Episode 74

कम्मो और चहकने लगी, " ये तो बहुत अच्छा हुआ, अरे उसके कॉलेज में , गली मोहल्ले में नाम गाम तभी तो होगा जब मोहल्ले के लौंडे कूटेंगे उसको। सोमवार को दिन भर , कम से कम आठ दस घंटा लगातार, पहिले पिछवाड़ा अच्छी तरह से, फिर पिछवाड़ा, अगवाड़ा दोनों, क्या कहते हैं नॉन स्टॉप,. हाँ रात को भले थोड़ा देर से सो जाए, अगले दिन कॉलेज भी तो रहेगा, उसका,. "

मैंने बात आगे बढ़ाई, " एकदम और जब वो दोनों टाँगे फैला के कॉलेज जायेगी, हर कदम पर चलते समय चिल्ख निकलेगी, दोनों गालों पर दांतो के निशान रहेंगे तो उसकी सारी सहेलियों को बल्कि सारे कॉलेज को, सब मास्टरनियों को पता चल जाएगा की इस होली में चिड़िया उड़ने लगी है , बल्कि कस के कूटी गयी है दोनों तरफ से, .

" एकर जिम्मेदारी हमारे ऊपर छोड़ दो, अरे दूर से पता चल जाएगा देख के अच्छी तरह चोदी गयी है,. " हँसते हुए कम्मो मेरी बात काटते बोली , लेकिन तभी उसका फोन घनघनाने लगा और वो बात रोककर उससे बतियाने लगी,. हाँ हाँ पक्का , सोमवार , होली के अगले दिन , ठीक नौ बजे पहुँच जाना, नौ का सवा नौ न हो , सोच ले ,. . हाँ ,. हाँ ,. एकदम कोरा पिछवाड़ा है उसका,. कैसे घोंटेंगी तेरा,. अरे तो तू किस मर्ज की दवा है,. रोये चिल्लायेगी तो रोने देना , मैं रहूंगी ना , . "

और कम्मो ने फोन बंद करते हुए मुझे समझाया, अरे वही पठान का लौंडा जावेद, जिसके बारे में मैं कह रही थी की चार बच्चे वाली भी पनाह मांगती हैं उससे,. पूरा बित्ते भर का यौ मोटा, एकदम मेरे देवर की तरह का,. और लौंडिया ने ज़रा सा नखड़ा किया न तो मार मार के चूतड़ लाल कर देता है,. "

लेकिन मेरे पास एक सवाल और था,. " लेकिन आप ने कहा था , तीन पठान के,. "

" अरे अभी तो मैं सोच रही थी चिड़िया कितनी देर के लिए , लेकिन अब तो हम लोगों की मुट्ठी में ही है , तो अभी उन दोनों को भी पक्का करती हूँ,. वो दोनों लौंडे नहीं है पूरे मरद हैं ३० -३२ के, कसरती, बड़ी ताकत है दोनों की देह में, पीस के रख देते हैं, स्सालों का तो लगता है किसी ने काट के गदहे का लगा दिया है , आज तक जो औरत उन दोनों के नीचे आयी , दुबारा उसकी आने की हिम्मत नहीं पड़ी, महीनो से भूखे हैं दोनों, बात तो हो गयी थी दोनों से आज मैंने बोला था की शाम तक या कल सुबह तक पक्का करुँगी, तो अभी उन दोनों को भी , वो दोनों सुबह देर से उठते हैं इसलिए उन दोनों को ग्यारह साढ़े ग्यारह बजे तक , तब तक वो लौंडा उस का पिछवाड़ा एक बार खोल देगा,. " कम्मो बोल ही रही थी की मेरे फोन पर तीन बार बनारस से फोन बजा, एक बार अनुज का और दो बार गुड्डो का,.

और मैं कम्मो के पास से ऊपर अपने कमरे में चली आयी।

रस बनारस का -

और मैं कम्मो के पास से ऊपर अपने कमरे में चली आयी।

गुड्डो का दो बार फोन मतलब अनुज के बारे में कुछ ख़ास बात और फिर दस पन्दरह मिनट से कम तो उसकी बात होगी नहीं, इसलिए अपने कमरे में पहुंचकर आराम से ही उससे अपने देवर का हालचाल पूछती थी,

और आज मैंने जैसे फोन लगाया जैसे उस उम्र की लड़कियों की हालत होती है बस बहुत देर तक गुड्डो खिलखलाती रही और फिर मैंने डपट कर उसे चुप कराया और हड़काया की क्या हुआ अनुज ने तेरी ले ली क्या जो इत्ती खुश लग रही है,. . तो तुरंत उसने आवाज और अंदाज दोनों बदला और उदास बन के बोलने लगी, .

" कहाँ आप भी न जले पर आयोडीन युक्त नमक छिड़क रही हैं,. मन करता है मैं किताब होती, कम से वो अपने सामने खोल के तो रखता,. "

और फिर खुद गियर बदल के चहचाते बोली, . " लेकिन दो तीन दिन और होली और उसके अगले दिन इम्तहान आपके देवर का, . "

बात काट के उसकी मैंने चिढ़ाया,

"फिर लेगा मेरा देवर तेरी हचक हचक के यही न "

फिर उसका खिलखिलाना चालू हो गया किसी तरह रुक के बोली,

" और नहीं तो हम लोग आपके देवर की ले लेंगी, सरे बाजार उसकी इज्जत लूट लेंगी। " और दुबारा खिलखिलाना चालू और रुकी तो मेरे ऊपर अलफ़, " आप भी न सब भुलवाय देती हैं , आप देवर की जबरदस्त ईद हो गयी,. "

तभी मुझे याद आया इस बार होली और ईद साथ साथ ही पड़ने वाली थी, हाँ कल ही तो थी ईद,.

मैं बड़ी जोर से मुस्करायी और अब खिलखिलाने की बारी मेरी थी और बीच में बात काटने की उसकी, मैंने हुए पूछा,.

" हे छोटी है या, कैसी है ,. . "

गुड्डो हँसते हुए बोली,

" छोटी है मुझसे , लेकिन छोटा नहीं है , मुझसे पूरे आठ महीने छोटी है लेकिन मुझसे बड़ा ही होगा, ३२ सी,. और हाँ मैं उसकी फोटुएं भेज रही हूँ , देख लीजिये अपने देवर के लेटेस्ट माल को, . और बीच में टोकियेगा मत। "

मैंने टोका तो नहीं लेकिन व्हाट्सऐप पर फोटो देख ली , आधी दर्जन थीं पूरी , एकदम मस्त माल, कड़क,.

" माल तो एकदम मस्त है,. " मेरे मुंह से निकल गया ,

" एकदम लेकिन अब बीच में मत बोलियेगा , नाम उसका है अरिष्फा खान. "

मिस खान

मैंने टोका तो नहीं लेकिन व्हाट्सऐप पर फोटो देख ली , आधी दर्जन थीं पूरी , एकदम मस्त माल, कड़क,.

" माल तो एकदम मस्त है,. " मेरे मुंह से निकल गया ,

" एकदम लेकिन अब बीच में मत बोलियेगा , नाम उसका है अरिष्फा खान. "

और मैं बिना बोले सुनती रही, गुड्डो सुनाती रही।

अरिष्फा खान,

कॉलेज में भी गुड्डो से एक क्लास नीचे थी, घर भी उन लोगों के घर से सटा, एक कॉमन बड़ी सी छत जिसपर औरतें बड़ियाँ सुखातीं, बहुये सास की और सास बहुओं की बुराई करती, छोटी छोटी लड़कियां छत पर एकट दुकट्ट खेलते कब बड़ी हो गयीं उन्हें तब तक पता नहीं चलता जब तक मोहल्ले के लौंडे देखकर सीटी बजाना नहीं शुरू करते और पड़ोस की आंटियां दुपट्टे ठीक करने के लिए टोकती नहीं।

लेकिन अरिष्फा का पूरा घर परदे का एकदम पाबंद, और घर में सिर्फ वो और उसकी माँ , अब्बा कतर में थे, दो तीन साल में एकाध बार,. परदे का ये हाल था की गुड्डो छेड़ती भी थी, तू तो टॉयलेट भी बुर्का पहन के जाती होगी।

पर्दा चाहे जितना लेकिन जबान उसकी भी कैंची ऐसी ,

गुड्डो को चिढ़ाती,

"यार तू सब खान लोगों की दीवानी होती हो न, सलमान खान, ये खान वो खान , तू कह तो तेरे लिए किसी खान का जुगाड़ करवा दूँ,. मेरे ढेर सारे कजिन्स हैं,. "

गुड्डो उस पे चढ़ बैठती यार मुझे कटा पिटा नहीं चाहिए , मुझे तो पूरा चाहिए, ज़रा भी कम नहीं। और तेरे भाई तो पता नहीं कब वो भाई से दूल्हा भाई हो जाएँ, नहीं हाँ तुझे कोई पूरा वाला चाहिए तो बता देना।

परदे का एक फायदा भी था , अरिष्फा सब को देख लेती थी और उसे कोई नहीं देख पाता था,

. वो नीली शर्ट वाला,

वो लड़कियों के कॉलेज की छुट्टी के समय प्रेस वाले के ठेले के सामने जो लड़के आ कर खड़े हो जाते हैं,

सब उसे मालूम थे, . और जब से अनुज आया, अरिष्फा का छत पर निकलना कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था, अनुज के कमरे की खिड़की छत पर ही खुलती थी. गुड्डो नोटिस तो करती ही थी लेकिन कुछ बोलती नहीं थी, लेकिन एक दिन अरिष्फा खुद उससे बोली, .

हे वो भैया जो आये हैं तेरे यहाँ, कित्ते सीधे हैं, इटेंलीजेंट और कित्ते हैंडसम, हरदम खाली पढ़ने में ध्यान लगाए रहते हैं, .

तो गुड्डो मौक़ा क्यों छोड़ती, बोली,

कमीनी, बुरका उतार दे तो चलवा दूँ तेरा चक्कर, और इंटेलिजेंट तो हैं ही, इंजिनयरिंग का एक्जाम दे रहे हैं और हो गया, हो गया क्या हो तो जाएगा ही , यही बी एच यू में आई आई टी में इंजिनयरिंग पढ़ेंगे, पर अरिष्फा इत्ती सीधी भी नहीं थी, पलट के बोली,

हे मैं उन्हें भैया बोल रही हूँ और तू,. .

अब मुझसे रहा नहीं गया, हँसते हुए गुड्डो से बोली, " अरे यार तूने ये बताया नहीं उसे की अनुज के शहर का क्या रिवाज है। "

गुड्डो पलट के बोली, एकदम अरे आप ही की साइड की हूँ ये मौका छोड़ती।

गुड्डो ने अपनी सहेली से कहा

तू ऐसे भैया बोलेगी न तो जानती है वो जिस शहर का हैं वहां जित्ते लड़के हैं सब के सब पक्के बहनचोद, और उनकी बहनें सब की सब भाई चोद.

अरिष्फा ने हँसते हुए गुड्डो की पीठ पर कस के एक मुक्का मारा बोली ,

" तब तो मैं दस बार कहूँगी, भैया भैया भैया। भैया के अलावा कुछ नहीं कहूँगी।

" तो तेरी लिए बिना नहीं छोड़ेगा वो, एक बार इक्जाम ख़तम हो जाने दो उसका फिर मत चिल्लाना की भैया ने ले ली , फट गयी मेरी। "

गुड्डो ने गुदगुदी लगाते हुए उसे चिढ़ाया।

" हे तेरी क्यों सुलगती है , भाई बहन में चाहे जो कुछ हो, मेरे भैया उनकी मर्जी , तू कौन सी मेरी ननद लगेगी जो तेरी फट रही है। "

उसकी सहेली भी भले हरदम बुर्का डाटे रहती हो ओर जुबान उसकी भी बनारसी थी.

और तभी ईद आ गयी, और अरिष्फा का बहुत मन था , अनुज को सेंवई खिलाने का ,

लेकिन गुड्डो को चिढ़ाने का मौका मिल गया, वो अपनी सहेली से बोली,

भैया ने कहा अरे भैया बोलती है तो पर्दा क्यों , बिना बुर्के के आएगी और अपने हाथ से खिलाएगी , और जब तक खिलाएगी जैसे खिलाएगी, जैसे वो चाहेंगे। कोई ना नुकुर नहीं, वर्ना रहने दे, वैसे भी तीन चार दिन बाद उनका पेपर है.

बेचारी अरिष्फा, घर से बाहर निकलती कैसे, रास्ता निकल ही गया. वो निकली तो बुर्के में लेकिन अनुज के कमरे में घुसने के पहले उसने उतार दिया। हाँ गुड्डो ने एक रास्ता ये निकाला की अनुज के आँख में मोटी काली पट्टी बाँध दी जाये, उसकी सहेली के कमरे में घुसने के पहले।

उसने अरिष्फा को मना भी लिया की यार तू पर्दा इसलिए करती हैं न की कोई तुझे देख न पाए, बस तो तेरे उस भैया के आँखों में तगड़ी पट्टी बाँध दूँगी मैं कुछ भी नहीं दिखेगा उसे , और तू मन भर के देख लेना, खिला देना , जो कुछ करना चाहे कर लेना, भाई बहन के बीच तो मैं बोलूंगी भी नहीं।

और उस दिन बहुत कुछ हुआ , सेंवई खिलाने के साथ साथ ' सिवाय असली चीज " के. छूना पकड़ना , रगड़ना मसलना। और अगर आपके देवर एक बार कहते तो वो उसके लिए भी तैयार हो के आयी, अपनी कुँवारी कोरी बुलबुल को साज संवार के ,

अनुज ने बोल दिया की यार तेरी सहेली तो मुझे देख रही है मैं नहीं देख पा रहा हूँ ये नाइंसाफी है.

और गुड्डो ने फैसला सुना दिया चल यार तू छू के देख ले , . फिर गाल , होंठ , दोनों उभार,. और अंत में अनुज की शार्ट के ऊपर से कस के गुड्डो ने अपनी सहेली के हाथों में अनुजा का तन्नाया खूंटा भी पकड़ा दिया , और पकड़ने के बाद रगड़ना मसलना , .

मुझसे रहा नहीं गया मैंने गुड्डो से पूछ ही लिया, सिर्फ हाथ से ही पकड़वाया, या वो दोनों संगमरमरी गोलाइयाँ ३२ सी वाली,

गुड्डी बड़ी देर तक खिलखिलाती रही, फिर बोली, मैं आपकी ट्रेन की हूँ , ये मौका छोड़ती। अरे आधी सेंवई उन्ही दोनों पर तो लपेट के, मैंने उसको समझाया, यार हाथ से तो तेरे इस भैया ने छुआ भी दबाया भी मसला भी रगड़ा भी तो होंठों ने क्या गुस्ताखी की है , दोनों तो चमड़े की हैं, . फिर तेरे भैया हैं, . और सेंवई ऐसे तो मजा नहीं आएगा थोड़ी क्रीम मिला देते हैं , तो फ्रेश क्रीम लगा के भी, आपके देवर ने भी खूब सपड़ सपड़,.

" फोटो भेज, मैं मान नहीं सकती तूने क्लिक न की हो पिक" मैंने गुड्डो को हड़काया और अगले ही पल मेरे व्हाट्सऐप में पिंग पिंग ,

ईद अनुज की अच्छी मन गयी और अनुज के सामने ही गुड्डो ने उससे प्रॉमिस करवा लिया, तूने ईद में सेवई खिलाई है तो तेरे भैया भी तुझे एक्जाम के बाद रबड़ी मलाई खिलाएंगे कटोरी भर भर के ,.

और अरिष्फा अनुज से ही बोली, ' भैया याद रखना, मैं नहीं पीछे हटने वाली, और तू नहीं खिलाओगे तो मैं खुद ,. "

लेकिन असली राज गुड्डो ने बाद में खोला जब मैंने उससे कहा की यार ये माल तो देखा लगता है तो हँसते हुए वो बोली

आप भी अरे ये बड़ी घाघ है , बिना परदे के एक अलग नाम से चमक बिजली और मिस चमको के नाम से ढेर सारे वीडियो उसके टिकटोक पर हैं , परदे के चक्कर में मोहल्ले में उसकी शकल तो किसी ने देखि नहीं तो मेरे सिवाय किसी को मालूम नहीं , और एक से के हॉट भोजपुरी भी टिकटोक पे हैं ,

" हे सुन जैसे वो मलाई खा ले न तो उसके दो चार अच्छे वाले फ्रेश वीडियो बना के उसके अपने नाम से डाल देना, फिर उसका सब पर्दा वरदा,. "

" आपने एकदम सही आइडिया दिया, आप बस देखते जाइये , होली के बाद मिस खान टिकटोक की मशहूर हीरोइन हो जाएंगी , और अपने देवर से बात करनी है ,"

गुड्डो बोली और जा के अपना फोन अनुज को पकड़ा दिया।

अनुज

अनुज अपने कमरे में पढ़ रहा था और गुड्डो ने जा के फोन उसे दे दिया और गुड्डो को कुछ किचेन में काम था वो वहीँ चली गयी और मैं अनुज से बात करने लगी।

मन तो उसे चिढ़ाने का बहुत हो रहा था, लेकिन मैंने अपने ऊपर कंट्रोल रखा, सिर्फ उससे पढ़ाई लिखाई की बात की. वो बहुत कॉन्फिडेंट भी था खुश भी , बोला,

"भाभी आपने एकदम सही कहा था की मैं यहाँ रुक जाऊं, सब लोग बहुत ख्याल करते हैं, पढ़ने के अलावा और किसी बात की चिंता नहीं, और गुड्डो तो है ही उससे भी बढ़कर एकदम उसकी मम्मी, भाभी, एकदम आपकी तरह, इतना ख्याल करती हैं , कोचिंग भी बहुत अच्छी है। ऑनलाइन भी बहुत हेल्प हो जाती है. "

" और तेरा स्क्रीनिंग का रिजल्ट कब तक आ जाएगा, . " मैंने पता किया , तो वो बोला,

" भाभी रिजल्ट तो आठ दस दिन में आ जाएगा , अंदाज काफी कुछ उसी दिन शाम को चल जायेगा। "

मेरी समझ में नहीं आया लेकिन उस ने समझा दिया।

ओ एम् आर जिसमें लड़के आंसर भरते हैं वो डुप्लीकेट में कार्बन कॉपी की तरह भरी जाती है, एक शीट पर पेन्सिल से निशान लगाएंगे तो नीचे वाली शीट पर अपने आप मार्क आ जाता है , ऊपर वाली शीट कॉपी के साथ चेक होने के लिए जमा हो जाती है और नीचे वाली शीट को इंविजिलेटर साइन करके परीक्षार्थी को दे देता है. कोचिंग वाले एक्जाम हाल से बाहर निकलते ही लड़कों से ये शीट लेकर स्कैन कर लेते हैं।

जे ई ई की साइट पर इक्जाम ख़तम होने के आधे घंटे के अंदर ही पेपर आन लाइन पब्लिश हो जाता है, बस सिम्पल। कोचिंग वाले उस की आंसर शीट बना के उससे स्कैन्ड शीट को चेक कर अपनी साइट पर पर्सेंटेज लगा देते हैं। पिछले साल ५२. ४ क्वालियाफयिंग गया था और पांच सालों में मैक्स ५४. ७ कट आफ था , और वो कोशिश कर रहा है की उसके ६० % के ऊपर ही आये. तो बस स्क्रीनिंग में हो जाना चाहिए लेकिन असली लड़ाई तो मेंस ही है।

मैं चुपचाप सुन रही थी। बात उसकी सही थी.

अनुज ने बात अपनी जारी रखी। वो मुझे बता रहा था की बनारस में जिस कोचिंग में वो है , उसने एक स्कीम बनाई है, जिन लोगों की शीट वो स्कैन करेंगे उनमे से आल इण्डिया लेवल पर जो टॉप १५ % होंगे या बनारस में जो टॉप १0 होंगे या जिनके नंबर ५७ % से ऊपर होंगे उनके लिए वो अगले हफ्ते से , स्क्रीनिंग टेस्ट के पांच दिन बाद से एक १२ इन का बूट कैम्प लगाएंगे, . स्क्रीनिंग के रिजल्ट के बाद तो मेन के लिए सिर्फ तीन हफ्ते बचेंगे न , इसलिए बिना
स्क्रीनिंग का रिजल्ट का इन्तजार किये , और उसमे ओवर ऑल इंडिया के बेस्ट फिजिक्स और मैथ के टीचर आएंगे

और अचानक, अनुज चुप हो गया.

मुझे उस की चुप्पी में उदासी झलक रहा था , और मेरा देवर उदास, मुझसे नहीं देखा जा सकता था ,

" तो कर लो न बूट कैम्प, क्या बात है, फ़ीस क्या बहुत ज्यादा है ? मैंने उससे पूछा।

" अरे नहीं भाभी, फ़ीस तो कुछ नहीं है. जो टफ स्टैण्डर्ड उन्होंने रखे हैं ज्यादातर तो वहीँ हैं जिनका सेलेक्शन होने का पूरा चांस है, हाँ इस इंटेंसिव कोचिंग के बाद इनमे से जो टॉप १०० में आये तो अखबार में फुल पेज के ऐड, होर्डिंग पर फोटो, अरे जो टॉप १०० में आते हैं उनके पीछे तो तमाम कोचिंग वाले पड़े रहते हैं , झूठ सच बोल दें की उनकी कोचिंग में थे,. उन्हें तो बेस्ट मार्केटिंग चांस मिल जाता है , फ़ीस का मामला नहीं है ,. "

अब उस का मूड कुछ ठीक हुआ , उसने मुझे समझाया।

लेकिन मेरी कुछ समझ में नहीं आया.
" यार मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है , खुल के बोल न. अब तुझे ये कैम्प तो करना है , और होर्डिंग पर तेरी फोटो भी लगनी है , सोच ले ये तेरी भाभी का हुकुम है लेकिन परेशानी बता न, . "

मैंने पूछ लिया।

कोचिंग का प्रोग्राम -२१ दिन

" यार मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है , खुल के बोल न. अब तुझे ये कैम्प तो करना है , और होर्डिंग पर तेरी फोटो भी लगनी है , सोच ले ये तेरी भाभी का हुकुम है लेकिन परेशानी बता न, . " मैंने पूछ लिया।

" अरे भाभी आप भी न , सुनिए , पांच दिन बाद तो शुरू होगा एक्जाम के फिर १२ दिन का कैम्प , एक दो दिन और जोड़ लीजिये , यानी १९ -२० दिन होली के बाद , गुड्डो की मम्मी भाभी क्या सोचेंगी, . उनके यहाँ इस तरह चार पांच दिन के लिए रुका था इक्जाम के लिए ,. मेरी हिम्मत नहीं हो रही , उनसे बोलने की और वो इतनी अच्छी, इतनी अच्छी है , लेकिन उन्हें क्या लगेगा ,. "

वो बहुत परेशान लग रहा था.

लेकिन मैं जोर जोर से हंस रही थी , फिर किसी तरह हंसी रोक के बोली,

" मुझे मालूम है वो क्या करेंगी , तुझसे बोलेंगी , स्साले मुड़ निहुर , और किचेन वाला मोटा बेलन तेरे पिछवाड़े,. अच्छा चल मैं उनसे बात कर लुंगी। "

अनुज ने गहरी सांस ली जैसे बड़ा बोझ उतर गया हो उसके ऊपर से। पर एक बात मेरे मन में उमड़ घुमड़ रही थी तो मैंने पूछ ली,

" यार ये बता तेरी रैंक अच्छी आने का पूरा चांस है , तो तू बजाय दिल्ली बंबई के आई आई टी बी एच यू के चक्कर में क्यों पड़ा है , सब लोग तो बम्बई दिल्ली कानपुर कुछ भी मिल जाए और तू बनारस,. "

फिर कुछ रुक के उसे चिढ़ाते हुए मैंने छेड़ा,.

" कहीं गुड्डो के चक्कर में तो नहीं ? "

वो बड़ी जोर से शरमाया और धीमे से बोला,
" भाभी, . भाभी,. आप जानती हैं तो पूछती क्यों हैं? "

लेकिन कुछ रुक के उसने अपना प्लान पूरा पता दिया। हम दोनों देवर भाभी के साथ एकदम दोस्त की तरह भी थे। "

" भाभी, सिर्फ इंजीयरिंग से तो होगा नहीं या मैनेजमेंट या एम् एस वो भी कहीं फॉरेन में , तो मैंने तय कर लिया है सेकेण्ड ईयर से ही शुरू कर कैट की तैयारी, थर्ड इयर में कैट की कोचिंग भी ज्वाइन कर लूंगा, . और पूरी कोशिश करूँगा की टॉप तीन आई आई एम् में हो जाए, साथ में इंजीयरिंग की ग्रेड भी अच्छी रहे तो कैम्पस में आराम रहेगा। "

प्लानिंग उसकी परफेक्ट थी, पर था तो देवर ही , बिना उसे चिढ़ाए मैं फोन रखने वाली नहीं थी,.

" हे सुन अगर बनारस का रस चाहता है न तो अभी स्क्रीनिंग के एक्जाम तक जम के पढ़ाई कर, उसके बाद लेकिन वो पांच दिन एकदम पढ़ाई नहीं फुल रिलेक्स और फिर बूट कैम्प में रगड़ के पढ़ाई,. अब तुम २० दिन बाद ही घर का रुख करना मैं भाभी से भी बात कर लुंगी और हाँ कल मैं अपने मायके आ रही हूँ दस दिन के लिए , तो बीच में बनारस आउंगी ूतझसे मिलने ,. और ये फोन तो गुड्डो का है न उसे दे दे ,. "

गुड्डो और मम्मी अनुज के कमरे में पढ़ाई के समय नहीं आती , गुड्डो भी फोन दे कर दूसरे कमरे में चली गयी थी , अनुज ने उसे बुला के फोन दे दिया और गुड्डो फिर अपने कमरे में ,
मैंने उससे सिर्फ यही पूछा की मम्मी है उसकी तो वो बोली की शाम को आएँगी और वो बोल देगी उनको बात करने के लिए।

" होली में क्या कर रही हो तू " मैंने पूछा तो फिर तो जो उसने बताया मान गयी मैं उसे और उससे बढ़कर भाभी को,

होलिका दहन के दिन तो शाम को वो लोग जाएंगी, अनुज को भी ले जाएंगी, होलिका की पूजा में व्रत कर रही थी वो अनुज के लिए।
, लेकिन उसके बाद, घर बंद, चारो ओर दरवाजे खिड़की पर मोटे मोटे परदे, जिससे बाहर का हल्ला गुल्ला अंदर तक न आए, .

वो लोग होली, रंग पंचमी के तीसरे दिन मनायेगीं , अनुज के इम्तहान के एक दिन बाद।

और सबसे बड़ी बात , होली और जिस दिन अनुज का इक्जाम है, वो दोनों लोग व्रत रखेंगी , इक्जाम के दिन तो निर्जला, और इक्जाम सेंटर से ही मा बेटी दोनों लोग अनुज को ले के सब मंदिर जायेगीं, फिर कशी चाट भण्डार में चाट और मिश्रांबू भांग वाली ठंडाई पी कर व्रत तोड़ेंगी।

गुड्डो हंस रही थी और साथ मेंमैं भी लेकिन सोच रही थी कैसी है ये लड़की। पहले से ही सात सोमवार और सात शुक्रवार का, .

और फोन काटने के पहले गुड्डो ने बोला की उसकी मम्मी ने अनुज के फाइनल सेलेक्शन के लिए गंगा मैया की आर पार की चुनरी भी मान रखी है।

सीढ़ी से नीचे उतरते समय मैं सोच रही थी, अनुज के बारे में,

शार्प तो वो है ही, लेकिन कितनी लगन और कमिटमेंट है,. स्क्रीनिंग के बार में तो मैं पक्की श्योर थी, लेकिन अगर ये जो उसने बूट कैम्प की उसने बात की, अगर वो कर ले तो मेंस में भी उसका चांस २०-२५% बढ़ जाएगा, और ये मौक़ा यहाँ तो मिल नहीं सकता, बेस्ट टीचर और उससे बढ़कर सेलेक्टेड स्टूडेंट, टफ कम्पटीशन, परफेक्ट माहौल,. ये तो अच्छा हुआ मैंने पूछ लिया।

मैं मुस्करायी, लेकिन है पागल, आधा नहीं पूरा पागल। झिझक कितनी, की कैसे भाभी से बोलेगा इतने दिन और,. चल मैं बोल दूंगी, उन्हें तो अच्छा ही लगेगा,. और दिन भी कितने, स्क्रीनिंग के बाद पांच दिन, और वो मैंने साफ़ साफ़ बोल दिया है नो बुक्स , सिर्फ मस्ती और आराम, . बूट कैम्प के पहले एकदम फ्रेश माइंड से, बूट कैम्प में तो पूरी रगड़ाई होनी ही है,. और कुल कितने दिन, पांच दिन वो बूट कैम्प बारह दिन का यानी , पांच और बारह , कुल सत्रह और दो तीन दिन और, मतलब बीस -इक्कीस दिन।

२१ दिन

इक्कीस दिन ,

सोचते ही मेरे दिमाग में कुछ चमका, मैं जोर से खिलखिलाई और उतरते उतरते एक पल के लिए ठहर गयी।

यही तो, यही तो। अब मेरी ननदिया की अच्छी तरह लिखी जायेगी मोटी वाली कलम और सफ़ेद स्याही से।

मैंने जेठ जेठानी और सासु जी का २१ दिन का ट्रेवेल पॅकेज तो बना दिया था, २१ दिन के लिए घर भी खाली , गुड्डी रानी भी राजी और मेरी सास ने उसके घर से भी,

कम्मो का शैतान दिमाग भी चालू हो गया था , गुड्डो रानी ने भी अपने भौंरो को दावत देना शुरू कर दिया था,. लेकिन,

यह एक बहुत बड़ा लेकिन था क्या वो सच में २१ दिन रह पाएगी। दो चार दिन की बात और. और मुझे लग रहा था की संडे को मेरी सास जेठ जेठानी जाएंगे, उसी दिन मेरी ननद रानी आ जाएंगी,. अगले दिन मंडे से , लेकिन उसी दिन सोमवार को ही तो अनुज की स्क्रीनिंग ही और उसके दो तीन दिन बाद, अनुज लौट आएगा, बृहस्पति हद से हद शुक्रवार, और वो अगर आगया तो घर रखाने की जिम्मेदारी उसके ऊपर, . और कुछ नहीं तो वो भी आ जाएगा साथ साथ साथ रहने, फिर सारा प्लान,

मैंने खुद रीत दी वाले ऐप से सुना था , एक को उसने मंगल को दावत दी तो दूसरे को बृहस्पति को, और अगर एक बार उसने अपने कॉलेज के यारों के सामने टाँगे फैलानी शुरू कर दी तो इतनी जल्दी पर्दा गिरने पर, .

लेकिन अब एकदम पक्का २१ दिन होली के बाद अनुज बनारस में और मेरी ननदिया यहाँ, अकेले कम्मो भौजी की निगरानी में,. अब तो कोई रोक नहीं सकता उसकी दुरगत होने से,

मैं सीढ़ी पर खड़ी खड़ी यही सोच रही थी, .

कल यहीं तो मैं और कम्मो उसे खूब चिढ़ा रही थीं जब उसके भैया ने उसकी नथ उतार दी थी, ' तेरे भैया के बाद अब हम दोनों के भैया लोगों का नंबर लगेगा, चार पांच से कम नहीं एक दिन में।

वो बेचारी एकदम घबड़ा रही थी, नहीं नहीं भाभी एक दिन में चार पांच बार नहीं , नहीं , पर कम्मो भौजी भी न, शीशे में उतारने में उनका कोई सानी नहीं, चाहे देवर हो चाहे ननदें। उन्होंने जोर से मेरी टीनेजर ननद के गाल पे चिकोटी काटी और मामला साफ़ किया , . और बोलीं ,

" ननद रानी, चार पांच बार नहीं , चार पांच हम लोगों के भैया, अब तीन बार से कम तो कोई करेगा नहीं तो समझ लो पंद्रह बार,. "

मेरी मैथ्स अच्छी है जो मैंने ननद रानी की कच्ची अमिया दुलार से सहलाते जोड़ के बता भी दिया,

' यार पहली बात, तुझे तो कुछ करना नहीं , बस अपनी ये प्यारी प्यारी लम्बी गोरी टाँगे फैला देना, या कुतिया की तरह निहुर जाना, बस. उसके बाद तो करेंगे हमारे भैया लोग, तेरे शहर के यार ,. और फिर कितना टाइम पंद्रह, बीस मिनट। तो अगर बीस मिनट भी जोड़ा तो पन्दरह बार में कितना कुल ३०० मिनट या ६ घण्टे,. तो २४ घंटे के दिन में २५ % ही तो हुआ , बाकी टाइम में गली मोहल्ले वालों से नैन मटक्का करना नए नए जोबन मिसवाना। हाँ एक बात और तुम सब ननदें मुझे बहुत चिढ़ाती थी न, मेरी सेंचुरी २० दिन में लग गयी थी, तेरे भैया के साथ तो तेरी सेंचुरी देखना एक हफ्ते में लग जाएगी। "

सेंचुरी

पूरे २१ दिन , २१ दिन में तो उसकी, कुछ दिन पहले की तो बात है जब मैं शादी में आयी थी, जरा सी गारी सुनने पर ऐसी उचकती थी, गरम तवे पर जैसे कोई छींटा मार दे वैसे छनकती थी, .

एक किया दो किया साढ़े तीन किया , हिन्दू * किया तुरक पठान किया, कोरी,चमार किया अरे सौ -सौ छैले हमरे मायके के , .

कैसे बुरा मान के मुंह बिचकाती थी,

अब सही मौका है , तीन हफ्ते में सच मुच् सौ चढ़ जाएँ उसके ऊपर, सौ लौंडो की सेंचुरी बन जाए,. मेरा दिमाग तेजी से काम कर रहा था, कम्मो ने वैसे ही अपने गाँव जवार के , लेकिन अब जब २१ दिन का पक्का हो गया, .

और जितना उसके शहर वाले, १४ भौंरे तो उसकी अपनी लिस्ट में ही थे, . कम से कम ८ -१० तो उसमें से ही ,

फिर उनके भी कुछ यार दोस्त होंगे, फिर उसकी सहेलियां , उनके यार, भाई , उसकी पक्की सहेली लीला तो रोज बिना नागा अपने सगे भाई का लीलती है, तो उसका वो भाई ही,.

और वो दोनों पड़ोस वाली दोनों लड़कियां जो होली खेलने आयीं थी और मैंने और कम्मो ने पटक के , जबरदस्त ऊँगली, दोनों की अच्छी तरह पहले से फटी थी, उनके यार,. .

असली मजा तो तब आएगा , जब उसकी सहेलियों के सामने, कॉलेज मोहल्ले की लड़कियों के सामने लौंडे चढ़ेंगे, उसके ऊपर,.

मैंने तय कर लिया था अभी कम्मो से मिल के,. कम्मो ने तो अपने गाँव जवार के मैं भी रीतू भाभी से बात कर के,. नहीं तो जो ग्वालिन भौजी हैं दूध दुहने आती हैं , अहिराने के भरौटी के, अरे वो लड़के गाँव जवार के नाते मेरे भाई ही तो लगेंगे,.

लेकिन तभी नीचे से मुझे सासू जी की आवाज सुनाई पड़ीं और मैं झट से नीचे उतर आयी,

नहीं नहीं वो मुझे नहीं बुला रही थीं, अपने छोटे बेटे को हड़का रही थीं , उसके कान का पान बना रही थीं

मुझे बहुत मज़ा आया. मेरी ससुराल में जब इनकी रगड़ाई होती थी, कोई इनको हड़काता था, मेरी सास, जेठानी तो मैं झट से इनके खिलाफ हो जाती थी.

लेकिन अभी मुद्दा कुछ साफ़ नहीं हुआ, पर मेरी सास ने ही मामला साफ़ किया, .

" बहू तूने इसे कुछ गुन ढंग नहीं सिखाया, एकदम ऊदबिलाव की तरह,. " 208

२१ दिन

इक्कीस दिन ,

सोचते ही मेरे दिमाग में कुछ चमका, मैं जोर से खिलखिलाई और उतरते उतरते एक पल के लिए ठहर गयी।

यही तो, यही तो। अब मेरी ननदिया की अच्छी तरह लिखी जायेगी मोटी वाली कलम और सफ़ेद स्याही से।

मैंने जेठ जेठानी और सासु जी का २१ दिन का ट्रेवेल पॅकेज तो बना दिया था, २१ दिन के लिए घर भी खाली , गुड्डी रानी भी राजी और मेरी सास ने उसके घर से भी,

कम्मो का शैतान दिमाग भी चालू हो गया था , गुड्डो रानी ने भी अपने भौंरो को दावत देना शुरू कर दिया था,. लेकिन,

यह एक बहुत बड़ा लेकिन था क्या वो सच में २१ दिन रह पाएगी। दो चार दिन की बात और. और मुझे लग रहा था की संडे को मेरी सास जेठ जेठानी जाएंगे, उसी दिन मेरी ननद रानी आ जाएंगी,. अगले दिन मंडे से , लेकिन उसी दिन सोमवार को ही तो अनुज की स्क्रीनिंग ही और उसके दो तीन दिन बाद, अनुज लौट आएगा, बृहस्पति हद से हद शुक्रवार, और वो अगर आगया तो घर रखाने की जिम्मेदारी उसके ऊपर, . और कुछ नहीं तो वो भी आ जाएगा साथ साथ साथ रहने, फिर सारा प्लान,

मैंने खुद रीत दी वाले ऐप से सुना था , एक को उसने मंगल को दावत दी तो दूसरे को बृहस्पति को, और अगर एक बार उसने अपने कॉलेज के यारों के सामने टाँगे फैलानी शुरू कर दी तो इतनी जल्दी पर्दा गिरने पर, .

लेकिन अब एकदम पक्का २१ दिन होली के बाद अनुज बनारस में और मेरी ननदिया यहाँ, अकेले कम्मो भौजी की निगरानी में,. अब तो कोई रोक नहीं सकता उसकी दुरगत होने से,

मैं सीढ़ी पर खड़ी खड़ी यही सोच रही थी, .

कल यहीं तो मैं और कम्मो उसे खूब चिढ़ा रही थीं जब उसके भैया ने उसकी नथ उतार दी थी, ' तेरे भैया के बाद अब हम दोनों के भैया लोगों का नंबर लगेगा, चार पांच से कम नहीं एक दिन में।

वो बेचारी एकदम घबड़ा रही थी, नहीं नहीं भाभी एक दिन में चार पांच बार नहीं , नहीं , पर कम्मो भौजी भी न, शीशे में उतारने में उनका कोई सानी नहीं, चाहे देवर हो चाहे ननदें। उन्होंने जोर से मेरी टीनेजर ननद के गाल पे चिकोटी काटी और मामला साफ़ किया , . और बोलीं ,

" ननद रानी, चार पांच बार नहीं , चार पांच हम लोगों के भैया, अब तीन बार से कम तो कोई करेगा नहीं तो समझ लो पंद्रह बार,. "

मेरी मैथ्स अच्छी है जो मैंने ननद रानी की कच्ची अमिया दुलार से सहलाते जोड़ के बता भी दिया,

' यार पहली बात, तुझे तो कुछ करना नहीं , बस अपनी ये प्यारी प्यारी लम्बी गोरी टाँगे फैला देना, या कुतिया की तरह निहुर जाना, बस. उसके बाद तो करेंगे हमारे भैया लोग, तेरे शहर के यार ,. और फिर कितना टाइम पंद्रह, बीस मिनट। तो अगर बीस मिनट भी जोड़ा तो पन्दरह बार में कितना कुल ३०० मिनट या ६ घण्टे,. तो २४ घंटे के दिन में २५ % ही तो हुआ , बाकी टाइम में गली मोहल्ले वालों से नैन मटक्का करना नए नए जोबन मिसवाना। हाँ एक बात और तुम सब ननदें मुझे बहुत चिढ़ाती थी न, मेरी सेंचुरी २० दिन में लग गयी थी, तेरे भैया के साथ तो तेरी सेंचुरी देखना एक हफ्ते में लग जाएगी। "

समधन समधन

तभी नीचे से मुझे सासू जी की आवाज सुनाई पड़ीं और मैं झट से नीचे उतर आयी,

नहीं नहीं वो मुझे नहीं बुला रही थीं, अपने छोटे बेटे को हड़का रही थीं , उसके कान का पान बना रही थीं

मुझे बहुत मज़ा आया. मेरी ससुराल में जब इनकी रगड़ाई होती थी, कोई इनको हड़काता था, मेरी सास, जेठानी तो मैं झट से इनके खिलाफ हो जाती थी. लेकिन अभी मुद्दा कुछ साफ़ नहीं हुआ, पर मेरी सास ने ही मामला साफ़ किया, .

" बहू तूने इसे कुछ गुन ढंग नहीं सिखाया, एकदम ऊदबिलाव की तरह,. "

मामला ये था की मेरी सास ने अपनी समधन के बारे में पूछा था की मिठाई विठाई कुछ ले जा रहे हो की नहीं , और ये भी बोल बैठे, आपने इतनी गुझिया वुझिया बनायी तो है अपनी समधन के लिए. और ऊपर से कम्मो, उनकी भौजी, उन्हें भी अपने देवर की खिंचाई करने में मजा आता था, झट्ट से डेढ़ पाव शुद्ध देशी घी आग में छोड़ दिया , भोली बन के बोलीं,

" अरे हम लोगों का जमाना होता न, पहली बार बहू अपने मायके जा रही है, कम से कम पांच झाँपा, एक झाँपा खाजा, एक झाँपा लड्डू, ,. "

और उनकी बात काट के मेरी सास झुंझला के बोल उठीं,

" तो कौन सा जमाना बदल गया है, पांच झाँपा न सही पांच किलो तो कम से कम ले जाना चाहिए न,. "

मुझे देख कर मेरी सास थोड़ा सा मुस्करायीं , और अपनी तोप का मुंह मेरी जेठानी की ओर मोड़ दिया लेकिन उनके गुस्से में कोई कमी नहीं आयी,.

" बहू, तुझसे बोला था न की अपनी देवरानी ज़रा सोच समझ के ले आना, ठोंक बजा के देख लेना , सब जिम्मेदारी मैंने तुम्हारे ऊपर छोड़ दी थी , लेकिन ये कैसी , इतनी बुद्धू,,. "

जेठानी मुझे देख के मीठा मीठा मुस्करा रही थीं , सच में अगर मेरी जेठानी न होतीं न , तो हम लोगों का जो चट मंगनी पट ब्याह हुआ एकदम नहीं हो पता, शादी में इनके देवर से मेरे नैना चार हुए थे, ये भी आयी थीं, बस देख भी उन्होंने लिया था मेरी जबरदस्त गारियाँ भी सुन ली थीं, उन्होंने खुद ही रीतू भाभी से बात की , दो दिन में इन्ही के यहाँ से फोन आया, और पहली लगन में शहनाई,. इनकी सास ने जो जो शर्तें रखीं सब मेरी सास ने मान ली, गाँव की शादी,

लेकिन मेरी सास अब मुझे देख रही थीं और मुस्कराते हुए बोलीं ,

" लेकिन तेरी गलती भी कम नहीं है,. ' और मुझे कुछ समझ में आता उन्होंने अर्था के बता दिया,

" तूने इस लड़के से बहुत जल्दी हाँ बोल दी, कम से कम तीन महीने रोज नाक रगड़वाती न , तब हाँ बोलती तब इसको ससुराल का मतलब समझ में आता। "

मैंने झट ५०० ग्राम मक्खन लगाया, और सासू जी से बोली,
Next page: Episode 75
Previous page: Episode 73