Episode 27


शावर में पिछवाड़ा

थोड़ी मस्ती , . . थोड़ी यादें

मोटे खूंटे पे रगड़ के साबुन लगाते लगाते मुझे कल रात का ध्यान आया , . रबड़ी जिस के नाम से ये चिढ़ते थे , मैंने न सिर्फ अपने अगवाड़े ही नहीं पिछवाड़े भी लगा के ,.

पहली बार इस तरह से मैंने उनसे अपना पिछवाड़ा चुमवाया , चटवाया , .

और मैंने भी तो उनके पिछवाड़े भी , .

पहली बार , किस भी और जीभ अंदर डालकर , . बहुत मजा आ रहा था उनकी तड़प देख के , ,

बस हाथ के इशारे से मैंने उन्हें निहुराया , पिछवाड़ा ऊपर , फिर ढेर सारा दोनों नितम्बों पर ,

सच में एकदम बबल बॉटम थे उनके , खूब प्यारे सेक्सी , गोरे गोरे , चिकने , और दोनों फांके एकदम अलग ,

बीच की दरार पर , . वहां पर भी मैं साबुन लगाती थी , लेकिन आज दोनों चूतड़ फैलाकर , एकदम अच्छी तरह से ,

और मेरी निगाह दुबडूबाते छेद पर पड़ी , एकदम बंद , . कल यहीं तो मैं जीभ लगा के ,

बस मैंने ढेर सारा साबुन वहां पर मला , अच्छी तरह रगड़ा , .

इन्हे तंग करने में मेरा दिमाग कुछ एक्स्टा ही तेज चलता था ,

बस मैंने इधर उधर देखा , हैण्ड शावर पर मेरी निगाह पड़ गयी ,

बस उसके नोज़ल को थोड़ा एडजस्ट किया और उसकी तेज धार सीधे ,

उसी गोल छेद पर सीधे छेद के बीचो बीच ,

साबुन तो साफ़ हुआ पानी की धार एकदम छेद के पर ,

बेचारे , . कुनमुना रहे थे , चिल्लाने लगे ,

छोडो , वो,. नहीं , क्या कर रही हो ,.

मेरे चिल्लाने पर वो छोड़ते थे क्या , जो मैं छोड़ती , . हाँ लेकिन पति की आज्ञा , मैंने हैण्ड शावर हटा दिया और उन्हें हड़काया

" बोल मत , शैम्पू मुंह में चला जाएगा " .

और शैम्पू का ढेर सारा झाग पहले तो अपने हाथ में , फिर मंझली ऊँगली में अच्छी तरह से ,

वो चुप हो गए थे ,

मेरी ऊँगली अब सीधे उसी छेद पर , और कलाई की पूरी ताकत से ,.

लेकिन सच में स्साली बहुत टाइट थी ,

पर ऊँगली में शैम्पू का झाग लगा था और मैं गोल गोल घुमा रही थी , . गोल छेद में , .

उन्हें मेरी हरकत कैसे लगरही है उसका असली थर्मामीटर उनका खूंटा था , .

खूंटा खड़ा हो तो समझ लो ,

ये बात मुझे नहीं उनकी सलहज ने नहीं , . . उनकी सास ने , .

मेरी मम्मी ने सिखाई थी ,

सबसे बड़ी पहचान , . खूंटा ,. अगर खूंटा खड़ा है समझो लड़के को मजा रहा है , भले ही वो लाख चूतड़ पटके , मना करे , .

पर खूंटा खड़ा तो उसका मन कर रहा है , . . और करो ,.

खूंटा पूरा तना, सीधे ९० डिग्री पे , .

बस दूसरे हाथ से मैंने उसपर एक बार फिर से साबुन लगाना शुरू कर दिया , एक हाथ उनके खूंटे पर दूसरा उनके पिछवाड़े ,

ऊँगली का प्रेशर , . और मैं जोर जोर से मुस्कराने लगे , .

सच में ,.

शादी में सबसे पहले उनको गाली इसी को ले कर पड़ रही थी , खास तौर से जो सलहज , सास गरिया रही थीं ,

दूल्हा साला गंडुवा है , दूल्हा साला भंडुवा है ,

और कोहबर में तो हद हो गयी थी , .

यह बात मैंने शादी की रात ही समझ ली , . ये लड़का मेरे नाम पर , मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाएगा , .

बस उनकी सास , सलहज ने उनसे कोहबर में जो जो हो सकता था सब कुछ करवाया , कहवाया , सिर्फ मेरे नाम पे ,

और ये ट्रिक मेरी बुआ की थी

कोहबर में इनके घुसते ही वो बोलीं ,

देखो कोहबर में हमारे यहाँ सब रस्म करते ढाई तीन घंटा लगता है , अगर दूल्हे ने सब कुछ जैसे जैसे कहा जाय वो करे तो , . .

अगर हाँ नहीं किया , तो देर होगी ,. और तुम्हारी विदाई का टाइम साढ़े छः बजे का है , ठीक पौने सात बजे शुक्र डूब जाएगा ,

फिर छह महीने तक विदाई की साइत नहीं निकलेगी , तो समझ लो ,

गर आज इसे अपने साथ लेजाना हो तो बस जैसे कहा जाय , जो पुछा जाय , सब कुछ सच सच , . जरा भी देर हुयी न तो बस कोहबर में तो वही होगा जो हम सब चाहेंगे , . . भले शाम हो जाए , .

पर दुल्हन की विदाई न हो पायेगी , .

मैं घूँघट में भी बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोक पायी , साथ मेरी भाभियाँ बहने सहेलियां भी ,

बिचारे का चेहरा एकदम उतर गया था , एकदम उदास ,

उन्होंने मेरी मम्मी की ओर देखा तो मम्मी भी ,

मम्मी उनका बाल सहलाते बोलीं ,

" बेटा बुआ सही कह रही हैं , शुक्र की बात में हम तुम क्या कर सकते हैं , लेकिन कोहबर तो साली , सलहज , सास का , .

तो बस जैसे सब कह रहे हैं करते जाना , पौने तीन बज रहा है , साढ़े पांच तक कोहबर का काम ख़त्म हो जायेगा , उसके बाद यहीं से , सीधे मांडव में सवा छह तक विदाई हो जाएगी , वरना , मुहूर्त तो , . "

बिचारे ,

ऊपर से मेरी मौसी भी , मम्मी से बोलीं ,

"अरे , छह महीने बाद क्यों , अगर आज विदायी नहीं होती है , तो गौना रख दो , . दो साल का "

उनकी हालत और ख़राब ,

मेरी सारी बहने , भौजाइयां समझ गयीं कोहबर की पहली बाजी उन्होंने जीत ली ,

जो रगड़ाई करनी हो कर लें , कुछ भी उनके ना नुकुर करने पर यही उन्हें बोलना होगा , जीजू देर होने पर विदायी नहीं हो पाएगी ,

विदायी मेरी साढ़े छह बजे नहीं , छह बजे ही हो गयी ,

सब जगह कोहबर में होता है यहाँ भी होता है लेकिन अक्सर दुलहा मना कर देता है ,

मेरी , मेरी बहनों , भौजाइयों की जितनी नयी पुरानी चप्पलें सैंडल होती है ,

उसे एक जगह इकठ्ठा कर के , ढँक के कुछ बनाया गया था ,

और मौसी बोलीं ,

" भैया , ये तेरी ससुराल की सबसे बड़ी देवी हैं , झुक के इनसे मांग लो , इनसे मांग लोगे तो तेरी हर इच्छा पूरी होगी , "

जरूर इनके घर में समझाया गया होगा , ये न करने के लिए , पर वो झुक गए ,

लेकिन मेरी बुआ बोलीं ,

"ऐसे नहीं , सर एकदम जमीन पर लगाओ , और पिछवाड़ा पूरा ऊपर उठाओ , फिर हिलना मत , "

पीछे से मेरी गांव की एक भाभी ने जोड़ा

" अरे जैसे गांड मरवाते समय घोड़ी बनते होगे न , एकदम वैसे ही ,. "

इन्होने पिछवाड़ा और ज्यादा और ऊपर उठा लिया , बस तो फिर हंसी के मारे सब की हालत ख़राब ,

" देख मैं कह रही थी न तेरे नन्दोई बचपन के गांडू हैं , बचपन से गांड मरवाते हैं "

मेरी मौसी ने रीतू भाभी से कहा ,

" अरे तो एहमें नन्दोई की कौन गलती है , इतने चिकने है कउनो लौण्डेबाज क मन आ गया होगा ,

और इनकी माँ बहन सब का मन रखती हैं , तो इन्होने भी रख लिया तो क्या ,

अभी देखो , इनकी जो बहनें आयी हैं बारात में , कउनो गन्ने के खेत में , अरहर में घरातियों के लड़कों क मन रख रही होंगी। "

कोई मेरी भाभी बोलीं , और मैं मुश्किल से अपनी मुस्कराहट छिपा रही थी।

जिन बुआ ने सबसे पहले शुक्र वाली कहानी फैला आयी थीं , अब खुल के उनके नितम्ब सहलाने लगी , और सीधे बीच के दरार में ऊँगली डाल के रगड़ने लगी , और इन्ही से पूछ लिया ,

" अरे सलहज लोगन क बात में मत पड़ा , साफ़ साफ बोला , . कुल देवी के आगे झुके हो अगर इनके सामने झूठ बोले न तो बहुत पाप पडेगा , बोलो साफ साफ़ गांड मरवाई है की नहीं

डरो मत कोहबर की बात कोहबर में ही रहती है। जल्दी करो नहीं तो शुक्र डूब जाएंगे ,"

बुआ ने सबसे चुप रहने का इशारा किया , और मुझे कस के आँख मारी ,

वो तो झुके हुए थे , उन्हें कुछ दिख नहीं रहा था , . पहले तो कुछ देर झिझके ,

लेकिन बुआ ने एक बार शुक्र का डर दिखाया तो बोले ,

" नहीं , . "

बुआ ने कस के उनके पिछवाड़े ऊँगली दबायी और बोला ,

" साफ़ साफ़ बोला , नहीं तो ई जउन तोहार सलहज हैं न , सीधे पैंट सरका के , चूतड़ नंगा कर के ऊँगली डाल के चेक कर लेंगी , देर अलग हो जायेगी "

अब वो घबड़ाये , धीमे से बोले

" नहीं मरवाया। "

" अरे साफ साफ बोल क्या नहीं मरवाया , वरना ,. "

पीछे से एक भौजी मेरी बोलीं ,

" अरे बुआ अतनी देर में तो हम पैंट खोल कर चेक कर लेते , आप जरा सा बटन खोल के ढीली करो , मैं आती हूँ , "

बुआ ने बटन पर हाथ ही रखा था , . की वो बोल पड़े ,

" नहीं नहीं , मैंने नहीं मरवाई , . गाँड़ कभी नहीं मरवाई। "

बुआ ने विजयी मुस्कान की तरह इनकी सलहज सालियों की ओर देखा ,

तब तक रीतू भाभी भी आगयीं इनकी बगल में , हंस के झुक के इनके गाल सहलाते बोलीं ,

" तो नन्दोई जी , पिछवाड़ा तोहार कोरा हौ , चलो मान लिया , . . ई मत कहना की अगवाड़े से भी अभी कोरे हो "

ये बात तो मुझे पहले दिन ही पता चलगयी थी , जब उन्होंने मुझे सबसे पहले देखा था , २४ घंटे तो इन्हे मेरा नाम पता करने में लग गए थे ,

उतनी देर में इनके साथ के लड़कों में से कितनो ने दो दो राउंड , . इनके बस का नहीं था ये सब। "

और इन्होने कबुल कर लिया , हाँ आगे से भी कोरे हैं।

पीछे से मेरी एक बड़ी बहन की आवाज आयी ,

" यार कोमलिया तेरी बड़ी मुसीबत है , तुझे इनकी आगे पीछे दोनों ओर की नथ उतारनी पड़ेगी , "

" आगे वाली तो मेरी ननद आज उतार देगी इनकी , और पीछे वाली ,. जब अगली बार ससुराल आएंगे न तो हम लोग किस मर्ज की दवा हैं , . "

रीतू भाभी बोलीं , तब तक कोई और बोला ,

" और क्या , इनके ससुराल में एक से एक लौण्डेबाज है , उनका फायदा हो जाएगा , . "

" और क्या जैसे जीजू की बहने इस समय हमारे भाइयों का फायदा करा रही होंगी "

छुटकी जो अबतक चुप थी मैदान में आ गयी। कोहबर की बात याद आते ही , मैंने पूरी ताकत से अपनी कलाई का पूरा जोर लगा के ,

गच्चाक ,

गप्प

इतनी जोर से , . साबुन शैम्पू लगाने के बाद ,.

उसके बाद भी एक पोर भी ऊँगली पूरी नहीं घुसी , . और जितना घुसी वही अंड़स गयी ,

वो बड़े जोर से चीखे , मेरे ऊपर कोई फरक नहीं पड़ा , बस घुसी ऊँगली मैं गोल गोल घुमाने लगी , और उन्हें हड़काया ,

" अरे जरा अंदर तक साफ़ करने दो , . "

आखिर कल मेरी जीभ वहीँ तो सेंध लगा रही थी ,

कुछ देर तक तक उन्हें तंग करने , छेड़ने के बाद मैं उन्हें खींच के ले गयी शावर के नीचे और एक बाद जब उनका शैम्पू साफ़ हो गया ,

तो बस अब तंग करने का उनका नंबर था , आज वो भी मेरे पिछवाड़े के पीछे पड़े थे , शावर के नीचे , एक हाथ उनका मेरे जोबन और दूसरा मेरे नितम्बों पर , और सबसे बढ़ कर वो मोटा बदमाश भी मेरे पीछे के पीछे पड़ गया था ,

ये नहीं था की शावर में मैं पहले नहीं चुदी थी , . .

शावर में

ये नहीं था की शावर में मैं पहले नहीं चुदी थी , . .

जब मेहमान चले गए थे , फिर हम दोनों को कोई जल्दी नहीं होती थी ,

हर दूसरे तीसरे ये शावर में मेरा बाज़ा बजा देते थे ,

कभी शावर में ही

तो कभी बाथ टब के सहारे झुका के , .

और बाथरूम भी था कितना बड़ा , .

छोटे मोटे बैडरूम से बड़ा , बड़ा सा शावर का एरिया , कर्टेन ,. .

और बाथ टब तो इतना बड़ा , हम दोनों आराम से साथ साथ न सिर्फ नहा लेते थे बल्कि ' बाकी सब कुछ भी ' एकदम आराम से ,

आदमकद शीशे में 'सब कुछ ' दिखता था ,

जब मैं जिस दिन उतरी थी इस घर में , एक मेरी गाँव की जेठानी थी , उन्होंने सब के सामने खुल कर सीख दे दी थी ,

" देख तू आयी है चुदवाने , तेरे घरवालों ने भेजा है चुदवाने ,. तो अब शरम लिहाज की उमर गयी , मजे ले के मस्ती से चोदवाओ "

और मैंने उनकी सीख गांठ बाँध ली ,

और पहली मुलाकात में ही मैंने तय कर लिया था , जो इस लड़के को अच्छा लगेगा , .

लेकिन ये लड़का भी न , इसे सिर्फ एक चीज पसंद थी ,

मैं , .

चौबीसो घंटे , सातों दिन , . .

और जब मैं पास में होती थी तो बस उसका सिंगल प्वाइंट प्रोग्राम ,

मन तो मेरा भी उसके पास आते ही करने लगता था , लेकिन , इस लड़के में एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम भी थी ,

वो अपनी परवाह एकदम नहीं करता था ,

मैं अगर ध्यान न दूँ तो जनाब उलटी शर्ट पहन के निकल जाएँ , मैंने एक दो बार कहा भी तो उलटे उसी ने मुझे पर , बोला

" उस के लिए तुम हो तो ,"

एक दिन मैंने जेठानी जी से भी कहा , तो वो भी यहीं बोलीं ,

" तुझे किस लिए लायी हूँ , . "

वही बात शावर में भी हुयी , मन तो उनका बहुत कर रहा था , फिर मैंने उन्हें छेड़ा भी कितना था , 'सु सु ' करते समय , उनके पिछवाड़े ऊँगली करके ,.

पर मैं जानती थी एक बार तो , और वहीँ शावर के नीचे , . .

हम दोनों की देह में साबुन लगा था और फिर सटासट सटासट ,

पहले तो मैं नहीं नहीं करती रही पर उसके बाद , मैं भी धक्के का जवाब धक्के से ,

कुछ देर तक तो खड़े खड़े , फिर वहीँ शावर के नीचे निहुराकर ,

लेकिन गलती मेरी ही थी ,

झड़ने के बाद मैं वहीँ शावर में चूम चूम कर चूस कर उसे साफ़ करने लगी और खूंटा फिर खड़ा और ये बाथरूम में ही फिर एक राउंड के मूड में

लंड एकदम तन्नाया , फनफनाया , . देख के मेरा मन गीला हो रहा था , .

पर ,

मैंने कहा न उनकी हर बात की जिम्मेदारी मेरी ,

अब सोचिये कल ब्रेकफास्ट के बाद इस लड़के ने कुछ खाया नहीं था ( थोड़ी सी रबड़ी जो मैंने खिलाई थी उसकी तो चौगुनी मलाई निकलवा ली थी ),. . फिर साढ़े चार बजे बनारस से इनकी फ्लाइट थी , तीन बजे पहुंचना होगा ,

आजमगढ़ से कम से कम ढाई घंटे लगता था ,

मतलब साढ़े बारह बजे के पहले इन्हे निकलना चाहिए , . उसके पहले खाना , .

फिर मेरी सासू जी और जेठानी भी कुछ देर तो इनसे बात करेंगी , साढ़े ग्यारह , . बस चार साढ़े चार घंटे बचे होंगे , . यहाँ से निकल कर नीचे जाकर कुछ नाश्ता बना के लाऊँ ,. इसे तो मैं मिल जाऊं बस ,.

उन्होंने कोशिश की पर मैंने टाल दिया , उसी मोटे खूंटे को पकड़ कर उन्हें शावर से बाहर निकाल के लायी ,

" हे बहुत चयास लग रही है , चल पहले चाय पिला , बहुत दिन होगये तेरे हाथ की चाय पिए "

" पर चाय के बाद ,. . " वो भी न , . . उन्हें तो

और मैंने प्रॉमिस कर दिया , . " हाँ मिलेगा , मिलेगा , . अब वो एलवल वाली तो इत्ती सुबह आएगी नहीं , . "

मैं भी जानती थी , ये लड़का छोड़ेगा नहीं , पर अभी तो ,.

और टॉवल लेके उन्हे पोंछने लगी , रगड़ रगड़ कर , पर क्या करूँ , उन्हें देख के बिना शरारत किये मेरे हाथ नहीं मानते थे ,

उसपर से उनके बबल बॉटम , चिकने , वहां रगड़ते पोंछते , मैंने एक ऊँगली में टॉवेल लपेट कर , सीधे उनके पिछवाड़े वाले छेद में , अंदर डाल के रगड़ रगड़ के

" हे इसे भी साफ साफ़ रखो , क्या पता इस चिकने को कहीं ,. "

हम दोनों वापस बेडरूम में टॉवल पहने निकल आये

और सीधे वैसे ही साथ लगे किचनेट में , वो चाय बनाते रहे , और मैं उन्हें छेड़ती रही , कभी उस एलवल वाली का नाम ले ले के , तो कभी उनके पिछवाड़े को ले के , कोहबर की बातें याद दिला के , .

चाय पीते समय लेकिन मैं एकदम घबड़ा गयी ,

मेरी निगाह घड़ी पर गयी और मुझे एक बात भी याद आगयी। ,

साढ़े सात बज रहे थे ,

किचेन

हम दोनों वापस बेडरूम में टॉवल पहने निकल आये और सीधे वैसे ही साथ लगे किचनेट में ,

वो चाय बनाते रहे ,

और मैं उन्हें छेड़ती रही ,

कभी उस एलवल वाली का नाम ले ले के ,

तो कभी उनके पिछवाड़े को ले के , कोहबर की बातें याद दिला के , .

चाय पीते समय लेकिन मैं एकदम घबड़ा गयी ,

मेरी निगाह घड़ी पर गयी और मुझे एक बात भी याद आगयी। ,

साढ़े सात बज रहे थे ,

और मैं रोज इस समय , इनके ट्रेनिंग पर जाने के बाद से , किचेन में होती थी , .

जेठानी के हाथ की बनी चाय पीती , उन्हें छेड़ती रात का हाल चाल पूछती ,

और जेठानी जी किचेन में पहुँच गयी होंगी , . अगर मैं थोड़ी देर में नहीं पहुंची तो ,.

क्या पता वो ऊपर आ जाएँ और हम दोनों , इस हालत में , .

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