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अब मैं उनकी चूची को हाथ में पकड़ने लगा और धक्के मारने लगा मगर उनकी चूची मेरे हाथ में नहीं आ रही थी। बाजी आज मस्त होकर आवाज़ निकाल रही थी।
उसका तेल निकल गया लेकिन मैंने चोदना बंद नहीं किया।
बाजी ने मुझे रुकने को बोला और कमर सीधे करते हुआ बोली "इमरान कमर टूट गई। अब और किसी तरह से करते हैं।"
हमने राबिया की तरफ़ देखा तो वह अपनी सलवार में हाथ डालकर चूत रगड़ रही थी। उस रण्डी की आंखें बंद थीं और वह बिल्कुल मस्त होकर चूत रगड़ने में लगी हुई थी।
बाजी और मैं हंसने लगे तो वह रुक गई और अपनी आंखें खोल लीं।
वो बोली "हो गया क्या तुम्हारा?"
बाजी "तुम बताओ पहले?"
रोबिया बोली "हाँ मेरा तो हो गया, पानी भी निकल गया, बहुत मज़ा आया, अब तुम दोनों लगे रहो, मैं तो जाकर सो रही हूँ।"
राबिया चली गयी और मैं बाजी को गोद में उठाकर चलने लगा।
बाजी बोली "कपड़े तो ले लो।"
फिर मैंने उनको नीचे उतारा और उन्होंने कपड़े उठा लिये।
मैंने उनको गोद में लिया और फिर बेड पर पटक कर फिर उसकी चूत में लंड पेल दिया।
मुझे अपनी छाती पर बाजी की चूची महसूस हो रही थी जिससे मुझे और ज़्यादा मज़ा आ रहा था। अब मैंने बाजी की चूत में काफ़ी देर तक छेद किया।
किसी इंजन के पिस्टन की तरह मैं बहन की चूत में लंड को चलाता रहा। बाजी तजुर्बेदार खिलाड़ी की तरह मज़े लेती रही और फिर मेरा लंड हार मान गया और उसने बाजी की चूत को गर्म लावा से भर दिया।
बाजी ने मेरी कमर पर हाथ फिराया और मैं उनके जिस्म से चिपक गया।
हम काफ़ी देर तक चिपके रहे।
फिर बाजी बोली "इमरान चलो, ऊपर चलें, सुबह हो जाएगी।"
मैंने कहा "बाजी मुझे काम पर नहीं जाना कल छुट्टी है।"
बाजी बोली "तुम्हें नहीं जाना, मगर इमरान मुझे तो सुबह काम करना है, मैं सुबह फिर काम नहीं कर पाऊंगी।"
उसके बाद मैं बाजी की बात मान गया और हम लोग वहाँ से ऊपर चुपचाप छत पर आ गये।
हमने देखा तो राबिया अपने गद्दे पर सो चुकी थी। आज मैंने राबिया को भी मदहोश कर देने वाली हालत में देख लिया था।
रुबीना की चूत मारने के बाद मैं शांत तो हो गया था लेकिन दिमाग़ में अब राबिया की चूत भी घूम रही थी। उसका कोमल गोरा और चिकना बदन मुझसे भूला नहीं जा रहा था।
फिर मैं सोचते हुए ही सो गया।
अगली सुबह मैं देर से उठा तो बाजी ने बताया कि अम्मी और अब्बू नजमा बाजी के यहाँ गए हैं और मुझे भी आने के लिए बोला है।
मैंने कहा "मुझे पता है क्या काम है वहाँ, मैं थोड़ी देर में जाऊंगा; तुम नाश्ता बना दो बाजी।"
मैं फ्रेश होने के लिए टॉयलेट गया तो वहाँ कोई पहले से ही गांड मरवा रहा था।
दरवाजा खटखटाया तो अंदर से आवाज़ आई "रुको।"
बाजी ने बताया कि अंदर इसराना है। मैं वहीं खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद वह निकली तो मैं घुस गया और अंदर देखा तो कोने में एक पैंटी पड़ी थी।
मैंने उसको हाथ में पकड़ा तो उस पैंटी पर कुछ निशान थे जिस पर खून लगा था। मुझे समझ नहीं आया कि किसकी है। फिर मैं फ्रेश हुआ और बाहर आया तो बाजी से उस पैंटी के बारे में पूछा तो बाजी ने कहा "पता नहीं किसकी है, महीने तो सबको होते हैं।"
फिर मैंने कहा "अम्मी की नहीं होगी, छोटी है काफी।"
बाजी बोली "इमरान, छोटी चूत वाली भी तो तीन बहनें हैं तेरी।"
मैंने कहा "बाजी, दो हैं छोटी चूत वाली, आपकी चूत तो अब बड़ी हो गई।"
रुबीना हंसने लगी।
मैं बोला "अगर राबिया को हुआ तो काम खराब हो जाएगा आज तो।"
बाजी बोली "तू नाश्ता कर, मैं देखती हूँ किसकी चूत टपक रही है।"
वापस आकर दीदी ने बताया कि राबिया की चूत तो ठीक है मगर इसराना की चूत में बाढ़ आई हुई है।
अब हमें चुदाई करनी थी। राबिया की चूत भी चोदनी थी।
हमने सोचने लगे कि इसराना के होते हुए राबिया की चुदाई नहीं हो पायेगी।
फिर बाजी को एक विचार आया और वह इसराना के कमरे में गयी।
इसराना ने बताया कि पेट में दर्द हो रहा है।
बाजी ने उसको पानी दिया और बोली "तू आराम कर, मैं दरवाजे को बाहर से बंद करके चली जाती हूँ।"
अब बाजी मेरे पास आयी और कहने लगी कि मैं राबिया को भेजती हूँ।
फिर वह राबिया के पास गयी और उसको कमरे की सफ़ाई करने के लिए कहा।
वो कमरा बहुत दिनों से बंद पड़ा था। जीजा के जाने के बाद आसिफा और नजमा भी हमारे साथ ही रहने वाले थे। इसलिए उसकी सफ़ाई चल रही थी।
राबिया गांड मटकाती हुई मेरे आगे चल रही थी। राबिया कमरे में आकर बोली "सब सामान को बाहर निकाल दो, फिर मैं झाड़ू पोछा लगा दूंगी।"
मैं सामान बाहर निकालने लगा तो बाजी भी आ गई। थोड़ा भारी सामान उठाने में वह मदद करने लगी।
कमरे का समान बाहर निकाल कर उधर राबिया अपनी चूची हिला-हिला कर झाड़ू लगाने लगी।
मुझे उसकी रात वाली चोली दिख रही थी और चूचियों के ऊपर का हिस्सा भी।
मैंने कहा " राबिया... तुम नहाई नहीं अब तक?"
वो बोली "नहीं सफ़ाई करने के बाद नहा लूंगी, मगर तुम क्यों पूछ रहे हो?"
मैंने कहा "ऐसे ही।"
बाजी बोली "अरे राबिया, तेरी चोली दिख रही है, रात में भी तूने ये ही पहनी थी।"
उसने मुस्करा कर गर्दन झुका ली और झाड़ू लगाती रही।
मैं बाजी के पास गया और उनसे कहा "बाजी, फिर मुझे नजमा बाजी के घर जाना है जल्दी से कुछ करो, मेरा लंड पूरे उफान पर है।"
बाजी बोली "तू बाहर वाला गेट लॉक कर, मैं इसराना को देख कर आती हूँ, फिर तेरे लंड का इलाज़ करते हैं।"
फिर मैं गेट लॉक करके आया तो बाजी भी आ गई और मुस्कराकर बोली "वो तो सो गई गांड उठाकर।"
मैंने कहा "अब क्या करना है?"
बाजी "कपड़े उतार।"
मैंने बहुत जल्दी से सारे कपड़े उतार दिए तो बाजी ने भी सलवार सूट उतार दिया और मुझे बोली "इमरान मेरी पैंटी उतार दो।"
मैंने उनकी पैंटी उतार दी।
राबिया हमें ही देख रही थी।
बाजी " इमरान, तुम वह कुर्सी लाओ और उस ओर बैठो,
मैं कुर्सी अंदर कमरे में डाल कर बैठ गया तो बाजी मेरी गोद में बैठ गई और अपने हाथ से पकड़ कर मेरा लंड अपनी चूत पर लगा दिया और धक्के लगाने लगी। "
राबिया बिल्कुल हमारे पास आ गई और बोली "बाजी इसराना आ गई तो?"
बाजी "वो सो गई है, तू परेशान मत हो, या तो मज़ा ले-ले या झाड़ू लगा कर चूची हिला ले।"
वो चुप हो गई।
बाजी ने बड़ी मस्ती से अपनी कमर हिलाना जारी रखा।
वो चूत में मेरा लंड बुरी तरह रगड़ रही थी। वह धक्के तो नहीं मार रही थी पर हिल रही थी।
मुझे भी उनका ये नया आसन पसंद आया और नीचे से लंड धकेल कर चोदता रहा।
बाजी आज कुछ दवाई वैगरह खाकर अपनी हिलान की रफ़्तार दिखा रही थी।
कुछ ही देर में बाजी का लावा फूट गया और उनकी चूत से पानी निकाल गया।
वो मेरी गोद में ही चिपक गई थी और मुझे चूमने लगी।
ये सब देख कर राबिया की हालत पतली हो गई। मुझे पता चल गया कि इसकी चूत ज़रूर खुजली कर रही होगी।
बाजी उठी और राबिया को देख कर बोली "क्या हुआ? मज़ा नहीं आया?"
वो कुछ नहीं बोली तो बाजी ने कहा "अरे... करेगी तभी तो मज़ा आएगा, डर मत... आज तो मौका है वर्ना नजमा और आसिफा बाजी ने आने के बाद गांड फैला दी तो फिर मौका नहीं मिलेगा।"
ये सुनकर राबिया मेरी तरफ़ आ गई। उसे मैंने अपनी तरफ़ खींचा और उसको चूमने लगा।
तो बाजी ने कहा "इमरान जल्दी कर, ज़्यादा टाइम नहीं है।"
मैंने राबिया को कपड़े खोलने को बोला तो बाजी ने कहा "तू ख़ुद उतार ले बहनचोद, ये रण्डी तो शर्मा गई है।"
मैंने उसका शर्ट ऊपर उठाया तो उसने भी अपने हाथ ऊपर उठा कर साथ दिया और कमीज निकल गया।
फिर मैंने उसकी चोली खोल दी तो उसने अपनी चूचियों को चोली से ढक लिया। मैंने उसकी सलवार के नाड़े को खींच दिया जिससे उसकी सलवार गिर गयी।
राबिया सलवार उठाने को झुकी तो उसकी चोली भी हाथ से निकल गई। अब मैंने उसको हाथ से पकड़ा और ऊपर उठा दिया।
बाजी बोली "इमरान, इस रांड के जिस्म को चूस तो जरा।"
मैंने उसके गाल, होंठ, गर्दन, चूची, सब चूसा तो वह मुझसे चिपकने लगी।
मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला तो उसका पानी निकल चुका था।
पैंटी गीली थी, मैंने उतारने को कहा।
उसने झुक कर पैंटी उतार दी तो उसकी चूचियाँ आगे की तरफ़ लटकने लगीं। मैंने हाथ से चूचियाँ पकड़ लीं और दबाने लगा। वह मेरी तरफ़ आ गई और मुझसे चिपक गई जिससे मुझे उसकी चूची छोड़नी पड़ीं।
शायद उसको चूची दबवाना अच्छा नहीं लगा।
मैं उसको बांहों में भर कर चूसने लगा।
वो भी मस्त आवाज़ निकालने लगी।
इतने में ही बाजी एक दम गुस्से से बोली "अरे लंड घुसेड़ इसके अंदर... इतना टाइम क्यों ले रहा है।"
फिर मैंने राबिया को छोड़ दिया और अपना लौड़ा उसकी चूत पर रख दिया। एक हाथ से उसकी गांड़ पकड़ी और एक हाथ से लंड को सुराख दिखाने लगा।
बाजी बोली " इमरान डाल ले अब!
मैंने लंड को अंदर पेल दिया। चूत की चिकनाई पाकर लंड आधे से ज़्यादा अंदर घुस गया।
राबिया की चीख निकल गई। शायद उसने कभी कुछ अंदर नहीं डाला हो।
मैं रुक गया। राबिया मुझे दूर हटाने लगी। मगर मैंने उसे छोड़ा नहीं।
मैंने राबिया की कमर पकड़ कर एक और धक्का मारा तो वह फिर शोर मचाने लगी।
तो मैंने उसके होठों को अपने होंठों में दबा लिया।
बाजी बोली "राबिया चुदाई तो सब करते हैं, पहली बार में दर्द होता ही है। फिर तो पूरी ज़िन्दगी मज़ा आता है मेरी जान।"
मैंने फिर से धक्का मारा तो राबिया ने विरोध नहीं किया। मैंने उसको लगातार धक्के मारे तो वह भी थोड़ी मस्ती में आ गई और आह... आह... की आवाज़ निकालने लगी।
मैं ज़ोर जोर से चोद रहा था। पांच मिनट में ही राबिया की चूत का ज्वालामुखी फट गया और लावा निकल गया। वह मेरे सीने पर निढाल होकर गिर गई।
बाजी बोली "इमरान अब इसको कुर्सी पर बैठा दे।"
मैंने बैठा दिया और बाजी ने कमरे की दीवार पर हाथ लगाए और झुक गई।
वो कुछ बोलती उससे पहले ही मैं उसके चूतड़ों की तरफ़ बढ़ गया और बाजी की चूत के सुराख में लंड डाल दिया और पेलने लगा।
रुबीना बोली "जोर ज़ोर से करो!"
मैं और ज़ोर से करने लगा तो बाजी भी अपनी कमर काफ़ी स्पीड से हिलाने लगी।
मेरी तरफ़ से भी काफ़ी तेज धक्के लग रहे थे।
बाजी और मैं एक साथ छूट गए। बाजी ने कहा "इमरान अब निकाल ले बाहर।"
मैंने कहा "बाजी दो सेकेंड में ख़ुद ही छोटा हो जाएगा।"
हमने राबिया को देखा तो वह अपनी चूत को देख रही थी। चूत पर थोड़ा खून और चूत का रस लगा था। वह उंगली से धीरे-धीरे अपनी चूत साफ़ कर रही थी।
बाजी बोली "देख इमरान... नई दुल्हन कैसे अपनी कुंवारी चूत को फटने के बाद देख रही है।"
राबिया बोली "बाजी हल्का-सा दर्द है।"
बाजी "दर्द की तो दवा मैं दे दूंगी, अभी पहले ये बता तुझे मज़ा आया कि नहीं?"
राबिया खुश होकर बोली "बाजी, बहुत मज़ा आया।"
बाजी बोली "इमरान इसको साथ ले जा और दोनों नहा लो, मैं दवाई दे दूंगी इसको।"
मैं राबिया को गोद में उठाकर बाथरूम में ले गया और हम दोनों नहाने लगे। मैंने उसके ऊपर पानी डाला और उसकी चूत को साफ़ करवाया।
उसने अपनी झांटें साफ़ कर रखी थीं तो मैंने पूछ लिया।
वो बोली कि "नजमा बाजी ने सिखाया साफ़ करना हम सबको।"
फिर हम नहाकर कमरे में गए और कपड़े पहनकर मैं बाजी के पास गया।
अब भी वह चोली पहन कर झाड़ू लगा रही थी। उनका बाक़ी जिस्म अब भी नंगा था।
उनकी झुकी हुई पतली कमर और गोरे रंग के मोटे चूतड़ देख कर मेरी हालत खराब हो गई। मेरा दिल किया कि साली को फिर से चोद दूं।
मैंने कहा "बाजी... आपकी गांड का सुराख बहुत अच्छा लग रहा है।"
बाजी मुस्कराकर बोली "तो आ जा... और चोद दे गांड को।"
साली रांड बुला रही थी तो मेरा लौड़ा कैसे मानता? मैं बाजी के पास गया और उनके चूतड़ों पर हाथ फेरने लगा। वह झाड़ू लगाती हुई रुक गई। मैंने बाजी को घुमाकर हाथ से चूतड़ पकड़ लिए और होंठों को चूमने लगा।
बाजी भी पूरी मस्ती में चूसने लगी।
राबिया की चूत दिलाने के लिए मैंने बाजी को थैंक्स कहा।
वो बोली "अरे तेरे लिए तो मैं अम्मी की चूत का भी जुगाड़ कर दूंगी... राबिया तो कुछ भी नहीं, वह तो ख़ुद ही चूत खोल कर घूम रही है, कोई भी चोद दो।"
मैं हंसने लगा और बाजी को फिर से चूम लिया।
बाजी बोली "इमरान, गांड में वैसे तो बहुत दर्द होगा पर करना हो तो कर ले।"
मैंने कहा "बाजी रात को करेंगे, अभी नजमा और आसिफा बाजी को लेने जाना है।"
वो बोली "अरे उसी लिए तो बोल रही हूँ, उन दोनों मोटी गांड वाली रंडियों के आने के बाद मौका नहीं मिलेगा, आज ही कर ले जो करना है।"
फिर मैंने देर नहीं की और चेन खोल कर लंड बाहर निकाल दिया।
लंड बिल्कुल सोया हुआ था तो बाजी हाथ में पकड़ कर मुठियाने लगी।
लंड में थोड़ा तनाव आया तो बाजी बोली "इमरान ये खड़ा कब होगा?" तभी राबिया वहाँ आ गई और बोली "बाजी, मुंह में चूसो, नजमा बाजी ने बताया तो था कि वह भी मुंह में चूसती है।"
बाजी बोली "तू ही चूस, मुझे अच्छा नहीं लगेगा।"
तो राबिया ने लंड पकड़ लिया और नीचे बैठ कर लंड चूसने लगी।
मैंने बाजी को अपनी तरफ़ खींचा और चोली खोल कर चूची दबाने लगा।
मेरे लंड में तनाव आने लगा और राबिया के गले तक लंड उतरने लगा। वह साली आइसक्रीम की तरह मज़े से चूस रही थी।
बाजी के चूचों में भी तनाव आ गया। उनकी नोक खड़ी हो गई और मैं चूची बुरी तरह दबा कर दूध निकालने की कोशिश करने लगा।
तभी राबिया ने कहा "अब पूरा खड़ा हो गया बाजी, चूत में डाल सकती हो।"
बाजी बोली "आज तो गांड का जायजा लेगा ये बहनचोद।"
मैंने बाजी को कहा "कुर्सी पर झुक जाओ, मैं पीछे से करूंगा।"
वो झुक गई तो मैंने लंड को गांड की मोरी में डाला।
बाजी बोली "पूरा डाल दे, इतनी देर मत लगा, कुछ नहीं होगा मुझे।"
मैंने थोड़ा गांड के सुराख के मुहाने पर थूक लगाया और लंड सेट करके घुसा दिया।
बाजी एकदम चीख पड़ी और खड़ी हो गई जिससे लंड गांड से बाहर निकल गया।
तभी राबिया हंसने लगी और बोली "भाई छोड़ो मत, चोद दो साली गांड़ू को, एक बार ही तो दर्द होगा फिर तो मज़ा ही मज़ा है।"
रूबीना बोली "साली रण्डी, मेरी ही बात मुझे ही सुना रही है? जब तेरी गांड फटेगी तब देखना।"
बाजी गुस्से में बोली "इमरान मेरी गान्ड फटे या रहे तू छोड़ना मत, बस पेलता रह! तू अबकी बार छोड़ना मत, कितना भी दर्द हो, बस पेलते रहना!"
मैंने राबिया को कहा कि वह बाजी के कन्धे दबा ले।
फिर मैंने थोड़ा-सा सुपारा अंदर रख कर कमर दोनों हाथों से पकड़ ली और धक्का मारा तो बाजी का सिर राबिया की चूची से टकरा गया और फिर से चीख निकल गई।
अब राबिया ने बाजी का सिर अपनी जांघों में दबा लिया और मैंने भी कमर कसकर पकड़ ली और तेज-तेज धक्के मारने लगा। जैसे किसी भैंस को बाँधकर चुदाई करते हैं।
करीब 2-3 मिनट धक्के मारने के बाद बाजी की आवाज़ बंद हो गई।
राबिया ने उन्हें छोड़ दिया और मुझे बोली "अब ठीक है, तुम करते रहो।"
वो कुर्सी से उठ गई तो मैं पेलता रहा।
बाजी 10 मिनट भी नहीं झेल पाई और मुझे रुकने को बोली।
मैं रुक गया और बाजी अलग होकर अपनी गांड पर हाथ फेरने लगी और मुझे गाली देने लगी।
राबिया झाड़ू लगाती हुए हंसने लगी। बाजी गुस्से में उसको भी गाली दे रही थी।
मैंने कहा "बाजी, अब आप जाओ और नहा लो, मैं भी नजमा दीदी के घर जाता हूँ।"
मैंने राबिया को कहा " थोड़ा और चूस दो प्लीज!
राबिया ने मेरा लौड़ा चूसा और पानी निकाल दिया। "
फिर मैं आसिफा के घर गया और पाया कि दोनों जीजा जा चुके थे।
मैंने आसिफा और नजमा का सामान गाड़ी में रखा और हम सभी वापस अपने घर आ गये।
फिर मेरी बड़ी बहनों नजमा और आसिफा बाजी के आ जाने के बाद घर में भीड़ हो गई।
हमारे घर में अब चूत तो बहुत थीं मगर चोदने का मौका नहीं था। हम काफ़ी दिन तक चुदाई नहीं कर सके।
मैं अकेला ही अपने जीजा की दुकान संभाल रहा था।
फिर मैं वहीं रहने लगा।
कुछ 3 महीने के बाद आसिफा बाजी को बच्चा हो गया। क़िस्मत से वह भी बेटी ही थी और कुछ दिन बाद नजमा बाजी का फ़ोन आया और उन्होंने मुझे पास के ही सरकारी अस्पताल में बुलाया।
मैं वहाँ गया तो वह देखा कि रुबीना बाजी भर्ती थी।
मैंने पूछा "क्या हुआ?"
तो नजमा बाजी मुझे वहाँ से अलग दूसरी ओर ले आईं।
वो मुझे फिर पार्किंग के पास खाली जगह में ले गई।
वहाँ जाते ही उन्होंने मुझे ज़ोर का थप्पड़ जड़ा और बोली "हरामी तूने ये क्या कर दिया? अपनी ही बहन को चोद दिया?"
मैं फिर चुप हो गया।
बाजी ने बहुत सारी बातें कहीं।
मैंने कहा "बाजी बस हो गया, मेरी गलती है। आप मुझे और मार लो।"
बाजी बोली "इमरान... रुबीना बोल रही है कि वह इस बच्चे को जन्म देगी, अगर ये अब्बू को पता चला तो वह शर्म से मर जाएंगे।"
फिर मैंने कहा "बाजी अब मैं क्या करूं?"
बाजी ने कहा "अभी हम सब घर जाएंगे और घर में बता देंगे कि रुबीना को बुखार था, मगर किसी दूसरे अस्पताल में इसकी सफ़ाई करवा देंगे, तू 4 हज़ार रूपये इकठ्ठे कर ले॥"
उसके बाद सब घर आ गए और किसी को कुछ पता नहीं चला। मैंने पैसे भी इकठ्ठे कर लिए। नजमा बाजी कई प्राइवेट अस्पतालों में गई और सफ़ाई की बात की पर कुछ नहीं हुआ क्योंकि वह गैर कानूनी था।
बाजी ने ये भी समझाया कि उसकी शादी नहीं हुई तो डॉक्टर बोले "जिसने ये किया उससे ही शादी कर दो, हम पुलिस के चक्कर में नहीं पड़ेंगे।"
नजमा बाजी बिल्कुल निराश हो गई। मगर मैं और रुबीना बाजी बहुत खुश थे।
एक दिन मैं बाजी को साथ लेकर छत पर ले आया और अपने बच्चे की बात कर रहा था।
तभी वहाँ राबिया आ गई तो हमने बात बदली और राबिया बोली "मुझे लगा तुम कुछ कर रहे होगे मगर तुम तो फालतू घूम रहे हो।"
रुबीना बाजी ने कहा "आज नहीं, कल रात को करेंगे।"
उधर नजमा बाजी ने एक जगह रुबीना बाजी की शादी की बात कर रखी थी तो उन्हें देखने के लिए बुलाया।
रुबीना 5 महीने से ज़्यादा की गर्भवती हो गई थी तो उन्होंने पहचान लिया और बहुत बेइज्जती की।
ये सब होने के कारण अब्बू को हार्ट अटैक आया और वह अस्पताल में भर्ती हो गए। कुछ ही दिन में उनकी मौत हो गई।
हम सब बहुत दुःखी हुए। घर में काफ़ी लड़ाई हुई।
मगर मैं जाता भी तो कहाँ जाता। धीरे-धीरे समय बीतता गया और सब नॉर्मल हो गया। फिर कुछ दिन बाद बाजी और मैं चुदाई का प्रोग्राम बना रहे थे।
बाजी बोली "चूत में नहीं करना, गांड में करना।"
फिर हम रात को छत पर आ गए और सब लोग नीचे कमरे में थे। ठंड का मौसम चल रहा था। मगर हमारे जिस्मों में गर्मी बहुत थी।
मैंने बाजी को घोड़ी बनने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया कि पेट में दर्द होगा।
बाजी बोली "तुम कपड़े उतार कर लेट जाओ। मैं ऊपर से चुदूंगी।"
मैं लेट गया और रुबीना बाजी मेरे ऊपर नंगी हो कर बैठ गई।
उन्होंने अपनी गान्ड में मेरा लंड घुसा लिया और उछलने लगी। वह मेरे सीने पर हाथ रख कर अपनी कमर और कूल्हे उछाल कर चुदाई कर रही थी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था लेकिन बाजी मुझसे भी ज़्यादा मज़ा ले रही थी।
उनकी आह... आह... आह... की आवाज़ें और मेरे लंड का गांड में चारों तरफ़ हिलना जैसे पागल कर रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
फिर मैं झड़ गया और बाजी रुक गई।
वो मेरे ऊपर लेट गई।
मैंने बाजी को चूमा और हम कपड़े पहनने लगे।
फिर राबिया भी आ पहुँची और कहने लगी कि उसको भी अपनी चूत का पानी निकलवाना है।
बाजी बोली "तो तुम दोनों मस्त होकर करो।"
मैंने राबिया की चुन्नी उतार दी और उसकी चूची दबाने लगा।
वो बोली "भाई... प्लीज़ जल्दी करो, कोई आ जाएगा।"
मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिये। वह भी मेरा साथ दे रही थी।
मैंने राबिया को बोला कि मेरा लंड तो तैयार है, तुम अपने कपड़े उतार दो। उसने सलवार खोल दी और पैंटी भी उतार दी।
वो जब पैंटी और सलवार पंजों में से निकाल रही थी तो मेरा लंड उसके माथे और सिर पर टकरा रहा था।
अब राबिया बोली "चलो डाल दो।"
मैंने उसको लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया।
उसकी चूत में लंड घुसाने लगा तो उसने सिसकारी ली।
मैं समझ गया और आराम से धक्का मारा क्योंकि उसकी चूत बाजी से ज़्यादा छोटी थी। उसकी चुदाई भी बहुत कम बार ही हुई थी।
उसने मेरी टांग को हटाकर अपनी दोनों टांगों को चौड़ा कर लिया और मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया। उसकी चूत खुल गई।
अब मैंने लंड को अंदर तक रास्ता दिखा दिया और धक्के लगाने लगा।
वो मस्त होकर चूत में लंड ले रही थी। मैं चारपाई को दोनों तरफ़ हाथों से पकड़ कर राबिया को लंड का मज़ा दे रहा था। वह भी मेरी कमर पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच रही थी।
मैं उसके ऊपर ही लेट गया और भरपूर धक्के मारने लगा। राबिया की आवाज़ अब मादक हो गई और वह अपनी कमर और गांड को हिला रही थी। चारपाई की भी आवाज़ हो रही थी।
मुझे लगा कि कहीं राबिया की चूत के चक्कर में चारपाई ना टूट जाए। मैं पूरा ज़ोर लगाकर उसकी चूत को पेलता रहा।
फिर वह झड़ गयी।
मुझे भी लंड पर बहुत मज़ा आया लेकिन मैंने चुदाई बंद नहीं की।
तभी राबिया एकदम चिल्लायी "अम्मी!"
तो मैं रुक गया और पीछे मुड़ा तो अम्मी हम दोनों को देख रही थी।
हम दोनों खड़े हो गए। हमारी तो आज गांड फटने वाली थी।
अम्मी ने बड़ी बाजी को आवाज़ दी तो नजमा बाजी और आसिफा बाजी और मेरी सारी बहनें व उनकी बेटी ऊपर आ गईं।
मैंने तब तक कपड़े पहन लिए और राबिया ने भी सलवार बाँध ली थी।
नजमा बाजी बोली "क्या हुआ?"
अम्मी बोली "ये रण्डी अपनी भाई से ही चूत चुदाई करवा रही थी।"
ये सुनकर सबके चेहरे का रंग उड़ गया।
नजमा बाजी ने सबको नीचे जाने को बोला तो अम्मी, आसिफा बाजी और नजमा बाजी और मैं और रुबीना वहीं रुक गए।
अम्मी काफ़ी गाली दे रही थी और मुझे कोस रही थी।
तभी नजमा बाजी बोली "अम्मी... वह रुबीना की चुदाई भी इसी हरामखोर ने की है और ये बच्चा भी इसका है।"
फिर अम्मी को और गुस्सा आ गया और उसने मुझे अब और भी ज़्यादा बुरा भला कहा। मैं चुपचाप नीचे आ गया।
कुछ समय तक घर में सब कुछ अजीब-सा चलता रहा।
मैं बस रुबीना से बात करता था और सबको भरोसा दिलवाता था कि उसको मैं कभी दुखी नहीं होने दूंगा। मगर कोई मुझसे अच्छे से बात नहीं करता था।
उस दिन के बाद राबिया ने भी मुझे चूत नहीं दी। मगर मुझे बाप बनने की ख़ुशी बहुत ज़्यादा थी। मैं कुछ अरसे के बाद बाप बन गया।
रूबीना ने एक बेटी को जन्म दिया।
घर में सब लोग दुखी थे लेकिन मैं और रूबीना खुश थे।
एक दिन ख़बर आई कि एक हादसे में मेरे दोनों जीजा की मौत हो गई है।
उसके बाद घर में और ज़्यादा दुःख का माहौल हो गया।
मैं दफ्तर में गया और सब जानने की कोशिश की। मुझे इस ख़बर पर विश्वास नहीं हो रहा था।
फिर वहीं एक हमारी ही बिरादरी के भाईजान ने बताया कि तुम्हारे दोनों जीजा ने वहीं पर दूसरी शादियाँ कर ली हैं। वह वापस नहीं आना चाहते। उन्होंने मौत होने की ख़बर देने को बोला है।
मैंने ये बात किसी को घर में नहीं बताई। नजमा और आसिफा को मैं दुखी नहीं देख सकता था। कुछ दिन में फिर से सब वैसे ही नॉर्मल होना शुरू हो गया।
रुबीना बाजी को अम्मी अब भी गाली देती थी और मोटी गांड वाली नजमा बाजी तो मार भी देती थी।
मैं इससे परेशान हो गया। अब मैं अपने घर का माहौल बदलना चाहता था।
एक दिन मैंने अपने शहर में ही एक कमरा किराए पर लेने के लिए देखा और सुबह ही सबको बुला कर कहा "अम्मी मुझे पता है कि आप सब मुझसे नफ़रत करते हैं और रुबीना को भी रोज़ गालियाँ ही मिलती हैं, अब मैं आपके साथ नहीं रहना चाहता, मैं और रुबीना आज ही घर से चले जाएंगे।"
फिर मैं और रुबीना अपनी बेटी को लेकर घर से आ गए।
बस आसिफा बाजी ने हमें रोकने की कोशिश की।
हम दोनों आ गए और किराए पर रहने लगे।
मैं घर की ज़रूरत का सामान ले आया और रुबीना बाजी को बोला "बाजी आज से मैं आपका शौहर हूँ, कोई पूछे तो ये ही बताना।"
वो मुस्कराकर बोली "अब तो तुम मेरे बच्चे के बाप भी बन गए, तो शौहर तो ख़ुद ही हो गए।"
किराए के कमरे में आने के बाद मैं और बाजी शौहर बीवी की तरह रहने लगे।
एक दिन मैंने रूबीना को हमारी बेटी को दूध पिलाते देखा। उसकी चूचियाँ मुझे अब और मोटी लगने लगी थीं।
मैं बोला "रूबीना ये चूचियाँ इतनी मोटी कैसे हो गयीं?"
वो बोली "बच्चे के लिए दूध आता है इसलिए मोटी हो गयीं।"
मैं बोला "मुझे भी पिला दो थोड़ा दूध।"
वो बोली "पहले इसको तो पिला दूं। फिर तुम्हें भी पिला दूंगी।"
फिर मैंने पूछा "हमें चुदाई किये हुए कितना समय हो गया?"
वो बोली "आखिरी बार उस वाले घर में ही की थी।" नजमा और आसिफा के आने से पहले।
मैंने कहा "मुझे भी उस दिन के बाद चूत नहीं मिली।"
बाजी बोली "राबिया की तो चोद लेता तू?"
मैं बोला "कैसे चोदता, सब मुझसे नफ़रत करते थे।"
वो बोली "हाँ भाई, सबने ही ग़लत समझा। अब देखना उन सब को मजबूरी क्या होती है ये समझ आ जाएगा और नजमा बाजी की तो मोटी गांड से खून निकलना है।"
फिर वह बोली "छोड़ो, आओ मेरा भी मन है चुदाई का।" चलो आओ।
मैंने नीचे एक चादर बिछा दी। अपने कपड़े उतार कर लंड हाथ में पकड़ लिया तो बाजी ने भी अपना कमीज और सलवार उतार दी।
उन्होंने चोली और पैंटी नहीं पहनी थी। मैंने बाजी को लेटने को बोला तो वह लेट गई। मैंने उनके ऊपर लेट कर चुदाई शुरू कर दी।
बाजी आज कुछ नई लग रही थी। उन्होंने मुझे कमर से पकड़ लिया और अपनी गांड उठाकर ज़ोर जोर धक्के लगाने लगी।
अगर मैं धक्के न भी लगाता तो भी वह अकेली ही मुझे चोद सकती थी। काफ़ी देर तक हम दोनों चुदाई का मज़ा लेते रहे क्योंकि हमारे लंड और चूत का मिलन बहुत अरसे के बाद हुआ था।
काफी देर तक धक्कापेल चुदाई चलती रही। बाजी ने अपने मन की सारी कसर निकाली। मैंने भी लंड का लावा लगभग तीन चार बार निकाला और मैं पूरी तरह से थक गया। फिर हम आखिरी बार में एक साथ झड़े और सो गये।
इस तरह से रूबीना बाजी के साथ मेरा चुदाई का प्रोग्राम चलता रहा और हम दोनों ख़ुशी खुशी रहे। हम उस किराए के कमरे में दो महीने रहे और रोज़ चुदाई की।
लगभग दो महीने घर से बाहर कमरे में रहने से मैं परिवार से दूर रहा।
एक दिन नजमा बाजी मुझे दुकान पर मिलने आयीं और घर वापस आने को बोलीं तो मैंने मना कर दिया।
मैं नाराजगी और गुस्से में बोला " आपको मेरी क्या ज़रूरत है, मैं बेकार हूँ।
बाजी ने मुझे काफ़ी बात सुनाई और समझाया मगर मैं नहीं माना।
वो थक हारकर चली गई।
अगले दिन सुबह मैं दुकान पर आने के लिए तैयार था तो आसिफा बाजी अपनी बेटी को गोद में ले कर आईं।
हम दोनों बाजी को देख कर खुश हुए।
बाजी ने खैरियत पूछी।
फिर बाजी बोली "इमरान यक़ीन नहीं होता कि तूने और रुबीना ने एक बच्चा पैदा कर लिया और परिवार की तरह रहते हो।"
मैंने कहा "बाजी, मगर अम्मी और नजमा बाजी को ये हराम लगता है, वह कहाँ हमें जीने दे रहे हैं। यहाँ आने के बाद भी चैन से नहीं रहने देते।"
बाजी बोली "घर में तुम्हारे आने के बाद से सब उल्टा ही-ही रहा है, नजमा बाजी इसलिए गुस्सा है।"
मैंने कहा "बाजी आओ, हमारे साथ रहो। जब दोनों को कोई दिक्कत नहीं तो आपको क्या है?"
वो बोली "वो सब तो ठीक है मगर मेरी बेटी भी है।"
इस पर रूबीना बोली " बाजी, वह हमारी भी बेटी है।
ये कहकर आसिफा बाजी की गोद में से उनकी बेटी को रूबीना ने ले लिया और खिलाने लगी। "
तभी बाजी मेरी चारपाई पर आ गई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली "चलो हम सब मान लेंगे कि रुबीना और तुम साथ रह लेना, मगर घर वापस आ जाओ।"
मैंने इसका कोई जवाब नहीं दिया और चुप रहना ही ठीक समझा।
आसिफा बोली "जवानी में तो सबके लंड और चूत में उफान आता है।"
बाजी के मुंह से सुनकर मैं ये हैरान-सा हो गया।
वो मेरे लंड की ओर देखने की कोशिश कर रही थी। शायद जीजा के लंड को याद कर रही थी वो।
मुझे लगा आसिफा भी चुदाई चाहती है।
एक दिन रूबीना हमारी बच्ची को लेकर अस्पताल गयी थी।
उसी दिन आसिफा कमरे पर आ गयी।
वो उसी दिन की तरह लंड चूत और चुदाई वाली घटनाओं की बातें करने लगी।
मेरा लंड खड़ा हो गया और आसिफा ने उसको पकड़ लिया। वह मेरे लंड को निकालकर चूसने लगी।
मैं भी जोश में आ गया और मैंने उसको बेड पर लिटाकर नंगी कर लिया।
उसकी टांगों को खोला और लंड उसकी चूत में दे दिया। मैं पहली बार बड़ी बहन की चुदाई कर रहा था।
मैंने उसको 20 मिनट तक चोदा और फिर उसकी चूत में झड़ गया।
मेरे लंड से चुदकर आसिफा खुश हो गयी।
उसके बाद उसको भी मेरे लंड की आदत लग गयी। इस तरह मेरे परिवार में तीन बहनों की चुदाई मैंने की।
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