Episode 30
मैं जानती थी उनका बल चला तो मुझे पलंग पर पटक कर वो चालू हो जाएंगे , मन तो मेरा भी यही कह रहा था ,
पर टिकट ढूंढने में इतना टाइम तो लग नहीं सकता था ,
फिर नीचे टैक्सी भी आ गयी थी और वो दस मिनट बाद हल्ला मचाना शुरू कर देती और साथ ही में इनकी माँ और भौजाई भी , .
तो बस
कमरे में उन्हें रोक कर मैं घुटनों के बल बैठ गयी और शरारत से उनके ज़िप के ऊपर से अपने कोमल कोमल हाथों से रगड़ने लगी ,
" हे टिकट , . "
वो अभी तक खेल अच्छी तरह समझ नहीं पाए थे ,
" बुद्धू वहीँ हैं जहाँ मैंने रखा था , तेरे पर्स में और पर्स पैंट की बायीं जेब में , . सिम्पल "
और उसके बाद मेरे मुंह के पास बात करने के अलावा भी बहुत से काम थे ,
मेरे होंठ पैंट में उनके उभर रहे बल्ज पर कस के मैंने चुम्मी ली , होंठों से रगड़ा , और तम्बू में बम्बू एकदम खड़ा हो गया , .
मेरे होंठों ने उनकी ज़िप खोली और टाइम कम था ,
इसलिए साथ में उनकी बेल्ट खींच कर नीचे कर दी,
और अब मोटा तन्नाया खड़ा खूंटा , सीधे चड्ढी फाड़ते हुए , .
खूब बदमाश लग रहा था उतना ही प्यारा भी ,
बस मेरे होंठों ने चड्ढी के ऊपर से ही उसे गप्प कर लिया , लगी चुभलाने चूसने ,.
अब मैं समझ गयी थी की उनके नितम्ब भी कम सेंसिटिव नहीं हैं ,
और मेरे दोनों हाथ उनके पिछवाड़े , पहले तो चड्ढी के ऊपर ही दबाते सहलाते , फिर हलके हलके मैंने सिर्फ पीछे चड्ढी सरका दी ,
और मेरी उँगलियाँ उनके नितम्बो पर कभी सुरसुरी करतीं तो कभी छेड़ती , .
असर सामने पड़ रहा था , खूंटा एकदम तन्नाया , बेसबरा , बेक़रार , .
पर मैं चड्ढी के ऊपर से चूस चूस कर के उसकी हालत और ख़राब कर रही थी।
तड़पे ,
अगले पांच दिन तो मैं भी तड़पने वाली थी इसके लिए , .
और फिर मेरे होंठों ने आगे से भी चड्ढी पकड़कर नीचे खींचा , लेकिन बस थोड़ा सा ,
मोटे मूसल का बस बेस दिख रहा था ,
और अब मेरी उँगलियों ने वहां हलके हलके सहलाना सुरसुरी करना शुरू कर दिया , .
और दांतों से पकड़ कर चड्ढी थोड़ा और ,
आधे से ज्यादा , ' वो ' खुल गया था , पर मैंने अब उसे खोलना छोड़ दिया ,
होंठ भी हटा दिए और अब ढेर सारे छोटे छोटे चुम्बन उनकी जाँघों पर , एकदम खूंटे के ठीक नीचे चारो ओर ,
वो जोर से सिसक रहे थे , आंखे उनकी बंद हो चुकी थीं ,
और मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था , . एक झटके से मैंने अपने हाथ से चड्ढी सरका कर घुटने तक , पैंट के साथ ,
फटा पोस्टर निकला हीरो ,
मेरा बित्ते भर का,
मेरी कलाई से भी मोटा ,
मेरा हीरो बाहर , एकदम ९० डिग्री पर , सुपाड़ा थोड़ा खुला थोड़ा बंद ,
दुल्हन का घूँघट हटाने का हक़ तो मेरा ही था ,
बस होंठों से बहुत हलके से दबाया ,
और धीरे धीरे होंठों के जोर से सुपाड़े का चमड़ा खोल दिया ,
मोटा , मांसल , मस्त सुपाड़ा ,
जिसने पहली रात को मेरी फाड् के रख दी थी ,. और जिसके बारे में सोच सोच के मैं पनिया जाती थी , .
लेकिन अभी मैं उसे तंग करना चाहती थी ,
मैंने होंठ हटा लिए और मेरी जीभ ,
सिर्फ जीभ की टिप , सुपाड़े के बीचोबीच, छेद पर , पी होल पर ,
जैसे जीभ की टिप से मैंने उसे चोद देना चाहती होऊं ,
खूब खूब कस कस के सुरसुरी ,
और मेरी कोमल कोमल उँगलियाँ भी मैदान में आ गयीं , .
नहीं नहीं , उनके तड़पते खूंटे को न छुआ न पकड़ा , . बस मेरे नाख़ून
मेरे लम्बे पेंटेड नाख़ून कभी उनके बॉल्स को तभी कभी जांघो को , .
एकदम हालत खराब थी उनकी , .
इसलिए मेरी जीभ ने लेवल और आगे बढ़ाया और अब पूरे खुले मोटे सुपाड़े पर ,
सपड़ सपड़ , घूम घूम के सिर्फ सुपाड़े पर चाटती ,
सच्च में इसके स्वाद की अब मैं दीवानी हो गयी थी ,
पर उनकी हालत ख़राब हो रही थी , बोले , .
" हे लो न अंदर ,. "
वो तो मैं लेती ही , उनके कहने की जरूरत नहीं थी ,
पर जब उन्होंने कह दिया तो मैं उन्हें और तड़पाने , छेड़ने में लग गयी
एक हाथ से कस के उनकी बॉल्स को पकड़ कर दबाने लगी , दूसरे हाथ से उनके पिछवाड़े के आलमोस्ट सेंटर पर
और जीभ बस सुपाड़े पर लपड़ सपड़ , रस ले ले कर ,.
' लो न , चुसो , . न , . '
उनकी हालत खराब हो रही थी ,
और अबकी मेरे होठ सुपाड़े से हट गए , एक हाथ से मैंने उनके लंड के बेस को पकड़ लिया था और उन्हें देखते ,
उनकी आँखों में आँख डाल कर , मुस्कराते बोली
" लेकिन अगली बार जब आओगे न , तो तेरे उस माल से चुसवाऊँगी , . "
वो कुछ नहीं बोले ,
हाँ आंखे उन्होंने खोल दी ,
मैंने फिर छेड़ा ,
" अरे वही तेरे उस माल से , दर्जा आठ वाली , एलवल वाली ,.
बोल चुसवाओगे न उस अपने माल से , . "
" ठीक है , लेकिन अभी तो तू ,. ले न मुंह में ,. "
वो बोले और यही तो मैं सुनना चाहती थी उनके मुंह से ,
" ओके पक्का न , तो अगली बार गुड्डी रानी चूसेंगी इसे , . लो "
मैं हंस के बोली और मेरा मुंह बंद हो गया ,
उन्होंने मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया था ,
और मैं मुँह खोल कर उनका सुपाड़ा अंदर ले ही रही थी की उन्होंने एक करारा धक्का मारा ,
जैसे किसी कुँवारी की सील तोड़ रहे हो , अपनी उस बहिनिया की झिल्ली फाड़ रहे हों ,
और पूरा सुपाड़ा एक बार में मेरे मुंह में ,
गप्पाक,
" ओके पक्का न , तो अगली बार गुड्डी रानी चूसेंगी इसे , . लो "
मैं हंस के बोली और मेरा मुंह बंद हो गया ,
उन्होंने मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया था ,
और मैं मुँह खोल कर उनका सुपाड़ा अंदर ले ही रही थी की उन्होंने एक करारा धक्का मारा , जैसे किसी कुँवारी की सील तोड़ रहे हो ,
अपनी उस बहिनिया की झिल्ली फाड़ रहे हों ,
और पूरा सुपाड़ा एक बार में मेरे मुंह में ,
गप्पाक,
और अब मेरी हालत ख़राब हो रही थी ,
जो मैं इतने देर से उन्हें तड़पा रही थी छेड़ रही थी , सूद सहित मुझे उसका बदला मिल रहा था ,
वो कस के मेरा सर पकडे अपना बीयर कैन ऐसा मोटा लंड मेरे मुंह में ठेल रहे थे , पेल रहे थे , धकेल रहे थे ,
मेरा गाल फूला हुआ था , मेरी आँखे बाहर को निकली पड़ रही थी , मेरे मुंह से खाली गों गों की आवाज निकल रही थी ,
लेकिन मैं भी अपने साजन की सजनी थी ,
बस अगले पल ही , उनके धक्के के साथ साथ ,
मेरी जीभ नीचे से उनके सुपाड़े को चाट रही थी , मेरे होंठ कस के उस मोटे खूंटे से रगड़ रगड़ रहे थे ,
और मैं कस कस के चूस रही थी
मेरे दोनों हाथ भी अब मैदान में आ गए थे , एक जो लंड के बेस पर था , अब कस के लंड को मुठिया भी रहा था
और दूसरा प्यार से उनके बॉल्स को सहला रहा था ,
अभी भी दोनों हाथो से उन्होंने मेरे सर को कस के , झुक के पकड़ रखा था ,
पर अब उनका जोर कम हो गया था , धक्के मारने भी उन्होंने बंद कर दिया था ,
आधे से ज्यादा , ६-७ इंच खूंटा अंदर था ,
और अब कमान मेरे हाथ में थी , .
मैं खुद मुंह अंदर बाहर कर रही थी , आलमोस्ट सुपाड़ा तक बाहर कर , फिर धीरे धीरे , आलमोस्ट पूरा ,.
और मेरे गुलाबी टीनेजर रसीले होंठ ,
लंड पर रगड़ते दरेररते , घिसते , साथ में मेरी नाचती उछलती जीभ नीचे से उस चर्मदण्ड पर ,
और कस के मैं चूस रही थी ,
और मेरी आँखे उनकी आँखों में झाँक कर जैसे बार बार याद दिला रही थीं , जो मैंने उनसे कबुलवाया था
ये मोटा खूंटा ,
उस कच्ची कली , नए नए कच्चे टिकोरों वाली के मुंह में , .
बिलबिलायेगी , चीखेगी , लेकिन अगर एक बार खूंटा मुंह में धंस गया न मेरी ननदिया के ,
उस एलवल वाली के , . बस ,
ये सोच सोच के मैंने चूसने की रफ्तार बढ़ा दी , और
शायद ये भी वही सोच रही थी , वो कच्ची किशोरी कैसे उनका मस्त खूंटा अपने मुंह में लेगी , और बस ,
सर तो उन्होंने पकड़ ही रखा था , बस एक से एक करारे धक्के , .
और उनका सुपाड़ा मेरे हलक तक , .
एक बार तो लगा मेरी साँस रुक जायेगी , जबरदस्त गैग रिफ्लेक्स
लेकिन धीरे धीरे मैंने अपने ऊपर कंट्रोल किया , . पहली बार तो मैं उनका पूरा घोंट नहीं रही थी , लेकिन हर बार , वही , . .
कुछ देर बाद मैं नार्मल हुयी और फिर तो खूब कस कस के मैं चूस रही थी , चाट रही थी ,
जड़ तक लंड वो ठूंसे हुए थे , पूरा बित्ते भर का मेरे अंदर था , आलमोस्ट बॉल्स तक ,
दो मिनट ,
चार मिनट , और
थोड़ा प्रेशर उन्होंने हलका किया और मैंने मुंह धीरे धीरे बाहर किया ,
मेरे गाल थके लग रहे थे , गले में भी लगता था कुछ छिल गया , .
अब सिर्फ सुपाड़ा मेरे मुंह के अंदर था , गाल की मसल्स को कुछ आराम मिल रहा था ,
मैं मजे से सुपाड़े को चूस रही थी , चुभला रही थी , .
पर सिर्फ सुपाड़े से न इनका मन भरने वाला था न मेरा , .
बस एक बार फिर धीरे धीरे मैंने प्रेस करना शुरू कर दिया , और अपने गले के , बाड़ी के पूरे जोर से
अबकी बिना इनके धक्के के , मैंने पूरा घोंट लिया , एक मिनट पूरा घोंट के मैं चूस रही थी , फिर हलके हलके सुपाड़े तक बाहर ,
और कुछ देर बाद फिर अंदर ,.
तब तक नीचे से इनकी भौजाई की आवाज आयी
टिकट मिला की नहीं , .
मेरा तो मुँह फंसा था , वही बोले , हाँ अभी मिला है बस आ रहे हैं हम लोग ,
और मैंने चूसने की रफ़्तार बढ़ाई ,
मेरी निगाह घडी रानी पर पड़ी , .
पंद्रह मिनट हो गए थे मुझे चूसते , पर
इस स्साले मेरे साजन में एक बड़ी गड़बड़ थी , . क्विकी भी इसकी ३० मिनट से कम टाइम नहीं लेती थी ,
और इधर मेरे गाल की मसल्स थक रही थीं , .
लेकिन मेरे पास कोई एक हथियार था क्या , . मैंने झट से अपने ब्लाउज के बटन खोले , फिर फ्रंट ओपन ब्रा का हुक , .
मेरे दोनों जोबन , ३४ सी , बाहर ,
जोबन का जोर
इस स्साले मेरे साजन में एक बड़ी गड़बड़ थी , .
क्विकी भी इसकी ३० मिनट से कम टाइम नहीं लेती थी ,
और इधर मेरे गाल की मसल्स थक रही थीं , .
लेकिन मेरे पास कोई एक हथियार था क्या , . मैंने झट से अपने ब्लाउज के बटन खोले , फिर फ्रंट ओपन ब्रा का हुक , .
मेरे दोनों जोबन , ३४ सी , बाहर ,
और अब खूंटा उनके बीच में ,
अपनी दोनों मांसल रसीली गदरायी चूँचियों को पकड़ के मैं उनके लंड को चोद रही थी ,
नहीं मेरे होंठ खाली नहीं बैठे थे ,
कुछ पल में ही एक बार फिर , सुपाड़ा मेरे मुंह में था ,
और वो मेरी चूँची चोद रहे थे
मैं उनका लंड चूस रही थी ,
मस्ती से हम दोनों की हालत ख़राब थी ,
जब वो मोटा मूसल मेरी दोनों चूँचियों को रगड़ते दरेरते घिसटते निकलता , बता नहीं सकती कितना मज़ा आ रहा था
पर कुछ देर में सुपाड़ा चूसते एक बार फिर मैंने आधे से ज्यादा लंड घोंट लिया और मुख मैथुन जोर से स्टार्ट हो गया ,
वो मेरे सर को पकड़ के कस कस के धक्के ऐसे मार रहे थे जैसे मैं लंड नहीं चूस रही होऊं ,
वो मेरे मुंह को चोद रहा हो , बुर समझ के ,.
लेकिन तब तक नीचे से आवाज आयी , . अबकी मेरी सासू माँ थी
" अरे वो टैक्सी वाला हल्ला कर रहा है ,. "
२२ मिनट ,. घडी रानी ने सूचना दी , . और मैं बिना उन्हें झाड़े छोड़ने वाली नहीं थी , पर टाइम भी ,.
मुझे याद आया एक वो अच्छी वाली फिल्म मैंने देखी थी , . और नेट पर भी पढ़ा था ,.
नहीं नहीं ये ट्रिक इनकी सलहज ने नहीं सिखाई थी , .
ये मेरी माँ , इनकी सास ने बताई समझायी थी ,
जब मेरी शादी पक्की हुयी उसी दिन ,
और फिर जब मेरी विदायी हो रही थी , एक बार फिर से इनकी सास ने ,.
रोते हुए भी मुझे हंसी आ गयी , इनकी सास भी न
मेरी एक ऊँगली इनके पिछवाड़े पर थी ही , एकदम सेंटर पर ,
गच्चाक ,
अपनी कलाई की पूरी ताकत से मैंने पेल दिया , . .
दो धक्का और अबकी जड़ तक ऊँगली इनकी गांड में
गोल गोल मैं घुमा रही थी और साथ में मूसल कस के चूस रही थी
गोल गोल घुमाते मिल गया मैंने जो पढ़ा था ,
प्रोस्ट्रेट , . मर्दो का जादुई का बटन ,.
और मैंने वहां दबाना , मालिश करना , रगड़ना शुरू कर दिया ,
असर दो मिनट में हो गया ,
मूसल एकदम जड़ तक मेरे गले तक मेरे मुंह में धंसा था , . और मेरी ऊँगली भी जड़ तक इनके पिछवाड़े ,
दूसरे हाथ से कस कस के मैं मूसल को उसके बेस पर दबा दबा के मुठिया भी रही थी
उनकी देह एकदम ढीली पड़ने लगी ,
लंड एकदम कड़ा , . और फट गया ज्वालामुखी , सीधे मेरे मुंह में , . बल्कि गले में
सफ़ेद मलाई की फुहार , सीधे मेरे गले में , गले से पेट में
मेरी पकड़ भी ढीली हो गयी थी पर प्रोस्ट्रेट को रगड़ना मैंने कम नहीं किया था ,
उनकी हालत एकदम खराब थी ,.
और जब खूंटा बाहर निकला , .
२५ मिनट ,.
लेकिन मैं एक बात भूल गयी थी , ये डबल बैरेल गन थी , एक बार में खाली नहीं होती
और जब दूसरी बार फुहार निकली तो सीधे मेरे चेहरे पर ,
गाढ़ी थक्केदार दही मेरे चेहरे पर लिपी पोती , .
मैंने झट से साडी ठीक की , बलाउज के बटन बंद किये , ब्रा के हुक भी
और इन्होने अपनी पैंट ऊपर चढ़ा ली , .
लेकिन तब तक नीचे से फिर गुहार आ गयी
मैं शीशे में अपना चेहरा देख रही थी , चेहरा दिख नहीं रहा था , सिर्फ इनकी रबड़ी मलाई ,.
वो बदमाश लड़का देख देख के मुस्करा रहा था ,
मैं कौन कम थी , मैं भी उसे देख के मुस्करायी , .
और न तो साफ़ करने का टाइम था न मैं साफ़ करना चाहती थी , . .
बस चेहरे पर अच्छी तरह फैला लिया ,
सास जेठानी देखें तो देखे ,
आखिर उन्ही का लड़का देवर है , और वही तो गयी थीं मुझे लाने ,.
सच में टैक्सी वाला हल्ला कर रहा था , बाबतपुर ( बनारस के एयरपोर्ट ) से उसे कोई और सवारी पिक करनी थी ,
टैक्सी चली गयी उन्हें लेकर , मैं देर तक वहीँ चुप चाप खड़ी रही ,
साजन गए परदेस
लेकिन तब तक नीचे से फिर गुहार आ गयी
मैं शीशे में अपना चेहरा देख रही थी , चेहरा दिख नहीं रहा था , सिर्फ इनकी रबड़ी मलाई ,.
वो बदमाश लड़का देख देख के मुस्करा रहा था ,
मैं कौन कम थी , मैं भी उसे देख के मुस्करायी , .
और न तो साफ़ करने का टाइम था न मैं साफ़ करना चाहती थी , . .
बस चेहरे पर अच्छी तरह फैला लिया ,
सास जेठानी देखें तो देखे , आखिर उन्ही का लड़का देवर है , और वही तो गयी थीं मुझे लाने ,.
सच में टैक्सी वाला हल्ला कर रहा था , बाबतपुर ( बनारस के एयरपोर्ट ) से उसे कोई और सवारी पिक करनी थी ,
टैक्सी चली गयी उन्हें लेकर , मैं देर तक वहीँ चुप चाप खड़ी रही ,
पर टिकट ढूंढने में इतना टाइम तो लग नहीं सकता था ,
फिर नीचे टैक्सी भी आ गयी थी और वो दस मिनट बाद हल्ला मचाना शुरू कर देती और साथ ही में इनकी माँ और भौजाई भी , .
तो बस
कमरे में उन्हें रोक कर मैं घुटनों के बल बैठ गयी और शरारत से उनके ज़िप के ऊपर से अपने कोमल कोमल हाथों से रगड़ने लगी ,
" हे टिकट , . "
वो अभी तक खेल अच्छी तरह समझ नहीं पाए थे ,
" बुद्धू वहीँ हैं जहाँ मैंने रखा था , तेरे पर्स में और पर्स पैंट की बायीं जेब में , . सिम्पल "
और उसके बाद मेरे मुंह के पास बात करने के अलावा भी बहुत से काम थे ,
मेरे होंठ पैंट में उनके उभर रहे बल्ज पर कस के मैंने चुम्मी ली , होंठों से रगड़ा , और तम्बू में बम्बू एकदम खड़ा हो गया , .
मेरे होंठों ने उनकी ज़िप खोली और टाइम कम था ,
इसलिए साथ में उनकी बेल्ट खींच कर नीचे कर दी,
और अब मोटा तन्नाया खड़ा खूंटा , सीधे चड्ढी फाड़ते हुए , .
खूब बदमाश लग रहा था उतना ही प्यारा भी ,
बस मेरे होंठों ने चड्ढी के ऊपर से ही उसे गप्प कर लिया , लगी चुभलाने चूसने ,.
अब मैं समझ गयी थी की उनके नितम्ब भी कम सेंसिटिव नहीं हैं ,
और मेरे दोनों हाथ उनके पिछवाड़े , पहले तो चड्ढी के ऊपर ही दबाते सहलाते , फिर हलके हलके मैंने सिर्फ पीछे चड्ढी सरका दी ,
और मेरी उँगलियाँ उनके नितम्बो पर कभी सुरसुरी करतीं तो कभी छेड़ती , .
असर सामने पड़ रहा था , खूंटा एकदम तन्नाया , बेसबरा , बेक़रार , .
पर मैं चड्ढी के ऊपर से चूस चूस कर के उसकी हालत और ख़राब कर रही थी।
तड़पे ,
अगले पांच दिन तो मैं भी तड़पने वाली थी इसके लिए , .
और फिर मेरे होंठों ने आगे से भी चड्ढी पकड़कर नीचे खींचा , लेकिन बस थोड़ा सा ,
मोटे मूसल का बस बेस दिख रहा था ,
और अब मेरी उँगलियों ने वहां हलके हलके सहलाना सुरसुरी करना शुरू कर दिया , .
और दांतों से पकड़ कर चड्ढी थोड़ा और ,
आधे से ज्यादा , ' वो ' खुल गया था , पर मैंने अब उसे खोलना छोड़ दिया ,
होंठ भी हटा दिए और अब ढेर सारे छोटे छोटे चुम्बन उनकी जाँघों पर , एकदम खूंटे के ठीक नीचे चारो ओर ,
वो जोर से सिसक रहे थे , आंखे उनकी बंद हो चुकी थीं ,
और मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था , . एक झटके से मैंने अपने हाथ से चड्ढी सरका कर घुटने तक , पैंट के साथ ,
फटा पोस्टर निकला हीरो ,
मेरा बित्ते भर का,
मेरी कलाई से भी मोटा ,
मेरा हीरो बाहर , एकदम ९० डिग्री पर , सुपाड़ा थोड़ा खुला थोड़ा बंद ,
दुल्हन का घूँघट हटाने का हक़ तो मेरा ही था ,
बस होंठों से बहुत हलके से दबाया ,
और धीरे धीरे होंठों के जोर से सुपाड़े का चमड़ा खोल दिया ,
मोटा , मांसल , मस्त सुपाड़ा ,
जिसने पहली रात को मेरी फाड् के रख दी थी ,. और जिसके बारे में सोच सोच के मैं पनिया जाती थी , .
लेकिन अभी मैं उसे तंग करना चाहती थी ,
मैंने होंठ हटा लिए और मेरी जीभ ,
सिर्फ जीभ की टिप , सुपाड़े के बीचोबीच, छेद पर , पी होल पर ,
जैसे जीभ की टिप से मैंने उसे चोद देना चाहती होऊं ,
खूब खूब कस कस के सुरसुरी ,
और मेरी कोमल कोमल उँगलियाँ भी मैदान में आ गयीं , .
नहीं नहीं , उनके तड़पते खूंटे को न छुआ न पकड़ा , . बस मेरे नाख़ून
मेरे लम्बे पेंटेड नाख़ून कभी उनके बॉल्स को तभी कभी जांघो को , .
एकदम हालत खराब थी उनकी , .
इसलिए मेरी जीभ ने लेवल और आगे बढ़ाया और अब पूरे खुले मोटे सुपाड़े पर ,
सपड़ सपड़ , घूम घूम के सिर्फ सुपाड़े पर चाटती ,
सच्च में इसके स्वाद की अब मैं दीवानी हो गयी थी ,
पर उनकी हालत ख़राब हो रही थी , बोले , .
" हे लो न अंदर ,. "
वो तो मैं लेती ही , उनके कहने की जरूरत नहीं थी ,
पर जब उन्होंने कह दिया तो मैं उन्हें और तड़पाने , छेड़ने में लग गयी
एक हाथ से कस के उनकी बॉल्स को पकड़ कर दबाने लगी , दूसरे हाथ से उनके पिछवाड़े के आलमोस्ट सेंटर पर
और जीभ बस सुपाड़े पर लपड़ सपड़ , रस ले ले कर ,.
' लो न , चुसो , . न , . '
उनकी हालत खराब हो रही थी ,
और अबकी मेरे होठ सुपाड़े से हट गए , एक हाथ से मैंने उनके लंड के बेस को पकड़ लिया था और उन्हें देखते ,
उनकी आँखों में आँख डाल कर , मुस्कराते बोली
" लेकिन अगली बार जब आओगे न , तो तेरे उस माल से चुसवाऊँगी , . "
वो कुछ नहीं बोले ,
हाँ आंखे उन्होंने खोल दी ,
मैंने फिर छेड़ा ,
" अरे वही तेरे उस माल से , दर्जा आठ वाली , एलवल वाली ,.
बोल चुसवाओगे न उस अपने माल से , . "
" ठीक है , लेकिन अभी तो तू ,. ले न मुंह में ,. "
वो बोले और यही तो मैं सुनना चाहती थी उनके मुंह से ,
" ओके पक्का न , तो अगली बार गुड्डी रानी चूसेंगी इसे , . लो "
मैं हंस के बोली और मेरा मुंह बंद हो गया ,
उन्होंने मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया था ,
और मैं मुँह खोल कर उनका सुपाड़ा अंदर ले ही रही थी की उन्होंने एक करारा धक्का मारा ,
जैसे किसी कुँवारी की सील तोड़ रहे हो , अपनी उस बहिनिया की झिल्ली फाड़ रहे हों ,
और पूरा सुपाड़ा एक बार में मेरे मुंह में ,
गप्पाक,
" ओके पक्का न , तो अगली बार गुड्डी रानी चूसेंगी इसे , . लो "
मैं हंस के बोली और मेरा मुंह बंद हो गया ,
उन्होंने मेरा सर अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया था ,
और मैं मुँह खोल कर उनका सुपाड़ा अंदर ले ही रही थी की उन्होंने एक करारा धक्का मारा , जैसे किसी कुँवारी की सील तोड़ रहे हो ,
अपनी उस बहिनिया की झिल्ली फाड़ रहे हों ,
और पूरा सुपाड़ा एक बार में मेरे मुंह में ,
गप्पाक,
और अब मेरी हालत ख़राब हो रही थी ,
जो मैं इतने देर से उन्हें तड़पा रही थी छेड़ रही थी , सूद सहित मुझे उसका बदला मिल रहा था ,
वो कस के मेरा सर पकडे अपना बीयर कैन ऐसा मोटा लंड मेरे मुंह में ठेल रहे थे , पेल रहे थे , धकेल रहे थे ,
मेरा गाल फूला हुआ था , मेरी आँखे बाहर को निकली पड़ रही थी , मेरे मुंह से खाली गों गों की आवाज निकल रही थी ,
लेकिन मैं भी अपने साजन की सजनी थी ,
बस अगले पल ही , उनके धक्के के साथ साथ ,
मेरी जीभ नीचे से उनके सुपाड़े को चाट रही थी , मेरे होंठ कस के उस मोटे खूंटे से रगड़ रगड़ रहे थे ,
और मैं कस कस के चूस रही थी
मेरे दोनों हाथ भी अब मैदान में आ गए थे , एक जो लंड के बेस पर था , अब कस के लंड को मुठिया भी रहा था
और दूसरा प्यार से उनके बॉल्स को सहला रहा था ,
अभी भी दोनों हाथो से उन्होंने मेरे सर को कस के , झुक के पकड़ रखा था ,
पर अब उनका जोर कम हो गया था , धक्के मारने भी उन्होंने बंद कर दिया था ,
आधे से ज्यादा , ६-७ इंच खूंटा अंदर था ,
और अब कमान मेरे हाथ में थी , .
मैं खुद मुंह अंदर बाहर कर रही थी , आलमोस्ट सुपाड़ा तक बाहर कर , फिर धीरे धीरे , आलमोस्ट पूरा ,.
और मेरे गुलाबी टीनेजर रसीले होंठ ,
लंड पर रगड़ते दरेररते , घिसते , साथ में मेरी नाचती उछलती जीभ नीचे से उस चर्मदण्ड पर ,
और कस के मैं चूस रही थी ,
और मेरी आँखे उनकी आँखों में झाँक कर जैसे बार बार याद दिला रही थीं , जो मैंने उनसे कबुलवाया था
ये मोटा खूंटा ,
उस कच्ची कली , नए नए कच्चे टिकोरों वाली के मुंह में , .
बिलबिलायेगी , चीखेगी , लेकिन अगर एक बार खूंटा मुंह में धंस गया न मेरी ननदिया के ,
उस एलवल वाली के , . बस ,
ये सोच सोच के मैंने चूसने की रफ्तार बढ़ा दी , और
शायद ये भी वही सोच रही थी , वो कच्ची किशोरी कैसे उनका मस्त खूंटा अपने मुंह में लेगी , और बस ,
सर तो उन्होंने पकड़ ही रखा था , बस एक से एक करारे धक्के , .
और उनका सुपाड़ा मेरे हलक तक , .
एक बार तो लगा मेरी साँस रुक जायेगी , जबरदस्त गैग रिफ्लेक्स
लेकिन धीरे धीरे मैंने अपने ऊपर कंट्रोल किया , . पहली बार तो मैं उनका पूरा घोंट नहीं रही थी , लेकिन हर बार , वही , . .
कुछ देर बाद मैं नार्मल हुयी और फिर तो खूब कस कस के मैं चूस रही थी , चाट रही थी ,
जड़ तक लंड वो ठूंसे हुए थे , पूरा बित्ते भर का मेरे अंदर था , आलमोस्ट बॉल्स तक ,
दो मिनट ,
चार मिनट , और
थोड़ा प्रेशर उन्होंने हलका किया और मैंने मुंह धीरे धीरे बाहर किया ,
मेरे गाल थके लग रहे थे , गले में भी लगता था कुछ छिल गया , .
अब सिर्फ सुपाड़ा मेरे मुंह के अंदर था , गाल की मसल्स को कुछ आराम मिल रहा था ,
मैं मजे से सुपाड़े को चूस रही थी , चुभला रही थी , .
पर सिर्फ सुपाड़े से न इनका मन भरने वाला था न मेरा , .
बस एक बार फिर धीरे धीरे मैंने प्रेस करना शुरू कर दिया , और अपने गले के , बाड़ी के पूरे जोर से
अबकी बिना इनके धक्के के , मैंने पूरा घोंट लिया , एक मिनट पूरा घोंट के मैं चूस रही थी , फिर हलके हलके सुपाड़े तक बाहर ,
और कुछ देर बाद फिर अंदर ,.
तब तक नीचे से इनकी भौजाई की आवाज आयी
टिकट मिला की नहीं , .
मेरा तो मुँह फंसा था , वही बोले , हाँ अभी मिला है बस आ रहे हैं हम लोग ,
और मैंने चूसने की रफ़्तार बढ़ाई ,
मेरी निगाह घडी रानी पर पड़ी , .
पंद्रह मिनट हो गए थे मुझे चूसते , पर
इस स्साले मेरे साजन में एक बड़ी गड़बड़ थी , . क्विकी भी इसकी ३० मिनट से कम टाइम नहीं लेती थी ,
और इधर मेरे गाल की मसल्स थक रही थीं , .
लेकिन मेरे पास कोई एक हथियार था क्या , . मैंने झट से अपने ब्लाउज के बटन खोले , फिर फ्रंट ओपन ब्रा का हुक , .
मेरे दोनों जोबन , ३४ सी , बाहर ,
जोबन का जोर
इस स्साले मेरे साजन में एक बड़ी गड़बड़ थी , .
क्विकी भी इसकी ३० मिनट से कम टाइम नहीं लेती थी ,
और इधर मेरे गाल की मसल्स थक रही थीं , .
लेकिन मेरे पास कोई एक हथियार था क्या , . मैंने झट से अपने ब्लाउज के बटन खोले , फिर फ्रंट ओपन ब्रा का हुक , .
मेरे दोनों जोबन , ३४ सी , बाहर ,
और अब खूंटा उनके बीच में ,
अपनी दोनों मांसल रसीली गदरायी चूँचियों को पकड़ के मैं उनके लंड को चोद रही थी ,
नहीं मेरे होंठ खाली नहीं बैठे थे ,
कुछ पल में ही एक बार फिर , सुपाड़ा मेरे मुंह में था ,
और वो मेरी चूँची चोद रहे थे
मैं उनका लंड चूस रही थी ,
मस्ती से हम दोनों की हालत ख़राब थी ,
जब वो मोटा मूसल मेरी दोनों चूँचियों को रगड़ते दरेरते घिसटते निकलता , बता नहीं सकती कितना मज़ा आ रहा था
पर कुछ देर में सुपाड़ा चूसते एक बार फिर मैंने आधे से ज्यादा लंड घोंट लिया और मुख मैथुन जोर से स्टार्ट हो गया ,
वो मेरे सर को पकड़ के कस कस के धक्के ऐसे मार रहे थे जैसे मैं लंड नहीं चूस रही होऊं ,
वो मेरे मुंह को चोद रहा हो , बुर समझ के ,.
लेकिन तब तक नीचे से आवाज आयी , . अबकी मेरी सासू माँ थी
" अरे वो टैक्सी वाला हल्ला कर रहा है ,. "
२२ मिनट ,. घडी रानी ने सूचना दी , . और मैं बिना उन्हें झाड़े छोड़ने वाली नहीं थी , पर टाइम भी ,.
मुझे याद आया एक वो अच्छी वाली फिल्म मैंने देखी थी , . और नेट पर भी पढ़ा था ,.
नहीं नहीं ये ट्रिक इनकी सलहज ने नहीं सिखाई थी , .
ये मेरी माँ , इनकी सास ने बताई समझायी थी ,
जब मेरी शादी पक्की हुयी उसी दिन ,
और फिर जब मेरी विदायी हो रही थी , एक बार फिर से इनकी सास ने ,.
रोते हुए भी मुझे हंसी आ गयी , इनकी सास भी न
मेरी एक ऊँगली इनके पिछवाड़े पर थी ही , एकदम सेंटर पर ,
गच्चाक ,
अपनी कलाई की पूरी ताकत से मैंने पेल दिया , . .
दो धक्का और अबकी जड़ तक ऊँगली इनकी गांड में
गोल गोल मैं घुमा रही थी और साथ में मूसल कस के चूस रही थी
गोल गोल घुमाते मिल गया मैंने जो पढ़ा था ,
प्रोस्ट्रेट , . मर्दो का जादुई का बटन ,.
और मैंने वहां दबाना , मालिश करना , रगड़ना शुरू कर दिया ,
असर दो मिनट में हो गया ,
मूसल एकदम जड़ तक मेरे गले तक मेरे मुंह में धंसा था , . और मेरी ऊँगली भी जड़ तक इनके पिछवाड़े ,
दूसरे हाथ से कस कस के मैं मूसल को उसके बेस पर दबा दबा के मुठिया भी रही थी
उनकी देह एकदम ढीली पड़ने लगी ,
लंड एकदम कड़ा , . और फट गया ज्वालामुखी , सीधे मेरे मुंह में , . बल्कि गले में
सफ़ेद मलाई की फुहार , सीधे मेरे गले में , गले से पेट में
मेरी पकड़ भी ढीली हो गयी थी पर प्रोस्ट्रेट को रगड़ना मैंने कम नहीं किया था ,
उनकी हालत एकदम खराब थी ,.
और जब खूंटा बाहर निकला , .
२५ मिनट ,.
लेकिन मैं एक बात भूल गयी थी , ये डबल बैरेल गन थी , एक बार में खाली नहीं होती
और जब दूसरी बार फुहार निकली तो सीधे मेरे चेहरे पर ,
गाढ़ी थक्केदार दही मेरे चेहरे पर लिपी पोती , .
मैंने झट से साडी ठीक की , बलाउज के बटन बंद किये , ब्रा के हुक भी
और इन्होने अपनी पैंट ऊपर चढ़ा ली , .
लेकिन तब तक नीचे से फिर गुहार आ गयी
मैं शीशे में अपना चेहरा देख रही थी , चेहरा दिख नहीं रहा था , सिर्फ इनकी रबड़ी मलाई ,.
वो बदमाश लड़का देख देख के मुस्करा रहा था ,
मैं कौन कम थी , मैं भी उसे देख के मुस्करायी , .
और न तो साफ़ करने का टाइम था न मैं साफ़ करना चाहती थी , . .
बस चेहरे पर अच्छी तरह फैला लिया ,
सास जेठानी देखें तो देखे ,
आखिर उन्ही का लड़का देवर है , और वही तो गयी थीं मुझे लाने ,.
सच में टैक्सी वाला हल्ला कर रहा था , बाबतपुर ( बनारस के एयरपोर्ट ) से उसे कोई और सवारी पिक करनी थी ,
टैक्सी चली गयी उन्हें लेकर , मैं देर तक वहीँ चुप चाप खड़ी रही ,
साजन गए परदेस
लेकिन तब तक नीचे से फिर गुहार आ गयी
मैं शीशे में अपना चेहरा देख रही थी , चेहरा दिख नहीं रहा था , सिर्फ इनकी रबड़ी मलाई ,.
वो बदमाश लड़का देख देख के मुस्करा रहा था ,
मैं कौन कम थी , मैं भी उसे देख के मुस्करायी , .
और न तो साफ़ करने का टाइम था न मैं साफ़ करना चाहती थी , . .
बस चेहरे पर अच्छी तरह फैला लिया ,
सास जेठानी देखें तो देखे , आखिर उन्ही का लड़का देवर है , और वही तो गयी थीं मुझे लाने ,.
सच में टैक्सी वाला हल्ला कर रहा था , बाबतपुर ( बनारस के एयरपोर्ट ) से उसे कोई और सवारी पिक करनी थी ,
टैक्सी चली गयी उन्हें लेकर , मैं देर तक वहीँ चुप चाप खड़ी रही ,