Episode 03
एक बार अंदर घुसने के बाद न उन्हें अब कोई जल्दी थी , न मुझे कोई घबड़ाहट ,
और अब उनके होंठ , रात में जो हलके से चुंबन चुरा लेते थे , कभी उन्हें लगता था , की मैं मना न कर दूँ , पर अब बड़े हक़ से , उनके होंठ मेरे होंठों को दबोच कर , कभी उनका रस लेते , तो कभी मेरे गोरे गुलाबी गालों को चूस लेते , हलके से कभी दांत भी ,.
और मैं सिहर उठती , सिसक सिसक कर ,.
मुश्किल से अगर कभी मेरे मुंह से नहीं निकल जाता तो तो उनके होंठों के भौंरे मेरे युगल कमल ,
दोनो जुबना पर घात लगा देते ,
अब तक मुझे मालूम पड़ गया था , ये लड़का ,. मेरे चोली के फूलों के पीछे ,. एकदम पागल है , . . उसकी निगाहें , उसकी उँगलियाँ , उसके होंठ ,.
जब वो कस के मेरे निप्स पर दोनों होंठ लगाए ,. मैं एकदम गीली हो रही थी , सिसक रही थी ,
गिनगीना रही थी , मेरे हाथों ने अपने आप उनके सर को पकड़ कर और जोर से , मेरी ओर ,.
मेरी देह अब मेरी रही कहाँ था , . मन तो पहले भी ये चुरा ले गया था ,
उस दिन जब मेरी शादी में पहली बार चार आँखों का खेल शुरू हुआ ,.
और आज पहली रात में तन भी ले गया ये चोर चुरा कर ,. बल्कि डाका डाल कर ,.
और ' वो ' भी अंदर धंसा घुसा ,. .
इनकी सलहज , मेरी रीतू भाभी ने बहुत सी बातें सिखायीं थी , .
और उसमें एक ये भी थी की मरद की मलाई से बढ़कर कोई चिकनाई नहीं होती ,. इसलिए जैसे वो झड़े , दोनों निचले होंठ भींच कर , सब का सब अपने अंदर समेट लो , . एक भी बूँद बाहर न छलकने दो , .
अगली बार के लिए वही सबसे बड़ी चिकनाई होगी ,.
और यहाँ तो दो बार का , एकदम किनारे तक भरा ,. बजबजा रहा ,.
इसलिए अबकी इन्होने वैसलीन नहीं लगाई थी तब भी , धँसाने में ,. मैं नहीं कहूँगी दर्द नहीं हुआ , चीख निकल गयी मेरी ,. लेकिन ,. इनके कमर में ताकत भी तो जबरदस्त , .
धीमे धीमे कर के आधे से ज्यादा अंदर था ,. .
मेरी निगाह मैन्टलपीस पर रखी घड़ी पर पड़ी , सवा छः बजने वाले थे ,
पूरब में आसमान पर हलकी हलकी लालिमा छाने लगी थी, पूरी रात इनकी बाँहों में बीती ,
और ,. और शायद इनको भी अहसास हो गया था की बस अब कुछ देर में सुबह होने वाली थी ,.
बस इन्होने फिर एक बार , मेरी दोनों टाँगे इनके कंधे पर , . और अब जब ये मेरे भारी नितम्बों के नीचे तकिया लगा रहे थे , मैंने खुद उन्हें और ऊँचा उठा लिया ,
बस फिर तो धक्के पर धक्का , अबकी दोनों हाथ इनके मेरे जुबना पर ही थे , हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह देख रहे , कभी ये झुक के मुझे चूम लेते तो अब हिम्मत कर के मैं भी अपने होंठ ऊपर उठा कर , और सच बोलूं तो , पहली दो बार के मुकाबले ये तो एकदम दस गुनी तेजी से ,
एकदम मुझे मसल कुचल कर के रख दिया उस बदमाश ने ,.
पूरे आधे घंटे तक , और मैं बावरी भी अब उन्ही का साथ दे रही थी ,.
चुन चुन कर मेरी नंदों ने बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियां , जूही और चमेली की कलियाँ ,.
मेरे साथ वो भी मसल दी गयीं ,. . पता नहीं कितनी बार मेरी आँखों के आगे तारे नाचे ,
मैं एकदम शिथिल हुयी पर अबकी उनके धक्के कम होने का नाम नहीं ले रहे थे ,.
और जब हम दोनों साथ साथ ,. वो मेरे ऊपर , मेरे अंदर ,.
तो भी मैं जो उन्हें कस के अपनी बाँहों में भींचे थी , वो पकडन कम नहीं हुयी
हम दोनों एक दूसरे को जकड़े दबोचे , थोड़ी देर वो मेरे ऊपर , . . .
और फिर अगल बगल , . . वो मेरे अंदर पूरी तरह धंसे , न उनका मन कर रहा था मुझे छोड़ने का
और मेरा तो ,. जिस दिन मैंने उन्हें पहले पहल देखा था उस दिन से ही ,.
बस यही सोचती थी किसी तरह ये लड़का एक बार पकड़ में आ जाए ,.
लेकिन श्रीमती घडी देवी न , .
पहले आसमान पर हलकी सी टिकुली सी , और फिर धूप की किरण , . हम लोगों की देह पर रंगोली बनाती , शरारती ननदों की तरह छेड़ती , चिढ़ाती , चिकोटियां काटती ,.
घड़ी में पहले मेरी निगाह पड़ी , फिर उनकी , सात बज गए थे , . .
माना भाभी ने नौ बजे तक का अभयदान हमें दिया था ,
लेकिन ,. मैने उठने की कोशिश की लेकिन बहुत जोर से जाँघों में चिलक उठी , एक तेज दर्द की लहर ,.
पर ये लड़का था न ,
उन्होंने सहारा देकर उठाया ,
मैंने झुक कर किसी तरह अपनी रात से बिछुड़ी चोली , लहंगे और चुनर को उठाया ,
बस लपेट लिया किसी तरह . एक कदम नहीं चला जा रहा था , .
पर इन्होने सहारा देकर ,. कमरे से सटा हुआ बाथरूम ,.
और उसी के साथ एक ड्रेसिंग रूम भी ,. बस दरवाजा खोल के उन्होंने मुझे अंदर तक ,.
और जब तक मैंने दरवाजा बंद नहीं किया , . . वो लालची मुझे देखता रहा ,.
बीती विभावरी जाग रे
घड़ी में पहले मेरी निगाह पड़ी , फिर उनकी , सात बज गए थे , . .
माना भाभी ने नौ बजे तक का अभयदान हमें दिया था , लेकिन ,. मैने उठने की कोशिश की लेकिन बहुत जोर से जाँघों में चिलक उठी , एक तेज दर्द की लहर ,. पर ये लड़का था न ,
उन्होंने सहारा देकर उठाया , मैंने झुक कर किसी तरह अपनी रात से बिछुड़ी चोली , लहंगे और चुनर को उठाया , बस लपेट लिया किसी तरह .
एक कदम नहीं चला जा रहा था , . पर इन्होने सहारा देकर ,. कमरे से सटा हुआ बाथरूम ,.
और उसी के साथ एक ड्रेसिंग रूम भी ,. बस दरवाजा खोल के उन्होंने मुझे अंदर तक ,. और जब तक मैंने दरवाजा बंद नहीं किया , . . वो लालची मुझे देखता रहा ,.
और जब मैं बाहर निकली , तो कमरा पहचाना नहीं जा रहा था।
बिस्तर पर रात के सारे निशान , एक नयी चादर बिछी थी , एक पोटली ,. मैंने खोल कर देखा तो मेरी चूड़ियों के टुकड़े , दबी कुचली गुलाब की पंखुड़ियां , सब की सब यादों के तौर पर इन्होने समेट कर रख दिया था , कल रात की चादर भी ,. सम्हाल कर ,. और सबसे बड़ी बात तो ,.
बेड टी ,. दो कप , गरमागरम ,.
( तब मुझे पता चला की इसके कमरे के साथ एक जुड़ा छोटा सा किचेनेट भी है )
मैंने उन्हें चिढ़ाया ,
' गंदे ,. बिना ब्रश के , . चाय "
' तो कर लेता हूँ न अभी ,. "
वो बोले , और खींच कर मुझे अपनी गोद में ,
और उनके होंठ मेरे होंठों पर , जीभ मेरे दांतों पर ,.
चाय के बाद वो बाथरूम में और
मैं , प्याले , दूध का ग्लास , पान की प्लेट लेकर सीधे किचनेट में ,
बाहर निकल कर मैंने एक बार कमरे की छोटी से छोटी चीज़ , मुझे मालूम था ,
मेरी ननदें
अभी आएँगी तो कमरे का डिटेल्ड मौका मुआयना करेंगी ,. एक एक चीज ,.
और फिर मुझे छेड़ने का मौका , .
तब तक मम्मी का फोन आया ,. और बजाय मेरी 'दुर्दशा' पूछने के इनका हाल पूछा
' दामाद जी कैसे हैं ' ,. मेरे घर में सब नंबरी दलबदलू ,. इनकी सास , सलहज , सालियाँ ,. सारी की सारी , अब मेरा साथ छोड़ के इनका साथ देती हैं ,
' चाय अच्छी बनाते हैं , . " मैं खिलखिला के बोली।
" तेरा हलवा बना की नहीं , "
पीछे से इनकी सलहज की आवाज आयी ,
मन तो हुआ की बोल दूँ , रात भर रोड रोलर चला मेरे ऊपर ,. . लेकिन रीतू भाभी भी फिर छोड़ती नहीं मुझे ,. मैं चुप रही। पर मम्मी भी न अब वो मैदान में आ गयी ,
"अरे दामाद जी ने कचकचा कर प्यार किया की नहीं। "
मैं चुप रही , पर भौजी के सामने चुप रहना आसान था क्या ,
उन्होंने बोला था की ठीक आठ बजे फोन कर के सुहाग रात का सारा हाल पूछूँगी ,
और अगर साफ़ साफ़ , खुल कर नहीं बताया न तो , . और ठीक आठ बजे
उनका और मम्मी का फोन आ गया।
" मैं पूछती हूँ , नन्दोई जी ने फाड़ तो तेरी दी ही होगी , ये बता कित्ती बार ,. "
मैं खिलखिलाती रही , भौजी ने समझाया था दो बार तो करेगा ही , .
" साफ़ साफ़ बोलो , कित्ती बार चुदी ,. . अब तो समझ में आया क्या पूछ रही हूँ ,. . "
" भौजी , आपके रिकार्ड की बराबरी कर ली। " हँसते हुए मैं बोली ,
डेढ़ दो साल हुआ होगा जब भौजी आयी थीं , और अगले दिन हम सब ननदों ने , और सबसे आगे थी मैं , उनसे उगलवा लिया , तीन बार ,.
लेकिन उसके बाद कोई नयी भौजी आती गाँव में या किसी लड़की की शादी हो के जाती तो पहला सवाल यही होता और रीतू भाभी हर बार यही कहतीं , मेरी किसी ननद ने मेरे रिकार्ड की बराबरी नहीं की ,
पहली रात में तीन बार।
" तुम सच में मेरी असली ननद हो , "
ख़ुशी उनकी आवाज में छलक रही थी लेकिन वो मुद्दे पर आ गयी ,
" बोल कित्ता बड़ा है , . . ६ इंच , सात इंच ,. "
अब मेरी बारी थी चिढ़ाने की ,
" ननदोई आपके हैं आप पूछ लीजिये न , बल्कि नाप ही लीजियेगा जब मिलेंगे "
" और क्या तू समझती है छोडूगी , और सिर्फ नापुंगी क्यों , घोंटूंगी भी , पहला हक़ सलहज का होता है ननदोई पर। "
इनकी सलहज भी न ,.
लेकिन इत्ती आसानी से वो अपनी ननद को नहीं छोड़ने वाली थी वो , बोलीं , चल आज छोड़ दिया लेकिन कल इसी समय फोन करुँगी एकदम सही सही बताना , बल्कि फोटो व्हाट्सऐप कर देना , पर कुछ तो बोल अंदाज से ,
" भाभी जो आपने बताया था , आखिरी में , उससे थोड़ा सा ज्यादा ,. . "
लेकिन तब तक वो बाथरूम से बाहर निकल आये और मैंने उनकी सहलज को बोल दिया
" भौजी आप सीधे उन्ही से पूछ लीजिये न , वो आगये हैं ,. "
और वहीँ से मैंने उन्हें हंकार लगाई , .
" जल्दी आइये , आपकी सलहज आप से कुछ पूछना चाहती हैं ,
और वो भी एकदम लपक कर ,.
फिर तो सिर्फ सलहज ही नहीं सास भी , और स्पीकर फोन तो ऑन ही था खूब लहक लहक कर ,. दस मिनट के बाद लेकिन उन्होंने स्पीकर फोन बंद कर दिया , और वो और उनकी सहलज , थोड़ी देर ये तो सिर्फ हाँ हूँ , कर रहे थे ,. बस एकदम अभी ,. बोल कर उन्होंने फोन रख दिया , .
मैं बिस्तर पर नहायी धोयी ताज़ी फ्रेश साडी ब्लाउज पहने , नौ बजे ननदों के आने के लिए तैयार बैठी ,. . और फोन रखते ही उन्होंने मुझे हलके से पुश किया ,
मैं आधी पलंग पर पीठ के बल, और एक झटके में ,
सलहज के चमचे
मैं बिस्तर पर नहायी धोयी ताज़ी फ्रेश साडी ब्लाउज पहने , नौ बजे ननदों के आने के लिए तैयार बैठी ,. . और फोन रखते ही उन्होंने मुझे हलके से पुश किया ,
मैं आधी पलंग पर पीठ के बल, और एक झटके में ,
मेरी लम्बी गोरी गोरी टाँगे , उनके कंधे पर , मेरी साडी पेटीकोट अपने आप सरक कर , मेरी पतली कमर तक , मेरी दोनों जाँघे खुली, फैली , और साथ साथ जबतक मैं कुछ बोलूं , मना करूँ , उन्होंने मेरी पैंटी खोल दी , एक स्ट्रिंग थांग सी थी और ,
वो फर्श पर , उनका पजामा भी ,
फिर तकिये को सरका कर वैसलीन की बड़ी सी शीशी से वैसलीन ढेर सारी वैसलीन निकाल कर अपने मुस्टंडे पर वो लगा रहे थे , उसका ' मुंह ' एकदम खुला , और वहां भी वैसलीन ,.
बची खुची मेरी खुली फैली जाँघों के बीच ,
और एक करारा धक्का , जब तक मैं बोलूं , अरे सुबह सुबह , . लेकिन मैं बोलती क्या मेरा ध्यान तो उस मूसलचंद को देखने में लगा था ,
पहली बार दिन की रौशनी में , परदे अच्छी तरह बंद थे , पर छन छन कर सुबह की रौशनी तो आ ही रही थी और एकदम साफ साफ दिख रहा था ,
था तो उन्ही की तरह गोरा लेकिन खूब लम्बा मोटा , तन्नाया ,.
जैसे ही मेरी चीख निकली , वो अंदर घुसा , . . मेरे मुंह को उन्होंने अपने होंठो से भींच दिया , और ऊपर से मैंने एक लो चोली कट ब्लाउज पहना था , जिसके बटन सामने थे ,
और ब्रा भी फ्रंट ओपन , दोनों उतरे तो नहीं , खुल गए ,.
मेरी कमर तक की देह पलंग पर , टाँगे उनके कंधो पर , और वो फर्श पर खड़े ,
मेरे अंदर धंसे , . चोली ब्रा खुली , साडी पेटीकोट कमर तक ,
और उनके दोनों हाथ मेरे उभारों पर कस के रगड़ते दबाते मसलते , मेरे निप्स को पिंच करते ,.
वो धकेलते रहे , ठेलते रहे , दबाते रहे , मसलते रहे , .
और जब मेरे होंठों को बोलने की आजादी मिली , तो मैं सिर्फ ये बोल पायी ,
" सुबह सुबह ,. अभी जेठानी जी के ,. "
आलमोस्ट बाहर तक निकाल कर उन्होंने एक पूरी ताकत से धक्का मारा ,
कचकचा के मेरे जुबना के ऊपरी हिस्से पर अपने दांत गड़ाए और बोले ,
" मेरी सलहज का हुकुम था की सुबह सुबह , उनकी ननद के साथ , गुड मॉर्निंग कर लूँ ,. "
रीतू भाभी भी न, अब मेरी समझ में आया ,
उन्होंने स्पीकर फोन क्यों बंद किया था , क्यों थोड़ी दूर जाकर मुझसे , अपनी सलहज के साथ ,. गुपचुप
" अरे तो अपनी सलहज के साथ करते न ,. ननदोई सलहज के बीच मैं पिस रही हूँ , . "
मुस्कराकर हलके से उनके धक्के का जवाब धक्के से देती , अपना चेहरा उठाकर , मैं बोली ,
" अभी जो पास में उसी के साथ न करूँगा ,. वैसे न सलहज को छोडूंगा न सालियों को ,.
और सलहज को तो कत्तई नहीं , तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा , . "
कस कस के धक्के मारते , मेरे जोबन मसलते वो बोले , मैंने भी अब उन्हें अपनी बाँहों में भींच रखा था ,
मेरी जाँघे पूरी तरह खुली , मैं आलमोस्ट दुहरी ,.
" नही करियेगा तो बुरा लगेगा , खास तौर से सलहज के साथ ,. "
खिलखिलाते हुए मैं बोली ,
मर्दों का जवाब देने का बस एक तरीका होता है और वो मैं पहली रात में ही समझ गयी थी ,
एक बार फिर से मेरी टाँगे उन्होंने सेट की , अबकी दोनों हाथ कमर पर ,
आलमोस्ट पूरा बाहर निकाला , और एकदम जोर का धक्का ,.
मैं सिसक उठी , पूरा का पूरा एक धक्के में अंदर , मेरी बच्चेदानी तक।
" उईईईईईई उईईईईई " जोर से सिसक उठी मैं , लेकिन तभी मुंहे कुछ याद आया
" अरे नौ बजे मेरी जेठानी , ननदें आ जायेगीं , . . "
लेकिन बजाय निकालने के , रुकने के जैसे कोई तूफ़ान आ गया , और मैं उनकी साथ मस्ती के सागर में थपेड़े लेती , और जब हम दोनों साथ साथ , .
तभी मझे सीढी पर किसी के चढ़ने की , . फिर ननदों की खिलखिलाहट ,.
"हटो न ,. "
मैं बोली , पर वो न हटने की हालत में थे न मैं हटाने की ,
उनकी गाढ़ी रबड़ी मलाई मेरे अंदर , एक बार , बार बाद , साथ में मैं भी काँप रही थी , झड़ रही थी ,
साडी में सबसे बड़ा फायदा होता है , उठो और अपने आप सब ढँक जाता है , .
दरवाजे पर पहली दस्तक के पहले ही मैंने ब्रा के हुक बंद कर लिए थे चोली के बटन भी ,
वो जबतक पाजामा का नाडा बाँध रहे थे मैं खड़ी हो गयी।
दरवाजे पर पड़ी पहली दस्तक के साथ , . और दुष्ट ननदे भी न लगातार खटखट , और आवाजें भी , .
" खोलतीं हूँ अभी , . "
मैं आलमोस्ट दौड़ कर दरवाजे पर , .
ये कुर्सी पर मुझसे दूर बैठे , . जैसे रात भर वहीँ बैठे रहे हों , कुछ हुआ ही न हो ,.
और मैंने दरवाजा खोल दिया
नटखट ननदें
तभी मझे सीढी पर किसी के चढ़ने की , . फिर ननदों की खिलखिलाहट ,.
"हटो न ,. " मैं बोली , पर वो न हटने की हालत में थे न मैं हटाने की , उनकी गाढ़ी रबड़ी मलाई मेरे अंदर , एक बार , बार बाद , साथ में मैं भी काँप रही थी , झड़ रही थी ,
साडी में सबसे बड़ा फायदा होता है , उठो और अपने आप सब ढँक जाता है , .
दरवाजे पर पहली दस्तक के पहले ही मैंने ब्रा के हुक बंद कर लिए थे चोली के बटन भी , वो जबतक पाजामा का नाडा बाँध रहे थे मैं खड़ी हो गयी।
दरवाजे पर पड़ी पहली दस्तक के साथ , . और दुष्ट ननदे भी न लगातार खटखट , और आवाजें भी , .
" खोलतीं हूँ अभी , . "
मैं आलमोस्ट दौड़ कर दरवाजे पर , . ये कुर्सी पर मुझसे दूर बैठे , . जैसे रात भर वहीँ बैठे रहे हों , कुछ हुआ ही न हो ,. और मैंने दरवाजा खोल दिया
नीता और गीता ,.
नीता मुझसे साल डेढ़ साल छोटी होगी , ग्यारहवे में
और गीता अभी दसवे में गयी , इनकी मझली साली की उमर की ,
दोनों इनकी कजिन , बहुत ही शोख , छेड़खानी से भरी ,
" कहीं हम लोग जल्दी तो नहीं आ गए भाभी , कहिये तो थोड़ी देर में , . लेकिन कल आपके सामने ही बड़ी भाभी ( मेरी जेठानी ) ने बोला था की नौ बजे "
आँख नचाते गीता बोली।
गीता , इनकी मंझली साली की समौरिया , अभी दसवे में गयी ,
एक छोटी सी कसी कसी फ्राक में थी। उसके टिकोरे टाइट फ्राक से फटे पड़ रहे थे।
मैं उठकर उसके साथ चलने को तैयार हुयी तो अचानक जाँघों के बीच तेज चिलख हुयी , जैसे लग रहा था जाँघे फटी पड़ रही हैं , नीता और गीता दोनों ने मेरा हाथ दोनों ओर से पकड़ कर सपोर्ट किया ,
तभी दूसरी क्राइसिस , अभी अभी तो कटोरी भर मलाई उन दोनों के भाई ने मेरे निचले होंठों को खिलाई थी , और अब ,. मुझे लगा की कहीं एकाध बूँद।
कस के मैंने निचले होंठ भींच लिए , और दरवाजे के बाहर ,
तभी मेरी निगाहें , गीता और नीता की निगाहों का पीछा करते एक बार फिर कमरे में ,
फर्श पर पड़ी मेरी पैंटी , .
बिस्तर पर खुली वैसलीन की बड़ी शीशी , . . जो अब आधी रह गयी थी।
मेरा जी धक्क से रह गया , मेरी सब तैयारी कमरे को सेट करने की , यहाँ तक मेरी चूड़ियां जो रात की , एक तिहाई भी नहीं बची थी , उनसे मैचिंग चूड़ियां तैयार होते मैंने पहने थी की कोई ये न पूछे की चूड़ियां कहाँ टूटीं रात में ,.
और ,. यहाँ तो मेरी सारी कहानी मेरी ननदों के सामने ,.
" भाभी , हमने कुछ नहीं देखा "
खिलखिलाते हुए मेरी दोनों दुष्ट ननदें , नीता और गीता एक साथ बोलीं।
गीता के छोटी सी फ्राक में थी तो नीता एक टाइट टॉप और छोटी सी कैप्री में।
और एक बार मुझे फिर अहसास हुआ इनकी 'रबड़ी मलाई ' सरक कर , . अब तो पैंटी का कवच भी नहीं था।
इन दोनों शैतानों की जल्दी बाजी में ,. निचले होंठ फिर से भींचे ,.
इनकी सलहज भी न , उन्होंने इन्हे चढ़ा कर , सुबह सुबह ,.
लेकिन एक ख़ुशी भी हुयी चल यार कोमल तूने , इनकी सलहज का रिकार्ड तोड़ दिया ,
हर बार रीतू भाभी हम ननदों को चैलेंज थ्रो करतीं थी ,
है कोई छिनार ननद , पहली रात में तीन बार ,.
और आज उनका चैलेन्ज ,.
फिर सुहागरात के बाद बेचारी ननदों को कुछ तो मिलना चाहिए छेड़खानी के लिए रात भर कान पारे बैठी रहती हैं ,.
और नीता ने वो सवाल पूछ ही दिया
और अब उनके होंठ , रात में जो हलके से चुंबन चुरा लेते थे , कभी उन्हें लगता था , की मैं मना न कर दूँ , पर अब बड़े हक़ से , उनके होंठ मेरे होंठों को दबोच कर , कभी उनका रस लेते , तो कभी मेरे गोरे गुलाबी गालों को चूस लेते , हलके से कभी दांत भी ,.
और मैं सिहर उठती , सिसक सिसक कर ,.
मुश्किल से अगर कभी मेरे मुंह से नहीं निकल जाता तो तो उनके होंठों के भौंरे मेरे युगल कमल ,
दोनो जुबना पर घात लगा देते ,
अब तक मुझे मालूम पड़ गया था , ये लड़का ,. मेरे चोली के फूलों के पीछे ,. एकदम पागल है , . . उसकी निगाहें , उसकी उँगलियाँ , उसके होंठ ,.
जब वो कस के मेरे निप्स पर दोनों होंठ लगाए ,. मैं एकदम गीली हो रही थी , सिसक रही थी ,
गिनगीना रही थी , मेरे हाथों ने अपने आप उनके सर को पकड़ कर और जोर से , मेरी ओर ,.
मेरी देह अब मेरी रही कहाँ था , . मन तो पहले भी ये चुरा ले गया था ,
उस दिन जब मेरी शादी में पहली बार चार आँखों का खेल शुरू हुआ ,.
और आज पहली रात में तन भी ले गया ये चोर चुरा कर ,. बल्कि डाका डाल कर ,.
और ' वो ' भी अंदर धंसा घुसा ,. .
इनकी सलहज , मेरी रीतू भाभी ने बहुत सी बातें सिखायीं थी , .
और उसमें एक ये भी थी की मरद की मलाई से बढ़कर कोई चिकनाई नहीं होती ,. इसलिए जैसे वो झड़े , दोनों निचले होंठ भींच कर , सब का सब अपने अंदर समेट लो , . एक भी बूँद बाहर न छलकने दो , .
अगली बार के लिए वही सबसे बड़ी चिकनाई होगी ,.
और यहाँ तो दो बार का , एकदम किनारे तक भरा ,. बजबजा रहा ,.
इसलिए अबकी इन्होने वैसलीन नहीं लगाई थी तब भी , धँसाने में ,. मैं नहीं कहूँगी दर्द नहीं हुआ , चीख निकल गयी मेरी ,. लेकिन ,. इनके कमर में ताकत भी तो जबरदस्त , .
धीमे धीमे कर के आधे से ज्यादा अंदर था ,. .
मेरी निगाह मैन्टलपीस पर रखी घड़ी पर पड़ी , सवा छः बजने वाले थे ,
पूरब में आसमान पर हलकी हलकी लालिमा छाने लगी थी, पूरी रात इनकी बाँहों में बीती ,
और ,. और शायद इनको भी अहसास हो गया था की बस अब कुछ देर में सुबह होने वाली थी ,.
बस इन्होने फिर एक बार , मेरी दोनों टाँगे इनके कंधे पर , . और अब जब ये मेरे भारी नितम्बों के नीचे तकिया लगा रहे थे , मैंने खुद उन्हें और ऊँचा उठा लिया ,
बस फिर तो धक्के पर धक्का , अबकी दोनों हाथ इनके मेरे जुबना पर ही थे , हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह देख रहे , कभी ये झुक के मुझे चूम लेते तो अब हिम्मत कर के मैं भी अपने होंठ ऊपर उठा कर , और सच बोलूं तो , पहली दो बार के मुकाबले ये तो एकदम दस गुनी तेजी से ,
एकदम मुझे मसल कुचल कर के रख दिया उस बदमाश ने ,.
पूरे आधे घंटे तक , और मैं बावरी भी अब उन्ही का साथ दे रही थी ,.
चुन चुन कर मेरी नंदों ने बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियां , जूही और चमेली की कलियाँ ,.
मेरे साथ वो भी मसल दी गयीं ,. . पता नहीं कितनी बार मेरी आँखों के आगे तारे नाचे ,
मैं एकदम शिथिल हुयी पर अबकी उनके धक्के कम होने का नाम नहीं ले रहे थे ,.
और जब हम दोनों साथ साथ ,. वो मेरे ऊपर , मेरे अंदर ,.
तो भी मैं जो उन्हें कस के अपनी बाँहों में भींचे थी , वो पकडन कम नहीं हुयी
हम दोनों एक दूसरे को जकड़े दबोचे , थोड़ी देर वो मेरे ऊपर , . . .
और फिर अगल बगल , . . वो मेरे अंदर पूरी तरह धंसे , न उनका मन कर रहा था मुझे छोड़ने का
और मेरा तो ,. जिस दिन मैंने उन्हें पहले पहल देखा था उस दिन से ही ,.
बस यही सोचती थी किसी तरह ये लड़का एक बार पकड़ में आ जाए ,.
लेकिन श्रीमती घडी देवी न , .
पहले आसमान पर हलकी सी टिकुली सी , और फिर धूप की किरण , . हम लोगों की देह पर रंगोली बनाती , शरारती ननदों की तरह छेड़ती , चिढ़ाती , चिकोटियां काटती ,.
घड़ी में पहले मेरी निगाह पड़ी , फिर उनकी , सात बज गए थे , . .
माना भाभी ने नौ बजे तक का अभयदान हमें दिया था ,
लेकिन ,. मैने उठने की कोशिश की लेकिन बहुत जोर से जाँघों में चिलक उठी , एक तेज दर्द की लहर ,.
पर ये लड़का था न ,
उन्होंने सहारा देकर उठाया ,
मैंने झुक कर किसी तरह अपनी रात से बिछुड़ी चोली , लहंगे और चुनर को उठाया ,
बस लपेट लिया किसी तरह . एक कदम नहीं चला जा रहा था , .
पर इन्होने सहारा देकर ,. कमरे से सटा हुआ बाथरूम ,.
और उसी के साथ एक ड्रेसिंग रूम भी ,. बस दरवाजा खोल के उन्होंने मुझे अंदर तक ,.
और जब तक मैंने दरवाजा बंद नहीं किया , . . वो लालची मुझे देखता रहा ,.
बीती विभावरी जाग रे
घड़ी में पहले मेरी निगाह पड़ी , फिर उनकी , सात बज गए थे , . .
माना भाभी ने नौ बजे तक का अभयदान हमें दिया था , लेकिन ,. मैने उठने की कोशिश की लेकिन बहुत जोर से जाँघों में चिलक उठी , एक तेज दर्द की लहर ,. पर ये लड़का था न ,
उन्होंने सहारा देकर उठाया , मैंने झुक कर किसी तरह अपनी रात से बिछुड़ी चोली , लहंगे और चुनर को उठाया , बस लपेट लिया किसी तरह .
एक कदम नहीं चला जा रहा था , . पर इन्होने सहारा देकर ,. कमरे से सटा हुआ बाथरूम ,.
और उसी के साथ एक ड्रेसिंग रूम भी ,. बस दरवाजा खोल के उन्होंने मुझे अंदर तक ,. और जब तक मैंने दरवाजा बंद नहीं किया , . . वो लालची मुझे देखता रहा ,.
और जब मैं बाहर निकली , तो कमरा पहचाना नहीं जा रहा था।
बिस्तर पर रात के सारे निशान , एक नयी चादर बिछी थी , एक पोटली ,. मैंने खोल कर देखा तो मेरी चूड़ियों के टुकड़े , दबी कुचली गुलाब की पंखुड़ियां , सब की सब यादों के तौर पर इन्होने समेट कर रख दिया था , कल रात की चादर भी ,. सम्हाल कर ,. और सबसे बड़ी बात तो ,.
बेड टी ,. दो कप , गरमागरम ,.
( तब मुझे पता चला की इसके कमरे के साथ एक जुड़ा छोटा सा किचेनेट भी है )
मैंने उन्हें चिढ़ाया ,
' गंदे ,. बिना ब्रश के , . चाय "
' तो कर लेता हूँ न अभी ,. "
वो बोले , और खींच कर मुझे अपनी गोद में ,
और उनके होंठ मेरे होंठों पर , जीभ मेरे दांतों पर ,.
चाय के बाद वो बाथरूम में और
मैं , प्याले , दूध का ग्लास , पान की प्लेट लेकर सीधे किचनेट में ,
बाहर निकल कर मैंने एक बार कमरे की छोटी से छोटी चीज़ , मुझे मालूम था ,
मेरी ननदें
अभी आएँगी तो कमरे का डिटेल्ड मौका मुआयना करेंगी ,. एक एक चीज ,.
और फिर मुझे छेड़ने का मौका , .
तब तक मम्मी का फोन आया ,. और बजाय मेरी 'दुर्दशा' पूछने के इनका हाल पूछा
' दामाद जी कैसे हैं ' ,. मेरे घर में सब नंबरी दलबदलू ,. इनकी सास , सलहज , सालियाँ ,. सारी की सारी , अब मेरा साथ छोड़ के इनका साथ देती हैं ,
' चाय अच्छी बनाते हैं , . " मैं खिलखिला के बोली।
" तेरा हलवा बना की नहीं , "
पीछे से इनकी सलहज की आवाज आयी ,
मन तो हुआ की बोल दूँ , रात भर रोड रोलर चला मेरे ऊपर ,. . लेकिन रीतू भाभी भी फिर छोड़ती नहीं मुझे ,. मैं चुप रही। पर मम्मी भी न अब वो मैदान में आ गयी ,
"अरे दामाद जी ने कचकचा कर प्यार किया की नहीं। "
मैं चुप रही , पर भौजी के सामने चुप रहना आसान था क्या ,
उन्होंने बोला था की ठीक आठ बजे फोन कर के सुहाग रात का सारा हाल पूछूँगी ,
और अगर साफ़ साफ़ , खुल कर नहीं बताया न तो , . और ठीक आठ बजे
उनका और मम्मी का फोन आ गया।
" मैं पूछती हूँ , नन्दोई जी ने फाड़ तो तेरी दी ही होगी , ये बता कित्ती बार ,. "
मैं खिलखिलाती रही , भौजी ने समझाया था दो बार तो करेगा ही , .
" साफ़ साफ़ बोलो , कित्ती बार चुदी ,. . अब तो समझ में आया क्या पूछ रही हूँ ,. . "
" भौजी , आपके रिकार्ड की बराबरी कर ली। " हँसते हुए मैं बोली ,
डेढ़ दो साल हुआ होगा जब भौजी आयी थीं , और अगले दिन हम सब ननदों ने , और सबसे आगे थी मैं , उनसे उगलवा लिया , तीन बार ,.
लेकिन उसके बाद कोई नयी भौजी आती गाँव में या किसी लड़की की शादी हो के जाती तो पहला सवाल यही होता और रीतू भाभी हर बार यही कहतीं , मेरी किसी ननद ने मेरे रिकार्ड की बराबरी नहीं की ,
पहली रात में तीन बार।
" तुम सच में मेरी असली ननद हो , "
ख़ुशी उनकी आवाज में छलक रही थी लेकिन वो मुद्दे पर आ गयी ,
" बोल कित्ता बड़ा है , . . ६ इंच , सात इंच ,. "
अब मेरी बारी थी चिढ़ाने की ,
" ननदोई आपके हैं आप पूछ लीजिये न , बल्कि नाप ही लीजियेगा जब मिलेंगे "
" और क्या तू समझती है छोडूगी , और सिर्फ नापुंगी क्यों , घोंटूंगी भी , पहला हक़ सलहज का होता है ननदोई पर। "
इनकी सलहज भी न ,.
लेकिन इत्ती आसानी से वो अपनी ननद को नहीं छोड़ने वाली थी वो , बोलीं , चल आज छोड़ दिया लेकिन कल इसी समय फोन करुँगी एकदम सही सही बताना , बल्कि फोटो व्हाट्सऐप कर देना , पर कुछ तो बोल अंदाज से ,
" भाभी जो आपने बताया था , आखिरी में , उससे थोड़ा सा ज्यादा ,. . "
लेकिन तब तक वो बाथरूम से बाहर निकल आये और मैंने उनकी सहलज को बोल दिया
" भौजी आप सीधे उन्ही से पूछ लीजिये न , वो आगये हैं ,. "
और वहीँ से मैंने उन्हें हंकार लगाई , .
" जल्दी आइये , आपकी सलहज आप से कुछ पूछना चाहती हैं ,
और वो भी एकदम लपक कर ,.
फिर तो सिर्फ सलहज ही नहीं सास भी , और स्पीकर फोन तो ऑन ही था खूब लहक लहक कर ,. दस मिनट के बाद लेकिन उन्होंने स्पीकर फोन बंद कर दिया , और वो और उनकी सहलज , थोड़ी देर ये तो सिर्फ हाँ हूँ , कर रहे थे ,. बस एकदम अभी ,. बोल कर उन्होंने फोन रख दिया , .
मैं बिस्तर पर नहायी धोयी ताज़ी फ्रेश साडी ब्लाउज पहने , नौ बजे ननदों के आने के लिए तैयार बैठी ,. . और फोन रखते ही उन्होंने मुझे हलके से पुश किया ,
मैं आधी पलंग पर पीठ के बल, और एक झटके में ,
सलहज के चमचे
मैं बिस्तर पर नहायी धोयी ताज़ी फ्रेश साडी ब्लाउज पहने , नौ बजे ननदों के आने के लिए तैयार बैठी ,. . और फोन रखते ही उन्होंने मुझे हलके से पुश किया ,
मैं आधी पलंग पर पीठ के बल, और एक झटके में ,
मेरी लम्बी गोरी गोरी टाँगे , उनके कंधे पर , मेरी साडी पेटीकोट अपने आप सरक कर , मेरी पतली कमर तक , मेरी दोनों जाँघे खुली, फैली , और साथ साथ जबतक मैं कुछ बोलूं , मना करूँ , उन्होंने मेरी पैंटी खोल दी , एक स्ट्रिंग थांग सी थी और ,
वो फर्श पर , उनका पजामा भी ,
फिर तकिये को सरका कर वैसलीन की बड़ी सी शीशी से वैसलीन ढेर सारी वैसलीन निकाल कर अपने मुस्टंडे पर वो लगा रहे थे , उसका ' मुंह ' एकदम खुला , और वहां भी वैसलीन ,.
बची खुची मेरी खुली फैली जाँघों के बीच ,
और एक करारा धक्का , जब तक मैं बोलूं , अरे सुबह सुबह , . लेकिन मैं बोलती क्या मेरा ध्यान तो उस मूसलचंद को देखने में लगा था ,
पहली बार दिन की रौशनी में , परदे अच्छी तरह बंद थे , पर छन छन कर सुबह की रौशनी तो आ ही रही थी और एकदम साफ साफ दिख रहा था ,
था तो उन्ही की तरह गोरा लेकिन खूब लम्बा मोटा , तन्नाया ,.
जैसे ही मेरी चीख निकली , वो अंदर घुसा , . . मेरे मुंह को उन्होंने अपने होंठो से भींच दिया , और ऊपर से मैंने एक लो चोली कट ब्लाउज पहना था , जिसके बटन सामने थे ,
और ब्रा भी फ्रंट ओपन , दोनों उतरे तो नहीं , खुल गए ,.
मेरी कमर तक की देह पलंग पर , टाँगे उनके कंधो पर , और वो फर्श पर खड़े ,
मेरे अंदर धंसे , . चोली ब्रा खुली , साडी पेटीकोट कमर तक ,
और उनके दोनों हाथ मेरे उभारों पर कस के रगड़ते दबाते मसलते , मेरे निप्स को पिंच करते ,.
वो धकेलते रहे , ठेलते रहे , दबाते रहे , मसलते रहे , .
और जब मेरे होंठों को बोलने की आजादी मिली , तो मैं सिर्फ ये बोल पायी ,
" सुबह सुबह ,. अभी जेठानी जी के ,. "
आलमोस्ट बाहर तक निकाल कर उन्होंने एक पूरी ताकत से धक्का मारा ,
कचकचा के मेरे जुबना के ऊपरी हिस्से पर अपने दांत गड़ाए और बोले ,
" मेरी सलहज का हुकुम था की सुबह सुबह , उनकी ननद के साथ , गुड मॉर्निंग कर लूँ ,. "
रीतू भाभी भी न, अब मेरी समझ में आया ,
उन्होंने स्पीकर फोन क्यों बंद किया था , क्यों थोड़ी दूर जाकर मुझसे , अपनी सलहज के साथ ,. गुपचुप
" अरे तो अपनी सलहज के साथ करते न ,. ननदोई सलहज के बीच मैं पिस रही हूँ , . "
मुस्कराकर हलके से उनके धक्के का जवाब धक्के से देती , अपना चेहरा उठाकर , मैं बोली ,
" अभी जो पास में उसी के साथ न करूँगा ,. वैसे न सलहज को छोडूंगा न सालियों को ,.
और सलहज को तो कत्तई नहीं , तुम्हे बुरा तो नहीं लगेगा , . "
कस कस के धक्के मारते , मेरे जोबन मसलते वो बोले , मैंने भी अब उन्हें अपनी बाँहों में भींच रखा था ,
मेरी जाँघे पूरी तरह खुली , मैं आलमोस्ट दुहरी ,.
" नही करियेगा तो बुरा लगेगा , खास तौर से सलहज के साथ ,. "
खिलखिलाते हुए मैं बोली ,
मर्दों का जवाब देने का बस एक तरीका होता है और वो मैं पहली रात में ही समझ गयी थी ,
एक बार फिर से मेरी टाँगे उन्होंने सेट की , अबकी दोनों हाथ कमर पर ,
आलमोस्ट पूरा बाहर निकाला , और एकदम जोर का धक्का ,.
मैं सिसक उठी , पूरा का पूरा एक धक्के में अंदर , मेरी बच्चेदानी तक।
" उईईईईईई उईईईईई " जोर से सिसक उठी मैं , लेकिन तभी मुंहे कुछ याद आया
" अरे नौ बजे मेरी जेठानी , ननदें आ जायेगीं , . . "
लेकिन बजाय निकालने के , रुकने के जैसे कोई तूफ़ान आ गया , और मैं उनकी साथ मस्ती के सागर में थपेड़े लेती , और जब हम दोनों साथ साथ , .
तभी मझे सीढी पर किसी के चढ़ने की , . फिर ननदों की खिलखिलाहट ,.
"हटो न ,. "
मैं बोली , पर वो न हटने की हालत में थे न मैं हटाने की ,
उनकी गाढ़ी रबड़ी मलाई मेरे अंदर , एक बार , बार बाद , साथ में मैं भी काँप रही थी , झड़ रही थी ,
साडी में सबसे बड़ा फायदा होता है , उठो और अपने आप सब ढँक जाता है , .
दरवाजे पर पहली दस्तक के पहले ही मैंने ब्रा के हुक बंद कर लिए थे चोली के बटन भी ,
वो जबतक पाजामा का नाडा बाँध रहे थे मैं खड़ी हो गयी।
दरवाजे पर पड़ी पहली दस्तक के साथ , . और दुष्ट ननदे भी न लगातार खटखट , और आवाजें भी , .
" खोलतीं हूँ अभी , . "
मैं आलमोस्ट दौड़ कर दरवाजे पर , .
ये कुर्सी पर मुझसे दूर बैठे , . जैसे रात भर वहीँ बैठे रहे हों , कुछ हुआ ही न हो ,.
और मैंने दरवाजा खोल दिया
नटखट ननदें
तभी मझे सीढी पर किसी के चढ़ने की , . फिर ननदों की खिलखिलाहट ,.
"हटो न ,. " मैं बोली , पर वो न हटने की हालत में थे न मैं हटाने की , उनकी गाढ़ी रबड़ी मलाई मेरे अंदर , एक बार , बार बाद , साथ में मैं भी काँप रही थी , झड़ रही थी ,
साडी में सबसे बड़ा फायदा होता है , उठो और अपने आप सब ढँक जाता है , .
दरवाजे पर पहली दस्तक के पहले ही मैंने ब्रा के हुक बंद कर लिए थे चोली के बटन भी , वो जबतक पाजामा का नाडा बाँध रहे थे मैं खड़ी हो गयी।
दरवाजे पर पड़ी पहली दस्तक के साथ , . और दुष्ट ननदे भी न लगातार खटखट , और आवाजें भी , .
" खोलतीं हूँ अभी , . "
मैं आलमोस्ट दौड़ कर दरवाजे पर , . ये कुर्सी पर मुझसे दूर बैठे , . जैसे रात भर वहीँ बैठे रहे हों , कुछ हुआ ही न हो ,. और मैंने दरवाजा खोल दिया
नीता और गीता ,.
नीता मुझसे साल डेढ़ साल छोटी होगी , ग्यारहवे में
और गीता अभी दसवे में गयी , इनकी मझली साली की उमर की ,
दोनों इनकी कजिन , बहुत ही शोख , छेड़खानी से भरी ,
" कहीं हम लोग जल्दी तो नहीं आ गए भाभी , कहिये तो थोड़ी देर में , . लेकिन कल आपके सामने ही बड़ी भाभी ( मेरी जेठानी ) ने बोला था की नौ बजे "
आँख नचाते गीता बोली।
गीता , इनकी मंझली साली की समौरिया , अभी दसवे में गयी ,
एक छोटी सी कसी कसी फ्राक में थी। उसके टिकोरे टाइट फ्राक से फटे पड़ रहे थे।
मैं उठकर उसके साथ चलने को तैयार हुयी तो अचानक जाँघों के बीच तेज चिलख हुयी , जैसे लग रहा था जाँघे फटी पड़ रही हैं , नीता और गीता दोनों ने मेरा हाथ दोनों ओर से पकड़ कर सपोर्ट किया ,
तभी दूसरी क्राइसिस , अभी अभी तो कटोरी भर मलाई उन दोनों के भाई ने मेरे निचले होंठों को खिलाई थी , और अब ,. मुझे लगा की कहीं एकाध बूँद।
कस के मैंने निचले होंठ भींच लिए , और दरवाजे के बाहर ,
तभी मेरी निगाहें , गीता और नीता की निगाहों का पीछा करते एक बार फिर कमरे में ,
फर्श पर पड़ी मेरी पैंटी , .
बिस्तर पर खुली वैसलीन की बड़ी शीशी , . . जो अब आधी रह गयी थी।
मेरा जी धक्क से रह गया , मेरी सब तैयारी कमरे को सेट करने की , यहाँ तक मेरी चूड़ियां जो रात की , एक तिहाई भी नहीं बची थी , उनसे मैचिंग चूड़ियां तैयार होते मैंने पहने थी की कोई ये न पूछे की चूड़ियां कहाँ टूटीं रात में ,.
और ,. यहाँ तो मेरी सारी कहानी मेरी ननदों के सामने ,.
" भाभी , हमने कुछ नहीं देखा "
खिलखिलाते हुए मेरी दोनों दुष्ट ननदें , नीता और गीता एक साथ बोलीं।
गीता के छोटी सी फ्राक में थी तो नीता एक टाइट टॉप और छोटी सी कैप्री में।
और एक बार मुझे फिर अहसास हुआ इनकी 'रबड़ी मलाई ' सरक कर , . अब तो पैंटी का कवच भी नहीं था।
इन दोनों शैतानों की जल्दी बाजी में ,. निचले होंठ फिर से भींचे ,.
इनकी सलहज भी न , उन्होंने इन्हे चढ़ा कर , सुबह सुबह ,.
लेकिन एक ख़ुशी भी हुयी चल यार कोमल तूने , इनकी सलहज का रिकार्ड तोड़ दिया ,
हर बार रीतू भाभी हम ननदों को चैलेंज थ्रो करतीं थी ,
है कोई छिनार ननद , पहली रात में तीन बार ,.
और आज उनका चैलेन्ज ,.
फिर सुहागरात के बाद बेचारी ननदों को कुछ तो मिलना चाहिए छेड़खानी के लिए रात भर कान पारे बैठी रहती हैं ,.
और नीता ने वो सवाल पूछ ही दिया