Episode 29


सेल्फी

फिर अचानक मुझे छोड़ कर वो उठे और बोले , मैं भी न कितना बुद्धू हूँ। और बाथरूम में भागे , जहाँ उनके कपडे मैंने टाँगे थे

लौटे तो उनकी हाथ में एक आई फोन था , लेटेस्ट मॉडल।उईईई ,. . मैं जोर से चीखी , .

अभी इसी हफ्ते तो ये मॉडल मार्केट में आया था ,

लेटेस्ट कैमरा , बेस्ट सेल्फी और अँधेरे में भी फ़ोटो ,.

वो मुझे देते उससे पहले मैंने उनसे छीन लिया , .

" कल मैं देना भूल गया , तेरे लिए ,. "

वो झिझकते शर्माते बोले

मैंने चूम कर उनके होंठ बंद करा दिए , , थोड़े देर तक हम दोनों बिस्तर पर गुत्थमगुथा , और एक दूसरे को चूमते चूसते रहे , .

और जब हम दोनों के होंठ छूटे तो , मैंने उन्हें छेड़ा ,

" देना तो भूल गए थे लेकिन लेना नहीं भूले ,. "

" वो तो मैं कभी नहीं भूल सकता , . " वो हँसते हुए बोले और एक बार फिर उनके होंठ ,. और कहाँ मेरे किशोर जोबन पर , . चुसूर चुसूर , .

मैंने उन्हें धक्का देकर गिरा दिया और अब मैं ऊपर थी , हाँ मेरे निप्स अभी उनके होंठों के बीच ,

" अगर भुलोगे भी न तो मैं याद दिला दूंगी , . बल्कि पटक के तेरी ले लुंगी ,. "

अब मैं भी थोड़ी थोड़ी बोल्ड हो गयी थी।

फिर मैंने एक बार और छेड़ा उन्हें , और किसका , . .

अपनी ननदिया का नाम ले कर , .

" और अब तो तुझे अपने बचपन के माल की भी लेनी है , है न , .

बहुत छनाछनाती रहती है , उसकी याद तो मैं तुझे हरदम दिलाती रहूंगी , . बलि ये खूंटा पकड़ कर तेरी बहिनिया की बिलिया में , मैं खुद सटाउंगी। "

गुड्डी का नाम लेते ही वो एकदम से शर्मा जाते थे , . और बात बदलने में तो वो एकदम एक्सपर्ट थे , . तो उन्होंने बात बदल दी।

आई फोन तो था ही उनके पास बात बदलने के लिए , और मैं भी बेताब थी , समझने के लिए ,

बस एक एक फंक्शन , कम लाइट में कैसे खीचेंगे , व्हाट्सऐप ,.

फिर हम दोनों ने ढेर सारे ऐप डाउनलोड किये , .

उन्होंने मेरी पिक भी खींची , और सीधे अपने फोन पे ,

बात भले वो कर रहे थे लेकिन एक हाथ उनका मेरे उभार को पकडे हुए था , .

सोते जागते , उनका एक हाथ एकदम वहीँ रहता , . और जब बिचारे अपनी माँ बहनों के पास रहते , तो मन मसोस कर , .

लेकिन तभी भी , चोरी चोरी , चुपके चुपके , . साडी ब्लाउज के अंदर , . मेरी चोली छुपे उभारों पर , .

और मैं भी उन्हें चिढ़ाते छेड़ते , बीच बीच में अपना आँचल ढलका देती ,.

जिस तरह उनका हाथ हरदम मेरे जोबन पर चिपका रहता था , उसी तरह अब मेरी उँगलियाँ भी ,. एकदम बेशरम ,.

सीधे उनके खूंटे पर , .

और उस समय भी सोते हुए वो प्यारा सा , मेरी मुट्ठी में ,.

अगर वो मेरे जोबन रगड़ते मसलते तो मैं भी उसे मुठियाना शुरू कर देती ,.

आधे घंटे से भी ज्यादा हम दोनों चिपके ,

जैसे बच्चे नए खिलौने को देख कर उससे चिपके रहते हैं हम दोनों भी , .

एक एक फंक्शन , पहले उन्होंने मेरी पिक फिर मैंने उनकी ,

लेकिन जब सेल्फी की बात आयी , मैंने एकदम मना कर दिया ,

असल में उनकी संगत में मैं भी अब उन्ही के रंग में हो गयी थी , एकदम बेशरम

" तुम बहोत गंदे हो , अभी थोड़ी देर में चले जाओगे , . मैं तेरे साथ सेल्फी नहीं खिंचाऊंगी , . कम से कम फर्स्ट सेल्फी ,. "

मैं झटक के उनसे दूर हो गयी।

उनकी कुछ समझ में नहीं आया , . बोले तो ,.

" इसके साथ खिंचवाऊंगी ,. "

सेल्फी मेरी , . . उनके उसकी

लेकिन जब सेल्फी की बात आयी , मैंने एकदम मना कर दिया ,

असल में उनकी संगत में मैं भी अब उन्ही के रंग में हो गयी थी , एकदम बेशरम

" तुम बहोत गंदे हो , अभी थोड़ी देर में चले जाओगे , . मैं तेरे साथ सेल्फी नहीं खिंचाऊंगी , . कम से कम फर्स्ट सेल्फी ,. "

मैं झटक के उनसे दूर हो गयी।

उनकी कुछ समझ में नहीं आया , . बोले तो ,.

" इसके साथ खिंचवाऊंगी ,. "

जोर जोर से उनके खूंटे को मुठियाती बोली , . और उनके हाथ से आई फोन ले कर , .

मैं जोर से मुठिया रही थी , एक झटके में मैंने सुपाड़ा भी खींच कर खोल दिया , .

जैसे बेसबरा दुलहा पहली रात को अपनी दुलहन की चोली ब्रा खोलकर , उसके गदराये उभारों को ,.

मेरी ऊँगली सुपाड़े के पी होल पर , .

और पहली सेल्फी मैंने खींच ली , . उसी के साथ , फिर तो दर्जन भर ,

उस मोटे मुस्टंडे की भी , खुले हुए सुपाडे का क्लोज अप ,. लिक करते हुए ,.

सिर्फ तन्नाए भूखे , बेसबरे मोटे मूसल का , .

मुठियाते हुए ,.

दर्जन भर से ऊपर ,.

उनके साथ भी सेल्फी खींची , लेकिन अब सेल्फी खींचने की बारी उनकी थी ,.

पर थोड़ी देर में मेरी निगाह घड़ी पर पड़ीं और मैं चीख उठी ,

पौने दस ,

पौने ग्यारह बजे खाने के लिए नीचे जाना था ,

और इन्हे तैयार होना था , . जिसकी फ़िक्र इन्हे एकदम नहीं थी ,. पहले दिन से ही इनके सब काम की जिम्मेदारी मेरी , .

बिस्तर पर मेरे कपडे ये उतारते थे , लेकिन बाकी टाइम मैं ,.

सिर्फ कपडे निकाल के देने की जिम्मेदारी मेरी नहीं थी , .

इस लड़के का बस चले तो दस दिन तक एक ही शर्ट पेंट पहने , कुछ भी अपना ख्याल नहीं करते थे ,

लेकिन अच्छी बात ये थी मैं जैसे तैयार करती थी , जो कहती थी , सब चुपचाप अच्छे बच्चे की तरह , .

जैसे किसी बच्चे को कॉलेज जाने के लिए तैयार करते हैं न बस एकदम उसी तरह , मैं भी उन्हें ,.

यहाँ तक की उनका बाल झाड़ने का भी , .

एक दिन तो मारे शरारत के , . मैंने उनकी मांग सीधी काढ़ दी ,. लड़कियों की तरह ,

वैसे भी वो इतने गोरे चिट्ठे थे , एकदम चिकने , . और खूब ,. क्या कहूं , . . इनकी ससुराल में तो ,.

मेरी भाभियाँ मुझे चिढ़ाती भी थीं , .

बस आगे वाला निकाल के दो अंगुल का छेद बना दो , और ऊपर दो गेंद चिपका दो , .

किसी भी लौंडिया से ज्यादा मस्त लगेंगे , .

कोहबर में तो और भी ज्यादा ,.

इनकी सलहज ,.

और उससे भी ज्यादा इनकी सास ने कबुलवाया था ,.

सकपकाते हुए उन्होंने बता भी दिया , . पिछवाड़ा एकदम कोरा है उनका ,.

बिचारे एकदम बुद्धू ,.

और लेकिन उनकी भी गलती क्या दूँ , मैं तो उनसे सटी गाँठ जोड़े बैठी थी , .

उन्हें साफ़ साफ बता दिया गया था की अगर किसी भी सवाल का जवाब उन्होंने तुरंत नहीं दिया तो बस ,.

मेरा गौना रख दिया जाएगा , दो साल तक इन्हे इन्तजार करना पडेगा , .

बस मेरे नाम पर तो कोई कुछ भी करा ले इनसे , .

हाँ तो मैं कह रही थी ,.

मैंने इनकी मांग सीधी काढ़ दी , और एक बिंदी अपनी लेकर इनके माथे पर चिपका दी , फिर इनका मुंह शीशे के सामने , .

बस इनका मुंह मारे शरम के ऐसा लाल हो गया जैसे किसी ने ईंगुर पोत दिया हो , .

इत्ता मजा आया मुझे , झट से मैंने इन्हे चूम लिया और हड़काया भी , .

" सुन लो , अगले सात जनम तक तो यही हिसाब रहेगा , तुम मेरे साजन , मैं तेरी सजनी ,. लेकिन कान खोल कर सुन लो , आठवें जन्म के लिए मैंने अभी से सेटिंग करा ली है , तू मेरी दुल्हन होगा , और ऐसी रगड़ाई करुँगी न तुम्हारी ,. सातों जनम का हिसाब एक ही जन्म में चुकता कर लुंगी , सूद के साथ। "

बिंदी तो मैंने निकाल ली , लेकिन दिन भर मांग उसी तरह ,.

कपडे वपड़े वो लाये नहीं थे , सिर्फ एक लैपी का बैग , अपनी लैपी ,. और जो कपडे वो पहन के आये थे , आने के दस मिनट के अंदर के फर्श पर पड़े थे ,

मैंने कबर्ड से इनके कपड़े निकाले , शर्ट पैंट , चड्ढी बनयान , सब कुछ ,

ये अभी सिर्फ टॉवेल लपेटे थे , .

ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठकर , इन्हे बैठाकर अच्छी तरह तैयार किया , नाख़ून हफ्ते भर से नहीं कटे थे , वो भी ,.

इनके लैपी के बैग में इनका टिकट , पर्स में कार्ड , पैसा सब कुछ ,. लेकिन कपड़ा पहनाते समय ये अड़ गए ,.

एक बार और ,.

पर तब तक मैं भी साडी ब्लाउज , ब्रा सब पहन चुकी थी , .

और घड़ी मैडम दस बजा रही थीं ,

" अरे यार अभी तो ,. फिर तेरी फ्लाइट ,. सासु जी भी ,. खाने की देर हो जायेगी ,. "

मैंने दस बहाने बनाये , पर इनकी इस बात की जिद के आगे मैं भी हार जाती थी , .

वो मेरी सब बात मान लेते थे पर , इस बात पर ,.

और सच बोलूं तो मन तो मेरा भी करता था , .

बहुत करता था , इनसे कम नहीं करता था ,. पर

मैं थोड़ी सी ढीली पड़ी और उन्होंने वहीँ ड्रेसिंग टेबल के सामने ही

स्टूल पकड़ कर मैं झुक गयी और ये पीछे से ,

एक बार और ,

इनके लैपी के बैग में इनका टिकट , पर्स में कार्ड , पैसा सब कुछ ,. लेकिन कपड़ा पहनाते समय ये अड़ गए ,.

एक बार और ,.

पर तब तक मैं भी साडी ब्लाउज , ब्रा सब पहन चुकी थी , . और घड़ी मैडम दस बजा रही थीं ,

" अरे यार अभी तो ,. फिर तेरी फ्लाइट ,. सासु जी भी ,. खाने की देर हो जायेगी ,. "

मैंने दस बहाने बनाये , पर इनकी इस बात की जिद के आगे मैं भी हार जाती थी , . वो मेरी सब बात मान लेते थे पर , इस बात पर ,.

और सच बोलूं तो मन तो मेरा भी करता था , . बहुत करता था , इनसे कम नहीं करता था ,. पर

मैं थोड़ी सी ढीली पड़ी और उन्होंने वहीँ ड्रेसिंग टेबल के सामने ही

स्टूल पकड़ कर मैं झुक गयी और ये पीछे से , .

सब कुछ ड्रेसिंग टेबल के शीशे में दिख रहा था ,

मैं ना ना करती रही ,

लेकिन ये लड़का सुनने वाला था क्या ,

और इस लड़के को क्यों ब्लेम करूँ , मेरी अपनी देह भी कहाँ अब अपनी थी , .

ऊपर से इस लड़के की उँगलियाँ , हथेली , होंठ ,.

कभी वो मेरी फैली जाँघों के बीच हाथ डालकर मेरी गुलाबो को मसल देता ,

तो कभी गच्चाक से एक ऊँगली जड़ तक चूत में ठेल देता ,

दूसरा हाथ तो इतने कस कस के मेरे जोबन को दबोचे हुए था , कभी रगड़ता तो कभी मसलता ,. .

कभी निपल्स को फ्लिक कर देता , .

दो चार मिनट में ही मैं एकदम गीली हो गयी , मेरे जोबन पथरा गए थे , चिड़िया फुदक रही थी , मैं सिसक रही थी ,

और बस यही मन कर रहा था , . ये लड़का पेल दे , ठेल दे , .

शीशे में उसका तन्नाया एकदम खड़ा बौराया मूसल मैं देख रही थी।

और वो सिर्फ मेरे भगोष्ठों पर रगड़ रगड़ , घिस घिस कर के मुझे और पागल कर रहे थे ,

मैं भी पागल हो रही थी , और शीशे में ' उसे ' देख कर और मन कर रहा था ,

मेरे मन की बात उनसे ज्यादा कौन समझता , . बस

उन्होंने ठेल दिया , एक करारा धक्का , और पूरा का पूरा सुपाड़ा अंदर ,

फिर पिछली चुदाई की मलाई एकदम अंदर तक , और उससे बढ़िया वैसलीन क्या होती ,

झट से अंदर चला गया ,

लेकिन न आज ये रुकने के मूड में थे न मैं ,

तेजी से चलती घडी का अहसास इन्हे भी था और मुझे भी , बस आधे घंटे का समय था हम दोनों के पास , .

फिर क्या तूफानी चुदाई की उन्होंने ,

और साथ मैं भी दे रही थी , आधे घंटे तक उनके धक्के एकदम रुके नहीं , साथ में मैं भी कमर हिलाकर , धक्के का जवाब पीछे दे कर ,

शीशे में साफ़ साफ़ दिख रहा था केसे उनका मोटा लंड ,

मेरी चूत फाड़ता फैलाता अंदर बाहर हो रहा था ,

पूरे आधे घंटे तक ,.

हम दोनों साथ साथ और जैसे ही वो झड़े ,.

मैं कटे पेड़ की तरह गिर पड़ी , पांच मिनट तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे , फिर मैं ही उठी पहले

जल्दी से ब्रा , ब्लाउज पहना , फिर पेटीकोट और साडी , .

ससुराल में जबतक ये रहते मैंने पैंटी पहनना बंद कर दिया था ,

क्या पता कब इनका मन कर जाए , फिर तो कहीं भी , कभी भी ,

निहुरा के ,

लिटा के ,

टाँगे उठा के , फैला के ,.

और ये भी अबतक अपनी चड्ढी बनियान जो मैंने निकाली थी , पहन ली थी।

फिर मैंने उन्हें शर्ट पेंट दी , मोज़े पहनाने का काम मेरा ही था ,

कितनी बार ये दोनों पैरों में अलग अलग रंग के मोज़े पहन लेते थे , नाक तो मेरी कटती न। बेल्ट लगाने का काम भी मेरा था ,

और साथ में मैंने एक बार फिर पैंट के ऊपर से ही उसे दबोच कर रगड़ दिया , आखिर चोली के ऊपर से मेरे उभारों को मसलने का ये कोई मौका नहीं छोड़ता था

एक मिनट के लिए मेरा मन दुःखी हो गया , .

कैसे कटेंगे अब ये पांच दिन ,. ये तो लग गया था की अब ये लड़का हर सैटरडे को आ जाएगा ,

लेकिन पांच दिन मैं जानती थी , पांच युग हो जायेंगे ,. मैंने किसी तरह अपने को रोका , मेरे चेहरे पर लेश मात्र दुःख की छाया भी ,.

और इस लड़के को पता चल जाता ही था और मुझसे भी सौ गुना ज्यादा , .

और मैं नहीं चाहती थी की इस लड़के पर दुःख की छाया भी पड़े ,.

पौने ग्यारह बजने ही वाले थे , इन्होने अपना सामान उठाया ( सामान क्या था , बस इनकी लैपी )

और मैंने नाश्ते की प्लेटों की ट्रे ,. और हम दोनों नीचे ,

जेठानी जी नीचे टेबल सेट कर रही थीं।

उन्होंने जेठानी जी के पैर छूने का उपक्रम किया पर उनकी भाभी ने उन्हें गले से लगा लिया और कस के कान ऐंठे ,

" चोर , आधी रात को , . " कस के छेड़ा उन्होंने।

लंच

जेठानी जी नीचे टेबल सेट कर रही थीं।

उन्होंने जेठानी जी के पैर छूने का उपक्रम किया पर उनकी भाभी ने उन्हें गले से लगा लिया और कस के कान ऐंठे ,

" चोर , आधी रात को , . "

कस के छेड़ा उन्होंने।

मैं क्यों मौका छोड़ती , मैं भी बोली ,

" नहीं दी , डाकू ,. "

पर मेरी बात बीच में कट गयी , और काटने वाली और कोई नहीं मेरी सासू माँ , . वैसे तो इनके और मेरे बीच वो हमेशा मेरा ही साथ देती थीं , लेकिन कभी कभी मुझे छेड़ने का मौका वो भी नहीं छोड़ती थीं ,

" उन्ह , डाका तो उस दिन डाला था , जिस दिन तुझ तेरे घर से लूट के लाये थे , . "

हँसते हुए वो बोलीं और खाने की टेबल पर वो उनका डाकू बेटा बैठ गए , सामने मैं और मेरी जेठानी ,

और बातें , . जो माँ बेटे में बात होती है , ख़ास तौर से , . मेरे यहाँ

कितने दुबले हो गए , ट्रेनिंग में खाना ठीक से नहीं मिलता क्या , .

पर जेठानी मेरी , . मेरी जांघ पर कस के चिकोटी काटते अपने देवर को चिढ़ाया ,

" हाँ एकदम सही कह रही हैं आप तभी तो , ये भूखा बिचारा , वीकेंड पर भूख मिटाने यहाँ आ गया क्यों भूख मिटी की नहीं ,. "

अब शर्माने की उनकी बारी थी ,

और मेरी सास की बेशरम निगाहें ,

मेरे चिकने गालों पर , लो कट ब्लाउज से झांकते उभारो पर अपने अपने डाकू बेटा के दांतों नाख़ून के निशान देख रही थीं ,

हलके हलके मुझे देख कर मुस्करा रही थीं ,

देख वो मुझे रही थीं पर उनका हाथ अपने बेटे के सर पर सहलाते , दुलराते बोलीं ,

" ठीक तो किया , बेटा हर वीकएंड पर आ जाया करो , घर के खाने की बात और ही है , . "

मैं समझ रही थी वो किस घर के खाने की बात कर रही है , उनके बेटे ने आने के बाद पूरे छह बार जीमा था वो घर का खाना , चार बार रात में दो बार सुबह सबेरे

मन तो मेरा भी यही कह रहा था की वो आ जाया करें , पर जेठानी और सास के सामने मेरी बोलने की कुछ हिम्मत नहीं हो रही थी ,

मेरे मन की बात मेरी सासू ने कह दी और ऊपर से मेरी जेठानी उनकी भाभी भी ,

" एकदम , लेकिन आधी रात को नहीं थोड़ा पहले , जरा खाना पीना पहले शुरू हो जाएगा , . "

वो मुस्करायीं , मेरी सास मुस्करायी और ये झेंप गए , .

मेरे कुछ कहने की जरूरत नहीं थी , उनकी भाभी और माँ थी उन्हें ठूंस ठूंस कर खिलाने को , .

वैसे भी ६ राउंड के बाद तो खाने पीने की उन्हें जरूरत भी थी ,

पर मेरी जेठानी ,. कोई भी भाभी देवर को बिना छेड़े , .

और जिस बात को ले कर मैं उन्हें रात भर छेड़ रही थी ,

जिसका नाम लेने पर पर उनका सोता खूंटा , लोहे का खम्भा हो जाता था , . वही बात उन्होंने छेड़ दिया , और वो भी बहुत सीरियसली ,

वही एलवल वाली , दर्जा ८ वाली ,

" अगली बार पहले से बता देना न तो कोई एक और है जो तुमसे मिलने के लिए बेताब है , पहले से बोल के रख दूंगी उसे , . "

अबकी मेरी सास समझ नहीं पायी , उनके मुंह से निकल गया ,

"कौन , .

ये भी बड़े ध्यान से अपनी भौजी को देख रहे थे ,

मैं तो समझ रही थी , मुश्किल से अपनी मुस्कान रोक पा रही थी , .

" और कौन इनका पुराना माल , . रोज तो पूछती थी , भैया कब आएंगे , . "

जेठानी उनकी थाली में जबरदस्ती और चावल डालती बोलीं ,

और अब मेरी सास , मेरी जेठानी और मैं सब एक साथ हो गए , . मैं बोली

" दी , पुराना माल , एकदम नया तो है , अभी तो ,. "

मैं रुक गयी और बात जेठानी ने पूरी की

" अरे बीच में क्यों रुक गयी , पूरा बोल बोल न अभी तो उसके कच्चे टिकोरे आ रहे हैं , . लेकिन मेरे देवर का तो पुराना ही माल है न , . "

मेरी जेठानी मुझसे बोलीं लेकिन इशारा उनके देवर ही थे ,

और सासू जी भी मेरी ओर से बोलीं ,

" अरे अब तो ये हर शनिचर की शाम को आएगा , . उसमें पूछने की क्या बात है , . "

" तो दी अगले संडे को बुला लीजियेगा न इनके आप क्या कह रही थीं , . इनके पुराने माल को ,. भेंट मुलाक़ात हो जायेगी। "

मैं भी उस हमले में शामिल हो गयी और अब सीधे उनसे बोली

" दी एकदम सही कह रही हैं , एक हफ्ते के अंदर तीन बार आयी थी वो हर बार यही पूछती थी , भैया कब आएंगे ,. "

" अरे तो उसका भी मन करता होगा न , . नयी नयी जवानी आ रही है , . चलो अबकी बता दूंगी मैं बस संडे को आ जाना , . "

मेरी जेठानी ने और नमक मिर्च छिड़का।

लेकिन तब तक उनके मोबाइल पर टिंग टिंग हुआ , मैंने खोल कर देखा , और जोर से मुस्करा पड़ी ,

जेठानी ने मेरी मुस्कान पकड़ ली , और बोली , . इनके माल का मेसेज है क्या , .

" नहीं नहीं एक विज्ञापन है " मैंने फोन बंद करते हुए कहा , और जोड़ा ,

" घबड़ाइये मत , अगली बार वो पक्का मिलेगी , . मैं और दी दोनों बुलाएंगी आपके माल को , . "

और जेठानी से जोड़ा ,

" दी मेसेज से न इनका काम चलेगा न उसका "

" एकदम , मेसेज नहीं अगले हफ्ते सीधे मसाज , मालिश रगड़ घिस , . " हँसते हुए वो बोलीं।

खाना ख़तम हो गया था , मैंने अपने पैर से उनके पैर पर ठोकर मार कर इशारा किया , लेकिन सास मेरी बिना उन्हें रसगुल्ला खिलाये , . तब तक टैक्सी वाले का भी मेसज आ गया था , वो पांच मिनट में पहुँच रहा है , .

हम लोग जो उठे तो ११. ३५ हो रहा था , उन्हें पौने बारह तक निकल ही जाना था , पर मैंने बोल दिया ,

" टिकट शायद ऊपर ही रह गया है , . "

वो भी एकदम बुद्धू बिना मेरी बात समझे , बोले मोबाइल में है न , पर मैं बोली ,

" एक बार ऊपर देख लीजिये न ,. "

सच में एकदम से मूढ़मगज , लड़कियों का इशारा एकदम उनके समझ में नहीं आता था , तभी तो उनकी नथ उतारने का काम मुझे करना पड़ा ,.

" तुम देख आओ न , . "

वो अपनी माँ से बात करने में , लेकिन मेरी सासू ने अब उन्हें हड़काया ,

" बहु ठीक तो कह रही है , अभी टाइम है , जाके देख लो , बहु तुम भी जाके चेक कर लो , इसे तो अब तक तुम भी जान गयी होगी , . कोई काम इसके बस का नहीं। "

हम दोनों सीढ़ी से ऊपर चढ़ रहे थे की मैंने सासू जी की आवाज मिमिक करते बोला ,

" तुम्हारे बस में कुछ भी नहीं है , सिवाय एक काम के ,. "

और उनका मोबाइल खोल के वही मेसेज जो खाने के समय आया था उन्हें दिखा दिया ,

वो ख़ुशी से उछल पड़े ,

एयरलाइन का मेसज था , . बनारस से उनकी फ्लाइट ४५ मिनट लेट थी , मतलब मेरे साथ ४५ मिनट और ,.

उनका बस चलता तो वही सीढी पर , .

लेकिन मैंने किसी तरह , और कमरे में घुसते ही ,.

लेकिन इस बार कमान मैंने अपने हाथ में ले ली , मैं जानती थी उनका बल चला तो मुझे पलंग पर पटक कर वो चालू हो जाएंगे ,

मन तो मेरा भी यही कह रहा था , पर टिकट ढूंढने में इतना टाइम तो लग नहीं सकता था ,

फिर नीचे टैक्सी भी आ गयी थी और वो दस मिनट बाद हल्ला मचाना शुरू कर देती और साथ ही में इनकी माँ और भौजाई भी , .

तो बस

कमरे में उन्हें रोक कर मैं घुटनों के बल बैठ गयी और शरारत से उनके ज़िप के ऊपर से अपने कोमल कोमल हाथों से रगड़ने लगी ,

" हे टिकट , . "

वो अभी तक खेल अच्छी तरह समझ नहीं पाए थे ,

" बुद्धू वहीँ हैं जहाँ मैंने रखा था , तेरे पर्स में और पर्स पैंट की बायीं जेब में , . सिम्पल "

लिप सर्विस

एयरलाइन का मेसज था , . बनारस से उनकी फ्लाइट ४५ मिनट लेट थी , मतलब मेरे साथ ४५ मिनट और ,.

उनका बस चलता तो वही सीढी पर , . लेकिन मैंने किसी तरह , और कमरे में घुसते ही ,.

लेकिन इस बार कमान मैंने अपने हाथ में ले ली ,
Next page: Episode 30
Previous page: Episode 28