Episode 71


इंटरवल-बखीर

तीसरे राउंड के बाद इंटरवल हो गया, मैं नीचे उतर आयी बखीर लाने के लिए ,.

कुछ देर के बाद कम्मो भी मेरे पीछे पीछे

हाँ भाई बहिन को ये बोला गया था , हम दोनों के बिना चुम्मा चाटी से ज्यादा कुछ भी नहीं।

इंटरवल में बड़े काम थे,

एक तो सांड़ और बछिया दोनों में डीजल भरना जरूरी था, बखीर मैंने इसी लिए बना के रखी थी , एकदम वही जिसे गौने की रात दुल्हन को उसकी ननदें जरूर खिलाती हैं की रात में उनकी भौजी खुद टाँगे फैला दें,

दूसरा थोड़ा सा ब्रेक, ढाई तीन घंटे से लगातार, तीन बार तो उसके भैया ने चढ़ाई की, फिर बीच बीच भौजाइयों ने भी खूब रस लिया उसके नए आते जुबना का

और तीसरा कुछ कम्मो भौजी की ख़ास प्लानिंग भी थी, .

मैं नीचे आ गयी थी बखीर का बड़ा वाला कटोरा फ्रिज से निकालने के लिए,

तबतक पीछे पीछे कम्मो भाभी भी आ गयीं , हँसते हुए बोली, मैंने दोनों को बाँध छान के छोड़ दिया वरना दोनों फिर चालू हो जाते, . और फिर वो अपनी कुठरिया में गयीं कुछ लाने, .

और फिर पता नहीं कौन कौन सी जड़ी बूटियां, जादू टोने की चीजें ले आयीं, और वो सब बखीर में मिला के पूरे सात मिनट उन्होंने चलाया ,

मैं समझ रही थी इन सबका असर जित्ता उनके देवर पर होगा उससे ज्यादा हम दोनों की टीनेजर ननद पर, वैसे ही वो आज पगला रही है , इसके बाद तो और,.

४५ मिनट का इंटरवल लगता था जैसे पल भर में ख़तम हो गया,

मैंने खिड़कियां खोल दी , बाहर के टेसू से लदे टेसू के पेड़ जैसे मेरी ननदिया का रूप रस देखने , उसके भैया के साथ उसके ' चक्कर' की जासूसी करने, खिड़कियों से झाँक रहे थे ,

बस अब होली चार पांच दिन ही तो रह गयी थी, मस्त फागुनी बयार चल रही थी और उसमे फगुआ के रसीले गाने घुले थे,

नकबेसर कागा ले भागा, अरे सैंया अभागा ना जागा,

उड़ उड़ कागा मेरी चोलिया पे बैठा, मेरे जुबना का सब रस ले भागा,

पर आज तो मेरी ननद का जुबना लूटने वाला कोई और था, ( हाँ ये बात अलग है की आज तो नथ उतरी थी , उसकी भौजाई की बात रही तो कित्ते भौरें उसके जुबना का रस लूटेंगे वो भी नहीं गईं पाएगी )

मैंने बखीर बांटना शुरू किया ही था की गुड्डी ने मेरे कान में बोला,
" आज भैया को मैं दूंगी "

" एकदम आज अपने भैया को दो कल से हमारे भैया को, . है न "

कम्मो ने हम दोनों की ननद को छेड़ा , लेकिन बात सच ही थी हम लोगों के जाने के बाद यही होना था। बिना नागा।

वैसे भी कम्मो ने उनके हाथ अभी नहीं खोले थे, ननद रानी ने अपने मुंह में दो चम्मच बखीर डाली, थोड़ी सी गप्प , बाकी देर तक मुंह में, . फिर अपने भैया के पास जा कर अपने मुंह से सीधे उनके मुंह में,

बेचारे उनके हाथ तो बंधे थे दोनों पीठ के पीछे, कस के कम्मो की लगाई गाँठ , छूटने वाली नहीं

फागुन

फागुन हो , देवर भाभी हों और होली न हो,. और होली के लिए रंग का होना जरूरी थोड़े ही है,

और कम्मो भौजी का देवर ननद दोनों के साथ साल भर होली, .

बस कम्मो ने हथेली में भर के ढेर सारी बखीर उठा के, अपने देवर के गालों पर पोत दी और गुड्डी को बोला चल चाट चाट के साफ़ कर,

और उसे तो यही चाहिए थे, बस गुड्डी कस कस के, मेरी ननद ने मेरे साजन के गाल एकदम चाट चाट के साफ़ कर दिए, .

मुझे कुछ बदमाशी सूझी , मैंने कम्मो को आइडिया दी, और फिर हम दोनों ने मिल के ननद रानी को पलंग पर लिटा दिया, कस के

और मैंने कलछुल से निकाल निकाल के बर्फ सी ठंडी बखीर, दो दो कलछुल ननद के छोटे छोटे जोबन पर, इतनी बखीर डाल दी की दोनों उगते उठते उभार छुप गए ,

और कम्मो ने अपने देवर को सीधे अपनी ननद के उभारों पर,

" चाट अपनी बहिनिया क चूँची"एकदम लालची वो, पांच मिनट में सारी बखीर साफ़ थी, हाथ उनके खुल गए थे और अब मैं अपनी ननद की बिलिया फैला के उसमे बड़े चम्मच से बखीर, . वहां पहले से उसके भैया की रबड़ी बजर बजर कर रही थी,. कुछ बखीर जांघों पर,

और अब मेरी ननद के ऊपर लेटे लेटे सरक के सीधे प्रेम गली पर , ननद कौन छोड़ देती उसने भी मुंह खोल के अपने भैया का गड़प, थोड़ी देर पहले ही वो पूरा घोंट चुकी थी

मस्त 69 चालू हो गया था , ऊपर भैया बहिन की बुर चाट रहे थे

नीचे से बहिनिया अपने भैया का मोटा लंड घोंटे हुए थे,

और जैसे ही वो चाट के बखीर साफ़ करते मैं कलछुल से एक दो कलछुल और,.

पर कम्मो भौजी के देवर अकेले अकेले कम्मो की ननद का मजा लें ये तो नाइंसाफी होती न ,

तो वो भी , फिर मैं भी. .

अब हम तीनो चूत चटोरे, कुँवारी कसी चूत के रसिया,.

थोड़ी देर में ही गुड्डी रानी की हालत खराब हो गयी , जब मेरा सैंया उसकी क्लिट चाटता चूसता तो मैंने उसकी बहन की बुर में जीभ डाल के चोदती, मेरी उँगलियाँ ननद के बंद गाँड़ के छेद का हाल चाल लेती और

कम्मो कुछ और कीमियागिरी में मगन थीं , मैंने बोला था न वो अपनी कुठरिया से ' कुछ ' लायी थी

पाउच देसी दारू , वो भी महुआ वाली , कुछ उन्होंने बखीर में मिलाया और कुछ मुझे अपने देवर को हटा के अपनी ननद की बुरिया को फैला के , एक पाउच में छेद करके , बूँद बूँद,

बहन की बुर से महुआ , नशा सौ गुना हो गया , और वहीं से कभी सपड़ सपड़ चाटते तो कभी चूसते,

गुड्डी कितनी बार झड़ी पता नहीं, हालत एकदम खराब थी ,. और थोड़ी देर में उसके दिन के भैया रात के सैंया को हटाकर हम दोनों, मैं और कम्मो

लेज 69

वो झड़ झड़ के थेथर हो गयी , पर हम दोनों ने उसे नहीं छोड़ा जब तक हम दोनों को उसने चूस चूस के नहीं झाड़ा,

और ये देख कर खूंटा इनका पागल,

लेकिन अब मेरी ननद की हालत बहुत खराब थी , इसलिए देवर पर उनकी भौजी ने नंबर लगाया,

उस रात मेरा रिकार्ड भी टूटा एक रात का,

ये सात बार झड़े ,

ननद के झड़ने की गिनती कोई भौजाई करती है जो हम करते,

सात बार में चार बार मेरी ननद की बुरिया में और दो बार अपनी कम्मो भौजाई के अंदर।।।

कम्मो भौजी

सातवीं बार ,. बताउंगी बताउंगी, अभी कहानी ख़तम थोड़े ही हो रही है,.

हाँ तो मैं कह रही थी, मेरी ननद थेथर हो गयी, एकदम हिलने की हालत में नहीं, बस खाली छु भर लो तो झड़ने लगती, और उसकी ये हालत उसके प्यारे भैया ने नहीं बल्कि दोनों शैतान भाभियों ने की थी, मैंने और कम्मो ने मिल के खूब चूसा था उस रसीली की रसभरी को, दोनों फांको को फैला के अंदर तक जीभ पेल के, गोल गोल घूमती जीभ बार बार ननदिया के जी प्वाइंट को छु जाती तो वो एकदम पागल हो जाती, लेकिन मैं रुकने वाली नहीं थी, उसके साथ मैं अपने अंगूठे को कभी उसकी क्लिट पर रगड़ती तो कभी तर्जनी और अंगूठे से पकड़ कर पुल करती, . और उसका झड़ना शुरू होता तो वो रुकती नहीं,

और रुकती हम दोनों भी नहीं, कभी साथ साथ तो कभी बारी बारी, मेरी जीभ ननद की बिल में तो कम्मो की जीभ ननद की क्लीट पे, और कभी जब मैं चासनी चाटते चाटते थक जाती तो कम्मो के हवाले उस कमसिन को कर देती, और दो चार पानी झाड़ के, चार पांच मिनट में एक बार फिर मेरे हवाले,

लेकिन अपनी बहना की ये हालात देखकर, उसके भैया की हालत खराब हो रही थी, . खूंटा एकदम खड़ा, कुछ देर पहले तक तो बहन उनकी चूस चाट रही थी , और अब बहना की जो चुसाई चल रही थी , दोनों का असर था बेचारे पर, . सामने तीन तीन रसीली बुर पर वो खड़ा,. अपनी बारी का इन्तजार कर रहा था,

" भौजी भौजी प्लीज अब छोड़ दीजिये , एकदम ओह्ह आह्हः नहीं उफ्फफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ,. " वो हम दोनों से बोलती और फिर झड़ने लगती।

मैं तो मान भी गयी पर उसकी कम्मो भौजी, आँख नचाते, हाथ घुमाते,. " अच्छा, और जउन इतना मोटा तगड़ा खूंटा खड़ा किया हो हमरे देवर का उसका इंतजाम कौन करेगा। "

पर ननद न एकदम ननद होती है , चाहे उसकी जो भी हालत हो, . थकी बेबस वो मुस्कराती , चिढ़ाती कम्मो को देखती बोली,

" अरे हमार बड़की भौजी हैं न,. अबकी देवर भौजी का,. "

उसकी बात पूरी करते, मैंने भी गुड्डी की ओर से जोड़ा,

" सही तो कह रही है गुड्डी, अब दो दिन बल्कि डेढ़ दिन में देवर चले जाएंगे, और देवर भौजी की एको बार सफ़ेद रंग वाली होली नहीं हुयी,. एक बार खेल लीजिये मन भर, फिर,. "

मन तो कम्मो का भी यही कर रहा था, इतना मोटा खूंटा कभी न उसने देखा न सुना, एक दो बार अभी गुड्डी के साथ साथ, लेकिन जम कर चुदवाने की बात और है, फिर ये लास्ट चांस,

अपनी बहन पे चढ़ाई कर के अब इनकी भी लाज शर्म झिझक ख़तम हो गयी थी, फिर तो दो दिन बाद ससुराल में, अभी से इनकी सलहज ने बोल रखा था, कपड़ा पहनने को नहीं मिलेगा,.

गुड्डी को खींच के मैं सोफे पर ले गयी

जैसे कोई छोटी सी बच्ची को प्यार दुलार करे न, एकदम उसी तरह से दुबका के सोफे पे अपनी बगल में उसे मैंने बैठा लिया और वो भी एकदम मुझसे चिपकी दुबकी बैठी, थोड़ा सा मैंने उसे और अपनी ओर खींचा तो सीधे मेरी गोद में, मेरी जाँघों पर, . झुक के उस किशोरी के गाल मैंने खूब प्यार से बहुत हलके से बस छू भर दिए अपने होंठों से,

वो गिनगीना गयी.

मेरे हाथ साइड से उसकी खुली कच्ची अमिया को हलके हलके सहला रहे थे , और हम दोनों कम्मो भौजी को देख रहे थे,

और कम्मो भौजी इनके तन्नाए खड़े मोटे खूंटे को,

मान गयी मैं कम्मो भौजी को, वो महुआ से भरे ढेर सारे पाउच लायी थीं, बस एक पाउच को खोला थोड़ी सी महुए वाली दारू अपनी हथेली में , और दोनों हथेलियों से उस मोटे खूंटे को पकड़ के उसकी जम कर मालिश शुरू कर दी, . फिर दो चार मिनट मालिश करने के बाद, उसी पाउच से बूँद बूँद इनके मूसल पर टपकाने लगीं और एक बार फिर से महुआ की मालिश,

लिंग उनका चमकने लगा, लेकिन कम्मो भौजी को इतने से संतोष कहाँ , उस पाउच का बचा खुचा महुआ सीधे अपने दोनों बड़े बड़े जुबना पर और जुबना से लंड को पकड़ के एकदम मस्त टिट फक, कुछ देर तो सिर्फ भौजी अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों से देवर के लंड को कसर मसर मसल रही थीं पर कुछ ही देर में उनके देवर भी नीचे से चूतड़ उठा उठा के अपनी भौजाई का साथ देने लगे ,

कम्मो भौजी कभी अपने कड़े खड़े निपल से देवर के पेशाब के छेद में रगड़ दे रही थीं तो कभी महुए से भीगे लंड से बूँद बूँद रिसती दारू को अपनी ऊँगली में लगा के पिछवाड़े की दरार पर रगड़ दे रही थीं,

अब उनके देवर से रहा नहीं जा रहा था, मन तो उनका कबसे कर रहा था अपनी उस भौजी के साथ,

लेकिन कम्मो भी न, वो जानती थी उनका देवर उनके जोबन के लिए कितना ललचाता था ,. तो थोड़ा उनकी देह पर सरक कर , अपने दोनों जोबन उनके होंठों के पास , .

और उनके देवर ने मुंह खोल दिया,

कम्मो ने एक नया पाउच खोला और अब जोबन पर से टपकते हुयी महुए की बूंदे इनके मुंह में और ये गट गट पी रहे थी,

महुए की बूंदे

कम्मो ने एक नया पाउच खोला और अब जोबन पर से टपकते हुयी महुए की बूंदे इनके मुंह में और ये गट गट पी रहे थी,

गुड्डी की निगाह एकदम देवर भौजी के इस खेल तमाशे से चिपकी थी जितना उसके भैया गरमा रहे थे उतनी ही उनकी बहना और मेरी उँगलियाँ अब ननद की मांसल जांघो पर फिसल रही थी, उसकी जाँघे धीरे धीरे खुल रही थीं ,

पर उसके भैया से अब नहीं रहा गया कमान उन्होंने अपने हाथ में ले ली , एक हल्का सा झटका और भौजी पलंग पर देवर ऊपर भी अंदर भी,

शुरुआत ही इन्होने चौथे गेयर से की, कम्मो की दोनों चूँचियों को पकड़ के क्या जबरदस्त धक्के मार रहे थे, कम्मो सिसक रही थी

पर ये मुकाबला बराबर का था, कुछ देर में उतनी ही जोर से नीचे से अपने बड़े बड़े चूतड़ उठा के कम्मो भौजी भी धक्के लगा रही थीं, अपने हाथों से अपने देवर की पीठ उन्होंने कस के पकड़ ली थी, नाख़ून शोल्डर ब्लेड में धंस गए थे

इन्होने भी शुरू से ही अपनी भौजी पर तिहरा हमला बोल दिया था एक चूँची इनके मुंह में कस कस के चूसी जा रही थी तो दूसरा इनके बाएं हाथ से मसली जा रही थी , इनका तीसरा हाथ भौजी की जाँघों के बीच क्लिट पर, कोई और होती तो चार पांच मिनट में ये झाड़ देते पर कम्मो भौजी,

लेकिन थोड़ी देर में मुझे कम्मो की चालाकी समझ में आ गयी।

मैं ध्यान से देख रही थी, जिस तरह चूतड़ उठा उठा के हर धक्के का जवाब दे रही थीं , अपनी बड़ी अब्दी छातियां अपने देवर के सीने में रगड़ रही थीं, देवर की भी हालत खराब थी,

लेकिन भौजी की हालत ज्यादा खराब थी, पर जैसे ही वो झड़ने के कगार पर पहुँचती, देवर को हल्का सा धक्का देकर, फिर कभी बांसुरी वादन, अपने दोनों होंठों के बीच इनकी बित्ते भर की बांसुरी लेकर, . या फिर से एक बार चूँची चोदन, और साथ जिस तरह इन्हे मजे से उकसाते चिढ़ाते देखतीं, बस इनकी हालत खराब हो जाती ,

पर कम्मो भौजी के पार उतरने का टाइम थोड़ा और बढ़ जाता,

पर उनके देवर भी रोज सास सलहज की बातें सुन सुन के इतने सीधे नहीं रह गए थे, उन्हें अपनी भौजी की चाल का पता चल गया, बस ताकत तो थी ही बहुत इनकी देह में, वहीं पलंग पर पटक कर, निहुरा के,

पिछवाड़े से , अपनी भौजी को कातिक की कुतिया बना के चढ़ गए, हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे साथ में दोनों चूँची बड़ी बड़ी कस कस के रगड़ते , झुक के उनके गाल काट लेते , कभी हाथ बढ़ा के उनकी क्लिट भी निप्स के साथ मसल देते,

गुड्डी बहुत ध्यान से देख रही थी और अपने भैया की चाल से खुश भी हो रही थी और कम्मो भौजी को छेड़ भी रही थी,

" क्यों भौजी कैसे लग रहे हैं देवर के धक्के"

और जवाब में क्या मस्त गन्दी गालियां कम्मो कभी मेरी ननद को लेकर तो कभी इनको लेकर , बहन इनकी , मेरी कोई ससुराल वाली नहीं बची यहाँ तक की मायके वालों का भी नंबर लगवा दिए मेरे , मेरे कोई सगा भाई तो था नहीं लेकिन चचेरे, मौसेरे, फुफेरे, ममेरे सब भाइयों का नाम तो उन्हें मालूम ही था, बस सब का नाम ले ले कर इन्हे गरियाँ रही थीं,

तेरे सब सालों से, रमेश बरजेस उमेस से तो तोरी बहिना क गाँड़ मरवाई, तोहार कुल सार तोहरी बहिनिया क भतार,. बहिन चोद,

और गालियों का जो असर इन पर होना था, हुआ और ये दुगुने जोश से अपनी निहुरी भौजाई की रगड़ाई करने में लग गए

और उस रगड़ाई का जो असर होना था वो भी हुआ, इनकी भौजी कांपने लगी, भौजी की हालत खराब थी, जिंदगी में उनको बहुत कम ऐसे मर्द मले थे जो औरत को झाड़ के झड़ते और ये तो तो जब तक तीन बार न झाड़ लें, . कम्मो ने छुड़ाने की कोशिश की पर इन्होने पकड़ और जबरदस्त कर दी, धक्के और तेज कर दिए, .

कम्मो भाभी की गालियों की रफ्तार बढ़ गयी, मेरी सास ननद, सब को इनसे जोड़ के और इन्हे भी, गँड़ुआ, भंड़ुआ,

वो झड़ रही थीं, काँप रही थी पर इन्होने ज़रा भी नहीं ढील दी, . बल्कि अपनी टांगों के बीच कम्मो भौजी की तगड़ी टांगों को कस के फंसा के बाँध के, क्या मस्त चोद रहे थे,

इनकी चुदाई देख के मैं तो खुश हो ही रही थी, आखिर 'सांड़' तो मेरा ही था, लेकिन मुझसे ज्यादा मेरी ननदिया, उनकी बहिनिया,. उसके चेहरे पे ख़ुशी देखते बनती थी, .

वो और उन्हें उकसा रही थी, हाँ भैया हाँ और जोर से , आज भौजी को मिला है कोई उनके जोर का, इसी लिए सब बनारस वालियां आती हैं हमारे शहर में टाँगे फैलाने,

प्यार से उसके नये आते जुबना दबा के मीस में बोली,

" अरी बिन्नो, बस दो चार दिन और , मेरे और कम्मो के भैया सब बनारस वाले, एक साथ तीन तीन चढ़ेंगे तो पता चलेगा बना रस का रस. "

बिना घबड़ाये वो बोली, " अरे आज अपने भैया को देख लिया तो दो चार दिन में भौजी के भैया को भी देख लूंगी, लेकिन . . भैया एक साथ तीन तीन,. "

मीठी मीठी ननदिया

प्यार से उसके नये आते जुबना दबा के मीस में बोली,

" अरी बिन्नो, बस दो चार दिन और , मेरे और कम्मो के भैया सब बनारस वाले, एक साथ तीन तीन चढ़ेंगे तो पता चलेगा बना रस का रस. "

बिना घबड़ाये वो बोली, " अरे आज अपने भैया को देख लिया तो दो चार दिन में भौजी के भैया को भी देख लूंगी, लेकिन एक साथ तीन तीन,. "

" और क्या मेरी मीठी मीठी ननदिया के तीन मीठे मीठे छेद हैं , अगवाड़ा, पिछवाड़ा और ये मुंह,. सिर्फ अगवाड़े का मजा लेने से पिछवाड़े के साथ नाइंसाफी नहीं होगी, फिर तो. और तेरी आगे वाली नथ तेरे भैया ने उतारी तो पीछे वाली भौजी के भैया, हिसाब बराबर। "
ननद को प्यार से मैंने समझाते बोला और उसके रसीले होंठ चूम लिए ,

और उधर उसके भैया ने पोज बदला

कम्मो भौजी अब तक अपने देवर के ऊपर चढ़कर उन्हें चोद रही थीं पर अब कम्मो भौजी अपनी पीठ के बल , उनके देवर ऊपर, लेकिन चुदाई की तेजी में कोई कमी नहीं आयी थी ,

दोनों ओर से जैसे अखाड़े में दो बराबर के पहलवान कुश्ती लड़ें,

दूर कहीं एक का घंटा बजा,

फाग गाने वालों की आवाजे भी अब बंद पड़ गए थे , फागुनी बयार खिड़की से आ रही थी और उसमें थोड़ी चांदनी थोड़े टेसू के फूलों की महक घुली हुयी थी,

वो कभी झुक के कम्मो की बड़ी बड़ी चूँची कस के काट लेते तो कभी पूरे घुसे हुए बित्ते भर के लंड के बेस से अपनी भौजी की क्लिट रगड़ देते, कम्मो भी अपने नाख़ून उनके कंधे में गड़ा देती , अपनी गुलाबो में उनके मूसल को भींच लेती,

जब कम्मो ने कांपना शुरू किया तो उन्होंने भी जैसे कोई मन्द्र सप्तक से सीधे द्रुत पर आ जाय

देवर भौजी एक दूसरे की लय ताल पर,

बाहर टेसू झड़ रहे थे, चांदनी आम के पेड़ों से छन छन कर झड़ रही थी

अंदर देवर भाभी , झड़ रह थे, देर तक कस के एक दूसरे को पकडे हुए , भींचे हुए खूंटा एकदम जड़ तक धंसा जैसे दोनों के शरीर जुड़े हों,

बहुत देर बाद जो अलग हुए तो वो एकदम आँखे बंद कर के

और कम्मो भौजी की हालत तो और खराब थी , दोनों जाँघे फैली, एकदम खुली, एक पायल टूटकर अलग निकल गयी, हलके जाड़े में भी पसीने से लथपथ, आँखे बंद,

जैसे दुनिया जहान की उन्हें खबर ही न हो,

उनकी बिल में देवर की मलाई, उतरा रही थी , छलक रही थी जैसे बारिश में नदी का पानी किनारों में नहीं समाता, उसी तरह बाहर निकल के , उनकी मांसल खुली जाँघों पर भी अच्छी तरह फैला,

कुछ देर तक मैं और गुड्डी भी देखते रहे पर मैंने गुड्डी को उकसाया,

" अरे यार तेरे भाई की मलाई है , चाट ले भौजी की बुर से,. " और उसे साथ ले के बिस्तर पर , गुड्डी ने भी बिना हिचके,

अब वो मलाई चाटने में समझदार हो गयी थी, पहले जाँघों पर बह रही मलाई उसने जीभ से सपड़ लपड़ चाटी, फिर जीभ की टिप से भौजी के बुर की फांकों पर लगी एक के बूँद , और जैसे कोई आम की दोनों फांको को फैला के बीच में मुंह लगा के जीभ डाल के , एकदम उसी तरह से भौजी की बिलिया को फैला के दोनों होंठो से वो कस के चूस रही थी और जीभ अंदर बुर में घुसी रबड़ी मलाई चाट रही थी।

बीच में रुक कर कर के उसने ऊँगली अच्छी तरह भौजी की बिलिया में डाल के जैसे कोई टेढ़ी ऊँगली से घी निकाले, चम्मच की तरह उस तरह निकाल के चाट लिया,

अब कम्मो भौजी ने अपनी आँखे खोल ली थीं और टुकुर टुकुर अपनी ननदिया की बदमाशी देख रही थीं। लेकिन ननदिया उनकी नंबरी बदमाश, आखिर उन्ही की चेली,

अपनी भौजी की बिल से भैया की गाढ़ी मलाई निकाल के थोड़ी सी उनकी बड़ी बड़ी चूँचियों पर भी लपेटी, कुछ उनके गालों और होंठों पर भी, और वहीं से चाट लिया,

उन्होंने आँखे खोल दी थीं और अपनी जवान होती बहन और उसकी भौजाई का खेल तमाशा देख रहे थे, मुस्करा रहे थे.

शेर भी थोड़ा थोड़ा जगने लगा था, . कम्मो ने इन्हे छेड़ा,

शेर भी थोड़ा थोड़ा जगने लगा था, . कम्मो ने इन्हे छेड़ा,

" हे बहन चोद, मजा आया न बहिनिया को चोद के, और भी हैं तेरे,. "

मैं कम्मो की बात काटती उसके पहले हम दोनों की ननद मैदान में कूद पड़ी,. सचित्र वर्णन लेकर,

कोहबर में खुद उन्होंने सत्रह अट्ठारह का नाम गिनाया था , पर गुड्डी की लिस्ट उससे भी लम्बी थी , इनकी बहनों का, सगी तो कोई थी नहीं सबसे नजदीक यही गुड्डी थी , जो इन्ही के शहर में थी इसलिए , और

हाँ तो भला हो व्हाट्सऐप का , मेरी ननदों का एक ग्रुप था , जिसमे सिर्फ ननदें थीं और किसी की भी एंट्री मना थी और बातें सब अडल्ट ओनली वाली , हाँ गुड्डी उसके प्रशासक के रूप में , इसलिए सिर्फ मुझे उन पोस्टों को पढ़ने के लिए इंट्री मिल गयी थी , पोस्ट नहीं कर सकती थी,

जैसे कोई ताश के पत्ते फेंटे, गुड्डी ने एक एक करके सब की फोटुए , और दो पर आके रुक गयीं ,

एकदम हाट हाट दो जुड़वां बहने , इनकी फुफेरी बहने, .

मुझे समझ में नहीं आया और इनके समझने का कोई सवाल था ही नहीं , ननद रानी ने ही समझाया

जहाँ इनकी पोस्टिंग होने वाली थी, वहां से सिर्फ २४ किलोमाटर दूर इनकी बुआ रहती थीं और ये दोनों बहने, . दोनों इस साल बोर्ड का इम्तहान दे रही थीं , और मेरे पूछने के पहले ही गुड्डी रानी ने फिगर बता दिया ३२ -२४ -३३. लम्बाई गुड्डी के बराबर ही थी ५ फिट ४ इंच. गोरी, छरहरी,. . पर गुड्डी ऐसी शर्मीली नहीं , खैर कर्टसी कम्मो के अब तो गुड्डी सबके पर काटने वाली थी

लेकिन असली बात उस ग्रुप में ये थी की रोज इस बात पर चरचा होती थी किस किसकी चिड़ियाँ उड़ने लगी हैं,

सुबह तक बैलेस बराबर था, ९ की फट चुकी थी , ९ बची थीं , ( कहने की बात नहीं ये सब कुँवारी थी, शादी शुदा बहनों की खाली गेस्ट एंट्री थी ) पर अभी फटी बहनों का पलड़ा इनके कर्टसी भारी हो चुका , अब मेरी १० कुँवारी ननदो की नथ उतर चुकी थी , और आठ सिर्फ बची थीं,

जिनमें वो दो भी शामिल थीं , जहाँ हम जाने वाले थे, और गुड्डी अपने भैया का टांका उनसे भिड़वा रही थी,

हाँ एक बात और , जिसकी चिड़िया उड़ती थी उसे खूंटे की लम्बाई चौड़ाई सब बतानी होती थी , एक दो ज्यादा सेक्सी हॉट थीं उन्होंने खूंटे की फोटो भी पोस्ट कर थी, एक तो वही थी जिसकी मेरी शादी में मेरे ननदोई ने फाड़ी थी , उस ने ननदोई जी के मूसल की ,

जब मैं और गुड्डी बैठकर फागुनी बयार का मजा ले रहे थे और देवर भाभी की मस्त चुदाई साथ साथ देख रहे थे , मैंने गुड्डी को उकसाया और उसने दो चार इनके मोटे मूसल की फोटो खींच ली , थोड़ा बहुत ना नुकुर करने के बाद , उसने वो फोटो भी उस ग्रुप में पोस्ट कर दी , लम्बाई चौडाई के साथ ,

अब सब उसके पीछे पड़ गयीं , इत्ता मोटा ,. कैसे घोंटा , किसका है ,. और मेरी चालक ननद ने शर्त लगाई लेकिन घोंटना पड़ेगा रिक्वेस्ट भेजनी पड़ेगी,

चार तुरंत तैयार होगयीं, इनमे ये दोनों भी थी ,

और मैं और कम्मो इनकी बहनों की फोटो दिखा दिखा के इन्हे चिढ़ा रही थीं ,

पर खूंटा तना था , . और कम्मो ने शर्त लगा दी , खूंटे को हाथ भी नहीं लगाना है , हाँ उसके अलावा कुछ भी

अपनी बहन को,

और मैं और कम्मो इनकी बहनों की फोटो दिखा दिखा के इन्हे चिढ़ा रही थीं ,

पर खूंटा तना था , .

और कम्मो ने शर्त लगा दी , गुड्डी को साफ़ साफ़ बोला था,

खूंटे को हाथ भी नहीं लगाना है , हाँ उसके अलावा कुछ भी

क्या क्या न करवाया कम्मो ने उससे , . दस मिनट का बीस मिनट हो गया,

कम्मो ने एकदम सही पहचाना था मेरी ननद को स्वभाव से छिनार, नम्बरी चुदवासी, बस एक बार रास्ता खुलने की देर है , खुद नाड़ा खोलेगी,. .

और अब रास्ता खुला ही नहीं अच्छी तरह खुल गया था,

गुड्डी बिना सिखाये पढ़ाये, कभी इनके मेल टिट्स पर तो कभी नाभि पर, अपने लंबे नाख़ून, जीभ , छोटे छोटे जोबन, हद तो तब हो गयी जब जीभ निकाल के उनके बॉल्स लिक करने लगी,

और कोई ये न बोले की ये तो मना किया था तो खिलखिलाती हंसती छोरी बोली,

" अरे भौजी, गन्ना मना किया था रसगुल्ला थोड़े ही" .

बॉल्स पहले तो लिक करती रही, फिर स्क्रैच और एक बाल मुंह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी, .

इनकी हालत खराब हो रही थी ,पर खराब हो तो हो, . आखिर मेरी ननद भी तो तड़प रही थी इत्ते दिन से,.

कम्मो ने कुछ मेरी ननद के कान में सिखाया पढ़ाया,

उसके बाद तो क्या जबरदस्त रीमिंग, . मुंह में चुभला चुभला के उसने पहले तो ढेर सारा थूक इकठ्ठा किया , फिर दोनों हाथों के जोर से उनके गुदा छिद्र को पूरी ताकत से फैलाया और मुंह का सारा का सारा थूक उस छेद पर, . थोड़ी देर तक हाथ छोड़ कर सिर्फ जीभ की टिप पिछवाड़े की दरार में चलाती रही, फिर एक बार वही , छेद को फैलाके, ढेर सारा थूक अंदर , और अबकी जीभ की टिप भी , कभी गोल गोल कभी अंदर बाहर,

खूंटा एकदम तना, अब इनसे नहीं रहा गया और वहीँ पलट कर अपनी बहन को, .

कहाँ नहीं चोदा और कैसे नहीं चोदा,

पूरे कमरे में , सोफे पर लिटा कर, निहुरा कर, खड़े खड़े दीवाल से चिपका के, खिड़कियां खोल दी थीं ननद की चीख पुकार कुछ मोहल्ले में भी तो गूंजे,

तो खिड़की के सहारे भी,

सबसे ज्यादा कस के चीखी चिल्लाई जब उसको दीवाल के सहारे खड़ी कर के,
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