Episode 13
शाम
मैं निकली तैयार हो के तो वो तो नहीं थे ,.
पर गुड्डो और मिली थीं ,
मुझे लेने आयी थीं।
" जल्दी नहीं है भाभी , ... बड़ी भाभी ने कहा साढ़े छह बजे के बाद ही ,. निकलने को। " मिली बोली
कल शाम को चाट का प्रोग्राम था छत पर आज साउथ इंडियन चाइनीज पिज्जा ,. और उस के बाद गाने का ,. . घर की औरतें रहती सिर्फ गाने में ,.
मुझे भी अभी तैयार होने में थोड़ा टाइम था , मेकअप और ज्वेलरी ,. और उसमें किसी की हेल्प भी लगती , मैंने मिली को बोला ,.
लेकिन तबतक उसका बुलावा आ गया , बाहर से नन्दोई जी अपनी साली को याद कर रहे थे ,.
मैंने उसे खदेड़ा और कान में बोला ,
" अरे तेरे जीजू कुछ मांग रहे हो दे देना ,. . ज्यादा तड़पाना मत , थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी "
अब गुड्डो और मैं ,. ,
उससे मैंने सब राज उगलवा लिया ,.
अनुज , मेरे देवर ने आज दुपहरिया में नंबर लगा लिया था , और अबकी भरतपुर अच्छी तरह लूट गया था ,
सबेरे सबेरे नन्दोई ने उसपर नंबर लगाया था और दोपहर में मेरे देवर ने भरतपुर लूट लिया ,.
मैंने उसे गले लगा लिया ,.
" अरे यार ये तो कुछ नहीं है , चौबीस घण्टे में मेरे ऊपर तो छह बार चढ़ाई हो गयी , . "
खिलखिलाते हुए मैं बोली ,
वो भी अब ,. एकदम पक्की चुलबुली ,. बोली
अभी मेरे चौबीस घण्टे पूरे होने में दस घंटे बचे हैं।
उसने मुझे नेकलेस पहनने में , चोली कस के पीछे बाँधने में , हेल्प की।
आज मैंने बैकलेस चोली और ट्रेडिशनल साडी पहनी थी , मैंने भी गुड्डो का आज कल से भी तगड़ा मेकअप किया , एकदम हॉट लुक ,.
लेकिन तब तक मीता गयी इनकी कजिन , मुझसे एक साल छोटी अभी ग्यारहवें में पढ़ती थी।
" भाभी , आज आप का गाना होगा , . "
वो बोली ,
और जोड़ा गला साफ़ करके रखियेगा कोई बहाना नहीं चलेगा ,
" अरे आज तुम ननदें कान साफ कर के रखना , . तुम ननदों का असली हाल चाल का बखान होगा ,. "
मैंने उसे चिढ़ाया और उसके गालों को पिंच कर लिया।
मैं उन दोनों के साथ बाहर निकली तो दरवाजे के बाहर नन्दोई जी खड़े थे , उन्होंने मुझे रोक लिया।
मिली अपने किसी कजिन से गप मार रही थी ,
नन्दोई जी से मेरी अब पक्की दोस्ती हो गयी थी और वो वैसे भी मज़ाक करने में एकदम खुल कर ,.
और उनकी बेशरम निगाहे मेरी खूब डीप कट बैकलेस चोली की गहराइयों में झाँकतीं , ललचाती ,
और मैं क्यों मौका छोड़ देती , आँचल ठीक करने के बहाने मैंने और आँचल एक बार गिरा दिया ,
फिर तो सिर्फ गहराई ही नहीं बल्कि ,. .
नन्दोई जी , एकदम पक्के , जोर से अपने सीने पर हाथ मारने का उन्होंने नाटक किया ,. पर बोली मैं
उनकी शोख अभी बीए फर्स्ट ईयर में पहुंची साली , जिसपर कल से वो लाइन मार रहे थे , मिली ,.
उसकी ओर इशारा करते मैंने चिढ़ाया ,
" मिली , मिली की नहीं ,. "
नन्दोई जी
नन्दोई जी , एकदम पक्के , जोर से अपने सीने पर हाथ मारने का उन्होंने नाटक किया ,. पर बोली मैं
उनकी शोख अभी बीए फर्स्ट ईयर में पहुंची साली , जिसपर कल से वो लाइन मार रहे थे , मिली ,. उसकी ओर इशारा करते मैंने चिढ़ाया ,
" मिली , मिली की नहीं ,. "
वो जोर से खुल कर हँसे , और इनकी यही हंसी मुझे पसंद थी , ( असल में मुझे लेने गुड्डो और मिली दोनों आयी थी , लेकिन बाहर से ननदोई जी की आवाज मिली का नाम ले कर आयी और मैंने उसे ठेल कर उसके जीजू के पास भेज दिया )
" मिली लेकिन,. "
मेरी आँखों में आँख डाल कर वो बोले ,. और मैं उन की बात समझ गयी ,
" बोलिये न कली खिली की नहीं ,. "
मैंने उन्हें चिढ़ाते हुए छेड़ा ,.
" खिल जायेगी , . कल सुबह के पहले ,. "
फुसफुसाते हुए उन्होंने मुझे राजदार बना लिया।
मैं समझ गयी आज चार बजे सुबह जैसे उन्होंने गुड्डी को बुलाकर ,.
जब सबसे गहरी नींद में लोग होते हैं ,. उसकी बिल में सेंध लगा दी थी , एकदम उसी तरह ,. "
" मुर्गा बोलने के पहले , मुर्गा बोल देगा ,. सच में ननदोई जी आप का भी ,. लेकिन वो माल देखिये कैसा है , है न वो भी लेने लायक ,. "
आखिर उनकी सालियाँ थीं तो मेरी ननदें , मज़ाक का रिश्ता हम दोनों का था ,.
मैंने उनका ध्यान मीता की ओर दिलाया ,. .
एकदम सोलहवां सावन ,. जस्ट नए नए आये जोबन ,.
वो गुड्डो के साथ , दोनों एक दोसे वाले के स्टाल पर खड़ी ,
"माल तो यार मस्त है , लेकिन अभी मेरा ध्यान मेरे सामने वाले माल पर है ,. "
उन्होंने अब मुझे फंसाया।
" देखिये नन्दोई जी , वो तो आप ने कल ही साफ़ कर दिया था , वो भी सब के सामने , . जिसकी बहन को नहीं छोड़ा , . . उसकी बीबी कैसे बचेगी। तो अभी तो उनकी बहनों से काम चलाइये ,.
हाँ अपनी सलहज के लिए आपने खुद होली का मौका तय कर दिया है ,
बस अब तो तीन महीने भी नहीं है ,. "
मैं हँसते हुए बोली ,
" दो महीने बारह दिन ,. लेकिन मान लो सलहज मना कर दे तो ,. "
" वाह नन्दोई जी , अगर सलहज मना भी करे , रोक टोक भी करे , हाथ पकड़ ले , गुस्सा हो जाए ,. तो क्या आप मान जाएंगे ,. "
खिलखिलाते हुए मैं बोलीं।
" एकदम नहीं ,. नहीं मानेगी सीधे से तो जबरदस्ती ,. . "
नन्दोई जी ने अपना इरादा साफ़ कर दिया।
" और अगर आप ने जबरदस्ती नहीं किया न ,. तो बस हमारी आप की कुट्टी , वो भी पक्की वाली "
मैंने भी धमकी दे दी ,
लेकिन तब तक सासू जी की आवाज सुनाई दी ,
' सब लोग जल्दी करना , साढ़े सात पौने आठ तक ख़तम कर के , आठ बजे से गाना बजाना शुरू होगा ,
और हाँ उसके पहले , सारे मरद , छत से नीचे ,. कोई भी छत पर दिखना नहीं चाहिए , सिर्फ लड़कियां औरतें ,. "
बात सही थी , मेरे जेठ , ससुर , रिश्ते में ऐसे लोग ,. तो खुल के गाने वाली मस्ती कैसे होती
और बेचारे नन्दोई जी का चेहरा उतर गया , . लेकिन मैं थीं न रास्ता निकालने के लिए ,
" मैं भी ,. फिर कोमल तेरा गाना ,. "
" आप को तो सुनना ही होगा ,. " मैंने मंझली ननद , उनकी पत्नी की ओर इशारा करके बोला ,
" दीदी की सारी ननदों और सास की नाम सहित लिस्ट मेरे पास है , . आप तो कान साफ़ करके रखिये ,. अपनी माँ बहनों का हाल सुनने के लिए , बुरा मत मानियेगा , एडवांस माफ़ी मांग ले रही हूँ , "
उन्हें चिढ़ाते मैं बोली।
और रास्ता भी बता दिया , .
मेरे कमरे में अपने साले के साथ ,. आखिर छत से भगाने की बात हुयी थी , और सिर्फ मेरा कमरा ही छत पर था ,
और बाकी खुली बड़ी सी छत ,. . यहाँ तक की आस पास भी कोई मकान नहीं थे सिर्फ आम , जामुन नीम के ऊँचे ऊँचे पेड़ , और उनसे छन कर आती चांदनी ,.
गाने का प्रोग्राम हमारे कमरे के ठीक सामने ही था , . और आखिर ये तो कमरे में ही रहने वाले थे ,. बस ननदोई जी भी अपने साले के साथ ,. हाँ कमरे की बत्ती एकदम बंद , परफेक्ट ब्लैकआउट , . खिड़की ऑलमोस्ट बंद , .
और कोई आवाज नहीं ,. बाकी किसी को पता भी नहीं चलेगा ,. "
लेकिन तब तक जेठानी ने मुझे इशारा कर के बुलाया , और मैं ननदोई जी से बोल के चली ,
" चलती हूँ , नन्दोई जी , . मिलती हूँ ब्रेक के बाद लेकिन देखिये आप वाली बेचारी तड़प रही है, कली खिलने के लिए , . "
मैंने उनका ध्यान मिली की ओर दिखाया ,
वो बेचारी बार बार हम दोनों की ओर देख रही थी।
मैं जेठानी जी के पास पहुंची और और मिली अपनी एक सहेली के साथ , अपने जीजू के पास।
जेठानी ने मुझे अपने पास बुला लिया और मेरे देवर सभी वहीँ मंडरा रहे थे , . खाना पीना शुरू हो गया था ,. .
" तम सब नयी भाभी बेचारी भूखी बैठी है और तुम सब ,. " जेठानी ने देवरों को हड़काया , और मुझसे सासु जी वाली बात बताई ,
" जल्दी से कुछ खा पी लो ,. और आज तुझे आज सारी ननदों की फाड़ के रख देनी है , ठीक आठ बजे गाना शुरू हो जाएगा ,. अबतक मैं अकेली थी आज मैं और तुम मिल के , एक और एक मिल के ग्यारह हो गएँ हैं ,. "
देवर
मैं जेठानी जी के पास पहुंची और और मिली अपनी एक सहेली के साथ , अपने जीजू के पास।
जेठानी ने मुझे अपने पास बुला लिया और मेरे देवर सभी वहीँ मंडरा रहे थे , . खाना पीना शुरू हो गया था ,. .
" तम सब नयी भाभी बेचारी भूखी बैठी है और तुम सब ,. "
जेठानी ने देवरों को हड़काया , और मुझसे सासु जी वाली बात बताई ,
" जल्दी से कुछ खा पी लो ,. और आज तुझे आज सारी ननदों की फाड़ के रख देनी है , ठीक आठ बजे गाना शुरू हो जाएगा ,. अबतक मैं अकेली थी आज मैं और तुम मिल के , एक और एक मिल के ग्यारह हो गएँ हैं ,. "
" एकदम दीदी ,. "
और अनुज डोसा की एक प्लेट लेकर खड़ा था , मैंने उसी के प्लेट से दोसे का एक टुकड़ा लेकर खा लिया और चिढ़ाया ,
" क्यों अकेले अकेले , . "
जेठानी तब तक कुछ दूर निकल गयी थीं , हलके से मैंने अनुज को छेड़ा ,.
" सुना है आज किसी की दिन दहाड़े , . लाटरी निकल आयी ,. "
वो शरमाया और मुस्कराया भी , फिर हलके से बोला , .
" भाभी कल आप ने सेटिंग न करवाई होती न , तो बस अब तक मैं लार टपकाता रहा , . "
" टपका तो तूने दिया ही , हाँ लार की जगह कुछ और ही ,. फिर यार भाभियाँ होती किस लिए हैं ,
बस भाभी को पटा के रखो , फ़ायदा ही फायदा। "
वैसे तो मेरे पांच छह देवर थे , हाँ सगा कोई नहीं , ये लोग दो भाई थे , कोई न छोटा भाई थी न कोई बहन ,.
पर जैसे मेरे घर में था , घनघोर ज्वाइंट फेमली , लेकिन सब लोग अलग अलग आस पास के शहर में रहते थे ,
सिर्फ अनुज , इनका ममेरा भाई उसी शहर में ,. तो मेरा रोज का देवर तो वही होना था , . .
एलवल , मुहल्ला ,. जहाँ मेरी ससुराल थी बस वहां से आधे किलोमीटर भी नहीं होगा , पास का ही मुहल्ला ,.
उफ़ मैने पहले अपने बारे में तो बताया ही नहीं की मेरा गाँव ,. इनके घर से मुश्किल से दो ढाई घंटे का रास्ता ,.
मेरा गाँव बनारस से जुड़ा अब तो ऑलमोस्ट शहर की सीमा पर ,. बनारस से आजमगढ़ जो सड़क जाती ही , वहीँ पर पांडेपुर पड़ता है , जहां का गुलाब जामुन बहुत मशहूर है , एक सड़क आजमगढ़ ,गोरखपुर की ओर ,. जो पूर्वांचल के भूगोल से परिचित हैं वो समझ जाएंगे ,. वहीँ से सड़क लमही की ओर जाती है , जी प्रेमचंद जी का गाँव ,. उसी सड़क पर ,. मेन रोड से मुश्किल से चार पांच किलोमीटर अंदर , . . एक खड़ंजे वाली सड़क गाँव के पास तक जाती है , बस वही गाँव ,. है अभी भी गाँव ही ,.
हम लोगों का घर भी एकदम पुराने जमाने की तरह दो खंद का एक पक्का , एक आधा कच्चा आधा पक्का , सामने बहुत बड़ी सी खुली जमीन उसमें दो बड़े बड़े पुराने कुंवे , एक तालाब , . उसी कुंवे से अब तो पाइप का कनेक्शन था घर में लकिन तब भी कभी कभी सीधे कुंवे के पानी से नहाने का मन हो तो कहारिन भर के ले आती थी ,
. लाइट भी थी , . पर जितना आती थी उससे ज्यादा जाती थी ,.
घर से सटी ही एक बहुत बड़ी हम लोगों की एक आम की बाग़ , दो ढाई सौ पेड़ तो होंगे ही , .
खूब गझिन ,. जी तो ये मेरा मायका था , . घंटे भर से कम समय में बनारस पहुँच जाते थे
और इनका शहर ,. जी बताया नहीं क्या ,. बस सड़क से बरात आयी थी और मैं विदा होकर , . .
तीन दिन की बरात के बाद ,.
जी आजमगढ़ ,.
बस वहीँ , . और इनके घर के पास की ही मोहल्ला था एलवल जहाँ वो मेरा ममेरा देवर अनुज और
मेरी ममेरी ननद , गुड्डी ,. . ननदों में सबसे छोटी ,. मेरी सबसे छोटी बहन छुटकी से भी आठ नौ महीने छोटी होगी , अभी आठवें में पढ़ती थी , . लेकिन ऐसी बच्ची भी नहीं थी , चौदहवां लग रहा था ,
और फिर जब भौजाइयां ननद को छेड़ती हैं तो उमर का लिहाज कहाँ करती हैं ,. और वो गारी वारी से चिढ़ती भी थी बहुत , मुंह फुला लेती थी एकदम ,. इसलिए सब उस के पीछे भी ,. हम लोगों के घर के पास ही एक गवर्मेंट गर्ल्स कालेज था , वहीँ पढ़ती थी , छत पर दिखता था , बस सड़क के पार ,.
अनुज के डोसा खाते देख , मेरे बाकी देवर भी भी ,.
" भाभी , पिज्जा लीजिये न एकदम गरम है ,. " एक ने बोला तो दूसरा चाइनीज ले कर ,.
पर तबतक मंझली ननद , वही नन्दोई जी वाली आगयी और उन्होंने अपने भाइयों को उकसाया ,
" अरे भाभी से पूछते नहीं है डाल देते हैं , कैसे देवर हो तुम सब ,. "
मंझली ननद
अनुज के डोसा खाते देख , मेरे बाकी देवर भी भी ,.
" भाभी , पिज्जा लीजिये न एकदम गरम है ,. " एक ने बोला तो दूसरा चाइनीज ले कर ,.
पर तबतक मंझली ननद , वही नन्दोई जी वाली आगयी और उन्होंने अपने भाइयों को उकसाया ,
" अरे भाभी से पूछते नहीं है डाल देते हैं , कैसे देवर हो तुम सब ,. "
“मैंने अपने उस देवर के हाथ से पिजा का एक टुकड़ा लेकर एक बाइट ले ली ,
और मंझली ननद को चिढ़ाया ,
" दीदी आप लोगों ने जैसी ट्रेनिंग दी होगी , वैसे ही न ,. मैं तो अभी अभी आई हूँ ,. "
" तो तू दे दे न,. "
डबल मीनिंग डायलॉग बोलने में मंझली ननद मेरी सब ननदों में आगे थीं , .
" एकदम दी ,. मैं तो दूंगी ही , हाँ लेने वाला चाहिए "
और मैंने अपना अधखाया पिजा की बाइट , जिस मेरे देवर ने मुझे दिया था ,
बस उसी के मुंह में सीधे अपने मुंह से निकाल के ,.
और अपनी बात आगे बढ़ाई ,
" लेकिन अबतक तो देने का काम आप ही के जिम्मे था न ,. "
पर मेरी मंझली ननद मेरे देवरों को उकसाने पे जुटी थीं , बोलीं ,
अब फागुन बस कुछ दिन है ,. .
और तब तक एक और शादी शुदा ननद आ गयी उनकी सहायता के लिए , उन्होंने और चढ़ाया ,
" अरे देवर भाभी का फागुन तो साल भर का रहता है "
लेकिन साथ साथ मेरी निगाह चारो ओर घूम रही थी ,
गुड्डो और अनुज डोसा के स्टाल पे और अनुज ने गुड्डो के होंठों से छीन कर एक टुकड़ा ,
मिली नन्दोई जी के साथ ,
और ननदोई जी का एक हाथ मिली की टाइट जींन्स को फाड़ते उसके पिछवाड़े की दरार पर ,.
मुझे देखते देख उन्होंने जबरदस्त आँख मारी मुझे ,
एक देवर की प्लेट में से चाउमीन निकाल के लेते मैंने साथ साथ अपनी ननद का जवाब दिया ,
" एकदम दीदी आप सही कह रही हैं , देवर भाभी का फागुन तो ,. साल भर ,.
और ये भाभी इनकी डरने वाली नहीं है , न देवरों से न ननदों से। "
और ये कह के मैं नंदों की ओर मुड़ गयी , मेरी निगाह अनुज की छोटी बहन , इनकी ममेरी बहन , वही जो चिढ़ाने से , छेड़ने से भागती थी एकदम ,. गुड्डी ,. चौदहवें में कदम रख चुकी थी ,
और मुझे अपनी भाभियाँ याद आ रही थीं , .
क्या खुल के वो भी मम्मी के सामने , मेरे नए नए चूजों को खुल के पकड़ के दबाती बोलतीं , .
' बिन्नो , चौदहवां लग गया अब एकदम चोदवाने लायक हो गयी हो , मस्त माल। "
मस्त माल तो आज गुड्डी भी लग रही थी ,
एक पिंक टॉप और छोटी सी स्कर्ट में ,.
टॉप में उसके भी चूजे खूब खुल के दिख रहे थे ,. २८ -३० के बीच के रहे होंगे , लेकिन वो खूब छरहरी थी ,
इसलिए थोड़े और उभर के ,.
मैंने तय कर लिया था , आज वो लाख उछले कूदे ,.
मैं हर गाने में जरूर उसका नाम ,. फिर मेरी लोकल ननद तो वही थी , .
बाकी सब से तो साल में दो चार बार भी मुलाकात हो जाए तो बहुत ,.
और उसका कॉलेज भी हम लोगों के घर के बगल में तो
गुड्डी ,
और ये कह के मैं नंदों की ओर मुड़ गयी , मेरी निगाह अनुज की छोटी बहन , इनकी ममेरी बहन , वही जो चिढ़ाने से , छेड़ने से भागती थी एकदम ,.
गुड्डी ,.
चौदहवें में कदम रख चुकी थी , और मुझे अपनी भाभियाँ याद आ रही थीं , . क्या खुल के वो भी मम्मी के सामने , मेरे नए नए चूजों को खुल के पकड़ के दबाती बोलतीं , .
' बिन्नो , चौदहवां लग गया अब एकदम चोदवाने लायक हो गयी हो , मस्त माल। "
मस्त माल तो आज गुड्डी भी लग रही थी ,
एक पिंक टॉप और छोटी सी स्कर्ट में ,. टॉप में उसके भी चूजे खूब खुल के दिख रहे थे ,. २८ -३० के बीच के रहे होंगे , लेकिन वो खूब छरहरी थी , इसलिए थोड़े और उभर के ,. मैंने तय कर लिया था , आज वो लाख उछले कूदे ,. मैं हर गाने में जरूर उसका न,. फिर मेरी लोकल ननद तो वही थी , . बाकी सब से तो साल में दो चार बार भी मुलाकात हो जाए तो बहुत ,. और उसका कॉलेज भी हम लोगों के घर के बगल में तो ,.
बस मैं उसके पास पहुंच गयी , और वो अकेली भी नहीं थी , गीता थी उसके साथ , वही जो टेंथ में पढ़ती थी और सुबह मुझे लेने आयी थी पहले दिन ,
" कौन सी चीज बेस्ट है , . " मैंने गुड्डी से ही पूछा।
" भाभी स्प्रिंग रोल ट्राई करिये न। " वो और गीता एक साथ बोलीं ,
और मैंने गुड्डी की ही प्लेट से एक रोल उठा लिया और गुड्डी से उसके क्लास के बारे में सहेलियों के बारे में , .
उसने अपनी चार खास सहेलियों के नाम भी बताये , दिया , अल्पी ( अल्पना ) छाया और रेणू।
ये भी की एक दिन ले आएगी उन्हें मुझसे मिलाने ,.
तबतक मेरे तेज कानों ने एक क्राइसिस की आवाज सुन ली
ढोलक
मेरी जेठानी सास दुलारी , बुआ सास , सब गाने के इंतजाम में जुटी थीं पर दुलारी बोली ,
ढोलक में टनक नहीं है ,
और मेरी बुआ सास ने भी कन्फर्म कर दिया , .
सात बज रहे थे ,आठ बजे से गाने बजाने का ,.
और बिना ढोलक के तो ,.
लेकिन मेरे कान खड़े हो गए ,.
जब मैंने एलवल का नाम सुना , मेरे ममेरे देवर और इनकी ममेरी बहन का घर ,
और मैं अपनी जेठानी के बगल में जा के खड़ी हो गयी ,.
" लेकिन वहां से लाएगा कौन। . . ढोलक तो है और अच्छी भी है एकदम टनक दार ,. "
किसी ने कहा।
मैं चुपचाप अच्छी बहु की तरह सुन रही थी लेकिन मेरे दिमाग की चरखी बहुत तेजी से चल रही थी।
" एक और बात है , दो दो हैं वहां लेकिन एक ऐसी ही है , मैंने कुछ दिन पहले देखा था , आयी तो थी रतजगे में "
मेरी एक ननद ने परेशानी बढ़ाई
और हल भी बताया चेक कर के ले आना पडेगा ,. .
मैंने बहुत हलके से जेठानी जी से बोला , फुसफुसाते हुए , मैं बोलूं।
वो और सासु जी मेरी ओर देखने लगीं ,.
मैंने अपने देवर , वही अनुज, को इशारा कर के बुलाया ,
' हे , मेरा एक काम करोगे ,. "
" एकदम भाभी , बोलिये न , "
वो एकदम शहद ,.
" आपको अपने घर से जाकर , . एक ढोलक ले आना है , लेकिन अभी तुरंत ,. "
मैंने उसे काम पकड़ाया ,. .
पर तब एक मेरी ननद विघ्न उत्प्पन करने के लिए तैयार , बीच में ,
" लेकिन इसे कैसे पता चलेगा की कौन सी सही वाली ,है मैंने बताया था न रतजगे में , एक तो एकदम ही हल्की ,. और तुम भी न इसे कौन सा ढोलक बजाना आता है। "
मैंने न उन्हें इग्नोर किया न जवाब दिया , बल्कि अनुज से ही बोली ,
गुड्डो की ओर इशारा करके ,. .
" हे इसे भी ले जाओ न अपने साथ ,. "
अनुज ने बहुत बुरा सा मुंह बनाया , एकदम नीम ,.
गुड्डो
अनुज
अनुज से ही बोली , गुड्डो की ओर इशारा करके ,. .
" हे इसे भी ले जाओ न अपने साथ ,. "
अनुज ने बहुत बुरा सा मुंह बनाया , एकदम नीम ,.
मैं मन ही मान गयी अपने देवर राजा को
स्साला पक्की नौटंकी , अभी पांच छह घंटे भी नहीं हुआ गुड्डो की शलवार का नाड़ा खोले ,
और अब ऐसा मुंह बना रहा है की ,
" देखिये मैं चला तो जाऊंगा , लेकिन इसको ,. क्यों ,. "
" अरे देवर जी अभी आपने ढोलक बजाना सीखा नहीं हैं न ठीक से ,. बस और ये एकदम मास्टरनी है . जिसमें आज आपने ऐडमिशन लिया है "
मैं उसे छेड़ते बोली ,
और देवर को छेड़ने का मौका कौन भौजी छोड़ती , मेरी जेठानी तो और , मेरी बात में बात मिलाते बोली ,
" तुमने एकदम सही कहा , तो देवर जी कल से आपकी ढोलक बजाने की क्लास शुरू और उस के बाद डांस की भी , . इस होली में देवर जी जोगीड़ा में ,. घुंघरू पहन के ,. "
लेकिन मेरी सास ने गुड्डो की बात की ताकीद की , बोलीं ,
" बहु तुमने एकदम सही गुड्डो को लगाया , आज कल की लड़कियां तो ढोलक बजाने को कौन कहे , . लेकिन इसकी ढोलक तो मैं भी मानती हूँ ,. "
और फिर गुड्डो को समझाने में जुट गयीं क्या चेक करना है कौन वाली लानी है ,
लेकिन अगर बाधा के बिना कोई काम हो जाये तो , मेरी एक ननद आ गयीं मैदान में , और उन्होंने अनुज को बोल दिया ,.
" जल्दी जाओ , जल्दी आओ , समझे ये नहीं की रास्ते में कोई दोस्त मिल गया वहीँ ,. "
" एकदम मैं अभी गया अभी आया ,. . "
अनुज ने किसी तरह उनसे जान छुड़ाई और छत से सीढ़ी की ओर , . साथ में पीछे पीछे गुड्डो ,.
मैं भी उन के साथ अपने कमरे की ओर , और उन दोनों के उतरने के पहले ही मैंने अनुज को रोका ,
" देवर जी बस एक मिनट ,. "
वो दोनों सीढ़ी वाले कमरे में रुक गए और मैं भी , आस पास कोई नहीं था , सब अपने में मगन ,
अनुज को मैंने कस के हड़काया ,
" ये क्या मतलब अभी गए अभी आये ,.
अगर सवा घंटे से एक मिनट पहले आये न ,. तो दूंगी एक कान के नीचे समझ गए न।
और ढोलक ज़रा आराम से बजा वजा के ,. "
दोनों , अनुज और गुड्डो मुस्करा रहे थे , वो समझ तो रहे ही थे की ,. कौन सी और किसकी बजानी है।
" गुड्डो चल जरा मेरे कमरे में एक मिनट ,. "
मैं उसे खींच के अपने कमरे में ले गयी , और तकिये के नीचे से वैसलीन की शीशी निकाल के उसस्के हाथ में पकड़ा दी
" यार लड़के बहुत बेसबरे होते हैं , . मारे जल्दी के ,. इसलिए तुझे दे रही हूँ ,. और जल्दी मत मचाना ,.
देर हो जायेगी तो मैं यहां सम्हाल लूंगी , और हाँ एक चीज और ,. "
मैंने उसे एक आई पिल की गोली भी गटका दी।
और एक बार फिर अपनी ननदों के बीच , गुड्डी के साथ मीता और गीता भी थीं।
नन्दोई जी अभी भी मिली के साथ मिले ,.