Episode 32


लीला ने लीला

" क्यों लीला , मैंने कहीं कम तो नहीं बोल दिया , नौ से ज्यादा तो नहीं है , . "

बस गलती से उसके मुंह से निकल गया नहीं भाभी नौ नहीं सिर्फ एक और वो भी बस , .

जब तक वो चुप होती , बात बनाती तीर कमान से निकल चुका था ,

और अब रेनू और गुड्डी भी मेरे साथ दोनों ही उसकी हम राज ,

पता ये चला की लीला का एक कजिन है ,

उसकी बुआ का लड़का , लीला उसकी ममेरी बहन , .

( मैंने गुड्डी की ओर घूर कर देखा , और मेरा मतलब समझ कर वो शर्मा गयी ,.

यही रिश्ता तो गुड्डी का इनसे था , और हम लोग गुड्डी को उनका माल कह के छेड़ते थे )

तो वो कजिन ,

यहाँ कोई कोचिंग करने आया था पांच छह महीने के लिए ,. दो तीन महीने के लिए ,.

बस मेरी ननद रानी, लीला अपने उसी कजिन से फंस गयी ,

और एक महीने पहले , शलवार का नाड़ा भी खुल गया।

" तो क्यों रोज होती होगी , बिना नागा कबड्डी ,. कौन कौन आसन ट्राई किये . "

मैंने छेड़ा

और रेनू भी मेरा साथ देने आ गयी ,

" अरे भाभी कित्ते बार तो ये हम दोनों को बता चुकी है , आज भइया ने रात भर सोने नहीं दिया , ऐसे किया , वैसे किया ,. "

बस मेरा काम हो गया , वही तरीका जो अंग्रेजों ने किया था डिवाइड एंड रूल।

और अब लीला ने रेनू की पोल पट्टी खोल दी ,

" चल चल , तेरी भी तो बाल बाल बची , . और रोज तो उसका व्हाटसएप आता है , . "

पता चला रेनू का एक कजिन ,

एक शादी में पूरी सेटिंग हो गयी थी , छत पर वो मिला , ऊपर से दबाना मसलना , उस बिचारे ने अपना पैंट खोल कर निकाल भी लिया ,

रेनू की भी शलवार सरक कर नीचे ,

पर सटाने के पहले ही , छत पर कोई आ गया , .

और, उसके बाद दो बार और उन दोनों ने कोशिश की , लेकिन साइत नहीं बनी।

मैंने गुड्डी को छेड़ा ,

" जरा अपनी सहेलियों से सीख , आखिर तेरे भी तो कजिन हैं "

बस रेनू और लीला दोनों गुड्डी की पोल पट्टी खोलने पर जुट गयीं ,

" अरे भाभी , भौंरे इसके पीछे भी पड़े हैं ,. "

गुड्डी लाख ना ना करती रही , लेकिन लीला और रेनू ने चार के नाम गिना दिए , दो तो रोज कॉलेज के बाहर खड़े मिलते हैं , उसी के मोहल्ले के।

" क्यों किस्सी विस्सी दिया कभी किसी को , . बेचारे रोज तेरा इन्तजार करते हैं "

मैंने भी छेड़ा , और अब गुड्डी बहाने बनाने पर जुट गयी।

" नहीं नहीं , भाभी , इन्ही दोनों के आशिक हैं सब , मुझे तो कुछ पता भी नहीं , . कौन है क्यों झूठ मूठ ,. "

पर वो दोनों , लीला और रेनू इत्ती जल्दी हर मानने वाली नहीं थी , वो दोनों साथ साथ चढ़ गयीं ,

" काला कौवा काटेगा , इतना झूठ बोलती हैं , . तूने खुद दिखाया था हम दोनों को , . देख ये दोनों पन्दरह दिन से रोज मेरे पीछे पीछे , .

जैसे गली से निकलती हूँ , कॉलेज तक , . हमें तो दिन भी याद है ,.

और उस दिन हम दोनों के सामने दोनों तेरा मोबाइल नंबर मांग रहे थे , भूल गयी। "

लेकिन गुड्डी मानने को तैयार नहीं , अब मैं भी अपनी दोनों ननदों के साथ आ गयी , अपने दोनों हाथ नचाते गुड्डी दिखाते मैं बोली ,

" देख यार , मेरे पास सच उगलवाने की मशीन है , ये दोनों , बस ,

अभी तू ऊपर वाले मुंह से नहीं नीचे वाले मुंह से बोलेगी ,

क्यों लीला बुलवाऊं इससे बहुत छिनरपना कर रही है तेरी ये सहेली ,

तुम दोनों की बात जब इसने बताई तो कुछ नहीं और अपनी बार ,. जरा सा मेरी हेल्प कर दे रेनू। "

ननदें कौन जो भाभी के आँख का इशारा न समझे , एक हाथ गुड्डी का रेनू के कब्जे में दूसरा लीला के।

और मेरे एक हाथ ने गुड्डी की स्कर्ट उठायी एकदम कमर तक , और दूसरा हाथ उसकी जाँघों पर रेंग रहा था ,

गुड्डी

ननदें कौन जो भाभी के आँख का इशारा न समझे , एक हाथ गुड्डी का रेनू के कब्जे में दूसरा लीला के।

और मेरे एक हाथ ने गुड्डी की स्कर्ट उठायी एकदम कमर तक , और दूसरा हाथ उसकी जाँघों पर रेंग रहा था ,

" देखो गुड्डी रानी , . अभी मेरा यही हाथ , आराम से धीरे धीरे तेरी चड्ढी खोलेगा , सरका कर उसे नीचे कर देगा , . .

एकदम नीचे , फिर तेरे भरतपुर का हम तीनो नजारा लेंगे ,

थोड़ी देर , मेरी हथेली ज़रा हाल चाल पूछेगी , उसके बाद एक ऊँगली , पांच मिनट तक नहीं बताया तो दूसरी ऊँगली , .

और हाँ साथ में सबूत के तौर पर तेरी चुनमुनिया की फोटो , .

. एकदम बढ़िया क्लोज अप तेरे ही मोबाइल से , और उसी से हम तीनो को व्हाट्सऐप , .

फिर अब मैं रेनू , लीला को मना नहीं करुँगी किसको किसको ये सेंड करेंगी , बहुत लाइक्स आएँगी पक्का। "

गुड्डी ने जाँघे समेटने की कोशिश की पर मैंने कस के चिकोटी काटी , और उसकी चड्ढी सरकानी शुरू कर दी ,

गुलाबो रानी ने दर्शन दिए ही थे की गुड्डी रानी मान गयीं , चीख पड़ीं , अच्छा बताती हूँ।

और मैंने अपने हाथ हटा लिए , पर उसकी सहेलियों ने गुड्डी के हाथ नहीं छोड़े।

और गुड्डी मान गयी ,

हाँ दो लड़के हैं , उसकी गली के बाहर ही एक मकान में लड़के रहते हैं , वहीँ के हैं दोनों।

पहले तो जब वो गली से बाहर निकलती थी कहीं जाने के लिए तो उसे छेड़ते थे गा गा कर के ,

" रेशमा जवान हो गयी ,. लेके अंगड़ाइयां पंखुड़ी खुड़ी गुलाब दी , तीर कमान हो गयी ,. . "

मैं क्यों छोड़ती ऐसे मौका ,

मैंने टॉप के के ऊपर से उसके नए आते जोबन को कस के भींच कर बोला ,

" यार गुड्डी , तेरी गली के लड़कों को तेरा नाम भी नहीं मालूम ठीक से , बड़े शरम की बात है "

और फिर उसकी दोनों सहेलियों को भी घसीटा ,

" और यार तुम दोनों कैसी सहेली हो , कम से कम इत्ता तो हेल्प कर देती बेचारी की , इसके नए नए यारों की , कम से कम इस का नाम ही बता देती ,. "

और फिर रेनू ये मौका क्यों छोड़ती , गुड्डी को छेड़ कर बोली ,

" देख यार मैं अपनी प्यारी प्यारी भाभी की बात को तो कभी मना नहीं कर सकती , अब कल मिलेंगे न दोनों , तो नाम क्या , तेरी ब्रा की साइज , मोबाइल नंबर , सब कुछ बता दूंगी। "

' कोई जरुरत नहीं , नाम वाम सब मालुम है दोनों को , इत्ते सीधे भी नहीं है , . " गुड्डी अब खिलखिलाती बोली।

" तो ब्रा की साइज भी मालूम है तेरी ,. " भोली बनकर छेड़ते हुए लीला बोली।

" धत्त , . " गुड्डी लजा कर गुलाब हो गयी।

मैंने बात बदल दी , और गुड्डी से आगे का हाल पूछा ,

" तो चल ये दो हो गए , तेरे गली मोहल्ले वाले , . . अरे यार जोबन का उभार आने की खबर लड़की के पहले उसके गली के लौडों को हो जाती है , पर बाकी दो , . . चार है न , "

मैं सोच रही थी जबतक लोहा गरम है सब बातें उगलवा लूँ , .

और गुड्डी ने एक की बात उगल दी , .

" वो जहाँ , मैं म्यूजिक सीखने जाती हूँ न वहीँ , उन्ही म्यूजिक वाली बहनजी के घर में ऊपर रहता है '

मैं पूछ तो रही थी साथ में घबड़ा भी रही थी ,

मैंने तो सोचा था की इस स्साली की नथ अपने सैंया से उतरवाने का मेरा प्रोग्राम था और इसके अभी से इतने यार , . कहीं कोई और उद्धघाटन न कर दे , . इसका मतलब मुझे जल्दी करनी पड़ेगी , इसके साथ भी , इसके भइया के साथ भी , .

और इसकी दोनों सहेलियों को भी पटा के सब बातों का पता लगा के रखना पडेगा।

" यार गुड्डी , तू भी न , . देख इन दोनों से सीख , यार चाहे जितने रख ले , मौका सबसे सही घर में ही , कजिन के साथ ही लगता है , . किसी को शक्क भी नहीं होगा , चिड़िया भी उड़ने लगेगी , . अब फुदक तो रही ही है। "

और ये कह के गुड्डी की स्कर्ट में हाथ डाल के कस के उसकी चिकनी गुलाबो को मैंने दबोच लिया ,

और रेनू भी मेरे साथ बोली ,

" भाभी एकदम सही कह रही हैं "

तबतक रेनू का बैग गिर गया इसी धींगामुश्ती में , और उस की किताबे , .

वो वापस रखने लगी , मैं उठा के देखने लगी , सब कोर्स की , मैंने जोर से उसके पीठ पे एक मुक्का मारा

" क्या यार , सब किताबें कोर्स की , . एक भी इंटरकोर्स की नहीं। "

मस्तराम

तबतक रेनू का बैग गिर गया इसी धींगामुश्ती में , और उस की किताबे

वो वापस रखने लगी , मैं उठा के देखने लगी , सब कोर्स की , मैंने जोर से उसके पीठ पे एक मुक्का मारा

" क्या यार , सब किताबें कोर्स की , . एक भी इंटरकोर्स की नहीं। "

अब की तीनों हंसी बहुत जोर से , और रेनू बोली

" भाभी , वो तो आप की जिम्मेदारी है। दे दीजिये न "

बस मैंने बिस्तर के नीचे से मस्तराम की किताबों का पूरा गट्ठर निकाला , मेरे ननद के भाई का खजाना ,.

और एक रेनू को पकड़ाते बोली

" पढ़ा तो होगा इसे ,. "

रेनू एकदम खुश होगयी और मेरे हाथ से छीन लिया , और लीला की ओर ओर इशारा कर के बोली ,

" ये स्साली , कमीनी लीला , रोज अपने भइया से मरवाती रहती है , एक दिन लायी थी बस दिखा के ले गयी , बोली भैया ने दी थी और छीन लिया "

" मैं क्या करती , उन्होंने ही बोला था शाम को वापस कर देना , जहाँ से वो लाये थे उसे वापस करना था "

लीला मुस्कराते बोली।

"अरे यार झगड़ो मत , बस यहाँ आया करो , तुम तीनो के लिए तीन , . अरे अब उमर इंटरकोर्स वाली हो गयी तो किताबें भी , . सिर्फ लड़कों के लिए थोड़ी होती हैं , . "

मैं समझाते बोली और दो और किताबें मस्तराम की निकाल दी ,

लेकिन तब तक नीचे से जेठानी की आवाज आयी ,

" चाय तैयार हो गयी है "

और वो तीनों बल्कि हम चारों धड़धड़ाते सीढ़ी से नीचे।

बात ये थी की जब तीनो तितलियाँ आयीं तो जेठानी जी कुछ पड़ोसिनों के साथ गप्प गोष्ठी में व्यस्त थीं और उन्होंने इन तीनो बालिकाओं को इशारा किया की ऊपर मेरे पास चली जाएँ।

चाय के साथ ननद भौजाई की छेड़खानी वाली बातें भी चलती रही , अचानक लीला ने घडी देखा और तीनों चौक गयीं ,

साढ़े पांच , .

लेकिन बैग तो तीनों के ऊपर ही रह गए थे ,

रेनू बोली , मैं ले आती हूँ और उस के साथ मैं भी वापस अपने कमरे में ,

रस्ते में ही , सीढ़ी पर मैंने अपनी ननद , रेनू रानी से उगलवा लिया ,

जब नथ उतरने से रह गयी , .

ये बात सही थी की छत पर कोई आ गया था ,

लेकिन ये लोग छत के दूसरी तरफ थीं , छत पर पूरा अँधेरा था और बीच में काफी सामान भी रखा था।

रेनू ने बोला , भाभी आहट होते ही , .

मैंने वो बेचारी जो बात नहीं कहना चाहती थी , बोल दी।

' ये बोल , उसका ढीला पड़ गया , यही न। '

रेनू

ये बात सही थी की छत पर कोई आ गया था , लेकिन ये लोग छत के दूसरी तरफ थीं ,

छत पर पूरा अँधेरा था और बीच में काफी सामान भी रखा था।

रेनू ने बोला , भाभी आहट होते ही , .

मैंने वो बेचारी जो बात नहीं कहना चाहती थी , बोल दी।

' ये बोल , उसका ढीला पड़ गया , यही न। '

रेनू ने बात कबूला और फिर कहा की उसके बाद भी हम लोग थोड़ी देर छत पर रहे लेकिन ,. कुछ नहीं हो पाया ,

रेनू ने हाथ से लेकर उसका खड़ा करने की भी कोशिश की , पर वो बोलता रहा , नहीं रहने दे कोई आ जाएगा।

उसके बाद भी दो तीन बार मौका मिला लेकिन वो लड़का , ट्राई भी किया , .

" था कितना बड़ा "

मुझसे नहीं रहा गया ,मैंने पूछ लिया।

रेनू ने अपनी तर्जनी का इशारा करके बोला इत्ता बड़ा , जब वो घुसाने की कोशिश कर रहा था।

तबतक हम लोग अपने कमरे में पहुँच गए थे।

बेचारी रेनू उस का मुंह इतना सा हो के रह गया था ,

मैंने एक बार फिर उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल के बोला ,

" अरे ननद रानी अच्छा हुआ , . "

"क्यों भाभी ," बुझे मन से उसने पूछा।

चड्ढी के ऊपर से कस कस के उसकी चुनमुनिया रगड़ते हुए मैंने समझाया ,

" अरे यार , मेरी ननद की इतनी प्यारी कुँवारी चुनमुनिया , किसी केंचए ऐसे से फटे , क्या मज़ा आता ,

अब आ गयी हो यहां न तो किसी मोटे जबरदंग खूंटे से फड़वाओ , दो दिन चल न पाओ , तब मजा है , . अच्छा तो हुआ , . "

लेकिन उसका चेहरा वैसे ही लटका , दुखी मन से बोली ,

" अरे भाभी वहां तो तब भी , शादी ब्याह का घर पचास मौके थे , . आप जानती नहीं मेरे घर वालों को , इतना टाइट कंट्रोल , . और मेरी एक मौसी मेरे कॉलेज में ही पढ़ाती हैं , कॉलेज के बहाने भी कुछ नहीं , . अब तो एकदम ,. "

मैंने उसे बाँहों में भर के चूम लिया , और हंस के बोली ,

" बुद्धू , तेरी ये भाभी किसलिए है , . अब देखना सात आठ दिन में तेरी ये चुनमुनिया फट के रहेगी , और तर्जनी ऐसे से नहीं , . "

मैंने अपनी कुहनी खड़ी कर के दिखाया ,

" ऐसे मोटे लम्बे तगड़े मूसल से , . अच्छी तरह से कुटी जायेगी वो , . . बस तू हाँ कर दे , . और तेरे घर वालों की चिंता छोड़ मेरे ऊपर ,

बस तू अभी हाँ बोल दे , . "

मेरी चुम्मी का जवाब चुम्मी से देती वो बोली ,

" भौजी आपके मुंह में घी शक्कर , . मेरी एक बार नहीं दस बार हाँ , . लेकिन वो है कौन , . "

" अरे यार कोई भी हो तुझे आम खाने , मेरा मतलब गन्ना खाने से मतलब या नाम जानने से , . वैसे बहुत कहेगी तो बता दूंगी , लेकिन ब्लाइंड डेट का मजा अलग है , तुझे मेरे ऊपर विश्वास है न बस। "

मैंने उसके उभार हलके हलके दबाते समझाया ।

" एकदम पक्का विश्वास है। "

हंस के वो बोली।

" चल तुझे हिंट दे देती हूँ , तू उसे देख चुकी है , थोड़ा बहुत जानती है , लेकिन हाँ जैसे ननदे मेरी होती हैं ,
तुझे भाईचोद होने में कोई परेशानी तो नहीं ,. "

मैंने कुछ इशारा किया।

सच में मेरी सास का बात एकदम सही है , मेरी सारी ननदे पक्की छिनार।

वो हंस के बोली ,

" भाभी अगर उसे बहनचोद होने में परेशानी नहीं तो मुझे भाईचोद होने में क्यों परेशानी होगी। "

तबतक नीचे से लीला की आवाज आयी ,

" अरे रेनू कहाँ सो गयी , . "

मैंने झटके से मस्तराम की तीन किताबें तीनों ननदो की बैग में डाल दिया , और रेनू के साथ नीचे।

चलने के पहले मैंने तीनों से वायदा लिया की वो रोक कॉलेज से छूटने के बाद सीधे मेरे यहाँ , . और वो तीनों फुर्र हो गयीं।

मैं सोच रही थी रेनू पर तीर निशाने पर लगा , लीला की तो पहले ही , .

एक बार रेनू की भी चिड़िया उड़ने लगेगी तो पक्का गुड्डी पर भी असर होगा , एक बार

थोड़ा सा भी वो पट जाये तो फिर , . फिर तो उसे भी ,.

तबतक फोन की घण्टी बजी , उनका प्लेन बैंगलोर पहुँच गया था।

सास , जेठानी , . .

मर्द और लोटा

अगले दिन से जैसे जब ये पिछले हफ्ते नहीं थे ,

उसी तरह से दोपहर को हम तीनों , मैं मेरी जेठानी , और सासू जी जी गोष्ठी ज़मने लगी।

जाड़े की दोपहर , कभी छत या बरामदे में चिकोटी काटती धूप में हम बैठ के ताश खेलते , या फिर सासू जी या जेठानी जी के कमरे में चौड़ी पलंग पर , मोटी बड़ी रजाई के अंदर , . लेटे लेटे टीवी देखते या फिर सीडी लगाकर कोई पिक्चर , . और नहीं तो गप्प।

बस इनके जाने के अगले दिन ही , दोपहर में मैं ,मेरी सास और जेठानी जी , . और हर बार की तरह मैं बीच में थी , .

सासू जी मैंने बताया था न की खुल के मज़ाक करने में , एकदम मेरी मायके वालों की तरह थी , और मेरी बुआ सास के सामने तो , . .

एकदम कान में ऊँगली डाल लेनी पड़ी ऐसी बातें , .

और बुआ भी तो वैसे ही इन्हे जवाब देती थीं।

ननदों के मामले में वो हरदम मेरा और मेरी जेठानी का साथ देती थीं , आखिर थीं भी वो इस घर की बहू ही ,

पहले दिन मुंह दिखाई में ही उन्होंने मुझे समझाया ,

' बहु , इस घर की सारी ननदें पक्की छिनार होती हैं "

चिढ़ा वो बुआ जी को रही थीं पर मेरी भी ननदें , मंझली ननद , गुड्डी सब पास में ही खड़ी थी।

मेरे आने के बाद तीसरी रात छत पर गाने का प्रोग्राम था , उन्होने मुझ खुद उकसा के , .

और मैंने उन्हें भी एक से एक खुल के गारियाँ , मेरे मायके का कोई मरद बचा नहीं होगा , मेरे बाबूजी , चाचा , मामा , फूफा , मौसा , . कोई बचा नहीं जिसे मैंने अपनी सास के ऊपर गारी में न चढ़ाया हो , .

पर वो इतनी खुश हुयी की अपना फेवरिट हार वहीँ सबके सामने मेरे गले में पहना दिया।

पर इनके जाने के बाद ,जब से मैं और जेठानी जी एक साथ , तो फिर हम तीनो और खुल गए थे।

रोज बात कहीं से शुरू हो , लेकिन ख़तम सेक्स पर ही होती थी , ज्यादा रस ले ले कर मेरी सास ही अपने किस्से सुनाती।

मैंने बताया था न , जब विपरीत रति की बात हुयी तो जेठानी जी ने अपनी बात बताई ,

और इसके बाद सासू जी ने भी एक से एक , . और साथ में ट्रिक भी एक से एक , .

तो उस दिन भी , जेठानी जी , जेठ जी के किसी दोस्त के बारे में बता रही थीं ,

मैं भी जानती थी उन्हें एकदम घर जैसे ही थे , . .

जेठानी जी ने हाल खुलासा सुनाया ,

की कैसे उनके कई कई औरतों , लड़कियों से चक्कर है।

उनकी वाइफ घर पे ट्यूशन चलाती हैं , . क्लास ९ और १० के , . दो लड़कियां तो उसी टूयशन वाली हैं।

मैं भोली , मैंने पूछ लिया जेठानी जी से , . . दी , क्या उनकी वाइफ को पता नहीं है , उन्ही की ट्यूशन की लड़कियां , ,,, अगर उन्हें पता चल गया तो

,. फिर तो मेरी जेठानी और सास ऐसी हंसी , ऐसी हंसी ,. और जेठानी जी ने राज खोला ,

' अरे यार तू समझती क्या है , उन कलियों को चुन के वही तो लायी , .

और तू क्या सोचती है बिना उनकी हेल्प के वो फंसा पाते उन कॉलेज वाली कच्ची कलियों को , .

मौका भी उन्होंने ही दिया , पहले क्लास एक्स्ट्रा क्लास के बाद उन दोनों को रोक देतीं ,

और उन्हें बोलती मैंने थोड़ा किचेन में हूँ ज़रा इनकी कॉपी चेक कर लो , हेल्प करा , . दो

और हफ्ते दस दिन बाद ,. एक दिन , सिर्फ एक लड़की को बुलाया बाकी की छुट्टी कर दी ,.

और थोड़ी देर उसे पढ़ाने के बाद , . उस लड़की को इनके हवाले कर के ,

दोनों को बोल के दो तीन घंटे के लिए बाहर चली गयीं , . . बाहर क्या मेरे ही पास आयी थीं ,

और जब उनका फोन आया की चिड़िया चारा चुग गयी , वो भी एक बार नहीं दो बार , तब वो घर लौटीं।

और इस उमर की लड़कियां अगर कभी एक दो बार चारा चुग लें न , तो फिर तो खुद ही स्कर्ट उठा खड़ी रहेंगी।

मैं उनका चेहरा देखती रह गयी।

जेठानी जी मेरा गाल प्यार से दुलार से सहलाते समझाया ,

" अरे कोमलिया , ( मेरी सास और जेठानी मेरे इसी प्यार के नाम से बुलाती थीं ) यार ये मर्द न एक खूंटे से बंधने वाले प्राणी नहीं। तो अगर बीबी खुद इनके लिए चारे का इंतजाम कर दे न , . तो बस ये अहसान से ,. .

और सबसे बड़ी बात पता रहता है की किसके साथ , कोई सरप्राइज पैकेज नहीं रहता , .

वरना इधर उधर मुंह मारते रहें , कहीं हनी ट्रैप में फंसे ,. "

लेकिन गुरु गंभीर मंत्र दिया , मेरी सासू जी ने मेरे बाल पर हाथ फेरते हुए , .

" यार , मेरी सास ने एक बात कही थी और वही मैं अपनी बहुओं से भी कहती हूँ , मरद और लोटा बाहर ही मँजते है ,

फिर असली इस्तेमाल तो घर में ही होता है। "

मैंने और जेठानी जी ने अबकी हंसी में उनका साथ दिया।

( असल में बात ये ओपन डिफिकेशन फ्री वाले से पहले के जमाने की है , लोटे वाली। और प्लास्टिक की बॉटल के भी।

दिशा मैदान जाने के लिए लोटा घर में एक तय रहता था , बस प्रात: काल की आवश्यक क्रिया से निपट कर , खेत से लौटने के बाद , .

वो लोटा बाहर ही कुंए पर माजा , साफ किया जाता था। )

मैंने भी सासू जी की तरह बड़ी सीरियसली , सासू जी की ओर मुंह करके एक बात कही।

" अगर मेरा वाला लोटा , एलवल में मंजे तो मुझे कोई ऐतराज नहीं ".

अबकी तो मेरी जेठानी , और उनसे ज्यादा मेरी सासू बहुत हंसी , हंसी रुक नहीं रही थी दोनों की।

और हंसी रुकी तो सास ने मुझे गले लगा लिया और बोलीं ,

" तू एकदम मेरी परफेक्ट बहू है , मेरी समधन ने चाहे जिससे कबड्डी खेल के तुझे जना हो , तेरे मामा से , मौसा से ,
लेकिन जना एकदम सही है , मेरी बहू बनने के लिए। "

फिर सासू जी ने जोड़ा ,

" बहु , आइडिया तेरा एकदम परफेक्ट है , ननद की नथ उतारने का काम ननद के भाई को ही करना चाहिए ,

ननदों की नथ उतराई करवाने का बड़ा पुण्य मिलता है भाभियों को ".

ननद की नथ उतारने का काम

सास ने मुझे गले लगा लिया और बोलीं ,

" तू एकदम मेरी परफेक्ट बहू है , मेरी समधन ने चाहे जिससे कबड्डी खेल के तुझे जना हो , तेरे मामा से , मौसा से ,

लेकिन जना एकदम सही है , मेरी बहू बनने के लिए। "

फिर सासू जी ने जोड़ा ,

" बहु , आइडिया तेरा एकदम परफेक्ट है , ननद की नथ उतारने का काम ननद के भाई को ही करना चाहिए ,
ननदों की नथ उतराई करवाने का बड़ा पुण्य मिलता है भाभियों को ".

मेरी जेठानी भी मैदान में शामिल हो गयीं , हँसते हुए बोलीं ,

". आखिर भाभियों को भी तो फायदा है , भले नथ उतराई का काम ननद के भइया करें ,
लेकिन ननद पर चढ़ने का काम भाभियों के भइया करते है , भाभियों के भइया ही तो उसे पक्की छिनार बनाते हैं "

पर दो मिनट बाद ही जेठानी जी व्यवहारिकता पर उतर आयीं , .

" लेकिन यार उचकती बहुत है वो , ,,, " वो बोलीं।

पर मेरी सास इतनी आसानी से हार मानने वाली नहीं थीं , उन्होंने जेठानी जी को हड़का भी लिया और रास्ता भी बता दिया ,

" अरे तो भौजाई किस बात की हो तुम दोनों , चौदह की ननद बिना चुदवाये रह जाए , .

ये तो भौजाई की नाक कटने वाली बात हो जाएगी। चल माना पहले तू अकेली थी , अब तो इत्ती अच्छी देवरानी मिल गयी है , .

गारी शुरू होते ही वो भागती थी , लेकिन देखो उस दिन तेरी देवरानी ने उसी का नाम ले ले के कैसे एकदम असली वाली गारी सुनाई , .

आखिर कान खोल के सुना की नहीं उसने ,.

एक से तो बच भी जाती वो , लेकिन दो दो भौजाई के बाद बचने का सवाल ही नहीं। "

सास की बातें सुनकर , मेरा ३४ सी वाला सीना ३६ डी हो गया।

अब ये साफ़ था की अगर मैं कुछ जुगत लगाऊं इनके और इनकी ममेरी बहन के बीच , तो सास को अगर पता भी चल गया तो ,.

उनकी ओर से ग्रीन सिग्नल।

जेठानी जी मुस्करायीं , चैलेन्ज स्वीकार किया उन्होंने अपनी सास का।

लेकिन एक मजेदार ट्रिक बताई सास जी ने , जो मैंने कभी सुना भी नहीं था।

" एक तरीका बताती हूँ , एकदम आजमाया हुआ नुस्खा , . नहीं नहीं ये मेरी सास ने नहीं बताया , ये मेरे मायके से , मैं वहीँ से ,. देखो किसी मरद की मलाई अगर किसी कुँवारी लड़की को चखा दो , .

कुँवारी का मतलब ये नहीं की शादी न हुयी हो , कुँवारी का मतलब जिसकी फटी न हो ,

और पूरी मलाई खिलानी जरूरी नहीं , दो चार बूँद भी काफी है , और किसी मीठी चीज में मिलाकर भी खिला सकती हो,.

बस मलाई खाने के बाद खुद वो उस मर्द के सामने नाड़ा खोल के खड़ी हो जाएगी।

उसे देख कर उस लौंडिया की बिल में मोटे मोटे चींटे काटने लगेंगे , खुद बहाना बना के चिपकेगी , चुदवाने का मौका खोजेगी। "

" लेकिन बिल्ली की गली में घंटी बांधेगी कौन , . "

जेठानी जी ने फिर सवाल खड़ा किया ,

और अबकी कॉलेज के स्टूडेंट की तरह मैंने हाथ उठा दिया ,

" दी , आपकी देवरानी है न , . फिर मुझे अपना लोटा मँजवाना है एलवल में तो कुछ तो करना पड़ेगा न ,. "

हँसते हुए मैं बोली।

" तू मेरी एकदम पक्की बहू है , एकदम मेरे मन वाली , . "

सासु ने दुबारा बोला , पर मेरे मन कुछ उबल रहा था , मैंने पूछ लिया उनसे चिपट कर ,

"पर अगर किसी लड़के का चक्कर किसी लड़की से चलवाना हो और लड़का एकदम सीधा , बुद्धू मार्का हो , . "

सास बात समझ गयीं , हँसते हुए बोलीं ,

" जैसे तेरा लोटा , . यही कहना चाहती है न ,. उस एलवल वाली की बिल में ऊँगली डाल कर , उसकी चाशनी , लड़के को चटा दे , . .

सारा सीधापन हवा हो जाएगा , वो भी बस मौक़ा तलाशेगा , उस लड़की की टांग उठाने का। "

लेकिन तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी , और नंबर देखते ही मैं उछल कर पलंग से दूर , .

इन्ही का फोन था , और सास जेठानी के सामने इनसे बतियाना , .

मैं कमरे के बाहर , .

क्लास के बीच कोई टी ब्रेक था शायद , . उसी में , .

मैंने पूछा भी , . तो चाय पर ये भी न बोले ,

' पी तो रहा हूँ , . तुमसे मीठी गरम,. "

ये भी न एकदम बदमाश , असली गंदे वाले , . पास होते तो मैं बताती।

मैं सिर्फ सुनती रही , सुनती रही ,.

कित्ते देर बाद इनकी आवाज़ सुनने को मिली थी , मुझे इससे ज्यादा मतलब नहीं था ये क्या बोल रहे हैं ,

बस बोलते रहें , .

बस इतना समझ में आया शायद आज शाम को और रात को फोन न कर पाएं , . एकदम से मैं रुंआसी हो गयी , . पर ऊपर से बोली , कोई बात नहीं मैं भी सोऊंगी घोड़े बेच कर ,. .
बात ये थी की जो उनका प्रोजेक्ट था न , अरे वही जिसके लिए सबको वीकेंड का टाइम दिया गया था , पर ये लालची लड़का , इसे तो बस एक चीज़ चहिये ,

और चहिये तो चहिये , हजार किलोमीटर से ऊपर उड़कर उस चीज के लिए हाज़िर हो गया था आधी रात को ,.

किसी तरह टैक्सी में , प्लेन में लिख लिखा कर ज़नाब ने प्रोजेक्ट तो सब्मिट कर दिया था टाइम से , . पर आज शाम को उसी का प्रजेंटेशन था , .

और प्रेजेंटेशन तो ठीक , उन्हें उसे डिफेंड भी करना था , एक पैनल के सामने , .

रात में डिनर के बाद , साढ़े आठ बजे से , . सिर्फ इन्ही का नहीं सबका , तो इनका नंबर नहीं , . सात साढ़े सात बजे तक तो क्लास चलती थीं , उस के बाद जल्दी जल्दी वही प्रजेंटेशन बनाना , और उसके बाद , आठ बजे मेस खुल जाती है , साढ़े आठ बजे प्रजेंटेशन के लिए पहुँचना था , .

मैं चुपचाप सुनती रही , . बीच बीच में हूँ हाँ बोलती रही , . देख नहीं सकती थी , मिल नहीं सकती थी ,

तो कम से कम आवाज तो सुनने को मिल रही थी , . जित्ता देर मैं बोलती , उत्त्ती देर कम सुनने को मिलता न ,. बस यही बात।

लेकिन तब तक पीछे से किसी ने इनका नाम लेकर आवाज लगाई , . कहाँ हो क्लास शुरू हो गयी है।

बस ये एक उड़ती चुम्मी देकर उडनछू हो गए , .

मैं बहुत देर तक ऐसे ही फोन कान में लगाए रही ,

और जब फोन हटाया भी तो , पैर जैसे पत्थर के हो रहे थे , चुपचाप बड़ी देर तक वहीँ खड़ी रही ,

फिर फोन को देखती रही , . अब फोन को देख के गुस्सा आ रहा था , मन कर रहा था सील लोढ़ा लेकर कूच दूँ , .

आंखे डबडब कर रही थीं , .

सास के पास से तो आयी सेकंडों में उड़ कर आयी थी , इनके फोन की घंटी सुन कर , अब जाने में वापस जैसे महीनों लग रहे थे , .

किसी तरह पैर घसीटते हुयी पहुंची तो कमरे के बाहर से सास जेठानी दोनों खर्राटों की आवाज सुनाई पड़ रही थी।

मैं सासू जी के बगल में करवट कर लेट गयी , पर सासू जी भी न , ओर मुड़ी , मुझे अपनी बाँहों में दुबका लिया , कस के जैसे माँ करती थी जब मैं उनके पास सोती थी , .

और कुछ देर में मैंने अपने पैर भी उनके ऊपर कर लिए , रजाई की गरमाहट , सासू जी का दुलार ,. बस थोड़ी देर में नींद आ गयी।

और आयी तो कस के ,

परसों रात उन के साथ , . सोने का सवाल नहीं था।

और कल रात , उन के बिना नींद नहीं आयी।

तो इस समय कस के देर तक , . और जब नींद खुली तो शाम होगयी थी , बल्कि रात , जेठानी जी मुझे चाय ले कर जगा रही थीं , सासु जी अपने कमरे में चली गयी थी।

' दी , मुझे जगा दी होतीं , मैं बना देती न "

उलाहने के साथ मैं बोली।
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