Episode 56


बड़ी भाभी,- जेठानी फिर से

लेकिन मैंने कुछ कम्मो के कान में फुसफुसाया , . और वो समझ गयी ,

जबतक हम लोग लगे रहेंगे जेठानी जी मैदान में नहीं आएँगी ,

और हम दोनों ने तो कल भी इस लौंडे का रस लिया था जेठानी जी कितना बोल रही थीं तुम दोनों अकेले ,

पहले कम्मो हटी ,

शेर को फिर से पिजड़े में कर दिया ,

जेठानी जी आ गयी तो कुछ देर तक मैं उनका साथ देती रही , फिर अनुज को उनके हवाले करके मैंने बहाना बनाया ,

जरा बाल्टी में रंग घोलती हूँ , पुताई तो बहुत हो गयी इसकी लेकिन रंग भी

मैं और कम्मो आंगन के एक किनारे बैठी जेठानी जी कर देवर की होली देख रही थी और वही हुआ , जो हम चाहते थे ,

जेठानी जी ने भी मेरे और कम्मो की तरह अपना आँचल कमर में बाँध रखा था , ब्लाउज साफ़ खुला और दोनों उभार देवर को चैलेन्ज करते है हिम्मत ,

आओ दबा लो ,

अनुज ने हिम्मत भी की लेकिन ,

मेरा तो मन कर रहा था दस गाली दूँ उस बहन के भंडुए , गांडू को ,

कम्मो तो एकदम अलफ़ वो तो बोलना शुरू कर देती , लेकिन मैंने ही रोका , . हाथ तो देवर राजा ब्लाउज के ऊपर से ,

छू भी रहा था , सहला रहा था , .

जेठानी जी छुड़ाने की कोशिश कर रही थीं पर पीछे से होली में कोई देवर , नन्दोई अँकवार में भर ले तो छुड़ाना कितना मुश्किल होता है वो तो हर भाभी , सलहज को मालूम होता है ,

भले अनुज न समझ पा रहा हो , आंगन में बैठी हम दोनों उनकी देवरानियां समझ रही थी , मन उनका भी कर रहा है ,

पर देवर एकदम बुद्धू

जैसे सुहाग रात के दिन कोई दुलहन मारे लाज के बहाने बनाये , अभी नहीं और दुलहा मान जाए ,. अच्छा चल सो जाते हैं ,

पहल तो अनुज को ही करनी अनुज बेचारा ललचा तो बहुत रहा था , मन उसका बहुत कर रहा था , लेकिन हिम्मत नहीं कर पा रहा था ,

जेठानी जी के चिकने गालों से फिसलकर , उनके गले तक तो वो रंग लगा ले रहा था , पर ब्लाउज के अंदर हाथ डालने की उस बेचारे की हिम्मत नहीं पड़ रही थी ,,

कम्मो मुझसे दबी आवाज में गुस्से में बोली ,

" यार , गलती हम दोनों की है , कल इस स्साले की यहीं आँगन में पटक के गाँड़ हम दोनों मार लेते न तो बस सारी शरम लिहाज इस भोंसड़ी वाले , गंडुए की गाँड़ में पेल देती , अइसन कोई भौजी से होली खेलता है , . "

बात कम्मो की एकदम सही थी , जेठानी मेरी और कम्मो की खुल्ल्मखुल्ला होली अभी थोड़ी देर पहले देख चुकी थीं , मन उनका भी बहुत कर रहा था , पर देवर से कैसे कहें , मेरा जोबन दबाओ स्साले भोंसड़ी के , . क्या इधर उधर , .

लेकिन मैं और कम्मो कर क्या कर सकते थे , . सिवाय उस स्साले को गाली देने के ,

दस मिनट तक अनुज ब्लाउज के ऊपर से ,.

मेरी सास भी बरामदे में बैठी थीं और अंत में उन्होने ही सही फैसला लिया , वो भी समझ में रही थीं अब मामला इससे ज्यादा आगे बढ़ने वाला नहीं था

इंटरवल

"अरे ज़रा सा दूयी ठो गुझिया खियाई के इतने देर से बेचारे की रगड़ाई कर रही हो तुम तीनो , तानी कुछ खाई पी लो , ओकरे बाद , न तो कही देवर भाग जा रहा है न तुम लोग "

एक बार फिर से भांग वाली गुझिया , ठंडाई , भांग वाली बर्फी ,.

लेकिन इंटरवल का इस्तेमाल हम दोनों ने स्ट्रैटेजिक सेशन के लिए किया ,

इंटरवल के बाद

एक बार फिर से भांग वाली गुझिया , ठंडाई , भांग वाली बर्फी ,.

लेकिन इंटरवल का इस्तेमाल हम दोनों ने स्ट्रैटेजिक सेशन के लिए किया ,

क्या गाली दिया कम्मो ने उसे ,

जैसे अगर कोई बैट्समेन आई पी एल का टी २० टेस्ट मैच की तरह खेल रहा हो और स्टेट्जिक ब्रेक में कैपटन और कोच मिल के बिना तेल लगाए उस की गाँड़ मार लें , माँ चोद दे , एकदम उसी तरह ,.

वो बहाना बनाता रहा , कहीं भाभी बुरा न मान न जाये , कहीं गुस्सा न हो जाएँ , .

पर कम्मो हड़काती रही , गरियाती रही ,

"साले बहिन चुदाने आये हो या होली खेलने , या भौजी से होली खेलने , कुछ तो गाँड़ में दम होना चाहिए , अगर भाभी की चूँची दबाने में होली में गाँड़ फट रही है , तो होली खेलने आना ही नहीं चाहिए था , जा के बच्चों के साथ पिचकारी वाली होली खेलते , . . "

पर मेरी वार्निंग ने काम किया ,

" देख बहनचोद , अगर इंटरवल के बाद , मेरी जेठानी के ब्लाउज में हाथ नहीं घुसा न ,. बस मेरे कर कम्मो के साथ होली खेलना भूल जाओ , न आज , न इस होली में न कभी , पक्का बोल रही हूँ , . इंटरवल के बाद बस मैं पांच मिनट वेट करुँगी , . उसके बाद , .

अब वो सीरयस हो गया

और कोच की तरह मैंने उसे स्ट्रेटजिक सलाह भी दे दी ,

देख , और छिप छीपा के नहीं , सब बटन खोल के , और तुम पीछे से तो पकड़ते हो , उनकी ब्लाउज के सब बटन आगे ही तो हैं , बजाय पहले ब्लाउज पे रंग लगाने के , आराम से धीमे धीमे बटन खोल दे , उसके बाद अगर तुम ब्लाउज के ऊपर से भी रगडोगे तो अपने आप ब्लाउज खुल जाएगा ,. और एक हाथ ऊपर से डालो , बस वो हाथ अपना बढ़ाएंगी रोकने के लिए तो दूसरा हाथ जो पेट पर उसे नीचे से , बटन तो पहले से ही खुले रहेंगे , बस लगा दो सेंध , और तेरे हाथ में भौजाई क जोबन , बस रंग लगाओ , जो करो , .

लेकिन बस पांच मिनट में ,. अगर दोनों तेरी मुट्ठी में नहीं हुए न तो बस मैं और कम्मो , होली छोड़ कर ,.

असर उसका हुआ ,

फिर कम्मो ने मुझे आइडिया दिया और जेठानी जी को लेकर हम दोनों स्टोर रूम में पहुंचे , मैंने दरवाजा उढ़काया ,

कम्मो ने जेठानी के हाथ दोनों पकडे , . .

और मैंने ब्लाउज खोल दिया ,

और ब्रा के पीछे से हुक , . जब तक वो समझतीं ब्लाउज ब्रा दोनों बाहर ,

हाँ ब्लाउज मैंने उन्हें फिर से पहना दिया , हाँ ब्लाउज उतारने पहनाने में जेठानी जी के ब्लाउज की दो बटनें मुझसे टूट गयीं , सबसे ऊपर और सबसे नीचे वाले ,

अब सिर्फ दो बटनों के सहारे ब्लाउज बस उनके जोबन पर टिका हुआ था

वो चीखी चिल्लाईं , . पर मैं उन्हें समझाया कुछ सच कुछ झूठ

देखिये वही हम लोग आपके देवर को समझा रहे थे , वो तो एकदम , कह रहा था आप सब तीन तीन फिर मुझे आप सब ने मिल के टॉपलेस कर दिया

जेठानी जोर से मुस्करायीं ,
मैंने देवर की वो शिकायतें जो उसने कत्तई नहीं की , और आगे बढ़ाई , . " वो बोल रहा था , मैं तो सिर्फ जींस और चड्ढी और आप सब पांच पांच ,

कम्मो ने गिना दिया , साडी ब्लाउज ब्रा पेटीकोट पैंटी , .

मैंने देवर से हुए सो काल्ड समझौते की बात उन्हें सूना दी ,

" तो मैंने उससे कहा चल यार तू छोटा है तेरी बात मान लेते हैं , इंटरवल के बाद एक हम भी कम कर देंगे , और जहाँ तक टॉपलेस करने की बात है , हम ने तुझे जबरदस्ती की , तो तू भी करदेगा तो हम बुरा नहीं मानेगें , इसलिए हम लोगो ने तय किया की ब्रा हटाने से क्या उसकी बात भी रह जायेगी ,

जेठानी ने सिर्फ एक शर्त रखी ,

" तो चल तू भी उतार दे ब्रा अपनी , ये नहीं की "

उनकी बात ख़तम होने के पहले ही मैंने उतार दी और अपनी बैकलेस स्ट्रिंग खूब लो कट चोली जो मेरे उभारों को सिर्फ सपोर्ट दे रही थी , और उभार रही थीं , एकदम जोबन से चिपकी

कम्मो ने साफ़ किया , वो न तो ब्रा पहनती है न पैंटी

और इंटरवल के बाद सास ने एक बात कही जो एकदम हमारे प्लान के हिसाब से थी ,

चलो अब थोड़ी देर , एक एक के ,

तुम तीनो मिल के

मस्ती -होली की

और इंटरवल के बाद सास ने एक बात कही जो एकदम हमारे प्लान के हिसाब से थी ,

चलो अब थोड़ी देर , एक एक के , तुम तीनो मिल के

बस अबकी जेठानी जी और ,.

अबकी अनुज ने पांच मिनट में ही ब्लाउज के अंदर हाथ डाल दिया , बटन भी दो ही खोलनी थी

अब लग रहा था देवर भाभी की होली , . और क्या मस्त , पहले वो रंग लगाने के बहाने वो हल्के हल्के सहलाता रहा छु रहा था

जेठानी के दोनों उभार पत्थर हो रहे थे , और उसके बाद अनुज ने क्या मस्त निप्स फ्लिक किया बस अपनी तर्जनी से जैसे कोई सितार के तार छेड़ रहा हो ,

जेठानी गरमा रही थीं , पनिया रही थीं , और अब सब बहाने छोड़ के ,

अनुज खूब खुल के उनकी दोनों चूँचियां मीज रहा था , रगड़ रहा था मसल रहा था ,

खूंटा उसका एकदम खड़ा था और जेठानी के पिछवाड़े से लग रहा था बस जींस फाड़ के उसका मोटू आज जेठानी की गाँड़ मारे बिना छोड़ेगा नहीं ,

यही तो मैं और कम्मो चाहते थे ,

साथ साथ धर धर पकड़ नहीं होनी थी लेकिन रंग वंग तो बस बाल्टी में रखा लाल रंग उठा के मैंने अनुज के ऊपर फेंका ,

पर वो चतुर चालाक , उसने जेठानी जो को पकड़ के सामने कर दिया , और सारा रंग जेठानी जी के ब्लाउज पर , बटन तो पहले ही कुछ टूट गए कुछ खुल गए थे , बस पानी का जोर ब्लाउज एकदम खुला और आधी बाल्टी रंग उस खुले जोबन पर ,

किसने कहा देवरानी जेठानी की होली नहीं होती , फिर ऐसा देवर जो अब एकदम हमारी बात मान रहा था ,

कम्मो ने दूसरी बाल्टी , और अब की जेठानी जी की जाँघों के ठीक बीच , साड़ी पेटीकोट सब देह से चिपक गया , .

और अब जब मेरा नंबर आया तो , एक बार फिर देवर का नंबर मैंने ज्यादा रेजिस्ट भी नहीं किया , फिर स्ट्रिंग चोली खुलने में कितना टाइम लगता है , बिकनी टॉप की तरह

पांच मिनट के बाद मेरी चोली आंगन में थी और मेरे उभार देवर के हाथों में , और क्या मस्त ,.

लेकिन मुझसे जीतना इसना आसान नहीं था , मैं अपने भाभियों की ट्रेन की , गाँव की होली वाली ,

पांच मिनट तक जितना रंग अनुज के आपस सब उसने मेरे उभारों पर लगाया फिर मौका पाके मैंने उसी आंगन में गिरा दिया , और उसके ऊपर चढ़ के , मेरे उभार के सारे रंग उसकी छाती पर ,

मैं उसके ऊपर चढ़ी थी , मैंने दोनों घुटने उसके हाथों पर , अब वो अच्छी तरह पिन , जैसे डब्लू डब्लू इ वाली रेसलिंग में लड़कियां करती हैं , मैं बहुत देखती थी

एक बार मैंने अपनी साडी से दोनों उभार कस के बाँध लिए , हाँ इस चक्कर में देवर राजा को दो मिनट की पूरी झलक मिल गयी भौजाई के जोबन की , .

कम्मो ने पेण्ट की एक ट्यूब उछाल दी मेरी ओर और मैंने कैच कर लिया , बस आराम से पक्का पेण्ट दोनों हाथों में लगाया ,

थोड़ा उसके गालों पर , और फिर उसके टिट्स पर , सीने पर ,

" हे तुमने तो खाली ऊपर वाले का मजा लिया था न लेकिन ज़रा एक बार , कम्मो के साथ मिल के तो लेकिन अभी अकेले ,. "

और जींस की बटन खुली , ज़िप खुली ,चड्ढी सरकी ,

और वार्निश की एक पूरी ट्यूब मैंने अपनी हथेली पर खाली कर दी , और सीधे चड्ढी के अंदर

आराम से पांच मिनट तक एक एक कोना , गोल्डन पेण्ट , . . पूरा खूंटा , बॉल्स सब कुछ

" जा के अपनी बहिनिया से चुसवाना तभी छूटेगा ,. "

लेकिन इस चक्कर में उसके हाथों पर पकड़ थोड़ी धीमी हुयी उसने मुझे पुश किया , मैं आंगन में गिरी लेकिन वो मेरे ऊपर आता , मैं खड़ी हो गयी

पर तब तक उसने पीछे से मुझे पकड़ लिया और अबकी वो भी कमर के नीचे ,

जेठानी जी के ब्लाउज की बटने खुली थीं ,

मेरी चोली आंगन में पड़ी थी

पर कम्मो की तो उसने चिथड़े चीथड़े , जैसे हम लोगों ने उसकी बनियाइन फाड़ कर दस टुकड़े किये थे एकदम उसी तरह ,

पर कम्मो ने भी उसकी जींन्स सरका के घुटने तक , फिर अगवाड़े पिछवाड़े ,

सास हम लोगों को दो तीन बार टोंक चुकी थी अरे दो बज गए हैं , खाना वाना खा लो , .

लेकिन होली ख़तम होने के पहले मैंने और कम्मो ने आँखों में तय किया और

होली में ब्रेक

सास हम लोगों को दो तीन बार टोंक चुकी थी अरे दो बज गए हैं , खाना वाना खा लो , .

लेकिन होली ख़तम होने के पहले मैंने और कम्मो ने आँखों में तय किया

और

उसके खूंटे को मैं और कम्मो मिल के मुठिया रहे थे आठ दस कोट रंग पेण्ट तो लग ही चुके थे उसके ऊपर ,

जेठानी जी दूर खड़ी देख रही थी , बस मैं जा के उन्हे घसीट लायी , . .

और उनका था भी जबरन मैंने और कम्मो ने उनके देवर के खूँटे पर , तीनो भाभियाँ

अपने देवर के लंड का स्पर्श सुख खुल्लम खुल्ला ले रही थी , .

हलके से मैंने और कम्मो ने हाथ हटा लिया ,

और जेठानी जो इतना झिझक रही थीं और उनसे ज्यादा उनका देवर उनके ब्लाउज में हाथ डालने से घबड़ा रहा था

अब अकेले अपने रंगे पुते हाथ से देवर का खूंटा आँगन में पूरी ताकत से मुठिया रही थी

चार पांच मिनट बाद जब एक बार फिर हमारी सास ने हड़काया , अरे खाना तो खा लो तुम सब ,

होली में ब्रेक हुआ

हाँ खाने में गारियाँ न हो , जब देवर हो तीन तीन भाभियाँ हो

और उस के कुछ देर के ब्रेक के बाद वो जाने की जिद्द करने लगा , उसकी चार बजे से कोचिंग थी , तीन घंटे की और साढ़े तीन बज रहे थे ,.

" तो जाओ न , कोचिंग में तो जरूर जाना चाहिए "

मैंने आँखे नचाकर मुस्कराते हुए बोलै ,

" पर कैसे ? " वो अब सीधे मुझे बोल रहा था।

" सिम्पल जैसे आये थे , बाइक से "

मैंने फिर उसी तरह उसे छेड़ते हुए जवाब दिया ,

" पर कैसे , मतलब , . मेरी शर्ट ,. "

वो अपनी ओर देखते बोला , वो अभी भी टॉप लेस था , बनयायिन तो खैर चिथड़े चिथड़े हो गयी थी और शर्ट मेरे कब्जे में थी।

" ऐसा करते हैं न जैसे कल भेजा था , वैसे पूरा सिंगार कर के भेज देते हैं , कोचिंग के लौंडों के बीच मशहूर हो जाओगे "

अबकी कम्मो बोली

और मेरे देवर की फट गयी , जोर से , उसके मायके तक सुनाई पड़ा , .

" नहीं नहीं , वैसे नहीं , . "

कल तो हम लोगों ने बाकायदा साडी ब्लाउज , ब्लाउज के अंदर मेरी ब्रा और उसके अंदर कम्मो ने दो रंग भरे गुब्बारे भी भर दिए थे ,एकदम ३४ सी लग रहा था , पायल बिछुए , मैंने कोहनी तक लाल हरी चूड़ियां पहनाई थीं , लाल लिपस्टिक भी काजल , . पूरे एक घंटे लगे थे सोलह सिंगार में और अब आज उतना टाइम भी नहीं था , सिर्फ २६ मिनट बचे थे बेचारे की कोचिंग शुरू होने में ,

" शर्ट तो , उसे बेचकर हम लोगों ने कटोरी ले ली वो अब मिल नहीं सकती "

मैंने फिर मामला साफ़ किया।

" अरे कटोरी भी कहाँ , बरतन वाला उस पुरानी धुरानी शर्ट के बदलें में ,. चम्मच भी नहीं देगा "

अब जेठानी मैदान में आ गयीं।

और कम्मो तो कम्मो थी , बोली

" मार शर्ट शर्ट कर रहे हो , अरे अइसन शर्ट की तो , . . अरे हमारी ननद हैं एक गुड्डी नाम है , तोहरे मोहल्ले में ही रहती हैं ,

जब कहो तब , उसे मॉल में कपडे की दूकान पर बैठा देंगे , चाहे जेतनी शर्ट , अइसन शर्ट तो एक चुम्मा देने के बदले में , और जहाँ टांग उठाय देही हमार ननदिया , पूरी दूकान तोहार ,

देवर जी

बस तय ये हुआ की शर्ट तो उनकी बड़की भाभी ढूंढ ढांढ़ कर के ले आएँगी , पर बदले में सगुन के लिए मैं बस थोड़ा सा , गुलाल , सूखी होली के बिना बिदाई हो तो ठीक नहीं लगता न ,

और मैंने देवर जी को शीशे के सामने बैठा दिया ,

और मेरा साथ देने के लिए भौजी नंबर वन थीं न मेरे साथ , कम्मो

देवर की हिम्मत थी जो ज़रा भी हिलते ,

" ये बाल देखों न कैसे हूश से बना रखे हैं ऐसे कोचिंग में जाओगे , हम लोगों की नाक कटाओगे ,. "

मैंने उसे हड़काया और कम्मो ने भी तुक मिलाई ,

" सही है , . अब एक तोहार बहिन , गुड्डो छिनार तो नाक कटवा ही दी हैं और अब तुम भी "

मैंने पहले थोड़ा तेल , फिर बाल काढ़ना शुरु किया और मांग , एकदम दुल्हन की तरह सीधी मांग , खूब चौड़ी सी , . और उसमें गुलाल नहीं , अपनी सिन्दूर की डिबिया से निकाल कर चुटकी भर नहीं , भरपूर सिंदूर भरा

और असीसा भी ,

" सदा सुहागन रहो , जल्दी गोद भरे , . "

कम्मो क्यों छोड़ती , कल चेहरे का सिंगार मैंने किया था आज वो काम पर लगी गयी , बड़ी सी बिंदी माथे पर , काजल आँखों में , .

बेचारा वो उसकी आँखे घड़ी पर लगी थी , कैसे हम दोनों से , . . और कान अपनी बड़की भौजी के पैरों की आवाज पर , . कब उसकी शर्ट ले कर वो आएं कर उसे जाने को मिले ,

बार यही कहता

" भाभी आज की कोचिंग बड़ी इम्प्पार्टेन्ट है , इम्पोर्टेन्ट क्वेश्चन कराएंगे सर , और सर पांच मिनट से ज्यादा लेट होने पर क्लास में घुसने नहीं देते , . पांच मिनट पहुंचने में लगेंगे "

और जब जेठानी आयीं उसकी शर्ट लेकर तो उसकी जान में जान आयी , अभी भी सात मिनट बचे थे चार बजने में ,

पर देवर बाबू को क्या मालूम की अभी चार आने का खेल बाकी था।

कम्मो बोली , इस शर्ट पर लाल रंग अच्छा लगेगा न , .

मैंने उसकी हाँ में हाँ मिलाई , हाँ एकदम और साथ में गाढ़ा

नीला , . क्यों कैसा रहेगा रहेगा सफ़ेद शर्ट पर गाढ़े लाल और नीले का कॉम्बिनेशन , . "

मैंने जेठानी जी की राय मांगी पर जैसे कुछ लोगों की आदत होती हैं न उन की राय मांगो न मांगो , उन से कोई मतलब हो न लेकिन बोलेंगे जरूर ,

और बस मेरी छिनार देवर के ननद ने बोल दिया ,

" नहीं भाभी नहीं प्लीज , इस शर्ट पर रंग नहीं , एक तो कोचिंग में , फिर मेरी और कोई दूसरी , . "

पर मेरी जेठानी आज लगता है जोबन मर्दन करवा के अपने इस देवर की कुछ ज्यादा ही तरफ़दार हो गयीं थीं, उसकी तरफदारी करती मुझसे बोलीं ,

" अरे छोड़ न , सही तो कह रहा है ये सीधे कोचिंग जाएगा , रास्ते में ,. कहीं घर जा के बदलने का टाइम भी तो नहीं है। "

और साथ में अपने देवर को एक नयी परेशानी बतायी ,

" सुन तेरी इस शर्ट की ज्यादातर बटने तो टूट गयी हैं , ऐसा कर अब बटन टांकने का टाइम तो है नहीं , मैं ऐसे सिल देती हूँ , खुलेगी नहीं , . घर जाके गुड्डी से खुलवा लेना , . देख इसके अंदर बनयाईन भी नहीं पहनी है तूने तो शर्ट खुल जायेगी अच्छी थोड़ी लगेगी ,"

" चलिए बनयान नहीं तो , मेरी ब्रा पहनईयेगा , अरे लाने नहीं जा रही , अभी जो पहनी हूँ वही खोल के दे देती हूँ , . "

मैंने बड़े भोलेपन से एक आसान बिना खर्च वाला हल बताया

जो दिखता है , वो बिकता है ,

मेरी ननद

" चलिए बनयान नहीं तो , मेरी ब्रा पहनईयेगा , अरे लाने नहीं जा रही , अभी जो पहनी हूँ वही खोल के दे देती हूँ , . "

मैंने बड़े भोलेपन से एक आसान बिना खर्च वाला हल बताया ,

पर देवर ने बड़ा बुरा सा मुंह बनाया , और ऊपर से जेठानी ने ख़ारिज कर दिया , और मुझे और कम्मो को हलके से हड़का भी लिया

" तुम दोनों भी न , देख सिल रही हूँ न , . "

और सच में मेरी जेठानी मुंह में सुई पकडे , पहले तो शर्ट को देखती रहीं , फिर उन्होंने सिलाई शुरू कर दी , एकदम कॉलर वाली बटन से लेकर ,

मेरे मुंह से निकल गया ,

' मैंने तो बस एक बात कही थी , कल तो मेरी ब्रा इन्होने बड़ी शौक से पहनी थी , इसलिए बोल रही थी। "

पर कम्मो वो इत्ती आसानी से चुप नहीं रहने वाली थी , बोली ,

" अरे तोहार बड़की भौजी इतनी अच्छी सिलाई करती हैं अगली बार आओगे न तोहार गाँड़ जरूर मारूंगी , और फट वट गयी तो बड़की भौजी हैं ही सिलने के लिए "

लेकिन मैं जेठानी जी की शरारत समझ गयी थी और इशारा भी ,

वो आगे सिलाई कर रही थीं और मैं पीछे लिखाई ,साथ में कम्मो मेरी सहायक भूमिका में

इतनी तो मार्केटिंग तो मुझे मालूम थी की जो दिखता है , वो बिकता है , और गुड्डी छिनार की मार्केटिंग के लिए इससे बढ़िया क्या जगह हो सकती है , खुद मेरे

देवर ने बताया था , कोचिंग में १५० -२०० लड़के होते हैं

और सब सब जवान , सब के औजार भूखे , बौराये , ऊपर से फागुन का महीना

और फिर वो माउथ टू माउथ , पब्लिसटी , .

मेरी छिनार ननदिया के लिए इतनी पिचकारियां तैयार हो जातीं , उसकी होली एकदम रंगीन हो जाती ,

बस उनकी व्हाइट शर्ट के पीछे मैंने अपनी ननद की रेट लिस्ट लिखनी शुरू कर दी ,

गुड्डी

चुम्मा - १ ००

मैंने जोबन लिख रही थी लेकिन कम्मो ने जोर दिया साफ़ साफ़ लिखूं

और मैंने लिख दिया

चुम्मा - १ ००

मैंने जोबन लिख रही थी लेकिन कम्मो ने जोर दिया साफ़ साफ़ लिखूं

और मैंने लिख दिया

चूँची मिजवायी - २५०

और अब कम्मो ने मोर्चा सम्हाल लिया रेट वो बता रही थी ,मैं सिर्फ लिख रही थी ,

मुठियाना - ४००

मुंह में लेकर चूस चूस कर ( ओरल ) - ५५०

एक बार की फुल सर्विस ( चुदाई ) पूरे एक घंटे के लिए

( ये कम्मो के कहने पर मैंने ब्रैकेट में साफ़ साफ़ लिख दिया ) - १०००

रात भर के लिए - ५,००० लेकिन कम्मो के कहने पर उसे घटा कर २,५०० कर दिया

और ये भी की एक के साथ एक और पर ५० % डिस्काउंट ,

१८ % जी एस टी , पे टीम और कार्ड भी चलेगा ,

एडवांस बुकिंग के लिए मैंने अपना एक पुराना बनारस वाला नंबर दे दिया ,

मोबाइल नंबर मैं सिर्फ नौ डिजिट ही लिखना चाहती थी , लेकिन अबकी कम्मो ने न सिर्फ उसके दोनों मोबाइल नंबर भी लिख दिए और घर का पता ,

मैं देख रही थी की जेठानी जी ने अपनी रफतार थोड़ी कम कर दी है और वो मेरी ओर देख रही थीं की हम दोनों का काम पूरा हुआ की नहीं ,

मैंने गुड्डी रानी का पूरा पूरा फेसबुक अकाउंट , व्हाट्सऐप , इंस्टाग्राम सब लिख दिया और गूगल ऐप वाला ऐड्रेस भी , और जेठानी जी को मैंने इशारा कर दिया

और उन्होने तागा तोड़ दिया और अनुज को बोला , जा भाग , अभी चार बजने में दो मिनट बाकी है ,

उसने तारीफ़ की नजर से मेरी जेठानी को देखा और सीधे बाइक पर

और

अब बारी और कम्मो की आदर की दृष्टि से जेठानी जी को देखने की ,

बस हम दोनों ने पाँव नहीं छुए , उनके

भले हम तीनो के देवर उस चिकने ने नहीं देखा हो , पर मैंने और कम्मो ने देख भी लिया था और समझ भी लिया था

बटने टूटी हुयी जेठानी जी के हाथ में ही थीं और उन्ही की हाथ की करामात थीं ,

और क्या सिलाई की थी उन्होंने चुन्नी दरजी मात , . ऐसी गझिन सिलाई और मजबूत धागे से

कोई देवर जी को बता भी देता न की वो अपनी बहिनिया के पोस्टर बने घूम रहे हैं तो भी वो शर्ट नहीं उतार पाते ,

वो सिलाई खोलना किसी औरत /लड़की के बस की ही बात थी और जो काम जेठानी जी ने दस मिनट में किया उसे खोलने में आधा घंटा लगता ,

फिर यहाँ से तो वो भागा भगा कोचिंग में ही गया होगा , और सीधे क्लास में घुस के बैठ गया होगा , हाँ उसके पीछे वाले सारे लड़कों ने गुड्डी जी का रेट ,

और एक बात कम्मो भी न , वो सिर्फ गुड्डी के रेट से ,. .

उसे लगा देवर के बारे में भी तो और चलते चलाते देवर जी की लेविस जींस पर उसने गोल्डन पेण्ट से लिख दिया

गांडू ,

उनके एक बबल बॉटम पर गां दुसरे पर डू , . मिला के ही पढ़ने पर कोई समझ पाता

पर एक बात पक्की थी आज रात तक तक मेरी ननद एकदम मशूहूर हो जाने वाली थीं
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