Episode 38


पूरी तरह जगने पर तो वो मेरी कलाई से भी मोटा हो जाता था , एकदम बियर कैन इतना , . लेकिन अभी ,

और इनकी ऊँगली भी अब मेरी गुलाबो के आस पास , .

मैंने लाख कोशिश की अपनी जाँघों को चिपका कर रखने की , पर अब मेरी कोई चीज़ मेरी थी क्या ,

सच में बड़े शातिर चोर से पाला पड़ा था मेरा , पहली मुलाकात में ही ,

आँखे मिलीं और मेरा दिल चोरी कर लिए उसने , .

और उसके बाद मेरी कोई भी चीज़ ,

कोहबर में , मेरी माँ , बहनें , भाभी , सब की सब ,. एकदम से उसकी ओर

और पहली रात में ही , मन के बाद तन , .

बस उसकी एक छुअन काफी थी, और सब दर्द , तड़प , पीड़ा भूल कर वो अंग बस उसके कब्जे में ,.

वो तिहरा हमला , . उसके होंठ मेरे जोबन पर , एक हाथ दूसरे उभार को रगड़ता मसलता , और दूसरा हाथ , मेरी गुलाबो को सहलाता , मसलता ,

कचाक , . जोर से उसने एक ऊँगली ठेली ,

गप्पांक, . से मेरी चुनमुनिया ने घोंट ली , . उहहहह जोर की सिसकी निकल गयी

वो बेसबरा ,. उसे जरा भी इन्तजार नहीं होता था , और ये भी नहीं की कुछ ,.

आज मैंने खुद , .

मैं सोच के मुस्करा दी ,

मेरी सास , . अब उनकी, मेरी जेठानी की, और मेरी पक्की दोस्ती हो गयी थी , जाड़े की दोपहर में , मैं और मेरी जेठानी ने मिल के उनसे एक एक बात

एक दिन जिद करके हम दोनों उनसे उनकी गौने की रात की बात , .

और उन्होंने बताया की उस समय जेठानी , या शादी शुदा ननदें , रात में सरसों के तक की भरी बोतल रख देती थीं ,

और अगले दिन देखतीं थी कितना बचा , और नयी दुलहन की खूब खिंचाई होती थी ,.

लेकिन रात में जब दुलहन वापस पहुंचती थी , तो बोतल फिर से सरसों के तेल ( कड़वे तेल ) से भरी मिलती थी।

आज मैंने भी जब मैं तैयार हो रही थी ,

तो गुलाबो को फैलाया और दो ऊँगली से ढेर सारा सरसो का तेल एकदम अंदर तक चुपड़ लिया था , .

मुझे मालूम था उस समय न उन्हें होश होगा , न मुझे मौका मिलेगा की वैसलीन या ,. कुछ और ,.

थोड़ी देर में , ऊँगली की जगह मोटा मूसल , मेरे अंदर था , .

न मैं बोल रही थी , न वो , बस एक दूसरे को बांहों में भींचे , इतने दिनों का इन्तजार सूद सहित ,.

वहीँ सोफे पर , वो मेरे अंदर , मैं नीचे और वो ऊपर ,

हम दोनों का मन तन एकदम एक धीरे धीरे सावन के झूले की तरह , . धक्के का जवाब धक्के से , हम दोनों एक दूसरे के अंदर समाये ,.

पांच दिन पांच बरस हो गए थे , . कुछ देर में मैं सोफे पर अधलेटी , और वो फर्श पर खड़े , मेरी दोनों टाँगे उनके कंधे पर , जाँघे फैली और धक्को ओर धक्के

अब सिर्फ उस मोटे मूसल का अहसास हो रहा था ,

भले मैंने अंदर तक तेल लगा रखा था , लेकिन वो इतना मोटा था , . एकदम फट रही थी ,

रगड़ता , दरेरता फाड़ता ,

बस जान नहीं निकल रही थी , कस के मैं दोनों हाथों से सोफे को पकड़ने की कोशिश कर रही थी

लेकिन जितना दर्द हो रहा था , उतना ही अच्छा भी लग रहा था ,. इसी दर्द का तो इन्तजार था ,

कितनी बार , कितनी तरह

कुछ देर तो मैं उनकी गोद में थी , खुद ऊपर से धक्के लगाती , . .

महीने भर से ऊपर हो गए थे , लेकिन हर रात लगता था , हम दोनों पहली बार ,.

पर थोड़ी देर बाद ही वो एक बार फिर से ऊपर ,.

और मैं जोर जोर से तूफ़ान में पत्ते की तरह काँप रही थी , सिसक रही थी , उन्हें जोर से चिपकाए , उनके चौड़े सीने में दुबकी ,

उन्होंने भी कस के मुझे भींच लिया था , एकदम चिपका लिया था , .

' वो ' जड़ तक मेरे अंदर घुसा हुआ था , धंसा , . धक्के बंद हो गए थे

पर उस लुटेरे के पास कोई एक हथियार रहा ,

होंठ , उँगलियाँ , .

उसका एक चुम्मा ही बदन में ४९ पवन चलाने के लिए काम अगन जलाने के लिए काफी था , .

और अब उसे मेरी देह के हर कोने अंतरे का पता था , कौन सा बटन दबाने से क्या होता है

बस थोड़ी देर में एक बार फिर से मेरा मन करने लगा , मेरी देह कसमसाने लगी , और उसका मोटा मूसल मेरे अंदर तो धंसा था ही

कुछ देर तक हलके हलके ,

फिर पूरी तेजी के साथ और अब मैंने भी नीचे से अपने नितम्ब उठा उठा कर , .

अगर वो रुकते भी तो मैं अपनी बाँहों से उन्हें कस के भींच कर , अपनी ओर खींच , और उतना इशारा काफी था ,

बस एकदम फुल स्पीड , . धक्को पर धक्का , हर दूसरा धक्का सीधे बच्चेदानी पर

और अब जब मैं ,. . तो मेरे साथ वो भी , मेरे अंदर ,. . देर तक , जैसे कोई बाँध टूट गया हो ,

मैं प्यासी धरती की तरह एक एक बूँद सोख रही थी ,

कुछ देर बाद जैसे बारिश बंद होने के बाद भी पेड़ों के पत्ते से टप टप बूंदे टपकती रहती हैं , .

वैसे देर तक , और मेरी देह में बस उन टपकती बूंदों का अहसास बचा था , . देह में एक अजब सी कसक बची थी , और मैं उन्हें कस के बाँहों में बांधे , आधे पौन घंटे से ऊपर हो गए होंगे , पर ऐसे समय किसे समय का अंदाज रहता है ,.

और कुछ देर में जब हम दोनों होश में आये , . बस उन्होंने हलके से मेरे कानों को चूमा और गोद में उठाकर सीधे हमारी पलंग पर ,.

अब हम दोनों को थोड़ा होश आया , माघ का जाड़ा , और हम दोनों के सारे कपडे फर्श पर इधर उधर बिखरे , .

अब उन्होंने रजाई खींच कर , . हम दोनों रजाई में दुबके , . और हम दोनों ने बोलना शुरू किया , पहले सिर्फ उँगलियों से ,

मैंने इनके सीने पर ऊँगली से सहलाकर , नाख़ून से स्क्रैच कर ,

और उनके होंठ मेरे चेहरे पर ,

कुछ देर बाद हम दोनों के बोल फूटे तो फिर एक साथ ,

जो बाते मैंने उनको रोज फोन पर बता चुकी थी , कई कई बार , . वो भी फिर से ,. और मैंने भी उनके ट्रेनिंग की , .
मैं उनकी बात सुनना चाहती थी , और वो मेरी ,. असल में बात कौन सुनना चाहता था ,

मैं बस उनकी आवाज सुनना चाहती थी , और वो लड़का मेरी ,.

तभी मेरा ध्यान स्टूल पर रखे दूध के बड़े ग्लास पर पड़ा जो मेरी सास ने जाने क्या क्या डाल तैयार किया था ,

" माँ का दूध ,. "

कुछ देर बाद हम दोनों के बोल फूटे तो फिर एक साथ ,

जो बाते मैंने उनको रोज फोन पर बता चुकी थी , कई कई बार , . वो भी फिर से ,. और मैंने भी उनके ट्रेनिंग की , .
मैं उनकी बात सुनना चाहती थी , और वो मेरी ,. असल में बात कौन सुनना चाहता था ,

मैं बस उनकी आवाज सुनना चाहती थी , और वो लड़का मेरी ,.

तभी मेरा ध्यान स्टूल पर रखे दूध के बड़े ग्लास पर पड़ा जो मेरी सास ने जाने क्या क्या डाल तैयार किया था , .

बस मैंने उन्हें चिढ़ाते हुए , उनकी ओर ग्लास बढ़ाया और आँख नचा के बोली ,

" माँ का दूध ,. "

वो कौन कम थे।

कम से कम ढाई इंच की साढ़ी ( गाढ़ी मलाई की पर्त ) दूध के ऊपर थी , उन्होंने ऊँगली से लपेट के निकाल दिया ,

और सीधे मेरे निपल के चारों ओर लपेट दिया,

मैं जान रही थी वो लड़का क्या चाह रहा था ,

बस मैंने उनके खुले होंठों के बीच अपने खड़े कड़े ,

मलाई में लिपटे निप्स ठेल दिए और दोनों हाथों से उनका सर पकड़ के जोर से ऐसे पुश किया कि बस ,.

उनका मुंह तो बंद हो गया , पर मेरा थोड़े ही था।

" क्यों कैसा लग रहा है , माँ का दूध , . क्यों ये तो नहीं सोच रहे हो कहीं सीधे सासू जी के ,. चूस लो चलो वही सोच के ,. "

और एक बार और जोर से पुश कर दिया , उनका दूसरा हाथ मेरे दूसरे उभार पर जोर से रगड़ मसल रहा था , मस्ती मुझे भी चढ़ रही थी , मैंने उन्हें और छेड़ा

" हे जब एक निपल सासू जी का चूसते थे तो दूसरा क्या अपने हाथ से दबाते रहते थे , अभी भी मन करता होगा न सासू जी का कभी चूसने का , हैं तो एकदम टनाटन। "

और जब उनका मुंह खुला तो सीधे ग्लास उनके मुंह में लगा के घुट घुट , .

पर थोड़ा पीने के बाद ही , उन्होंने दूध का ग्लास मेरे हाथ से लेकर अब मेरे मुंह में , .

( पहली रात से ही यही होता था , आधे से ज्यादा ग्लास ये लड़का मुझे ही पिला के मानता था )

लेकिन आज का दूध थोड़ा अलग ही रहता था , मेरी ननद भी ग्लास में कुछ कुछ मिला के , लेकिन आज ,. . एकदम एक अलग मस्ती सी ,. और मैंने अब ग्लास उनके हाथ से लेकर उन्हें थोड़ा सा पिला टेबल पर रख दिया , अभी भी आधे से ज्यादा ग्लास भरा था।

लेकिन वो लड़का बदमाश नहीं, बदमाशों का सरदार था ,

ग्लास के ऊपर हिस्से में जो मलाई लगी थी , सब दो उँगलियों में लपेट लिया और मुझे पलंग पे धक्का देकर गिरा दिया और सारी मलाई , .

मेरे निचले होंठों पर ,

और लगा

सपड़ सपड़ ,

पक्का चूत चटोरा , .

कुछ ही देर मैं चूतड़ पटक रही थी , लेकिन साथ में उसे चिढ़ा रही थी ,

" हे मेरे ननद के यार , मेरी किस ननद के साथ चाटने की ये ट्रेनिंग की है , . मंझली ननद जी बचपन में चटवाती थीं क्या , या फिर ,. वो एलवल वाली , तेरा बचपन का माल , . या माँ के दूध का असर है , . "

असर तुरंत हुआ , जो जीभ चूत की फांको पर टहल रही थी , जबरदस्ती दोनों फांको को फैला दिया , . और जीभ अंदर

मैं भी यही चाहती थी , शुरू में ये बहुत हिचकिचाता अपनी मलाई चाटने में , .

लेकिन मेरी रीतू भाभी , मुझे समझा के चढ़ा के , और

अब बिना एक पल सोचे की मेरी चूत इन्ही की मलाई से बजबजा रही थी ,

सपड़ सपड़

लेकिन थोड़ी देर में मैं भी ऊपर थी

हम दोनों 69 के पोज में

उनका मोटा मूसल मेरे मुंह में और मेरी राजकुमारी , गुलाबो उनके होंठों के बीच ,

मैं कुछ देर तक सुपाड़े को चूसती चुभलाती रही ,

एकदम कड़ा ,

खूब मोटा और मांसल बहुत अच्छा लगता था मुझे जब जीभ की टिप से उसे छूती थी , कुछ देर तो सिर्फ सुपाड़े को ,

लेकिन उससे न उनका काम बनना था न मेरा ,. उन्होंने कस के चूतड़ उचकाया , मेरे सर को कस के पकड़ के पुश किया , .

और मैंने भी सर को धकेला और थोड़ी देर में आधा लंड मेरे मुंह में

गप्प

गप्प

मुंह पूरा भरा था , गाल एकदम फुले , मुंह फटा जा रहा था ,

था भी तो वो स्साला , मोटा बियर के कैन सा , .

पर मैं कौन छोड़ने वाली थी , कस के चूस रही थी ,

होंठों से रगड़ रही थी ,

जीभ से नीचे से चाट रही थी

और उस बदमाश की जीभ भी मेरे जीभ की टक्कर ले रही थी ,

जैसे कोई मोटे लंड से चोदे , उस तरह चूत में अंदर तक घुसी ,

और साथ अपने दोनों होंठों से कस के मेरे निचले होंठों को पकड़ के इतना कस के चूस रहा था , वैक्यूम क्लीनर मात ,

और फिर उसने एक और शैतानी की , उसके वही बदमाश हाथ ,

अंगूठा सीधे मेरी जादुई बटन पर , मेरी क्लिट को दबा दबा के , .

और क्लिट एकदम फूल के कुप्पा

मेरी उंगलिया भी जवाब में और उनकी बॉल्स ( उनकी सलहज की जुबान में बोलूं तो पेल्हड़ ) हलके हलके सहलाने लगी

सच में 69 का मज़ा जबरदस्त था

और अभी कुछ देर पहले ही तो एक राउंड जबरदस्त कबड्डी हम दोनों खेल चुके थे , इसलिए न जल्दी उन्हें थी न मुझे ,

और आज हम दोनों को कुछ ज्यादा ही मस्ती चढ़ रही थी ,

और तभी मुझे कुछ याद आया ,

गद्दे के नीचे ही तो था ,. और में उनके ऊपर से उठ गयी और साथ में बोला ,

" हे आँखे बंद ,. बंद मतलब एकदम बंद '

और उन्होंने आँखे बंद की

और मैंने गद्दे के नीचे , तकिये के नीचे ही तो रखी थी ,

मिल गयी

२८ सी
कल जो रेनू और लीला के साथ मिल के उतरवाई थी , मेरी ननद की , इनकी ममेरी बहन की

गुड्डी की सफ़ेद लेसी ब्रा ,. टीन ब्रा कच्ची किशोरी के नए नए आये चूजों की महक ,

मैंने उस की ब्रा उन के नथुनों के पास ले जाकर हलके से रगड़ दी ,.

बहुत गहरी सांस ली उन्होंने , . फिर चेहरा एकदम ,.

' किसकी है '

फुसफुसाते हुए हलके से मैंने पूछा ,

वो कुछ कन्फ्यूज थे ,

मैंने ब्रा उन के होंठों से सटा दी , .

और जो मैं चाह रही थी , वही हुआ ,. ब्रा उन्होंने जीभ बाहर निकाल के चाट ली , .

एकदम बिजली सा असर हुआ ,

' बोल न , किसकी ,. "

मैं उन्हें छोड़ने वाली नहीं थी , उनके मुंह से निकल गया तेरी ,

" उन्हह , छू के देख , पकड़ के रगड़ के ,. "

मैं बोली और उन का एक हाथ उन की बहन के ब्रा के कप पर , और दूसरा सीधे मेरे जोबन पर ,

२८ और ३४ का फरक , .

उन की उँगलियों की टिप उस दर्जा आठ वाली के ब्रा के कप के अंदर छू रही थीं , सहला रही थीं , रगड़ रही थीं , महसूस कर रही थीं ,

उसके अंदर बंद छोटे छोटे कबूतरों का अहसास , कच्ची अमिया का रस ,

और दूसरा मेरे उभार पर कस कस के दबाता ,

' बोल न , यार , . "

मैंने और उकसाया ,

" उसकी ;"

हिचकिचाते , थूक घोंट कर वो हलके से बोले ,

मेरी हंसी कमरे में बिखर गयी , और मैं उनके गाल को कचकचा के पूरे जोर से काटते बोली ,

" स्साले , साफ़ साफ़ बोल न , नाम लेने में क्या शरम , "

" गुड्डी '

बहुत धीमे से वो बोले ,

" नाम लेने में तेरी इत्ती फ़ट रही है , तो उसकी कच्ची अमिया का रस कैसे लेगा , मैंने नहीं सुना , फिर से जोर से बोल न , . "

" गुड्डी "

अबकी वो जोर से बोले ,

उनके चेहरे पर एक अलग ढंग की उत्तेजना छलक रही थी , खूंटा एकदम कड़क , .

' क्या लगती है मेरे शोना की ,. ये ब्रा वाली "

मैंने ब्रा अब उनके चेहरे पर हलके से रगड़ते हुए पूछा ,

एक बार फिर उन्होंने थूक घोंटा , . और रुक रुक कर बोले ,

' बहन'

" मस्त माल है न वो , सोच इस ब्रा के अंदर के कच्चे टिकोरे नए नए जस्ट उभरते हुए , छोटे छोटे , .

मजा आएगा न उन्हें छूने में , सहलाने में , हलके हलके दुलार करने में , दबाने में , मीजने रगड़ने में , तुझे भी और उसे भी ,. "

मैं हलके हलके हस्की आवाज में बोल रही थी।

" हाँ , हाँ ,. "

अबकी वो जोर से बोले , मजे के मारे उनका बुरा हाल था।

" तो बोल न क्या करेगा जब वो मिलेगी , . उसके कच्ची अमिया ,. "

मैं छोड़ने वाली नहीं थी ,

" वो वो , दबाऊंगा , मसलूंगा , मजे ले ले कर चूसूंगा ,. "

अब वो खुल के बोल रहे थे , लेकिन अभी तो उनसे बहुत कुछ कहलवाना था

" हे किसकी , . क्या , क्या दबाएगा , बोल न ,. "

मैंने फिर रगड़ा उन्हें , और मुश्किल से बोल फूटे उनके

" गुड्डी की , वो , वो ,. . चूं , चूं ,. "

मेरी हंसी नहीं रुक पायी ,

" अरे स्साले , तू चिड़िया है क्या , . चूं चूं बोल रहा है , नाम लेने में तेरी ,. तो क्या दबाएगा मसलेगा , बोल कस के , खुल के "

मैंने उनके गाल पर कस के चिकोटी काटते हुए बोला ,

" गुड्डी की चूँची "

अब उन के बोल खुले और साथ में उन की आँखे भी खुल गयीं , अब वो खुली खुली आँखों से अपनी ममेरी बहन की ब्रा देख रहे थे , ब्रा मैंने उनके हाथों में दे दी।

" है न मस्त , अब सोच इसके अंदर के छोटे छोटे चूजे , इसी ब्रा से रगड़ रहे होंगे , इसी में बंद , टाइट , उछलते मसलते , पहले उन्हें ब्रा के ऊपर से हलके हलके छूना , वो सिसक सिसक कर मना करेगी , नहीं भैय्या छोडो न क्या करते हो , . . और तुम छोड़ देना , फिर सीधे ब्रा के अंदर , .

बस हलके हलके छूना , सहलाना , . वो छोटे छोटे कबूतर के बच्चे , अभी नए पैदा हुए , . छोटे हैं लेकिन एकदम मस्त , .

तू सोचता रहता है न उनके बारे में , . और कुछ देर बाद उसे हलके हलके रगड़ना मसलना शुरू कर देना , . लेकिन हलके से , . "

मैं बोल रही थी , और वो सोच रहे थे .

उनकी कल्पना शक्ति बहुत ज्यादा थी और फैंटेसी पर लगाम जो वो लगाते थे मैंने तोड़ कर फेंक दी थी , अब कुछ भी गर्हित नहीं था , नो टैबू ,

सिर्फ मज़ा मेरे शोना छोना के लिए ,

मैं कनखियों से उनके खूंटे को देख रही थी , एकदम बौराया ,. पागल उस किशोरी के बारे में सोच सोच के

मैंने ब्रा उनके हाथ से ले ली और फिर अपने हाथ में ले कर उस बालिश्त भर के मूसल के ऊपर लपेट कर हलके हलके मुठियाने लगी

" बहुत कसी है तेरी बहन की ,एकदम कोरी कच्ची कली है , लेकिन मज़ा भी आएगा उसकी फाड़ने में , . चीख पुकार करेगी न तो करने देना , बस ठेल देना पूरी ताकत से , फाड़ देना पेल कर , . आखिर यार कोई न कोई तो फाड़ेगा ही उस स्साली की , . मेरा यार ही फाड़ दे ,. सोच उन छोटे छोटे जोबन को पकड़ के उस की लेने में , एक बार झिल्ली फ़ट जाए फिर आराम आराम से ,. "

अब उनसे नहीं रहा गया , अब सीधे मुझे लिटा के , लेकिन वो कुछ करते , . उसके पहले मैं ब्रा रखते बोली ,

" जानते हो गुड्डी ने क्या कहा था , मुझे ब्रा देते हुए , . कहा था ब्रा भैया को दे दीजियेगा और बोलियेगा ,

ब्रा के अंदर वाली चीज चाहिए न तो मैं कल आउंगी और , . "

फिर मैं रुक गयी

और वो भी रुक गए , मेरे होंठों के पास अपने होंठ लाते हुए , बड़ी बेताबी से पूछा , बोल न और क्या कहा था उसने

" बोली थी , की ब्रा के अंदर वाली चीज़ चाहिए तो बस खुल के मांग लें , एक बार , मैं दे दूंगी , वरना बस ललचाते रहें , . बिना मांगे कुछ नहीं मिलने वाला "

ये बात सच थी की गुड्डी की ये बात मैंने अपनी ओर से जोड़ के बताई थी लेकिन जादू सा असर हुआ ,

मेरी दोनों टाँगे उनके कंधे पर , और क्या करारा धक्का मारा ,

एक बार में ही वो बित्ते भर वाला आधे से ज्यादा अंदर ,. और अब मेरी चीख निकल गयी। जोर की

फिर तो ,. मिमिक करने में मैं कॉलेज में चैम्पियन थी ,.

एकदम गुड्डी की आवाज , वही अंदाज ,. और परफेक्ट रोल प्ले

" भैया , नहीं न , नहीं प्लीज , . दर्द होता है , . उह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्ह नहीं नहीं ,. "

मैं एकदम गुड्डी की आवाज में चीख रही थी , सिसक रही थी।

गुड्डी

फिर तो ,. मिमिक करने में मैं कॉलेज में चैम्पियन थी ,. एकदम गुड्डी की आवाज , वही अंदाज ,. और परफेक्ट रोल प्ले

" भैया , नहीं न , नहीं प्लीज , . दर्द होता है , . उह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्ह नहीं नहीं ,. "

मैं एकदम गुड्डी की आवाज में चीख रही थी , सिसक रही थी।

" बस , बस थोड़ा सा , बस , . . डालने दो न ,. "

वो भी एकदम रोल प्ले वाले मोड में थे , . .

मैंने जान बूझ कर टाँगे थोड़ी सिकोड़ ली , जाँघे भी भींच ली , .

" नहीं नहीं भइया , बहुत लगता है ,. ओह्ह नहीं , मेरी ,. ओह्ह , "

मैं एक नयी नवेली कच्ची कली की तरह , एकदम उनकी ममेरी बहन की तरह नखड़े कर रही थी , चीख रही थी ,

वो कौन रुकने वाले थे , उन्होंने ठेल दिया और मैं जोर से चीखी , एकदम गुड्डी की आवाज में

" नहीं नहीं भैया , तुम बहोत बदमाश हो , . . ओह्ह्ह फट गयी मेरी , भैया आपने फाड़ दी मेरी ,. "

और उन्होंने वही लॉजिक दिया जो मैं उन्हें दे देकर समझाती थी , उकसाती थी , और अब वही बात वो कह रहे थे ,

" अरे यार कोई न कोई तो तेरी फाड़ता न , . तो चल मैंने फाड़ दी ,. और यार ये चीज बनी है फटने के लिए , . जैसे ये चीज बनी है दबवाने मिजवाने रगड़वाने मसलवाने के लिए ,. "

और ये कह के कस कस के मेरी चूँचियाँ उन्होंने इस तरह मसली जैसे गुड्डी की मसल रहे हों , .

" उफ़ , हलके से दबाओ न भइया ,. ओह्ह आप बहुत जोर से दबाते हो ,. "

मैं एकदम मदमस्त गुड्डी की आवाज में बोली

एकदम जैसे पागल हो कर उन्होंने एक बार में आधा खूंटा करीब ४ इंच पेल दिया , सुपाड़ा पहले ही घुस चुका था , .

ओह्ह्ह्हह्हह नाहीई , . अबकी मैं सचमुच जोर से चीखी ,. ये दुष्ट मोटा अभी भी ,. . जब के मैंने जम कर अंदर तक सरसों का तेल लगाया था ,

सच्च में जोर का दर्द हुआ ,

लेकिन जैसे कई भी मर्द कच्ची कली की फाड़ते हुए दर्द की परवाह नहीं करता , और करना भी नहीं चाहिए , वरना किसी की भी न फटे ,

उन्होंने और कस के पेल दिया ,

ओह्ह्ह नहीं नहीं , नहीं भैया ,

बस बस अब नहीं दर्द होगा , मान जा , बस फटते समय

जो जो बात मैं अपने साजन को समझाती थी वही अब वो बोल रहे थे ,.

यानी मन से वो अपनी बहिनिया की लेने के लिए तैयार थे

आज उनके चेहरे पर एक अलग तरह की मस्ती , एक अलग तरह का जोश था , और धक्के भी खूब जोरदार ,

दस मिनट तक लगातार चोदने के बाद वो रुके और एकदम रोल प्ले वाले ढंग में गाल पर चूमते बोले ,

" हे बहुत दर्द तो नहीं हुआ , तुझे "

" भैया अगर मैं कहूं , हुआ, तो क्या आप रुकते ,. शरारत से , बड़ी अदा से मै बोली , .

" एकदम नहीं रुकता , और रुकता तो तेरी फटती कैसे ,. "

वो तो है ,

गोल गोल आँखे नचा कर मैं बोली।

उनके धक्के फिर से चालू हो गए , फिर पोज़ बदलकर साइड से ,

और उसी पोज में हम दोनों झड़े ,

फिर बहुत देर तक एक दूसरे की बाँहों में चिपके पड़े रहे

बोले वही पहले

उन्होंने बात तो छोटी सी कही , लेकिन मैं हिल गयी , .

काशी पटना छपरा जैसे हिले थे , उससे भी जोर से ,

जोर का झटका जोर से

बोले वही पहले

उन्होंने बात तो छोटी सी कही , लेकिन मैं हिल गयी , . काशी पटना छपरा जैसे हिले थे , उससे भी जोर से ,.

ये पांच दिन तो पहाड़ से हो जाते थे , और ,.

मैं रोज गिनती थी , ये मुई ट्रेनिंग कितनी दिन और बची है ,.

और उन्होंने जोर का झटका जोर से दिया ,

और जैसे उनकी आदत थी , उसके लिए भी दोस मुझ पर ही धर दिया ,

वही जो प्रोजेक्ट रिपोर्ट उन्होंने भागते , भुगते , टैक्सी , हवाई जहाज में बैठ कर बनाई थी , और वो फर्स्ट आ गयी थी , प्रजेंटेशन में ,

उनके अनुसार , .

घर आने के बाद एकदम से उनके नयी नयी आइडिया आयी और ,.

पर भुगतना मुझे पड़ना था ,

उनकी ट्रेनिंग एक हफ्ते तक बढ़ने वाली थी ,

असल में ये पूरे सात दिन का एक फॉरेन का असाइनमेंट ,.

चार दिन जेनेवा , ( वहीँ इनकी कंपनी का हेडक्वार्टर था और वहां तो पूरे ग्रुप को जाना था ) और इनको तीन दिन तक एमस्टर्डम , . वो जो इनका प्रजेंटेशन था , उसी को फिर से एक कोई ग्रुप था उसके सामने ,

मैं तो एक दम चुप हो गयी लेकिन ऊँगली पर जोड़ने लगी , .

अब इसका मतलब फागुन शुरू होने के करीब हफ्ते भर पहले ही वो आ पाएंगे और ,.

ये भी कोई बात होती है , .

वो मुझे मनाने के लिए अलग अलग कहानी सुनाने लगे ,

फॉरेन ट्रेनिंग , .

और एम्स्टर्डम तो उन्हें अकेले जाने का ,.

मैं जल बुझ के रह गयी , मेरे लिए तो बंगलौर भी बिदेस था ,

जहाँ मैं उनके साथ नहीं , वह हर जगह बिदेस ,

और जहां साजन साथ हो वो हर जगह देस।

" कुछ लाना है क्या है एम्स्टर्डम से ,. . "

उन्होंने मुझे कोंचा , मेरी आँखे भरभरा रही थी , किसी तरह मुंह से निकला

" मुझे तो यह लड़का चाहिए , जल्द से जल्द ,. "

उन्होंने मुझे कस के भींच लिया और बहाना बनाया ,

अभी कुछ पक्का नहीं है , हो सकता है नहीं भी हो ,

पर वो जब झूठ बोलते थे उसके पहले मुझे मालूम हो जाता था , . . मैंने भी उन्हें कस के भींच लिया ,

और चूम लिया ,.

मैं जानती नहीं थी क्या , की मन तो उनका भी यही करता है , मेरे पास रहने का ,. लेकिन क्या करें

नौकरी।

वो बदमाश , .

उन्हें मालूम तो था की मैंने कौन सी नीली पीली फ़िल्में देखीं , बात बदलते हुए बोले

" सुन एम्स्टर्डम में खिलौने बहुत अच्छे मिलते हैं , एक से एक चाहिए ,. "

मैं समझ गयी वो किन खिलौनों की बात कर रहे हैं ,

डिल्डो , वाइब्रेटर , .

मैं उनके ' उसको ' कस के पकड़ते बोली ,

" मेरे पास है , हाँ अपनी उस बहन के लिए तो चाहे तो लेते आना , . पर नहीं , . अब तो उसे भी यही ,. अभी तो तुम मान गए थे ,. "

एकदम से मूड मेरा बदल गया उन्हें चिढ़ा कर , छेड़ कर ,.

और वो भी जानते थे उनके बचपन के माल का नाम लेकर मुझे , उन्हें छेड़ना बहुत अच्छा लगता था ,

और मेरा मूड ठीक करने के लिए उन्होंने बात उसी ओर आगे बढ़ाई ,

" हे तूने उसकी ब्रा कैसे ,. "

उन्होंने मुझे चूम कर पूछा ,
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