Update 01

प्रेषक : अफ़रोज़

मेरा नाम अफरोज़ है और आज मैं आप सबको, एक “सच्ची कहानी” बताने जा रहा हूँ।

कहानी वैसे तो आज से कुछ साल पहले की है पर यक़ीनन, आपको मज़ा आएगा।

कहानी शुरू करने से पहले, मैं आप सबको अपने परिवार के बारे में बता दूँ।

मेरे परिवार में 4 लोग हैं – मैं, मेरे अब्बू (यानि मेरे पापा), मेरी अम्मी और मेरी बड़ी बहन।

मेरी बहन, दूसरे शहर में रह कर पढ़ाई कर रही है।

मेरे अब्बू, एक मल्टी नेशनल सॉफ्टवेयर कंपनी में “प्रोजेक्ट मैनेजर” हैं और ज़्यादातर बाहर ही रहते हैं।

उनकी कंपनी के सभी क्लाइंट्स, अनुमन “विदेशी” ही रहते हैं इसलिए बमुश्किल वो साल में एक बार या कभी कभी 2 बार ही घर पर लंबे समय के लिए आ पाते हैं।

घर पर ज़्यादातर, मैं और मेरी मम्मी अकेले ही रहते हैं।

अब बात मेरी अम्मी की।

उनका नाम – महक है। सच कहूँ दोस्तो तो वाकई मेरी मम्मी देखने में बहुत सुन्दर है। उनका रंग बिल्कुल गोरा है और मेरी मम्मी का फिगर बहुत अच्छा है। उनकी गांड थोड़ी बड़ी है पर चुचे बिल्कुल आकार लिए हुए हैं। पेट सपाट और बाल लंबे हैं। दोस्तो, यूँ तो उनकी उम्र भी ज़्यादा नहीं है।

असल में, मेरे अम्मी और अब्बू ने साथ में एक ही कॉलेज से इंजीनियरिंग की थी।

दोनों उस दौरान ही प्यार में पड़ गये थे और कॉलेज ख़तम होते होते, मेरी बड़ी बहन मम्मी के गर्भ में थी।

अब्बू की नौकरी लगने से पहले ही, दोनों की शादी हो चुकी थी।

खैर.. !

कम उम्र में माँ बनने का सदमा हो या शुरू में ज़्यादातर अब्बू के साथ विदेश में रहने का, पर ये बात तो है की वो अपने फिगर को और अपने आपको काफ़ी फिट रखती हैं।

अब आते हैं, कहानी पर.. ! .. !

उस वक़्त, जब मैं काफ़ी छोटा था तब बराबर अपनी मम्मी के साथ बाहर जाता था। मैंने कई बार देखा है, अंकल लोगों को मेरी मम्मी के बदन को घूर घूर के देखते हुए।

वैसे सच कहूँ तो अब समझ आता है, वो लोग ऐसा क्यों करते थे क्यूंकि ज़्यादातर जवानी विदेश में बिताने के कारण, मेरी मम्मी ऐसे कपड़े पहनती थीं की कोई भी मर्द पागल हो जाए। उनका स्कर्ट ऐसा होता था की अगर किसी वजह से नीचे झुकना पड़े तो उनकी पैंटी दिखने लगती थी। उनकी गोरी जांघें तो हमेशा, उनकी स्कर्ट से साफ दिखती रहती थीं।

यूँ तो मेरी मम्मी साड़ी बहुत ही कम पहनती हैं पर मेरी मम्मी के जो ब्लाउज हैं, बहुत ही कसे हुए रहते हैं जिनसे उनके “चुचे की घाटी” साफ दिखती रहती है।

कम उम्र में ही शादी होने और माँ बनने से, उनको अपने आप को जवान और कमसिन दिखाने का कुछ ज़्यादा ही शौक है।

##

हाँ तो अब मैं आप सबको अपनी कहानी पर ले आता हूँ।

मेरा एक बचपन का एक दोस्त है – श्लोक।

श्लोक मेरे ही मोहल्ले में रहता है और उसके पापा, एक बिल्डर हैं।

बल्कि मैं जिस अपार्टमेंट में रहता हूँ, वो भी उन्हीं का बनाया हुआ है।

श्लोक के पापा, बहुत “लंबे चौड़े” हैं। देखने में, बहुत ही स्मार्ट और अच्छे हैं। लगभग 6 फीट लंबाई है और उन्होंने बॉडी बनाई हुई है (मतलब कसरती जिस्म है)। अंकल, अपने कॉलेज में बॉक्सिंग किया करते थे सो बिल्कुल फिट आदमी हैं।

अंकल, मेरी मम्मी और पापा को बहुत अच्छे से जानते हैं क्यूंकि फ्लैट लेने के समय बराबर उनसे मुलाकात होती थी।

पापा के काम की वजह से, खास तौर से मम्मी से क्यूंकि मम्मी हफ्ते में एक दो बार ज़रूर देखने आती थीं की फ्लैट का काम कितना आगे बढ़ा है।

पापा कभी कभी, यानी एक दो बार मम्मी के साथ आते थे।

इधर, मैं और श्लोक एक ही कॉलेज में थे सो हमारा बराबर घर आना जाना था।

कभी वो मेरे घर, कभी मैं उसके घर।

कई बार ऐसा होता था की बस स्टॉप पर अंकल, श्लोक को छोड़ने आते थे और मम्मी मुझे।

वहाँ भी, दोनों की बातें होती थीं।

चूँकि उस वक़्त, हम काफ़ी छोटे थे और मैं और श्लोक आपस में ही बिज़ी रहते थे सो ज़यादा नहीं बता सकता की क्या बातें होती थीं और वैसे भी दोस्तो, उस उम्र में बड़ों की बातें कहाँ समझ आती हैं।

हाँ पर जैसे जैसे बड़ा हुआ, इतना समझ आता गया की अंकल मेरी मम्मी की गांड और चुचे को देखते रहते हैं।

मम्मी के टॉप या उनके ब्लाउज में, उनकी “घाटी” दिखती रहती थीं और अंकल कई बार उनकी घाटी को देखते थे।

मैंने कई बार मम्मी को अपने चुचे ढकते हुए देखा है, अंकल के सामने।

अब मैं आप सबको, एक “वार्तालाप” बताने जा रहा हूँ।

ये वार्तालाप अंकल का है, जो वो उनके दोस्तो के साथ कर रहे थे।

उर्मी आंटी (श्लोक की मम्मी) अपने मायके गई थीं क्यूंकी श्लोक की नानी की तबीयत खराब थी।

मैं श्लोक के यहाँ गया हुआ था।

मैं और श्लोक, अपने होम वर्क पर काम कर रहे थे और अंकल आ चुके थे।

रात के 8 बज रहे थे और अंकल अपने 2 दोस्तो के साथ, बैठ के शराब पी रहे थे।

हंसने की आवाज़, अंदर के कमरे तक आ रही थी।

लगभग 9 बजे, मैंने श्लोक से कहा – भाई, अब मैं चलता हूँ.. ! काफ़ी देर हो गई है.. !

श्लोक ने भी कहा – हाँ भाई.. ! तू जा.. ! अब कल कॉलेज में मिलते हैं और वहीं पूरा करेंगे, अपना काम.. !

जाते वक़्त, अंकल ने मुझे देखा और कहा – अफरोज़ बेटे, यहाँ आना.. !

मैं अंदर चला गया।

अंकल ने कहा – बेटा, श्लोक को ज़रा बुला देना.. !

उनके कमरे से दारू की भयंकर महक आ रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था की वहीं, मैं उल्टी कर दूँगा।

मैंने अंकल से कहा – अंकल, कुछ काम है तो बोलिए.. ! मैं कर देता हूँ.. !

तभी अचनाक से एक दूसरे अंकल ने श्लोक के पापा से पूछा – यही है, उसका सपूत.. !

अंकल ने सिर हिलाते हुए कहा – हाँ, यार.. !

अंकल ने मुझे फ्रिज से बर्फ लाने को कहा और मैंने उन्हें बर्फ ला कर दे दिया।

पर काफ़ी देर, मैं सोचता रहा की आख़िर क्या बात थी।

उस आदमी ने ऐसा क्यों कहा की यही है, क्यूंकि मैं तो मैं उनसे आज तक मिला नहीं हूँ.. !

सोचते सोचते, मैं बाहर की तरफ निकल गया और खिड़की से चुपके से उनकी बातें सुनने लगा।

उन्हीं अंकल ने फिर से कहा – ये लड़का, तेरे बेटे का दोस्त है क्या.. !

अंकल ने (श्लोक के पापा ने) कहा – हाँ, दोनों एक ही क्लास में हैं.. !

उस आदमी ने कहा – फिर, तू इतना क्यों सोच रहा है.. ! जा के चोद डाल उसे.. ! इसमें कोई मुश्किल नहीं है.. !

श्लोक के पापा ने कहा – हाँ यार सोचता हूँ, लेकिन साली नहीं मानी तो.. !

उस आदमी ने कहा – देख, उसका पति तो बाहर रहता है और तू जैसा बता रहा है उसके बारे में, वो पक्का “छमिया” है.. ! मुझे लगता है, एक मिनट नहीं लगेगा, ऐसी औरत की टांग खोलने में.. ! और यार, भाभी भी नहीं हैं.. ! देख, जिस औरत का मर्द बाहर रहता है, होता नहीं है या अकेली औरत को, चोदना बहुत आसान होता है.. ! शुरू में नाटक करती हैं पर फिर भड़ाभड़ लण्ड पर कूदती है.. ! सोच मत यार, चोद डाल उसको और मन और लण्ड को शांत कर ले.. ! कितने दिन से उसके बारे में सोच रहा है.. !

श्लोक के पापा ने कहा – यार, कह तो तू सच रहा है.. ! अब बर्दशात नहीं होता.. ! कभी कभी तो मन करता है, उठा के ले आता हूँ, रांड़ को.. ! यार चुचे की घटियाँ, दिखा दिखा कर और गांड मटका मटका के पागल कर रखा है.. ! उसे तो चोदना ही है हर हाल में, चाहे कुछ भी हो.. ! मैं उसे चोद के ही रहूँगा चाहे खुशी से माने या ज़बरदस्ती ही क्यूँ ना करनी पड़े.. ! और अंकल ने शराब का एक पैग लगाया।

फिर उस आदमी ने कहा – भाई, लेकिन अपना काम होने के बाद हमें मत भूल जाना.. ! इस मामले में तो हम कुत्ते हैं, तेरी झूठन भी खा लेंगे.. ! और, सब ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे।

मैं समझ गया की मेरी “मम्मी की इज़्ज़त” ख़तरे में है।

मैं ये बात श्लोक को बताना चाहता था पर मैं जानता था की श्लोक कभी नहीं मानेगा, मेरी बात.. !

एक तो अंकल उसके पापा हैं और अपनी बात को मैं कैसे साबित करूँगा।

##

कुछ दिन, ऐसे ही बीत गये और अंकल धीरे धीरे, मेरी मम्मी के करीब आने लगे।

मैं कुछ नहीं कर सकता था, उस समय क्यूंकि मैं कैसे जाकर मम्मी को ये सब बताता की अंकल की नियत क्या है और वो किस नियत से उनसे इतना दोस्ताना व्यावहार कर रहे हैं।

सच कहूँ तो मुझे इतना मालूम था की हर मर्द की नियत, अकेली औरत के लिए खराब रहती है और अगर मेरी मम्मी उन्हें लिफ्ट नहीं देंगी तो वो मम्मी को कभी नहीं चोद पाएँगे।

लेकिन क्या, मैं अपनी मम्मी के बारे में सही था.. ! .. !

अब मैं आपको उस दिन की कहानी सुनने जा रहा हूँ, जिस दिन मैंने अपने दोस्त के पापा को, मेरी मम्मी को चोदते हुए देख लिया।

31 दिसम्बर की रात थी।

अंकल ने पार्टी रखी हुई थी। जिसमें, हम सब आमंत्रित थे। नाच गाना, चल रहा था।

मुझे आज भी याद है, मेरी मम्मी ने उस दिन “गुलाबी साड़ी” पहन रखी थी।

होनी देखिए की जैसे ही हम निकले, हमने देखा की हमारी कार पंक्चर खड़ी है।

और तो और, उस दिन बारिश या कहिए बूंदा बांदी हो रही थी और मम्मी और मैं मजबूरन स्कूटी से गये।

मम्मी के पास, रेनकोट नहीं था क्यूंकी वो बिना कार के कहीं जाती ही नहीं थीं। लाज़मी है की जाते ही समय, थोड़ा सा मम्मी भीग गई थीं। सामने से मेरी मम्मी का ब्लाउज इतना तो भीग ही गया था की उनके चुचे अच्छे से आकर में दिख रहे थे।

अंकल और आंटी ने हमारा स्वागत किया।

इधर, अंकल उसी गंदी नज़र से मेरी मम्मी को देख रहे थे और सबसे बड़ी बात ये थी की अंकल के वो दोस्त जिन्हें मैंने उस दिन अंकल के घर में देखा था वो भी थे।

सब मेरी मम्मी को ही देख रहे थे।

मुझे कुछ ग़लत लग रहा था की यहाँ सब ठीक नहीं है क्यूंकि अंकल ने पार्टी दी थी और यहाँ हमारी सोसाइटी का एक भी बंदा नहीं था।

पूरी बिल्डिंग में से केवल, हम ही यहाँ थे।

लेकिन मैंने ये सोचा की शायद, ये मेरे मन का वेहम होगा।

ऐसा कुछ नहीं होगा।

और वैसे भी आज तो आंटी यानी श्लोक की मम्मी भी यहाँ पर थीं।

एक बात ये भी थी की अब तक मैंने मम्मी को ऐसा कुछ करते हुए नहीं देखा था, अंकल के साथ जिससे ये लगे की मम्मी उन्हें अपने लटके झटके दिखा रही है या फिर खुद उनकी तरफ आकर्षित हैं।

--

कुछ देर में, मैं सामान्य हो गया और मैं पार्टी का आनंद लेने लगा।

आंटी दूसरे मेहमानों के साथ व्यसत थीं और मैं और मम्मी कुर्सी पर बैठे हुए थे तभी अंकल हमारे पास आए और मुझसे कहा – अफरोज़, तुम जाकर श्लोक के साथ पार्टी एंजाय करो.. !

मैंने कहा – नहीं अंकल.. ! मैं यहीं ठीक हूँ.. ! मम्मी के साथ.. !

अंकल भी वहीं बैठ गये और बातों बातों में मुझसे एक दो बार और कहा, चले जाने को.. !

अंकल को बोलता देख, मम्मी ने भी मुझसे कहा – कोई बात नहीं, बेटा.. ! तुम जाओ और एंजाय करो पार्टी, अपने दोस्त के साथ.. ! जाओ जाकर खेलो.. !

क्या करता, मैं वहाँ से चला गया और दूर से देखने लगा।

अंकल मम्मी से बातें कर रहे थे और बीच बीच में, दोनों हंस रहे थे।

ऐसा लग रहा था, जैसे अंकल मम्मी के कानों के तरफ इशारा कर रहे हों क्यूंकि मम्मी बीच बीच में, अपने बाल पर हाथ फेर रही थीं।

मैंने देखा वही आदमी जो उस समय अंकल से मम्मी को चोद देने की बात कर रहा था, वो ड्रिंक्स लेके आया और अंकल ने मम्मी को उससे इंट्रोड्यूस कराया।

मम्मी ने शायद कहा – मैं नहीं पीती.. !

अंकल ने थोड़ा ज़ोर दिया लेकिन, शायद मम्मी ने फिर भी मना कर दिया तो अंकल ने अपना ग्लास उठा लिया।

अब मम्मी, दूसरी तरफ देख रही थीं।

मैंने अंकल की तरफ देखा, उन्होंने सिर हिलाते हुए इशारे में कुछ कहा और वो आदमी वहाँ से चला गया।

कुछ ही देर में वो एक ग्लास लाया, उसमें कोल्ड्रींक थी।

अंकल ने अपने हाथ से ग्लास उठा के मेरी मम्मी को दिया और मम्मी ने ले लिया।

लगभग, एक घंटा हो गया था।

श्लोक की मम्मी आईं और अंकल से कहा – अब ख़तम करते हैं, पार्टी.. ! बारिश का समय है.. !

अंकल ने कहा – डार्लिंग, इतनी जल्दी क्या है.. !

आंटी ने कहा – मुझे तो निंद आ रही हे ! आपका क्या है, आप तो पीते रहोगे.. !

इस पर अंकल ने कहा – ठीक है.. ! एक काम करो, तुम लोग जाओ.. ! मैं थोड़ी देर से आता हूँ.. ! और, अपने दोस्त को कहा की वो आंटी और श्लोक को लेके चले जाए।

जाते जाते, अंकल ने आंटी से कहा – उन्हें, आने मे देर हो जाएगी तो वो उनका इंतेज़ार ना करें और सो जाएँ.. !

आंटी ने भी कहा – ठीक है.. ! और अंकल से पूछा की उनके पास दूसरी चाभी तो है ना.. !

अंकल ने कहा – जानू, तुम बिल्कुल चिंता मत करो.. ! आराम से घर जाओ.. ! और अंकल ने अपने दोस्त को इशारा किया।

वो आंटी और श्लोक को लेकर निकल गया।

-

कुछ ही देर में, धीरे धीरे करके सब निकलने लगे।

मुझे लगा, शायद अभी बहुत देर हो रही है।

सो मैं मम्मी के पास गया और उनसे कहा – मम्मी, चलो अब निकलते है.. !

अंकल ने मुझसे कहा – अफरोज़, बेटा अभी क्यों जाना है.. !

मैंने कहा – अंकल अब लेट हो रहा है.. ! और, मैंने मम्मी से कहा की वो चलें क्यूंकि मुझे समझ आ रहा था की आज इन लोगों ने पूरा प्लान बना रखा है.. !

सिर्फ़ और सिर्फ़, मम्मी को चोदने के लिए ये पार्टी दी गई है।

जैसे ही मेरी मम्मी खड़ी हुईं वो शायद ज़मीन पर गिर गईं।

ओह!! तो मम्मी को इन लोगों ने शराब पिलाई थी।

जब मैंने ग्लास स्मेल किया तब समझ में आया, ये कोल्ड ड्रिंक नहीं बल्कि इसमें शराब थी।

अंकल तो नशे में आ ही गये थे।

मैंने अंकल से कहा – आपने मम्मी को शराब क्यों पिलाई है.. ! जब की आप जानते हैं, वो नहीं पीती.. !

अंकल ने मुझसे कहा – अफरोज़, तुम्हारी मम्मी कोई बच्ची नहीं है.. ! देख नहीं रहे हो, वो कितना एंजाय कर रही हैं.. !

अंकल ने मुझसे कहा – अफरोज़, तुम्हारी मम्मी स्कूटी नहीं चला पाएगीं.. ! तुम चला के ले जाओ और मैं इन्हे कार में छोड़ दूँगा.. !

मैंने कहा – अंकल, मेरे पास लाइसेंस नहीं है.. !

अंकल ने कहा – अच्छा, ऐसे गाड़ी में घूमते रहते हो श्लोक के साथ, मिल के.. ! और आज, लाइसेंस नहीं है.. !

एक बार मैं और श्लोक, बिना लाइसेन्स के पकड़े गये थे तब अंकल ने ही आकर हमें छुड़ाया था।

फिर, उनके दोस्त भी मुझ पर प्रेशर बनाने लगे और आख़िर मुझे वहाँ से निकलना पड़ा।

मैं पार्किंग में खड़ा था और इंतेज़ार कर रहा था की वो लोग आएँ और मैं कार के पीछे पीछे घर तक जाऊं।

तब तक धीरे धीरे, बारिश होने लगी।

--

थोड़ी देर बाद, मैं दरवाज़े के पास जाकर देखने लगा की वो लोग क्यों नहीं आए हैं।

मैंने देखा, अंकल और उनके साथ उनके एक दोस्त भी थे।

अंकल ने मेरी मम्मी को उनके कंधे पर से सहारा दिया हुआ था और ला रहे थे।

मम्मी, पूरी तरह से बहक चुकी थीं।

सब कार में बैठ के निकल पड़े।

मैं उनके पीछे पीछे था।

अंकल ने मुझे नहीं देखा था।

कुछ दूर जाने के बाद, कार ने दूसरा मोड़ ले लिया।

अब मेरा शक, यकीन में बदल गया और मैं उनके पीछे निकल पड़ा।

वो कार उसी आदमी के घर जाके रुकी, जो अंकल के साथ था।

अंकल ने मम्मी को कार से निकाला और घर के अंदर ले गये।

मैं किसी तरह कर के अंदर दाखिल हुआ।

शुक्र है भगवान का की वहाँ कोई कुत्ता नहीं था नहीं तो आज मैं आप सबको जो बता रहा हूँ, शायद नहीं बता पता।

अंदर जाने के बाद, मैंने दरवाज़े पर हल्का धक्का दिया।

दरवाज़ा बंद था।

और थोड़ी सी खुली खिड़की से बस इतना दिख रहा था की अंकल ने मम्मी को गोद में उठाया हुआ है और अपने साथ एक कमरे में लेके जा रहे हैं।

वो दूसरा आदमी सोफे पर बैठ गया और शराब की बोतल लेकर, ड्रिंक करने लगा।​
Next page: Update 02