Episode 61
अब वो तो हाँ कर नहीं सकते थे अपनी बहन के ऊपर चढ़ने के लिए और ना मैं सुन नहीं सकती थी , आखिर ससुराल में मेरी बहनों के ऊपर तो मायके में अपनी ऊपर क्यों नहीं , बहन बहन में भेद करना अच्छी बात थोड़े ही है।
" अच्छा चल अभी छोड़ यार , मैं बात क्या कर रहा था तू न ,. "
" अरे अभी आधी रात को थोड़ी कह रही हूँ , हाँ बस मेरे मायके जाने के पहले , अपनी मायके वाली की ज़रा एक बार तसल्ली बख्श ढंग से ले लेना , दिलवाने की जिम्मेदारी मेरी फाड़ने की तेरी ,. " मैं भी मान गयी , और उन्होंने जो जो बातें की मैं बस कान खोले , .
एकदम कोई सोच भी नहीं सकता था , और इसी काम पर वो वर्क कर रहे थे , इसी लिए मैं भी और बन्दे की बात में दम था , लेकिन जो उनका तरीका था , उन्होंने फिर एक सवाल दाग दिया ,
अच्छा बता , आधार से भी यूनिक क्या हो सकता है ,
मैं सोच में पड़ गयी , फिंगर प्रिंट्स आँख की पुतली , वो सब तो आधार में हैं , फिर क्या हो सकता है , मैं सोचती रही , सोचती रही , लेकिन मैं घटिया मर्डर मिस्ट्री बहुत पढ़ती थी , इसलिए मेरे मुंह से निकल गया ,
" डी एन ए "
" डी एन ए "
" डी एन ए "
" एकदम सही ,'' और अपनी आदत के हिसाब से उन्होंने मुझसे हाथ मिला लिया , और फिर पूरी बात बतायी , जो वो सोच रहे थे उनकी टीम के लोग ,. एक कामन आईडेंटीफायर
" टैटू , तुझे अच्छा लगता है न ,. "
मैं कुछ बोलती उन्होंने सारी बात एक झटके में समझा दी ,
टैटू नहीं . . माइक्रो डॉट . कलाई पर या कहीं भी बस आलपिन के बराबर ,. हर कार्ड में क्या होता है , वो समझाते गए मैं सुनती गयी
डाटा स्टोरेज , आधार कार्ड , एटीम कार्ड , कोई भी , फिर कम्युनिकेशन डिवाइस से इंटरैक्शन , बैंक से चेक करना खाते में पैसा है की नहीं , कितना निकाला गया , और मोबाइल से, . तो बस ये सारी बातें उस टैटू में , सबसे बड़ी बात, बॉडी पर होने से डी एन ए से वो कनेक्ट होगा ,
फिर उन्होंने क्या होने वाला है ये भी समझा दिया ,
मान लो तुम दूकान में गयी , घुसते ही दूकान की डिवाइस ने उस टैटू से कॉनटेक्ट कर के तेरी आईडी रिकार्ड कर ली , और दूकान की सारी डिवाइसेज में , बस जैसे ही आपने कोई सामान शेल्फ से निकाल कर अपनी ट्राली में रखा , जैसे होटल के मिनी बार में रिकार्ड होता है , वो रिकार्ड हो गया ,
बस निकलने के पहले एक कम्यनिकेटर , एक छोटी सी डिवाइस जो घडी की तरह रिस्ट वाच में या अलग से पर्स में , बस वहां मेसेज आ जाएगा , आपने इतना सामान ले लिया है इतना बिल फिर आपको एक बटन दबाना होगा या ३० सेकेण्ड के इंटरवल के बाद अपने आप आप के बैंक से वो पैसा कर के मेसेज आ जाएगा , . आखिर आज भी ऑनलाइन शॉपिंग में बैंक का सारा डाटा आपके कंप्यूटर में अपने आप आ जाता है , और वो कंफरममेशन लेगा , तो माल में सबसे ज्यादा टाइम कहाँ लगता है ,
" बिलिंग में " मैंने तुरंत जवाब दिया।
" बस तो उसका टाइम बच गया , कैश का ट्रांजैक्शन कार्ड की स्वाइप , सब " उन्होंने समझाया और फिर जोड़ा
लेकिन इसका सबसे ज्यादा फायदा होगा हेल्थ इमरजेन्सी में , वो टैटू एक फिटनेस वाच की भी तरह १७ पैरामीटर बाड़ी के रिकार्ड हर पांच मिनट पर रिकार्ड करती रहेगी , और डाटा एक सेंट्रल प्वाइंट पर और अलार्म भी , मान लो कोई डाइबिटिक है , सोते में शुगर बहुत लो हो गयी ७० - ६० - तो बहुत तेज अलार्म बजेगा और इंडिकेशन भी आएगा की शुगर ड्राप हो रही है , और हेल्थ इमरजेंसी में इमरजेंसी के लेवल के हिसाब से मान लो अगर किसी को हार्ट की सीरियस प्राबलम हो गयी तो वो ब्लड प्रेशर के हिसाब से खुद नॉमिनेटेड हॉस्पिटल को , एम्बुलेंस को मेसेज करेगा
और सबसे बड़ी बात क्लाउड सरवर पर से उसकी सारी मेडिकल हिस्ट्री , किसी भी पैथोलॉजी की हो , हॉस्पिटल की हो , दवा की हिस्ट्री सब कुछ उसके हॉस्पिटल पहुँचने के पहले हॉस्पिटल में , फिर उनके रिलेटिव्स को मेसेज ,. तो डाटा इकठ्ठा करना , उसे सार्ट आउट करना कम्युनिकेट करना एक पैसिव तरीके से , आज कल न्यूक्लियर फेमिली हैं लोग अकेले हैं तो फिर इमरजंसी कम्युनिकेशन , और हर आदमी का परसनल डाटा , मेडिकल , फाइनेंस ,शॉपिंग , फेमिली ,.
" लेकिन तुम लोगों का क्या फायदा होगा " मुझसे नहीं रहा गया ,
" गूगल फेसबुक का क्या फायदा है , डेटा और डाटा की खरीद फरोख्त , फिर गूगल , फेसबुक का डाटा तो सर्च बेस्ड होता है यहाँ एक्चुअल परफॉर्मेंस बेस्ड तो होगा ही रिएक्शन की भी भी हम अनॅलिसिस कर सकते हैं , किसी मेसेज को पढ़कर क्या रिएक्शन है , ब्लड पेशर वो सब भी , और सबसे बड़ी बात हम लोग ब्लाक चेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेंगे तो डाटा की सिक्योरटी ,. " वो बोले ,
पर मुझसे नहीं रहा गया ,
" क्या सिक्योरटी ,. तीन साला पुरानी व्हाट्सऐप की बात भी , . जरा सा डंडा फटकार कर ,. शाम को सब गाली गलौज के साथ चैनल पर अगले दिन यू ट्यूब पर , फिर ,. "
उन्होंने हँसते हुए मुझे चुप करा दिया , .
मैं भी यही सोच रहा था , लेकिन सर्वर अगर सेट लाइट पर हों , और वो सेटलाइट किसी केमैन आइलैंड टाइप देश की ओर से लांच हो , तो एक्सेसिबिलिटी मुश्किल हो जाएगी ,. और हम लोग अपने इथिकल स्टैंडर्ड्स ,. रीत वो बनारस वाली , यही एथिकल चेक का काम कर रही है , सब लोग अपने अपने फील्ड के , नैनो रोबोटिक्स , इकोनॉमिक्स , साइकोलॉजी , अन्थ्रोप्लॉजी , . हम ६-७ का ,.
मैंने फिर बात काटी , . बाकी तो लेकिन साइक्लोजी और ऐन्थ्रो ,.
" ह्यूमन बिहेवियर , और फिर कल्चरल डिफरेंस , हर देश , देश में भी इलाके के लोगों के बिहैविअर , फिर डाटा , बिहैवियर को कैसे इन्फ्लून्ज करेगा , अभी तो जो स्विटजरलैंड में हम लोग चलेंगे , वहां कांसेप्ट पेपर , सभी लोग आएंगे ,. उसके बाद जहाँ मैं जॉब करूँगा , एक प्रोटोटाइप , अलग अलग आस्पेक्ट्स के ट्रायल , . "
लेकिन तब तक मेरा मन दूसरी ओर मुड़ चूका था
उनका शार्ट मैंने उतारकर फर्श पर और मुसल को मुंह में चुभनळाने के पहले बोली ,
" स्साले , तुझसे सारा काम हो जाएगा , लेकिन मेरा एक काम नहीं हो सकता , . "
" बोल न पक्का , तेरी बात पक्की , जो कह ,. " वो हुमक कर बोले ,.
मैं जीभ से सुपाड़े को सहला रही थी , .
" अरे कहना क्या स्साली मेरी उस छिनार ननद को चोद दे , फाड़ दे उस स्साली की कुंवारी कच्ची कसी चूत ,
कर दे खून खच्चर उसकी झिल्ली फाड़ कर , बस , . . "
एक झटके में सुपाड़े को गप्प करते मैं बोली।
" चल अभी तो उसकी भाभी का नंबर ,. "
मेरे मुंह में लंड पेलते वो बोले ,
लेकिन मैं निकाल लिया और बोली , . " पक्का , आज उसकी भाभी और मेरे मायके जाने से पहले भाभी की ननद "
और अब मैं कस कस के चूस रही थी ,
रात बहुत चुकी थी , इसलिए सिर्फ दो राउंड हुआ लेकिन मैंने मन पक्का कर लिया था इनकी बहन की नथ इन्ही से उतरवाउंगी , भले उसके बाद उसके ऊपर उसी के गली के गदहे चढ़ें .
बनारस का रस
अनुज तो बनारस चला गया था , वहां पहुँच के उसका फोन भी आ गया था , गुड्डो बहुत खुश थी , गुड्डो ने मुझसे बातें की
लेकिन उससे ज्यादा खुश थीं , गुड्डो की मम्मी , और मैंने उनको भी खूब चढ़ाया , बनारस का नाम ले कर , देवर बचना नहीं चाहिए ,. और उन्होंने गुड्डो और मेरे देवर के सामने ही उसकी सात पुश्त गरियाई और बोला जैसे , इम्तहान देकर आएगा न , अगवाड़ा , पिछवाड़ा कुछ भी नहीं बचेगा।
" बचना भी नहीं चाहिए , होली में बनारस गया है , बनारस का पूरा रस मिलना चाहिए , और अच्छी तरह इम्तहान लीजियेगा उसका , मेरी ओर से भी "
मैंने आग में और घी डाला।
हाँ तो कल रात का हाल तो मैं बता हु चुकी हूँ , मेरे देवर अनुज का कितना जोरदार 'स्वागत' हुआ , गुड्डो ने सीधी मांग काढ़ी और सिंदूरदान गुड्डो और उसकी मम्मी दोनों ने किया ,
लेकिन अगले दिन ,. बेचारा पढाई में बिजी था तब भी नहाते समय , . मारे शरम के अनुज ने तो ज्यादा कुछ नहीं बताया ,
पर गुड्डो थी न , मैं उसकी पक्की हमराज ,. आखिर उस की नथ अनुज से मैंने ही तो उतरवाई थी , ढोलक लेने जाने के बहाने, अनुज ने दो बार उसकी ढोलक बजा दी थी , और उसके बाद बिना नागा ,
और सबसे बढ़कर गुड्डो की मम्मी रिश्ते में मेरी भाभी तो उन्होंने हाल खुलासा भी बताया और जमकर अच्छी वाली गारी भी दी , . बिना गारी के ननद भौजाई का रिश्ता पक्का होता ही नहीं ,
अटैची तो उसके पहुँचते ही गुड्डो ने झपट ली थी , रात को सिर्फ शार्ट और बनयाइंन में , हाँ जब वो नहाने गया , ( बाथरूम कमरे में ही अटैच्ड था ) तो पहले गुड्डो , बनियाइन दे दो , धुलनी है , और उसके बाद एक छोटी सी टॉवेल दे दी , . इसे पहन कर शार्ट उतार के दे दो , वो वही पहने रहोगे दस दिन तक ,. चलो उतारो , . गुड्डो से वो निपट भी लेता लेकिन तबतक गुड्डो की मम्मी और वो गुड्डो पर अलफ ,.
" तू क्या कर रही है , न ये न इनकी बहन , अपने से कपडे उतारती हैं , हाँ कोई और उतार दे तो मना भी नहीं करती ,. तो तू ही उतार दे न , और कौन नंगे हो जाएंगे , तौलिया तो पहने हैं , चल ,. "
जब तक वो रोके टोके गुड्डी ने एक झटके में शार्ट खींच कर गपुच ली , और जब तक वो चलती गुड्डो की मम्मी ने उसे आँख के इशारे से रोक लिया , .
अब गुड्डो की मम्मी बाथरूम के दरवाजे पर , छोटा सा दरवाजा , . आधा खुला , बिना उनसे रगड़े वो अंदर नहीं जा सकता और जैसे साली सलहज कोहबर छेंकती है बस उसी तरह गुड्डो की मम्मी बाथरूम का दरवाजा छेंके ,.
उनके पीछे बनारस की रसीली किशोरी , हाईकॉलेज वाली , शरारत से मुस्कराती , एक हाथ में उनका शार्ट और बनियाइन पकडे ,
" ये टॉवल भी थोड़ी गन्दी लग रही है , इसको भी धूल दे, . . अब इनको नहाने ही तो जाना है , अंदर कौन सा टॉवल पहन के नहाएंगे ,. " गुड्डो की मम्मी ने मेरे और अपने देवर को देखते हुए मुस्कराते कुछ छेड़ते कहा ,
बेचारा अनुज , उसने जोर से टॉवेल पकड़ने की कोशिश की ,
पर बनारसी लड़कियों से पार पाना मुश्किल है , उसके पहले ही गुड्डो ने टॉवेल पकड़ के खींच ली ,
और हंसती खिलखिलाती छलांगे लगाती वो हिरणी कमरे के बाहर ,
लेकिन शेरनी अभी भी बची थी , न जाने कब की भूखी , शिकार को बल्कि शिकार का टकटकी लगाए देखते ,
बेचारा अनुज उसने दोनों हाथों से छिपाने की कोशिश की पर बेकार , उसकी भौजी की भी भौजी थीं वो ,
तुरंत शर्त लगा दी ,
दोनों हाथ ऊपर और १०० तक गिनती , तब ही मैं जाने दूंगी अंदर ,.
क्या करता बेचारा , और ऊपर से भौजाई की रगड़ाई ,
" चल आज तुझे मैं नहला देती हूँ , अपने हाथ से , हर जगह साबुन लगा कर , रगड़ कर ,. पक्का ,. तंग करुँगी लेकिन ज्यादा नहीं , . "
और ज्ञान भी ,
" अरे दुल्हन का घूँघट खोल के रखा करो , कहो तो मैं ही खोल दूँ , तुझे मुंहदिखाई में अपनी ननद की ननद दे दूंगी , एलवल वाली ,. थोड़ा सा तेल वेळ लगा लेना "
पूरे पांच मिनट बाद ही वो बाथरूम मेंघुस पाया और तब भौजाई की पारखी नज़रों ने लम्बाई मोटाई कड़ाई सब नाप ली
भौजी
" अरे दुल्हन का घूँघट खोल के रखा करो , कहो तो मैं ही खोल दूँ , तुझे मुंहदिखाई में अपनी ननद की ननद दे दूंगी , एलवल वाली ,. थोड़ा सा तेल वेळ लगा लेना "
पूरे पांच मिनट बाद ही वो बाथरूम में
हाँ भौजी ने मुझे बहुत गरियाया ,
"छिनार , तेरी बुर में ,. क्या बोला था अच्छा है ,. . उसका ,. "
मैं समझ रही थी उनका मतलब लेकिन भौजी के मुंह से गारी सुनने का रस अलग ही है ,.
" अच्छा नहीं है भौजी आपको पसंद नहीं आया ,. " मैं जान बूझ कर बोली ,
"स्साली तेरी सारे खानदान की बुर में ,. अच्छा , क्या कहते हैं आज कल , सुपर अच्छा , . मोटा कितना है , और लम्बा , जितना लोगों का खड़ा होने पर है उतना तो उसका सोते , .
मैं पक्की कह सकती हूँ स्साला नबरी चोदू होगा , लंबी रेस का घोडा ,. मन तो कर रहा था , वहीँ सुपाड़ा गप्पक लू , पर ,. एक बार इम्तहान होने दो ,. . उसी रात रेप करुँगी इसका "
तबतक मेरे दिमाग में एक सवाल आ गया और मैंने पूछ भी लिया ,
" भौजी आपने चीरहरण तो अच्छा कर लिया पर वहां गुड्डो , आपकी बेटी भी ,. और मेरी आगे की बात उनकी हंसी में डूब गयी।
देर तक वो हंसती रही , फिर दर्जन भर गारी मुझे , मेरे पूरे खानदान को , फिर बोलीं
" जिस दिन से बेटी नीचे से खून फेंकने लगे न , उसी दिन से वो बेटी नहीं सहेली हो जाती है ,
और चार साल हो गए हैं उसके ,. फिर उसके पापा तो अक्सर बाहर ही रहते हैं तो बस हमी दोनों , तो क्या झिझक लिहाज ,. "
मैं बात गुड्डो की मम्मी से कर रही थी लेकिन मेरे मन में तारीफ़ के पुल कम्मो के लिए बंध रहे थे , एकदम सही अनुज को सिखाया पढ़ाया था भौजी ने , माँ बेटी को साथ साथ ,.
लेकिन मैंने गुड्डो की मम्मी की हाँ में हाँ मिलाया और उनके मन की थाह लेने के लिए फिर पूछा
भाभी ये बात आप एकदम सही कह रही हैं गुड्डो बहुत प्यारी है , मुझसे भी एकदम खुली, मैं उसे चिढ़ाती भी हूँ लेकिन उसके सामने कुछ भी छिपाती नहीं , अरे यही तो उमर होती है मजे लेने की , . .
"एकदम सही कह रही हो , अरे मौका मिलने पर भी अगर मजा नहीं लिया तो फिर दुबारा मौका मिले न मिले , बस खाली कुढ़ते रहो , सोचते रहो ऐसा करते तो ,. इसलिए मैं भी गुड्डो के साथ ,. हम दोनों खुश खुश ,. वो बोलीं और फोन रख दिया , अनुज उन्हें बुला रहा था।
लेकिन जब वो बाहर निकला तो उसकी असली रगड़ाई , गुड्डो ने की ,.
" मुझसे शर्मा रहे हो मैंने देखा नहीं है क्या , मम्मी पड़ोस में है , बाहर आओ तो टॉवेल मिलेगी ,. "
बाहर आने के बाद ही टॉवेल मिली लेकिन रगड़ने पोंछने का काम गुड्डो ने खुद किया , पर बात फिर अटक गयी कपड़ों पर , नहाने के बाद ,
" तेरे कपड़ों को बेच के हमने बरतन ले लिए , कितने गंदे थे ,. और फटे पुराने , सिर्फ दो चम्मच मिले और एक छोटी कटोरी ,.
अंत में गुड्डो ने बहोत मिनती करने के बाद अपना दो दिन से पहना बारमूडा उतार के दिया ,. नहीं ऐसे नहीं टॉवल पहन कर उतारा , और हाँ थोड़ी देर बाद वो वापस आयी तो अनुज की पेंट पहन के ,.
लेकिन ये छेड़खानी एक दो बार ही , बाकी टाइम दोनों उसको पढ़ने दे रही थीं , यही नहीं गुड्डो की मम्मी ने काशी के कोतवाल की मनौती मानी थी , गुड्डो खुद सात शुक्रवार , और गुड्डो की मम्मी ने तो गंगा जी की आर पार की चुनरी भी मान ली थी , बस अनुज का सेलेक्शन हो जाए ,. .
और बी एच यू , बनारस वाला इंजीनियरिंग कालेज मिल जाए
शॉपिंग
और इनका कोई काम कभी पूरा नहीं होता था , ख़ास तौर से जब मामला इनकी साली सलहज का हो , और ऊपर से इनकी सालिया सलहज का फोन आ जाए न , . तो बस वही दो बार जो हम लोग शॉपिंग कर के लाये थे उसे अपनी लिस्ट से उन्होंने मिलाया , और फिर उन्हें लगा की बहुत सी चीजें छूट गयी हैं।
और उसी समय उनकी सलहज का फोन आ गया , मेरी रीतू भाभी का , और उनसे बात तो हम लोग स्पीकर फोन ऑन कर के ही करते थे , जिससे ननद और नन्दोई से वो एक साथ बात कर सकें , लेकिन उससे बढ़कर , जो चुन के गालियां अपने नन्दोई को देती थीं , उनके नन्दोई ने शॉपिंग की बारे में कुछ बोलने की कोशिश की , कि उनकी सलहज चालू हो गयीं ,
" सुन ला पूरे गांव के सार , तोहार पिछवाड़ा बची न होली में चाहे जितना शॉपिंग वापिंग कै ला , हाँ आपन उ बहिनिया ले आते , काव नाम हो ओकर , हाँ गुड्डी ,. तो बचत तो ना , हाँ ताजा कडुआ तेल लगाय के मारती हम लोग , तनी चरपरात , परपरात लेकिन पिरात कुछ कम , लेकिन तोहरी बहिनिया क तो होली में सट्टा लिखल होई पहले क , . इसलिए गाँड़ तो तोहार हचक हचक के मारी जायेगी , . और खाली साली सलहज नहीं , यह गाँव में लौण्डेबाज भी बहुत हैं , तो रोज रात को सोने के पहले वैसलीन लगा के अभी से चिकना कर ला , . "
उसके बाद आधे घंटे तक सलहज नन्दोई की रसीली बातें चलती रहीं , फिर उनकी सास का फोन आ गया ,
शादी के अगले दिन से ही मैं देख रही थी , मेरी मायके वालियां सब पक्की दलबदलू , . फोन सब का आता था मेरे फोन पर , माँ हों , बहनें हों या भाभी , लेकिन उसके बाद बस दामाद जी कहाँ है , नन्दोई को फोन दो , दीदी जीजू से बात कराओ ,. मेरा काम खाली इन्हे फोन देने का होता था ,
और उसके बाद उनकी वीडियो कांफ्रेंस , यूरोप से काल थी ,. असल में मैंने , और मुझसे ज्यादा उनकी साली सलहज ने वार्निंग दे दिया था , ससुराल में कोई फोन , आई पैड कुछ नहीं , एक फोन कहीं भी किया उन्ही के पिछवाड़े डाल दिया जाएगा ( ये प्रोग्राम मेरी रीतू भाभी का था ) , सालियों ने कसम दिला दिया था , साली सलहज के अलावा कोई नहीं , यहाँ तक की मैं भी पास नहीं आ सकती थी , तो बेचारे वो ओवरटाइम कर रहे थे , और ११ दिन ,दस दिन ससुराल वाले और एक दिन पहले से कम्प्लीट छुट्टी , इ मेल भी नहीं ,
और अगले दिन सुबह से ही वो चालू हो गए , ये सामान छूट गया , ये साडी का रंग अच्छा नहीं है , बदल देते हैं , मझली का शलवार सूट एक और लेते हैं , नाउन की बहु ने कोहबर में उनसे पायल माँगा था , तो चौड़ी हजार घँघुरु वाली पाजेब ,.
अगले दिन उन्हें एक मीटिंग के लिए बनारस जाना था , और उस के बाद तो सीधे ससुराल का प्रोग्राम इसलिए आज आखिरी दिन था ,
जब से ये तय हुआ था की मैं होली में मायके जाउंगी और उसके बाद अपनी पोस्टिंग पर , तो मेरी सास जेठानी भी मेरे जाने के बाद घर छोड़ना मुश्किल होगा , इसलिए जितने रिश्तेदार थे , आस पास सबके यहाँ ,
मैं जानती थी , इन्हे अकेले बाजार भेजा न तो फिर दो घण्टे बाद फोन आएगा और कुछ न कुछ गड़बड़ कर देंगे , इसलिए मैं भी उनके साथ और घर पर कम्मो थी ही ,
बाजार में अनुज के दोनों दोस्त मिल गए , बंटू और मंटू , मुझे देख के चहक के बोले , " भाभी , हम लोग तो आप के पास जाने की सोच रहे थे , लेकिन सोचा अनुज तो चला गया , . "
देवर को मैं क्यों छोड़ती , वो भी फागुन में , बिना छेड़े , मैं चढ़ गयी , बीच बाजार में ,
" अनुज से होली खेलनी थी क्या तुम दोनों को , फिर डर लगता है क्यों उसके बिना , जाओ घर में कम्मो भौजी मिलेंगी , मैं भी थोड़ी देर में पहुंचती हूँ , पिछली बार जो जो रंग बच गया था न वो आज होगा , डर के मारे फटी तो नहीं ,. "
लेकिन तब तक उन्होंने बुला लिया , छुटकी की कुर्ती का रंग क्या होगा , . दो उन्हें अच्छी लग रही थीं ,
पर उन्होंने कौन कन्फूजन करे , दोनों ले लिया।
हाँ मैं लौटी तिझरिया को ही , लोग औरतों को ब्लेम करते हैं , औरतों लड़कियों का सामान कभी किसी मर्द से खरीदवा के देख लीजिये , फिर उन्हें अपने शहर के रेस्टोरेंट का नाम इम्प्रेस करने के लिए मुझे खिलाने का मौका मिल गया , इनकी और मेरी एक दो ड्रेस थीं उसे दूकान वाले ने बोला था एडजस्ट करने को , इसलिए भी टाइम तो लगना था ,
और जब चार बजे मैं घर पहुंची , तो कमरे में पहुँचते ही , एक राउंड ,.
जब मैं नीचे उतरी तो कम्मो चाय के लिए मेरा इन्तजार कर रही थी और उसने पूरा हाल सुनाया , बंटू , मंटू के साथ जो हुयी , हाँ आज सफ़ेद रंग वाली हुयी थी वो भी जबरदस्त , कम्मो ने मान लिया देवर उसके टक्कर के थे ,
बंटू और मंटू का इरादा पक्का था और उनसे ज्यादा पक्का इरादा था कम्मो भौजी का ,
कल अनुज के पिचकारी से तीन राउंड सफ़ेद रंग की खेल कर उसका मन और ,. फिर उसके पहले मुझे मंटू बंटू की मोटी मोटी पिचकारी मुठोीयते देखकर भौजी के ऊपर और नीचे दोनों वाले मुंह में पानी आ रहा था ,
मंटू बंटू दोनों मुझसे बाजार में मिल चुके थे और दोनों को मालूम था ,
घर में भौजी अकेले हैं , बस।
मंटू बंटू
कम्मो भौजी
मंटू बंटू दोनों मुझसे बाजार में मिल चुके थे और दोनों को मालूम था ,
घर में भौजी अकेले हैं , बस।
दरवाजे पर जब पहुँच कर उन्होंने पूछा तो टिपिकल कम्मो भौजी वाली गारी से स्वागत हुआ ,
" स्सालों , बहन के भंडुआ , पहले ये बताओ की चिकनों अपने पिछवाड़े वैसलीन लगा के आये हो की नहीं , ये मत कहना की तेरी बहने अगवाड़े पिछवाड़े वैसलीन लगा के निकल गयी अपने यारों से मरवाने और तुम सब के लिए कुछ छोड़ा नहीं , .
चल पहले दोनों आंगन में निहुर , सच्चे कोल्हू वाले कडुवे तेल की बोतल रखी हूँ , भले छरछराये परपरायेगा , लेकिन सटासट सटासट घुसेगा , .
और नयकी भौजी नहीं है , लेकिन मैं अकेले काफी हूँ , तुम दोनों की पिचकारी पिचकाने के लिए ,. "
और उन दोनों को अंदर कर के , दरवाजा खटाक से उन्होंने बंद कर लिया।
" सीधे से उतार दो वरना कहीं फट फटा गयी , और ऐसे गए तो ऐसे चिकने हो , कोई निहुरा के मार लेगा तो हमें मत कहना ,
दोनों ने फ्लोरल बिना बांह वाली पतली बनयाइन ऐसी टी शर्ट पहन रखी थी , और कम्मो ने साफ़ साफ़ वार्निंग दे दी ,
हर रोज होली में शर्ट तो फटती ही थी ,
लेकिन बंटू बोला , " अरे भौजी के रहते हमें हाथ लगाना पड़े , आप उतार दीजिये न "
बस कम्मो का हाथ और सबसे पहले मंटू की शर्ट , लेकिन उन्हें अपने लालची बदमाश देवरों की शरारत का पता नहीं था और वो भी बंटू , बदमाशों का सरदार ,
भौजी के दोनों हाथ मंटू की शर्ट में उलझे थे और झट से बंटू ने भौजी का आँचल पकड़ कर , पहले तो जितना पेटीकोट में फंसा था उसे ढीला किया और जब तक वो रोकती , आधी साड़ी बंटू ने खींच के और रही सही मंटू ने ,
दोनों देवर तो टॉपलेस हो गए पर भौजी भी सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में ,
यही नजारा तो देवर देखना चाहते थे ,
भौजी के जोबन जबरदस्त थे , और खूब टाइट छोटे लो कट ब्लाउज में शैतान बच्चे की तरह उछलते कूदते , किसी का भी खूंटा खड़ा हो जाए
और ये दोनों तो देवर थे , तो खूंटा खड़ा झंडा लहराने लगा , बारमूडा में तम्बू तन गया।
पेटीकोट भी आगे जाँघों के बीच चिपका , पिछवाड़े से बड़े बड़े भारी नितम्बों की दरार में दुबका ,.
" तुम लोग भी कहोगे की भाभी नहीं है तो भौजी ने कुछ खिलाया पिलाया नहीं , तानी ताकत हो जाए तो होली होगी आज जबरदस्त "
कम्मो स्टोर में घुस गयी और दरवाजा भी उठँगा लिया ,
खाना पीना तो बहाना था , असली चीज रंग का स्टॉक , . कालिख , पेण्ट की ट्यूब , पक्के रंगो की पुड़िया कोंछ में , एक जग में घोल के खूब गाढ़ा रंग बनाया ,
फिर भांग वाली गुझिया , ठंडाई , समोसा , कम्मो भौजी रंग , पेण्ट कालिख इकठ्ठा कर तो रहीं थीं लेकिन मन और इरादा दोनों कुछ और था ,
देवरों की चमड़े की पिचकारी से रंग खेलने का , जब से उन्होंने दोनों का कोमल को मुठियाते देखा था , एकदम मोटा मूसल , तभी से , प्लानिंग तो उन लोगों की पक्की थी , वो स्टोर में अनुज के साथ और दोनों देवर अपनी नयकी भौजी पर , . वहीँ आंगन में
बहुत जोर की खुजली कम्मो भौजी की गुलाबो में मच रही थी , और कल जब से अनुज ने इसी आँगन में उन्हें रगड़ रगड़ कर , क्या ताकत है उसके अंदर , एकदम मस्त ,. और ये दोनों तो उससे भी बाइस लगते हैं , जैसे कल अनुज को पटक के लिया था न उसी तरह से आज , उन्होंने तय कर लिया था पहले मंटू पर नंबर लगाएंगी ,
और मंटू बंटू भी , बस वही सोच रही थी , आज तो बस सफ़ेद रंग वाली होली , . . एक बार उन्होंने चेक कर लिया था सभी दरवाजे बंद है , लेकिन तब भी , बंटू बाहर जाकर , बाहर का दरवाजा उसने बंद कर लिया और पीछे के दरवाजे से आकर वो भी
जोबन के साथ पिछवाड़ा
कम्मो भौजी के जोबन के साथ उनका पिछवाड़ा भी उसे बहुत ललचाता था , एकदम गोल गोल बड़े बड़े चूतड़ ,.
कितना मजा आएगा गाँड़ मारने में ,
गाँड़ मारने का उसे बहुत शौक था , कॉलेज में चिकने लौंडों की नेकर सरका कर , निहुरा कर , और भी लेकिन जो मज्जा कम्मो भौजी की गाँड़ मारने में आने वाला था , उसे मालूम था भौजी आसानी से पिछवाड़े हाथ नहीं लगाने देंगी , और बहुत कसी टाइट भी होगी,. लेकिन वो भी नंबरी चोदू था , .
जब कम्मो गुझिया समोसे की प्लेट , ठंडाई और सब खाने पीने का सामान लेकर पहुंची तो दोनों लड़के अच्छे , सीधे साधे बच्चों की तरह , लेकिन मंटू ने मना कर दिया और अपने होंठों की ओर इशारा कर के कहा की कम्मो भौजी अपने होंठों में लेकर खिलाएं , तभी वो खायेगा ,
कम्मो ने बड़ी सी डबल भांग वाली गुझिया अपने होंठों के बीच दबा कर सीधे , आधी से ज्यादा मंटू के मुंह में , लेकिन मंटू भी कम नहीं था , एक हाथ से उसने कम्मो भौजी का सर पकड़ा और कस के अपनी जीभ उनके मुंह में ठेल दी , कम्मो भी , जवान लड़के की जुबान चूसने का मौका , कोई जैसे मोटा लंड चूसे , उस तरह मंटू की जुबान वो चूस रही थी ,
और अपने एक हाथ से मंटू की कमर कस के पकड़ ली थी , मंटू का भी एक हाथ भौजी की कमर में उन्हें कस के दबोचे , और कम्मो ने अब दूसरी गुझिया भांग वाली , अपने हाथ से लेकर फिर अपने मुंह में लेकर मंटू के मुंह में , . दोनों एक दूसरे से चिपके ,
और दोनों बंटू को भूल गए थे , जो अपने दोनों हाथों पर कस कस के गाढ़ा लाल , काही रंग का कॉकटेल बना रहा था , और फिर पीछे से,
मंटू ने पहले ही एक हाथ से कम्मो का सर पीछे से और कमर पूरी ताकत से पकड़ रखी थी ,
बंटू एकदम से दबे पाँव ,. एकदम हलके हलके ,आज कम्मो भौजी ने जो लाल लाल कसा टाइट ब्लाउज पहन रखा था , उसमें पीछे हुक लगे थे , खाली तीन , आलमोस्ट बैकलेस ,.
बस , पहले एक हुक , फिर दूसरा हुक और जब तक तीसरा हुक , कम्मो समझ गयी थी हमला किधर से हो रहा है , कसमसाते हुए उसने अपने को छुड़ाने की कोशिश की , पर आगे से मंटू ने कस के पकड़ रखा था और इस धींगामुश्ती में ,. तीसरा हुक टूट गया और ब्लाउज पीछे से खुल गया , और बंटू के हाथ के रंगा का कॉकटेल , पूरी तरह से भौजी की पीठ पर , रंग पेण्ट ,
ब्लाउज के हुक टूट गए थे , ब्लाउज खुल गया था पर दोनों जोबन आजाद नहीं हुए थे , ब्लाउज टाइट होने से अभी भी बड़े गदराये उभारों पर अटका था , लेकिन अब दो देवर , दो उभार
बराबरी से बंट गए , दो दिन पहले की तरह दायां वाला बंटू के हाथ में पीछे से हाथ बढाकर उसने दबोच लिया ,
और अब ब्लाउज में नीचे से हाथ डालना ज्यादा आसान हो गया था मंटू ने उधर से सेंध लगा दी ,
क्या मस्त दोनों देवर जोबन का रस ले रहे थे , रंग के बहाने रगड़ाई मसलाई के साथ बंटू कभी निपल्स को पकड़ के पल कर देता तो कभी ऊँगली से फ्लिक कर देता , भौजी सिसक उठतीं ,
मंटू के हाथ में रंग नहीं था , लेकिन बड़ी ताकत थी उसके हाथ में कस कस के मसल रगड़ रहा था ,
जब दोनों देवर जोबन का रस ले रहे थे तो भौजी ने अपने टारगेट पर सेंध लगा दिया , मंटू आगे था बस दोनों हाथों से थोड़ा सा झुक कर के उसकी बारमूडा नीचे तक ,
फटा पोस्टर निकला हीरो ,. जबरदस्त तन्नाया , बौराया मोटा खूंटा , बस कम्मो भौजी ने गपुच लिया और इतनी जोर से मुठियाया की पहले ही झटके में सुपाड़ा खुल गया ,
देवर भौजी
जब दोनों देवर जोबन का रस ले रहे थे तो भौजी ने अपने टारगेट पर सेंध लगा दिया , मंटू आगे था बस दोनों हाथों से थोड़ा सा झुक कर के उसकी बारमूडा नीचे तक ,
फटा पोस्टर निकला हीरो ,. जबरदस्त तन्नाया , बौराया मोटा खूंटा , बस कम्मो भौजी ने गपुच लिया और इतनी जोर से मुठियाया की पहले ही झटके में सुपाड़ा खुल गया ,
मंटू न रोकना चाहता था भौजी को न रोक सकता था , न रोकना चाहता था , रोकने के लिए उसे भौजी के ब्लाउज से हाथ बाहर निकालना पड़ता , और कौन देवर कम्मो ऐसी रसीली भावज के ब्लाउज से हाथ बाहर निकालता ,
कम्मो ने अपने पैर से दबा के बारमूडा अब एकदम से निकाल दिया ,