Episode 59


कम्मो तो पहले से ही तैयार थी , और अब मैंने भी मन बना लिया था , हमारे गाँव की होली में कोई भौजाई किसी देवर को छोड़ती नहीं थी , . तो मैं ही क्यों इस स्साले चिकने को ,. हाँ बस मैंने तय किया था पहले कम्मो , एक तो वो बड़ी थीं , दूसरी बात मेरी और उसकी दोनों हिचक निकल जायेगी , और असली बात , सेकेण्ड राउंड में पहली बार से डेढ़ गुना टाइम तो लगता ही है और रगड़ाई भी जम के होती है , . तो बस इसलिए ,

लेकिन सफ़ेद रंग वाली होली के पहले असल रंग वाली होली भी तो होनी ,ही थी , और अबकी मैंने और कम्मो दोनों ने एकदम गाँव देहात वाली होली की तैयारी की थी , कड़ाही की कालिख कई दिन की , कीचड़ , ' और भी बहुत कुछ. और हाँ देवरों को पिछवाड़े का मजा कम्मो ऊँगली से ही देती थी , लेकिन मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और ,

कंडोम में गुलाल भर भर के , तीन चार मोटे मोटे , सात आठ इंच के , . .

और सबसे बड़ी बात ये थी की आज मैदान एकदम क्लियर था , सास और जेठानी पड़ोस के गाँव में किसी रिश्तेदारी में गयी थीं ,सुबह सुबह रिश्तेदारी में , इनको भी बाजार में कुछ काम था , तीन चार घंटे के लिए ये भी ग्यारह बजे निकल गए , यानी दोपहर तक दो भौजाइयां और उसी समय आया बेचारा कुंवारा देवर ,

उसके आते ही कम्मो ने उसे घर के अंदर किया और उसे दिखाते हुए , एक बड़ा सा भुन्नासी ताला पांच किलो का, बाहर ंनिकल कर के , बाहर के दरवाजे पर वो बड़ा सा ताला लगाया , और पीछे के दरवाजे से अंदर और वो दरवाजा भी बंद , .

अब कोई मिलने विलने वाला आता भी तो समझ जाता की घर में कोई नहीं है ,

और अनुज भी समझ गया की आज क्या होने वाला है उसके साथ ,

आज सिर्फ भौजाइयां कपडे उतार के नहीं छोड़ देंगी , बल्कि कपडे के अंदर वाले का भी पूरा इम्तहान लेंगी ,

लेकिन पहली बाजी मेरे देवर के हाथ ही रही

हर बार की तरह मैंने सोचा था की उसे डबल भांग वाली गुझिया और ठंडाई खिला के पहले हम दोनों उसे टुन्न कर देंगे फिर तो , . .

लेकिन आज देवर जी तैयारी से आये थे फिर कम्मो भी बाहर ताला बंद करने में लगी थी मैं अकेली ,

बस ठंडाई का ग्लास उसने मेरे हाथ से ले लिया , ' लाइए भाभी मैं पकड़ लेता हूँ '

मैंने भी उसे दे दिया और और जब तक प्लेट से गुझिया उठाती जबरन पूरी की पूरी ठंडाई का ग्लास मेरे होंठों से चिपका के , मुझे पिला के ही वो माना , और साथ में आध नहीं तो तिहाई इस छिना झपटी में मेरी चोली के अंदर , और

और चोली भी मैंने एकदम झीनी सी , कसी कसी ,. बैकलेस , स्ट्रिंग वाली ,

कम्मो की तरह मैंने भी अब देवरों से होली खेलते समय ब्रा पहनना बंद कर दिया था ,

बस वो मेरे उभारों से एकदम चिपक गयी ,

भांग भरी ठंडाई मेरी देह के अंदर , मेरी देह के ऊपर
मेरी चोली के अंदर ,
और भौजाई की भीगी चोली में झलकते जोबन को देखकर जो असर देवरों पर होता है , वही मेरे देवर पर हुआ , खूंटा टनाटन ,

और कनखियों से उस टनटनाये खूंटे को देख कर मैं भी गीली हो गयी ,

बैकलेस चोली

और भौजाई की भीगी चोली में झलकते जोबन को देखकर जो असर देवरों पर होता है , वही मेरे देवर पर हुआ , खूंटा टनाटन ,

और कनखियों से उस टनटनाये खूंटे को देख कर मैं भी गीली हो गयी ,

कम्मो तब तक आ गयी थी , लेकिन वो मेरी बचत को नहीं आयी , लगता है देवर भौजी में पहले ही कुछ 'हिसाब किताब सेट ' हो गया था ,

अनुज ने आँखों ही आँखों में गुहार लगायी और उसकी भौजी ने हाँ भर दी ,

" चल यार स्साले बहनचोद तू भी क्या याद करेगा , दस मिनट तक मैं सिर्फ देखूंगी , लेकिन इसके बदलें में तेरी वो गोरी गोरी कोरी बहिनिया पर , गुड्डी छिनरिया पर मेरे भाई सब चढ़ेंगे ये सोच लेना "

जैसे कुछ वेब साइट पर होता है न , अगर आपने साइट पर क्लिक कर दिया तो ये माना जाएगा की सारी कुकीज , ट्राजन वर्म्स टर्म्स कंडीशन आपको स्वीकार है , एकदम वैसे ही मेरे ऊपर हाथ लगाते ही , मेरी ननद रानी पर कम्मो के भाइयों का नंबर लिख जाता

पर मेरी ऐसी भौजाई सामने हो तो किसे बहन की याद आती है ,

जब तक मैं कुछ सोचूं , उस ने घात लगा दी ,

मैं अपने दोनों गाल हाथों से ढंक कर रंग से बचा रही थी और देवर ने चोली के अंदर घात लगा दी , एक हाथ चोली के अंदर और दूसरा मेरी पीठ पर

बैकलेस चोली की स्ट्रिंग ,

सरसर , सरसर , . सरकती हुयी चोली आंगन में , .

जो डायलॉग हम लोग उससे मारती थीं , " देवर से होली खेलनी है , देवर के कपड़ों से थोड़े ही ' और सब कपडे फाड़ फूड़ के , चीथड़े कर के , चारो और , कुछ आंगन में कुछ छत पर ,

चोली उसने फाड़ी तो नहीं लेकिन , .

कम्मो दूर खड़ी खिलखिला रही थी , सामने घड़ी देख रही थी , ' अभी भी आठ मिनट बचे हैं "

मैं मस्ती के मारे पथरा सी गयी थी , मेरी आँखे बंद हो रही थीं , मेरे जोबन पत्थर के कड़े हो गए थे , निपल दोनों कंचे की तरह बड़े , कड़े

और मेरा जवान होता देवर , किशोर उनसे खेल रहा था ,

उसके उँगलियों की छुअन , मेरी देह की सिहरन , पहले तो थोड़ा झिझकते हुए अनुज ने मेरे मेरे उन्मुक्त खुले उरोजों को छुआ , फिर हलके से सहलाया और फिर तो एक दम कस के दबोच लिया ,

इतना नौसिखिया भी नहीं था , मेरा देवर , गुड्डो और रेनू दो किशोरियों की नथ उतार चुका था ,

पर फागुन में जो रस जवान भाभी के जोबन में है , वो कहीं नहीं और आज दोनों जोबन उसकी मुट्ठी में थे ,

फिर कुछ देर पहले भांग वाली गुझिया खाते हुए मैं और कम्मो जो प्लान बना रहे थे , स्साला चिकना आज पकड़ में आ जाए , तो बिना उसे चोदे छोड़ेंगे नहीं , सीधे से नहीं तो जबरदस्ती .
और अब वही देवर , मेरे जोबन का रस खुल कर ले रहा था , मैं दे रही थी ,

दो मिनट , चार मिनट ,. मैं सिहर रही थी , गीली हो रही थी , चोली मेरी नीचे आँगन में गिरी , ब्रा मैंने पहनी नहीं थी , और साडी भी बस मुड़ी तुड़ी , कमर में लिपटी ,

लेकिन फिर किसी तरह मैं उबरी , तन मन तो बस में होने वाला नहीं था , एक जवान किशोर को देख कर , हाँ दिमाग ने साथ दिया , . मुझे जेठानी ने बतया था और अब मैं भी अच्छी तरह समझ गयी थी , इतनी बार इसके साथ होली खेल कर ,

मेरे देवर की चाभी ,. . गुदगुदी ,.

मेरे देवर के दोनों हाथ तो मेरे दोनों उभारों पर थे , पर मेरे दोनों हाथ तो खाली थे कांख , पेट , जाँघों पर ,

देवर भाभी होली

और अब वही देवर ,

मेरे जोबन का रस खुल कर ले रहा था , मैं दे रही थी ,

दो मिनट , चार मिनट ,. मैं सिहर रही थी , गीली हो रही थी , चोली मेरी नीचे आँगन में गिरी , ब्रा मैंने पहनी नहीं थी , और साडी भी बस मुड़ी तुड़ी , कमर में लिपटी ,

लेकिन फिर किसी तरह मैं उबरी , तन मन तो बस में होने वाला नहीं था , एक जवान किशोर को देख कर , हाँ दिमाग ने साथ दिया , . मुझे जेठानी ने बतया था और अब मैं भी अच्छी तरह समझ गयी थी , इतनी बार इसके साथ होली खेल कर ,

मेरे देवर की चाभी ,. . गुदगुदी ,. मेरे देवर के दोनों हाथ तो मेरे दोनों उभारों पर थे , पर मेरे दोनों हाथ तो खाली थे कांख , पेट , जाँघों पर ,

ही ही ही ही ही , बुरा हाल था उसका , और मौके का फायदा उठाकर पहले तो मैंने उसे टॉपलेस किया , उसकी बनायिन नुमा टी शर्ट खींच कर फाड़ दी , फिर अपनी साड़ी सम्हाली , चोली दुबारा पहनने का न मौका था न टाइम , बस उसी साड़ी से दुबारा खूब टाइट अपने उभारों को बाँध कर साड़ी पेटीकोट में खोंस ली ,

वो बेचारा अभी भी ललचा रहा था , झीनी गीली साडी में जोबन तो खुल कर दिख ही रहे थे , निप्स भी बरछी , कटार की नोक की तरह साफ़ साफ़ ,

मैं शादी से पहले ही अपनी भाभियों की गाँव में होली देख देख कर समझ गयी थी की देवर ननद से होली देह की होती है , रंग तो बहाना है ,

बस , अब मेरा नंबर था , रगड़ने का और उसका गिनगिनाने का ,

मैंने कस के धृतराष्ट्र की तरह पाश में उसे बाँध लिया और बास झीनी सी साड़ी की ओट में छुपे मेरे उभार अब उसके सीने पर मैं रगड़ रही थी , और इरादा बता रही थी आज तेरी रगड़ाई होगी अच्छी तरह से ,

मेरी उँगलियाँ उसकी पीठ पर टहल रही थीं , जैसे सैकड़ों सांप , बिच्छू रेंग रहे हों , उनके काम दंश उसके देह पर चुभ रहे हों ,

मैंने जीभ से उसके कान में सुरसुरी करनी शुरू कर दी , हलके से उसके ईयर लोब्स को काट लिया ,

मारे मस्ती के अब उसके सिसकने की बारी थी उसने अपने दोनों हाथों से मुझे दबोच लिया , अपनी देह से एकदम चिपका लिया ,

जो मेरी दो बरछी कटारियां उसके सीने में चुभ रही थीं

उसका जवाब उसकी जाँघों के बीच का भाला , अब एकदम तन्नाया मेरी जाँघों के बीच में घुसने की कोशिश करने की कर रहा था ,

होली में कौन भौजी होगी जो अपने जवान होते देवर को मना करेगी ,

जवाब में मैंने भी अपनी काम गुफा उसके खड़े गुस्साए भाले पर रगड़नी शुरू कर दी , और उसके कान में फुसफुसाया ,

" स्साले , आज निचोड़ के रख दूंगी , ये पिचकारी , "

उसका एक हाथ अब पेटीकोट के अंदर मेरे बड़े बड़े नितम्बो पर , . वो मुझे अपनी ओर खींच रहा था मेरे दोनों चूतड़ पकड़ के , मैं क्यों छोड़ती उसे , मेरा भी एक हाथ पैंट के अंदर पिछवाड़े , उसके किशोर नितम्बो पर , सीधे दरार पर मैंने ऊँगली लगाई ,

लेकिन मेरा दूसरा हाथ अब पेट से सरक कर आगे , लेकिन बस मैंने अपनी ऊँगली के टिप से उसके बेस पर , बस छू भर दिया ,

अनुज बाबू आज साफ़ सूफ कर के आये थे , इरादा देवर का पूरा था तो भाभियों का कौन कच्चा था ,

खूंटा कब से खड़ा था ,

कम उम्र वाले देवर

खूंटा कब से खड़ा था ,

मैंने बस तर्जनी से बेस से आगे की ओर सहलाना शुरू किया , दो इंच , चार इंच , पांच इंच , और सुपाड़े के बेस पर बस छू भर के हाथ हटा दिया अब सीधे मुट्ठी में ,

नहीं मुठियाना नहीं शुरू किया , बस बेस को पकड़ लिया ,

ये स्साले कम उम्र वाले देवर न , एक तो नौसिखिये ( खैर इस मामले में मेरा देवर पक्का था ) और दूसरा गौने की दुलहन से भी ज्यादा लजाते शरमाते हैं , पर भाभियाँ किस लिए होती हैं यही उनकी लाज शरम लूटने के लिए , और यहाँ तो दो थीं और दोनों का आज इरादा पक्का था , देवर की इज्जत लूटने का ,

दस मिनट कब के हो चुके थे , .

लेकिन तभी कम्मो ने एक बड़ी बाल्टी भर रंग हम दोनों की ओर फेंक दिया ,

कई असर हुए ,

एक तो मेरे देवर ने मुझे आगे कर दिया और मैं लाल भभुका

दूसरे रंग के जोर से एक बार फिर मेरी साड़ी पूरी तरह खुल गयी जो मैंने उभारों पर लपेटा था और मैं एक बार फिर टॉपलेस ,

तीसरे अब कम्मो भौजी भी होली में शामिल हो गयीं तो भौजाई का पलड़ा भारी ,

लेकिन उसके पहले कम्मो ने गाढ़े गाढ़े नीले रंग की के पूरी बाल्टी , और इस बार मुझे अपना रोल मालूम था ,

मैंने देवर की पैंट को पकड़ कर बाहर की ओर खींचा , दोनों अपने पैर फंसा कर , उसके पैर फैला दिए , अब वो हिल भी नहीं सकता था

पूरी बाल्टी की धार उसके खूंटे पर पैंट के अंदर ,

अब पीछे से कम्मो भौजी , आगे से कोमल भाभी , बीच में देवर ,

घर के बाहर से ताला बंद और अगले चार पांच घंटे तक किसी का आना जाना नहीं ,

कम्मो मेरी तरह ' धीमी आंच वाली ' नहीं थी , वो एकदम फ्रण्टल असाल्ट वाली , तो पहले तो पैंट की बेल्ट आँगन में नजर आयी , फिर बटन और बाद में ज़िपर

कम्मो भौजी अपने दोनों हाथों में गाढ़ा काही रंग पोत कर पहले से तैयार थीं , बस सीधे मेरे देवर के गोरे गोरे चिकने चर्म दंड पर , और कस के दबोच के वो मुठिया रही थीं पांच कोट , दस कोट ,

और मैं अपने दोनों हाथों में गाढ़ा लाल रंग , रंग नहीं पेट , वो भी प्रिंट वाला , . जब मेरा नंबर आया तो अनुज जोर से चीखा ,

कम्मो भौजी ने अब पिछवाड़े का मोर्चा सम्हाल लिया था और उनकी एक ऊँगली जड़ तक अंदर , साथ में उसकी चीख का जवाब भी दे दिया उन्होंने

" स्साले , भोंसड़ी के , बहनचोद , तेरी बहन की बुर चोदू , बनारस जा रहे हो ,वहां भौजाइयां , गाँड़ पहले मारेंगी , रंग बाद में खेलेंगी , . इतना कस के तो तेरी बहन गुड्डी भी नहीं चीखेगी , जब मेरे भाई , बनारस वाले सब उसकी फाड़ेंगे ,. "

कम्मो भौजी ने दस कोट काही रंग का लगाया था , तो मैं क्यों पीछे रहती बारह कोट लाल रंग की मैंने उसके मूसल पर लगा दी , ज़म क़र मुठियाया।

उसके बाद कम्मो भौजी ने गाढ़ी कड़ाही के पेंदे की कालिख ,

मैं -देवर दोनों टॉपलेस

कम्मो भौजी ने दस कोट काही रंग का लगाया था , तो मैं क्यों पीछे रहती बारह कोट लाल रंग की मैंने उसके मूसल पर लगा दी , ज़म क़र मुठियाया।

उसके बाद कम्मो भौजी ने गाढ़ी कड़ाही के पेंदे की कालिख ,

मैंने सफ़ेद बार्निश ,

और हाँ ये कहाँ लिखा है की देवरानी जेठानी की होली नहीं होती , मैं और मेरे देवर दोनों टॉपलेस थे , तो कम्मो कैसे बचती तो मैंने ही उसकी चोली खोल के , सीधे आँगन में ,

पर कम्मो भी इतनी सीधी नहीं , उसने मेरी पेटीकोट में फंसी साड़ी को खींच के फेंक दिया , तो मैंने भी

बस अब दोनों भौजाइयां पेटीकोट में रंग से गीले , देह से चिपके , और

देवर सिर्फ पैंट में और उसकी भी सारी बटनें , जिपर खुला , ,. मैंने कुछ बटन तोड़ भी दी ,

आगे से मैं , मेरे रंग में भीजे उरोज देवर की छाती से रगड़ते घिसटते और पीछे से कम्मो भौजी कस के अपने जोबन अनुज के पीठ पर मलती

खूंटा भी हम दोनों ने बाँट लिया था , गन्ना उनके हाथ , रसगुल्ला मेरे हाथ ,

बस सिर्फ ये फैसला करना था की देवर की कौन पहले लेगा ,

मैं कह रही थी की कम्मो भौजी बड़ी हैं पहले वो , और उसके बाद मैं मना नहीं करूंगी ,

लेकिन कम्मो का कहना था मैं नयकी भौजी हूँ , मेरा पहला फागुन है , तो देवर के साथ सफ़ेद रंग वाली होली पहले मुझे खेलनी चाहिए , उसके बाद अनुज ना नुकर भी करेगा तो तो वो बिना उसे चोदे नहीं छोड़ेंगी ,

बीच में अनुज कुछ बोलने की कोशिश करता तो हम दोनों उसे गाली दे दे कर चुप करा देते , तेरी भी ली जायेगी , तेरी बहन की भी ली जायेगी , .

बीच में कई बार फोन की घंटी बजी पर मैं अनसुनी कर रही थी , मेरा ध्यान चिकने देवर पर था ,

फिर लगातार , कम्मो ही बोली ,

अरे ये जाकर देख ले न , कौन स्साला अपनी माँ बहन चुदाने के लिए बौराया है , . और ये कहीं भागा नहीं जा रहा है आज इसी आंगन में इसकी ली जायेगी ,

मैंने बरामदे में जाकर फोन उठाया ,

कम्मो की पाठशाला

कम्मो ने समझाया ,

अरे यार बनारस में रंग पंचमी होती है , होली के बाद भी पांच दिन तक होली , तो तुम्हारे एग्जाम के बाद भी तीन दिन तक तो होली रहेगी , लेकिन समझ लो , क्या करना है , गुड्डो की तूने ले ही ली है , अब गुड्डो की माँ उसकी सहेलियां , बनारस का रस सबको नहीं मिलता , और हम लोगों की नाक मत कटवाना , कोई बचनी नहीं चाहिए , उमर वुमार रिश्ता विस्ता मत देखना , बस सीधे , .

और शुरू हो गयी कम्मो की पाठशाला ,

" देख, बनारस तो बना रस , बस पीने वाला चाहिए , तो वहां गुड्डो से तो कबड्डी खेलोगे ही , इतने दिनों का नागा, उसकी बिल में खुदै मोटे मोटे चींटे काट रहे होंगे ,. "

कम्मो भौजी ने पहला पाठ शुरू किया और अनुज ने भी अच्छे विद्यार्थी की तरह पढ़ा हुए पाठ के बारे में बताना शुरू कर दिया ,

" सही कह रही हो भौजी ,उसको तो छोडूंगा नहीं , रोज आठ दस फोन आते हैं ,

जिस दिन से नयकी भाभी ने उसके साथ मेरा टांका भिड़वाया था , और वो तो नयकी भाभी थीं , वरना तो मैं उसके आगे पीछे चक्कर काटता रहता , लार टपकाता रहता , लेकिन उसके बाद से कोई दिन नागा नहीं गया जब उस स्साली की शलवार का नाड़ा न खुला हो , बाद में तो वो खुदै मौका ढूंढती रहती थी , . "

लेकिन कम्मो भौजी कुछ और कहना चाहती थीं , उसकी बात बीच में काटती बोलीं ,

" अरे यार देवर जी , भौजी का काम ही यही है , देवर की सेटिंग कराना , इसीलिए तो तुझे समझा रही हूँ , . देख गुड्डो की कोई छोटी बहन तो है नहीं , घर की अकेली , पिता जी भी उसके बाहर रहते हैं , बस वो और उसकी मम्मी ,. तो गुड्डो के साथ उसकी सहेलियां , उसकी कोई रिश्तेदार , समौरिया , उनको तो वो चखवायेगी ही , थोड़ा सा जोर लगा दोगे , लेकिन जानते हो तेरा असली निशाना किस पर होना चाहिए ,?

देवर के गोरे गोरे गाल मीजते भौजाई ने पूछा।

बेचारा देवर नौसिखिया क्या बोलता , जवाब कम्मो भौजी ने ही दिया ,

" गुड्डो की मम्मी "

अनुज के बोल नहीं फूटे , देखा तो उसने भी था , माल तो मस्त थीं , लम्बी बहुत नहीं , लेकिन ५-५ तो होंगी ही , गोरी चम्पई , मांसल लेकिन मोटी एकदम नहीं , बड़ी बड़ी आँखे , गुड्डो उन्ही पर गयी थी , लेकिन जो चीज उन्हें अलग करती थी , उनके मस्त गदराये जोबन , डबल डी , ३६ और

उनकी पतली कमर पर वो और बड़े बड़े दीखते थे , एकदम कड़े कड़े , उमर भी ज्यादा नहीं थी , गुड्डो की बड़ी बहिन ही लगती थीं , शादी के ८-९ महीने के अंदर ही गुड्डो को उन्होंने उगल दिया था , ननदें चिढ़ाती थीं , दहेज़ में आयी है , अपने मामा की है , . और उस समय शादी भी तो कम उमर में ,

३४ -३५ के आसपास , थोड़ा ऊपर , या कम , . लेकिन उनके जोबन को जो मात करती थी वो उनकी जुबान , अगर कोई देवर ननदोई पकड़ में आ जाए , ननदें भी उनसे हार मानती थीं , एक से एक गालियां , खुले मजाक , जबरदस्त सेक्सी लुक भी अंदाज भी , और पति भी दो तीन साल में आते थे वो भी आठ दस दिन के लिए तो एकदम गरम तवे की तरह ,

अनुज का मुंह खुला रह गया , ये उसने सोचा भी नहीं था , .

" क्यों लेने लायक नहीं है क्या ,. " कम्मो ने चिढ़ाते हुए पूछा

गुड्डो की मम्मी

" क्यों लेने लायक नहीं है क्या ,. " कम्मो ने चिढ़ाते हुए पूछा ,

कुछ देर के बाद अनुज का मुंह खुला ,

" नहीं ये बात नहीं , असल में मैं गुड्डो के साथ और वो उसकी मम्मी ,. . " हिचकते हुए उसके बोल फूटे।

" तो क्या हुआ , अरे वो खाई देख लेना जहाँ से तेरी माल निकली है , . अरे स्साले गांडू लोग सगी सास नहीं छोड़ते , सगी बहन नहीं छोड़ते और तू , किस जमाने में है , अब तू ये पूछेगा की वो पटेंगी कैसे तो मैं सिखाती हूँ , तीन स्टेप ,. "

अब अनुज अच्छे विद्यार्थी की तरह सुन रहा था ,

" पहली बात तो तेरे जैसे चिकने लौंडे के लिए बड़ी उम्र की औरतें छनछनाई रहती हैं और तेरा औजार भी मस्त है , और तेरी गुड्डो की मम्मी कुछ जयादा ही गरम हैं , दो तीन साल में एक बार तो उसके पापा आते हैं तो कोई भी ,. तुझे मालूम है डबल मीनिंग डायलॉग , चिढ़ाने में ,. "

अबकी अनुज ने बात काटी ,

"एकदम सही कह रही हैं , एक दो बार मैं मिल चुका हूँ , इतना चिढ़ाती हैं , उनक बस चले तो दो साल पहले आयी थीं मैं टेंथ में था , बड़ी भाभी से मुझे देख के पूछ रही थीं ,

" हे बिन्नो ये तेरा देवर है की ननद , एक बार खोल के चेक किया की नहीं , . . अंदर लटकन राम हैं की गुलाबो , इसको फ्राक पहना के दकह बहुत मस्त माल लगेगी ये ,. "

और इसी लिए मैं वहां नहीं रुक रहा था , लेकिन नयकी भाभी एकदम पीछे पड़ गयीं और उन्होंने बोला की एक्जाम तक कमरा बाद रहेगा तुम्हारा बस और तेरी भाभी की भाभी हैं , तो डबल देवर तो थोड़ा बहुत लेकिन तेरी पढ़ाई में कोई डिस्टर्ब नहीं होगा , हाँ उसके बाद रुक जाना दो चार दिन फिर गुड्डी भी तो है,

" वही बोल रही थी मैं ,. "

कम्मो ने पाठ जारी रखा ,

" अरे ये नयी उमर की नयी फसल का लजाना शरमाना , बस मन करता है पटक कर रेप कर दें , तो तुझे चिढ़ाएँगीं , छेड़ेंगी , . और कमरा बंद करोगे तो बीच बीच में खाना पानी , . आखिर एकदम तो नहीं , . तो जब छेड़ें तो लजाना , और वो तुम अविसे ही छुई मुई हो लौंडिया मात , . मैं जानती नहीं क्या , . लेकिन कुछ कुछ बात का जवाब देना उनका शुरू करना , कुछ बोल के , कुछ देख के खास तौर से उनके जोबन को , और कुछ दिखा के ,. "

" दिखा के मतलब "

अनुज को तो एक एक चीज समझानी पड़ती थी पर कम्मो भाभी उसकी असली भाभी थीं , उन्होंने ट्रिक बतायी

देख तुम इम्तहान तक तो दो चार दिन कमरे में ही रहोगे , बस ,एक काम करना बजाय पैंट पाजामे के शार्ट पहनना , कोई पतली सी और उसके अंदर कुछ नहीं , बस आते जाते उन्हें खूंटे की झलक मिल जायेगी , फागुन है देवर है , खूंटा है , हाँ खड़ा हो तो छिपाने की कोशिश जरूर करना जैसे लड़कियां लड़कों को देखकर दुपट्टा एडजस्ट करती हैं , कोई न देखने वाला हो तो भी जोबन देख ले , . बस उसी तरह और हिम्मत कर के एक दो मजाक का हलका फुल्का जवाब भी दे देना , तो ये रहा पहला स्टेप "

" देख स्साले ,चिकने , तेरी बहन की चूत मारुं , बोल , लौंडे भी तो देखते हैं सबसे पहले ये लौंडिया पटेगी की नहीं , और अगर पटेगी तो देगी की नहीं, उसी पर चारा डालते हैं , "

एक बार फिर कम्मो ने अनुज को धकेलते हुए फर्श पर गिरा दिया।

" एकदम भौजी , अब यही गुड्डो , . मुझे लग रहा था की स्साली पट तो जायेगी , लेकिन देगी की नहीं पता नहीं , पर नयकी भौजी , उन्होंने साफ़ साफ़ बोला , अरे पटेगी तो देगी भी , वरना पटाने का क्या फायदा , और किस की हिम्मत है मेरे देवर को मना करे , बस थोड़ी सी हिम्मत मैंने की , थोड़ा सा नयकी भौजी ने मंतर फूका और बस २४ घंटे के अंदर बज गया उसका बाजा ,और उसके बाद तो रोज फिर भाभी ने कुछ जुगत लगा के , सब लोग चले गए उसके बाद भी हफ्ते दस दिन , और रोज बिना नागा कबड्डी ,. आप ने एकदम सही कहा , लड़के उसी के पीछे पड़ते हैं जिसके नाड़ा खुलने की कुछ उम्मीद होती है ,"

अनुज ने कम्मो भौजी की बात को सपोर्ट किया।

" बस यही बात तो गुड्डो की मम्मी को लगना चाहिए पहले दिन से ही की ये स्साला चिकना न सिर्फ पटेगा बल्कि देगा भी और खूंटा भी इसका जबरदस्त है , इसलिए कह रही हूँ , अपना शार्ट ही पहनना और आते जाते उन्हें खूंटे की झलक दिखा देना , पहले दिन से ही , और जब मजाक करेंगी , तो लजाना , झिझकना , लेकिन ललचाते हुए उनके उभार चोरी छुपे जरूर देखना , वो तुझे छुएं तो तू ,भी हाथ हटाने के बहाने , . . और कभी कभी मज़ाक का जवाब भी दे देना , असली चीज़ छूना है , और वही है दूसरा स्टेप , . यही तुझे समझाना है , तलवार तो तेरी जबरदस्त है , तलवार बाजी भी थोड़ी बहुत आती है , लेकिन असली दांव पेंच , छूने में है , मर्द के पास सिर्फ लंड नहीं होता लड़कियों को पागल करने के लिए , उनकी उँगलियाँ , होंठ , आँखे ,. चलो तुझे सब आज सीखा देती हूँ लेकिन गुरु दक्षिणा भी लुंगी अभी से बता दे रही हूँ ,. :

कम्मो ने बात आगे बढ़ाई।

" एकदम भाभी , गुरु दक्षिणा के लिए तो अभी से मेरी हाँ , लेकिन क्या लेंगी गुरु दक्षिणा में " अनुज ने लिबराते हुए पूछा।

" गुरु दक्षिणा नहीं बुर दक्षिणा , तेरी बहन की , गुड्डी की कच्ची कोरी बुर , लेकिन तू अभी ध्यान से सुन "

गुरु दक्षिणा

" एकदम भाभी , गुरु दक्षिणा के लिए तो अभी से मेरी हाँ , लेकिन क्या लेंगी गुरु दक्षिणा में " अनुज ने लिबराते हुए पूछा।

" गुरु दक्षिणा नहीं बुर दक्षिणा , तेरी बहन की , गुड्डी की कच्ची कोरी बुर , लेकिन तू अभी ध्यान से सुन "

और कम्मो भौजी ने उसे स्त्री के ३६ अंग जहाँ छूने से उसकी कामोत्तेजना बढ़ती है , होंठ उरोज या योनि नहीं , ये तो सब जानते हैं और ये सम्भोग के समय , लेकिन उसके पहले , उन्होंने अनुज की ऊँगली रख कर , लड़की के गले के साइड का हिस्सा , कंधे , पीठ के बीच की नाली , काँखे ,

और जब ज़रा पट जाए तो जाँघों का निचला हिस्सा , एक एक कर के सारे भाग , फिर ये भी की लड़कियों को पटाने के लिए क्या होगा और खेली खायी औरतों के लिए फिर खास तैर से गुड्डो की मम्मी के लिए , फिर ऊँगली में भी कब ऊँगली से सिर्फ हलके से छू कर के हटा लेना है , कब ,

जैसे एकांत हो तो कभी मलाई या कुछ भी होंठ पर से हटाने के बहाने , ऊँगली से होंठ धीरे धीरे रगड़ो

और वो आँखे बंद कर ले , सिसके , बदन पर सिहरन हो समझ ले न वो सिर्फ पट गयी है बल्कि दे भी देगी , .

लेकिन इस पढ़ाई के दौरान ही देवर का खूंटा खूब खड़ा हो गया , और फागुन में कौन भौजी मना कराती ,

लेकिन अनुज ने जब ठेलने की कोशिश की कम्मो ने रोक दिया ,

" न न। इतनी जल्दी नहीं , . मान लो मैं गुड्डो की मम्मी हूँ , तो पहले देर तक जांघ सहलाओ , वो खुद जाँघे खोल देगी , फिर खूंटे को खाली उसके निचले होंठों पर रगड़ो , हलके हलके छुला कर हटा दो , फिर रगड़ो , जब वो एकदम मस्ता जाए , तुझे पकड़ के अपनी ओर खींचो , . . हाँ चल कर ,. . "

और अनुज ने थ्योरी से प्रैक्टिकल किया , हालत तो उसकी भी खराब हो रही थी , पर भौजी की बात मानना भी जरूरी था ,

" हाँ बस , एक बार जैसे गलती से लग गया , क्लिट से हलके से छुला के हटा लो , . अरे यहाँ नहीं यहाँ ,. "

कम्मो भौजी ने अपने देवर के खूंटे को अपने हाथ से पकड़ा कर अपनी क्लिट पर लगा कर देवर को समझाया।

" हाँ अब पेलो , लेकिन बस सुपाड़ा , और एक धक्के में नहीं रगड़ते , दरेरते , यहीं सब नर्व्स होती हैं , थोड़ा सा दरेरो , रगडोगे , ख़ास तौर से गुड्डो की मम्मी को न तो मजे से पागल हो जायेगी , नयी उम्र की लड़कियां तो थोड़ी घबड़ायी रहती हैं पर वो , उनका मरद तो दो तीन साल में आता है , खुदै छुंछियाई होंगी ,

हाँ अब इसके बाद होंठ , पहले पलक पर फिर गाल पर , होंठ पर और साथ साथ दोनों जोबन बस हलके हलके सहलाओ , कभी निप्स फ्लिक कर दो ,

और जब वो खुद चूतड़ उचकाने लगे , तो थोड़ा सा और ठेल दो , लेकिन उसी तरह से रगड़ते घिसटते , . हाँ पूरा अभी नहीं ,. और अब होंठ से एक निप्स और दूसरा हाथ से , अब जोबन मसलना शुरू कर ,

हाँ ऐसे ही , और अब बाकी का ,. हाँ धीमे धीमे , . "

कम्मो भौजी देवर को सिखा भी रही थीं , गाइड भी कर रही थीं और मजे भी ले रही थीं , नए जवान होते लौंडे का।

फिर दसो तरीके धक्के मारने के , शुरू में हलके से ठेलते , पेलते , दरेरते ,. और जब एक बार पूरा घुस जाए , तो थोड़ी देर ऐसे ही छोड़ दो , बुर को उसकी लमबी मोटाई का अहसास होने दे , उसके बाद आधा निकाल के आठ दस धक्के , धीमे धीमे ,

साथ में जोबन की मसलाई , चुम्मा , चूँची चूसो , फिर सब काम रोक कर , आलमोस्ट पूरा निकाल के , कमर पकड़ के जोरदार धक्का सीधे बच्चेदानी पर सुपाड़े की थाप लगनी चाहिए , और ऐसे पांच सात धक्के , एक के बाद एक ,

फिर रुक के लंड के बेस से ही क्लिट की रगड़ाई कर , दो चार मिनट तक , फिर वही जोरदार धक्के शर्तिया झड़ जायेगी , फिर चाहो तो आसान बदल के या वैसे ही घीमे धक्के , पहली बार में ऊपर चढ़ के ही ठीक रहता है , बाकी सब तरीके बाद में , .

अब अनुज कम्मो भौजी की बताये तरीके कम्मो भौजी पर ही अपना रहा था , चुदाई पूरी तेजी में चल रही थी , नीचे से कम्मो भाभी भी जोर जोर से चूतड़ के धक्के मारती , उसकी बहन गुड्डी का नाम ले के गरियाती ,

" चोद स्साले , चोद गुड्डी के भंडुए , तेरी बहन को खूब चुदवाउंगी , पक्की चुदवासी , चुदक्कड़ बन जायेगी जब तक तू बनारस से लौटेगा , चोद स्साले देखतीं हूँ कितनी ताकत है ,. "

गाली सुन के अनुज दूने जोश से , दस पन्दरह मिनट तक लगातार बिना रुके , और वो और कम्मो भाभी साथ साथ झड़े "

कटोरी भर सफ़ेद मलाई , गाढ़ी थक्केदार ,

और जब अनुज उठ के उन के बगल में बैठा , तो कम्मो ने अपनी जाँघों के बीच बह रहे सफ़ेद रंग को ऊँगली में लपेट कर , अनुज के होंठ पर ,

" चाट ले स्साले तेरा माल है , . . "

और बात उन्होंने आगे बात बढ़ाई , तो ये रहा दूसरा स्टेप ,

पहली चुदाई में ही लड़की हो या औरत , पागल बना दे , तेरी गुलाम हो जाए , और हां कभी एक बार चोद कर मत छोड़ना , चाहे लड़की हो या औरत , उसके मन में कई बार ये अहसास हो जाता है , की गलत हुआ , आगे से नहीं करवाउंगी , और अगर कुछ देर रुक के उसे दुबारा चोद देगा न तो बस वो अहसास कभी नहीं होगा , उसके मन में खाली मजे का अहसास बचेगा , और हाँ लड़की हो या औरत पहले उसे झड़ना चाहिए , खास तौर से गुड्डो की मम्मी को , एक दो बार कम से कम उसे झाड़ के झड़ोगे न तो एकदम दीवानी हो जायेगी , खुद तो देगी ही औरों की दिलवाएगी , लेकिन रुक यार , कुछ खाने को लाती हूँ , दो बार तेरी टंकी खाली हो गयी ,

कम्मो भौजी स्टोर से थाली भर कर गुझिया , नमकीन समोसे , और दो बड़े ग्लासों में ठंडाई भर के लायीं और उन की ज्ञान गंगा चालू हो गयी

कम्मो की पढाई

तो ये रहा दूसरा स्टेप ,

पहली चुदाई में ही लड़की हो या औरत , पागल बना दे , तेरी गुलाम हो जाए ,

और हां कभी एक बार चोद कर मत छोड़ना , चाहे लड़की हो या औरत , उसके मन में कई बार ये अहसास हो जाता है , की गलत हुआ , आगे से नहीं करवाउंगी , और अगर कुछ देर रुक के उसे दुबारा चोद देगा न तो बस वो अहसास कभी नहीं होगा , उसके मन में खाली मजे का अहसास बचेगा , और हाँ लड़की हो या औरत पहले उसे झड़ना चाहिए ,

खास तौर से गुड्डो की मम्मी को ,

एक दो बार कम से कम उसे झाड़ के झड़ोगे न तो एकदम दीवानी हो जायेगी , खुद तो देगी ही औरों की दिलवाएगी , लेकिन रुक यार , कुछ खाने को लाती हूँ , दो बार तेरी टंकी खाली हो गयी ,

कम्मो भौजी स्टोर से थाली भर कर गुझिया , नमकीन समोसे , और दो बड़े ग्लासों में ठंडाई भर के लायीं और उन की ज्ञान गंगा चालू हो गयी

" देख दो बातें , एक तो गुड्डो के पहले गुड्डो की मम्मी को चोदना , दूसरे पहला मौका पाते ही , वो भी पूरी रात। "

अनुज ने कुछ बोला नहीं , लेकिन उसकी आँखे पूछ रही थीं , " कैसे "

और कम्मो के पास जवाब मौजूद था , जवाब के रूप में सवाल , भांग वाली गुझिया देवर के मुंह में ठेलती , भौजी ने सवाल दाग दिया ,

" गुड्डो तेरी सब बात मानती है न "

किसी तरह गुझिया ख़तम करते , अनुज ने जवाब दिया ,

" एकदम , दिन में पांच छः बार फोन आता है , और जब से पता चला है की मैं बनारस आ रहा हूँ बस पूछो मत , मेरे लिए तो कुछ भी ,. "

" तो बस बनारस जाने से पहले ही उससे सेटिंग कर ले , बस ये बोलना है की इम्तहान में तो तुझे रात रात भर जग के , इसलिए जिस दिन इम्तहान ख़तम होगा , उस दिन रात भर तुझे सोना होगा , और वो घर में होगी तो तेरा मन तो कुछ और ही करने का होगा , और उसके बाद तो चार पांच दिन वहां रही होगी , दिन रात चक्की चलेगी ,. .

इसलिए जिस दिन इम्तहान ख़तम होगा उस दिन वो कुछ बहाना कर के , किसी फ्रेंड्स की बर्थडे या कुछ और ,. शाम को ही चली जाए , रात में वहीँ रुकने का बहाना कर के , बस अगले दिन सुबह के बाद ही आये ,. "

कम्मो भौजी ने पूरी ट्रिक समझा दी।

अब अनुज से नहीं रहा गया , उसने और गुड्डो ने बहुत प्लान बनाये होंगे उस रात के लिए , . वो बोल पड़ा ,

" लेकिन भौजी ऐसे क्यों , उसे क्यों रात भर के लिए ,. . मान तो वो जायेगी , बहाना बना भी लेगी , पर ,. क्यों ,. "

अनुज को बात समझ में भी नहीं आयी और अच्छी भी नहीं लगी ,

" बुद्धू है तू , गुड्डो को तो तू चाहे जब भी , . अरे उस के घर में कौन कौन है , गुड्डो और उस की मम्मी , बस न ,

तो गुड्डो चली जायेगी तो रात को कौन बचेगा , गुड्डो की मम्मी , बस पकड़ के चाप देना ,

शाम से ही उनके आगे पीछे टहलना , और गुड्डो होगी तो उन की भी हिम्मत नहीं पड़ेगी ,. फिर अगर उन्हें पहले से मालूम होगा की गुड्डो उस दिन नहीं होगी रात के लिए तो उनके मन में अपने आप ,. इसलिए उस दिन छोड़ना मत उनको , कम से कम तीन बार , ये जो सिखाया है तुझे सब का इम्तहान असली वहीँ होगा , और एक बार अगर तूने ढंग से चोद दिया उनको , . तो फिर तो तेरी , . अब समझ में आया , तो ये हुआ दूसरा स्टेप ,

लेकिन तीसरे के पहले तेरा इम्तहान लेना पडेगा ,

अगर उसमें पास हो गया तो , पर पहले ये ठंडाई का ग्लास ख़तम कर ,

और समझ ले की मैं गुड्डो की मम्मी हूँ , अगर कम से कम दो बार मुझे झाड़ दिया न तो फिर बताउंगी तीसरा स्टेप। "

और उसके बाद तो कम्मो भौजी पूरे रोल प्ले में आ गयीं , गुड्डो की मम्मी के , देह काठी भी वैसे ही थी , खुल के मजाक करने की आदत भी ,. बस लग गयी वो अनुज की खिंचाई करने में ,

" इतना शर्माते हो , हमको तो शक है की देवर हो की ननद , खोल के देखना पडेगा "

( आधे टाइम वो यानी गुड्डो की मम्मी जब पिछली बार अनुज से मिली थीं तो उसके शर्माने के कारण उसे ननद रानी ही कहती थीं )

" हे पूरा गिलास दूध पी लो , मेरी ननद दूध नहीं पीयेगी तो दूध देने लायक कैसे बनेगी , . "

" तेरा ये इम्तहान ख़तम हो जाए न तो असली इम्तहान मैं लूंगी , "

और अनुज भी रोल प्ले में शामिल , वैसे ही जवाब दे रहा था ,

" हाँ लेकिन अगर आपके इम्तहान में पास हो गया तो इनाम में क्या मिलेगा , फिर कंजूसी मत करियेगा , पीछे मत हटियेगा "

और पूरे समय उनके उभारों की ओर ललचाते हुए देखता ,और गुड्डो की मम्मी बनी , कम्मो भी उसी तरह जवाब देतीं ,

" पीछे हटनी वाली कोई और होंगी , मैं बनारस वाली हूँ , मैं तो ,. तेरी ही हिम्मत नहीं पड़ती ,. लेकिन अबकी तेर रेप होगा "

और उसके बाद छूना , सहलाना , दबाना , मसलना , जैसे जैसे कम्मो भौजी ने सिखाया था , अपने देवर को

थोड़ी ही देर में देवर ऊपर भौजी नीचे , लेकिन पहले ऊँगली , फिर होंठ और जो बातें कम्मो ने नहीं बतायीं थी वो भी

देवर का इम्तहान

अनुज भी रोल प्ले में शामिल , वैसे ही जवाब दे रहा था , " हाँ लेकिन अगर आपके इम्तहान में पास हो गया तो इनाम में क्या मिलेगा , फिर कंजूसी मत करियेगा , पीछे मत हटियेगा "

और पूरे समय उनके उभारों की ओर ललचाते हुए देखता ,और गुड्डो की मम्मी बनी , कम्मो भी उसी तरह जवाब देतीं ,

" पीछे हटनी वाली कोई और होंगी , मैं बनारस वाली हूँ , मैं तो ,. तेरी ही हिम्मत नहीं पड़ती ,. लेकिन अबकी तेर रेप होगा "

और उसके बाद छूना , सहलाना , दबाना , मसलना , जैसे जैसे कम्मो भौजी ने सिखाया था , अपने देवर को

थोड़ी ही देर में देवर ऊपर भौजी नीचे , लेकिन पहले ऊँगली , फिर होंठ और जो बातें कम्मो ने नहीं बतायीं थी वो भी ,

जबरदस्त चूत चटाई ,

जीभ बुर में डाल कर ,

साथ में दोनों हाथ उभार पर ,

कम्मो मचल रही थी तड़प रही थी ,

जीभ दोनों फांकों के बीच , और बीच बीच में क्लिट पर भी , बस सहला सी देती लेकिन जब अनुज ने होंठों के बोच क्लिट को लेकर चूसना शुरू किया , तो बस लग रहा था कम्मो भौजी अब गयीं तब गयीं ,

और दोनों जाँघे फैलाकर पहला शॉट ही अनुज ने इतजा जबरदस्त मारा की कम्मो की देह की चूल हिल गयी , दो चार धक्के के बाद कम्मो ने झड़ना शुरू कर दिया , पर अनुज रुका नहीं , धक्के पर धक्के

और जब रुका भी तो जैसे कम्मो ने सिखाया था लंड के बेस से क्लिट को रगड़ना शुरू कर दिया साथ में कस कस के दोनों जोबन रगड़ मसला रहा था , चूँची चूस रहा था , काट रहा था ,

और अब नीचे से कम्मो भौजी भी धक्के का जवाब धक्के से , दोनों हाथों से उन्होंने अनुज को बाँध लिया था , नाख़ून से नोंच रही थी और गालियों की बहार

" स्साले गुड्डी के भंडुए , जैसे तू मुझे चोद रहा है न , वैसे ही चुदवाूँगी तेरी कोरी बहिनिया को अपने भाइयों से , एक बार में तीन तीन चढ़वाऊंगी , . ओह्ह चोद साले चोद , रुक क्यों गए , तेरी बहन की चूत नहीं है , जो , . तेरी भौजी की ,. हाँ हाँ ऐसे ही और जोर से आज स्साले निचोड़ लुंगी तेरा , ओह्ह जो इनाम मांगेगा तेरा , . "

और अनुज ने फिर से धक्के चालू कर दिए लेकिन मध्यम ताल में , साथ में उसकी उँगलियाँ होंठ , अबकी उसे जल्दी नहीं थी , कम्मो एक बार झड़ गयी थी ,

लेकिन कुछ देर बाद उसने कम्मो को दुहरा कर दिया , . कम्मो की सिखाई एक एक बात ,. . अब धक्के फिर पूरी तेजी पर थे ,

कम्मो दो बार झड़ी ,

तीसरी बार वो झड़ी , तो अनुज उसके अंदर ,. पूरे २०-२५ मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद , दोनों थेथर हो चुके थे ,

कुछ देर बाद जब उसने अपना खूंटा निकाला , तो भरभरा कर सफ़ेद मलाई , भौजी की बुर से ,.

कम्मो ने उसे फिर भींच लिया और बोलीं , इम्तहान पास , गुड्डो की मम्मी तो तेरी गुलाम हो जाएंगी ,

लेकिन , भौजी आपने बोला था तीसरा स्टेप , अनुज कोई बात जल्दी नहीं भूलता था ,

कम्मो ने कस के उसके गाल मींड़ दिए और बोली ,

असली चीज़ तो वही है , हरदम का इंतजाम ,.

माँ बेटी को एकसाथ चोद देना , एक बिस्तर पर अगल बगल लिटाकर ,

अनुज हक्का बक्का , मुश्किल से बोल फूटे , . लेकिन कैसे वो मानेगीं ,.

कम्मो खिलखिलाती रही , फिर उसे चूमकर बोली ,

" साले , देवर भी नन्दोई भी , ये सोच तेरा फायदा कितना होगा , . उस घर में सिर्फ माँ बेटी हैं , तो कब तक माँ से छुप कर बेटी पर चढ़ाई करेगा और बेटी से छुपा के माँ को पेलेगा , अगर मान ले ये हो गया , फिर तो जब चाहो जिस के साथ। और फिर गुड्डो की मम्मी की सहेलियां होंगी , उन की बेटियां , गुड्डी की सहेलियां , . और जा भी कितने सही मौके पर रहा है , बनारस में होली से ज्यादा रंग पंचमी का हंगामा , फिर रिश्ता ऐसे , तेरा भैया की ससुराल , तेरी ससुराल , कोई सलहज कोई साली , फिर गुड्डो का अलग रिश्ता , तेरे पास तलवार भी जबरदस्त है और तलवार बाजी भी सीख गया है , . "

अनुज कुछ देर तक सोचता रहा , फिर बड़ी जोर से मुस्कराया ,

" भौजी बात तो आपकी एकदम सही है , फिर अब तो कहीं मेरा सेलेक्शन हो गया तो फिर तो बनारस ,. लेकिन होगा कैसे। "

माँ - बेटी की

साथ साथ

कम्मो ने कस के उसके गाल मींड़ दिए और बोली ,

असली चीज़ तो वही है , हरदम का इंतजाम ,. माँ बेटी को एकसाथ चोद देना , एक बिस्तर पर अगल बगल लिटाकर ,

अनुज हक्का बक्का , मुश्किल से बोल फूटे , . लेकिन कैसे वो मानेगीं ,.

कम्मो खिलखिलाती रही , फिर उसे चूमकर बोली ,

" साले , देवर भी नन्दोई भी , ये सोच तेरा फायदा कितना होगा , .

उस घर में सिर्फ माँ बेटी हैं , तो कब तक माँ से छुप कर बेटी पर चढ़ाई करेगा और बेटी से छुपा के माँ को पेलेगा , अगर मान ले ये हो गया , फिर तो जब चाहो जिस के साथ।

सोच साले , तेरी बहन की चूत मेरे सारे भाई मारे कित्ता मजा आएगा न भोंसडे और कसी चूत का रस एक साथ , तू माँ की चूत चूसेगा , बेटी तेरा चूसेगी , और सबसे बड़ा मजा तो तब आएगा जब चुदाई के बाद , दोनों मिल के साथ साथ चाट के चूस के तेरा खड़ा करेंगी ,
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