Episode 55


बस जेठानी अलफ़ ,

ऐसा मीठा रसगुल्ला अकेले अकेले खा लिया तुम दोनों ने , .

मैंने किसी तरह उनको समझाया ,

अरे दीदी, न भाभियाँ दूर न देवर , सिविल लाइंस और एलवल में कितनी दूरी है , अभी हम तीनो के देवर को फोन लगाती हूँ ,

और देवर जी को वीडियो काल ,

उसके गोरे गोरे गालों पर मेरी उँगलियों के निशान अभी तक थे , गाढ़े लाल , बैगनी , नीले ,

दो चार दिन में अगर देवर पर से रंग उतर जाए तो भौजाई की होली क्या ,

लेकिन जेठानी मेरी उन्होंने तुरंत उसे हड़काना शुरू कर दिया ,

"नया माल देखकर , . नयकी भौजी आ गयीं तो बड़की को भूल गए , होली में तो तुम इम्तहान देने चले जाओगे , हमारा फगुआ उधार रहेगा क्या , . "

बेचारा अनुज ,

उस ने कान पकड़ा , माफ़ी मांगी तीन तिरबाचा भरा की कल दोपहर के पहले हाजिर होगा , तीनों भाभियों के सामने

और मैंने और कम्मो ने जेठानी जी से वायदा किया उसके चिकने गाल पर पहले वो , आखिर बड़ी हैं उनका पहला हक़ है ,

बाकी देह हम और कम्मो बाँट लेंगी ,. आँखों आँखों में मैंने और कम्मो ने तय कर लिया ,

हमारा भी देवर है , भले आज हम लोगों ने उस चिकने से होली खेल ली थी , लेकिन देवर भाभी की होली कोई एक दिन की होती है क्या ,

जहाँ देवर भाभी वहां होली ,

अगले दिन तो और जबरदंग ,

आखिर बड़की भौजी का हुकुम था ,

और उससे बढ़कर , उस चिकने ने , मेरे और कम्मो के सामने तीन तिरबाचा भरा था , जब बुलाऊंगी तब आने के लिए ,

जहाँ देवर भाभी वहां होली ,

और मैंने और कम्मो ने जेठानी जी से वायदा किया उसके चिकने गाल पर पहले वो , आखिर बड़ी हैं उनका पहला हक़ है ,

बाकी देह हम और कम्मो बाँट लेंगी ,.

आँखों आँखों में मैंने और कम्मो ने तय कर लिया ,

हमारा भी देवर है , भले आज हम लोगों ने उस चिकने से होली खेल ली थी , लेकिन देवर भाभी की होली कोई एक दिन की होती है क्या ,

जहाँ देवर भाभी वहां होली ,

अगले दिन तो और जबरदंग ,

आखिर बड़की भौजी का हुकुम था ,

और उससे बढ़कर , उस चिकने ने , मेरे और कम्मो के सामने तीन तिरबाचा भरा था , जब बुलाऊंगी तब आने के लिए ,

पहले दिन तो डेढ़ दो घंटे की रगड़ाई में बच्चू बच गए थे , लेकिन आज तो पूरे तीन घंटे का शो था , उसके बाद खाना फिर सूखे रंग का नंबर , . .

लेकिन आज थोड़ी शराफत , ज्यादा नहीं , लेकिन थोड़ी ,

जेठानी से कुछ कम्मो भी झिझकती थी , थोड़ी मैं भी ,

इसलिए आज कपड़े फटे नहीं देवर जी के मतलब , .

लेकिन ब्रा चाहे ननद की हो या देवर की वो होली में कहाँ बचती है ,

बनयायिन उस स्साले की दिखा के फाड़ी और छत पर फेंक दी , शर्ट भी उतरी , जीन्स की बेल्ट भी कम्मो ने खोल दी , और कम्मो करती भी क्या , बिना बेल्ट खोले ठीक से न मैं पिछवाड़ा रंग पा रही थी , न वो अगवाड़ा ,

पैंट हालंकि उतरी नहीं घुटने के नीचे तक सरका दी मैंने और कम्मो ने मिलकर

चड्ढी उतरी नहीं एकदम , लेकिन भौजाइयों को चड्ढी में हाथ डालने से कौन मना कर सकता है , .

उफ़ मैं भी न कहीं से बात शुरू कर देती हूँ , फागुन की फगुनाहट ठीक है लेकिन

हर बार शुरू से हो तो ठीक न , तो चलिए जब बेचारा देवर खुद आया तीन तीन भौजाइयों से रगड़वाने ,

कल की तरह पहुँचते ही नहीं हम लोगों ने उसे धर दबोचा कल की तरह ,

कल तो घर में कोई नहीं था , मेरा और कम्मो का राज था ,

आज सासू जी ने पहुँचते ही मुझे हुकुम सूना दिया

" अरे पहले देवर को कुछ खिलाओ पिलाओ , तुम सब खाली बेचारे को पहुँचते ही तंग करने में जुट गयी , इसीलिए तो घबड़ा रहा था बेचारा ,. "

मान गयी मैं अपनी सास को , उनका इशारा मैं अच्छी तरह समझ गयी ,

बस स्टोर में जा के एक प्लेट गुझिया , दहीबड़ा , . और ठंडाई ,

और गुझिया जो मैंने और कम्मो ने खासतौर से देवर नंदों के लिए बनायी थी

हर गुझिया में भांग की गोली , वो भी एक नहीं दो , . . और कम्मो थी तो गोली नहीं गोला ,.

वो लाख मुंह बनाता रहा , पर मैं थी न

" अरे कैसे देवर हो जरा सा भी भौजी की बात एकदम नहीं मानते हो , अच्छा देवर राजा बस ज़रा मुंह खाल दो , बस ये देख लूँ मेंरे देवर के दूध के दांत टूटे हैं की नहीं , . "

और मैंने गाल दबा दिया , . एकदम मालपूवा

जैसे ही मुंह खुला , . मैंने एक बार में ही पूरा , पूरी की पूरी गुझिया उसके मुंह के अंदर , .
वो बेचारा और मैं और ऊपर से , .

देखो देवर राजा , हम लोग देवर , ननद में कोई भेद नहीं करते , . . दोनों का काम खोलने का है , और हमारा काम डालने का है। "

मैंने उसे छेड़ा ,

तीन तीन भाभियाँ उसे घेरे थीं ,

और कम्मो तो डबल मीनिंग वाले में यकीन नहीं करती थी , . वो साफ़ साफ़ बोली

" और क्या इनकी बहन आगे वाले में घोंटती हैं , और ये चिकना पीछे वाले में घोंटता है ,. किसी को लम्बा छेद पसंद है तो किसी को गोल "

" तभी तो इनकी बहिनिया कुँवारी कोरी बची है , जो कोई उसके पीछे पड़ता है उसके आगे ये खुद अपना गोल छेद ,. "

मैं भी आज कल कम्मो की जोड़ी की हो रही थी , हम दोनों आखिर बनारस वाली , .

पर जेठानी जी हम दोनों को जोर से डांटा , .

" तुम सब न , बेचारे को ठीक से खाने भी नहीं देती क्यों देवर जी गुझिया अच्छी है न ,. "

और वो ख़तम भी न हुयी थी की , जेठानी जी दूसरी गुझिया लेकर हाथ में तैयार

और सच में बहुत सी बातें मैं उनसे अभी भी सीख सकती थी , क्या जबरदस्त इमोशनल ब्लैकमेल किया उन्होंने उस लौंडे को ,

और ऊपर से जबरदस्त एक्टिंग , . टीवी सीरियल की ऐक्ट्रेस फेल , . सीरियस होकर मुंह बना के बोली

" देवर जी , मैं सब समझती हूँ , . . नयकी को देख कर पुरनकी को भूल गए न , . "

" नहीं नहीं , भाभी ऐसा कुछ नहीं , . "

घबड़ा के वो बोला और मुश्किल से मैंने अपनी मुस्कान दबायी।

" तो कोमल के हाथ की गुझिया तो उसके हाथ से ले के खा गए और मैं दे रही हूँ , इतने प्यार से , तो अगर तुम मुझे अपनी भाभी मानते होंगे न तो मना नहीं करोगे , "

और जेठानी के हाथ से एक गुझिया देवर जी के मुंह में ,.

और उसके बाद तीसरी भौजी , कम्मो हाथ में गुझिया ले के तैयार , . .

और टिपिकल कम्मो स्टाइल ,

" हे गुड्डी के यार , सीधे से ऊपर वाले मुंह से खा लो , वरना यही पटक के तोहरी गांडियो में पेल के एक नहीं दस गुझिया ,. "

" और क्या जाएगा तो पेट में ही , इधर से नहीं तो उधर से ,. "

मैं बड़ी सीरियसली बोली

और कम्मो ने जबरदस्ती , . तीसरी गुझिया उनके पेट में ,

मैं काउंट कर रही थी , दो गोलियां , हर गुझिया में तो ये छह गोली ,

कुछ देर में ही इस स्साले की सारी सरम झिझक इसके पिछवाड़े घुस जायेगी

ठंडाई

मैं काउंट कर रही थी , दो गोलियां , हर गुझिया में तो ये छह गोली , कुछ देर में ही इस स्साले की सारी सरम झिझक इसके पिछवाड़े घुस जायेगी

लेकिन मेरी सास न , वो दूर बैठी सुपाड़ी क़तर रही थीं , उनकी आँखे हम भौजाइयों की हरकतों पर चिपकी थीं ,

और उन्हें इतने से संतोष नहीं मिला , समझ तो वो भी रही थीं ये तीनो गुझिया नहीं भांग के गोले थे , पर ,.

मुझे उकसाया उन्होंने

" अरे दुल्हिन ( मुझे पहले दिन से ही वो सिर्फ दुल्हिन कहती थीं और आज तक वही ) खाली तुम सब खिलाये जा रही हो , कुछ पिलाओ तो ठंडाई थोड़ी सी "

पर मं कुछ बोलूं , उसके पहले वो स्साला उचक गया , मेरे हाथ जोड़ते हुए बोला ,

" प्लीज भाभी , ठंडाई नहीं , इसमें जरूर भांग मिली होगी और ,. "

" अच्छा चलो देवर जी तेरी बात ही सही , बल्कि तेरी बुआ जी कह रही थीं , लेकिन दहीबड़ा तो खा लो , पक्की कसम से इसमें जरा भी भांग नहीं पड़ी है , मैंने खुद बनाई है , मेरी कसम , गारण्टी ,. "

सच में उसमें भाग नहीं पड़ी थी , पर उसमे क्या पड़ा था सिर्फ कोमल को मालूम था , कम्मो को भी नहीं , .

उसने हाथ बढ़ाया , तो मैंने उसका हाथ पकड़ के रोक दिया ,

" ये न सब एलवल वाले , वालियों की बुरी आदत है , अपना हाथ इस्तेमाल करने की , अरे तीन तीन भौजाइयां सामने खड़ी हैं , फिर भी अपना हाथ ,".

" और हाथ इस्तेमाल करना है तो भौजाई के साथ , बहुत चीज है बहुत जगह करो न कौन मना करता है , . "

कम्मो बोली और उस का आँचल ढलक गया ,

३८ डी डी के कड़े बड़े बड़े चोली फाड़ते जोबन , मैंने बताया था न ब्रा पैंटी वो पहनती नहीं थी , और आज तो ब्लाउज भी एकदम लो कट ,. जोबन से चिपका ,

और कल यही जोबन देवर जी ने जम के ब्लाउज फाड़ के असली देवर की तरह जम के मसला रगड़ा था

अनुज का मुंह खुला रह गया और मेरी उँगलियों में फंसा दहीबड़ा देवर जी के मुंह में , एक बार में पूरा ,

बस एक पल

और वो चीख भी नहीं पा रहा था आँखे लाल , पानी निकल रहा था , बस बार बार मुंह खुल रहा ,

न सिर्फ उसकी भौजाइयो बल्कि मेरी सास भी मुस्कान रोक नहीं पा रही थीं ,

" अच्छा है न देवर जी , गुड्डी के गाल ऐसा मुलायम , . . और चाहिए , . "

अब सब को पता चल गया था , दहीबड़े का कमाल

कोमल का कमाल , .

उसमें भांग नहीं पड़ी थी , लेकिन खूब तेज लाल कटी मिर्चें पांच पूरी की पूरी , . . आधी ही काफी होती थी और ऊपर से लाल मिर्च भी मैंने छिड़क दिया था ,

वो ग्लास की ओर इशारा कर रहा था बार बार ,

"अच्छा ठंडाई पीने का मन कर रहा है तो लीजिये न , मैं तो देने को तैयार थी आप ही मना कर रहे थे "

बड़े भोले पन से आँख नचाते मैं बोली,

और ग्लास भी जो गन्ने के रस की दूकान पर अमिताभ बच्चन के नाम से मिलता है न वो वाला

चुहुक चुहुक कर वो पी रहे थे और मैं कम्मो की ओर देख कर मुस्करा रही थी ,

दहीबड़ा तो मैंने बनाया था लेकिन ठण्डाई कम्मो की करामात थी ,

जितनी तीन गुझिया में उसने भांग घोंटी थी , उससे ज्यादा कम्मो स्पेशल में थी , मेरे सामने ही तो डाली थी उसने।

मैंने आखिरी बूँद तक पिला के ही ठंडाई का ग्लास हटाया , . .

" क्यों देवर जी मिर्च थोड़ी ज्यादा हो गयी थी क्या मैंने तो सिर्फ पांच ही डाली थी ,. "

बड़े भोलेपन से ही आँखे नचाते मैं बोली ,

ठंडाई से मिर्चों का असर तो ख़तम हो गया था और भांग का असर शुरू होने में पंद्रह बीस मिनट लगता है जबतक आंगन में देवर भाभी की होली शुरू होती।

और भांग खाली उस चिकने ने नहीं खायी थी ,

उसके पहले हम सबने , . हालांकि उतनी नहीं , उसने तीन भांग की गुझिया और तीन भांग की गुझिया के बराबर , भांग पड़ी कम्मो भौजी स्पेशल ठंडाई पी थी।

सुबह सुबह , और कौन मेरी सासू जी , इनकी माँ , .

लेकिन उनको काहें दूँ , गलती मेरी ही थी , सुबह सुबह फगुआहट चढ़ी थी , उन्होंने पूछा दुल्हिन गुझिया ज़रा चिखाओ और मैंने मुस्कराते हुए वही डबल भांग वाली उन्हें थमा दी , पर मेरी सास , पुरानी खिलाड़न , चखते ही उन्हें अंदाज़ हो गया , खोआ कितना और भांग कितनी , और बड़े दुलार से अधखायी , आधी गुझिया मेरे मुंह में ,

और मैंने जेठानी जी के साथ भी यही ट्रिक अपनायी तो उन्होंने भी आधी मेरे मुंह में , कम्मो ने तो बिना ना नुकुर के , तो मैं , मेरी जेठानी और कम्मो तीनों पर थोड़ी बहुत , जेठानी जी को सास जी ने भी ,

और फिर जब हम देवर राजा को पकड़ के आँगन में ले गए तो वो ऐसा चिल्ला रहा था जैसे किसी नयी नवेली का गैंग बैंग होने वाला ,

ये स्साले एलवल वाले , इनके ननिहाल वाले , चाहे वाले या वालियां ऐसे चीखते /चीखती हैं ,

लेकिन चीखने से छोड़ दें , डालने वाले , तो किसी कुँवारी की चूत फटे , न किसी लौंडे की गाँड़ मारी जाए , .

और हम भी छोड़ने वाले नहीं थे ,

देवर अकेला भाभियाँ तीन

ये स्साले एलवल वाले , इनके ननिहाल वाले , चाहे वाले या वालियां ऐसे चीखते /चीखती हैं ,

लेकिन चीखने से छोड़ दें , डालने वाले , तो किसी कुँवारी की चूत फटे , न किसी लौंडे की गाँड़ मारी जाए , .

और हम भी छोड़ने वाले नहीं थे , .

" भाभी आप तीन मैं अकेला " पहले तो उस स्साले चिकने ने न्याय की दुहाई दी पर कम्मो ने न सिर्फ जवाब दिया बल्कि अर्था अर्था के समझा भी दिया

" और उ जउन तोहार बहिनिया हैं , गुड्डी छिनार , उ तो घोंटती हैं तीनों ओर से , बुरिया में कउनो लंड डाल के , कउनो ओकर गाँड़ में और कउनो क लंड चूसत होइहैं एक साथ , . "

" सही बात , और अभी तुमसे उम्र में छोटी भी है कुछ शरम करो , और मान लो अभी तक एक साथ तीन नहीं तो असो की होलिका माई का आशीर्वाद रहा तो जल्दी घोंटेंगी वो तीनों छेद में एक साथ "

मैंने बोला और अपनी ननद रानी का भविष्य लिख दिया ,

और तबतक जेठानी ने कुछ इशारा किया मुझे और फिर मैं और कम्मो एक साथ ,

आज वो पूरी तैयारी से आया , और कम्मो ने पहले तो जींस की दोनों जेबों को खाली किए , रंग , पेण्ट की ट्यूब , और पीछे की जेब में भी ,

और जेठानी जी की तेज आँखों ने हल्का सा फूला पेट देख लिया ,

और बस उनकी आँखे मेरी आँखे मिली और मैंने वहां भी हाथ मार दिया , सीधे चड्ढी के अंदर असली चीज थी , . .

नहीं वो वाली नहीं , एक पैकेट में उसमें एक पक्के वाले रंग , जो हफतों नहीं छूटते , प्रिंट वाली श्याही की ट्यूब , .

सारा हरबा हथियार हम लोगों के कब्जे में , इससे तो हम लोग दिन भर होली खेल सकते थे , मैंने और कम्मो ने आपस में बाँट लिया और गुलाबी रंग की दो पुड़िया उसे भी पकड़ा दी ,

" ले ले यार तू भी , वरना कहेगा की भाभियों ने बेईमानी की। "

मैं हंस के बोली और उस को एक रास्ता भी सुझाया

"सुन तुम तीन तीन कह रहे हो , तो तेरी बड़की भाभी , बड़ी हैं इसलिए गले तक इनका , . "

" और कमर से नीचे वाले से मैं काम चला लुंगी "

कम्मो चालाक असली चीज पर उसने पहले पहले हाथ साफ़ कर लिया।

" चल यार बाकी बचे से मैं काम चला लुंगी , बोलो मंजूर है न , . . और तुम हम तीनो पर पूरा तुम्हे तो फायदा है देवर जी "

मैं उसे बतियाने में लगाए थी कम्मो और उधर जेठानी जी हाथ में रंग पोत रही थीं ,

उनक फेवरिट बैंगनी , बस जब तक देवर जी समझे , उनके चिकने गाल उनकी बड़ी भाभी के हाथों में

कम्मो और मैं आंगन के दूसरे कोने में चले गए , कल हमने और कम्मो ने कुछ तो रगड़ाई कर ली थी , आज जेठानी जी कुछ रस ले लेती इस चिकने लौंडे का तो हम लोग मैदान में आतीं

पर कुछ देर में बाजी पलट गयी थी , भाभी के गाल देवर के हाथों में थे और कुछ अपने हाथ में लगे रंग से , कुछ गालों में लगे रंग से अनुज रगड़ रहा था

मैं आगे बढ़ी पर कम्मो ने इशारे से मुझे रोक दिया ,

मैं समझ गयी उसकी बात। कुछ देर जेठानी जी भी नए माल का मजा ले लें।

जेठानी -बड़ी भाभी

भाभी के गाल देवर के हाथों में थे और कुछ अपने हाथ में लगे रंग से , कुछ गालों में लगे रंग से अनुज रगड़ रहा था

मैं आगे बढ़ी पर कम्मो ने इशारे से मुझे रोक दिया ,

मैं समझ गयी उसकी बात। कुछ देर जेठानी जी भी नए माल का मजा ले लें।

पार पांच दस मिनट बाद मैं कम्मो ने एक साथ , .

मैंने आंगन में रखी बाल्टी लेकर सीधे देवर के पिछवाड़े , पूरी तपाक से

छपाक ,

और दूसरी बाल्टी सीधे सर पे ,

बस कम्मो को मौका मिल गए उसे पीछे से दबोचने का

और मुझे देवर ननद के साथ जो काम सबसे अच्छा लगता था , मैं उसमें लग गयी ,

शर्ट के बटन खुले , . और जेठानी जी ने आँख से मना कर दिया , वरना मेरा मन था

उस एक शर्ट के कम से कम दस पांच टुकड़े करने का ,

पर बनियान तो मैंने चीथड़े चीथड़े कर ही और देवर जी टॉपलेस हो गए , बंटवारे में यही हिस्सा मुझे मिला था तो मैं एक एक इंच

और बीच बीच में उस के मेल निप्स को फ्लिक करती , पिंच करती , बेल्ट कमर के ऊपर थी , इसलिए वो मेरे हिस्से में आयी और वो मैंने उतार कर फेंक दी ,

कहीं होली खेलने में चुभ वुभ जाए तो ,

बस

कम्मो ने जींस की बटन खोल दीं ,

जेठानी अपना हरबा हथियार इकठ्ठा करने , कुछ देर के लिए हट गयी

बस अब देवर जी के चिकने मक्खन मालपूआ ऐसे गालों पर मेरे हाथों का कब्जा हो गया ,

जैसे कॉलेज से लेकर कालेज तक हर साल होली में, ' बिग बी ' वाली टाइटल पर मेरा ही कब्ज़ा रहता था उसी तरह मैं श्योर थी इस चिकने को होली में जरूर , ' है शुकर की तू है लड़का ' वाली टाइटल जरूर मिलती होगी।

नहीं मैंने कस के उन गालों को नहीं दबोचा , इत्ते मस्त मुलायम , मेरी रंग लगी उँगलियाँ कभी , बस होंठों को छू के हट जातीं , तो कभी गालों को हलके से रगड़ देतीं

जल्दी किसे थी , मेरी और कम्मो की पकड़ से निकलने की तो ये सोच भी नहीं सकता था ,

कभी हथेली का लाल रंग उसके गालों को सहलाते हुए तो कभी उँगलियाँ , होंठों को हटा के सीधे दांतों पर , तो कभी नाक और कान के पीछे ,

जैसे कुछ भौंरे ऐसे बगिया में पहुँच जाए जहाँ कलियाँ ही कलिया हों , वही हालत मेरी उँगलियों , हाथ की हो रही थी , . छू रगड़ मैं रही थी लेकिन काम के उनचासो पवन भी मेरे देह में चल रहे थे ,

पर उसकी हालत देख कर मैं समझ रही थी की उस चिकने को भी मेरी हर छुअन , मेरा हलका सा स्पर्श , . सैकड़ों बिच्छूओं के डंक की तरह लग रहा होगा , उसकी कुँवारी देह पर एक नयी ब्याही के हाथ का बस छू जाना ही

पर

उन बिच्छुओं के डंक की तड़पन कुछ नहीं थी उस सांप की पकड़ के आगे , किसी भी देवर की फंतासी , .

कम्मो की उँगलियाँ ,

जींस की बेल्ट तो मैंने उतार फेंकी थीं , बटन उसने खोल दी थी , बस अब सीधे चड्ढी के अंदर हाथ डाल के ,

जैसे अजगर की पकड़ हो वैसे फागुन में भौजाई के हाथ की काम से धधकती उँगलियों की पकड़

और कम्मो की उँगलियाँ तो और , पहले हलके हलके सहलाती रही सिर्फ , कभी छूतीं कभी दूर हो जातीं ,

जैसे जवानी की दहलीज पर चढ़ती , लेकिन बचपन के खेल खेलती लड़कियों के साथ छुपा छुपाई खेलते हर लड़का ये सोचता है की काश ये मेरे साथ छिपे तो कुछ नहीं तो , . छू तो लूंगा ही ,

बस उसी छुअन की तरह , कम्मो की उँगलियों की छुअन और आग भड़का रही थी , और जैसे आसमान में उड़ती चील की तरह एक झप्पट्टे में ,.

देवरों के लिए कम्मो चील ही तो थी , .

और खूंटा कम्मो की मुट्ठी में , लेकिन अभी भी कस के दबा रही थी ,कभी ऊँगली खोल दे रही थी

कम्मो

देवरों के लिए कम्मो चील ही तो थी , . और खूंटा कम्मो की मुट्ठी में , लेकिन अभी ही भी कस के दबा रही थी ,कभी ऊँगली खोल दे रही थी

तो कभी हलके हलके मुठिया देती थी ,

जैसे डरते डरते कोई दर्जा ८ - ९ का लड़का अपने दोस्तों के कहने पर बाथरूम में मैं पहली बार हैंडप्रैक्टिस कर रहा हो ,

पर चड्ढी के अंदर कितनी देर तक चोर सिपाही होता , न कम्मो को को पसंद था फिर मैं भी तो थी , जींस मैंने सरकायी , चड्ढी कम्मो ने

और खूंटा बाहर ,

और अब मैंने और कम्मो ने बाँट लिया ,

पहले तो एक झटके में मैंने चमड़े को खींच दिया और मोटा पहाड़ी आलू ऐसा सुपाड़ा बाहर ,

सुपाड़ा मेरे हिस्से में और बाकी का कम्मो के कब्जे में।

मैं अंगूठे से पहले उसे सहलाती रही , फिर तर्जनी से अचानक उसके पी होल ( पेशाब के छेद ) को छेड़ने लगी , सुरसुराने लगी , . और उसके बाद मेरा लम्बा नुकीला नाखून मेरे देवर के पेशाब के छेद में ,

कम्मो का हाथ अब देवर जी की बॉल्स को सहला रहा था ,

और मेरी दो तीन अंगुलियां उसके सुपाड़े को

वो गिनगीना रहा था , छटपटा रहा था , पर गिनगीनाने और छटपटाने से किसी लड़की को कोई लड़का छोड़ देता है क्या , . तो हम दोनों भौजाई इस नयी नवेले को क्यों छोड़ती ,

मेरी और कम्मो की अंडरस्टैंडिंग परफेक्ट थी , . सुर ताल दोनों परफेक्ट ,

और अब हम दोनों जैसे दो ग्वालिनें मिल के दही बिलोड़ें , उस मोटी मथानी को हम दोनों ने मिल के ,

और तभी मेरी निगाहें बरामदे में बैठी सुपाड़ी काटती मेरी सास पर पड़ी ,

साफ़ था , वो देख रही थी की कैसे मैं और कम्मो मिल के मथानी चला रहे थे ,

थम्स अप , नहीं उस जमाने के हिसाब से आल क्लियर दिया उन्होंने जबरदस्त आँख मार कर ,

मानो कह रही हों लगी रहो मुन्नी बाई ,

और तबतक जेठानी भी , किचेन से लौटकर , और उन्होंने एक जबरदस्त होली का गाना लगा दिया

और मैंने और कम्मो ने जबरदस्त ग्राइडिंग शुरू कर दी , .

मैं पीछे से कम्मो आगे से

जैसे होली में किसी नई ब्याही की देवर ,नन्दोई मिल के सैंडविच बना रहे हों , .

मैं पीछे से गाँड़ मार रही थी और कम्मो उसकी बुर चोद रही थी ,

भांग का पूरा असर हो रहा था ,

और वो भी अब खुल के साथ दे रहा था ,

हाँ उस की मथानी अभी भी मैंने नहीं छोड़ी थी , मैं और कम्मो मिल के उसे जबरदस्त मुठिया रहे थे ,

कम्मो ने मुझे कस के पकड़ के भींच लिया था मैंने कम्मो को , एक एक हाथ खूंटे पे और दूसरे से हम दोनों एकदूसरे को पकडे

सच में उसकी हालत सैंडविच से भी खराब हो रही थी , आठ दस मिनट तक ,

लेकिन मैंने कुछ कम्मो के कान में फुसफुसाया , . और वो समझ गयी ,

जबतक हम लोग लगे रहेंगे जेठानी जी मैदान में नहीं आएँगी ,

और हम दोनों ने तो कल भी इस लौंडे का रस लिया था जेठानी जी कितना बोल रही थीं तुम दोनों अकेले ,

पहले कम्मो हटी , शेर को फिर से पिजड़े में कर दिया ,
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