Episode 04
"भाभी , रात में आपको कुछ चोट वोट , . बड़ी जोर से चीखी थीं आप मैं तो सोच रही थी की आपकी हेल्प के लिए , कहीं नयी जगह है , "
और उसकी बात गीता ने काट भी दी पूरी कर दी ,
" मैंने समझाया इसे , . भैया है न अंदर , . कहीं कुछ कट फट गया होगा तो , . मलहम लगा देंगे , अच्छी तरह से ठीक हो जाएगा , . . तो भइया ने मरहम लगाया था न?"
" लगाया ही होगा , तभी तो लेकिन ,. . भाभी दर्द आपको लगता है अभी भी है थोड़ा थोड़ा ,. . मुझे तो टाइम भी याद है , १० बजकर २७ मिनट. ”
नीता ने तड़का लगाया।
" दुबारा भी तो , ठीक एक बजा था क्यों न नीतू , पहली बार से भी तेज चीख निकली थी , क्यों भाभी लगता है जहाँ पहली बार चोट लगी थी , वहीँ दुबारा फिर से ,. तो क्या भइया ने दुबारा मलहम लगाया ,. "
गीता बहुत भोलेपन से बोली ,
और मैं , नयी दुल्हन की तरह घूंघट काढ़े , नीचे देखती , थोड़ी लजाती , झिझकती ,. लेकिन मेरे मुंह से निकल ही गया ,
' तो क्या तुम सब रात भर ,. "
रोकते रोकते मेरे मुंह से निकल ही गया।
" नहीं नहीं रात भर कहाँ ,. डेढ़ बजे के करीब आपकी जेठानी न , जबरदस्ती हम सबको हाँक के नीचे ले गयीं। "
बुरा सा मुंह बना के नीता बोली। फिर मेरी और देख के गीता से बोली ,
" तूने कल गुड नाइट नहीं लगाया था , देख भाभी को कितने मछरों ने काटा है , तभी तो बेचारी भाभी को रात में नींद नहीं आयी ठीक से लगता है , क्यों भाभी कहाँ कहाँ काटा है ? "
नीता ने मेरे ब्लाउज से झांकते इनके दांतों के निशान देख कर चिढ़ाया।
मैंने सब जगह , गाल पर , सीने पर तैयार होते समय ,' नो मार्क्स ' ;लगाया था ,
पर तब भी कुछ जगह छूट गए थे ,
और सबसे बढ़ कर , जो अपनी सलहज की बात मान कर सुबह सुबह एक राउंड उन्होंने और चढ़ाई कर दी , तो उसके तो सारे निशान बचे ही थे।
गीता और बोली ,
" अरे यार चल ने दे न भाभी को कमरे में एक बार , वहां तो तो बस हम सब ननदें ही होंगी , बस आराम से खोल कर देख कर , जहाँ चोट होगी , कुछ कटा फटा होगा , सब पर आराम से ,. सहला के ,. मरहम लगा देंगे न। क्यों भाभी हम ननदों से क्या शरमाना। "
मैं सिहर गयी , तब तक लेकिन हम लोग नीचे पहुँच गए
गनीमत थी नीचे उतरते ही , मेरी सास , मेरी बुआ सास दो और रिश्ते की सास बैठी थीं। मैंने झुक कर जैसे सास के पैर छुए , उन्होंने मुझे दुलार से चिपका लिया। मेरी बुआ सास मुझे ध्यान से देखते बोलीं ,
मेरी सास
नीचे उतरते ही , मेरी सास , मेरी बुआ सास दो और रिश्ते की सास बैठी थीं।
मैंने झुक कर जैसे सास के पैर छुए , उन्होंने मुझे दुलार से चिपका लिया।
मेरी बुआ सास मुझे ध्यान से देखते बोलीं ,
" लगता है बहु को रात भर नींद नहीं आयी , आँखें एकदम जगी जगी सी लग रही हैं। "
मेरी सास प्यार से मेरे गाल सहलाते बोलीं ,
" अरे नया घर है , पहले दिन कहाँ नींद आती है नयी नयी जगह। "
दूसरी सास ने छेड़ा ,
" सही बात है कुछ दिन में आदत लग जायेगी , पहली रात कुछ परेशानी तो होती ही है ,"
मैं बस घूँघट में सर नीचे किये मुस्करा रही थी ,
मेरी सास , बुआ सास भी न एक से एक खुल के मजाक करती थी ,
कल रात में ही , जब जेठानी मुझे रात में साढ़े आठ बजे इनके पास ले जाने के लिए , . . शुरुआत इन्ही बुआ सास ने की ,
मुझसे बोलीं ,
" आरी ज़रा अपनी सास की साडी ऊपर तक उठा के पैर छुओ ,
अपने मर्द की मातृभूमि का दर्शन कर लो। "
लेकिन मेरी सास उसी समय सब कुछ तुरंत सूद ब्याज के साथ लौटा देती हैं ,
वो अपनी ननद , मेरी बुआ सास की ओर इशारा कर के बोलीं,
" अरे अपनी बुआ सास का पहले ,. वो तालाब देख लो
जहाँ तुम्हारे ससुर ने सबसे पहले डुबकी लगाई , . लेकिन इनको मत कुछ बोलना ,
यहाँ की चाल यही है , सब ननदें , यहां , अपने भैया के साथ
बचपन से ही कबड्डी खेलती हैं , सारी ननदें , . चाहे छोटी हों या बड़ी ,.
उनकी उमर पर मत जाना ,. "
मैं तो बस अपने घूंघट में मुस्करा रही थी , पर मेरी जेठानी क्यों ऐसा मौका छोड़तीं , उनके साथ ,
मेरी एक ननद , ममेरी ननद .
इनकी सबसे छोटी साली, मेरी छोटी बहन छुटकी , से भी दो ढाई साल छोटी,.
जेठानी बस उसकी ओर इशारा करके बोलीं ,
' माताजी , सारी ननदें न ,. '
वो बस थोड़ा सा मुस्करायीं , मेरी ममेरी ननद की ओर देखा और बोलीं ,
' एकदम , सारी की सारी , चाहे मेरी हो या तुम्हारी ,.
ननद का दूसरा नाम ही छिनार है , वो भी पैदायशी छिनार ,. उमर वुमर का क्या "
साथ में उनके इनके गाँव की नाउन की बहु बैठी थी , ( और इस रिश्ते से मेरी जेठानी लगती थी , सब ननदों की भौजाई ) बोली ,
" अरे इ ननदियन क झांट बाद में आती है , मोटा औजार पहले ढूंढती है ,,. "
बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी मुस्कराहट रोकी ,
यहाँ भी माहौल एकदम मेरे घर जैसा ही था , . एकदम खुला मस्ती से भरा।
सास मेरी जोर से हंसी और मेरा घूंघट ठीक करते हुए बोलीं ,
' यहाँ कौन तेरे ससुर जेठ हैं , इत्ता लंबा घूंघट मत काढ़ा करो ,
चाँद ऐसा चेहरा , दिखाई तो पड़े , . "
तब तक मेरी बुआ सास बोलीं ,
" और क्या अभी थोड़ी देर में ऊपर का मुंह नीचे का मुंह सब खुल जाएगा ,
लेकिन डरना मत , पहली रात बड़ी मेहनत पड़ती है नयी बहु पर। "
" डरेगी क्यों , मेरी बहु है ,. जाओ बहु , आराम करो ,. "
सास ने जेठानी को इशारा किया मुझे ऊपर इनके कमरे में ले जाने को।
और वो दिन और आज का दिन , जितने दिन मैं ससुराल में रही ,
मुझे खिलापिला कर नौ बजे के पहले ही मेरे कमरे में वो हाँक देती थीं।
मेरी सास , बुआ सास और बाकी औरतों के बीच खूब खुल्लम खुल्ला मजाक चल रहा था , जब गीता और नीता मुझे ले आयीं नीचे।
सास ने मेरी ननदों से कहा ,
" हे बहु को ले जाओ , अपने साथ अपने कमरे में , और आराम करने देना ,.
तंग मत करना अपनी भाभी को "
मेरी बुआ सास ने भी अबकी मेरा साथ दिया , बोलीं
" हाँ , रात भर तुम्हारा भाई तंग करे उसे , और दिन में तुम लोग ,.
ये ठीक थोड़े ही है "
और मैं जब कमरे में पहुंची तो मेरी सारी ननदें , . इनकी सगी बहन तो कोई थी नहीं , पर ज्वाइंट फेमिली टाइप माहौल में ,.
दर्जन भर से ज्यादा , १४ से २८ साल वाली , दो तीन शादी शुदा , . चचेरी , बुआ और मौसी की , सबसे छोटी इनकी वही ममेरी बहन थी , जो इनके घर के पास ही बगल के मोहल्ले में रहती थी।
और उसके बाद तो जो महाभारत में अभिमन्यु की हालत थी ,
वहां एक किशोर था , यहाँ एक किशोरी थी , ननदों के बीच फंसी ,
और ननदें भी सब एक से एक ,
मैं ठीक से बैठ भी नहीं पायी थी की सब एक साथ , और सवाल भी बस वही ,
' कितनी बार , . कैसे , कब ,. दर्द हुआ की नहीं। "
मेरी सारी ननदें
सास ने मेरी ननदों से कहा ,
" हे बहु को ले जाओ , अपने साथ अपने कमरे में , और आराम करने देना ,. तंग मत करना अपनी भाभी को "
मेरी बुआ सास ने भी अबकी मेरा साथ दिया , बोलीं
" हाँ , रात भर तुम्हारा भाई तंग करे उसे , और दिन में तुम लोग ,. ये ठीक थोड़े ही है "
और मैं जब कमरे में पहुंची तो मेरी सारी ननदें , . इनकी सगी बहन तो कोई थी नहीं , पर ज्वाइंट फेमिली टाइप माहौल में ,. दर्जन भर से ज्यादा ,
१४ से २८ साल वाली ,
दो तीन शादी शुदा , .
चचेरी , बुआ और मौसी की ,
सबसे छोटी इनकी वही ममेरी बहन थी , जो इनके घर के पास ही बगल के मोहल्ले में रहती थी।
और उसके बाद तो जो महाभारत में अभिमन्यु की हालत थी , वहां एक किशोर था ,
यहाँ एक किशोरी थी , ननदों के बीच फंसी , और ननदें भी सब एक से एक ,
मैं ठीक से बैठ भी नहीं पायी थी की सब एक साथ , और सवाल भी बस वही ,
' कितनी बार , . कैसे , कब ,. दर्द हुआ की नहीं। "
और यहां तो घूँघट का कवच भी नहीं था ,
सबसे ज्यादा उनके दांतों और नाखूनों के निशान , मैंने बहुत कवर किये थे
लेकिन तब भी , और बात सिर्फ छेड़खानी तक नहीं थी छूने छाने तक भी ,
एक मेरी ननद , मिली , बी ए में पढ़ती थी , चोली के ऊपर से छू कर बोली ,
" भाभी , मच्छर ने सिर्फ बाहर बाहर काटा है या अंदर भी ,
एक बार ज़रा सा खोल के देख लूँ , . "
और एक मेरी शादी शुदा ननद , सबसे बड़ी , . उन्होंने उसे और चढ़ाया
" अरे खोल दे न , तेरे भैया को नहीं मना किया तो तुझे क्यों मना करेंगी , तू तो छोटी ननद है , "
मेरी जेठानी की एक भतीजी , गुड्डो , वो भी हाईकॉलेज वाली , जेठानी की भतीजी होने के कारण रिश्ता तो ननद का नहीं था लेकिन उम्र के चक्कर में ननदों की सहेली ,
उसने मिली को चिढ़ाया ,
" मिली दी , अपने भैय्या को आप मच्छर बोलती हैं ,. "
लेकिन तब तक बड़ी ननद मेरी , जो शादीशुदा , मजाक में नम्बरी , वो मेरे पास आ के बैठ गयीं ,
" अरे बता दो न , रात का हाल , चीख तो सबने सुनी थी ,. वो भी एक नहीं दो बार ,. अच्छा इत्ता बता दो चीखी कब थी ,
घुसाते समय या फटते समय ,. ज्यादा खून खच्चर हुआ या थोड़ा , .
देखो अगर ज्यादा शर्म लगे न तो बस दो पल के लिए आँखे बंद कर लो ,
हम लोग खुद साडी उठा के देखे लेंगें , बुलबुल चारा खाने के बाद कैसे लग रही है , . "
अब गीता और मीता भी चालु , . " भाभी बस एक छोटी सी सेल्फी , . इस्तेमाल के बाद वाली , "
तबतक मेरी एक और शादी शुदा ननद , ( मंझली ननद , इनकी पिछले साल ही शादी हुयी थी , बुआ की लड़की , एकदम नॉन वेज बातों में एक्सपर्ट , कल मैंने देख लिया था , मेरी जेठानी भी इनके आगे पानी मांगती थी , और इनसे बढ़कर , मेरे नन्दोई , एकदम खुल के मजाक ) और मेरे दूसरे और बैठ गयीं , और गीता और मीता को हड़काने लगी ,
" अरे मेरी नयकी भाभी को तुम सब समझती क्या हो , आँखे क्यों बंद करेंगी , अपनी बुलबुल दिखाते ,. कल रात भर भइया के सामने तो क्यों भाभी आँख बंद की था क्या जब सैंया ने धकेला था , . एकदम दिखाएगीं अभी , और अपने हाथ से अपनी साडी उठा के , . लेकिन उसके पहले ऊपर वाली मंजिल का हाल चाल तो देख लो , अपना अपना मोबाइल तैयार कर लो ,. "
" हाँ दीदी , वहां बहुत मच्छर काटें हैं सारी रात ,. " मीता और मिली दोनों साथ बोलीं ,
" ये तो बहुत नाइंसाफी है ननदों के साथ , . . मच्छर को दिखाया भी , कटवाया भी , खोल के , . और बिचारी ननदों को जरा सा दिखा भी नहीं रही हैं "
मंझली ननद ने इशारा किया ,
( और ये इशारा मैं समझती थी , ये खेल तमाशा मैं भाभियों के साथ कई बार कर चुकी थी , दो ननदें , भौजाई का एक एक हाथ पकड़ लेती एक साथ कस के , और फिर आराम से , बिना किसी जल्दी के चोली के एक एक बटन , . जब तक वो भरतपुर के दरसन को राजी नहीं होती , ऊपर की मंजिल तो खुल ही जाती , लेकिन उस समय मोबाइल का खतरा नहीं था लेकिन इस समय एक तो दर्जन भर ननदें और आधी दर्जन से ज्यादा मोबाइल लिए तैयार ,. फिर वो फोटो कहाँ कहाँ व्हाट्सऐप होती )
लेकिन मैं बाल बाल बची , दुहरा एडवांटेज ,.
एक तो दोनों शादी शुदा ननदों का बुलावा आ गया ,
मंझली को ननदोई जी ने बुला लिया , पाजामा ढूंढ रहे थे ,
और बड़ी वाली को सासू जी ने , नाश्ते का इंतजाम देखने को ,.
और ऊपर से मेरी एक जेठानी आ गयीं ,. वो अकेले बाकी ननदों के लिए काफी थीं , . लगता है बाहर से थोड़ी बहुत उन सबों की बातें सुन रखी थीं ,
" किस किस को मच्छर से कटवाना है , बहुत मन कर रहा है कटवाने का , . बस हाथ उठाओ , . अभी इंतजाम का देती हूँ , . . "
गीता ( वही हाईकॉलेज वाली , जो सुबह मुझे बुलाने गयी थी ) के गाल कस के पिंच करते उन्होंने सारी ननदों को चैलेन्ज किया।
और फिर आधे दर्जन लड़कों के नाम ( कुछ उनके मायके के , कुछ जेठानी के , . जो शादी में आये थे ) लेकर वो बोलीं ,.
" बोलो सब बाहर ही , चक्कर काट रहे हैं ,. कटवाना , मिजवाना , दबवाना रगड़वाना मिसवाना , . अरे शादी का घर है फायदा उठा लो ,.
हाँ अगर मेरे देवर ,. अपने भाइयों से ,. तो बोलो , उन्ही के साथ ,.
तब तक मेरी जेठानी भी आ गयीं , फिर तो मैं शेर हो गयी ,. ननदों को उन्होंने जबरदस्त ऑफर दिया ,
बेसबरा
तब तक मेरी जेठानी भी आ गयीं , फिर तो मैं शेर हो गयी ,.
ननदों को उन्होंने जबरदस्त ऑफर दिया ,
" मेरे भाइयों के साथ मेरे देवर भी ,. अरे पूछने में क्या रखा है , करवा के देख लो न खुद ही , न तुम्हारे पास ओखल की कमी , न बाहर मूसल की ,. एक से एक , मेरे भाई तो हैं ही , मेरे देवर भी एक के साथ एक फ्री ,. और बस दो तीन दिन की बात ,. चौथी में तो नयकी भाभी के भी भैया लोग आएंगे , बरात में तो तुम सबों ने भेंट मुलाकात कर ही ली होगी अच्छी तरह नाप जोख करवा भी लिया हो , कर भी लिया होगा ,. लेकिन उस के लिए तुम लोगों की बुकिंग तेरी नयकी भौजी ही करेंगी। "
उन्होंने सब को बाहर खदेड़ा , बाहर नाश्ता लग गया है , चलो जल्दी नाश्ता कर के तैयार हो जाओ।
लेकिन गीता और मीता को मेरे काम पर लगा दिया ,
" सुनो तुम दोनों , इतनी मीठी मीठी भाभी मिली है तुम दोनों को खाली तंग करने के लिए ,
जाके हम दोनों के लिए नाश्ता ले आओ , . जलेबी , मूंग का हलवा ,. . मैं भी अपनी देवरानी के साथ ,. "
और बड़ी जेठानी सारी ननदों को हाँक कर बाहर ले गयीं , और अब कमरे में सिर्फ मैं और जेठानी बैठीं थी।
जब मेरी ननदें मुझे छेड़ रही थीं , मेरे कान तो उनकी रसीली बातें सुनने में लगे थे ,
लेकिन कनखियों से , . मुझे लग रहा था ,
उढ़काये हुए दरवाजे के बाहर , . एक दो बार ,. शायद 'ये ' . .
पर अब जब सिर्फ मैं और जेठानी जी थी , मैंने देखा की , यही थे दरवाजे के बाहर , . हलके से झाँक रहे थे ,
चोरी चोरी ,.
पर उसी समय गीता और मीता हम लोगों के लिए ब्रेकफास्ट ले कर आ रही थीं , तो वो हट गए।
पर उन दोनों के बाहर निकलने के बाद ,. फिर एक बार उनकी झलक ,.
मैं मुस्कराये बिना न रह सकी।
बेसबरा ,
गनीमत थी जेठानी जी ने नहीं देखा , हम दोनों जलेबी , मूंग का हलवा और पकौड़ी उड़ाने में बिज़ी थे , .
तबतक उनसे नहीं रहा गया ,
कुछ देर तो बाहर से ताक झाँक फिर धीरे से आस पास उन्होंने देखा कोई नहीं था , वो अंदर आ गए , .
और जेठानी के बगल में बैठ गए , बोले
" भाभी अकेले अकेले ,. . "
" एकदम नहीं , मेरी देवरानी है न साथ ,. तुम नजर मत लगाओ ,. चाहिए तो बोलो ,. "
उनकी भाभी ने भी उसी तरह जवाब दिया।
" एकदम भाभी , नेकी और पूछ पूछ ,. "
वो लिबराते हुए मुझे देख रहे थे। लालची।
समझ मैं भी रही थी , उनकी भाभी भी ,.
उनके देवर को क्या चाहिए था , क्या देख के वो ललचा रहे थे।
भाभी उनकी , उन्होंने एक जलेबी उठायी और मेरे मुँह में ,. मैंने आधी काट के गप्प कर ली ,
मेरी जूठी अधखायी जलेबी अपने देवर के मुंह में , झट्ट से उन्होंने गप्प कर ली। पूरी की पूरी।
इसके बाद मूंग का हलवा भी , चम्मच मेरी जेठानी ने पहले मेरे मुंह में फिर उन्हें मेरा जूठा ,.
उन्होंने हलके से अपने देवर के कान में बोला , लेकिन मैं साफ़ साफ़ सुन रही थी ,
' रात भर दावत उड़ाई , . और सुबह सुबह फिर ,. '
वो बेचारे जोर से ब्लश करने लगे ,
इतना जो मुझसे मेरी ननदें मेरी रात का हाल चाल पूछ रही थीं , मैं नहीं शरमा रही थी।
लेकिन उनकी किस्मत गड़बड़ , जबतक हम लोगों ने नाश्ता खतम किया ,
मेरी जेठानियाँ , इनकी भावजें , मेरी ननदें ,.
और साथ में बताया था न वो नाउन की बहू , जो रिश्ते में इनकी भाभी लगती थी ,
और मेरी ननदों की रगड़ाई करने , खुल के गाली देने में ,.
और उसी ने नोटिस किया , .
" अरे देवर जी ई तोहरे माथे में महावर कैसे इतना चाकर लगी है , .
कतो रात भर दुल्हिन के पैर तो नहीं पड़ रहे थे , . "
लेकिन अभी ननदें भी थी , मेरी खिचाई करने के लिए , एक बोली ,
" अरे भइया , भाभी के पैरों के बीच की कोई चीज मांग रहे होंगे , इसी लिए पैर छुलवाया होगा ,.
क्यों भाभी दिया की नहीं ,. "
" भाभी से काहें पूछ रही हो , अपने भैया से पूछो न , महावर तो उनके माथे पर लगा है ,. "
एक जेठानी ने उसे रगड़ा।
बेचारे इतने शरमा रहे थे , और उनकी भाभियाँ अब निकलने भी नहीं दे रही थीं।
और मुझे भी समझ में आगया की क्यों कल रात को सुहाग रात में जाते समय,
क्यों मेरी ननदों ने नाउँ को उकसा कर , खूब चौड़ी और गीली महावर लगाई गयी थी ,
मेरे पैर जब इनके कंधे पर हों तो महावर तो इनके माथे पर लगनी ही थी।
लेकिन ननदें इतनी आसानी से हार मानने वाली नहीं थी , मिली मुझे चिढ़ाते बोली ,
" भाभी बता दीजिये न , . क्या है आपकी टांगों के बीच जसिके लिए आपने भइया से पैर भी छुलवा लिया। "
लेकिन उसका खामियाजा उठाना पड़ा मेरी सबसे छोटी ननद , .
वो इनकी अकेली कजिन थी जो इनके शहर में ही रहती थी , इनके घर के पास के मोहल्ले में
बस एक जेठानी ने उसका गाल मींड़ते हुए कहा ,
" अरे वही चीज तो तुम्हारी टांगों के बीच भी है , ज़रा देखा दो न अपने भैया को ,. "
और मजाक अब शब्दों से ऐक्शन में आ गया , एक जेठानी ने उस बछेड़ी के दोनों हाथ पीछे से कस के पकडे और दूसरे ने उसकी फ्राक उठा दी।
मेरी बड़ी जेठानी जो मज़ाक़ में एकदम मुंह फ़ट इनसे , अपने देवर से बोलीं , .
" अरे लाला बचपन में तो बहुत डाक्टर नर्स खेले होंगे , ननदों के साथ , . अब काहें लजा रहे हो ,. देख लो न ,. "
फ्राक उठाने पर उस किशोरी की गोरी गोरी चिकनी जाँघे , और एक छोटी सी सफ़ेद चड्ढी ,.
उसकी चुनमुनिया को छिपाए ,.
वो बिचारी कसमसा रही थी , छटपटा रही थी , लेकिन मेरी जेठानी की पकड़ , .
पर मेरी ननद से ज्यादा वो शर्मा रहे थे ,
" अरे इहे देखने बार बार चक्कर काट रहे थे न ,. "
एक जेठानी बोलीं और थोड़ा सा चड्ढी सरका दी ,
चुनमुनिया तो नहीं दिखी लेकिन नयी नयी आती रेशम क्यारी ,.
और फिर वो नाउन की बहू , ( जिसने मेरी सास की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा था की
यहाँ ननदों की झांटे बाद में आती हैं , पर वो मोटा औजार पहले ढूंढने लगती हैं ) एकदम चालू हो गयी , कान में ऊँगली डालनी पड़े ,
ऐसी बातें ,.
" अरे झांट तो बड़ी प्यारी आ रही है , अभिन कुछ गया की नहीं अंदर , की खाली मोमबत्ती और बैगन से काम चलाती हो ,. इतने लड़के हैं शादी का घर घोंट लो गप्पागप्प।
मौके का फायदा उठा के ये बेचारे बाहर सरक लिए।
ननद भौजाई
मौके का फायदा उठा के ये बेचारे बाहर सरक लिए।
लेकिन इनके बाहर निकलते ही माहौल और गरमा गया , जैसे नाउन की बहू मुंह फ़ट थी तो गाँव से एक नाउन की बेटी आयी थी , दुलारी ,.
अभी छह महीने पहले शादी हुयी थी , वो उसके भी कान काटती थी ,
और ननदों की ओर से गारी गाने में सबसे आगे , .
तो वो दुलारी आ गयी और मेरी दोनों शादी शुदा ननदें भी और माहौल एकदम , .
बिचारि गुड्डो , मेरी जेठानी की भतीजी , सबसे पहले वही दबोची गयी।
अभी हाईकॉलेज में थी , लेकिन ऐसे माहौल में कौन उमर देखता है बल्कि कच्ची कलियों की तो और रगड़ाई होती है।
दुलारी मेरे पीछे पड़ी थी ,
" काहो भौजी , केतना चोदवायी , अरे भइया के आगे तो झट से बुर खोल दी , हम ननदों से कौन लाज , तानी एक बार देखाय दा , सैंया क लंड घोटने क बाद कइसन लागत बा बुरिया ,. "
गुड्डो के मुंह से निकल गया कैसे बोलती हो ,
बस दुलारी उसके पीछे ,
" तोहार बुर अभिन ना घोटले हौ का , . अरे बढ़िया मौका हौ , इतने लड़के शादी क घर , . कउनो मौका देखकर ठोंक देहिंये , पेलवाय लो , अइसन चोदवाय क मौका मिलना मुश्किल है। “
और सिर्फ दुलारी ही नहीं ,
कुछ मेरी ननदें भी और एक दो गाँव से आयी दुलारी के साथ की ,. सब की सब , उस बेचारी के पीछे ,.
और एकदम खुल्लम खुल्ला , बाकी ननदें , यहाँ तक की कुछ जेठानियाँ भी मजा ले रही थीं , उकसा रही थीं ,
एक बोली, ,
" अरे मौका मिलने की देर है , देखना गपागप लंड घोंटेंगी ये ,. "
और ये कह के हलकी सी गुदगुदी लगा दी , गुड्डो के कांख में
जैसे ही उसने हाथ अलग किये
दूसरी ने दोनों हाथ पीछे से डाल के उसके नए नए आये टिकोरों को गपुच लिया और लगी कस कस के दबाने, मींजने ,
और बोली
" ई जिन कहना की बिना लौंडन से मिजवाये दबवाये , ई तोहार चूँची , एस गद्दर , एक बार चोदवाय लो , यहां से जाने से पहले , फिर खुदे शलवार का नाड़ा खोलके , . "
" अरे जब चुदवाने में नहीं लाज तो बुर गांड , लंड बोलने में कौन लाज ,. "
दुलारी एक बार फिर चालू हो गयी और उसने अपनी तोप का मुंह एक बार फिर से मेरी ओर मोड़ दिया और बोली ,
" देखो अपनी नयकी भौजी को , रात भर बुरिया में गपागप लंड घोंटने के बाद कइसन मुस्करात हैं , . "
लेकिन मान गयी मैं अपनी जेठानी को , कितनी चालाकी से उन्होंने मेरी और अपनी नंदों की ओर रुख मोड़ दिया ,
एक तो दुलारी को किसी बहाने से उन्होंने बाहर भेज दिया ,
मंझली ननद के लिए भी नन्दोई जी का बुलावा आ गया ,
और एक बार सरकार हमारी बन गयी ,
फिर तो सबसे पहले मिली की कैप्री सरकी ,
फिर मीता की स्कर्ट उठी ,.
" अरे तुम लोग अपनी भौजी का नीचे वाला मुंह देखने की जिद्द कर रही हो न , तो पहले अपनी तो दिखाओ , . तुम लोग छोटी हो , और तुम्हारा फायदा होगा , . बरात में जिन लड़कों को देख के तुम सब के ऊपर और नीचे वाले मुंह में पानी आ रहा था न , वो सब लड़के , तुम्हारी नयकी भौजी के भाई सब ,. बस वो देख देख के पसंद कर लेंगी ,. .
कौन सा लड़के के साथ किसकी गांठ जोड़ी जायेगी ,. . "
जेठानी सबको चिढ़ा रही थी , तो मेरे भी बोल फूट गए ,
" अरे नहीं दीदी , मेरे भाई मेरी ननदों को निराश नहीं करेंगे , एक एक पर तीन तीन ,. सबके साथ सब ,. कोई नहीं बचेगी , . लेकिन आज से ही जरा वैसलीन लगा लगा के , . "
मैंने छेड़ा अपनी ननदों को।
" तो ई कहो न साफ़ साफ़ की अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर वैसलीन लगाना पडेगा , . " मेरी जेठानी ने तारीफ़ से मेरी ओर देखा , और अपनी ओर से जोड़ा।
लेकिन ननद मेरी कम नहीं थी , मीता बोली ( वही जो ग्यारह में पढ़ती थी , सुबह मुझे लेने गयी थी )
" अरे भाभी आने दीजिये स्सालों को , आपकी ननदें डरती नहीं है "
तबतक दुलारी फिर से आ गयी और मेरी बड़ी और मंझली ननद भी ,
और उसकी बात गीता ने काट भी दी पूरी कर दी ,
" मैंने समझाया इसे , . भैया है न अंदर , . कहीं कुछ कट फट गया होगा तो , . मलहम लगा देंगे , अच्छी तरह से ठीक हो जाएगा , . . तो भइया ने मरहम लगाया था न?"
" लगाया ही होगा , तभी तो लेकिन ,. . भाभी दर्द आपको लगता है अभी भी है थोड़ा थोड़ा ,. . मुझे तो टाइम भी याद है , १० बजकर २७ मिनट. ”
नीता ने तड़का लगाया।
" दुबारा भी तो , ठीक एक बजा था क्यों न नीतू , पहली बार से भी तेज चीख निकली थी , क्यों भाभी लगता है जहाँ पहली बार चोट लगी थी , वहीँ दुबारा फिर से ,. तो क्या भइया ने दुबारा मलहम लगाया ,. "
गीता बहुत भोलेपन से बोली ,
और मैं , नयी दुल्हन की तरह घूंघट काढ़े , नीचे देखती , थोड़ी लजाती , झिझकती ,. लेकिन मेरे मुंह से निकल ही गया ,
' तो क्या तुम सब रात भर ,. "
रोकते रोकते मेरे मुंह से निकल ही गया।
" नहीं नहीं रात भर कहाँ ,. डेढ़ बजे के करीब आपकी जेठानी न , जबरदस्ती हम सबको हाँक के नीचे ले गयीं। "
बुरा सा मुंह बना के नीता बोली। फिर मेरी और देख के गीता से बोली ,
" तूने कल गुड नाइट नहीं लगाया था , देख भाभी को कितने मछरों ने काटा है , तभी तो बेचारी भाभी को रात में नींद नहीं आयी ठीक से लगता है , क्यों भाभी कहाँ कहाँ काटा है ? "
नीता ने मेरे ब्लाउज से झांकते इनके दांतों के निशान देख कर चिढ़ाया।
मैंने सब जगह , गाल पर , सीने पर तैयार होते समय ,' नो मार्क्स ' ;लगाया था ,
पर तब भी कुछ जगह छूट गए थे ,
और सबसे बढ़ कर , जो अपनी सलहज की बात मान कर सुबह सुबह एक राउंड उन्होंने और चढ़ाई कर दी , तो उसके तो सारे निशान बचे ही थे।
गीता और बोली ,
" अरे यार चल ने दे न भाभी को कमरे में एक बार , वहां तो तो बस हम सब ननदें ही होंगी , बस आराम से खोल कर देख कर , जहाँ चोट होगी , कुछ कटा फटा होगा , सब पर आराम से ,. सहला के ,. मरहम लगा देंगे न। क्यों भाभी हम ननदों से क्या शरमाना। "
मैं सिहर गयी , तब तक लेकिन हम लोग नीचे पहुँच गए
गनीमत थी नीचे उतरते ही , मेरी सास , मेरी बुआ सास दो और रिश्ते की सास बैठी थीं। मैंने झुक कर जैसे सास के पैर छुए , उन्होंने मुझे दुलार से चिपका लिया। मेरी बुआ सास मुझे ध्यान से देखते बोलीं ,
मेरी सास
नीचे उतरते ही , मेरी सास , मेरी बुआ सास दो और रिश्ते की सास बैठी थीं।
मैंने झुक कर जैसे सास के पैर छुए , उन्होंने मुझे दुलार से चिपका लिया।
मेरी बुआ सास मुझे ध्यान से देखते बोलीं ,
" लगता है बहु को रात भर नींद नहीं आयी , आँखें एकदम जगी जगी सी लग रही हैं। "
मेरी सास प्यार से मेरे गाल सहलाते बोलीं ,
" अरे नया घर है , पहले दिन कहाँ नींद आती है नयी नयी जगह। "
दूसरी सास ने छेड़ा ,
" सही बात है कुछ दिन में आदत लग जायेगी , पहली रात कुछ परेशानी तो होती ही है ,"
मैं बस घूँघट में सर नीचे किये मुस्करा रही थी ,
मेरी सास , बुआ सास भी न एक से एक खुल के मजाक करती थी ,
कल रात में ही , जब जेठानी मुझे रात में साढ़े आठ बजे इनके पास ले जाने के लिए , . . शुरुआत इन्ही बुआ सास ने की ,
मुझसे बोलीं ,
" आरी ज़रा अपनी सास की साडी ऊपर तक उठा के पैर छुओ ,
अपने मर्द की मातृभूमि का दर्शन कर लो। "
लेकिन मेरी सास उसी समय सब कुछ तुरंत सूद ब्याज के साथ लौटा देती हैं ,
वो अपनी ननद , मेरी बुआ सास की ओर इशारा कर के बोलीं,
" अरे अपनी बुआ सास का पहले ,. वो तालाब देख लो
जहाँ तुम्हारे ससुर ने सबसे पहले डुबकी लगाई , . लेकिन इनको मत कुछ बोलना ,
यहाँ की चाल यही है , सब ननदें , यहां , अपने भैया के साथ
बचपन से ही कबड्डी खेलती हैं , सारी ननदें , . चाहे छोटी हों या बड़ी ,.
उनकी उमर पर मत जाना ,. "
मैं तो बस अपने घूंघट में मुस्करा रही थी , पर मेरी जेठानी क्यों ऐसा मौका छोड़तीं , उनके साथ ,
मेरी एक ननद , ममेरी ननद .
इनकी सबसे छोटी साली, मेरी छोटी बहन छुटकी , से भी दो ढाई साल छोटी,.
जेठानी बस उसकी ओर इशारा करके बोलीं ,
' माताजी , सारी ननदें न ,. '
वो बस थोड़ा सा मुस्करायीं , मेरी ममेरी ननद की ओर देखा और बोलीं ,
' एकदम , सारी की सारी , चाहे मेरी हो या तुम्हारी ,.
ननद का दूसरा नाम ही छिनार है , वो भी पैदायशी छिनार ,. उमर वुमर का क्या "
साथ में उनके इनके गाँव की नाउन की बहु बैठी थी , ( और इस रिश्ते से मेरी जेठानी लगती थी , सब ननदों की भौजाई ) बोली ,
" अरे इ ननदियन क झांट बाद में आती है , मोटा औजार पहले ढूंढती है ,,. "
बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी मुस्कराहट रोकी ,
यहाँ भी माहौल एकदम मेरे घर जैसा ही था , . एकदम खुला मस्ती से भरा।
सास मेरी जोर से हंसी और मेरा घूंघट ठीक करते हुए बोलीं ,
' यहाँ कौन तेरे ससुर जेठ हैं , इत्ता लंबा घूंघट मत काढ़ा करो ,
चाँद ऐसा चेहरा , दिखाई तो पड़े , . "
तब तक मेरी बुआ सास बोलीं ,
" और क्या अभी थोड़ी देर में ऊपर का मुंह नीचे का मुंह सब खुल जाएगा ,
लेकिन डरना मत , पहली रात बड़ी मेहनत पड़ती है नयी बहु पर। "
" डरेगी क्यों , मेरी बहु है ,. जाओ बहु , आराम करो ,. "
सास ने जेठानी को इशारा किया मुझे ऊपर इनके कमरे में ले जाने को।
और वो दिन और आज का दिन , जितने दिन मैं ससुराल में रही ,
मुझे खिलापिला कर नौ बजे के पहले ही मेरे कमरे में वो हाँक देती थीं।
मेरी सास , बुआ सास और बाकी औरतों के बीच खूब खुल्लम खुल्ला मजाक चल रहा था , जब गीता और नीता मुझे ले आयीं नीचे।
सास ने मेरी ननदों से कहा ,
" हे बहु को ले जाओ , अपने साथ अपने कमरे में , और आराम करने देना ,.
तंग मत करना अपनी भाभी को "
मेरी बुआ सास ने भी अबकी मेरा साथ दिया , बोलीं
" हाँ , रात भर तुम्हारा भाई तंग करे उसे , और दिन में तुम लोग ,.
ये ठीक थोड़े ही है "
और मैं जब कमरे में पहुंची तो मेरी सारी ननदें , . इनकी सगी बहन तो कोई थी नहीं , पर ज्वाइंट फेमिली टाइप माहौल में ,.
दर्जन भर से ज्यादा , १४ से २८ साल वाली , दो तीन शादी शुदा , . चचेरी , बुआ और मौसी की , सबसे छोटी इनकी वही ममेरी बहन थी , जो इनके घर के पास ही बगल के मोहल्ले में रहती थी।
और उसके बाद तो जो महाभारत में अभिमन्यु की हालत थी ,
वहां एक किशोर था , यहाँ एक किशोरी थी , ननदों के बीच फंसी ,
और ननदें भी सब एक से एक ,
मैं ठीक से बैठ भी नहीं पायी थी की सब एक साथ , और सवाल भी बस वही ,
' कितनी बार , . कैसे , कब ,. दर्द हुआ की नहीं। "
मेरी सारी ननदें
सास ने मेरी ननदों से कहा ,
" हे बहु को ले जाओ , अपने साथ अपने कमरे में , और आराम करने देना ,. तंग मत करना अपनी भाभी को "
मेरी बुआ सास ने भी अबकी मेरा साथ दिया , बोलीं
" हाँ , रात भर तुम्हारा भाई तंग करे उसे , और दिन में तुम लोग ,. ये ठीक थोड़े ही है "
और मैं जब कमरे में पहुंची तो मेरी सारी ननदें , . इनकी सगी बहन तो कोई थी नहीं , पर ज्वाइंट फेमिली टाइप माहौल में ,. दर्जन भर से ज्यादा ,
१४ से २८ साल वाली ,
दो तीन शादी शुदा , .
चचेरी , बुआ और मौसी की ,
सबसे छोटी इनकी वही ममेरी बहन थी , जो इनके घर के पास ही बगल के मोहल्ले में रहती थी।
और उसके बाद तो जो महाभारत में अभिमन्यु की हालत थी , वहां एक किशोर था ,
यहाँ एक किशोरी थी , ननदों के बीच फंसी , और ननदें भी सब एक से एक ,
मैं ठीक से बैठ भी नहीं पायी थी की सब एक साथ , और सवाल भी बस वही ,
' कितनी बार , . कैसे , कब ,. दर्द हुआ की नहीं। "
और यहां तो घूँघट का कवच भी नहीं था ,
सबसे ज्यादा उनके दांतों और नाखूनों के निशान , मैंने बहुत कवर किये थे
लेकिन तब भी , और बात सिर्फ छेड़खानी तक नहीं थी छूने छाने तक भी ,
एक मेरी ननद , मिली , बी ए में पढ़ती थी , चोली के ऊपर से छू कर बोली ,
" भाभी , मच्छर ने सिर्फ बाहर बाहर काटा है या अंदर भी ,
एक बार ज़रा सा खोल के देख लूँ , . "
और एक मेरी शादी शुदा ननद , सबसे बड़ी , . उन्होंने उसे और चढ़ाया
" अरे खोल दे न , तेरे भैया को नहीं मना किया तो तुझे क्यों मना करेंगी , तू तो छोटी ननद है , "
मेरी जेठानी की एक भतीजी , गुड्डो , वो भी हाईकॉलेज वाली , जेठानी की भतीजी होने के कारण रिश्ता तो ननद का नहीं था लेकिन उम्र के चक्कर में ननदों की सहेली ,
उसने मिली को चिढ़ाया ,
" मिली दी , अपने भैय्या को आप मच्छर बोलती हैं ,. "
लेकिन तब तक बड़ी ननद मेरी , जो शादीशुदा , मजाक में नम्बरी , वो मेरे पास आ के बैठ गयीं ,
" अरे बता दो न , रात का हाल , चीख तो सबने सुनी थी ,. वो भी एक नहीं दो बार ,. अच्छा इत्ता बता दो चीखी कब थी ,
घुसाते समय या फटते समय ,. ज्यादा खून खच्चर हुआ या थोड़ा , .
देखो अगर ज्यादा शर्म लगे न तो बस दो पल के लिए आँखे बंद कर लो ,
हम लोग खुद साडी उठा के देखे लेंगें , बुलबुल चारा खाने के बाद कैसे लग रही है , . "
अब गीता और मीता भी चालु , . " भाभी बस एक छोटी सी सेल्फी , . इस्तेमाल के बाद वाली , "
तबतक मेरी एक और शादी शुदा ननद , ( मंझली ननद , इनकी पिछले साल ही शादी हुयी थी , बुआ की लड़की , एकदम नॉन वेज बातों में एक्सपर्ट , कल मैंने देख लिया था , मेरी जेठानी भी इनके आगे पानी मांगती थी , और इनसे बढ़कर , मेरे नन्दोई , एकदम खुल के मजाक ) और मेरे दूसरे और बैठ गयीं , और गीता और मीता को हड़काने लगी ,
" अरे मेरी नयकी भाभी को तुम सब समझती क्या हो , आँखे क्यों बंद करेंगी , अपनी बुलबुल दिखाते ,. कल रात भर भइया के सामने तो क्यों भाभी आँख बंद की था क्या जब सैंया ने धकेला था , . एकदम दिखाएगीं अभी , और अपने हाथ से अपनी साडी उठा के , . लेकिन उसके पहले ऊपर वाली मंजिल का हाल चाल तो देख लो , अपना अपना मोबाइल तैयार कर लो ,. "
" हाँ दीदी , वहां बहुत मच्छर काटें हैं सारी रात ,. " मीता और मिली दोनों साथ बोलीं ,
" ये तो बहुत नाइंसाफी है ननदों के साथ , . . मच्छर को दिखाया भी , कटवाया भी , खोल के , . और बिचारी ननदों को जरा सा दिखा भी नहीं रही हैं "
मंझली ननद ने इशारा किया ,
( और ये इशारा मैं समझती थी , ये खेल तमाशा मैं भाभियों के साथ कई बार कर चुकी थी , दो ननदें , भौजाई का एक एक हाथ पकड़ लेती एक साथ कस के , और फिर आराम से , बिना किसी जल्दी के चोली के एक एक बटन , . जब तक वो भरतपुर के दरसन को राजी नहीं होती , ऊपर की मंजिल तो खुल ही जाती , लेकिन उस समय मोबाइल का खतरा नहीं था लेकिन इस समय एक तो दर्जन भर ननदें और आधी दर्जन से ज्यादा मोबाइल लिए तैयार ,. फिर वो फोटो कहाँ कहाँ व्हाट्सऐप होती )
लेकिन मैं बाल बाल बची , दुहरा एडवांटेज ,.
एक तो दोनों शादी शुदा ननदों का बुलावा आ गया ,
मंझली को ननदोई जी ने बुला लिया , पाजामा ढूंढ रहे थे ,
और बड़ी वाली को सासू जी ने , नाश्ते का इंतजाम देखने को ,.
और ऊपर से मेरी एक जेठानी आ गयीं ,. वो अकेले बाकी ननदों के लिए काफी थीं , . लगता है बाहर से थोड़ी बहुत उन सबों की बातें सुन रखी थीं ,
" किस किस को मच्छर से कटवाना है , बहुत मन कर रहा है कटवाने का , . बस हाथ उठाओ , . अभी इंतजाम का देती हूँ , . . "
गीता ( वही हाईकॉलेज वाली , जो सुबह मुझे बुलाने गयी थी ) के गाल कस के पिंच करते उन्होंने सारी ननदों को चैलेन्ज किया।
और फिर आधे दर्जन लड़कों के नाम ( कुछ उनके मायके के , कुछ जेठानी के , . जो शादी में आये थे ) लेकर वो बोलीं ,.
" बोलो सब बाहर ही , चक्कर काट रहे हैं ,. कटवाना , मिजवाना , दबवाना रगड़वाना मिसवाना , . अरे शादी का घर है फायदा उठा लो ,.
हाँ अगर मेरे देवर ,. अपने भाइयों से ,. तो बोलो , उन्ही के साथ ,.
तब तक मेरी जेठानी भी आ गयीं , फिर तो मैं शेर हो गयी ,. ननदों को उन्होंने जबरदस्त ऑफर दिया ,
बेसबरा
तब तक मेरी जेठानी भी आ गयीं , फिर तो मैं शेर हो गयी ,.
ननदों को उन्होंने जबरदस्त ऑफर दिया ,
" मेरे भाइयों के साथ मेरे देवर भी ,. अरे पूछने में क्या रखा है , करवा के देख लो न खुद ही , न तुम्हारे पास ओखल की कमी , न बाहर मूसल की ,. एक से एक , मेरे भाई तो हैं ही , मेरे देवर भी एक के साथ एक फ्री ,. और बस दो तीन दिन की बात ,. चौथी में तो नयकी भाभी के भी भैया लोग आएंगे , बरात में तो तुम सबों ने भेंट मुलाकात कर ही ली होगी अच्छी तरह नाप जोख करवा भी लिया हो , कर भी लिया होगा ,. लेकिन उस के लिए तुम लोगों की बुकिंग तेरी नयकी भौजी ही करेंगी। "
उन्होंने सब को बाहर खदेड़ा , बाहर नाश्ता लग गया है , चलो जल्दी नाश्ता कर के तैयार हो जाओ।
लेकिन गीता और मीता को मेरे काम पर लगा दिया ,
" सुनो तुम दोनों , इतनी मीठी मीठी भाभी मिली है तुम दोनों को खाली तंग करने के लिए ,
जाके हम दोनों के लिए नाश्ता ले आओ , . जलेबी , मूंग का हलवा ,. . मैं भी अपनी देवरानी के साथ ,. "
और बड़ी जेठानी सारी ननदों को हाँक कर बाहर ले गयीं , और अब कमरे में सिर्फ मैं और जेठानी बैठीं थी।
जब मेरी ननदें मुझे छेड़ रही थीं , मेरे कान तो उनकी रसीली बातें सुनने में लगे थे ,
लेकिन कनखियों से , . मुझे लग रहा था ,
उढ़काये हुए दरवाजे के बाहर , . एक दो बार ,. शायद 'ये ' . .
पर अब जब सिर्फ मैं और जेठानी जी थी , मैंने देखा की , यही थे दरवाजे के बाहर , . हलके से झाँक रहे थे ,
चोरी चोरी ,.
पर उसी समय गीता और मीता हम लोगों के लिए ब्रेकफास्ट ले कर आ रही थीं , तो वो हट गए।
पर उन दोनों के बाहर निकलने के बाद ,. फिर एक बार उनकी झलक ,.
मैं मुस्कराये बिना न रह सकी।
बेसबरा ,
गनीमत थी जेठानी जी ने नहीं देखा , हम दोनों जलेबी , मूंग का हलवा और पकौड़ी उड़ाने में बिज़ी थे , .
तबतक उनसे नहीं रहा गया ,
कुछ देर तो बाहर से ताक झाँक फिर धीरे से आस पास उन्होंने देखा कोई नहीं था , वो अंदर आ गए , .
और जेठानी के बगल में बैठ गए , बोले
" भाभी अकेले अकेले ,. . "
" एकदम नहीं , मेरी देवरानी है न साथ ,. तुम नजर मत लगाओ ,. चाहिए तो बोलो ,. "
उनकी भाभी ने भी उसी तरह जवाब दिया।
" एकदम भाभी , नेकी और पूछ पूछ ,. "
वो लिबराते हुए मुझे देख रहे थे। लालची।
समझ मैं भी रही थी , उनकी भाभी भी ,.
उनके देवर को क्या चाहिए था , क्या देख के वो ललचा रहे थे।
भाभी उनकी , उन्होंने एक जलेबी उठायी और मेरे मुँह में ,. मैंने आधी काट के गप्प कर ली ,
मेरी जूठी अधखायी जलेबी अपने देवर के मुंह में , झट्ट से उन्होंने गप्प कर ली। पूरी की पूरी।
इसके बाद मूंग का हलवा भी , चम्मच मेरी जेठानी ने पहले मेरे मुंह में फिर उन्हें मेरा जूठा ,.
उन्होंने हलके से अपने देवर के कान में बोला , लेकिन मैं साफ़ साफ़ सुन रही थी ,
' रात भर दावत उड़ाई , . और सुबह सुबह फिर ,. '
वो बेचारे जोर से ब्लश करने लगे ,
इतना जो मुझसे मेरी ननदें मेरी रात का हाल चाल पूछ रही थीं , मैं नहीं शरमा रही थी।
लेकिन उनकी किस्मत गड़बड़ , जबतक हम लोगों ने नाश्ता खतम किया ,
मेरी जेठानियाँ , इनकी भावजें , मेरी ननदें ,.
और साथ में बताया था न वो नाउन की बहू , जो रिश्ते में इनकी भाभी लगती थी ,
और मेरी ननदों की रगड़ाई करने , खुल के गाली देने में ,.
और उसी ने नोटिस किया , .
" अरे देवर जी ई तोहरे माथे में महावर कैसे इतना चाकर लगी है , .
कतो रात भर दुल्हिन के पैर तो नहीं पड़ रहे थे , . "
लेकिन अभी ननदें भी थी , मेरी खिचाई करने के लिए , एक बोली ,
" अरे भइया , भाभी के पैरों के बीच की कोई चीज मांग रहे होंगे , इसी लिए पैर छुलवाया होगा ,.
क्यों भाभी दिया की नहीं ,. "
" भाभी से काहें पूछ रही हो , अपने भैया से पूछो न , महावर तो उनके माथे पर लगा है ,. "
एक जेठानी ने उसे रगड़ा।
बेचारे इतने शरमा रहे थे , और उनकी भाभियाँ अब निकलने भी नहीं दे रही थीं।
और मुझे भी समझ में आगया की क्यों कल रात को सुहाग रात में जाते समय,
क्यों मेरी ननदों ने नाउँ को उकसा कर , खूब चौड़ी और गीली महावर लगाई गयी थी ,
मेरे पैर जब इनके कंधे पर हों तो महावर तो इनके माथे पर लगनी ही थी।
लेकिन ननदें इतनी आसानी से हार मानने वाली नहीं थी , मिली मुझे चिढ़ाते बोली ,
" भाभी बता दीजिये न , . क्या है आपकी टांगों के बीच जसिके लिए आपने भइया से पैर भी छुलवा लिया। "
लेकिन उसका खामियाजा उठाना पड़ा मेरी सबसे छोटी ननद , .
वो इनकी अकेली कजिन थी जो इनके शहर में ही रहती थी , इनके घर के पास के मोहल्ले में
बस एक जेठानी ने उसका गाल मींड़ते हुए कहा ,
" अरे वही चीज तो तुम्हारी टांगों के बीच भी है , ज़रा देखा दो न अपने भैया को ,. "
और मजाक अब शब्दों से ऐक्शन में आ गया , एक जेठानी ने उस बछेड़ी के दोनों हाथ पीछे से कस के पकडे और दूसरे ने उसकी फ्राक उठा दी।
मेरी बड़ी जेठानी जो मज़ाक़ में एकदम मुंह फ़ट इनसे , अपने देवर से बोलीं , .
" अरे लाला बचपन में तो बहुत डाक्टर नर्स खेले होंगे , ननदों के साथ , . अब काहें लजा रहे हो ,. देख लो न ,. "
फ्राक उठाने पर उस किशोरी की गोरी गोरी चिकनी जाँघे , और एक छोटी सी सफ़ेद चड्ढी ,.
उसकी चुनमुनिया को छिपाए ,.
वो बिचारी कसमसा रही थी , छटपटा रही थी , लेकिन मेरी जेठानी की पकड़ , .
पर मेरी ननद से ज्यादा वो शर्मा रहे थे ,
" अरे इहे देखने बार बार चक्कर काट रहे थे न ,. "
एक जेठानी बोलीं और थोड़ा सा चड्ढी सरका दी ,
चुनमुनिया तो नहीं दिखी लेकिन नयी नयी आती रेशम क्यारी ,.
और फिर वो नाउन की बहू , ( जिसने मेरी सास की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा था की
यहाँ ननदों की झांटे बाद में आती हैं , पर वो मोटा औजार पहले ढूंढने लगती हैं ) एकदम चालू हो गयी , कान में ऊँगली डालनी पड़े ,
ऐसी बातें ,.
" अरे झांट तो बड़ी प्यारी आ रही है , अभिन कुछ गया की नहीं अंदर , की खाली मोमबत्ती और बैगन से काम चलाती हो ,. इतने लड़के हैं शादी का घर घोंट लो गप्पागप्प।
मौके का फायदा उठा के ये बेचारे बाहर सरक लिए।
ननद भौजाई
मौके का फायदा उठा के ये बेचारे बाहर सरक लिए।
लेकिन इनके बाहर निकलते ही माहौल और गरमा गया , जैसे नाउन की बहू मुंह फ़ट थी तो गाँव से एक नाउन की बेटी आयी थी , दुलारी ,.
अभी छह महीने पहले शादी हुयी थी , वो उसके भी कान काटती थी ,
और ननदों की ओर से गारी गाने में सबसे आगे , .
तो वो दुलारी आ गयी और मेरी दोनों शादी शुदा ननदें भी और माहौल एकदम , .
बिचारि गुड्डो , मेरी जेठानी की भतीजी , सबसे पहले वही दबोची गयी।
अभी हाईकॉलेज में थी , लेकिन ऐसे माहौल में कौन उमर देखता है बल्कि कच्ची कलियों की तो और रगड़ाई होती है।
दुलारी मेरे पीछे पड़ी थी ,
" काहो भौजी , केतना चोदवायी , अरे भइया के आगे तो झट से बुर खोल दी , हम ननदों से कौन लाज , तानी एक बार देखाय दा , सैंया क लंड घोटने क बाद कइसन लागत बा बुरिया ,. "
गुड्डो के मुंह से निकल गया कैसे बोलती हो ,
बस दुलारी उसके पीछे ,
" तोहार बुर अभिन ना घोटले हौ का , . अरे बढ़िया मौका हौ , इतने लड़के शादी क घर , . कउनो मौका देखकर ठोंक देहिंये , पेलवाय लो , अइसन चोदवाय क मौका मिलना मुश्किल है। “
और सिर्फ दुलारी ही नहीं ,
कुछ मेरी ननदें भी और एक दो गाँव से आयी दुलारी के साथ की ,. सब की सब , उस बेचारी के पीछे ,.
और एकदम खुल्लम खुल्ला , बाकी ननदें , यहाँ तक की कुछ जेठानियाँ भी मजा ले रही थीं , उकसा रही थीं ,
एक बोली, ,
" अरे मौका मिलने की देर है , देखना गपागप लंड घोंटेंगी ये ,. "
और ये कह के हलकी सी गुदगुदी लगा दी , गुड्डो के कांख में
जैसे ही उसने हाथ अलग किये
दूसरी ने दोनों हाथ पीछे से डाल के उसके नए नए आये टिकोरों को गपुच लिया और लगी कस कस के दबाने, मींजने ,
और बोली
" ई जिन कहना की बिना लौंडन से मिजवाये दबवाये , ई तोहार चूँची , एस गद्दर , एक बार चोदवाय लो , यहां से जाने से पहले , फिर खुदे शलवार का नाड़ा खोलके , . "
" अरे जब चुदवाने में नहीं लाज तो बुर गांड , लंड बोलने में कौन लाज ,. "
दुलारी एक बार फिर चालू हो गयी और उसने अपनी तोप का मुंह एक बार फिर से मेरी ओर मोड़ दिया और बोली ,
" देखो अपनी नयकी भौजी को , रात भर बुरिया में गपागप लंड घोंटने के बाद कइसन मुस्करात हैं , . "
लेकिन मान गयी मैं अपनी जेठानी को , कितनी चालाकी से उन्होंने मेरी और अपनी नंदों की ओर रुख मोड़ दिया ,
एक तो दुलारी को किसी बहाने से उन्होंने बाहर भेज दिया ,
मंझली ननद के लिए भी नन्दोई जी का बुलावा आ गया ,
और एक बार सरकार हमारी बन गयी ,
फिर तो सबसे पहले मिली की कैप्री सरकी ,
फिर मीता की स्कर्ट उठी ,.
" अरे तुम लोग अपनी भौजी का नीचे वाला मुंह देखने की जिद्द कर रही हो न , तो पहले अपनी तो दिखाओ , . तुम लोग छोटी हो , और तुम्हारा फायदा होगा , . बरात में जिन लड़कों को देख के तुम सब के ऊपर और नीचे वाले मुंह में पानी आ रहा था न , वो सब लड़के , तुम्हारी नयकी भौजी के भाई सब ,. बस वो देख देख के पसंद कर लेंगी ,. .
कौन सा लड़के के साथ किसकी गांठ जोड़ी जायेगी ,. . "
जेठानी सबको चिढ़ा रही थी , तो मेरे भी बोल फूट गए ,
" अरे नहीं दीदी , मेरे भाई मेरी ननदों को निराश नहीं करेंगे , एक एक पर तीन तीन ,. सबके साथ सब ,. कोई नहीं बचेगी , . लेकिन आज से ही जरा वैसलीन लगा लगा के , . "
मैंने छेड़ा अपनी ननदों को।
" तो ई कहो न साफ़ साफ़ की अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर वैसलीन लगाना पडेगा , . " मेरी जेठानी ने तारीफ़ से मेरी ओर देखा , और अपनी ओर से जोड़ा।
लेकिन ननद मेरी कम नहीं थी , मीता बोली ( वही जो ग्यारह में पढ़ती थी , सुबह मुझे लेने गयी थी )
" अरे भाभी आने दीजिये स्सालों को , आपकी ननदें डरती नहीं है "
तबतक दुलारी फिर से आ गयी और मेरी बड़ी और मंझली ननद भी ,