Episode 66

मैं उसकी पीठ सहला रही थी , हिम्मत बंधा रही थी और कनखियों से देख रही थी , उसके भइया का मोटा तगड़ा खूब बड़ा सा सुपाड़ा , तीन चौथाई से ज्यादा अंदर धंसा ,

मेरी निगाह वहीँ चिपकी ,

वो पुश कर रहे थे , . . सूत सूत सरक सरक कर , घिसकता , धंसता अंदर ,

पूरी ताकत से वो ठेल रहे थे ,

वो तड़प रही थी , दर्द के मारे बिसूर रही थी पर कम्मो ने कस के उसका मुंह भींच रखा था ,

मैंने भी दोनों हाथों से कस के अपनी' 'बछिया ' की कमर को जकड रखा था , जिससे वो इंच भर भी इधर उधर न सरक सके ,

गप्पांक

सटाक

पूरा सुपाड़ा अंदर था ,

कम्मो ने मेरी ओर देखा , मैंने बिन बोले ही इशारा किया ,

घोंट लिया इसने पूरा सुपाड़ा ,.

बस कम्मो ने मुंह पर से हाथ हटा लिया , जैसे कह रही हो अब चिल्लाने दो स्साली को , पटकने दो चूतड़ ,अब सुपाड़ा पूरा घुस गया है , लाख कमर झटके चूतड़ पटके , अब निकलने वाला नहीं है ,

मेरी ननद हलके हलके कहर रही थी , बिसूर रही थी , मैं हलके हलके उसकी पीठ सहला रही थी , उसकी कमर सहला रही थी , उसके कान में फुसफुसा रही थी

" अब काहें का दर्द , तूने पूरा मोटा तो घोंट लिया , बस अब थोड़ा सा ढीला कर , उधर से ध्यान हटा दे , कस के निहुरी हुयी , हाँ बस , जरा सा टांगे और फैला न , बस ,. हाँ देखों अब दर्द ख़त्म , मज़ा शुरू। "

मैं उसे फुसला बहला रही थी और अब कम्मो एक बार फिर से 'सांड़' के पास ,

मुझे मालूम था की असली दर्द तो अभी बाकी है , जब झिल्ली फटेगी , जब कली फूल बनेगी , तब ,.

और कनखियों से देख रही थी , कैसे कम्मो अपने ' सांड़ ' को उकसा रही थी , गरमा रही थी , भड़का रही थी ,

उसके दोनों बड़े बड़े जोबन इनकी पीठ पर रगड़ रहे थे , फिर उसकी उँगलियों ने नीचे जाकर इनकी बॉल्स के पास , उँगलियों से सहलाया , दबाया और कान में कुछ बोला ,

सट गया, धंस गया, ,, फट गयीइइइइइइइइ

कम्मो अपने ' सांड़ ' को उकसा रही थी , गरमा रही थी , भड़का रही थी ,

उसके दोनों बड़े बड़े जोबन इनकी पीठ पर रगड़ रहे थे , फिर उसकी उँगलियों ने नीचे जाकर इनकी बॉल्स के पास , उँगलियों से सहलाया , दबाया और कान में कुछ बोला ,

क्या ताकत वाला धक्का था , कस के मेरी बछिया की कमर पकड़ कर ,

ओह्ह उफ़

बाहर चल रही हवा रुक गयी ,

खिड़की का शीशा चटक गया , इतनी जोर से चीखी उनकी छोटी बहिनिया ,

उईईईईई ओह्ह्ह्हह्ह नहीं , उईईईईई

कम्मो ने आँख के इशारे से मना कर दिया , चीखने दे स्साली को , .

आधे शहर में तो नहीं लेकिन आधे मोहल्ले में जरूर मेरी छोटी ननद की चीख सुनाई दी होगी ,

लेकिन उनकी ससुराल में उनकी बहन की फटने की चीख पूरी तेजी से सुनाई पड़ी ,

मैंने अपने कैमरे को इस तरह से सेट किया था की लाइव टेलीकास्ट सीधे उनकी ससुराल में हो रहा था , सलहज साली को छोड़िए , उनकी सास , नाउन , उसकी बिटिया , नाउन की बहू सब ,

और मैं क्लोज अप वीडयो , स्टिल सब ननद रानी के मोबाइल से ही , और उससे कम्मो के फोन पर , उसकी मेरे , इनके सबके फोन पर , . और कल कोई चेक भी करता , तो सब की रिकार्डिंग और ट्रांसमिशन उसी के फोन से मिलता ,.

उईईईईई उईईईईई , अबकी चीख पहली बार से भी तेज थी ,

मैं उसकी पीठ सहला रही थी , उसे हिम्मत दिला रही थी , धक्का अब रुक गया था , आलमोस्ट छह इंच से ज्यादा घुस गया था , .

रुक रुक कर अभी भी चीखे निकल रही थीं ,

एक बूँद , दो बूँद खून , . खूंटे पर ,

अब मुझे लगा कम्मो की सोच के बारे में , कितना सही किया उसने इनकी आँख पर ये जबरदस्त पट्टी बाँध के ,

एक बूँद खून इनसे बर्दाश्त नहीं होता , यहाँ तो , . .

तभी फचफचा कर इनकी बहन की कसी कुँवारी कच्ची चूत ने खून फेंक दिया ,.

कम्मो मुस्करा रही थी , इसारे से मुझे बोली , घबड़ा मत ,

मैं भी समझ रही थी , एक तो उमर की बारी , कच्ची और दूसरी उसकी झिल्ली भी थोड़ी , . फिर कभी उसने खुद भी कस के ऊँगली नहीं किया था की ,.

मेरी ननद रानी की जाँघों पर बुर पर हर जगह खून दिख रहा था ,

मैंने ननद को पुचकारना शुरू किया , इनके दोनों हाथ तो कमर पर थे पर मैंने गुड्डी की छोटी छोटी चूचियों को हलके हलके सहलाना शुरू किया , कभी दुलार से उसके गाल सहला देती

चीखें अब तक रुक रुक कर आती हिचकियों में बदल गयी थी ,

अब हलकी हलकी मस्ती की सिसकियाँ भी बीच बीच में सुनाई देती ,

पर भौजाई को तो ननद की चीखें ही हैं खास तौर पर जब ननद का भाई नन्दोई बनकर अपनी बहन की कुँवारी कच्ची बिल में मोटा मूसल पेल रहा हो

जब ननद रानी की चीखें एकदम रुक गयीं , तो कम्मो ने मामला अपने हाथ में ले लिया , बस देवर का खूंटा और उनकी कलाई ,

कम्मो

जब ननद रानी की चीखें एकदम रुक गयीं , तो कम्मो ने मामला अपने हाथ में ले लिया , बस देवर का खूंटा और उनकी कलाई ,

बार बार गोल गोल , जहाँ झिल्ली फटी थी , बस ठीक उसी जगह , रगड़ता , घिसटता , . थोड़ा आगे बढ़ जाता तो फिर उसी चोटिल जगह पर

और अब चीखें और तेज , बार बार ,.

कुछ देर तंग कर के कम्मो ने अपना हाथ हटा लिया और इन्होने हलक हलके धक्के शुरू किये ,

उन धक्को का असर मुझसे ज्यादा कौन जानता था ,

थोड़ी देर में वही असर इस कच्ची कली पर भी पड़ने लगा , दर्द की जगह मस्ती ने ले ली ,

दो चार मिनट के बाद अचानक कम्मो को याद आया , बात तो एकदम जड़ तक ठेलने की थी और दो ढाई इंच अभी भी मूसल बाहर था ,

मैं खुद पहली बार तो छोड़िये पहली रात भी , . . अगले दिन ,. बहुत मुश्किल से पूरा घोंट पायी थी ये बित्ते भर का खूंटा , और ये कच्ची कली , उमरिया की बारी , पहली बार में ही ,

पर कम्मो तो कम्मो, जब तक कुँवारी कच्ची ननद की फट के चिथड़ा न करवा दे तो कौन भौजाई , उहो , ननद के भइया से ,.

खूंटा उनका न सिर्फ बित्ते भर का था और मोटा भी बहुत ,. उनकी भौजी ने अपने देवर से तीन तिरबाचा भरवाया था , . पूरा जड़ तक ठेलेंगे ,

और बस कम्मो , . गालियों की बरसात , और उस के साथ कम्मो का हाथ और उँगलियाँ भी ,

पिछवाड़े कम्मो सहला रही थी , फिर एक साथ दो उँगलियाँ अंदर और ,

" भोंसड़ी के , तोहरी महतारी की गांड तोहरे ससुर से मरवाईं , स्साले ये बाकी का अपनी महतारी के भोसड़े के लिए बचा रखा है , अरे पेल पूरा ,"

कुछ उनकी भौजाई की गालियों का असर , कुछ पिछवाड़े में घुसी दोनों उँगलियों का असर ,

घच्चाक ,

जो मूसल आधे से ज्यादा बाहर उन्होंने निकाल दिया था अब एक झटके में जड़ तक ,

और एक बार फिर मेरी ननद की चीख ,

उईईईईई उईईईईई

दर्द से उसकी देह सिहर गयी , वो तो मैंने कस उसकी देह दबोच रखी थी वरना वो जिस तरह से छटपटा रही थी , फिसलने की कोशिश कर रही थी , मैंने दोनों हाथों से उसकी कुँवारी देह को पूरी ताकत से पकड़ रखा था , एकदम हिलने भी नहीं दे रही थी , लेकिन जिस तरह से वो तड़प रही थी ,

पर वो तड़प ,. मुझे विश्वास नहीं हुआ , उसकी देह हवा में पत्ते की तरह काँप रही थी ,छोटी छोटी चूँचियाँ पत्थर की तरह कड़ी , चेहरे पर एक अलग तरह की मस्ती

चीख सिस्कियों में बदल गयी थी , और मेरी ननद झड़ रही थी ,

उनके लंड का धक्का , सीधे उसकी बच्चेदानी पर लगा था , और उसका वही असर हुआ , जो होना था ,

मैं कम्मो की और देख कर मुस्करायी , वो अपने सांड के पास , मैं अपनी बछिया के पास , . . , हम दोनों ने आँखों में हाई फाइव किया , मान गयी मैं कम्मो को

मेरा कहना था की ये कच्ची कली पहली बार में पूरा नहीं घोट पाएगी ,

लेकिन कम्मो ने बोला था की स्साली घोंटेंगी भी अपने भइया का पूरा मूसल और झड़ेगी भी , जो जितना शर्माती है , नखड़े बनाती है वो स्साली एकदम पक्की छिनार होती हैं और ये देखना पहले अपने भइया का घोंटेंगी , फिर हम दोनों के भइया का , . पक्की छिनार निकलेगी , बस एक बार घोंट ले ,. स्साली

और और क्या झड़ रही थी मस्ती से मेरी ननद , उसकी आँखे पूरी तरह बंद थी , गुलाबो दुबदूबा रही थी , मस्ती से देह काँप रही थी ,

उनके खूंटे ने भी महसूस किया किस तरह , गुलाबो कस कस के उसे भींच रही है , चिपक रही है ,

एक पल के के लिए वो रुके , लेकिन कम्मो ने उन्हें पीछे से पकडे कान में क्या फूंका की एक एक बार फिर धक्के चालू हो गए

दूध मलाई

एक पल के के लिए वो रुके , लेकिन कम्मो ने उन्हें पीछे से पकडे कान में क्या फूंका की एक एक बार फिर धक्के चालू हो गए ,

उनके दोनों हाथ पतली कमर पर थे , आँखों पर कस के पट्टी बंधी थी , दिख तो कुछ पड़ नहीं रहा था , हाँ उनके हाथ कुछ जैसे ढूंढ रहे थे ,

मैं समझ गयी बस कमर से हटाकर उनके हाथ दोनों छोटे छोटे मस्त जोबन पर ,

कुछ देर तक तो सहलाते रहे वो फिर कस के मसलते , धक्के पर धक्के ,

एक बार फिर ननद मेरी कभी दर्द से चीखती तो कभी मजे से

निहुरा के मारना उनकी फेवरिट पोज थी ,

एक बार फिर से फागुन की मस्तानी हवा चल रही थी , बाहर पलाश खिले हए थे , और मेरी ननद मेरे साजन के नीचे दबी चुद रही थी ,

अब उनके साथ मेरी और कम्मो की उँगलियाँ भी कभी ननद रानी के जोबन पर तो कभी बिल पर ,

थोड़ी देर तक ,

मैं ये नहीं कहूँगी की वो धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी लकिन दर्द के साथ हल्का हलका मजा भी ,

अब वो पूरे जोश के साथ , और एक बार फिर मेरी ननद झड़ने के कगार पर , और कम्मो ने कुछ उन्हें उकसाया चिढ़ाया ,

हर धक्का सीधे बच्चेदानी पर , और ननद एक बार फिर झड़ रही थी ,.

आधे घंटे तक बिना रुके वो , धक्के पर धक्का , . और जब ननद रानी तीसरी बार झड़ना शुरू कर दी , तो मेरी बछिया की गुलाबो ने कस के कम्मो के सांड के खूंटे को कस के भींचना शुरू किया और अब की वो भी

झड़ते समय तो उनकी आँखे वैसे ही बंद हो जाती थी , पर कम्मो ने उनकी आँख पर बंधी पट्टी खोल दी , और उकसाया ,

" अरे तनी आपन माल को देख तो लो , कइसन मस्त तोहार माल घोंट रही है, तोहार बहिनिया "

वो इस हालत में थे की बाहर निकाल भी नहीं सकते थे , पिचकारी बार बार दूध मलाई छोड़ रही थी , और मैं और कम्मो उन्हें छेड़ रहे थे ,

क्यों मजा आया बहिन चोद, बहिनिया को चोद के,

क्या हचक हचक के अपनी बहिन क कुँवारी कोरी बुर फाड़े हो , बहिन चोद

थोड़ी देर बाद ,. मैं और कम्मो , भइया बहिनी को छोड़कर नीचे उतर आये थे ,

आखिर गाड़ी में डीजल जो भरना था ,

एक बार में धड़क,.

थोड़ी देर बाद ,. मैं और कम्मो , भइया बहिनी को छोड़कर नीचे उतर आये थे , आखिर गाड़ी में डीजल जो भरना था ,

लेकिन मेरी एक परेशानी का इलाज नहीं था , कम्मो से भी मैंने नहीं पूछा ,

"चलिए एक बात तो हो गयी , उनकी कोहबर की शर्त , गुड्डी रानी की फट भी गयी , लेकिन कहीं मेरी ननद रानी के मन में सेन्स ऑफ गिल्ट आ जाए , लगे नहीं गलत हुआ , और उसका उतरा चेहरा देखकर ये भी सोचें की उन्हें धोखे में रख कर , . मज़ाक की भी एक हद होती है , . "

बार बार ये बात मेरे मन में ये बात उमड़ घुमड़ रही थी ,

मुझे रीतू भाभी की भी एक बात याद आ रही थी ,

अपनी किसी ननद को सीखा रही थीं , एक बार में धड़क नहीं खुलती , कम से कम दो बार , . पहली बार तो दर्द घबड़ाहट चीख चिल्लाहट में निकलजाता है , दूसरी बार जाकर कहीं लौंडिया को असली मोटे खूंटे का स्वाद मिलता है , हाँ लेकिन अगर एक बाद दूसरी बार घोंट लिया उसने तो खुद ही ,. "

एक बार तो कम्मो ने जुगत लगा कर , लेकिन दूसरी बार कैसे ,.

मैं कुछ खाने का सामान इकठ्ठा कर रही थी , और दूसरे कोने में कुछ ' इनके ' लिए कम्मो , कुछ कम्मो स्पेशल बना रही थी ,

जब हम दोनों सब सामान लेकर ऊपर मेरे कमरे में पहुँच रहे थे , कम्मो ने इशारा कर के मुझे रोका और कमरे में झांकने को कहा ,

गुड्डी एकदम अपने भैया से चिपक के बैठी थी और कुछ बातें कर रही थी , कम्मो ने मुझे रोक दिया , और उन दोनों की ओर इशारा किया ,

वो तो एकदम भकुरे बैठे थे , मुंह लटकाये ,. ( जैसा मुझको डर था , एक बॉक्सर शार्ट पहने जो नीचे जाने के पहले मैंने उनको दे दिया था , और मेरी ननद की स्कर्ट तो उतरी भी नहीं थी , टॉप उसकी कम्मो ने वापस कर दी , हाँ ब्रा और पैंटी जिससे उनकी आँखों पर ब्लाइंड फोल्ड लगाया गया था वो कम्मो ने रख लिया था , उसी से जस्ट फटी चूत , उसमें लगी रक्त मिश्रित मलाई पोंछी थी ) ,

लेकिन उनकी ममेरी बहन मुस्करा रही थी , . और उनके पास सरक कर , मुस्कराते हुए उनसे पूछ रही थी ,

" भैया , तू गुस्सा हो , "

भैया तुम गुस्सा हो ?

" भैया , तू मुझसे गुस्सा हो , "

चकित होकर , उन्होंने उसकी ओर देखा और बोल पड़े,

" तुझसे क्यों गुस्सा होऊंगा , लेकिन तू , . तू मुझसे नहीं गुस्सा है ?"

" वाह अपने इत्ते प्यारे अच्छे मीठे मीठे भैया से क्यों गुस्सा होउंगी , तेरी तरह बुद्धू हूँ क्या "

आँख नचाकर वो शोख छोरी बोली , और उनसे कसकर दबोच लिया .

" तो ये मुंह लटका कर क्यों बैठे हो , किससे गुस्सा हो? "

उसने फिर पूछा और शरारत से बॉक्सर शार्ट में से झांकते थोड़े सोये थोड़े जागे खूंटे की ओर देखते हुए , मुस्कराकर उन्हें छेड़ा ,

" अच्छा सच बताओ , मेरी कसम ,. मजा नहीं आया , . सच बोलना वरना बहुत पीटूँगी। "

उस नयी नयी कली से फूल बनी ने बड़ी अदा से उन्हें उकसाया।

अब जाकर वो खुले , उसकी आँखों में आँखे डालकर उन्होंने घबड़ाते हुए पूछा ,

" अच्छा सच बोल , तू गुस्सा तो नहीं है ,. . "

" वाह मैं अपने इस मीठे मीठे , भइया से क्यों गुस्सा होउंगी , तेरी तरह बुद्धू हूँ , . क्या " जैसे सैकड़ों मोती फर्श पर बिखर गएँ हो , उस तरह खिलखिलाती , वो किशोरी बोली।

" असल में , सच बोलूं , मुझे कुछ पता नहीं था , . भौजी ने मेरी आँख पर पट्टी बाँध दी थी और , . मुझे नहीं मालूम था की तुम हो ,. बहुत दर्द हुआ न तुझे , एकदम अंदाज नहीं था . "

मेरी ननद की चांदी की हजार घुंघरुओं वाली पायल के खनकने की तरह की हंसी पूरे कमरे में गूँज गयी , .

" बुद्धू , मुझे तो एकदम पता था , मैं बगल के कमरे में से तेरी आवाज सुन रही थी , कब कम्मो भौजी , सच में भौजी बहुत अच्छी हैं , तेरे ऐसे बुद्धू लोगों का इलाज वही है , भाभी ने मेरी आँख बंद करवाई थी , लेकिन निहुरते हुए मैंने कनखियों से देख लिया था , तुम्ही हो , फिर तेरे अलावा और कौन आता इस कमरे में , तुझे तो कम्मो भौजी का थैंक्स करना चाहिए वरना तू न ऐसे का ऐसे ,.

रही दर्द की बात तो ये बात हर लड़की को मालूम होती है की दर्द होता है , बहुत होता है पहली बार , लेकिन क्या लड़कों का ही मन करता है , लड़कियों का मन उनसे ज्यादा करता है , फिर भाभी को दर्द नहीं हुआ था क्या , मुझसे थोड़ी ही तो बड़ी हैं , अगले दिन ठीक से चल भी नहीं पा रही थीं , दो दो ननदों के कंधे पर हाथ रखकर किसी तरह चिलखती सीढ़ी से उतरीं थी,, लेकिन अगली रात फिर से , . "

मैं और कम्मो उस की बात सुन रही थीं , मैं सोच रही थी , सच में कितनी समझदार है मेरी ननद ,

( हाँ अगली रात नहीं उसी दिन इन्होने दो राउंड , जब जेठानी जी मुझे ऊपर इसी कमरे में छोड़ आयी थीं , )

अब वो भी मुस्करा रहे थे , जैसे उसने उन्हें पकड़ रखा था उसी तरह उन्होंने भी उसे पकड़ लिया ,

और अब उनकी आवाज खुली , थोड़ा सहमते हुए , रुकते हुए बोले ,

" लेकिन तुझे ,. तुझे बहुत दर्द हुआ ,. है न "

मेरी ननद अब जोर से मुस्करायी , और उनकी नाक पकड़ के जोर से हिलाती बोली ,

" जो बुद्धू होते हैं न वो हरदम बुद्धू ही रहते हैं , हरदम , कोई इलाज नहीं , . . ये तो गनीमत बोल की तुझे मेरी भाभी ऐसी अच्छी अच्छी मीठी मीठी भाभी मिल गयीं , वरना ,. लेकिन पहले तुम मेरे सवाल का जवाब दे न "

मैं मान गयी गुड्डी रानी एलवल वाली की बात , बुद्धू वाली , यही बात तो मैं भी इनसे कहती थी , .

अब इनके भी मन का डर चला गया था , मुस्कराते हुए कुछ उसे चिढ़ाते , खिजाते बोले ,

" कौन सी बात , . "

लेकिन मेरी ननद , मेरी ननद थी , पीछे हटने वाली नहीं थी और अब तो उसकी फट भी गयी थी , हंस के बोली ,

" तुझे मजा आया की नहीं , . . सच सच बोलना , ज़रा भी झूठ बोला न तो कौवा तो काटेगा ही मैं भी बहुत पीटूँगी "

मैं भी कान पारे उनके जवाब का इन्तजार कर रही थी ,

और उनकी मुस्कराहट ही उनका जवाब थी , लेकिन अंत में उन्होंने बोल ही दिया , अपनी ममेरी बहन से ,

" हाँ , आया , . "

पर मेरी ननद इत्ती आसानी से थोड़ी छोड़ने वाली थी ,आखिर अपना कुंवारापन अपने भइया पर लुटाया था उसने ,

" कित्ता , थोड़ा सा की ज्यादा सा , . "

हाथ फैला कर बच्चों की तरह वो बोले ,

" खूब ज्यादा , इत्ता सा "

मेरी ननद ने उनसे भी ज्यादा हाथ फैलाया , और बोली ,

" मुझे भी तुझसे भी ज्यादा बहुत ज्यादा , . . " और उन्ही फैले हाथों से उन्हें बाँहों में भर लिया और सीधे मेरी ननद के होंठ मेरे सैंया के , उसके भैया के , क्या जबरदस्त चुम्मी ली थी उसने , आलमोस्ट उनकी गोद में बैठ के ,. .

तभी कम्मो ने इंट्री ली और उसके पीछे खाने पीने के सामान से लदी फंदी मैंने ,

" है बहन भैया के बीच चुम्मा चाटी हो गयी हो , तो पहले गाड़ी में डीजल भर लो , फिर एक राउंड करवा दूंगी। "

कम्मो दोनों को चिढ़ाते बोली।

मालपुआ

हाथ फैला कर बच्चों की तरह वो बोले ,

" खूब ज्यादा , इत्ता सा "

मेरी ननद ने उनसे भी ज्यादा हाथ फैलाया , और बोली ,

" मुझे भी तुझसे भी ज्यादा बहुत ज्यादा , . . "

और उन्ही फैले हाथों से उन्हें बाँहों में भर लिया और सीधे मेरी ननद के होंठ मेरे सैंया के , उसके भैया के , क्या जबरदस्त चुम्मी ली थी उसने ,

आलमोस्ट उनकी गोद में बैठ के ,. .

तभी कम्मो ने इंट्री ली और उसके पीछे खाने पीने के सामान से लदी फंदी मैंने ,

" है बहन भैया के बीच चुम्मा चाटी हो गयी हो , तो पहले गाड़ी में डीजल भर लो , फिर एक राउंड करवा दूंगी। " कम्मो दोनों को चिढ़ाते बोली।

. खाते पीते ही छेड़खानी फिर से शुरू हो गयी थी ,

मैं अपनी किशोरी. फूल सी कोमल ननद की ओर और ,

कम्मो अपने देवर की ओर ,

मैंने पहले इन्हे हड़काया ,

" हे लालची नदीदे , अकेले अकेले खा रहे हो , मेरी ननद बेचारी ,. "

,और जैसे ही उन्होंने अपने हाथ की गुझिया गुड्डी के गुलाबी होंठों की ओर बढ़ाई , उस ने मुंह बढ़ा के न सिर्फ पूरा गपक किया , बल्कि ,.

मैंने हल्का सा इशारा किया और उसने क़च्चाक उनकी ऊँगली काट ली , .

वो बड़ी जोर से चीखे , लेकिन उनकी तरफ से जवाब उनकी तरफदारी कर रही उनकी रसीली भौजी ने दिया ,

" हे अगर मेरे देवर ने काटा न , तो तेरी ननद बहुत जोर से चिल्लायेगी , . "

: हिम्मत है आपके देवर की , " ननद की ओर से जवाब उसकी मीठी भाभी यानी मैंने दिया।

अबकी बिना मेरे इशारे के मेरी ननद ने अपने हाथ का मालपुआ उनकी ओर बढ़ाया , अब वो भी डबल मीनिंग डायलॉग बोलने में हमारे टक्कर की हो गयी , शर्माते खाली उसके भइया थे , अभी चल तो रहे थे अपनी ससुराल वहां उनकी सास सलहज , .

" चल भैया , अब मैं दे रही हूँ , ले ले , ललचा मत , ललचाने से कुछ नहीं होगा , ले लो , ले लो "

और पहले हल्का सा जूठा कर के मालपूआ उनकी ओर बढ़ाया , एकदम होंठों के पास उनके , और जब उन्होंने खूब बड़ा सा मुंह खोला और

गप्प , गुड्डी पूरा मालपूआ अपने मुंह में ,. गप्प कर गयी ,

एक बार फिर से वही , उसने वही , वो मुंह खोलते , वो एकदम उनके होंठों से छुला के , अपने मुंह में , लेकिन तीसरी बार ,

उनकी कम्मो भौजी थीं न , उन्होंने इशारा किया और कुछ इशारों में हड़काया भी ,.

बस अबकी ननद ने उन्हें दिखाते , रिझाते, ललचाते मालपुआ अपने होंठों में , तो जैसे वो पहले से तैयार बैठे थे , उस शोख का उन्होंने सर पकड़ा , अपनी ओर खींचा , और उनके होठों उसके होठों पर , उनकी जीभ मालपुआ का टुकड़ा ढूंढती ,

मेरी और कम्मो की आँखों ने हाई फाइव किया , यही तो मैं चाहती थी , इनकी सास सलहज चाहती थीं , इनकी झिझक लाज हिचक हटे ,

एक छोटी सी चुम्मी

यही तो मैं चाहती थी , इनकी सास सलहज चाहती थीं , इनकी झिझक लाज हिचक हटे ,

' अरे एक मालपुवे के बदले यहाँ दो दो हैं , . अभी मेरा देवर ले लेगा , बहुत ललचा रही थी न तेरी ननद "

कम्मो ने उन्हें मेरी ननद के टाइट टॉप में तड़पते छलकते दोनों मालपुओं की ओर इशारा किया ,

" मेरी ननद डरती थोड़ी है आपके देवर से , वही घबड़ाता है आपका देवर "

और कम्मो ने अपने देवर का हाथ मेरी ननद के उभारों पर रख दिया , कुछ देर तक तो वो झिझके फिर हलके हलके सहलाना दबाना शुरू कर दिया "

होंठ उनके अपनी बहन के होंठों से चिपके , जीभ उसके मुंह में घुसा , और दोनों हाथ खुल के नए नए आये जोबन का रस लेते ,,

पांच मिनट बाद जब कम्मो भौजी देवर और मेरी ननद अलग हुए तो कम्मो ने उस किशोरी को छेड़ा ,

" देखा ज्यादा ललचाने का खतरा , कभी कभी वो चढ़ के ले लेगा , "

" भौजी , मैं ललचाती हूँ , मान गयी , आप के देवर ललचाते हैं , ये आप कह रही हैं , और हाँ , अपने देवर से खुद पूछ लीजिये , कभी मैंने ना की हो "

मेरी ननद बढ़ के बोली

मेरा ३४ सी का सीना ३६ डी हो गया अपनी ननद की बात सुन के , मैंने उसकी ओर से उन्हें और उनकी भौजी को चैलेंज किया ,

" देख लीजिये मेरी ननद को , ये पीछे हटने वाली नहीं है , . . आप के देवर की ही हिम्मत नहीं है , . वरना सच में इसने न पहले मना किया न आज मना कर रही है न आगे कभी मना करेगी ,. "

कम्मो बात आगे बढ़ाने में यकीन रखती थी , उसके देवर खाली बॉक्सर शार्ट में थे और चुम्मा चुम्मी में जोबन को दबाने में अब शेर थोड़ा सा जग गया था

" देख रही हो इस शेर को अगर एक बार पिंजड़ा खुल गया न तो चीर फाड़ के रख देगा " कम्मो ने गुड्डी को चैलेन्ज किया।

" अरे भौजी , कइसन भौजी हो , खोल दो न पिंजड़ा , और शेर तो अबहिन सो रहा था , थक गया है बेचारा पहले उसको जगाइए "

और अबकी बजाय मेरे जवाब देने के मेरी ननद ने , एकदम असली ननद की तरह अपनी भौजाई को जवाब दिया।

कम्मो को ललकारने का मतलब , उसका हाथ सीधे अपने देवर के , इनके बॉक्सर के अंदर ,. उसकी उँगलियाँ तो सोते शेर को , और इस शेर के साथ तो कितने बार होली खेलते समय कुश्ती लड़ी थी , बस मिनट भर में शेर अंगड़ाई लेने लगा ,

और जब तक मैं और गुड्डी कुछ समझें , बोले रोकें टोंके , कम्मो ने गुड्डी का टॉप उतार फेंका ,

" अरे शेर को तो मैं पिजड़े से निकालूंगी लेकिन तानी अपने दोनों कबूतर तो निकालो , " कम्मो बोली ,

पिंजड़ा भी खुला , शेर भी निकला , लेकिन मैंने और कम्मो दोनों ने उनके ऊपर शर्त लगा दी थी , पहले दस मिनट , नथिंग बिलो द बेल्ट , और ये शर्त मेरी ननद के लिए भी लागू थी ,

गुड्डी रानी का सर मेरी गोद में था , और मैंने उन्हें आँखों से इशारा किया अपनी ननद के रसीले गुलाबी होंठों की ओर

थोड़ी देर पहले मालपुआ का पीछा करते करते वो थोड़ा सा रस तो ले चुके थे ,

एक छोटी सी चुम्मी , मेरी ननद ने मारे लाज के आँखे बंद कर ली , बोलने की बात और है ,. शरम धीरे धीरे जाती है , लेकिन मुझे पूरा मालुम था कम्मो भौजी इस छोरी की सारी सरम लाज निकलवा के ही दम लेंगी ,

उन्होंने मुझसे कहा था , बस एक बार चिड़िया चारा खा ले ना तो बस देखना , सारे सहर में आ लगा देगी , हमारी ननदिया , सारे सहर के लौंडे इसका नाम लेकर मुट्ठ मारेंगे , स्साली को सिर्फ छिनार नहीं बनाना है , पक्की रंडी बना दूंगी

और चिड़िया को कम्मो ने चारा खिलवा दिया था ,

पहले हलकी हलकी किस्सी और अब गुड्डी भी धीमे धीमे जवाब दे रही थी , और अबकी गुड्डी की ही जीभ घुसी उनके मुंह में , .

वो होंठ छुड़ाती तो उसके गोरे गुलाबी मालपुआ ऐसे गालों पर इनके होंठ अपने मोहर लगाने लगते ,

हाथ दोनों जोबन रस ले रहे थे ,

कच्ची अमिया

एक छोटी सी चुम्मी , मेरी ननद ने मारे लाज के आँखे बंद कर ली , बोलने की बात और है ,. शरम धीरे धीरे जाती है , लेकिन मुझे पूरा मालुम था कम्मो भौजी इस छोरी की सारी सरम लाज निकलवा के ही दम लेंगी ,

उन्होंने मुझसे कहा था , बस एक बार चिड़िया चारा खा ले ना तो बस देखना , सारे सहर में आ लगा देगी , हमारी ननदिया , सारे सहर के लौंडे इसका नाम लेकर मुट्ठ मारेंगे , स्साली को सिर्फ छिनार नहीं बनाना है , पक्की रंडी बना दूंगी

और चिड़िया को कम्मो ने चारा खिलवा दिया था ,

पहले हलकी हलकी किस्सी और अब गुड्डी भी धीमे धीमे जवाब दे रही थी , और अबकी गुड्डी की ही जीभ घुसी उनके मुंह में , .

वो होंठ छुड़ाती तो उसके गोरे गुलाबी मालपुआ ऐसे गालों पर इनके होंठ अपने मोहर लगाने लगते ,

हाथ दोनों जोबन रस ले रहे थे ,

कितना ललचाती थी मैं इन्हे इनकी बहन के जोबन के लिए , कच्ची अमिया , कच्चे टिकोरे ,

और ये भले धत्त बोलते हों इनका खूंटा खड़ा होकर इनके मन की गवाही देता था ,

जब पहली बार मैंने इन्हे इन चूजों की फोटो दिखाई थी ,

गुड्डी की ब्रा सुंघाई थी , तीन बार की कुश्ती के बाद भी ,. उन चूजों के बारे में सोच के ही खूंटा खड़ा हो गया था ,. और मेरी वो धुनाई की थी उन्होंने

आज वो चूजे उनके हाथों के बीच थे , छोटे छोटे मुलायम फाहे बस अभी उभरते

और थोड़ी देर बाद इनके होंठ सीधे मेरी ननद के उरोजों पर , .

लेकिन गुड्डी के होंठ जैसे ही आजाद हुए उसे अपनी भौजी को छेड़ने का मौका मिल गया , कम्मो भौजी को , उनसे वो शोख एकदम असली ननद की तरह बोली ,

" भौजी कुल काम ननद ही करेगी , आप के देवर का शेर बेचारा शोर कर रहा है , उसे कोई पूछ नहीं रहा है थोड़ा भौजाई का फर्ज भी निभाइये ,"

इनके गुस्साए शेर को देख कर कम्मो के मुंह में खुद पानी आ रहा था , फिर अगर अपने देवर के शेर को अच्छी तरह जगा भड़का देंगी तो ऐसी की तैसी इस बड़बोली ननद की ही होनी थी , पहली बार में ही इन्हे इतना टाइम लगा था , सेकेण्ड टाइम तो पक्का आधे पौन घंटे से कम नहीं कुटाई होने वाली थी , मेरी ननद की ,

,उनकी बांसुरी कम्मो भौजी के होंठों के बीच

ननद भौजाई बीच ये तड़पते तरसते मजा लेते मान गयी मैं कम्मो को , मैंने कितनी ही ' वो ' लिप सर्विस वाली पिक्चर्स देखी थीं , किताबें भी , ' हाउ टू ' वाली , लेकिन आज जो आँखों से देख रही थी , वो नीली पीली फ़िल्में मात

बांसुरी

उनकी बांसुरी कम्मो भौजी के होंठों के बीच

ननद भौजाई बीच ये तड़पते तरसते मजा लेते ये

मान गयी मैं कम्मो को , मैंने कितनी ही ' वो ' लिप सर्विस वाली पिक्चर्स देखी थीं , किताबें भी , ' हाउ टू ' वाली , लेकिन आज जो आँखों से देख रही थी , वो नीली पीली फ़िल्में मात ,

कम्मो के देवर की हालत खराब अपनी भौजी की जीभ के आगे , सिर्फ जीभ , बल्कि जीभ की टिप ,. सच में ,.

मेरी आँखे सब छोड़कर भौजी -देवर पर चिपकी थीं ,

हाँ पहले तो होंठों का इस्तेमाल हुआ , ' कपड़ा ' , कवर उतारने के लिए , सिर्फ होंठों के हलके से जोर से धीमे धीमे , और चमड़ी सब सरक कर , नीचे

और इनका मस्ताया बौराया , खूब फूला , बड़ा सा , बौराया सुपाड़ा (काक हेड ) बाहर।

ये तो मुझे मालूम था , नो हैंड्स , सिर्फ लिप्स , पर आज देख रही थी , सिर्फ जुबान ,.

जीभ की टिप से कम्मो इनके पी होल , पेशाब वाले छेद को छेड़ती रही , सहलाती रही , सुरसुराती रही ,
फिर जैसे कोई पतुरिया नाचे , कम्मो की जीभ की टिप इनके खुले कड़े मांसल गुलाबी सुपाड़े पर नाचती , उसे छेड़ती रगड़ती ,

फिर एक बार सिर्फ जीभ की टिप , जैसे कोई कलम की नोक से कोई इबारत लिखे , कम्मो की जीभ की टिप जहाँ सुपाड़ा चर्म दंड पर मिलता है , बस उसी जगह जोर जोर से बार बार , जीभ की टिप से रगड़ रही थी ,

मान गयी मैं कम्मो को , जिस कॉलेज में मैंने दाखिला लिया था , सच में उस कॉलेज की वो हेडमास्टरनी थी ,

और फिर लांग लीक्स , इनके मोटे बित्ते भर के डंडे पर पूरा नीचे से ऊपर , खूब थूक लगा के ,

अभी तक खूंटे को उसने मुंह में नहीं लिया था , लेकिन इसी में कम्मो के देवर की हालत खराब थी ,

चाटते चाटते , एक बार जब वो खूंटे के बेस पर पहुंची तो बस हलके से , उसने इनके ' रसगुल्लों ' को भी जीभ से टच कर दिया ,

जैसे करेंट छू गया हो इन्हे ,

खूंटा जैसे एकदम पत्थर ,

और एक बार फिर उसके होंठ इनके सुपाड़े पर , मैं समझ रही थी उसकी शरारत ,.

सिर्फ हलके से जोर उसके होंठ इनके खुले सुपाड़े को रगड़ रहे थे , बिना चूसे , सिर्फ होंठों का दबाव , और जब वो होंठ ऊपर तक आये , तो बस उसने खूब जोर से ' ब्लो ' किया , सीधे उनके पी होल पर

मेरी भोली ननदिया को नहीं मालूम था की अपनी कम्मो भौजी को चढ़ाकर उसने अच्छे घर दावत दी है ,

कम्मो जिस तरह अपने देवर के मोटे मूसल को जीभ से होंठों से छेड़ रही थी , उनके तन मन में आग लगा रही थी , उसका असर तो मेरी और कम्मो की ननद को ही भोगना था ,

ननद का सर मेरी गोद में था और मैं हलके हलके प्यार दुलार से उसके लम्बे लम्बे खुले बाल सहला रही थी

कुछ देर पहले तक ये बड़े प्यार से धीमे धीमे , सम्हल सम्हल कर अपनी ममेरी बहन की कच्ची अमिया , बस सहला दुलरा रहे थे , कभी छू लेते कभी सहला देते , कभी झुक कर चूम लेते

लेकिन कम्मो की जीभ, कम्मो के होंठ जिस तरह इनके खूंटे से खिलवाड़ कर रही थी , उसका असर इनके होंठों पर , हाथों पर हुआ ,

छूना सहलाना , कस कस के मसलने , रगड़ने में बदल गया , बस अब उन्हें इस कच्चे टिकोरों का सारा रस लूटना था , उन्हें कुतरना था ,

एक हाथ कस कस के उस नयी नयी आयी जवानी वाली छोरी के जोबन को कस के मसल रहा था , दबा रहा था कुचल रहा था ,

और दुसरे पर , बस अभी आ रहे , भोर की ललछौंही ललाई ऐसे , खेत से न तोड़ी गयी कच्ची मटर के दूध भरे दाने जैसे निपल को , कभी अपनी ऊँगली से फ्लिक करते तो कभी होंठों से चूसते , जोर जोर से

लेकिन जब कभी उनकी बदमाश भौजाई , अपने दांत से , नाख़ून से हलके से उनके बॉल्स को , सुपाड़े को खरोंच लेती तो सीधा असर उनके ऊपर होता

वो जोर से अपने दांत अपनी ममेरी बहन के छोटे छोटे निप्स पर गड़ा देते ,

और बेचारी मेरी और कम्मो की ननदिया जोर से चीख उठती ,

पर यही तो मैं और कम्मो चाहते थे ननद की चीख पुकार , और अब तो उसको हरदम चीखना चिल्लाना था , आज अपने भइया के साथ तो बस कुछ दिनों में मेरे और कम्मो के भाइयों के साथ ,

कम्मो ने इन्हे गरमा दिया था और इन्होने मेरी ननद को ,

ईईईईई उईईईईई

कम्मो ने इन्हे गरमा दिया था और इन्होने मेरी ननद को ,

इनके कस के काटने चूसने ने , रगड़ने मसलने ने मेरी ननदिया को बौरा दिया , और रही सही कसर मैंने पूरी कर दी , कम्मो ने अपने देवर के कमर के नीचे का जिम्मा लिया तो मैंने अपनी ननद का , उसकी चिकनी बिना रोंये वाली गुलाबो का ,

मेरी उँगलियों ने ननद की बिल में सेंध लगा दी , लेकिन उसके पहले कुछ देर तक मैं उसकी मांसल जाँघों को सहलाती रही , खरोंचती रही , हथेली से हलके हलके उसकी गुलाबी सहेली को सहलाती रही और फिर ,

सिर्फ मंझली ऊँगली का एक पोर और एक पोर ही काफी था , उस नयी उमर की नयी फसल के लिए ,

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