Episode 45


आप सहेलियों के प्यार स्नेह और दुलार से

मैं और ' ये ' हम लोग दोनों ठीक हैं ,

बस दो बातों के कारण मैं कुछ दिनों से फोरम से गायब हूँ , आप लोगों की याद आती है , लेकिन,.

पहली बात तो ये है की हम दोनों ( मैं और मेरे ये ) जिस शहर में हैं वहां हालत अच्छी नहीं है ,

आप सब अखबार में रोज पढ़ती होंगी , . और हम लोगों की सोसायटी भी एकदम रेड जोन में है , . उससे बढ़कर कन्टेनमेंट जोन भी एकदम पास में हैं , . . बस उस सब चक्कर में कुछ लिखने का पोस्ट करने का मन नहीं बन रहा था , हाँ मैंने तय कर लिया है जिस दिन लाकडाउन का ये तीसरा फेज़ ख़तम होगा न पक्का , बस उसके बाद से रोज बिना नागा ,. अगर रोज पोस्ट न भी कर पायी तो आकर गप्प तो जरूर मारूंगी , सब से हाल चाल पूछूँगी ,. बस हफ्ते दस दिन की बात है ,

और एक बात और ,.

जिस कारण और ,. लाकडाउन में आप सब समझती हैं न , ' एक काम ' और बढ़ जाता है ,.

और आप ने तो मोहे रंग दे कहानी मेरी पढ़ी है , वो काफी कुछ मेरी ही ,. तो पहले दिन से ये न दिन देखते हैं न रात ,. और जब घबड़ाहट हो परेशानी हो तो 'वो सब और '

कुछ प्राइवेट कम्पनी खुलने लगी हैं , और लाकडाउन हटने के बाद इन्हे भी रोज नहीं हफ्ते में तीन दिन ,. वो भी चार घंटे के लिए ,. बस कहानी का अपडेट भी हो जाएगा और आप लोगों के संग मस्ती भी

आप सब सहेलियों की और दोस्तों के पोस्ट पढ़कर बहुत अच्छा लगा ,

मैं ठीक हूँ , एकदम ठीक हूँ , . आप लोग का स्नेह प्यार दुलार , मुझे कुछ नहीं होने देगा ,.

बस ये प्यार दुलार बना रहे

और हम सब इस संकट से जल्द से जल्द उबर जाएँ

बस आप सब अपना और ' अपनों ' का ध्यान रखिये

मोहे रंग दे की अगली पोस्ट के पहले दो छोटे छोटे विनम्र अनुरोध , पाठकों से भी पाठिकाओं से भी

और अपनी सहेलियों से भी , .

प्लीज प्लीज , जहाँ से कहानी एक महीने पहले छूटी थी , उस पोस्ट को पढ़ लें , जिससे सिलसिला बना रहे

मैं गाँव वाली , मायका बनारस के पास का गाँव और ससुराल भी पास में ही , . इसलिए ढेर सारी गाँव वाली बातें , खास तौर से पूर्वांचल की आती रहेंगी ,

इसलिए दूसरा निवेदन अब कहानी थोड़ी सी फ्लैश बैक में जायेगी ,

कोहबर की रीत रिवाज ,

कोहबर लड़की और लड़के वाले दोनों के यहाँ बनता है , बुआ बनाती थी , मेरी शादी में बनाया भी था और नेग के लिए ठनगन भी हुयी ,

लेकिन कोहबर का असली खेल लड़की वाले के यहाँ होता है ,

पहले तो साली सलहज द्वार छेंकाई मांगती हैं , आज जो जूते से ज्यादा जुड़ गयी है

दूसरी बात कोहबर में सिर्फ लड़कियों , यानी साली सलहज , का राज होता है , और थोड़ा बहुत सास जो अक्सर बीच बचाव कराती हैं की विदाई की देरी हो जायेगी ,

कोहबर की रस्में भी अलग होती हैं , गाने वाने भी , . लेकिन कुल मिलाजुला कर लड़के की रगड़ाई होना तय रहता है

और मेरी शादी तो एकदम गाँव वाला माहौल , गालियां भी असली और सालियाँ भी असली , .

लड़के की माँ , भाभियाँ बहुत कुछ समझा कर भेजती हैं , बुरा मत मानना , साली सलहज हैं छेड़ेंगी तो

तो बस दूसरा अनुरोध ,

मेरी सहेलियों से , आप सबसे , अगर आप के खुद के बहनों के , किसी दोस्त के कोहबर के मजाक के छेड़ छाड़ के अनुभव हों तो जरूर शेयर करें ,.

तब तक ज़रा मैं कमर सीधी करती हूँ आगे की पोस्ट्स के लिए

साजन चले ससुराल ,.

और मैंने फोन लगाया , सबसे पहले इनकी सलहज को ,

वो तो ख़ुशी से उछल पड़ीं , .

वहां कहा ये लोग सोच रहे थे , होली के दिन , ज्यादा से ज्यादा दो तीन दिन ,,,, यहां तो पूरे दस दिन , .

दो तीन दिन में ही उनकी साली सलहज का ' जबरदस्त ' प्रोग्राम था और पूरे दस दिन ,.

और जैसे की उनकी सलहज की आदत थी , और भाभी को ही क्यों बोलूं , उनकी साली , सास सब , तुरंत बोलती थीं , फोन जरा उनको दो ,.

मैंने इसी लिए स्पीकर फोन ऑन कर दिया था , की वो अपनी सलहज की बात खुल्लमखुल्ला सुन सकें , और ,. अंदाज सकें , ससुराल में सलहज सालियों का क्या प्लान है उनके लिए

वो भी कान पारे सुन रहे थे , .

" सुन , अपनी ननद के यार को बोल देना , . बल्कि तुम ही , एक वैसलीन की बोतल ले आना , छोटी वाली नहीं सबसे बड़ी बोतल ,.

नहीं बल्कि , सरसों का तेल , . कच्ची घानी वाला , .

और अपनी ननद के भंडुए को बोल देना ( भाभी को भी अंदाज़ तो था ही की स्पीकर फोन चालू होगा और उनके नन्दोई सुन रहे होंगे ) , रोज सुबह शाम , . अपने पिछवाड़े ,. दो अंगुली में लगा के , एकदम अंदर तक , . और बाहर भी चुपड़ लेगा , अभी पंद्रह बीस दिन है , . उसको कोहबर की शर्त तो याद होगी ना , .

उस दिन उसका पिछवाड़ा बच गया था , लेकिन अबकी नहीं बचेगा , रोज मोटा मोटा ,. "

सुन तो वो रहे ही थे , उनका मन कर रहा था सीधे अपनी सलहज से बातें करें पर जान बुझ के मैंने नहीं दिया।

सलहज , साली , सास कोई ही , अगर उनके हाथ में फोन आ गया तो एकदम फेविकोल , . आधे घंटे से पहले छोड़ नहीं सकते थे ये ,.

और अभी बाज़ार जाना था , लंबी चौड़ी लिस्ट थी , .

फिर उस लेडीज टेलर के पास , और वो शाम को बंद कर देती थी , उसे मैंने फोन कर दिया था , नाप जोख के लिए ,.

" एकदम भाभी , . वो सुन रहे हैं , कैसे भूलेंगे कोहबर की बातें ,. लेकिन अभी चल रही हूँ , बाज़ार जाना है और फिर एक लेडीज टेलर के यहाँ , . बस लौट के आप से बात करा दूंगी , . "

मैंने फोन रखने की कोशिश की

पर सलहज उनकी ,

" ठीक है लौट के बात कराना , और हाँ तू कह रही थी लेडीज टेलर के यहाँ जाने को , तो बस वहां पहुँच के मुझसे उससे जरा बात करा देना , . "

ये कह के रीतू भाभी ने फोन रख दिया।

शॉपिंग में मुझसे बड़ी उनकी लिस्ट थी , साली , सलहज , सास ,.

मैंने उनके लिए भी दो चार कुरता पजामा सफ़ेद खरीदवा दिए , आखिर गाँव में घर में पैंट शर्ट पहन के थोड़ी रहते ,. हाँ लेडीज टेलर से उनकी सलहज की बात करा दी ,

और जो काम सलहज ने कहा था वो कर भी दिया , .
लेडीज टेलर के यहाँ पहुंच कर लेडीज टेलर की बात इनकी सलहज से करवाने की , . कुछ वो मुस्करायी , खिलखिलाई फिर उसने इनको घेर लिया ,

ये पहले तो मेरी ओर देखते रहे , फिर मैंने उनका बाल सहलाते हुए बोला ,

" मेरे मोना सोना , इत्ते दिन से घर पे हो थोड़े मोटे हो गए , और ये किसने कहा की लेडीज टेलर जेंट्स कपडे नहीं सी सकतीं , और फिर ससुराल जा रहे हैं ,. "

जो जो नाप जोख उसे करने थी उसने कर ली ,

मैं बोली की बस मैं कुछ दिन में आके ले जाउंगी , अपना अभी , इनका भी , . और हम लोग बाहर निकल लिए ,. .

असल में मेरी सास ने बात एकदम सही कही थी , बात सिर्फ मेरे मायके की नहीं थी , वहीँ से हम लोग इनके जॉब पर निकल जाते , तो फिर वहां से कब तक ,. फिर वहां जॉब पर तो साड़ी ब्लाउज तो कभी कभी ,. इसलिए माने दो चार सूट भी , और कुछ ड्रेसेज भी टेलर को दे दिए थे , .

सूट नापते समय , मुझसे ज्यादा ये बोल रहे थे , अंत में वो बोली ,

मालूम है मुझे एकदम आपकी पसंद वाली बनाउंगी ,. एकदम टाइट फिट , इनकी फिगर पर जो ,.

हम लोग मंदिर भी गए , मेरी भी मनौती थी उनकी , मेरी ये ट्रेनिंग से ठीक ठाक जल्दी से लौट आएं और उनकी , .

बताउंगी तो हँसियेगा ,. .

उन्होंने जो कोहबर में वायदा किया था वो , वह पूरा कर सके , .

होली में ससुराल जाने की।

और मैंने उन्हें याद दिलाया की उन्हें बनारस भी जाना है , नौकरी में जाने के पहले दरसन भी करना है , . तो अचानक उन्हें याद आया

" हाँ उसने भी बोला था , औरंगाबाद जाने को , दूबे भाभी को , तुम कह रही थी जानती हो उनको , . उनसे मिलना है ,. . "

" तुम भी न , क्यों नहीं जानूँगी ,आयी तो थीं शादी में , रीतू भाभी के मायके की हैं , . कोहबर में तुम्हे इतना गरियाया था , . भूल गए , लेकिन , वो कौन ,. तूने ,. "

तब उन्होंने थोड़ा बहुत बताया ,

नवरीत देवल

और मैंने उन्हें याद दिलाया की उन्हें बनारस भी जाना है , नौकरी में जाने के पहले दरसन भी करना है , .

तो अचानक उन्हें याद आया

" हाँ उसने भी बोला था , औरंगाबाद जाने को , दूबे भाभी को , तुम कह रही थी जानती हो उनको , . उनसे मिलना है ,. . "

" तुम भी न , क्यों नहीं जानूँगी ,आयी तो थीं शादी में , रीतू भाभी के मायके की हैं , . कोहबर में तुम्हे इतना गरियाया था , . भूल गए , लेकिन , वो कौन ,. तूने ,. "

तब उन्होंने थोड़ा बहुत बताया , .

मैं उनसे बार बार पूछती थी ,

जब वो एम्स्टर्डम में थे की खाने का क्या है , कहाँ खाते हो तो वो हंस के बोलते थे

अपनी ससुराल में , कोई परेशानी नहीं है ,. उनकी आधी बातें समझ में नहीं आती और मुझे इतना मालूम था की फॉरेन की काल बहुत महंगी होती है इसलिए मैं काट भी देती

" नाम उसका , . हाँ , नवरीत देवल , . एक पक्की पंजाबी जट्टन ,

लेकिन उसकी आवाज में एकबार मुझे बनारसी बोली की झलक मिल रही थी , . हम लोग एक कांफ्रेंस में थे बस मैंने पूछ दिया , .

बस , एक जोर की किक , . टेबल के नीचे से मुझे लगी ,. मेरे कुछ समझ में नहीं आया , . मीटिंग के बाद , जब हम उठे तो मैं पैर सहला रहा था , .

वो बोली ,

" ज्यादा जोर से तो नहीं लगी ,. "

मैं क्या बोलता , वो बोले लगी तो उन्हें जोर से थी , . . ऊपर से हंसती वो लड़की बोली , . .

. शाम को घर आना , उसने अपना ऐड्र्स दे दिया ,

उनके कुछ समझ में नहीं आया और पूछा तो जोर से डांट पड़ी ,
,
" तुम बहुत हैंडसम हो , स्मार्ट समझते हो , ज्यादा कन्फ्यूजन में मत रहो ,. . सात बजे आ जाना , यहाँ तुम्हे जल्दी इंडियन फूड नहीं मिलेगा ,. "

जितने दिन वहां एम्स्टर्डम में रात का खाना उसी के यहां , .

हाँ डांट भी बहुत पड़ती थी , . और उसने कारण भी बता दिया , . उसका बनारस से कनेक्शन था

बस वही रिश्ता ,

मैं भी तो बनारस के पास के गांव की , बस उसी रिश्ते से छोटी बहन , . .

. और उस रिश्ते से सिर्फ उन्हें नहीं उनकी बहनों को भी खूब गाली मिलती थी लेकिन जाते थे वो क्योंकि खाना अच्छा बनाती थी और उसने ये भी बोल दिया था की आगे से कहीं उसके बनारस के कनेक्शन की बात न करे ,

वरना वो किक सिर्फ नमूने वाली थी , .

एक बात और ,. उसने बोल दिया था ,. जब वो लोग उसके घर हों तो उसे सिर्फ रीत कहें वो , नवरीत देवल नहीं। हाँ बाहर सिर्फ नवरीत।

मेरे कुछ समझ में नहीं आया , और तब तक छुटकी का फोन आ गया , फिर वो ,.

जब हम लोग घर पहुंचे शॉपिंग करके , . तो जेठानी बाहर खड़ी थीं , खिलखिलाती उनके गाल पे चिकोटी काटते बोलीं ,

" चल अब तेरी कोहबर की शर्त हो गयी न पूरी "

अब मेरी चमकी , .

असल शादी में वीडियो रिकार्डिंग तो हुयी थी लेकिन कोहबर में मम्मी ने मना कर दिया था ,

सिर्फ लड़कियां औरतें , और दूल्हे की जबरदस्त रगड़ाई , इसलिए ,.

लेकिन मोबाइल तो था न , और छुटकी और मंझली , मेरी दोनों बहनो ने पूरी रिकार्डिंग की थी ,

और मेरी जेठानी तो अबक उनकी बड़ी दी थीं , . इसलिए वो रिकार्डिंग उनके पास ,

और इसलिए जेठानी को कोहबर में उन्होंने जो जो कबूला था वो सब पूरा मालूम था ,

और कोहबर में उन्होंने तिरबाचा भरा था की होली में ससुराल आयंगे ,.

मेरी जेठानी नहीं चाहती थी की उनके देवर की बात झूठी जाए ,.

तो मेरी सास जो हम दोनों को होली में इनके ससुराल भेज रही थीं , वो भी इतना फ़ोर्स कर के ,.

उसमें पूरा तो नहीं पर कम से काम चवन्नी का हाथ जेठानी का ,

और कोहबर में जो उन्होंने वायदा किया था ,

उसका भी हाथ था।

आपको बीच बीच में कोहबर की कुछ झलक बतायी तो थी , लेकिन चलिए अब पूरी सुना देती हूँ , इनकी

कोहबर कथा।

कोहबर कथा

" चल अब तेरी कोहबर की शर्त हो गयी न पूरी "

अब मेरी चमकी , . असल शादी में वीडियो रिकार्डिंग तो हुयी थी लेकिन कोहबर में मम्मी ने मना कर दिया था , सिर्फ लड़कियां औरतें , और दूल्हे की जबरदस्त रगड़ाई , इसलिए ,. लेकिन मोबाइल तो था न , और छुटकी और मंझली , मेरी दोनों बहनो ने पूरी रिकार्डिंग की थी , . और मेरी जेठानी तो अबक उनकी बड़ी दी थीं , . इसलिए वो रिकार्डिंग उनके पास , और इसलिए जेठानी को कोहबर में उन्होंने जो जो कबूला था वो सब पूरा मालूम था ,

और कोहबर में उन्होंने तिरबाचा भरा था की होली में ससुराल आयंगे ,. मेरी जेठानी नहीं चाहती थी की उनके देवर की बात झूठी जाए ,.

तो मेरी सास जो हम दोनों को होली में इनके ससुराल भेज रही थीं , वो भी इतना फ़ोर्स कर के ,. उसमें पूरा तो नहीं पर कम से काम चवन्नी का हाथ जेठानी का , और कोहबर में जो उन्होंने वायदा किया था , उसका भी हाथ था।

आपको बीच बीच में कोहबर की कुछ झलक बतायी तो थी , लेकिन चलिए अब पूरी सुना देती हूँ , इनकी

कोहबर कथा

जबतक दरवाजे पर दामाद न उतरे ,

घर के आंगन में मांडव न गड़े , ,,,

और गाँव क नाउन , कहाईन , सब पुरवे वाले , . कितने लोग बनारस जा पाएंगे ,. फिर बड़ी लड़की क शादी , . शादी होगी तो घर से ही , .

इनकी सास की ज़िद ,

शादी होगी तो गाँव से , और गाँव क कुल रीत रिवाज , रसम ,.

और इनकी सास को जबरदस्त सपोर्ट मिला , और किससे , .

मेरी सास से , .

सास , इनसे कहतीं , .

जब गाँव की लड़की लानी है तो गाँव में जाना पडेगा , .

आखिर लड़की देखने तो गए थे न और गाँव भी कौन गाँव , दरवाजे तक तो मोटर जाती है, बिजली पानी सब , .

फिर बनारस जाते , पांडेपुरसे मुश्किल से लमही की ओर पांच दस किलोमीटर ,.

और सड़क से एकदम सटे ही , गाँव के अंदर तक खड़ंजे वाली सड़क , .

और घर भी हम लोगों का दो खंद का ,

एक तो एकदम पक्का ,

और पीछे वाला अभी भी एक दो कमरे कच्चे और आँगन भी कच्चा , .

उसमे एक बड़ा सा नीम का पेड़ जिसमें सावन में झूला पड़ा रहता था , पक्के वाले हिस्से में ऊपर भी कमरे थे , .

सामने दो दो कुंए , खूब खुली जमीन , एक बैल चक्की ऐतहासिक महत्व था ,

पीछे की ओर जानवरों के बाँधने के लिए , वहीँ पर ट्रैक्टर भी , .

और सटे हुए दो चार छोटे छोटे कच्चे घर थे , जिसमें हमारे घर की नाउँ , कहाईन , . बड़ा गाँव था , हम लोगों के पुरवे में ही तीस चालीस घर एक मिड्ल कॉलेज , .

और कुछ दूरी पर और भी ,. भरौटी , चमरौटी ,

पढ़ाई मेरी शुरू में तो गाँव में ही हुयी

फिर हाईकॉलेज , इंटर बसंत कालेज , बनारस से ,.

गाँव में शादी होने से सहेलियों ने थोड़ा बहुत ,. कैसे आ पाएंगी , . . रात में , . . लौटने का ,.

और रास्ता निकाला , और किसने

रीतू भाभी ने , . .

शादी के चार पांच दिन पहले कोई रसम थी , .

मेरी सारी की सारी सहेलियां ,

और रीतू भाभी ने सबको रोक लिया , बल्कि एक कमरे में बंद , . . और सबके घर फोन भी कर दिया ,. पहले तो सब बहुत उछली कूदी लेकिन

, रीतू भाभी के आगे किसी ननद की चली है की उनकी चलती ,.

" तुम सब चली जाओगी तो आज से रोज रात भर गाना होगा , तो हम लोग गरियाएंगे किसको , और नाड़ा किसका खोलेंगे , "

उन्होंने असल में संजय मेरे कजिन को पहले ही उन सब के घर भेज दिया था ,

और मम्मी ने उनकी मम्मियों से बात कर ली थी , ' शादी का घर , . बेटी की शादी है , इत्ता काम फैला है , .

बस। संजय सबके घर जाकर , सहेलियों के सारे सामान , . . साथ में मेरी छोटी बहन , मझली भी गयी थी।

ऊपर वाली मंजिल पर जहाँ मेरा कमरा था , वहीँ पर दो चार कमरे खाली थे , बस वहीँ मेरी सहेलियों ने अड्डा जमा लिया था ,

फिर तो दिन रात धमाचौकड़ी , और रात में तो , . खूब गाने और , . सिर्फ लड़कियां औरतें तो आप सोच सकते हैं , .

लेकिन मेरी सहेलियों को भी खूब मजा आता था ,

पर उससे एक चीज़ और बारातियों की रगड़ाई कैसे की जायेगी , उसका प्लान भी वो सब मेरी बहनों और भाभियों से मिल के ,

तिलक से तैयारी

मेरी सहेलियों को भी खूब मजा आता था , पर उससे एक चीज़ और बारातियों की रगड़ाई कैसे की जायेगी , उसका प्लान भी वो सब मेरी बहनों और भाभियों से मिल के ,

पर उसकी शुरुआत तिलक में ही हो गयी थी ,

औरतें तो लड़की वालों की ओर तिलक में जाती नहीं थी , ज्यादातर लड़के ,ही जाते हैं , लड़की का भइआ तिलक ही चढ़ाता है ,. मेरा कोई सगा भाई तो था नहीं , लेकिन ममेरे , चचेरे , फुफेरे , दर्जन भर रहे होंगे ,

पर छुटकी ने बहुत जिद्द की तो मेरी दोनों छोटी बहने और एक दो कजिन्स , उन्ही की हम उम्र सब की सब मुझसे छोटी ,.

बस जाने के पहले रीतू भाभी और मेरी सहेलियों ने उन लड़कियों की जिन्हे तिलक में जाना था , पूरे ४ घण्टे की कोचिंग क्लास ली , एक एक चीज समझा समझा कर , अर्था अर्था कर ,

पहला प्लान था की सिर्फ वहां से जो लड़कियां , इनकी कोई सगी बहन तो थीं , हाँ कजिन्स थीं थोक भाव की , हर उमर की , और औरतों का नाम पता करने का , .

रिश्ता और नाम ले ले कर ही तो गारी गाने का असली मज़ा है वरना खाली दूल्हे की बहिनी या बहुत हुआ तो लाल डुपट्टेवाली कह के , .

लेकिन नाम तो पहला स्टेप था ,

मेरी बहनें , कजिन्स तो व्हाट्सऐप वाली थीं , फेस बुक वाली , .

उन लड़कियों के फेसबुक , मोबाइल और व्हाट्सऐप ,.

और एक कजिन मेरी आलमोस्ट मेरी उम्र की , उसने तो तगड़ी जुगत लगायी , लड़के वालों के यहाँ के कई लड़के उसके पीछे पड़े थे , वही मोबाईल नंबर ,व्हाट्सऐप , और उसने बहुत चक्कर कटाने के बाद दो चार को दे दिया , .
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