Episode 53


ननद संग होली -

ज्योति और

नीता

ज्योति तो खूब दबवा मिजवा के गदरा गयी थी , जोबन उसके आलमोस्ट मेरे साइज के , दोनों ११ वे पढ़ती हैं , वहीँ जहाँ गुड्डी पढ़ती है , हम लोगो के घर के बगल वाले गवर्मेंट गर्ल्स इंटर कालेज ,

नीता भी कम मस्त नहीं है , हंसती है तो गाल में गड्ढे पड़ते हैं ,

और दोनों मुझे जबसे मैं आयी तबसे होली का नाम ले ले कर धमका रही थीं ,

" भाभी अभी आप भैया से मजा ले लीजिये , आने दीजिये होली , इस होली में आपके कपडे से नहीं सिर्फ देह से होली होगी "

नीता छेड़ती रहती ,

और ज्योति और

" अरे हमारी भाभी बनारस की डांसिंग क्वीन थीं , आने दो होली को इस आंगन में हम ननदें नचाएंगी , हाँ बिना कपडे के , और सेल्फी वीडियो , सब ,. "

वही दोनों , उन दोनों को पता चल गया था की मैं होली में नहीं रहूंगी , सीधे होली के तीन दिन पहले अपने मायके ,

जैसे मैंने किवाड़ खोला , दोनों जोर जोर से बोलती घुसी ,

" अरे भाभी ये सख्त नाइंसाफी है , होली में अपने मायके यारों की पिचकारी का मजा लेने जा रही है , आप डर गयीं की होली में यहाँ ननदें नंगे नचाएंगी न , अरे बचपन की छिनार अपने भौजाई बहुत मजा लिया होगा अबकी अपने देवर और ननदों का रस लेना चाहिए था न , भाभी ये एकदम फाउल है "

उन दोनों को क्या मालूम था मैं केवाड़ी के पीछे छुपी खड़ी हूँ ,

बनारस वाली हूँ इन आजमगढ़ वालियों की लेने के लिए आयी हूँ , .

पीछे से मैंने नीतू को धर दबोचा और आगे से कम्मो ने ज्योति को अपनी अँकवार में कस के भींच लिया ,

कम्मो की पकड़ लोहे की सँडसी से भी जबरदस्त , चार चार बच्चो की माँ उससे पार नहीं पा सकती , ये ज्योति तो नयी बछेड़ी थी ,

ज्योति शलवार सूट में , जोबन उसके छलक रहे थे , .

बोली , " नहीं नहीं भाभी , ये ड्रेस मेरा , रंग से , . आप लोग ,. "

उसकी निगाह रंग से लिथड़ी कम्मो पर पड़ी।

कम्मो ने बिना बोले , पहले उसे हलके से गुदगुदी लगाई , जब तक वह सम्हले , पीछे से उसकी दोनों कलाई कम्मो के हाथ में , और मुंह से ही उसने ज्योति का दुप्पटा खींच लिया , और हँसते हुए बोली

" ननद रानी ई जोबना फागुन में मिजवाने मसलवाने के लिए हैं , काहें हमारे देवर को ललचाती हो , देखाओ न खुल के , . "

और आराम से ज्योति के दोनों हाथ दुप्पटे से बाँध दिए ,

मैंने नीतू के दोनों हाथ पीछे से पकड़ रखे थे , वो टॉप और स्कर्ट में थी।

कम्मो ने ज्योति की शलवार का नाड़ा न सिर्फ खोला बल्कि खींच कर निकाल दिया और उसी नाड़े से अब नीतू के हाथ बंधे थे ,

हम चारो अब आंगन में थे , आंगन में चारो ओर रंग बिखरा था , बाल्टियों में रंग भरा था , लग रहा था भी जबरदस्त होली हुयी थी , . .

नीतू ने भी वही गुहार लगायी भाभी ये ड्रेस , रंग नहीं छूटेगा इस पर से , प्लीज हम दोनों कल आ जायेगीं , फिर ,

मैंने उसके गालों को मीठे मीठे चूमते हुए समझाया

" अरे ननद रानी , चलो तोहार वाली भी , . होली ननद से खेलनी है उसके कपडे से थोड़े ही , "

और मैंने खींच के उसका टॉप उतार के , बरामदे में सम्हाल के रख दिया और तब तक कम्मो ने भी पहले तो ज्योति के कुर्ते के बटन खींचे और वो भी नीतू के टॉप के पास , ज्योति की शलवार सरक के उसकी टांगो के नीचे ,

और मैंने भी नीतू की स्कर्ट ,

अब दोनों ननदें ब्रा और पैटी में ,

कपडे उनके ले जा कर मैं अपने कमरे में रख के आयी और फिर कम्मो के कान में फुसफुसाया , और हँसते हुए कम्मो ने एक शर्त रखी ,

" बहुत कपड़ा कपड़ा कर रही थी छिनार , अब कल आ के ले जाना , .

वरना एक छोटी सी शर्त है। "

छोटी सी शर्त

हँसते हुए कम्मो ने एक शर्त रखी ,

" बहुत कपड़ा कपड़ा कर रही थी छिनार , अब कल आ के ले जाना , . वरना एक छोटी सी शर्त है। "

खाली ब्रा पैंटी में , . दोनों की हालत खराब , दोनों साथ साथ बोलीं

" भौजी कौन शर्त है ,

" सिम्पल , फागुन का स्ट्रिप डांस , . देखो अब ब्रा पैंटी तो तुम दोनों की उतरनी ही है , तुम लोग उतारेगी तो बची रहेगी , और भौजाई उतारेंगी तो फाड़ के रख देंगी , .

तो पहली शर्त है की ज्योति तुम एक स्ट्रिप डांस पहले ब्रा के ऊपर से जोबन मसलो रगड़ो , जैसे तेरे यार रगड़ते हैं वैसे ही ,

फिर धीरे धीरे ब्रा उतार के फेंक दोगी , फिर अपनी दोनों चूँची हाथों से छिपा के , हलके हलके खोलोगी ,

उसके बाद दोनों जोबन को मसलते हुए डांस करोगी , और उसके बाद पैंटी , भी उसी तरह , पैंटी के ऊपर से अपनी चूत रगड़ो मसलो ,

फिर पैंटी उतार के चूत को हथेली से , और सबसे अंत में एक मिनट तक फिंगरिंग , कुल ढाई मिनट की फिंगरिंग , और नीतू तुम रिकार्ड करना , . "

थोड़ी देर तक तो दोनों नौटंकी की , लेकिन कम्मो के आगे ,

ज्योति ने स्ट्रीप टीज शुरू की और मैंने नीतू को ज्योति का ही फोन दे दिया , रिकार्ड करने को , मैं अपने आई फोन से , .

अपने पहले फागुन में ही ननद को नंगी नचाने का ख़्वाब तो हर भाभी का होता है , और ये दोनों तो मुझे चैलेंज कर रही थीं ,

क्या मस्त ज्योति अपने जोबन दबा रही थी , चूत सहला रही थी , .

और फिर फिंगरिंग , .

" अरे छिनार जड़ तक ऊँगली पेल , हमको मालूम नहीं है की का कित्ते साल पहले केकरे साथ झिल्ली फड़वा चुकी हो , रंडी की औलाद ,. वरना अभ कम्मो भौजी की पूरी मुट्ठी घोंटनी होगी , . "

बेचारी ज्योति , लेकिन सच में थी नंबरी छिनार , मस्त ऊँगली कर रही थी , .

और उसके बाद नीतू का नंबर , और अबकी रिकार्डिंग ज्योति के जिम्मे ,

डांस ख़तम नहीं हुआ था की होली शुरू हो गयी , जब तक वो दोनों डांस कर रही थी , कम्मो कालिख का पूरा डिब्बा ले आयी , पेण्ट और रंग की जबरदस्त कॉकटेल हम दोनों ने अपने हाथ पार बना ली थी , और बाकि बरामदे में , .

मैंने शुरआत की , एक लाल रंग की बाल्टी डांस करती नीतू के ऊपर उड़ेल कर , पर कम्मो को तो मजा हाथ से लेना था , और ज्योति के दोनों जोबन उसके हाथों के बीच

मुझको रीतू भौजी और अपने गाँव की बड़की भौजी की याद आ गयी , जोबन मींजने मसलने में मरद मात ,

और मैंने हाथ में लगा रंग ज्योति के गालों पर , .

ज्योति चिल्लाई ,

" अरे भाभी एक के साथ साथ दो , . "

" काहें कभी एक साथ दो दो का मजा नहीं लिया है , हम तो सुने थे की हमार ससुराल वाली , आजमगढ़ वाली सब बचपन की छिनार होती हैं , . "

" अरे तो का पिछवाड़ा कोरा है अभी , . " कम्मो बोली ,

मैं भी अब एकदम कम्मो के रंग में आ गयी थी , रंग एक बार फिर से लगा के मैं ज्योति के छोटे छोटे चूतड़ रंग रही थी और फिर एक ऊँगली सीधे पिछवाड़े के छेद पर डालते हुए मैं कम्मो से बोली

" क्या करे ये ,. असल में हमारे देवर सब ही पैदायशी गांडू , तो इन सबकी गाँड़ मारने का काम भी हम भौजाइयों के जिम्मे आएगा , . "

असल में मैंने इन्हे देख लिया था , ये थे तो बॉथरूम में लेकिन जब नीतू की स्ट्रिप टीज शुरू हुयी और मैंने मोबाइल पर गाना लगा दिया था

डलवाला छिनार होली में , डलवाला , तभी मैंने देख लिया था की बाथरूम की खिड़की थोड़ी सी खुली और ये हलके से झाँक रहे थे ,

मैंने जबरदस्त आँख मारी इन्हे , और इशारा किया , लगे रहो मुन्ना भाई , आखिर तेरी बहने हैं

ननद संग होली - आंगन में मस्ती

" अरे तो का पिछवाड़ा कोरा है अभी , . " कम्मो बोली ,

मैं भी अब एकदम कम्मो के रंग में आ गयी थी , रंग एक बार फिर से लगा के मैं ज्योति के छोटे छोटे चूतड़ रंग रही थी

और फिर एक ऊँगली सीधे पिछवाड़े के छेद पर डालते हुए मैं कम्मो से बोली

" क्या करे ये ,. असल में हमारे देवर सब ही पैदायशी गांडू , तो इन सबकी गाँड़ मारने का काम भी हम भौजाइयों के जिम्मे आएगा , . "

असल में मैंने इन्हे देख लिया था , ये थे तो बॉथरूम में लेकिन जब नीतू की स्ट्रिप टीज शुरू हुयी

और मैंने मोबाइल पर गाना लगा दिया था

डलवाला छिनार होली में , डलवाला ,

तभी मैंने देख लिया था की बाथरूम की खिड़की थोड़ी सी खुली और ये हलके से झाँक रहे थे ,मैंने जबरदस्त आँख मारी इन्हे , और इशारा किया , लगे रहो मुन्ना भाई , आखिर तेरी बहने हैं , .

अभी कुछ देर पहले कम्मो के चूतड़ पर रगड़ रगड़ कर इनके खूंटे की बुरी हालत हो गयी थी और अब इन किशोरियों के मस्त जोबन नयी चूत देख कर , . . लेकिन भाई के सामने बहन की रगड़ाई यही तो होली का मजा है और इसी लिएमैं कुछ ज्यादा ही मस्ती में आ गयी थी

" होली में दो दो भौजाई के रहते ननद को कउनो छेद बचा रहे , बहुत नाइंसाफी हैं न , . "

कम्मो ने मुझसे कहा

और मैंने पीछे से नीतू को दबोचते बोला , .

"एकदम मैं इसका पिछवाड़ा खोलती हूँ आप ज्योति स्साली का ,. "

" अरे सुन , ऊँगली से इन आजमगढ़ वालियों को मजा नहीं आता , सीधे मुट्ठी पेल के गाँड़ फाड़ते हैं दोनों की ,. "

कम्मो बोली

और मैंने काम शुरू भी कर दिया लेकिन दोनों बार बार चीख रही थीं ,

नहीं भाभी मुट्ठी नहीं , मुट्ठी नहीं , .

" चलो अच्छा तुम भी क्या याद करोगी बनारस वाली दो भाभी मिली थी , दया की सागर ,. तुम दोनों आपस में चुम्मा चाटी चूसम चुसाई करती हो न , . "

मैंने एक रास्ता दिखाया ,

नीतू ने ना बोला लेकिन ज्योति ने हाँ ,

अभी भी नीतू के जोबन पर रंग नहीं लगे थे मैंने कस के मीजना , निपल मरोड़ना शुरू कर दिया और वो भी बोली

हाँ भाभी एकाध बार ,

कम्मो अब ज्योति के चूतड़ और जोबन रंग रही थी मैं नीतू के ,

तो चल दोनों , 69 ,. ये मत कहना की कभी 69 किया नहीं है यारों के साथ , तो आज तुम दोनों आपस में ,

ज्योति नीचे , नीतू ऊपर

कम्मो अब ज्योति के चूतड़ और जोबन रंग रही थी मैं नीतू के ,

तो चल दोनों , 69 ,. ये मत कहना की कभी 69 किया नहीं है यारों के साथ , तो आज तुम दोनों आपस में , ज्योति नीचे , नीतू ऊपर

कुछ देर की की ना नुकुर के बाद दोनों चालू हो गयीं ,

और मैं बाथरूम के पास जा के , मैंने खिड़की पूरी खोल दी , और बाथरूम का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया

आखिर बहने आपस में चूत चुसाई करें और भाई को देखने का मौका न मिले ,.

और मोहल्ले के रिश्ते के नाते दोनों इनकी बहने ही तो थीं और इन्हे भैया ही बोलती थीं ,

" हैं न मस्त माल तेरी बहने , लेकिन जो जानते हो तुम्हारे जिला की जिल्ला टॉप माल तो वही एलवल वाली है , तेरी वाली , . . और उसे भी एक दिन तेरे सामने , . "

और फिर मैं ज्योति नीतू की ओर , लेकिन उसके पहले किचेन से बाकी होली का सामान ,

" पांच मिनट में अगर कोई न झड़ा तो दोनों की गांड मारी जाएगी ,

और जो पहले झड़ा उसकी जो बाद में झड़ेगी ननद वो मारेगी "

कंडोम में गुलाल भर के बांये ७ इंच के डिलडो को दिखाते मैं बोली।

दोनों एकदम मस्त चूसती थीं , मैं और कम्मो बगल में बैठ के देख रही थीं , दोनों को ललकार रही थीं , साथ में होली

दोनों के ऊपर सूखे रंग के एक पैकेट का मैंने छिड़काव किया ,

और सीधे पाइप लगा कर के जहां जहाँ रंग था वहीँ कम्मो ने फिर कभी दोनों के जोबन पर कभी चूतड़ पर

ज्योति पहले झड़ी , और वो एकदम सब शर्ते मानने को तैयार बस उसकी गाँड़ बच जाए , .

" चल अच्छा , अपनी कम्मो भौजी को चूस चूस के झड़वा , और पांच मिनट के अंदर , वरना गांड बचेगी नहीं। "

कम्मो ने खड़े खड़े ही अपना पेटीकोट ऊपर सरकाया , और ज्योति को खिंच कर अपनी टांगो के बीच ,

मैं क्यों छोड़ती नीतू को , वो अभी भी आंगन में थकी लेटी थी , मैं सीधे उसके ऊपर फेस सिटिंग और घिस्से लगा कर ,

एकदम मेरी गाँव की होली ,

एकदम मेरी गाँव की होली ,

लेकिन मैंने एक बार उनकी ओर देखा खिड़की से झांकते और मेरे मन में तो फिर गाँव की होली की याद आगयी ,

अबकी तो हर साल से दस गुना ज्यादा खतरनाक होने वाली थी होली , .

अबकी उन भाभियों के नन्दोई जो आने वाले थे फिर अबकी भाभी और ननदे बजाय आपस में एक दूसरे के पीछे पड़ने के मिल कर , .

सलहज और साली , . सोच सोच के मेरा मन मस्ती से भर गया , .

और मैंने एक ऊँगली सीधे नीतू की बुर में ठेल दी , जड़ तक और अंगूठा उसकी क्लिट पर ,

लेकिन हालत खराब हो रही थी ज्योति की ,

कम्मो ने थोड़ी देर बुर चुसवाने के बाद , सीधे उसे खींच कर अपने पिछवाड़े के छेद पर

" चाट गाँड़ चट्टो चाट , डाल जीभ अंदर वरना मैं तेरी गाँड़ मार कर गाँड़ का मजा लेना सिखाती हूँ ,

और साथ में उन दोनों की रंगाई पुताई भी जारी थी , आंगन में रंग फैला पड़ा था , हम दोनों के हाथों में भी , .

हम सब जब झड़े तो कुछ देर तक वैसे ही आँगन में पड़े रहे , फिर मैं स्टोर से जाकर गुझिया , ठंडाई ,

पांच दस मिनट का इंटरवल , और खा पीकर होली शुरू हुयी तो मेरा फोन बज गया और रंग से फोन बचाने के लिए मैं दूर बरामदे में जाकर , मेरी जेठानी का फोन था , वो और सास मेरी शाम तक आने वाली थीं , और पांच मिनट तक गोद भराई का हाल चाल सुनाती रही , बुआ की लड़की का

ज्योति और नीतू अब कम्मो की रगड़ाई में जुटी पड़ी थी और अब कम्मो के बड़े बड़े जोबन पर जहाँ उनके देवर के रंग लगे थे अब ननदों के भी ,.

मैं भी नहीं बची , उन दोनों ने मिल कर ,. मेरे हर खास अंग को रंगा , पेटीकोट खुला ब्रा खुली ,

लेकिन होली में बचना कौन चाहता है ,

डेढ़ दो घंटे तक ,.

हाँ जब वो दोनों जाने लगीं तो उनके कपडे सूखे हमने वापस कर दिए पर उसके पहले कम्मो ने ज्योति को झुका के दो चार पुड़िया रंग ज्योति और नीतू की गांड में और मैंने गुलाल भरे दोनों डिल्डो की बुर में जड़ तक ठेल दिया।

पर जब वो जाने लगीं , तो मैं एक गुलाल अबीर की प्लेट ले कर आयी

और फिर सूखी होली , . लोग क्या कहेंगे दो दो भाभियाँ , और ननदों के गुलाल भी नहीं लगा ,

जैसा लड़कियों की होली में होता है , सबसे पहले सिन्दूर की तरह गुलाल मांग में ,

उसके बाद गाल और जोबन पर , .

आफ कोर्स ब्रा और पैंटी तो हमने जब्त कर लिए थे , बिना ब्रा के ननदें सच में होली में बहुत सेक्सी लगती हैं

और फिर अपने देवरों का ख्याल करके , जब दोनों निकल रही थीं एक एक आइस क्यूब , दोनों के कुर्ते और टॉप के अंदर , . उसका असर दो चार मिनट में होता , जब तक वो सड़क पर पहुँचती ,

वो गुलाल स्पेशल था , २०% गुलाल और ८०% रंग का मिक्स , . बस बर्फ पिघल कर दोनों के जोबन पर गुलाल भीगे रंग में

और मोहल्ले के लौंडों का लंड ज्योति और नीतू के गीले भीगे देह से चिपके जोबन को देख कर टाइट होता

और वो लौंडे आखिर मेरे तो देवर लगते न ,

और फागुन में देवर का फायदा भाभी नहीं करवाएंगी तो कौन करवाएगा।

फागुन

और फिर अपने देवरों का ख्याल करके , जब दोनों निकल रही थीं एक एक आइस क्यूब ,

दोनों के कुर्ते और टॉप के अंदर , .

उसका असर दो चार मिनट में होता , जब तक वो सड़क पर पहुँचती ,

वो गुलाल स्पेशल था , २०% गुलाल और ८०% रंग का मिक्स , . बस बर्फ पिघल कर दोनों के जोबन पर गुलाल भीगे रंग में

और मोहल्ले के सरे लौंडों का लंड ज्योति और नीतू के गीले भीगे देह से चिपके जोबन को देख कर टाइट होता

और वो लौंडे आखिर मेरे तो देवर लगते न ,

और फागुन में देवर का फायदा भाभी नहीं करवाएंगी तो कौन करवाएगा।

मेरी और कम्मो दोनों की निगाह घड़ी पर पड़ी , तो दोनों एक साथ चौंक पड़े , साढ़े बारह से ज्यादा हो रहे थे ,

डेढ़ घंटे तो इनकी और इनकी कम्मो भौजी की होली चली , हाँ पिचकारी चलने के ठीक पहले दोनों ननदें आ गयीं ,

ज्योति और नीतू ,

दो घंटे से ऊपर उन दोनों के साथ , साढ़े तीन चार घंटे तक लगातार रंगो का धमाल ,
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