Episode 46
उनकी फेमली कोई ब्रदस्र सिस्टर ग्रुप था , उसमें ज्वाइन कर के , . . और बाकी लड़कियों के। लड़के वालों के घर की सारी लड़कियों के मोबाइल नंबर, व्हाट्सऐप बस वो ग्रुप ज्वाइन कर के झटक लिए
जैसे उनके कोई सगी बहन नहीं थी , मेरा कोई सगा भाई नहीं था , पर गाँव में सब सगे होते हैं , तो मेरे कजिन्स भी ,
और ज्यादातर तो बाहर से आये थे , मेरे दो ममेरे भाई लखनऊ से एक चाचा का लड़का नोयडा से , . हाँ तो उन सबों ने भी , कुछ कुछ
दो चार से उन सबों ने जो ज्यादा स्मार्ट बनतीं जींस वाली टाइप
उनसे भी दोस्ती कर ली , और उनके मोबाइल , व्हाट्सऐप
हाँ तो बात मैं अपनी सहेलियों की कर रही थीं , न और ,. . असल में उन सबो का दिमाग एकदम शैतान का , .
बस मेरी बहनों कजिन ने दूल्हे की ओर वाली सारी लड़कियों के नाम दे दिए,
मीता , गीता , मिली , कजली , . और भी कुल दस या बारह थीं , .
मेरी सहेलियों में एक नन्ही,
एकदम इंटरेनट उस्ताद , पांच तो उसके फेसबुक अकाउंट थे और दो और लड़कों के नाम से, .
बस उसने उन सबसे फेसबुक पे , उन सारी लड़कियों से ,. . और दो लड़का भी बन के , .
फिर जो इन्फो मिली वो उसने मेरे भाइयों को , . और दो चार बरात में आने वाली लड़कियों से दोस्ती भी करवा दी , .
और सब मिल के रात में वो ' अच्छी वाली चैट ' करते थे , दो तो वीडयो चैट तक पहुँच गयी थी ,
रही सही कसर मम्मी के इंतजाम ने पूरी कर दी थी ,
बताया था न जो गझिन आम की बाग़ थी उसी में इंतज़ाम था , लल्लू टेंट वाले ने , . वही जो कुम्भ मेले में लगाते हैं , बस मम्मी ने औरतों का इंतज़ाम अलग किया था , एक लंगड़े आम वाली बाग़ थी पास में ही , .
और उनके यहाँ से औरतों में बड़ी औरतों में बस एक दो , वो भी मेरी जेठानियाँ , और एक दो शादी शुदा ननदें ,. बस मेरी सास और उस तरह की औरतें तो घर में ही ,
और बस मेरी सहेलियों ने जैसे फुटबाल के गेम में मार्किंग होती हैं ,
बरात की हर लड़की के साथ , मेरे घर के एक एक लड़के की सेटिंग पहले से ही कर दी , बाकायदा लिस्ट बना दी , .
और साथ में मेरी कजिन सिस्टर्स , सहेलियां , . लड़कियों औरतों के स्वागत सतकार के लिए यह हुआ था की शादी रात में दस बजे शुरू होजानी थी। इसलिए बारात दिन में ही आजयेगी द्वार पूजा , दिन ढले , और दस बजे शादी बैठ जायेगी , .
मैं भी न कहाँ बात शुरू की थी कोहबर से ,
कोहबर में माने थे की पहली होली ससुराल में अपने , और कहाँ ये सब , . परपंच ,.
इसीलिए तो मेरी कहानी न कोई पढ़ता है न कमेंट करता है , बात कहाँ से शुरू करती हूँ , कहाँ पहुंचा देती हूँ , . तो चलिए कोहबर की बात सीधे ,.
जैसा मैंने पहले कहा था न , . बारात पहले ही आ जानी थी , . और आ भी गयी , .
फिर मेरी सहेलियों ने जैसा प्लान किया था , बारात की एक एक लड़कियों के लिए ,. एकदम लिस्ट के हिसाब से जिस लड़के का नाम तय था , . उनको वेलकम करने , इंतजाम देखने तो हम लोगों के घर की लड़कियां औरतें ही थीं , पर साथ में लड़के लग लिए और थैंक्स टू व्हाट्सऐप , फेसबुक ,. ज्यादातर तो एक दूसरे क अच्छी तरह , .
फिर लड़कियां पीछे ,. और लड़कियों औरतों का इंतजाम , वो लंगड़े आम वाली बगिया में था , एकदम गझिन , दिन में नहीं कुछ दिखता था , .
और द्वारपूजा , गोधूली बेला में , जैसा मम्मी चाहती थी , और मम्मी से ज्यादा उनके दामाद , . . हर शादी में दूल्हे के तैयार होने में टाइम लगता है लेकिन ये तो कब से तैयार बैठे थे , .
और गाने , गारियाँ ,. . आज कल तो पूरी शादी में एकाध गाने , वरना वही डी जे ,
गारी की धार
और द्वारपूजा , गोधूली बेला में , जैसा मम्मी चाहती थी , और मम्मी से ज्यादा उनके दामाद , . . हर शादी में दूल्हे के तैयार होने में टाइम लगता है लेकिन ये तो कब से तैयार बैठे थे , .
और गाने , गारियाँ ,. . आज कल तो पूरी शादी में एकाध गाने , वरना वही डी जे ,
गाँव की सारी औरतें , मेरी बहने भाभियाँ , चाची बुआ , .
और सबसे बढ़कर काम करने वाली , नाउँन कहाईन , फिर बहने
हथिया हथिया सोर कइले , गदहों न लियैले रे ,
तोर माई गदहवा चोदी नमवा हंसएले रे ,. .
गारी की धार टूट नहीं रही थी , इनकी बुआ , माँ , चाची कोई नहीं बचा ,
और शादी ठीक दस बजे बैठ गयी थी , और शादी शुरू होते ही
" अरे स्वागत में गारी सुनाओ ,स्वागत में , अरे स्वागत में
अरे दूल्हे के तन पे सूट नहीं है ,अरे उसको उसको तो ,
. अरे उसको तो साडी और ,अरे साडी और ब्लाउज पहनाओ।
अरे उसको तो चोली पहनाओ ,अरे उसको तो
( तब तक मम्मी ने एक लाइन जोड़ी , अरे उसके तन पर बंडी नहीं है , बंडी नहीं है
उसको तो ब्रा पहनाओ ,अरे उसको तो ब्रा पहनाओ )
फिर मेरी सहेलियां बहने भाभियाँ चालू हो गयीं
अरे स्वागत में गारी सुनाओ अरे स्वागत में ,
दूल्हे के कलाई में घड़िया नहीं है , अरे उसको तो अरे उसको तो चूड़ियां पहनाओ।
अरे स्वागत में गारी सुनाओ , मेरी सखियों स्वागत में अरे स्वागत में गारी सुनाओ ,
अरे दूल्हे के संग में , अरे दूल्हे के संग में , अरे दूल्हे के संग में रंडी नहीं है,
दूल्हे की बहना नचाओ ,अरे नीतू और ज्योति को नचाओ।
मेरी सहेलियां , बहने , . लेकिन दो चार गांरी के बाद ही असली गारियाँ शुरू हो गयीं ,
और कौन रीतू भाभी , साथ में नाउन की लड़की ,
लेकिन कुछ देर में मेरी सहेलियां बहने सब ,
चने के खेत में बोया था रोड़ा , . मिली छिनरिया को ले गया घोडा
घोंट रही लौंडा , चने के खेत में , .
लीपी पोती ओखरिया हमारे बीर बलिया ,
उस पर राखी पेटरिया , हमारे बीर बलिया।
ओहि पेटरी उतारे गयीं ,दुलहा का बहिनी , अरे गीता छिनरिया अरे भोंसड़ी में धंस गए लकडिया ,
हमारे बीर बलिया
दौड़ा दौड़ा हो भाभी के भइया , दौड़ा हो अजय भैया , अरे मुंहवा से निकाला लकडिया
और फिर मेरे चचेरे , ममेरे फुफेरे भाइयों भाइयों का नाम उनकी बहनों से जोड़ के ,और वो भी लिस्ट देखकर जिसकी सेटिंग जिससे कराई गयी , उसी उसी का नाम जोड़ जोड़ कर
चने के खेत में पड़ी थी राई , अरे संजय भैया करें मीता की चुदाई ,
मैंने किसी से पूछा था ,
शादी में टाइम कितना लगेगा , तो पता चला की पांच छह घंटे कम से कम
लेकिन तीन साढ़े तीन घंटे में ही , डेढ़ बजे तक ही शादी की सारी रस्में ख़तम हो गयीं
( ये तो बाद में चला की इसके पीछे भी यही थे , पंडित जी से सांठगाठ थी , एडिशनल दक्षिणा , स्पीड बढ़ाने के लिए )
और अगर पंडित जी थोड़ा भी धीमे पड़े या इधर उधर बोला तो बस गांव की औरतें गारी का रुख सीधे पंडित जी की ओर मोड़ देतीं ,
तानी जल्दी जल्दी मन्त्र उचारा पंडित जी ,
पंडित पंडित जी , अरे
अरे तोर बहिनिया रंडी जी , .
एक रूपया दो रूपया नेग न लिहा पंडित जी ,
दूल्हा के बुआ के नेग में मांग लिहा पंडित जी ,
हमारे गांव की नाउन , लड़के वालों के नाउ के पीछे पड़ी थी , चिढ़ा रही थी , आपन नउनिया के उंहा छोड़ के आये हो ,
खूब कबड्डी खेल रही होगी , .
इनके साथ के कुछ आईआई टी के लड़के भी आये थे , उन्हें रेडिसन होटल में टिकाया गया था ,. लेकिन लड़कियां मेरे यहाँ की ,. .
उन सबका भी नाम पता कर लिया था , सब एक से एक चिकने ,. और उनमें से किसी ने कुछ बोल दिया तो बस सब की सब उसके पीछे ,
दूल्हे का दोस्त अपनी बहन का भंडुआ है , .
वो स्साला चिकना , . गंडुआ है।
हाँ बस एक मोर्चे पर लड़के वाले जीत गए लेकिन वो भी टेम्पोरेरी थी ,
जी , जूते ,
जूते
हाँ बस एक मोर्चे पर लड़के वाले जीत गए लेकिन वो भी टेम्पोरेरी थी ,
जी , जूते ,
मेरी दोनों बहने , चार सहेलियां सब मोर्चे पर लगी थीं , .
लेकिन उनकी कजिन मीता ने खुद अपने हाथ से इनके जूते उतारे
और जब तक हमारी ओर की लड़कियां झपटें ,मीता ने उसे अपने कजिन अनुज को दे दिया , .
और मेरी बहने एक पल के लिए ठिठकीं पर जब हिम्मत कर उधर लपकी तब तक जूते उनकी एक दुसरे कजिन के पास और देखते देखते गायब
अब उधर की लड़कियों को चिढ़ाने का मौका मिल गया , .
जूते तो चुरा नहीं पाए , नेग किस बात का मांगोगी , .
और ऊपर से वो सब ये भी बोलतीं ,
जूता यहीं है , ढूंढ लो , खाली बोल दो किसके पास है , बस ,.
बेचारी मेरी बहने , .
वो मेरी एक सहेली ने गुड्डी को देखा , .
लम्बी सी स्कर्ट पहने उकडू मुकड़ू बैठे थी बहुत देर से , .
जरा भी हिल नहीं रही थी , और कौन वही गुड्डी दर्जा आठ वाली , एलवल वाली ,
बस मेरी सहेली और मेरे कजिन संजय ने मिल के एक प्लान बनाया
, संजय बगल में बैठी किसी लड़की को पानी देने गया , और आधा पानी सीधे उंकड़ू बैठी गुड्डी के स्कर्ट के बीचो बीच ,
झन्नाटे से वो गुस्से में अलफ़ उठी ,
और उसकी स्कर्ट के नीचे जूते ,
बस मेरी दो सहेलियां पहले से तैयार थीं , जब तक उनके ओर की लड़कियां सम्हलें , समझे ,
वो दोनों जूते लेकर चम्पत , . और अब एकदम कोहबर के सामने से हम लोगों की ओर की लड़कियां जोर जोर से हो हो ,
ऊपर से गाँव की औरतें सब, गुड्डी के पीछे पड़ गयीं ,
" अरे इतना जोर से लगी थी तो बाथरूम चली जाती , कुल कपडा गीला कर दिया , . "
+कोई बोलती ,
" "चलो बहुत जोर से लगी थी , हो गयी , कोई बात नहीं अरे अब से कपडे चेंज कर लो ,. "
गुड्डी की स्कर्ट जाँघों पर ' ठीक उसी जगह ' खूब अच्छी तरह गीली हो गयी थी , संजय ने आधा जग पानी पूरा एकदम ' सेंटर ' पर ही उड़ेल दिया था और ऊपर से जाड़े की रात ,
और ऊपर से संजय एक टॉवेल ले के सीधे उसकी जाँघों बीच ,
वो और जोर से बिचकी , .
पर अब सब गालियाँ अब सीधे गुड्डी का नाम ले ले के , कोई बोले
"इस उम्र में चूत नहीं भोंसड़ा है , दो दो जूते घोंट लिए ,. "
अरे एतना चोदवास लागल रहे तो घराती में इतने लौंडे मरद हैं , केहू से चोदवा लेतीं , चलो अभिन रात बाकी है , आज घरतीयन क लौंडन क भी मजा होये जाएगा '
और शादी जब एक सवा बजे ख़तम हुयी तो सब लोग कोहबर के लिए और इनका रास्ता , मेरी बहनों , सहेलियों भाभियों ने घेर लिया ,
जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे
और शादी जब एक सवा बजे ख़तम हुयी तो सब लोग कोहबर के लिए और इनका रास्ता , मेरी बहनों , सहेलियों भाभियों ने घेर लिया ,
जितनी हचमच , मस्ती हंगामा उस दिन कोहबर छेकने में उस दिन हुयी थी ,
मैंने भी गाँव में कित्ती शादियों में बहनो के सहेलियों के , कोहबर छेंका था , लेकिन जो घमासान उस दिन हुआ , . एक तो भौजी ने मेरी सहेलियों को पांच दिन पहले से घर में रोक लिया , .
मेरी बहनो कजिन्स , गाँव की भौजाइयों सब से एकदम खुल गयीं थी और सब के साथ मिल के , . एकदम पक्का चक्रव्युह उन सबों ने रचा था
, सब से आगे छुटकियाँ , मेरी दोनों छोटी बहनें , . उनकी सहेलियां , मेरी छोटी कजिन्स , गाँव की छोटी उम्र की लड़कियां
उसके पीछे मेरी सहेलियां , मेरी उम्र वाली कजिन्स ,
भाभियाँ
और सब से बाद में गाँव की औरतें , साथ में काम करने वालियां ,.
पर मज़ा ' उन लोगों ' के कारण आया ,
बरात में आयी सारी लड़कियां ( डेढ़ दर्जन से तो ऊपर ही थीं ही ) , इनके कालेज के दोस्त ,कजिन्स , और मेरी जेठानी ,
घर के बड़े लोग चले गए थे बारात के , तो इस लिए और फिर गारियों ने रही सही लाज लिहाज ख़तम कर दिया था , . सच बोलूं तो बाराती सब , २० नहीं तो १९ भी नहीं थे ,
पर रीतू भाभी थी न हमारी ओर , और उन्होंने ही शर्त लगाई , .
" जूता मिलेगा , पर सिर्फ नेग साथ में ये भी चाहिए ,. "
और उन्होंने गुड्डी की ओर इशारा किया ,
वही उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली ,.
जिसने अपनी स्कर्ट के नीचे इनके जूते छिपा रखे थे और ढूंढते ढूंढते मेरी बहनों ,सहेलियों की हालत खराब हो गयी थी।
" अरे नन्दोई जी , घाटे का सौदा नहीं है , इसके बदले में देखिये आपके सामने कितनी साली , सलहज हैं सब ,. और फिर अरे हम हरदम थोड़े ही ,
बस चौथी में सब तोहरे साले जाएंगे उनही के साथ वापस , तबतक तानी गांव क मजा , अरहर और गन्ने क खेत में , . "
रीतू भाभी ने समझाने की उन्हें कोशिश की ,
और बेचारी गुड्डी अपने भैया के पीछे छिपी जा रही थी ,
तब तक गाँव की मेरी एक भौजी , जिनसे हम सब पनाह मांगती थी , वो मैदान में आ गयीं ,
फिर तो ,. साफ़ अपने भैया के पीछे दुबकी जा रही ,
गुड्डी से उन्होंने बोला ,
" बड़ी ताकत है बूची एह उमर में दोनों जुतवा आपन भोंसड़ा में घुड़ेस लेहलु , . . "
फिर हँसते हुए गुड्डी को समझाते , मनाते हुए ,जोड़ा
"काहें घबड़ा रही हो , अरे पांच छह दिन क बात है , तुमको भी तरह तरह क मज़ा मिलेगा , . अरे एक साथ दो दो जूता जो ले ले उसको तो दो दो लंड से कम में काम नहीं चलेगा , . अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों , . "
और फिर उनका साथ देने के लिए मेरी नाउन की बहू , गाँव के रिश्ते से भौजाई , . .
और वो तो उनसे भी दस हाथ आगे , पहली रात को ही जितनी मेरी सहेलियां शहर से आयी थी , सबका नाड़ा भी खोला और अच्छी तरह से 'इलाके की जांच पड़ताल ' भी की , और उसकी संगत में अब मेरी सारी सहेलियां भी गारी गाने में और गाली देने में एक्सपर्ट ,
तो वो गुड्डी से सीधे बोली ,
" और का , एक बुरिया में और एक गंडिया में , . काहो बबुनी , सच काहत बानी न , अरे ई मत समझा की बराती में जउन चिक्कन चिक्क्न लौंडे आये हैं उहै खाली गांडू है , अरे एकनाकर बहिनियां कुल अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर से , . "
मैं घूंघट काढ़े थी ,
मैं घूंघट काढ़े थी ,
तब भी मैंने कनखियों से देखा , मेरी जेठानी की ऊँगली मोबाइल पर चल रही थी , और फिर रीतू भाभी के मोबाइल में टुंग हुआ ,
और अब रीतू भाभी मैदान में आ गयीं , फाइनल ओवर में छक्के लगाने , वो और मेरी जेठानी में खूब सांठगांठ थी और अंदर अंदर दोनों ही , .
" अच्छा खाली ई बताय दो , बस और कुछ नहीं पूछेंगे , तू एलवल में रहती हो न , . "
" हाँ तो "
अब गुड्डी रानी के बोल फूटे , पहली बार किसी ने सीधा सवाल पूछा था।
" अरे ओहि गली में जहाँ बाहर गदहे बंधे रहते हैं , है न ,. "
" हाँ वहीँ ,. " अब हिम्मत करके वो सामने आ गयी थी ,
अब लूज बाल पर वही नाउन की बहु ने छक्का मार दिया , अगला सवाल पूछ के ,
" तबै , बस खाली ए बता दाय , ऊ गदहवन क लौंड़ा ,. झांट आवै क पहले से घोंटत हाउ की झांट आवे के बाद से , . "
और फिर तो इनकी साली सलहज सब इतनी जोर से हंसी की बेचारी की हाल ख़राब होगयी , .
बात बदलने के लिए उनकी एक और बहन मैदान में आ गयी और हमारी ओर से मेरी बहने सहेलियां मैदान में , .
मिली बोली
" जाने दीजिये न अंदर , इतने देर से खड़े हैं , भैया ,. "
" अच्छा तो आपको मालूम है आपके भैया कित्ते देर तक खड़े रह सकते हैं , लगता है खूब अंदर करवाया होगा भैया को , . "
मेरी एक सहेली बोली ,
और छुटकी , मेरी सबसे छोटी बहन भी आ गयी जोड़ने के लिए ,
" अरे जीजू ने प्रैक्टिस इन्ही के साथ की थी , मैं तिलक में गयी थी न वहीँ पता चला था। "
सच में पन्दरह बीस मिनट हो गए थे , और उसके पहले पालथी मार कर शादी में हम लोग तीन घंटे से बैठे थे , .
मेरे एक कजिन ने एक कुर्सी ला कर मेरे पास रख दी और ये बेचारे खड़े ही रहे , .
लेकिन तबतक मेरी बुआ ने हड़काया , .
" अरेलड़कियों आने दो न इनको अंदर , फिर तो इनकी माँ बुआ सबको , . सब वसूल कर लेंगे , अब देर हो रही है। "
पर उस समय लड़कियां किसी की सुनती हैं , उन्हें तो बस अपने जीजा की रगड़ाई का मौका चाहिए , .
पर ये एकदम सीधे , बेचारे , .
जेब में हाथ डाल कर छुटकी से पूछने लगे कितना ,
लेकिन उनके एक दोस्त ने कंधे पर हाथ रख कर इशारे से उन्हें मना कर दिया
और बोला ,
" अरे डिजिटल इंडिया है कैशलेस भारत , . आप लोग अपना एटीम खोलिये बस हम अपना कार्ड अंदर , और पैसा बाहर , . "
सच में जैसे घर की लड़कियों को दरवाजे पर छेड़छाड़ में मजा आता है , वही हालत बरात के लड़कों लड़कियों की होती है , एक बार दुलहा कोहबर में चला गया फिर तो , बरात वाले जनवासे वापस ,.
और अब मामला डबल मीनिंग डायलॉग से काफी आगे बढ़ गया था , मेरी एक सहेली ने बारात की लड़कियों की ओर इशारा कर दिया ,
' अरे हर बैंक का ए टीम तो आपके पास है , काहें चिंता करते है ,
और कार्ड ,. . हमारे इतने सब भाई खड़े हैं डालने के लिए ,. हाँ आपके इस एटीम से , पैसा नहीं ,.
ठीक नौ महीने बाद , . केहाँ केहाँ निकलेगा , पक्की गारंटी , . कोई रबड़ वबड़ का चक्कर नहीं , . "
जेठानी ने बीच बचाव कर के आखिर पैसा दिलवा दिया लेकिन तभी लड़कियां एकदम से हटने को तैयार नहीं , . जीजू पहले गाना सुनाएँ ,. .
जैसे उनके कोई सगी बहन नहीं थी , मेरा कोई सगा भाई नहीं था , पर गाँव में सब सगे होते हैं , तो मेरे कजिन्स भी ,
और ज्यादातर तो बाहर से आये थे , मेरे दो ममेरे भाई लखनऊ से एक चाचा का लड़का नोयडा से , . हाँ तो उन सबों ने भी , कुछ कुछ
दो चार से उन सबों ने जो ज्यादा स्मार्ट बनतीं जींस वाली टाइप
उनसे भी दोस्ती कर ली , और उनके मोबाइल , व्हाट्सऐप
हाँ तो बात मैं अपनी सहेलियों की कर रही थीं , न और ,. . असल में उन सबो का दिमाग एकदम शैतान का , .
बस मेरी बहनों कजिन ने दूल्हे की ओर वाली सारी लड़कियों के नाम दे दिए,
मीता , गीता , मिली , कजली , . और भी कुल दस या बारह थीं , .
मेरी सहेलियों में एक नन्ही,
एकदम इंटरेनट उस्ताद , पांच तो उसके फेसबुक अकाउंट थे और दो और लड़कों के नाम से, .
बस उसने उन सबसे फेसबुक पे , उन सारी लड़कियों से ,. . और दो लड़का भी बन के , .
फिर जो इन्फो मिली वो उसने मेरे भाइयों को , . और दो चार बरात में आने वाली लड़कियों से दोस्ती भी करवा दी , .
और सब मिल के रात में वो ' अच्छी वाली चैट ' करते थे , दो तो वीडयो चैट तक पहुँच गयी थी ,
रही सही कसर मम्मी के इंतजाम ने पूरी कर दी थी ,
बताया था न जो गझिन आम की बाग़ थी उसी में इंतज़ाम था , लल्लू टेंट वाले ने , . वही जो कुम्भ मेले में लगाते हैं , बस मम्मी ने औरतों का इंतज़ाम अलग किया था , एक लंगड़े आम वाली बाग़ थी पास में ही , .
और उनके यहाँ से औरतों में बड़ी औरतों में बस एक दो , वो भी मेरी जेठानियाँ , और एक दो शादी शुदा ननदें ,. बस मेरी सास और उस तरह की औरतें तो घर में ही ,
और बस मेरी सहेलियों ने जैसे फुटबाल के गेम में मार्किंग होती हैं ,
बरात की हर लड़की के साथ , मेरे घर के एक एक लड़के की सेटिंग पहले से ही कर दी , बाकायदा लिस्ट बना दी , .
और साथ में मेरी कजिन सिस्टर्स , सहेलियां , . लड़कियों औरतों के स्वागत सतकार के लिए यह हुआ था की शादी रात में दस बजे शुरू होजानी थी। इसलिए बारात दिन में ही आजयेगी द्वार पूजा , दिन ढले , और दस बजे शादी बैठ जायेगी , .
मैं भी न कहाँ बात शुरू की थी कोहबर से ,
कोहबर में माने थे की पहली होली ससुराल में अपने , और कहाँ ये सब , . परपंच ,.
इसीलिए तो मेरी कहानी न कोई पढ़ता है न कमेंट करता है , बात कहाँ से शुरू करती हूँ , कहाँ पहुंचा देती हूँ , . तो चलिए कोहबर की बात सीधे ,.
जैसा मैंने पहले कहा था न , . बारात पहले ही आ जानी थी , . और आ भी गयी , .
फिर मेरी सहेलियों ने जैसा प्लान किया था , बारात की एक एक लड़कियों के लिए ,. एकदम लिस्ट के हिसाब से जिस लड़के का नाम तय था , . उनको वेलकम करने , इंतजाम देखने तो हम लोगों के घर की लड़कियां औरतें ही थीं , पर साथ में लड़के लग लिए और थैंक्स टू व्हाट्सऐप , फेसबुक ,. ज्यादातर तो एक दूसरे क अच्छी तरह , .
फिर लड़कियां पीछे ,. और लड़कियों औरतों का इंतजाम , वो लंगड़े आम वाली बगिया में था , एकदम गझिन , दिन में नहीं कुछ दिखता था , .
और द्वारपूजा , गोधूली बेला में , जैसा मम्मी चाहती थी , और मम्मी से ज्यादा उनके दामाद , . . हर शादी में दूल्हे के तैयार होने में टाइम लगता है लेकिन ये तो कब से तैयार बैठे थे , .
और गाने , गारियाँ ,. . आज कल तो पूरी शादी में एकाध गाने , वरना वही डी जे ,
गारी की धार
और द्वारपूजा , गोधूली बेला में , जैसा मम्मी चाहती थी , और मम्मी से ज्यादा उनके दामाद , . . हर शादी में दूल्हे के तैयार होने में टाइम लगता है लेकिन ये तो कब से तैयार बैठे थे , .
और गाने , गारियाँ ,. . आज कल तो पूरी शादी में एकाध गाने , वरना वही डी जे ,
गाँव की सारी औरतें , मेरी बहने भाभियाँ , चाची बुआ , .
और सबसे बढ़कर काम करने वाली , नाउँन कहाईन , फिर बहने
हथिया हथिया सोर कइले , गदहों न लियैले रे ,
तोर माई गदहवा चोदी नमवा हंसएले रे ,. .
गारी की धार टूट नहीं रही थी , इनकी बुआ , माँ , चाची कोई नहीं बचा ,
और शादी ठीक दस बजे बैठ गयी थी , और शादी शुरू होते ही
" अरे स्वागत में गारी सुनाओ ,स्वागत में , अरे स्वागत में
अरे दूल्हे के तन पे सूट नहीं है ,अरे उसको उसको तो ,
. अरे उसको तो साडी और ,अरे साडी और ब्लाउज पहनाओ।
अरे उसको तो चोली पहनाओ ,अरे उसको तो
( तब तक मम्मी ने एक लाइन जोड़ी , अरे उसके तन पर बंडी नहीं है , बंडी नहीं है
उसको तो ब्रा पहनाओ ,अरे उसको तो ब्रा पहनाओ )
फिर मेरी सहेलियां बहने भाभियाँ चालू हो गयीं
अरे स्वागत में गारी सुनाओ अरे स्वागत में ,
दूल्हे के कलाई में घड़िया नहीं है , अरे उसको तो अरे उसको तो चूड़ियां पहनाओ।
अरे स्वागत में गारी सुनाओ , मेरी सखियों स्वागत में अरे स्वागत में गारी सुनाओ ,
अरे दूल्हे के संग में , अरे दूल्हे के संग में , अरे दूल्हे के संग में रंडी नहीं है,
दूल्हे की बहना नचाओ ,अरे नीतू और ज्योति को नचाओ।
मेरी सहेलियां , बहने , . लेकिन दो चार गांरी के बाद ही असली गारियाँ शुरू हो गयीं ,
और कौन रीतू भाभी , साथ में नाउन की लड़की ,
लेकिन कुछ देर में मेरी सहेलियां बहने सब ,
चने के खेत में बोया था रोड़ा , . मिली छिनरिया को ले गया घोडा
घोंट रही लौंडा , चने के खेत में , .
लीपी पोती ओखरिया हमारे बीर बलिया ,
उस पर राखी पेटरिया , हमारे बीर बलिया।
ओहि पेटरी उतारे गयीं ,दुलहा का बहिनी , अरे गीता छिनरिया अरे भोंसड़ी में धंस गए लकडिया ,
हमारे बीर बलिया
दौड़ा दौड़ा हो भाभी के भइया , दौड़ा हो अजय भैया , अरे मुंहवा से निकाला लकडिया
और फिर मेरे चचेरे , ममेरे फुफेरे भाइयों भाइयों का नाम उनकी बहनों से जोड़ के ,और वो भी लिस्ट देखकर जिसकी सेटिंग जिससे कराई गयी , उसी उसी का नाम जोड़ जोड़ कर
चने के खेत में पड़ी थी राई , अरे संजय भैया करें मीता की चुदाई ,
मैंने किसी से पूछा था ,
शादी में टाइम कितना लगेगा , तो पता चला की पांच छह घंटे कम से कम
लेकिन तीन साढ़े तीन घंटे में ही , डेढ़ बजे तक ही शादी की सारी रस्में ख़तम हो गयीं
( ये तो बाद में चला की इसके पीछे भी यही थे , पंडित जी से सांठगाठ थी , एडिशनल दक्षिणा , स्पीड बढ़ाने के लिए )
और अगर पंडित जी थोड़ा भी धीमे पड़े या इधर उधर बोला तो बस गांव की औरतें गारी का रुख सीधे पंडित जी की ओर मोड़ देतीं ,
तानी जल्दी जल्दी मन्त्र उचारा पंडित जी ,
पंडित पंडित जी , अरे
अरे तोर बहिनिया रंडी जी , .
एक रूपया दो रूपया नेग न लिहा पंडित जी ,
दूल्हा के बुआ के नेग में मांग लिहा पंडित जी ,
हमारे गांव की नाउन , लड़के वालों के नाउ के पीछे पड़ी थी , चिढ़ा रही थी , आपन नउनिया के उंहा छोड़ के आये हो ,
खूब कबड्डी खेल रही होगी , .
इनके साथ के कुछ आईआई टी के लड़के भी आये थे , उन्हें रेडिसन होटल में टिकाया गया था ,. लेकिन लड़कियां मेरे यहाँ की ,. .
उन सबका भी नाम पता कर लिया था , सब एक से एक चिकने ,. और उनमें से किसी ने कुछ बोल दिया तो बस सब की सब उसके पीछे ,
दूल्हे का दोस्त अपनी बहन का भंडुआ है , .
वो स्साला चिकना , . गंडुआ है।
हाँ बस एक मोर्चे पर लड़के वाले जीत गए लेकिन वो भी टेम्पोरेरी थी ,
जी , जूते ,
जूते
हाँ बस एक मोर्चे पर लड़के वाले जीत गए लेकिन वो भी टेम्पोरेरी थी ,
जी , जूते ,
मेरी दोनों बहने , चार सहेलियां सब मोर्चे पर लगी थीं , .
लेकिन उनकी कजिन मीता ने खुद अपने हाथ से इनके जूते उतारे
और जब तक हमारी ओर की लड़कियां झपटें ,मीता ने उसे अपने कजिन अनुज को दे दिया , .
और मेरी बहने एक पल के लिए ठिठकीं पर जब हिम्मत कर उधर लपकी तब तक जूते उनकी एक दुसरे कजिन के पास और देखते देखते गायब
अब उधर की लड़कियों को चिढ़ाने का मौका मिल गया , .
जूते तो चुरा नहीं पाए , नेग किस बात का मांगोगी , .
और ऊपर से वो सब ये भी बोलतीं ,
जूता यहीं है , ढूंढ लो , खाली बोल दो किसके पास है , बस ,.
बेचारी मेरी बहने , .
वो मेरी एक सहेली ने गुड्डी को देखा , .
लम्बी सी स्कर्ट पहने उकडू मुकड़ू बैठे थी बहुत देर से , .
जरा भी हिल नहीं रही थी , और कौन वही गुड्डी दर्जा आठ वाली , एलवल वाली ,
बस मेरी सहेली और मेरे कजिन संजय ने मिल के एक प्लान बनाया
, संजय बगल में बैठी किसी लड़की को पानी देने गया , और आधा पानी सीधे उंकड़ू बैठी गुड्डी के स्कर्ट के बीचो बीच ,
झन्नाटे से वो गुस्से में अलफ़ उठी ,
और उसकी स्कर्ट के नीचे जूते ,
बस मेरी दो सहेलियां पहले से तैयार थीं , जब तक उनके ओर की लड़कियां सम्हलें , समझे ,
वो दोनों जूते लेकर चम्पत , . और अब एकदम कोहबर के सामने से हम लोगों की ओर की लड़कियां जोर जोर से हो हो ,
ऊपर से गाँव की औरतें सब, गुड्डी के पीछे पड़ गयीं ,
" अरे इतना जोर से लगी थी तो बाथरूम चली जाती , कुल कपडा गीला कर दिया , . "
+कोई बोलती ,
" "चलो बहुत जोर से लगी थी , हो गयी , कोई बात नहीं अरे अब से कपडे चेंज कर लो ,. "
गुड्डी की स्कर्ट जाँघों पर ' ठीक उसी जगह ' खूब अच्छी तरह गीली हो गयी थी , संजय ने आधा जग पानी पूरा एकदम ' सेंटर ' पर ही उड़ेल दिया था और ऊपर से जाड़े की रात ,
और ऊपर से संजय एक टॉवेल ले के सीधे उसकी जाँघों बीच ,
वो और जोर से बिचकी , .
पर अब सब गालियाँ अब सीधे गुड्डी का नाम ले ले के , कोई बोले
"इस उम्र में चूत नहीं भोंसड़ा है , दो दो जूते घोंट लिए ,. "
अरे एतना चोदवास लागल रहे तो घराती में इतने लौंडे मरद हैं , केहू से चोदवा लेतीं , चलो अभिन रात बाकी है , आज घरतीयन क लौंडन क भी मजा होये जाएगा '
और शादी जब एक सवा बजे ख़तम हुयी तो सब लोग कोहबर के लिए और इनका रास्ता , मेरी बहनों , सहेलियों भाभियों ने घेर लिया ,
जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे
और शादी जब एक सवा बजे ख़तम हुयी तो सब लोग कोहबर के लिए और इनका रास्ता , मेरी बहनों , सहेलियों भाभियों ने घेर लिया ,
जितनी हचमच , मस्ती हंगामा उस दिन कोहबर छेकने में उस दिन हुयी थी ,
मैंने भी गाँव में कित्ती शादियों में बहनो के सहेलियों के , कोहबर छेंका था , लेकिन जो घमासान उस दिन हुआ , . एक तो भौजी ने मेरी सहेलियों को पांच दिन पहले से घर में रोक लिया , .
मेरी बहनो कजिन्स , गाँव की भौजाइयों सब से एकदम खुल गयीं थी और सब के साथ मिल के , . एकदम पक्का चक्रव्युह उन सबों ने रचा था
, सब से आगे छुटकियाँ , मेरी दोनों छोटी बहनें , . उनकी सहेलियां , मेरी छोटी कजिन्स , गाँव की छोटी उम्र की लड़कियां
उसके पीछे मेरी सहेलियां , मेरी उम्र वाली कजिन्स ,
भाभियाँ
और सब से बाद में गाँव की औरतें , साथ में काम करने वालियां ,.
पर मज़ा ' उन लोगों ' के कारण आया ,
बरात में आयी सारी लड़कियां ( डेढ़ दर्जन से तो ऊपर ही थीं ही ) , इनके कालेज के दोस्त ,कजिन्स , और मेरी जेठानी ,
घर के बड़े लोग चले गए थे बारात के , तो इस लिए और फिर गारियों ने रही सही लाज लिहाज ख़तम कर दिया था , . सच बोलूं तो बाराती सब , २० नहीं तो १९ भी नहीं थे ,
पर रीतू भाभी थी न हमारी ओर , और उन्होंने ही शर्त लगाई , .
" जूता मिलेगा , पर सिर्फ नेग साथ में ये भी चाहिए ,. "
और उन्होंने गुड्डी की ओर इशारा किया ,
वही उनकी ममेरी बहन , एलवल वाली ,.
जिसने अपनी स्कर्ट के नीचे इनके जूते छिपा रखे थे और ढूंढते ढूंढते मेरी बहनों ,सहेलियों की हालत खराब हो गयी थी।
" अरे नन्दोई जी , घाटे का सौदा नहीं है , इसके बदले में देखिये आपके सामने कितनी साली , सलहज हैं सब ,. और फिर अरे हम हरदम थोड़े ही ,
बस चौथी में सब तोहरे साले जाएंगे उनही के साथ वापस , तबतक तानी गांव क मजा , अरहर और गन्ने क खेत में , . "
रीतू भाभी ने समझाने की उन्हें कोशिश की ,
और बेचारी गुड्डी अपने भैया के पीछे छिपी जा रही थी ,
तब तक गाँव की मेरी एक भौजी , जिनसे हम सब पनाह मांगती थी , वो मैदान में आ गयीं ,
फिर तो ,. साफ़ अपने भैया के पीछे दुबकी जा रही ,
गुड्डी से उन्होंने बोला ,
" बड़ी ताकत है बूची एह उमर में दोनों जुतवा आपन भोंसड़ा में घुड़ेस लेहलु , . . "
फिर हँसते हुए गुड्डी को समझाते , मनाते हुए ,जोड़ा
"काहें घबड़ा रही हो , अरे पांच छह दिन क बात है , तुमको भी तरह तरह क मज़ा मिलेगा , . अरे एक साथ दो दो जूता जो ले ले उसको तो दो दो लंड से कम में काम नहीं चलेगा , . अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों , . "
और फिर उनका साथ देने के लिए मेरी नाउन की बहू , गाँव के रिश्ते से भौजाई , . .
और वो तो उनसे भी दस हाथ आगे , पहली रात को ही जितनी मेरी सहेलियां शहर से आयी थी , सबका नाड़ा भी खोला और अच्छी तरह से 'इलाके की जांच पड़ताल ' भी की , और उसकी संगत में अब मेरी सारी सहेलियां भी गारी गाने में और गाली देने में एक्सपर्ट ,
तो वो गुड्डी से सीधे बोली ,
" और का , एक बुरिया में और एक गंडिया में , . काहो बबुनी , सच काहत बानी न , अरे ई मत समझा की बराती में जउन चिक्कन चिक्क्न लौंडे आये हैं उहै खाली गांडू है , अरे एकनाकर बहिनियां कुल अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर से , . "
मैं घूंघट काढ़े थी ,
मैं घूंघट काढ़े थी ,
तब भी मैंने कनखियों से देखा , मेरी जेठानी की ऊँगली मोबाइल पर चल रही थी , और फिर रीतू भाभी के मोबाइल में टुंग हुआ ,
और अब रीतू भाभी मैदान में आ गयीं , फाइनल ओवर में छक्के लगाने , वो और मेरी जेठानी में खूब सांठगांठ थी और अंदर अंदर दोनों ही , .
" अच्छा खाली ई बताय दो , बस और कुछ नहीं पूछेंगे , तू एलवल में रहती हो न , . "
" हाँ तो "
अब गुड्डी रानी के बोल फूटे , पहली बार किसी ने सीधा सवाल पूछा था।
" अरे ओहि गली में जहाँ बाहर गदहे बंधे रहते हैं , है न ,. "
" हाँ वहीँ ,. " अब हिम्मत करके वो सामने आ गयी थी ,
अब लूज बाल पर वही नाउन की बहु ने छक्का मार दिया , अगला सवाल पूछ के ,
" तबै , बस खाली ए बता दाय , ऊ गदहवन क लौंड़ा ,. झांट आवै क पहले से घोंटत हाउ की झांट आवे के बाद से , . "
और फिर तो इनकी साली सलहज सब इतनी जोर से हंसी की बेचारी की हाल ख़राब होगयी , .
बात बदलने के लिए उनकी एक और बहन मैदान में आ गयी और हमारी ओर से मेरी बहने सहेलियां मैदान में , .
मिली बोली
" जाने दीजिये न अंदर , इतने देर से खड़े हैं , भैया ,. "
" अच्छा तो आपको मालूम है आपके भैया कित्ते देर तक खड़े रह सकते हैं , लगता है खूब अंदर करवाया होगा भैया को , . "
मेरी एक सहेली बोली ,
और छुटकी , मेरी सबसे छोटी बहन भी आ गयी जोड़ने के लिए ,
" अरे जीजू ने प्रैक्टिस इन्ही के साथ की थी , मैं तिलक में गयी थी न वहीँ पता चला था। "
सच में पन्दरह बीस मिनट हो गए थे , और उसके पहले पालथी मार कर शादी में हम लोग तीन घंटे से बैठे थे , .
मेरे एक कजिन ने एक कुर्सी ला कर मेरे पास रख दी और ये बेचारे खड़े ही रहे , .
लेकिन तबतक मेरी बुआ ने हड़काया , .
" अरेलड़कियों आने दो न इनको अंदर , फिर तो इनकी माँ बुआ सबको , . सब वसूल कर लेंगे , अब देर हो रही है। "
पर उस समय लड़कियां किसी की सुनती हैं , उन्हें तो बस अपने जीजा की रगड़ाई का मौका चाहिए , .
पर ये एकदम सीधे , बेचारे , .
जेब में हाथ डाल कर छुटकी से पूछने लगे कितना ,
लेकिन उनके एक दोस्त ने कंधे पर हाथ रख कर इशारे से उन्हें मना कर दिया
और बोला ,
" अरे डिजिटल इंडिया है कैशलेस भारत , . आप लोग अपना एटीम खोलिये बस हम अपना कार्ड अंदर , और पैसा बाहर , . "
सच में जैसे घर की लड़कियों को दरवाजे पर छेड़छाड़ में मजा आता है , वही हालत बरात के लड़कों लड़कियों की होती है , एक बार दुलहा कोहबर में चला गया फिर तो , बरात वाले जनवासे वापस ,.
और अब मामला डबल मीनिंग डायलॉग से काफी आगे बढ़ गया था , मेरी एक सहेली ने बारात की लड़कियों की ओर इशारा कर दिया ,
' अरे हर बैंक का ए टीम तो आपके पास है , काहें चिंता करते है ,
और कार्ड ,. . हमारे इतने सब भाई खड़े हैं डालने के लिए ,. हाँ आपके इस एटीम से , पैसा नहीं ,.
ठीक नौ महीने बाद , . केहाँ केहाँ निकलेगा , पक्की गारंटी , . कोई रबड़ वबड़ का चक्कर नहीं , . "
जेठानी ने बीच बचाव कर के आखिर पैसा दिलवा दिया लेकिन तभी लड़कियां एकदम से हटने को तैयार नहीं , . जीजू पहले गाना सुनाएँ ,. .