Episode 37


" ऐसा कर न इसके फेसबुक पोस्ट पर डाल दे , अरे इसके तीन अकाउंट तो हैं न बस , . और साइन आउट तो ये कभी करती नहीं , बस , डाल दे , . और से शेयर कर , मैं अपने भैया के फेसबुक पर , बस ,. आधे घंटे में ५०० लाइक्स आ जाएँगी , अब ये गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज की फेसबुक क्वीन हो जायेगी , . "

अब तो गुड्डी की हालत और ख़राब , वो रेनू से फोन छीनने की कोशिश करती रेनू लीला को , लीला मुझे और मैं रेनू को ,.

पांच मिनट तक जम कर रेनू लीला ने उसकी खिंचाई की फिर रेनू ने शर्त बतायी उसके कान में

बस , लेकिन रेनू लीला दोनों ने गुड्डी को बोला

गुलाबो की सेल्फी , झुक के , सामने से ,

और फिर ऊँगली कर के , .

पांच मिनट तक गुड्डी ना ना करती रही , फिर रेनू मुझसे बोली

" भाभी ये नहीं मान रही है न , तो चलिए अब इसके फोन से भेज देती हूँ , अभी इसके ,. और जैसे ही उसने बटन दबाया , बेचारी गुड्डी की हालत खराब , .

अरे कमीनी करती हूँ , . न

पर मेरी ननद बिचारी सेल्फी तो उसने अपनी गुलाबो की ,

कच्ची अमिया की खींच ली किसी तरह

लेकिन , ऊँगली करते हुए ,. अभी उसे ठीक से फिंगरिंग करना भी किसी ने सिखाया नहीं था , .

पर ये सिखाने पढ़ाने का काम तो भौजाइयों का ही है ,.

मैंने उसकी ऊँगली पकड़ कर ,.
जैसे किसी बच्ची को स्लेट पर क लिखना सिखाते हैं ,

पहले हथेली से गुलाबो को रगड़ कर मसल कर खूब गीली करो , फिर दोनों फांके ,

रसीले निचले होंठ , उन्हें मसल मसल के , . फिर एक ऊँगली अंदर दो ऊँगली बाहर , हलके हलके अंदर बाहर , गोल गोल , . .

एक हाथ कच्ची अमिया पर ,

और थोड़ी देर में मेरी ननद मस्ती से ऊँगली कर रही थी , एक बार सारे फोन्स पर पिक्स , वीडियो ,. .

और साथ में सेल्फी भी अपने ही फोन पर

और जैसे ही झड़ने के कगार पर वो पहुंची , रेनू ने फिर एक बार उसके कान में ,.

थोड़ी देर में तो उसने ना ना में सर हिलाया लेकिन फिर खुद ही पहले बहुत हलके , फिर थोड़ा जोर से ,.

मैं आई फोन पर रिकार्ड कर रही थी ,

" ओह्ह , उह्ह्ह , भैया करो न , . ओह्ह भैया , करो न मन करता है मेरा , सच्ची कर न ,. "

और वो थोड़ी देर में झड़ने लगी , और मेरे फोन पे उसके झड़ने की फोटो , उसकी आवाजें

हम तीनो अलग थे बिस्तर पर सिर्फ मेरे साजन की ममेरी बहन , ऊँगली हलके हलके करते हुए ,.

और मैं आईफोन का सदुपयोग करते हुए ,

और जब गुड्डी रानी झड़ने लगी , . तो मैंने रोका नहीं , बस लीला और रेनू को किस कर के थैंक्स दिया , उन दोनों के बिना तो ,

हाँ गुड्डी के भैया का लाया आईफोन , . . एक से एक क्लोज अप और आवाज भी , .

लेकिन तब तक रेनू के घर से फोन आया , .

और पांच मिनट के अंदर ही ,. हाँ गुड्डी की ब्रा और पैंटी उसे नहीं मिली ,

" पता नहीं कहाँ रख दिया है , संडे को आएगी तू न भैया से मिलने , . . बस उस दिन ले लेना , अरे यार तुझसे मिले बिना वो नहीं जाएंगे , . "

मैं बोली

और रेनू भी

"गुड्डी चल यार , मैं और लीला जा रहे हैं , वरना तू अकेले आना , और अकेले क्या आएगी तेरे तो दस यार हैं न साथ साथ पहुँचाने के लिए ,

पहुंचा देंगे , और बिना पैंटी के तो क्या , हम तेरी स्कर्ट उठा के तेरे यारों को दिखाने वाले नहीं है , चल न। "

बेचारी , उसे जाना ही पड़ा , हाँ मान गयी वो संडे को आएगी , . उस मोटे मूसल वाले से ;मिलने।

पर जाते जाते रेनू को मैंने गुड न्यूज दे दी , बस दो दिन का वेट , . मंडे को कॉलेज से सीधे आ जाए , अनुज रहेगा , . और उस दिन मेरे ही कमरे में ,.

उन के जाने के बाद मैं देख कर सोच कर मुस्करा रही थी , गुड्डी की ब्रा पैंटी , .

और उस की दो तीन दर्जन फोटुएं ,. ब्रा पैंटी वापस तो करुँगी मैं ,

लेकिन सूद के साथ , उसके भैया की थोड़ी बहुत रबड़ी मलाई भी होगी उसमें।

और अगले दिन आ गया मेरी दुर्गत करने वाला , . वही जिसके बिना जीना दूभर होता था

साजन से मिलन होगा

और अगले दिन आ गया मेरी दुर्गत करने वाला , . वही जिसके बिना जीना दूभर होता था ,

पर इस बार मेरी कुछ ज्यादा ही दुर्गत हुयी , . और ससुराल में नयी दुल्हन की दुर्गत करवाने में किसका सबसे ज्यादा हाथ होता है , बस उन्ही दोनों का हाथ इस बार भी था ,

मेरी सासू और ननद , . .

इस बार बंगलौर से चलने के पहले ही उन्होंने खुशखबरी सुना दी थी , बंगलौर से बनारस की सीधे फ्लाइट मिल गयी है , और कैंसिल भी नहीं है , दो बजे की फ्लाइट चार बजे तक बाबतपुर , ( बनारस का हवाई अड्डा ) और वहां से दो ढाई घंटे में , यानी छह , साढ़े छह बजे तक घर , .

और लौटेंगे भी वो लेट , . इस बार कोई प्रॉजेक्ट रिपोर्ट लिखने का चक्कर नहीं है ,

एक शाम की छह बजे की नयी फ्लाइट है तो वो वेब बुकिंग करा लेंगे तो डेढ़ दो बजे निकलने से भी टाइम पर पहुँच जाएंगे ,

मेरे मन में इतनी खुशी हुयी की क्या कहने ,

पिछली बार , आधी रात को आये थे ठीक बारह बजे , और बारह घंटे में ही निकल गए , . अगले दिन बारह बजे ,.
और बदमाश ,. उतनी देर में रगड़ के रख दिया , पूरे छह बार ,. . इस बार तो ,

मैंने जल्दी से जोड़ा , . करीब बीस घंटे , . और अगर नौ बजे हम ऊपर मिले तो भी सत्रह घंटे , . 4

मन तो कर रहा था उड़ के अभी आ जाएँ वो पर मैंने मन की बात मन में रखते हुए उनसे कहा ,

" सुनिए अपना ध्यान रखियेगा , और पिछली बार की तरह नहीं , बंगलौर एयरपोर्ट पर कुछ खा लीजियेगा। "

जेठानी और सास दोनों मेरे बगल में खड़ी कान पारे , . मेरी सास से नहीं रहा गया , पूछ ही लिया ,

' कब तक आएगा , . "

" चार बजे तक बनारस और छह साढ़े तक यहाँ "

मैंने बोला अपनी ख़ुशी छुपाते हुए , .

और जेठानी मेरी मुझे देख कर मीठी मीठी मुस्करा रही थीं।

मेरी सास ने जेठानी को रात के डिनर की पूरी लिस्ट बता दी और ये भी की खाना जल्दी , .

मैंने हाथ बटाने की पेशकश की तो सास और जेठानी दोनों ने मुझे ऊपर मेरे कमरे में खदेड़ दिया ,

और बोल भी दिया , खबरदार पांच बजे से पहले नीचे मत उतरना ,

सास थोड़ी दूर हुईं तो जेठानी ने मुझे समझाया भी हड़काया भी अपने देवर के बारे में बोलकर , .

अरे वो तो रस्ते में टैक्सी में , जहाज में सो लेगा और तू भी आने के बाद ,. पांच दिन से इन्तजार कर रही थी ,.

मैंने भी , . . बिना किसी बहाने के ऊपर अपने कमरे में ,

सच में नींद भी गहरी आयी घोड़े बेच के ऊप्स मेरा मतलब ननदें बेच के ,.

चार बजे , उन्ही का फोन था , . बनारस पहुँच गए थे और टैक्सी में वो बैठ गए हैं।

खुशी के मारे हालत खराब थी , बोलते नहीं बन रहा था लेकिन तब भी मैंने पूछ लिया , कुछ खाया की नहीं , .

गनीमत थी मेरी कसम का असर हुआ अबकी उन्होंने कुछ नूडल वूडल खा लिया था ,

मन तो कर रहा था की नीचे जा कर तुरंत सासू जी को बोलूं , लेकिन उन्होंने और उनसे ज्यादा जेठानी ने , पांच बजने से पहले नीचे न उतरने की शर्त लगा दी थी ,

कुछ देर सोचती रही , . फिर उनकी फेवरिट चोली घाघरा , एकदम देहाती मार्का , . मुझे मालूम था उन्हें देहाती माल पसंद हैं और देहाती लुक भी ,.

कभी चलेंगे न अपनी ससुराल तो एक से एक देहाती माल मिलेंगे उन्हें , हर उमर के , हर शेप और साइज के।

( बल्कि चोलीही उनका फेवरिट , चोली के ऊपर चुनरी हो या साड़ी तो मैं कमरे में पहुँचते ही उतार देती थी , लो कट , बैकलेस स्ट्रंग कच्छी चोली कट , ) चोली ने कस के मेरे उभारों को दबोच रखा था और थोड़ा पुश अप होने से क्लीवेज भी खूब खुल के दिख रहा था , पहले सोचा की ब्रा पहनूं की नहीं , फिर सासू जी की सोच के , पहन लिया , लेकिन फ्रंट ओपन , पुश अप , फिर उनकी फेवरिट डार्क स्कारलेट लिपस्टिक , ( आते ही वही तो खाएंगे ) और मांग भर के सिन्दूर ,.

अभी भी पंद्रह मिनट बाकी थे , बस मेरे मन में एक शरारत आयी ,. और कौन उनका माल , . गुड्डी , उसे फोन लगाया ,

लेकिन उसके पहले जो उसकी ब्रा पैंटी जब्त की थी , उसकी फोटो खींची और उसे पलंग पर बिस्तर के नीचे दबाया , और उनके खूंटे की एक फोटो ननद रानी को व्हाट्सऐप की और मेसेज भी , अभी आ रहा है , . . कल संडे को बारह बजे ,

मैं गुड्डी को फोन करती उसके पहले उसका फोन आ गया , मैंने तो पहले बहुत देर तक चिढ़ाया , . वो कौन छोड़ने वाली थी , . बोली भाभी तैयार हैं ,. अंत में वो मान गयी कल आएगी

और पांच बजे मैं नीचे उतर गयी ,

कोई भी हार्न बजता लगता की वो आगये , .

पर मुझसे ज्यादा मेरी सासउन्हें जल्दी थी , . वो और जेठानी जी , . उन दोनों लोगों ने खाना आलमोस्ट बना के रख लिया था ,

उनका फोन आया की अभी चंदवक पार कर रहे हैं ( मतलब एक घंटा और ) और सासु जी जेठानी जी के पीछे पड़ गयीं , दाल में तड़का डाल दो वो बस आने वाला होगा , सुबह से कुछ खाया पिया नहीं , सुबह से भूखा होगा , .

जेठानी जी ने चिढ़ाती आँखों से मुझे देखा और अपनी सास से मुस्करा के बोलीं ,

सुबह ने नहीं पांच दिन से , . आपका बेटा भूखा होगा , . और सास भी मुस्करा के , .

और उनके आने के पांच मिनट के बाद

लेकिन सास जी को कुछ काम याद आगया , वो बाहर चली गयीं घर के दस मिनट के लिए , जेठानी जी किचेन में चली गयीं , दाल चढ़ी थी

( मुझे मालूम था , दाल इनके आने के कितने पहले से बनी थी )

मुझे भी मालूम था वो लोग क्यों हटी हैं और इन्हे भी ,

पांच मिनट में मेरी लिपस्टीक आधी हो गयी , ऐसे कस के दबोचा उन्होंने , और मैंने भी , उन्ही को क्यों दोष दूँ , .

वो तो मैंने झूठ मुठ को बोला , दीदी , तो वो अलग हुए , सास भी मेरी घर में बेल बजा के आयीं ,.

मेरी सास का बस चलता तो अपने बेटे को आते ही खाना खिला देतीं , . .

लेकिन तब भी सात बजे तक हम सब लोग डिनर टेबल पर बैठ गए थे , .

और जेठानी क्यों मौका छोड़तीं अपने देवर की टांग खींचने का , बोली , क्यों भैया ज्यादा नींद आ रही है क्या ,

बस ये भी बोले , हाँ भाभी , सुबह का उठा हूँ , दिन भर की दौड़ भाग ,

बस सास्सू जी एकदम पीछे , . खाना खा के सीधे जाके आराम कर लो , बातचीत कल करेंगे ,

जेठानी ने फिर अपने देवर को खींचा ,

" आराम ही करना , . . "

मैं बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान दबा पा रही थी , खाना खा सात के पहले ही ये बेड रूम में ,

सासू माँ का नियम था , पहले दिन से ही नौ बजे तक वो मुझे हाँक के इनके पास भेज देती थीं , लेकिन आज तो इनके जाते ही मेरे पीछे पड़ गयीं ,

तू भी जा न , ऊपर

सासू

मैं बड़ी मुश्किल से अपनी मुस्कान दबा पा रही थी , खाना खा सात के पहले ही ये बेड रूम में ,

सासू माँ का नियम था ,

पहले दिन से ही नौ बजे तक वो मुझे हाँक के इनके पास भेज देती थीं , लेकिन आज तो इनके जाते ही मेरे पीछे पड़ गयीं ,

तू भी जा न , ऊपर ,.

लेकिन मुझे बड़ा ,. फिर मैंने देखा की सासू जी किचेन में कुछ ,. मैं बाहर रुक के देखने लगी ,

एक भगोने में दूध औटा रखा था , खूब गाढ़ा ,

एक ड्राअर से ,.

मैं समझ गयी , . इसी में से तो मैंने पिछली बार , रबड़ी में डाला था , .

मेरी ननद भी सुहाग रात के दिन और बाद में भी , .

शिलाजीत , शतावर ,

अश्वगंधा

और न जाने क्या ,.

मैं किचेन के बाहर से देख रही थी , . थोड़ी आड़ से , .

सासू जी ने चार केसर के फूल निकाल कर दूध में ऊपर से डाल दिए ,

एक बड़ी सी चांदी की ग्लास , . ट्रे में रखी

और मैं जैसे किचन में गयी , मुझे जोर की डांट पड़ गयी ,

जोर की मतलब जोर की ,

" तू अभी तक गयी नहीं , . कर क्या रही है , इतनी देर हो गयी ,. "

लेकिन फिर उन्हें कुछ याद आया ,

" अच्छा सुन , ये दूध , वो आधी रात में भूख भूख चिल्लायेगा , तो तू क्या करेगी , ये ले जा और मैं लड्डू भी दे रही हूँ , वो भी :

मैंने कहा था न मेरी ज्यादा दुर्गत के लिए मेरी सास भी जिम्मेदार थी , .

उन्होंने मुझे हाँक कर अपने बेटे के पास , .

मैं जब पहुंची तो पौने आठ बजने वाले थे , बजे नहीं थे , और साथ में वो ताकत वाला दूध और लड्डू

एक बार मेरी मंझली ननद दूध के बारे में बता रही थीं , कोई आदमी पिए तो सांड हो जाता है ,

मेरे मुंह से निकल गया ,

अगर कोई साँड़ पिए तो ,.

हंस के वो बोलीं

" वो तो तू ही बता सकती है , . : "

मैं कह रह थी न , . मेरी दुरगत कराने में मेरी सास और ननद का बहुत हाथ था , . . रोज रात में नौ बजे होने के पहले ही ,. अपने बेटे के पास सास मेरी भेज देती , उन्हें भी मालूम था की वहां उनका बेटा मेरे साथ क्या करेगा ,. पर उस दिन तो आठ बजे के पहले ही ,. और मैं मुस्कराते हुए देख रही थी औटाये हुए दूध में वो क्या क्या ,.

जो पहले से ही सांड़ हो ,.

हो जाय वो दस सांड की ताकत वाला , . मुझे क्या ,. . पांच दिन से इन्तजार कर रही थी ,

मैं लगभग दौड़ते हुए सीढ़ी पर ऊपर चढ़ी , . और झट से कमरे में , . और फिर मुड़कर सबसे पहले दरवाजा बंद किया , . दूध लड्डू की ट्रे , . साइड टेबल पर रखी , और उन्हें दिखाते ललचाते , मैंने साडी उतारी , और झटके से पास के ड्रेसिंग टेबल पर उतार फेंकी ,

एक लो कट , बैकलेस ब्लाउज ,. और पेटीकोट ,. .

वो रजाई में लेटे लेटे टुकुर देख रहे थे , . पर रोज की तरह उन्होंने रजाई में मेरे घुसने का इन्तजार नहीं किया , जब तक मैं समझती सम्हलती , मैं उनकी बांहो में थी और खींचकर मुझे वही सोफे पर ,

मैंने सोच के रखा था ये पूछूँगी उनसे , वो पूछूँगी , ये कहूँगी , वो कहूँगी पर ,

रात पिया के संग जागी रे सखी

एक बार मेरी मंझली ननद दूध के बारे में बता रही थीं , कोई आदमी पिए तो सांड हो जाता है ,

मेरे मुंह से निकल गया ,

अगर कोई साँड़ पिए तो ,.

हंस के वो बोलीं

" वो तो तू ही बता सकती है , . : "

मैं कह रह थी न , .

मेरी दुरगत कराने में मेरी सास और ननद का बहुत हाथ था , . . रोज रात में नौ बजे होने के पहले ही ,. अपने बेटे के पास सास मेरी भेज देती ,

उन्हें भी मालूम था की वहां उनका बेटा मेरे साथ क्या करेगा ,. पर उस दिन तो आठ बजे के पहले ही ,. और मैं मुस्कराते हुए देख रही थी औटाये हुए दूध में वो क्या क्या ,.

जो पहले से ही सांड़ हो ,.

हो जाय वो दस सांड की ताकत वाला , . मुझे क्या ,. . पांच दिन से इन्तजार कर रही थी ,

मैं लगभग दौड़ते हुए सीढ़ी पर ऊपर चढ़ी , .

और झट से कमरे में , .

और फिर मुड़कर सबसे पहले दरवाजा बंद किया , . दूध लड्डू की ट्रे , . साइड टेबल पर रखी , और उन्हें दिखाते ललचाते , मैंने साडी उतारी , और झटके से पास के ड्रेसिंग टेबल पर उतार फेंकी ,

एक लो कट , बैकलेस ब्लाउज ,. और पेटीकोट ,. .

वो रजाई में लेटे लेटे टुकुर देख रहे थे , .

पर रोज की तरह उन्होंने रजाई में मेरे घुसने का इन्तजार नहीं किया , जब तक मैं समझती सम्हलती , मैं उनकी बांहो में थी और खींचकर मुझे वही सोफे पर ,

मैंने सोच के रखा था ये पूछूँगी उनसे , वो पूछूँगी , ये कहूँगी , वो कहूँगी पर ,.

मेरे होंठ उनके होंठों ने गिरफ्तार कर लिए थे , उनकी जीभ मेरी मुंह में घुसी थी ,

और हम दोनों सोफे पर , .

हाँ उनके बदमाश हाथ , .

ये लड़का चाहे जितना आपको सीधा लगे , पर उसके कुछ हिस्से , उसके दोनों हाथ , होंठ , और सबसे बदमाश थी

नहीं नहीं ,. वो ,. एक बित्ते वाला , . उसे तो कुछ शरारत सिखाई , और ज्यादा इनकी सलहज रीतू भाभी ने ,.

मेरा मतलब , चोर डाकू , .

जिसने मुझसे मुझको ही चुरा लिया , . जी , . इनकी आँखे ,.

लेकिन उन बदमाश मेरे कपड़ों के दुश्मन हाथों ने , .

मेरी चोली और पेटीकोट वहीँ पहुँच गए जहाँ साडी थी , ड्रेसिंग टेबल पर

मैं क्यों छोड़ती उन्हें,

उनका शार्ट , उनकी बनयान ( इससे ज्यादा वो मेरा इन्तजार करते समय पहनते नहीं थे ) मेरे हाथों ने उतार कर फर्श पर , .

फिर मेरी ब्रा और पैंटी कैसे बचती , .

दस पन्दरह मिनट तक बस हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे , बिना कुछ बोले ,

बिना किस लिए ,

बस न वो कुछ बोल रहे थे न मैं , उनकी भी आँखे बंद मेरी भी , .

और बोले भी तो क्या , होंठों से नहीं ,

उनके हाथ बोलने लगे , मेरी पीठ को सहलाते , दुलराते ,.

और फिर वही बदमाश आँखे , .

जिस तरह उन आँखों ने मेरी आँखों में झांक कर देखा , . मैं शरमा गयी , मेरी आँखे बंद हो गयीं , मुझसे देखा नहीं गया ,

रात रात भर हम लोग बिना कपडे के और एक से एक बदमाशियां और अब तो कई बार उनसे भी ज्यादा मैं , .

आखिर अपनी भाभी की ननद थी ,

पर वो आँखे भी न ,. एक बार वो देखते थे की मैं बस पिघल जाती थी , .

और मेरी बंद आँखों में कुण्डी ताला लगा के उनके होंठों ने चाभी चुरा ली ,.

आँखों के खेल में तो कब की हार चुकी थी ,.

लेकिन अगर उनकी आँखे बदमाश थीं न तो मेरे होठ भी कुछ कम नहीं थे ,

एक चुम्बन के लिए तो मैं उनसे कुछ भी करा सकती थी ,

मेर होंठ आजाद हुए तो कस के , दस चुम्मी , पहले गालों पर फिर उनके होंठों पर , .

मेरे दोनों हाथों ने कस के उनके सर को पकड़ के ,

बदमाशी की शुरआत मैंने की लेकिन वो बदमाश ,.

उसके बदमाश हाथ ,. नदीदे , लालची , . एक हाथ पीठ पर रहा तो दूसरा

एकदम डाकू ,

लुटेरे ,

बस सीधे मेरे जोबन पर , जोबन लूटने में

( और यह लूट पहली रात से चालू थी , और मैं शिकायत करती तो किससे ,

कोहबर में से ही मेरी माँ , भाभी बहने सबने दलबदल कर लिया था , सब की सब अपने दामाद , नन्दोई और जीजू की ओर। )

और जैसे उनके हाथ काफी नहीं हो , उनके लालची होंठ भी आ गए उनके साथ ,

और जैसे माफ़िया वाले इलाका बाँट लेते है न ,

दायां जोबन उनके लुटेरे हाथ के कब्जे में तो बायां उभार , उनके लालची होंठों के पकड़ में ,.

पहले तो मैं चुपचाप सरेंडर कर देती थी ( मना तो मैंने इस लालची लड़के को पहली रात में नहीं किया था )

लेकिन अब उनके बदमाश , गुंडे टाइप हाथों की सोहबत में , देखादेखी , मेरे हाथ भी

मैं भी एक हाथ से उन्हें इस तरह से बांधे हुए थी की जैसे अब पल भर के लिए दूर नहीं होने दूंगी ( सच में मन तो यही करता था )

और दूसरा हाथ , सीधे उनके टिट्स पर ( कुछ मेरी भाभियों ने सिखाया था , कुछ मैंने खुद सीख लिया था )

लम्बे नाख़ून से मैंने स्क्रैच करना शुरू कर दिया , .

और होंठों और हाथ के बटवारे में बचा उनका बायां हाथ मेरे असली खजाने की ओर बढ़ा , मेरी जाँघे अपने आप सिकुड़ गयीं ,

और मेरा हाथ भी , उस बदमाश मूसल की ओर ,.

खड़ा तना तो वो पहले से ही था , . मेरी उंगलिया बजाय पकड़ने के उसके बेस पर हलके हलके दबाने लगीं ,.

और कुछ देर में ही वो ' मोटा' मेरी मुट्ठी में था , आलमोस्ट। पूरी तरह जगने पर तो वो मेरी कलाई से भी मोटा हो जाता था , एकदम बियर कैन इतना , . लेकिन अभी ,

रगड़ता , दरेरता फाड़ता ,

और कुछ देर में ही वो ' मोटा' मेरी मुट्ठी में था , आलमोस्ट।
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