Episode 10


साजन सजनी

उन्होंने और जोर से दबाया ,. धीरे धीरे आधा से ज्यादा ,. और मेरे हलक तक ,.

सिर्फ मोटा ही नहीं , वो लम्बा भी खूब था।

मैं चूसने की कोशिश कर रही थी ,

ननद जी ने खूब बोला था बड़ा मजा आया था उन्हें चूसने में , नन्दोई जी ऑलमोस्ट रोज ही उन्हें चुसाते हैं

लेकिन मैं ,. चोक करने लगी ,

मेरे मुंह से गों गों की आवाज निकल रही थी पर वो आज पहली बार इत्ती जोश में थे की उन्हें मेरी परवाह नहीं थी ,

और यही चाहती थी मैं,.

पर थोड़ी देर में उन्होंने मुंह से तो बाहर निकाल लिया लेकिन उनकी जो हालत थी ,

मैंने खुद अपनी टाँगे उठाकर उनके कंधे पर रख दी , वो मेरे अंदर

और बस मेरी पायल की रुन झुन ,

बिछुओं की झंकार ,. चूड़ियों की चुरमुरुर और

मेरे पायल बिछुए की तान पर जुगलबंदी करते मेरे साजन के धक्के ,.

कुछ देर में मैं चीख भी रही थी , सिसक भी रही थी ,

और उनकी ताल में ताल मिलाकर ,.

इतना कस के मैंने उन्हें भींच रखा था की ,.

उनकी हिम्मत जो धक्कों की रफ़्तार कम करें चाहे मैं चीखूँ , चिल्लाऊं। . .

पर आज मैं सिसक ज्यादा रही थी , चीख कम रही थी और अब मेरी सारी कमजोरियां भी उन्हें पता चल गयी थीं

उनकी उँगलियाँ उनके होंठ कभी मेरे निपल्स पर , तो कभी उरोजों पर

मैं पागल हो रही थी , मस्ती में चूर ,. . कुछ ही देर में आज मैं शिथिल पड़ गयी ,

पर उनके धक्के मैंने रुकने नहीं दिए ,

ताबड़तोड़ ,,, जब दूर कहीं बारह का घंटा बज रहा था , हम दोनों साथ साथ ,.

वो देर तक मेरे अंदर ,. वो बरसते रहे मैं भीगती रही , सारा रस सोखती रही उनका ,.

और देर तक हम ऐसे

और तब मेरी निगाह पड़ी , आज भी

दूध का ग्लास , पान की ट्रे

दूध का ग्लास उनके हाथों में , और मेरे होंठ , जहाँ मैंने दूध के ग्लास पर अपने होंठ लगाए थे , .

लेकिन अब मैं उनकी गोद में बैठी चिपकी , उनके हाथों से दूध पीती ,.

और उनका वो मोटा दुष्ट मूसल , .

जिसकी लम्बाई चौडाई अब मैंने अच्छी तरह नाप ली ( पौने आठ से आठ इंच और मोटाई ढाई से पौने तीन इंच , आखिर सुबह सुबह , इनकी सलहज जरूर पूछतीं ) ,

और थोड़ा सा स्वाद भी चख लिया था ( यमम यमम ),. .

अच्छी तरह से मेरे पिछवाड़े की दरार के बीच धंसा , आराम कर रहा था , थोड़ा जागा , ज्यादा सोया ,.

रजाई एक बार फिर मैंने अपने ऊपर खींच ली थी , आखिर दिसंबर की रात थी , और बाहर खूब कोहरा भी था ,.

लेकिन अपने उभारों के ठीक नीचे तक , न उन्होंने मेरे जोबन को ढकने दिया , न मैंने जिद्द की ,.

मुझे मालूम था पहले दिन से ही ये लड़का कितना ललचाता है मेरे किशोर उभारों के लिए ,.

और हाँ , दूध का ग्लास भी मैंने उनके हाथ से ले लिया ,

मुझे मालूम था इस लालची लड़के के लालची हाथ किस चीज के लिए ललचा रहे हैं ,

और सच में अगले ही पल उनके दोनों हाथ मेरे दोनों उभारों पर , . ऐसा नदीदा बेसबरा ,

और दूध का ग्लास मेरे हाथों में था , मैंने जबरन बचा हुआ सारा दूध , उन्हें पिला दिया ,. .

दूध की जो मूंछ उनकी पतली पतली मूंछ पर बनी थी उसे कस के चूम लिया ,

और जब उनके होंठों को आजाद किया तो हम लोगों के पहले मिलन की ,

जब मैंने उन्हें बीड़ा मारा था , इस चितचोर ने मुझे मुझसे चुरा लिया था , उस दिन की कहानी ,.

जब बिचारे सिर्फ मेरे नाम चक्कर में पूरी रात ,. .

और मैं न सिर्फ इनका नाम पता किया इनकी चचेरी ममेरी बहनों का भी ,.

और इनका नाम ले ले के गारियाँ सुनाई ,

" असल में जानती हो ,. . " बोले वो और चुप हो गए।

इनकी शर्म झिझक न ,. मैंने इनकी चुप्पी का फायदा उठा कर अपनी जीभ से इनके होंठों पर लगी मलाई चाट ली ,. .

और उन्होंने पूरी बात बताई , .

कोशिश उन्होंने की थी। मेरा नाम पता करने की।

लेकिन उन्हें बार बार ये डर लगता था की अगर मुझे पता लग जाएगा तो मैं बुरा मान जाउंगी ,.
मैं इत्ती इन्नोसेंट भोली सी ,. फिर मैं न जाने क्या सोचूंगी उनके बारे में , .

उन्होंने एक दो मेरी सहेलियों से हिम्मत कर पूछा भी था , जिनकी बरात के लड़कों से दोस्ती हो गयी थी ( ये मेरी वो सहेलियां थीं , जिन्होंने जितनी देर मेरा नाम पता करने में लगाया था , उससे आधे समय में बारात के लड़कों से शलवार का नाडा खुलवा लिया था , . )

पर वो चिढ़ाने का मौका क्यों छोड़तीं . बोलीं उनसे , . वो देखो सामने तो है ,, जाके पूछ लो , सच्च में काटेगी नहीं , मेरी सहेली बहुत सीधी है।

तो , . पता कैसे किया ,.

बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान रोकते मैं बोली।

" तुम , . तुमने बताया रास्ता ,. "

मुस्कराते वो बोले और साथ में कस के उनके हाथों ने मेरे जोबन मसल दिया।

मेरी समझ में नहीं आया लेकिन उन्होंने ही बताया ,.

नाम

इनकी शर्म झिझक न ,. मैंने इनकी चुप्पी का फायदा उठा कर अपनी जीभ से इनके होंठों पर लगी मलाई चाट ली ,. .

और उन्होंने पूरी बात बताई , . कोशिश उन्होंने की थी।

मेरा नाम पता करने की।

लेकिन उन्हें बार बार ये डर लगता था की अगर मुझे पता लग जाएगा तो मैं बुरा मान जाउंगी ,. मैं इत्ती इन्नोसेंट भोली सी ,. फिर मैं न जाने क्या सोचूंगी उनके बारे में , .

उन्होंने एक दो मेरी सहेलियों से हिम्मत कर पूछा भी था , जिनकी बरात के लड़कों से दोस्ती हो गयी थी ( ये मेरी वो सहेलियां थीं , जिन्होंने जितनी देर मेरा नाम पता करने में लगाया था , उससे आधे समय में बारात के लड़कों से शलवार का नाडा खुलवा लिया था , . )

पर वो चिढ़ाने का मौका क्यों छोड़तीं . बोलीं उनसे , .

वो देखो सामने तो है , जाके पूछ लो , सच्च में काटेगी नहीं , मेरी सहेली बहुत सीधी है।

तो , . पता कैसे किया ,. बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान रोकते मैं बोली।

" तुम , . तुमने बताया रास्ता ,. " मुस्कराते वो बोले और साथ में कस के उनके हाथों ने मेरे जोबन मसल दिया।

मेरी समझ में नहीं आया लेकिन उन्होंने ही बताया ,.

" तुमने जो गिन के पूरी चौदह गारियाँ मेरा नाम ले ले के सुनाई थीं ,.

तो बस मुझे भी लगा तेरी सहेली ठीक कह रही थी , तुमसे ही पूछ लूँ ,.

और सुबह मौक़ा मिल गया , अँधेरे , तुम अकेले ,. इसलिए हिम्मत कर के मैंने तुम्ही से पूछ लिया। "

" पर मैंने तो बताया नहीं ,. "

खिलखिलाते हुए मैं बोली और कस के मैंने उनका हाथ अपने उभार पर दबा दिया।

" बता तो दिया था तुमने रास्ता ,. तुमने बोला था न पता कर लो , तो बस मैं समझ गया की तुम बुरा नहीं मानोगी , . फिर जिस तरह से चुन के तुमने सिर्फ मेरा नाम ले ले के गारियाँ दी थी , . मैं समझ गया था , . मुझे लगा की मैं ही बुद्धू हूँ , उसलिए सुबह भोर में तुम्हे ,. "

" बुद्धू तो तू अब भी है ,. लेकिन आगे बता न किसने बताया "

मैंने खुल के उनसे कहा और एक और चुम्मी उन लालची होंठो की ले ली।

" तेरी सहेलियों से तो मैंने पूछा पर वो सब इतना चिढ़ाती थीं , .

"सिर्फ नाम ही जानना है या फिगर भी ,. या कैसे पटेगी ,. और मैं एकदम ,.

लेकिन तुम्हारी भाभी ,. रगड़ाई तो उन्होंने भी बहुत की ,. पहले मेरे बारे में सब पूछ लिया ,.
फिर नाम भी बता दिया और रास्ता भी। "

" रास्ता मतलब ,. " अब मेरे समझ में नहीं आ रहा था।

" उन्होंने कहा की मम्मी से बात करनी पड़ेगी ,. और ये सोन चिरैया इतनी आसानी से नहीं मिलेगी , . इसके घर वालों की सारी शर्तें माननी पड़ेगी ,. मैंने एकदम से हाँ कर दी। " उन्होंने राज खोला।

और मैं समझ गयी , मम्मी की सारी शर्तें कैसे उन लोगों ने बिना हिचक के मान ली , सगाई भी मेरे गाँव से हुयी शादी भी ,. और वो भी पूरे गाँव वाली रस्म के साथ तीन दिन वाली , शादी के बाद भी मेरी पढ़ाई ,. और भी जो जो कहा सब कुछ ,. .

और मेरी चमकी , रीतू भाभी ,.

वो भी तो थीं उस शादी में ,.

उन्होंने ही मुझे चढ़ा कर उस रात असली वाली गारियाँ इन्हे सुनवाई थीं ,. तो इनकी सलहज ,.

पर बात इन्होने आगे बढ़ाई ,.

" असल में आगे का काम तुम्हारी भाभी , और मेरी भाभी ,. तेरी जेठानी उस दिन रात में तेरी ढोलक और गारी सुन के ,. मुझसे उन्होंने दस बार पूछा लाला , ये कैसी है चलेगी ,. मन तो मेरा भी कर रहा था , लेकिन डर लग रहा था , तुम इत्ती सुन्दर , इत्ती प्यारी सी ,मना कर दे तो ,. पर तेरी जेठानी हंस के मुझसे बोलीं ,

' लाला मना करेगी , तो मना लेना , कुछ मेहनत तो करनी पड़ेगी न , इत्ती प्यारी सी सुन्दर लड़की ऐसे थोड़े ही मुफ्त में आसानी से मिलेगी। "

और तेरी भाभी और जेठानी में दोस्ती भी हो गयी थी , बस।

जब मैंने तुम्हे शाम को तुम्हारा नाम बताया , तुम गुस्सा नहीं हुयी ,

बस ,. . तुम्हारी जेठानी ने तुम्हारी फोटुएं तेरी सास के पास और , मेरी सलहज ने मेरी सास के पास ,.

विदायी के पहले ही यह तय हो गया था की घर लौटकर मेरी भाभी , मुहूर्त देखकर , तुम्हारे यहां बात करेंगी , बस ,,,, "

" और मैं मिल गयी तुम्हे ,. "

हंस के मैं बोली और अब हम दोनों लेटे , हँसते खिलखिलाते ,.

सामने घडी रानी डेढ़ बजा रही थीं , लेकिन मैं समझ गयी थी ये रातें सोने के लिए नहीं होतीं।

और मुझसे ज्यादा ये बात इनके मूसलचंद को मालूम थी ,

एक बार फिर वो तनतना गया था , मोटा कड़ा अच्छी तरह जागा और मेरी गुलाबी सहेली को छेड़ता तंग करता ,

आधी रात

" और मैं मिल गयी तुम्हे ,. "

हंस के मैं बोली और अब हम दोनों लेटे , हँसते खिलखिलाते ,. सामने घडी रानी डेढ़ बजा रही थीं ,

लेकिन मैं समझ गयी थी ये रातें सोने के लिए नहीं होतीं।

और मुझसे ज्यादा ये बात इनके मूसलचंद को मालूम थी ,

एक बार फिर वो तनतना गया था , मोटा कड़ा अच्छी तरह जागा और मेरी गुलाबी सहेली को छेड़ता तंग करता ,

मैं समझ गयी थी दो दिन में ही ,

ये जितने ज्यादा शर्मीले , सीधे हैं वो , इनका मोटा मूसल , उतना ही दुष्ट ,.

उनके हाथ भी उसी तरह

अब कस के कुचल मसल रहे थे ,मैं सिसक रही थी ,

खुद अपनी दोनों जाँघे मैंने खोल दी और पीठ के बल पर इनका शर्माना ,.

वो बार बार मुझे चुम रहे थे मैं समझ रही थी वो क्या कहना चाहते हैं , पर कहना जरूरी था क्या ,.

मैं कौन मना करने वाली थी ,.

और मैं मना करती भी तो मानना जरुरी था क्या ,

तब भी जैसे फर्स्ट डेट पर कोई बड़ी हिम्मत कर के किस के लिए पूछे , बस उसी तरह हलके से उन्होंने पूछा ,

" हे बहुत मन कर रहा है , मेरा बस एक बार ,. "

मैं क्या बोलती ,. .

लेकिन बिना बोले मैं जानती थी ये लड़का जो कुछ जरुरत से ज्यादा ही केयरिंग है ,.

कुछ नहीं करने वाला ,.

मैंने बिना बोले उन्हें अपने ऊपर खींच लिया , . . मेरी जाँघे पहले से ही फैली , खुली ,.

और वैसलीन की शीशी इनकी ओर खुद मैंने बढ़ा दी ,. .

अबकी मेरे पैर इनके कंधे पर नहीं चढ़े , लेकिन बिस्तर पर जितने तकिये कुशन थे सब मेरे नितम्बो के नीचे ,.

और पहला धक्का ही इन्होने इतनी जोर से मारा , मेरी जोर की चीख निकल गयी , एक चौथाई मूसल अंदर था , .

पर मैंने अपनी आँखे अबकी नहीं बंद की , प्यार से इन्हे देखती रही , मुस्कराती रही , इन्हे उकसाती रही ,

दूसरा धक्का ,

तीसरा धक्का

चौथा धक्का ,

और जब घड़ी रानी दो बजा रही थी ,

हम दो से एक हो गए थे , एकदम गुत्थमगुत्था , .

कभी खूब तेजी से तो कभी आराम आराम से ,

न जल्दी इन्हे थी न मुझे ,. . और अबकी मैं उनका पूरा साथ दे रही थी , .

चूमने में ,कस के भींचने में और कभी कभी साथ साथ धक्के लगाने में ,.

इनकी सलहज ने मुझे बताया था और इनकी सास ने भी ताकीद की थी ,

पहली चुदाई मर्द की और दूसरी दोनों की , तीसरी औरत की।

हम दोनों साथ साथ ,. और ये देर तक ,

और उसके बाद भी न ये मेरे अंदर से निकलना चाहते थे , न मैं इन्हे निकलने दे रही थी ,

हाँ बगल प्लेट में जोड़ा पान ,. अबकी मैने उन्हें ललचाया दिखाया लेकिन दोनों जोड़ा मैं खुद गप्प कर गयी , .

और इनकी बातें सुनती रही ,.

बातें क्या ,.

इनके पास तो बस एक ही टॉपिक था, मैं,. मेरे बारे में बस ,.

और बहुत हुआ तो मेरी भाभी और बहने , इनकी सालियाँ , इनकी सलहज , .

एकदम म्युचुअल फैन क्लब था ,. मेरी दोनों बहने भी बहाना बना के मुझे इन्ही के बारे में ,

पक्की चमची थीं दोनों अपने जीजू की ,.

आधे घंटे बाद इनका मुंह बंद करने का बस एक ही तरीका था कस के चूमना , .

और मैंने भी , कस के न सिर्फ चूमा ,. .

बल्कि मेरे होंठों से न सिर्फ इनके होंठ बंद थे बल्कि मेरी जीभ भी इनके मुंह में ,.

और कुचा कुचलाया , आधे घंटे से मेरे मुंह में रचा बसा , सुहागरात वाला स्पेशल पान , .

मेरे मुंह से इनके मुंह में , मेरे मुख रस के साथ ,.

सुबह जब मुर्गा बांग दे रहा था तो इनका मुर्गा भी कुकुडू कूं ,

और एक बार फिर ये मेरे अंदर थे , मेरी टाँगे इनके कंधे पर ,

और अबकी जान बूझ कर महावर लगे पैर इनके माथे पर मैं रगड़ रही थी ,

इनकी भौजाइयां जब इन्हे चिढ़ाती थीं तो मुझे बहुत मजा आता था।

और जब ये चाय बनाने गए मैं नहाने तो सात बज रहे थे ,

पर आज कल की तरह गारंटी नहीं थी की मेरी ननदें नौ बजे के बाद आएँगी। इसलिए सुबह सुबह ,.

तीन बार ,.

और आज मैंने मेक अप करते समय रात के निशानों पर ज्यादा नो मार्क नहीं लगाएं,

यही तो मेरी यही तो मेरी ननदें चाहती थी ,

देखना

मुझे छेड़ने , चिढ़ाने के लिए तो उन बेचारियों को भी थोड़ा मौका मिल जाएगा ,.

चाय सच में अच्छी बनाते थे , एकदम मेरी टेस्ट की , परफेक्ट ,. कड़क , जो आँख खोल दे , .

और चाय के बाद जब वो तैयार होने गए

तो बस थोड़ी देर में जैसे घडी देख कर ठीक पौने आठ बजे उनकी सलहज का फोन आ गया ,. .

गनीमत थी की वो नहीं थे ,

कल उन्ही के चक्कर में चौथी बार सुबह सुबह कुटाई हो गयी थी , . दिन दहाड़े अपने नन्दोई को चढ़ा कर ,

मेरे ऊपर चढ़ा दिया था ,

रीतू भाभी , वो अपना कल का सवाल दुहराती , मुझे डांट पड़ती उसके पहले ही मैंने जवाब दे दिया ,

" तीन बार आपके ननदोई ने ,. "

और मुझे कस के डाँट पड़ गयी , .

मेरी भौजी उनकी सलहज

कर ठीक पौने आठ बजे उनकी सलहज का फोन आ गया ,. .

गनीमत थी की वो नहीं थे , कल उन्ही के चक्कर में चौथी बार सुबह सुबह कुटाई हो गयी थी , .

दिन दहाड़े अपने नन्दोई को चढ़ा कर ,

मेरे ऊपर चढ़ा दिया था ,

रीतू भाभी , वो अपना कल का सवाल दुहराती , मुझे डांट पड़ती उसके पहले ही मैंने जवाब दे दिया ,

" तीन बार आपके ननदोई ने ,. "

और मुझे कस के डाँट पड़ गयी , .

'तीन बार क्या ,. ससुराल में जाके ज्यादा शरीफ हो गयी ही , भूल गयी ,. जो सिखाया पढ़ाया था "

सच में मैं कैसे भूल सकती थी , रीतू भाभी की पहली होली , .

दो तीन महीने पहले ही उनकी शादी हुयी थी , उमर में मुझसे चार साल से ज्यादा बड़ी नहीं थी ,

मैं उनकी छोटी ननद , . अभी नौवें में गयी थी , .

पहले तो हम ननदें भारी पड़ीं , लेकिन फिर भौजी ने मुझे दबोच लिया ,

पहले तो फ्राक फटी मेरी ,. मेरे कच्चे टिकोरे निकले बाहर ,.

और फिर जाँघे फैली , उनकी उंगलिया चड्ढी खोल के मेरी चुनमुनिया पर ,.

मेरे छोटे छोटे बाल वहां आ गए थे , . साल दो साल पहले ही ,. उसे रगड़ते वो बोलीं ,

" अरे ननद रानी झांटे भी मस्त आ गयी हैं , चौदह की हो गयी , अभी तक चोदवाना नहीं शुरू किया क्या ,
बड़ी टाइट है तेरी चुनमुनिया ,. "

मैं बस कसमसा रही थी ,

भौजी ने अपने किसी ननद के दुप्पट्टे से मेरी दोनों बाँहें मेरे पीछे कर के पहले ही बाँध दी थी ,

मैं कुछ कर भी नहीं सकती थी ,.

बस भौजी ने अपनी हथेली से मेरे ' वहां ' रगड़ना शुरू कर दिया , थोड़ी देर में मैं पनियाने लगी ,. .

" बोलो कुछ गया नहीं है इसके अंदर , किसी लौंडे का ,. "

वो एकदम पीछे पड़ गयीं ,

" नहीं "

मुश्किल से मैं बोली।

" अरे ननद रानी जो नहीं गया है , . उसका नाम तो बताओ। "

भौजी एकदम ,.

पर साथ ही वार्निंग भी , दस तक गिनूँगी मैं अरे तब तक नहीं बताओगी न तो दो ऊँगली सीधे पेल दूंगी तेरी बुर में ,. .

जड़ तक , इस बात का ख्याल नहीं करुँगी की नन्दोई जी को झिल्ली फटी मिली।

और नहीं तो इतने मेरे देवर है , बस किसी को भांग पिला चढ़ा दूंगी तेरे ऊपर , देवर से नन्दोई बना दूंगी उसे ,. "

और रीतू भाभी की गिनती चालू हो गयी ,. . १ , २ ,. . मैंने मम्मी से गुहार लगाई , कातर आँखों से देखा उनकी ओर ,

और उन्होंने मेरी भौजी को कस के हड़काया , लेकिन मेरी ओर से नहीं, उलटे ,

" कइसन भौजाई हो , . . आजकल पढ़ी लिखी भौजाई क इहै परेशानी है , . अरे दस तक ,. .
हम लोगों को पांच से ज्यादा गिनती आती नहीं थी , और ननद के आगे तो तीन से ज्यादा नहीं ,.
गलती तो तोहार है , . . अइसना सीध भौजाई हो ,.
वरना अब तक तो ननद निसूती होकर आँगन में ,.
जब तक होली में ननद को नंगे न ,. . और सब सीखाना पढ़ाना तो तुमको है , नयी कच्ची ननद तो चीखे चिल्लायेगी ,. और कौन भौजी ननद के चीखने चिल्लाने को ,. "
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