Update 08

मेरी रूपाली दीदी: आआऽ उम्म्म्म… ओह्ह… ऊह्ह… अह्ह…

ठाकुर साहब: आमआआऽ उम्म्म्म…( चोली के ऊपर से ही चूची पीने की आवाज)

मेरी रूपाली दीदी और ठाकुर साहब दोनों वासना की आग में पूरी तरह से पागल हो चुके थे.. पिछले दो दिनों की जुदाई में दोनों को एहसास हो गया था कि वह दूसरे को कितना मिस करने लगे थे.. पिछले दो दिनों की जुदाई के बाद चुदाई... मेरी बहन भी इंजॉय कर रही थी..

बिस्तर पर दोनों एक दूसरे के साथ लिपट लिपट के प्यार कर रहे थे..

आज की रात दोनों एक दूसरे के भीतर समा जाना चाहते थे... दूसरी तरफ अपने कमरे में मेरे जीजू बिस्तर पर लेटे हुए सोच रहे थे कि आखिर वह दोनों कहां सो रहे हैं... मेरे जीजू का व्हीलचेयर भी उनके बिस्तर से दूर था... इसलिए वह उठकर बाहर भी नहीं निकल सकते थे...

आज की रात सोने से पहले मेरी रूपाली दीदी ने जानबूझकर मेरे जीजू का व्हीलचेयर उनके बिस्तर से दूर कर दिया था.. ताकि रात में वह उनको डिस्टर्ब ना कर सके...

ठाकुर साहब ने अपना बनियान निकाल कर नीचे फेंक दिया.. वह ऊपर से नंगे हो चुके थे.. उनकी चौड़ी छाती पर सफेद बाल देखकर मेरी रुपाली दीदी शर्मआ रही थी.. ठाकुर साहब एक बार फिर मेरी बहन के ऊपर लेट कर उनको चूमने लगे थे.. उनकी चौड़ी मजबूत छाती के नीचे मेरी रूपाली दीदी के दोनों मासूम कबूतर बुरी तरह दबे हुए थे. बरसात होने लगी थी... बिजली भी कड़कने लगी थी.. और ठाकुर साहब भी पूरे जोश में आ गए थे..

यह तो बस इस तूफानी रात की तूफानी शुरुआत हुई थी..

मेरी रूपाली दीदी की चूत का भी तापमान बढ़ा हुआ था.. मेरी बहन की गरम चूत के ऊपर ठाकुर साहब ने अपना दबाव बढ़ा दिया था... वह मेरी बहन की चोली को खोलने लगे... दोनों की सांसें बुरी तरह उखड़ी हुई थी.. क्योंकि उन दोनों के बीच अभी-अभी एक बहुत ही लंबा और जबरदस्त चुंबन खत्म हुआ था..

ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी की चोली के सारे बटन खोल दिए.. और उनकी नाभि में अपनी उंगली से छेद और बड़ा करने की कोशिश करने लगे थे... मेरी बहन भी उत्तेजित होकर तड़प रही थी.. ठाकुर साहब अपना मोटा बांस लंड मेरी दीदी के पेटीकोट के ऊपर से उनके त्रिकोण के ऊपर रगड़ रहे थे... मेरी रूपाली दीदी का गुलाबी छेद पानी पानी होने लगा था... ठाकुर साहब आज पूरी मस्ती करने के मूड में थे..

ठाकुर रणवीर सिंह ने मेरी रूपाली दीदी का पेटीकोट उठाकर उनकी जांघों से ऊपर उनकी कमर तक पहुंचा दिया था... मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी रंग की ब्रा में छुपी हुई उनकी दोनों चुचियों को देखकर ठाकुर साहब से बर्दाश्त नहीं हुआ.. उन्होंने बहन की एक चुचि को अपनी मुट्ठी में दबा अपनी पूरी ताकत से मसल दिया...

मेरी रूपाली दीदी: हाय मम्मी.. नहीं.... इतने जोर से नहीं.. ठाकुर साहब प्लीज..

ठाकुर रणवीर सिंह ने अपना बरमूडा उतार के नीचे फेंक दिया और बिल्कुल नंगे हो गए... उन्होंने मेरी बहन का दाया हाथ पकड़ लिया.. मेरी रुपाली दीदी के हाथ चूड़ियों से ढके हुए थे.. ठाकुर साहब ने मेरे रूपाली दीदी के हाथ में अपना लंड थमा दिया था.. मेरी बहन आनाकानी करने लगी थी.. ठाकुर साहब ने दो तीन बार प्रयास किया मेरी बहन के हाथ में अपना मुसल लंड देने का.. पर मेरी दीदी राजी नहीं हुई.. ठाकुर साहब ने अपना प्लान छोड़ दिया...

अब वह फिर से मेरी रूपाली दीदी के ऊपर आ गए थे.. उन्होंने मेरी रूपाली दीदी की ब्रा का हुक खींच के अलग किया... और मेरी बहन के जोबन को नंगा कर दिया.. ब्रा निकाल कर उन्होंने नीचे जमीन पर फेंक दिया था.. मेरी रूपाली दीदी के दोनों पके हुए आम उनकी आंखों के सामने झूल रहे थे... उन दोनों आम को ठाकुर साहब ने जड़ से अपनी दोनों मजबूत हाथों में पकड़ लिया.. और चूसने लगे मेरी बहन की मदमस्त चुचियों को.. बारी बारी से.. कुछ ही देर में मेरी बहन की छातियों से दूध निकलने लगा.. ठाकुर साहब गट गट पीने लगे ... मेरी रूपाली दीदी तो सिसकारियां ले रही थी बस..

किसी दूसरे मर्द की बीवी को अपने बिस्तर पर लाकर जबरदस्ती उसकी चोली खोल के उसकी चूची से दूध पी कर ठाकुर साहब इस वक्त अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान मान रहे थे.. वह औरत और कोई नहीं बल्कि मेरी सगी बहन थी... मेरी रूपाली दीदी के गुलाबी निप्पल को बारी-बारी चूसते हुए ठाकुर साहब बहुत उत्तेजित हो चुके थे.. और मेरी बहन का दूध पीकर वह अपने आप को बहुत ताकतवर भी महसूस कर रहे थे... मेरी रूपाली दीदी तो बस उनके नीचे लेटी हुई तड़प रही थी.. सिसक रही थी... ठाकुर साहब चूसने के साथ साथ मेरी बहन की चूची पर काटने में लगे थे... मेरी बहन की दोनों छातिया गुलाबी से लाल हो चुकी थी.. दांत काट के उन्होंने मेरी बहन की चूची पर निशान बना दिया था..

पेट भर दूध पिया उन्होंने मेरी बहन की दोनों चूचियों से.. और फिर मेरी बहन का नाड़ा खींचकर उनके पेटीकोट को उनकी कमर से अलग कर दिया था..

बिना किसी चेतावनी के ठाकुर साहब ने मेरी रुपाली दीदी की पेंटी फाड़ के दो टुकड़े कर दिय.. और मेरी बहन को नंगा कर दिया..

उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी बहन की गुलाबी छेद में डाल दिया.. और फिर उसी उंगली से चूत की अंदरुनी दीवालों को रगड़ रगड़ के पेल रहे थे मेरी बहन को... मेरी दीदी मस्त हो गई थी..

मेरी रूपाली दीदी का दूध पीते हुए ठाकुर साहब एक उंगली से मेरी बहन को मजा दे रहे थे.. मेरी दीदी मजा ले रही थी.. पर साथ ही साथ मेरी बहन को शर्म भी आ रही थी..

ठाकुर साहब ने मेरी बहन को नंगा करके बिस्तर पर चित कर दिया था और उनकी दोनों टांगों के बीच आ गए थे... मेरी दीदी की दोनों टांगों को फैला कर उन्होंने ऊपर की तरफ कर दिया.. और मेरी बहन के गुलाबी छेद के ऊपर अपना हथियार टीका दिया और घिसाई करने लगे... मेरी रूपाली दीदी की दरार से पानी निकलने लगा था... गुलाबी दरार ठाकुर साहब का मूसल झेलने के लिए तैयार हो चुकी थी... इस वक्त मेरी रूपाली दीदी के मुंह से तो बस कामुक तेज तेज सिसकियां और आहे ही निकल रही थी...

आश्चर्यजनक रूप से दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी चूत कुछ ज्यादा ही कसी हुई थी... इतने टाइट थी कि मेरे जीजू को भी लंड पेलने मैं तकलीफ होती थी... उन्हें भी लुब्रिकेंट का सहारा लेना पड़ता था मेरी बहन को पेलने के लिए...

ठाकुर साहब ने एक हाथ से अपने हथियार को थाम के बड़े प्यार से मेरी बहन की गुलाबी रसीली चूत में जबरदस्ती पेल दिया.. पूरा का पूरा.. मेरी रूपाली दीदी तड़पने लगी..

मेरी रूपाली दीदी: हाय मम्मी हाय मां... ठाकुर साहब प्लीज.. धीरे कीजिए ना... हाय मम्मी...आअहह….

मेरी बहन को थोड़ा दर्द तो हुआ था... उन्होंने अपनी आंखें बंद कर रखी थी... अपने होठों को अपने दांतों से काट रही थी.. ठाकुर साहब को और भी उत्तेजित कर रही थी... ठाकुर साहब ने अपना आधा हथियार बाहर निकाला फिर कस के बहुत जोर से मेरी बहन को पेल दिया... पूरा का पूरा लौड़ा उन्होंने मेरी बहन के भीतर डाल दिया था..

मेरी रूपाली दीदी: – आ आ आहह.. ! अहह.. ! आ आ अहह.. ! इस्स.. ! की सिसकारियाँ लेने लगीं और उन्होंने अपने हाथ को पीछे करके ठाकुर साहब के सिर को पकड़ लिया... अब ठाकुर साहब अपनी पूरी रफ्तार और अपनी पूरी ताकत के साथ मेरी रूपाली दीदी को पेल रहे थे..

दोनों फिर से चुदाई के नंगे खेल में जुट गए थे...

ठाकुर साहब की हिलती कमर दीदी की चूत में मुसल लंड को पेलने लगी.. मेरी रूपाली दीदी की चूत फ़ैलने लगी और लंड को अपने गुलाबी आगोश में लेने लगी.. फिर से मुसल लंड से चुदने लगी थी मेरी बहन..

वह पलंग बुरी तरह से चरमरा रहा था.. ऐसा लग रहा था कि कभी भी टूट सकता है... मेरी बहन की हाथों की चूड़ियां और पैरों की पायल खनखन छन छन की आवाज कर रही थी.. मैं हॉल में लेटा हुआ सब कुछ सुन पा रहा था.. मेरी आंखों की नींद उड़ी हुई थी..

अगले 10 मिनट तक ठाकुर साहब इसी अंदाज में मेरी रूपाली दीदी को पेल रहे थे.. उसके बाद उन्होंने अपना हथियार बाहर निकाल लिया.. और मेरी बहन को उठाकर बिस्तर पर चौपाया कर दिया.. कुत्तिया के पोज में.. और खुद पीछे आकर मेरी बहन के गुलाबी छेद में अपना मोटा मुसल फिर से पेल दिया... एक जबरदस्त झटके के साथ ही मोटा लौड़ा मेरी दीदी की चुत को रगड़ता पूरा का पूरा जड़ तक अंदर समा चुका था...

...उईइइइइइइइइइ माँ , प्लीज ैमाँ ओह्ह आह नहीईईईई..

अब ठाकुर साहब पीछे से मेरी बहन की ठुकाई कर रहे थे... इस पोजीशन में उनका पूरा का पूरा हथियार मेरी बहन के अंदर बाहर हो रहा था.. उनकी बड़ी आंड मेरी दीदी की गांड से टकरा रही थी...

मेरी रूपाली दीदी की दोनों बड़ी-बड़ी दुधारू चूचियां उनके मंगलसूत्र के साथ झूला झूल रही थी.. क्योंकि पीछे से ठाकुर साहब बड़े जोर-जोर से मेरी दीदी को पेल रहे थे.. अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी ठाकुर साहब ने मेरी बहन के अंदर..

ठाकुर साहब मेरी बहन को घोड़ी बनाकर पीछे से बड़े जबरदस्त तरीके से पेल रहे थे... अब मेरी रूपाली दीदी के मुंह से भी कामुक सिसकियां और जोर जोर से निकल रही थी.. मेरी दीदी को अच्छी तरह पता था कि मैं हॉल में सोया हुआ और जगह हुआ हूं... और ठाकुर साहब के झटकों ने उन को बेहाल कर रखा था... वह अपनी सिसकियों पर काबू नहीं पा रही थी.. मैं सब कुछ सुन रहा था... मुझे तो डर बस इस बात का था कि अगर जीजू ने सुन लिया तो उनके दिल पर क्या बीतेगी...

ठाकुर साहब: आहह.. ! आ आहह.. ! आ आ आ आ आ आ आ..म म... रूपाली... आई लव यू..

मेरी रुपाली दीदी:::आहह.. ! आ आहह.. ! आ... बस ठाकुर साहब.. प्लीज अब और नहीं..आहह.. उंहम म..

. पर मेरे लिए सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि मेरी दीदी भी पूरा सहयोग दे रही थी... एक काम पीड़ित स्त्री की तरह मेरी दीदी सिसकियां ले रही थी... बल्कि सच कहूं तो उन्हें बेहद आनंद आ रहा था... मेरी दीदी भूल चुकी थी कि वह किस अवस्था में.... अपने यौन सुख के उन्माद में मेरी दीदी को यह भी याद नहीं रहा कि उनका भाई बगल के कमरे में लेटा हुआ सब कुछ सुन रहा है...

ठाकुर साहब ने एक बार फिर मेरी दीदी को बिस्तर पर पटक दिया और ऊपर आकर ठुकाई करने लगे.. इस खेल का अंत होने वाला था..

मेरी रूपाली दीदी ने ठाकुर साहब को धीरे से कहा: अब बस कीजिए.. ! मैं बहुत थक गई हूँ.. !

ठाकुर साहब ने कोई जवाब नहीं दिया बल्कि उनकी रफ्तार और तेज हो चुकी थी... कसी गुलाबी चिकनी मुनिया ने ठाकुर साहब के औजार को पिघला दिया था... मेरी बहन इस खेल में जीतने वाली थी.. झड़ने से पहले ठाकुर साहब ने मेरी बहन के अंदर 4-5 जबरदस्त झटके दिए... और अपना मक्खन मेरी बहन की कोख में भर दिया... तकरीबन 30 सेकंड तक वह मेरी बहन की कोख को भरते रहे.. अपनी मलाई से.. पूरा झड़ने के बाद भी कुछ देर तक मेरी बहन को पेल रहे थे... अपने मुरझाए हुए लोड़े से... मेरी बहन साथ ही झड़ गई थी... दोनों एक दूसरे से लिपट के सुस्ताने लगे थे... अब कमरे के अंदर थोड़ी शांति थी...

रात तकरीबन 2:00 बज चुके थे.. ठाकुर साहब तो बुरी तरह थक गए थे.. वह मेरी बहन के बगल में लेटकर नंगे ही सो गय और खर्राटे लेने लगे..

मेरी रूपाली दीदी का भी बुरा हाल था.. वह भी नंगी ही सो गई.. एक पतिव्रता नारी आज किसी गैर मर्द के बगल में नंगी सोई हुई थी.. कुछ ही दिनों में यह एक बहुत बड़ा बदलाव हो गया था मेरी बहन के लिए.. अब मुझे भी नींद आ गई थी वह मैं भी सो गया था.. सुबह तकरीबन 5:00 बजे मेरी रूपाली दीदी की आंख खुली..

मेरी दीदी ठाकुर साहब के साथ नंगी लेटी हुई थी एक चादर के नीचे... इस अहसास को महसूस करके ही मेरी रूपाली दीदी शर्म से पानी पानी हो गई... पर दोनों एक दूसरे के इतने करीब थे कि मेरी वाली दीदी गर्म हो रही थी.. वासना की आग में पागल हो रही थी... ठाकुर साहब का खड़ा था..लंबा मोटा लण्ड मेरी बहन की नाभि में चुभ रहा था... घरेलू और पतिव्रता औरत होने के नाते मेरी रुपाली जी देश शर्मआ रही थी.. ठाकुर साहब के औजार को अपने हाथ में लेना चाहती थी...

ठाकुर साहब गहरी नींद में थे.. और खर्राटे ले रहे थे... उनकी नींद का फायदा उठाकर और अपनी सारी शरम ताक पर रखकर मेरी बहन ने उनके हथियार को अपने हाथ में थाम लिया.. और सहलाने लगी..

हाय राम कितना बड़ा है ... मेरी रूपाली दीदी मन ही मन सोच रही थी.

ठाकुर साहब के खड़े लण्ड को हिलाते हुए अपने हाथ से पकड़ते हुए मेरी रूपाली दीदी ने अपने छेद पर लगा दिया और खुद उसको रगड़ रही थी.. मेरी बहन आज अपने आप से ही युद्ध कर रही थी.. यह क्या पाप कर रही है वह? खुद ही एक जानवर को जगा रही है... अपने होशो हवास गवा कर मेरी बहन गुंडे को जगा रही थी... ठाकुर साहब की आंख खुल गई.. नया एहसास हो गया था कि क्या हो रहा है.. सुबह के 5:30 बज चुके थे..

ठाकुर साहब ने मेरी बहन को खींच कर अपने ऊपर बिठा लिया.. और उनको देख कर मुस्कुराने लगे.. मेरी दीदी शर्म से पानी पानी हो गई थी.. ठाकुर साहब की तरफ देख भी नहीं पा रही थी...

ठाकुर साहब ने एक बार फिर मेरी बहन को पेल दिया था..उनका आधा लण्ड, मेरी रूपाली दीदी के चूत के अंदर चला गया और ठाकुर साहब धीरे धीरे मेरी दीदी के कानों मे कुछ कहते हुए, अपना लण्ड उनकी चूत के अंदर बाहर करने लगे..

ठाकुर साहब: क्या हुआ रूपाली... और पास आओ ना मेरे..

मेरी रूपाली दीदी: नहीं ठाकुर साहब प्लीज.. आपने जो बस आज सोनिया के लिए किया... मैं तो बस आभारी हूं आपकी.... आपने बहुत बड़ा एहसान की हमारे ऊपर... मेरी बेटी के चेहरे पर खुशी आज बहुत दिनों के बाद दिख रही थी..

ठाकुर साहब: अच्छा.. तो आज की रात जो तुम मेरे साथ सोई हो.. यह उसके लिए है?

मेरी रूपाली दीदी: जी वह... ठाकुर साहब ..वह बात.. (आवाज में कंपन हो रही थी मेरी बहन की)..

ठाकुर साहब: तो क्या कल रात तुम मेरे साथ नहीं सोओगेई...?

मेरी रूपाली दीदी: देखिए ठाकुर साहब प्लीज आप ऐसी बातें मत कीजिए.. सुबह के 5:00 बज चुके हैं.. मेरे पति विनोद सुबह 5:30 बजे उठ जाते हैं.. अगर उन्होंने देख लिया कि हमारे कमरे का दरवाजा बंद है तो पता नहीं क्या सोचेंगे..

ठाकुर साहब: उसे जो भी सोचना है सोचने दो.. तुम्हारा भाई भी तो हॉल में सोया हुआ है.. वह तो देख ही रहा होगा कि हमारे बेडरूम का दरवाजा बंद है.. उसे तो अंदाजा हो रहा होगा कि हम लोग क्या कर रहे हैं अंदर ..

मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब.. मेरे छोटे भाई के बारे में कुछ मत बोलिए.. वह भी छोटा है बहुत .. उसे नहीं पता होगा.. वैसे भी उसको नींद आ जाती है...

ठाकुर साहब: खैर छोड़ो ...रूपाली आई लव यू... तुम तो जानती हो ना..

मेरी रूपाली दीदी: कैसी बातें कर रहे हैं आप... मैं आपकी बेटी की उम्र की हूं... प्लीज ऐसा मत बोलिए..

सुबह 5:00 बजे ही मेरी आंख खुल गई थी उन दोनों की बातें सुनकर.. मैं अपनी सांसे रोक के उन दोनों की बातें सुन रहा था...

ठाकुर साहब ने अभी भी मेरी बहन को अपनी बाहों में जकड़ रखा था.. मेरी रूपाली दीदी नंगी होकर ठाकुर साहब की जांघों के ऊपर बैठी हुई थी.. स्थिति कुछ ऐसी थी कि मेरी रूपाली दीदी की गांड की दरार ठाकुर साहब की दोनों जांघों के बीच में थी. ठाकुर साहब ने अपना एक हाथ पीछे ले जाकर मेरी दीदी की गांड के छेद को सहलाया.. अपनी बीच वाली उंगली से उन्होंने मेरी बहन की गांड के छेद पर एक लंबी सी लकीर खींच दी...

ठाकुर साहब की इस हरकत से मेरी रूपाली दीदी अंदर से सिहर गई.. कांपने लगी... लेकिन अपने मुंह से कुछ नहीं बोल सकी.. ठाकुर साहब ने जब अपनी हरकत दोहराई ...

मेरी रूपाली दीदी : “म्मम्मम्मम्मम्मम्म” नहीं ठाकुर साहब प्लीज..

ठाकुर साहब: तुम्हें अपने पति विनोद में आखिर क्या दिखता है.. मानता हूं कि वह अपाहिज है और अभी लाचार है... लेकिन आखिर वह क्यों तुम्हें मेरे साथ सोने दे रहा है? क्या उसे नहीं पता कि मैं तुम्हारे साथ क्या-क्या कर सकता हूं...

मेरी रूपाली दीदी: प्लीज ठाकुर साहब.. मैं बस सोनिया की खुशी देखकर आपके पास आई थी.. मैं बार-बार आपके लिए ऐसा नहीं कर सकती हूं.. मैं मर जाऊंगी..

ठाकुर साहब: तुम इतनी हसीन और खूबसूरत हो रूपाली.. कोई भी पैसे वाला तुम्हें 2 मिनट में मिल जाएगा और तुम्हें रानी बनाकर रखेगा.. क्यों इस विनोद के लिए बैठी हुई हो अभी तक..

मेरी रूपाली दीदी: विनोद मेरे पति हैं..

ठाकुर साहब: देखना रूपाली.. एक दिन तुम खुद ही थक जाओगी विनोद से.. तब मैं तुमसे पूछूंगा..

ठाकुर साहब की बातें सुनकर मेरी रूपाली दीदी को बहुत बुरा लग रहा था.. मेरी रूपाली दीदी अपने पति से बहुत प्यार करती थी.. और मेरे जीजू के बारे में ठाकुर साहब जिस तरह से बात कर रहे थे उनको बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था.. मेरी बहन की आंखों में आंसू आने लगे थे..

ठाकुर साहब ने मेरी दीदी के चेहरे को अपने पास खींचा और उनके होठों पर चुम्मा लेने लगे.. दीदी भी ठाकुर साहब को प्यार से चूमने लगी थी.. मेरी बहन अच्छी तरह जानती थी कि अभी के लिए उन्हें ठाकुर साहब को सहयोग देना ही पड़ेगा..

दोनों के बीच का चुंबन बेहद प्यारा था.. मेरी रूपाली दीदी ने अपनी बाहें ठाकुर साहब के गले में डाल दी थी... ठाकुर साहब अपने दोनों हाथों से मेरी बहन की गांड को बड़े प्यार से मसल रहे थे.. दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे थे.. ठाकुर साहब बार-बार मेरी दीदी की गांड के छेद के साथ छेड़खानी कर रहे हैं ... पर अभी तक उन्होंने अपनी उंगली मेरी बहन की गांड के छेद में डाली नहीं थी... ठाकुर साहब इंतजार कर रहे थे.. मेरी रूपाली दीदी की नरम गरम मक्खन मुनिया और उसके ऊपर की झांठ का स्पर्श पाकर ठाकुर साहब का लंड बुर्ज खलीफा की तरह खड़ा हो गया था.. एक बार फिर वह मेरी बहन की लेने के लिए तैयार हो चुके थे..

मेरी रुपाली दीदी भी अच्छी तरह जान रही थी कि एक बार फिर ठाकुर साहब उनको सुबह होने से पहले पेलाई करेंगे..

दोनों के होंठ है आपस में रगड़ खा रहे थे.. दोनों की होठों की लार टपक रही थी चुंबन के दौरान... आप दोनों के बीच का चुंबन बहुत गहरा और बहुत कामुक हो चुका था...

.. मेरी रुपाली दीदी अपना पूरा धैर्य और संतुलन खोती जा रही थी.. अपने मान मर्यादा को भूल चुकी थी.. मेरी बहन खुद ही अपनी गरम गुलाबी कसी हुई चूत को ठाकुर साहब के फौलादी मुसल के ऊपर रगड़ने लगी..

दोनों के मुंह से..आअह्ह्ह्ह ऊऊऊऊओ --- ह्ह्ह्हह्ह्ह्हम्मम्मम !!!” की आवाजें निकलने लगी थी.. ठाकुर साहब लगातार मेरी बहन की गांड को मसल रहे थे.. और उनकी गांड के छेद के साथ छेड़खानी कर रहे थे.. अभी तक ठाकुर साहब ने अपनी उंगली अंदर नहीं घुसआई थी.. ठाकुर साहब की इन हरकतों से मेरी दीदी बेहद शर्मिंदा महसूस कर रही थी.. उनका अपाहिज पति और बेवकूफ भाई बगल के कमरों में सोया हुआ है और वह खुद एक लोकल गुंडे के साथ जो यहां का पॉलीटिशियन भी है , मेरी बहन के बदन के साथ खेल रहा है.. एक पतिव्रता औरत होने के कारण मेरी रूपाली दीदी शर्म से पानी पानी हो रही थी..

वह कहते हैं ना प्यार और हवस के आगे किसी का बस नहीं चलता.. मेरी रूपाली दीदी का भी वही हाल था.. दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी मेरी जवान कामुक बहन ठाकुर रणवीर सिंह के बिस्तर में अपनी सारी मान मर्यादा लाज शर्म भूल कर उनका सहयोग दे रही थी.. उनका भाई और उनका पति घर में मौजूद था.. मैं तो जगा हुआ था और सुन भी रहा था उनके बीच की आवाज .. जो धीरे-धीरे आ रही थी..

ठाकुर साहब अभी भी मेरी रुपाली दीदी को चूम रहे थे.. हालांकि मेरी दीदी थोड़ा बहुत विरोध कर रही थी.. दोनों उसी बिस्तर में एक दूसरे से लिपट के एक दूसरे को पटकने का प्रयास कर रहे थे.. कभी ठाकुर साहब मेरी दीदी के ऊपर सवार हो रहे थे ..कभी मेरी दीदी ठाकुर साहब के ऊपर... सुबह के 5:30 बज चुके थे.. रात बीत चुकी थी और सवेरा होने वाला था... दोनों बिल्कुल नंगे थे..

अचानक बिना बताए ठाकुर साहब ने अपनी बीच वाली उंगली मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी की चूत में पेल दि.. मेरी बहन की आधी खुली हुई आंखें अब पूरी खुल गई थी.. वह अपने दोनों जांघों को बंद करने का प्रयास करने लगे... लेकिन ठाकुर साहब ने अपनी कोहनी के ताकत से दोनों जांघों को अलग कर दिया था और अपनी उंगली पेलने लगे.. तकरीबन 2 मिनट के बाद मेरी दीदी शांत हो गई और अपनी टांगों को फैला कर ठाकुर साहब को उंगली पेलने में सहायता करने लगी थी..

ठाकुर साहब की कामुक हरकतों से मेरी रूपाली दीदी की दोनों छातियां फूल के गुब्बारा बन गई थी.. उनके दोनों निपल्स कड़क होकर खड़े हो गए थे और ठाकुर साहब को आमंत्रित कर रहे थे.. गोरी गोरी चुचियों के ऊपर मेरी दीदी का मंगलसूत्र देखकर ठाकुर साहब उत्तेजित हो रहे थे..

ठाकुर साहब की निगाहें मेरी रूपाली दीदी के दोनों गुब्बारों के ऊपर टिकी हुई थी.. बड़ी प्यासी निगाहों से वह मेरी बहन के गुब्बारे को देख रहे थे.. दीदी ने जब देखा कि ठाकुर साहब कहां देख रहे हैं तो वह फिर से शर्म से पानी पानी हो गई..

मेरी रूपाली दीदी के एक पके हुए आम को ठाकुर साहब ने अपने एक हाथ से दबोच लिया और उनके निपल्स को अपनी जीभ से चाटने लगे थे.. मेरी बहन ने रोकने का बहुत प्रयास किया पर उनकी चूची से दूध की धार निकलने लगी.. और ठाकुर साहब मेरी बहन का दूध पीने लगे.

ठाकुर साहब मेरी बहन की उस चूची को ऐसे दबा रहे थे जैसे कोई बस ड्राइवर अपनी बस की होरन को दबाता है.. और फिर चूस रहे थे.. मेरी बहन की छाती से निकलने वाले मां के दूध को... जिस दूध पर मेरी बहन के बच्चों का अधिकार था उस दूध को एक गुंडा पी रहा था... और मैं हॉल में चुपचाप लेटा सुन रहा था...

मेरी रूपाली दीदी: “म्मम्मम्मम्मम्मम्म” ठाकुर साहब.. प्लीज.. जाने दीजिए ना..

ठाकुर साहब ने मेरी बहन की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया, बल्कि वह तो मेरी दीदी के ऊपर चढ़ गय और मेरी बहन की दोनों चुचियों को थाम के उनका दूध पीने लगे थे बारी बारी से... कभी दाईं चूची तो कभी बाई.. मेरी रूपाली दीदी उनके नीचे पड़ी हुई तड़प रही थी सिसक रही थी..

ठाकुर साहब अपना पूरा मुंह खोल के जितना संभव हो सके उतना मेरी बहन की छाती को अपने मुंह में लेने का प्रयास कर रहे थे... मेरी दीदी की चूचियां अकड़ के तन गई थी.. और ठाकुर साहब मेरी बहन के पके हुए आम को चूस रहे थे.. उनमें से दूध निकाल रहे थे... ठीक उसी प्रकार से जैसे कि कोई जवान मर्द एक बड़े आम को मुंह में लेकर चूसता है..

किसी गैर मर्द की बीवी को अपने बिस्तर पर लाकर उसकी चूचियों से दूध पीने का जो आनंद होता है ,ठाकुर साहब उस आनंद का पूरा मजा लेना चाहते थे.. तकरीबन 10 मिनट तक वह मेरी बहन का दूध पीते रहे..

नीचे ठाकुर साहब की अंगुलियों के जादू से मेरी रूपाली दीदी झड़ गई. और ठाकुर साहब से लिपट कर उनको चूमने लगी..दोनों के वासना की आग में सूखे ओंठ कांपते हुए फलकों के साथ एक दुसरे से चिपक गए.. एक दुसरे के मुहँ का रस एक दुसरे के सूखे ओंठो को नमी देने लगे..

ठाकुर साहब का खड़ा मुसल इधर उधर उछल रहा था... वह अब इंतजार करने के मूड में नहीं थे.. उन्होंने मेरी बहन को बिस्तर पर चित कर दिया और अपना मुसल मेरी बहन के गुलाबी त्रिकोण के ऊपर टिका दिया...

सुबह के 6:00 बज चुके थे सूरज निकल आया था..

ठाकुर साहब पूरी तरह से झुकते हुए मेरी रूपाली दीदी के गुलाबी बदन के ऊपर छा गए थे.. मेरी बहन भी अपनी जांघों से फैलाए हुए ठाकुर साहब का इंतजार कर रही थी.. अपनी दोनों टांगों को फैला कर मेरी दीदी ने अपनी जांघों को ऊपर की तरफ उठा रखा था..

ठाकुर साहब ने अपने एक हाथ से अपने लंड को मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी चूत के मुहाने से सटाया .. मेरी रूपाली दीदी ने भी खुद को पूरी तरह से मुसल लंड के लिए तैयार कर लिया था ..फिर मेरी दीदी ने ठाकुर साहब को बांहों में भरते हुए अपने हाथ उनकी पीठ पर जमा दिए ... मेरी बहन भी जानती थी ठाकुर साहब का लंड बहुत मोटा और तगड़ा है उसकी चीख ही निकल जाएगी इसीलिए उसने भी अपने आप को तैयार कर लिया था.. मेरी बहन ने अपने पैरो का क्रॉस बनाते हुए उसे ठाकुर साहब की कमर पर चिपका दिया ..मेरी रुपाली दीदी जानती थी ठाकुर साहब का लंड उसकी चूत को चीर के रख देगा इसीलिए वह उसको भी बर्दाश्त करने के लिए पूरी तरह तैयार थी..

ठाकुर साहब ने मेरी रूपाली दीदी की आँखों में गहराई तक झाँका और उसके बाद में उन्होंने धीरे से एक बार में हल्का सा झटका मारा उनका सुपारा मेरी बहन की कसी हुई गुलाबी चूत को चीरता हुआ अंदर फंस गया ..

मेरी दीदी ने अपने दांत ठाकुर साहब के कंधे पर गड़ा दिए थे ताकि उनके मुंह से आवाज ना निकल सके... लेकिन मैं समझ गया था कि अंदर क्या हो रहा है.. ठाकुर साहब ने दूसरा झटका मारा फिर तीसरा.. और पूरा का पूरा मुसल मेरी बहन के गुलाबी छेद में फिट कर दिया... मेरी रूपाली दीदी की गुलाबी चिकनी चमेली की दीवारों ने ठाकुर साहब के मुसल को बुरी तरह जकड़ रखा था... ऐसा लग रहा था कि यह छेद ठाकुर साहब के मुसल के लिए बिल्कुल फिट है...

मेरी रूपाली दीदी के मुहँ से सिसकारी भरी कराह निकल गयी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह... ठाकुर साहब.. नहीं प्लीज...

इसके बाद ठाकुर साहब ने अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से मेरी बहन की चूत में पेल दिया था...मेरी बहन के मुंह से फिर से एक कराह निकल गई थी - ऊऊऊऊऊईईईईईईईईईई माम्मामामामामाम्मईईई..

मेरी रूपाली दीदी की दोनों चूचियों को थाम के ठाकुर साहब मेरी बहन को पेलने लगे थे... उन्होंने शुरुआत तो बहुत धीरे की थी.. पर कुछ ही देर में उन्होंने अपनी पूरी रफ्तार पकड़ ली.. और मेरी दीदी को अपनी पूरी ताकत से पेलने लगे..

मेरी रूपाली दीदी की चूत पूरी तरह से फ़ैल चुकी थी उनकी खुली गुलाबी चूत में ठाकुर साहब का लंड अब सटा सट जा रहा था..

उस पुराने पलंग से चर चर चर चर की आवाज आ रही थी.. ऐसा लग रहा था जैसे पलंग टूट जाएगा... मेरी बहन के हाथों की चूड़ी और पैरों की पायल खन खन खन की आवाज निकालते हुए मेरे कानों में गूंज रही थी..

और ऊपर से उन दोनों की कामुक सिसकियां और चीख सुनकर मैं घबराया हुआ था कि अगर मेरे जीजू को ऐसी आवाज सुनाई दे दी तो उनको तो हार्ड अटैक ही आ जाएगा...

मेरी रूपाली दीदी के योनि रस से भीगे होने के कारण उस विशालकाय लंड को अंदर प्रवेश करने को लेकर कोई खास प्रतिरोध का सामना नही करना पड़ा.. ठाकुर साहब पूरी रफ्तार से मेरी बहन को ठोक रहे थे..

मेरी रूपाली दीदी: “मम्ममम्म्म ओफ्फ मैं पागल हो रही हूँ ---- आअह्ह्ह” ठाकुर साहब प्लीज.. अब तो जाने दीजिए ना..

मेरी दीदी के मुंह से ऐसी बात सुनकर ठाकुर साहब तो पागल हो गय और उन्होंने अपने मुसल को मेरी बहन की गुलाबी मुनिया के उस हिस्से पर कस के ठोकर मारी जहां पर दर्द होता है.. मेरी बहन तड़पने लगी..

जवाब में मेरी रूपाली दीदी बड़ी सख्ती से बिस्तर के चादर को दोनों तरफ़ से अपने मुट्ठियों से पकड़ कर भींच ली ----

धीरे धीरे ही सही , पर अब मेरी रूपाली दीदी यौन तनाव में जंगली होती जा रही थी,

“आअह्ह्ह ... प्लीज़ रुकिए --ठाकुर साहब... म्मम्मम !!”

धीरे से ठाकुर साहब के कान में बोल पड़ी ---

इतना सुनना था कि ठाकुर साहब ने अपनी अपनी स्पीड धौंकनी की तरह और बढ़ा दि और मेरी बहन भी अपनी गांड उठा उठा कर उनके स्पीड को मैच करने की कोशिश करने लगी ---

धपप्पप धप्प धपप्पप धप्प! धपप्पप धप्प धपप्पप!! धपप्पप धपप्पप धपप्पप!! धप्प धप्प प्पप्प!!

आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आअह्ह्ह्हह आआऊऊईई!!!

धप्प धपप्पप धप्प धपप्पप धप्प धपप्पप प्पप्पप्प!!

ओह्ह्ह्ह ऊओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह आआऊऊईई !!!

धप्प धपप्पप धप्प धपप्पप !! धप्प धपप्पपप प्प धप्पप्पप्प!!

ह्हह्ह्ह्हह आआऊऊईई !!!!!

!!! धप्प धपप्पप धप्प धपप्पप धपप्पप्पप !!

पूरे कमरे में बस यही दो आवाजें गूँज रही थीं ;

एक ठुकाई की --- और दूसरी कराहने की ---- !!

मुझे तो बस डर इस बात का था कि अगर मेरे जीजू जग गय तो फिर क्या होगा..

ठाकुर साहब इस वक़्त एक जानवर सरीखा लग रहे थे --- और --- ये बड़ा जानवर न तो अपनी पंपिंग अर्थात, --- चुदाई की गति को कभी धीमा किया,--- उल्टे मेरी रूपाली दीदी को उनके मांसल कमर के चारों ओर से कसकर पकड़ कर --- उनके चूत पर ज़ोरदार बेरहम तरीके से चुदाई चालू रखी --- “आआओओओओह्ह्ह्हघ्घ्घ्घ” ---- एक लंबी और तेज़ चीख.. उनके दोनों पैर सीधे हवा में उठ कर और भी अधिक फ़ैल गए ---

वह जानवर मेरी रूपाली दीदी के टांगों को हवा में फैलाए उनकी चूत को ऐसे भर रहा था जैसे पहले कभी नहीं भरा था !

हर ज़ोरदार शॉट के बाद थोड़ा सा रुक कर, बड़े आराम से आहिस्ते से लंड को बाहर निकालता --- और जब लगभग पूरा अंदर घुस जाता--- और हर धक्के में इतना दम होता कि उनकी मुनिया में दर्द होने लगा था...

मेरी रूपाली दीदी बुरी तरह से हांफने लगी और उनकी सांसे भारी होने लगी.. दीदी मचल रही थी तड़प रही थी..

मेरी रूपाली दीदी: “उफफ्फ्फ्फ़ ! ---- होफ्फफ्फ्फ़ !----- उफ्फ्फफ्फ्फ़ ! --- आह्ह्ह्ह!!”

ठाकुर रणवीर सिंह नाम के ठरकी बुड्ढे के कूल्हे तेजी से हिलने लगे ---- बुड्ढे का गांड जिस तेज़ी से नीचे आती उसी रफ्तार से मेरी बहन अपनी गांड उठा उठा के उनको सहयोग देने का नाकाम प्रयास कर रही थी..

बीच-बीच में ठाकुर साहब अपनी रफ्तार धीमी कर लेते तब मेरी रुपाली दीदी अपनी साँस को वापस लय में नहीं पा लेती --- और एकबार ऐसा होते ही वो फिर से अपनी गति पकड़ लेते --- और --- इस बार तो और भी अधिक --- और भी प्रचंड तीव्रता के साथ चुदाई प्रारंभ कर दिया उन्होंने तो --- और प्रत्येक ज़ोर के ठाप के साथ उनका लौड़ा और अंदर प्रविष्ट होता जाता --- एक समय तो ऐसा भी लगा की कहीं मेरी बहन बेहोश ही न हो जाए !!​
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