Episode 58


दोनों एक साथ , कभी कस के दबाते मसलते , कभी साथ साथ मेरा निपल्स फ्लिक करते , मैं गीली हो रही थी लेकिन हालत उन दोनों लड़कों की कम ख़राब नहीं थी , मैं जान बूझ कर अपने हिप्स कस कस के रगड़ रही थी , मंटू ने मुझे कस के पकड़ रखा था , और उस का खूंटा सीधे मेरे पेटीकोट पर , मेरे हिप्स के बीच , . वो तो उन के आते ही मैंने समझ लिया थी की दोनों ने बारमूडा के नीचे कुछ नहीं पहन रखा है , बस एक स्लीवलेस टी शर्ट , बनाययिन ऐसी और बारमूडा ,. . लेकिन आज मैंने भी कौन सी ब्रा और पैंटी पहन रखी थी , तो सीधे जैसे उसका बरमूडा फाड़कर मेरे पेटीकोट में सेंध लगाकर , मेरे देवर का खूंटा ,.

बस वहीँ मैंने घात लगायी ,

और इसी लिए देवर भाभी की होली में हरदम जीत भाभी की होती है , . मर्द के शरीर के एक एक हिस्से की हालचाल का अंदाजा भाभियों को रहता है और देवर तो बस भीगी चोली में झलकते जोबन को द्केहकर ललचाते ही रहते हैं और भाभी थोड़ी दिलदार हुयी तो चोली के अंदर हाथ डाल लिया ,

सीधे ' वहीँ ' और मुट्ठी में पकड़ लिया , हाथ तो मेरे खाली थे ही , खूंटा इतने जोर से मेरे पिछवाड़े गाड़ रहा था वो , उसकी मोटाई लम्बाई और कहाँ है सब अंदाजा था मुझे

देवर भाभी की होली

देवर भाभी की होली में हरदम जीत भाभी की होती है , . मर्द के शरीर के एक एक हिस्से की हालचाल का अंदाजा भाभियों को रहता है और देवर तो बस भीगी चोली में झलकते जोबन को देखकर ललचाते ही रहते हैं

और भाभी थोड़ी दिलदार हुयी तो चोली के अंदर हाथ डाल लिया ,

मैंने सीधे ' वहीँ ' और मुट्ठी में पकड़ लिया , हाथ तो मेरे खाली थे ही , खूंटा इतने जोर से मेरे पिछवाड़े गाड़ रहा था वो , उसकी मोटाई लम्बाई और कहाँ है सब अंदाजा था मुझे पर मंटू को अंदाजा नहीं था की मैं ये भी कर सकती हूँ ,

और चौंक कर वो एकदम पीछे , . पर मैं छोड़ने वाली नहीं थी , साथ साथ मैंने गुदगुदी भी लगानी शुरू की , बस वो छुड़ाने के लिए पीछे हटा ,

बचा बंटू ,

तो उसके खुले पैरों पर मैंने एक पैर को मोड़ कर पीछे क्र सुरसुरी करने लगी , बस वो भी , .

और मैंने जोर का झटका आगे की और दिया , देवर तो दोनों दूर हो गए पर मेरे स्लीवलेस बैकलेस चोली की रही सही एक बटन भी खेत रही ,

पर मुझे कुछ फरक नहीं पड़ रहा था ,

चोली एकदम खुली थी पर देह से अलग नहीं हुयी थी देह में अटकी थीं हाँ रंगे पुते उभार अब एकदम साफ़ साफ दिख रहे थे

आंगन के एक कोने में खड़ी मैं बस हंस रही थी , खिलखिला रही थी

भांग के नशे का यही असर होता है , जो करो करते रहे बस उसी में मजा आता है ,

डेढ़ डबल भांग वाली गुझिया तो कम्मो ने और डेढ़ इन मेरे देवरों ने , ऊपर से पलट कर जबरन वो जो जबरदस्त भांग वाली ठंडाई मैंने बनायी थी , देवरों ने आधी से ज्यादा मुझे ही पिला दी थी , अच्छी तरह से मेरे ऊपर भांग चढ़ गयी थी ,

लेकिन थोड़ी बहुत तो मैंने इन दोनों के मुंह में भांग वाली गुझिया ठेली ही थी , .

और वो दोनों भी आंगन के दुसरे कोने में खड़े होकर हंस रहे थे , जोर जोर से खिलखिला रहे थे ,

एकदम मेरी तरह ,

मैंने मंटू को चिढ़ाना शुरू किया , . और वो दोनों भी मेरी पूरी खुली चोली से झांकते रंगे पुते उभारों की और इशारा कर के चिढ़ा रहे थे

भाभी देखिये , जिस पर लाल रंग लगा है वो बंटू का और जिसपर बैंगनी है वो मेरा , . एकदम बाँट कर ,.

लेकिन मैं रीतू भाभी की ननद , अब उन्ही की लेवल पर आ गयी

" क्या लाल , बैगनी कर रहे हो , . मैं सही कह रही थी , सफ़ेद रंग तो सब गाढ़ा वाला अपनी बहिनों के साथ खर्च कर के चले आये , एक बूँद भी मेरी नंदों ने नहीं छोड़ा न , . सब छिनारों ने निचोड़ लिया ,. "

जवाब मंटू ने कोई रंग निकाल के अपनी हथेली पर लगाकर , . लेकिन सूखा रंग बिना पानी के कैसे ,. मुझे और चिढ़ाने का बहाना मिल गया , .

" अरे तुम लोगों की बहनों ने कुछ सिखाया नहीं , सूखे रगड़ रहे हो ,. थोड़ा तो गीला कर लो , . कुछ नहीं हो तो तुम्हारे ही ' बम्बे ' से रगड़ रगड़ के मैं पानी निकाल दूँ , . . अरे नल लगा तो है ,. " मैंने आँगन के कोने में लगे एक नल की ओर इशारा किया।

वो उधर झुका हुआ था और मुझे मौका मिल गया ,

मैंने अपने कोंछे में से पुड़िया निकाली , सबसे तेज रंग , कड़ाही के पेंदे की कालिख और साथ में उसी पुड़िया में एक छोटी सी शीशी में से कडुआ तेल , अब ये कालिख होली तक तो छूटने वाली नहीं थी ,

बस दोनों हाथों में कालिख अच्छी तरह रगड़ के , . मैं सीधे मंटू के पीछे , और जब तक वो सम्हले सम्हले सीधे उसके दोनों चिक्कन गाल मेरे हाथों के बीच ,

और साथ में वार्निंग , "

" हे आँख मत खोलना , अगर आँख में चला गया न तो जल्दी निकलेगा नहीं , और बहुत जोर से लगेगा मिर्चे से भी तेज , . आँख बंद ,. "

और मेरे दोनों हाथ पहले आँख के ऊपर से ही

बस पहली पारी मेरे हाथ में ,

मारे घबड़ाहट के उसने कस के आँखे बंद की और दोनों हाथों से मेरे हाथ छुड़ाने की कोशिश की ,

बस मैं यही चाहती थी , मेरे ब्लाउज के सारे बटन तोड़े थे न इन दोनों ने , अब बताती हूँ , .

वो एक स्लीवलेस टी शर्ट बिना बांह की बनियाइन की तरह पहन के आया था , बस मैंने दोनों हाथों से एक झटके से उसे पकड़ के ,.

और वो आँगन दूसरे कोने में , देवर पूरा टॉपलेस ,

अब मेरे दोनों हाथ सीधे उसके सीने पर , मेल टिट्स पर ,

और साथ साथ मैंने अपनी दोनों टाँगे उसकी टांगों के बीच में घुसा के फंसा दी , अब न वो पीछे मुड़ सकता था न छूट सकता था , दोनों हाथों से कस के मैंने उसे जकड़ रखा ही था

हाँ उस का चेहरा छूट गया था पर मैंने कस के बोला ,

" हे आंख मत खोलना पांच मिनट तक , मिरचाहवा रंग है आँख में अगर चला गया ,. "

उस के टिट्स जम के रगड़ते मैंने चिढ़ाया ,

" हे तुम दोनों मिल के मुझे टॉपलेस कर रहे थे न , सिर्फ खोल लेने से थोड़ी होता है , ऐसे करते हैं टॉपलेस जैसे मैंने अभी तुझे किया है और कहो तो इसे भी खिंच के अलग कर दूँ ,

भाभी , छोड़िये न , . प्लीज ,. "

" हे तुम दोनों मिल के मुझे टॉपलेस कर रहे थे न , सिर्फ खोल लेने से थोड़ी होता है , ऐसे करते हैं टॉपलेस जैसे मैंने अभी तुझे किया है और कहो तो इसे भी खिंच के अलग कर दूँ , . "

पीछे से मैं अपना अगवाड़ा उसके पिछवाड़े पर रगड़ते उसे छेड़ रही थी

मेरे दोनों निपल एकदम खड़े कड़े देवर की अब एकदम खुली पीठ पर बरछी की नोक की तरह चुभ रहे

और मैंने कस के अपने उभार उसकी पीठ पर रगड़ पर भी रही थी , पर उसके टॉपलेस होने का पूरा फायदा मिला मेरे दोनों हाथों को , एक हाथ ने तो कस के उसके टिट्स को पकड़ रखा था , क्या कोई नयी लौंडिया के निपल को रगड़ता होगा जिस तरह मैं कचकचा के रंगड़ रही थी , . और साथ में उसकी सगी बहन का नाम लेकर , वो भी हाईकॉलेज में पढ़ती थी , .
" हे उसके निप्प्स भी तो खूब मस्त हैं , खूब दबाते होंगे न , कभी मुंह में लेकर चूसा है की नहीं , . "

और दूसरा हाथ नीचे की ओर सरकता हुआ , उसके पेट पर कालिख रगड़ता ,

और मेरे हाथ कोई मेरे देवर की तरह शरीफ तो थे नहीं , की सिर्फ ऊपर की मंजिल पर सारी ताकत खर्च कर दें मैंने बराबर बराबर बाँट लिया , एक हाथ ऊपर की मंजिल के लिए और दूसरा नीचे के लिए ,

और वो भी समझ रहा था , की मेरा दूसरा हाथ किधर जा रहा है , पेट से सरकता हुआ , . बस जहाँ बरमूडा शुरू हो रहा था ,.

और मैंने बारमूडा नीचे सरकना शुरू कर दिया ,

अब उसकी हालत खराब , हाथ पैर उसने पटकने शुरू कर दिए , छुड़ाने की लाख कोशिश

पर आज उसने अच्छे घर दावत दी थी , बनारस वाली नयकी भौजी के पास , . और मैं भी एकदम भांग के नशे में चूर ,. मुझे सिर्फ एक चीज दिख रही थी ,

" भाभी , छोड़िये न , . प्लीज ,. "

उसने गुहार लगायी और मैंने बारमूडा एक इंच और नीचे सरकाते हुए जोबन कस के उसके पीठ पर रगड़ते , जोर से चिढ़ाया

" क्यों कोई ख़ास चीज छुपाया है उसके अंदर ,. फॉर सिस्टर्स ओनली है क्या ,. . बस ज़रा सा , अच्छा खाली दिखा दो ,. "

मेरे एक हाथ ने उसे कस के दबोच रखा था पर असली पकड़ थी मेरी दोनों टांगों की जिन्होंने उसकी दोनों टांगों को अच्छी तरह फंसा रखा था और मैंने अपनी दोनों टांगों को फैला के उसकी टांगो को भी ,.

छूटने का सवाल ही नहीं था , और मैं अपने देवर को छोड़ने वाली भी नहीं थी , अभी तो होली का मजा आना शुरू हुआ था।

उसने अपने साथी को आवाज लगाई , . बंटू ने मुझे पीछे से दबोच लिया लेकिन बजाय मेरे हाथ अलग करने के , उसके दोनों हाथ मेरे दोनों जोबन में लग गए पर मुझे कुछ फरक नहीं पड़ता था अरे अगर होली ने थोड़ा देवर ने जोबन रस ले भी लिया तो क्या ,.

बरमूडा अब थोड़ा नीचे , और अब खूंटे का बेस खुल गया था। . .

एकदम चिक्कन मुक्कन , लगता था देवर बाबू झांटे वांटे साफ़ कर के आये थे ,

अँगूठे और तर्जनी के बेस से उसे रगड़ते हुए मैंने चिढ़ाया

" क्यों अपनी बहिनिया की तरह माखन मलाई की तरह ,. "

और फिर ऊपर के दो इंच ,

पता तो मुझे चल ही गया था मोटा भी है लम्बा भी और कड़क भी ,

और बेसबरा भी , बस अब ऊपर के हिस्से को पकड़ के मैं खुल के रगड़ रही थी मसल रही थी , बारमूडा थोड़ा और नीचे सरक गया था

पर जिस तरह से वो छटपटा रहा था और पीछे से बंटू लगा था , मैं उन दोनों के बीच सैंडविच बनी ,

इससे ज्यादा मुश्किल लग रहा था
बस यही सोच रही थी अगर बस आज कम्मो होती न यहाँ तो इन दोनों को हम दोनों मिल के बता देतीं ,

बनारस वाली भाभियों से होली का मजा क्या होता है।

और कभी कभी न मन की मुराद तुरंत पूरी हो जाती हैं , .

और मेरी पूरी हो गयी , पीछे वाले दरवाजे से कम्मो आ गयी ,

अब हम लोगों का पलड़ा पक्का भारी था

कम्मो

पर बैलेंस फिर गड़बड़ा गया

अनुज भी आ गया और कम्मो उसके साथ ,

वो तो अनुज ने गुहार लगाई और बंटू का भी मन , आखिर कम्मो के ब्लाउज फाड़ते ३८ डी वाले जोबन देख कर किसका मन नहीं मचल जाता और कम्मो उसे गरिया गरिया कर चैलेन्ज कर रही थी

उन दोनों ने मिल के कम्मो साड़ी , . और साडी के बाद ब्लाउज का नंबर लगना ही था

और अब मैं अकेले होगयी थी तो आराम से सफेद पेण्ट मैंने दोनों हाथों पर मला और सीधे अबकी बारमूडा में हाथ डाल दिया

" देखो देवर जी तूम तो सफ़ेद रंग वाली होली खेले नहीं लेकिन मैं बिना सफ़ेद रंग लगाए छोडूंगी नहीं , . ऐसा पेण्ट है अपनी बहन के मुंह में डालकर चुसवाना तब छूटेगा . "

और पेण्ट अब सीधे मेरे हाथों से देवर के

लेकिन दोनों हाथों के अंदर पहुँचने से देवर पर मेरी पकड़ थोड़ी ढीली हो गयी , . अब वो तीन हम दो , .

पर कम्मो ने जुगत लगाई , अनुज का भी पेण्ट रंग सब ख़तम हो गए थे , बस कम्मो ने कुछ उसके कान में कहा वो स्टोर में और कम्मो ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया

अब बस , हम दो हमारे दो , .

और जिधर कम्मो उधर का पलड़ा भारी ,

फिर तो क्या नहीं हुआ , मैं मंटू के साथ और बंटू के साथकम्मो

पूरे आंगन में रंग फैला पड़ा था और मंटू फिसल कर गिर पड़ा , और मैं साथ गिरी उसके ऊपर ,

चोली जुबना पर लथपथ चिपकी पड़ी थी , बटन तो कबके खेत रहे , मंटू ने जैसे मुझे बचाने के लिए अपने दोनों हाथ वहीँ ,.

न उसने हाथ हटाया , न मैंने उसका हाथ पकड़ा ,

अब हम दोनों पकड़ धकड़ से दूर हो चुके थे ,. उसने मेरे दोनों उभार पकडे , और जम कर , . . रंग तो अब सिर्फ बहाना था ,. औ

र मैं भी उसका बरमूडा अभी भी नीचे सरका , देवर का ' वो ' थोड़ा ढंका ज्यादा खुला , .

और मैं उसके ठीक ऊपर बैठी , मेरा पेटीकोट भी कुछ सिकुड़ा , कुछ सरका और खूंटे के ऊपर

जबरदस्त ग्राइंडिंग

ड्राई हंपिंग ,.

कोई दूसरा होता तो शायद ' सफ़ेद रंग ' वाली हालत में आ जाता , पर मेरा देवर था बहुत ही तगड़ा

हलके हलके अब वो ड्राई हंपिंग में मेरा साथ दे रहा था ,

और कम्मो तो और उसका ब्लाउज और बंटू की टी शर्ट दोनों आंगन में एक साथ पड़ी थीं

वो सिर्फ पेटीकोट में और देवर सिर्फ बारमूडा में और कम्मो ' शरीफ ' नहीं थी चुन चुन के गालियां दे रही थी और बंटू का बरमूडा घुटने के नीचे , खूंटा बाहर

कम्मो ने कुछ मुझे इशारा किया

और मेरी ओर कम्मो के कॉम्बो के आगे दो देवरों की क्या बिसात , . दोनों पकडे जकड़े थे और अब आगे का हिस्सा मैंने सम्हाला था और पिछवाड़ा कम्मो के हवाले

क्या कोई लौण्डेबाज गांड मारेगा जिस तरह कम्मो उन दोनों देवरों के पिछवाड़े की ' हाल चाल ' ले रही थी

और दोनों खूंटे मेरे हाथ में आराम से पहले कालिख फिर ट्यूब से गाढ़ी वार्निश , और फिर लाल काही नीले रंग की कॉकटेल , और फिर जम कर एकदम खुल के उन दोनों की बहनों का नाम ले ले कर मुठियाते हुए

"सालों अगर ७० तक मामला ढीला नहीं हुआ तो मैं अपनी सारी ननदों को तुम सब के नाम लिख दूंगी "

और फूल स्पीड से , और मंटू को छेड़ते हुए बोली ,

"तुम दोनों ने मेरा दायाँ बायां बांटा था न ,. दाएं वाले पे तुमने लगाया था और बाएं वाले पे बंटू ने , तो मैं दाएं हाथ से तेरा और बाएं हाथ से बंटू को मुठिया रही हूँ है न बराबर का मामला "

पीछे से कम्मो बोली ,

जो पहले झड़ा न उसकी इसी आँगन में गांड मारूंगी मैं , और स्सालो गांडुओं ये मत पूछना कैसे , पहले अपनी चूँची से फिर मुट्ठी , तुम स्साले बचाओं के गांडू हो मुझे मालूम है पर सब गाँड़ मरवाने का रिकार्ड आज टूट जाएगा दोनों का "

६० हुआ , ७० हुआ , ८० हुआ , ९० के बाद मेरी रफ़्तार भी कम होने लगी , पर दोनों वैसे के वैसे टाइट

उधर अनुज दरवाजा पीट रहा था , तो कम्मो ने दरवाजा खोल दिया ,

कहानी आगे

"तुम दोनों ने मेरा दायाँ बायां बांटा था न ,. दाएं वाले पे तुमने लगाया था और बाएं वाले पे बंटू ने , तो मैं दाएं हाथ से तेरा और बाएं हाथ से बंटू को मुठिया रही हूँ है न बराबर का मामला "

दोनों देवरों को छेड़ते , मुठियाते मैंने चिढ़ाया

पीछे से कम्मो बोली ,

" जो पहले झड़ा न उसकी इसी आँगन में गांड मारूंगी मैं , और स्सालो गांडुओं ये मत पूछना कैसे , पहले अपनी चूँची से फिर मुट्ठी , तुम स्साले बचाओं के गांडू हो मुझे मालूम है पर सब गाँड़ मरवाने का रिकार्ड आज टूट जाएगा दोनों का "

६० हुआ , ७० हुआ , ८० हुआ , ९० के बाद मेरी रफ़्तार भी कम होने लगी , पर दोनों वैसे के वैसे टाइट

उधर अनुज दरवाजा पीट रहा था , तो कम्मो ने दरवाजा खोल दिया ,.

हाँ तो बात मैंने कहाँ छोड़ी थी ,

हम तीन , हमारे दो ,. बल्कि इस समय तो हम दो हमारे दो , ( अनुज को तो जुगत लगा के कम्मो भौजी ने स्टोर रूम में बंद कर दिया था )

हम सब भांग के नशे में टुन्न , . मेरे दोनों हाथों मेरे दोनों देवर के मोटे मोटे खूंटे , आसानी से मुट्ठी में न समायें,

मैं खुल के जोर से मुठिया रही थी ,

मेरी ससुराल की लड़कियां औरतें , वैसे तो अपने भाई बाप से चुदवाती रहती हैं , लेकिन सब की सब बच्चा जनने के पहले , गाभिन होने के लिए ,

सब की सब गदहे घोड़े के साथ , जब तक पेट न फूल जाए

( मेरी सास के बारे में तो मेरी और मेरी जेठानी दोनों की यही सोच थी , मेरी जेठानी जी के वो , जेठानी के देवर दोनों ही, गदहे घोड़े से कम नहीं थी और और जेठानी के देवर मेरे जेठ से बीस नहीं तो २२ जरूर ही होंगे , और अब अनुज , मंटू और बंटू का देखकर तो मैं पक्का कह सकती थी और उन दोनों को गरिया भी रही थी उन की माँ का नाम ले ले कर )

"स्साले , तुम दोनों का असली बाप कोई गदहा होगा , जाके अपनी माई से पूछना , लेकिन तोहार नयकी भौजी भी बनारस की हैं , निचोड़ के रख देंगी ,"

दोनों के बरमूडा तो मैंने खुद उतारे थे , और मैं भी देवरों की मेहनत और किस्मत पूरी तरह टॉपलेस , साड़ी भी आँगन में छितरी पड़ी , पेटीकोट रंग में तर बतर , देह से चिपका , जांघें , जाँघों के बीच सब कुछ साफ़ साफ़ झलक रहा था ,

मैं दोनों देवरों का मुट्ठ मार रही थी , खूंटा पकड़े , सटासट , सटासट

और कम्मो भौजी दोनों के पिछवाड़े पड़ी थीं , होली में बिना देवर की गाँड़ मारे , लेकिन मैं जान रही थी कम्मो की शरारत , वो चाह रही थी , दोनों देवर आज मेरी ,

और अनुज , ने जब अंदर से हल्ला मचाना शुरू किया तो कम्मो को मौका मिल गया , मेरे कान में वो फुसफुसा के बोली ,

" तुम निपटो इन दोनों से मैं जा के उस स्साले का गन्ना चूसती हूँ , आखिर उस भंडुए की बहन पटानी है अपने भाइयों के लिए , . आज तेरी ये देवर बजा के रहेंगे "

लेकिन कम्मो भौजी इतनी आसानी से , तो कम्मो क्यों मशहूर होतीं , देवरों का जाते जाते उन्होंने फायदा भी करा दिया ,

सिर्फ पेटीकोट पहनी थी मैं ,

तो बस , उस पेटीकोट को उठा के मेरी कमर में अच्छी तरह फंसा दिया , एकदम बस एक छल्ले की तरह , भरतपुर का दरवाजा और गोलकुंडा का रास्ता दोनों खुल गए थे , खुल्ल्मखुला , और बंटू और मंटू के कानो में मंत्र उन्होंने फूंक दिया था ,

नतीजा हुआ की पल भर के लिए दोनों मेरे हाथ से छूट गए , बस उन्होंने होली में जैसे सब देवर करते हैं , भौजी की देवर बाँट, मुझे बाँट लिया ,

आगे दे बंटू , पीछे से मंटू , और दोनों ने एक साथ मुझे जकड लिया

दो दो गदहा छाप खूंटे ,

अपने गाँव में देवर भाभी की बहुत होली मैंने देखी थी , और एक बात अच्छी तरह समझ ली थी ,

होली में जो मना करे, वो भौजी नहीं ,

मना करने पर जो मान जाए , वो देवर नहीं

और अगर कोई देवर मान जाय तो उसकी माँ बहन सब चोद देने चाहिए उसी के सामने

दोनों कस के रगड़ घिस कर रहे थे , चार हाथों में मुझे कस के बांध रखा था , हिल भी नहीं सकती थी ,

हिलना चाहता भी कौन था , इतनी देर मैंने इन दोनों की रगड़ाई की अब मिठाई भी तो मिलनी चाहिए बेचारों को , .

कम्मो ने स्टोर का दरवाजा खोला , लेकिन अनुज बाहर निकल पाता उसके पहले दरवाजा बंद

अब इससे ज्यादा क्या इशारा मिलता मुझे , और मुझसे ज्यादा बंटू और मंटू को ,

कम्मो बीच में नहीं आएगी ,

अनुज वहीँ बंद कमरे में अपनी कम्मो भौजी के साथ सफ़ेद रंग वाली होली खेल रहा है ,

और वो दोनों आँगन में नयकी भौजी के साथ , अपनी पिचकारी का रंग पूरा खाली करें

मैं वैसे भी , जब से मैंने तने हुए बारमूडा देखे थे दोनों को चिढ़ा रही थी

अजा असली भाभी के पल्ले पड़े हो , दोनों की पिचकारी , पिचका के रख दूंगी ,.

घर में किसी को आना जाना नहीं थी ,

लेकिन कहते हैं न मारने वाले से ,

वही हुआ ,

कम्मो निकली पीछे से अनुज , बदहवास , परेशान , मंटू से ,

और अनुज के हाथ में फोन ,. ( मंटू और बंटू ने तो होली शुरू होने के पहले ही अपने फोन बंद कर बरामदे में रख दिए थे )

" मंटू तेरे घर से दस बार फोन आ चूका है , तुझे ढूंढ रहे हैं , वो तो तेरी माँ खुद यहाँ आ रही थीं , मैंने मना कर दिया "

पता चला की क्राइसिस ये थी की मंटू की भौजाई बियाने वाली थीं , उन्हें दर्द उठा और हॉस्पिटल ले जाने वाला कोई नहीं था।

बाइक बंटू की थी जिस पर तीनों ट्रिपलिंग कर के आये थे , इसलिए तीनों ,

हाँ जाने के पहले कम्मो ने मेरी और अपनी दोनों की और से बोल दिया ,

" लाला हमार तोहार फगुआ उधार , लेकिन आजाना कल परसों , न मूसल कहीं गया न ओखरी। "

बस वो सफ़ेद रंग की होली नहीं हुयी

सफ़ेद रंग की होली

हुयी जम के हुयी , सफ़ेद रंग की होली।

पहले अनुज के साथ , कम्मो की , .

और मंटू बंटू के साथ भी , .

मेरे जाने के पहले ( अनुज तब तक बनारस चला गया था , इम्तहान देने ) ,

नहीं नहीं सिर्फ कम्मो नहीं , मैं भी होली में साथ थी ,

एक दिन बाद ही अनुज बनारस जाने वाला था , वहां गुड्डो के के घर हमने उसके रहने किया था ( अरे वही गुड्डो , हाईकॉलेज वाली , मेरी शादी में आयी थी और जिस समय अनुज ने उसकी नथ उतारी थी , और उसके बाद बीसों बार ) , मैंने कम्मो को समझाया था ,

" आप बड़ी हो , देवर को आज असली वाली होली , बनारस में जाके हम भौजाइयों की नाक न कटवाए , तलवार तो हम दोनों ने उसकी कितनी बार देखी है , पकड़ी है , आज तलवार बाजी भी , . "

" एकदम , मैं तो खुद आज उसके ऊपर चढ़ के , निचोड़ के रख दूंगी स्साले को , देखूंगी कितना रंग है बहनचोद की पिचकारी में। "
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