Episode 14


छुटकी ननदिया,. गुड्डी

अनुज को मैंने कस के हड़काया ,

" ये क्या मतलब अभी गए अभी आये ,. अगर सवा घंटे से एक मिनट पहले आये न ,.
तो दूंगी एक कान के नीचे समझ गए न। और ढोलक ज़रा आराम से बजा वजा के ,. "

दोनों , अनुज और गुड्डो मुस्करा रहे थे , वो समझ तो रहे ही थे की ,. कौन सी और किसकी बजानी है।

" गुड्डो चल जरा मेरे कमरे में एक मिनट ,. "

मैं उसे खींच के अपने कमरे में ले गयी , और तकिये के नीचे से वैसलीन की शीशी निकाल के उसस्के हाथ में पकड़ा दी

" यार लड़के बहुत बेसबरे होते हैं , . मारे जल्दी के ,. इसलिए तुझे देख रही हूँ ,. और जल्दी मत मचाना ,. देर हो जायेगी तो मैं यहां सम्हाल लूंगी , और हाँ एक चीज और ,. "

मैंने उसे एक आई पिल की गोली भी गटका दी।

और एक बार फिर अपनी ननदों के बीच , गुड्डी के साथ मीता और गीता भी थीं।

नन्दोई जी अभी भी मिली के साथ मिले ,.

"भाभी जलेबी खायी की नहीं ,. बहुत मीठी है ,. "

गुड्डी , अनुज की छोटी बहन बोली ,

. . वो गीता और मीता जलेबी रबड़ी खा रही थी , मैंने गुड्डी के हाथ से एक ले ली और नन्दोई जी को दूर से ललचाते हुए , दिखाके मुंह में गड़प कर लिया ,. इतना इशारा बहुत था , वो मेरे पास आये ,.

" जलेबी बहुत मीठी है लेकिन जानते हैं इस मीठी जलेबी से ज्यादा मीठा क्या होगा ,. "

मैंने नन्दोई जी को ललचाया।

" उन्ह आप बोलिये न " उन्हें सच में समझ में नहीं आया ,.

मैंने मीता के होंठों से एक जलेबी झपट के ननदोई जी के मुंह में डाल दिया ,

" देखिये है न , जलेबी से मीठी ,. मीठी मीठी साली के मीठे होंठ के रस से भीगी जलेबी। "

" एकदम सही कहा आपने " मीता के होंठों से निकली जलेबी धीमे धीमे चूसते हुए , वो बोले , और बेचारी मीता शरमा गयी ,

लेकिन मेरा असली टारगेट तो गुड्डी थी , एकदम जवानी की दहलीज पर खड़ी ,

" लेकिन जबतक आपने बाली सालियों की नहीं ,चखी मेरा मतलब रसीली जलेबी ,. "

और अबकी जलेबी मैंने गुड्डी को चिखायी और फिर वही नन्दोई जी के मुंह में

"सबसे छोटी साली है आपकी , इसका स्वाद भी तो चखिए न ,. . "

मैं बोली

" सच में ,. इस स्साली का मजा ही अलग है , "

वो बोले , उनकी निगाह गुड्डी के नए आये रुई के फाहे ऐसे उभारों पर टिकी थीं ,

और यही तो मैं चाहती थी , उसे अहसास हो जाए ,. वो शरमा गयी , अपने जीजू की निगाहों को समझ कर।

उसे मैं नन्दोई जी के हवाले कर के , सासु जी की ओर ,. कुछ मोहल्ले की औरतें अभी आयी थीं , वो मुझसे मिलवाना चाहती थीं।

गाने की तैयारी

उसे मैं नन्दोई जी के हवाले कर के , सासु जी की ओर ,. कुछ मोहल्ले की औरतें अभी आयी थीं , वो मुझसे मिलवाना चाहती थीं।

सासू जी का टारगेट था आठ बजे का , लेकिन कुछ मोहल्ले की औरतें पौने आठ बजे आयीं , खाने वाले सामान हटाने में भी आधा घंटा लग गया ,

फिर आपरेशन चालु हुआ , मर्दों को नीचे खदेड़ने का , .

एक बड़ी सी दरी बिछाई गयी थी उसपर गद्दे , सफ़ेद चादरें , करीब २५ -२६ लड़कियां, औरतें और बैठते ही लग गया था , तीन ग्रुप ,. मेरी ननदें , रिश्ते की , मोहल्ले की , १४ से ३४ की , दर्जन भर से ऊपर ही रही होंगी , उस में सब से आगे मंझली ननद , दुलारी ( नाउन की बेटी )

बड़ी ननद जी , और दुलारी ने खींच कर गुड्डी को अपने बगल में ही बिठा लिया था ,

गीता , मिली , मीता , सब इनकी कजिन्स , और कुछ मोहल्ले की ,

जेठानियाँ भी साथ में , मेरी जेठानी , बड़ी जेठानी , मोहल्ले की इनकी भाभियाँ ७-८ और फिर मेरी सास , बुआ सास , चचिया सास , और कुछ और दो चार मोहल्ले वाली भी , सबसे बीच में मेरी सास और उनके बगल में मेरी जेठानी ,.

जेठानी जी ने अपने बगल में ही ,उनके और सासु जी के बीच में मेरी बैठने की जगह बनाई ,

लेकिन तभी किसी को याद आयी अनुज तो अभी ढोलक ले कर आया ही नहीं ,

लेकिन उसी समय दरवाजा खुला , और गुड्डो और अनुज ढोलक ,

अनुज ने ढोलक गले में पहन रखी थी , . मुझे देखकर वो जोर से मुस्कराया ,

यानी ,. ' हो गया अच्छी तरह से ' .

मैंने उसे सवा घंटे से पहले न लौटने के लिए बोला था , और वो और गुड्डो , पूरे डेढ़ घंटे बाद , .

गुड्डो की शक्ल देख कर आराम से अंदाज लग रहा था , हचक के ली गयी है उसकी।

पहले तो जेठानियाँ खूब हंसी , अनुज का मज़ाक बनाया ,

गुड्डो को देख कर लग रहा था हचक के ली गयी है उसकी। फैली फैली टाँगे , गालों पर हलके हलके निशान , हलके से बिखरे बाल , . और सबसे बढ़कर चेहरे पर दर्द और मजे का वो मिला जुला भाव जो ताज़ी ताज़ी चुदी कुँवारी नयी नयी किशोरियों के चेहरे पर आता है , . . मुझे देख कर वो पहले तो मुस्करायी , फिर जिस तरह से शर्मायी ,मैं समझ गयी ,. काम हो गया।

मेरे देवर ने , अनुज ने न उसकी सिर्फ ली , बल्कि अच्छी तरह ली।

लेकिन रस भंग करने वाले , एक ननद बोल पड़ीं , टाइम बहुत लगा।

बहाने बनाने में लड़कियों का जवाब नहीं , और गुड्डो ने तुरंत बात अनुज के पाले में डाल दी ,

"जिस कमरे में ढोलक रखी थी , उसकी चाभी ही ढूँढ़ने में इन्होने इतना टाइम लगा दिया "

अनुज ने सर झुका कर गलती मान ली , आखिर मजे उसने लिए थे गलती कौन मानता। लेकिन सब की निगाह बचा कर उसने मुझे इशारे से दो ऊँगली का इशारा किया और जोर से मुस्कराया ,

मैंने भी उसकी मुस्कराहट का जवाब मुस्कराहट से दिया , यानी जनाब ने दो राउंड , . गुड्डो के साथ।

फिर अनुज ने भी देरी का कारण जोड़ा ,

" और गुड्डो से पूछिये ने उसने ढोलक टाइट से ढीली करने में कितना टाइम लगा दिया। "

देवर के डबल मीनिंग डायलॉग का जवाब बिना दिए मैं कैसे छोड़ देती। हलके से मैंने उसे छेड़ा ,

" तो तुम सीख गए टाइट से ढीली करना , . "

गनीमत थी देवर भाभी की बात किसी ने सुनी नहीं , दुलारी ढोलक ले कर चेक कर रही थी , बजा कर बोली ,

" एकदम सही है , सही टाइट है , ज्यादा टाइट भी नहीं ज्यादा ढीली भी नहीं। "

मैंने और गुड्डो ने बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कराहट रोकी।

लेकिन तबतक सासु जी को याद आया , .

सब लड़कों को नीचे खदेड़ दिया गया और अब वही बचा था , उसे भी सब उसकी भौजाइयो ने मिल के नीचे खदेड़ा ,. और जेठानी जी ने गुड्डो को बोला की सीढ़ी का दरवाजा बंद कर दें

लेकिन तब तक किसी ननद को ख़याल आया और वो बोल पड़ी

" अरे ज़रा दुल्हन के कमरे में देख लो , कोई छुप के न अंदर बैठा हो ,. "

मेरा तो कलेजा मुंह को आ गया , लेकिन गुड्डो , मान गयी मैं उसको।

मुझे तो मालूम ही था की ये और नन्दोई जी अंदर बैठे हैं , गनीमत थी उन लोगों ने अंदर से कमरा बंद नहीं किया था वरना किसी को शक हो जाता ,

कोई और उठता , . उसके पहले ही गुड्डो , उठ गयी और जाके कमरे में ,.

एक दो मिनट जैसे पूरा चक्कर लगा के देखा हो उसने ,. और निकल के बोली

" कोई नहीं है , मैंने बाथरूम में भी देख लिया। "

" चल दरवाजा बाहर से बंद कर दे " एक ननद बोली और गुड्डो ने वो भी कर दिया , मेरी साँस वापस आयी।

सच में गुड्डो ने आज ,. मैंने उसे इशारा किया मेरे बगल में बैठने का , जेठानी थोड़ा सरक गयीं और वो मेरे और जेठानी जी के बीच में बैठ गयी।

एक पड़ोस की कोई थीं , बोली आज शुरू तो नयी बहु को ही करना चाहिए , . ढोलक मैंने गुड्डो को इशारा किया , . और उसने ढोलक सम्हाल ली , मेरा साथ देने को ,

और मैंने शुरू किया एक देवी गीत से ,.

मुझे मालूम था रतजगा में जब 'सब कुछ ' होता है तब भी पहले पांच गाने देवी गीत के होते हैं।

लेकिन फिर किसी ने फ़िल्मी गाने की फरमाइश की , और कौन , मेरी ननद , मिली ,.

बस मैं चालू हो गयी ,

और मुझे मालूम था ,

कमरे के अंदर एक लड़का कान पारे बैठा है , बस सारे के सारे गाने उसी के लिए ,.

“मांग के साथ तुम्हारा, मांग लिया संसार,

दिल कहे दिलदार मिला, हम कहें हमें प्यार मिला,
प्यार मिला, हमें यार मिला, एक नया संसार मिला,
मिल गया एक सहारा, ओ ओ मांग के साथ तुम्हारा।

गाने की शुरुआत

सच में गुड्डो ने आज ,.

मैंने उसे इशारा किया मेरे बगल में बैठने का , जेठानी थोड़ा सरक गयीं और वो मेरे और जेठानी जी के बीच में बैठ गयी।

एक पड़ोस की कोई थीं , बोली आज शुरू तो नयी बहु को ही करना चाहिए , .

ढोलक,. . मैंने गुड्डो को इशारा किया , .

और उसने ढोलक सम्हाल ली , मेरा साथ देने को ,

और मैंने शुरू किया एक देवी गीत से ,. मुझे मालूम था रतजगा में जब 'सब कुछ ' होता है तब भी पहले पांच गाने देवी गीत के होते हैं। लेकिन फिर किसी ने फ़िल्मी गाने की फरमाइश की , और कौन , मेरी ननद , मिली ,.

बस मैं चालू हो गयी , और मुझे मालूम था , कमरे के अंदर एक लड़का कान पारे बैठा है , बस सारे के सारे गाने उसी के लिए ,.

“मांग के साथ तुम्हारा, मांग लिया संसार,

दिल कहे दिलदार मिला, हम कहें हमें प्यार मिला,

प्यार मिला, हमें यार मिला, एक नया संसार मिला,

मिल गया एक सहारा, ओ ओ मांग के साथ तुम्हारा।

मैं समझ रही थी की मैं किसके लिये गा रही हूँ और ‘कोई कमरे में बैठ के’ सुन समझ रहा था।

“मुझे जा ना कहो मेरी जान…” दूसरा गाना मैंने शुरू किया।

मुझे मालूम था की गीता दत्त उनकी फेवरिट हैं। और फिर,

तुम जो हुए मेरे हमसफर रस्ते बदल गये,

लाखों दिये मेरे प्यार की राहों में जल गये।

और फिर, ए दिल मुझे बता दे तू किस पे आ गया है।

जब मैं चुप हुई तो सब लोग एकदम शांत मंत्रमुग्ध होकर मेरी आवाज सुन रहे थे।

जैसे बीन की धुन पे जहरीले से जहरीले सांप भी शांत हो जाते हैं, मेरी सारी ननदें भी मेरी आवाज के जादू में खो गईं थी।

एक दो मिनट तक सब चुप रहे लेकिन जैसे ही उसका असर थोड़ा कम हुआ,

सब लोगों ने इतनी त्तारीफ शुरू की और सबसे ज्यादा मेरी सास खुश हुईं।

लेकिन तभी एक औरत बोलीं-

“बहू की आवाज तो बहुत अच्छी है। लेकिन बहू कुछ लोक-गीत घरेलू गाने भी आते हैं?”

“अरे सब कुछ… शादी, बन्ना बन्नी, गाली सब कुछ सुना दे बहू…”

सासूजी बोलीं

मैं जानती थी ये मेरा एसिड टेस्ट है।

मेरी जेठानी ने कहा भी था की तुम बोलती बंद कर सकती हो खास तौर से अपनी सास को मुट्ठी में कर सकती हो, अगर ये ‘राउंड’ तुमने पार कर लिया।

सबसे पहले मैंने शादी के एक दो गाने सुनाये फिर और रश्मों के-

बन्ना जी तोरी चितवन जादू भरी,
बन्ना जी तोरी चितवन, आज दिखाओ,
बन्ना जी तोरी बिहसन जादू भरी,
बन्ना जी तोरी अधरन की अरुणाई,
बन्ना जी तोरी बोली जादू भरी।

लेकिन सुनना तो सब कुछ और चाहते थे और देखना भी-

“क्या मैं हिम्मत कर सकती हूँ…”

एक बार ढोलक ननदों की ओर चली गयी , एक दो गाने मंझली ननद ने फिर एक हलकी सी गाली ,

फिर दुलारी ने एक गाली सुनायी, सिर्फ मुझे ही नहीं मेरी सारी जेठानियों को भी।

मंझली ननद ने कहा- “अब जरा अपनी बहू से कहिये जवाब दे ना…”

हो गुड्डी तेरी बु.

फिर दुलारी ने एक गाली सुनायी, सिर्फ मुझे ही नहीं मेरी सारी जेठानियों को भी।

मंझली ननद ने कहा- “अब जरा अपनी बहू से कहिये जवाब दे ना…”

जेठानीजी ने भी मुझे उकसाया और मैंने ढोलक अपनी ओर खींची और गुड्डो को थमा दी ,

सच में उतनी अच्छी ढोलक कोई और नहीं बजाता था ,

और मेरे टारगेट पर मेरी सबसे छोटी ननदिया थी ,

अनुज की बहिनिया , वही एलवल वाली , संगीता , घर का नाम गुड्डी ,. भले अभी आठवीं में पढ़ती थी , .

लेकिन दो बातें थी एक तो उसे मिर्च बहुत लगती थी , ज़रा सा छेड़ो तो उचकने लगती थी ,

उसके नाम की गारी गाने पर तो ,. मैं दो दिन से देख रही थी ,.

फिर मेरे कोई सगी ननद न सगा देवर , और इतनी ननदों , देवरों में लोकल यही दोनों थे ,

अनुज और गुड्डी इनके ममेरे भाई और बहन ,. तो रोज तो , .

गुड्डी की ओर मुस्कराते , चिढ़ाते मैंने शुरू किया

ननदी तेरी बु, हो ननदी तेरी बु,
हो गुड्डी तेरी बु, अच्छी लागे बु,
तेरे बुंदे कान के अच्छे लागें रे

हो ननदी तेरी भो, हो ननदी तेरी भो, हो मिली तेरी भो,
हो मिली तेरी भो, हो मिली की फैल गई भो,

(अरे साफ-साफ भोंसड़ा क्यों नहीं बोलती, चमेली भाभी से नहीं रहा गया)

हो मिली की फैल गई भोली आँखें हो, देखकर खेला मदारी का।

हो ननदी तेरी चू, हो ननदी तेरी चू, हो मीता तेरी चू, हो मीता तेरी चू।
हो मीता की फट गई चू हो मीता तेरी फट गई चू।

(अरे इस उमर में ही फट गई एक ने बोला।
दूसरी जेठानी ने जोड़ा अरे चौदह की तो हो गई तो चुद गई तो क्या बात है)

अरे मेरी प्यारी ननदी की, प्यारी मीता की फट गई चुन्नी फँस के कांटे से।
हो ननदी तेरी झां, हो ननदी तेरी झां, हो ननदी की दिख गई झांकी खिड़की से।

अब तो सब औरतों ने इतनी तारीफ की कि मेरी सास का सीना गज भर का हो गया।

मंझली ननद तारीफ तो उन्होंने भी की लेकिन ये भी बोल दिया की कोटा खतम हो गया क्या?

मेरी जेठानी क्यों चुप रहतीं। उन्होंने बोला-

“अरे तेरी ननदों का मन नहीं भरा, अरे जरा एक दो और सुना दे…”

बस मैं चालू हो गयी , एक बार मैंने फिर गुड्डी से ही शुरू किया , फिर मिली , गीता और मीता किसी को भी नहीं छोड़ा

अरे बार-बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाये, कहना ना माने रे
हलवैया का लड़का तो ननदी जी का यार रे,
अरे गुड्डी जी, अरे गीता जी का यार रे,
वो तो लड्डू पे लड्डू खिलाये चला जाये,
अरे बार-बार ननदी दरवाजे दौड़ी जाये,
अरे दरजी का लड़का तो ननदी जी का यार रे।

वो तो मिली साल्ली का यार रे,
अरे वो तो चोली पे चोली, अरे बाडी पे बाडी सिलाये चला जाये, कहना ना माने रे,

अरे प्यारा सा भैया तो सब ननदों का यार रे,
उनको तो मजा लुटाये चला जाये

अरे मेरी सासूजी का लड़का तो गुड्डी रानी का यार रे,
सेजों पे मौज उड़ाये चला जाये कहना ना माने रे।

लेकिन मंझली ननद इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाली थीं ,

उन्होंने गुड्डो से ढोलक ले ली , ढोलक वो भी अच्छी बजाती थीं , एकदम टनकदार और कुछ दुलारी के कान में कहा ,

दुलारी

ननदों का जवाब

लेकिन मंझली ननद इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाली थीं , उन्होंने गुड्डो से ढोलक ले ली , ढोलक वो भी अच्छी बजाती थीं , एकदम टनकदार और कुछ दुलारी के कान में कहा ,

और अब तो दुलारी मेरे और मेरी जेठानी के पीछे ऐसे ,. कान में ऊँगली डाल लेनी पड़े ऐसी वाली गालियां ,

और बाकी ननदें भी कोई चम्मच बजा के कोई ताली बजा बजा के उसका साथ दे रहे

और दुलारी मेरी ओर इशारा कर रही थी , एकदम खुले आम ,

नीली सी घोड़ी गज नीम से बंधी , नीली सी घोड़ी गज नीम से बंधी चलो देख तो लो ,.

अरे हमरी नयकी भौजी , हमरी कोमल भौजी चढ़ गयीं खजूर

अरे हमरी नयकी भौजी , हमरी कोमल भौजी चढ़ गयीं खजूर , दिख गयी उनकी बुर ,

चलो देख तो लो , अरे चलो देख तो लो ,

अरे हमार बड़की भौजी , हमार नीलम भौजी ( मेरी जेठानी ) चढ़ गयीं अतुत

हमार नीलम भौजी ( मेरी जेठानी ) चढ़ गयीं अतुत , दिख गयी उनकी चूत

चलो देख तो लो ,.

सब ननदों ने खूब हो हो किया ,

और दुलारी फिर चालू हो गयी ,

और टारगेट मैं थी , फिर मेरे भाई मायके वाले , और अबकी सारी ननदें गाने में साथ दे रही थीं
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