Episode 69


ननद रानी

किचेन का काम आलमोस्ट ख़त्म हो गया था मैंने कम्मो के साथ अपनी ननद के पास आ गयी , वो एकदम निसूति कुछ देर तो कम्मो ने वो लेप अपनी ऊँगली से ननद रानी की बिल में , पर फिर वो काम मैंने अपने ऊपर ले लिया ,

" अरे ननद रानी को खुद लगाने दो , अरे अब इनकी भी फट गयी है ये हमी लोगों की बिरादरी में आ गयी हैं " और मैंने उसे समझाया

" देखो मंझली ऊँगली का इस्तेमाल करो गुलाबो को खुश करने के लिए , एक तो ये सबसे लम्बी ऊँगली होती है दुसरे इसकी अगल बगल की उँगलियों से दोनों फांको पर और अंगूठे से क्लिट"

उसकी मंझली ऊँगली पर मैंने वो ढेर सारा लेप लगा दिया और बचा खुचा उसके निप्स पर,

कुछ देर में वो किशोरी कस कस के अपनी बिल में ऊँगली कर रही थी सिसक रही थी चूतड़ उचका रही थी और मैं उसे उकसा रही थी

" अरे सोचो तेरे भइया तुझे हचक हचक के चोद रहे हैं , ननद रानी अभी तो ट्रेलर था "

और साथ में उसके छोटे छोटे जोबन मसल रही थी , किचेन में कम्मो किसी काम के लिए गयी थी , उसने वहीँ से मुझे सर हिला के मुझे इशारा किया

बस पांच सात मिनट में ननद रानी झड़ने के कगार पर पहुँच गयी , पर कम्मो के इशारे के मुताबिक़ मैंने ननद के निप्स को पिंच किया और झड़ने की लहर की जगह दर्द की लहर ने ले ली

इसी तरह पांच छह बार , खुद ऊँगली कर के जैसे वो झड़ने के कगार पर पहुँचती बस मैं कभी नाख़ून गड़ाकर, कभी नोच कर एकदम से रोक देती

बस बार बार वो कहती, भाभी बस प्लीज एक बार झड़जाने दो ,. लेकिन मैं

तभी उनकी मिस्ड काल आ गयी , यानी बस पांच मिनट और ,.

झाड़ेंगे तो तुझे तेरे भैया , लेकिन ये पहले अपनी स्कर्ट और टॉप पहन ले और भैया के लिए अपने सूप ले जा ,

थोड़ी देर में ननद रानी सूप लेकर ऊपर ,

मैंने और कम्मो ने किचेन का बाकी काम ख़तम किया , लेकिन बखीर का काम बाकी था पर मैंने कम्मो को ऊपर भेज दिया और दस मिनट बाद किचेन समेट कर मैं भी ऊपर

जब तक कम्मो पहुंची, उनकी बहिनिया ने अपने हाथ से उन्हें पूरा सूप पिला दिया था, न उसे मालूम था न उसके भैया को की सूप में पड़ी जड़ी बूटियां क्या हाल करने वाली हैं उसके भैया की,

और कम्मो के ऊपर पहुँचने के पन्दरह बीस मिनट के अंदर मैं भी पहुँच चुकी थी, मैच शुरू नहीं हुआ था , भैया बहिनी का लेकिन मैच की तैयारी पूरी हो गयी थी , टॉस भी हो गया था , बॉलर और बैट्समेन दोनों तैयार थे और उन सबसे बढ़कर अम्पायर कम्मो भौजी भी , रोल सिर्फ फोटो खींचने का रिकार्ड करने का था।

मैच शुरू, भैया बहिनी का

और कम्मो के ऊपर पहुँचने के पन्दरह बीस मिनट के अंदर मैं भी पहुँच चुकी थी, मैच शुरू नहीं हुआ था , भैया बहिनी का लेकिन मैच की तैयारी पूरी हो गयी थी , टॉस भी हो गया था , बॉलर और बैट्समेन दोनों तैयार थे और उन सबसे बढ़कर अम्पायर कम्मो भौजी भी , रोल सिर्फ फोटो खींचने का रिकार्ड करने का था।

तीनों टॉपलेस हो गए थे ,

सबसे पहले गुड्डी रानी ने ही अपने भैया की शर्ट उतार फेंकी की सूप गिरा दोगे तुम , दाग पड़ जाएगा, के बहाने से।

वो बेचारे , लेकिन कुछ देर में उनकी कम्मो भौजी पहुँच गयी , उन्होंने देवर को ललकारा, ननद की नरम नरम कलाई दबोची और ननद भी देवर की तरह टॉपलेस, छोटे छोटे जोबन बाहर,

लेकिन पॉलिटिक्स की तरह इसमें भी पलटा मारते देर नहीं लगती, और ननद देवर ने मिलकर, कम्मो भौजी की पहले साडी उतरी फिर ब्लाउज भी , ब्रा वो पहनती नहीं थी, तो वो भी अपने देवर की तरह टॉपलेस। देवर सिर्फ शार्ट में ननद स्कर्ट में और भौजी पेटीकोट में।

लेकिन मामला इतने पर नहीं निपटा , जैसे बच्चे स्टैचू वाला खेल खेलते हैं न बस ननद ने अपने भैया को २० मिनट के लिए ,. बस वो हिल नहीं सकते थे , और उससे भी बढ़कर उनकी कम्मो भौजी ने अपने ब्लाउज और ननद रानी के टॉप से कस के उनका हाथ बाँध दिया

जब मैं पहुंची तो शार्ट हल्का हल्का तना था , और ननद उन्हें छेड़ रही थी , कम्मो दूसरी साइड में बैठी उसे इशारे कर रही थी, उकसा रही थी।

मेरी टीनेजर ननद की लम्बी लम्बी उँगलियाँ और उसके लाल नेलपॉलिश लगे, लम्बे नाखून,

और उसके भैया का तना तम्बू, शार्ट में उठता बम्बू,

और शार्ट के ऊपर से कभी अपने नाखून से उसे उठे खूंटे को छेड़ देती तो कभी ऊँगली से दबा देती,

कहते हैं न बगावत, जोबन और लंड जितना दबाओ उतना ही उठता है , तो बस वही हाल हो रही थी, और साथ में मेरी ननद की नयी गुरुआइन कम्मो कभी गुड्डी रानी को इशारा करती तो कभी उकसाती,

और उस की सोहबत में गुड्डी भी उसी तरह ,. हथेली में खूंटे को शार्ट के ऊपर से कस के दबोचते उस चढ़ती जवानी ने इन्हे नाचती गाती आँखों से चिढ़ाते हुए पूछा,

" भैया ये क्या है, "

वो बिचारे क्या बोलते ,डबल अटैक में फंसे , मेरी किशोर ननद, मस्तायी चढ़ते जोबन में बौराई,

हाथ उनके उनकी बहन के टॉप और भौजाई के ब्लाउज से कस के बंधे और ऊपर से भौजाई कम्मो पीछे से पकडे दबोचे, कम्मो के जबरदंग ३८ डी डी उभार अपनी दोनों बरछियों से देवर में छेद करती, कान में कुछ बोलती, लेकिन भौजी ने अपना अटैक अपनी किशोर ननद की ओर किया और उसे चढ़ाया,

" अरे खोल के देख काहें नहीं लेती, तेरे भैया मना थोड़े ही करेंगे , क्यों देवर जी "

और साथ ही कम्मो ने अपने नाखूनों से इनके मेल टिट्स को कस के खरोंच दिया , बेचारे तड़प उठे और साथ ही उनकी उस कच्ची कली बहन ने शार्ट का घूँघट थोड़ा सा खोल दिया,

फटा पोस्टर निकला हीरो,

फटा पोस्टर निकला हीरो,

जैसे संपेरा अपनी पिटारी खोल दे और नाग राज फन उठा के खड़े हो जाएँ,

लेकिन कम्मो ने अपनी ननद को सांप पकड़ने के सब तरीके सिखा दिया थे,

पहले तो सिर्फ तर्जनी से उस किशोरी ने शार्ट से आधे तीहै निकले चर्म दंड को छेड़ा और फिर डरते हुए मुट्ठी में पकड़ने की कोशिश की,

सच में स्साली पक्की छिनार थी जिस तरह से वो थोड़ा शर्माते लजाते, थोड़ा ललचाते उन्हें देख रहे थे,जिसका पैदायशी न खड़ा होने वाला हो उसका टनटना कर लोहे का खम्भा हो जाए , और ये तो पहले से ही सांड़, फिर वो जड़ी बूटी वाले सूप का असर , और साथ में पीछे से भौजाई के बड़े बड़े जोबन का जादू, . वो उनके बंधे थे और कम्मो ने उन्हें कस के पकड़ रखा था, वरना, वहीँ ,.

अंगूठे और तर्जनी के बीच पकड़ कर तन्नाए खूंटे के सर को पहले तो वो हलके से दबाती रही, फिर कस के एक झटके से ,

आधा सुपाड़ा खुल गया,

वो तो पागल हो रहे थे पर कम्मो संतुष्ट नहीं थी उसने आँख से कुछ इशारा किया और अबकी मेरी उस ननद ने जैसे कम्मो भौजी ने सिखाया था एकदम उसी तरह , दोनों गुलाबी होंठों के बीच अधखुले सुपाड़े को दबाया और होंठों के जोर से बाकी चमड़ा,

सुपाड़ा खुल गया था पर गुड्डी के होंठ दूर हट गए थे

जीभ, सिर्फ जीभ बल्कि जीभ की टिप से खुले सुपाड़े पर

कभी छू लेती कभी हटा लेती , फिर सीधे पेशाब के छेद ( पी होल ) पर हलके हलके सुरसुरी

उसकी कोमल उँगलियों ने खूंटे को नहीं छोड़ा था, अब वो सीधे बेस पर हलके हलके दबा रही थीं और जीभ पूरे खुले मोटे मांसल सुपाड़े पर डांस कर रही थी

ये एकदम पागल हो गए थे।

पर गुड्डी भी आज एकदम पागल हो गयी थी , अपने भैया से कब का बदला ले रही थी ,

एक झटके में मुंह में पूरा सुपाड़ा गप्प, क्या मस्त चूस रही थी , कोई बैंगकाक की काल गर्ल को भी मात कर दे,

और मेरी ननद रानी ने अपने दोनों हाथों से मेरे सैंया का शार्ट एक झटके में खींच के दूर फेंक दिया,

अभी तक तो मैं दर्शक थी पर स्साली इत्ती मस्त ननद हो तो कौन भौजाई अपने को रोक पाएगी,

जो ननद ने मेरे साजन के साथ किया वो मैंने साजन की बहना, अपनी ननद के साथ किया, उसकी स्कर्ट खींच के वहीँ फेंक दी जहाँ उसने अपने भैया का शॉर्ट फेंका था ,

भैया बहिनी दोनों एक जैसे हालत में

पर मेरी ननद तो आज एकदम बौरा गयी थी, उसे कुछ फरक नहीं पड़ रहा था, वो कस कस के सुपाड़ा चूस रही थी , उसके भीगे गुलाबी होंठ अपने भैया के सुपाड़े को रगड़ रहे थे, जीभ उसे छेड़ रही थी और साथ में अब उसके लम्बे नाखून,

कभी चर्म दंड को कभी बॉल्स को स्क्रैच कर रहे थे ,

उनकी एकदम हालत खराब, मेरी आँखों ने कम्मो की आँखों को ग्रीन सिग्नल दिया और कम्मो ने कुछ मन्त्र उनके कान में फूंका, और दोनों हाथ खोल दिए

अगले ही पल मेरी ननद बिस्तर पर और वो उसके ऊपर,

लेकिन अब हम दोनों भौजाइयां अपनी ननद की मदद कर रही थीं , बिस्तर पर जितने तकिये कुशन थे , हम दोनों भौजाइयों ने अपनी ननद के चूतड़ के नीचे लगा के खूब ऊपर उठा दिया।

मेरी ननद बिस्तर पर

अगले ही पल मेरी ननद बिस्तर पर और वो उसके ऊपर,

लेकिन अब हम दोनों भौजाइयां अपनी ननद की मदद कर रही थीं , बिस्तर पर जितने तकिये कुशन थे , हम दोनों भौजाइयों ने अपनी ननद के चूतड़ के नीचे लगा के खूब ऊपर उठा दिया।

( कम्मो ने उनसे कहा था, फाड़ दो स्साली की बहुत गरमाई है , हचक के चोदो पता चले किसी मरद से पाला पड़ा है , हर धक्का छिनरो की बच्चेदानी पर लगना चाहिए )

भीषण चुदाई,

हम लोगों की शादी के चार पांच महीने हो गए थे , बीच में जब वो ट्रेनिंग पर गए थे उसे छोड़ कर शायद ही कभी नागा हुआ हो ,

और ट्रेनिंग की भरपाई वो आने पर कर लेते थे, सेंचुरी से ज्यादा हर महीने, . और इधर तो दिन रात कुछ भी नहीं देखते थे, जगह भी नहीं, कितनी बार किचेन में , आंगन में , बरामदे में , बाथरूम में तो रोज

लेकिन ऐसा तूफानी जोश उनका आज मैं पहली बार देख रही थी,

जैसे धुनिया रुई धुनता है , एकदम टी २० वाली बैटिंग, पहली बाल पे छक्का, .

पता नहीं कम्मो ने सूप में जो जड़ी बूटी डाली थी उसका असर था , या उनकी चोदवासी छिनार बहना की बदमाशी का या, .

मेरी ननद की दोनों लम्बी लम्बी गोरी गोरी टाँगे उठा के उन्होंने अपने कंधे पर रखीं, जाँघे खूब फैली,

ननद के चूतड़ के नीचे ननद की हम दोनों भौजाइयों ने ढेर सारे तकिये कुशन पहले से ही लगा दिए थे , चूतड़ खूब उठा हुआ,

हाँ खूंटा सटाने का काम मैंने किया ननद की नयकी भौजाई ने,

मुझे याद आया, मेरी शादी के बाद यही छोरी ज़रा सा ननद भाभी वाले मजाक से बिगड़ जाती थी, कहीं अगर उसके भैया से जोड़ के किसी भाभी चिढ़ा दिया, अभी चार पांच महीने तो हुआ और उसी समय मैंने तय कर लिया था,.

और बहुत दिनों का मेरा ये खुद से वायदा था , शादी के तीसरे चौथे दिन, जब छत पर खूब खुल के गाना बजाना हुआ , अपनी सास की फरमाइस पर मैंने वो वो गालियां सुनाई की जो सुन के मैं खुद कान में ऊँगली डाल लेती थी, और गाली बिना ननद का नाम लिए और ननद पर ननद के भाई को चढ़ाये पूरी नहीं होती, और जैसे मैंने गारी शुरू की ,

उडी आया दुपट्टा बनारस से , उडी आया ,

डी आया दुपट्टा बनारस से , उडी आया ,

शादी के तीसरे चौथे दिन, जब छत पर खूब खुल के गाना बजाना हुआ , अपनी सास की फरमाइस पर मैंने वो वो गालियां सुनाई की जो सुन के मैं खुद कान में ऊँगली डाल लेती थी, और गाली बिना ननद का नाम लिए और ननद पर ननद के भाई को चढ़ाये पूरी नहीं होती, और जैसे मैंने गारी शुरू की ,

उडी आया दुपट्टा बनारस से , उडी आया ,

हमारे सैंया गुड्डी रानी को बुलावें , अपनी बहिनी के बुलावें , एलवल वाली को बुलावें,

आँख मार के बुलावें , अरहरिया बुलावें , गन्ने के खेत में बुलावें ,

चुम्मा लेव के बुलावैं , जोबना मीजै के बुलावें,.

वो एकदम अलफ़, गुस्से में लाल,.

बस उसी समय मैंने तय कर लिया , चाहे जो कुछ भी जो जाय तेरे ऊपर तेरे इसी भैया को चढ़ाउंगी जरूर , वो भी अपने सामने, .

तो खूंटा लगाने का काम मैंने किया , शाम को फटने के पहले जहाँ हलकी सी सिर्फ दरार दिखती थी , वाहन अब एक बहुत छोटा सा छेद दिख रहा था , छोटा सा , लेकिन मेरे काम के लिए काफी था ,

बस फैलाया, सटायाऔर धँसाने का काम उस के सीधे साधे भैया का था,

और उसके भैया का था भी कितना मोटा, मेरी कलाई से कम मोटा नहीं था , पूरे कोल्ड ड्रिंक के कैन इतना मोटा,

शाम को तो कम्मो भौजी ने शुद्ध उनके गाँव का कोल्हू का पेरा कच्ची घानी वाला असली कडुआ तेल लगाया था , चुपड़ चुपड़ कर अपने देवर के मोटे सुपाड़े पर ,

पर अबकी तो एकदम सूखा, असल में एकदम सूखा भी नहीं उनकी बहिनिया ने चूस चाट के जितना गीला किया था बस उतना,

गप्पाक, गजब का जोर था इनकी कमर में , एक बार में पूरी ताकत से पेल दिया इन्होने,

उईईई ओह्ह्ह नाहीई , ओह्ह उईईईईई ,

फीट भर तो वो उछली होगी ही, ऐसा दर्द तो जब झिल्ली फटी थी तब भी नहीं हुआ था मेरी ननदिया को,
आँखों में आंसू नाच रहे थे , दोनों हाथों उसने कस के बिस्तर की चादर को दबोच रखा था ,

सिर्फ मेरी ननद के थूक से गीला लंड , उस कसी चूत में दरेरता, रगड़ता, फाड़ता घुस रहा था , पक्का चूत की चमड़ी थोड़ी बहुत तो जरूर छिली होगी,

वो ठेल रहे थे , पेल रहे थे पूरी ताकत से उस फैली हुयी जांघों के बीच पूरी ताकत से धकेल रहे थे,

वो बार बार चीख रही थी , उईईई उईईई , ओह्ह्ह्हह्ह नहीं

तड़प रही थी , और अगर किसी को मेरी ननद के इस होने वाले दर्द का अंदाज था तो वो था , कम्मो भौजी को और उन्होंने सुपाड़ा घुसने के साथ ही मोर्चा संभाल लिया था , ननद रानी के सर की ओर , और सर अब ननद की भौजी के गोद में था , अपने दोनों सँड़सी जैसी मजबूत पकड़ वाली कलाइयों से कम्मो भौजी ने गुड्डी रानी के दोनों कंधो को दबा रखा था पूरी ताकत से और अब ननद रानी चिल्ला सकती थीं , रो सकती थीं , तड़प सकती थीं , लेकिन छिटक नहीं सकती थी ,

दो खारे आंसू टपक कर ननद के नमकीन गालों पर आ गए और कम्मो ने झुक के उन्हें चाट लिया और हलके से गाल भी काट लिया।

लेकिन ये ठेलते जा रहे थे , धकेलते जा रहे थे करीब चार साढ़े चार इंच धंस गया तब वो रुके आधा करीब अभी भी बाहर था।

पर कम्मो ने गारियों की बारिश शुरू कर दी ,

" स्साले ये बाकी किस भोंसड़ी वाले के लिए , स्साले ससुराल में तेरी ये कोरी कुँवारी गाँड़ तेरी सास और सलहज होली में मार मार कर, लेकिन उसके पहले मैं ही कोहनी तक पेलकर,

ननद,

ननद के भैया

दो खारे आंसू टपक कर ननद के नमकीन गालों पर आ गए और कम्मो ने झुक के उन्हें चाट लिया और हलके से गाल भी काट लिया।

लेकिन ये ठेलते जा रहे थे , धकेलते जा रहे थे करीब चार साढ़े चार इंच धंस गया तब वो रुके आधा करीब अभी भी बाहर था।

पर कम्मो ने गारियों की बारिश शुरू कर दी ,

" स्साले ये बाकी किस भोंसड़ी वाले के लिए , स्साले ससुराल में तेरी ये कोरी कुँवारी गाँड़ तेरी सास और सलहज होली में मार मार कर, लेकिन उसके पहले मैं ही कोहनी तक पेलकर, . "

गुड्डी की सिसकियाँ तो पहले ही रुक गयी थीं , अब वो कम्मो भौजी की रसीली गारियाँ सुन के हलके हलके मुस्कराने लगी थी, . और इन्होने भी हलके हलके अपना खूंटा थोड़ा सा बाहर बहुत धीरे धीरे खींचने लगे ,

कभी स्टिल कभी वीडियो खींचते मैं समझ रही थी क्या होने वाला है , असली भरतपुर पर तो हमला अब होगा,

और वही हुआ , आलमोस्ट सुपाड़े तक बाहर निकाल के एक बार फिर उन्होंने कस के अपनी छुटकी बहिनिया की कटीली पतली कमरिया कस के पकड़ी और पूरी ताकत से ,

और अबकी धक्के पर धक्के , एक के बाद ,

ननद रानी चीखते चीखते थक गयी थीं बस अब रुक रुक कर सुबक रही थीं ,

लेकिन अब कम्मो ने अपना रोल बदला और उसके दोनों हाथ दोनों छोटे छोटे जोबन पर , जिस जोबना पर सारे मोहल्ले के लौंडे दीवाने थे

भौजी का एक हाथ जोबन को सहला रहा था , दबा मसल रहा था और दूसरा हल्का हल्का निप्स को कभी पुल करता कभी पिंच, .

कुछ देर में ही ननद का कहरना मस्ती भरी सिसकियों में बदल गया ,

कम्मो अब झुक के कभी ननद के होंठों को चूम लेती तो कभी उसकी चूँची चूस लेती , ननद भी भौजाई के चुम्मे का जवाब दे रही थी

उसकी पूरी देह से लग रहा था उसे मजा आ रहा है , पर कुछ देर के बाद उन्होंने एक बार अपने खूंटे को हल्का सा पीछे कर के , इतनी कस के

मैं होती तो मेरी भी चीख निकल जाती , इतना जोरदार धक्का था

गुड्डी जोर से चीख पड़ी ,

पर ये रुके नहीं ,

वो चीखती रही ये चोदते रहे , और मुझे आँख पर विश्वास नहीं हुआ कैसे उसकी चीख सिसकियों में बदली, उसकी देह हलके हलके काँप रही थी , वो कगार पर थी ,

और इन्होने एक जोरदार धक्का , पक्का अबकी सीधे बच्चेदानी पर लगा होगा ,

और गुड्डी एक बार फिर बिस्तर से उछल रही थी , मचल रही थी , दर्द से नहीं मजे से , वो तो कम्मो ने उसे कस के पकड़ रखा था

एक बार झड़ना बंद होता तो बस पल भर रुक के दूसरी बार, तीसरी बार, चौथी बार,

उन्होंने पूरी ताकत से ८ इंच का खूंटा अपनी छोटी बहिनिया के अंदर जड़ तक ठेल रखा था, मोटा सुपाड़ा उस किशोरी के बच्चेदानी से चिपका

झड़ झड़ के मेरी ननद थेथर हो गयी, और थक कर एकदम रुक गयी , कुछ देर भाई बहिन दोनों ऐसे पड़े रहे , लेकिन कम्मो कहाँ मानने वाली,

भौजी ने अपने देवर को इशारा किया,

खूंटा अभी भी भौजी की ननद की चूत में जड़ तक धंसा था , जिस चूत में एक दिन पहले तक तर्जनी ऊँगली घुसाना मुश्किल लग रहा था वो अब आठ इंच लम्बा ढाई इंच मोटा मूसल जड़ तक घोंटे पड़ी थी,

बिना एक सूत भी बाहर निकाले ही उन्होने लंड के बेस से अपनी छोटी बहिनिया की क्लिट पर रगड़ना शुरू किया, पहले थोड़ी देर बहुत धीमे धीमे, फिर तेजी से ,

लगता था कोई बड़ा बाँध टूट पड़ा , मेरी ननद एक बार फिर से कांपने लगी , सिसकने लगी , उसकी पूरी देह मुड़ तुड़ रही थी ,

जैसे तेज तूफ़ान, तेज बारिश रुकने के बाद बहुत देर तक पत्तों से , घरों की छत से पानी की बूँदें धीरे टपकती रहती हैं , हवा हलकी हलकी चलती है बस उसी तरह

अबकी जब ननद रुकी तो ये भी , फिर इनके खूंटे के अलावा हर इनके अंग,

उँगलियाँ होंठ जीभ

गाल हलके हलके सहलाते हुए चूम कर पहले उन्होंने दर्द से डूबी आँखों को बंद किया अपने होंठों से , और होंठ कभी मेरी ननद के रसीले होंठों पर

कभी नए नए आ रहे थे जोबन पर , थोड़ी देर में एक उभार इनके हाथों के बीच और दूसरा इनके होंठों के बीच

मुझसे कोई पूछे इनकी उँगलियों और होंठों का जादू ,

थोड़ी देर में मेरी ननद पिघल रही थी मचल रही थी चुम्मे का जवाब चुम्मे से दे रही थी खुद अपने छोटे छोटे उभार इनकी छाती से रगड़ रही थी

और जब वो अपने छोटे छोटे चूतड़ खुद उछालने लगी तो ये समझ गए , धक्के फिर शुरू हो गए लेकिन हलके हलके

दो चार धक्के ये मारते तो एक दो बार वो नीचे से अपने चूतड़ उछालती और ये मस्ती में उसके मटर के नए आये दाने के बराबर निप्स चूसने लगते और वो खुद इन्हे खींच कर इशारे करती और धक्कों का जोर बढ़ जाता,

थोड़ी देर बाद वो फिर झड़ने लगी ,

मेरा सांड़

और जब वो अपने छोटे छोटे चूतड़ खुद उछालने लगी तो ये समझ गए , धक्के फिर शुरू हो गए लेकिन हलके हलके

दो चार धक्के ये मारते तो एक दो बार वो नीचे से अपने चूतड़ उछालती और ये मस्ती में उसके मटर के नए आये दाने के बराबर निप्स चूसने लगते

और वो खुद इन्हे खींच कर इशारे करती और धक्कों का जोर बढ़ जाता,
थोड़ी देर बाद वो फिर झड़ने लगी ,

लेकिन मेरा सांड़ इतनी जल्दी पानी छोड़ने वाला नहीं था ,

तीसरी बार जब मेरी ननदिया झड़ी दस पंद्रह मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद तो ये भी साथ साथ , लेकिन लंड पूरी तरह अंदर धंसा , ये पूरी तरह उसके ऊपर लेटे

और चार पांच मिनट तक भैया और छुटकी बहिनिया , एक दूसरे से चिपके,

और जब ये अलग हुए तो मैंने घडी की ओर देखा आधे घंटे से भी ज्यादा,

ननद रानी की जांघों के बीच गाढ़ी थक्केदार मलाई भरी पड़ी थी, बहकर, रिसकर जाँघों पर भी आ रही थी।

और रात की अभी ये शुरुआत थी।

आधे घण्टे की तूफानी चुदाई के बाद वो थोड़े थके पड़े थे, पर चुपके चुपके अपने माल को, छुटकी बहिनिया को टुकुर टुकुर देख रहे थे. ननद रानी ने अपने भैया को चोरी चोरी ललचाते देखा तो एक पल के लिए वो भी लाल गुलाल हो गयी,पर अगले ही पल बढ़ के उसने अपने भैया को चूम लिया और उनके सीने में अपना सर छुपा लिया।

वो भले आराम करें, पर हम दोनों भौजाइयां अपनी ननद को आराम नहीं करने देने वाले थे.

पहला हाथ कम्मो ने मारा ननद रानी की बिल से अभी भी बूँद बूँद रिसती गाढ़ी मलाई पर और अपनी हथेली से दरेररते चिढ़ाया,

" हे ननद रानी, इतना बढ़िया गाढ़ी मलाई कहाँ से मिलल?"

ननद रानी एक मिनट के लिए हिचकीं, अपने भैया को देख के शरमाई पर कम्मो ऐसी भौजाई के रहते कौन ननद शरमा के बच सकती थी।

कम्मो ने तुरंत वार्निंग दे दी ,

" अरे अब तो मलाई घोंट के बिलिया गील हो गईल है, बोला नहीं तो आपन मुट्ठी डार देब पूरी "

शरमाते लजाते गुड्डी रानी ने कबूला, " मेरे भैया की है। "

पर कम्मो ने कस के उस शोख कमसिन कच्ची कली के निपल उमेठने शुरू किये,

और उस एलवल वाली ने जब तक जोर जोर से अपने भैया को सुनाते हुए बोल न दिया, मेरे भैया के लंड की मलाई है , तब तक नहीं छोड़ा।

मैं भी अपनी ननद के बगल में बैठी थी. मैंने दो उँगलियों से उसकी गोरी गोरी मांसल जांघों पर जम रही थक्केदार रबड़ी मलाई को समेटा, फिर उसके प्रेमद्वार पर लगी मलाई को भी दोनों उँगलियों में लपेटा, दूसरे हाथ से ननद रानी के गाल दबाकर मुंह खुलवाया और सीधे वो नीचे वाले मुंह की रबड़ी मलाई, ऊपर वाले मुंह में,

" अरे नीचे वाले मुंह ने स्वाद ले लिया तो ज़रा ऊपर वाले मुंह से भी स्वाद ले के बता न कैसी है तेरी भैया की रबड़ी मलाई। "

वो नदीदी, शैतान, मेरी उँगलियों को चूस चूस के खूब रस ले ले के, और एक बूँद जो उसके होंठों पर लिथड़ गयी थी, जीभ निकाल के उसे भी चाट लिया, जैसे कह रही हो , भाभी मेरे प्यारे प्यारे भैया की है, मैं क्यों एक भी बूँद बर्बाद होने दूँ,

मेरी उँगलियाँ ऊपर वाले मुंह में तो तो दूसरी भौजी, कम्मो भौजी की दो उँगलियाँ नीचे वाले मुंह में और करोच करोच के वो सारी मलाई निकाल रही थीं ,

और वो सब ननद रानी के छोटे छोटे जोबन पर और साथ में भौजी का आशीर्वाद,

" अरे भैया क मलाई लगने से दिन दूना रात चौगुना ये जोबन बढ़ेंगे। "

मेरी ननद के जोबना सच में एकदम मस्त थे , टेनिस बॉल की साइज के, गोल गोल और खूब कड़े, अकड़े,. पहली बार तो कोई दबाने वाला मिला था,

जो कहते हैं न चूँचिया उठान, एकदम वही, उभरते हुए जोबन,

और उस पर जिस तरह से दूध फेन की तरह कम्मो भौजी ने मेरे मरद की मलाई मेरी टीनेजर ननदी के आ रहे जोबन पर लपेटी थी,. एकदम मस्त लग रही थी,

निपल पर लगी मलाई को मैंने एक ऊँगली में लपेटा और सीधे एक बार फिर से ननद के मुंह में और छेड़ा,

" हे अभी टेस्ट कर ले, बाद में जब मेरे भाइयों की चखोगी तो पूछूँगी, किसका ज्यादा स्वादिष्ट था "

बड़े मजे से मेरी ऊँगली से अपने भइया की मलाई चाटती चूसती वो शोख बोली,

" अरे भाभी, मेरे भैया से ज्यादा स्वादिष्ट किसी का हो सकता है क्या?"

तब तक कम्मो ने एक बार फिर से गुड्डी रानी की गुलाबो की ओर, एक साथ दो उँगलियाँ, वैसे तो जा नहीं सकती थीं, पर एक के ऊपर एक रखकर उन्होंने साथ साथ कस के कलाई की पूरी ताकत लगा के ठेल दी, और अंदर जाकर कैंची की फाल तरह दोनों उंगलिया फैला दी, गुड्डी जोर से चीख पड़ी.

मैं भी कम्मो का साथ देने पहुँच गयी, मैं पहले अपनी ननद की गोरी चिकनी खुली मांसल जाँघों को सहलाती रही, फिर कम्मो ने जोर से आँख मार के इशारा किया,

" भौजाई दो -दो और मजा सिर्फ एक ही ले, बड़ी नाइंसाफी है "

" भौजाई दो

मैं भी कम्मो का साथ देने पहुँच गयी, मैं पहले अपनी ननद की गोरी चिकनी खुली मांसल जाँघों को सहलाती रही, फिर कम्मो ने जोर से आँख मार के इशारा किया,

" भौजाई दो -दो और मजा सिर्फ एक ही ले, बड़ी नाइंसाफी है "

गच्चाक से मैंने भी अपनी मंझली ऊँगली कम्मो की दोनों ऊँगली के साथ,. कुछ मेरी ऊँगली में इनकी मलाई लगी थी , कुछ बहिनिया की बुर अपने भैया की मलाई से बजबजा रही थी,

गप्प से घुस गयी. और हम दोनों की तीनो उँगलियाँ मजे से कुँवारी ननद की चूत का रस ले रही थी , अब तो फट गयी थी और फटी उस से थी जिस से मैं चाहती थी फटे , एकदम अच्छी तरह से फटी भी थी , . .

गुड्डी जोर जोर से चीख रही थी चूतड़ पटक रही थी , आखिर एक साथ तीन तीन उँगलियाँ , एक किशोरी की कसी चूत में, .

पर वो जितना चीख रही थी, सुबक रही थी, उतना ही हम दोनों को मजा आ रहा था, मैंने महसूस किया कम्मो ने एक ऊँगली चम्मच की तरह मोड़ ली है ढूंढ रही है , मैं समझ गयी,

जी प्वाइंट, जैसे क्लिट बाहर होती है जादू की बटन उसी तरह ये चूत के अंदर और क्लिट से भी ज्यादा जोरदार, और मान गयी मैंने कम्मो रानी को,

चीखती सुबकती ननद रानी एकदम जैसे मस्ती से पागल हो गयीं ,

कम्मो ने हलके से उस प्वाइंट को छुआ ,

मैं क्यों पीछे रह जाती मेरा अंगूठा सीधे क्लिट पर , इस दुहरे अटैक से ननद रानी की हालत खराब , वो मस्त हो रही थी छोटे छोटे चूतड़ पटक रही थी , मचल रही थी,

और उस से ज्यादा इन की हालत खराब थी , झंडा एक बार फिर से फहराने लगा, उन की निगाह एकदम अपनी छुटकी बहिनिया पर चिपकी, कैसे वो मस्ता रही है,. ननद रानी झड़ने के कगार पर पहुंच गयीं थी, लग रहा था अब गयीं तब गयीं, पर वो झड़ जाती उस के पहले हम दोनों ने अपनी उँगलियाँ निकाल ली, कम्मो ने इनकी बहिना की बुर से निकली बहिना के रस से गीली दोनों ऊँगली सीधे इनके मुंह में

पर मैं स्वार्थी, अपनी ननद की प्रेम गली के रस का स्वाद लिए बिना मैं नहीं छोड़ने वाली थी तो मेरी ऊँगली मेरे होंठों के बीच, एकदम मस्त चाशनी, खूब गाढ़ी।

चासनी चाटने का मन तो कम्मो का भी कर रहा था, पर उसका काम ऊँगली से नहीं चलने वाला था, सीधे उसने ननदिया के रस कूप में होंठ लगाया, और कर चूसने लगी, फिर कुछ रुक के जैसे कोई जीभ से आम की फांकों को अलग कर कर के चाटे, एकदम उसी तरह, .

और अपने देवर को दिखाते ललचाते अपनी जीभ वहीँ घुसेड़ दी जहाँ थोड़ी देर पहले उसके देवर का मोटा लंड घुसा था,

वो जीभ से चाट चूस नहीं रही थी, इनकी छुटकी बहिनिया को इन्ही के सामने चोद रही थी, जीभ से

हम दोनों भौजाइयों से ननद को बराबर बराबर बाँट लिया था , कमर के नीचे का हिस्सा, कम्मो के पास और ऊपर का, दोनों रसीले जोबन मेरे कब्जे में ,

मेरी जीभ ननद के छोटे जोबन पर , निप्स पर कभी फ्लिक करती तो कभी चूस लेती ,

जितनी हालत मेरी ननद की खराब थी उससे ज्यादा ननद के भैया की , अपनी बहना को देख देख के ,

भौजी और ननद एक साथ

हम दोनों भौजाइयों से ननद को बराबर बराबर बाँट लिया था , कमर के नीचे का हिस्सा, कम्मो के पास और ऊपर का, दोनों रसीले जोबन मेरे कब्जे में ,मेरी जीभ ननद के छोटे जोबन पर , निप्स पर कभी फ्लिक करती तो कभी चूस लेती ,

जितनी हालत मेरी ननद की खराब थी उससे ज्यादा ननद के भैया की , अपनी बहना को देख देख के ,

सात आठ मिनट इसी तरह रगड़ाई के बाद हम दोनों ने जब छोड़ा

तो ये बेताब , बौराये, खूंटा एकदम खड़ा और कम्मो भौजी ने अपने देवर की सुधि ली , अपनी ननद के कान में कुछ कहा।
. ,,,,, ननद वैसी ही ललचायी निगाहों से टनाटन खूंटे को देख रही थी, और उसके भैया की भी नजरें बहिना के छोटे छोटे जुबना पर ही लिबरा रही थीं.

और अबकी गुरुआइन और शिष्या, भौजी और ननद दोनों एक साथ, .

दोनों ने मिल के लॉलीपॉप बाँट लिया, .

सुपाड़ा तो पहले से ही खुला था, बस एक ओर से कम्मो भौजी, खेली खायी प्रौढ़ा जबरदस्त जबरदंग ३८ डी डी के भारी जोबना वाली और दूसरी ओर बसी नए नए उभार आते , किशोरी जवानी की दहलीज पर खड़ी, ३० सी वाली, .

दोनों एक साथ खड़े खूंटे को बेस से सुपाड़े तक कभी हलके हलके कभी जोर जोर लिक करती, और गुड्डी ने एक झटके में सुपाड़ा पूरा का पूरा गप्प कर लिया और धीरे धीरे चूसने चुभलाने लगी,

इन्होने अपनी बहन के छोटे छोटे जोबन को हलके हलके दबाना सहलाना शुरू कर दिया। कम्मो साथ साथ अब अपने देवर के बॉल्स पर अपनी जीभ से सपड़ सपड़, गुड्डी सुपाड़ा चूसते हुए भी कम्मो की हरकते देख रही थी, सीख रही थी। और थोड़े ही देर में रोल बदल गया, गन्ना कम्मो के जिम्मे और रसगुल्ला गुड्डी के, चूसना, चाटना, मुंह में लेकर चुभलाना, . .

इन की हालत खराब हो रही थी पर मैंने और कम्मो दोनों ने नजरों से ही इन्हे बरज दिया था , ये ऐसी ही अधलेटे अपनी भौजी और किशोर बहन के बीच,

पर आज कम्मो भौजी को अपनी ननद को बहुत ट्रेनिंग देनी थी, अपने देवर के पिछवाड़े को उन्होंने थोड़ा सा उठाया और अपने होंठ सीधे पिछवाड़े की दरार पर,

गुड्डी चकित हो के देख रही थी की भौजी कैसे सपड़ सपड़

पर थोड़ी देर में कम्मो की जगह उसके होंठ थे और कम्मो ने कस के उसके सर को पकड़ रखा था।

रीमिंग, जबरदस्त

ये नहीं की शुरू में झिझकी नहीं वो, पर हम दो दो भौजाइयां थी न वहां, स्साली को रगड़ के, उसे जबरदस्त छिनार बनाना था, उसके शहर की सबसे मशहूर रंडी का भी कान काटे, वैसी,

एक पल के लिए सहमी वो पर कम्मो ने उसके भैया का पिछवाड़ा कस के फैलाया और में जोर से अपनी उस टीनेजर ननद की गर्दन पकड़ के, मुंह सीधे वहीँ,

" अरे मोरी रानी, अरे जीभ निकाल अपनी, हाँ चाट ऐसे ही, . अरे अंदर डाल अंदर, जैसे अभी तेरे भैया ने तेरी चूत में मोटा लंड पेला था न वैसे तू उनकी गाँड़

के अंदर, हाँ थोड़ा सा अंदर , थोड़ा और ,. बस ऐसे,. "

कम्मो इनके पृष्ठ भाग के छिद्र को कस के फैलाये, अपनी कुँवारी ननद को गाइड कर रही थी, उकसा रही थी और मैं पीछे से कस के उस किशोरी का सर कस के पकडे दबोचे थी,
Next page: Episode 70
Previous page: Episode 68