Episode 65


किसी भी लौंडे की हालत खराब हो जाती , और इनका मूसल तो पक्का पत्थर का ,. दो छोटे छोटे लड्डू ब्रा में मुश्किल ढंके , . और ये ब्रा जो उसके भइया लाये थे , हाफ कप वाली , जो छिपाती कम थी , दिखाती ज्यादा थी।

और अब ब्रा के ऊपर से रगड़ना मसलना चालू हो गया , लड़कियों के मामले में मैं कम्मो को मान गयी थी , उन्हें पिघलाना , गीली करना , मोहल्ले की जो ननदें उसकी पकड़ में आयी थी सब की , . और आज तो कम्मो टॉप फ़ार्म में थी

बिना कुछ बोले , वो हलके उसकी ब्रा के ऊपर से वो सहला रही थी मसल रही थी , लेकिन मुझसे नहीं रहा गया मैंने पीछे से ब्रा की स्ट्रैप खोल दी , और अब ब्रा मेरी मुट्ठी में ,

ब्रा पहनी ननदें मुझे एकदम नहीं अच्छी लगती थीं , इत्ती मुश्किल से इत्ता इन्तजार करने पर तो ये जोबन आते हैं , और ऊपर से ,. इतना तोपना छुपाना ,

ब्रा मेरी मुट्ठी में और दोनों जोबन कम्मो की ,

लेकिन अब उसके होंठ और जीभ मैदान में आ गए थे , पहले जीभ से वो निप्स फ्लिक कर रही थी , फिर हलके हलके सक करने लगी ,

उह्ह्ह , नहीं नहीं , भौजी नहीं , ओह्ह्ह , . प्लीज , भौजी छोडो न

मिनट भर में ही गुड्डी रानी पिघलने लगी ,

लेकिन कम्मो इत्ती आसानी से नहीं छोड़ने वाली , उसने चूसने की रफ़्तार बढ़ा दी , कम्मो के होंठो का असर किसी उभरते निपल पर इतना होता था जितना कोई और क्लिट को छूए

गुड्डी की आँखे पूरी तरह बंद हो गयी थी वो सिसक रही थी पिघल रही थी ,

कम्मो ने अब गियर बदला और मैं भी उसके साथ , कस कस के हम दोनों अपनी नन्द के उभारों को रगड़ मसल रहे थे ,

और वो चीख रही थी , कभी दर्द से कभी मस्ती से ,

" हे भाभी छोड़ दीजिये न , भौजी प्लीज ,. "

" अच्छा एक बार बोल दे क्या छोडूं तो छोड़ दूंगी , क्यों कम्मो "

जोर से उसके निप्स को पिंच करती मैं बोली।

भैया को दूंगी , दूँगी दूँगी

" हे भाभी छोड़ दीजिये न , भौजी प्लीज ,. "

" अच्छा एक बार बोल दे क्या छोडूं तो छोड़ दूंगी , क्यों कम्मो "

जोर से उसके निप्स को पिंच करती कम्मो बोली।

" ओह्ह मेरे वो मेरा सीना , मेरे जोबन ,. "

मैंने कम्मो से भी जोर पिंच किया , वो जोर से चीखी लेकिन उसे मेरी बात याद आ गयी , मेरे सामने चूँची , चूत , चुदाई के अलावा कुछ भी बोला तो ,

बड़ी मुश्किल से उसके मुंह से चूं निकला तो कम्मो ने कस के उभार दबा दिए और चिढ़ाया ,

" हे चिड़िया हो का जो चूं चूं बोल रही हो पूरा बोल , . . नहीं तो ,. "

" चूँची , . धीमे से वो बोली

मैंने नहीं सुना " मैं और कम्मो एक साथ बोलीं ,

अबकी थोड़ा जोर से बोली वो ,

' चूँची भौजी छोड़ दो न हमार चूँची "

और हम दोनों ने छोड़ दिया लेकिन टुकुर टुकुर देखने से हमे कौन रोक सकता था ,

रुई के गोल गोल फाहों ऐसे मुलायम , खूब गोरे गोरे माखन के गोलों ऐसे , छोटे भी नहीं , उसकी उम्र के हिसाब से तो , . अच्छे खासे मुट्ठी में जाएँ और जान मारू थे निप्स , ललछौंहे , बस सुबह की सूरज की लालिमा ऐसे , आ ही रहे थे , कच्ची मटर की फली के दाने ऐसे ,

लेकिन कम्मो फागुन हो , ननद हो , उसके उघारे नए आ रहे जोबन हो और रंग न लगाया जाय , बस प्लेट भर गुलाल जो लायी थी वो सीधे दुनो जोबना के ऊपर ,

गुड्डी ना ना करती रही , लेकिन फागुन में किसी ननद की किसी भौजाई ने सुनी है जो वो सुनती ऊपर से कम्मो ऐसी भौजाई ,

फिर मैं क्यों पीछे रहती और मैं ने नन्द की बात का जवाब भी दिया ,

" यार तू ही कह रही थी न की ड्रेस में रंग न लगे तो अब कतई ड्रेस में रंग नहीं लगेगा , अब काहें चिल्ला रही है , '

कबूतर के ललछौंहे पंख बहुत अच्छे लग रहे थे , बस ननद रानी की जोबना की रगड़ाई करने का काम मैंने कम्मो के ऊपर छोड़ा और खुद गुड्डी के ही फोन से उसकी फोटो खींचने में लग गयी , कुछ क्लोज अप तो कुछ में गुड्डी रानी का चेहरा भी एकदम साफ़ आ रहा था ,

जब तक वो समझती सम्हलती उस कच्ची कली के किशोर उभारों के दर्जनो फ़ोटो

लेकिन तब तक मैं दूर खड़ी थी , और उसकी फोन बुक में से नंबर सेलेक्ट कर रही थी ,

" हे बोलो न किस किस को भेज दूँ , तेरी सारी सहेलियों को , और रेनू को बोल दूंगी कुछ तेरे भंवरों को , बेचारे उन का भी कल्याण हो जाएगा , अरे वाह तेरे व्हाट्सऐप में तो तेरे कुछ भंवरों का भी नंबर है , बस सबसे पहले उन्ही को ,. "

बेचारी उस की हालत खराब

पर हालत उसकी खराब , हाथ दोनों बंधे और वो कम्मो की पकड़ में , .

" भाभी प्लीज ,. "

" अच्छा चल यार लेकिन एक मेरी छोटी सी बात , एक है कोई जो तेरे इस जुबना का प्यासा है , बेचारा दो तीन दिन में चला जाएगा , फिर पांच छह महीने कब लौटे पता नहीं , एक बार ये दोनों कबूतर उसको ,. "

" धत्त भाभी ," वो शर्माती थी तो और सेक्सी लगती थी।

" लास्ट चांस ,. यार तेरे फोन से भेज रही हूँ , सब तुरंत खोलेंगे , और तू ये भी नहीं कह सकती पता नहीं किसने भेजा ,. बस एक बार बोल दे न देगी , ये दोनों , . "

" अच्छा बोल दूंगी , भाभी डिलीट कर दीजिये न "

डिलीट तो मैंने नहीं किया लेकिन फोन रख दिया और फिर उस के पास आके बोली ,

" क्या बोलेगी ,. एकदम साफ़ साफ़ बोल ,. तो मालूम है न कौन है तेरा दीवाना , . बस बोल दे दूंगी "

मुझ से ज्यादा , कम्मो और जब तक तीन बार उसने नहीं बोला ,

" चूँची भैया को दूंगी , दूँगी दूँगी "

तब तक हम दोनों ने नहीं छोड़ा , हाँ उसकी इस बात की भी पूरी वीडियो रिकार्डिंग हुयी।

लेकिन अभी तो चार आने का भी खेल नहीं हुआ था , कम्मो की उँगलियों का जादू तो बचा था और मुझे भी ननद से होली खेलना था।

भाभी हो जाने दो ,

मुझ से ज्यादा , कम्मो और जब तक तीन बार उसने नहीं बोला ,

" चूँची भैया को दूंगी , दूँगी दूँगी "

तब तक हम दोनों ने नहीं छोड़ा , हाँ उसकी इस बात की भी पूरी वीडियो रिकार्डिंग हुयी।

लेकिन अभी तो चार आने का भी खेल नहीं हुआ था , कम्मो की उँगलियों का जादू तो बचा था और मुझे भी ननद से होली खेलना था।

कम्मो ने नीचे का मोर्चा सम्हाला ,

पैंटी खुल के फर्श पर जहाँ ब्रा गिरी पड़ी थी

उसकी हथेली , गुड्डी की चुनमुनिया पर और जोबन दोनों मेरे हवाले।

कन्या रस लेने की ट्रेनिंग मेरी भाभियों ने अच्छी तरह दे दी थी मुझे , होली में , गाँव में कोई भी सादी बियाह हो तो रतजगे में ,

कच्ची कली के कच्चे अनार का रस लेने के साथ , मैं उसे समझा भी रही थी तैयार भी कर रही थी ,

" देख तेरे भइया ऐसे रस लेते हैं , पक्के रसिया हैं , अब तो तूने हाँ कर ही दी है उन्हें अपने जोबना का दान देने का , . देखना , खुद टाँगे फैला देगी सच। "

कभी हलके हलके मैं उसके बस आ रहे उरोज सहलाती तो कभी कस के दबा देती , मसल देती , आखिर मेरे कितने देवरों का , अपने मोहल्ले के कितने लौंडों का ये जोबन दिल जला रहे होंगे ,. बीच बीच में निप्स फ्लिक कर देती ,

पिंच कर देती ,

और फिर मेरे होंठों और हाथों ने हिस्सा बाँट लिया ,

एक होंठों के हवाले दूसरा हाथ के ,

हलके हलके चुम्बन लेती , उरोजों के एकदम बेस से मेरे होंठ सहलाते चूमते ,चूसते धीरे धीरे ऊपर की ओर बढे और गच्चाक से उस कच्ची कली के निप्स मेरे होंठों के बीच में

होंठों ने बस बहुत हलके से दबा रखा था और जीभ से बस बीच बीच में फ्लिक कर देती , और कुछ देर बाद गियर बदला

कस कस के मैंने चूसना शुरू किया और साथ में जीभ भी अब कस कस के नाच रही थी निप्स के टिप पर ,

गुड्डी रानी की आँखे बंद हो गयीं , जोबन पथरा गए थे ,

वो सिसक रही थी , मस्ता रही थी ,

दूसरे उभार को मैं बांयें हाथ से हलके हलके सहला रही , थी दबा रही थी ,

" हे तेरे भइया तो इससे भी बहुत ज्यादा , सच , एकदम मैं तो कुछ भी नहीं ,. . अब तो तूने हाँ कर दी है , और वो बिचारे तो इत्ता ललचाते हैं सिर्फ सोच सोच के आज जब ये दोनों कच्ची अमिया उन्हें मिलेगी देखना कितने खुश होंगे , सच ,. और जब एक बार उनका हाथ , उनके होंठ लगेगा , तू एकदम पागल हो जाएगी , इत्ता मस्त आकर देंगे , सच्ची , . जो चाहे वो बाजी लगा ले। "

मेरे दाएं हाथ ने नीचे का रुख किया जहाँ अब तक कम्मो आग लगा रही थी

धीमी आंच पर कड़ाही गरम करने में वो माहिर थी ,हलके हलके बस गदोरी से ननद रानी की गुलाबो को सहला रही थी , उसे ऊँगली करने की जल्दी नहीं

लेकिन इस सहलाने , रगड़ने से ही गुड्डी की चुनमिनिया गीली हो गयी थी , और उसके बाद बस दोनों पुत्तियों को पकड़ के आपस में हलके हलके रगड़ना शुरू किया तो ननद रानी ने पानी फेंकना शुरू कर दिया ,

बस तर्जनी का पहला पोर उसने अंदर किया और उसमें ही गुड्डी रानी की चीख निकल गयी , लेकिन जल्दी ही वो चीख सिसकियों में बदल गयी ,

और अब मेरा हाथ भी मैदान में था , उसकी क्लिट , मैं बस अंगूठे से उसे छू रही थी ,

गुड्डी एकदम झड़ने के करीब पहुंच जाती तो कम्मो रुक जाती और कुछ देर बाद फिर चालू हो जाती , कभी अब वो हलके हलके ऊँगली करती तो कभी फुद्दी को रगड़ती , और उसकी ऊँगली हटती तो मेरी ऊँगली काम पर लग जाती ,.

एक बार जब वो एकदम झड़ने के कगार पर हो गयी तो मैंने सोचा झाड़ दूँ बहुत तड़प रही है , तो कम्मो ने इशारे से मना कर दिया ,

मेरी और कम्मो की उँगलियाँ गुड्डी के पानी से एकदम गीली हो गयी थीं , .

दो चार बार के बाद गुड्डी खुद बोलने लगी ,

भाभी हो जाने दो ,

अपने भइया से

मेरी और कम्मो की उँगलियाँ गुड्डी के पानी से एकदम गीली हो गयी थीं , .

दो चार बार के बाद गुड्डी खुद बोलने लगी , भाभी हो जाने दो ,

" अरे तेरे भैया आएंगे न उनसे झड़वा लेना , बोल झड़वाएगी अपने भइया से , . "

मैंने अपनी गर्मायी, बौराई ननदिया को उकसाया

बेचारी झेंप गयी लेकिन जब हम दोनों ने मिल के उसे बहुत तंग किया तो बोली मुझसे

" भाभी , आपके सैंया ही पीछे हट जाएंगे ,. "

" चल इतना छिनरपना न कर , है हिम्मत तो एक बार बोल दे , जोर से ,. "

कम्मो ने उसे और चढ़ाया

और गुड्डी ने बोल ही दिया , आखिर ,. की वो अपने भइया से चुदवायेगी ,. . बस अबकी तो हम दोनों ने ,. .

लेकिन कम्मो ने उसे साथ में हड़काया ,

" मेरे देवर की जिम्मेदारी मेरी , लेकिन स्साली भाइचॉद अगर जरा भी छिनरपना किया न तो तेरी स्साली गाँड़ भी मरवाउंगी , और उसके बाद खुद अपनी मुट्ठी से भी तेरी गाँड़ मारूंगी कोहनी तक पेलुँगी , हचक के चोदवाना होगा , . खुद बोली हो तुम ,. "

एक बार गुड्डी रानी फिर झड़ने के कगार पर थी , लेकिन मेरा फोन बज उठा ,

उन्ही का था ,. . मिस्ड काल , मैंने उन्हें बोल रखा था घर में आने के पांच मिनट पहले मिस्ड काल

" देख तेरे यार का है , अब तो तूने बोल भी दिया है , बस तीन चार दिन बाद होली हैं फड़वा ले ,. "

कह के अबकी एक पोर मैंने जोर से पेल दी ,

वो जोर से चीखी ,

लेकिन तब तक सीढ़ी पर पैरों की आवाज आ रही थी , गुड्डी को बगल के छोटे कमरे में मैंने और कम्मो ने छिपा दिया

तभी उनकी दरवाजा खटखटाने की आवाज हुयी ,

कम्मो ने ही दरवाजा खोला।

और उन के घुसते ही कम्मो ने उन्हें दबोच लिया , साथ में गालियों की बौछार

आ गया आने वाला

तभी उनकी दरवाजा खटखटाने की आवाज हुयी ,

कम्मो ने ही दरवाजा खोला।

और उन के घुसते ही कम्मो ने उन्हें दबोच लिया , साथ में गालियों की बौछार ,

" स्साले भोंसड़ी वाले , बनारस अपनी बहिनिया क सौदा करने गए थे , दालमंडी ( बनारस की रेड लाइट एरिया ) में कोठे पे बैठाओगे ,. अरे पहले उसकी नथ उसकी खुद उतार दो , फिर बैठाओ ,. . की भौजी से डर के भाग गए थे , आज घर में भौजी महतारी नहीं है तो कम्मो भौजी आज बिना गाँड़ मारे छोड़ेंगी नहीं , स्साले , बहनचोद , गाँड़ तो चिकने तेरी मारी ही जायेगी , ससुराल में सलहज तो मारेंगे ही , लौण्डेबाज भी बहुत होंगे वहां। "

गालियों के साथ साथ जिस तरह से पीछे से उनकी पीठ पर वो चोली फाडू अपने बड़े बड़े जोबन अपने देवर की पीठ पर रगड़ रही थीं , किसी की भी हालत खराब हो जाती , ये बेचारे तो

पर बच के निकलना कोई इनसे सीखे ,

कम्मो की ऊँगली पर चिकना चमकता रस उन्हें दिखा और उन्होंने बात बदलने की कोशिश की ,

" काहो भौजी , देवर से छुपा छुपा के कौन मिठाई खा रही थी , बहुत जबरदस्त रस लगा है। "

" अरे ख़ास रसगुल्ला हो , ला तुंहु चाटा "

कम्मो ने बोला

और ऊँगली सीधे उनके मुंह में ,

मुश्किल से मैं हंसी दबा पा रही थी , उनकी ममेरी बहन की चूत की चासनी उनके मुंह में , और वो मजे से चाट रहे थे ,

और कम्मो उनकी भौजाई चटवा रही थी , ननद की बुर की चासनी उसके भइया से चटवाये , इससे ज्यादा मजे की बात भाभी के लिए क्या हो सकती थी ,

पर कम्मो इतने पर रुकने वाली नहीं थी ,

" हे तुमहू क्या याद करोगे आज इस रसगुल्ले का पूरा स्वाद चखा दूंगी , . "और फर्श पर पड़ी गुड्डी की चड्ढी उठा के बोली ,

" चला तब तक रसगुल्ला के डब्बे से चलाय ला , . " और उनकी ममेरी बहन की चड्ढी सीधे उनके मुंह पे।

मान गयी मैं कम्मो को , उसने बोला था की मैं उसके ऊपर छोड़ दूँ , और सच वो भी न बस पन्दरह बीस मिनट में

कुछ तो उसकी बातें और उस भी बढ़कर उसकी ऊँगली और बड़े बड़े गदराये कड़े कड़े जोबन का जादू ,

अपनी उँगलियों से उसने इनकी शर्ट के बटन खोल कर शर्ट उसी फर्श पर जहाँ उनकी बहन की ब्रा छितरी पड़ी थी , कम्मो की बदमाश उँगलियाँ अब उनके निप्स कभी सहलातीं , कभी नोच लेतीं , एक हाथ पैंट के अंदर घुसा पिछवाड़े को सहलाती , दरार में ऊँगली से रगड़ती ,

बात उसने ये बनायी की उसकी एक बाजी लगी है , एक स्साली से , ( आखिर गुड्डी पर हमारे भाई चढ़ते तो स्साली ही तो होगी वो ) और कम्मो ने जो रूप बताया , किसी ने गुड्डी को एक बार भी देखा होता तो समझ जाता की उसी की बात हो रही है , खूब गोरी , छोटे छोटे लेकिन खूब कड़े कड़े जोबन , एकदम कसी कच्ची कली , अभी तक किसी ने छुआ भी नहीं ,

कम्मो ने तरह तरह की कसमें दिलवाई , उनसे दुहरावायी ,.

मैंने भी कम्मो की बात में हाँ में हाँ मिलाई , सच में एकदम कमसिन , मेरी सहेली ( गुड्डी मेरी सहेली भी तो थी , लेकिन मेरी सहेली के होने के नाते उनकी साली का भी रिश्ता बन गया )

तबतक उनकी पैंट भी उतर गयी , कम्मो ने मुझे इशारा किया और एक ग्लास डबल भांग वाली ठंडाई जो उनकी बहन को पिलाई गयी थी मैंने उन्हें भी ,

और तबतक कम्मो ने उनका तनता मूसल सम्हाल लिया , होली में तो कितनी बार कम्मो भौजी ने अपने देवर के मूसल को खोल के रंग रगड़ा था , सुपाड़ा सहलाया था ,

और कम्मो की उंगलिया , कम्मो की बातें , कच्ची उम्र वाली साली की बात ,

एक झटके में कम्मो ने सुपाड़ा खोल दिया।

अब वो पूरे एक बित्ते का अपने असली रूप में ,

कम्मो की शर्त

और कम्मो की उंगलिया , कम्मो की बातें , कच्ची उम्र वाली साली की बात ,

एक झटके में कम्मो ने सुपाड़ा खोल दिया।

अब वो पूरे एक बित्ते का अपने असली रूप में ,

और कम्मो ने शर्त बताई ,

कच्ची है तो झिल्ली तो फटेगी ही , लेकिन कम्मो ने शर्त ये लगाई है की सिर्फ तीन बार में पूरा मूसल ठेल देना है ,

पहली बार में सुपाड़ा

दूसरी बार में आधा , और झिल्ली फट जानी चाहिए और

तीसरी बार में जड़ तक मूसल अंदर , तोहरी भौजाई की इज्जत का सवाल है ,

पहले तो वो जोश में आ गए , लेकिन फिर उनकी मन में हिचक आ गयी

" आप तो कह रही थीं की कच्ची उम्र की कच्ची कली तो , एक बार में , मेरा इतना ,. "

" तुंहु न , आखिर तोहार भौजी हूँ , . ओकर फैलावे क सटावे क जिम्मेदारी मेरी है , बस ओकरे बाद जितनी ताकत हो तोहरे कमर में मार दिहा धक्का , चिल्लाई तो चिल्लाय दिहा , . "

कम्मो ने रास्ता बताया।

सच में भौजी के लिए अपनी कुँवारी ननद की बुर जबरन फैला के उसमें उसके भइया का लंड सटाने से ज्यादा मजा क्या हो सकता है , .

मैंने भी अपना रोल निभाया ,

" हे तानी उस स्साली की शर्त भी तो बता दो, उसने कहा था, इनकी आँख पर पट्टी कस के बंधी होनी चाहिए "

मेरी जिमेदारी 'बछिया ' को तैयार करने की थी , और कम्मो की जिम्मेदारी सांड़ को ,

आज कुछ भी हो जाय 'सांड़' को ' बछिया ' पर चढ़ाना ही था ,

'बछिया '

मैंने भी अपना रोल निभाया ,

" हे तानी उस स्साली की शर्त भी तो बता दो, उसने कहा था, इनकी आँख पर पट्टी कस के बंधी होनी चाहिए "

मेरी जिमेदारी 'बछिया ' को तैयार करने की थी , और कम्मो की जिम्मेदारी सांड़ को ,

आज कुछ भी हो जाय 'सांड़' को ' बछिया ' पर चढ़ाना ही था ,

मेरी बछिया सिकुड़ी , दबकी , घबड़ायी बगल के कमरे में दुबकी बैठी थी , अपने हाथों से दोनों नए आये छोटे छोटे जोबन को छुपाने की कोशिश करती ,

नहीं नहीं हम लोगों ने उसके सब कपडे नहीं उतारे थे सिर्फ टॉप और स्कर्ट उठाके काम चला लिया था , हाँ ब्रा और पैंटी जरूर और बाद में कम्मो ने टॉप भी , स्कर्ट वो अभी पहने थी ,.

पहले तो मैंने उसे गुदगुदी लगाई , कान में फूका , गाल पर हलकी सी चुम्मी ली , चपत लगाई , फिर धीमे से बोली

" हे अभी तो खुद परेशान हो रही थी , भौजी झाड़ दो , झाड़ दो , अब आगया है झाड़ने वाला तो घबड़ा रही है , तेरी दोनों सहेलिया कब की फड़वा चुकी ,. . चल यार , . . "

" नहीं नहीं भाभी , "

उसने अपने दोनों हाथों से पलंग जिस पर वो बैठी उसे कस के पकड़ने की कोशिश की , बस उसके दोनों कच्चे टिकोरे खुल गए और मेरी चांदी हो गयी ,

किसी लड़की की चूँचिया बस मेरे हाथ में आ जाये , दो मिनट में उसे पनिया देने की ट्रिक मेरी गाँव की भाभियों ने मुझे नौवें दर्जे में ही सिखा दी थी , निप्स को कैसे फ्लिक करें , कैसे कभी दबाएं , कभी सहलाएं ,

और मेरी 'बछिया ' मेरी ननद , इनकी ममेरी बहन दो मिनट में गरमा गयी , पनिया गयी ,

उसे गुदगुदी बहुत लगती थी , मेरा एक हाथ उसकी जांघों पर ,. वो खिलखिलाने लगी , फिर तो मेरी हथेली जांघों के बीच , अपनी गदोरी से मैं वहां रगड़ने लगी , पहले से पनिया रही थी , अब तो एकदम गीली ,. .

" देख यार , कभी न कभी तो फटनी ही है तो आज ,. मौका भी है , दस्तूर भी है ,. "

मेंने सारे टोने टोटके पहले से कर लिए थे अपनी इस छोटी ननद के साथ , उनके गन्ने का पूरा रस , इसे पिला चुकी थी , उन्ही के सामने ,

उन्हें भी मालूम था की उनकी सीधी साधी बहिनिया उनका गाढ़ा वीर्य रस घोंट रही है ,

और उनकी बहन को भी ,

इनकी सास ने नहीं मेरी सास ने ये टोटका बताया था , किसी मर्द की मलाई अगर किसी कुँवारी लड़की को पिला दो तो बस उस लड़की की गुलाबो पर उस मर्द के खूंटे का नाम लिख जाता है , और अगर उस मरद को उस कुँवारी लड़की की चासनी चटा दो , तो फिर तो खुद ही वो ,.

मुझे मालूम था की इनकी मस्त चढ़ती जवानी में बौराई बहिनिया आने वाली है, बस इनके मोटे कड़े खूंटे को मैंने जम के चूसा , कटोरी से भी ज्यादा रबड़ी मलाई मेरे मुंह में , और बिना ज़रा भी खुद घोंटे इनके सामने ही मेरे मुंह से इनकी बहिनिया के मुंह में ,

इसकी चासनी भी भी मैंने पहले भी चटाई थी इन्हे और आज कम्मो ने भी अपने 'सांड़ ' को ,.

इसने तो उनके मसल की कितनी फोटुएं देखी थी , और मुझे उसे घोटते हुए भी , मन तो उसका कर ही रहा था , बस डर लग रहा था ,
और ये बात उसकी बात से भी जाहिर हो गयी , .

" भाभी ,. लेकिन ,. लेकिन दर्द बहुत होगा। "

एकदम डरती कांपती थरथराती आवाज में , रुक रुक कर , सहमी हुयी , .

जैसे किसी बकरी के बच्चे को अंदाज लग जाए की अब उसे छूरी के नीचे जाना है ,

बस दस मिनट

जैसे किसी बकरी के बच्चे को अंदाज लग जाए की अब उसे छूरी के नीचे जाना है ,

और इस बकरी को तो भोंथरी छुरी के नीचे ,

लेकिन उसके बिना खाने वाले को मजा कैसे आएगा ,.

मैंने भी न उसे झूठा ढांढस दिलाया , न झूठ बोला , साफ़ साफ़ बोली मैं ,

" दर्द तो होगा ही जब फटेगी ननद रानी "

और मैं और कम्मो दोनों चाहती थी ,

ये खूब चीखे चिल्लाये , गाँड़ पटके, नौ नौ टेसुए बहाये ,

जैसे पानी के बाहर निकलने पर मछली की हालत होती है उस तरह तड़फड़ाये ,. और कम्मो का सांड़ , कस के इस बछिया को दबोचे रहे ,

भले ही ये रोती रहे , चीखती रही , इसकी कच्ची कसी चूत फ़ट कर फचफचा कर खूब खून फेंके ,.

अरे नयी ननदें जब गौने से लौटती हैं , तो मेरे गाँव में सारी भौजाइयां , करोद करोद कर कैसे दर्द हुआ जब फटी ,.

और यहाँ तो जब ननद की फटेगी तो दो दो भौजाइयां , साथ साथ सामने देख्नेगी कैसे चीखती है ये ,

और सिर्फ दो भौजाइयां ही नहीं ,. मैंने अपने मायके रीतू भाभी को पांच मिनट पहले बता दिया था जब उनके नन्दोई आये तभी ,बस लाइव टेलीकास्ट होगा

सिर्फ इनकी साली , सलहज ही नहीं , इनकी सास भी इन्तजार कर रही थीं , कैसे ये अपनी ममेरी बहन की फाड़ते हैं , और फिर आगे के लिए वीडियो रिकार्डिंग भी

लेकिन फिर मैंने थोड़ा उसे छेड़ा ,

" हे मुझे भी तो दर्द हुआ था , "

वो थोड़ा सा मुस्करायी , बोली , हाँ बहुत जोर से चीखी थीं दस बजकर सताइस मिनट है न भाभी , .

मेरी सारी ननदें बाहर छत पर कान फाड़े खड़ी थीं ,

" चल उठ न , फिर मैं और तेरी कम्मो भाभी रहेंगी न साथ में , क्यों घबड़ा रही है , "

मैंने खींच कर उसे उठाया ,

वो खड़ी तो हुयी लेकिन एक बार फिर चलते चलते सहम गयी ,

" नहीं भाभी , नहीं , हिम्मत नहीं पड़ रही है , प्लीज भाभी रहने दीजिये , नहीं ,. "

" अरे यार तुझे क्या करना है , अच्छा एक काम कर मेरी गारंटी , बस दस मिनट के लिए मेरी बात मान ले , उसके बाद तेरी वाली ,. जो तू चाहे ,. तुझे कुछ नहीं करना है , बस निहुर जाना टाँगे फैला कर , . कस के दोनों हाथ से पलंग का सिरहाना पकडे रखना ,. और हाँ आंखे बंद , बल्कि अभी से आँख बंद , . . मैं हूँ न तुझे हाथ पकड़ा के ले भी चल रही हूँ , बस जहाँ जैसे कहूँगी निहुर जाना , दोनों हाथ से कस के पकड़ लेना , उसके बाद तुझे पता भी नहीं चलेगा , सच्ची , . भाभी पर विशवास है की नहीं , . "

" है भाभी , . "

अब उसने आँखे तो बंद कर ली , लेकिन चेहरे पर दर्द का डर अभी भी था ,.

मैंने उसकी ऊँगली पकड़ ली और उसे लेकर ,. .

दस मिनट की बात मैंने इस लिए की थी की एक बार इनका मोटा सुपाड़ा इसकी कुंवारी चूत में धंस जाता तो न ये कुछ कर पाती न इसके भैया ,

फिर तो कम्मो थी न ,.

जब हम दोनों मेरे कमरे में आये ,

'सांड ' सचमुच में एकदम तन्नाया , बौराया ,

बछिया -सांड़

" है भाभी , . "

अब उसने आँखे तो बंद कर ली , लेकिन चेहरे पर दर्द का डर अभी भी था ,.

मैंने उसकी ऊँगली पकड़ ली और उसे लेकर ,. . दस मिनट की बात मैंने इस लिए की थी की एक बार इनका मोटा सुपाड़ा इसकी कुंवारी चूत में धंस जाता तो न ये कुछ कर पाती न इसके भैया , फिर तो कम्मो थी न ,.

जब हम दोनों मेरे कमरे में आये ,

'सांड ' सचमुच में एकदम तन्नाया , बौराया ,. कम्मो की ऊँगली का जादू ,. और कम्मो गाँव का सुद्ध कोल्हू का पेरा सरसों का तेल , लेकिन सिर्फ सुपाड़े पर,

एक बार सुपाड़ा अटक गया,धंस गया फिर तो जितना रगड़ता हुए घिसटते हुए जाएगा उतना ही दर्द के मारे ये गाँड़ पटकेगी,चिलायेगी,. सुपाड़ा उनका मोटा भी कितना था, और यहाँ उसकी चीख सुनने वाला था कौन उसकी भौजाइयों के अलावा,

सुपाड़ा उनका मोटा भी कितना था,

और ऊपर से कम्मो ने शर्त लगा दी थी, अगर पहले धक्के में ही सुपाड़ा नहीं अंदर गया तो बस समझ लो , देवर भाभी की कुट्टी पक्की वाली, तो आज तो वो पूरा कमर का जोर, और उनकी कमर का जोर मुझसे ज्यादा कौन जानता था

' बछिया ' मेरी घबड़ा रही थी , डर से काँप रही थी , सिकुड़ी जा रही थी ,

और 'सांड़' एकदम बेताब था , बावला हुआ जा रहा था , उसका बित्ते भर का खूंटा जैसे तन कर गज भर का हो गया था , उसे 'बछिया' की महक मिल गयी थी

जैसे मैंने कहा बस वो निहुर के ,

मैंने उसकी टांगों बीच अपनी टाँगे डाल अच्छी तरह से , चौड़े से फैलवा दी , जितना वो फैला सकती थी , उससे भी ज्यादा ,. उसके मुलायम पेट के नीचे दो मोटे मोटे कुशन रख दिए ,. जिससे 'सांड ' का धक्का सीधे वहीँ ,

स्कर्ट मैंने मोड़ कर छल्ले की तरह अपनी ननद की कटीली पतली कमरिया में फंसा दिया , अच्छी तरह अब कित्ते भी धक्के लगे वो ढीली नहीं होने वाली थी , और हलके से दुलार से उसके छोटे छोटे कसे चूतड़ सहलाते हुए मेरी दो उँगलियाँ उसकी गुलाबो की दरार के बीच धंस गयी ,

गुलाबो मेरी 'बछिया' की दूबदूबा रही थी , यानी मन मेरी 'बछिया' का भी कर रहा था , लेकिन 'सांड़ ' से डर रही थी ,.

कम्मों ने मेरी ओर इशारा किया , ' बछिया' की गुलाबो की ओर , मैं उसे कस के फैला दूँ ,. .

मैंने दोनों अंगूठे से उसे फ़ैलाने की कोशिश की , लेकिन कम्मो को मजा नहीं आया , वो खुद अपने 'सांड़ ' को छोड़ कर मेरी ' बछिया' के पास आयी

और मान गयी मैं कम्मो को कितनी बेरहमी से , कितना कस के चियारा उसने मेरी ननद की बुर को , दोनों अंगूठे अंदर डाल के दोनों फांके बाहर की ओरपूरी तरह से फैला रखा था ,

मेरी बछिया दर्द से बिलबिला रही थी , लेकिन उसके बिना इतना मोटा सुपाड़ा ,. मैंने कम्मो की सांड़ की ओर देखा ,

क्या मोटा तन्नाया सुपाड़ा था , कड़ुवा तेल से चुपड़ा चपचपाता ,.

और आँखों पर उनकी ममेरी बहन की ब्रा पैंटी के साथ एक और खूब मोटी सी काली पट्टी , सच में उन्हें कुछ नहीं दिख रहा होगा ,.

मैंने अपने हाथ से ' सांड़ ' का खूंटा पकड़ा और दुबदुबाती अपनी ' बछिया ' की बिल पर सेट कर दिया,

सांड़ चढ़ा

मेरी बछिया दर्द से बिलबिला रही थी , लेकिन उसके बिना इतना मोटा सुपाड़ा ,. मैंने कम्मो की सांड़ की ओर देखा ,

क्या मोटा तन्नाया सुपाड़ा था , कड़ुवा तेल से चुपड़ा चपचपाता ,.

और आँखों पर उनकी ममेरी बहन की ब्रा पैंटी के साथ एक और खूब मोटी सी काली पट्टी , सच में उन्हें कुछ नहीं दिख रहा होगा ,.

मैंने अपने हाथ से ' सांड़ ' का खूंटा पकड़ा और दुबदुबाती अपनी ' बछिया ' की बिल पर सेट कर दिया,

कम्मो ने बेदर्दी से बिल पूरी तरह फैला रखी थी , वो बेचारी निहुरि जैसे कोई ' बछिया ' पहली बार 'सांड़' के नीचे आ रही हो ,

कम्मो ने मुझे इशारा किया और मैंने उनके दोनों हाथ पकड़ कर ' उसकी ' पतली कटीली कमरिया पर रख दी , उन्होंने कस के दबोच लिया ,

" पेल स्साले कस के "

फुसफुसाती हुयी कम्मो ने उन्हें ललकारा ,

बस कमरे का फर्श नहीं फटा , .

बाहर फागुनी बयार में झूमते पलाश के पेड़ रुक गए ,

हवा थम गयी , .

गजब की ताकत , उससे भी दसगुना जोश , .

उईईईईई , .

मेरी ननद की चीख कमरे से गूँज उठी , . लेकिन उससे पहले कम्मो पहले से ही तैयार थी , उसकी तगड़ी हथेली ने उसका मुंह कस के भींच लिया ,

वो दर्द से तड़प रही थी , बिलख रही थी , बड़ी बड़ी कजरारी आँखों में आंसू तैर रहे थे ,
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