Episode 47
हर बार जब मैं अपनी सहेलियों बहनों के साथ द्वार छेंकती थी तो कोई भी दुलहा जल्दी गाने के लिए तैयार नहीं होता था , लेकिन ये तो बस , जैसे पहले से तैयार हो के आये थे
जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे
तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे
देते ना आप साथ तो मर जाते हम कभी के
पूरे हुए हैं आप से अरमान ज़िन्दगी के
हम ज़िन्दगी को आप की सौगात कहेंगे
चाहेंगे, निबाहेंगे, सराहेंगे आप ही को
आँखों में नम है जब तक देखेंगे आप ही को
अपनी जुबान से आप के जजबात कहेंगे
और एकदम बेसरम , .
मेरा घूँघट मेरी जेठानी ने थोड़ा सा ऊपर कर दिया था , और ये एकदम मेरी ओर देखते ,
चाहेंगे, निबाहेंगे, सराहेंगे आप ही को,
जिस तरह से कह रहे थे , सच में , एकदम नदीदों की तरह मुझे देख रहे थे जैसे मुझे पाने के लिए तो वो कुछ भी करने को तैयार थे ,
वो तो बेसरम थे , लेकिन मैं शरमा रही थी , . ऐसे थोड़ी ,.
और मेरी एक ननद ने चिढ़ाते हुए कान में कहा भी ,
" अरे भैया , इत्ता मत ललचाइये , . सुबह ले चलेंगे न भाभी को , . फिर तो मिलेंगी आप ही को ,. "
मेरी जेठानी मुझे देखते हुए मुस्कराने लगी , और मैं भी मुस्कराहट नहीं रोक पायी ,
लेकिन हालत खराब थी उनकी सालियों की , मेरी बहने , सहेलियां , सब लहा लोट , . और बस उस गाने के बाद सब उनकी गुलाम , .
मेरा साथ छोड़कर
सच में उनकी आवाज भी न ,. एकदम मुकेश , . और एक एक शब्द , एक एक अक्षर ,. जैसे सीधे दिल से निकल रहा हो ,
और बस रास्ता खुल गया , . उनके कोहबर में जाने का , .
लेकिन खुल कर भी नहीं खुला ,
उनके दोस्त , कुछ कजिन्स और बारात की लड़कियां जिद कर रहे थे कोहबर में जाने के लिए , .
और सबसे ज्यादे आगे था अनुज ,
अनुज ,
इनका ममेरा भाई , गुड्डी का सगा भाई , . अभी बारहवें में पढ़ता था , वहीँ आजमगढ़ में ही , डी ए वी कॉलेज में ,.
एकदम चिकना , खूब गोरा , एकदम अपनी बहन की तरह , . . रेख बड़ी मुश्किल से दिखती थी , .
गाल भी खूब मुलायम , बबल बॉटम ,
और गाँव की औरतें जितना बरात की लड़कियों के पीछे नहीं पड़ी थीं , उससे ज्यादा उसके , .
हर गारी में जब उसका नाम लेकर गायी जा रहे थी , तो ये जरूर जुड़ता ,
अनुजा , स्साला गंडुवा है , अपनी बहिनी गुड्डी छिनार का भंडुवा है , .
और जब बरात के लड़के जिद्द कर रहे थे की वो भी अंदर आएंगे तो अनुज भी साथ साथ खूब जोर जोर से , .
डबल मीनिंग डायलॉग , .
हम भी घुसेंगे ,.
मेरी एक भाभी , गाँव की ,. रीतु भाभी से बड़ी , . और उनसे भी ज्यादा खतरनाक , .
सीधे अनुज से बोली ,
" अरे स्साले आपन पिछवाड़ा बचावा , घुसे के चक्कर में कोई घुसाय न दे , . यह गाँव में एक से एक जबरदस्त लौण्डेबाज है , .
गांडू , तोहार ऐस चिक्कन कहीं पाय जाएंगे न , तो रात भर , . घचाघच्च घचाघच्च , खूब हुमच हुमच के ,. सबरे बिदाई के टाइम तोहार एस चाकर ,. ( और उन्होंने अपने दोनों हाथों अंगूठे और तर्जनी को जोड़कर बड़ा छेद बना दिखाया ) ,
तोहरे बुआ , चाची मौसी के भोंसडे से भी चौड़ा ,. हमार मुट्ठी चली जायेगी अस , . कउनो मोची भी नहीं सी पायेगा ,. "
बेचारा एकदम सरक कर पीछे ,.
उनके कालेज के एक दो लड़के मेरी सहेलियों से लस रहे थे और वो भी , .
" अगर नहीं घुसने दोगी न , तो हम जबरदस्ती , धक्का मार के घुस जाएंगे ,. "
उनकी दोनों कजिन्स गीता और मीता वहीँ खड़ी थी , हाईकॉलेज इंटर वाली , .
और उन के साथ मेरे दो कजिन्स , संजय और अनूप शाम से ही लस रहे थे ,
मेरी सहेली ने उन्ही की ओर इशारा करते हुए कहा ,
" अच्छा जो ये दोनों माल ले आये हो , लगता है इन्ही के साथ खूब धक्के मारने की घुसने की प्रैक्टिस की है , अब हमारे भाई धक्के मारेंगे ,. "
छुटकी , मेरी सबसे छोटी बहिन , नौवें में पढ़ने वाली तो अपने जीजू के साथ एकदम चिपकी पड़ी थी ,
बोली ,
" देखिये , घुसने का हक़ सिर्फ हमारे जीजू का है , और वो घुसेंगे भी , . इन्हे कोई कभी नहीं मना करेगा ,चाहे ये जित्ती बार भी , जैसे भी घुसें , कभ्भी भी ,. ये जीजू का हक है , लेकिन सिर्फ मेरे जीजू का। " "
बाकी लड़कियों और भाभियों का असर डबल मीनिंग डयलॉग का उसके ऊपर भी पड़ रहा था , .
बारात के लड़कों , लड़कियों के साथ हमारे यहाँ की लड़कियां औरतें , और खुल कर , . सब लगे हुए थे ,
रीतू भाभी शायद इसी का इन्तजार कर रही थीं ,
मेरी निगाह कभी कोहबर की ओर तो कभी रीतू भाभी की ओर , मैं तो खैर कुर्सी पर बैठी थी , ये अपनी सालियों सलहजों से घिरे , .
खड़े आधे घंटे तो हो ही गए गए होंगे ,
और जब दूल्हे के साथ के लड़के लड़कियां , मेरी सहेलियों के साथ मज़ाक में लगे थे , .
रीतू भाभी ने इशारा किया ,
और मैं उठकर कोहबर की ओर ,
पीछे पीछे ये , .
मेरी नाउन , छुटकी और मंझली , मेरी दोनों बहने , इनके साथ इन्हे कोहबर की और पुश करती ,
जब तक बरात के लड़के लड़कियां समझते मैं कोहबर के अंदर और ये भी चौखट लांघ रहे थे ,
मीता और गीता एकदम इनसे चिपकने की कोशिश करने लगीं ,
पर मंझली इसके लिए पहले ही तैयार थी और उसने अपनी टांग मीता की टांग में फँसायी , और मीता एकदम लड़खड़ाई , .
और संजय ने उसे पकड़ने की कोशिश की , रोकते हुए और सीधा उसका हाथ उस इंटरवाली के कबूतर पर ,
पहले तो संजय ने बस हलके से सहलाया , . . बहुत हलके से ,
पर रीतू भाभी ने घूरने वाली निगाह से देखा उसे , जैसे कह रही हों यही सिखाया था तुझे ,
और अगले पल , संजू कस के मीता के जोबन खुल के दबा रहा ,रगड़ रहा था , मसल रहा था। पूरे दो मिनट तक , .
और यही काम अनूप गीता के साथ ,
मेरी दो सहेलियां जैसे उन्हें रोकने की कोशिश कर रही थीं ,
और बीच में अनूप ,.
एक और मेरा कजिन ,.
हाईकॉलेज वाली नीतू के पिछवाड़े की ,. .
तब तक हम दोनों अंदर हो गए थे , दरवाजा बंद हो गया था , .
मेरी दो तीन सहेलियां भी बाहर रह गयी थीं , . बारात की लड़कियों के साथ , .
मीता ने संजू को घूर कर देखा , . पर जैसे ही उसने कान पकड़ा , वो खिलखिला के हंस पड़ी और खुद उसका कान पकड़ के बोली , .
" चल तेरी सजा यही है , हम सब को काफी पिलाओ ,. "
और बारात की लड़कियों के साथ घर के लड़के , मेरी दोनों सहेलियां , . ब्रांडी लेस्ड काफी , .
असल में जैसे गुड़ के चले जाने पर चींटे भी चले जाते हैं , तो घरातियों की ओर की लड़कियों , मेरी सहेलियों , बहनों , कजिन्स तो ज्यादातर मेरे साथ कोहबर में ,. तो बरात के लड़के भी , वापस जनवासे में चले गए थे , कुछ लड़कियां भी , लेकिन १०-१२ लड़कियाँ ,. और उनको रोकने में मेरी सहेलियों का बहुत हाल था , . और जैसे मैंने पहले बताया था , मेरी सहेलियों और रीतू भाभी की प्लानिंग , . जो लड़के तिलक में गए थे , ज्यादा ने तो वहीं अपनी सेटिंग , मीता , गीता , अनन्या , नीलू ,. इनकी कजिन्स के साथ , बाकी ने बाद में फेसबुक , व्हाट्सऐप और मेरी सहेलियां भी उस फेसबुक , व्हाट्सऐप ग्रुप में ,. एकदम पूरी लिस्ट बनी थी , जैसे हॉकी फूटबाल में खिलाडियों को मार्क करने के लिए , हर लड़की के साथ एक , किसी के साथ दो भी ,.
बस कुछ मेरी मेरी सहेलियां , कुछ मेरे कजिन्स और बरात की लड़कियां ,. काफी में भी , . . संजय की बदमाशी ,. अच्छी खासी ब्रांडी मिली थी ,. संजय ने तो शुरू से ही मीता को सेट कर लिया था ,
मैंने बताया था न बरात आम के बाग़ में , . . और टेंट में , लड़कियों का अलग इंतजाम ,. आम के बाग़ तक छोड़ने मेरी सहेलियां भी गयीं , लेकिन लड़कों की ड्यूटी लगी उन्हें सबके अलग टेंट तक छोड़ने की ,
फिर मेरी किस ननद की शलवार का नाड़ा मेरे किस भाई ने खोला ,
किस ने स्कर्ट पसारी ,
किस की साड़ी खुली ,.
ये सब बातें मुझे बाद में पता चलीं ,.
लड़के लड़कियों को बाग़ में जहाँ वो रुकी थीं छोड़ने चले गए और मेरी दोनों सहेलियां वापस ,. ( बाद में ये सबा शैतानियां मुझे पता चली )
और कोहबर में हम दोनों अंदर , . बुआ ने न सिर्फ दरवाजा बंद किया बल्कि एक मोटा सा भुन्नासी ताला भी लगा दिया और उनसे बोलीं ,
कोहबर के अंदर
और कोहबर में हम दोनों अंदर , .
बुआ ने न सिर्फ दरवाजा बंद किया बल्कि एक मोटा सा भुन्नासी ताला भी लगा दिया और उनसे बोलीं ,.
" स्साले , भोंसड़ी वाले , मादरचोद , रंडी के जने , . अब जउन तोहार छिनार भाइचोद बहिनिया , रंडी महतारी , गदहाचोदी कुत्ताचोदी बुआ , मौसी कउनो नहीं आएँगी बचाने , अब इहाँ कोहबर में जउन जउन कहा जाये चुप चुप करवाओ , सास , सलहज साली की बात मान के
, . समझे मादरचोद , माई बहन के भंडुए ,. "
और ऊपर से मम्मी ने आने वाले हमले को और ,. प्यार से उनके गाल पर सहलाते बोलीं ,
" अरे नहीं, काहें मना करेगा ये , .
आखिर इसकी महतारी चाची बुआ केहू को मना नहीं करती तो ,
लेकिन एक बात ये भी है की बिदायी की साइत छह बजे सुबह की है , ओकरे बाद शुक्र डूब जाएंगे , . यह लिए , भैया कोहबर क रस्म कुल जल्दी जल्दी , . . जेहसे , टाइम पर बिदाई , . अरे तोहार सलहज हई बताय देहिंये , . लेकिन चलो पहले बैठा , . "
दो पीढ़े रखे गए थे , मेरे और उनके बैठने के लिए , मैं तो धसक से बैठ गयी ,
लेकिन वो बेचारे सहमते हुए , कुछ झुके , . सोचते रहे ,. फिर कुछ सोच कर पीढ़ी के उपर रखे गए कवर को हटा कर ,.
उसके नीचे कुछ नहीं था , .
और सलहज सालियों के साथ हंसी का फवारा , . एक बार हंसी रुकती तो फिर दूसरी बार ,. और मैं भी बगल में बैठी मुस्करा रही थी ,
" काहो , महतारी बहिन सिखाये के भेजीं थी , कोहबर में पिछवाड़े क ख्याल रखना , कतौं कउनो खतरा न होय जाय ,. कुछ घुस गया तो ,. "
मेरी एक चाची इन्हे चिढ़ाते हुए बोलीं ,
पर इनकी एक नयी नवेली सलहज ने मोर्चा खोल लिया ,
" अरे तो ठिकै तो सिखाई , अइसन चिककन मुलायम ई तो वइसने चिक्क्न मुलायम एंकर पिछवाड़ा , . "
पर गाँव वाली हमारी भौजाइयां , अइसन साफ़ बोली में ,
सीधे एक ने जोर से इनके पिछवाड़े चिकोटी काटा और इनसे सवाल पूछ लिया ,
" अरे साफ़ साफ़ बोला न , की गाँड़ पर खतरा , . लेकिन ई हम मान नहीं सकते की आइसन चिकने मस्त नमकीन माल क गाँड़ अभिन तक कोरी बची होगी , और अगर बची है भी तो आज एन्हि कोहबर में ओह्कर भी नेवान हो जाएगा "
( असल में उनकी सावधानी जायज थी , मैंने भी कोहबर में बहुत बार अपनी सहेलियों बहनों की शादी में , पीढ़े के ऊपर पापड़ या कुछ ,. कभी कोई चुभने वाली चीज़ ,. और दूल्हे के बैठते ही , . वो उचक कर ,. लेकिन सच में लगता है इनके घर में समझा कर , और यही सोच कर जानबूझ के कुछ नहीं रकः गया था , इनकी रगड़वाई वाली चीजें तो अभी आगे थी , .
यही सोच के मैं मुस्करा रही थी )
और कोहबर में हर उमर की लड़कियां , औरतें , डेढ़ दर्जन से ऊपर तो इनकी सालियाँ ही थीं , .
कुछ तो छुटकियाँ , . मेरी छुटकी मंझली ( दोनों नवी दसवीं में थी ) की समौरिया , कुछ मेरी दोनों बहनों की सहेलियां ,
गाँव की लड़कियां और मेरी कजिन्स , . कुछ सालिया मेरी उम्र की ,
लास्ट आफ टीन्स , . मेरी दोस्तें , कजिन्स , .
और करीब उतनी ही सहलजे , . मेरी कुछ भाभियाँ बॉम्बे और लखनऊ से भी आयी थीं ,
बाकी सब गाँव की , .
और सास भी कोई कम नहीं थी , मेरी बुआ , चाची , मौसी , . गाँव की ,. और काम करने वालियाँ , नाउन , कहाईन ,
उनकी बेटी बहू और सब उम्र और रिश्ते के हिसाब से साली ,सलहज , बड़ा सा कमरा था कोहबर का
लेकिन पूरा भरा , ठसमठस , गचमच ,
सबसे पहले छुटकियों ने मोर्चा सम्हाला , इनकी छोटी सालियों ने ,
छोटी सालियाँ
उनकी बेटी बहू और सब उम्र और रिश्ते के हिसाब से साली ,सलहज , बड़ा सा कमरा था कोहबर का
लेकिन पूरा भरा , ठसमठस , गचमच ,
सबसे पहले छुटकियों ने मोर्चा सम्हाला , इनकी छोटी सालियों ने ,
" जीजू गरम नहीं लग रहा है आपको , . "
और देखते देखते , दो ने शेरवानी के बटन खोलने शुरू किये ,
एक ने पगड़ी उतारी , एक जूते के पीछे पड़ गयी , .
बस पांच मिनट में शेरवानी पगड़ी जूता , यहाँ तक की मोजा सब उतर गया सालियों के कब्जे में , और यही नहीं , उनके दोनों हाथ भी ,
" अरे जीजू , ससुराल में भी , सालियों के रहते हुए अपने हाथ , . ये हमको दे दीजिये , . "
ये छुटकी थी , मेरी छोटी बहन , सबसे छोटी और उनकी छोटी साली , .
वो और उसकी चार पांच सहेलियां , . दोनों हाथ उन सबके कब्जे में ,
मैं कनखियों से देख रही थी ,
पहले नेल पालिश ,
मेरी वाली से मैचिंग
फिर मेंहदी , .
फिर चूड़ियां , पूरे दर्जन भर , लाल लाल
और पैरों पर कब्ज़ा मेरी मंझली बहन और उसकी सहेलियों के , मेरी कजिन्स का था ,
महावर , पैरों के नाख़ून , .
और फिर बिछिया , उनके सिंगार का जिम्मा छोटी सालियों ने सम्हाल लिया था ,
और अब उनकी असली रगड़ाई का टाइम आ गया था , सलहज और सास
( एक अलिखित नियम यह है की सास की सारी गालियॉँ , चिढ़ाना , छेड़छाड़ , अपनी समधनों , दूल्हे की माँ , चाची , बुआ , मौसी ,. और सलहजें दूल्हे की बहने ) , , एक मौसी और एक गाँव की भाभी ने मिलकर , लोढ़ा लेकर , और बिना गारी के तो ,
" इहै होंवे की दोसर होंवे , परछी की नां रे , अरे केकरा क जामन होंवे , दुलरू दामाद रे , . "
मांगे क सुटवा दुलहा काहें पहन के अइला हो , कइसन का बेटा जनमवली तोहार माई छिनारिया हो , .
अरे तोहार माई गदहा चोदी हो , अरे कुकुरा क चोदी हो , ,,,,, "
" अरे पहले इनसे एंकर महतारी का नाम पूछा , बोलै भैया अपनी माई क नाम तो "
मौसी ने पूछा ,
कौन है माई कौन बाप
एक मौसी और एक गाँव की भाभी ने मिलकर , लोढ़ा लेकर ,
और बिना गारी के तो ,
" इहै होंवे की दोसर होंवे , परछी की नां रे , अरे केकरा क जामन होंवे , दुलरू दामाद रे , . "
मांगे क सुटवा दुलहा काहें पहन के अइला हो , कइसन का बेटा जनमवली तोहार माई छिनारिया हो , .
अरे तोहार माई गदहा चोदी हो , अरे कुकुरा क चोदी हो , ,,,,, "
" अरे पहले इनसे एंकर महतारी का नाम पूछा , बोलै भैया अपनी माई क नाम तो "
मौसी ने पूछा ,
थोड़ी देर तक ये हिचकिचाए , फिर जैसे उन्होंने अपनी माँ का नाम लिया इतनी गालियां पड़ी ,
लेकिन तब तक मेरी मामी ने पूछ लिया , .
" वो जो लड़की अपने बिलिया में तोहार जुतवा छुपाये थी , . ओहसे इनकी सकल बहुत मिलती है , ऊ का लगती है , तोहार ,. "
बेचारे वो सीधे असली मतलब नहीं समझ पाए , बोल गए ,.
मेरी ममेरी बहन , गुड्डी अभी आठवे में पढ़ती है , .
फिर तो वो जोर का ठहाका लगा , . हे तो कतौं मामा क जामल तो ना ,.
रीतू भाभी भी अब मैदान में आ गयी , अरे इन्ही से पूछ लेते हैं न , और सीधे अब उनसे बोली ,
" नन्दोई जी , एक छोटा सा सवाल ,.
सच सच बताइयेगा ,
बाप ,. नहीं नहीं हाईकॉलेज के कागज वाला नहीं , असली ,. जउन तोहरी महतारी के साथे घचर घचर , आपन गाढ़ी मलाई ओनकर बच्चेदानी में घोंटउले और ओकरे नौ महीने बाद ,. "
अब वो बेचारे चुप , . क्या बोलते ,. और वो रगड़ाई उनकी सलहज , सास ,
और सबसे बढ़कर गाँव वाली , काम करने वाली , नाउन क बहु ( मेरी सबसे मीठी भौजाई ) ने साफ़ साफ उनकी ठुड्डी पकड़ कर पूछ लिया
" अरे नहीं समझे , अरे जिससे तोहार माई चोदवाई हैं , और जिनके चोदने से उ गाभिन हुईं , पाहुन उनके पेट में आये ,. और नौ महीना बाद वो तोहैं , बियाई , ओहि मर्द का नाम , . माना तोहार महतारी बज्जर छिनार हैं लेकिन कभी तो बताई होंगी तोहरे असली बाप क नाम ,. "
लेकिन तबतक मेरी दो तीन सहेलियां जो बाहर थीं , जिनका काम बारात की लड़कियों के साथ था ,
हांका कर के उन्हें घरातियों के लड़कों के साथ सेटिंग करा के , .
वो कोहबर में और जोर के थम्स अप का साइन रीतू भाभी की ओर दिखाया , .
रीतू भाभी जोर से मुस्करायीं , और आँख के इशारे से कुछ पूछा ,
और अब चंदा, मेरी पक्की सहेली मेरे गाँव की और क्लास की भी , और इस ' आपरेशन बरात की लड़कियां ' की मुखिया ने न सिर्फ रीतू भाभी बल्कि मुझे भी दिखा के वही चुदाई का इंटरेनशनल सिम्बल अंगूठे और तर्जनी को मिला के गोल और उसमें एक ऊँगली अंदर बाहर , . . सटासट , सटासट ,.
और एक हाथ की पांच और दुसरे हाथ की एक ऊँगली यानी ६ की सेटिंग पक्की , .
यानी मेरी छह ननदे, . घचाघच चुद रही हैं , मेरे भाइयों से ,.
और चंदा झट से इनके पास आ कर बैठ गयी , बोलने लगी ,
" भाभी , आप लोग बेचारे मेरे जीजू को अकेले जानकार तंग कर रही थीं न , अब इनकी असली साली आ गयी है , जो पूछना है मुझसे पूछिए मैं बताउंगी , . "
" तुम्हारे जीजा से उनके असली बाप के नाम का पूछ रही हूँ दस मिनट से मुंह नहीं खोल रहे हैं , उनकर माई तो झट से खोल देती हैं , चलो तुम ही बता दो "
रीतू भाभी भी चंदा को अच्छी तरह से जानती थीं उसके खेल शामिल हो गयीं ,
" अच्छा हुआ तुम आ गयी बेचारे तोहरे जोजू बड़ी परेशानी में है सब उनसे उनके बाप का नाम पूछ रहे हैं , हाईकॉलेज के कागज़ वाला नहीं , जो उनके माई को चोद के गाभिन किये हों , और जिसके लंड की मलाई से वो निकले हों , अब बहुत सोच बिचार कर रहे हैं लेकिन बता नहीं पा रहे हैं , तो अब तू छोट साली हो , मदद कर दो अपने जीजू की न। "
" अरे भौजी , ई बात तो जीजू को कैसे मालूम होगा , .
अरे उनकी माँ के कोई दो चार आठ दस यार तो हैं नहीं दर्जनों , और अभी तक चलती हैं , . जीजू के यहाँ इसलिए किसी चीज का बिल नहीं आता , बस बिल के बदले बिल ,. . है न जीजू , . महीने के पहली को दूध वाला , दूसरे को धोबी , तीसरे को अखबारवाला , ये तो जीजू को भी मालूम है , . है न जीजू ,.
और फिर भौजी आप लोग भी , कम से कम ऑप्शन तो देतीं , जीजू मेरे झट से बता देते , समझती क्या है "
चंदा आलमोस्ट उनके गोद में चढ़ी सटी बैठी बोल रही थी
और फिर मेरी बम्बई वाली नयकी भौजी ने चार ऑप्शन दिया ,
मामा , मौसा , गदहा , कुत्ता ,.
और साथ में लाइफ लाइन भी फिफ्टी फिफ्टी और फोन फ्रेंड भी ,
" एकदम ",
चंदा बोली और अब सीधे इनसे पूछा ,
तो जीजू , ए फॉर मामा , बी फॉर मौसा , सी फॉर गदहा और डी फॉर कुत्ता ,. चलिए गेस करिये ,.
नहीं पता नहीं कोई बात नहीं लाइफ लाइन इस्तेमाल करिये न ,
तो बोलिये फिफ्टी फिफ्टी या फोन अ फ्रेंड ,
और सबसे अच्छे जिसने इनसे करवा के ( तब तक रीतू भाभी ने कस के उसे घूरा और चंदा सीधे कोर्स करेक्शन किया ) जो छिनार इनसे चुदवा के गाभिन हुयी हो , अइसन मस्त जीजू को बियाया हो , तो लगाती हूँ ,. . फोन ,.
लाइफ लाइन - फोन अ फ्रेंड
" एकदम ",
चंदा बोली और अब सीधे इनसे पूछा ,
तो जीजू , ए फॉर मामा , बी फॉर मौसा , सी फॉर गदहा और डी फॉर कुत्ता ,. चलिए गेस करिये ,.
नहीं पता नहीं कोई बात नहीं लाइफ लाइन इस्तेमाल करिये न ,
तो बोलिये फिफ्टी फिफ्टी या फोन अ फ्रेंड ,
और सबसे अच्छे जिसने इनसे करवा के ( तब तक रीतू भाभी ने कस के उसे घूरा और चंदा सीधे कोर्स करेक्शन किया ) जो छिनार इनसे चुदवा के गाभिन हुयी हो , अइसन मस्त जीजू को बियाया हो , तो लगाती हूँ ,. . फोन ,.
और आवाज बदल कर के बोली
" जीजू जी की आदरणीय छटल छिनार माता जी को फोन लगाया जाये। "
सच्च में चंदा जबरदस्त मिमिक थी , एकदम इन्ही की आवाज में और फिर इनकी माता जी की आवाज में , .
पहले उसने अपनी आवाज में बोला
" माता जी , आपके पुत्र कोहबर में थोड़ी परेशानी में फंस गए हैं , इनका पिछवाड़ा खतरे में है , अगर आप सही जवाब देंगी तो ,वरना सब इनकी सास सलहज इतनी गाँड़ मारेंगी की जब ये लौटेंगे तो आपके आर्यपुत्र का पिछवाड़ा जिस भोंसडे से ये निकले हैं उससे भी चौड़ा हो जाएगा ,. अगली आवाज जो सुनेगी वो इनकी होगी , आपके पुत्र की ,. "
और अब चंदा इनकी आवाज में बोल रही थी , सब लोग जोर जोर से खिलखिला रहे थे ,
" माँ कोहबर में मैं बड़ी मुसीबत में फंस गया हूँ , यहाँ सब लोग साफ़ साफ़ पूछ रहे हैं की आपने किस के साथ , मेरा मतलब किसके साथ सोई थी , . हाँ मतलब। अगर मैंने जवाब नहीं दिया तो ये लोग मेरी गाँड़ मार लेंगे ,
और अब चंदा ने आवाज बदलकर , इनकी माता की आवाज कर दी ,
" अरे बेटा साफ़ साफ़ पूछ न आपने किससे चुदवा कर मुझे पैदा किया , . .
अब याददास्त तो मेरी थोड़ी ,.
मुझे तो ये भी नहीं याद है की पिछले हफ्ते कौन कौन मुझे चोद गया , अब मैं सबका न आधार कार्ड रखती हूँ , न बायोमेट्रिक्स ,.
हाँ लेकिन चल कोशिश करती हूँ , अच्छा चल तू अभी २२ का हुआ न , तो कौन साल रहा होगा , नौ महीने और घटा देती हूँ , . चल पहले ऑप्शन बता , . "
और अब उनकी बारी थी,
चंदा अबकी एकदम इनकी आवाज में बोली , एक बार तो मैं भी धोखे में ,.
" माँ चार ऑप्शन है , ए फॉर मामा , बी फॉर मौसा , सी फॉर गदहा और डी फॉर कुत्ता ,. . "
अब एक बार फिर मेरी सहेली , इनकी साली चंदा , इनकी माँ बनकर , ख़ुशी से खिलखिलाते हुए बोली।
" हाँ अब आसान हो गया न चल सोचने दे , आखिरी डी ऑप्शन क्या था , डॉगी , कुत्ता , . लेकिन उसके साथ तो कातिक में , सच में तूने टॉमी की और रॉकी की याद दिला दी , .
हाँ तू कब पैदा हुया था , हाँ याद हो गया , उसके नौ महीने पहले , . सावन भादो , .
तो तेरे मौसा के साथ तो होली में , और दिवाली यानी फागुन , कातिक , .
तो सावन में किसके साथ , उस साल ,. हाँ अरे मैं भी न ,
एकदम याद है मुझे राखी का दिन , मैं रक्षाबंधन करने तेरे मामा के घर गयी थी , एक ही तो तेरे मामा हैं , बस मैंने राखी बाँधी थी ,
और वो मिठाई के लिए जिद्द करने लगा और मेरी चोली खोल कर ,.
फिर रस मलाई ,. . मेरी जाँघों के बीच वाली , हम दोनों बचपन से ही उसे रस मलाई कहते थे , उसे चाटने का बहुत शौक था , नंबरी चूत चटोरा , . मुझे लगा की चाट के हर बार की तरह ,
पर उसका मन आ गया ,
और राखी का दिन , मैं भी ,.
अब राखी के दिन कौन बहन अपने भाई को मना करती है , वो भी छोटा एकलौता भाई
वहीँ दिन दहाड़े , सोफे पर। . .
मैं एक दिन के लिए गयी थी , हफ्ते भर रुकी , और बस , उस महीने मेरी माहवारी रुक गयी , तू पेट में आ गया तो सही आंसर है ,
ए , मामा , बता दे। अरे कोहबर में , सास से , साली सलहज से क्या छिपाना ,. "
हँसते हँसते सबकी हालत खराब हो गयी , इनकी सास सलहज सभी ,
पर चंदा अब अपनी आवाज में आ गयी और बोली
" तो जीजू , बोलिये ए लॉक किया जाए न , ए यानी , मामा ,,, "
और फिर चंदा एकदम हूबहू इन्ही के आवाज में बोल रही थी , इन्ही के पीछे छुप के ,
" हाँ एकदम ए यानी मामा , सही जवाब "
हँसते हँसते सब की हालत खराब हो गयी ,
मेरी मौसी बोलीं ,
" अरे भइया उस की बेटी आयी तो है साथ में , . उस के बाप ने तेरी माँ चोद दी , तू उस की बेटी चोद दे , . हिसाब बराबर , . "
मेरी एक सहेली बोल उठी ,
" मौसी ये तो आपने मेरे जीजू के मन की बात कह दी , फिर न तो नाउन दूर न नहन्नी , कहिये तो उसे अभी बुला लाऊँ , यही सब के सामने हो जाए उस की नथ उतराई , ,. "
उनकी सारी सलहज ने वो इनकी रगड़ाई शुरू कर दी
लेकिन तब तक रस्में शुरू हो गयी
जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे
तुम दिन को अगर रात कहो, रात कहेंगे
देते ना आप साथ तो मर जाते हम कभी के
पूरे हुए हैं आप से अरमान ज़िन्दगी के
हम ज़िन्दगी को आप की सौगात कहेंगे
चाहेंगे, निबाहेंगे, सराहेंगे आप ही को
आँखों में नम है जब तक देखेंगे आप ही को
अपनी जुबान से आप के जजबात कहेंगे
और एकदम बेसरम , .
मेरा घूँघट मेरी जेठानी ने थोड़ा सा ऊपर कर दिया था , और ये एकदम मेरी ओर देखते ,
चाहेंगे, निबाहेंगे, सराहेंगे आप ही को,
जिस तरह से कह रहे थे , सच में , एकदम नदीदों की तरह मुझे देख रहे थे जैसे मुझे पाने के लिए तो वो कुछ भी करने को तैयार थे ,
वो तो बेसरम थे , लेकिन मैं शरमा रही थी , . ऐसे थोड़ी ,.
और मेरी एक ननद ने चिढ़ाते हुए कान में कहा भी ,
" अरे भैया , इत्ता मत ललचाइये , . सुबह ले चलेंगे न भाभी को , . फिर तो मिलेंगी आप ही को ,. "
मेरी जेठानी मुझे देखते हुए मुस्कराने लगी , और मैं भी मुस्कराहट नहीं रोक पायी ,
लेकिन हालत खराब थी उनकी सालियों की , मेरी बहने , सहेलियां , सब लहा लोट , . और बस उस गाने के बाद सब उनकी गुलाम , .
मेरा साथ छोड़कर
सच में उनकी आवाज भी न ,. एकदम मुकेश , . और एक एक शब्द , एक एक अक्षर ,. जैसे सीधे दिल से निकल रहा हो ,
और बस रास्ता खुल गया , . उनके कोहबर में जाने का , .
लेकिन खुल कर भी नहीं खुला ,
उनके दोस्त , कुछ कजिन्स और बारात की लड़कियां जिद कर रहे थे कोहबर में जाने के लिए , .
और सबसे ज्यादे आगे था अनुज ,
अनुज ,
इनका ममेरा भाई , गुड्डी का सगा भाई , . अभी बारहवें में पढ़ता था , वहीँ आजमगढ़ में ही , डी ए वी कॉलेज में ,.
एकदम चिकना , खूब गोरा , एकदम अपनी बहन की तरह , . . रेख बड़ी मुश्किल से दिखती थी , .
गाल भी खूब मुलायम , बबल बॉटम ,
और गाँव की औरतें जितना बरात की लड़कियों के पीछे नहीं पड़ी थीं , उससे ज्यादा उसके , .
हर गारी में जब उसका नाम लेकर गायी जा रहे थी , तो ये जरूर जुड़ता ,
अनुजा , स्साला गंडुवा है , अपनी बहिनी गुड्डी छिनार का भंडुवा है , .
और जब बरात के लड़के जिद्द कर रहे थे की वो भी अंदर आएंगे तो अनुज भी साथ साथ खूब जोर जोर से , .
डबल मीनिंग डायलॉग , .
हम भी घुसेंगे ,.
मेरी एक भाभी , गाँव की ,. रीतु भाभी से बड़ी , . और उनसे भी ज्यादा खतरनाक , .
सीधे अनुज से बोली ,
" अरे स्साले आपन पिछवाड़ा बचावा , घुसे के चक्कर में कोई घुसाय न दे , . यह गाँव में एक से एक जबरदस्त लौण्डेबाज है , .
गांडू , तोहार ऐस चिक्कन कहीं पाय जाएंगे न , तो रात भर , . घचाघच्च घचाघच्च , खूब हुमच हुमच के ,. सबरे बिदाई के टाइम तोहार एस चाकर ,. ( और उन्होंने अपने दोनों हाथों अंगूठे और तर्जनी को जोड़कर बड़ा छेद बना दिखाया ) ,
तोहरे बुआ , चाची मौसी के भोंसडे से भी चौड़ा ,. हमार मुट्ठी चली जायेगी अस , . कउनो मोची भी नहीं सी पायेगा ,. "
बेचारा एकदम सरक कर पीछे ,.
उनके कालेज के एक दो लड़के मेरी सहेलियों से लस रहे थे और वो भी , .
" अगर नहीं घुसने दोगी न , तो हम जबरदस्ती , धक्का मार के घुस जाएंगे ,. "
उनकी दोनों कजिन्स गीता और मीता वहीँ खड़ी थी , हाईकॉलेज इंटर वाली , .
और उन के साथ मेरे दो कजिन्स , संजय और अनूप शाम से ही लस रहे थे ,
मेरी सहेली ने उन्ही की ओर इशारा करते हुए कहा ,
" अच्छा जो ये दोनों माल ले आये हो , लगता है इन्ही के साथ खूब धक्के मारने की घुसने की प्रैक्टिस की है , अब हमारे भाई धक्के मारेंगे ,. "
छुटकी , मेरी सबसे छोटी बहिन , नौवें में पढ़ने वाली तो अपने जीजू के साथ एकदम चिपकी पड़ी थी ,
बोली ,
" देखिये , घुसने का हक़ सिर्फ हमारे जीजू का है , और वो घुसेंगे भी , . इन्हे कोई कभी नहीं मना करेगा ,चाहे ये जित्ती बार भी , जैसे भी घुसें , कभ्भी भी ,. ये जीजू का हक है , लेकिन सिर्फ मेरे जीजू का। " "
बाकी लड़कियों और भाभियों का असर डबल मीनिंग डयलॉग का उसके ऊपर भी पड़ रहा था , .
बारात के लड़कों , लड़कियों के साथ हमारे यहाँ की लड़कियां औरतें , और खुल कर , . सब लगे हुए थे ,
रीतू भाभी शायद इसी का इन्तजार कर रही थीं ,
मेरी निगाह कभी कोहबर की ओर तो कभी रीतू भाभी की ओर , मैं तो खैर कुर्सी पर बैठी थी , ये अपनी सालियों सलहजों से घिरे , .
खड़े आधे घंटे तो हो ही गए गए होंगे ,
और जब दूल्हे के साथ के लड़के लड़कियां , मेरी सहेलियों के साथ मज़ाक में लगे थे , .
रीतू भाभी ने इशारा किया ,
और मैं उठकर कोहबर की ओर ,
पीछे पीछे ये , .
मेरी नाउन , छुटकी और मंझली , मेरी दोनों बहने , इनके साथ इन्हे कोहबर की और पुश करती ,
जब तक बरात के लड़के लड़कियां समझते मैं कोहबर के अंदर और ये भी चौखट लांघ रहे थे ,
मीता और गीता एकदम इनसे चिपकने की कोशिश करने लगीं ,
पर मंझली इसके लिए पहले ही तैयार थी और उसने अपनी टांग मीता की टांग में फँसायी , और मीता एकदम लड़खड़ाई , .
और संजय ने उसे पकड़ने की कोशिश की , रोकते हुए और सीधा उसका हाथ उस इंटरवाली के कबूतर पर ,
पहले तो संजय ने बस हलके से सहलाया , . . बहुत हलके से ,
पर रीतू भाभी ने घूरने वाली निगाह से देखा उसे , जैसे कह रही हों यही सिखाया था तुझे ,
और अगले पल , संजू कस के मीता के जोबन खुल के दबा रहा ,रगड़ रहा था , मसल रहा था। पूरे दो मिनट तक , .
और यही काम अनूप गीता के साथ ,
मेरी दो सहेलियां जैसे उन्हें रोकने की कोशिश कर रही थीं ,
और बीच में अनूप ,.
एक और मेरा कजिन ,.
हाईकॉलेज वाली नीतू के पिछवाड़े की ,. .
तब तक हम दोनों अंदर हो गए थे , दरवाजा बंद हो गया था , .
मेरी दो तीन सहेलियां भी बाहर रह गयी थीं , . बारात की लड़कियों के साथ , .
मीता ने संजू को घूर कर देखा , . पर जैसे ही उसने कान पकड़ा , वो खिलखिला के हंस पड़ी और खुद उसका कान पकड़ के बोली , .
" चल तेरी सजा यही है , हम सब को काफी पिलाओ ,. "
और बारात की लड़कियों के साथ घर के लड़के , मेरी दोनों सहेलियां , . ब्रांडी लेस्ड काफी , .
असल में जैसे गुड़ के चले जाने पर चींटे भी चले जाते हैं , तो घरातियों की ओर की लड़कियों , मेरी सहेलियों , बहनों , कजिन्स तो ज्यादातर मेरे साथ कोहबर में ,. तो बरात के लड़के भी , वापस जनवासे में चले गए थे , कुछ लड़कियां भी , लेकिन १०-१२ लड़कियाँ ,. और उनको रोकने में मेरी सहेलियों का बहुत हाल था , . और जैसे मैंने पहले बताया था , मेरी सहेलियों और रीतू भाभी की प्लानिंग , . जो लड़के तिलक में गए थे , ज्यादा ने तो वहीं अपनी सेटिंग , मीता , गीता , अनन्या , नीलू ,. इनकी कजिन्स के साथ , बाकी ने बाद में फेसबुक , व्हाट्सऐप और मेरी सहेलियां भी उस फेसबुक , व्हाट्सऐप ग्रुप में ,. एकदम पूरी लिस्ट बनी थी , जैसे हॉकी फूटबाल में खिलाडियों को मार्क करने के लिए , हर लड़की के साथ एक , किसी के साथ दो भी ,.
बस कुछ मेरी मेरी सहेलियां , कुछ मेरे कजिन्स और बरात की लड़कियां ,. काफी में भी , . . संजय की बदमाशी ,. अच्छी खासी ब्रांडी मिली थी ,. संजय ने तो शुरू से ही मीता को सेट कर लिया था ,
मैंने बताया था न बरात आम के बाग़ में , . . और टेंट में , लड़कियों का अलग इंतजाम ,. आम के बाग़ तक छोड़ने मेरी सहेलियां भी गयीं , लेकिन लड़कों की ड्यूटी लगी उन्हें सबके अलग टेंट तक छोड़ने की ,
फिर मेरी किस ननद की शलवार का नाड़ा मेरे किस भाई ने खोला ,
किस ने स्कर्ट पसारी ,
किस की साड़ी खुली ,.
ये सब बातें मुझे बाद में पता चलीं ,.
लड़के लड़कियों को बाग़ में जहाँ वो रुकी थीं छोड़ने चले गए और मेरी दोनों सहेलियां वापस ,. ( बाद में ये सबा शैतानियां मुझे पता चली )
और कोहबर में हम दोनों अंदर , . बुआ ने न सिर्फ दरवाजा बंद किया बल्कि एक मोटा सा भुन्नासी ताला भी लगा दिया और उनसे बोलीं ,
कोहबर के अंदर
और कोहबर में हम दोनों अंदर , .
बुआ ने न सिर्फ दरवाजा बंद किया बल्कि एक मोटा सा भुन्नासी ताला भी लगा दिया और उनसे बोलीं ,.
" स्साले , भोंसड़ी वाले , मादरचोद , रंडी के जने , . अब जउन तोहार छिनार भाइचोद बहिनिया , रंडी महतारी , गदहाचोदी कुत्ताचोदी बुआ , मौसी कउनो नहीं आएँगी बचाने , अब इहाँ कोहबर में जउन जउन कहा जाये चुप चुप करवाओ , सास , सलहज साली की बात मान के
, . समझे मादरचोद , माई बहन के भंडुए ,. "
और ऊपर से मम्मी ने आने वाले हमले को और ,. प्यार से उनके गाल पर सहलाते बोलीं ,
" अरे नहीं, काहें मना करेगा ये , .
आखिर इसकी महतारी चाची बुआ केहू को मना नहीं करती तो ,
लेकिन एक बात ये भी है की बिदायी की साइत छह बजे सुबह की है , ओकरे बाद शुक्र डूब जाएंगे , . यह लिए , भैया कोहबर क रस्म कुल जल्दी जल्दी , . . जेहसे , टाइम पर बिदाई , . अरे तोहार सलहज हई बताय देहिंये , . लेकिन चलो पहले बैठा , . "
दो पीढ़े रखे गए थे , मेरे और उनके बैठने के लिए , मैं तो धसक से बैठ गयी ,
लेकिन वो बेचारे सहमते हुए , कुछ झुके , . सोचते रहे ,. फिर कुछ सोच कर पीढ़ी के उपर रखे गए कवर को हटा कर ,.
उसके नीचे कुछ नहीं था , .
और सलहज सालियों के साथ हंसी का फवारा , . एक बार हंसी रुकती तो फिर दूसरी बार ,. और मैं भी बगल में बैठी मुस्करा रही थी ,
" काहो , महतारी बहिन सिखाये के भेजीं थी , कोहबर में पिछवाड़े क ख्याल रखना , कतौं कउनो खतरा न होय जाय ,. कुछ घुस गया तो ,. "
मेरी एक चाची इन्हे चिढ़ाते हुए बोलीं ,
पर इनकी एक नयी नवेली सलहज ने मोर्चा खोल लिया ,
" अरे तो ठिकै तो सिखाई , अइसन चिककन मुलायम ई तो वइसने चिक्क्न मुलायम एंकर पिछवाड़ा , . "
पर गाँव वाली हमारी भौजाइयां , अइसन साफ़ बोली में ,
सीधे एक ने जोर से इनके पिछवाड़े चिकोटी काटा और इनसे सवाल पूछ लिया ,
" अरे साफ़ साफ़ बोला न , की गाँड़ पर खतरा , . लेकिन ई हम मान नहीं सकते की आइसन चिकने मस्त नमकीन माल क गाँड़ अभिन तक कोरी बची होगी , और अगर बची है भी तो आज एन्हि कोहबर में ओह्कर भी नेवान हो जाएगा "
( असल में उनकी सावधानी जायज थी , मैंने भी कोहबर में बहुत बार अपनी सहेलियों बहनों की शादी में , पीढ़े के ऊपर पापड़ या कुछ ,. कभी कोई चुभने वाली चीज़ ,. और दूल्हे के बैठते ही , . वो उचक कर ,. लेकिन सच में लगता है इनके घर में समझा कर , और यही सोच कर जानबूझ के कुछ नहीं रकः गया था , इनकी रगड़वाई वाली चीजें तो अभी आगे थी , .
यही सोच के मैं मुस्करा रही थी )
और कोहबर में हर उमर की लड़कियां , औरतें , डेढ़ दर्जन से ऊपर तो इनकी सालियाँ ही थीं , .
कुछ तो छुटकियाँ , . मेरी छुटकी मंझली ( दोनों नवी दसवीं में थी ) की समौरिया , कुछ मेरी दोनों बहनों की सहेलियां ,
गाँव की लड़कियां और मेरी कजिन्स , . कुछ सालिया मेरी उम्र की ,
लास्ट आफ टीन्स , . मेरी दोस्तें , कजिन्स , .
और करीब उतनी ही सहलजे , . मेरी कुछ भाभियाँ बॉम्बे और लखनऊ से भी आयी थीं ,
बाकी सब गाँव की , .
और सास भी कोई कम नहीं थी , मेरी बुआ , चाची , मौसी , . गाँव की ,. और काम करने वालियाँ , नाउन , कहाईन ,
उनकी बेटी बहू और सब उम्र और रिश्ते के हिसाब से साली ,सलहज , बड़ा सा कमरा था कोहबर का
लेकिन पूरा भरा , ठसमठस , गचमच ,
सबसे पहले छुटकियों ने मोर्चा सम्हाला , इनकी छोटी सालियों ने ,
छोटी सालियाँ
उनकी बेटी बहू और सब उम्र और रिश्ते के हिसाब से साली ,सलहज , बड़ा सा कमरा था कोहबर का
लेकिन पूरा भरा , ठसमठस , गचमच ,
सबसे पहले छुटकियों ने मोर्चा सम्हाला , इनकी छोटी सालियों ने ,
" जीजू गरम नहीं लग रहा है आपको , . "
और देखते देखते , दो ने शेरवानी के बटन खोलने शुरू किये ,
एक ने पगड़ी उतारी , एक जूते के पीछे पड़ गयी , .
बस पांच मिनट में शेरवानी पगड़ी जूता , यहाँ तक की मोजा सब उतर गया सालियों के कब्जे में , और यही नहीं , उनके दोनों हाथ भी ,
" अरे जीजू , ससुराल में भी , सालियों के रहते हुए अपने हाथ , . ये हमको दे दीजिये , . "
ये छुटकी थी , मेरी छोटी बहन , सबसे छोटी और उनकी छोटी साली , .
वो और उसकी चार पांच सहेलियां , . दोनों हाथ उन सबके कब्जे में ,
मैं कनखियों से देख रही थी ,
पहले नेल पालिश ,
मेरी वाली से मैचिंग
फिर मेंहदी , .
फिर चूड़ियां , पूरे दर्जन भर , लाल लाल
और पैरों पर कब्ज़ा मेरी मंझली बहन और उसकी सहेलियों के , मेरी कजिन्स का था ,
महावर , पैरों के नाख़ून , .
और फिर बिछिया , उनके सिंगार का जिम्मा छोटी सालियों ने सम्हाल लिया था ,
और अब उनकी असली रगड़ाई का टाइम आ गया था , सलहज और सास
( एक अलिखित नियम यह है की सास की सारी गालियॉँ , चिढ़ाना , छेड़छाड़ , अपनी समधनों , दूल्हे की माँ , चाची , बुआ , मौसी ,. और सलहजें दूल्हे की बहने ) , , एक मौसी और एक गाँव की भाभी ने मिलकर , लोढ़ा लेकर , और बिना गारी के तो ,
" इहै होंवे की दोसर होंवे , परछी की नां रे , अरे केकरा क जामन होंवे , दुलरू दामाद रे , . "
मांगे क सुटवा दुलहा काहें पहन के अइला हो , कइसन का बेटा जनमवली तोहार माई छिनारिया हो , .
अरे तोहार माई गदहा चोदी हो , अरे कुकुरा क चोदी हो , ,,,,, "
" अरे पहले इनसे एंकर महतारी का नाम पूछा , बोलै भैया अपनी माई क नाम तो "
मौसी ने पूछा ,
कौन है माई कौन बाप
एक मौसी और एक गाँव की भाभी ने मिलकर , लोढ़ा लेकर ,
और बिना गारी के तो ,
" इहै होंवे की दोसर होंवे , परछी की नां रे , अरे केकरा क जामन होंवे , दुलरू दामाद रे , . "
मांगे क सुटवा दुलहा काहें पहन के अइला हो , कइसन का बेटा जनमवली तोहार माई छिनारिया हो , .
अरे तोहार माई गदहा चोदी हो , अरे कुकुरा क चोदी हो , ,,,,, "
" अरे पहले इनसे एंकर महतारी का नाम पूछा , बोलै भैया अपनी माई क नाम तो "
मौसी ने पूछा ,
थोड़ी देर तक ये हिचकिचाए , फिर जैसे उन्होंने अपनी माँ का नाम लिया इतनी गालियां पड़ी ,
लेकिन तब तक मेरी मामी ने पूछ लिया , .
" वो जो लड़की अपने बिलिया में तोहार जुतवा छुपाये थी , . ओहसे इनकी सकल बहुत मिलती है , ऊ का लगती है , तोहार ,. "
बेचारे वो सीधे असली मतलब नहीं समझ पाए , बोल गए ,.
मेरी ममेरी बहन , गुड्डी अभी आठवे में पढ़ती है , .
फिर तो वो जोर का ठहाका लगा , . हे तो कतौं मामा क जामल तो ना ,.
रीतू भाभी भी अब मैदान में आ गयी , अरे इन्ही से पूछ लेते हैं न , और सीधे अब उनसे बोली ,
" नन्दोई जी , एक छोटा सा सवाल ,.
सच सच बताइयेगा ,
बाप ,. नहीं नहीं हाईकॉलेज के कागज वाला नहीं , असली ,. जउन तोहरी महतारी के साथे घचर घचर , आपन गाढ़ी मलाई ओनकर बच्चेदानी में घोंटउले और ओकरे नौ महीने बाद ,. "
अब वो बेचारे चुप , . क्या बोलते ,. और वो रगड़ाई उनकी सलहज , सास ,
और सबसे बढ़कर गाँव वाली , काम करने वाली , नाउन क बहु ( मेरी सबसे मीठी भौजाई ) ने साफ़ साफ उनकी ठुड्डी पकड़ कर पूछ लिया
" अरे नहीं समझे , अरे जिससे तोहार माई चोदवाई हैं , और जिनके चोदने से उ गाभिन हुईं , पाहुन उनके पेट में आये ,. और नौ महीना बाद वो तोहैं , बियाई , ओहि मर्द का नाम , . माना तोहार महतारी बज्जर छिनार हैं लेकिन कभी तो बताई होंगी तोहरे असली बाप क नाम ,. "
लेकिन तबतक मेरी दो तीन सहेलियां जो बाहर थीं , जिनका काम बारात की लड़कियों के साथ था ,
हांका कर के उन्हें घरातियों के लड़कों के साथ सेटिंग करा के , .
वो कोहबर में और जोर के थम्स अप का साइन रीतू भाभी की ओर दिखाया , .
रीतू भाभी जोर से मुस्करायीं , और आँख के इशारे से कुछ पूछा ,
और अब चंदा, मेरी पक्की सहेली मेरे गाँव की और क्लास की भी , और इस ' आपरेशन बरात की लड़कियां ' की मुखिया ने न सिर्फ रीतू भाभी बल्कि मुझे भी दिखा के वही चुदाई का इंटरेनशनल सिम्बल अंगूठे और तर्जनी को मिला के गोल और उसमें एक ऊँगली अंदर बाहर , . . सटासट , सटासट ,.
और एक हाथ की पांच और दुसरे हाथ की एक ऊँगली यानी ६ की सेटिंग पक्की , .
यानी मेरी छह ननदे, . घचाघच चुद रही हैं , मेरे भाइयों से ,.
और चंदा झट से इनके पास आ कर बैठ गयी , बोलने लगी ,
" भाभी , आप लोग बेचारे मेरे जीजू को अकेले जानकार तंग कर रही थीं न , अब इनकी असली साली आ गयी है , जो पूछना है मुझसे पूछिए मैं बताउंगी , . "
" तुम्हारे जीजा से उनके असली बाप के नाम का पूछ रही हूँ दस मिनट से मुंह नहीं खोल रहे हैं , उनकर माई तो झट से खोल देती हैं , चलो तुम ही बता दो "
रीतू भाभी भी चंदा को अच्छी तरह से जानती थीं उसके खेल शामिल हो गयीं ,
" अच्छा हुआ तुम आ गयी बेचारे तोहरे जोजू बड़ी परेशानी में है सब उनसे उनके बाप का नाम पूछ रहे हैं , हाईकॉलेज के कागज़ वाला नहीं , जो उनके माई को चोद के गाभिन किये हों , और जिसके लंड की मलाई से वो निकले हों , अब बहुत सोच बिचार कर रहे हैं लेकिन बता नहीं पा रहे हैं , तो अब तू छोट साली हो , मदद कर दो अपने जीजू की न। "
" अरे भौजी , ई बात तो जीजू को कैसे मालूम होगा , .
अरे उनकी माँ के कोई दो चार आठ दस यार तो हैं नहीं दर्जनों , और अभी तक चलती हैं , . जीजू के यहाँ इसलिए किसी चीज का बिल नहीं आता , बस बिल के बदले बिल ,. . है न जीजू , . महीने के पहली को दूध वाला , दूसरे को धोबी , तीसरे को अखबारवाला , ये तो जीजू को भी मालूम है , . है न जीजू ,.
और फिर भौजी आप लोग भी , कम से कम ऑप्शन तो देतीं , जीजू मेरे झट से बता देते , समझती क्या है "
चंदा आलमोस्ट उनके गोद में चढ़ी सटी बैठी बोल रही थी
और फिर मेरी बम्बई वाली नयकी भौजी ने चार ऑप्शन दिया ,
मामा , मौसा , गदहा , कुत्ता ,.
और साथ में लाइफ लाइन भी फिफ्टी फिफ्टी और फोन फ्रेंड भी ,
" एकदम ",
चंदा बोली और अब सीधे इनसे पूछा ,
तो जीजू , ए फॉर मामा , बी फॉर मौसा , सी फॉर गदहा और डी फॉर कुत्ता ,. चलिए गेस करिये ,.
नहीं पता नहीं कोई बात नहीं लाइफ लाइन इस्तेमाल करिये न ,
तो बोलिये फिफ्टी फिफ्टी या फोन अ फ्रेंड ,
और सबसे अच्छे जिसने इनसे करवा के ( तब तक रीतू भाभी ने कस के उसे घूरा और चंदा सीधे कोर्स करेक्शन किया ) जो छिनार इनसे चुदवा के गाभिन हुयी हो , अइसन मस्त जीजू को बियाया हो , तो लगाती हूँ ,. . फोन ,.
लाइफ लाइन - फोन अ फ्रेंड
" एकदम ",
चंदा बोली और अब सीधे इनसे पूछा ,
तो जीजू , ए फॉर मामा , बी फॉर मौसा , सी फॉर गदहा और डी फॉर कुत्ता ,. चलिए गेस करिये ,.
नहीं पता नहीं कोई बात नहीं लाइफ लाइन इस्तेमाल करिये न ,
तो बोलिये फिफ्टी फिफ्टी या फोन अ फ्रेंड ,
और सबसे अच्छे जिसने इनसे करवा के ( तब तक रीतू भाभी ने कस के उसे घूरा और चंदा सीधे कोर्स करेक्शन किया ) जो छिनार इनसे चुदवा के गाभिन हुयी हो , अइसन मस्त जीजू को बियाया हो , तो लगाती हूँ ,. . फोन ,.
और आवाज बदल कर के बोली
" जीजू जी की आदरणीय छटल छिनार माता जी को फोन लगाया जाये। "
सच्च में चंदा जबरदस्त मिमिक थी , एकदम इन्ही की आवाज में और फिर इनकी माता जी की आवाज में , .
पहले उसने अपनी आवाज में बोला
" माता जी , आपके पुत्र कोहबर में थोड़ी परेशानी में फंस गए हैं , इनका पिछवाड़ा खतरे में है , अगर आप सही जवाब देंगी तो ,वरना सब इनकी सास सलहज इतनी गाँड़ मारेंगी की जब ये लौटेंगे तो आपके आर्यपुत्र का पिछवाड़ा जिस भोंसडे से ये निकले हैं उससे भी चौड़ा हो जाएगा ,. अगली आवाज जो सुनेगी वो इनकी होगी , आपके पुत्र की ,. "
और अब चंदा इनकी आवाज में बोल रही थी , सब लोग जोर जोर से खिलखिला रहे थे ,
" माँ कोहबर में मैं बड़ी मुसीबत में फंस गया हूँ , यहाँ सब लोग साफ़ साफ़ पूछ रहे हैं की आपने किस के साथ , मेरा मतलब किसके साथ सोई थी , . हाँ मतलब। अगर मैंने जवाब नहीं दिया तो ये लोग मेरी गाँड़ मार लेंगे ,
और अब चंदा ने आवाज बदलकर , इनकी माता की आवाज कर दी ,
" अरे बेटा साफ़ साफ़ पूछ न आपने किससे चुदवा कर मुझे पैदा किया , . .
अब याददास्त तो मेरी थोड़ी ,.
मुझे तो ये भी नहीं याद है की पिछले हफ्ते कौन कौन मुझे चोद गया , अब मैं सबका न आधार कार्ड रखती हूँ , न बायोमेट्रिक्स ,.
हाँ लेकिन चल कोशिश करती हूँ , अच्छा चल तू अभी २२ का हुआ न , तो कौन साल रहा होगा , नौ महीने और घटा देती हूँ , . चल पहले ऑप्शन बता , . "
और अब उनकी बारी थी,
चंदा अबकी एकदम इनकी आवाज में बोली , एक बार तो मैं भी धोखे में ,.
" माँ चार ऑप्शन है , ए फॉर मामा , बी फॉर मौसा , सी फॉर गदहा और डी फॉर कुत्ता ,. . "
अब एक बार फिर मेरी सहेली , इनकी साली चंदा , इनकी माँ बनकर , ख़ुशी से खिलखिलाते हुए बोली।
" हाँ अब आसान हो गया न चल सोचने दे , आखिरी डी ऑप्शन क्या था , डॉगी , कुत्ता , . लेकिन उसके साथ तो कातिक में , सच में तूने टॉमी की और रॉकी की याद दिला दी , .
हाँ तू कब पैदा हुया था , हाँ याद हो गया , उसके नौ महीने पहले , . सावन भादो , .
तो तेरे मौसा के साथ तो होली में , और दिवाली यानी फागुन , कातिक , .
तो सावन में किसके साथ , उस साल ,. हाँ अरे मैं भी न ,
एकदम याद है मुझे राखी का दिन , मैं रक्षाबंधन करने तेरे मामा के घर गयी थी , एक ही तो तेरे मामा हैं , बस मैंने राखी बाँधी थी ,
और वो मिठाई के लिए जिद्द करने लगा और मेरी चोली खोल कर ,.
फिर रस मलाई ,. . मेरी जाँघों के बीच वाली , हम दोनों बचपन से ही उसे रस मलाई कहते थे , उसे चाटने का बहुत शौक था , नंबरी चूत चटोरा , . मुझे लगा की चाट के हर बार की तरह ,
पर उसका मन आ गया ,
और राखी का दिन , मैं भी ,.
अब राखी के दिन कौन बहन अपने भाई को मना करती है , वो भी छोटा एकलौता भाई
वहीँ दिन दहाड़े , सोफे पर। . .
मैं एक दिन के लिए गयी थी , हफ्ते भर रुकी , और बस , उस महीने मेरी माहवारी रुक गयी , तू पेट में आ गया तो सही आंसर है ,
ए , मामा , बता दे। अरे कोहबर में , सास से , साली सलहज से क्या छिपाना ,. "
हँसते हँसते सबकी हालत खराब हो गयी , इनकी सास सलहज सभी ,
पर चंदा अब अपनी आवाज में आ गयी और बोली
" तो जीजू , बोलिये ए लॉक किया जाए न , ए यानी , मामा ,,, "
और फिर चंदा एकदम हूबहू इन्ही के आवाज में बोल रही थी , इन्ही के पीछे छुप के ,
" हाँ एकदम ए यानी मामा , सही जवाब "
हँसते हँसते सब की हालत खराब हो गयी ,
मेरी मौसी बोलीं ,
" अरे भइया उस की बेटी आयी तो है साथ में , . उस के बाप ने तेरी माँ चोद दी , तू उस की बेटी चोद दे , . हिसाब बराबर , . "
मेरी एक सहेली बोल उठी ,
" मौसी ये तो आपने मेरे जीजू के मन की बात कह दी , फिर न तो नाउन दूर न नहन्नी , कहिये तो उसे अभी बुला लाऊँ , यही सब के सामने हो जाए उस की नथ उतराई , ,. "
उनकी सारी सलहज ने वो इनकी रगड़ाई शुरू कर दी
लेकिन तब तक रस्में शुरू हो गयी