Episode 15
मैं तुमसे पूछूं हे नयकी भौजी , हे कोमल भौजी , तोहरी बुरिया में का का जाये ,
का का समाये ,
अरे हो मेरी ननदो , हो दुलारी नंदों , हो मिली नंदों , हो गुड्डी ननदों ,
हमारी बुरिया में तोहार भइया समाय , भइया के सब सारे समाय ,.
बस गाना रुक गया और जोर से हो हो हुआ , एक ननद ने ( और कौन मिली ) पूछा ,
क्या मतलब भैया के साल्ले , मतलब भौजी के भइया
" और क्या , तुम्हारी कोमल भाभी के भइया सब नम्बरी ,. "
मंझली ननद बोलीं और आगे की बात दुलारी ने पूरी की ,
साफ़ साफ़ काहें नहीं कहती नम्बरी पैदायशी बहनचोद है ,
और गाना आगे बढ़ाया ,. .
मैं तुमसे पूछूं हे नयकी भौजी , हे कोमल भौजी , तोहरी बुरिया में का का जाये ,
का का समाये ,
और वैसे ही दो चार गाने के बाद जब ढोलक फिर हमारी ओर आयी ,
गुड्डो ने ढोलक टनकानी शुरू की , तो हमारी और से दुलारी की ही टक्कर की ,
नाउन की बहु जो गाँव से आयी थी रस्म कराने और बहु होने के नाते ,
हम भौजाइयों की ओर से दुलारी का मुकाबला करती थी ' कुछ ज्यादा ही ऐसी वैसी गालियों में ' वो सामने आयी ,
तो ननदें एकदम ,. आसमान सर पे उठालिया ,
कोमल भौजी , कोमल भौजी
कोमल भौजी
मैं तुमसे पूछूं हे नयकी भौजी , हे कोमल भौजी , तोहरी बुरिया में का का जाये ,
का का समाये ,
और वैसे ही दो चार गाने के बाद जब ढोलक फिर हमारी ओर आयी ,
गुड्डो ने ढोलक टनकानी शुरू की ,
तो हमारी और से दुलारी की ही टक्कर की ,
नाउन की बहु जो गाँव से आयी थी रस्म कराने और बहु होने के नाते ,
हम भौजाइयों की ओर से दुलारी का मुकाबला करती थी ' कुछ ज्यादा ही ऐसी वैसी गालियों में ' वो सामने आयी ,
तो ननदें एकदम ,. आसमान सर पे उठालिया ,
कोमल भौजी , कोमल भौजी
और ऊपर से मंझली ननद ने मिर्च डाली , सास को मेरे सुनाया , .
" अरे आप बहुत कहती थीं न आपकी बहु को रस्म के , गारी ,. अब ज़रा टक्कर में आने दीजिये न ,. .
मेरी सास ने मुझे इशारा किया ,. और मैंने गुड्डो को , उसके कान में कुछ बुदबुदाया , और मैं चालू हो गयी
गारी में ननदों का नाम अपने भाइयों से जोड़ कर छेड़ना बहुत जरुरी है ,
इसलिए मैंने अपनी जेठानी के भाई जो शादी में आये थे ,
अजय , मेरी ही उम्र का होगा , १७-१८ का ,
और चुन्नू जो उससे छोटा था , १६ के आसपास का ,
और अपने देवर , मिली का भाई, संजय ,.
साथ साथ मैंने अनुज का नाम जोड़ना भी ,. आखिर वही तो मेरा देवर था , जो मेरे ही शहर में रहता था ,
गाहे बगाहे कुछ भी काम होने पर ,.
और उस के साथ उस की बहन वो एलवल वाली , वही कच्ची कली , आठवें में पढ़ने वाली , इनकी छुटकी सबसे फेवरिट साली से भी सात आठ महीने छोटी लेकिन कच्चे टिकोरे उसके भी गज़ब के आ रहे थे , और भाभियों के चिढ़ाने पर उचकती भी बहुत थी , लेकिन ननद थी , वो भी सबसे छोटी और अकेली लोकल , अनुज की छोटी बहन ,. इसलिए बिना उसका नाम जोड़े तो , .
गुड्डी
सोने की थारी , रुपे की लागी बारी , सोने की थारी , रुपे की लागी बारी ,
सोलहो भोजना लै के निकरे हों , भैया अजय लाल. अरे निहुरि के करें सलामी ,
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
जउ हो अनुज लाल देबा आपन गुड्डी , देबा एलवल वाली।
अरे खूब करब मेहमानी अरे खूब करब मेहमानी
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
दिनवा में छिनरो के गाले गाले चुमबै , रतिया करब मेहरबानी ,
अरे रतिया करब मेहरबानी , अरे सीताराम को भजो ,
सोने की थारी , रुपे की लागी बारी , सोने की थारी , रुपे की लागी बारी ,
सोलहो भोजना लै के निकरे हों , भैया चुन्नू लाल. अरे निहुरि के करें सलामी ,
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
जउ हो संजय लाल देबा आपन मिली , देबा बनारस वाली।
अरे खूब करब मेहमानी अरे खूब करब मेहमानी
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
दिनवा में छिनरो के गाले गाले चुमबै , रतिया करब मेहरबानी ,
अरे रतिया करब मेहरबानी , अरे सीताराम को भजो ,
लेकिन मेरी सास ने ही टोका ,
" अरे बहु यहाँ की ननदें पक्की छिनार होती हैं , ( मेरी बुआ सास की ओर इशारा करके ) , हलकी मिर्च से इन्हे मजा नहीं आता जब तक परपराय नहीं ,'
मैंने खूब हिम्मत की और एक अपनी भाभी की फेवरिट सुनानी शुरू कर दी।
छोटे बुंदी वाली चोलिया गजबे बनी, छोटे बुंदी वाली,
अरे वो चोलिया पहने हमारी बांकी ननदी,
वो चोलिया पहने गुड्डी रानी , मिली रानी
वो चोलिया चमके, चोली के भीतर जोबना झलके,
मिजवावत चमके, दबवावत चमके,
अब हमारी सारी जेठानियाँ , बसंती , नाउन की बहु जम के मेरा साथ दे रही थीं
अरे छोटे घूंघर वाला बिछुआ गजब बना, छोटे घूंघर वाला,
वो बिछुआ पहने हमरे सैंया की बहना, दुलारी छिनरो,
( मैं तो मंझली और बड़ी ननद का नाम ले नहीं सकती थी , ये काम मेरी जेठानी ने किया )
अरवट बाजे, करवट बाजे, लड़िका के दूध पियावत बाजे,
अरे हमरे सैयां से रोज चुदावत बाजे,
बुरिया में लण्ड लियावत बाजे, अरे छोटे दाना वाला।
गारी की बारिश
मेरी सास खुश हो के मेरी तरफ देख रही थीं , जेठानी भी इशारा कर रही थीं , मैं रुकूँ नहीं , एक के बाद दूसरी , .
गुड्डो भी ढोलक पर भी जम कर मेरा साथ दे रही थी , बार बार मेरी ओर देख कर मुस्कराती , . और गाने में भी पूरा साथ दे रही थी। वो भी मेरी तरह बनारस वाली थी , इसलिए उसे भी ये सब गारियाँ अच्छी तरह आती थीं , .
लेकिन मुझे सबसे ज्यादा मजा आ रहा था उस लड़के के बारे में सोच सोच कर के , . जो कमरे में बंद अपनी माँ बहनों का हाल खुलासा सुन रहा था , कान पारे ,
और ये सोच के मैंने और खुल कर , . एक से एक
अरिया अरिया रईया बोवायें , बीचवा बोवायें चौरईया की वाह
अरे सागवा खोटें गयीं देवर जी क बहिनी , सगावा खोटें गयीं गुड्डी रानी
अरे भोसड़ी में गड गयी लकडिया की वाह वाह ,
अरे भोसड़ी में गड गयी लकडिया की वाह वाह ,
, अरे दौड़ा दौड़ा अनुज भइया , दंतवा से खींचा लकडिया की वाह वाह
अरिया अरिया रईया बोवायें , बीचवा बोवायें चौरईया की वाह
अरे सागवा खोटें गयीं ननदि हमारी , सगावा खोटें गयीं दुलारी रानी
अरे भोसड़ी में गड गयी लकडिया की वाह वाह ,
अरे भोसड़ी में गड गयी लकडिया की वाह वाह ,
, अरे दौड़ा दौड़ा भइया हमारे , दंतवा से खींचा लकडिया की वाह वाह
अरे दुलारी ननदी एक पग गैलिन , दू पग गइलीं ,
अरे गडिंयों में घुस गइल लकडिया की वाह वाह्
गुड्डो ने मेरे कान में कुछ फुसफुसा के याद दिलाया ,
और मैं सच में भूल ही गयी थी अपने बनारस की टिपिकल गारी को ,
गुड्डो ने एक बार फिर से ढोलक टनकायी ,
खूब जोर से और हम दोनों चालू हो गयीं ,
फिर तो मेरी जेठानियाँ भी सारी साथ ,
अगर किसी ननद का नाम मैं भूलती न , .
तो गुड्डो थी न बगल में वो याद दिला देती , आखिर सब उस की समौरिया ही तो थीं चौदह से उन्नीस वाली ,
सबसे छोटी इनकी ममेरी बहन , एलवल वाली गुड्डी , .
चिट्ठी आय गयी सहर बनारस से चिट्ठी आय गयी ,
अरे चिट्ठी आय गयी सहर बनारस से चिट्ठी आय गयी ,
अरे एलवल वाली गुड्डी के भैया , चिट्ठी पढला की ना , पढ़े जानेला की ना ,
तोहरी बहिना छिनार , अरे गुड्डी स्साली छिनार , . उन्हें चोदे हजार , ओन्हे चोदला की ना ,
अरे बुर चोदला की ना , गांड मरला की ना
( मेरी एक गाँव की जेठानी ने जोड़ा , गुड्डी बेचारी कसमसा रही थी , लेकिन गुड्डो आज मुझसे भी ज्यादा और अगली लाइन उसी ने )
चल मेरे घोड़े चने के खेत में , चने के खेत में ,
चने के खेत में बोया था गन्ना
गुड्डी रानी मिजवाय रही जोबना चने के खेत में
( अरे मिजाने मसलवाने लायक तो हो गया है पीछे से मेरी किसी जेठानी ने जोर से कमेंट पास किया लेकिन मैंने अब गाना मिली की ओर मोड़ दिया )
चने के खेत में बोई थी घूंचि , अरे बोई थी घुंची
मिली रानी दबवाय रहीं आपन दुनो चूँची , चने के खेत में ,
( गुड्डो ने मीता की ओर इशारा किया इनकी मौसेरी बहन , गुड्डो की उमर की ग्यारह में पढ़ रही थी और मैंने उसको भी लपेटा )
चने के खेत में बोई थी राई , बोई थी राई ,
अरे बोई थी राई
मीता रानी की हुयी चुदाई , अरे मीता छिनरो की हुयी चुदाई ,
चने के खेत में , अरे चने के खेत में
( लेकिन मैं तो गुड्डी के पीछे पड़ी थी , इसलिए गारी ख़तम उसी पे मैंने की )
चने के खेत में पड़ा था रोड़ा , अरे पड़ा था रोड़ा
पड़ा था रोड़ा
अरे हमरी ननदि छिनार को , गुड्डी छिनार को , एलवल वाली को ,
ले गया घोडा चने के खेत में , अरे चने के खेत में
घोंट रहीं लौंड़ा चने के खेत में ,
अब मेरी सास की आँखों में ख़ुशी की चमक थी ,जो पास पड़ोस की उनकी मण्डली की सहेलियां , बुआ सास , की ओर
और मुझे चिढ़ाती बोलीं ,
" मान गयी तुझे भी और अपनी छिनार समधन को भी , चाहे तेरे मामा के साथ सो के , चाहे तुरक पठान , कोरी चमार के साथ सो के गाभिन हुयी हों , तुझे जना हो लेकिन सही पैदा किया है ,. . "
लेकिन मौके का फायदा उठाया मेरी ननदों ने . मिली ने जोर से आवाज लगायी ,
" तभी तो हमारे भइया जाके उठा के ले आये हैं , . . "
" और दिन रात दोनों टाइम रोड रोलर चलता है , क्यों छोटी भाभी। "
मंझली ननद क्यों मौका छोड़ती ,
लेकिन सबसे खतरनाक तो दुलारी थी , खुल के बोलीं ,
" अरे आयी हैं चुदवाने , इनकी महतारी भेजी हैं चुदवाने को तो चोदी जा रहीं हैं दिन रात , तो कौन गड़बड़ है , . "
" अरे अभी तो खाली सैयां जी हैं , देवर ननदोई भी , आने दो फागुन ,. "
मेरी मंझली ननद ने जोड़ा ,
मैं बस एक छोटे से घूंघट में उन लोगों के रसीले कमेंट सुन रही थी , मुस्करा रही थी ,
देवर का तो पता नहीं , लेकिन मेरे नन्दोई नहीं छोड़ने वाले थे ये मुझे पक्का पता था।
जब हाईकॉलेज वाली मेरे बगल में ढोलक बजा रही गुड्डो को , .
और कल सुबह पक्का था मिली की बुलबुल चारा घोंटने वाली थी ,ननदोई जी का ,. .
लेकिन ननदें न , एक का सपोर्ट पाके , .
अबकी मीता भी मैदान में आगयी ,
मंझली ननद से बोली ,
" अरे दी , जहाँ से ये आयी हैं , वहां दो अभी और भी हैं ,. "
" सच में दोनों एकदम मस्त माल हैं , छोटी वाली तो तीखी मिर्च है ,. "
अब गुड्डी की भी जबान खुल गयी थी।
" अरे तो उहो दोनों चोद जइहैं , अब तो एनके मायके क कउनो बुरिया , चाहे झांट आय हो न आय हो ,
सब पे इनके ससुरार वालन क लंड का नाम लिखा हो "
दुलारी कैसे चुप रहती।
लेकिन इस बार मैं बिना बोले , दुलारी की बात से सहमत थी ,
इनकी दोनों सालियाँ , . ये बिचारे भले शर्माएं , छोड़ दें , वो दोनों नहीं छोड़ने वाली थीं ,
दोनों ने शादी के पहले ही मुझसे तिरबाचा भरवाया था , अपने मायके मैं उन दोनों के जीजा की ओर देखूंगी भी नहीं ,
बस वो दोनों ,. और आफ कोर्स उनकी सलहज।
ननदों की जुबान बंद करने का एक ही तरीका था की मैं गारी की बारिश फिर शुरू कर दूँ ,.
लेकिन तबतक जेठानी जी ने मुझे कान में इशारा किया , मैं अपनी सास को भी लपेटूँ , सास जी के कमेंट का इशारा भी यही था।
सासु जी
ननदों की जुबान बंद करने का एक ही तरीका था की मैं गारी की बारिश फिर शुरू कर दूँ ,.
लेकिन तबतक जेठानी जी ने मुझे कान में इशारा किया ,
मैं अपनी सास को भी लपेटूँ , सास जी के कमेंट का इशारा भी यही था।
मैंने मुस्कराते हुए अपनी सासु जी का पहले तो पैर छुआ और माफ़ी मांग ली ,
" आपकी समधन की समधन को ,. "
और आगे की बात उन्होंने और बुआ सास ने पूरी की , एक साथ
" अरे नहीं सुनाया तो बुरा मानेंगी ,. "
और मैं चालू हो गयी ,
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी सासु जी ने , बुआ सासु जी जी , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ पण्डे बनारस के , अरे नौ सौ गुंडे बनारस के
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी सासु जी ने , बुआ सासु जी जी , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ छैले बनारस के , अरे नौ सौ यार आजमगढ़ के
( बनारस मेरा मायका था और आजमगढ़ ससुराल , और मैंने अपनी ननद , उस एलवल वाली गुड्डी को नहीं छोड़ा )
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी ननद छिनार ने , गुड्डी छिनार ने , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ भंडुए कालीनगंज के ,
( कालीनगंज मेरे ससुराल की रंडियों का मुहल्ला था , और गारियों में ननदों को जरूर वहां से जोड़ा जाता था )
अरे नौ सौ ,. अरे गुड्डी छिनार ने , गुड्डी स्साली ने , अरे नौ सौ
( मेरी जेठानियाँ , गुड्डो मेरा साथ दे रही थीं , लेकिन मैं जान बूझ कर नौ सौ के बाद रुक जा रही थी। आखिर मेरी जेठानी ने पूछ ही लिया , नौ सौ क्या ,
और मैंने पूरा किया
अरे नौ सौ ,. अरे गुड्डी छिनार ने , गुड्डी स्साली ने , अरे नौ सौ गदहे एलवल के , अरे नौ सौ गदहे एलवल के ,
फिर तो वो हल्ला हुआ , सारी ननदों की लेकिन मंझली ननद और दुलारी बहुत खुश दुलारी बोली ,
अब मिली हैं छुटकी भौजी टक्कर की ,
असल में मेरी ननद जिस गली में रहती थीं , वहीँ ढेर सारे धोबी भी थे और गली केबाहर
दो चार गदहे हरदम बंधे रहते थे ,.
" बड़ी कैपसिटी है गुड्डी तेरी , गदहे भी , वो भी एक दो नहीं पूरे नहीं नौ सौ , . "
एक मेरी जेठानी ने छेड़ा तो मेरी जेठानी ने जोड़ा
" अरे तो क्या हुआ उसके मोहल्ले के हैं तो उसके भाई ही लगेगे न
और हमारी तो सारी ननदें अपने भाइयों से फंसी रहती हैं ,. "
मेरी सास ने मेरी बुआ सास को दिखाते हुए मुझसे कहा ,
" एकदम बहु तुम्हारी ससुराल का रिवाज ही यही , सारी की सारी ननदें , अपनी बुआ सास को देख लो ,. "
मैं मुश्किल से मुस्कान दबा रही थी और गुड्डो ने फिर से ढोलक चालू कर दी थी मैं भी चालू हो गयी
और इस बार फिर मेरे निशाने पर सासू जी थीं , और बुआ सासू , .
पर मैं अपनी चिकनी चमेली ननदों को कैसे छोड़ देती और फायदा मेरे मायके वालों का ,
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे पापा जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , . .
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे पापा जी के संग सोवन को
( सब लोग मेरे साथ गा रहे थे , रस ले ले कर , फिर मैं कुछ देर तक ,
सिर्फ गुड्डो की ढोलक ठनक रही थी , मैंने सासू जी की ओर देखा और गाने को आगे बढ़ाया )
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी सासू जी राजी रे , अरे उनकी समधन रानी राजी रे ,
( खूब हो हो हुआ , मेरे सास एकदम खुश लेकिन उन्होंने अपनी ननद इनकी बुआ की ओर इशारा किया ,
मैंने गाना आगे बढ़ाया )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे फूफा जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , . .
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे फूफा के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी बुआ सासू जी राजी रे , अरे उनकी समधन रानी राजी रे ,
( मंझली ननद मेरी बहुत मुस्करा रही थीं , जेठानी ने उनकी ओर इशारा किया और मैंने अपनी मंझली ननद को )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे जेठ जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , . .
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे जेठ जी के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी मंझली ननदिया राजी रे ,
अरे सोवन को , संग सोवन को रात चिपकन को , टांग उठावन को , मंझली ननदिया राजी रे।
( क्यों सील अपने भइया से तोड़वा के गयी थी क्या , . एक जेठानी ने मंझली ननद को जोर से चिढ़ाया।
गुड्डो दमदार ढोलक बजा रही थी , हम लोगों तो हमारी ननदों ने एक से एक ,
लेकिन गुड्डो बची हुयी थी ,
अभी तक सूखी , दुलारी ने मुझे उसकी ओर इशारा किया और मैंने उसको भी लपेट लिया )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे देवर जी जी आंगने में आये , अरे अनुज भइया अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , . .
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे देवर के के संग,अनुज भैय्या के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को जोबना लुटावन को , हमारी गुड्डो राजी रे ,
( वो खूब शर्मायी और अब नंदों को भी मौक़ा मिला गया , गुड्डी , उसकी सहेली , वही एलवल वाली खूब जोर से उसने चिढ़ाया , और मैने उसका नाम भी जोड़ दिया, और किसके साथ अपने सैंया के साथ )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे सैंया जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , . .
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को ह
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को ,
टांग उठावन को जांघ फैलावन को ,
अरे रोज चोदावन को , .
( सब लोग सांस रोके इन्तजार कर रहे थे , किसका लिफ़ाफा खुलेगा , और मैंने पत्ता खोल दिया )
अरे रोज चोदावन को , एलवल वाली , अरे गुड्डी ननदी , अरे गुड्डी छिनरो राजी रे , अरे संग सोवन
ये लाइन सारी जेठानियो ने मिलकर , गुड्डी को दिखाते छेड़ते हुए कम से कम दस बार गायी।
मेरी निगाह लेकिन सिर्फ अपनी सासू और जेठानी की ओर लगी थी ,
जेठानी तो मेरी बाकी रिश्ते की जेठानियों के साथ मिलकर ननदों की ऐसी की तैसी करने में लगी थीं ,
पर मेरी सास एकदम महा खुश , कभी मेरी ओर देखतीं तो कभी मोहल्ले की औरतों की ओर , .
फिर मुझे देख कर , अपनी ननद , इनकी बुआ की ओर इशारा कर के बोलीं ,
" बहु , तुमने अपनी ननदों को तो हाल एकदम खुल्ल्मखुला , खोल खोल के सुनाया , .
लेकिन मेरी ननद को ऐसे ही सूखे सूखे सस्ते में , अपने फूफ़ा के साथ सुला के , .
अरे तेरी ससुराल में किसी ननद का काम एक दो चार यार से नहीं चलता ,. "
सासू जी और उनकी ननद ,
इनकी बूआ
मेरी सास एकदम महा खुश , कभी मेरी ओर देखतीं तो कभी मोहल्ले की औरतों की ओर , . फिर मुझे देख कर , अपनी ननद , इनकी बुआ की ओर इशारा कर के बोलीं ,
" बहु , तुमने अपनी ननदों को तो हाल एकदम खुल्ल्मखुला , खोल खोल के सुनाया , . लेकिन मेरी ननद को ऐसे ही सूखे सूखे सस्ते में , अपने फूफ़ा के साथ सुला के , .
अरे तेरी ससुराल में किसी ननद का काम एक दो चार यार से नहीं चलता ,. "
मैं समझ गयी बुआ सास की आड़ में वो खुद अपने लिए भी असली वाली , सुनना चाहती थीं।
लेकिन तभी मुझे याद आया ,
अरे ये भी तो अपने कमरे में , कान पारे हम लोगों के गाने सुन रहे होंगे , मैने मुश्किल से मुस्कराहट रोकी ,
सुनना हो तो सुने , अपनी बहनों का तो हाल खुलासा सुन ही लिया था ,
और अब अपनी अम्मा बुआ , चाची का हाल भी सुन लें ,
मुझे मालूम था की अपनी माँ बहनों का हाल सुन के इन की क्या हाल होती थी ,
कैसे कस के इनका और उस का बदला ये मेरी गुलाबो से लेंगे ,
लेना हो तो लें ,
और मैं चालू हो गयी उन्ही का नाम ले के ,
हमारे सैंया जी की अम्मा छिनार ,उनकी बुआ छिनार , उनकी चाची छिनार ,
उनकी अम्मा के , अरे उनकी बुआ के दो दो दुवार ,
एक जाए आगे , एक जाए पीछे ,. बचा नहीं कोई नउवा , कन्हार ,
कुछ आज चोदे कुछ काल चोदे , होली दिवाली दिन रात चोदे ,.
सभी सास लोग निहाल ,
एक दूसरे की ओर इशारा कर के , बहु अरे इनको काहें छोड़ दिया ,.
और मैं फिर अगली लाइन में उनको भी ,
एक गाना मुझे याद था लेकिन कुछ ज्यादा ही ,. .
और उसकी धुन भी थोड़ी अलग थी , .
जरूरत ये होती है की ढोलक बजाने वाली को वो गाना और धुन मालूम हो। मैंने गुड्डो के कान में फुसफुसाया , .
भले वो अभी दसवें में थी , लेकिन मेरी तरह वो भी बनारस वाली थी , . और मेरी तरह रतजगे और शादियों में उसकी ट्रेनिंग पूरी हो गयी थी ,
वो जोर से मुस्करायी और सर जोर जोर से हिला के उसने हामी भरी।
बस अब उसकी ढोलक टनकनी शुरू हो गयी ,
और पहली लाइन से वो मेरे साथ साथ , . .
बिना जरा भी झिझके , शरमाये
गंगा जी तुम्हरा भला करें , गंगा जी , अरे गंगा जी तुम्हरा भला करें गंगा जी ,
हमारी बुआ सासु की बुरिया तलवा जैसी , पोखरवा जैसी , इनरवा जैसी ,
ओहमें नौ सौ गुण्डे नहावा करें , डुबकी लगावा करें मजा मारा करें ,
अरे बुर हर हर होवा करे , अरे बुर हर हर होवा करे
गंगा जी तुम्हरा भला करें , गंगा जी , अरे गंगा जी तुम्हरा भला करें गंगा जी ,
हमारी सासु की बुरिया बटुलिया जैसी , पतलिया जैसी , ,
ओहमें नौ मन चावल पकाए करें , अरे उफना करे
अरे बुर भद भद होवा करे , अरे बुर भद भद होवा करे
( फिर मुझे याद आया की नन्दोई जी भी तो इनके साथ बैठ कर , कान खोले , तो उनकी अम्मा क्यों ,. . बस अपनी मंझली ननद की सास को भी )
गंगा जी तुम्हरा भला करें , गंगा जी , अरे गंगा जी तुम्हरा भला करें गंगा जी ,
हमारी नन्दोई की अम्मा की बुरिया तलवा जैसी , पोखरवा जैसी , इनरवा जैसी ,
ओहमें नौ सौ गुण्डे नहावा करें , डुबकी लगावा करें मजा मारा करें ,
अरे बुर हर हर होवा करे , अरे बुर हर हर होवा करे
गंगा जी तुम्हरा भला करें , गंगा जी , अरे गंगा जी तुम्हरा भला करें गंगा जी ,
बस मेरी सास एकदम खुश , .
देर हो रही थी ,
उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया और अपने गले की सत लड़ की माला निकाल के सीधे मेरे गले में ,
मैं झुक के उनका पैर छू लिया ,.
और सबसे ज्यादा तरफ मेरी की ,
और किसने , . जिसको मैंने सबसे ज्यादा गरियाया था , मेरी मंझली ननद और
दुलारी ने
दोनों गले मिली ,
तभी मैंने देखा की मेरे कमरे का दरवाजा खुला ,
और नन्दोई जी सीढी से निगाह बचा के नीचे ,
और साथ में मिली मेरी ननद ,
मैंने गुड्डो की बहुत तारीफ़ तो की ही
सबसे कहा भी की असली तारीफ़ तो ढोलक वाली की है ,
पर असली बात मैंने कमरे मन घुसने से पहले उससे कह दी
" थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी , तो बोल , अगली बार "
का का समाये ,
अरे हो मेरी ननदो , हो दुलारी नंदों , हो मिली नंदों , हो गुड्डी ननदों ,
हमारी बुरिया में तोहार भइया समाय , भइया के सब सारे समाय ,.
बस गाना रुक गया और जोर से हो हो हुआ , एक ननद ने ( और कौन मिली ) पूछा ,
क्या मतलब भैया के साल्ले , मतलब भौजी के भइया
" और क्या , तुम्हारी कोमल भाभी के भइया सब नम्बरी ,. "
मंझली ननद बोलीं और आगे की बात दुलारी ने पूरी की ,
साफ़ साफ़ काहें नहीं कहती नम्बरी पैदायशी बहनचोद है ,
और गाना आगे बढ़ाया ,. .
मैं तुमसे पूछूं हे नयकी भौजी , हे कोमल भौजी , तोहरी बुरिया में का का जाये ,
का का समाये ,
और वैसे ही दो चार गाने के बाद जब ढोलक फिर हमारी ओर आयी ,
गुड्डो ने ढोलक टनकानी शुरू की , तो हमारी और से दुलारी की ही टक्कर की ,
नाउन की बहु जो गाँव से आयी थी रस्म कराने और बहु होने के नाते ,
हम भौजाइयों की ओर से दुलारी का मुकाबला करती थी ' कुछ ज्यादा ही ऐसी वैसी गालियों में ' वो सामने आयी ,
तो ननदें एकदम ,. आसमान सर पे उठालिया ,
कोमल भौजी , कोमल भौजी
कोमल भौजी
मैं तुमसे पूछूं हे नयकी भौजी , हे कोमल भौजी , तोहरी बुरिया में का का जाये ,
का का समाये ,
और वैसे ही दो चार गाने के बाद जब ढोलक फिर हमारी ओर आयी ,
गुड्डो ने ढोलक टनकानी शुरू की ,
तो हमारी और से दुलारी की ही टक्कर की ,
नाउन की बहु जो गाँव से आयी थी रस्म कराने और बहु होने के नाते ,
हम भौजाइयों की ओर से दुलारी का मुकाबला करती थी ' कुछ ज्यादा ही ऐसी वैसी गालियों में ' वो सामने आयी ,
तो ननदें एकदम ,. आसमान सर पे उठालिया ,
कोमल भौजी , कोमल भौजी
और ऊपर से मंझली ननद ने मिर्च डाली , सास को मेरे सुनाया , .
" अरे आप बहुत कहती थीं न आपकी बहु को रस्म के , गारी ,. अब ज़रा टक्कर में आने दीजिये न ,. .
मेरी सास ने मुझे इशारा किया ,. और मैंने गुड्डो को , उसके कान में कुछ बुदबुदाया , और मैं चालू हो गयी
गारी में ननदों का नाम अपने भाइयों से जोड़ कर छेड़ना बहुत जरुरी है ,
इसलिए मैंने अपनी जेठानी के भाई जो शादी में आये थे ,
अजय , मेरी ही उम्र का होगा , १७-१८ का ,
और चुन्नू जो उससे छोटा था , १६ के आसपास का ,
और अपने देवर , मिली का भाई, संजय ,.
साथ साथ मैंने अनुज का नाम जोड़ना भी ,. आखिर वही तो मेरा देवर था , जो मेरे ही शहर में रहता था ,
गाहे बगाहे कुछ भी काम होने पर ,.
और उस के साथ उस की बहन वो एलवल वाली , वही कच्ची कली , आठवें में पढ़ने वाली , इनकी छुटकी सबसे फेवरिट साली से भी सात आठ महीने छोटी लेकिन कच्चे टिकोरे उसके भी गज़ब के आ रहे थे , और भाभियों के चिढ़ाने पर उचकती भी बहुत थी , लेकिन ननद थी , वो भी सबसे छोटी और अकेली लोकल , अनुज की छोटी बहन ,. इसलिए बिना उसका नाम जोड़े तो , .
गुड्डी
सोने की थारी , रुपे की लागी बारी , सोने की थारी , रुपे की लागी बारी ,
सोलहो भोजना लै के निकरे हों , भैया अजय लाल. अरे निहुरि के करें सलामी ,
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
जउ हो अनुज लाल देबा आपन गुड्डी , देबा एलवल वाली।
अरे खूब करब मेहमानी अरे खूब करब मेहमानी
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
दिनवा में छिनरो के गाले गाले चुमबै , रतिया करब मेहरबानी ,
अरे रतिया करब मेहरबानी , अरे सीताराम को भजो ,
सोने की थारी , रुपे की लागी बारी , सोने की थारी , रुपे की लागी बारी ,
सोलहो भोजना लै के निकरे हों , भैया चुन्नू लाल. अरे निहुरि के करें सलामी ,
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
जउ हो संजय लाल देबा आपन मिली , देबा बनारस वाली।
अरे खूब करब मेहमानी अरे खूब करब मेहमानी
अरे सीताराम के भजो , अरे सीताराम को भजो ,
दिनवा में छिनरो के गाले गाले चुमबै , रतिया करब मेहरबानी ,
अरे रतिया करब मेहरबानी , अरे सीताराम को भजो ,
लेकिन मेरी सास ने ही टोका ,
" अरे बहु यहाँ की ननदें पक्की छिनार होती हैं , ( मेरी बुआ सास की ओर इशारा करके ) , हलकी मिर्च से इन्हे मजा नहीं आता जब तक परपराय नहीं ,'
मैंने खूब हिम्मत की और एक अपनी भाभी की फेवरिट सुनानी शुरू कर दी।
छोटे बुंदी वाली चोलिया गजबे बनी, छोटे बुंदी वाली,
अरे वो चोलिया पहने हमारी बांकी ननदी,
वो चोलिया पहने गुड्डी रानी , मिली रानी
वो चोलिया चमके, चोली के भीतर जोबना झलके,
मिजवावत चमके, दबवावत चमके,
अब हमारी सारी जेठानियाँ , बसंती , नाउन की बहु जम के मेरा साथ दे रही थीं
अरे छोटे घूंघर वाला बिछुआ गजब बना, छोटे घूंघर वाला,
वो बिछुआ पहने हमरे सैंया की बहना, दुलारी छिनरो,
( मैं तो मंझली और बड़ी ननद का नाम ले नहीं सकती थी , ये काम मेरी जेठानी ने किया )
अरवट बाजे, करवट बाजे, लड़िका के दूध पियावत बाजे,
अरे हमरे सैयां से रोज चुदावत बाजे,
बुरिया में लण्ड लियावत बाजे, अरे छोटे दाना वाला।
गारी की बारिश
मेरी सास खुश हो के मेरी तरफ देख रही थीं , जेठानी भी इशारा कर रही थीं , मैं रुकूँ नहीं , एक के बाद दूसरी , .
गुड्डो भी ढोलक पर भी जम कर मेरा साथ दे रही थी , बार बार मेरी ओर देख कर मुस्कराती , . और गाने में भी पूरा साथ दे रही थी। वो भी मेरी तरह बनारस वाली थी , इसलिए उसे भी ये सब गारियाँ अच्छी तरह आती थीं , .
लेकिन मुझे सबसे ज्यादा मजा आ रहा था उस लड़के के बारे में सोच सोच कर के , . जो कमरे में बंद अपनी माँ बहनों का हाल खुलासा सुन रहा था , कान पारे ,
और ये सोच के मैंने और खुल कर , . एक से एक
अरिया अरिया रईया बोवायें , बीचवा बोवायें चौरईया की वाह
अरे सागवा खोटें गयीं देवर जी क बहिनी , सगावा खोटें गयीं गुड्डी रानी
अरे भोसड़ी में गड गयी लकडिया की वाह वाह ,
अरे भोसड़ी में गड गयी लकडिया की वाह वाह ,
, अरे दौड़ा दौड़ा अनुज भइया , दंतवा से खींचा लकडिया की वाह वाह
अरिया अरिया रईया बोवायें , बीचवा बोवायें चौरईया की वाह
अरे सागवा खोटें गयीं ननदि हमारी , सगावा खोटें गयीं दुलारी रानी
अरे भोसड़ी में गड गयी लकडिया की वाह वाह ,
अरे भोसड़ी में गड गयी लकडिया की वाह वाह ,
, अरे दौड़ा दौड़ा भइया हमारे , दंतवा से खींचा लकडिया की वाह वाह
अरे दुलारी ननदी एक पग गैलिन , दू पग गइलीं ,
अरे गडिंयों में घुस गइल लकडिया की वाह वाह्
गुड्डो ने मेरे कान में कुछ फुसफुसा के याद दिलाया ,
और मैं सच में भूल ही गयी थी अपने बनारस की टिपिकल गारी को ,
गुड्डो ने एक बार फिर से ढोलक टनकायी ,
खूब जोर से और हम दोनों चालू हो गयीं ,
फिर तो मेरी जेठानियाँ भी सारी साथ ,
अगर किसी ननद का नाम मैं भूलती न , .
तो गुड्डो थी न बगल में वो याद दिला देती , आखिर सब उस की समौरिया ही तो थीं चौदह से उन्नीस वाली ,
सबसे छोटी इनकी ममेरी बहन , एलवल वाली गुड्डी , .
चिट्ठी आय गयी सहर बनारस से चिट्ठी आय गयी ,
अरे चिट्ठी आय गयी सहर बनारस से चिट्ठी आय गयी ,
अरे एलवल वाली गुड्डी के भैया , चिट्ठी पढला की ना , पढ़े जानेला की ना ,
तोहरी बहिना छिनार , अरे गुड्डी स्साली छिनार , . उन्हें चोदे हजार , ओन्हे चोदला की ना ,
अरे बुर चोदला की ना , गांड मरला की ना
( मेरी एक गाँव की जेठानी ने जोड़ा , गुड्डी बेचारी कसमसा रही थी , लेकिन गुड्डो आज मुझसे भी ज्यादा और अगली लाइन उसी ने )
चल मेरे घोड़े चने के खेत में , चने के खेत में ,
चने के खेत में बोया था गन्ना
गुड्डी रानी मिजवाय रही जोबना चने के खेत में
( अरे मिजाने मसलवाने लायक तो हो गया है पीछे से मेरी किसी जेठानी ने जोर से कमेंट पास किया लेकिन मैंने अब गाना मिली की ओर मोड़ दिया )
चने के खेत में बोई थी घूंचि , अरे बोई थी घुंची
मिली रानी दबवाय रहीं आपन दुनो चूँची , चने के खेत में ,
( गुड्डो ने मीता की ओर इशारा किया इनकी मौसेरी बहन , गुड्डो की उमर की ग्यारह में पढ़ रही थी और मैंने उसको भी लपेटा )
चने के खेत में बोई थी राई , बोई थी राई ,
अरे बोई थी राई
मीता रानी की हुयी चुदाई , अरे मीता छिनरो की हुयी चुदाई ,
चने के खेत में , अरे चने के खेत में
( लेकिन मैं तो गुड्डी के पीछे पड़ी थी , इसलिए गारी ख़तम उसी पे मैंने की )
चने के खेत में पड़ा था रोड़ा , अरे पड़ा था रोड़ा
पड़ा था रोड़ा
अरे हमरी ननदि छिनार को , गुड्डी छिनार को , एलवल वाली को ,
ले गया घोडा चने के खेत में , अरे चने के खेत में
घोंट रहीं लौंड़ा चने के खेत में ,
अब मेरी सास की आँखों में ख़ुशी की चमक थी ,जो पास पड़ोस की उनकी मण्डली की सहेलियां , बुआ सास , की ओर
और मुझे चिढ़ाती बोलीं ,
" मान गयी तुझे भी और अपनी छिनार समधन को भी , चाहे तेरे मामा के साथ सो के , चाहे तुरक पठान , कोरी चमार के साथ सो के गाभिन हुयी हों , तुझे जना हो लेकिन सही पैदा किया है ,. . "
लेकिन मौके का फायदा उठाया मेरी ननदों ने . मिली ने जोर से आवाज लगायी ,
" तभी तो हमारे भइया जाके उठा के ले आये हैं , . . "
" और दिन रात दोनों टाइम रोड रोलर चलता है , क्यों छोटी भाभी। "
मंझली ननद क्यों मौका छोड़ती ,
लेकिन सबसे खतरनाक तो दुलारी थी , खुल के बोलीं ,
" अरे आयी हैं चुदवाने , इनकी महतारी भेजी हैं चुदवाने को तो चोदी जा रहीं हैं दिन रात , तो कौन गड़बड़ है , . "
" अरे अभी तो खाली सैयां जी हैं , देवर ननदोई भी , आने दो फागुन ,. "
मेरी मंझली ननद ने जोड़ा ,
मैं बस एक छोटे से घूंघट में उन लोगों के रसीले कमेंट सुन रही थी , मुस्करा रही थी ,
देवर का तो पता नहीं , लेकिन मेरे नन्दोई नहीं छोड़ने वाले थे ये मुझे पक्का पता था।
जब हाईकॉलेज वाली मेरे बगल में ढोलक बजा रही गुड्डो को , .
और कल सुबह पक्का था मिली की बुलबुल चारा घोंटने वाली थी ,ननदोई जी का ,. .
लेकिन ननदें न , एक का सपोर्ट पाके , .
अबकी मीता भी मैदान में आगयी ,
मंझली ननद से बोली ,
" अरे दी , जहाँ से ये आयी हैं , वहां दो अभी और भी हैं ,. "
" सच में दोनों एकदम मस्त माल हैं , छोटी वाली तो तीखी मिर्च है ,. "
अब गुड्डी की भी जबान खुल गयी थी।
" अरे तो उहो दोनों चोद जइहैं , अब तो एनके मायके क कउनो बुरिया , चाहे झांट आय हो न आय हो ,
सब पे इनके ससुरार वालन क लंड का नाम लिखा हो "
दुलारी कैसे चुप रहती।
लेकिन इस बार मैं बिना बोले , दुलारी की बात से सहमत थी ,
इनकी दोनों सालियाँ , . ये बिचारे भले शर्माएं , छोड़ दें , वो दोनों नहीं छोड़ने वाली थीं ,
दोनों ने शादी के पहले ही मुझसे तिरबाचा भरवाया था , अपने मायके मैं उन दोनों के जीजा की ओर देखूंगी भी नहीं ,
बस वो दोनों ,. और आफ कोर्स उनकी सलहज।
ननदों की जुबान बंद करने का एक ही तरीका था की मैं गारी की बारिश फिर शुरू कर दूँ ,.
लेकिन तबतक जेठानी जी ने मुझे कान में इशारा किया , मैं अपनी सास को भी लपेटूँ , सास जी के कमेंट का इशारा भी यही था।
सासु जी
ननदों की जुबान बंद करने का एक ही तरीका था की मैं गारी की बारिश फिर शुरू कर दूँ ,.
लेकिन तबतक जेठानी जी ने मुझे कान में इशारा किया ,
मैं अपनी सास को भी लपेटूँ , सास जी के कमेंट का इशारा भी यही था।
मैंने मुस्कराते हुए अपनी सासु जी का पहले तो पैर छुआ और माफ़ी मांग ली ,
" आपकी समधन की समधन को ,. "
और आगे की बात उन्होंने और बुआ सास ने पूरी की , एक साथ
" अरे नहीं सुनाया तो बुरा मानेंगी ,. "
और मैं चालू हो गयी ,
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी सासु जी ने , बुआ सासु जी जी , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ पण्डे बनारस के , अरे नौ सौ गुंडे बनारस के
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी सासु जी ने , बुआ सासु जी जी , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ छैले बनारस के , अरे नौ सौ यार आजमगढ़ के
( बनारस मेरा मायका था और आजमगढ़ ससुराल , और मैंने अपनी ननद , उस एलवल वाली गुड्डी को नहीं छोड़ा )
कामदानी दुपट्टा हमारा है , कामदानी दुपट्टा ,
एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हमारी ननद छिनार ने , गुड्डी छिनार ने , एक किया दो किया साढ़े तीन किया ,
हिन्दू * किया , तुर्क पठान किया , कोरी चमार किया
अरे नौ सौ भंडुए कालीनगंज के ,
( कालीनगंज मेरे ससुराल की रंडियों का मुहल्ला था , और गारियों में ननदों को जरूर वहां से जोड़ा जाता था )
अरे नौ सौ ,. अरे गुड्डी छिनार ने , गुड्डी स्साली ने , अरे नौ सौ
( मेरी जेठानियाँ , गुड्डो मेरा साथ दे रही थीं , लेकिन मैं जान बूझ कर नौ सौ के बाद रुक जा रही थी। आखिर मेरी जेठानी ने पूछ ही लिया , नौ सौ क्या ,
और मैंने पूरा किया
अरे नौ सौ ,. अरे गुड्डी छिनार ने , गुड्डी स्साली ने , अरे नौ सौ गदहे एलवल के , अरे नौ सौ गदहे एलवल के ,
फिर तो वो हल्ला हुआ , सारी ननदों की लेकिन मंझली ननद और दुलारी बहुत खुश दुलारी बोली ,
अब मिली हैं छुटकी भौजी टक्कर की ,
असल में मेरी ननद जिस गली में रहती थीं , वहीँ ढेर सारे धोबी भी थे और गली केबाहर
दो चार गदहे हरदम बंधे रहते थे ,.
" बड़ी कैपसिटी है गुड्डी तेरी , गदहे भी , वो भी एक दो नहीं पूरे नहीं नौ सौ , . "
एक मेरी जेठानी ने छेड़ा तो मेरी जेठानी ने जोड़ा
" अरे तो क्या हुआ उसके मोहल्ले के हैं तो उसके भाई ही लगेगे न
और हमारी तो सारी ननदें अपने भाइयों से फंसी रहती हैं ,. "
मेरी सास ने मेरी बुआ सास को दिखाते हुए मुझसे कहा ,
" एकदम बहु तुम्हारी ससुराल का रिवाज ही यही , सारी की सारी ननदें , अपनी बुआ सास को देख लो ,. "
मैं मुश्किल से मुस्कान दबा रही थी और गुड्डो ने फिर से ढोलक चालू कर दी थी मैं भी चालू हो गयी
और इस बार फिर मेरे निशाने पर सासू जी थीं , और बुआ सासू , .
पर मैं अपनी चिकनी चमेली ननदों को कैसे छोड़ देती और फायदा मेरे मायके वालों का ,
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे पापा जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , . .
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे पापा जी के संग सोवन को
( सब लोग मेरे साथ गा रहे थे , रस ले ले कर , फिर मैं कुछ देर तक ,
सिर्फ गुड्डो की ढोलक ठनक रही थी , मैंने सासू जी की ओर देखा और गाने को आगे बढ़ाया )
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी सासू जी राजी रे , अरे उनकी समधन रानी राजी रे ,
( खूब हो हो हुआ , मेरे सास एकदम खुश लेकिन उन्होंने अपनी ननद इनकी बुआ की ओर इशारा किया ,
मैंने गाना आगे बढ़ाया )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे फूफा जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , . .
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे फूफा के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी बुआ सासू जी राजी रे , अरे उनकी समधन रानी राजी रे ,
( मंझली ननद मेरी बहुत मुस्करा रही थीं , जेठानी ने उनकी ओर इशारा किया और मैंने अपनी मंझली ननद को )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे जेठ जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , . .
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे जेठ जी के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को , हमारी मंझली ननदिया राजी रे ,
अरे सोवन को , संग सोवन को रात चिपकन को , टांग उठावन को , मंझली ननदिया राजी रे।
( क्यों सील अपने भइया से तोड़वा के गयी थी क्या , . एक जेठानी ने मंझली ननद को जोर से चिढ़ाया।
गुड्डो दमदार ढोलक बजा रही थी , हम लोगों तो हमारी ननदों ने एक से एक ,
लेकिन गुड्डो बची हुयी थी ,
अभी तक सूखी , दुलारी ने मुझे उसकी ओर इशारा किया और मैंने उसको भी लपेट लिया )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे देवर जी जी आंगने में आये , अरे अनुज भइया अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , . .
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को हमरे देवर के के संग,अनुज भैय्या के संग सोवन को
अरे सोवन को , संग सोवन को जोबना लुटावन को , हमारी गुड्डो राजी रे ,
( वो खूब शर्मायी और अब नंदों को भी मौक़ा मिला गया , गुड्डी , उसकी सहेली , वही एलवल वाली खूब जोर से उसने चिढ़ाया , और मैने उसका नाम भी जोड़ दिया, और किसके साथ अपने सैंया के साथ )
मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके , अरे मोती झलकै लाली बेसरिया में मोती झलके,
अरे हमारे सैंया जी जी आंगने में आये , अँगने में आये ,
अरे बैठन को , अरे बैठन को , . .
बैठन को कुर्सी ,
पीने को पानी ,
खाने को खाना ,
अरे सोवन को , अरे संग सोवन को ह
अरे सोवन को , संग सोवन को मजा लूटन को ,
टांग उठावन को जांघ फैलावन को ,
अरे रोज चोदावन को , .
( सब लोग सांस रोके इन्तजार कर रहे थे , किसका लिफ़ाफा खुलेगा , और मैंने पत्ता खोल दिया )
अरे रोज चोदावन को , एलवल वाली , अरे गुड्डी ननदी , अरे गुड्डी छिनरो राजी रे , अरे संग सोवन
ये लाइन सारी जेठानियो ने मिलकर , गुड्डी को दिखाते छेड़ते हुए कम से कम दस बार गायी।
मेरी निगाह लेकिन सिर्फ अपनी सासू और जेठानी की ओर लगी थी ,
जेठानी तो मेरी बाकी रिश्ते की जेठानियों के साथ मिलकर ननदों की ऐसी की तैसी करने में लगी थीं ,
पर मेरी सास एकदम महा खुश , कभी मेरी ओर देखतीं तो कभी मोहल्ले की औरतों की ओर , .
फिर मुझे देख कर , अपनी ननद , इनकी बुआ की ओर इशारा कर के बोलीं ,
" बहु , तुमने अपनी ननदों को तो हाल एकदम खुल्ल्मखुला , खोल खोल के सुनाया , .
लेकिन मेरी ननद को ऐसे ही सूखे सूखे सस्ते में , अपने फूफ़ा के साथ सुला के , .
अरे तेरी ससुराल में किसी ननद का काम एक दो चार यार से नहीं चलता ,. "
सासू जी और उनकी ननद ,
इनकी बूआ
मेरी सास एकदम महा खुश , कभी मेरी ओर देखतीं तो कभी मोहल्ले की औरतों की ओर , . फिर मुझे देख कर , अपनी ननद , इनकी बुआ की ओर इशारा कर के बोलीं ,
" बहु , तुमने अपनी ननदों को तो हाल एकदम खुल्ल्मखुला , खोल खोल के सुनाया , . लेकिन मेरी ननद को ऐसे ही सूखे सूखे सस्ते में , अपने फूफ़ा के साथ सुला के , .
अरे तेरी ससुराल में किसी ननद का काम एक दो चार यार से नहीं चलता ,. "
मैं समझ गयी बुआ सास की आड़ में वो खुद अपने लिए भी असली वाली , सुनना चाहती थीं।
लेकिन तभी मुझे याद आया ,
अरे ये भी तो अपने कमरे में , कान पारे हम लोगों के गाने सुन रहे होंगे , मैने मुश्किल से मुस्कराहट रोकी ,
सुनना हो तो सुने , अपनी बहनों का तो हाल खुलासा सुन ही लिया था ,
और अब अपनी अम्मा बुआ , चाची का हाल भी सुन लें ,
मुझे मालूम था की अपनी माँ बहनों का हाल सुन के इन की क्या हाल होती थी ,
कैसे कस के इनका और उस का बदला ये मेरी गुलाबो से लेंगे ,
लेना हो तो लें ,
और मैं चालू हो गयी उन्ही का नाम ले के ,
हमारे सैंया जी की अम्मा छिनार ,उनकी बुआ छिनार , उनकी चाची छिनार ,
उनकी अम्मा के , अरे उनकी बुआ के दो दो दुवार ,
एक जाए आगे , एक जाए पीछे ,. बचा नहीं कोई नउवा , कन्हार ,
कुछ आज चोदे कुछ काल चोदे , होली दिवाली दिन रात चोदे ,.
सभी सास लोग निहाल ,
एक दूसरे की ओर इशारा कर के , बहु अरे इनको काहें छोड़ दिया ,.
और मैं फिर अगली लाइन में उनको भी ,
एक गाना मुझे याद था लेकिन कुछ ज्यादा ही ,. .
और उसकी धुन भी थोड़ी अलग थी , .
जरूरत ये होती है की ढोलक बजाने वाली को वो गाना और धुन मालूम हो। मैंने गुड्डो के कान में फुसफुसाया , .
भले वो अभी दसवें में थी , लेकिन मेरी तरह वो भी बनारस वाली थी , . और मेरी तरह रतजगे और शादियों में उसकी ट्रेनिंग पूरी हो गयी थी ,
वो जोर से मुस्करायी और सर जोर जोर से हिला के उसने हामी भरी।
बस अब उसकी ढोलक टनकनी शुरू हो गयी ,
और पहली लाइन से वो मेरे साथ साथ , . .
बिना जरा भी झिझके , शरमाये
गंगा जी तुम्हरा भला करें , गंगा जी , अरे गंगा जी तुम्हरा भला करें गंगा जी ,
हमारी बुआ सासु की बुरिया तलवा जैसी , पोखरवा जैसी , इनरवा जैसी ,
ओहमें नौ सौ गुण्डे नहावा करें , डुबकी लगावा करें मजा मारा करें ,
अरे बुर हर हर होवा करे , अरे बुर हर हर होवा करे
गंगा जी तुम्हरा भला करें , गंगा जी , अरे गंगा जी तुम्हरा भला करें गंगा जी ,
हमारी सासु की बुरिया बटुलिया जैसी , पतलिया जैसी , ,
ओहमें नौ मन चावल पकाए करें , अरे उफना करे
अरे बुर भद भद होवा करे , अरे बुर भद भद होवा करे
( फिर मुझे याद आया की नन्दोई जी भी तो इनके साथ बैठ कर , कान खोले , तो उनकी अम्मा क्यों ,. . बस अपनी मंझली ननद की सास को भी )
गंगा जी तुम्हरा भला करें , गंगा जी , अरे गंगा जी तुम्हरा भला करें गंगा जी ,
हमारी नन्दोई की अम्मा की बुरिया तलवा जैसी , पोखरवा जैसी , इनरवा जैसी ,
ओहमें नौ सौ गुण्डे नहावा करें , डुबकी लगावा करें मजा मारा करें ,
अरे बुर हर हर होवा करे , अरे बुर हर हर होवा करे
गंगा जी तुम्हरा भला करें , गंगा जी , अरे गंगा जी तुम्हरा भला करें गंगा जी ,
बस मेरी सास एकदम खुश , .
देर हो रही थी ,
उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया और अपने गले की सत लड़ की माला निकाल के सीधे मेरे गले में ,
मैं झुक के उनका पैर छू लिया ,.
और सबसे ज्यादा तरफ मेरी की ,
और किसने , . जिसको मैंने सबसे ज्यादा गरियाया था , मेरी मंझली ननद और
दुलारी ने
दोनों गले मिली ,
तभी मैंने देखा की मेरे कमरे का दरवाजा खुला ,
और नन्दोई जी सीढी से निगाह बचा के नीचे ,
और साथ में मिली मेरी ननद ,
मैंने गुड्डो की बहुत तारीफ़ तो की ही
सबसे कहा भी की असली तारीफ़ तो ढोलक वाली की है ,
पर असली बात मैंने कमरे मन घुसने से पहले उससे कह दी
" थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी , तो बोल , अगली बार "