Update 04

3 बजे के करीब, मैं बाथरूम गया।

मेरी मम्मी की “पैंटी और ब्रा” रोड पर, टंगी हुई थी।

मैंने सबसे पहले बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और मम्मी की पैंटी, रोड पर से उतारी क्यूंकि मैंने उसमें सफेद दाग देखा नॉर्मली मेरी मम्मी के पास पुरानी पैंटी ब्रा नहीं होते।

वो कुछ दिन उसे पहनने करने के बाद, नये खरीद लेती हैं।

इसी लिए, मैं देखना चाहता था मम्मी की पैंटी के गांड वाले हिस्से पर दाग लगा हुआ था और उनकी पैंटी सुखी हुई थी। शायद, मम्मी ने उन्हें धोया नहीं था।

तब मुझे याद आया, मम्मी ने रात में कई बार अंकल के लण्ड से निकला वीर्य साफ किया था।

ये उसी का, दाग था।

मैंने मम्मी की पैंटी, वहीं रोड पर रख दी।

शाम को, मम्मी सो के उठीं।

मैंने उनको, चाय बना के दी।

मम्मी ने चाय पी, उसके बाद वो खाना बनाने चली गईं।

मैं भी, अपने रूम में पढ़ने चला गया।

मेरे दिमाग़ में, कल रात की बात घूम रही थी।

मैं सोच रहा था, श्लोक को सारी बात बताने का लेकिन, वो कभी नहीं मानता ये मैं और आप भी जानते हैं।

थोड़ी देर के बाद, मैं कमरे से बाहर निकला।

मम्मी, किचन में नहीं थीं।

सब्ज़ी “सिम आँच” पर चड़ी हुई थी और मम्मी, अपने कमरे में थीं।

मैं, बालकनी के तरफ गया।

मम्मी, फोन पर बात कर रही थीं।

चुकीं लाइट बंद थी बालकनी की, इस लिए मम्मी ने मुझे देखा नहीं।

मैं रूम में ही, दीवार के दूसरे साइड खड़े हो गया।

मम्मी की, धीरे धीरे बात करने की आवाज़ आ रही थी।

जैसे – मुझे बहुत डर लग रहा है.. !! किसी को मालूम चल गया तो.. !! – फिर वो चुप हो गईं।

थोड़ी देर बाद, मम्मी की आवाज़ आई – नहीं.. !! अब दर्द कम है.. !!

अब वो फिर से, चुप हो गईं।

फिर, आवाज़ आई – नहीं नहीं.. !! कल नहीं.. !! प्लीज़.. !! कोई देख लेगा.. !!

फिर, एक अंतराल।

फिर उन्होंने कहा – नहीं प्लीज़.. !! कल नहीं.. !! मेरा बेटा देख लेगा.. !!

इस बार, वो कुछ लंबे समय के लिए चुप थीं।

इस बार, उन्होंने कहा – मुझे बहुत डर लग रहा है.. !! आप, समझ क्यूँ नहीं रहे हैं.. !!

फिर, एक लंबी खामोशी।

उसके बाद, मम्मी की आवाज़ आई – मैं रात में मैसेज करती हूँ.. !! बाइ.. !!

मैं फटाफट, अपने कमरे में चला गया।

मम्मी, कुछ देर वहीं बालकनी में थीं।

उसके बाद, वो किचन में गईं और जाकर सब्ज़ी उतारी और रोटी बना के टीवी देखने लगीं।

रात को 10 बजे, हमने खाना खाया।

मम्मी, बहुत ही “चिंतित” दिख रही थीं।

ऐसा लग रहा था, उनका ध्यान यहाँ नहीं है।

कहीं, खोई हुई हैं।

बीच बीच में, उनका फोन बज रहा था जो वो काट दे रही थीं।

खाना खाने के बाद, मैं अपने कमरे में सोने चला गया और मम्मी अपने कमरे मे चली गईं।

सुबह उठ के मम्मी ने मेरा लंच बॉक्स तैयार किया और मैं 6:30 को अपने कॉलेज की बस पकड़ के चला गया और 3 बजे, घर लौट के आया।

मैंने जब कॉल बेल बजाया, तब मम्मी सो रही थीं।

आम तौर पर, मम्मी दिन में सोती नहीं थीं क्यूंकि मेरे आने के बाद वो मुझे लंच देती थीं।

आज, मम्मी सो रही थीं।

खैर, कुछ देर कॉल बेल बजाने के बाद मम्मी उठ गईं।

मैंने पूछा – मम्मी आप ठीक हैं ना.. !! क्या हुआ.. !!

मम्मी ने कहा – कुछ नहीं हुआ है.. !! सब ठीक है.. !! बस, आँख लग गई.. !! और, मेरे लिए लंच लाकर दिया।

मैंने खाना खाया और मम्मी का फोन लिया, गेम खेलने के लिए क्यूंकि उस समय, मेरे पास अपना फोन था नहीं।

मम्मी, टीवी देख रही थीं।

मैं गेम खेल रहा था तभी “टू टू” करके आवाज़ आई।

मैंने देखा, मोबाइल पर मैसेज था।

मैंने जैसे ही क्लिक किया, जिस नंबर से ये मैसेज था उस पर श्लोक के पापा का नाम लिखा था।

मैंने खोल लिया और देखा, उस पर लिखा था – फिर, क्या इरादा है.. !! ??

मैंने स्क्रोल किया और सारे मैसेज, पढ़ लिए।

11:30 से लेकर 2 बजे तक का मैसेज था।

अंकल – दर्द तो नहीं हो रहा.. !!

मम्मी – कम है, थोड़ा.. !! सूजन (स्वेल) हो गया है.. !!

अंकल – हाँ.. !! मैं थोड़ा, बेकाबू हो गया था.. !!

थोड़ी देर बाद…

अंकल – सो गई.. !! ??

मम्मी – नहीं.. !!

अंकल – कुछ बोल ना.. !!

मम्मी – आपकी, वाइफ कहाँ हैं.. !!

अंकल – सो रही हैं.. !!

मम्मी – अब, आप भी सो जाइए.. !!

अंकल – नींद नहीं आ रही है.. !!

मम्मी – क्यों.. !! ??

अंकल – बोलो ना.. !! कल, आ जाऊं ना.. !!

मम्मी – नहीं.. !! प्लीज़ कल नहीं.. !!

अंकल – क्यों.. !! तुम्हारे लाल के कॉलेज जाने के बाद, आऊंगा.. !! प्लीज़, एक बार.. !! धीरे करूँगा.. !! प्लीज़.. !!

मम्मी – बात को समझिए.. !! प्लीज़, अभी तो दर्द भी गया नहीं है.. !! कम हो जाए थोड़ा, फिर.. !! प्लीज़.. !! मना तो नहीं कर रही.. !!

अंकल – महक, प्लीज़ यार.. !! तुम भी तो ना जाने, कब से तड़फ़ रही हो.. !! अब मौका मिला तो पीछे हट रही हो.. !! मैं बिल्कुल धीरे धीरे करूँगा.. !! प्लीज़.. !!

मम्मी – ठीक है.. !! बस, एक बार लेकिन.. !!

अंकल – ठीक है, जानू.. !! कितने बजे.. !!

मम्मी – 9 बजे के बाद.. !!

अंकल – आइ लव यू, जान.. !!

उसके बाद का मैसेज, अभी का मैसेज था।

थोड़ी देर बाद, फिर एक मैसेज आया।

अब मैंने फोन जाके, मम्मी को दे दिया।

अपना दिमाग़ खराब करने का क्या मतलब।

फिर कुछ देर बाद, श्लोक आया और हम लोग क्रिकेट खेलने चले गये।

लेकिन वो कहते हैं ना “गांड में कीड़ा” इसलिए, कुछ दिन तक रोज़ लगभग मैं मम्मी के मैसेज पढ़ता था।

मुझे आज भी याद है, 26 जनवरी का दिन था और सोसाइटी के सब लोगों को बुलाया गया था।

श्लोक ने कहा – चल यार, निकल चलते हैं.. !! बोर होंगे.. !!

थोड़ी देर बैठने के बाद, हमने ऐसा ही किया और हम वहां से निकल के अपने घर के लिए आ गये।

श्लोक ने कहा – चल, मैं चलता हूँ तेरे घर.. !! लेकिन, मैं आज खुद नहीं चाहता था की श्लोक आए, मेरे साथ.. !! क्यूंकि मेरे मन में जो शक था की अंकल मेरे कॉलेज या कहीं जाने के बाद आते हैं.. !! वो, मैं दूर करना चाहता था.. !! इसी लिए.. !!

मैंने उसे कहा – यार, शाम को मिलते हैं.. !! मेरी कुछ तबीयत ठीक सी नहीं है.. !!

उसने कहा – ठीक है, यार.. !! तू आराम कर.. !! और, मैं अपने घर के लिए चल पड़ा।

दरवाजा बंद था।

मैंने पहले से ही दूसरी चाबी छुपा के रखी थी, जिससे मैंने दरवाज़ा धीरे से खोला और चुपके से अंदर आ गया।

हमारा, घर कुछ ऐसा है।

घुसते ही, हॉल है।

हॉल में ही टीवी और सोफा है।

सीधे हाथ पर मेरा कमरा है और उल्टे हाथ में मम्मी और पापा का कमरा है।

हॉल के बालकनी में परदा लगा हुआ था और पूरा अंधेरा हो रहा था और मम्मी के कमरे से आवाज़ आ रही थी।

मैं धीरे धीरे, दरवाज़े के पास गया।

मैं उस वक़्त, कांप रहा था।

मम्मी के रूम का दरवाज़ा, आधा खुला हुआ था।

सबसे पहले मुझे ज़मीन पर पड़ी, मेरी मम्मी की नाइटी और पैंटी, ब्रा दिखी और जैसे मैंने नज़र उठाई, मैं देखता रह गया।

मेरी मम्मी और अंकल, एक ही पलंग में थे।

अंकल ने अपने दोनों हाथों से, मेरी मम्मी के हाथ पकड़े हुए थे और मेरी मम्मी अपने सिर को इधर उधर करते हुए – आ आ अहह आ आ आ आ आ आहह आ आ आ आहह माआ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ अहह औहह ओई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई मा आ आ आ आ आ आअ आ आ आ सस्स्स्स्स् सस्स ओफ फ फ फफ्फ़ ओफ फफ्फ़.. !! बस कीजिए.. !! आ आ आ अहह.. !! मा आआ.. !!

अंकल ने कहा – बस हो गया, जानू.. !! हो गया.. !!

इधर, मम्मी “आ आ आहह” कर रही थीं।

मैं वहां 2 मिनट, निस्तेज खड़ा रहा।

अंकल, उसी तरह से मेरी मम्मी को मेरी आँखों से सामने चोद रहे थे।

आँखों के सामने, मेरी माँ चुद रही थी।

लगातार, मेरी मम्मी की सिसकारियों की आवाज़ मेरे कानों में आ रही थी।

मैं चुप चाप खड़ा था और “अपनी माँ चुदते” देख रहा था।

कुछ देर बाद, उसी तरह जैसे मैं आया था, वैसे मैंने दरवाज़ा बंद किया और घर से निकल के, श्लोक के यहाँ चला गया।

श्लोक ने पूछा – क्या हुआ, भाई.. !!

मैंने कहा – कुछ नहीं, यार.. !! मैं कुछ देर, तेरे यहाँ रहता हूँ.. !!

उसने कहा – पर तेरी तो तबीयत खराब थी.. !!

मैं अब कुछ, रुआंसा सा हो गया।

उसे, कुछ मालूम नहीं था।

तभी आंटी ने कहा – बेटा, क्या हुआ.. !! तुम ठीक हो ना.. !!

मैंने अपने आप को संभालते हुए कहा – जी आंटी.. !!

आंटी ने खाने को, नाश्ता दिया।

मैंने खाया और लगभग एक घंटे के बाद, मैं अपने घर के लिए निकला।

अभी मैं रोड पर ही था की मैंने दरवाज़े से अंकल को निकलते हुए देखा।

मैं चुप चाप, अपने घर के लिए चला गया।

मैंने, कॉल बेल बजाया।

मम्मी ने दरवाज़ा खोला।

उन्होंने, अभी नाइटी पहन रखी थीं और शायद पैंटी और ब्रा नहीं पहना हुआ था इस लिए की उनकी चुचि साफ शेप मे दिख रही थी।

पूरी “तनी” हुई थी।

मैं अंदर गया और मम्मी ने कहा – मैं नहा के आती हूँ.. !! उसके बाद, खाना खाते हैं.. !!

मैं चुप चाप अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदल के, घर के कपड़ों में आ गया।

मम्मी, बाथरूम में थीं।

मैं उनके कमरे में गया।

चादर, उसी तरह बिखरा हुआ था और बिस्तर पर मम्मी की एक टूटी चुडी का टुकड़ा, गिरा हुआ था।

मुझे पैर के नीचे थोड़ा लगा, जैसे कुछ फिसल रहा है।

मैंने झट से, अपना पाँव हटाया।

नीचे कॉन्डम था और उसमें, अंकल का “वीर्य” भरा हुआ था।

मेरे पाँव रखने से, फैल गया था।

मैंने सबसे पहले जाके, अपना पाँव धोया और अपने बिस्तर पर चुप चाप बैठ गया।

पढ़ने वालों में से शायद ही कोई हो, जो मेरी स्थिति समझे।

मम्मी नहा के आईं और अपना स्कर्ट और टॉप पहन के, कमरे से बाहर आ गईं।

मेरी मम्मी ने सफेद स्कर्ट पहन रखी थी और नीले रंग की टॉप।

मम्मी की स्कर्ट, बहुत छोटी सी थी और जैसे ही वो थोड़ा इधर उधर होतीं, उनकी नीली पैंटी साफ झलक रही थीं।

मम्मी ने खाना निकाला और हमने, खाना खाया।

उसके बाद, मम्मी अपने कमरे में चली गईं और सो गईं।

मैं अपने ही कमरे में था।

अब मेरी मम्मी अपनी मर्ज़ी से, अंकल को घर पर बुलाती हैं।

पिछले कुछ दिनों मे अंकल ने ना जाने कितने बार, मेरी मम्मी को चोदा होगा।

पटक पटक कर, अपनी कुतिया बना कर।

और मेरी, दो कौड़ी की, रंडी माँ ना जाने कितनी बार, टाँगें उठा कर उससे चुदी होगी।

हर बार एक पति के, एक बेटे के भरोसे को, प्यार को, विश्वास को, उसने अपने नंगे बदन के नीचे, रोन्द डाला था।

अगर सच में नर्क होता है तो शायद, इससे बुरा नहीं होता होगा।

खैर.. !!

ऐसा नहीं था की, मैं कमजोर था।

सोचिए, क्या होता अगर मैं उनकी चुदाई के वक़्त, उनके सामने पहुँच जाता और उन्हें रंगे हाथों पकड़ लेता।

एक माँ बेटे का रिश्ता, वहीं ख़तम हो जाता।

हो सकता था, मुँह बंद रखने के लिए या पकड़े जाने के डर से अंकल मुझे या मम्मी को कुछ नुकसान भी पहुँचा देते।

भले ही ये बात इतनी ख़ास ना हो, पर पूरी जिंदगी में मेरी मम्मी मुझसे कभी नज़र नहीं मिला पाती।

अगर सच में नर्क होता है तो शायद, इससे बुरा नहीं होता होगा।

खैर.. !!

ऐसा नहीं था की, मैं कमजोर था।

सोचिए, क्या होता अगर मैं उनकी चुदाई के वक़्त, उनके सामने पहुँच जाता और उन्हें रंगे हाथों पकड़ लेता।

एक माँ बेटे का रिश्ता, वहीं ख़तम हो जाता।

हो सकता था, मुँह बंद रखने के लिए या पकड़े जाने के डर से अंकल मुझे या मम्मी को कुछ नुकसान भी पहुँचा देते।

भले ही ये बात इतनी ख़ास ना हो, पर पूरी जिंदगी में मेरी मम्मी मुझसे कभी नज़र नहीं मिला पाती।

और, एक मिनट के लिए ये भी सोचिए अगर मुझे, उनके बेटे को, अपनी जिंदगी “नर्क सी” लग रही थी तो मेरे अब्बू का क्या हाल होता, सुनने पर।

मैं सच में कमजोर नहीं था, दोस्तो।

बस एक परिवार को, एक घर को, बिखरने से रोक रहा था।

आप में से कई लोग क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया, जैसे सीरियल देखते होंगें।

ज़्यादातर क्राइम, “औरत की बेवफ़ाई” और “पैसे” के लिए होते हैं।

मैं नहीं चाहता था की मेरे घर में, ऐसा कुछ हो।

मैं आज कल दिन रात, सोचता रहता था।

इन सारी परिस्थिति को जानने के बाद भी आख़िर कार, मैंने फ़ैसला किया और मैंने तय कर लिया की अब मैं मम्मी पर नज़र रखूँगा और पापा से ये बात कह दूँगा।

बात ये थी की खोजबीन करने और श्लोक के घर जाकर, अंकल के कमरे के बाहर छुप कर उनकी बातें सुनने और पहले ही दिन अंकल और उनके दोस्तों की बातें सुनने से, मुझे ये तो पता चल गया था की मेरी मम्मी पहली औरत नहीं थीं जिनको अंकल ने चोदा है या चोद रहे हैं, बल्कि उनकी और उनके दोस्तों की फ़ितरत ही ये थी।

शायद आपको याद हो उनका दोस्त, वो पार्टी वाला, जो मम्मी को चोदना चाहता था और अंकल ने भी थोडा इंतेज़ार करने को कहा था।

मैं नहीं चाहता था की मेरी मम्मी, उन सब की “रखैल” बने।

मम्मी, पूरी तरह से अंकल के जाल में फँस चुकी थीं।

हमेशा फोन पर उनके साथ रहना, मैसेज पर देर रात तक चैटिंग करना।

मुझे याद है, आज जो घटना मैंने देखी थी उसके दो दिन पहले, मैंने मम्मी का मोबाइल चेक किया था।

3 बजे सुबह तक, दोनों की बातचीत थी।

मेरी मम्मी जिस सड़क पर चल रही थीं, वो सिर्फ़ “वैश्यालय” पर, ख़तम होती थी।

कभी कभी तो मैं मम्मी का अंजाम सोच कर ही, काँप जाता था।

अंकल मम्मी के सामने तो किसी “देव मूरत” के कम नहीं थे पर उनका असली चेहरा, कितना “घिनोना” था, ये सिर्फ़ मैं ही जानता था।

अगर, मेरे अब्बू पूरब थे तो अंकल पश्चिम।

और ऐसे बहरूपीए के लिए, मेरी अम्मी ने मेरे अब्बू की पीठ में खंजर घुसा दिया था।

खैर.. !!
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