Episode 35
" शाम को चाय पर मैं उनका वेट न करूँ और थोड़ा सो लूँ , बस दो दिन के बाद , देवर आयंगे और फिर सोने का सवाल नहीं है। "
मैं मुस्कराते हुए बोली ,
" एकदम सभी सोने का ओवरटाइम , फिर जगने का , लेकिन थोड़ा ज्ञान भी बढ़ा लूँ "
मैंने टैब में खुली ' नीली पीली फिल्म ' की ओर इशारा किया।
असल में कर्टसी उनके देवर , मैंने टॉरेंट लोड करना सीख लिया था और फिर तो रोज पांच से छह , और एक से किंकी , उनके देवर को भी पसंद थी ऐसी फ़िल्में और अब मुझे भी ,
" चल अभी थ्योरी , आज बृहस्पतिवार है न शनिवार की शाम को आएगा मेरा देवर , प्रैक्टिस भी करवाएगा और इम्तहान भी लेगा। तो ठीक है मिलते हैं सात बजे के बाद। "
यह कहकर वो चल दी ,
असल में आज फिल्म का दिन नहीं था , आज तो मुझे लाइव शो देखना था , ननद पर देवर की चढ़ाई का।
और सोचना था जल्द ही मेरी एलवल वाली ननद पर कैसे मेरे जेठानी का देवर जल्द से जल्द चढ़ता है , .
जैसे आज रेनू की फ़टनेवाली थी , वैसे ही गुड्डी रानी की कब फटेगी।
रेनू
और रेनू चुद गयी।
रेनू , अरे वही , इनकी ममेरी बहन , मेरी छुटकी ननद की समौरिया , उसी की क्लास में पढ़ने वाली , . गुड्डी रानी के साथ , . और गुड्डी दर्जा आठ में पढ़ती थी ,
तो बाकी आप अंदाज लगा सकते हैं , एकदम कच्ची कली , कोरी , बस कच्ची अमिया आ ही रही थीं , चूँचिया उठान वाली उम्र ,. .
और चोदने वाला , और कौन ,.
उसका मुंहबोला भाई , . उसकी पक्की सहेली गुड्डी का भाई , मेरा देवर , . अनुज।
सच में भौजी के लिए कुँवारी ननद की चोदाई देखने से ज्यादा मजेदार कुछ नहीं है , और चोदने वाला उसका देवर हो तो उससे ज्यादा रसीला कुछ नहीं है ,
इसलिए मैंने न अनुज को बताया था , न रेनू को , .
और जब रेनू की फट रही थी , वो चीख रही थी , चिल्ला रही थी , रो रही थी , .
मेरे सामने रेनू नहीं मेरी ननद गुड्डी की तस्वीर बार बार उभर रही थी ,
कैसे उसकी फटेगी , कैसे वो चीखेगी , चिल्लायेगी , . और फाड़ने वाला उसकी और कोई नहीं , . मेरे ये होंगे ,.
उफ़ मैं भी न कई बार , .
इसी लिए तो शायद मेरी पोस्ट्स के पढ़ने वाले इतने कम होते हैं ,
कितनी बार मैंने समझाया अपने को , कोमल तुम भी न कभी कहीं से बात शुरू कर देती हो ,
तो चलिए शुरू से शुरू करती हूँ , .
जब रेनू आयी दो बजे के करीब , उसे मैंने दो बजे बोला था पर वो दो के पहले ही आ गयी थी ,
मैंने अनुज को बोला था डेढ़ बजे के लिए पर वो भी , एकदम बेताब , बेसबरा , भूखा ,
एक बजे ही आ गया था , .
गनीमत था मेरी जेठानी उस दिन साढ़े बारह बजे ही चली गयी थीं , सात बजे के बाद आने के लिए बोल कर , और सासु माँ तो पहले ही ,
अनुज को मैंने सब बात डिटेल में समझा दी , सिवाय ये बताने के की वो लड़की है कौन , .
पहली बात ये की कोई जल्दीबाजी नहीं , एकदम लड़की को गरम करके , . ( और रेनू रानी को तो वैसे ही चींटे काट रहे थे , मोटे मोटे ),
और जब वो एकदम गीली हो जाये तो फिर ठोंक दो , .
लेकिन उस समय कोई दया माया नहीं ,
हाँ ये बात मैंने बता दी अपने देवर को ,
उसके पहले वो गुड्डो की , अरे वही बनारस वाली , हाईकॉलेज वाली की सील तोड़ चुका था ( अरे उस की सेटिंग भी मैंने ही कराई थी , याद तो होगा आपको ) की ये वाली गुड्डो से भी कम उमर की है ,
और एकदम कोरी कच्ची ,.
इसलिए चीखेगी बहुत जब फटेगी ,.
लेकिन उसे चीखने देना , न उसका मुंह बंद करने की कोशिश करना , न अपने धक्के रोकना , जबतक छलछला कर खून बाहर न निकल आये , .
( घर में मेरे अलावा वैसे भी कोई था नहीं , और हमारा घर ऐसा इंडिपेंडेंट मकान था की आसपास कोई और मकान नहीं था। इसलिए ननद रानी की चीख पुकार सिर्फ मुझे सुनाई पड़ती और मौन तो चाहती भी थी सुनना , आखिर किसी भौजाई के लिए कुँवारी कच्ची उमर की ननद की फटते समय होने वाली चीख चिल्लाहट से बढकर कोई और मीठी म्यूजिक नहीं हो सकती थी )
दूसरी बात ,
मलाई एकदम अंदर तक , . जरा भी मत घबड़ाना की कही वो पेट से ,. मेरे पास आई पिल है , मैं दे दूंगी ,.
और झड़ने के बाद भी काफी देर तक अंदर ही रहने देना , पूरा का पूरा
( नेक्स्ट टाइम के लिए इससे बढ़िया चिकनाई कुछ नहीं होती और ननद रानी की झिझक भी टूट जाती )
और आखिरी बात , .
कम से कम दो बार , .
पांच साढ़े पांच बजे तक टाइम है उसके पास , . . सिर्फ एक बार में , बाद में लड़की की झिझक लौट आती है , सेन्स आफ गिल्ट भी हो सकता है , लेकिन दो बार के बाद तो अगली बार वो खुद आएगी।
और हाँ ये भी बोला था की उसके बाद , वो मेरे पास न आये , सीधे वहीँ से अपने घर
( रेनू को मैंने समझाया था मैंने की उसके बाद वो मेरे पास आ जाये , उसकी नयी फटी चुनमुनिया जो मुझे देखनी थी , उसे आई पिल देनी थी , उससे आगे के लिए बात करनी थी ,
लेकिन सबसे बड़ी बात वो घर से ये बहाना बना के आयी थी की मेरे पास पेंटिंग सीखने आ रही है , तो उसे घर लौट के कुछ दिखाना तो पड़ता , . मैं खुद पेंटिंग ऑलमोस्ट बना के रख लेती और उससे बस दो चार स्ट्रोक लगवा के ,.
कुछ काम बाकी भी तो रखना था , जिससे उसे अगली बार आने का बहाना बचा रहता )
अनुज को मैंने ये भी समझाया की वो लड़की क्योंकि उसे जानती है , हो सकता है उसे देखकर थोड़ा हिचकिचाए , झिझके , लेकिन वो बस उसे बाँहों में भर के ,. खूब किस करे , इधर उधर टच करे और सीधे कमरे में , .
मेरे कमरे के ठीक नीचे ग्राउंड फ्लोर पर एक कमरा था , एक गेस्ट रूम की तरह मेन दरवाजे से एकदम सटा , बस सीधे बेड पर , . और दस पांच मिंट में वो पट जायेगी।
लेकिन मेरा ये डर बेकार निकला , रेनू ज़रा नहीं भी झिझकी।
कर्टसी , हाई डिफ़िनशन सी सी टी वी , मैं एक एक पल देख रही थी , मेरे मोबाइल से वो लिंक था और उसे मैंने लार्ज स्क्रीन ( ६५ इंच ) वाले स्मार्ट टीवी से लिंक कर दिया था , बस लग रहा था मैं वहीँ बगल में खड़ी हूँ , एक एक पल रिकार्ड हो रहा था सो अलग , .
रेनू पौने दो बजे आ गयी थी , अपनी कॉलेज की ड्रेस में , टॉप और स्कर्ट , टॉप एकदम टाइट कच्ची अमिया छलकी पड़ रही थीं , .
उसने घंटी बजायी और अनुज लगभग दौड़ते हुए , . मैंने उसे कोडवर्ड बता दिया था , .
अनुज को देख कर एक पल के लिए चौंकी , पर मुस्कराते हुए बोली ,
" गुड्डी है " ( यही पासवर्ड था )
" नहीं , लेकिन उसका भाई है , चलेगा " ,
जवाब में अनुज बोला , ( यही कोडवर्ड था , मतलब जेठानी नहीं हैं , घर में मेरे अलावा और कोई नहीं है और मैदान साफ़ है ) .
मैं रेनू का रिएक्शन देख रही थी , मुझे डर था की कहीं गुड्डी के भाई को देखकर वो हिचक न जाय , पर रेनू भी ,. मुस्कराते हुए बोली
" चलेगा नहीं , दौड़ेगा " .
और खुद अनुज को अपनी बाहों में भींच लिया ,
अनुज ने भी कस के उसके गालो पर जबरदस्त चुम्मी ली और बाहर का दरवाजा बंद कर लिया , अनुज के हाथ सीधे कच्चे टिकोरों पर
रेनू ने जोर से सिसकी भरी , और मान गयी मैंने अनुज को , जबरदस्त ताकत थी मेरे देवर में ,
उसे गोद में उठा के सीधे कमरे के अंदर , . बिस्तर पर ,
रेनू अनुज की गोद में थी और टेबल पर एक बाउल में गुलाब जामुन
एकदम सही समझा आपने डबल भांग वाली गोलियों वाले ,. . ये मेरी सोच थी ,. थोड़ी बहुत हिचक जो होगी वो भी ख़तम हो जायेगी।
मैं सोच रही थी की अनुज रेनू को खिलायेगा , उसने कोशिश भी की ,. पर मैंने अपनी ननद को कम कर के आँका था , .
वो ठसके से अनुज की गोद में बैठी थी , उसने अनुज को मना किया , खुद एक गुलाब जामुन लेके अपने होंठों के बीच रख कर अनुज की ओर बढ़ाया और खुद अनुज के सर को कस के अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया ,
अनुज ने बड़ा सा मुंह खोल दिया , .
दोनों के होंठ चिपक गए पर बदमाश रेनू , गुलाब जामुन , अनुज को चिढ़ाते हुए अपने मुंह में गपक , . ये चैलेन्ज था अनुज के लिए , और अनुज की जीभ सीधे रेनू के मुंह में , . यही तो मैं चाहती थी , . डीप फ्रेंच किस , दोनों के होंठ चिपके , अनुज की जीभ रेनू के मुंह में , और रेनू के मुंह में घुलता डबल भांग की डोज वाला गुलाब जामुन का रस , . कुछ गुलाब जामुन , रेनू के मुंह से अनुज के मुंह में भी
और ठुड्डी पर गिरा शीरा अनुज ने चाट लिया
रेनू की
रेनू ने जोर से सिसकी भरी , और मान गयी मैं अनुज को , जबरदस्त ताकत थी मेरे देवर में ,
उसे गोद में उठा के सीधे कमरे के अंदर , .
बिस्तर पर ,
रेनू अनुज की गोद में थी और टेबल पर एक बाउल में गुलाब जामुन
एकदम सही समझा आपने डबल भांग वाली गोलियों वाले ,. . ये मेरी सोच थी ,.
थोड़ी बहुत हिचक जो होगी वो भी ख़तम हो जायेगी।
मैं सोच रही थी की अनुज रेनू को खिलायेगा , उसने कोशिश भी की ,. पर मैंने अपनी ननद को कम कर के आँका था , .
वो ठसके से अनुज की गोद में बैठी थी ,
उसने अनुज को मना किया , खुद एक गुलाब जामुन लेके अपने होंठों के बीच रख कर अनुज की ओर बढ़ाया और खुद अनुज के सर को कस के अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया ,
अनुज ने बड़ा सा मुंह खोल दिया , .
दोनों के होंठ चिपक गए पर बदमाश रेनू , गुलाब जामुन , अनुज को चिढ़ाते हुए अपने मुंह में गपक , .
ये चैलेन्ज था अनुज के लिए , और अनुज की जीभ सीधे रेनू के मुंह में , . यही तो मैं चाहती थी , .
डीप फ्रेंच किस , दोनों के होंठ चिपके , अनुज की जीभ रेनू के मुंह में ,
और रेनू के मुंह में घुलता डबल भांग की डोज वाला गुलाब जामुन का रस , . कुछ गुलाब जामुन , रेनू के मुंह से अनुज के मुंह में भी
और ठुड्डी पर गिरा शीरा अनुज ने चाट लिया
रेनू ने अपने दोनों हाथों से कस के अनुज के सर को पकड़ रखा था ,
तो अनुज का एक हाथ रेनू के पीठ पर सहला रहा था पर दूसरा ,.
और कहाँ सीधे उसके कॉलेज टॉप के ऊपर से कच्ची अमिया को सहला रहा था , दुलरा रहा था , .
कुछ देर में टॉप की बटन भी खुलने लगी ,
रेनू ने ना नुकुर की ,
एक हाथ से अनुज का हाथ भी पकड़ने की कोशिश की पर दोनों जानते थे की रेनू की ये कोशिश कितनी 'असली ' थी
सच में मान गयी मैं अपने देवर को ,
अनुज की उँगलियाँ , . रेनू की हालत उसने खराब कर दी थी , रेनू की छोटी छोटी चूँचियाँ , एकदम बस अभी उठ रही थीं ,
एकदम गुड्डी , मेरी ननद की तरह की , .
अनुज बजाय दबाने रगड़ने मसलने के , बस अपनी उँगलियों उठती छातियों को हलके हलके सहला रहा था ,
और वो भी बेस पर , जब तक अनुज की उँगलियाँ , निप्स तक पहुंची , .
आलरेडी रेनू सिसक रही थी , चूतड़ पटक रही थी , एकदम गरम हो गयी थी ,
अनुज को ज़रा भी जल्दी नहीं थी , और अब उसने पूरी हथेली से नयी नयी आती छोटी उस दर्जा आठ वाली की चूँचियों को हलके हलके दबाना शुरू कर दिया , दूसरे निप पर अनुज के होंठ , .
लेकिन होंठ अभी भी दूर थे , वो सिर्फ जीभ से फ्लिक कर रहे और छोटे छोटे निप्स के सर खड़े हो रहे थे , .
रेनू की मस्ती से आँखे बंद हो रही थीं ,
बस अनुज ने मौके का फायदा उठाया और रेनू की स्कर्ट अब सरक कर नीचे फर्श पर चली गयी , वो सिर्फ एक छोटी सी पैंटी में , .
मेरे देवर का हाथ , उसने पैंटी हटाने की कोई कोशिश नहीं की ,
बल्कि सिर्फ एक हाथ से जाँघों के ऊपरी हिस्से को सहलाना शुरू कर दिया , . अपने आप रेनू की जाँघे फैलने लगीं , . और उनके बीच अनुज का हाथ , .
उधर छोटे छोटे चुम्मे अनुज के एक बार फिर से रेनू के होंठों पर , .
और अब रेनू भी कस कस के उसके चुम्मो का जवाब दे रही थी , होंठ कुछ देर में सरक कर उभरते किशोर उभारों पर ,
अनुज ने गियर चेंज कर दिया ,
अब सीधे एक हाथ पैंटी के ऊपर से अपनी हथेली से हलके हलके रगड़ना शुरू किया ,
बस चूँची की चुसाई
और चूत की पैंटी के ऊपर से रगड़ाई
रेनू की हालत खराब हो रही थी
और तब तक अनुज का औजार बाहर हो गया था ,
रेनू की आँखे बंद थी लेकिन अनुज ने उसके हाथ में अपना पकड़ा दिया ,
मुझे लगा शायद रेनू छोड़ देगी ,
लेकिन अनुज ने उसे इतना गरम कर दिया था की रेनू ने कस के ,.
और साथ ही अब अनुज ने जैसे ही रेनू की पैंटी सरकाने की कोशिश की ,
रेनू ने खुद अपने छोटे छोटे चूतड़ उठा दिए , और पैंटी भी फर्श पर
मान गयी मैं अपने देवर को , जबरदस्त फोरप्ले , पन्दरह बीस मिनट तक और झंडा उसका खड़ा ,
रेनू तो कच्ची कली थी , एकदम पिघल रही थी , बुदबुदा रही थी ,
अंत में थोड़ा जोर से बोली , करो न ,
मैंने वैसलीन की एक बड़ी शीशी तकिये के नीचे पहले से रखी थी , बस अनुज ने अपनी दो ऊँगली में ढेर सारा चुपड़ कर , वैसलीन की शीशी रेनू को पास कर दी , .
रेनू थोड़ी सी शर्मायी , झिझकी , लेकिन फिर वैसलीन अनुज के खुले सुपाडे पर , . इससे अच्छा क्या तरीका हो सकता था उस दर्जा आठ वाली की शरम छुड़ाने का,
लेकिन वैसलीन के मामले में अनुज ने , एकदम बदमाश , .
रेनू की गुलाबो के दोनों होंठों को फैला कर अंदर ,
लेकिन बस मुश्किल से एक पोर तक अंदर लगाया , जिससे सुपाड़ा बस फंस जाए , अंदर धस जाए ,
उसके बाद तो रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , छीलते जाय ,
रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , छीलते,.
रेनू थोड़ी सी शर्मायी , झिझकी , लेकिन फिर वैसलीन अनुज के खुले सुपाडे पर , . इससे अच्छा क्या तरीका हो सकता था उस दर्जा आठ वाली की शरम छुड़ाने का,
लेकिन वैसलीन के मामले में अनुज ने , एकदम बदमाश , .
रेनू की गुलाबो के दोनों होंठों को फैला कर अंदर ,
लेकिन बस मुश्किल से एक पोर तक अंदर लगाया , जिससे सुपाड़ा बस फंस जाए , अंदर धस जाए ,
उसके बाद तो रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , छीलते जाय ,
और फिर अपना सुपाड़ा रेनू के गुलाबी होंठों पर रगड़ने लगा ,
उह्ह्ह आह्हः नहीं , हाँ करो न ,
अब रेनू जोर से बोल रही थी सिसक रही थी , और अनुज ने वो काम कर दिया जो एकदम खेला खाया मर्द ही करता ,
अपनी तर्जनी उसने रेनू की क्लिट पर जम कर रगड़ दी ,
और रेनू के मुंह से वो निकल गया जो अनुज सुनना चाहता था ,
और उससे ज्यादा मैं सुनना चाहती थी ,
" चोदो न ,. . "
और मुस्करा कर बहुत प्यार से अनुज ने रेनू को चूम लिया और उसके कान में कुछ बोला ,
रेनू मुस्कराती रही शरमाती रही , ना ना में सर हिलाती रही ,
लेकिन उसकी क्लिट पर अनुज की ऊँगली आखिर में बोल गयी वो ,
चोद न भैया , .
( आखिर में उसकी पक्की सहेली गुड्डी का सगा भाई था , और बचपन से वो उसे भैया ही तो कहती थी )
बस , .
अनुज ने उसकी टाँगे फैलाकर उसके चूतड़ के नीचे एक मोटी सी तकिया लगाई ,
रेनू की दोनों टाँगे अपने कंधे पर खूब फैला कर रखीं और उसकी कच्ची कुँवारी कोरी चूत को ऊँगली से फैला कर ,
अपना मोटा सुपाड़ा सेट कर लिया
इनके ऐसा तो नहीं था , इनके ऐसा तो बालिश्त भर वाला , मेरी कलाई सा , बीयर कैन इतना मोटा
पर कम भी नहीं था , छह इंच से कम तो नहीं था , एवरेज से ज्यादा ही बड़ा मोटा , .
पर मेरा असली निशाना तो अभी चुद रहे रेनू की सहेली गुड्डी थी ,
और उसकी भी ऐसी सटी सटी , कसी होगी , . और उसमें वो बालिश्त भर का बीयर कैन की साइज वाला जाएगा ,
कितनी जोर से चिल्लायेगी मेरी छुटकी ननदिया सोच कर ही मेरी गीली हो गयी ,
रेनू भी खूब जोर से चिल्लाई ,
और मैंने अनुज को बार बार समझाया था रुकना मत न उसको चुप कराना ,
अनुज ने वही किया , एक धक्का और , फिर दुबारा ,
अब उसका मोटा सुपाड़ा रेनू की चूत में फंसा धंसा , वो लाख चूतड़ पटके कुछ नहीं होने वाला था
अनुज ने मुस्कराकर रेनू को देखा ,
वो कच्ची कली , किशोरी , कोरी दर्द में डूबी , भाले से बिंधी हिरणी की तरह कराह रही थी ,
पर अभी तो शुरुआत थी , सच में मुझे इतना अच्छा लग रहा था देखकर , .
कच्ची कोरी ननद और और उसकी बिल को फाड़ता उसकी भाई का मोटा सुपाड़ा ( बहले ही उसका मुंहबोला भाई ही रहा हो ) ,
पर मेरी आँखों के सामने , रेनू की जगह गुड्डी की तस्वीर नाच जा रही थी , .
अनुज भी न , . अभी तक तो उसने सिर्फ बनारस की हाईकॉलेज वाली गुड्डो की फाड़ी थी , लेकिन एकदम एक्सपर्ट , .
एक पल के लिए अनुज रुका , फिर कस के उसने रेनू की दोनों कलाइयों को अपने हाथ में मजबूती से जकड़ लिया , ,
अब वो छटपटा सकती थी , चीख सकती थी , लेकिन हिल नहीं सकती थी , सूत भर भी नहीं , .
मैं इंतजार कर रही थी ,
रेनू बहुत जोर से चीखी , . अगर सी सी टीवी नहीं भी होता तो उसकी चीख मुझे जरूर अपने कमरे में सुनाई देती , .
उसकी बड़ी बड़ी कजरारी आँखों में आंसू तैर रहे थे , चेहरा दर्द में डूबा था , . पर अनुज ने , एक बार फिर थोड़ा सा अपना हथियार पीछे खींचा
और पहले से भी जबरदस्त धक्का , .
और रेनू की चीख पहले से भी तेज , उसने दर्द से चादर अपनी मुट्ठी से पकड़ ली थी ,
मैंने कैमरा थोड़ा ज़ूम किया , .
खून की दो चार बूंदे , .
उस दर्जा आठ वाली की चूत के बाहर छलछला आयी थीं , .
लेकिन मान गयी मैं अपने देवर को , . वो रुका नहीं , हर दूसरा धक्का पहले वाले से तेज , पूरी ताकत से ,
अब मारे दर्द के रेनू चीख भी नहीं पा रही थी , सिर्फ आँसू के कुछ कतरे उसके गोरे गाल पर उतर आये थे ,
वो पानी के बाहर पड़ी मछली की तरह तड़प रही थी , दर्द से चेहरा सफ़ेद हो गया था ,
लेकिन अनुज भी न , .
उसपर इसका कुछ भी असर नहीं पड़ रहा था , आठ दस धक्के जोर से मारने के बाद , .
जब आधे से ज्यादा उसका अंदर घुस गया था , उसने एक बार फिर से पूरे सुपाड़े तक बाहर निकाला , .
और
और
और दोनों कलाई कस के दबोचे , भींचे , . एक बहुत ही करारा धक्का ऐसा मारा की एक धक्के में ही तीन चौथाई लंड उस दर्जा आठ वाली की चूत में धंस गया था ,
मारे दर्द के रेनू की देह जैसे जोर से उछली फिर लस्त पस्त बिस्तर पर , .
मैंने कैमरे को एक बार फिर ज़ूम किया , . उस किशोरी की चूत खून में लथपथ , अनुज के लंड पर भी खून लगा था , .
मान गयी मैं अपने देवर को , हचक के फाड़ी थी चूत उसने ,
एकदम बेरहमी से , .
सच में अगर मरद रहम दिखाए न तो न किसी कुँवारी की चूत फटेगी , न किसी चिकने लौंडे की गाँड़ मारी जायेगी ,
दो तीन हलके हलके धक्के और अब जब आलमोस्ट पूरा लंड रेनू की कुँवारी चूत में घुस चुका था , अनुज रुका ,.
अपनी रुमाल उठा के उस खून को अच्छी तरह से साफ़ कर दिया , और उस के बाद
पहले तो झुक के उसने उस गोरी के गोरे गोरे गाल पर लगे आंसू को चाट लिया ,
फिर हलके से चूम चूम कर उसने रेनू की आँखों पर उसकी पलके खुलवायीं ,
अभी भी उन आँखों में दर्द भरा था ,
पांच सात मिनट तक बस उसे प्यार से सहलाता रहा , चूमता रहा , सिर्फ होंठों से , . . दोनों कलाइयां उसने छोड़ दी , . और जब उसके होंठ झुककर रेनू के निप्स चूस रही थीं ,
तब रेनू मुस्करायी , बहुत हलके से , और जोर से उसके सीने पर मुक्का मारने लगी ,
अनुज ने झुक के कान में रेनू के कुछ कहा , और रेनू मुस्करायी और फिर और जोर से उसके सीने पर और तेजी से मुक्के से मारने लगी , . फिर कस के उसने अनुज को अपनी बाँहों में भर लिया , और कान में कुछ कहा ,
( बाद में जब रेनू शाम को मेरे कमरे में आयी तो उसने बोला ,
अनुज एकदम घबड़ा कर उससे बोल रहा था , तुम्हे बहुत दर्द हुआ न , रेनू ने जवाब दिया , हाँ हुआ , जान निकल गयी ,
और अब पूछ रहे हो , . और उसी के बाद रेनू ने कस के मुक्के मारने शुरू कर दिए ,
अनुज ने उसके कान में पूछा , अभी निकाल लूँ , तुझे बहुत दर्द हो रहा है न , .
रेनू ने उसके इयर लोब कस के काट लिए , . और उसके कान में बोली , .
अगर निकालने की बात भी न की तो तेरी जान ले लूंगी , इसलिए तेरी पिटाई हो रही है बेवकूफ की रुक क्यों गए ,
और कस के रेनू ने उसे अपनी ओर खींचते हुए भींच लिया )
फिर तो धक्के एक बार फिर से , लेकिन अबकी जैसे तूफ़ान के बाद हलकी सी हवा चलने लगे ,
मंद समीर ,. बस उसी तरह ,
अनुज रेनू
. रेनू ने उसके इयर लोब कस के काट लिए , . और उसके कान में बोली , . अगर निकालने की बात भी न की तो तेरी जान ले लूंगी , इसलिए तेरी पिटाई हो रही है बेवकूफ की रुक क्यों गए , और कस के रेनू ने उसे अपनी ओर खींचते हुए भींच लिया
फिर तो धक्के एक बार फिर से , लेकिन अबकी जैसे तूफ़ान के बाद हलकी सी हवा चलने लगे , मंद समीर ,. बस उसी तरह ,
और अब अनुज का सिर्फ लंड नहीं ,
उसकी पूरी देह , अंगुलियां , होंठ सब रेनू को तंग करने में लगे , और सबसे बढ़ कर उसकी आँखे रेनू को छेड़ रही थीं उकसा रहीं थी , .
और कुछ देर में रेनू भी अनुज का साथ देने लगी ,.
सच्च में मेरी असली ननद थी
अनुज जब अपने हाथों से उसकी नयी नयी आयी चूँचियाँ दबाता रगड़ता मींजता मसलता तो वो भी अपने छोटे छोटे हाथों से अनुज के हाथों को और कस के दबा देती मानो कह रही हो ,
और कस के रगड़ो मसलो न , .
जब अनुज झुक के उसके होंठों को चूमता तो वो भी अनुज के होंठों को चूम लेती , कभी अनुज के गालों को , .
तब तक मेरा एक फोन आगया और मैं फोन पर बात करने में , .
मेरी भौजी का था , . और उनकी बातें तो , . आठ दस मिनट बाद जब मैं लौटी तो
चुदाई एकदम धुंआधार चल रही थी ,
रेनू भी अपने छोटे छोटे चूतर उठा के साथ दे रही थी , . .
पर कुछ देर में रेनू की देह कांपने लगी ,
वो झड़ रही थी ,
पहली बार चुदवाती हुयी उसे झड़ने का मजा मिल रहा था ,
अनुज रुक गया , धक्के रुक गए , लेकिन उसका चूमना , जोबन को सहलाना , मीजना नहीं रुका , .
और जब कुछ देर बाद रेनू की हालत कुछ नार्मल हुयी तो फिर से अनुज ने चूम चूम कर उसके निपल को रगड़ रगड़ कर पहले तो उसे एक बार फिर गरमाया और ,
धक्के फिर से चालू थे ,
और कुछ देर में फिर पूरी स्पीड से तूफ़ान मेल की तरह अनुज का लंड रेनू की चूत में बार बार आ जा रहा था , .
और अबकी जब रेनू झड़ने लगी , तो साथ में अनुज भी ,
और उस समय अनुज का खूंटा पूरी तरह रेनू के अंदर समाया था ,
सारी की सारी मलाई रेनू की चूत के अंदर , .
और उसके बाद आठ दस मिनट वो दो दोनों एक दूसरे से चिपटे , एक दूसरे के अंदर धंसे ऐसे ही पड़े ,
लेकिन जैसे ही अनुज रेनू से अलग हुआ , जैसे सबकी सब शरम लाज दूनी ताकत से रेनू के अंदर वापस आ गयी ,
अब तक नंगी वो अनुज से चिपकी पड़ी थी पर ,
उसकी नजर पलंग पर पड़ी पतली रजाई पर पड़ी , बस उसे खींच के उसने अपने चारो ओर लपेट लिया ,
अनुज ने लाख कोशिश की लेकिन वो खिलखिलाती रही और जोर से रजाई की पकडे रही , अंदर धंसी रही , .
पर मेरा देवर भी न ,.
जब उसकी रजाई छीनने की सारी कोशिश फेल हो गयी , तो बस , वो भी रजाई के अंदर घुस गया और रेनू को अपनी बाँहों में भींच लिया
जवाब में रेनू ने कस के उसे दबा दिया , कुछ देर में ही फिर से चुम्मा चाटी , बात चालू हो गयी , . .
मैं मुस्कराते हुए बोली ,
" एकदम सभी सोने का ओवरटाइम , फिर जगने का , लेकिन थोड़ा ज्ञान भी बढ़ा लूँ "
मैंने टैब में खुली ' नीली पीली फिल्म ' की ओर इशारा किया।
असल में कर्टसी उनके देवर , मैंने टॉरेंट लोड करना सीख लिया था और फिर तो रोज पांच से छह , और एक से किंकी , उनके देवर को भी पसंद थी ऐसी फ़िल्में और अब मुझे भी ,
" चल अभी थ्योरी , आज बृहस्पतिवार है न शनिवार की शाम को आएगा मेरा देवर , प्रैक्टिस भी करवाएगा और इम्तहान भी लेगा। तो ठीक है मिलते हैं सात बजे के बाद। "
यह कहकर वो चल दी ,
असल में आज फिल्म का दिन नहीं था , आज तो मुझे लाइव शो देखना था , ननद पर देवर की चढ़ाई का।
और सोचना था जल्द ही मेरी एलवल वाली ननद पर कैसे मेरे जेठानी का देवर जल्द से जल्द चढ़ता है , .
जैसे आज रेनू की फ़टनेवाली थी , वैसे ही गुड्डी रानी की कब फटेगी।
रेनू
और रेनू चुद गयी।
रेनू , अरे वही , इनकी ममेरी बहन , मेरी छुटकी ननद की समौरिया , उसी की क्लास में पढ़ने वाली , . गुड्डी रानी के साथ , . और गुड्डी दर्जा आठ में पढ़ती थी ,
तो बाकी आप अंदाज लगा सकते हैं , एकदम कच्ची कली , कोरी , बस कच्ची अमिया आ ही रही थीं , चूँचिया उठान वाली उम्र ,. .
और चोदने वाला , और कौन ,.
उसका मुंहबोला भाई , . उसकी पक्की सहेली गुड्डी का भाई , मेरा देवर , . अनुज।
सच में भौजी के लिए कुँवारी ननद की चोदाई देखने से ज्यादा मजेदार कुछ नहीं है , और चोदने वाला उसका देवर हो तो उससे ज्यादा रसीला कुछ नहीं है ,
इसलिए मैंने न अनुज को बताया था , न रेनू को , .
और जब रेनू की फट रही थी , वो चीख रही थी , चिल्ला रही थी , रो रही थी , .
मेरे सामने रेनू नहीं मेरी ननद गुड्डी की तस्वीर बार बार उभर रही थी ,
कैसे उसकी फटेगी , कैसे वो चीखेगी , चिल्लायेगी , . और फाड़ने वाला उसकी और कोई नहीं , . मेरे ये होंगे ,.
उफ़ मैं भी न कई बार , .
इसी लिए तो शायद मेरी पोस्ट्स के पढ़ने वाले इतने कम होते हैं ,
कितनी बार मैंने समझाया अपने को , कोमल तुम भी न कभी कहीं से बात शुरू कर देती हो ,
तो चलिए शुरू से शुरू करती हूँ , .
जब रेनू आयी दो बजे के करीब , उसे मैंने दो बजे बोला था पर वो दो के पहले ही आ गयी थी ,
मैंने अनुज को बोला था डेढ़ बजे के लिए पर वो भी , एकदम बेताब , बेसबरा , भूखा ,
एक बजे ही आ गया था , .
गनीमत था मेरी जेठानी उस दिन साढ़े बारह बजे ही चली गयी थीं , सात बजे के बाद आने के लिए बोल कर , और सासु माँ तो पहले ही ,
अनुज को मैंने सब बात डिटेल में समझा दी , सिवाय ये बताने के की वो लड़की है कौन , .
पहली बात ये की कोई जल्दीबाजी नहीं , एकदम लड़की को गरम करके , . ( और रेनू रानी को तो वैसे ही चींटे काट रहे थे , मोटे मोटे ),
और जब वो एकदम गीली हो जाये तो फिर ठोंक दो , .
लेकिन उस समय कोई दया माया नहीं ,
हाँ ये बात मैंने बता दी अपने देवर को ,
उसके पहले वो गुड्डो की , अरे वही बनारस वाली , हाईकॉलेज वाली की सील तोड़ चुका था ( अरे उस की सेटिंग भी मैंने ही कराई थी , याद तो होगा आपको ) की ये वाली गुड्डो से भी कम उमर की है ,
और एकदम कोरी कच्ची ,.
इसलिए चीखेगी बहुत जब फटेगी ,.
लेकिन उसे चीखने देना , न उसका मुंह बंद करने की कोशिश करना , न अपने धक्के रोकना , जबतक छलछला कर खून बाहर न निकल आये , .
( घर में मेरे अलावा वैसे भी कोई था नहीं , और हमारा घर ऐसा इंडिपेंडेंट मकान था की आसपास कोई और मकान नहीं था। इसलिए ननद रानी की चीख पुकार सिर्फ मुझे सुनाई पड़ती और मौन तो चाहती भी थी सुनना , आखिर किसी भौजाई के लिए कुँवारी कच्ची उमर की ननद की फटते समय होने वाली चीख चिल्लाहट से बढकर कोई और मीठी म्यूजिक नहीं हो सकती थी )
दूसरी बात ,
मलाई एकदम अंदर तक , . जरा भी मत घबड़ाना की कही वो पेट से ,. मेरे पास आई पिल है , मैं दे दूंगी ,.
और झड़ने के बाद भी काफी देर तक अंदर ही रहने देना , पूरा का पूरा
( नेक्स्ट टाइम के लिए इससे बढ़िया चिकनाई कुछ नहीं होती और ननद रानी की झिझक भी टूट जाती )
और आखिरी बात , .
कम से कम दो बार , .
पांच साढ़े पांच बजे तक टाइम है उसके पास , . . सिर्फ एक बार में , बाद में लड़की की झिझक लौट आती है , सेन्स आफ गिल्ट भी हो सकता है , लेकिन दो बार के बाद तो अगली बार वो खुद आएगी।
और हाँ ये भी बोला था की उसके बाद , वो मेरे पास न आये , सीधे वहीँ से अपने घर
( रेनू को मैंने समझाया था मैंने की उसके बाद वो मेरे पास आ जाये , उसकी नयी फटी चुनमुनिया जो मुझे देखनी थी , उसे आई पिल देनी थी , उससे आगे के लिए बात करनी थी ,
लेकिन सबसे बड़ी बात वो घर से ये बहाना बना के आयी थी की मेरे पास पेंटिंग सीखने आ रही है , तो उसे घर लौट के कुछ दिखाना तो पड़ता , . मैं खुद पेंटिंग ऑलमोस्ट बना के रख लेती और उससे बस दो चार स्ट्रोक लगवा के ,.
कुछ काम बाकी भी तो रखना था , जिससे उसे अगली बार आने का बहाना बचा रहता )
अनुज को मैंने ये भी समझाया की वो लड़की क्योंकि उसे जानती है , हो सकता है उसे देखकर थोड़ा हिचकिचाए , झिझके , लेकिन वो बस उसे बाँहों में भर के ,. खूब किस करे , इधर उधर टच करे और सीधे कमरे में , .
मेरे कमरे के ठीक नीचे ग्राउंड फ्लोर पर एक कमरा था , एक गेस्ट रूम की तरह मेन दरवाजे से एकदम सटा , बस सीधे बेड पर , . और दस पांच मिंट में वो पट जायेगी।
लेकिन मेरा ये डर बेकार निकला , रेनू ज़रा नहीं भी झिझकी।
कर्टसी , हाई डिफ़िनशन सी सी टी वी , मैं एक एक पल देख रही थी , मेरे मोबाइल से वो लिंक था और उसे मैंने लार्ज स्क्रीन ( ६५ इंच ) वाले स्मार्ट टीवी से लिंक कर दिया था , बस लग रहा था मैं वहीँ बगल में खड़ी हूँ , एक एक पल रिकार्ड हो रहा था सो अलग , .
रेनू पौने दो बजे आ गयी थी , अपनी कॉलेज की ड्रेस में , टॉप और स्कर्ट , टॉप एकदम टाइट कच्ची अमिया छलकी पड़ रही थीं , .
उसने घंटी बजायी और अनुज लगभग दौड़ते हुए , . मैंने उसे कोडवर्ड बता दिया था , .
अनुज को देख कर एक पल के लिए चौंकी , पर मुस्कराते हुए बोली ,
" गुड्डी है " ( यही पासवर्ड था )
" नहीं , लेकिन उसका भाई है , चलेगा " ,
जवाब में अनुज बोला , ( यही कोडवर्ड था , मतलब जेठानी नहीं हैं , घर में मेरे अलावा और कोई नहीं है और मैदान साफ़ है ) .
मैं रेनू का रिएक्शन देख रही थी , मुझे डर था की कहीं गुड्डी के भाई को देखकर वो हिचक न जाय , पर रेनू भी ,. मुस्कराते हुए बोली
" चलेगा नहीं , दौड़ेगा " .
और खुद अनुज को अपनी बाहों में भींच लिया ,
अनुज ने भी कस के उसके गालो पर जबरदस्त चुम्मी ली और बाहर का दरवाजा बंद कर लिया , अनुज के हाथ सीधे कच्चे टिकोरों पर
रेनू ने जोर से सिसकी भरी , और मान गयी मैंने अनुज को , जबरदस्त ताकत थी मेरे देवर में ,
उसे गोद में उठा के सीधे कमरे के अंदर , . बिस्तर पर ,
रेनू अनुज की गोद में थी और टेबल पर एक बाउल में गुलाब जामुन
एकदम सही समझा आपने डबल भांग वाली गोलियों वाले ,. . ये मेरी सोच थी ,. थोड़ी बहुत हिचक जो होगी वो भी ख़तम हो जायेगी।
मैं सोच रही थी की अनुज रेनू को खिलायेगा , उसने कोशिश भी की ,. पर मैंने अपनी ननद को कम कर के आँका था , .
वो ठसके से अनुज की गोद में बैठी थी , उसने अनुज को मना किया , खुद एक गुलाब जामुन लेके अपने होंठों के बीच रख कर अनुज की ओर बढ़ाया और खुद अनुज के सर को कस के अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया ,
अनुज ने बड़ा सा मुंह खोल दिया , .
दोनों के होंठ चिपक गए पर बदमाश रेनू , गुलाब जामुन , अनुज को चिढ़ाते हुए अपने मुंह में गपक , . ये चैलेन्ज था अनुज के लिए , और अनुज की जीभ सीधे रेनू के मुंह में , . यही तो मैं चाहती थी , . डीप फ्रेंच किस , दोनों के होंठ चिपके , अनुज की जीभ रेनू के मुंह में , और रेनू के मुंह में घुलता डबल भांग की डोज वाला गुलाब जामुन का रस , . कुछ गुलाब जामुन , रेनू के मुंह से अनुज के मुंह में भी
और ठुड्डी पर गिरा शीरा अनुज ने चाट लिया
रेनू की
रेनू ने जोर से सिसकी भरी , और मान गयी मैं अनुज को , जबरदस्त ताकत थी मेरे देवर में ,
उसे गोद में उठा के सीधे कमरे के अंदर , .
बिस्तर पर ,
रेनू अनुज की गोद में थी और टेबल पर एक बाउल में गुलाब जामुन
एकदम सही समझा आपने डबल भांग वाली गोलियों वाले ,. . ये मेरी सोच थी ,.
थोड़ी बहुत हिचक जो होगी वो भी ख़तम हो जायेगी।
मैं सोच रही थी की अनुज रेनू को खिलायेगा , उसने कोशिश भी की ,. पर मैंने अपनी ननद को कम कर के आँका था , .
वो ठसके से अनुज की गोद में बैठी थी ,
उसने अनुज को मना किया , खुद एक गुलाब जामुन लेके अपने होंठों के बीच रख कर अनुज की ओर बढ़ाया और खुद अनुज के सर को कस के अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया ,
अनुज ने बड़ा सा मुंह खोल दिया , .
दोनों के होंठ चिपक गए पर बदमाश रेनू , गुलाब जामुन , अनुज को चिढ़ाते हुए अपने मुंह में गपक , .
ये चैलेन्ज था अनुज के लिए , और अनुज की जीभ सीधे रेनू के मुंह में , . यही तो मैं चाहती थी , .
डीप फ्रेंच किस , दोनों के होंठ चिपके , अनुज की जीभ रेनू के मुंह में ,
और रेनू के मुंह में घुलता डबल भांग की डोज वाला गुलाब जामुन का रस , . कुछ गुलाब जामुन , रेनू के मुंह से अनुज के मुंह में भी
और ठुड्डी पर गिरा शीरा अनुज ने चाट लिया
रेनू ने अपने दोनों हाथों से कस के अनुज के सर को पकड़ रखा था ,
तो अनुज का एक हाथ रेनू के पीठ पर सहला रहा था पर दूसरा ,.
और कहाँ सीधे उसके कॉलेज टॉप के ऊपर से कच्ची अमिया को सहला रहा था , दुलरा रहा था , .
कुछ देर में टॉप की बटन भी खुलने लगी ,
रेनू ने ना नुकुर की ,
एक हाथ से अनुज का हाथ भी पकड़ने की कोशिश की पर दोनों जानते थे की रेनू की ये कोशिश कितनी 'असली ' थी
सच में मान गयी मैं अपने देवर को ,
अनुज की उँगलियाँ , . रेनू की हालत उसने खराब कर दी थी , रेनू की छोटी छोटी चूँचियाँ , एकदम बस अभी उठ रही थीं ,
एकदम गुड्डी , मेरी ननद की तरह की , .
अनुज बजाय दबाने रगड़ने मसलने के , बस अपनी उँगलियों उठती छातियों को हलके हलके सहला रहा था ,
और वो भी बेस पर , जब तक अनुज की उँगलियाँ , निप्स तक पहुंची , .
आलरेडी रेनू सिसक रही थी , चूतड़ पटक रही थी , एकदम गरम हो गयी थी ,
अनुज को ज़रा भी जल्दी नहीं थी , और अब उसने पूरी हथेली से नयी नयी आती छोटी उस दर्जा आठ वाली की चूँचियों को हलके हलके दबाना शुरू कर दिया , दूसरे निप पर अनुज के होंठ , .
लेकिन होंठ अभी भी दूर थे , वो सिर्फ जीभ से फ्लिक कर रहे और छोटे छोटे निप्स के सर खड़े हो रहे थे , .
रेनू की मस्ती से आँखे बंद हो रही थीं ,
बस अनुज ने मौके का फायदा उठाया और रेनू की स्कर्ट अब सरक कर नीचे फर्श पर चली गयी , वो सिर्फ एक छोटी सी पैंटी में , .
मेरे देवर का हाथ , उसने पैंटी हटाने की कोई कोशिश नहीं की ,
बल्कि सिर्फ एक हाथ से जाँघों के ऊपरी हिस्से को सहलाना शुरू कर दिया , . अपने आप रेनू की जाँघे फैलने लगीं , . और उनके बीच अनुज का हाथ , .
उधर छोटे छोटे चुम्मे अनुज के एक बार फिर से रेनू के होंठों पर , .
और अब रेनू भी कस कस के उसके चुम्मो का जवाब दे रही थी , होंठ कुछ देर में सरक कर उभरते किशोर उभारों पर ,
अनुज ने गियर चेंज कर दिया ,
अब सीधे एक हाथ पैंटी के ऊपर से अपनी हथेली से हलके हलके रगड़ना शुरू किया ,
बस चूँची की चुसाई
और चूत की पैंटी के ऊपर से रगड़ाई
रेनू की हालत खराब हो रही थी
और तब तक अनुज का औजार बाहर हो गया था ,
रेनू की आँखे बंद थी लेकिन अनुज ने उसके हाथ में अपना पकड़ा दिया ,
मुझे लगा शायद रेनू छोड़ देगी ,
लेकिन अनुज ने उसे इतना गरम कर दिया था की रेनू ने कस के ,.
और साथ ही अब अनुज ने जैसे ही रेनू की पैंटी सरकाने की कोशिश की ,
रेनू ने खुद अपने छोटे छोटे चूतड़ उठा दिए , और पैंटी भी फर्श पर
मान गयी मैं अपने देवर को , जबरदस्त फोरप्ले , पन्दरह बीस मिनट तक और झंडा उसका खड़ा ,
रेनू तो कच्ची कली थी , एकदम पिघल रही थी , बुदबुदा रही थी ,
अंत में थोड़ा जोर से बोली , करो न ,
मैंने वैसलीन की एक बड़ी शीशी तकिये के नीचे पहले से रखी थी , बस अनुज ने अपनी दो ऊँगली में ढेर सारा चुपड़ कर , वैसलीन की शीशी रेनू को पास कर दी , .
रेनू थोड़ी सी शर्मायी , झिझकी , लेकिन फिर वैसलीन अनुज के खुले सुपाडे पर , . इससे अच्छा क्या तरीका हो सकता था उस दर्जा आठ वाली की शरम छुड़ाने का,
लेकिन वैसलीन के मामले में अनुज ने , एकदम बदमाश , .
रेनू की गुलाबो के दोनों होंठों को फैला कर अंदर ,
लेकिन बस मुश्किल से एक पोर तक अंदर लगाया , जिससे सुपाड़ा बस फंस जाए , अंदर धस जाए ,
उसके बाद तो रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , छीलते जाय ,
रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , छीलते,.
रेनू थोड़ी सी शर्मायी , झिझकी , लेकिन फिर वैसलीन अनुज के खुले सुपाडे पर , . इससे अच्छा क्या तरीका हो सकता था उस दर्जा आठ वाली की शरम छुड़ाने का,
लेकिन वैसलीन के मामले में अनुज ने , एकदम बदमाश , .
रेनू की गुलाबो के दोनों होंठों को फैला कर अंदर ,
लेकिन बस मुश्किल से एक पोर तक अंदर लगाया , जिससे सुपाड़ा बस फंस जाए , अंदर धस जाए ,
उसके बाद तो रगड़ते , दरेरते , फाड़ते , छीलते जाय ,
और फिर अपना सुपाड़ा रेनू के गुलाबी होंठों पर रगड़ने लगा ,
उह्ह्ह आह्हः नहीं , हाँ करो न ,
अब रेनू जोर से बोल रही थी सिसक रही थी , और अनुज ने वो काम कर दिया जो एकदम खेला खाया मर्द ही करता ,
अपनी तर्जनी उसने रेनू की क्लिट पर जम कर रगड़ दी ,
और रेनू के मुंह से वो निकल गया जो अनुज सुनना चाहता था ,
और उससे ज्यादा मैं सुनना चाहती थी ,
" चोदो न ,. . "
और मुस्करा कर बहुत प्यार से अनुज ने रेनू को चूम लिया और उसके कान में कुछ बोला ,
रेनू मुस्कराती रही शरमाती रही , ना ना में सर हिलाती रही ,
लेकिन उसकी क्लिट पर अनुज की ऊँगली आखिर में बोल गयी वो ,
चोद न भैया , .
( आखिर में उसकी पक्की सहेली गुड्डी का सगा भाई था , और बचपन से वो उसे भैया ही तो कहती थी )
बस , .
अनुज ने उसकी टाँगे फैलाकर उसके चूतड़ के नीचे एक मोटी सी तकिया लगाई ,
रेनू की दोनों टाँगे अपने कंधे पर खूब फैला कर रखीं और उसकी कच्ची कुँवारी कोरी चूत को ऊँगली से फैला कर ,
अपना मोटा सुपाड़ा सेट कर लिया
इनके ऐसा तो नहीं था , इनके ऐसा तो बालिश्त भर वाला , मेरी कलाई सा , बीयर कैन इतना मोटा
पर कम भी नहीं था , छह इंच से कम तो नहीं था , एवरेज से ज्यादा ही बड़ा मोटा , .
पर मेरा असली निशाना तो अभी चुद रहे रेनू की सहेली गुड्डी थी ,
और उसकी भी ऐसी सटी सटी , कसी होगी , . और उसमें वो बालिश्त भर का बीयर कैन की साइज वाला जाएगा ,
कितनी जोर से चिल्लायेगी मेरी छुटकी ननदिया सोच कर ही मेरी गीली हो गयी ,
रेनू भी खूब जोर से चिल्लाई ,
और मैंने अनुज को बार बार समझाया था रुकना मत न उसको चुप कराना ,
अनुज ने वही किया , एक धक्का और , फिर दुबारा ,
अब उसका मोटा सुपाड़ा रेनू की चूत में फंसा धंसा , वो लाख चूतड़ पटके कुछ नहीं होने वाला था
अनुज ने मुस्कराकर रेनू को देखा ,
वो कच्ची कली , किशोरी , कोरी दर्द में डूबी , भाले से बिंधी हिरणी की तरह कराह रही थी ,
पर अभी तो शुरुआत थी , सच में मुझे इतना अच्छा लग रहा था देखकर , .
कच्ची कोरी ननद और और उसकी बिल को फाड़ता उसकी भाई का मोटा सुपाड़ा ( बहले ही उसका मुंहबोला भाई ही रहा हो ) ,
पर मेरी आँखों के सामने , रेनू की जगह गुड्डी की तस्वीर नाच जा रही थी , .
अनुज भी न , . अभी तक तो उसने सिर्फ बनारस की हाईकॉलेज वाली गुड्डो की फाड़ी थी , लेकिन एकदम एक्सपर्ट , .
एक पल के लिए अनुज रुका , फिर कस के उसने रेनू की दोनों कलाइयों को अपने हाथ में मजबूती से जकड़ लिया , ,
अब वो छटपटा सकती थी , चीख सकती थी , लेकिन हिल नहीं सकती थी , सूत भर भी नहीं , .
मैं इंतजार कर रही थी ,
रेनू बहुत जोर से चीखी , . अगर सी सी टीवी नहीं भी होता तो उसकी चीख मुझे जरूर अपने कमरे में सुनाई देती , .
उसकी बड़ी बड़ी कजरारी आँखों में आंसू तैर रहे थे , चेहरा दर्द में डूबा था , . पर अनुज ने , एक बार फिर थोड़ा सा अपना हथियार पीछे खींचा
और पहले से भी जबरदस्त धक्का , .
और रेनू की चीख पहले से भी तेज , उसने दर्द से चादर अपनी मुट्ठी से पकड़ ली थी ,
मैंने कैमरा थोड़ा ज़ूम किया , .
खून की दो चार बूंदे , .
उस दर्जा आठ वाली की चूत के बाहर छलछला आयी थीं , .
लेकिन मान गयी मैं अपने देवर को , . वो रुका नहीं , हर दूसरा धक्का पहले वाले से तेज , पूरी ताकत से ,
अब मारे दर्द के रेनू चीख भी नहीं पा रही थी , सिर्फ आँसू के कुछ कतरे उसके गोरे गाल पर उतर आये थे ,
वो पानी के बाहर पड़ी मछली की तरह तड़प रही थी , दर्द से चेहरा सफ़ेद हो गया था ,
लेकिन अनुज भी न , .
उसपर इसका कुछ भी असर नहीं पड़ रहा था , आठ दस धक्के जोर से मारने के बाद , .
जब आधे से ज्यादा उसका अंदर घुस गया था , उसने एक बार फिर से पूरे सुपाड़े तक बाहर निकाला , .
और
और
और दोनों कलाई कस के दबोचे , भींचे , . एक बहुत ही करारा धक्का ऐसा मारा की एक धक्के में ही तीन चौथाई लंड उस दर्जा आठ वाली की चूत में धंस गया था ,
मारे दर्द के रेनू की देह जैसे जोर से उछली फिर लस्त पस्त बिस्तर पर , .
मैंने कैमरे को एक बार फिर ज़ूम किया , . उस किशोरी की चूत खून में लथपथ , अनुज के लंड पर भी खून लगा था , .
मान गयी मैं अपने देवर को , हचक के फाड़ी थी चूत उसने ,
एकदम बेरहमी से , .
सच में अगर मरद रहम दिखाए न तो न किसी कुँवारी की चूत फटेगी , न किसी चिकने लौंडे की गाँड़ मारी जायेगी ,
दो तीन हलके हलके धक्के और अब जब आलमोस्ट पूरा लंड रेनू की कुँवारी चूत में घुस चुका था , अनुज रुका ,.
अपनी रुमाल उठा के उस खून को अच्छी तरह से साफ़ कर दिया , और उस के बाद
पहले तो झुक के उसने उस गोरी के गोरे गोरे गाल पर लगे आंसू को चाट लिया ,
फिर हलके से चूम चूम कर उसने रेनू की आँखों पर उसकी पलके खुलवायीं ,
अभी भी उन आँखों में दर्द भरा था ,
पांच सात मिनट तक बस उसे प्यार से सहलाता रहा , चूमता रहा , सिर्फ होंठों से , . . दोनों कलाइयां उसने छोड़ दी , . और जब उसके होंठ झुककर रेनू के निप्स चूस रही थीं ,
तब रेनू मुस्करायी , बहुत हलके से , और जोर से उसके सीने पर मुक्का मारने लगी ,
अनुज ने झुक के कान में रेनू के कुछ कहा , और रेनू मुस्करायी और फिर और जोर से उसके सीने पर और तेजी से मुक्के से मारने लगी , . फिर कस के उसने अनुज को अपनी बाँहों में भर लिया , और कान में कुछ कहा ,
( बाद में जब रेनू शाम को मेरे कमरे में आयी तो उसने बोला ,
अनुज एकदम घबड़ा कर उससे बोल रहा था , तुम्हे बहुत दर्द हुआ न , रेनू ने जवाब दिया , हाँ हुआ , जान निकल गयी ,
और अब पूछ रहे हो , . और उसी के बाद रेनू ने कस के मुक्के मारने शुरू कर दिए ,
अनुज ने उसके कान में पूछा , अभी निकाल लूँ , तुझे बहुत दर्द हो रहा है न , .
रेनू ने उसके इयर लोब कस के काट लिए , . और उसके कान में बोली , .
अगर निकालने की बात भी न की तो तेरी जान ले लूंगी , इसलिए तेरी पिटाई हो रही है बेवकूफ की रुक क्यों गए ,
और कस के रेनू ने उसे अपनी ओर खींचते हुए भींच लिया )
फिर तो धक्के एक बार फिर से , लेकिन अबकी जैसे तूफ़ान के बाद हलकी सी हवा चलने लगे ,
मंद समीर ,. बस उसी तरह ,
अनुज रेनू
. रेनू ने उसके इयर लोब कस के काट लिए , . और उसके कान में बोली , . अगर निकालने की बात भी न की तो तेरी जान ले लूंगी , इसलिए तेरी पिटाई हो रही है बेवकूफ की रुक क्यों गए , और कस के रेनू ने उसे अपनी ओर खींचते हुए भींच लिया
फिर तो धक्के एक बार फिर से , लेकिन अबकी जैसे तूफ़ान के बाद हलकी सी हवा चलने लगे , मंद समीर ,. बस उसी तरह ,
और अब अनुज का सिर्फ लंड नहीं ,
उसकी पूरी देह , अंगुलियां , होंठ सब रेनू को तंग करने में लगे , और सबसे बढ़ कर उसकी आँखे रेनू को छेड़ रही थीं उकसा रहीं थी , .
और कुछ देर में रेनू भी अनुज का साथ देने लगी ,.
सच्च में मेरी असली ननद थी
अनुज जब अपने हाथों से उसकी नयी नयी आयी चूँचियाँ दबाता रगड़ता मींजता मसलता तो वो भी अपने छोटे छोटे हाथों से अनुज के हाथों को और कस के दबा देती मानो कह रही हो ,
और कस के रगड़ो मसलो न , .
जब अनुज झुक के उसके होंठों को चूमता तो वो भी अनुज के होंठों को चूम लेती , कभी अनुज के गालों को , .
तब तक मेरा एक फोन आगया और मैं फोन पर बात करने में , .
मेरी भौजी का था , . और उनकी बातें तो , . आठ दस मिनट बाद जब मैं लौटी तो
चुदाई एकदम धुंआधार चल रही थी ,
रेनू भी अपने छोटे छोटे चूतर उठा के साथ दे रही थी , . .
पर कुछ देर में रेनू की देह कांपने लगी ,
वो झड़ रही थी ,
पहली बार चुदवाती हुयी उसे झड़ने का मजा मिल रहा था ,
अनुज रुक गया , धक्के रुक गए , लेकिन उसका चूमना , जोबन को सहलाना , मीजना नहीं रुका , .
और जब कुछ देर बाद रेनू की हालत कुछ नार्मल हुयी तो फिर से अनुज ने चूम चूम कर उसके निपल को रगड़ रगड़ कर पहले तो उसे एक बार फिर गरमाया और ,
धक्के फिर से चालू थे ,
और कुछ देर में फिर पूरी स्पीड से तूफ़ान मेल की तरह अनुज का लंड रेनू की चूत में बार बार आ जा रहा था , .
और अबकी जब रेनू झड़ने लगी , तो साथ में अनुज भी ,
और उस समय अनुज का खूंटा पूरी तरह रेनू के अंदर समाया था ,
सारी की सारी मलाई रेनू की चूत के अंदर , .
और उसके बाद आठ दस मिनट वो दो दोनों एक दूसरे से चिपटे , एक दूसरे के अंदर धंसे ऐसे ही पड़े ,
लेकिन जैसे ही अनुज रेनू से अलग हुआ , जैसे सबकी सब शरम लाज दूनी ताकत से रेनू के अंदर वापस आ गयी ,
अब तक नंगी वो अनुज से चिपकी पड़ी थी पर ,
उसकी नजर पलंग पर पड़ी पतली रजाई पर पड़ी , बस उसे खींच के उसने अपने चारो ओर लपेट लिया ,
अनुज ने लाख कोशिश की लेकिन वो खिलखिलाती रही और जोर से रजाई की पकडे रही , अंदर धंसी रही , .
पर मेरा देवर भी न ,.
जब उसकी रजाई छीनने की सारी कोशिश फेल हो गयी , तो बस , वो भी रजाई के अंदर घुस गया और रेनू को अपनी बाँहों में भींच लिया
जवाब में रेनू ने कस के उसे दबा दिया , कुछ देर में ही फिर से चुम्मा चाटी , बात चालू हो गयी , . .