Update 56
उन दोनों का काम जैसे ही फारिघू हुआ मैं वहाँ खिसक गया, क्योंकी अब दोनों को बाथरूम में ही आना था जिससे वो मुझे देख सकते थे। इसीलिए मैं वहाँ से जिस रास्ते से आया था निकल गया और घर वापिस आ गया।
घर आया तो सामने ही सोफे पे निदा बैठी हुई थी। मुझे घर आता देखकर बोली- “क्या बात है भाई, कहाँ गये थे। इतनी जल्दी में?”
मैं हँस दिया और बोला- “कहीं नहीं यार, भला मैंने कहाँ जाना था? बस बाजार तक चला गया था कुछ काम था...” और निदा के करीब ही बैठ गया और मूवी देखने लगा, जो कि निदा ही लगाए बैठी हुई थी और इसके बाद हमारे बीच कोई बात नहीं हुई।
हमें मूवी देखते हुये 15-20 मिनट ही हुये थे कि निदा उठी और रूम की तरफ चल दी और अभी वो रूम में गई ही थी कि अम्मी घर में इन हो गई और मुझे हाल में बैठा देखकर बोली- “तुम लोग इतनी जल्दी आ गये? क्या बात है, सब ठीक तो है ना? कोई झगड़ा तो नहीं हुआ तुम लोगों में?”
मैंने अम्मी की तरफ देखा ऊपर से नीचे तक, लेकिन कुछ बोला नहीं।
तो अम्मी कुछ परेशान से हो गई और बोली- “क्या बात है सन्नी, तुमने जवाब नहीं दिया मेरी बात का?”
मैंने कहा- “नहीं अम्मी, कोई झगड़ा नहीं हुआ। बस फरी बाजी को थोड़ी मोच आ गई है लेकिन आप कहाँ गई हुई थीं?”
अम्मी मेरे सामने सोफे पे बैठ गई और बोली- “वो बेटा बस मैं वापिस आ रही थी तो सोचा कि तुम लोगों को तो काफी टाइम लग जाएगा वापसी में तो थोड़ा घूमने निकल गई थी मैं.."
मैं- लेकिन अम्मी आप ने तो कहा था मेरी तबीयत ठीक नहीं है, मैं घर जा रही हूँ।
अम्मी- हाँ हाँ बेटा वो... वो ऐसा है ना कि बस सिर में दर्द था तो मैंने सोचा कि थोड़ा ताजा हवा खाऊँगी तो ठीक हो जाएगा..."
मैं- अच्छा ठीक है। लेकिन अब तो आप की तबीयत ठीक है ना?
अम्मी- हाँ... अब काफी अच्छा महसूस हो रहा है और तुम लोगों को कितनी देर हुई घर वापिस आए हुये?
मैं- बस ये ही कोई एक घंटा हो ही गया है।
अम्मी मेरा जवाब सुनते ही उठी और अपने रूम की तरफ जाने लगी।
मैंने अचानक अम्मी से कहा- “अम्मी ये सफदर अंकल कब आए हैं यहाँ?”
तो अम्मी जो कि अपने रूम में जाने के लिए मुड़ चुकी थीं, एक झटके से मेरी तरफ घूमी और फटी आँखों से मेरी तरफ देखने लगीं। मैंने उस वक़्त अम्मी का चेहरा देखा जो कि इर और खौफ से सफेद हो गया था। अम्मी फटी आँखों से मेरी तरफ देखती रही और फिर हँसी हँसी आवाज में बोली- “क्ऽक्या कहा तुमने कऽकब दऽदेखा यहाँ सफदर को?”
मैं अम्मी को घूरते हुये बोला- “क्यों क्या हुआ? सफदर अंकल का तो आप ऐसे पूछ रही हो जैसे आपको पता ही नहीं है?”
अम्मी एक झटके से वापिस सोफे पे बैठ गई। मैंने अम्मी की हालत पे गौर किया तो मुझे पता चला कि अम्मी का सारा जिम हल्के-हल्के कॉप रहा था और उनकी आँखों में हल्का पानी भी साफ नजर आ रहा था।
मैंने कहा- “अम्मी आप अभी जाओ अपने रूम में इस बारे में हम बाद में बात करते हैं...”
अम्मी फटी आँखों के साथ मेरी तरफ देखती हुई अपने रूम की तरफ चली गई। मैं भी उठा और अपने रूम में आ गया, जहाँ फरी बाजी और निदा बैठी गप्पें हांक रही थीं।
मुझे रूम में आता देखकर निदा ने बड़े स्टाइल से अपनी आँखें मटकाई और बोली- “क्यों भाई मूवी अच्छी नहीं थी क्या जो आप टीवी बंद करके यहाँ आ गये हो?”
मैं हँस दिया और बोला- “अरे नहीं यार, बस वैसे ही अम्मी भी आ गई हैं तो मैंने सोचा कि थोड़ा तुम लोगों के साथ ही गप-शप कर लूं...”
मेरी बात सुनते ही निदा झट से बोली- “हमारे साथ या सिर्फ बाजी के साथ गप्प लगाने आए हो आप?”
तो फरी ने निदा को अपनी कोहनी मारते हुये कहा- “कुछ तो शर्म किया करो? अभी भाई ने बताया है ना कि अम्मी घर आ चुकी हैं और अपने रूम में हैं...”
निदा ने कहा- “क्या यार बाजी... अम्मी कौन सा हमें खा जायेंगी? आखिर मैंने ऐसा क्या बोल दिया है जो आप इतना गुस्सा कर रही हो?"
अब मैं भी बेड पे निदा वाली साइड पे ही टिक गया और निदा को कान से पकड़ते हो बोला- “निदा इंसान की बच्ची बना करो, हर वक़्त की मस्ती अच्छी नहीं होती..”
निदा अपना कान मेरे हाथ से छुड़ाते हुये बोली- “भाई आप बाजी के कान ही पकड़ा करो, मेरे नहीं..." और हेहेहेहे। करते हुये बेड से उतरी और रूम से निकल गई।
तब फरी और मैं एक ठंडी ‘आअहह' भरकर रह गये।
निदा के जाने के बाद में बेड पे सीधा होकर बैठ गया और फरी को धीरे-धीरे सब बता दिया। अम्मी और सफदर अंकल के बारे में जो कि मैं आज देख चुका था। जिसे सुनकर फरी कुछ देर तक हैरान और चुपचाप लेटी मेरी तरफ देखती रही, और फिर अचानक एक झटके से मेरी तरफ झुकी और मेरे साथ लिपट गई और बोली- “भाई अगर ये सच है तो कसम से मजा ही आ जाएगा। हम जिस तरह चाहें, मौज मस्ती कर सकते हैं। अम्मी का भी कोई डर नहीं रहेगा...”
मैंने फरी को सीधा किया और खुद से अलग किया और फरी की तरफ देखा तो उसका चेहरा खुशी से लाल नजर आया और उसकी आँखों में मुझे एक अजीब से खुशी और भूख नजर आई। मैंने कहा- “हाँ फरी, तुम ठीक कहती हो। लेकिन मसला ये है कि आखिर अम्मी से अब बात किस तरह की जाए कि वो हमारे मसले पे जान जाने के बाद हमारी तरफ से अपनी आँखें बंद कर लें..."
फरी मेरी बात सुनकर कुछ देर खामोश रही और कुछ सोचती रही और फिर मेरी तरफ देखते हुये शैतानी स्माइल से मुश्कुराते हुये बोली- “भाई ऐसा करो आज की रात आप निदा को यहाँ मेरे पास रूम में भेज देना और खुद । अम्मी के रूम में चले जाना बात करने के लिए, और अम्मी से सारी बात खुलकर बोल देना कि तुम क्या कुछ देख चुके हो समझे?”
फरी की बात को समझते हुये मैं बोला- “वो तो ठीक है। लेकिन हम अपना मसला अम्मी को किस तरह बतायें, जिससे अम्मी हमारे इस रिश्ते को कबूल कर लें और जो हो रहा है खामोशी से होने दें?”
फरी मेरी बात खतम होते ही बोली- “भाई बात ये है कि आप अम्मी को हमारे बारे में अभी कुछ नहीं बताओगे। क्योंकी अगर अम्मी को अभी हमारा पता चला तो अम्मी हमारी बात नहीं मानेंगी और सारा खेल खराब हो जाएगा। तुम ऐसा करो कि आज रात जब अम्मी से बात करोगे तो अम्मी तुमसे डर जाएंगी और उसके बाद तुम रात को अम्मी के साथ रूम में ही सोने के लिए लेट जाना और रात को अम्मी पे ट्राई करना। अगर अम्मी ने तुम्हें कुछ नहीं कहा तो काम आसान हो जाएगा फिर अम्मी हमें भी नहीं रोक पायेंगी...”
फरी की बात खतम होते ही मैंने कहा- “लेकिन अगर अम्मी के साथ मस्ती करने से अम्मी नाराज हो गई तो सोचो के फिर क्या होगा?”
फरी ने कहा- “कुछ नहीं होगा। बस तुम अपना डर खतम करो। अम्मी पहले ही तुमसे डरी हुई होंगी और वो । कभी किसी को ये नहीं बता सकेंगी कि तुमने यानी उसके बेटे ने अपनी ही सगी माँ को किसी गैर मर्द से । चुदवाता देखने के बाद खुद भी अपनी माँ को चोदना चाहा है। समझे मेरे भोले भाई, या और कुछ समझना है?”
मैंने फरी की बात पे गौर किया तो मुझे उसका प्लान बेहतर लगा कि अगर अम्मी खामोश रही और मैं आराम से अपनी माँ को चोदने में कामयाब हो गया तो फिर अम्मी किसी भी मामले में कभी भी नहीं बोलेंगी और अगर अम्मी ने मेरा काम ना होने दिया तो ज्यादा से ज्यादा मुझे रूम से निकल देंगी लेकिन किसी के सामने कुछ बोलेगी नहीं कभी भी। जैसे-जैसे मैं फरी के प्लान पे सोचता रहा मुझे फरी की बात का कायल होना पड़ा और साथ ही एक औरत के तौर पे अपनी बहन के बारे में सोचा कि आखिर वो इस काम में कितना आगे निकल गई है कि अब वो लण्ड के लिए अपनी ही सगी माँ को भी उसके बेटे और अपने सगे छोटे भाई से भी चुदवाने के लिए तैयार है।
तभी फरी ने मुझसे पूछा- “सन्नी भाई, क्या सोच रहे हो आप?”
मैंने ठंडी 'आह' भरी और बोला- “बस तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था कि तुम क्या थी और क्या बनती जा रही हो?
फरी हँस दी, बोली- “तो तुम्हें किसने कहा था कि अपनी ही बहन को चुदवाने में अपने दोस्त की मदद करो..."
फरी की ये बात मेरे लिए किसी झटके से कम नहीं थी, क्योंकी फरी को अभी तक ये नहीं पता था कि काशी ने मेरी मदद से फरी को चोदा था। क्योंकी उस वक़्त तो मुझे खुद को ही पता नहीं था कि काशी जिस लड़की को चोदने वाला है वो मेरी बड़ी बहन फरी ही है।
मेरे चेहरे पे सोच और हैरानी की लहरों को देखते हुये फरी ने कहा- “भाई जी बात ये है कि काशी और नीलू मुझे सब बता चुके हैं कि किस तरह ये सब हुआ? और वो जो उनके घर पे पर्दे के पीछे हुआ, नेट पे हुआ, सब पता चल चुका है मुझे..." और हँसने लगी।
मैं एक ठंडी 'आह' भरकर रह गया और बोला- “हाँ बाजी, आप ने सच कहा के ये सब मेरा ही किया धारा है...” उसके बाद मैंने फरी बाजी के साथ रात के लिए सारी प्लानिंग कर ली। जिसके बाद बाजी ने निदा से अम्मी के सामने ही कह दिया कि आज रात को निदा उसके रूम में सो जाए, क्योंकी उसे कोई जरूरत भी पड़ सकती है, तो निदा उसकी मदद कर देगी।
निदा ने पहले तो हमारी तरफ हैरानी से देखा लेकिन कुछ बोली नहीं, बस हाँ में सिर हिला दिया और फिर मैं रात का इंतजार करने लगा।
टाइम था कि गुजरे नहीं गुजर रहा था और लण्ड था कि बिठाने से नहीं बैठ रहा था, और अम्मी थी कि जब भी मेरी नजर उनसे मिलती, मुझे उनमें एक बिनती सी नजर आती। जैसे कि वो आँखों ही आँखों में मुझसे माफी माँग रही हों, और किसी को कुछ भी ना बताने के दरख्वास्त कर रही हों। लेकिन मैं उनसे अंजान बना टाइम पास करता रहा।
फिर निदा और अम्मी ने मिलकर खाना बनाया रात का जिसके बाद बाजी को भी निदा सहारा देकर बाहर ही ले आई, जहाँ हम सबने मिलकर खाना खाया और खाना खाते हुये मैंने निदा और फरी बाजी की तरफ देखकर कहायार आज मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूँ..”
अभी मैंने इतना ही कहा था कि अम्मी झट से बोल पड़ी- “आराम से खाना खाओ जो भी बोलना या बताना है। सुबह बता देना, अभी सब थक चुके हैं...”
अम्मी के इस तरह मेरी बात काटने से निदा काफी हैरान हुई लेकिन फरी बाजी अपना सिर झुकाकर बैठी धीमी मुश्कान से खाना खाती रही।
लेकिन निदा से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो झट से बोल पड़ी- “अम्मी आज तो हम कहीं गये भी नहीं जो थक जाते। भाई आप बताओ ना क्या बताने वाले थे
मैंने सिर उठाकर अम्मी की तरफ देखा तो मुझे अम्मी की आँखों में साफ तौर से खौफ और परेशानी के साथ एक बिनती नजर आई कि प्लीज़... सन्नी कुछ मत बोलो।
लेकिन अब क्योंकी मेरा यूं खामोश रहना निदा को शक में डाल सकता था, इसलिए मैंने कहा- “यार वो मैंने अम्मी से आज इजाजत ले ली है वहाँ तालाब पे जाने की और अम्मी भी वहाँ हमारे साथ ही जायेंगी.”
मेरी बात सुनकर जहाँ निदा का मुँह बन गया, वहीं अम्मी की रुकी हुई सांस भी बहाल हो गई। क्योंकी मैंने अम्मी की बात मानते हुये खामोशी इख्तियार किए रखी थी और अभी तक कुछ नहीं बोला था। लेकिन निदा का मेरी बात सुनकर मुँह इसलिए बन गया था कि अम्मी के होते वहाँ तालाब पे कोई मस्ती नहीं हो सकती थी।
खैर, हम सबने खाना खाया और निदा बाजी को अपने साथ रूम में ले गई और अम्मी ने बर्तन उठाकर किचेन में रखे और अपने रूम में चली गई। मैं वहीं बैठ गया और टीवी देखने लगा, क्योंकी मैं चाहता था कि जब मैं अम्मी के रूम में जाऊँ तो कम से कम निदा उस वक़्त सो चुकी हो और अम्मी का तो मुझे यकीन था कि वो जब तक मैं उनके रूम में नहीं जाऊँगा जागती रहेंगी। क्योंकी अम्मी भी मेरे साथ बात करना चाह रही थीं।
खैर, मैं मूवी देखता रहा और 0:30 बजे टीवी बंद किया और धड़कते दिल के साथ अम्मी के रूम में चला गया, जहाँ अम्मी बेड के साथ टेक लगाकर नीचे ही बैठी हुई थीं और टीवी के चैनेल बार-बार चेंज कर रही थीं। जैसे ही मैं रूम में इन हुआ अम्मी ने मेरी तरफ देखा और टीवी बंद कर दिया।
मैंने भी रूम का दरवाजा लाक कर दिया और अम्मी के करीब ही बेड पे जा बैठा, जिससे अब कुछ रूम का मंजर इस तरह था कि मैं बेड पे बैठा हुआ था और अम्मी नीचे मेरे पैरों में बैठी हुई थी। कुछ देर तक मैं अम्मी की तरफ देखता रहा और अम्मी अपना सिर झुकाए मेरे पैरों में बैठी रही।
मैंने धीरे आवाज में अम्मी से कहा- “अम्मी मुझे आप से ये उम्मीद नहीं थी कि आप हमारी इज्जत इस तरह गैरों के आगे नीलाम करती फिरोगी, आपको जरा भी शर्म नहीं आई कि आपकी दो बेटियां भी हैं, और बेटा भी है। अगर कोई गड़बड़ हुई तो हम किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे। और जब ये सब मैं फरी बाजी और निदा को बताऊँगा तो उनपे आप का ये रूप खुलने के बाद क्या हालत होगी कभी सोचा आपने?”
मेरी बात खतम होते ही अम्मी ने अपने दोनों हाथों से मेरे पांव पकड़ लिए और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे और अम्मी रोती सी आवाज में बोली- “प्लीज़... सन्नी बेटा इस बात को अपने तक ही छुपा लो बेटा। अगर तुम्हारी बहनों को पता चला तो मैं उनकी नजरों से गिर जाऊँगी बेटा, और कभी उनके सामने अपनी आँख भी । नहीं उठा सकेंगी। प्लीज़.. सन्नी मैं माँ हूँ तुम्हारी। मुझे एक बार माफ कर दो। मैं आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगी।
मैं ऐसे ही बैठा अम्मी की तरफ देखता रहा और अपने पांव अम्मी से छुड़ाने की कोई कोशिश भी नहीं की, और कुछ देर के बाद बोला- “नहीं अम्मी, मुझे फरी बाजी और निदा को सब बताना ही होगा। क्योंकी आप और सफदर अंकल कब से ये सब कर रहे हो, और अब भी अगर मुझे पता ना चलता और मैं देख ना लेता तो भी पता नहीं कब तक आप लोग हमारी आँखों में धूल झोंकते रहते और इस बात की आगे क्या गारंटी होगी कि आप सच में दोबारा ये सब नहीं करोगे?”
अम्मी ने अब भी ना तो मेरे पांव छोई और ना ही सिर उठाया और ऐसे ही बोली- “बेटा मैं माँ हूँ तुम्हारी। मैं तुम्हारी और तुम्हारी बहनों के सिर की कसम खाती हूँ कि आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगी."
मैंने अम्मी को टोक दिया और बोला- “ठीक है अम्मी, मैं सोचूँगा कि आप पे भरोसा करते हुये आपको मोका दिया जाए या फिर निदा और फरी बाजी को बता दिया जाए? लेकिन आप ये बताओ कि आपका और सफदर अंकल में ये सब कब से चल रहा है?”
अम्मी ने अपना सिर उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर से सिर झुका लिया और बोली- “सफदर के साथ 15 साल हो गये हैं."
मैं अम्मी की बात सुनकर हैरान रह गया और बोला- “तो क्या आप और सफदर अंकल अब्बू की मौत से पहले से ही ये सब कर रहे हो, और अब्बू को पता भी नहीं चला?”
अम्मी ने अपना सिर नहीं उठाया और खामोश बैठी रही। लेकिन मेरे पांव अब अम्मी ने छोड़ दिए थे।
मैंने अम्मी की तरफ से कोई जवाब ना मिलने पे कहा- “आप बता क्यों नहीं रही अम्मी?”
तो अम्मी ने कहा- “ये सब तुम्हारे अब्बू की इजाजत और मर्जी से होता रहा है...”
अम्मी की बात सुनकर मुझे एक जोर का झटका लगा, क्योंकी मुझे अम्मी से ऐसे किसी जवाब की उम्मीद नहीं थी। जिससे मुझे झटका सा लगा और मैं खामोश सा हो गया। अम्मी ने भी अपना सिर उठाया और मेरी तरफ देखती रही और फिर से सिर झुकाकर खामोश हो गई और मैं भी कुछ देर तक खामोश बैठा अपनी अम्मी की तरफ से मिलने वाले जवाब पे गौर करता रहा।
कुछ देर बाद मैंने एक लंबी सी सांस ली और बोला- “तो क्या अब्बू और सफदर अंकल के इलावा भी आपने किसी के साथ किया है?”
अम्मी ने हाँ में सिर हिला दिया और बोली- “तुम्हारे अब्बू कभी कभार अपने एक-दो दोस्तों को ले आया करते थे घर पे, और शराब पिया करते थे। जिसमें वो लोग मुझे भी शामिल कर लिया करते थे जिसके बाद सब मिलकर मेरे साथ किया करते थे..."
अम्मी की बातों से मुझे हर पल नया झटका मिल रहा था और अब अम्मी भी बिना झिझके मुझे हर बात बताती जा रही थीं। मैंने कहा- “तो फिर आप किस तरह कसम खा सकती हो कि आप ऐसा कभी नहीं करोगी? क्योंकी आपको जो आदत पड़ चुकी है, वो आसानी से जाने वाली तो नहीं है..”
अब की बार अम्मी खामोश रहीं तो मैंने अम्मी से कहा- “अब आप कब तक यूं मेरे पैरों में बैठी रहोगी ऊपर आ जाओ बेड पे और मुझे सोचने दें कि मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिए और इस घर के लिए?”
अम्मी नीचे से उठी और बाथरूम चली गई और हाथ मुँह धो के वापिस आ गई और बेड पे बैठ गई। मैं उठा और लाइट बंद करके जीरो पावर की लाइट ओन कर दी और बेड की एक साइड पे लेट गया।
अम्मी बेड की दूसरी साइड लेट गई और बोली- “सन्नी बेटा अगर तुम अपनी माँ को माफ कर सको तो अच्छा है क्योंकी मैं जानबूझ के ये सब नहीं करती। ये सब तुम्हारे अब्बू की लगाई हुई आग का नतीजा ही है कि आज मैं अपने ही सगे बेटे से माफी माँग रही हूँ, मेरे लिए इस बुरा और क्या हो सकता है?”
मैंने अम्मी को कोई जवाब नहीं दिया तो अम्मी ने करवट बदल के अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया और अपनी गाण्ड मेरी तरफ कर ली और मैं इंतजार करने लगा कि अम्मी सो जायें और मैं कुछ हरकत करूं और अब तो मुझे कुछ-कुछ उम्मीद भी हो चली थी कि अम्मी मुझे कुछ भी करने से मना नहीं करेगी, क्योंकी अम्मी ने खुद ही मुझे बता दिया था कि वो कितनी बड़ी गश्ती हैं।
अम्मी मेरी तरफ अपनी कमर किए लेटी हुई थीं और मैं बार-बार उनकी गाण्ड की तरफ देखते हुये अपना लण्ड मसल देता था, क्योंकी मुझसे अब और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हो रहा था। लेकिन क्योंकी अभी मुझे कुछ देर । इंतेजार करना था, जिसकी वजह से मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको कंट्रोल कर पा रहा था।
खैर, अम्मी को करवट बदल के लेटे हो अभी कोई 5 मिनट ही हुये होंगे और इस दौरान मैं ये भी जानता था कि अम्मी अभी तक सोई नहीं होंगी क्योंकी आज उनका राज मुझे यानी उनके एकलौते बेटे को पता चल चुका था, तो अम्मी को नींद किस तरह आ सकती थी? लेकिन अब मुझमें बर्दाश्त खतम हो चुकी थी, जिसकी वजह से मैंने उसी वक़्त रिस्क लेने का फैसला किया, और धीरे से खिसक के अम्मी के करीब हो गया।
और अम्मी की तरफ करवट लेते हुये अपना लण्ड जो कि पहले ही जोश से भरा हुआ था, अपनी माँ की गाण्ड पे टच किया और साथ ही अम्मी को आवाज देने लगा- “अम्मी क्या आप जाग रही हो अभी? अम्मी-अम्मी..."
लेकिन अम्मी की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला तो मैं समझ गया कि मेरे लण्ड के टच होते ही अम्मी सब कुछ समझ चुकी होंगी और अब देखना चाहती होंगी कि मैं कहाँ तक जाता हूँ? जिसकी कि मैं अब परवाह करना भी नहीं चाहता था। अम्मी की तरफ से कोई जवाब ना मिलने पे मैंने अपना बाजू अम्मी के ऊपर रख दिया फैलाकर, जिससे मेरा हाथ अम्मी के बाजू से होता हुआ अम्मी की चूचियों पे चला गया।
मेरा हाथ अम्मी की चूचियों से टच होना ही था कि मेरा पूरा जिम मजे की एक अंजानी लज्जत से सिहर उठा और साथ ही मैंने अपना लण्ड अपनी माँ की गाण्ड पे थोड़ा जोर से दबा दिया। जिससे मेरा लण्ड अम्मी की। गाण्ड की दरार में सलवार के ऊपर से ही घुस गया, और साथ ही मैं अपनी अम्मी की चूचियों को भी हल्के से सहलाने लगा। जिससे मेरा मजा सातवें आसमान तक जा पहँचा। लेकिन अम्मी खामोश पड़ी ये सब होने दे रही थी, जिससे मेरा हौसला बढ़ता चला गया। कुछ देर तक मैं अम्मी की चूचियों सहलाता रहा और उसके बाद मैंने अपना हाथ अम्मी की चूचियों से नीचे खिसकाया और अम्मी की सलवार तक ले गया और हाथ से अम्मी की कमीज का पल्लू हटा दिया।
अपना हाथ जैसे ही अम्मी की सलवार में घुसाने लगा, तभी अचानक अम्मी का जिश्म हिला और अम्मी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपना चेहरा पीछे मेरी तरफ घुमाकर देखते हुये बोली- “सन्नी ये क्या कर रहे हो तुम? मैं माँ हूँ तुम्हारी...”
अम्मी की बात सुनकर मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया और मैंने अपना हाथ अम्मी से छुड़ा लिया और बोला- “हाँ... पता है आप मेरी माँ हो, लेकिन ये बात आपको तब याद नहीं होती जब आप सफदर अंकल से चुदवाने जाती हो, या फिर अब्बू के सामने उनके दोस्तों से चुदवाया करती थी। अगर मैंने कुछ कर दिया तो आपको हर बात याद आने लगी है.”
अम्मी ने अपने आपको मेरी तरफ घुमाने की कोशिश की जिससे कि मैं धक्का लगने से सीधा हो गया और अम्मी मेरी तरफ करवट लेकर अपने हाथ को सिर के नीचे टिकाकर जिससे अम्मी का चेहरा मुझसे ऊंचा हो। गया। अम्मी बोली- “देखो सन्नी, हम माँ बेटा हैं। मैं मानती हैं कि मैं आज तक अपनी मर्जी से या तुम्हारे अब्बू की खुशी के लिए जो कुछ करती रही हूँ गलत था, लेकिन अगर तुम ये चाहते हो कि मैं वो सब कुछ तुम्हारे साथ करूं तो बेटा ये नहीं हो सकता। क्योंकी हमारा मुअशरा और मजहब हमें इस चीज की इजाजत नहीं देता..."
अम्मी की बात खतम होते ही मैं उठकर बैठ गया और बोला- “मैं जानता हूँ कि ये सब गलत है, और अगर किसी को पता चला तो बहुत बुरा होगा और मैं मानता हूँ कि ये बहुत बड़ा गुनाह है। लेकिन जब आप आज तक गैर मर्दो के साथ गुनाह करती आई हो, तो मुझे भी इस गुनाह का मजा लेना है। और अगर आप ने मना किया तो याद रखना अम्मी कि मैं किसी से कुछ बोलूंगा तो नहीं, लेकिन हमेशा के लिए आपको और घर को छोड़कर चला जाऊँगा...”
ये धमकी मैंने इसलिए दी थी कि मकान और दुकान वगैरा अब्बू मेरे नाम कर गये थे मरने से पहले ही, जिसकी वजह से अम्मी मुझे कभी खुद से अलग नहीं कर सकती थीं।
मेरी बात सुनकर अम्मी के चेहरा में परेशानी के आसार नजर आने लगे, तो मैंने कहा- “देखो अम्मी, बात ये है। कि आप क्या करती थीं, अब भी करती रहो। लेकिन अब अब्बू की जगह आप मुझे अपनी लाइफ में शामिल कर लो, इसमें हम सबका ही भला है..”
अम्मी कुछ सोच में पड़ गईं और कुछ देर बाद बोलीं- “लेकिन सन्नी बेटा, फरी और निदा को अगर पता चल गया तो मैं उनको क्या मुँह दिखाऊँगी?”
अम्मी की बात से मैं खुश हो गया और बोला- “देखो अम्मी, बात ये है कि जब तक हम कोई बे एहतियाती नहीं करेंगे उन्हें कैसे पता चलेगा किसी बात का? और अगर उन्हें कुछ पता चला भी तो वक़्त आने पे देखा जाएगा। जो बात अभी हुई नहीं उसके लिए इतनी परेशानी क्यों उठाना?”
अम्मी- “लेकिन फिर भी सन्नी, ये सब गलत है बेटा। आखिरकार, मैं माँ हूँ तुम्हारी...” अम्मी ये बात करते हुये ट्राउजर में खड़े मेरे लण्ड की तरफ ही देख रही थी। जिससे मैंने और ज्यादा टाइम जाया करना मुनासिब ना समझते हुये अम्मी की तरफ करवट ली और अपनी अम्मी के सीने से लग गया और अपने होंठ अम्मी के साफ्ट होंठों पे रख दिए और किस करने लगा।
मैं अम्मी को थोड़ी देर तक किस करता रहा जिसमें अम्मी मेरा साथ नहीं दे रही थी। जिसका मैंने कुछ भी बुरा नहीं माना। क्योंकी मैं समझ सकता था कि अम्मी इतनी जल्दी नहीं खुलने वाली। और उठकर बैठ गया और अम्मी की तरफ देखते हुये हल्का सा मुश्कुराया तो अम्मी ने मुँह बनाते हुये अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं अम्मी की टाँगों के पास खिसक आया और अपने दोनों हाथ अम्मी की सलवार पे डाले और धीरे से नीचे खिसकाने । लगा और साथ ही मैं अम्मी की तरफ भी देखता जा रहा था, जहाँ अब मुझे अपनी अम्मी के चेहरे पे पशीना साफ नजर आने लगा था। लेकिन अम्मी ने ना तो मेरा हाथ रोका और ना ही अपनी आँखें खोली।
मैंने धीरे-धीरे अम्मी की सलवार उतार दी, जिससे अम्मी की चिकनी और मुलायम रानें बिल्कुल नंगी मेरे सामने आ गईं। मैंने अम्मी की रानों को पकड़कर धीरे से फैला दिया जिन्हें अम्मी ने अपस में दबा रखा था। जैसे ही अम्मी की रानों को खोलकर मैंने अपनी अम्मी की फुद्दी को देखा तो मेरा लण्ड तेजी से झटके खाने लगा, । क्योंकी आज मैं उस औरत की फुद्दी को देख रहा था, जिसकी फुद्दी में से मैं निकला था। अम्मी की फुद्दी बिल्कुल साफ थी बलों का जरा भी नाम-ओ-निशान तक ना था। जिसे देखते ही मेरे मुँह में पानी भर आया और मैं अम्मी की टाँगों को पूरा खोलते हुये बीच में आ गया और अपना सिर झुकाकर अम्मी की फुद्दी चाटने लगा।
अम्मी की फुद्दी जो कि पहले ही अपने ही पानी से भीगी हुई थी, और एक नमकीन सा और बड़ा अजीब सा टेस्ट दे रही थी। मैं अपनी जुबान को ऊपर से नीचे की तरफ चलाते हुये चाटने लगा।
जिससे कुछ ही देर में अम्मी भी अपनी गाण्ड को थोड़ा सा उठाकर मेरे मुँह की तरफ दबाने लगी और साथ ही हल्की आवाज में- “सस्सीईई.. आअहह... सन्नी मत करो ऊओहह... बेटा..” की आवाज के साथ ही मेरा सिर अपनी फुद्दी की तरफ दबाने लगी।
मैं भी अपनी जुबान को अम्मी की फुद्दी में घुसाकर चुसाई करने लगा, जिससे अम्मी की सिसकियां और भी बढ़ने लगीं और उनके मुँह से- “आअहह... सन्नी उनम्म्मह... हाँन् खा जाओ आज अपनी अम्मी की फुद्दी को ऊऊओहह... सन्नी जुबान को पूरा घुसाकर चाटोओ प्लीज़्ज़... हाँन् मजा आ रहा है बेटा उफफ्फ़..” की आवाज करने लगी।
अम्मी की इन आवाजों से मुझे साफ पता चल रहा था कि अब अम्मी पूरी तरह गरम हो चुकी हैं, और कोई भी लम्हा जिसमें अम्मी की फुद्दी पानी छोड़ने वाली है, तो मैं अचानक अम्मी की फुद्दी को चाटना छोड़कर उठा
और अपने कपड़े उतारने लगा। अम्मी ने एक झटके से अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ देखने लगी और जैसे ही मैं नंगा हुआ तो अम्मी की नजर मेरे लण्ड पे टिकी हुई थी और उनकी जुबान खुश्क होते होंठों पे घूम रही थी।
क्योंकी मैं भी काफी देर से खुवारि काट रहा था इसलिए अब और ज्यादा देर ना करते हुये मैं फिर से अम्मी की टाँगों में आ गया और अपना लण्ड अम्मी की फुद्दी पे टिकाकर हल्का सा झटका दिया तो मेरा लण्ड अम्मी की गीली फुदी में बड़े मजे से जाने लगा, और अम्मी ने लण्ड के घुसते ही अपनी आँखों को बंद कर लिया और । नीचे से अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड की तरफ दबा दिया। मैं अम्मी का इशारा समझते हुये अम्मी की टाँगों को । पूरा फैलाकर अपना वजन टाँगों पे डालकर अपने लण्ड को थोड़ा बाहर खींचते हुये पूरी जान से झटका दिया और अपना लण्ड अपनी अम्मी की फुद्दी में घुसा दिया।
लण्ड के पूरी जान से घुसते ही अम्मी के मुँह से- “सस्सीईई... धीरे करोऽss सन्नी बेटा, ऐसे क्यों कर रहे हो? आआहह..” की आवाज निकल गई।
अम्मी की बात सुनते ही मैंने फिर से वैसे ही झटका दिया और बोला- “साली गश्ती ज्यादा नखरा ना कर जितने लण्ड तू अपनी फुद्दी में ले चुकी है, तुझे अब क्या फरक पड़ता है धीरे या जोर से करने का?"
मेरे हर झटके से अम्मी के मुँह से लज्जत भरी सिसकियां निकल रही थीं और साथ ही अम्मी- “आअह्ह... सन्नी बेटा आराम से करो ज्यादा मजा आता है... ऊऊह्ह... सन्नी बहुत अरसे के बाद ऐसे जवान लण्ड का मजा मिला है तेरी माँ को बेटा आअह्ह... धीरे-धीरे पूरा गहराई में घुसाकर चोदो बेटा उनम्म्म ह..” की आवाज करने लगी।
और अपनी गाण्ड मेरे हर झटके पे उछाल के मेरे लण्ड की तरफ भी दबाती जिससे मेरे हर झटके की स्पीड बढ़ जाती और फिर अम्मी ने अपनी टाँगों को मुझसे छुड़ा लिया और मुझे अपने ऊपर खींचकर अपनी टाँगों को मेरी कमर पे कस लिया, जिससे मुझसे झटके सही से नहीं लग रहे थे। तो अम्मी नीचे से अपनी फुद्दी को ऊपर नीचे घिसने लगी, जिससे मैं मजे से पागल होने लगा और अम्मी की कमीज को ऊपर करके ब्रा से अम्मी की चूचियों को निकालकर चूसने लगा।
तब अम्मी खुद ही अपनी फुद्दी को मेरे लण्ड पे रगड़ के मजे लेने लगी और साथ ही- “आआहह... सन्नी बेटा उंम्म्मह... बड़ा मजा आ रहा है मेरी जान... आज के बाद अपनी अम्मी की भूख तुम मिटाया करना बेटा । उनम्म्मह... ऊऊह्ह... सन्नी मैं गई सन्नी थोड़ा जोर से मसलो मेरे मम्मों को ऊऊह्ह.. उनम्म्मह...” की आवाज के साथ ही जैसे अम्मी की फुद्दी में गरम-गरम सेलाब सा आ गया और अम्मी निढाल सी हो गई।
मैं सीधा हुआ और फिर से अम्मी की फुद्दी में तेजी से अपने लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा, जिससे रूम में थप्प-थप्प की आवाजें गूंजने लगीं और फिर मैं भी दो मिनट में ही अम्मी की फुद्दी में फारिघ् हो गया और अम्मी के ऊपर ही गिरकर लंबी सांसें लेने लगा।
थोड़ी देर हम दोनों माँ बेटा ऐसे ही लेटे रहे और फिर अम्मी ने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया जिससे मैं अम्मी की साइड में होकर लेट गया। अम्मी ने मेरी तरफ करवट ली और अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख ली और बोलीक्यों सन्नी, अब खुश हो न तुम? मेरे साथ ये सब करके अब तो तुम अपनी अम्मी और बहनों को छोड़कर नहीं जाओगे ना?”
मैंने भी अम्मी की तरफ करवट ली और अम्मी के सीने से लग गया और बोला- “नहीं अम्मी, जिस तरह आप मुझे प्यार करती हो मैं आपको छोड़कर जाने का सोच भी नहीं सकता कभी। वो तो मैं बस मजाक कर रहा था बस...” और इतना बोलते हुये अम्मी से बुरी तरह चिमेट गया और किस करने लगा।
अम्मी भी मुझे किस का जवाब किस से देती रही और फिर मेरे सीने पे हाथ रखकर मुझे अलग कर दिया और बोली- “बस सन्नी बेटा, अब और कुछ नहीं। आज के लिए इतना ही बहुत है। अब सो जाओ...” और खुद उठकर अपने कपड़े लेकर बाथरूम में जा घुस गई।
मैं अम्मी के बेड पे नंगा ही पड़ा रह गया और सोचने लगा कि क्या मैंने अपनी अम्मी के साथ ये सब जो किया है, क्या ठीक है? तो मेरे अंदर से जवाब आया कि हाँ जिस तरह तुम्हें और फरी बाजी को चुदाई की जरूरत है,
उसी तरह अम्मी भी लण्ड की प्यासी हैं और उन्हें भी पूरा हक है कि अपनी लाइफ एंजाय करें। ये सोच आते ही में मुतमइन हो गया और अपनी आँखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा।
मुझे अपनी आँखें बंद किए अभी कुछ ही देर हुई थी के अम्मी रूम में आ गई और खामोशी से मेरे साथ बेड पे लेट गई, लेकिन कुछ बोली नहीं और खामोशी से लेटी रही। मैं भी चुपचाप लेटा रहा, क्योंकी मैं समझ रहा था कि अम्मी को ये सब जो अम्मी और मेरे बीच हुआ है उसे हजम करना मुश्किल हो रहा होगा। जिस वजह से । मैंने भी अम्मी से कोई बात नहीं की और आँखें बंद किए सोता बना रहा, जिससे कब मेरी आँख लगी मुझे पता ही नहीं चला।
सुबह जब मेरी आँख खुली तो 9:00 से ऊपर का टाइम हो रहा था लेकिन मैं अभी भी नंगा ही अम्मी के बेड पे लेटा हुआ था, लेकिन अब मेरे ऊपर अम्मी ने चादर डाल दी थी। मैं जल्दी से उठा और अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में जा घुसा और नहाकर कपड़े पहनकर बाहर निकला तो देखा कि बाजी फरी बाहर बैठी टीवी देख रही थी। लेकिन अम्मी और निदा कहीं भी नजर नहीं आ रही थीं।
फरी मुझे देखकर मुश्कुराने लगी और टीवी बंद करते हुये बोली- “क्यों भाई क्या हाल है आपका? लगता है रात नींद ठीक से नहीं आई मेरे भाई को...”
मैं भी हँस दिया और बोला- “हाँ यार नई जगह थी ना इसलिए..” और फरी के करीब ही बैठ गया और बोला“अच्छा ये अम्मी और निदा नजर नहीं आ रहे, कहाँ हैं दोनों?”
फरी ने कहा- “भाई अम्मी और निदा जरा सफदर अंकल की तरफ गई हैं, अभी आ जायेंगी। आप बैठो मैं नाश्ता लाती हूँ आपके लिए। लगता है काफी भूख लग रही है आपको?”
फरी की बात समझते हुये मैं भी हँस दिया और बोला- “नहीं यार, अब ऐसी भी कोई बात नहीं। बस थोड़ा थका हुआ हूँ घूमने फिरने से ठीक हो जाऊँगा। बाकी तुम बैठो मैं खुद ही नाश्ता ले लेता हूँ। तुम्हारा पांव ठीक नहीं है..."
फरी ने कहा- “नहीं तुम बैठो। अब काफी बेहतर है, हल्की सी मोच थी अब आराम है। मैं लाती हूँ नाश्ता..” और उठकर किचेन की तरफ चल दी।
मेरा नाश्ता, जो कि पहले से ही तैयार था, बाजी जल्दी से ले आई और आते ही मेरे सामने नाश्ता रखते हुये बोली- “तो क्या रहा भाई? कहाँ तक बात पहुँची रात को?”
मैंने नाश्ते की तरफ हाथ बढ़ते हुये कहा- “यार जो तुम चाहती थी वो सब हो गया है। अब अम्मी हमारे हाथ में हैं और अब हमें कोई मसला नहीं है...”
बाजी खुशी से मुझे लिपट गई।
मैंने बाजी को पीछे हटते हुये कहा- यार नाश्ता तो आराम से कर लेने दो मुझे।
बाजी ने मुझे छोड़ दिया और बोली- “भाई अब मजा आएगा अम्मी भी हमारा साथ देंगी। और निदा को कोई मसला ही नहीं है हमसे...”
मैंने कहा- “हाँ यार ये तो है। अब तुम बताओ क्या प्रोग्राम है तुम्हारा? क्योंकी अभी तुम बाहर तो जा नहीं सकती, क्योंकी तुम्हारा एक पैर खराब है...”
बाजी ने कहा- “भाई मेरा खयाल है अम्मी अंकल को सब बता चुकी होंगी अब तक और अभी जब अम्मी और निदा बाहर जायेंगी घूमने तो आप सफदर अंकल के पास चले जाना और उनसे बात करके यहाँ ले आना फिर मैं तुम और अंकल सफदर मिलकर मजा करेंगे। क्या ख्याल है?”
मैं नाश्ता खतम करते हुये बोला- “लगता है तुम ये चेक करना चाहती हो कि आखिरकार अंकल सफदर में ऐसी क्या बात है जो अम्मी उनपे फिदा हो गई हैं? लेकिन देखना कि कहीं मेरा ही पत्ता ना काट जाए?”
बाजी मेरी बात सुनकर हँस दी और बोली- “नहीं मेरी जान, दुनियां इधर की उधर हो सकती है लेकिन आपकी जगह मेरे दिल से खतम नहीं हो सकती। समझे आप? बाकी बस मजे के लिए हैं ओके..."
मैंने बाजी की बात पे हँसते हुये हाँ में सिर हिला दिया। लेकिन अभी कुछ बोला नहीं था। तभी बाहर से अम्मी। और निदा आ गईं और निदा ने आते ही बाहर के लिए प्रोग्राम बनाना शुरू कर दिया। लेकिन मैंने साथ चलने से ये बोलकर माना कर दिया कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है। तब अम्मी और निदा खुद ही तैयार होकर बाहर को चल दिये।
और मैं घर से निकलकर सीधा सफदर अंकल की तरफ चल दिया। लेकिन जैसे ही मैं सफदर अंकल के घर के पास पहुँचा तो तभी सफदर अंकल भी घर से निकल आए और मुझे अपने घर की तरफ आता देखकर खुश हो गये और बोले- “अच्छा हुआ सन्नी, तुम खुद ही मेरी तरफ आ गये, नहीं तो मैं अभी तुम्हारी तरफ ही आ रहा था. "
मैं सफदर अंकल के पास पहुँचकर बोला- “क्यों अंकल, कोई खास बात करनी थी जो आप मेरी तरफ ही आ रहे। थे?”
अंकल ने कहा- “हाँ मेरे शेर बात तो खास ही करनी थी तुम्हारे साथ। लेकिन तुम ऐसा करो पहले अंदर तो आओ बैठकर बात करते हैं..."
और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अंदर ले गये। दरवाजा लाक करके अंकल मुझे उसी रूम में । ले गये जहाँ मैंने अम्मी को अंकल से चुदवाते हुये देखा था।
अंकल ने मुझे रूम में बिठा दिया और बोले- “सन्नी मेरा खयाल है कि ये रूम हम सबके लिए लकी है क्योंकी यहाँ हमारे बीच कई पर्दे गिर गये हैं..”
मैं अंकल की बात को अच्छी तरह समझ गया लेकिन भोला बनते हुये बोला- “क्या मतलब अंकल? मैं समझा नहीं कि आप किन पर्यों की बात कर रहे हैं? आप जरा खुल के बात करो जो भी बात है."
अंकल- देखो सन्नी बात ये है कि थोड़ी देर पहले तुम्हारी अम्मी यहाँ आई थी और उसने मुझे सब बता दिया है। कि तुमने कल क्या देखा? और रात को तुमने अपनी माँ के साथ क्या किया? अब बात ये है कि आगे का क्या इरादा है तुम्हारा?”
मैं- पूरी तरह खुल के बात करते हुये बोला- “अंकल बात ये है कि अम्मी की भी एक पेरसोनल लाइफ है जिसे जीने का उनको पूरा हक है और मेरे खयाल में उनके इस हक का हमें सम्मान करना चाहिए..”
अंकल मेरी बात से खुश होते हुये बोले- “हाँ सन्नी बेटा ये बात तो ठीक है तुम्हारी। और अब जबकी तुम भी अपनी माँ की सेवा में लग गये हो तो मेरा और तुम्हारी अम्मी का खयाल है कि अब हमारे बीच कोई पर्दा नहीं होना चाहिए। हम जो भी किया करें मिलकर करें..”
मैं- “हाँ अंकल मैं भी आप लोगों की इस बात से सहमत हूँ। लेकिन क्या अम्मी हम दोनों को एक साथ झेल लिया करेंगी?”
अंकल- “अरे यार बस एक हफ्ता तक तो सलमा को ही बर्दाश्त करना पड़ेगा उसके बाद तो इरम भी आ जाएगी हमारे साथ। फिर दोनों मिलकर हमें बर्दाश्त कर लेंगी क्या समझे?”
मैं हैरानी से अंकल की तरफ देखते हुये बोला- “अंकल इरम कौन? कहीं आपकी बेटी तो नहीं?”
अंकल- हाँ यार, मैं अपनी बेटी इरम की ही बात कर रहा हूँ। वो मेरे और तुम्हारी माँ सलमा के बारे में सब जानती है और हमारे साथ मिलकर कई बार मजा भी ले चुकी है।
मैं हैरत भरी नजरों से अंकल को देखते हुये बोला- “मतलब आप मेरी अम्मी के साथ-साथ अपनी सगी बेटी को भी चोद चुके हैं?”
अंकल- “अरे हाँ यार, आजकल तो ये नार्मेल होता जा रहा है बाप बेटी और बहन भाई, माँ बेटा का सेक्स और इस में सुरक्षा भी है, कोई बदनामी का डर भी नहीं होता कहीं से भी...”
मैं- “हाँ अंकल, बात तो आपकी ठीक है लेकिन मेरा खयाल है कि इरम के आने तक अकेली अम्मी को क्यों मुसीबत में डाला जाए? अम्मी का साथ देने के लिए किसी और को क्यों ना मिला लिया जाए अपने साथ, जो इस सबके बारे में जानती भी है और हमारे साथ मिलकर मजा भी करना चाहती है...”
अंकल- “क्या मतलब? कौन है वो? तुम किसकी बात कर रहे हो? देखो कोई पंगा नहीं कर देना समझे?”
मैंने अपना मोबाइल निकाल करके फरी बाजी को काल करके कहा- “आप सफदर साहब के मकान पे आ जाओ...”
और काल कट कर दी।
अंकल ने कहा- “यार किसे बुला रहे हो कुछ बताओ तो सही?”
मैंने कहा- “अंकल बस आप देखते जाओ और एक जवान फुददी के मजे के लिए तैयार हो जाओ जल्दी से, और वो हमारा ये राज कभी किसी को नहीं बताएगी टेन्शन नहीं लो आप..
मैंने कहा- “अंकल बस आप देखते जाओ और एक जवान फुददी के मजे के लिए तैयार हो जाओ जल्दी से, और वो हमारा ये राज कभी किसी को नहीं बताएगी टेन्शन नहीं लो आप...”
अंकल कुछ देर सोचते रहे और फिर उठकर अलमारी में से दो गोलियां निकालकर ले आए और एक मुझे देकर एक खुद खाते हुये बोले- “तो फिर आज तुम्हारी उस जवान फुद्दी का बाजा बजाते हैं मिलकर...”
मैं अंकल की बात सुनकर हँस दिया और गोली निगल गया और फिर हम दोनों ही फरी बाजी का इंतेजार करने लगे। रूम में अब हम दोनों ही बड़ी बेसब्री से फरी बाजी का इंतेजार कर रहे थे और हमसे ज्यादा हमारे लण्ड फरी की फुद्दी में जाने के लिए बेताब हो रहे थे। तभी मेरे मोबाइल में फरी की तरफ से एस.एम.एस. आया जिसमें बाजी ने बस इतना लिखा हुआ था मैं निकल आई हूँ दरवाजा खोलकर रखो।
मैं अपनी बहन का एस.एम.एस. पढ़कर जल्दी से उठा और भागता हुआ गया और दरवाजा खोल दिया, तो बाजी जो कि तब तक दरवाजे पे आ चुकी थी झट से अंदर आ गई। मैंने दरवाजा लाक किया और बाजी को अपने साथ लेकर अंदर रूम की तरफ चल दिया, जहाँ सफदर अंकल इंतजार कर रहे थे।
जैसे ही मैं बाजी को अपने साथ लेकर रूम में इन हुआ तो अंकल फरी बाजी को देखते ही बौखला गये और हकलाते हुये बोले- “फऽफरी बेटा तुम यहाँ इस वक़्त? क्या कोई काम था?”
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तब मैं जल्दी से आगे बढ़ा और फरी बाजी का हाथ पकड़कर अंकल के पास ले गया और बोला- “अंकल ये ही मेरी गर्लफ्रेंड है और बहन भी। आप परेशान ना हों, इसे सब पता है जो आपके और अम्मी के बीच है..”
अंकल मेरी बात सुनकर थोड़ी देर तक हैरत से हमारी तरफ देखते रहे और फिर सिर झटक के मुश्कुरा दिए और बोले- “चलो अच्छा हुआ कि अब ये भी हमारा साथ देगी..."
और इतना बोलते हुये मेरी बहन के हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया। जिससे मेरी बहन सफदर अंकल के सीने से जा लगी, तो अंकल ने मेरी बहन को मुश्कुरा के देखा और साथ ही अपने होंठ बाजी के होंठों से लगा दिए और किस करने लगे। बाजी भी अंकल की रेस्पोन्स देने लगी।
मैंने अपनी बहन को अंकल से किस में मसरूफ देखा तो मैं पीछे होकर अपने कपड़े उतारने लगा और पूरा नंगा होकर आगे बढ़ा और अपनी बड़ी बहन के पीछे जाकर उसकी कमीज ऊपर करने लगा, तो बाजी ने भी अंकल से अलहदा होकर अपने हाथ ऊपर उठा दिए जिससे बाजी की कमीज निकल गई। अंकल ने नीचे बैठकर मेरी बहन की सलवार उतार दी जिसके बाद मेरी बहन सिर्फ ब्रा में हमारे सामने नंगी खड़ी रह गई थी।
बाजी को इस हालत में देखकर अंकल ने कहा- “वावव... फरी बेटा तुम्हारा जिम सच में लाजवाब है.." और इतना बोलते ही बाजी को बेड पे बिठा दिया और अपने कपड़े उतारने लगे।
घर आया तो सामने ही सोफे पे निदा बैठी हुई थी। मुझे घर आता देखकर बोली- “क्या बात है भाई, कहाँ गये थे। इतनी जल्दी में?”
मैं हँस दिया और बोला- “कहीं नहीं यार, भला मैंने कहाँ जाना था? बस बाजार तक चला गया था कुछ काम था...” और निदा के करीब ही बैठ गया और मूवी देखने लगा, जो कि निदा ही लगाए बैठी हुई थी और इसके बाद हमारे बीच कोई बात नहीं हुई।
हमें मूवी देखते हुये 15-20 मिनट ही हुये थे कि निदा उठी और रूम की तरफ चल दी और अभी वो रूम में गई ही थी कि अम्मी घर में इन हो गई और मुझे हाल में बैठा देखकर बोली- “तुम लोग इतनी जल्दी आ गये? क्या बात है, सब ठीक तो है ना? कोई झगड़ा तो नहीं हुआ तुम लोगों में?”
मैंने अम्मी की तरफ देखा ऊपर से नीचे तक, लेकिन कुछ बोला नहीं।
तो अम्मी कुछ परेशान से हो गई और बोली- “क्या बात है सन्नी, तुमने जवाब नहीं दिया मेरी बात का?”
मैंने कहा- “नहीं अम्मी, कोई झगड़ा नहीं हुआ। बस फरी बाजी को थोड़ी मोच आ गई है लेकिन आप कहाँ गई हुई थीं?”
अम्मी मेरे सामने सोफे पे बैठ गई और बोली- “वो बेटा बस मैं वापिस आ रही थी तो सोचा कि तुम लोगों को तो काफी टाइम लग जाएगा वापसी में तो थोड़ा घूमने निकल गई थी मैं.."
मैं- लेकिन अम्मी आप ने तो कहा था मेरी तबीयत ठीक नहीं है, मैं घर जा रही हूँ।
अम्मी- हाँ हाँ बेटा वो... वो ऐसा है ना कि बस सिर में दर्द था तो मैंने सोचा कि थोड़ा ताजा हवा खाऊँगी तो ठीक हो जाएगा..."
मैं- अच्छा ठीक है। लेकिन अब तो आप की तबीयत ठीक है ना?
अम्मी- हाँ... अब काफी अच्छा महसूस हो रहा है और तुम लोगों को कितनी देर हुई घर वापिस आए हुये?
मैं- बस ये ही कोई एक घंटा हो ही गया है।
अम्मी मेरा जवाब सुनते ही उठी और अपने रूम की तरफ जाने लगी।
मैंने अचानक अम्मी से कहा- “अम्मी ये सफदर अंकल कब आए हैं यहाँ?”
तो अम्मी जो कि अपने रूम में जाने के लिए मुड़ चुकी थीं, एक झटके से मेरी तरफ घूमी और फटी आँखों से मेरी तरफ देखने लगीं। मैंने उस वक़्त अम्मी का चेहरा देखा जो कि इर और खौफ से सफेद हो गया था। अम्मी फटी आँखों से मेरी तरफ देखती रही और फिर हँसी हँसी आवाज में बोली- “क्ऽक्या कहा तुमने कऽकब दऽदेखा यहाँ सफदर को?”
मैं अम्मी को घूरते हुये बोला- “क्यों क्या हुआ? सफदर अंकल का तो आप ऐसे पूछ रही हो जैसे आपको पता ही नहीं है?”
अम्मी एक झटके से वापिस सोफे पे बैठ गई। मैंने अम्मी की हालत पे गौर किया तो मुझे पता चला कि अम्मी का सारा जिम हल्के-हल्के कॉप रहा था और उनकी आँखों में हल्का पानी भी साफ नजर आ रहा था।
मैंने कहा- “अम्मी आप अभी जाओ अपने रूम में इस बारे में हम बाद में बात करते हैं...”
अम्मी फटी आँखों के साथ मेरी तरफ देखती हुई अपने रूम की तरफ चली गई। मैं भी उठा और अपने रूम में आ गया, जहाँ फरी बाजी और निदा बैठी गप्पें हांक रही थीं।
मुझे रूम में आता देखकर निदा ने बड़े स्टाइल से अपनी आँखें मटकाई और बोली- “क्यों भाई मूवी अच्छी नहीं थी क्या जो आप टीवी बंद करके यहाँ आ गये हो?”
मैं हँस दिया और बोला- “अरे नहीं यार, बस वैसे ही अम्मी भी आ गई हैं तो मैंने सोचा कि थोड़ा तुम लोगों के साथ ही गप-शप कर लूं...”
मेरी बात सुनते ही निदा झट से बोली- “हमारे साथ या सिर्फ बाजी के साथ गप्प लगाने आए हो आप?”
तो फरी ने निदा को अपनी कोहनी मारते हुये कहा- “कुछ तो शर्म किया करो? अभी भाई ने बताया है ना कि अम्मी घर आ चुकी हैं और अपने रूम में हैं...”
निदा ने कहा- “क्या यार बाजी... अम्मी कौन सा हमें खा जायेंगी? आखिर मैंने ऐसा क्या बोल दिया है जो आप इतना गुस्सा कर रही हो?"
अब मैं भी बेड पे निदा वाली साइड पे ही टिक गया और निदा को कान से पकड़ते हो बोला- “निदा इंसान की बच्ची बना करो, हर वक़्त की मस्ती अच्छी नहीं होती..”
निदा अपना कान मेरे हाथ से छुड़ाते हुये बोली- “भाई आप बाजी के कान ही पकड़ा करो, मेरे नहीं..." और हेहेहेहे। करते हुये बेड से उतरी और रूम से निकल गई।
तब फरी और मैं एक ठंडी ‘आअहह' भरकर रह गये।
निदा के जाने के बाद में बेड पे सीधा होकर बैठ गया और फरी को धीरे-धीरे सब बता दिया। अम्मी और सफदर अंकल के बारे में जो कि मैं आज देख चुका था। जिसे सुनकर फरी कुछ देर तक हैरान और चुपचाप लेटी मेरी तरफ देखती रही, और फिर अचानक एक झटके से मेरी तरफ झुकी और मेरे साथ लिपट गई और बोली- “भाई अगर ये सच है तो कसम से मजा ही आ जाएगा। हम जिस तरह चाहें, मौज मस्ती कर सकते हैं। अम्मी का भी कोई डर नहीं रहेगा...”
मैंने फरी को सीधा किया और खुद से अलग किया और फरी की तरफ देखा तो उसका चेहरा खुशी से लाल नजर आया और उसकी आँखों में मुझे एक अजीब से खुशी और भूख नजर आई। मैंने कहा- “हाँ फरी, तुम ठीक कहती हो। लेकिन मसला ये है कि आखिर अम्मी से अब बात किस तरह की जाए कि वो हमारे मसले पे जान जाने के बाद हमारी तरफ से अपनी आँखें बंद कर लें..."
फरी मेरी बात सुनकर कुछ देर खामोश रही और कुछ सोचती रही और फिर मेरी तरफ देखते हुये शैतानी स्माइल से मुश्कुराते हुये बोली- “भाई ऐसा करो आज की रात आप निदा को यहाँ मेरे पास रूम में भेज देना और खुद । अम्मी के रूम में चले जाना बात करने के लिए, और अम्मी से सारी बात खुलकर बोल देना कि तुम क्या कुछ देख चुके हो समझे?”
फरी की बात को समझते हुये मैं बोला- “वो तो ठीक है। लेकिन हम अपना मसला अम्मी को किस तरह बतायें, जिससे अम्मी हमारे इस रिश्ते को कबूल कर लें और जो हो रहा है खामोशी से होने दें?”
फरी मेरी बात खतम होते ही बोली- “भाई बात ये है कि आप अम्मी को हमारे बारे में अभी कुछ नहीं बताओगे। क्योंकी अगर अम्मी को अभी हमारा पता चला तो अम्मी हमारी बात नहीं मानेंगी और सारा खेल खराब हो जाएगा। तुम ऐसा करो कि आज रात जब अम्मी से बात करोगे तो अम्मी तुमसे डर जाएंगी और उसके बाद तुम रात को अम्मी के साथ रूम में ही सोने के लिए लेट जाना और रात को अम्मी पे ट्राई करना। अगर अम्मी ने तुम्हें कुछ नहीं कहा तो काम आसान हो जाएगा फिर अम्मी हमें भी नहीं रोक पायेंगी...”
फरी की बात खतम होते ही मैंने कहा- “लेकिन अगर अम्मी के साथ मस्ती करने से अम्मी नाराज हो गई तो सोचो के फिर क्या होगा?”
फरी ने कहा- “कुछ नहीं होगा। बस तुम अपना डर खतम करो। अम्मी पहले ही तुमसे डरी हुई होंगी और वो । कभी किसी को ये नहीं बता सकेंगी कि तुमने यानी उसके बेटे ने अपनी ही सगी माँ को किसी गैर मर्द से । चुदवाता देखने के बाद खुद भी अपनी माँ को चोदना चाहा है। समझे मेरे भोले भाई, या और कुछ समझना है?”
मैंने फरी की बात पे गौर किया तो मुझे उसका प्लान बेहतर लगा कि अगर अम्मी खामोश रही और मैं आराम से अपनी माँ को चोदने में कामयाब हो गया तो फिर अम्मी किसी भी मामले में कभी भी नहीं बोलेंगी और अगर अम्मी ने मेरा काम ना होने दिया तो ज्यादा से ज्यादा मुझे रूम से निकल देंगी लेकिन किसी के सामने कुछ बोलेगी नहीं कभी भी। जैसे-जैसे मैं फरी के प्लान पे सोचता रहा मुझे फरी की बात का कायल होना पड़ा और साथ ही एक औरत के तौर पे अपनी बहन के बारे में सोचा कि आखिर वो इस काम में कितना आगे निकल गई है कि अब वो लण्ड के लिए अपनी ही सगी माँ को भी उसके बेटे और अपने सगे छोटे भाई से भी चुदवाने के लिए तैयार है।
तभी फरी ने मुझसे पूछा- “सन्नी भाई, क्या सोच रहे हो आप?”
मैंने ठंडी 'आह' भरी और बोला- “बस तुम्हारे बारे में ही सोच रहा था कि तुम क्या थी और क्या बनती जा रही हो?
फरी हँस दी, बोली- “तो तुम्हें किसने कहा था कि अपनी ही बहन को चुदवाने में अपने दोस्त की मदद करो..."
फरी की ये बात मेरे लिए किसी झटके से कम नहीं थी, क्योंकी फरी को अभी तक ये नहीं पता था कि काशी ने मेरी मदद से फरी को चोदा था। क्योंकी उस वक़्त तो मुझे खुद को ही पता नहीं था कि काशी जिस लड़की को चोदने वाला है वो मेरी बड़ी बहन फरी ही है।
मेरे चेहरे पे सोच और हैरानी की लहरों को देखते हुये फरी ने कहा- “भाई जी बात ये है कि काशी और नीलू मुझे सब बता चुके हैं कि किस तरह ये सब हुआ? और वो जो उनके घर पे पर्दे के पीछे हुआ, नेट पे हुआ, सब पता चल चुका है मुझे..." और हँसने लगी।
मैं एक ठंडी 'आह' भरकर रह गया और बोला- “हाँ बाजी, आप ने सच कहा के ये सब मेरा ही किया धारा है...” उसके बाद मैंने फरी बाजी के साथ रात के लिए सारी प्लानिंग कर ली। जिसके बाद बाजी ने निदा से अम्मी के सामने ही कह दिया कि आज रात को निदा उसके रूम में सो जाए, क्योंकी उसे कोई जरूरत भी पड़ सकती है, तो निदा उसकी मदद कर देगी।
निदा ने पहले तो हमारी तरफ हैरानी से देखा लेकिन कुछ बोली नहीं, बस हाँ में सिर हिला दिया और फिर मैं रात का इंतजार करने लगा।
टाइम था कि गुजरे नहीं गुजर रहा था और लण्ड था कि बिठाने से नहीं बैठ रहा था, और अम्मी थी कि जब भी मेरी नजर उनसे मिलती, मुझे उनमें एक बिनती सी नजर आती। जैसे कि वो आँखों ही आँखों में मुझसे माफी माँग रही हों, और किसी को कुछ भी ना बताने के दरख्वास्त कर रही हों। लेकिन मैं उनसे अंजान बना टाइम पास करता रहा।
फिर निदा और अम्मी ने मिलकर खाना बनाया रात का जिसके बाद बाजी को भी निदा सहारा देकर बाहर ही ले आई, जहाँ हम सबने मिलकर खाना खाया और खाना खाते हुये मैंने निदा और फरी बाजी की तरफ देखकर कहायार आज मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूँ..”
अभी मैंने इतना ही कहा था कि अम्मी झट से बोल पड़ी- “आराम से खाना खाओ जो भी बोलना या बताना है। सुबह बता देना, अभी सब थक चुके हैं...”
अम्मी के इस तरह मेरी बात काटने से निदा काफी हैरान हुई लेकिन फरी बाजी अपना सिर झुकाकर बैठी धीमी मुश्कान से खाना खाती रही।
लेकिन निदा से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो झट से बोल पड़ी- “अम्मी आज तो हम कहीं गये भी नहीं जो थक जाते। भाई आप बताओ ना क्या बताने वाले थे
मैंने सिर उठाकर अम्मी की तरफ देखा तो मुझे अम्मी की आँखों में साफ तौर से खौफ और परेशानी के साथ एक बिनती नजर आई कि प्लीज़... सन्नी कुछ मत बोलो।
लेकिन अब क्योंकी मेरा यूं खामोश रहना निदा को शक में डाल सकता था, इसलिए मैंने कहा- “यार वो मैंने अम्मी से आज इजाजत ले ली है वहाँ तालाब पे जाने की और अम्मी भी वहाँ हमारे साथ ही जायेंगी.”
मेरी बात सुनकर जहाँ निदा का मुँह बन गया, वहीं अम्मी की रुकी हुई सांस भी बहाल हो गई। क्योंकी मैंने अम्मी की बात मानते हुये खामोशी इख्तियार किए रखी थी और अभी तक कुछ नहीं बोला था। लेकिन निदा का मेरी बात सुनकर मुँह इसलिए बन गया था कि अम्मी के होते वहाँ तालाब पे कोई मस्ती नहीं हो सकती थी।
खैर, हम सबने खाना खाया और निदा बाजी को अपने साथ रूम में ले गई और अम्मी ने बर्तन उठाकर किचेन में रखे और अपने रूम में चली गई। मैं वहीं बैठ गया और टीवी देखने लगा, क्योंकी मैं चाहता था कि जब मैं अम्मी के रूम में जाऊँ तो कम से कम निदा उस वक़्त सो चुकी हो और अम्मी का तो मुझे यकीन था कि वो जब तक मैं उनके रूम में नहीं जाऊँगा जागती रहेंगी। क्योंकी अम्मी भी मेरे साथ बात करना चाह रही थीं।
खैर, मैं मूवी देखता रहा और 0:30 बजे टीवी बंद किया और धड़कते दिल के साथ अम्मी के रूम में चला गया, जहाँ अम्मी बेड के साथ टेक लगाकर नीचे ही बैठी हुई थीं और टीवी के चैनेल बार-बार चेंज कर रही थीं। जैसे ही मैं रूम में इन हुआ अम्मी ने मेरी तरफ देखा और टीवी बंद कर दिया।
मैंने भी रूम का दरवाजा लाक कर दिया और अम्मी के करीब ही बेड पे जा बैठा, जिससे अब कुछ रूम का मंजर इस तरह था कि मैं बेड पे बैठा हुआ था और अम्मी नीचे मेरे पैरों में बैठी हुई थी। कुछ देर तक मैं अम्मी की तरफ देखता रहा और अम्मी अपना सिर झुकाए मेरे पैरों में बैठी रही।
मैंने धीरे आवाज में अम्मी से कहा- “अम्मी मुझे आप से ये उम्मीद नहीं थी कि आप हमारी इज्जत इस तरह गैरों के आगे नीलाम करती फिरोगी, आपको जरा भी शर्म नहीं आई कि आपकी दो बेटियां भी हैं, और बेटा भी है। अगर कोई गड़बड़ हुई तो हम किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे। और जब ये सब मैं फरी बाजी और निदा को बताऊँगा तो उनपे आप का ये रूप खुलने के बाद क्या हालत होगी कभी सोचा आपने?”
मेरी बात खतम होते ही अम्मी ने अपने दोनों हाथों से मेरे पांव पकड़ लिए और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे और अम्मी रोती सी आवाज में बोली- “प्लीज़... सन्नी बेटा इस बात को अपने तक ही छुपा लो बेटा। अगर तुम्हारी बहनों को पता चला तो मैं उनकी नजरों से गिर जाऊँगी बेटा, और कभी उनके सामने अपनी आँख भी । नहीं उठा सकेंगी। प्लीज़.. सन्नी मैं माँ हूँ तुम्हारी। मुझे एक बार माफ कर दो। मैं आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगी।
मैं ऐसे ही बैठा अम्मी की तरफ देखता रहा और अपने पांव अम्मी से छुड़ाने की कोई कोशिश भी नहीं की, और कुछ देर के बाद बोला- “नहीं अम्मी, मुझे फरी बाजी और निदा को सब बताना ही होगा। क्योंकी आप और सफदर अंकल कब से ये सब कर रहे हो, और अब भी अगर मुझे पता ना चलता और मैं देख ना लेता तो भी पता नहीं कब तक आप लोग हमारी आँखों में धूल झोंकते रहते और इस बात की आगे क्या गारंटी होगी कि आप सच में दोबारा ये सब नहीं करोगे?”
अम्मी ने अब भी ना तो मेरे पांव छोई और ना ही सिर उठाया और ऐसे ही बोली- “बेटा मैं माँ हूँ तुम्हारी। मैं तुम्हारी और तुम्हारी बहनों के सिर की कसम खाती हूँ कि आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगी."
मैंने अम्मी को टोक दिया और बोला- “ठीक है अम्मी, मैं सोचूँगा कि आप पे भरोसा करते हुये आपको मोका दिया जाए या फिर निदा और फरी बाजी को बता दिया जाए? लेकिन आप ये बताओ कि आपका और सफदर अंकल में ये सब कब से चल रहा है?”
अम्मी ने अपना सिर उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर से सिर झुका लिया और बोली- “सफदर के साथ 15 साल हो गये हैं."
मैं अम्मी की बात सुनकर हैरान रह गया और बोला- “तो क्या आप और सफदर अंकल अब्बू की मौत से पहले से ही ये सब कर रहे हो, और अब्बू को पता भी नहीं चला?”
अम्मी ने अपना सिर नहीं उठाया और खामोश बैठी रही। लेकिन मेरे पांव अब अम्मी ने छोड़ दिए थे।
मैंने अम्मी की तरफ से कोई जवाब ना मिलने पे कहा- “आप बता क्यों नहीं रही अम्मी?”
तो अम्मी ने कहा- “ये सब तुम्हारे अब्बू की इजाजत और मर्जी से होता रहा है...”
अम्मी की बात सुनकर मुझे एक जोर का झटका लगा, क्योंकी मुझे अम्मी से ऐसे किसी जवाब की उम्मीद नहीं थी। जिससे मुझे झटका सा लगा और मैं खामोश सा हो गया। अम्मी ने भी अपना सिर उठाया और मेरी तरफ देखती रही और फिर से सिर झुकाकर खामोश हो गई और मैं भी कुछ देर तक खामोश बैठा अपनी अम्मी की तरफ से मिलने वाले जवाब पे गौर करता रहा।
कुछ देर बाद मैंने एक लंबी सी सांस ली और बोला- “तो क्या अब्बू और सफदर अंकल के इलावा भी आपने किसी के साथ किया है?”
अम्मी ने हाँ में सिर हिला दिया और बोली- “तुम्हारे अब्बू कभी कभार अपने एक-दो दोस्तों को ले आया करते थे घर पे, और शराब पिया करते थे। जिसमें वो लोग मुझे भी शामिल कर लिया करते थे जिसके बाद सब मिलकर मेरे साथ किया करते थे..."
अम्मी की बातों से मुझे हर पल नया झटका मिल रहा था और अब अम्मी भी बिना झिझके मुझे हर बात बताती जा रही थीं। मैंने कहा- “तो फिर आप किस तरह कसम खा सकती हो कि आप ऐसा कभी नहीं करोगी? क्योंकी आपको जो आदत पड़ चुकी है, वो आसानी से जाने वाली तो नहीं है..”
अब की बार अम्मी खामोश रहीं तो मैंने अम्मी से कहा- “अब आप कब तक यूं मेरे पैरों में बैठी रहोगी ऊपर आ जाओ बेड पे और मुझे सोचने दें कि मैं क्या कर सकता हूँ आपके लिए और इस घर के लिए?”
अम्मी नीचे से उठी और बाथरूम चली गई और हाथ मुँह धो के वापिस आ गई और बेड पे बैठ गई। मैं उठा और लाइट बंद करके जीरो पावर की लाइट ओन कर दी और बेड की एक साइड पे लेट गया।
अम्मी बेड की दूसरी साइड लेट गई और बोली- “सन्नी बेटा अगर तुम अपनी माँ को माफ कर सको तो अच्छा है क्योंकी मैं जानबूझ के ये सब नहीं करती। ये सब तुम्हारे अब्बू की लगाई हुई आग का नतीजा ही है कि आज मैं अपने ही सगे बेटे से माफी माँग रही हूँ, मेरे लिए इस बुरा और क्या हो सकता है?”
मैंने अम्मी को कोई जवाब नहीं दिया तो अम्मी ने करवट बदल के अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया और अपनी गाण्ड मेरी तरफ कर ली और मैं इंतजार करने लगा कि अम्मी सो जायें और मैं कुछ हरकत करूं और अब तो मुझे कुछ-कुछ उम्मीद भी हो चली थी कि अम्मी मुझे कुछ भी करने से मना नहीं करेगी, क्योंकी अम्मी ने खुद ही मुझे बता दिया था कि वो कितनी बड़ी गश्ती हैं।
अम्मी मेरी तरफ अपनी कमर किए लेटी हुई थीं और मैं बार-बार उनकी गाण्ड की तरफ देखते हुये अपना लण्ड मसल देता था, क्योंकी मुझसे अब और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हो रहा था। लेकिन क्योंकी अभी मुझे कुछ देर । इंतेजार करना था, जिसकी वजह से मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको कंट्रोल कर पा रहा था।
खैर, अम्मी को करवट बदल के लेटे हो अभी कोई 5 मिनट ही हुये होंगे और इस दौरान मैं ये भी जानता था कि अम्मी अभी तक सोई नहीं होंगी क्योंकी आज उनका राज मुझे यानी उनके एकलौते बेटे को पता चल चुका था, तो अम्मी को नींद किस तरह आ सकती थी? लेकिन अब मुझमें बर्दाश्त खतम हो चुकी थी, जिसकी वजह से मैंने उसी वक़्त रिस्क लेने का फैसला किया, और धीरे से खिसक के अम्मी के करीब हो गया।
और अम्मी की तरफ करवट लेते हुये अपना लण्ड जो कि पहले ही जोश से भरा हुआ था, अपनी माँ की गाण्ड पे टच किया और साथ ही अम्मी को आवाज देने लगा- “अम्मी क्या आप जाग रही हो अभी? अम्मी-अम्मी..."
लेकिन अम्मी की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला तो मैं समझ गया कि मेरे लण्ड के टच होते ही अम्मी सब कुछ समझ चुकी होंगी और अब देखना चाहती होंगी कि मैं कहाँ तक जाता हूँ? जिसकी कि मैं अब परवाह करना भी नहीं चाहता था। अम्मी की तरफ से कोई जवाब ना मिलने पे मैंने अपना बाजू अम्मी के ऊपर रख दिया फैलाकर, जिससे मेरा हाथ अम्मी के बाजू से होता हुआ अम्मी की चूचियों पे चला गया।
मेरा हाथ अम्मी की चूचियों से टच होना ही था कि मेरा पूरा जिम मजे की एक अंजानी लज्जत से सिहर उठा और साथ ही मैंने अपना लण्ड अपनी माँ की गाण्ड पे थोड़ा जोर से दबा दिया। जिससे मेरा लण्ड अम्मी की। गाण्ड की दरार में सलवार के ऊपर से ही घुस गया, और साथ ही मैं अपनी अम्मी की चूचियों को भी हल्के से सहलाने लगा। जिससे मेरा मजा सातवें आसमान तक जा पहँचा। लेकिन अम्मी खामोश पड़ी ये सब होने दे रही थी, जिससे मेरा हौसला बढ़ता चला गया। कुछ देर तक मैं अम्मी की चूचियों सहलाता रहा और उसके बाद मैंने अपना हाथ अम्मी की चूचियों से नीचे खिसकाया और अम्मी की सलवार तक ले गया और हाथ से अम्मी की कमीज का पल्लू हटा दिया।
अपना हाथ जैसे ही अम्मी की सलवार में घुसाने लगा, तभी अचानक अम्मी का जिश्म हिला और अम्मी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपना चेहरा पीछे मेरी तरफ घुमाकर देखते हुये बोली- “सन्नी ये क्या कर रहे हो तुम? मैं माँ हूँ तुम्हारी...”
अम्मी की बात सुनकर मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया और मैंने अपना हाथ अम्मी से छुड़ा लिया और बोला- “हाँ... पता है आप मेरी माँ हो, लेकिन ये बात आपको तब याद नहीं होती जब आप सफदर अंकल से चुदवाने जाती हो, या फिर अब्बू के सामने उनके दोस्तों से चुदवाया करती थी। अगर मैंने कुछ कर दिया तो आपको हर बात याद आने लगी है.”
अम्मी ने अपने आपको मेरी तरफ घुमाने की कोशिश की जिससे कि मैं धक्का लगने से सीधा हो गया और अम्मी मेरी तरफ करवट लेकर अपने हाथ को सिर के नीचे टिकाकर जिससे अम्मी का चेहरा मुझसे ऊंचा हो। गया। अम्मी बोली- “देखो सन्नी, हम माँ बेटा हैं। मैं मानती हैं कि मैं आज तक अपनी मर्जी से या तुम्हारे अब्बू की खुशी के लिए जो कुछ करती रही हूँ गलत था, लेकिन अगर तुम ये चाहते हो कि मैं वो सब कुछ तुम्हारे साथ करूं तो बेटा ये नहीं हो सकता। क्योंकी हमारा मुअशरा और मजहब हमें इस चीज की इजाजत नहीं देता..."
अम्मी की बात खतम होते ही मैं उठकर बैठ गया और बोला- “मैं जानता हूँ कि ये सब गलत है, और अगर किसी को पता चला तो बहुत बुरा होगा और मैं मानता हूँ कि ये बहुत बड़ा गुनाह है। लेकिन जब आप आज तक गैर मर्दो के साथ गुनाह करती आई हो, तो मुझे भी इस गुनाह का मजा लेना है। और अगर आप ने मना किया तो याद रखना अम्मी कि मैं किसी से कुछ बोलूंगा तो नहीं, लेकिन हमेशा के लिए आपको और घर को छोड़कर चला जाऊँगा...”
ये धमकी मैंने इसलिए दी थी कि मकान और दुकान वगैरा अब्बू मेरे नाम कर गये थे मरने से पहले ही, जिसकी वजह से अम्मी मुझे कभी खुद से अलग नहीं कर सकती थीं।
मेरी बात सुनकर अम्मी के चेहरा में परेशानी के आसार नजर आने लगे, तो मैंने कहा- “देखो अम्मी, बात ये है। कि आप क्या करती थीं, अब भी करती रहो। लेकिन अब अब्बू की जगह आप मुझे अपनी लाइफ में शामिल कर लो, इसमें हम सबका ही भला है..”
अम्मी कुछ सोच में पड़ गईं और कुछ देर बाद बोलीं- “लेकिन सन्नी बेटा, फरी और निदा को अगर पता चल गया तो मैं उनको क्या मुँह दिखाऊँगी?”
अम्मी की बात से मैं खुश हो गया और बोला- “देखो अम्मी, बात ये है कि जब तक हम कोई बे एहतियाती नहीं करेंगे उन्हें कैसे पता चलेगा किसी बात का? और अगर उन्हें कुछ पता चला भी तो वक़्त आने पे देखा जाएगा। जो बात अभी हुई नहीं उसके लिए इतनी परेशानी क्यों उठाना?”
अम्मी- “लेकिन फिर भी सन्नी, ये सब गलत है बेटा। आखिरकार, मैं माँ हूँ तुम्हारी...” अम्मी ये बात करते हुये ट्राउजर में खड़े मेरे लण्ड की तरफ ही देख रही थी। जिससे मैंने और ज्यादा टाइम जाया करना मुनासिब ना समझते हुये अम्मी की तरफ करवट ली और अपनी अम्मी के सीने से लग गया और अपने होंठ अम्मी के साफ्ट होंठों पे रख दिए और किस करने लगा।
मैं अम्मी को थोड़ी देर तक किस करता रहा जिसमें अम्मी मेरा साथ नहीं दे रही थी। जिसका मैंने कुछ भी बुरा नहीं माना। क्योंकी मैं समझ सकता था कि अम्मी इतनी जल्दी नहीं खुलने वाली। और उठकर बैठ गया और अम्मी की तरफ देखते हुये हल्का सा मुश्कुराया तो अम्मी ने मुँह बनाते हुये अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं अम्मी की टाँगों के पास खिसक आया और अपने दोनों हाथ अम्मी की सलवार पे डाले और धीरे से नीचे खिसकाने । लगा और साथ ही मैं अम्मी की तरफ भी देखता जा रहा था, जहाँ अब मुझे अपनी अम्मी के चेहरे पे पशीना साफ नजर आने लगा था। लेकिन अम्मी ने ना तो मेरा हाथ रोका और ना ही अपनी आँखें खोली।
मैंने धीरे-धीरे अम्मी की सलवार उतार दी, जिससे अम्मी की चिकनी और मुलायम रानें बिल्कुल नंगी मेरे सामने आ गईं। मैंने अम्मी की रानों को पकड़कर धीरे से फैला दिया जिन्हें अम्मी ने अपस में दबा रखा था। जैसे ही अम्मी की रानों को खोलकर मैंने अपनी अम्मी की फुद्दी को देखा तो मेरा लण्ड तेजी से झटके खाने लगा, । क्योंकी आज मैं उस औरत की फुद्दी को देख रहा था, जिसकी फुद्दी में से मैं निकला था। अम्मी की फुद्दी बिल्कुल साफ थी बलों का जरा भी नाम-ओ-निशान तक ना था। जिसे देखते ही मेरे मुँह में पानी भर आया और मैं अम्मी की टाँगों को पूरा खोलते हुये बीच में आ गया और अपना सिर झुकाकर अम्मी की फुद्दी चाटने लगा।
अम्मी की फुद्दी जो कि पहले ही अपने ही पानी से भीगी हुई थी, और एक नमकीन सा और बड़ा अजीब सा टेस्ट दे रही थी। मैं अपनी जुबान को ऊपर से नीचे की तरफ चलाते हुये चाटने लगा।
जिससे कुछ ही देर में अम्मी भी अपनी गाण्ड को थोड़ा सा उठाकर मेरे मुँह की तरफ दबाने लगी और साथ ही हल्की आवाज में- “सस्सीईई.. आअहह... सन्नी मत करो ऊओहह... बेटा..” की आवाज के साथ ही मेरा सिर अपनी फुद्दी की तरफ दबाने लगी।
मैं भी अपनी जुबान को अम्मी की फुद्दी में घुसाकर चुसाई करने लगा, जिससे अम्मी की सिसकियां और भी बढ़ने लगीं और उनके मुँह से- “आअहह... सन्नी उनम्म्मह... हाँन् खा जाओ आज अपनी अम्मी की फुद्दी को ऊऊओहह... सन्नी जुबान को पूरा घुसाकर चाटोओ प्लीज़्ज़... हाँन् मजा आ रहा है बेटा उफफ्फ़..” की आवाज करने लगी।
अम्मी की इन आवाजों से मुझे साफ पता चल रहा था कि अब अम्मी पूरी तरह गरम हो चुकी हैं, और कोई भी लम्हा जिसमें अम्मी की फुद्दी पानी छोड़ने वाली है, तो मैं अचानक अम्मी की फुद्दी को चाटना छोड़कर उठा
और अपने कपड़े उतारने लगा। अम्मी ने एक झटके से अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ देखने लगी और जैसे ही मैं नंगा हुआ तो अम्मी की नजर मेरे लण्ड पे टिकी हुई थी और उनकी जुबान खुश्क होते होंठों पे घूम रही थी।
क्योंकी मैं भी काफी देर से खुवारि काट रहा था इसलिए अब और ज्यादा देर ना करते हुये मैं फिर से अम्मी की टाँगों में आ गया और अपना लण्ड अम्मी की फुद्दी पे टिकाकर हल्का सा झटका दिया तो मेरा लण्ड अम्मी की गीली फुदी में बड़े मजे से जाने लगा, और अम्मी ने लण्ड के घुसते ही अपनी आँखों को बंद कर लिया और । नीचे से अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड की तरफ दबा दिया। मैं अम्मी का इशारा समझते हुये अम्मी की टाँगों को । पूरा फैलाकर अपना वजन टाँगों पे डालकर अपने लण्ड को थोड़ा बाहर खींचते हुये पूरी जान से झटका दिया और अपना लण्ड अपनी अम्मी की फुद्दी में घुसा दिया।
लण्ड के पूरी जान से घुसते ही अम्मी के मुँह से- “सस्सीईई... धीरे करोऽss सन्नी बेटा, ऐसे क्यों कर रहे हो? आआहह..” की आवाज निकल गई।
अम्मी की बात सुनते ही मैंने फिर से वैसे ही झटका दिया और बोला- “साली गश्ती ज्यादा नखरा ना कर जितने लण्ड तू अपनी फुद्दी में ले चुकी है, तुझे अब क्या फरक पड़ता है धीरे या जोर से करने का?"
मेरे हर झटके से अम्मी के मुँह से लज्जत भरी सिसकियां निकल रही थीं और साथ ही अम्मी- “आअह्ह... सन्नी बेटा आराम से करो ज्यादा मजा आता है... ऊऊह्ह... सन्नी बहुत अरसे के बाद ऐसे जवान लण्ड का मजा मिला है तेरी माँ को बेटा आअह्ह... धीरे-धीरे पूरा गहराई में घुसाकर चोदो बेटा उनम्म्म ह..” की आवाज करने लगी।
और अपनी गाण्ड मेरे हर झटके पे उछाल के मेरे लण्ड की तरफ भी दबाती जिससे मेरे हर झटके की स्पीड बढ़ जाती और फिर अम्मी ने अपनी टाँगों को मुझसे छुड़ा लिया और मुझे अपने ऊपर खींचकर अपनी टाँगों को मेरी कमर पे कस लिया, जिससे मुझसे झटके सही से नहीं लग रहे थे। तो अम्मी नीचे से अपनी फुद्दी को ऊपर नीचे घिसने लगी, जिससे मैं मजे से पागल होने लगा और अम्मी की कमीज को ऊपर करके ब्रा से अम्मी की चूचियों को निकालकर चूसने लगा।
तब अम्मी खुद ही अपनी फुद्दी को मेरे लण्ड पे रगड़ के मजे लेने लगी और साथ ही- “आआहह... सन्नी बेटा उंम्म्मह... बड़ा मजा आ रहा है मेरी जान... आज के बाद अपनी अम्मी की भूख तुम मिटाया करना बेटा । उनम्म्मह... ऊऊह्ह... सन्नी मैं गई सन्नी थोड़ा जोर से मसलो मेरे मम्मों को ऊऊह्ह.. उनम्म्मह...” की आवाज के साथ ही जैसे अम्मी की फुद्दी में गरम-गरम सेलाब सा आ गया और अम्मी निढाल सी हो गई।
मैं सीधा हुआ और फिर से अम्मी की फुद्दी में तेजी से अपने लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा, जिससे रूम में थप्प-थप्प की आवाजें गूंजने लगीं और फिर मैं भी दो मिनट में ही अम्मी की फुद्दी में फारिघ् हो गया और अम्मी के ऊपर ही गिरकर लंबी सांसें लेने लगा।
थोड़ी देर हम दोनों माँ बेटा ऐसे ही लेटे रहे और फिर अम्मी ने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया जिससे मैं अम्मी की साइड में होकर लेट गया। अम्मी ने मेरी तरफ करवट ली और अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख ली और बोलीक्यों सन्नी, अब खुश हो न तुम? मेरे साथ ये सब करके अब तो तुम अपनी अम्मी और बहनों को छोड़कर नहीं जाओगे ना?”
मैंने भी अम्मी की तरफ करवट ली और अम्मी के सीने से लग गया और बोला- “नहीं अम्मी, जिस तरह आप मुझे प्यार करती हो मैं आपको छोड़कर जाने का सोच भी नहीं सकता कभी। वो तो मैं बस मजाक कर रहा था बस...” और इतना बोलते हुये अम्मी से बुरी तरह चिमेट गया और किस करने लगा।
अम्मी भी मुझे किस का जवाब किस से देती रही और फिर मेरे सीने पे हाथ रखकर मुझे अलग कर दिया और बोली- “बस सन्नी बेटा, अब और कुछ नहीं। आज के लिए इतना ही बहुत है। अब सो जाओ...” और खुद उठकर अपने कपड़े लेकर बाथरूम में जा घुस गई।
मैं अम्मी के बेड पे नंगा ही पड़ा रह गया और सोचने लगा कि क्या मैंने अपनी अम्मी के साथ ये सब जो किया है, क्या ठीक है? तो मेरे अंदर से जवाब आया कि हाँ जिस तरह तुम्हें और फरी बाजी को चुदाई की जरूरत है,
उसी तरह अम्मी भी लण्ड की प्यासी हैं और उन्हें भी पूरा हक है कि अपनी लाइफ एंजाय करें। ये सोच आते ही में मुतमइन हो गया और अपनी आँखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा।
मुझे अपनी आँखें बंद किए अभी कुछ ही देर हुई थी के अम्मी रूम में आ गई और खामोशी से मेरे साथ बेड पे लेट गई, लेकिन कुछ बोली नहीं और खामोशी से लेटी रही। मैं भी चुपचाप लेटा रहा, क्योंकी मैं समझ रहा था कि अम्मी को ये सब जो अम्मी और मेरे बीच हुआ है उसे हजम करना मुश्किल हो रहा होगा। जिस वजह से । मैंने भी अम्मी से कोई बात नहीं की और आँखें बंद किए सोता बना रहा, जिससे कब मेरी आँख लगी मुझे पता ही नहीं चला।
सुबह जब मेरी आँख खुली तो 9:00 से ऊपर का टाइम हो रहा था लेकिन मैं अभी भी नंगा ही अम्मी के बेड पे लेटा हुआ था, लेकिन अब मेरे ऊपर अम्मी ने चादर डाल दी थी। मैं जल्दी से उठा और अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में जा घुसा और नहाकर कपड़े पहनकर बाहर निकला तो देखा कि बाजी फरी बाहर बैठी टीवी देख रही थी। लेकिन अम्मी और निदा कहीं भी नजर नहीं आ रही थीं।
फरी मुझे देखकर मुश्कुराने लगी और टीवी बंद करते हुये बोली- “क्यों भाई क्या हाल है आपका? लगता है रात नींद ठीक से नहीं आई मेरे भाई को...”
मैं भी हँस दिया और बोला- “हाँ यार नई जगह थी ना इसलिए..” और फरी के करीब ही बैठ गया और बोला“अच्छा ये अम्मी और निदा नजर नहीं आ रहे, कहाँ हैं दोनों?”
फरी ने कहा- “भाई अम्मी और निदा जरा सफदर अंकल की तरफ गई हैं, अभी आ जायेंगी। आप बैठो मैं नाश्ता लाती हूँ आपके लिए। लगता है काफी भूख लग रही है आपको?”
फरी की बात समझते हुये मैं भी हँस दिया और बोला- “नहीं यार, अब ऐसी भी कोई बात नहीं। बस थोड़ा थका हुआ हूँ घूमने फिरने से ठीक हो जाऊँगा। बाकी तुम बैठो मैं खुद ही नाश्ता ले लेता हूँ। तुम्हारा पांव ठीक नहीं है..."
फरी ने कहा- “नहीं तुम बैठो। अब काफी बेहतर है, हल्की सी मोच थी अब आराम है। मैं लाती हूँ नाश्ता..” और उठकर किचेन की तरफ चल दी।
मेरा नाश्ता, जो कि पहले से ही तैयार था, बाजी जल्दी से ले आई और आते ही मेरे सामने नाश्ता रखते हुये बोली- “तो क्या रहा भाई? कहाँ तक बात पहुँची रात को?”
मैंने नाश्ते की तरफ हाथ बढ़ते हुये कहा- “यार जो तुम चाहती थी वो सब हो गया है। अब अम्मी हमारे हाथ में हैं और अब हमें कोई मसला नहीं है...”
बाजी खुशी से मुझे लिपट गई।
मैंने बाजी को पीछे हटते हुये कहा- यार नाश्ता तो आराम से कर लेने दो मुझे।
बाजी ने मुझे छोड़ दिया और बोली- “भाई अब मजा आएगा अम्मी भी हमारा साथ देंगी। और निदा को कोई मसला ही नहीं है हमसे...”
मैंने कहा- “हाँ यार ये तो है। अब तुम बताओ क्या प्रोग्राम है तुम्हारा? क्योंकी अभी तुम बाहर तो जा नहीं सकती, क्योंकी तुम्हारा एक पैर खराब है...”
बाजी ने कहा- “भाई मेरा खयाल है अम्मी अंकल को सब बता चुकी होंगी अब तक और अभी जब अम्मी और निदा बाहर जायेंगी घूमने तो आप सफदर अंकल के पास चले जाना और उनसे बात करके यहाँ ले आना फिर मैं तुम और अंकल सफदर मिलकर मजा करेंगे। क्या ख्याल है?”
मैं नाश्ता खतम करते हुये बोला- “लगता है तुम ये चेक करना चाहती हो कि आखिरकार अंकल सफदर में ऐसी क्या बात है जो अम्मी उनपे फिदा हो गई हैं? लेकिन देखना कि कहीं मेरा ही पत्ता ना काट जाए?”
बाजी मेरी बात सुनकर हँस दी और बोली- “नहीं मेरी जान, दुनियां इधर की उधर हो सकती है लेकिन आपकी जगह मेरे दिल से खतम नहीं हो सकती। समझे आप? बाकी बस मजे के लिए हैं ओके..."
मैंने बाजी की बात पे हँसते हुये हाँ में सिर हिला दिया। लेकिन अभी कुछ बोला नहीं था। तभी बाहर से अम्मी। और निदा आ गईं और निदा ने आते ही बाहर के लिए प्रोग्राम बनाना शुरू कर दिया। लेकिन मैंने साथ चलने से ये बोलकर माना कर दिया कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है। तब अम्मी और निदा खुद ही तैयार होकर बाहर को चल दिये।
और मैं घर से निकलकर सीधा सफदर अंकल की तरफ चल दिया। लेकिन जैसे ही मैं सफदर अंकल के घर के पास पहुँचा तो तभी सफदर अंकल भी घर से निकल आए और मुझे अपने घर की तरफ आता देखकर खुश हो गये और बोले- “अच्छा हुआ सन्नी, तुम खुद ही मेरी तरफ आ गये, नहीं तो मैं अभी तुम्हारी तरफ ही आ रहा था. "
मैं सफदर अंकल के पास पहुँचकर बोला- “क्यों अंकल, कोई खास बात करनी थी जो आप मेरी तरफ ही आ रहे। थे?”
अंकल ने कहा- “हाँ मेरे शेर बात तो खास ही करनी थी तुम्हारे साथ। लेकिन तुम ऐसा करो पहले अंदर तो आओ बैठकर बात करते हैं..."
और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अंदर ले गये। दरवाजा लाक करके अंकल मुझे उसी रूम में । ले गये जहाँ मैंने अम्मी को अंकल से चुदवाते हुये देखा था।
अंकल ने मुझे रूम में बिठा दिया और बोले- “सन्नी मेरा खयाल है कि ये रूम हम सबके लिए लकी है क्योंकी यहाँ हमारे बीच कई पर्दे गिर गये हैं..”
मैं अंकल की बात को अच्छी तरह समझ गया लेकिन भोला बनते हुये बोला- “क्या मतलब अंकल? मैं समझा नहीं कि आप किन पर्यों की बात कर रहे हैं? आप जरा खुल के बात करो जो भी बात है."
अंकल- देखो सन्नी बात ये है कि थोड़ी देर पहले तुम्हारी अम्मी यहाँ आई थी और उसने मुझे सब बता दिया है। कि तुमने कल क्या देखा? और रात को तुमने अपनी माँ के साथ क्या किया? अब बात ये है कि आगे का क्या इरादा है तुम्हारा?”
मैं- पूरी तरह खुल के बात करते हुये बोला- “अंकल बात ये है कि अम्मी की भी एक पेरसोनल लाइफ है जिसे जीने का उनको पूरा हक है और मेरे खयाल में उनके इस हक का हमें सम्मान करना चाहिए..”
अंकल मेरी बात से खुश होते हुये बोले- “हाँ सन्नी बेटा ये बात तो ठीक है तुम्हारी। और अब जबकी तुम भी अपनी माँ की सेवा में लग गये हो तो मेरा और तुम्हारी अम्मी का खयाल है कि अब हमारे बीच कोई पर्दा नहीं होना चाहिए। हम जो भी किया करें मिलकर करें..”
मैं- “हाँ अंकल मैं भी आप लोगों की इस बात से सहमत हूँ। लेकिन क्या अम्मी हम दोनों को एक साथ झेल लिया करेंगी?”
अंकल- “अरे यार बस एक हफ्ता तक तो सलमा को ही बर्दाश्त करना पड़ेगा उसके बाद तो इरम भी आ जाएगी हमारे साथ। फिर दोनों मिलकर हमें बर्दाश्त कर लेंगी क्या समझे?”
मैं हैरानी से अंकल की तरफ देखते हुये बोला- “अंकल इरम कौन? कहीं आपकी बेटी तो नहीं?”
अंकल- हाँ यार, मैं अपनी बेटी इरम की ही बात कर रहा हूँ। वो मेरे और तुम्हारी माँ सलमा के बारे में सब जानती है और हमारे साथ मिलकर कई बार मजा भी ले चुकी है।
मैं हैरत भरी नजरों से अंकल को देखते हुये बोला- “मतलब आप मेरी अम्मी के साथ-साथ अपनी सगी बेटी को भी चोद चुके हैं?”
अंकल- “अरे हाँ यार, आजकल तो ये नार्मेल होता जा रहा है बाप बेटी और बहन भाई, माँ बेटा का सेक्स और इस में सुरक्षा भी है, कोई बदनामी का डर भी नहीं होता कहीं से भी...”
मैं- “हाँ अंकल, बात तो आपकी ठीक है लेकिन मेरा खयाल है कि इरम के आने तक अकेली अम्मी को क्यों मुसीबत में डाला जाए? अम्मी का साथ देने के लिए किसी और को क्यों ना मिला लिया जाए अपने साथ, जो इस सबके बारे में जानती भी है और हमारे साथ मिलकर मजा भी करना चाहती है...”
अंकल- “क्या मतलब? कौन है वो? तुम किसकी बात कर रहे हो? देखो कोई पंगा नहीं कर देना समझे?”
मैंने अपना मोबाइल निकाल करके फरी बाजी को काल करके कहा- “आप सफदर साहब के मकान पे आ जाओ...”
और काल कट कर दी।
अंकल ने कहा- “यार किसे बुला रहे हो कुछ बताओ तो सही?”
मैंने कहा- “अंकल बस आप देखते जाओ और एक जवान फुददी के मजे के लिए तैयार हो जाओ जल्दी से, और वो हमारा ये राज कभी किसी को नहीं बताएगी टेन्शन नहीं लो आप..
मैंने कहा- “अंकल बस आप देखते जाओ और एक जवान फुददी के मजे के लिए तैयार हो जाओ जल्दी से, और वो हमारा ये राज कभी किसी को नहीं बताएगी टेन्शन नहीं लो आप...”
अंकल कुछ देर सोचते रहे और फिर उठकर अलमारी में से दो गोलियां निकालकर ले आए और एक मुझे देकर एक खुद खाते हुये बोले- “तो फिर आज तुम्हारी उस जवान फुद्दी का बाजा बजाते हैं मिलकर...”
मैं अंकल की बात सुनकर हँस दिया और गोली निगल गया और फिर हम दोनों ही फरी बाजी का इंतेजार करने लगे। रूम में अब हम दोनों ही बड़ी बेसब्री से फरी बाजी का इंतेजार कर रहे थे और हमसे ज्यादा हमारे लण्ड फरी की फुद्दी में जाने के लिए बेताब हो रहे थे। तभी मेरे मोबाइल में फरी की तरफ से एस.एम.एस. आया जिसमें बाजी ने बस इतना लिखा हुआ था मैं निकल आई हूँ दरवाजा खोलकर रखो।
मैं अपनी बहन का एस.एम.एस. पढ़कर जल्दी से उठा और भागता हुआ गया और दरवाजा खोल दिया, तो बाजी जो कि तब तक दरवाजे पे आ चुकी थी झट से अंदर आ गई। मैंने दरवाजा लाक किया और बाजी को अपने साथ लेकर अंदर रूम की तरफ चल दिया, जहाँ सफदर अंकल इंतजार कर रहे थे।
जैसे ही मैं बाजी को अपने साथ लेकर रूम में इन हुआ तो अंकल फरी बाजी को देखते ही बौखला गये और हकलाते हुये बोले- “फऽफरी बेटा तुम यहाँ इस वक़्त? क्या कोई काम था?”
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तब मैं जल्दी से आगे बढ़ा और फरी बाजी का हाथ पकड़कर अंकल के पास ले गया और बोला- “अंकल ये ही मेरी गर्लफ्रेंड है और बहन भी। आप परेशान ना हों, इसे सब पता है जो आपके और अम्मी के बीच है..”
अंकल मेरी बात सुनकर थोड़ी देर तक हैरत से हमारी तरफ देखते रहे और फिर सिर झटक के मुश्कुरा दिए और बोले- “चलो अच्छा हुआ कि अब ये भी हमारा साथ देगी..."
और इतना बोलते हुये मेरी बहन के हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया। जिससे मेरी बहन सफदर अंकल के सीने से जा लगी, तो अंकल ने मेरी बहन को मुश्कुरा के देखा और साथ ही अपने होंठ बाजी के होंठों से लगा दिए और किस करने लगे। बाजी भी अंकल की रेस्पोन्स देने लगी।
मैंने अपनी बहन को अंकल से किस में मसरूफ देखा तो मैं पीछे होकर अपने कपड़े उतारने लगा और पूरा नंगा होकर आगे बढ़ा और अपनी बड़ी बहन के पीछे जाकर उसकी कमीज ऊपर करने लगा, तो बाजी ने भी अंकल से अलहदा होकर अपने हाथ ऊपर उठा दिए जिससे बाजी की कमीज निकल गई। अंकल ने नीचे बैठकर मेरी बहन की सलवार उतार दी जिसके बाद मेरी बहन सिर्फ ब्रा में हमारे सामने नंगी खड़ी रह गई थी।
बाजी को इस हालत में देखकर अंकल ने कहा- “वावव... फरी बेटा तुम्हारा जिम सच में लाजवाब है.." और इतना बोलते ही बाजी को बेड पे बिठा दिया और अपने कपड़े उतारने लगे।