Episode 75
" पर मुझे तो आप के पास आने की जल्दी थी न "
और जा के एकदम अपनी सास को पकड़ के चिपक के खड़ी हो गयी। मेरी सास ने भी मुझे बहुत दुलार से मुझे दुबका लिया लेकिन इनके ऊपर डांट की बारिश कम नहीं हुयी,
" इतनी, प्यारी, अच्छी, मीठी, सुन्दर मेरी बहू इतनी आसानी से मिल गयी न इसलिए,. अब मुंह क्या देख रहे हो जाओ पांच किलो और मेरी समधन के लिए अलग से ,. "
कम्मो मज़ाक के मामले में रिश्ता विश्ता नहीं देखती थी, और ख़ास तौर पर देवर खड़ा हो, मेरी सास की हाँ में हाँ मिलाती इनसे बोली,
" मालूम है इनकी समधन को कौन सी मिठाई पसंद है ? " , फिर खुद ही जवाब भी दे दिया, अपना बित्ता पूरी तरह फैला के खोल के दिखाते हुए,
रसीला चमचम
" मालूम है इनकी समधन को कौन सी मिठाई पसंद है ? " , फिर खुद ही जवाब भी दे दिया, अपना बित्ता पूरी तरह फैला के खोल के दिखाते हुए,
" रसीली समधन के लिए रसीला चमचम, ये बित्ते की साइज़ वाला, लंबा और खूब मोटा, रस से डूबा, जिससे रस ले लेकर समधियाने का रस चूसें और समधियाने को याद करें,. "
सासू माँ ने कम्मो को तारीफ़ की नजर से देखा और जो बात वो कहना चाह रही थीं पर नहीं पा रही थी वो कम्मो ने कह दिया। और ये अक्सर होता था जो असली वाली गाली ननदों को जेठानी जी दिलवाना चाहती थीं और खुद कुछ सकुचाती थीं बस कम्मो को इशारा भी करने की जरूरत नहीं पड़ती थी, एक बार कम्मो ने बोल दिया तो मेरी सास भी चालू होंगीं अपनी समधन की तारीफ़ में, .
" ससुराल जा रहे तो, ये मत सोचना की ससुराल में सिर्फ साली सलहज हैं, सास का भी ख्याल रखना पड़ता है, "
मुस्कराते हुए मेरी सास बोलीं, और मैंने अपनी मुस्कराहट बड़ी मुश्किल से दबायी।
मेरी सास और इनकी सास के विचार बहुत मिलते हैं. जब एक बार मैंने इनकी सास से बोला था की और सब कुछ तो ठीक है लेकिन ये लजाते बहुत हैं,. तो हंस के अपना इरादा उन्होंने साफ़ कर दिया, " आने दे उसे, जितना उसकी रगड़ाई उसकी सब, गाँव भर की साली सलहज मिल के करेंगी, उतना तो मैं अकेले करुँगी, . सारी लाज सरम दो दिन में उसके पिछवाड़े,'
और मेरी जेठानी ने भी पाला बदल दिया और अपने देवर को चिढ़ाती बोलीं,
" एकदम सही तो कह रहीं है, जो दो मीठी मीठी सालियों के चक्कर में ललचा रहे हो नहीं, वो निकली कहाँ से हैं,. और ये मीठी मीठी बरफी जो रोज बिना नागा गपकते हो,. वो,. " मेरे गाल पे कस के चिकोटी काटते वो बोलीं।
लेकिन मज़ाक का लेवल बढ़ाने के लिए कम्मो थी न, उनसे बोली,
" और लम्बे मोटे चमचम के साथ रसगुल्ले भी,. मैं लगा दूंगी ठीक से, एक लम्बे मोटे चमचम के दोनों ओर दो गोल गोल रसगुल्ले, समधन जी के लिए,. "
और मेरी सास खिलखिला पड़ीं और एक जोर का हाथ कम्मो के पीठ पर और बात बदलते हुए उससे बोलीं,
" तू न एकदम पक्की,. देख होली के दिन हम लोग निकल जाएंगे पूरे २१ दिन के लिए और २१ दिन तक घर और वो तेरी ननद भी यहाँ रहेगी, दोनों की जिम्मेदारी पूरी तेरे ऊपर है.
मैंने और कम्मो ने आँखों में हाई फाइव किया, कम्मो ने अपनी जिम्मेदारी अपनी ननद के प्रति तो कल से ही शुरू कर दी, उस कुँवारी कच्ची कोरी ननद की अपने देवर से फड़वा के , रात भर उस के भाई चढ़े रहे , अब हमारे भाइयों और उसके यारों का नंबर लगना था,.
सासू जी ने मुझे भी काम पकड़ा दिया , मैं उनकी सेक्रेटरी थी,. लम्बी लिस्ट बनाने का,. वो बोलती गयीं मैं लिखती गयी, उनके समधियाने के सामान लाना था , . एक हाथ की शॉपिंग की लिस्ट मैंने उन्हें पकड़ा दी.
ये बाजार के लिए चल दिए , जेठानी की दो मिस्ड काल आ चुकी थीं , जेठ जी को चैन नहीं पड़ रहा था, तो वो भी अपने कमरे में और कम्मो भी पीछे अपनी कोठरिया में,.
मीठी मीठी सासू माँ
ये बाजार के लिए चल दिए , जेठानी की दो मिस्ड काल आ चुकी थीं , जेठ जी को चैन नहीं पड़ रहा था, तो वो भी अपने कमरे में और कम्मो भी पीछे अपनी कोठरिया में,.
और मैं सास जी के पीछे पीछे उनके कमरे में,.
उनके बेटे के वार्डरोब की जिम्मेदारी तो इस घर में आने के अगले दिन से ही मेरे ऊपर आगयी थी वरना वो दो रंग मोज़े और उलटा पजामा पहन के पूरे घर में टहलते , पर साथ साथ दस पन्दरह दिन में सासू माँ की भी जिम्मेदारी,. उनकी अलमारी, बॉक्स सब की चाभी,. कहीं जाना हो तो क्या पहनेंगीं वो, .
और उनके कमरे में घुसते ही मैंने उन्हें बाँहों में भर लिया, और उन्होंने भी मुझे अँकवार में भर लिया, बोली मैं कुछ नहीं, बोलीं वो भी कुछ नहीं,.
मुझे याद है की जब वो मुझे देखने आयी थीं, बस खींच के मुझे गोद में बिठा लिया और माँ से बोलीं बस ये मेरी बेटी है मुझे ले जाना है अपने साथ. लड़के वाले शर्त रखते हैं लेकिन मेरी माँ ने,. और ये बिना कुछ सुने सिर्फ मुझे देखती रहीं, और माँ से बोली, समधन जी आपकी सब बातें सर माथे, लेकिन मेरी सिर्फ एक शर्त है ,
सब लोग चुप हो गए,. . दान दहेज़ क्या बोलेंगी, पर मुझे दुलराते वो बोलीं,
" जैसे लगन शुरू होगी, पहली लगन को मैं अपनी बेटी को ले जाउंगी, बस. बाकी आप की सब बातें मंजूर।"
सब लोग कहते थे ससुराल में ऐसे रहना, वैसे रहना, पुराने ज़माने का चलन है और मेरी सास ने जिस दिन आयी, उसके अगले दिन ही घूँघट को मना कर दिया, . सब के सामने जेठानी जी से बोलीं,
" इत्ती सुन्दर चाँद सी देवरानी ले आयी हो ताले में बंद करने के लिए, अरे घूँघट करेगी तो ये हमारे घर में पूनो का चाँद निकला है दिखेगा कैसे, "
और उसी दिन, मेरी सब सास थीं बुआ सास , कुछ मोहल्ले की औरतें,. मैंने हल्का सा घूंघट ओढ़ रखा था , ज़रा सा माथा ढका था बस , चेहरा पूरी तरह खुला लेकिन सबके सामने जोर की डांट पड़ गयी मुझे,.
" एक बार में नहीं समझती हो, सीढ़ी चढ़ के ऊपर जाती हो , नीचे आती हो, कहीं घूंघट के चक्कर में भहरा पड़ी तो , कितना खरचा आएगा अस्पताल का , कौन भरेगा , तेरी माँ को हफ्ते भर के लिए गिरवी रखूंगी तब पैसा निकलेगा, . जैसी तेरी ननदें रहती हों उसी तरह रहना है समझ लो. "
मैं समझ रही थी ये बात मुझसे ज्यादा मेरी उन सास लोगों के लिए है फिर तो अगले दिन से,.
" मेरा जाने का मन नहीं कर रहा है ,. " मैंने बोल दिया।
" तू न एकदम पागल है, तू न जाएगी तो बड़ी मुश्किल से जो मैं जा रही हूँ २१ दिन के लिए वो भी गड़बड़ हो जाएगा। " हँसते हुए वो बोलीं।
" चलिए आपका सामान पैक कर देती हूँ , मैं बोली और उन के ट्रिप की एक बड़ी अटैची दो बैग बैठ के पैक करने लगी।
कम्मो संग पिलानिंग
जब पैकिंग करने के बाद मैं उठी तो सास जी की नाक जोर जोर से बज रही थी. जेठानी जी अपने कमरे में सो रही थीं.
मैं बाहर निकली तो बस मेरे मन में मेरी ननदिया बसी थी, वही कच्ची कली. फट तो उसकी गयी थी, और कम्मो के भरोसे तो, .
अब उसकी जबरदस्त रगड़ाई होना भी तय थी, लेकिन मैं कुछ और सोच रही थी, इन २१ दिनों को फायदा उठा के कैसे उसे मशहूर कर दूँ उस के शहर में , सारे लौंडों को पता चल जाए, . जितने ठरकी हैं न सिर्फ उसके गली मोहल्ले के बल्कि, जिल्ला टॉप माल तो है ही वो, खुल के चलती है ये भी पता चल जाए सबको, और फिर दुबारा अपनी टाँगे न सिकोड़ पाए.
सासू जी और जेठानी जी कस के नींद के चंगुल में थीं, कम से कम डेढ़ दो घंटे। ये बाजार गए थे, मेरी सासू जी की पौने दो फिट लम्बी लिस्ट और मिठाई की शॉपिंग के लिए , घर में मैं अकेली जग रही और मेरे दिमाग में उथलपुथल चल रही थी, .
किचेन में कुछ खटर पटर की आवाज आयी तो मैं वहीँ चल पड़ी, कम्मो थी, उसे देख के मेरे चेहरे पे हजार वाट की मुस्कान चमक गयी.
" चाय चलेगी ? " हँसते हुए कम्मो ने पूछा।
मैंने उसे कस के अँकवार में भींच लिया और बोली , दौड़ेगी, लेकिन तब तक मैं एकदम डबल खुशखबरी सुनाती हूँ.
कम्मो ने चाय चढ़ा दी और मैंने उसे खुशखबरी सुना दी, वही अभी जो अनुज से पक्की कर के आ रही थी.
अनुज एक्जाम के बाद भी २० -२१ दिन बनारस रुकेगा, . उसकी कोई १२ दिन की कोचिंग और है , एक्जाम के पांच दिन बाद शुरू होगी।
कम्मो मुझसे भी ज्यादा समझदार थी , उसका चेहरा खशी से चमक गया , वो बोल पड़ी, इसका मतलब ?
" मतलब यही की अपनी अनारकली ऑफ़ आजमग़ढ २१ दिन तक यहीं अकेले बस अपनी कम्मो भौजी के हवाले,. अनुज तो आएगा नहीं तो ये जो डर था की कहीं उसका भाई आ गया तो वो भी यही आ जाये या घर रखाने का काम उसके जिम्मे पड़ जाय, . तो इसलिए बस अपनी ननदिया और उनकी कम्मो भौजी पूरे तीन हफ्ते , . "
मैंने खिलखिलाते हुए पोल खोल दी।
" अब देखना तीन हफ्ते में उसे तीन लोक न दिखा दिया तो, मेरे पास एक थी कई साल से लेकिन उसका आज तक इस्तेमाल नहीं कर पायी थी, अब सही मौका मिला है ,. "
चाय की पत्ती डालते हुए कम्मो ने एक राज की बात बताई , और अजब तक चाय खौल रही थी कम्मो ने उसका राज भी खोल दिया।
कम्मो मैंने बताया था न की मेरी तरह पक्की बनारस वाली, तो बनारस में ही किसी अघोड़ी ने , एकदम माने हुए लेकिन कम्मो पर खुश थे और उन्होंने बहुत सी चीजें दी भी थीं और कम्मो को सिखायीं भी थीं।
उसी में से एक कामिनी कामचूर्ण भस्म थी, लेकिन उसकी शर्तें बहुत बेढब थी,
पहली तो जिस कन्या पर उसका इस्तेमाल किया जाये वो किशोरी हो, और इस्तेमाल पहली बार पूनो की रात में और पूरे असर के लिए होली वाली पूनो को, उसे नंग्न कर के उसकी योनि में चार चुटकी एकदम अंदर तक, वो भी कम्मो को ही डालना था. लेकिन अगली शर्त उससे भी कठिन थी, अगले दिन से उस किशोरी की योनि और गुदा दोनों के अंदर वीर्य भरा होना चाहिए , सिर्फ एक दिन नहीं पांच दिन, और पांचो दिन उसे अलग अलग पुरुषों से सम्भोग करना होगा, और रोज सुबह भी सोने के पहले वही भस्म चुटकी भर अगवाड़े पिछवाड़े अंदर।
२१ दिन ननदिया के.
और,. रोज बिना नागा
तब तक चाय बन गयी थी , मैंने जोड़ घटाना भी कर लिया , कम्मो के पास पूरा मौका था , होली की शाम तो हम दोनों की ननदिया आ ही जायेगी। दस बजे जेठ जेठानी सासू जी की ट्रेन है तो वो लोग पौने नौ बजे ही घर से निकल जाएंगे , फिर तो वो और कम्मो, ऊपर के कमरे में ननद रानी रहेंगी, और उससे सटी बड़ी सी खुली छत है , जिस पर कितनी बार मैंने कम्मो के देवर के साथ कबड्डी खेली है, बस उसी छत पर ननद को निसूती कर के, चांदनी से ढकी ननद के अगवाड़े पिछवाड़े भसम डालना तो कम्मो भौजी के बाएं हाथ का खेल हैं , और अगले दिन ही कम्मो के गाँव के पठान के तीन लौंडे , अगले दिन गुड्डी रानी ने अपने भौंरे को दावत दे दी है, तो पांच दिन क्या अब तो एक्कीसों दिन अगवाड़ा पिछवाड़ा रबड़ी मलाई से बजबजाती रहेगी।
तो असर तो उस भस्म का पूरा होगा लेकिन होगा क्या ?
और चाय की चुस्की लेते हुए मैंने कम्मो से पूछ लिया, लेकिन वो देर तक खिलखिलाती रही. फिर हंसी रुकी तो बोली,
" वही होगा जो हम तुम और हमारे तुम्हारे सारे देवर और भाई चाहते हैं. "
मेरी समझ में अभी भी कुछ नहीं आया और मैंने पूछा भी नहीं। मैं जानती थी वो खुद ही बताएगी और यही हुआ, वो खुद बोली,
" अरे तुम यही चाहते हैं की अब वो टांगें न सिकोड़े, तो बस पांच दिन भसम अगर लग गयी न रानी जी को , तो बस, टाँगे सिकोड़ने को कौन कहे, खुद टाँगे फैलाने को बेताब रहेंगी, खुद ही निहुर जाएंगी, कातिक क कुतिया की तरह हरदम चौबीसो घंटा गरमाई रहेंगी। किसी को मना नहीं करेंगी बल्कि खुद लौंडे फ़साने लगेंगी। सुबह से ही बिलिया में अगले हफ्ते से इतनी जोर जोर से मोटे मोटे चींटे काटेंगे की खुद ही मुझे कहेंगी की उसे नए नए यार चाहिए। "
अब खिलखिलाने की बारी मेरी थी पर कम्मो चुप नहीं हुयी और बाकी फायदे भी गिनाने लगी,
दूसरा सबसे बड़ा फायदा ये की चाहे जिससे करवाए, मरवाये लेकिन कोई रोग दोष नहीं होगा न गाभिन होगी। लेकिन असली चीज ये है की दिन रात चलने से कोई भी उसकी बिल को भोंसड़ा बनते देर नहीं लगेगी, लेकिन सोलह साल की कुँवारी मात इतनी कसी चूत और गाँड़ रहेगी, कानी उँगरी भी कोई पेलना चाहे न तो बिना सुध देसी कड़ुआ तेल लगाए नहीं घुसेगा,
मैं बोले बिना नहीं रह सकी,
" तो इतनी कसी होने का मतलब हर बार ननद रानी खूब चिल्लायेगीं, रोयेंगी, चूतड़ पटकेंगी,. "
"एकदम, और भौजाई के लिए ननद क रोई रोहट चिल्लाहट से बढ़ के कौन म्यूजिक होता है,. " कम्मो हँसते हुए बोली, लेकिन तब तक कम्मो का फ़ोन बज गया और मैंने झांक के देखा, फोटो भी था काल करने वाले का कोई मस्त चिकना लौंडा था,.
कम्मो समझ गयी और हलके से मुस्कराते हुए ,अपना फोन का स्पीकर ऑन कर दिया और मुझे जोर से आँख मारी।
" हे सुन भूलना मत, होली के अगले दिन, सोमवार के दिन, सुबह आठ बजे, . "
" अरे मैं भूल सकता हूँ , क्या मस्त माल है, एकदम कच्ची कली, फोटो मैंने अपने मोबाइल में सेव कर ली है. अभी से सांडे का तेल लगा के मुठिया रहा हूँ, लेकिन झेल पायेगी वो? " उस लड़के की आवाज आयी.
" तुझे ठोंकने से मतलब, अरे यार मैं रहूंगी न सम्हालने के लिए, . ऐसी चिड़िया आज तक नहीं मिली होगी, अच्छा चल सोमवार की सुबह। "
और यह कह के कम्मो ने फोन काट दिया, और मेरी ओर देख के जोर से मुस्करायी और अपने फोन में उस की पिक खोल दी,
सच्च में एकदम मस्त माल, पूरा पठान का लौंडा, खूब चिकना, एकदम गोरा मूछों की जगह बस हलकी सी रेख, लेकिन सबसे जबरदस्त बात थी उसकी आँखों की चमक और मीठी मुस्कान, सच में एक बार उस मुस्कान को देख के ही कोई लौंडिया खुद नाड़ा खोल देती।
जावेद,
सच्च में एकदम मस्त माल, पूरा पठान का लौंडा, खूब चिकना, एकदम गोरा मूछों की जगह बस हलकी सी रेख, लेकिन सबसे जबरदस्त बात थी उसकी आँखों की चमक और मीठी मुस्कान, सच में एक बार उस मुस्कान को देख के ही कोई लौंडिया खुद नाड़ा खोल देती।
जावेद, मुस्कराते हुए कम्मो ने नाम बताया, लम्बाई ६ फीट १ इंच, उन्ही के गाँव का, अभी बी ए सेकेण्ड इयर में इसी साल गया है, गाँव के रिश्ते से भाई लगेगा, .
और आगे की बात कम्मो ने जो उसकी अगली पिक दिखाई उसी से पूरी हो गयी, एकदम, टॉपलेस, सिर्फ एक हिप हगिंग देह से चिपकी जींस में
स्साला, क्या मस्त सिक्स पैक्स थे, खूब चौड़ी छाती और उतनी ही पतली कमर, एक एक मसल्स साफ़ साफ़ दिख रही थी, मैं समझ गयी थी एकदम पावरहाउस होगा। और वो बॉडी देखकर तो कोई भी लड़की पिघल जायेगी, मेरी ननद के भौरों से तो मीलों आगे, कम्मो ने एकदम सही चुना था,
" हे असली चीज दिखाओ न , . " मैंने कम्मो से बोला,
" मेरे देवर से अच्छा तो नहीं होगा ,. अच्छा चल यार तेरा मेरा दोनों का भाई भी लगेगा ननदोई भी , . दिखाती हूँ "
कम्मो मुस्करा के बोली,.
सच में रीतू भाभी ने मुझसे सुहागरात की अगली सुबह ही पूछा था, अपने नन्दोई के ' उसकी ' लम्बाई मोटाई ; और मेरे गाँव में वैसे भी जब कोई लड़की अपनी ससुराल से पहली बार आती तो भौजाइयां सब से पहले सुहागरात की हाल चाल के साथ ननदोई की ' लम्बाई, मोटाई ' सब कुछ पूछ लेती थीं, . मैंने उलटा भाभी से बोला , आप सलहज हैं जब आप के नन्दोई आएंगे तो खोल के नाप लीजियेगा , हंस के वो बोलीं, तो क्या तुझसे पूछूँगी, तुझे तो छूने भी नहीं देंगी लेकिन कल नहीं बताया तो , छिनार रात भर गपागप मेरे नन्दोई का घोंटती हैं, नाप के बता भी नहीं सकती।
दो तीन दिन बाद मैंने जब उन्हें बताया की पूरे एक बित्ते का है, साढ़े आठ इंच के आस पास, तो उन्हें बिस्वास नहीं हुआ ,
अब तय ये हुआ था की कल जैसे हम लोग पहुंचगे , इनकी सलहज पहला काम यही करेंगी , इनकी सबसे छोटी साली से खुलवाकर, नपवाएंगी,.
सच में कम्मो भौजी के देवर से बीस नहीं तो अट्ठारह भी नहीं होगा , हाँ थोड़ा बहुत , लेकिन मोटाई में टक्कर का , पर जब कम्मो ने क्लोज अप दिखाया
तो मेरा कलेजा मुंह को आ गया.
उस स्साले का सुपाड़ा, मेरी मुट्ठी से कम नहीं होगा, खूब मोटा और एकदम कड़ा, .
" कैसे , . उसके पिछवाड़े,. इतना मोटा,. " थूक गटकते हुए मैं बोली।
" तभी तो मैंने इसे चुना, अपनी ननद के पिछवाड़े का फीता कटवाने के लिए ,
देवर से एक मामले में ये और बीस नहीं बल्कि पच्चीस छब्बीस है,. . रगड़ के जबरदस्ती पटक के चोदने में, लौंडिया बेहोश हो जाय , खून खच्चर हो जाये ये बिना पूरा ठेले छोड़ेगा नहीं, देवर का औजार तो फौलादी है लेकिन दिल एकदम मक्खन, . "
ये मुझसे ज्यादा और कौन जानता था, मेरे चेहरे पर दर्द का एक कतरा ये बर्दाश्त नहीं कर सकते थे, पर मैं कुछ और सोच रही थी और मैंने कम्मो से पूछ लिया,
" मान लो कोल्हू का पर देसी कड़ुआ तेल लगा के तूने उसे दबोच के उसकी कसी गाँड़ में ये मोटा सुपाड़ा घुसवा भी लिया तो असली चीज तो गाँड़ का छल्ला, . .
कम्मो जोर जोर से हंसने लगी, फिर जब हंसी रुकी तो बोली,
अरे तभी तो असली मजा आएगा, वो चीखेगी, चिल्लायेगी , लेकिन ये बांस तो निकलने वाला नहीं है और ताकत बहुत जबरदस्त है इसमें,. वो तड़पा तड़पा के रुला रुला के ठेलेगा, . जब टसुए बहाना बंद कर देगी तो दुबारा , और कस के , .
सच में उसकी मसल्स देख के ही मैं समझ गयी थी जबरदस्त ताकत होगी इस लड़के में , लेकिन मुझे एक डर लग रहा था और उसका जवाब भी था कम्मो के पास ,
यही सोच रही हों न की कहीं हम दोनों के इस भाई का औजार देख कर ननद रानी भड़क न जाये, तो उसका इलाज है कम्मो के पास,. कम्मो बोली और जो प्लानिंग उसने बताई तो मैं मान गयी.
पठान का लौंडा
और
ननदिया का पिछवाड़ा
मैंने कम्मो से पूछ लिया,
" मान लो कोल्हू का पर देसी कड़ुआ तेल लगा के तूने उसे दबोच के उसकी कसी गाँड़ में ये मोटा सुपाड़ा घुसवा भी लिया तो असली चीज तो गाँड़ का छल्ला, . . "
कम्मो जोर जोर से हंसने लगी, फिर जब हंसी रुकी तो बोली,
"अरे तभी तो असली मजा आएगा, वो चीखेगी, चिल्लायेगी , लेकिन ये बांस तो निकलने वाला नहीं है और ताकत बहुत जबरदस्त है इसमें,. वो तड़पा तड़पा के रुला रुला के ठेलेगा, . जब टसुए बहाना बंद कर देगी तो दुबारा , और कस के , . "
सच में उसकी मसल्स देख के ही मैं समझ गयी थी जबरदस्त ताकत होगी इस लड़के में , और जब तक बेरहमी न हो, मारने वाला बेदर्द न हो , तो कच्ची गाँड़ मारी भी नहीं जा सकती , फाड़नी तो अलग बात है,
लेकिन मुझे एक डर लग रहा था और उसका जवाब भी था कम्मो के पास ,
यही सोच रही हों न की कहीं हम दोनों के इस भाई का औजार देख कर ननद रानी भड़क न जाये, तो उसका इलाज है कम्मो के पास,. कम्मो बोली और जो प्लानिंग उसने बताई तो मैं मान गयी.
जावेद को आठ बजे उसने इस लिए बुलाया था की ननद रानी से ब्रेकफास्ट पर अपना भाई कह के मिलवाती ( बनारस के रिश्ते से तो हम दोनों का भाई ही था ),
और गुड्डी की जो आदत थी, मैं खुद कई बार देखती थी, मेरे गाँव से कभी कई आया तो बस उसे स्साला, स्साला कह के चिढ़ाती, कहती तू मेरे भाई का साला तो स्साले मेरा भी साला हुआ न तो स्साले को साला बोलने में क्या। और उस लड़के की सूरत ऐसी की कोई भी लड़की फिसल पड़ती,
फिर कम्मो ने बताया की जावेद का रिकार्ड था बाइस मिनट के अंदर , ज्यादा से ज्यादा वो लड़की को पटा लेता, और यहाँ तो कम्मो भी थी आग में घी डालने के लिए, तो मामला वहीँ ब्रेकफास्ट टेबल पर ही,
और वो लड़का नम्बरी चूत चटोरा भी था,
तो फिर तो गुड्डी रानी मिनट भर में पिघल जातीं ,
उसके बाद खुद गोद में उठा के ऊपर कमरे में बिस्तर पर पेट के बल, ,,, कम्मो का मानना था कल रात कम्मो के देवर ने रात भर अपने बित्ते भर के मोटे मूसल से छह बार कूटा था, तो अब चूत में इतनी मुश्किल नहीं होगी, थोड़ी देर चोदने के बाद, सिर्फ सुपाड़े से, दोनों हाथ के अंगूठे से वो पिछवाड़े का छेद चियार देगा और कम्मो कडुआ तेल को बोतल से कम से कम आधा पाव तेल गाँड़ में ,. . फिर आगे से कम्मो कस के उसे दबोच लेगी, दोनों हाथों से उसके कंधे दबा देगी , पैरों से उसकी पीठ भींच देगी और पूरी ताकत से वो चूत से निकाल के गांड में,
बस किसी तरह थोड़ा सुपाड़ा भी घुस जाए उसके बाद वो खुद उसकी कटीली कमर पकड़ के वो जबरदस्त धक्का मारेगा उसकी कोरी गाँड़ में, .
मैं सुन रही थी , मुझे लग रहा था मैं आँखों के सामने देख रहीं हूँ , सुन के ही इतना मज़ा आ रहा था , मुस्कराते हुए मैं बोली ,
" फिर, तुम उस को दबोच के ही रखोगी,. "
" एकदम नहीं , अरे आधा तीहा सुपाड़ा भी घुस जाए न बस,. फिर तो मैं छोड़ दूंगी और मैं भी मजे लुंगी , उसके बाद तो वो रोयेगी चिल्लायेगी कलपेगी , चूतड़ पटकेगी लेकिन कसम है जो एक सूत भी उसका सुपाड़ा सरक के बाहर जाए , जितना छटपटायेगी उतना ही सूत सूत कर के अंदर घुसेगा। "
अब मैं और कम्मो दोनों मुस्करा रहे थे , मैं बोल पड़ी और असली मजा तब आएगा जब गाँड़ का छल्ला पार होगा,.
"एकदम " कम्मो बोली और फिर जोड़ा,
" मैंने सोचा जब उसकी नथ मेरे देवर ने उतारी है तो पिछवाड़े का फीता भी ऐसा ही मरद काटे,. लेकिन बिना बेरहमी के गाँड़ नहीं मारी जा सकती और जावेद इस मामले में एकदम पक्का है , रुला रुला के गाँड़ मारने में तो उसकी महारत है। और एक बार अगर ऐसा मोटा मूसल उस की गाँड़ ने घोंट लिया तो ,. "
" एकदम " मैंने जोड़ा , " मैं भी यही सोच रही थी जैसे ननद रानी के अगवाड़े का रास्ता खुला न उसी तरह बल्कि उस से भी कस के पिछवाड़े का रास्ता खुल जाये तो डर ख़तम हो जाएगा। "
" एकदम , हरदम के लिए मन से हदस निकल जायेगी, गाँड़ मरवाने का डर ख़तम हो जाएगा बल्कि गाँड़ मरवाने में मजा मिलने लगेगा, तो खुद ही निहुर के, इसलिए दूसरा राउंड भी वो पिछवाड़े का ही लगाएगा, लेकिन अबकी पीठ के बल लिटा के पोज बदल बदल के , . जिससे ननद रानी को दिखे भी की कैसे उसकी कसी गाँड़ गपागप लंड घोंट रही है, . "
लेकिन तब तक मेरी दिमाग में दूसरी बात कौंधी,
" तू तो कह रही थी तेरे गाँव के तीन पठान के,. " मैंने पूछा
" सही ही कहा था। हंस के वो बोली।
बाकी दोनों जल्लाद हैं, ये जावेद तो लौंडा है, बातचीत में लौंडिया पटाने में माहिर, लेकिन वो दोनों अच्छे खासे मरद हैं ३० -३२ के होंगे बल्कि दो चार साल ज्यादे, बहुत तगड़े, साल दो साल पहले तक जब तक पहलवानी करते थे बीस तीस गाँव में उन दोनों से कोई जीत नहीं सकता, लेकिन औजार इतना जालिम है उन दोनों का की चार चार बच्चों की माँ पूरी भोंसडे वाली भी पनाह मांगती है, बस गाँव की चमाइन खेत में मजूरी करनेवाली किसी को दो चार कट्टा गेंहू देकर, . बिना गाली दिए दो चार हाथ, ऐसे रगड़ रगड़ के चोदते हैं की ढेला पिस कर मट्टी का चूरा हो जाता है , रहम दया से मतलब नहीं, एकदम खब्बीस, शादी तो दोनों की हुयी है एक ही गाँव में लेकिन बीबी अक्सर मायके में रहती है और ये भी अब कतर में , तो अभी छुट्टी आये थे, आज कल अपनी ससुराल आये थे, अरे याहं से बीस पच्चीस मील भी नहीं होगा, सराय मीर वहीँ, अरे अच्छी बाजार है , सीधे वहां से बस चलती है , तो सोमवार को दस ग्यारह तक वो दोनों भी आ जाएंगे।
तीन तीन पठान और
एक ननदिया
" तू तो कह रही थी तेरे गाँव के तीन पठान के,. " मैंने पूछा
" सही ही कहा था। हंस के वो बोली।
बाकी दोनों जल्लाद हैं, ये जावेद तो लौंडा है, बातचीत में लौंडिया पटाने में माहिर, लेकिन वो दोनों अच्छे खासे मरद हैं ३० -३२ के होंगे बल्कि दो चार साल ज्यादे, बहुत तगड़े, साल दो साल पहले तक जब तक पहलवानी करते थे बीस तीस गाँव में उन दोनों से कोई जीत नहीं सकता, लेकिन औजार इतना जालिम है उन दोनों का की चार चार बच्चों की माँ पूरी भोंसडे वाली भी पनाह मांगती है,
बस गाँव की चमाइन खेत में मजूरी करनेवाली किसी को दो चार कट्टा गेंहू देकर, . बिना गाली दिए दो चार हाथ, ऐसे रगड़ रगड़ के चोदते हैं की ढेला पिस कर मट्टी का चूरा हो जाता है , रहम दया से मतलब नहीं, एकदम खब्बीस, शादी तो दोनों की हुयी है एक ही गाँव में लेकिन बीबी अक्सर मायके में रहती है और ये भी अब कतर में , तो अभी छुट्टी आये थे, आज कल अपनी ससुराल आये थे,
अरे बीस पच्चीस मील भी नहीं होगा, सराय मीर वहीँ, अरे अच्छी बाजार है , सीधे वहां से बस चलती है , तो सोमवार को दस ग्यारह तक वो दोनों भी आ जाएंगे।
मैं मान गयी कम्मो की प्लानिंग, जावेद को देख के तो कोई भी लड़की टाँगे फैला देती, और उसका वो मोटा सुपाड़ा , अगर दो बार हचक हचक के उसने गुड्डी रानी की गाँड़ फाड़ दी , फिर तो वो ,
कम्मो समझ गयी मैं क्या सोच रही हूँ , बोली ,
एकदम एकबार कस कस के उसकी गाँड़ की ले ली गयी न फिर सब उसका डर हदस, और वो दोनों जल्लाद तो जबरदस्ती गाली दे दे के, . तो उन दोनों से भी पहले उस की गाँड़ ही मरवाउंगी, चार बार गांड मरौव्वल के बाद लंच का इंटरवल ,
फिर गुड्डी रानी की सैंडविच बनेगी, तीन तीन जबरदस्त मर्द , तो कोई भी छेद क्यों खाली रहे, मुंह , चूत गाँड़ तीनो की एक साथ जबरदस्त कुटाई उसी कमरे में ,
मैंने झट से जोड़ा,
" यानी ननद रानी का पिछवाड़ा सात बार और अगवाड़ा तीन बार ,. "
" कम से कम, असल में साढ़े साथ बजे उन दोनों की आखिरी बस है , और आठ बजे तक जावेद को भी लौटना है,. " कम्मो बोली।
" और अगले दिन उसका कॉलेज भी तो है ,. " मैं बोली,.
" एकदम रात भर आराम करने दूंगी उसे , अच्छी तरह सेंक भी दूंगी गरम पानी से , फिर मेरे पास एक मलहम भी है , पिछवाडे लगा दूंगी, तो थोड़ा दर्द तो कम हो जाएगा , एकदम दुबका के रात भर दुलार कर के सुला दूंगी अपने साथ वहीँ तेरे कमरे में। " कम्मो ने समझाया लेकिन जोड़ा , " पर थोड़ा बहुत तो,. . "
तो क्या हुआ, हँसते हुए मैं बोली, अरे कुछ चिलख रहेगी, थोड़ा लंगड़ा के चलेगी, रुक रुक के सहारा लेगी तो सहेलियां भी समझ जाएंगी की उनकी अबतक कोरी सहेली के पिछवाड़े जबरदस्त मूसल चला है। "
तब तक इनका एक मेसेज आया , शॉपिंग आधी हो चुकी यही और अब वो मिठाई की दूकान पर थे।
शॉपिंग का सवाल और,. लेडीज टेलर
तब तक इनका एक मेसेज आया , शॉपिंग आधी हो चुकी यही और अब वो मिठाई की दूकान पर थे।
वो जानना चाहते थे की मेरी छोटी बहनों की पसंद की मिठाई क्या है,
" डरते क्यों हो, खुद काहें नहीं फोन करके पूछ लेते, मंझली का चलो बोर्ड है दसवीं का, उसे मत डिस्टर्ब करना , लेकिन छुटकी तो घर पे होगी"
मैंने उन्हें ही काम थमा दिया, पर कम्मो का साथ, दिमाग कभी सही पटरी पर नहीं काम करता, मैंने उन्हें छेड़ा,