैयारी कर ली है।

अब दूसरे दिन भी रोज की तरह मानशी बाहर खड़े होकर हर्ष के आने की राह देख रही होती है।और तभी उसके पास एक बड़ी गाड़िया आती है,और उनमें से दरवाजा खोल के 3 आदमी उतरते है और मानशी को उठा लेते है।और मानशी के हाथ पैर बांध दिए और वी चिल्लाने लगी तो उसके मुह पे पट्टी बांध दी।

लेकिन वो कुछ ज्यादा ही उछल रही थी तो 1 आदमी ने उसके सर पर डंडा मार दिया, तो वो बेहोश हो के लेट गयी।

कुछ देर बाद उसकी आँखें खुली, उसकी आँखों पे अभी भी पट्टी थी और मुह पे भी, वो उछलने लगी, तभी किसी ने पीछे से खड़े हो के पहले मानशी की आँख की पट्टी हटा दी। मानशी ने देखा तो पाया कि वो एक बंद जगह पे थी।

और उसको रस्सी से बांध कर खुर्शी पे बिठाया था। वो भागने की कोशिश कर रही थी ,लेकिन कुछ नही हो पा रहा था। फिर पीछे से किसी ने फिर से मानशी के मुह की भी पट्टी हटा दी। और जैसे पट्टी हटाई मानशी जोर जोर से चिल्लाने लगी।

मानशी:-(रोते हुए) हेल्प.....हेल्प...कोई बचाओ....

पीछे से आवाज आई अबे कोई नही सुनने वाला तेरा यहाँ, और मैं पागल थोड़ी हूँ कि कोई सुन ले ऐसी जगह तुझे रखु।

और ..

मानशी:- (डरते हुए) को हो तुम ? मुझे यहाँ क्यों लाये हो? मैं कहाँ हूँ?

अब वो जिसने अभी पट्टी खोली थी वो मानशी के सामने आया। और मानशी देख के शौक हो गयीं और बोली...

मानशी:- हर्ष????? तुम????!!!

मैं:- हाँ, मैं। क्यों डर गई? ( और जोर जोर से हसने लगता है)

मानशी:- क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे?

मैं:- हाँ, छोड़ तो दूंगा, मेरा काम हो जाने पर।

मानशी:-कैसा काम ? क्या कर रहे हो ये? जाने दो मुझे।।

मैं:- चुप कर अब।

मानशी:-( गुस्से मैं) छोड़ो मुझे ,मैं सिक्युरिटी को फोन करूँगी, तुम्हारे लिए अच्छा नही होगा।

मैं:-(गुस्से में) अगर अभी तुम चुप नही रही तो तुम्हारे लिए अच्छा नही होगा।

और इतना बोल के मानशी ने जो टी-शर्ट फाड़ दी, और उसके बुब्स सामने आ गयी।

मानशी:-(गुस्से में) क्या कर रहे हो तुम छोड़ो मुझे। मुझसे बुरा कोई नही होगा ।

मैं:-चुप कर बोला ना..( कर बोल के उसका पैंट भी फाड़ दिया।)

अब मानशी पूरी तरह से नंगी हो जाती है। उसको शर्म भी आ रही थी ,और गुस्सा भी।

मानशी:- क्या कर रहे हो तुम? क्या चाहिए?

मैं:- रुक तुझे पता चलेगा।

मानशी:-( रोते हुए गिड़गिड़ाते हुए) मुझे जाने दो ,प्लीज।

अब हर्ष उसके बहुत सारे वीडियो लेता है और फ़ोटो लेता है,

मानशी:-( डरते हुए) क्या कर रहे हो? प्लीज किसी को मत भेजना,मैं बर्बाद हो जाउंगी।

मैं:- वो तो तुझे होना ही है।

मानशी:- प्लीज, ये किसी को मत भेजना मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी।मेरे घर वाले क्या सोचेंगे?

मैं:- अच्छा ऐसा क्या? ( और हसने लगता है)

तभी उस बंद रूम का दरवाजा खुलता है और पूरे रूम में रोशनी छा जाती है। अंदर एक औरत आती है। उसको देख मानशी चिल्लाने लगती है...

मानशी:- कोन है? प्लीज मुझे बचाओ। ये लड़का मुझे किडनेप कर के लाया है।

हर्ष हसने लगता है और वो औरत अंदर आके हर्ष को देख बोलती है की ये है उसकी बहन? और फिर उसको देखने लगती है। वो औरत हर्ष की माँ ही थी।

माँ:- अब इसका क्या करेगा?

मैं:-आप टेंसन मत लो माँ, मैं संभाल लूंगा।

माँ:- ठीक है।बेटा ये सब करना तो नही चाहती लेकिन उसने जो किया है उसकी सजा उसको देनी ही पड़ेगी।

मैं:- हाँ माँ।

अब भावना चली जाती है और मानशी डर के मारे फिर से बोलती है..

मानशी:- प्लीज हर्ष मुझे छोड़ दो,मेरे फ़ोटो कही मत भेजना। तुम जो कहोगे वो मैं करूँगी।

मैं:- वो तो तुम्हे करना ही पड़ेगा।

अब हर्ष थोड़े दूर एक जगह पे जाता है और मोबाइल खोल के कुछ कर रहा होता है।

अब बात ये थी कि जिस दिन उसकी बहन मिली उसके दूर दिन से हर्ष ने सब प्लानिंग कर ली थी, उसका प्लान आगे इनके देखने को मिलेगा। लेकीन उसने पहले ये किया कि

उसने रिया के नाम से एक फेक आईडी बनाई थी जिससे वो निरज से बात करता, और फिर उसको फसाने लगा। अब चैट मैं जो लिखा था वो आप खुद पढ़ लो...

निरज:- जान कब मिलेगी?

रिया:- मैं बुलाउंगी तुझे।

निरज:- तुम बुला ही कहा रही हो?

रिया:- जब मैं बुलाउंगी तो तुम आ जाना।

निरज:- फिर?

रिया:-फिर क्या?

निरज:- फिर मुझे वो सब करने देगी ना??

रिया:- क्या तुम भी ,कर लेना बस।।।।

निरज:-पक्का ना?

रिया:- पक्का।

ऐसे बाते हो रही थी। अब हर्ष ने सोचा अब समय आ गया है,

तो उसने उसकी अगली चाल चली। वो मानशी के पास गया और बोला..

मैं:- सुन,तेरी फाटो और वीडियो वायरल करु क्या?

मानशी:- नही नही ऐसा मत करना,तुम जो बोलोगे मैं वो करूँगी।

मैं:-( दूसरा सिमकार्ड डालके फ़ोन मिलते हुए) जो मैं बोलू वही बोलना।

मानशी:-ठीक है।

मैं:- जरा सी भी गड़बड़ी की या चालाकी की तो पूरे कॉलेज में तू वायरल हो जाएगी।

मानशी:-( डरते हुए) ठीक है।

अब हर्ष ने जो बोलने को बोला वो फोन पे उसने बोला।

मानशी:- हेलो.

फोन पे:- बोलो जान।

मानशी:- कल आ जाना किसी भी हालत में और कर लेना जो तुम बोल रहे थे।लेकिन एक शर्त पे ।

फोन पे:- क्या?

मानशी:- मैं अपना चेहरा नही दिखाऊंगी। वो सब हो जाने के बाद देख लेना।

फोन पे:- सब चलेगा, मैं अभी आता हूँ तुम अड्रेस भेजो।

मानशी:-हम्म

मैं:- अब तूने मेरा आधा काम कर दिया, अब मेरा आधा काम और कर दे,मैं तुम्हे छोड़ दूंगा।

मानशी:- तुम जो बोलोगे वो करूँगी, बस मेरे फ़ोटो मत भेजना किसी को।

मैं:- अब मैं तुम्हे जो अड्रेस बोलता हूँ वहाँ तुम्हे जाना है, अपना मुह पूरी तरह से ढक के और वहाँ एक लड़का आएगा उससे तुम्हे चुदवाना है।

मानशी:-( गुस्से में) क्या? नही नही। मेरे पीरियड चल रहे है।

मैं:- ( गाल पे एक थप्पड़ मरते हुए)

क्या बोली? चलो कोई बात नही अभी तेरा एक फोटो भेजता हूँ कॉलेज ग्रुप में

मानशी:-( डरते हुए) नही नही, प्लीज, मैं करूँगी , बस उसको बोलना की कंडोम पहन ले।

मैं:- ये हुई ना बात. लेकिन सुन वहाँ जाके चुदवा ।लेकिन कुछ भी हुआ तो मेरा नाम मत लेना वरना तेरे फ़ोटो मेरे पास ही है।

मानशी:- जी।

अब पूरी रात मानशी वहाँ पे नंगी बंधी हुई थी, अब हर्ष को सुबह होने का इंतजार था। फिर सुबह मानशी को नींद से उठाके बोला कि याद है ना।जरा सी भी चालाकी की तो .....

अब हर्ष बोला।​
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