Update 57
मैंने बाजी को जो कि बेड पे बैठी हुई थी लिटा दिया और बाजी की टाँगों को फैलाकर अपनी जुबान अपनी बहन की गीली फुद्दी पे रखकर घुमाने लगा, तो बाजी के मुँह से- “आअह्ह... सस्स्सीईई ऊऊहह भाई अंदर घुसाकर चाटो प्लीज़... उम्म्मह...” की आवाज करने लगी।
मैं भी अपनी बहन की फुदी में अपनी जुबान घुसाकर चाटना शुरू कर दिया जिससे बाजी के मुँह से आऐईयईई ऊऊओह... मेरे भाई खा जाओ अपनी कुतिया बहन की फुद्दी को आह्ह..” की आवाज करने लगी।
तभी अंकल भी नंगे होकर बेड पे आ गये और मेरी बहन के चेहरे के पास जा बैठे और फरी बाजी के होंठों पे अपना लण्ड घुमाने लगे, तो मेरी बहन ने भी झट से अपना मुँह खोला और सफदर अंकल का लण्ड अपने मुँह में भरकर चूसने लगी।
अब एक तरफ मैं अपनी बहन की फुद्दी चाट रहा था और दूसरी तरफ सफदर अंकल मेरी बहन के मुँह में अपना लण्ड घुसाए चुसवा रहे थे। कुछ देर तक ऐसे ही चलता रहा कि अंकल ने अचानक अपना लण्ड मेरी बहन के मुँह में से निकाला और मेरी तरफ आकर बोले- “चलो भाई सन्नी, अब हमारे लण्ड की बारी है तुम्हारी इस गश्ती बहन की फुद्दी में जाने की..."
सफदर अंकल की बात सुनकर में साइड पे हो गया तो सफदर अंकल फरी बाजी की टाँगों में आ गये। मैंने झट से अंकल का लण्ड पकड़ा और अपनी बहन की फुद्दी पे रखकर हल्का सा रगड़ा और फिर बाजी की फुद्दी पे सेट करके हाथ हटा लिया।
सफदर अंकल ने हँसते हुये कहा- “यार तू सच में मुझसे भी बड़ा हरामी है...” और साथ ही पूरी जान से अपने लण्ड को मेरी बड़ी बहन की फुद्दी में घुसा दिया।
लण्ड घुसते ही बाजी की आँखें बंद हो गईं और उनके मुँह से- “आअहह... अंकल मुझे अपनी रंडी बनाकर चोदो ऊओह... मेरी जान्न् पूरा घुसा डालो मेरे अंदर प्लीज़... अंकल जरा भी रहम नहीं करना मुझ पे आअह्ह... फाड़ डालो आज मेरी फुद्दी को उम्म्मह...” की आवाज करने लगी।
बाजी के मुँह से निकलने वाली आवाजें सुनकर अंकल भी जोश में आ गये और अपना लण्ड पूरा बाहर निकाल कर अपने पूरे जिश्म की ताकत से बाजी की फुद्दी में अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगे और साथ ही- “हाँन् । साली कुतिया, आज मैं तेरी फुद्दी को फाड़ डालूंगा... साली तेरी माँ भी इतनी ही बड़ी गश्ती है ऊऊह्ह... सन्नी मैं तेरी बहन को कुतिया बना डालूंगा साली को आआहह... ऊऊहह...” की आवाज के साथ चुदाई करने लगे।
अंकल के इन झटकों ने मेरी बहन को भी पागल बना दिया था और वो भी नीचे से अपनी गाण्ड अंकल के हर झटके के साथ उछालकर उनका साथ देती और साथ ही उसके मुँह से गालियों का तूफान उमड़ रहा था और वो आआहह... हरामी फाड़ डाल मेरी फुद्दी को हरामजादे, कंजरम मुझे भी कंजरी बनाकर चोद ऊऊहह बेटीचोद भड़वे मुझे भी मेरी माँ की तरह ठंडा कर हाँन्... और तेज और तेज करो..” की तेज आवाज के साथ अंकल से चिपकी जा रही थी।
कुछ देर की चुदाई के बाद फरी के जिश्म ने एक जोर का झटका लिया और वो बड़ी निढाल सी हो गई तो अंकल ने भी अपना लण्ड मेरी बहन की फुद्दी से निकाल लिया और खुद बेड पे लेट गये और फरी को अपने । लण्ड पे बिठा लिया। फिर मेरी तरफ देखकर बोले- “चल मेरे शेर, आ जा तू भी अपनी बहन की गाण्ड में घुसा दे अपना ये लण्ड..."
अंकल की बात सुनकर फरी तड़प उठी और बोली- “नहीं प्लीज़... ये नहीं करना...”
अंकल ने कहा- “मेरी जान रंडी बनने चली हो और गाण्ड मरवाने से डरती हो?”
बाजी ने कहा- “नहीं अंकल, ये मैंने कभी किया नहीं है...”
अंकल ने कहा- “चलो कोई बात नहीं, आज कर लो। बस हल्का सा दर्द होगा और फिर मजा ही मजा है...”
और मेरी तरफ देखकर बोले- “चलो सन्नी वो सामने से तेल ले आओ, और बड़े आराम से करना...”
मैं झट से उठा और साइड टेबल से तेल ले आया और अपनी बहन के पीछे आकर बाजी को अंकल के ऊपर लिटा दिया और बाजी की गाण्ड पे अच्छी तरह तेल लगाकर और अपना लण्ड भी तेल से भरकर बाजी की गाण्ड पे अपना लण्ड सेट किया, तब अंकल बाजी को अच्छी तरह हग कर लिया और मुझे इशारा किया कि एक ही झटके से घुसा दो, और खुद बाजी को किस करने लगे।
अब मैंने ज्यादा देर ना करते हुये अपने हाथों से बाजी की गाण्ड को पकड़कर अपना लण्ड सेट किया और तेज झटका मारा, जिससे मेरा आधा लण्ड अपनी बड़ी बहन की गाण्ड में जा घुसा। झटका लगते ही बाजी का जिस्म जोर से हिला। लेकिन अंकल ने पकड़े रखा और बाजी को हिलने नहीं दिया। बाजी के होंठ जो कि अंकल के हाथों से बंद थे जिससे कुछ ज्यादा आवाज भी नहीं निकली। बस ‘गॅन्-गॅन्-हँन्’ की आवाज ही निकल रही थी।
मैंने अपना लण्ड हल्का सा निकालकर फिर से पूरी जान का झटका लगाया तो मेरा पूरा लण्ड अपनी बड़ी बहन की गाण्ड में जड़ तक जा घुसा, जिससे बाजी का जिम बड़े जोर से तड़पा। लेकिन अंकल पहले ही से तैयार थे उन्होंने बाजी को जरा भी ना हिलने दिया। मैं भी अपने लण्ड को ऐसे ही बाजी की गरम गाण्ड में घुसाए उनके ऊपर लेट गया और पीछे से उनकी गर्दन पे अपनी जुबान घुमाने लगा, और बाजी की चूचियों के निपलों को भी साइड से निकालकर मसलने लगा।
अंकल ने थोड़ी ही देर में बाजी के होंठों को आजाद छोड़ दिया तो उनकी रोती हुई आवाज निकली- “प्लीज़... सन्नी मेरे भाई बाहर निकालोओ ऊऊहह... मेरी माँ.. मैं मर गई सन्नी प्लीज़... बाहर निकालो मेरी गाण्ड फट गई है, बहुत दर्द हो रहा है...”
मैं बाजी की बात समझ रहा था कि बाजी को सच में कितनी दर्द हो रही होगी, क्योंकी एक तो बाजी का फर्स्ट टाइम था गाण्ड में और ऊपर से बाजी की फुद्दी में भी अंकल का लण्ड घुसा हुआ था। मैं बाजी के ऊपर ऐसे ही खामोशी से लेटा रहा और गर्दन पे जुबान घुमाता रहा और चूचियों को मसलता रहा, तो 3 मिनट बाद बाजी का रोना और मिन्नतें करना बंद हो गया। तब मैंने भी अपने लण्ड को धीरे से पीछे खींचा और फिर से पुश किया।
तब बाजी के मुँह से- “आअह्ह... मादरचोद हरामी क्या करता है? दर्द हो रहा है आग लगी हुई है मेरी गाण्ड में...”
बाजी की गाण्ड बहुत ज्यादा टाइट और गरम थी, जिसकी वजह से मुझे इतना मजा आ रहा था कि बस बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं कुछ देर तक बाजी को आराम-आराम से गाण्ड में चोदता रहा, तो बाजी की गलियां भी धीरेधीरे थम गईं।
तब नीचे से अंकल ने भी अपना लण्ड हिलाना शुरू कर दिया, जिससे मुझे इतना ज्यादा मजा आना शुरू हो गया कि बयान से बाहर था। क्योंकी एक तो बाजी की गाण्ड टाइट थी, ऊपर से बाजी की फुद्दी में भी जब अंकल का लण्ड मूव करता तो दुहरा मजा आता, क्योंकी हमारे लण्ड ऐसा लगता था कि आपस में रगड़ खा रहे हों।
हमारी इस हरकत से बाजी रोने लगी और साथ ही बोली- “भाईई प्लीज़... बाहर निकल लो बहुत दर्द हो रहा है। साथ में जलन भी हो रही है... अंकल प्लीज़... भाई को मना करोऽs आआह्ह... अम्मी जीई बचा लोओ ऊऊह्ह... भाई मैं मर जाऊँगी हाईई भाईई मत करो प्लीज़.. आआईईई हरामियों मैं मर जाऊँगी...” की आवाज करने लगी और रोने लगी।
लेकिन बाजी के इस तरह रोने और गिड़गिड़ाने से मुझे और भी मजा आ रहा था। लगभग इस तरह मैंने और अंकल ने मेरी बहन को कोई 15 मिनट तक चोदा होगा कि अंकल के लण्ड ने पानी निकाल दिया जिससे अंकल
का लण्ड नरम होकर बाहर निकल गया।
तब मेरा लण्ड जरा आसानी और आराम से फरी बाजी की गाण्ड में अंदर-बाहर होने लगा, तो बाजी के मुँह से भी- “आआईयईई सन्नी प्लीज़्ज़.. अब फुद्दी में डाल लो, बहुत जलन हो रही है ऊऊहह... मेरा भाई प्लीज़... अब बस करो...”
और इसके साथ ही जैसे ही मेरा लण्ड फरी की गाण्ड में घुसता, फरी अपनी गाण्ड को थोड़ा टाइट कर लेती और ज्यों ही बाहर को खींचता तो ढीली कर देती। जिससे मैं पागल हो गया और तेज झटके मारने लगा। फरी फिर से रोने लगी, लेकिन अब मैं कुछ नहीं सुन रहा था बस लगातार दो-तीन मिनट तक झटका मारने के बाद बाजी की ही गाण्ड में फारिघ हो गया, और फिर अपना लण्ड निकालकर देखा तो बाजी की गाण्ड पे बाजी की पोटी और खून भी लगा हुआ था, जिसे मैंने कपड़े से साफ किया और साइड में लेट गया।
थोड़ी देर तक हम तीनों ऐसे ही पड़े रहे। फिर अंकल उठे और नंगे ही बाथरूम में जा घुसे। उनके जाते ही बाजी फरी ने मेरी तरफ गुस्सा भरी नजरों से देखा और बोली- “भाई ये क्या हो गया था तुम्हें? आज पागल तो नहीं हो गये थे तुम? अगर मुझे कुछ हो जाता तो?”
बाजी की बात खतम होते ही मैंने बाजी के होंठों को चूमा और बोला- “अरे नहीं बाजी मैं जानता हूँ कि आप मेरी बड़ी बहन हो और आपको इतनी जल्दी कुछ नहीं हो सकता, और बाकी आज का दिन गुजर जाने दें फिर बताना के इसमें मजा आया है या नहीं? क्योंकी अभी तो आपको दर्द होगा...”
मेरी बात ने बाजी को और भी गुस्सा दिला दिया, जिससे उनका चेहरा लाल हो गया और वो मुझे खा जाने वाली नजरों से घूरने लगी, लेकिन बोली कुछ नहीं। मैं भी खामोश पड़ा रहा और अंकल के बाथरूम से निकलने का इंतेजार करता रहा, और जैसे ही अंकल बाहर निकले मैंने बाजी से कहा- “आप पहले बाथरूम हो आओ...”
बाजी ने कहा- “कमीने इंसान, क्या तुम अब भी समझते हो कि में खुद से बाथरूम जा पाऊँगी?”
अंकल बाजी की बात सुनकर हँस दिए और बोले- “यार सन्नी, कुछ तो दिमाग से भी काम लिया करो। जो कुछ तुमने किया है अपनी इस बेचारी बहन के साथ, अब इसे सहारा देकर बाथरूम खुद ले जाओ इससे अकेले नहीं जाया जाएगा..."
अंकल की बात से मुझे एहसास हुआ कि मैंने सच में बाजी के साथ कुछ ज्यादा ही ज्यादती कर डाली है। ये सोच आते ही मैं उठा और फरी बाजी को सहारा देकर बेड से उतारा और अपने साथ बाथरूम की तरफ ले गया। लेकिन बाजी से ठीक तरह से चला भी नहीं जा रहा था। बाजी को मैं बड़ी मुश्किल से बाथरूम में ले गया, जहाँ बाजी को मैंने पेशाब करवाया, उसके बाद शावर के नीचे खड़ा कर दिया और खुद ही अच्छी तरह साबुन लगाकर बाजी का पूरा जिम साफ किया और उसके बाद खुद को भी साफ करके बाजी को रूम में वापिस ले आया।
हमारे रूम में वापिस आने तक अंकल ने बेडशीट चेंज कर डाली थी और खुद भी एक पाजामा पहन लिया था। मैंने बाजी को बेड पे बिठा दिया लेकिन उन्हें गाण्ड में काफी जलन हो रही थी, तो वो लेट गई। मैंने बाजी के कपड़े उठाकर उनके पास ले आया और बोला- “चलो बाजी कपड़े पहन लो...”
बाजी ने कहा- “नहीं भाई, अभी मुझमें इतनी हिम्मत नहीं है। अभी रहने दे बाद में पहन लँगी..." तो मैंने भी जिद नहीं की क्योंकी अब हमारे बीच बचा ही क्या था छुपाने लायक?
बाजी के कपड़े वहीं बेड पे रखकर मैंने अपनी पैंट उठाकर पहन ली और वहीं करीब एक चेयर पे बैठ गया। बाजी को कोई दो घंटे आराम के बाद थोड़ा आराम मिला, तो बाजी ने उठकर कपड़े पहन लिए और तैयार हो गई। मैं भी तैयार होकर अंकल से बोला- “ठीक है अंकल, अब हम चलते हैं..." और उनके घर से निकल आए। लेकिन बाजी से अब भी ठीक से नहीं चला जा रहा था।
हम दोनों जब घर पहुँचे तो देखा कि अम्मी और निदा आ चुकी हैं और बैठी टीवी देख रही हैं। अम्मी ने हमें घर में आते हुये बड़े ही गौर से देखा, लेकिन बोली कुछ नहीं। मैं फरी बाजी को जल्दी से उनके रूम में ले गया और बेड पे लिटा दिया।
तभी अम्मी भी हमारे पीछे ही रूम में आ गई और बोली- “सन्नी जरा मेरे रूम में आओ...” और इतना बोलते हुये अम्मी रूम से निकल गई।
अम्मी की इस बात से मैं थोड़ा परेशान हो गया था, क्योंकी अम्मी की आवाज में गुस्सा साफ महसोस हो रहा था। अम्मी के जाते ही मैंने बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने मुझे आँख के इशारे से ही पुरसकून रहने की हिदायत की और जाने को कहा, तो मैं अम्मी के रूम की तरफ चल दिया।
मैं रूम में से निकला और अम्मी के रूम के बाहर खड़ा हो गया, क्योंकी अंदर से मुझे निदा की आवाज सुनाई दे रही थी, जिसपे मुझे थोड़ी परेशानी भी हुई कि आखिर ऐसी क्या बात है जो निदा की मौजूदगी में तो अम्मी कर सकती हैं, लेकिन फरी बाजी के सामने उनसे बात नहीं हो पा रही?
खैर में रूम में इन हुआ तो अम्मी ने मुझे देखकर निदा से कहा- “तुम अपनी बड़ी बहन के पास जाओ मैंने सन्नी से कुछ बात करना है...”
निदा खामोशी से उठी और रूम से निकल गई। तब अम्मी ने कहा- “दरवाजा बंद करके यहाँ आ जाओ...”
मैंने ऐसे ही किया और अम्मी के पास चला गया।
अम्मी उस वक़्त बेड के करीब ही खड़ी थीं और मैं भी उनके पास ही जाकर खड़ा हो गया, तो अम्मी कुछ देर तक मुझे घूरती रही तो मैंने भी बिना डरे अम्मी की आँखों में झाँकना शुरू कर दिया, जिससे अम्मी को गुस्सा
आ गया और अम्मी ने अचानक ही मुझे जोर का थप्पड़ जड़ दिया।
मुझे अम्मी की तरफ से कोई इस तरह के रिएक्सन की उम्मीद नहीं थी क्योंकी मुझे अभी पता भी नहीं था कि अम्मी आखिर किस बात पे गुस्सा हैं, और ऊपर से ये थप्पड़? मेरी तो गाण्ड ही फट गई थी कि तभी अम्मी। धीरे आवाज में गुर्राते हुये बोली- “सन्नी मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी...”
मैं हकलाते हुये बोला- “लेकिन हुआ क्या अम्मी? बात क्या है? आखिर मैंने ऐसा क्या कर दिया है?”
मैं हकलाते हुये बोला- “लेकिन हुआ क्या अम्मी? बात क्या है? आखिर मैंने ऐसा क्या कर दिया है?”
अम्मी- “अभी तुम सफदर के घर पे फरी को क्यों लेकर गये थे, बता सकते हो मुझे? तुम्हें शर्म नहीं आई? बहन है वो तुम्हारी और तुम उसी के साथ ये सब करते हो। कब से चल रहा है ये सब?”
अम्मी की बात सुनकर मैं समझ गया कि सफदर अंकल अम्मी को सब कुछ बता चुके हैं, और अभी अम्मी जो गुस्से में आग उगल रही हैं उसकी वजह ही ये है, तो मैं सोच में पड़ गया कि अब क्या करूं? किस तरह अम्मी का गुस्सा ठंडा करूं? तभी अंकल की एक बात मुझे याद आ गई और मैं अम्मी की तरफ देखकर बोला- “अम्मी प्लीज़... आप गुस्सा ना हों, और आराम से बैठ जाओ। मैं आपको सब कुछ बताता हूँ..” और अपने हाथ अम्मी
के कंधों पे रखकर उन्हें बिठा दिया।
अम्मी को बेड पे बिठाकर मैं खुद उनके पैरों में बैठ गया और अम्मी की आँखों में देखते हुये बोला- “अम्मी ये सब आपके लिए कोई नया तो नहीं, है ना? क्या आप अंकल सफदर और उनकी बेटी इरम के साथ मिलकर सेक्स नहीं करती रही हो? और अगर मैंने अपनी बहन के साथ सेक्स कर लिया है तो कौन सी ऐसी कयामत आ गई है दुनियां में? और अम्मी मैं आपको अपने दोस्त से भी मिलवा सकता हूँ जो अपनी बहनों के साथ सेक्स करता है, और भी कई होंगे दुनियां में?”
अम्मी मेरी बात सुनकर बोली- “हाँ, मैं जानती हूँ कि आजकल इस दुनियां में ये सब होता है। लेकिन सन्नी तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। आखिरकार, ये मुअशरा क्या कहेगा हमारे बारे में?”
अब मैंने अम्मी का हाथ पकड़कर उनको चूमा और बोला- “देखो अम्मी हमें किसी को कुछ बताना ही नहीं है तो कोई कुछ क्यों बोलेगा? और यहाँ हम लोग आए भी तो इसीलिए हैं ना कि एंजाय कर सकें? यहाँ हमें कोई नहीं जानता है तो फिर आप इतना डर क्यों रही हैं?”
अम्मी ने एक अह' भरी और बोलि- “ठीक है सन्नी, जैसा तुम लोगों को अच्छा लगे। मैं क्या कह सकती हूँ? लेकिन क्या इस सबका निदा को भी पता है?"
तो मैंने हाँ में सिर हिला दिया और बोला- “जी अम्मी। लेकिन उसे सिर्फ मेरा और बाजी का ही पता है और कुछ पता नहीं है.”
अम्मी हैरानी से बोली- “तो क्या उसने कभी तुम्हें मना नहीं किया?”
मैंने हँसते हुये कहा- “नहीं अम्मी, बल्की वो तो हमें खुद टाइम देती है मस्ती करने के लिए, और खुद भी हमारा सेक्स देखकर मजा करती है...”
अम्मी- “ठीक है सन्नी बेटा। लेकिन अब फरी को मेरे और अपने बारे में कुछ मत बताना, मैं उसका सामना नहीं कर पाऊँगी प्लीज़्ज़..
अम्मी की बात सुनकर में हँस दिया और बोला- “अम्मी आप क्या समझती हो कि उसे कुछ पता नहीं है? अरे अम्मी जान सच तो ये है कि मैंने जब आपको और अंकल को सेक्स करते देखा था तो तभी फरी को बता दिया था और उसी के कहने से ही तो मैंने आपके साथ मस्ती की थी। और तो और उसे सफदर अंकल और इरम के सेक्स का भी पता है, अब उससे कुछ भी छुपा हुआ नहीं है...” ।
मेरी इस बात से अम्मी थोड़ा परेशान हो गई, लेकिन कुछ बोली नहीं।
मैंने अम्मी के हाथों को हल्का सा दबा दिया और बोला- “अम्मी आप परेशान ना हों। फरी बाजी बहुत अच्छी हैं,
आपको उससे कुछ परेशानी नहीं होना चाहिए..." और उठते हुये अम्मी के गालों पे चुम्मा देकर रूम से निकल आया।
मैं अम्मी के रूम से निकलकर सीधा अपने वाले रूम में आ गया, जहाँ बाजी अभी तक बेड पे लेटी हुई थी, और निदा बाजी के करीब ही चेयर रखकर बैठी उनसे बातें कर रही थी।
मुझे रूम में आता देखकर निदा ने आँखें मटकाई और बोली- “क्या बात है भाई जान, क्या बात करनी थी हमारी अम्मी जान ने आपसे?"
मैं हँसता हुआ बोला- “अरे कुछ नहीं यार, बस ऐसे ही वापसी का पूछच रही थीं कि कब जाना है?”
और इतना बोलते हुये निदा की चेयर के पीछे का खड़ा हो गया, और निदा की तरफ देखने लगा, तो मेरा पूरा जिश्म सनसना गया था।
उस वक़्त निदा एक जीन्स और ढीली सी टी-शर्ट में थी। लेकिन जैसे ही मैंने नीचे झुक के देखा तो मेरी नजर सीधी निदा की शर्ट में चली गई जहाँ मेरी बहन की बिना ब्रा की चूचियां नजर आ रही थीं। मेरी तो नजर ही जैसे उसी जगह पे टिकी रह गई थी।
जिसे फरी बाजी ने देख लिया और बोली- “सन्नी कहाँ गुम हो गये हो?”
मैं झट से बोला- “नऽनहीं तो, कहीं भी नहीं। यहीं हूँ मैं तो...”
बाजी- मुझे तो लगा कि तुम कहीं और ही सैर पे चले गये हो मुझे यहाँ छोड़कर।
निदा- “नहीं बाजी, आपने भाई को बड़ी मजबूती से बाँध रखा है, ये कहीं नहीं जाएगा हेहेहेहे...”
मैं- “फन्नी... इसमें हँसने की भला क्या बात है?” और निदा के पास से हटकर बाजी के पास ही बेड पे जा बैठा..."
निदा- अच्छा तो भाई आप ने क्या जवाब दिया अम्मी को?
मैं- यार अब भला मैं क्या बोलता अम्मी को? मैंने कह दिया है कि जब आप चाहो हम वापिस चल देंगे।
निदा रोनी शकल बनाकर बोली- “भाई अभी यहाँ दिन ही कितने हुये हैं आए हुये, और अभी से वापसी? नहीं भाई प्लीज़... आप अम्मी को समझाओ ना कि कुछ दिन और रुकने के लिए यहाँ...”
फरी- क्या निदा, तुम भी बच्चों की तरह रोने लग जाती हो? मजाक कर रहा है ये कमीना तुमसे, और तुमने रोना शुरू कर दिया है। ये पहले ही अम्मी को बोल आया होगा कि अभी कुछ दिन रुकना है।
निदा बाजी की बात सुनकर खुश हो गई और बोली- “तो ठीक है लोव बर्डस, इस खुशी में मैं अब तुम लोगों के सिर पे सवार नहीं रहती और थोड़ा टाइम तुम्हें दे रही हूँ अकेले एंजाय करो...” और हेहेहेहे करती हुई रूम से निकल भागी।
निदा को रूम से जाते हुये मैं पीछे से उसको घूरता रहा। क्या प्यारी लग रही थी उसकी गाण्ड टाइट जीन्स में कसी हुई और चलने से ऐसे लग रहा था कि दिल ही निकालकर ले जाएगी। मुझे इस तरह अपनी छोटी बहन को पीछे से घूरता पाकर बाजी हल्का सा खाँसी, तो मैंने बाजी की तरफ देखा।
बाजी मुश्कुरा रही थी और बोली- लगता है अब निदा की खैर नहीं है।
मैं- बाजी सच पूछो तो बड़ा दिल करता है, लेकिन मैं कोई भी काम उसकी मर्जी के बिना नहीं करूंगा।
बाजी- अच्छा अब क्या प्रोग्राम है?
मैं- यार प्रोग्राम तो आपने बताना है जब बोलोगी।
बाजी- अरे भाई आज तो हिम्मत ही नहीं है मुझमें। तुम आज की रात अम्मी को अपने साथ ले जाओ सफदर अंकल की तरफ।
मैं- “क्यों जी, क्या तुम ये चाहती हो कि जिस तरह तुम्हें दर्द उठाना पड़ा है, अम्मी की भी ये हालत हो? तो ये बात अपने दिमाग से निकल दो, क्योंकी अम्मी तो इसमें ज्यादा एंजाय करेंगी..."
बाजी हैरानी से बोली- “वो किस तरह? क्या अम्मी एक साथ दो लण्ड अपने अंदर ले सकती हैं? क्या अम्मी ने खुद बताया तुम्हें?”
मैं- “नहीं, बताया तो नहीं। लेकिन मुझे अंदाजा है कि अम्मी एक साथ दो का मजा ले चुकी हैं और वो भी कई बार..” अभी हम ये बातें ही कर रहे थे के मुझे बाथरूम में पानी गिरने की आवाज सुनाई दी तो मैंने बाजी की। तरफ देखा।
तो बाजी मुश्कुरा दी और बोली- “मेरा खयाल है कि अगर तुम निदा को बिना कपड़ों के देखना चाहते हो तो ये अच्छा मोका है, क्योंकी इस तरफ का दरवाजा खुला है...”
मैंने बाजी की तरफ देखा जो कि मुझे ही देख रही थी और हल्का-हल्का मुश्कुरा रही थी, तो मैंने धीरे से कहा
कहीं नाराज ही ना हो जाए?”
बाजी ने कहा- “यार तुम बोल देना कि पता नहीं था कि कोई बाथरूम में है भी या नहीं?”
मैं उठा और बाथरूम की तरफ चल दिया, जहाँ से अब पानी गिरने की आवाज भी सुनाई नहीं दे रही थी। मैं बाथरूम के दरवाजे के बाहर खड़ा हो गया जाकर और एक बार बाजी की तरफ देखा जो कि अभी भी मेरी तरफ ही देख रही थी।
बाजी ने मुझे इशारे से हौसला दिया तो मैंने एक झटके से बाथरूम का दरवाजा खोला तो देखा की मेरी छोटी बहन निदा बाथरूम में नंगी खड़ी अपना जिम मल रही थी।
जैसे ही दरवाजा खुलने की आवाज सुनी निदा ने और बाथरूम में मुझे खड़ा देखा, तो सीधी खड़ी हो गई और अपने हाथ अपने पीछे करके दीवार से लग गई और बोली- “भाई यहाँ मैं नहा रही हूँ आपको दरवाजा नाक करके
आना चाहिए था..."
मैंने एक बार सिर से पाओं तक निदा को बड़े प्यार से देखा और बोला- “सारी यार, मुझे पता नहीं था कि तुम नहा रही हो...” और इतना बोलकर मैंने दरवाजे को बंद कर दिया और बाजी के पास वापिस आ गया।
बाजी मेरी तरफ देखकर मुश्कुराए जा रही थी, तो मैंने कहा- “क्या हुआ इतना खुश क्यों हो रही हो?”
बाजी ने कहा- “तुम्हें देखकर लग रहा है कि अगर तुम्हारा बस चल जाए तो तुम बेचारी निदा को अभी चीर के रख दो...”
मैं- यार क्यों मजाक उड़ा रही हो? अब ऐसा भी कुछ नहीं है।
बाजी- अच्छा जी, तो फिर जरा बताओ तो कैसा कुछ है?
मैं- बाजी की बातों से झुंझला सा गया और बोला- “बाजी आप क्यों इतना तंग कर रही हो? सीधी तरह बोलो ना के इस वक़्त मैं चला जाऊँ यहाँ से..”
बाजी- यार मैंने ऐसा तो कुछ नहीं कहा है, जिससे तुम इतना गुस्सा कर रहे हो? मैं तो बस ये पूछ रही थी कि क्या इरादा है?
मैं बाजी के पास से उठा और रूम से बाहर निकला और अम्मी के रूम की तरफ चल दिया। लेकिन फिर पता नहीं क्या दिल में आई कि बाहर निकला और रात 8:00 बजे तक यूं ही आवारा फिरता रहा। खाना भी मैंने बाहर से ही खा लिया और 8:00 बजे घर वापिस आया तो देखा कि अम्मी बाजी और निदा के साथ-साथ सफदर अंकल भी घर पे ही थे, और काफी परेशान लग रहे थे।
मुझे घर में इन होता देखकर अम्मी झट से बोली- “कहाँ चले गये थे तुम? पता है कब से तुम्हें ढूँढ़ रहे थे और ऊपर से अपना मोबाइल भी साथ लेकर नहीं गये थे तुम अपने?”
अम्मी की बात सुनकर मुझे शर्मिंदगी हुई और अपनी बेवकूफी का एहसास भी हुआ तो मैं- “सारी अम्मी, बस गलती से रह गया था घर पे, याद ही नहीं रहा मोबाइल साथ ले जाना.." और अपने रूम की तरफ चल दिया।
अभी मैं 3-4 कदम ही चला था कि बाजी की आवाज सुनाई दी, जो खाने को पूछ रही थी।
मैंने कहा- “नहीं, मुझे नहीं खाना। मैं खाकर आया हूँ..." और टपक से अपने रूम में जा घुसा।
मैं रूम में आकर सीधा अपना लूज पाजामा निकालकर बाथरूम में जा घुसा और ड्रेस चेंज करके रूम में आया।
और आराम के लिए लेट गया और सोचने लगा कि मुझे जाने अंजाने में भी ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए थी जिससे कि किसी का भी दिल दुखे। ये सोच आते ही मैं उठने लगा कि चलकर बाहर सबके साथ सो जाता हूँ।
तभी बाजी और निदा रूम में आ गईं। बाजी आते ही मुझे देखकर बोली- “भाई आप आज अम्मी के रूम में सो जाओ, क्योंकी सफदर अंकल भी आज यहाँ ही रुक गये हैं, तो निदा यहाँ मेरे साथ सो जाएगी...”
मैं हाँ में सिर हिलाया और रूम से बाहर निकल आया और अम्मी के रूम में जा घुसा, जहाँ अम्मी और सफदर अंकल बेड पे बैठे बातें कर रहे थे।
मुझे रूम में इन होता देखकर सफदर अंकल ने कहा- “क्या बात है सन्नी बेटा, किसी ने कुछ कहा था तुमसे जो ऐसे नाराज होकर घर से निकल गये थे?”
मैं हँस दिया और बोला- “आपसे किसने बोल दिया अंकल कि मैं किसी से नाराज होकर गया था कहीं? बस जरा दिल चाह रहा था घूमने को तो निकल गया। बस मोबाइल घर भूल गया था जाते हुये.
मेरी बात सुनकर अम्मी ने जरा गुस्से से मुझे देखा और बोली- “तुम्हें कुछ पता भी है कि यहाँ हमारा क्या हाल हो रहा था तुम्हारी इस हरकत से? कुछ शर्म होनी चाहिए खुद को ही...”
मैं आगे बढ़ा और अम्मी के पैरों में बैठकर अपना सिर उनकी गोदी में रख दिया और बोला- “सोरी अम्मी, मैंने जान के ऐसा कुछ नहीं किया था। बस अंजाने में हो गया। आइन्दा से खयाल रखूगा कि ऐसा कुछ ना हो...”
अम्मी ने मुझे नीचे से उठाकर अपने साथ बिठा लिया और अपनी तरफ झुकाकर मेरा माथा चूम लिया और बोली- “सन्नी एक तुम ही तो हम माँ बेटियों का सहारा हो, मत तंग किया करो ऐसे...”
अम्मी की आँखों में आँसू आ चुके थे जिन्हें मैंने साफ किया और अम्मी को अपने साथ लिपटा के फिर से माफी माँगी और उसके बाद अंकल और मैं अम्मी को हँसाने में लग गये। इस तरह हम रात 10:00 बजे तक हँसी मजाक करते रहे, और 10:00 बजे अंकल ने अम्मी से कहा- “जाओ देखकर आओ जरा, दोनों सो गई हैं क्या?
अम्मी धीरे से उठी और बाथरूम की तरफ से मेरी बहनों के रूम में झाँकने चली गई।
मैंने अंकल से कहा- अंकल एक बात तो बताओ?
अंकल ने मेरी तरफ देखकर कहा- हाँ पूछो क्या बात है?
मैंने कहा- अंकल क्या अम्मी ने कभी एक साथ दो का मजा लिया है?
तो अंकल हँस दिए और बोले- “सन्नी तुम्हारी अम्मी तीन का एक साथ मजा ले चुकी है और वो भी कई बार। घबराओ नहीं फरी की तरह रोएगी नहीं सलमा बेगम...”
अभी हम ये बातें ही कर रहे थे के अम्मी बाथरूम का दरवाजा अपनी तरफ से लाक करके हमारे पास आकर बैठ गई। अंकल ने अम्मी को सीधा बेड पे लिटा दिया और बोले- “चलो जान-ए-मन आज पुरानी याद ताजा हो। जाए..."
तब अम्मी अंकल की बात सुनकर मुश्कुरा दी बोली कुछ नहीं।
अम्मी को मिटाने के बाद अंकल ने अम्मी की सलवार में हाथ डाला और एक झटके के साथ मेरी माँ की सलवार उतारकर एक तरफ फेंक दी और फिर अम्मी की टाँगों को मोड़ दिया जिससे अम्मी का निचला नंगा जिश्म नजर आने लगा। अम्मी की इस तरह टांगें मोड़ लेने से अम्मी की फुद्दी साफ मेरी आँखों के सामने आ गई थी, जो कि उनकी नरम और सफेद रानों में से बड़े प्यारी सी लग रही थी। जिसे मैं बड़े प्यार भरी निगाहों से देख रहा था।
तभी सफदर अंकल ने एक बार फिर से अम्मी का हाथ पकड़कर उठाया और अम्मी की कमीज को पकड़कर ऊपर को खींचने लगे, जिसमें अम्मी भी अपने हाथ ऊपर करके उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर अंकल ने अम्मी की कमीज को निकालकर एक तरफ फेंक दिया और उसके बाद ब्रा का हुक खोलकर अम्मी को नंगा कर दिया।
अम्मी के नंगा होते ही अंकल ने मेरी तरफ देखा और बोले- “क्या बात है सन्नी बेटा, ऐसे क्यों बैठे हुये हो? चलो जल्दी से कपड़े निकालो कहीं हमारी सलमा जान नाराज ही ना हो जाएं?”
सफदर अंकल की बात सुनकर मैं हल्का सा हँस दिया और बोला- “अरे नहीं अंकल, ऐसा कुछ नहीं होगा। आप परेशान ना हों, हमारी सलमा रानी बहुत बड़ी रंडी है, इसकी चुदाई सही से होनी चाहिए बस फिर ये नाराज नहीं होगी कभी भी हमसे..” और इतना बोलते हुये मैं उठ खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतारने लगा।
अंकल भी खड़े हो गये और कपड़े उतारकर नंगे हो गये। मैं कपड़े उतारते ही अपनी अम्मी के पैरों में आ गया और उनकी रानों को पूरी तरह फैला दिया और सफदर अंकल की तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराया और फिर झुक के अपनी अम्मी की फुद्दी पे अपनी जुबान रखकर चलाने लगा। जैसे ही मेरी जुबान की नोक ने अम्मी की फुद्दी को छुवा अम्मी के मुँह से ‘आअहह... सन्नी उन्म्मह... की आवाज निकली और साथ ही मेरे सिर के बमैंलों में अपनी उंगली घुमाने लगी।
जैसे-जैसे मैं अपनी जुबान को अपनी अम्मी की फुद्दी के लबों में ऊपर से नीचे की तरफ घुमाता जा रहा था। वैसे-वैसे अम्मी के मुँह से भी सिसकियां निकलने की रफ़्तार और उनका हाथ मेरे सिर पे तेज होता जा रहा था, और वो अपने हाथ से मुझे अपनी फुद्दी पे दबाते हुये- “आअह्ह... सन्नी मेरे बच्चे अपनी जुबान मेरी फुद्दी में घुसाकर चाटो ऊऊहह सन्नी खा जाओ अपनी अम्मी की फुद्दी को उफफ्फ़... सन्नी आआहह... मादरचोद कुत्ते और घुसाकर चाट मेरे हरामी ब्चचे..” की आवाज भी करती जा रही थी।
कुछ देर तक मैं बड़ी दिल जमी से अपनी अम्मी की फुद्दी चाटता रहा और फिर जरा सांस लेने के लिए सिर उठाकर अम्मी की तरफ देखा तो वहाँ मुझे सफदर अंकल अम्मी की चूचियों को अपने हाथों से मसलते और मुँह में भरकर उनका रस चूसते हुये नजर आए।
मेरे उठने का एहसास सफदर अंकल को भी हो गया था और वो अम्मी की चूचियों को छोड़कर उठे और मेरी तरफ देखकर मुश्कुराते हुये अम्मी से बोले- “चलो सलमा, जरा तुम भी मेरे लण्ड को थोड़ी प्यार की सलामी दे। ही डालो...” और इतना बोलते हुये सफदर अंकल उठकर अम्मी की चूचियों से थोड़ा आगे गर्दन के पास अम्मी के दोनों तरफ अपनी टाँगों को करके अपना लण्ड अम्मी के मुँह के पास ले गये, जिसे अम्मी ने बिना शर्माये हुये अपना मुँह खोलकर चाटना शुरू कर दिया।
मैं कुछ देर तक ऐसे ही बैठा रहा और फिर अम्मी के चेहरे की तरफ अपनी टांगें करके लेट गया और अम्मी की लण्ड चुसाई देखने लगा। सफदर अंकल ने कोई दो-तीन मिनट तक ही मेरी अम्मी से लण्ड चुसवाया होगा कि अम्मी ने अंकल को अपने ऊपर से हटा दिया और उठकर बैठ गई और फिर हम दोनों की तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराई और सफदर अंकल को अपनी जगह पे लिटा दिया और खुद उठकर उनके लण्ड के ऊपर आकर उनका लण्ड पकड़ा और गर्दन मोड़कर मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराती हुई अपनी फुद्दी पे अंकल के लण्ड को सेट करके आराम से बैठ गई।
अम्मी बड़े आराम-आराम से सफदर अंकल का लण्ड अपनी फुद्दी में ले रही थी और मैं पीछे से ये मंजर बड़े मजे से देख रहा था। जैसे-जैसे अंकल का लण्ड मेरे सामने मेरी अम्मी की फुद्दी में जा रहा था, वैसे-वैसे मेरा जोश बढ़ता जा रहा था, और फिर अम्मी अंकल का पूरा लण्ड अपनी फुद्दी में लेकर उनके ऊपर ही लेट गई तो अंकल ने अम्मी को अपनी बाहों में जकड़ लिया। इस मंजर ने मुझे बहुत गरम कर दिया था और मैं अपना । लण्ड हिलाने लगा।
थोड़ी देर तक अम्मी और सफदर अंकल ऐसे ही एक दूसरे से चिपके लेटे रहे फिर अम्मी थोड़ा ऊपर हुई और अपने पैरों पे बैठकर अंकल के कंधों पे पकड़कर ऊपर नीचे होने लगी। जैसे ही अम्मी ऊपर होती तो सफदर अंकल का लण्ड उनकी फुद्दी से बाहर निकलता और जैसे ही पूरा सुपाड़े तक बाहर आ जाता तो अम्मी एक तेज झटके से अपनी गाण्ड को नीचे की तरफ दबा देती, जिससे एक पुचाक्क की आवाज के साथ अम्मी की फुद्दी में अंकल का पूरा लण्ड जड़ तक समा जाता, और अम्मी के मुँह से 'सस्सीईई... आअहह... की आवाज निकल जाती।
सफदर अंकल ने भी अब अपने दोनों हाथों से मेरी अम्मी की गाण्ड को पकड़ लिया और अम्मी जैसे ही ऊपर होकर लण्ड की तरफ अपनी गाण्ड को दबाती नीचे से सफदर अंकल भी एक तेज झटका मारते, जिससे थप्प थप्प की आवाज के साथ अम्मी की 'आआअह्ह.. सफदर उन्म्मह... ऊऊह्ह...' की आवाज निकलने लगती।
अम्मी की सफदर अंकल के साथ जारी चुदाई और अम्मी के मुँह से निकलने वाली लज्जत भरी आवाजों ने मुझे दीवाना सा कर दिया, और मैंने उठकर अम्मी का हाथ पकड़ लिया और झटके से अपनी तरफ खींच लिया, तो अम्मी भी अंकल के लण्ड से उतरकर मेरी तरफ आ गई। मैंने अम्मी को अपने साथ लिपटा के एक भरपूर किस किया और फिर अम्मी को बेड से उतारकर उन्हें घुटनों के बल नीचे झुका दिया जिससे अम्मी का ऊपरी जिम बेड के ऊपर आ गया तो मैंने उनके पीछे आकर अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी पे सेट किया और एक तेज झटका लगाते हुये अपना पूरा लण्ड घुसा दिया।
लण्ड के घुसते ही मेरी अम्मी के मुँह से- “आअह्ह... सन्नी बेटा, और जोर से चोदो आज मुझे ऊऊहह... सन्नी आज से मैं तुम्हारी अम्मी नहीं रही बेटा, मैं तुम्हारी रखैल बन गई हँन् उउफफ्फ़... जालिम क्या लण्ड है तेरा? फाड़ दे आज अपनी माँ की फुद्दी को..." की आवाज करने लगी।
अंकल भी अपनी जगह से खिसक के अम्मी के सामने हो गये और घुटनों के बल खड़े होकर अपना लण्ड अम्मी के मुँह के सामने कर दिया, जिसे अम्मी ने बिना देर किये अपने हाथ में पकड़ लिया और चूसने लगी। कुछ देर मैं ऐसे ही तेज झटकों से अम्मी की फुद्दी मारता रहा और अम्मी सफदर अंकल का लण्ड किसी लोलीपोप की तरह पूरे मजे से चूसती रही। फिर मैंने अम्मी को एक झटके से पीछे हटाया और बेड से नीचे फेंक दिया, जिससे मेरा लण्ड भी अम्मी की फुद्दी से निकल गया।
लण्ड के निकलते ही अम्मी उठी और मुझे नीचे लिटा दिया और मेरे मुँह पे दोनों तरफ टांगें करके बैठ गई। अंकल ने अम्मी को वहीं आगे से झुकाकर कुतिया की तरह कर लिया, और पीछे से अम्मी की फुद्दी में अपना लण्ड घुसा दिया। अब मेरा सिर अम्मी के नीचे उनकी फुद्दी के बिल्कुल नीचे था और मैं नीचे से अपनी जुबान अपनी माँ की फुद्दी पे चलाने की कोशिश कर रहा था और ऊपर से सफदर अंकल का लण्ड अम्मी की फुद्दी में अंदर-बाहर हो रहा था।
अम्मी आगे को झुक के मेरे लण्ड को हिला रही थी ओर साथ ही- “आआहह... सन्नी देख बेटा अपनी कुतिया माँ को देख... उनम्म्मह... सफदर और तेज चोदो आज मुझे मेरे बेटे के साथ मिलकर उन्म्मह ऊऊओह... जानू आअह्ह...” की आवाज करती जा रही थी।
अम्मी का पूरा जिश्म उस वक़्त हल्का सा काँपने लगा था, जिससे मुझे ये समझने में जरा भी देर नहीं लगी कि अम्मी की फुद्दी अब किसी भी वक़्त पानी छोड़ने वाली है, और अम्मी अंकल के हर झटके पे- “आअह्ह... सफदर और तेज करो मेरीईई जान... मेरा होने वाला है ऊऊहह फाड़ डालो मेरी फुद्दी को... कुतिया बना डालो मुझे उनम्म्म ह... ऊऊओ... आऐईयईई... सफदर...” की एक तेज आवाज के साथ ही अम्मी का जिम एक बार जरा मचला और फिर ढीला पड़ गया।
अम्मी निढाल सी होकर मेरे ऊपर गिर सी गई कि तभी बूंद-बूंद मेरी अम्मी की फुद्दी से बहता पानी उनकी रानों पे बहने लगा, जिसे मैंने चाट के साफ कर दिया और नीचे से निकल गया।
अम्मी के नीचे से निकलते ही मैंने अम्मी को अपनी तरफ खींचा और सीधा लिटा दिया और अपना लण्ड घुसाकर अपनी अम्मी की चुदाई करने लगा। तब सफदर अंकल ने अपना लण्ड अम्मी के मुँह में घुसा दिया और बड़ी बेदर्दी से अपना लण्ड अम्मी के मुँह में अंदर-बाहर करने लगे।
उस वक़्त अम्मी की हालत बड़ी काबिल-ए-रहम लग रही थी क्योंकी एक तरफ तो मैं उनकी ताबड़तोड़ फुद्दी मार रहा था और दूसरी तरफ सफदर अंकल उनके मुँह में अपना लण्ड घुसाकर चुसवा रहे थे। जिससे अम्मी के मुँह से पूँ-घून गलप्प्प-गलप्प्प की आवाज निकल रही थी, जो मुझे भी चरम की तरफ ले जा रही थी।
लेकिन मेरे पानी छोड़ने से पहले ही सफदर अंकल के मुँह से सिसकियों की आवाज निकलने लगी जो किऊऊहह सलमा सालीईई चुस्स ले आअहह... मेरा निकलने वाला है ऊऊओह...” की आवाज निकली। और फिर सफदर अंकल के जिश्म को हल्का झटका सा लगा और उनका सारा पानी अम्मी के मुँह के अंदर और बाहर भर गया, जिसे अम्मी बड़े प्यार से अपनी जुबान निकालकर अंकल के लण्ड को चाट के साफ करने लगी
।
ये मंजर देखकर मेरी अपनी बर्दाश्त भी खतम हो गई और में भी 6-7 तेज झटकों के साथ ही- “ऊओहह... अम्मी मैं आया...” की आवाज के साथ अम्मी की फुद्दी में फारिघ् हो गया, और उनके ऊपर ही निढाल सा होकर गिर गया।
फारिघ्र होने के बाद कुछ देर तक तो मैं अम्मी के ऊपर ही लेटा रहा। फिर उठकर अम्मी की साइड पे होकर लेट गया, तो अम्मी साइड से एक कपड़ा उठाकर अपनी फुद्दी को साफ करके उठी और अपने कपड़े लेकर बाथरूम की तरफ चल दी।
अंकल ने कहा- “क्या हुआ सलमा बेगम, कहाँ चल दी?”
तो अम्मी ने कहा- “बाथरूम जा रही हूँ जरा साफ सफाई भी तो करनी है ना?”
अम्मी की बात सुनकर अंकल ने कहा- “क्यों यार क्या और इरादा नहीं है तुम्हारा?”
अम्मी ने कहा- “नहीं जनाब अब जो भी करना है कल दिन में करेंगे, वो भी तुम्हारे मकान पे यहाँ नहीं.."
अंकल- यार सलमा, क्यों मजा खराब कर रही हो? तुम्हें पता है ना मुझे कितनी उलझन होती है इस तरह?
अम्मी- जी पता है, लेकिन आप शायद भूल रहे हैं कि साथ वाले रूम में फरी और निदा भी सो रही हैं
अम्मी की बात सुनकर अंकल ने कहा- “क्यों यार क्या और इरादा नहीं है तुम्हारा?”
अम्मी ने कहा- “नहीं जनाब अब जो भी करना है कल दिन में करेंगे, वो भी तुम्हारे मकान पे यहाँ नहीं.."
अंकल- यार सलमा, क्यों मजा खराब कर रही हो? तुम्हें पता है ना मुझे कितनी उलझन होती है इस तरह?
अम्मी- जी पता है, लेकिन आप शायद भूल रहे हैं कि साथ वाले रूम में फरी और निदा भी सो रही हैं।
अंकल- तो क्या हुआ यार? उनको क्या पता यहाँ क्या चल रहा है? और फिर सन्नी भी तो है ना यहाँ और फरी भी सब जानती है तो क्यों हम बेचारों को सूली पे लटका रही हो तुम?
अम्मी- देखो सफदर, माना कि फरी को सब पता है। लेकिन निदा तो अभी बच्ची है, वो ये सब नहीं जानती और मैं नहीं चाहूंगी कि उसे कुछ पता चले। समझे आप? इसलिए अब जो करना होगा तुम दोनों कल कर लेना।
मैं अंकल का हाथ दबाते हुये अम्मी से बोला- “ठीक है अम्मी कोई बात नहीं, आप जाओ और चेंज करो बाकी कल देखा जाएगा...”
अम्मी के जाने के बाद मैंने अंकल से कहा- “क्या आप मेरी अम्मी से शादी करोगे?”
तो अंकल ने हैरानी से कहा- “क्या मतलब है तुम्हारा? जरा खुल के बताओ?”
मैंने अंकल को अपना सारा प्लान बता दिया जो कि मैं दिन भर सोचता रहा था।
तो अंकल मेरा प्लान सुनकर बोले- “यार हो तो तुम भी पक्के हरामी, लेकिन तुम्हारी अम्मी किस तरह मानेगी शादी के लिए...”
मैंने कहा- “अंकल ये आप का सिरदर्द है। लेकिन अगर मेरी जरूरत पड़ी तो मैं और बाजी फरी भी आप का पूरा साथ दें...”
तब अंकल ने हाँ में सिर हिला दिया और सोच में गुम हो गये। तभी अम्मी भी बाथरूम में से आ गई और आते ही बेड पे सोने को लेट गई।
मैं और सफदर अंकल अम्मी के दोनों तरफ नंगे ही लेटे अपनी-अपनी सोचों में गुम थे कि पता ही नहीं चला कि कब नींद आई और मैं सो गया। मेरी आँख खुली तो अम्मी मुझे जगा रही थी।
मैं झट से उठा और अम्मी की तरफ देखकर बोला- “जी अम्मी क्या बात है?”
अम्मी ने कहा- “7:00 बज चुके हैं और निदा नहाकर किचेन में चली गई है। कहीं वो यहाँ इस रूम में हमें उठाने ना आ जाए, इसलिए जल्दी से उठो और कपड़े पहनो नहाकर। कब तक नंगे ही पड़े रहोगे?”
मैं झट से उठा और देखा तो अंकल कहीं नजर नहीं आए। तो अम्मी ने कहा सफदर चला गया है अपने मकान पे। तुम नहा लो।
अब तो मैं झट से कपड़े लेकर बाथरूम में चला गया और नहाकर फरी बाजी वाले रूम में घुस गया जहाँ बाजी अपने ऊपर कम्बल लिए सो रही थी। मैं आगे बढ़ा और बाजी के ऊपर से हल्का सा कम्बल पकड़कर नीचे को। सरकाया तो बाजी की आँख खुल गई। लेकिन मेरी ये देखकर आँखें खुली की खुली रह गईं कि बाजी की चूचियां बिल्कुल नंगी थीं। बाजी ने मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा के अपनी आँखें बंद कर ली।
कुछ देर तक मैं ऐसे ही खड़ा रहा और बाजी को देखता रहा और फिर एक झटके से बाजी का कम्बल उतार दिया तो मुझे भी झटका लगा, क्योंकी बाजी कम्बल के नीचे बिल्कुल नंगी नजर आ रही थी। मैंने एक हाथ से बाजी की रानों को जरा सा खोला तो बाजी बुरी तरह शर्मा गई और अपना चेहरा मेरी तरफ से घुमा लिया और अपना एक हाथ चेहरे पे रखकर मुझसे मुँह छुपाने लगी।
अभी मैं बाजी को इस हाल में देख ही रहा था और अपने खड़े हो जाने वाले लण्ड को सहला ही रहा था कि रूम का दरवाजा खुला और अम्मी रूम में आ गई और बाजी को इस हाल में देखकर और मुझे बाजी के पास खड़े। अपना लण्ड सहलाता देखकर अम्मी को थोड़ा गुस्सा सा आ गया और वो जरा गुस्से से बोली- “कुछ शर्म लिहाज भी है तुम लोगों को या नहीं?"
दरवाजा खुलने और अम्मी को इस तरह अंदर आते देखकर बाजी ने एक झटके से कम्बल को फिर से अपने ऊपर खींच लिया सिर से ऊपर तक।
तब अम्मी बोली- “चलो अब ये ड्रामा बंद करो शर्माने का, और जल्दी से नहाकर कपड़े पहन लो...” अम्मी इतना बोलकर रूम से निकल गई।
बाजी ने सिर से कम्बल हटाकर देखा और फिर उठते हये बोली- “भाई देख तो लेते कि दरवाजा भी बंद है या नहीं?” और बाथरूम की तरफ चल दी।
मैं भी अपनी बहन की फुदी में अपनी जुबान घुसाकर चाटना शुरू कर दिया जिससे बाजी के मुँह से आऐईयईई ऊऊओह... मेरे भाई खा जाओ अपनी कुतिया बहन की फुद्दी को आह्ह..” की आवाज करने लगी।
तभी अंकल भी नंगे होकर बेड पे आ गये और मेरी बहन के चेहरे के पास जा बैठे और फरी बाजी के होंठों पे अपना लण्ड घुमाने लगे, तो मेरी बहन ने भी झट से अपना मुँह खोला और सफदर अंकल का लण्ड अपने मुँह में भरकर चूसने लगी।
अब एक तरफ मैं अपनी बहन की फुद्दी चाट रहा था और दूसरी तरफ सफदर अंकल मेरी बहन के मुँह में अपना लण्ड घुसाए चुसवा रहे थे। कुछ देर तक ऐसे ही चलता रहा कि अंकल ने अचानक अपना लण्ड मेरी बहन के मुँह में से निकाला और मेरी तरफ आकर बोले- “चलो भाई सन्नी, अब हमारे लण्ड की बारी है तुम्हारी इस गश्ती बहन की फुद्दी में जाने की..."
सफदर अंकल की बात सुनकर में साइड पे हो गया तो सफदर अंकल फरी बाजी की टाँगों में आ गये। मैंने झट से अंकल का लण्ड पकड़ा और अपनी बहन की फुद्दी पे रखकर हल्का सा रगड़ा और फिर बाजी की फुद्दी पे सेट करके हाथ हटा लिया।
सफदर अंकल ने हँसते हुये कहा- “यार तू सच में मुझसे भी बड़ा हरामी है...” और साथ ही पूरी जान से अपने लण्ड को मेरी बड़ी बहन की फुद्दी में घुसा दिया।
लण्ड घुसते ही बाजी की आँखें बंद हो गईं और उनके मुँह से- “आअहह... अंकल मुझे अपनी रंडी बनाकर चोदो ऊओह... मेरी जान्न् पूरा घुसा डालो मेरे अंदर प्लीज़... अंकल जरा भी रहम नहीं करना मुझ पे आअह्ह... फाड़ डालो आज मेरी फुद्दी को उम्म्मह...” की आवाज करने लगी।
बाजी के मुँह से निकलने वाली आवाजें सुनकर अंकल भी जोश में आ गये और अपना लण्ड पूरा बाहर निकाल कर अपने पूरे जिश्म की ताकत से बाजी की फुद्दी में अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगे और साथ ही- “हाँन् । साली कुतिया, आज मैं तेरी फुद्दी को फाड़ डालूंगा... साली तेरी माँ भी इतनी ही बड़ी गश्ती है ऊऊह्ह... सन्नी मैं तेरी बहन को कुतिया बना डालूंगा साली को आआहह... ऊऊहह...” की आवाज के साथ चुदाई करने लगे।
अंकल के इन झटकों ने मेरी बहन को भी पागल बना दिया था और वो भी नीचे से अपनी गाण्ड अंकल के हर झटके के साथ उछालकर उनका साथ देती और साथ ही उसके मुँह से गालियों का तूफान उमड़ रहा था और वो आआहह... हरामी फाड़ डाल मेरी फुद्दी को हरामजादे, कंजरम मुझे भी कंजरी बनाकर चोद ऊऊहह बेटीचोद भड़वे मुझे भी मेरी माँ की तरह ठंडा कर हाँन्... और तेज और तेज करो..” की तेज आवाज के साथ अंकल से चिपकी जा रही थी।
कुछ देर की चुदाई के बाद फरी के जिश्म ने एक जोर का झटका लिया और वो बड़ी निढाल सी हो गई तो अंकल ने भी अपना लण्ड मेरी बहन की फुद्दी से निकाल लिया और खुद बेड पे लेट गये और फरी को अपने । लण्ड पे बिठा लिया। फिर मेरी तरफ देखकर बोले- “चल मेरे शेर, आ जा तू भी अपनी बहन की गाण्ड में घुसा दे अपना ये लण्ड..."
अंकल की बात सुनकर फरी तड़प उठी और बोली- “नहीं प्लीज़... ये नहीं करना...”
अंकल ने कहा- “मेरी जान रंडी बनने चली हो और गाण्ड मरवाने से डरती हो?”
बाजी ने कहा- “नहीं अंकल, ये मैंने कभी किया नहीं है...”
अंकल ने कहा- “चलो कोई बात नहीं, आज कर लो। बस हल्का सा दर्द होगा और फिर मजा ही मजा है...”
और मेरी तरफ देखकर बोले- “चलो सन्नी वो सामने से तेल ले आओ, और बड़े आराम से करना...”
मैं झट से उठा और साइड टेबल से तेल ले आया और अपनी बहन के पीछे आकर बाजी को अंकल के ऊपर लिटा दिया और बाजी की गाण्ड पे अच्छी तरह तेल लगाकर और अपना लण्ड भी तेल से भरकर बाजी की गाण्ड पे अपना लण्ड सेट किया, तब अंकल बाजी को अच्छी तरह हग कर लिया और मुझे इशारा किया कि एक ही झटके से घुसा दो, और खुद बाजी को किस करने लगे।
अब मैंने ज्यादा देर ना करते हुये अपने हाथों से बाजी की गाण्ड को पकड़कर अपना लण्ड सेट किया और तेज झटका मारा, जिससे मेरा आधा लण्ड अपनी बड़ी बहन की गाण्ड में जा घुसा। झटका लगते ही बाजी का जिस्म जोर से हिला। लेकिन अंकल ने पकड़े रखा और बाजी को हिलने नहीं दिया। बाजी के होंठ जो कि अंकल के हाथों से बंद थे जिससे कुछ ज्यादा आवाज भी नहीं निकली। बस ‘गॅन्-गॅन्-हँन्’ की आवाज ही निकल रही थी।
मैंने अपना लण्ड हल्का सा निकालकर फिर से पूरी जान का झटका लगाया तो मेरा पूरा लण्ड अपनी बड़ी बहन की गाण्ड में जड़ तक जा घुसा, जिससे बाजी का जिम बड़े जोर से तड़पा। लेकिन अंकल पहले ही से तैयार थे उन्होंने बाजी को जरा भी ना हिलने दिया। मैं भी अपने लण्ड को ऐसे ही बाजी की गरम गाण्ड में घुसाए उनके ऊपर लेट गया और पीछे से उनकी गर्दन पे अपनी जुबान घुमाने लगा, और बाजी की चूचियों के निपलों को भी साइड से निकालकर मसलने लगा।
अंकल ने थोड़ी ही देर में बाजी के होंठों को आजाद छोड़ दिया तो उनकी रोती हुई आवाज निकली- “प्लीज़... सन्नी मेरे भाई बाहर निकालोओ ऊऊहह... मेरी माँ.. मैं मर गई सन्नी प्लीज़... बाहर निकालो मेरी गाण्ड फट गई है, बहुत दर्द हो रहा है...”
मैं बाजी की बात समझ रहा था कि बाजी को सच में कितनी दर्द हो रही होगी, क्योंकी एक तो बाजी का फर्स्ट टाइम था गाण्ड में और ऊपर से बाजी की फुद्दी में भी अंकल का लण्ड घुसा हुआ था। मैं बाजी के ऊपर ऐसे ही खामोशी से लेटा रहा और गर्दन पे जुबान घुमाता रहा और चूचियों को मसलता रहा, तो 3 मिनट बाद बाजी का रोना और मिन्नतें करना बंद हो गया। तब मैंने भी अपने लण्ड को धीरे से पीछे खींचा और फिर से पुश किया।
तब बाजी के मुँह से- “आअह्ह... मादरचोद हरामी क्या करता है? दर्द हो रहा है आग लगी हुई है मेरी गाण्ड में...”
बाजी की गाण्ड बहुत ज्यादा टाइट और गरम थी, जिसकी वजह से मुझे इतना मजा आ रहा था कि बस बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं कुछ देर तक बाजी को आराम-आराम से गाण्ड में चोदता रहा, तो बाजी की गलियां भी धीरेधीरे थम गईं।
तब नीचे से अंकल ने भी अपना लण्ड हिलाना शुरू कर दिया, जिससे मुझे इतना ज्यादा मजा आना शुरू हो गया कि बयान से बाहर था। क्योंकी एक तो बाजी की गाण्ड टाइट थी, ऊपर से बाजी की फुद्दी में भी जब अंकल का लण्ड मूव करता तो दुहरा मजा आता, क्योंकी हमारे लण्ड ऐसा लगता था कि आपस में रगड़ खा रहे हों।
हमारी इस हरकत से बाजी रोने लगी और साथ ही बोली- “भाईई प्लीज़... बाहर निकल लो बहुत दर्द हो रहा है। साथ में जलन भी हो रही है... अंकल प्लीज़... भाई को मना करोऽs आआह्ह... अम्मी जीई बचा लोओ ऊऊह्ह... भाई मैं मर जाऊँगी हाईई भाईई मत करो प्लीज़.. आआईईई हरामियों मैं मर जाऊँगी...” की आवाज करने लगी और रोने लगी।
लेकिन बाजी के इस तरह रोने और गिड़गिड़ाने से मुझे और भी मजा आ रहा था। लगभग इस तरह मैंने और अंकल ने मेरी बहन को कोई 15 मिनट तक चोदा होगा कि अंकल के लण्ड ने पानी निकाल दिया जिससे अंकल
का लण्ड नरम होकर बाहर निकल गया।
तब मेरा लण्ड जरा आसानी और आराम से फरी बाजी की गाण्ड में अंदर-बाहर होने लगा, तो बाजी के मुँह से भी- “आआईयईई सन्नी प्लीज़्ज़.. अब फुद्दी में डाल लो, बहुत जलन हो रही है ऊऊहह... मेरा भाई प्लीज़... अब बस करो...”
और इसके साथ ही जैसे ही मेरा लण्ड फरी की गाण्ड में घुसता, फरी अपनी गाण्ड को थोड़ा टाइट कर लेती और ज्यों ही बाहर को खींचता तो ढीली कर देती। जिससे मैं पागल हो गया और तेज झटके मारने लगा। फरी फिर से रोने लगी, लेकिन अब मैं कुछ नहीं सुन रहा था बस लगातार दो-तीन मिनट तक झटका मारने के बाद बाजी की ही गाण्ड में फारिघ हो गया, और फिर अपना लण्ड निकालकर देखा तो बाजी की गाण्ड पे बाजी की पोटी और खून भी लगा हुआ था, जिसे मैंने कपड़े से साफ किया और साइड में लेट गया।
थोड़ी देर तक हम तीनों ऐसे ही पड़े रहे। फिर अंकल उठे और नंगे ही बाथरूम में जा घुसे। उनके जाते ही बाजी फरी ने मेरी तरफ गुस्सा भरी नजरों से देखा और बोली- “भाई ये क्या हो गया था तुम्हें? आज पागल तो नहीं हो गये थे तुम? अगर मुझे कुछ हो जाता तो?”
बाजी की बात खतम होते ही मैंने बाजी के होंठों को चूमा और बोला- “अरे नहीं बाजी मैं जानता हूँ कि आप मेरी बड़ी बहन हो और आपको इतनी जल्दी कुछ नहीं हो सकता, और बाकी आज का दिन गुजर जाने दें फिर बताना के इसमें मजा आया है या नहीं? क्योंकी अभी तो आपको दर्द होगा...”
मेरी बात ने बाजी को और भी गुस्सा दिला दिया, जिससे उनका चेहरा लाल हो गया और वो मुझे खा जाने वाली नजरों से घूरने लगी, लेकिन बोली कुछ नहीं। मैं भी खामोश पड़ा रहा और अंकल के बाथरूम से निकलने का इंतेजार करता रहा, और जैसे ही अंकल बाहर निकले मैंने बाजी से कहा- “आप पहले बाथरूम हो आओ...”
बाजी ने कहा- “कमीने इंसान, क्या तुम अब भी समझते हो कि में खुद से बाथरूम जा पाऊँगी?”
अंकल बाजी की बात सुनकर हँस दिए और बोले- “यार सन्नी, कुछ तो दिमाग से भी काम लिया करो। जो कुछ तुमने किया है अपनी इस बेचारी बहन के साथ, अब इसे सहारा देकर बाथरूम खुद ले जाओ इससे अकेले नहीं जाया जाएगा..."
अंकल की बात से मुझे एहसास हुआ कि मैंने सच में बाजी के साथ कुछ ज्यादा ही ज्यादती कर डाली है। ये सोच आते ही मैं उठा और फरी बाजी को सहारा देकर बेड से उतारा और अपने साथ बाथरूम की तरफ ले गया। लेकिन बाजी से ठीक तरह से चला भी नहीं जा रहा था। बाजी को मैं बड़ी मुश्किल से बाथरूम में ले गया, जहाँ बाजी को मैंने पेशाब करवाया, उसके बाद शावर के नीचे खड़ा कर दिया और खुद ही अच्छी तरह साबुन लगाकर बाजी का पूरा जिम साफ किया और उसके बाद खुद को भी साफ करके बाजी को रूम में वापिस ले आया।
हमारे रूम में वापिस आने तक अंकल ने बेडशीट चेंज कर डाली थी और खुद भी एक पाजामा पहन लिया था। मैंने बाजी को बेड पे बिठा दिया लेकिन उन्हें गाण्ड में काफी जलन हो रही थी, तो वो लेट गई। मैंने बाजी के कपड़े उठाकर उनके पास ले आया और बोला- “चलो बाजी कपड़े पहन लो...”
बाजी ने कहा- “नहीं भाई, अभी मुझमें इतनी हिम्मत नहीं है। अभी रहने दे बाद में पहन लँगी..." तो मैंने भी जिद नहीं की क्योंकी अब हमारे बीच बचा ही क्या था छुपाने लायक?
बाजी के कपड़े वहीं बेड पे रखकर मैंने अपनी पैंट उठाकर पहन ली और वहीं करीब एक चेयर पे बैठ गया। बाजी को कोई दो घंटे आराम के बाद थोड़ा आराम मिला, तो बाजी ने उठकर कपड़े पहन लिए और तैयार हो गई। मैं भी तैयार होकर अंकल से बोला- “ठीक है अंकल, अब हम चलते हैं..." और उनके घर से निकल आए। लेकिन बाजी से अब भी ठीक से नहीं चला जा रहा था।
हम दोनों जब घर पहुँचे तो देखा कि अम्मी और निदा आ चुकी हैं और बैठी टीवी देख रही हैं। अम्मी ने हमें घर में आते हुये बड़े ही गौर से देखा, लेकिन बोली कुछ नहीं। मैं फरी बाजी को जल्दी से उनके रूम में ले गया और बेड पे लिटा दिया।
तभी अम्मी भी हमारे पीछे ही रूम में आ गई और बोली- “सन्नी जरा मेरे रूम में आओ...” और इतना बोलते हुये अम्मी रूम से निकल गई।
अम्मी की इस बात से मैं थोड़ा परेशान हो गया था, क्योंकी अम्मी की आवाज में गुस्सा साफ महसोस हो रहा था। अम्मी के जाते ही मैंने बाजी की तरफ देखा तो बाजी ने मुझे आँख के इशारे से ही पुरसकून रहने की हिदायत की और जाने को कहा, तो मैं अम्मी के रूम की तरफ चल दिया।
मैं रूम में से निकला और अम्मी के रूम के बाहर खड़ा हो गया, क्योंकी अंदर से मुझे निदा की आवाज सुनाई दे रही थी, जिसपे मुझे थोड़ी परेशानी भी हुई कि आखिर ऐसी क्या बात है जो निदा की मौजूदगी में तो अम्मी कर सकती हैं, लेकिन फरी बाजी के सामने उनसे बात नहीं हो पा रही?
खैर में रूम में इन हुआ तो अम्मी ने मुझे देखकर निदा से कहा- “तुम अपनी बड़ी बहन के पास जाओ मैंने सन्नी से कुछ बात करना है...”
निदा खामोशी से उठी और रूम से निकल गई। तब अम्मी ने कहा- “दरवाजा बंद करके यहाँ आ जाओ...”
मैंने ऐसे ही किया और अम्मी के पास चला गया।
अम्मी उस वक़्त बेड के करीब ही खड़ी थीं और मैं भी उनके पास ही जाकर खड़ा हो गया, तो अम्मी कुछ देर तक मुझे घूरती रही तो मैंने भी बिना डरे अम्मी की आँखों में झाँकना शुरू कर दिया, जिससे अम्मी को गुस्सा
आ गया और अम्मी ने अचानक ही मुझे जोर का थप्पड़ जड़ दिया।
मुझे अम्मी की तरफ से कोई इस तरह के रिएक्सन की उम्मीद नहीं थी क्योंकी मुझे अभी पता भी नहीं था कि अम्मी आखिर किस बात पे गुस्सा हैं, और ऊपर से ये थप्पड़? मेरी तो गाण्ड ही फट गई थी कि तभी अम्मी। धीरे आवाज में गुर्राते हुये बोली- “सन्नी मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी...”
मैं हकलाते हुये बोला- “लेकिन हुआ क्या अम्मी? बात क्या है? आखिर मैंने ऐसा क्या कर दिया है?”
मैं हकलाते हुये बोला- “लेकिन हुआ क्या अम्मी? बात क्या है? आखिर मैंने ऐसा क्या कर दिया है?”
अम्मी- “अभी तुम सफदर के घर पे फरी को क्यों लेकर गये थे, बता सकते हो मुझे? तुम्हें शर्म नहीं आई? बहन है वो तुम्हारी और तुम उसी के साथ ये सब करते हो। कब से चल रहा है ये सब?”
अम्मी की बात सुनकर मैं समझ गया कि सफदर अंकल अम्मी को सब कुछ बता चुके हैं, और अभी अम्मी जो गुस्से में आग उगल रही हैं उसकी वजह ही ये है, तो मैं सोच में पड़ गया कि अब क्या करूं? किस तरह अम्मी का गुस्सा ठंडा करूं? तभी अंकल की एक बात मुझे याद आ गई और मैं अम्मी की तरफ देखकर बोला- “अम्मी प्लीज़... आप गुस्सा ना हों, और आराम से बैठ जाओ। मैं आपको सब कुछ बताता हूँ..” और अपने हाथ अम्मी
के कंधों पे रखकर उन्हें बिठा दिया।
अम्मी को बेड पे बिठाकर मैं खुद उनके पैरों में बैठ गया और अम्मी की आँखों में देखते हुये बोला- “अम्मी ये सब आपके लिए कोई नया तो नहीं, है ना? क्या आप अंकल सफदर और उनकी बेटी इरम के साथ मिलकर सेक्स नहीं करती रही हो? और अगर मैंने अपनी बहन के साथ सेक्स कर लिया है तो कौन सी ऐसी कयामत आ गई है दुनियां में? और अम्मी मैं आपको अपने दोस्त से भी मिलवा सकता हूँ जो अपनी बहनों के साथ सेक्स करता है, और भी कई होंगे दुनियां में?”
अम्मी मेरी बात सुनकर बोली- “हाँ, मैं जानती हूँ कि आजकल इस दुनियां में ये सब होता है। लेकिन सन्नी तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। आखिरकार, ये मुअशरा क्या कहेगा हमारे बारे में?”
अब मैंने अम्मी का हाथ पकड़कर उनको चूमा और बोला- “देखो अम्मी हमें किसी को कुछ बताना ही नहीं है तो कोई कुछ क्यों बोलेगा? और यहाँ हम लोग आए भी तो इसीलिए हैं ना कि एंजाय कर सकें? यहाँ हमें कोई नहीं जानता है तो फिर आप इतना डर क्यों रही हैं?”
अम्मी ने एक अह' भरी और बोलि- “ठीक है सन्नी, जैसा तुम लोगों को अच्छा लगे। मैं क्या कह सकती हूँ? लेकिन क्या इस सबका निदा को भी पता है?"
तो मैंने हाँ में सिर हिला दिया और बोला- “जी अम्मी। लेकिन उसे सिर्फ मेरा और बाजी का ही पता है और कुछ पता नहीं है.”
अम्मी हैरानी से बोली- “तो क्या उसने कभी तुम्हें मना नहीं किया?”
मैंने हँसते हुये कहा- “नहीं अम्मी, बल्की वो तो हमें खुद टाइम देती है मस्ती करने के लिए, और खुद भी हमारा सेक्स देखकर मजा करती है...”
अम्मी- “ठीक है सन्नी बेटा। लेकिन अब फरी को मेरे और अपने बारे में कुछ मत बताना, मैं उसका सामना नहीं कर पाऊँगी प्लीज़्ज़..
अम्मी की बात सुनकर में हँस दिया और बोला- “अम्मी आप क्या समझती हो कि उसे कुछ पता नहीं है? अरे अम्मी जान सच तो ये है कि मैंने जब आपको और अंकल को सेक्स करते देखा था तो तभी फरी को बता दिया था और उसी के कहने से ही तो मैंने आपके साथ मस्ती की थी। और तो और उसे सफदर अंकल और इरम के सेक्स का भी पता है, अब उससे कुछ भी छुपा हुआ नहीं है...” ।
मेरी इस बात से अम्मी थोड़ा परेशान हो गई, लेकिन कुछ बोली नहीं।
मैंने अम्मी के हाथों को हल्का सा दबा दिया और बोला- “अम्मी आप परेशान ना हों। फरी बाजी बहुत अच्छी हैं,
आपको उससे कुछ परेशानी नहीं होना चाहिए..." और उठते हुये अम्मी के गालों पे चुम्मा देकर रूम से निकल आया।
मैं अम्मी के रूम से निकलकर सीधा अपने वाले रूम में आ गया, जहाँ बाजी अभी तक बेड पे लेटी हुई थी, और निदा बाजी के करीब ही चेयर रखकर बैठी उनसे बातें कर रही थी।
मुझे रूम में आता देखकर निदा ने आँखें मटकाई और बोली- “क्या बात है भाई जान, क्या बात करनी थी हमारी अम्मी जान ने आपसे?"
मैं हँसता हुआ बोला- “अरे कुछ नहीं यार, बस ऐसे ही वापसी का पूछच रही थीं कि कब जाना है?”
और इतना बोलते हुये निदा की चेयर के पीछे का खड़ा हो गया, और निदा की तरफ देखने लगा, तो मेरा पूरा जिश्म सनसना गया था।
उस वक़्त निदा एक जीन्स और ढीली सी टी-शर्ट में थी। लेकिन जैसे ही मैंने नीचे झुक के देखा तो मेरी नजर सीधी निदा की शर्ट में चली गई जहाँ मेरी बहन की बिना ब्रा की चूचियां नजर आ रही थीं। मेरी तो नजर ही जैसे उसी जगह पे टिकी रह गई थी।
जिसे फरी बाजी ने देख लिया और बोली- “सन्नी कहाँ गुम हो गये हो?”
मैं झट से बोला- “नऽनहीं तो, कहीं भी नहीं। यहीं हूँ मैं तो...”
बाजी- मुझे तो लगा कि तुम कहीं और ही सैर पे चले गये हो मुझे यहाँ छोड़कर।
निदा- “नहीं बाजी, आपने भाई को बड़ी मजबूती से बाँध रखा है, ये कहीं नहीं जाएगा हेहेहेहे...”
मैं- “फन्नी... इसमें हँसने की भला क्या बात है?” और निदा के पास से हटकर बाजी के पास ही बेड पे जा बैठा..."
निदा- अच्छा तो भाई आप ने क्या जवाब दिया अम्मी को?
मैं- यार अब भला मैं क्या बोलता अम्मी को? मैंने कह दिया है कि जब आप चाहो हम वापिस चल देंगे।
निदा रोनी शकल बनाकर बोली- “भाई अभी यहाँ दिन ही कितने हुये हैं आए हुये, और अभी से वापसी? नहीं भाई प्लीज़... आप अम्मी को समझाओ ना कि कुछ दिन और रुकने के लिए यहाँ...”
फरी- क्या निदा, तुम भी बच्चों की तरह रोने लग जाती हो? मजाक कर रहा है ये कमीना तुमसे, और तुमने रोना शुरू कर दिया है। ये पहले ही अम्मी को बोल आया होगा कि अभी कुछ दिन रुकना है।
निदा बाजी की बात सुनकर खुश हो गई और बोली- “तो ठीक है लोव बर्डस, इस खुशी में मैं अब तुम लोगों के सिर पे सवार नहीं रहती और थोड़ा टाइम तुम्हें दे रही हूँ अकेले एंजाय करो...” और हेहेहेहे करती हुई रूम से निकल भागी।
निदा को रूम से जाते हुये मैं पीछे से उसको घूरता रहा। क्या प्यारी लग रही थी उसकी गाण्ड टाइट जीन्स में कसी हुई और चलने से ऐसे लग रहा था कि दिल ही निकालकर ले जाएगी। मुझे इस तरह अपनी छोटी बहन को पीछे से घूरता पाकर बाजी हल्का सा खाँसी, तो मैंने बाजी की तरफ देखा।
बाजी मुश्कुरा रही थी और बोली- लगता है अब निदा की खैर नहीं है।
मैं- बाजी सच पूछो तो बड़ा दिल करता है, लेकिन मैं कोई भी काम उसकी मर्जी के बिना नहीं करूंगा।
बाजी- अच्छा अब क्या प्रोग्राम है?
मैं- यार प्रोग्राम तो आपने बताना है जब बोलोगी।
बाजी- अरे भाई आज तो हिम्मत ही नहीं है मुझमें। तुम आज की रात अम्मी को अपने साथ ले जाओ सफदर अंकल की तरफ।
मैं- “क्यों जी, क्या तुम ये चाहती हो कि जिस तरह तुम्हें दर्द उठाना पड़ा है, अम्मी की भी ये हालत हो? तो ये बात अपने दिमाग से निकल दो, क्योंकी अम्मी तो इसमें ज्यादा एंजाय करेंगी..."
बाजी हैरानी से बोली- “वो किस तरह? क्या अम्मी एक साथ दो लण्ड अपने अंदर ले सकती हैं? क्या अम्मी ने खुद बताया तुम्हें?”
मैं- “नहीं, बताया तो नहीं। लेकिन मुझे अंदाजा है कि अम्मी एक साथ दो का मजा ले चुकी हैं और वो भी कई बार..” अभी हम ये बातें ही कर रहे थे के मुझे बाथरूम में पानी गिरने की आवाज सुनाई दी तो मैंने बाजी की। तरफ देखा।
तो बाजी मुश्कुरा दी और बोली- “मेरा खयाल है कि अगर तुम निदा को बिना कपड़ों के देखना चाहते हो तो ये अच्छा मोका है, क्योंकी इस तरफ का दरवाजा खुला है...”
मैंने बाजी की तरफ देखा जो कि मुझे ही देख रही थी और हल्का-हल्का मुश्कुरा रही थी, तो मैंने धीरे से कहा
कहीं नाराज ही ना हो जाए?”
बाजी ने कहा- “यार तुम बोल देना कि पता नहीं था कि कोई बाथरूम में है भी या नहीं?”
मैं उठा और बाथरूम की तरफ चल दिया, जहाँ से अब पानी गिरने की आवाज भी सुनाई नहीं दे रही थी। मैं बाथरूम के दरवाजे के बाहर खड़ा हो गया जाकर और एक बार बाजी की तरफ देखा जो कि अभी भी मेरी तरफ ही देख रही थी।
बाजी ने मुझे इशारे से हौसला दिया तो मैंने एक झटके से बाथरूम का दरवाजा खोला तो देखा की मेरी छोटी बहन निदा बाथरूम में नंगी खड़ी अपना जिम मल रही थी।
जैसे ही दरवाजा खुलने की आवाज सुनी निदा ने और बाथरूम में मुझे खड़ा देखा, तो सीधी खड़ी हो गई और अपने हाथ अपने पीछे करके दीवार से लग गई और बोली- “भाई यहाँ मैं नहा रही हूँ आपको दरवाजा नाक करके
आना चाहिए था..."
मैंने एक बार सिर से पाओं तक निदा को बड़े प्यार से देखा और बोला- “सारी यार, मुझे पता नहीं था कि तुम नहा रही हो...” और इतना बोलकर मैंने दरवाजे को बंद कर दिया और बाजी के पास वापिस आ गया।
बाजी मेरी तरफ देखकर मुश्कुराए जा रही थी, तो मैंने कहा- “क्या हुआ इतना खुश क्यों हो रही हो?”
बाजी ने कहा- “तुम्हें देखकर लग रहा है कि अगर तुम्हारा बस चल जाए तो तुम बेचारी निदा को अभी चीर के रख दो...”
मैं- यार क्यों मजाक उड़ा रही हो? अब ऐसा भी कुछ नहीं है।
बाजी- अच्छा जी, तो फिर जरा बताओ तो कैसा कुछ है?
मैं- बाजी की बातों से झुंझला सा गया और बोला- “बाजी आप क्यों इतना तंग कर रही हो? सीधी तरह बोलो ना के इस वक़्त मैं चला जाऊँ यहाँ से..”
बाजी- यार मैंने ऐसा तो कुछ नहीं कहा है, जिससे तुम इतना गुस्सा कर रहे हो? मैं तो बस ये पूछ रही थी कि क्या इरादा है?
मैं बाजी के पास से उठा और रूम से बाहर निकला और अम्मी के रूम की तरफ चल दिया। लेकिन फिर पता नहीं क्या दिल में आई कि बाहर निकला और रात 8:00 बजे तक यूं ही आवारा फिरता रहा। खाना भी मैंने बाहर से ही खा लिया और 8:00 बजे घर वापिस आया तो देखा कि अम्मी बाजी और निदा के साथ-साथ सफदर अंकल भी घर पे ही थे, और काफी परेशान लग रहे थे।
मुझे घर में इन होता देखकर अम्मी झट से बोली- “कहाँ चले गये थे तुम? पता है कब से तुम्हें ढूँढ़ रहे थे और ऊपर से अपना मोबाइल भी साथ लेकर नहीं गये थे तुम अपने?”
अम्मी की बात सुनकर मुझे शर्मिंदगी हुई और अपनी बेवकूफी का एहसास भी हुआ तो मैं- “सारी अम्मी, बस गलती से रह गया था घर पे, याद ही नहीं रहा मोबाइल साथ ले जाना.." और अपने रूम की तरफ चल दिया।
अभी मैं 3-4 कदम ही चला था कि बाजी की आवाज सुनाई दी, जो खाने को पूछ रही थी।
मैंने कहा- “नहीं, मुझे नहीं खाना। मैं खाकर आया हूँ..." और टपक से अपने रूम में जा घुसा।
मैं रूम में आकर सीधा अपना लूज पाजामा निकालकर बाथरूम में जा घुसा और ड्रेस चेंज करके रूम में आया।
और आराम के लिए लेट गया और सोचने लगा कि मुझे जाने अंजाने में भी ऐसी हरकत नहीं करनी चाहिए थी जिससे कि किसी का भी दिल दुखे। ये सोच आते ही मैं उठने लगा कि चलकर बाहर सबके साथ सो जाता हूँ।
तभी बाजी और निदा रूम में आ गईं। बाजी आते ही मुझे देखकर बोली- “भाई आप आज अम्मी के रूम में सो जाओ, क्योंकी सफदर अंकल भी आज यहाँ ही रुक गये हैं, तो निदा यहाँ मेरे साथ सो जाएगी...”
मैं हाँ में सिर हिलाया और रूम से बाहर निकल आया और अम्मी के रूम में जा घुसा, जहाँ अम्मी और सफदर अंकल बेड पे बैठे बातें कर रहे थे।
मुझे रूम में इन होता देखकर सफदर अंकल ने कहा- “क्या बात है सन्नी बेटा, किसी ने कुछ कहा था तुमसे जो ऐसे नाराज होकर घर से निकल गये थे?”
मैं हँस दिया और बोला- “आपसे किसने बोल दिया अंकल कि मैं किसी से नाराज होकर गया था कहीं? बस जरा दिल चाह रहा था घूमने को तो निकल गया। बस मोबाइल घर भूल गया था जाते हुये.
मेरी बात सुनकर अम्मी ने जरा गुस्से से मुझे देखा और बोली- “तुम्हें कुछ पता भी है कि यहाँ हमारा क्या हाल हो रहा था तुम्हारी इस हरकत से? कुछ शर्म होनी चाहिए खुद को ही...”
मैं आगे बढ़ा और अम्मी के पैरों में बैठकर अपना सिर उनकी गोदी में रख दिया और बोला- “सोरी अम्मी, मैंने जान के ऐसा कुछ नहीं किया था। बस अंजाने में हो गया। आइन्दा से खयाल रखूगा कि ऐसा कुछ ना हो...”
अम्मी ने मुझे नीचे से उठाकर अपने साथ बिठा लिया और अपनी तरफ झुकाकर मेरा माथा चूम लिया और बोली- “सन्नी एक तुम ही तो हम माँ बेटियों का सहारा हो, मत तंग किया करो ऐसे...”
अम्मी की आँखों में आँसू आ चुके थे जिन्हें मैंने साफ किया और अम्मी को अपने साथ लिपटा के फिर से माफी माँगी और उसके बाद अंकल और मैं अम्मी को हँसाने में लग गये। इस तरह हम रात 10:00 बजे तक हँसी मजाक करते रहे, और 10:00 बजे अंकल ने अम्मी से कहा- “जाओ देखकर आओ जरा, दोनों सो गई हैं क्या?
अम्मी धीरे से उठी और बाथरूम की तरफ से मेरी बहनों के रूम में झाँकने चली गई।
मैंने अंकल से कहा- अंकल एक बात तो बताओ?
अंकल ने मेरी तरफ देखकर कहा- हाँ पूछो क्या बात है?
मैंने कहा- अंकल क्या अम्मी ने कभी एक साथ दो का मजा लिया है?
तो अंकल हँस दिए और बोले- “सन्नी तुम्हारी अम्मी तीन का एक साथ मजा ले चुकी है और वो भी कई बार। घबराओ नहीं फरी की तरह रोएगी नहीं सलमा बेगम...”
अभी हम ये बातें ही कर रहे थे के अम्मी बाथरूम का दरवाजा अपनी तरफ से लाक करके हमारे पास आकर बैठ गई। अंकल ने अम्मी को सीधा बेड पे लिटा दिया और बोले- “चलो जान-ए-मन आज पुरानी याद ताजा हो। जाए..."
तब अम्मी अंकल की बात सुनकर मुश्कुरा दी बोली कुछ नहीं।
अम्मी को मिटाने के बाद अंकल ने अम्मी की सलवार में हाथ डाला और एक झटके के साथ मेरी माँ की सलवार उतारकर एक तरफ फेंक दी और फिर अम्मी की टाँगों को मोड़ दिया जिससे अम्मी का निचला नंगा जिश्म नजर आने लगा। अम्मी की इस तरह टांगें मोड़ लेने से अम्मी की फुद्दी साफ मेरी आँखों के सामने आ गई थी, जो कि उनकी नरम और सफेद रानों में से बड़े प्यारी सी लग रही थी। जिसे मैं बड़े प्यार भरी निगाहों से देख रहा था।
तभी सफदर अंकल ने एक बार फिर से अम्मी का हाथ पकड़कर उठाया और अम्मी की कमीज को पकड़कर ऊपर को खींचने लगे, जिसमें अम्मी भी अपने हाथ ऊपर करके उनका पूरा साथ दे रही थी। फिर अंकल ने अम्मी की कमीज को निकालकर एक तरफ फेंक दिया और उसके बाद ब्रा का हुक खोलकर अम्मी को नंगा कर दिया।
अम्मी के नंगा होते ही अंकल ने मेरी तरफ देखा और बोले- “क्या बात है सन्नी बेटा, ऐसे क्यों बैठे हुये हो? चलो जल्दी से कपड़े निकालो कहीं हमारी सलमा जान नाराज ही ना हो जाएं?”
सफदर अंकल की बात सुनकर मैं हल्का सा हँस दिया और बोला- “अरे नहीं अंकल, ऐसा कुछ नहीं होगा। आप परेशान ना हों, हमारी सलमा रानी बहुत बड़ी रंडी है, इसकी चुदाई सही से होनी चाहिए बस फिर ये नाराज नहीं होगी कभी भी हमसे..” और इतना बोलते हुये मैं उठ खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतारने लगा।
अंकल भी खड़े हो गये और कपड़े उतारकर नंगे हो गये। मैं कपड़े उतारते ही अपनी अम्मी के पैरों में आ गया और उनकी रानों को पूरी तरह फैला दिया और सफदर अंकल की तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराया और फिर झुक के अपनी अम्मी की फुद्दी पे अपनी जुबान रखकर चलाने लगा। जैसे ही मेरी जुबान की नोक ने अम्मी की फुद्दी को छुवा अम्मी के मुँह से ‘आअहह... सन्नी उन्म्मह... की आवाज निकली और साथ ही मेरे सिर के बमैंलों में अपनी उंगली घुमाने लगी।
जैसे-जैसे मैं अपनी जुबान को अपनी अम्मी की फुद्दी के लबों में ऊपर से नीचे की तरफ घुमाता जा रहा था। वैसे-वैसे अम्मी के मुँह से भी सिसकियां निकलने की रफ़्तार और उनका हाथ मेरे सिर पे तेज होता जा रहा था, और वो अपने हाथ से मुझे अपनी फुद्दी पे दबाते हुये- “आअह्ह... सन्नी मेरे बच्चे अपनी जुबान मेरी फुद्दी में घुसाकर चाटो ऊऊहह सन्नी खा जाओ अपनी अम्मी की फुद्दी को उफफ्फ़... सन्नी आआहह... मादरचोद कुत्ते और घुसाकर चाट मेरे हरामी ब्चचे..” की आवाज भी करती जा रही थी।
कुछ देर तक मैं बड़ी दिल जमी से अपनी अम्मी की फुद्दी चाटता रहा और फिर जरा सांस लेने के लिए सिर उठाकर अम्मी की तरफ देखा तो वहाँ मुझे सफदर अंकल अम्मी की चूचियों को अपने हाथों से मसलते और मुँह में भरकर उनका रस चूसते हुये नजर आए।
मेरे उठने का एहसास सफदर अंकल को भी हो गया था और वो अम्मी की चूचियों को छोड़कर उठे और मेरी तरफ देखकर मुश्कुराते हुये अम्मी से बोले- “चलो सलमा, जरा तुम भी मेरे लण्ड को थोड़ी प्यार की सलामी दे। ही डालो...” और इतना बोलते हुये सफदर अंकल उठकर अम्मी की चूचियों से थोड़ा आगे गर्दन के पास अम्मी के दोनों तरफ अपनी टाँगों को करके अपना लण्ड अम्मी के मुँह के पास ले गये, जिसे अम्मी ने बिना शर्माये हुये अपना मुँह खोलकर चाटना शुरू कर दिया।
मैं कुछ देर तक ऐसे ही बैठा रहा और फिर अम्मी के चेहरे की तरफ अपनी टांगें करके लेट गया और अम्मी की लण्ड चुसाई देखने लगा। सफदर अंकल ने कोई दो-तीन मिनट तक ही मेरी अम्मी से लण्ड चुसवाया होगा कि अम्मी ने अंकल को अपने ऊपर से हटा दिया और उठकर बैठ गई और फिर हम दोनों की तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराई और सफदर अंकल को अपनी जगह पे लिटा दिया और खुद उठकर उनके लण्ड के ऊपर आकर उनका लण्ड पकड़ा और गर्दन मोड़कर मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुराती हुई अपनी फुद्दी पे अंकल के लण्ड को सेट करके आराम से बैठ गई।
अम्मी बड़े आराम-आराम से सफदर अंकल का लण्ड अपनी फुद्दी में ले रही थी और मैं पीछे से ये मंजर बड़े मजे से देख रहा था। जैसे-जैसे अंकल का लण्ड मेरे सामने मेरी अम्मी की फुद्दी में जा रहा था, वैसे-वैसे मेरा जोश बढ़ता जा रहा था, और फिर अम्मी अंकल का पूरा लण्ड अपनी फुद्दी में लेकर उनके ऊपर ही लेट गई तो अंकल ने अम्मी को अपनी बाहों में जकड़ लिया। इस मंजर ने मुझे बहुत गरम कर दिया था और मैं अपना । लण्ड हिलाने लगा।
थोड़ी देर तक अम्मी और सफदर अंकल ऐसे ही एक दूसरे से चिपके लेटे रहे फिर अम्मी थोड़ा ऊपर हुई और अपने पैरों पे बैठकर अंकल के कंधों पे पकड़कर ऊपर नीचे होने लगी। जैसे ही अम्मी ऊपर होती तो सफदर अंकल का लण्ड उनकी फुद्दी से बाहर निकलता और जैसे ही पूरा सुपाड़े तक बाहर आ जाता तो अम्मी एक तेज झटके से अपनी गाण्ड को नीचे की तरफ दबा देती, जिससे एक पुचाक्क की आवाज के साथ अम्मी की फुद्दी में अंकल का पूरा लण्ड जड़ तक समा जाता, और अम्मी के मुँह से 'सस्सीईई... आअहह... की आवाज निकल जाती।
सफदर अंकल ने भी अब अपने दोनों हाथों से मेरी अम्मी की गाण्ड को पकड़ लिया और अम्मी जैसे ही ऊपर होकर लण्ड की तरफ अपनी गाण्ड को दबाती नीचे से सफदर अंकल भी एक तेज झटका मारते, जिससे थप्प थप्प की आवाज के साथ अम्मी की 'आआअह्ह.. सफदर उन्म्मह... ऊऊह्ह...' की आवाज निकलने लगती।
अम्मी की सफदर अंकल के साथ जारी चुदाई और अम्मी के मुँह से निकलने वाली लज्जत भरी आवाजों ने मुझे दीवाना सा कर दिया, और मैंने उठकर अम्मी का हाथ पकड़ लिया और झटके से अपनी तरफ खींच लिया, तो अम्मी भी अंकल के लण्ड से उतरकर मेरी तरफ आ गई। मैंने अम्मी को अपने साथ लिपटा के एक भरपूर किस किया और फिर अम्मी को बेड से उतारकर उन्हें घुटनों के बल नीचे झुका दिया जिससे अम्मी का ऊपरी जिम बेड के ऊपर आ गया तो मैंने उनके पीछे आकर अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी पे सेट किया और एक तेज झटका लगाते हुये अपना पूरा लण्ड घुसा दिया।
लण्ड के घुसते ही मेरी अम्मी के मुँह से- “आअह्ह... सन्नी बेटा, और जोर से चोदो आज मुझे ऊऊहह... सन्नी आज से मैं तुम्हारी अम्मी नहीं रही बेटा, मैं तुम्हारी रखैल बन गई हँन् उउफफ्फ़... जालिम क्या लण्ड है तेरा? फाड़ दे आज अपनी माँ की फुद्दी को..." की आवाज करने लगी।
अंकल भी अपनी जगह से खिसक के अम्मी के सामने हो गये और घुटनों के बल खड़े होकर अपना लण्ड अम्मी के मुँह के सामने कर दिया, जिसे अम्मी ने बिना देर किये अपने हाथ में पकड़ लिया और चूसने लगी। कुछ देर मैं ऐसे ही तेज झटकों से अम्मी की फुद्दी मारता रहा और अम्मी सफदर अंकल का लण्ड किसी लोलीपोप की तरह पूरे मजे से चूसती रही। फिर मैंने अम्मी को एक झटके से पीछे हटाया और बेड से नीचे फेंक दिया, जिससे मेरा लण्ड भी अम्मी की फुद्दी से निकल गया।
लण्ड के निकलते ही अम्मी उठी और मुझे नीचे लिटा दिया और मेरे मुँह पे दोनों तरफ टांगें करके बैठ गई। अंकल ने अम्मी को वहीं आगे से झुकाकर कुतिया की तरह कर लिया, और पीछे से अम्मी की फुद्दी में अपना लण्ड घुसा दिया। अब मेरा सिर अम्मी के नीचे उनकी फुद्दी के बिल्कुल नीचे था और मैं नीचे से अपनी जुबान अपनी माँ की फुद्दी पे चलाने की कोशिश कर रहा था और ऊपर से सफदर अंकल का लण्ड अम्मी की फुद्दी में अंदर-बाहर हो रहा था।
अम्मी आगे को झुक के मेरे लण्ड को हिला रही थी ओर साथ ही- “आआहह... सन्नी देख बेटा अपनी कुतिया माँ को देख... उनम्म्मह... सफदर और तेज चोदो आज मुझे मेरे बेटे के साथ मिलकर उन्म्मह ऊऊओह... जानू आअह्ह...” की आवाज करती जा रही थी।
अम्मी का पूरा जिश्म उस वक़्त हल्का सा काँपने लगा था, जिससे मुझे ये समझने में जरा भी देर नहीं लगी कि अम्मी की फुद्दी अब किसी भी वक़्त पानी छोड़ने वाली है, और अम्मी अंकल के हर झटके पे- “आअह्ह... सफदर और तेज करो मेरीईई जान... मेरा होने वाला है ऊऊहह फाड़ डालो मेरी फुद्दी को... कुतिया बना डालो मुझे उनम्म्म ह... ऊऊओ... आऐईयईई... सफदर...” की एक तेज आवाज के साथ ही अम्मी का जिम एक बार जरा मचला और फिर ढीला पड़ गया।
अम्मी निढाल सी होकर मेरे ऊपर गिर सी गई कि तभी बूंद-बूंद मेरी अम्मी की फुद्दी से बहता पानी उनकी रानों पे बहने लगा, जिसे मैंने चाट के साफ कर दिया और नीचे से निकल गया।
अम्मी के नीचे से निकलते ही मैंने अम्मी को अपनी तरफ खींचा और सीधा लिटा दिया और अपना लण्ड घुसाकर अपनी अम्मी की चुदाई करने लगा। तब सफदर अंकल ने अपना लण्ड अम्मी के मुँह में घुसा दिया और बड़ी बेदर्दी से अपना लण्ड अम्मी के मुँह में अंदर-बाहर करने लगे।
उस वक़्त अम्मी की हालत बड़ी काबिल-ए-रहम लग रही थी क्योंकी एक तरफ तो मैं उनकी ताबड़तोड़ फुद्दी मार रहा था और दूसरी तरफ सफदर अंकल उनके मुँह में अपना लण्ड घुसाकर चुसवा रहे थे। जिससे अम्मी के मुँह से पूँ-घून गलप्प्प-गलप्प्प की आवाज निकल रही थी, जो मुझे भी चरम की तरफ ले जा रही थी।
लेकिन मेरे पानी छोड़ने से पहले ही सफदर अंकल के मुँह से सिसकियों की आवाज निकलने लगी जो किऊऊहह सलमा सालीईई चुस्स ले आअहह... मेरा निकलने वाला है ऊऊओह...” की आवाज निकली। और फिर सफदर अंकल के जिश्म को हल्का झटका सा लगा और उनका सारा पानी अम्मी के मुँह के अंदर और बाहर भर गया, जिसे अम्मी बड़े प्यार से अपनी जुबान निकालकर अंकल के लण्ड को चाट के साफ करने लगी
।
ये मंजर देखकर मेरी अपनी बर्दाश्त भी खतम हो गई और में भी 6-7 तेज झटकों के साथ ही- “ऊओहह... अम्मी मैं आया...” की आवाज के साथ अम्मी की फुद्दी में फारिघ् हो गया, और उनके ऊपर ही निढाल सा होकर गिर गया।
फारिघ्र होने के बाद कुछ देर तक तो मैं अम्मी के ऊपर ही लेटा रहा। फिर उठकर अम्मी की साइड पे होकर लेट गया, तो अम्मी साइड से एक कपड़ा उठाकर अपनी फुद्दी को साफ करके उठी और अपने कपड़े लेकर बाथरूम की तरफ चल दी।
अंकल ने कहा- “क्या हुआ सलमा बेगम, कहाँ चल दी?”
तो अम्मी ने कहा- “बाथरूम जा रही हूँ जरा साफ सफाई भी तो करनी है ना?”
अम्मी की बात सुनकर अंकल ने कहा- “क्यों यार क्या और इरादा नहीं है तुम्हारा?”
अम्मी ने कहा- “नहीं जनाब अब जो भी करना है कल दिन में करेंगे, वो भी तुम्हारे मकान पे यहाँ नहीं.."
अंकल- यार सलमा, क्यों मजा खराब कर रही हो? तुम्हें पता है ना मुझे कितनी उलझन होती है इस तरह?
अम्मी- जी पता है, लेकिन आप शायद भूल रहे हैं कि साथ वाले रूम में फरी और निदा भी सो रही हैं
अम्मी की बात सुनकर अंकल ने कहा- “क्यों यार क्या और इरादा नहीं है तुम्हारा?”
अम्मी ने कहा- “नहीं जनाब अब जो भी करना है कल दिन में करेंगे, वो भी तुम्हारे मकान पे यहाँ नहीं.."
अंकल- यार सलमा, क्यों मजा खराब कर रही हो? तुम्हें पता है ना मुझे कितनी उलझन होती है इस तरह?
अम्मी- जी पता है, लेकिन आप शायद भूल रहे हैं कि साथ वाले रूम में फरी और निदा भी सो रही हैं।
अंकल- तो क्या हुआ यार? उनको क्या पता यहाँ क्या चल रहा है? और फिर सन्नी भी तो है ना यहाँ और फरी भी सब जानती है तो क्यों हम बेचारों को सूली पे लटका रही हो तुम?
अम्मी- देखो सफदर, माना कि फरी को सब पता है। लेकिन निदा तो अभी बच्ची है, वो ये सब नहीं जानती और मैं नहीं चाहूंगी कि उसे कुछ पता चले। समझे आप? इसलिए अब जो करना होगा तुम दोनों कल कर लेना।
मैं अंकल का हाथ दबाते हुये अम्मी से बोला- “ठीक है अम्मी कोई बात नहीं, आप जाओ और चेंज करो बाकी कल देखा जाएगा...”
अम्मी के जाने के बाद मैंने अंकल से कहा- “क्या आप मेरी अम्मी से शादी करोगे?”
तो अंकल ने हैरानी से कहा- “क्या मतलब है तुम्हारा? जरा खुल के बताओ?”
मैंने अंकल को अपना सारा प्लान बता दिया जो कि मैं दिन भर सोचता रहा था।
तो अंकल मेरा प्लान सुनकर बोले- “यार हो तो तुम भी पक्के हरामी, लेकिन तुम्हारी अम्मी किस तरह मानेगी शादी के लिए...”
मैंने कहा- “अंकल ये आप का सिरदर्द है। लेकिन अगर मेरी जरूरत पड़ी तो मैं और बाजी फरी भी आप का पूरा साथ दें...”
तब अंकल ने हाँ में सिर हिला दिया और सोच में गुम हो गये। तभी अम्मी भी बाथरूम में से आ गई और आते ही बेड पे सोने को लेट गई।
मैं और सफदर अंकल अम्मी के दोनों तरफ नंगे ही लेटे अपनी-अपनी सोचों में गुम थे कि पता ही नहीं चला कि कब नींद आई और मैं सो गया। मेरी आँख खुली तो अम्मी मुझे जगा रही थी।
मैं झट से उठा और अम्मी की तरफ देखकर बोला- “जी अम्मी क्या बात है?”
अम्मी ने कहा- “7:00 बज चुके हैं और निदा नहाकर किचेन में चली गई है। कहीं वो यहाँ इस रूम में हमें उठाने ना आ जाए, इसलिए जल्दी से उठो और कपड़े पहनो नहाकर। कब तक नंगे ही पड़े रहोगे?”
मैं झट से उठा और देखा तो अंकल कहीं नजर नहीं आए। तो अम्मी ने कहा सफदर चला गया है अपने मकान पे। तुम नहा लो।
अब तो मैं झट से कपड़े लेकर बाथरूम में चला गया और नहाकर फरी बाजी वाले रूम में घुस गया जहाँ बाजी अपने ऊपर कम्बल लिए सो रही थी। मैं आगे बढ़ा और बाजी के ऊपर से हल्का सा कम्बल पकड़कर नीचे को। सरकाया तो बाजी की आँख खुल गई। लेकिन मेरी ये देखकर आँखें खुली की खुली रह गईं कि बाजी की चूचियां बिल्कुल नंगी थीं। बाजी ने मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुश्कुरा के अपनी आँखें बंद कर ली।
कुछ देर तक मैं ऐसे ही खड़ा रहा और बाजी को देखता रहा और फिर एक झटके से बाजी का कम्बल उतार दिया तो मुझे भी झटका लगा, क्योंकी बाजी कम्बल के नीचे बिल्कुल नंगी नजर आ रही थी। मैंने एक हाथ से बाजी की रानों को जरा सा खोला तो बाजी बुरी तरह शर्मा गई और अपना चेहरा मेरी तरफ से घुमा लिया और अपना एक हाथ चेहरे पे रखकर मुझसे मुँह छुपाने लगी।
अभी मैं बाजी को इस हाल में देख ही रहा था और अपने खड़े हो जाने वाले लण्ड को सहला ही रहा था कि रूम का दरवाजा खुला और अम्मी रूम में आ गई और बाजी को इस हाल में देखकर और मुझे बाजी के पास खड़े। अपना लण्ड सहलाता देखकर अम्मी को थोड़ा गुस्सा सा आ गया और वो जरा गुस्से से बोली- “कुछ शर्म लिहाज भी है तुम लोगों को या नहीं?"
दरवाजा खुलने और अम्मी को इस तरह अंदर आते देखकर बाजी ने एक झटके से कम्बल को फिर से अपने ऊपर खींच लिया सिर से ऊपर तक।
तब अम्मी बोली- “चलो अब ये ड्रामा बंद करो शर्माने का, और जल्दी से नहाकर कपड़े पहन लो...” अम्मी इतना बोलकर रूम से निकल गई।
बाजी ने सिर से कम्बल हटाकर देखा और फिर उठते हये बोली- “भाई देख तो लेते कि दरवाजा भी बंद है या नहीं?” और बाथरूम की तरफ चल दी।