Episode 11
मैं निसूती , बिना कपडे की तो नहीं हुयी , लेकिन चड्ढी मेरी फट कर आँगन में ,. .
फ्राक उठा कर भौजी ने बड़े आराम से न सिर्फ मेरी नीचे वाली मुंह दिखाई की ,
वहां जम कर रंग लगाया ,.
और बाकी कपडे सिर्फ इस लिए बचे की मैंने भाभी की बात मान कर लंड , बुर चूत , चुदाई सब बोला ,
एक बार नहीं दस बार ,
कसम भी खायी की अगर इसके अलावा मैंने कभी कुछ और बोला ,
तो वो अपने किसी भी देवर को मेरे ऊपर चढ़ा देंगी , भले ही उन्हें रेप करना पड़े।
फिर तो मेरी और रीतू भाभी की जोड़ी ,. .
गाँव में कोई रतजगा हो , . . अक्सर दूल्हा मैं बनती , दुल्हन वो बनतीं ,.
शादी ब्याह में ननद भाभी में गारी हो तो ,. पक्की दोस्ती थी हमारी ,
तो जब भौजी ने बोला , …मैं समझ गयी कोई बचत नहीं है
मैंने साफ़ साफ़ बोल ही दिया ,
. चुदाई ,. आपके नन्दोई ने रात में तीन बार चोदा।
आखिर कल ननदों ने मुझसे बुलवा ही लिया था , . ' बड़ा मजा आये चुदवैया में "
साइज मैटर्स
और मुझे मालूम था इनकी सलहज का अगला सवाल क्या होगा , तो मैंने खुद ही बोल दिया ,
" भौजी कल आपके ननदोई का ' वो ' . "
और एक बार फिर भौजी की गाली पड़ गयी ,
" स्साली , बचपन की छिनार , तोरी गांड मरवाऊँ ,. यही सीखा पढ़ा के भेजा था ,. "
और मैं खिलखिलाने लगी , . यही सब सुनने के लिए तो मैंने भौजी को उकसाया था ,. ' वो ' बोलकर ,.
" ठीक है भौजी , लंड ,. अब खुश ,. आपके प्यारे प्यारे नन्दोई जी का लंड ,.
पौने आठ इंच लंबा और मोटाई ढाई तीन इंच के बीच होगी ,. . "
एक तेज आह ऐसी आवाज निकल गयी ,.
और मैं समझ गयी उस आवाज का मतलब, अब तक रीतू भाभी ही चैम्पियन थीं ,.
कोई ऐसी भौजाई नहीं होती थी जिससे सुहागरात के अगले दिन ही सुबह सुबह ननदें उगलवा के ही दम लेतीं थी ,
" भौजी , केतना बड़ा , केतना मोटा ,. "
और न मानने पर
' इस्तेमाल के बाद वाली मुंह दिखाई '
लिए बिना ननदें छोड़ती नहीं थी , .
मैंने खुद रीतू भौजी की ,. . आखिर छोटी ननद थी ,.
भले ही उस समय सिर्फ नौ मैं पढ़ती थी ,
और जब ननद शादी के बाद ससुराल लौटती थी , तो यही सवाल उसकी भौजाइयां करती थीं ,.
और अबकी उस नयी दुल्हन की सहेलियां भी गवने की रात की कहानी पूछने के लिए
दल बदल कर भौजाइयों के साथ हो जाती थीं।
और रीतू भौजी को तो वैसे भी गाँव के सारे लड़कों की साइज ,.
होली में अगर उनके देवर भौजी के चोली में हाथ घुसाए बिना नहीं मानते थे ,
वहीँ रीतू भौजी ,. उन देवरों को भी जिनको अभी पाजामे का नाडा भी ठीक से नहीं बांधना आता था ,
' नयी उमर की नयी फसल ' टाइप ,. जिसे सब लोग नूनी ही कहते थे ,
उसे भी बिना पकडे रंग लगाए नहीं छोड़ती थीं , . बाकी देवरों , नन्दोई की तो बात ही छोड़िये ,.
और इस नाप जोख का नतीजा ये निकला , की रीतू भाभी के बालम का ही ' नंबर वन ' था ,
पूरे सवा सात इंच , .
चार पांच भौजाइयों के बालम का भी साढ़े छह इंच था , और दो चार देवरों का भी ,.
और हम ननदों भौजाइयों की आपस की बातचीत में जो भी साढ़े छह इंच से ऊपर होता था
उसे हम सब 'मूसल ' ही कहते थे।
मैंने ही बात आगे बढ़ाई ,. .
" और भौजी , बाकी जब ये ससुराल आएंगे तो आप नाप के देख लीजियेगा। "
" एकदम तुम सोचती हो क्या छोडूंगी भला ,. तो कल रात को तीन और आज रात को तीन ,. "
रीतू भाभी हिसाब पूरा रखने में बिस्वास रखती थीं।
मैं एक बार फिर खिलखिलाने लगी ,.
" भौजी ,. . आप सलहज ननदोई की जोड़ी ,. और मुसीबत मेरी , . .
कल सुबह सुबह आपने जो इन्हे हुकुम दिया था , बस सुबह सुबह इन्होने नास्ता कर लिया मेरा। .
एकदम सलहज के पक्के चमचे हैं ,. . और इतने सीधे नहीं है आपके नन्दोई कल दिन में तिझहरिया में भी,. दो बार ,. . "
" तो नौ बार , परसों रात से ,. "
रीतू भाभी की खुशी छिप नहीं रही थी।
मैंने मुंह बनाया कुछ उलटा सीधा बोला , उनके नन्दोई के बारे में ,.
और जबरदस्त डांट पड़ गयी ,.
मैं सोच भी नहीं सकती थी , भौजी ने स्पीकर फोन ऑन कर रखा होगा , और मम्मी भी मेरी बातें सुन रही होंगीं , .
रात भर की मस्ती के बाद , मैं मस्ता रही थी और भौजी से एकदम खुल के सब बातें ,.
और मम्मी ने जोर से डांटा ,.
मेरे मायके के बाकी लोगों , मेरी बहनों और भाभी के साथ ये भी दलबदल कर गयीं थी , . अपने दामाद की ओर ,.
" तो क्या हुआ ,. आखिर तुझे भेजा किसलिए हैं वहां , . ये तो कहे मेरा दामाद इतना सीधा है बेचारा ,.
तेरा इतना ख्याल करता है ,. उसकी मर्जी ,. "
एक बार फिर मैं खिलखिलाने लगी , मम्मी को दोनों बातें सही थी , . कुछ ज्यादा ही केयरिंग ,. और सीधे तो हैं ही ,
लेकिन उनकी जो एक बुराई देखी थी , तुरंत अपने मायके वालों को रिपार्ट किया ,
" मम्मी सीधे हैं , वो बात सही है लेकिन एक बात गड़बड़ है ,आपके दामाद में ,. . "
मैंने बोल दिया ,
रीतू भाभी , और मम्मी दोनों एक साथ बोलीं ,. " क्या "
" शरमाते बहुत हैं आपके दामाद ,. क्या कोई लड़की लजायेगी ,. . "
मैंने बोल दिया।
" आने दो ससुराल उसे ,. . पहली मुलाकात में ही सारी सरम उसकी गांड में डाल दूंगी ,. "
रीतू भाभी बोलीं , और मम्मी ने भी टुकड़ा जोड़ा
' और बची हुयी लाज सरम तेरी सास के भोंसडे में ,. . "
पर एक गड़बड़ हुयी , जब तक मम्मी और भौजी अपना प्लान बता रही थी ,
वो बाथरुम से तैयार हो के निकल आये थे ,. . और स्पीकर फोन आन था।
जबतक मैं बोलती , मम्मी आपके दामाद , वो सुन चुके थे ,.
पर न सास को फरक पड़ता था न दामाद को ,.
कोहबर में ही दामाद समझ गए थे , साली , सलहज और सास में सिर्फ इतना फरक था की
सास , सलहज और साली से भी रगड़ाई करने में एक हाथ आगे थीं ,.
लेकिन बात मम्मी ने ही सम्हाली , दुआ सलाम के बाद , मम्मी ने वही बात बोली जो शादी के बाद हर माँ बोलती है ,
" बेटा ,. . ये कोमल तुझे तंग तो नहीं करती ,. अगर तेरी कोई बात नहीं माने न ,. . तो मेरी ओर से पूरी छूट है , तुम उसके दोनों कान कस के पकड़ कर मसल सकते हो "
पर सलहज उनकी ,एक बार अपने नन्दोई को भले ही बख्स दें , ननद को छोड़ने वाली नहीं थीं , उन्होंने अपने ननदोई से अर्थाया ,
"नन्दोई जी जो मेरी ननद के चोली के अंदर है न उसे ही आपकी सास ' कान ' कह रही है , उसी को पकड़ने मसलने के लिए ,. "
उन्होने खींच कर मुझे तो पहले ही अपनी गोद में बैठा रखा था , सलहज की बात पूरा होने के पहले ही , उनके हाथ मेरे दोनों जोबन पर ब्लाउज के ऊपर से ,.
लेकिन मैंने उन्हें खदेड़ दिया ,. कल की तरह अगर कहीं लाइन जुड़ने के साथ उनकी सलहज एक बार फिर उन्हें उकसा कर मेरे ऊपर चढ़ा देंगी तो ,. आधे घंटे से पहले तो ,.
" अरे कल की तरह मेरी जेठानी ने नौ बजे तक की छुट्टी नहीं दी है , आप चलो ,. वरना अभी मेरी ननदें आती होंगी , और क्या पता कोई आपकी भौजाई आ गयीं तो आपकी भी ऐसी खिंचाई होगी ,. "
और वो बाहर निकल गए , एकदम सही टाइम पर क्योंकि उसी समय उनकी सलहज का फोन फिर बजा , सिर्फ एक सवाल के लिए और एक नया हुकुम देने के लिए ,. .
" क्यों चूसा था की नहीं ,. "
" बस ज़रा सा , . होंठों से टच , हल्का सा ,. " मैं बोली
" बेवकूफ लड़की हो , . आराम से धीरे धीरे पूरा लेना चाहिए था न ,. और नन्दोई को अपनी रसमलाई चटाई की नहीं। "
"अभी नहीं ,. . "
" आज जरूर से , एक बार चूस लेंगे तेरी रसमलायी न ,. . और हाँ पहली बार नहीं , . तुझे तीन बार से पहले तो वो ,. . दूसरी बार के बाद ,.
जब दो बार की रबड़ी मलाई तेरी चुनमुनिया में भरी हो उस समय , . चलो चलती हूँ , दोपहर को जब खाली होना था फोन करना ,. "
रीतू भाभी का फोन कटा और दरवाजा खुला ,
गुड्डो थी,. आज अकेले
गुड्डो
और दरवाजा खुला , गुड्डो थी,. आज अकेले।
" हे आज अकेले , कोई ननद रानी नहीं आयी , सब के सब अभी , . "
मैं अचरज से बोली ,. .
गुड्डो ने खिलखिलाते हुए मामला साफ़ किया ,
" आपकी ननद को आपके ननदोई जी ने स्लिप पर कैच कर कर लिया ,.
मिली आ रही थी मेरे साथ , लेकिन सीढी के चढ़ने मिली के जीजू जी , .
बस वहीँ वो लस गयी ,. बोली तू चल मैं आती हूँ , लेकिन मेरा वेट करना। अभी आती हूँ। "
मिली वही ,. बी ए फर्स्ट इयर , .
नन्दोई जी कब से उस पे लाइन मार रहे थे और चींटी उसको भी काट रही थी ,
कल मैंने चाट पार्टी में साफ़ साफ़ देख लिया था ,.
" अच्छा चल , कल नन्दोई जी को खोल के गोलगप्पा खिला रही थी , उन्होंने तेरी चुनमुनिया को खिलाया की नहीं ,. "
मैंने गुड्डो के फ्राक के अंदर हाथ डाल पूछा।
वो शर्मा रही थी।
" चल मत बता , अभी तेरी बिलिया में ऊँगली पेल कर रबड़ी मलाई निकालती हूँ , कल तुझे इतना सिखाया पढ़ाया था , और मुझी से ,. "
मेरी ऊँगली पैंटी के ऊपर से गुलाबो को दबोचते बोली।
और गुड्डो ने सारा राज खोल दिया।
कल चाट पार्टी में ही उसकी ननदोई जी से सेटिंग हो गयी थी , सबेरे ठीक चार बजे , जब सब लोग एकदम गहरी नींद में सोये रहते हैं , . गुड्डो निकल कर ,.
वो कल रात एकदम दरवाजे के पास सोई थी , मोबाइल में उसने अलार्म भी लगाया था , . रात में दो तीन बजे तक वैसे ही मस्ती होती रही , ननद भाभियों के बीच , . उसको भी दुलारी ने और मंझली ने ननद ने मिल कर ,
तीन बजे तक सब लोग सो गए थे , चार बजे , वो दबे पाँव निकली।
नन्दोई जी बरामदे में , . .
एक कमरा था , जिसमें एक्स्ट्रा चददर गद्दे पड़े थे , शादी का बाकी सामान , बस वही ,.
पहले गुड्डो गयी , फिर पांच मिनट बार नन्दोई जी ,.
और अंदर से दरवाजा बंद ,. जाड़े की रात , जमकर कुहासा ,.
और वो कमरा भी घर के सबसे बाहरी हिस्से में था ,. . "
" सिर्फ एक बार ,. या। . . "
मेरी बात का जवाब गुड्डो ने बात पूरी होने के पहले ही दे दिया ,
" आपके नन्दोई इतने सीधे है , . दो बार ,. "
" और चुसवाया ,. . "
मैं सब पूछ लेना चाहती थी।
कुछ रुक कर गुड्डो बोली ,.
"पहली बार के बाद ,. . मैं मना करती रही लेकिन इतना वो बोले , . और उन्होंने मुंह में ज़रा सा ,.
फिर तो सर पकड़ के ,. और थोड़ी देर में वो फिर खड़ा हो गया ,.
वो जिद्द करने लगे ,. तुमने खड़ा किया है तो तुम्ही को , . और वहीँ गद्दे पर निहुरा के ,. "
मैं समझ गयी थी हचक के ली थी इसकी नन्दोई ने और कल कैसे बिचक रही थी ,
लेकिन अब नन्दोई जी मिली पर लाइन मार रहे हैं तो इसे बुरा लग रहा है।
मैंने समझाया ,
" अरे यार ये तो तेरे लिए बहुत अच्छी बात है , ननदोई जी सच में बहुत चालाक हैं , .
अब वो मिली के साथ, . तो कोई तेरे उपर शक भी नहीं करेगा की तूने भोर भिन्सारे नन्दोई जी के साथ ,.
बल्कि वो मिली के साथ ,. . उसकी भी फ़ट जाए ,. तो बोल नहीं सकती वो ,.
और तू ,. अनुज भी तो तेरे ऊपर लसता है ,. . कल तुम दोनों ,. आधे घंटे तक ,. "
गुड्डो का चेहरा खिल गया ,.
" आप सही कह रही हाँ , उसने सब किया लेकिन ,. और वो कर भी देता , . मेरी शलवार उसने खोल ही दी थी , सटा भी दिया था , उसी समय ,. कोई आ गया ,. "
" तो बस अनुज के साथ आज बचा हुआ काम पूरा कर ले ,. "
मैंने उसका गाल पिंच करते बोला।
" सुबह से चक्कर काट रहा है वो ,. "
हँसते हुए गुड्डो बोली।
और तभी मिली भी आगयी और हम तीनों नीचे ,.
सीढी पर से उतरते समय भी मिली की छेड़छाड़ जारी थी ,
" भाभी , लगता है आज भी आप सारी रात जगीं ,. "
और तो और आज गुड्डो भी ,. मिली के साथ छेड़छाड़ में जुट गयी थी , और वो भी एकदम खुल के ,. मिली को रोकने के बहाने ,
" मिली दी , ये सही बात नहीं है , रात भर आपके भइया तंग करते रहते हैं ,. एक बूँद सोने नहीं देते ,. और सुबह सुबह आप भी ,. "
" क्या भाभी , रात भर ,. क्या तंग कर रहे थे , कैसे ,. बोलिए न ,. अरे मैं आपकी ननद हूँ , ननद से क्या सरम , देखिये भइया से आप सरमातीं और गम ननदों से , . " मेरी ननद , मिली क्यों मौका छोड़ती।
आज मैं कल की तरह शरमा नहीं रही थी , खुल के इस छेडछाड का मजा ले रही थी , पर अभी भी जवाब नहीं दे रही थी .
लेकिन तब तक हम लोग नीचे आ गए , मेरी सास , बुआ सास ( मिली की माँ ) बैठी थीं , बस मैंने झुक के पहले बुआ सास की फिर अपने सास की आचंल से दोनों पैर झुक के छुए।
, "ठीक नौंवे महीने सोहर हो "
बुआ सास ने असीसा , पर मेरी सास ने मेरा घूंघट उठा के सर पर ऊपर कर दिया।
" अरे अब बहुत घूंघट वुन्घट हो गया , तुम लड़की की तरह हो , . . इतना सुन्दर चेहरा , छिपाने के लिए थोड़ी है ,. . और ननद देवर से तो घूंघट होता नहीं और तेरी सास भी अब बोल रही हैं ,. आज से घूंघट बंद। "
और सास ने बड़े प्यार दुलार से मुझे अपने बगल में बैठा लिए। उनके चेहरे की ख़ुशी देखते ही बनती थी। और मैं समझ गयी , . उनकी आँखे सिर्फ चेहरे पर ही नहीं बल्कि मेरे ब्लाउज से झांकते दूधिया गोलाइयों पर भी घूम रहा था। सास के बेटे की शरारत उन्हें साफ़ दिख रही थी। उनके नदीदे बेसबरे लड़के के होंठों , दांतों के निशान सिर्फ मेरे गालों , होठों पर ही नहीं , मेरे हलके हलके से झलक रहे उभारों पर भी साफ थे , और नाख़ून के निशान , कुछ पर तो मैंने नो मार्क्स लगा लगा के छिपाने की कोशिश की थी , पर ,. थे इतने ज्यादा , कुछ छूट भी गए थे।
लेकिन तब तक मेरी जेठानी भी आगयीं , और सास ने उन्हें भी वहीँ मेरे बगल में बैठा लिया ,. और उन्हें मीठे मीठे हड़काते बोला ,
" हे अपने देवर को बरजो ,. या देवरानी के सोने का इंतजाम अलग करो ,. इस बेचारी को सोने नहीं देता ,. . मैं फूल सी बहू इस लिए थोड़ी लायी थी की तेरा देवर ,. "
जेठानी की निगाहें भी प्यार से उन्ही निशानों को देख रही थीं , पर अब की वो अपने देवर की ओर से , मेरे चंपा के फूल से गालों को सहलाते दुलराते वो बोलीं ,
" काहें को मेरे देवर को दोष रहीं हैं , ऐसी शहद ऐसी मीठी बहू लायेंगी ,तो यही होगा . तो मेरे देवर को तो छोड़िये ,. इसके देवर और नन्दोई भी सुबह से चक्कर काटते रहते हैं ,. . और मैं अलग से अपनी देवरानी को सोने का इंतजाम कर दूंगी ,. लेकिन इस बेचारी से पूछिए ,. . इसे मंजूर है ,. "
मैं घबड़ा गयी की कहीं सच में ,. फिर उस बेचारे लड़के का क्या होगा ,. इत्ती मुश्किल से ,. मेरे मुंह से अपने आप निकल गया ,. नहीं नहीं ,. . ठीक है ,.
मेरी सास के अलावा , सब लोग जोर से हंसने लगे , सास मेरे सर को सहलाते हुए , मुझे प्यार से देखते हुए जोर से मुस्करा रही थीं।
पर अब बुआ सास मैदान में आ गयीं , आखिर मेरी सास की ननद थी , मेरी सास की ओर इशारा करके बोलीं
" अपना टाइम भूल गयीं , रात आठ बजे से ही जम्हाई आने लगती थी , और दिन में भी कभी नागा नहीं होता था। "
मेरी जेठानी ने मुश्किल से अपनी मुस्कान दबायी।
अब दोनों ननद भौजाई , मेरी सास बुआ और बुआ सास चालू हो गयीं।
बुआ सास को इस बात का फरक नहीं पड़ता थी की उनकी बेटी मिली भी वहीँ बैठी थी और मेरी एक दो और ननदें , गीता और मीता भी आके बैठ गयीं थी वही मेरे बगल में।
" बहू इस घर की सारी ननदें पैदायशी छिनार होती हैं ,. "
सारी बातें , सब मजाक छेड़छाड़ मेरे बहाने ही होता था ,. . और अब मेरी जेठानी भी , . वो क्यों मौका छोड़तीं इतना बढियाँ , बोलीं मुझसे
" एकदम , चाहे तेरी सास की हों , या हमारी तुम्हारी ,. . " मिली मीता और गीता की ओर देखते वो बोलीं।
लेकिन तबतक कुछ काम आ गया और वो किचेन की ओर मुड़ गयीं ,. और सास मुझे समझाने लगीं दिन भर के काम के बारे में ,
" आज देखो तुम्हे रसोई छूना है ,. . दस बारह बजे ,. और शाम को कल की तरह छत पर ,. . आज गाने का ,. . मैंने तुम्हारे गाने की बहुत तारीफ़ सुनी है , जारा मेरी और अपनी ननदों का अच्छी तरह हाल चाल सुनाना ,. . और एक बात और ,. ये जो ननदें है न इनकी बात का खुल के जवाब दिया करो , इन्हे भी तो लगे कैसी जबरदस्त भावज आयी है , . . अब तक तो तुम्हारी जेठानी अकेली थीं अब तो तुम भी आ गयी हो , एक और एक मिल के ग्यारह होते हैं। "
फिर उन्होंने मेरी ननदों को बोला की मुझे ले जाएँ , और थोड़ी देर आराम करने दें ,.
लेकिन तबतक मेरा देवर आ गया , और उसकी शामत आ गया , अनुज ,. मैं तो समझ गयी , वो मेरे चक्कर में नहीं , गुड्डो रानी के चक्कर में चक्कर काट रहा है , पर सास ने उसे ही , . हे सबेरे सबेरे , भाभी के चक्कर में,.
" नहीं नहीं मैं तो ,. " वो बेचारा घबड़ा गया , और कोई झूठ मूठ का काम बता दिया ,
पर लड़कियां इन सब मामलों में लड़कों से बहुत तेज होतीं हैं , और गुड्डो ने बात सम्हाल ली ,
' अरे मैं बताती हूँ चलो ,. " उसे लेकर छत की ओर चल दी।
बड़ी मुश्किल से मैंने मुस्कान रोकी। सुबह यही तो मैंने समझाया था उसे , पहला मौका मिलते ही अनुज के साथ ,.
' गृह प्रवेश ' के अलावा सब कुछ तो कर लिए था कल अनुज ने उसके साथ ,.
और ननदें मुझे लेकर अपने कमरे की और ,.
ननदें
आज मेरी रगड़ाई कमरे में घुसते ही , कल से भी दस गुना तेजी से। सारी ननदें साथ साथ छोटी बड़ी ,
कच्चे टिकोरे वाली ,
शादी शुदा ,
और सबसे बढ़कर मेरी मंझली ननद , .
" चूसा चमचम ,. "
मेरी मुस्कराहट मेरी हामी थी ,
और तब तक मेरी किस्मत दुलारी अंदर आ गयी ,
साथ में गुड्डो मेरे लिए नाश्ता लेकर , मूंग का हलवा ,
जलेबी , ब्रेड रोल ,.
और चालू ,
" अरे चूसने में सरम नहीं , घोंटने में सरम नहीं , और नाम लेने में सरम ,. क्या चूसा ,. खुल के बोलो भौजी। "
बगल में उसके मेरी ममेरी नन्द गुड्डी थी ,
वो अकेली ननद थी जो इन्ही के शहर में थी , सारी ननदों में सबसे छोटी ,. . अभी आठवें नौंवे में थी शायद ,
बहुत गोरी खुबसुरत ,
लेकिन चिढ़ती बहुत थी मजाक करने पर , .
किसी ने शायद उसे ही देख कर दुलारी को टोंक भी दिया , .
अरे छोटी छोटी बच्चियां है ,.
पर दुलारी ने एक नया मोर्चा खोल दिया
" अरे कउनो छोट नाहीं है , अरे इहै तो मौका है , सीखने समझने का ,. "
और मेरे लिए कटोरी में हलवा निकालने लगी , जैसे ही मैंने मना किया वो एकदम चालू ,
" अरे भउजी , बिना दांत वाले मुंह में तो रात भर गपागप गपागप घोंटा , . सैंया से अपने मना की थी क्या ,. और नहीं ,. और की भी होगी तो क्या माने होंगे अइसन मस्त माल देखकर ,
तो खाली हम ननदन के आगे नहीं नहीं , घोंटा चुपचाप , . . "
और ढेर सारा हलवा मेरी कटोरी में। "
दुलारी से अब मेरी दोस्ती भी होगयी थी ,
और भले ही अभी मैं उस लेवल पर ससुराल में नहीं उतरती थी लेकिन उसका मजाक अच्छा भी लगता था।
मैंने गुड्डी की ओर एक चम्मच हलवा का बढ़ाया तो उसने ना ना का मुंह बनाया पर चिढ़ाने वाली खाली ननदें थोड़ी थी , मेरी जेठानियाँ भी , ननदों का हाल चाल लेने में और ननद भाभी के रिश्ते में कोई उम्र नहीं देखता ,
बस दो जेठनियों ने गुड्डी रानी को घेर लिया ,
" अरे खा लो , देख रही हो कितना घी पड़ा है , सट्ट से चला जाएगा अंदर ,.
और ऊपर वाले मुंह से खाने में नखड़ा कर रही हो , तो नीचे वाला मुंह ,. "
तो दूसरी बोलीं,