Episode 44


कम्मो

कम्मो ,

चलिए बता ही देती हूँ , गाँव के रिश्ते से मेरी जेठानी इनकी भौजी ,.

असल में उसकी सास हमारे यहां काम करती थी , लेकिन महीने दो महीने के लिए तीर्थयात्रा वाली बस पर , .

और तब से कम्मो ही ,. उम्र मेरी जेठानी के ही आसपास , शायद एक दो साल ज्यादा होगी ,. २७-२८ खूब गोरी तो नहीं लेकिन सांवली भी नहीं , गेंहुआ , पर देह खूब भरी , मांसल और एकदम ठोस , जैसे काम करने वालियों की होती हैं ,

मांसल सख्त पिंडलियाँ , और सबसे मस्त थीं उसकी छातियां , ३६ डी डी से तो कत्तई कम नहीं होंगी , क्या पता ३८ ही हों , बल्कि शायद ३८ ही होंगी , ऊपर से ब्रा नहीं पहनती थी।

लेकिन मजाल क्या की ज़रा भी ढीली लगें , एकदम ठोस ,

और उसी तरह पिछवाड़ा भी , परफेक्ट दीर्घ नितंबा , और ताकत बहुत थी उसके देह में

सबसे अच्छी बात थी मेरी एकदम पक्की वाली अच्छी वाली दोस्त , .

अभी तो आठ दस दिन पहले ही आयी थी , और सासू जी ने पीछे वाली कोठरिया दे रखी थी।

आधे टाइम घर में हम सब के साथ ही , किचेन में हेल्प कराती , हर काम में ,

और हम लोग एकदम खुली वाली छेड़छाड़ , उसका मरद दुबाई कमाने गया था , दो साल से आया नहीं था ,

मैंने उसके पिछवाडे चिकोटी काटते चिढ़ाया ,

' तेरा काम कैसे चलता है '

और वो एकदम खुल के हंस के बोली ,

" अरे ससुराल में हूँ , सारे मरद मेरे देवर लगते हैं , बस देवर भाभी का तो ,. "

" मान लो कोई देवर थोड़ा शरमाये , झिझके , . तो, . "

मैंने छेड़ा ,

" अरे तो पटक के चोद दूंगी उसको ,. और गाँड़ मारूंगी सो अलग ,. आखिरी भौजाई हूँ , मेरा हक है। "

वो एकदम खुल के खिलखलाती बोली ,

उसका यही आटिट्यूड तो , शादी के बाद से ही ,. असल में गारी वारी तो मुझे सब आती थी , लेकिन ससुराल में झिझक , शर्म लाज , . और मेरी दुर्गत करने वालों में , दुलारी ,. इनके गाँव की नाउन की लड़की , अभी कुछ दिन पहले शादी हुयी थी , उमर में मुझसे दो चार महीने छोटी ही थी लेकिन एकदम खुल्लम खुल्ला , और मंझली ननद उसे ही चढाती थीं मेरे ऊपर ,

और ऐसे मौके पर कम्मो ,. उसके भी कान काटती थी , . सारी भौजाइयों के ओर से अकेले काफी थी।

अनुज, गुड्डी और उसकी सहेलियां भी कम्मो को न सिर्फ भौजी कहते थे बल्कि मानते भी थे।

और कम्मो भी उन सबकी ऐसे ही खुल के रगडायी भी करती थी , असली वाली गारी दे दे कर ,

दी ने बता तो दिया की मुझे कैसे पता चलेगा , फागुन लग गया , . उनके देवर के गाल देखकर , .

लेकिन एक सवाल मेरे सीने में फांस की तरह अटका था ,

सवाल तो इनके लिए भी टेढ़ा था , पर हालत इनकी मुझसे भी ज्यादा फंसी थी , कैसे बोले

सवाल टेढ़ा था , मेरी पहली होली , .

शादी के पहले ही मुझे बता दिया गया था की दुल्हन की पहली होली ससुराल में होती है , .

बहुत पुराना चलन है , . . और उस दिन से ही मेरी घबड़ाहट , .

और ऊपर से मेरी गाँव वाली भौजाइयां , . सब की सब ,. बिन्नो , . पहली रात तो झेल लेगी तू दर्द तो बहुत होगा , लेकिन सबकी फटती है पहली रात , तेरी भी फट जायेगी , और फिर वैसलीन , कडुआ तेल ,. और अगर दूल्हा थोड़ा ख्याल रखने वाला हुआ तो सम्हाल कर ,

लेकिन होली के दिन तो देवर , नन्दोई , और नयी भाभी देख कर तो पूरा मोहल्ला देवर बन जाता है , और ननदें भी कौन कम होती हैं ,

मेरी पहली होली ,

शादी के पहले ही मुझे बता दिया गया था की दुल्हन की पहली होली ससुराल में होती है , . बहुत पुराना चलन है , . .

और उस दिन से ही मेरी घबड़ाहट , . और ऊपर से मेरी गाँव वाली भौजाइयां , . सब की सब ,.

बिन्नो , . पहली रात तो झेल लेगी तू दर्द तो बहुत होगा , लेकिन सबकी फटती है पहली रात , तेरी भी फट जायेगी , और फिर वैसलीन , कडुआ तेल ,. और अगर दूल्हा थोड़ा ख्याल रखने वाला हुआ तो सम्हाल कर ,

लेकिन होली के दिन तो देवर , नन्दोई , और नयी भाभी देख कर तो पूरा मोहल्ला देवर बन जाता है , और ननदें भी कौन कम होती हैं ,.

लेकिन डर से ज्यादा , .

अब तो मुझे देवर ननदोई के साथ , . लेकिन बात कुछ और थी , .

फिर हमारे नन्दोई तो जबरदस्त रसिया , शादी में ही हम दोनों एकदम खुल गए थे और उन्होंने अपनी सलहजों और पत्नी के सामने मुझे चेताया था ,

" मैं सलहज से अपनी पिचकारी से सिर्फ सफ़ेद रंग वाली होली खेलता हूँ , . "

और मेरी ओर से जेठानी ने जवाब दिया था ,

" मेरी देवरानी को ऐसी वैसी मत समझियेगा नन्दोई जी , आपकी पिचकारी पिचका के रख देगी ,. "

और मेरी सारी जेठानियाँ , ननदे जोर से हंसी और मेरी एक छोटी ननद बोली ,

" जीजू , अबकी असल मुकाबला होगा , . "

लेकिन मेरे नन्दोई की निगाह मेरी लो कट चोली से झांकती गोरी गोरी , गुदाज गोलाइयों पर फिसल रही थी , असल में बदमाशी उसी ननद की थी , दो ननदों ने मेरा हाथ पकड़ा था और उस दुष्ट ने आँचल एकदम नीचे , और ऊपर से मंझली ननद ( नन्दोई जी की पत्नी ) बोलीं ,

अरे नन्दोई से क्या शरमाना।

" मैं चोली फाड़ के होली खेलता हूँ , . "

नन्दोई जी ने उकसाया , और जेठानी जी जिस तरह से मेरी ओर देख रही थीं , मैं समझ गयीं , मैं जवाब दूँ

" आइये तो आप , नन्दोई जी , . आप चोली फाड़ेंगे तो हम क्या आपका पजामा छोड़ेंगे , . यहीं फाड़ के , . इसी आँगन में नचाएंगी ,. "

हँसते हुए मैं बोली फिर जोड़ा , और ननद से बोली ,

" एक ऑफर है , स्पेशल होली ऑफर , . अब नन्दोई जी तो मेरे साथ , . ननद जी फिर एक्सचेंज कर लीजिये , मेरे साजन आपके साथ , और आपके साजन मेरे साथ , ,,, "

पहले गलती से वो हाँ बोल गयी और फिर भौजाइयों की हंसी ने उन्हें अंदाज दिलाया और मेरे गाल मींजती हुयी ख़ुशी से बोली

" तू कल की आयी , चार दिन भी नहीं हुए अभी , और मेरे भाई को मेरे ऊपर चढ़ा रही है , तेरे मायके में ये छिनरपना होता होगा। "

लेकिन नन्दोई जी नहीं आ रहे थे

, बहुत अफ़सोस हुआ उन्हें ,. और मुझे भी।

दस बार फोन किया होगा उन्होंने , . एक तो उनके मायके में एक शादी पड़ गयी थी , होली के एक दिन पहले ही , और दूसरे उन्हें कहीं जॉब के चक्कर में जाना पड़ रहा था , मैंने बहुत समझाया उन्हें ,. चलिए अगले फागुन में , . होके बोले ,

" सूद सहित लूंगा तेरी , अगवाड़ा भी पिछवाड़ा भी "

" एकदम , हँसते हुए मैं बोली , मुझे मालूम है आप छेद छेद में भेद नहीं करते, और मैं भी छोडूंगी नहीं , लेकिन एक दिन नहीं पूरे हफ्ते भर के लिए "

असल में ये राज उनकी पत्नी ने मुझे मेरी सुहागरात के दूसरे दिन ही बता दिया था , दोपहर में हम सब रजाई में और वो और दुलारी मेरे दोनों ओर ,

दुलारी ने पहले बताया की सुहागरात के चौथे दिन , उसके पिछवाड़ा का रास्ता खुल गया था ,

और मंझली ननद ने भी कबूला , . हनीमून वो लोग गए थे वहीँ , और अब तो बिना नागा , हर सैटरडे को ,.

और अगर कोई उस दिन छुट्टी पड़ी तो उस दिन भी ,.

फिर दोनों मेरे पीछे पड़ गयीं

" नयकी भौजी , इतना चूतड़ मटका के चलत बाड़ू न तोहरा पिछवाड़ा भी न बची। "

मुझे मालूम था , न बचे तो न बचे।

लेकिन मुझे ये भी मालूम था , मेरे हिस्से में लड़का आया था खूंटा उसका जितना भी खूंख्वार क्यों न हो शर्मीला नंबरी , . मैं जानती थी ललचाता है वो उसका मन भी करता है , पर घबड़ाता है वो की कहीं मैं बुरा न मान जाऊं ,

लेकिन उससे भी बड़ी बात थी , जो एकदम सही थी , पिछवाड़े , अगवाड़े से भी ज्यादा दर्द होना था , कम से कम पहली बार।

हाँ तो जैसे मैंने बोला कुल मिला के ये बात थी की इस होली पर ननद ननदोई नहीं आने वाले थे , और मेरी होली तो उन्ही के साथ , यहाँ घर पर तो कोई ननद नहीं थी न देवर ,

सिवाय इनकी ममेरी बहन और भाई , . मेरे देवर अनुज के ,

और वो स्साला अनुज भी अपनी बचा के होली में भाग रहा था , . असल में गलती उसकी नहीं थी , गलती एक्जाम की तारीख तय करने वालों की थीं ,

उसका इंजीनियरिंग का एक्जाम था होली के तीन चार दिन बाद , . और सेंटर बनारस में पड़ा था , .

वहीँ एक कोचिंग की थी एक हफ्ते की कोचिंग होली के पांच छ दिन पहले से ,

हालाकी उसकी होली तो अच्छी होनी थी , बनारस में गुड्डो थी न वही हाईकॉलेज वाली , मेरी जेठानी के मायके की , में जिसका फीता अनुज ने काटा था और अनुज का भी वो फर्स्ट टाइम था , फिर जेठानी का मायका , तो मेरे देवर की भी ससुराल ही हुयी न , . ससुराल वो भी बनारस की , .

पर मेरी पहली होली में तो उसे रहना नहीं था .

तो फिर होली में नन्दोई देवर दोनों का पत्ता कट गया ,

असल में मैं चाहती थी , होली में अपने मायके जाना , .

उसी के बाद उनको ज्वाइन करना था और शादी के बाद मैं गयी नहीं थी , और फिर जब से मेरी शादी तय हुयी थी , इनकी दोनों सालियाँ , जब ये देखने आये थे , . तभी मुझसे ताम्रपत्र पर लिखवा लिया था , जितने दिन उन के जीजू अपनी ससुराल में रहेंगे , . . मैं उन के जीजू की ओर देखूंगी भी नहीं ,. एकदम मैं मान गयी थी , तभी उनका फोन नंबर मिला मुझे।

और गांव में तो जितनी लड़कियां होती है सब की सब साली , और सब भौजाइयां सलहज , . ख़ास तौर से काम करने वाली , नाउन कहाईन , सब , .

फिर कोहबर में ही इनसे साली सरहज सबने तिरबाचा भरवा लिया था की होली में ये आयंगे , .

इसलिए मन तो इनका भी कर रहा था , . और हमारे गाँव में तो पूरे पांच दिन होली होती है , . कहीं अगर ये पांच दिन रह गए तो मेरी बहनों भाभियों की तो होली दिवाली दोनों हो जाते ,

लेकिन बोले कौन ,.

ये बेचारे तो मुझसे तक बोल नहीं पा रहे थे , मेरी सास से क्या बोलते ,.

और हमारे यहाँ सब बातें खाने के समय ही होती थी , सारे फैसले और मेरी सास ही फैसले लेती थी।

लेकिन बात छेड़े कौन , . मैं नहीं चाहती थी की मैं कुछ ऐसा बोल दूँ , . . सास मेरी इतना मानती थी मुझे , मेरे चक्कर में इन्हे डाँट पड़ जाती थी , तो उन के सामने , ,,,

रोज मैं जोड़ती थी फागुन , होली , सोचती थी आज हिम्मत कर के , .

फिर होता था अगले दिन ,

अगले दिन तो नहीं उसके अगले दिन ,

सास का फैसला

असल में मैं चाहती थी , होली में अपने मायके जाना , .

उसी के बाद उनको ज्वाइन करना था और शादी के बाद मैं गयी नहीं थी ,

और फिर जब से मेरी शादी तय हुयी थी , इनकी दोनों सालियाँ ,

जब ये देखने आये थे , . तभी मुझसे ताम्रपत्र पर लिखवा लिया था , जितने दिन उन के जीजू अपनी ससुराल में रहेंगे , . .

मैं उन के जीजू की ओर देखूंगी भी नहीं ,. एकदम मैं मान गयी थी , तभी उनका फोन नंबर मिला मुझे।

और गांव में तो जितनी लड़कियां होती है सब की सब साली ,

और सब भौजाइयां सलहज , . ख़ास तौर से काम करने वाली , नाउन कहाईन , सब , .

फिर कोहबर में ही इनसे साली सरहज सबने तिरबाचा भरवा लिया था की होली में ये आयंगे , .

इसलिए मन तो इनका भी कर रहा था , . और हमारे गाँव में तो पूरे पांच दिन होली होती है , .

कहीं अगर ये पांच दिन रह गए तो मेरी बहनों भाभियों की तो होली दिवाली दोनों हो जाते ,

लेकिन बोले कौन ,. ये बेचारे तो मुझसे तक बोल नहीं पा रहे थे , मेरी सास से क्या बोलते ,.

और हमारे यहाँ सब बातें खाने के समय ही होती थी , सारे फैसले और मेरी सास ही फैसले लेती थी।

लेकिन बात छेड़े कौन , . मैं नहीं चाहती थी की मैं कुछ ऐसा बोल दूँ , . .

सास मेरी इतना मानती थी मुझे , मेरे चक्कर में इन्हे डाँट पड़ जाती थी , तो उन के सामने , ,,,

रोज मैं जोड़ती थी फागुन , होली , सोचती थी आज हिम्मत कर के , . फिर होता था अगले दिन ,

अगले दिन तो नहीं उसके अगले दिन , .

बात मेरी सासु ने ही शुरू की ,

बात क्या शुरू की सीधे हुकुम सुनाया और जैसा उनकी आदत थी ,

इन्हे डांट कर , . कम्मो साथ थी ,

" ससुराल जाओगे तो खाली हाथ मत जाना , कुछ शॉपिंग वापिंग कर लो , मेरी समधन के लिए अच्छी साड़ी ले आना , जैसे मेरी लिए लाये हो वैसे ही , और कम से दो तीन , एक तो मेरी ओर से भी होगी , दुल्हन की पहली होली ,. होगी ,.

और साली सलहज , घर में काम करने वाली , . मुफत में होली खेलने को नहीं मिलती , . आज ही जाकर , . "

मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था , न मैंने कहा, इनकी तो खैर हिम्मत पड़ती नहीं , कैसे , दस बार तो ये कहा गया था , दुल्हन की पहली होली ससुराल में

और सास ने अब बात मेरी ओर मोड़ दी ,

" तुझे तो मालूम है , ये कितना बुद्धू है , ये तो इसकी किस्मत अच्छी है की तू इसे मिल गयी , इसे कुछ भी समझ नहीं है , . "

मेरे मुंह से जी निकल गया और मेरी जेठानी और कम्मो दोनों इनकी ओर देख कर जोर से मुस्करायी ,

पर सासू जी पर कोई असर नहीं पड़ा , वो मुझे समझाती रहीं ,

" तू साथ जाना शॉपिंग के लिए , तुझे हर चीज की बहुत अच्छी तमीज़ है , कपडे की भी फैशन की , . और पहले से लिस्ट बना लेना ,. और अपने लिए भी ,. पहली होली होगी तेरी , कुछ सिलने के लिए देना हो तो टेलर इसे मालुम है , . जो मेरे कपडे सिलता है , तेरी जेठानी के भी , उसी के पास , . और होली के लिए कुछ और , . "

लेकिन मेरे मन में कुछ उमड़ घुमड़ रहा था , कहीं इन्होने तो सास से मेरे नहीं कह दिया , या कहीं मम्मी ने तो नहीं और सास मेरी अलफ़ हो गयीं हो , और मैंने हिम्मत कर के बोल दिया

"असल में , . मेरा मतलब , . लेकिन क्यों , . कहीं ,. आप ने तो , . "

मैं हिचकिचा रही थी , घबड़ा रही थी , जो कहना चाह रही थी , वो कह नहीं पा रही थी , क्या पता किस बात पे बुरा मान जाए , और क्या कहूं , .

" साफ़ साफ़ बोल न , क्या कहना चाह रही है , . "

सासू जी मुझसे बोलीं ,

जेठानी , कम्मो , ये सब मेरी ओर ही देख रहे थे और मेरी समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलूं , .

बोल नहीं फूट रहे थे , कभी नीचे देखती , कभी ऊँगली में आँचल घुमाती ,

और ये भी न ,. एक बार इनकी ओर देखा पर ये भी चुप्प , . आखिर हिम्मत कर के बोली , .

' असल में मैं सोच रही थी , पहली होली , . तो यहीं ,. आप लोगों के साथ , . "

सास मेरी मुस्करायी , . फिर बोलीं ,

" तू भी न , आखिर किस बात को ले कर पड़ी है , . . हमारे यहाँ की रस्म है , की दुलहन की पहली होली ससुराल में होती है , . अरे वो मैंने ही कही थी , मैं अब कुछ और कह रही हूँ , . और तेरे ननद नन्दोई आ नहीं रहे , देवर भी बनारस जा रहा है , फिर किसके साथ होली खेलेगी , मेरे साथ या अपनी जेठानी के साथ ,. "

" नहीं लेकिन मैं , असल में पहली होली के , . . फिर बाद में , . "

अबकी सासू जी सच में गुस्सा हो गयीं , और उनकी एक आदत मैंने नोट की थी जब वो ज्यादा गुस्से में होती थीं , तो जिससे नाराज होती थीं उससे कुछ नहीं बोलती थी , और किसी और पर अपना सारा गुस्सा , .

और उन्होंने अपना चेहरा मेरी जेठानी की ओर कर लिया और उन्हें हड़काने लगी , . इतना गुस्सा मैंने देखानहीं था कभी

" तुझे मैंने बोला था न जरा ठोंक बजा के देवरानी लाना , सुन्दर तो ऐसी कोई नहीं हो सकती , लेकिन दिमाग भी तो देखना चाहिए था , . .

एकदम पागल। और किस जमाने की लड़की पकड़ लायी तू।

जब ये ट्रेनिंग पर जा रहा था तो मैंने बोला , मायके चली जा इसे , तूने भी समझाया , .

इसने भी लेकिन नहीं एक जिद आप लोगों के पास रहूंगी , दीदी के पास रहूंगी , नहीं जाउंगी , . और नहीं जाउंगी तो नहीं जाउंगी ,.

कोई आज कल की लड़की होती मरद बाद में जाता उसका सूटकेस पहले बंध जाता , . और जाने के पहले खाली टाटा बाई करने आती , और ये तेरी देवरानी , . आज के जमाने में भी बस अपने सास से ,.

कुछ भी समझ नहीं है , .

अरे इसे बता , होली की छुट्टी के बाद सीधे जॉब पर जाना होगा , और नयी नौकरी में छुट्टी भी नहीं मिलती , साथ आठ महीने ,.

तो क्या साल भर बाद ,. मायके जायेगी , ससुराल का इतना ख्याल है , सास का लेकिन माँ का बहन का , . उनका भी तो ,. "

सास मेरी बोले जा रहीं थी और मेरी आँखों में आंसू नाच रहे थे , . मुझसे ज्यादा , . यहाँ मेरी इनकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी और सास हमारी खुद , .

फिर डांट का रुख मेरी ओर हो गया ,

" समधन जी का फोन आया था , तू उन्हें फ़ोन क्यों नहीं करती , . " सास बोलीं।

साजन चले ससुराल होली में

" तुझे मैंने बोला था न जरा ठोंक बजा के देवरानी लाना , सुन्दर तो ऐसी कोई नहीं हो सकती , लेकिन दिमाग भी तो देखना चाहिए था , . . एकदम पागल। और किस जमाने की लड़की पकड़ लायी तू। जब ये ट्रेनिंग पर जा रहा था तो मैंने बोला , मायके चली जा इसे , तूने भी समझाया , . इसने भी लेकिन नहीं एक जिद आप लोगों के पास रहूंगी , दीदी के पास रहूंगी , नहीं जाउंगी , . और नहीं जाउंगी तो नहीं जाउंगी ,.

कोई आज कल की लड़की होती मरद बाद में जाता उसका सूटकेस पहले बंध जाता , . और जाने के पहले खाली टाटा बाई करने आती ,

और ये तेरी देवरानी , .

आज के जमाने में भी बस अपने सास से ,. कुछ भी समझ नहीं है , .

अरे इसे बता , होली की छुट्टी के बाद सीधे जॉब पर जाना होगा , और नयी नौकरी में छुट्टी भी नहीं मिलती , साथ आठ महीने ,. तो क्या साल भर बाद ,. मायके जायेगी , ससुराल का इतना ख्याल है , सास का लेकिन माँ का बहन का , . उनका भी तो ,. "

सास मेरी बोले जा रहीं थी और मेरी आँखों में आंसू नाच रहे थे , . मुझसे ज्यादा , .

यहाँ मेरी, इनकी हिम्मत नहीं पड़ रही थी और सास हमारी खुद , .

फिर डांट का रुख मेरी ओर हो गया ,

" समधन जी का फोन आया था , तू उन्हें फ़ोन क्यों नहीं करती , . "

सास बोलीं।

क्या बोलती मैं ,

मेरी माँ पक्की दलबदलू हैं ये बोलती लेकिन हिम्मत कर के बोली ,

असल में उन्ही का फोन आ जाता है दिन में दो बार इसलिए मैं इधर से क्या फोन करूँ , . हलके से मैंने समझाने की कोशिश की।

" क्यों , इधर से फोन करने में क्या परेशानी है , सब आज कल की बहुएं तो किचेन में भी फोन लेके, और मैंने तेरे हाथ में तो फोन कभी देखा नहीं ,"

वो बोलीं

अब पानी सर से ऊपर चला गया था , मुझसे नहीं रहा गया , अब मेरे दिल की बात मेरे मुंह में आ गयी , मैं कस के बोली ,

" आप समधन समधन , कर रही हैं , . कित्ती देर वो मुझसे बात करती हैं ,

अगर गलती से मैंने फोन उठा लिया तो बस एक बात , दामाद जी को फोन देना। और उनसे आधे घंटे ,. मुझसे बस एक लाइन , .

उससे अच्छा तो आप के साथ घंटो मैं बात करती हूँ , . .

और उनको तो छोड़िये , मेरी भाभी , बहने बस सब, जीजू कहाँ है , . "

अब सासू जी मुस्करा के दुलराते बोलीं , .

" तू न मेरी बेटी भी है बल्कि बेटी से भी बढ़कर ,. "

अब मैं भी हंसी , और उन्ही की बात दुहरायी , और उन के लड़के को देखते हुए चिढ़ाया , .

" आप ही ने तो कहा था की मेरी ससुराल में बेटी बहु में अंतर् नहीं होता , . "

" एकदम , सारी तेरी ननदें अपने भाइयों से फंसी होती है , ये बात तेरी एकदम सही है "

सास हंसती हुयी बोलीं और अपने लड़के से पूछा ,

" तुझे कब ज्वाइन करना है , . "

उन्होंने मोबाईल देखा , कलेण्डर और जोड़ के बोला , होली के सातवें दिन बाद , बनारस से ही फ्लाइट है , कम्पनी वाले टिकट करा रहे हैं , "

सास जी ने जेठानी जी से कुछ कहा , और जेठानी जी फोन में उलझ गयी और सास जी ने हम दोनों का प्रोग्राम सेट कर दिया ,

" तो ठीक है , होली के तीन दिन पहले , तुम दोनों , . . सुबह ही निकल जाना ,. और होली के बाद सात दिन ,. ये भी आठ दस दिनअपने मायके रह लेगी , . और तू भी आखिर बनारस से ही तुझे जाना है , हाँ नौकरी पर जाने के पहले एक दिन बनारस जा के दरसन कर लेना , . तो जाओ और सुनो ,

अब वो मुझसे बोलीं ,

शॉपिंग का ध्यान रखना ,

तब तक फोन लग गया था ,

मेरी मम्मी से सास बात करनी चाहती थीं , . लेकिन फोन नहीं लगा पाया।

उन लोगों की बात पूरी हुयी थी की कम्मो अपने देवर को चिढ़ाते बोली ,

" भैया अपनी दुल्हिन से अपनी बात बुलवा रहे थे , ससुराल में जाते हुए होली में डर लगता है , गाँव की होली , स्साली , सलहज , . जम के रगड़ाई होगी तोहार , "

जेठानी क्यों मौका छोड़तीं , बोलीं ,

" एकदम सही कह रही हो , लेकिन अब रगड़ाई होनी है तो वो तो होगी ,

और गाँव की होली रंग से नहीं गोबर कीचड़ से होती है। अच्छा तो है ,

और मेरी सास ने और खिंचाई की , उनकी

" ये तो पहले सोचना चहिये था , उस समय तो आम के बाग़ में तीन दिन की बारात , . सब बातें मान गयी , .

इत्ती प्यारी मीठी मीठी दुलहन ऐसे थोड़ी मिलती है , रगड़ाई तो होनी ही चाहिए ,

और फिर ऐसा घर साली भी सलहज भी , .

अच्छा अब तू सब चलो मेरे सोने का टाइम हो रहा है और बहु ये सो जाएगा , . इसे हाँक कर शॉपिंग के लिए अभी ले आकर चले जाना , टेलर के पास टाइम लगता है। "

वो सोने चली गयीं , हम दोनों कमरे में , . और मैंने फोन लगाया , सबसे पहले इनकी सलहज को ,

वो तो ख़ुशी से उछल पड़ीं , .

वहां कहा ये लोग सोच रहे थे , होली के दिन , ज्यादा से ज्यादा दो तीन दिन ,,,,

यहां तो पूरे दस दिन , . दो तीन दिन में ही उनकी साली सलहज का ' जबरदस्त ' प्रोग्राम था और पूरे दस दिन ,.

और जैसे की उनकी सलहज की आदत थी , और भाभी को ही क्यों बोलूं , उनकी साली , सास सब , तुरंत बोलती थीं , फोन जरा उनको दो ,.

मैंने इसी स्पीकर फोन ऑन कर दिया था ,

वो भी कान पारे सुन रहे थे , .

" सुन , अपनी ननद के यार को बोल देना , . बल्कि तुम ही , एक वैसलीन की बोतल ले आना , छोटी वाली नहीं सबसे बड़ी बोतल ,.

नहीं बल्कि , सरसों का तेल , . कच्ची घानी वाला , .

और अपनी ननद के भंडुए को बोल देना
( भाभी को भी अंदाज़ तो था ही की स्पीकर फोन चालू होगा और उनके नन्दोई सुन रहे होंगे ) ,

रोज सुबह शाम , . अपने पिछवाड़े ,. दो अंगुली में लगा के , एकदम अंदर तक , . और बाहर भी चुपड़ लेगा ,

अभी पंद्रह बीस दिन है , . उसको कोहबर की शर्त तो याद होगी ना , . उस दिन उसका पिछवाड़ा बच गया था , लेकिन अबकी नहीं बचेगा , रोज मोटा मोटा ,. "

सुन तो वो रहे ही थे , उनका मन कर रहा था सीधे अपनी सलहज से बातें करें पर जान बुझ के मैंने नहीं दिया।

सलहज , साली , सास कोई ही , अगर उनके हाथ में फोन आ गया तो एकदम फेविकोल , .

आधे घंटे से पहले छोड़ नहीं सकते थे ये ,.

और अभी बाज़ार जाना था , लंबी चौड़ी लिस्ट थी , . फिर उस लेडीज टेलर के पास , और वो शाम को बंद कर देती थी , उसे मैंने फोन कर दिया था , नाप जोख के लिए ,.

" एकदम भाभी , . वो सुन रहे हैं , कैसे भूलेंगे कोहबर की बातें ,. लेकिन अभी चल रही हूँ , बाज़ार जाना है और फिर एक लेडीज टेलर के यहाँ , . बस लौट के आप से बात करा दूंगी "

मैंने फोन रखने की कोशिश की पर सलहज उनकी ,

" ठीक है लौट के बात कराना , और हाँ तू कह रही थी लेडीज टेलर के यहाँ जाने को , तो बस वहां पहुँच के मुझसे उससे जरा बात करा देना , . " ये कह के रीतू भाभी ने फोन रख दिया।

शॉपिंग में मुझसे बड़ी उनकी लिस्ट थी , साली , सलहज , सास ,.

मैंने उनके लिए भी दो चार कुरता पजामा सफ़ेद खरीदवा दिए , आखिर गाँव में घर में पैंट शर्ट पहन के थोड़ी रहते ,.

हाँ लेडीज टेलर से उनकी सलहज की बात करा दी , और उस ने जो काम सलहज ने कहा था वो कर भी दिया , .

हम लोग मंदिर भी गए , मेरी भी मनौती थी उनकी , मेरी ये ट्रेनिंग से ठीक ठाक जल्दी से लौट आएं और उनकी , .

बताउंगी तो हँसियेगा ,. . उन्होंने जो कोहबर में वायदा किया था वो , वह पूरा कर सके , .

होली में ससुराल जाने की।​
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