Episode 77
छुटकी ननदिया
कम्मो ने आँख के इशारे से पूछा कौन है तो मैं खिलखिलाते बोली, " वही छिनार, मोटे मोटे चींटे काट रहे हैं हैं साली को "
और फोन स्पीकर फोन पर ऑन कर दिया, वही मीठी सेक्सी खिलखिलाती खनखनाती आवाज, उस टीनेजर की,.
" मेरी मीठी भाभी आपसे एक सलाह लेनी है, . "
" पहले ये बता की होली वाले दिन आ रही हैं न, शाम को , रविवार ,. . " मैंने पहले कन्फर्म कराया उससे,
" एकदम भाभी, इतना अच्छा मौका छोड़ने वाली नहीं मैं, २१ दिन की मस्ती, मैं और कम्मो भौजी,. उसी लिए पूछ रही थी, उसी की पैकिंग कर रही हूँ अभी. "वो हँसते हुए बोली,.
" अरे यार ननदों के लिए तो मेरी हमेशा एक ही सलाह रहती है, कुछ मत पहनों, तेरे यारों का भी फायदा मेरे भाइयों का भी, लेकिन रास्ते में ही इतने पीछे पड़ जाएंगे ,. "
मैंने छेड़ा
" भाभी, आप भी न, . आप तो एकदम पीछे पड़ जाती हैं हरदम एक वही बताइये न सीरियसली, . " वो बड़ी अदा से बोली।
" अरे यार मेरी ननद रानी का पिछवाड़ा है ही इतना मस्त कोई भी पीछे पड़ जाएगा, लेकिन छोड़ उसका इलाज मेरे, और कम्मो भौजी के भाई लोग कर देंगे , जो इतना मटका मटका के चलती हो न, . "
मेरी बात काट के थोड़ा चिढ़ती थोड़ा चैलेन्ज देती वो बोली,
" अरे भाभी उन स्सालो की छोड़िये अपने भाई को कल रात भर देख लिया न, आपके, कम्मो भौजी के भाइयों को भी देख लूंगी, संडे की शाम को ही पहुँच जाउंगी। पर कपडे सजेस्ट करिये न,. प्लीज सीरियसली,. "
और मैं भी सीरियस हो गयी , ननद की हेल्प करने के लिए, बोली
" सिम्पल, देख २१ दिन में कॉलेज के दिन गिन ले, १२ -१४ दिन, अरे कुछ दिन बँक भी तो करेगी, तो सबसे पहले कॉलेज यूनिफार्म, तेरी वो टॉप और लाइट नेवी ब्लू स्कर्ट, जित्ती भी हों वो सब पैक कर ले, घर के लिए भी , जो पुरानी कॉलेज यूनिफार्म होंगी घिस गयीं एकदम टाइट हों, चलेगी,.
और एक बात और हो सके कोई भौंरा तेरा पिक्चर विक्चर ले जाए कभी या शॉपिंग को, तो एक दो जो सबसे हॉट ड्रेस हों न,. और रात के लिए, . तू रहेगी तो मेरे कमरे में ही , तो कौन सा अलमारी में मैं ताला लगा के जाउंगी, . मेरी नाइटी, बेबी डाल और तेरे भैया के शॉर्ट्स और टी भी, . "
मेरी बात काट के वो बोली, " एकदम भाभी आपने मेरा काम आसान कर दिया, बस फटाफट पैकिंग कर के शाम को आपसे बात करती हूँ "
और उसने फोन काट दिया।
लेकिन मुझे लगा की कुछ कहना रह गया था गुड्डी से और मेरे चेहरे की बात कम्मो भौजी ने झट से पढ़ भी ली, पूछ भी ली।
" क्या हुआ, ? "
" अरे मैं सोच रही थी न उसे बोल देती, चड्ढी बनियाइन लाने की जरूरत नहीं, लेकिन रह गयी,. " मैं बोली।
" अरे इतनी सी बात , लाने दो न स्साली को आपन, अरे पहले दिन ही, ओकर कुल ब्रा निकाल के, एक एक के, कैंची से हुक वाला दोनों ओर क कचर कचर काट दूंगी, बस , देखी कैसे पहनती हैं, . "
और हम दोनों जोर जोर से खिलखिलाने लगे , और चड्ढी मैंने पूछा।
" वो नहीं, . वो पहन के कॉलेज तो जाना होगा न , हाँ ओहमें छेद जरूर बनाय दूंगी , बुरिया के ऊपर ओहि के साइज के बल्कि थोड़ा और बड़ा , दो ऊँगली आसानी से आ जा सके, . अरे क्लॉस में बैठेगी तो अगल बगल की सहेली , ऊँगली डाल के रात भर क जउन रबड़ी मलाई बिलिया में बजर बजर करती होगी न ऊपर तक , उसका भी हाल चला ले लेंगी , फिर उँगरियाने का मन करे तो क्लास में तो वो भी,. "
कम्मो बहुत सीरियस होके बोली।
कम्मी की प्लानिंग, कभी फेल नहीं हो सकती।
मैंने जोर की अंगड़ाई ली , कम्मो के साथ बतियाते टाइम का पता नहीं चला और पैकिंग भी हो गयी. इनकी पोस्टिंग का सामान अलग , ससुराली का सामान अलग , बस अब ये जो शॉपिंग कर के लाने वाले थे , उसकी जगह मैंने छोड़ दी , वो तो दस मिनट का काम था।
छुटकी ननदिया, कम्मो और,.
" भाभी, आप भी न, . आप तो एकदम पीछे पड़ जाती हैं हरदम एक वही बताइये न सीरियसली, . " वो बड़ी अदा से बोली।
" अरे यार मेरी ननद रानी का पिछवाड़ा है ही इतना मस्त कोई भी पीछे पड़ जाएगा, लेकिन छोड़ उसका इलाज मेरे, और कम्मो भौजी के भाई लोग कर देंगे , जो इतना मटका मटका के चलती हो न, . "
मेरी बात काट के थोड़ा चिढ़ती थोड़ा चैलेन्ज देती वो बोली,
" अरे भाभी उन स्सालो की छोड़िये अपने भाई को कल रात भर देख लिया न, आपके, कम्मो भौजी के भाइयों को भी देख लूंगी, संडे की शाम को ही पहुँच जाउंगी। पर कपडे सजेस्ट करिये न,. प्लीज सीरियसली,. "
और मैं भी सीरियस हो गयी , ननद की हेल्प करने के लिए, बोली
" सिम्पल, देख २१ दिन में कॉलेज के दिन गिन ले, १२ -१४ दिन, अरे कुछ दिन बँक भी तो करेगी, तो सबसे पहले कॉलेज यूनिफार्म, तेरी वो सफ़ेद टॉप और लाइट नेवी ब्लू स्कर्ट, जित्ती भी हों वो सब पैक कर ले, घर के लिए भी , जो पुरानी कॉलेज यूनिफार्म होंगी घिस गयीं एकदम टाइट हों, चलेगी,. और एक बात और हो सके कोई भौंरा तेरा पिक्चर विक्चर ले जाए कभी या शॉपिंग को, तो एक दो जो सबसे हॉट ड्रेस हों न,. और रात के लिए, . तू रहेगी तो मेरे कमरे में ही , तो कौन सा अलमारी में मैं ताला लगा के जाउंगी, . मेरी नाइटी, बेबी डाल और तेरे भैया के शॉर्ट्स और टी भी, . "
मेरी बात काट के वो बोली,
" एकदम भाभी आपने मेरा काम आसान कर दिया, बस फटाफट पैकिंग कर के शाम को आपसे बात करती हूँ "
और उसने फोन काट दिया।
लेकिन मुझे लगा की कुछ कहना रह गया था गुड्डी से और मेरे चेहरे की बात कम्मो भौजी ने झट से पढ़ भी ली, पूछ भी ली।
" क्या हुआ, ? "
" अरे मैं सोच रही थी न उसे बोल देती, चड्ढी बनियाइन लाने की जरूरत नहीं, लेकिन रह गयी,. " मैं बोली।
" अरे इतनी सी बात , लाने दो न स्साली को आपन, अरे पहले दिन ही, ओकर कुल ब्रा निकाल के, एक एक के, कैंची से हुक वाला दोनों ओर क कचर कचर काट दूंगी, बस , देखी कैसे पहनती हैं, . "
और हम दोनों जोर जोर से खिलखिलाने लगे , और चड्ढी मैंने पूछा।
" वो नहीं, . वो पहन के कॉलेज तो जाना होगा न , हाँ ओहमें छेद जरूर बनाय दूंगी , बुरिया के ऊपर ओहि के साइज के बल्कि थोड़ा और बड़ा , दो ऊँगली आसानी से आ जा सके, . अरे क्लॉस में बैठेगी तो अगल बगल की सहेली , ऊँगली डाल के रात भर क जउन रबड़ी मलाई बिलिया में बजर बजर करती होगी न ऊपर तक , उसका भी हाल चला ले लेंगी , फिर उँगरियाने का मन करे तो क्लास में तो वो भी,. "
कम्मो बहुत सीरियस होके बोली।
कम्मी की प्लानिंग, कभी फेल नहीं हो सकती।
मैंने जोर की अंगड़ाई ली , कम्मो के साथ बतियाते टाइम का पता नहीं चला और पैकिंग भी हो गयी. इनकी पोस्टिंग का सामान अलग , ससुराली का सामान अलग , बस अब ये जो शॉपिंग कर के लाने वाले थे , उसकी जगह मैंने छोड़ दी , वो तो दस मिनट का काम था।
" मैं सोच रही थी ननद के भैया को बोल देती की एक लीटर अपनी बहिनी के लिए देसी सरसों का तेल लेते आएं , तीन हफ्ते में इतना तो उसकी बिलिया घोंट जायेगी , "
" जाने दो, हमारे पास है न हमरे खेत की सरसों का, गाँव में कोल्हू कापेरा कडुआ तेल ,. लेकिन तेल से तेलिनिया की बात याद आ गयी अरे वही तोहरे ननद की गली वाली। "
कम्मो बोली।
और झप्प से मुझे सब बातें याद आ गयीं, तेलिन, उनका घर और उनकी बहू,
तेलिन, उनका घर और उनकी बहू,.
" जाने दो, हमारे पास है न हमरे खेत की सरसों का, गाँव में कोल्हू का पेरा कडुआ तेल ,. लेकिन तेल से तेलिनिया की बात याद आ गयी अरे वही तोहरे ननद की गली वाली। "
कम्मो बोली।
और झप्प से मुझे सब बातें याद आ गयीं, तेलिन, उनका घर और उनकी बहू,.
कूंवा झांकने की रसम थी, और वो रसम देवर के साथ होनी थी, मेरा ममेरा देवर, ( सगी न तो कोई ननद न देवर लेकिन ये देवर ननद सगे से बढ़ कर कर थे ) अनुज और बाकी सब झरर मार कर औरतें, मेरी मोहल्ले की ननदें, जेठानियाँ सासें, और जब सिर्फ औरतों का जमावड़ा हो तो मज़ाक भी एकदम खुल के होने लगता है.
जिस गली में गुड्डी रहती है, गधे वाली गली ( गली के शुरू में धोबी रहते थे , उनके गधे बंधे रहते थे तो उसे चिढ़ाने के लिए हम लोग गधे वाली गली कहते थे) के अंत में जहां गली मुड़ती थी वहीँ पर एक पुराना बड़ा सा कूंवा था, और जहाँ से गली मुड़ती बस थोड़े ही आगे एक उषा सिलाई मशीन का ट्रेनिंग वाला कॉलेज और उसी के सामने वो तेलिन का घर था, पुराना थोड़ा कच्चा बाकी पक्का।
थोड़ा सा घूंघट, और ननदों के मजाक का जवाब देने का काम अभी भी बहुत कुछ मेरी जेठानियों के जिम्मे था.
तेलिन अब मोहल्ले के रिश्ते से तो मेरी सास लगती थीं, उम्र में मेरी सास से थोड़ी ही कम रही होंगी, देह खूब हट्टी कट्टी, जबरदस्त जोबन, खूब गोरा रंग, नाक में बड़ी सी लौंग, एक ननद ने मुझे उन्हें दिखाते कहा,
" अरे इनका पैर तो ज़रा ठीक से छूना, पहली रात से ही रोज इन्ही के कोल्हू का पेरा पाव भर सरसों का तेल रोज इस्तेमाल कर रही हो. "
लेकिन मेरे झुकने के साथ ही उन्होंने मुझे पकड़ के उठा लिया और जिस तरह से उन्होंने मुझे अँकवार में भरा, और उनका ३८ डी डी साइज के बड़े बड़े कड़े कड़े जोबन कस के मेरी ३४ सी को दबाने लगे, मैं समझ गयी ये भी कन्या रस की प्रेमी होंगी, लेकिन बिना मुझे अपनी बाँहों से छोड़े उन्होंने उस ननद को भरपूर जवाब दिया, .
" अरे तोहार तो इस कुंवे से भी गहरी है, पसेरी भर तेल लगता है, अगवाड़े पिछवाड़े दोनों ओर, कुप्पी से भरवाती हो, हमार मुंह जिन खुलवावा, कैसे कैसे कोल्हू चलवाती हो ,. "
उसके बाद तो बाकी मेरी जेठानियाँ भी उस ननद के पीछे,.
तेलिन के घर में एक बड़ा सा कमरा कच्चा था , फर्श सिर्फ और वहीँ पर कोल्हू लगा था, एक जमाने में तो बैलों से चलता था लेकिन अभी भी मोटर लगी थी और उसी से तेल पेरा जाता था,. .
उनका एक लड़का था फूलचंद वो चाट का ठेला लगाता था, .
और उसकी पत्नी, मेरी जेठानी से थोड़ी छोटी होगी, लेकिन वो भी खूब गोरी, और मुंह फट, कभी रतजगा हो, सादी बियाह हो तो ननदों क न सिर्फ गारी सुनाने में बल्कि, सलवार का नाड़ा खोलने में, स्कर्ट उठाने में नंबरी,. और जो लड़कियां ज्यादा छनछनाती थीं उनको तो बिना ऊँगली किये वो छोड़ती नहीं थी,
हाँ याद आ गया चमेली नाम था उसका.
लेकिन तभी कम्मो ने मुझे अपडेट किया,
बहुत बदल गया था वहां, तेलिन, चमेली की सास, फूलचंद की माँ अब गाँव चली गयी थी, वहां कुछ खेती बाड़ी थी उनकी। अब कोई कोल्हू का तेल पिरवाने आता नहीं था, बहोत लोग तो ऑनलाइन वो भी ब्रांडेड,. फूलचंद का कोई दोस्त था कतर में उसने वहीँ उसको बुला लिया था, तीन साल का कांट्रैक्ट, लेकिन डेढ़ दो साल बाद ही छुट्टी मिलने वाली थी और अब तेलिन की बहू अकेली,
तो उसने एक पार्लर खोल लिया, कुछ थोड़ी बहुत ट्रेनिंग उसने अपने मायके में भी किया था , एक छह महीने का कोर्स, लेकिन तीन चार लड़कियां भी उसने रख ली थीं,
अचानक मेरी याद की खिड़की खुली , रेनू ने बताया तो था, वो भी तो गुड्डी के हो मोहल्ले में रहती थी , हाँ क्या नाम था, हाँ चांदनी पार्लर, लेडीज ओनली,.
मैंने जब बोला तो कम्मो खिलखिला के हंसी, चमेली कम्मो की सिर्फ पक्की सहेली ही नहीं थी बल्कि राजदार भी थी,. और दोनों के शौक भी एक ही तरह के कम उम्र के लड़के और लड़कियां,. .
चोदानी पार्लर, हँसते हुए वो बोली,
फिर जोड़ा,
" असल में बड़ी उम्र की औरतें भी आती हैं ज्यादा,. तो फेसियल, मेनिक्योर पेडिक्योर के बाद मसाज, लेकिन कुछ ख़ास गिनी चुनी पैसे वाली या उसकी ख़ास को, . बस जो लड़कियां उसने रखी हैं , उनकी उँगलियाँ होंठ, जो बेचारियाँ महीनों एक बार झड़ने के लिए तरसती रहती है, वो लड़कियां तीन चार बार कम से कम पानी गिरवा के थेथर कर देती हैं,. और जिसने एक बार उन कच्ची कलियों के साथ मस्ती कर ली, वो दुबारा,.
तो असली आमदनी तो उस खेल में है,.
और लड़कियां भी सब उसने चुन चुन के छांटी है और सब की ट्रेनिंग भी, फेशियल करते भी वो कंधो और पीठ की मालिश के नाम पर बूब्स मसाज तो कर ही देती हैं, और पेडिक्योर में भी घुटने तक तो कभी जाँघों तक,. ऐसे गर्म करती है,. "
लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आयी तो क्या वो लड़कों वाला,. . मैंने पूछना शुरू ही किया था की कम्मो ने बात काट दी और बोली
" अरे साफ़ साफ़ काहें नहीं कहती चुदाई वाली बात,. "
नहीं नहीं वो डरती है की उसमें बहुत डर है , एक तो सिक्युरिटी का , दूसरे वो लड़का कहीं उस उस लेडीज को ब्लैक मेल
न करे , फिर उस उमर तक आते आते बहुत सी औरतों का मर्दों का शौक कम हो जाता है, लेकिन एक दो बार करवाया भी है उसने उसकी कुछ ख़ास जानने वालियां थी और लड़का भी चमेली का ख़ास था,.
बात मैं समझ रही थी।
कम्मो एक मिनट के लिए रुकी फिर बोली, उसने एक ख़ास कमरा भी ऊपर की मंजिल पर बेडरूम, बाथ. दीवाल के बराबर शीशा और खूब बड़ा सा पुराने ज़माने के एंटीक पलंग की तरह, उसी में,.
लेकिन चमेली का इस्तेमाल कम्मो किस तरह करना चाहती है ये मेरी समझ में नहीं आ रहा था और ये कम्मो ने बड़े विस्तार से समझाया , और मान गयी मैं उसकी प्लानिंग।
तिहरा फायदा
तिहरा फायदा
मैंने जब बोला तो कम्मो खिलखिला के हंसी, चमेली कम्मो की सिर्फ पक्की सहेली ही नहीं थी बल्कि राजदार भी थी,. और दोनों के शौक भी एक ही तरह के कम उम्र के लड़के और लड़कियां,. .
चोदानी पार्लर, हँसते हुए वो बोली, फिर जोड़ा,
" असल में बड़ी उम्र की औरतें भी आती हैं ज्यादा,. तो फेसियल, मेनिक्योर पेडिक्योर के बाद मसाज, लेकिन कुछ ख़ास गिनी चुनी पैसे वाली या उसकी ख़ास को, . बस जो लड़कियां उसने रखी हैं , उनकी उँगलियाँ होंठ, जो बेचारियाँ महीनों एक बार झड़ने के लिए तरसती रहती है, वो लड़कियां तीन चार बार कम से कम पानी गिरवा के थेथर कर देती हैं,.
और जिसने एक बार उन कच्ची कलियों के साथ मस्ती कर ली, वो दुबारा,. तो असली आमदनी तो उस खेल में है,. और लड़कियां भी सब उसने चुन चुन के छांटी है और सब की ट्रेनिंग भी, फेशियल करते भी वो कंधो और पीठ की मालिश के नाम पर बूब्स मसाज तो कर ही देती हैं, और पेडिक्योर में भी घुटने तक तो कभी जाँघों तक,. ऐसे गर्म करती है,. "
लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आयी तो क्या वो लड़कों वाला,. . मैंने पूछना शुरू ही किया था की कम्मो ने बात काट दी और बोली
" अरे साफ़ साफ़ काहें नहीं कहती चुदाई वाली बात,. नहीं नहीं वो डरती है की उसमें बहुत डर है , एक तो सिक्युरिटी का , दूसरे वो लड़का कहीं उस उस लेडीज को ब्लैक मेल
न करे , फिर उस उमर तक आते आते बहुत सी औरतों का मर्दों का शौक कम हो जाता है, लेकिन एक दो बार करवाया भी है उसने उसकी कुछ ख़ास जानने वालियां थी और लड़का भी चमेली का ख़ास था,.
बात मैं समझ रही थी। कम्मो एक मिनट के लिए रुकी फिर बोली, उसने एक ख़ास कमरा भी ऊपर की मंजिल पर बेडरूम, बाथ. दीवाल के बराबर शीशा और खूब बड़ा सा पुराने ज़माने के एंटीक पलंग की तरह, उसी में,.
लेकिन चमेली का इस्तेमाल कम्मो किस तरह करना चाहती है ये मेरी समझ में नहीं आ रहा था और ये कम्मो ने बड़े विस्तार से समझाया , और मान गयी मैं उसकी प्लानिंग।
तिहरा फायदा
कम्मो की बातें भी न , एक तो उसकी बात दूसरे बात करने का ढंग,
बोली,
बंद दूकान पर कोई गहकी आता है क्या, तो पहली बात दूकान का शटर खुलना चाहिए, और उससे भी बड़ी बात, लोगों को मालूम होना चाहिए शटर खुल गया है, सौदा मिल रहा है, तभी तो लोग बड़ा बड़ा इश्तहार छपवाते हैं, पैम्फ्लेट बटवाते हैं, उसके ऊपर मोटा मोटा लिखा होता है, तीन बार, खुल गया खुल गया खुल गया, तभी तो गहकी आते हैं, और यहाँ तो गाहक की भीड़ लगने वाली है, क्या कहते हैं एडवांस रिर्जेवेशन,
कम्मो की बात मैं समझ रही थी और बात उसकी सही भी थी,. मामला गुड्डी का था, माना उसका जोबन जबरदस्त था, रूप की रानी थी, बड़ी बड़ी आँखे चम्पई रंग, भोली भाली सूरत के साथ चढ़ता जोबन,
और भौरें भी कम नहीं थे, लेकिन एक बार लौंडो को जब लग जाता है ये स्साली टांग नहीं फैलाने वाली, तो कुछ दिन मेहनत के बाद वो कहीं और चारा डालने लगते हैं, पर एक दो जहाँ चढ़ गए , बाजार में बात फ़ैल गयी,स्साली भाव खाती है लेकिन देती है, तो बस भौंरे और बढ़ेंगे,.
लेकिन वो तेलिन की बहू, चांदनी पार्लर उससे क्या, . किस तरह से ,. लेकिन कम्मो ने मेरी बात का जवाब मेरे पूछने से पहले दे दिया,
" देखो न , जो हम लोगों ने उसके कॉलेज वाली छिनारों के साथ, उनके सामने उसे चुदवाने का जो प्लान बनाया है न, और वो पिकनिक में तो उसकी अपनी क्लास वालियां भी,. और सब लौंडे चढ़ेंगे उसके ऊपर,. तो ये बात सही है की फिर ननद रानी अपने कॉलेज में कभी ये कहानी नहीं सुना पाएंगी की उन्हें लौंडे नहीं पसंद है, और कॉलेज के सामने वाले भौंरे लेकिन ये कहानी तो अभी आठ आने भी नहीं, बहुत हुआ तो चार आने,
बात अभी भी भी मेरी समझ में नहीं आयी तो कम्मो ने मुझपर ही एक सवाल दाग दिया,
" बोल न हमारी ननद के जोबना के दीवाने सबसे पहले कहाँ पैदा हुए होंगे , किसने उसको जवान होने का अहसास दिलाया होगा,. "
" और किसने उसकी गली और मोहल्ले के छैलों ने,. और सभी लड़कियों को जवान होने का अहसास तो उसकी गली मोहल्ले वाले ही दिलाते हैं "
मैंने झट से जवाब दिया ,
" तो वही बात, तो जबतक गली मोहल्ले में ये बात न फैले, की चाँद अब निकल आया है, अब नदी में डुबकी लगाने का टाइम आ गया है किनारे बैठ के टुकुर टुकुर देखने का नहीं, सीधे झप्प से डुबकी मारने का,. फिर लौंडिया के लिए सबसे आसान है गली मोहल्ले में दो चार यार रखना, अरे घर से सहेली के यहाँ जाने का बहाना करके निकली, घंटे दो घंटे के लिए , एक दो यारों के साथ कबड्डी खेल के आ गयी, छत पर चढ़ गयी तो वहीँ से नैन मटक्का, रात को खिड़की खोल के रखना, चालू हो गया. तो असली बात ये ही पूरे मोहल्ले में ये बात फ़ैल जाए की दूकान खुल गयी बल्कि चल भी रही है, दिन रात तो असली बात बनेगी न , और उसकी कॉलेज वाली, जीजीआईसी वाली तो ये बात बांटने से रही,. "
बात कम्मो की पूरी तरह दुरुस्त थी, उसने ड्रिंक्स इंटरवल किया और बात आगे बढ़ाई,
पहला फायदा
बात कम्मो की पूरी तरह दुरुस्त थी, उसने ड्रिंक्स इंटरवल किया और बात आगे बढ़ाई,
" लड़कियों के छिनारपने की बात सबसे ज्यादा कौन करतीं हो, थोड़ी बड़ी उम्र की शादी शुदा औरतें, एक तो बेचारियों पर कोई लाइन वाइन नहीं मारता,कभी होली दिवाली को देवर नन्दोई हाथ वाथ लगा दें , रंग लगाने के नाम पर ब्लाउज में हाथ वाथ डाल दें उससे ज्यादा कुछ भी नहीं,.
दूसरी बात पर निंदा का सुख , तो चमेलिया के उस पार्लरवा में का तो नाम है, हाँ चांदनी सब इसी तरह की औरतें आती हैं
कई तो उसी गली मोहल्ले की, बस फेशियल करवाते , मालिश करवाते, उस के बस कान में, आप को मालूम है,.
वो नकचढ़ी जो लड़कों को भाव नहीं देती थी,. हाँ वही,. जो तीन पल्ले का दुपट्टा ओढ़ के कबूतर छिपाती थी, की कहीं धूप भी लग जायेगी तो छोटे होजाएंगे बेचारे , अरे हाँ वही गोरकी, पतरकी,. अपने को न जाने क्या समझती थी, अरे एक लड़के से फंसी है,. अरे सच्ची जिसकी कसम खाइये उसकी,. अरे खूब गप्पगप्प घोंटती है,
फिर डिटेल्ड डिस्क्रिप्शन,
और वो औरत सोच सोच के गीली हो जायेगी, . . फिर अगली किटी पार्टी में बांटेगी, दस पंदह दिन में घर घर की कहानी, फिर एक सबसे बड़ी बात चमेली चांदनी पार्लर की कोई गप्प झूठी नहीं होती, चमेली और उसकी लड़कियां जब तक अपनी आँख से, एकदम पक्की तभी वो किस्से कहानी सुनाती हैं , आधी औरतें तो इसी लिए, . . और किस्से भी पूरे डिटेल्ड डिस्क्रिप्शन के साथ, कैसे चीखी , कैसे सिसकी भर रही थी, मिर्च मसाला ऊपर से , स्वादानुसार
कम्मो की बात मैं मान गयी लेकिन अपनी आँख से, . कैसे और यही बात जो मैंने कम्मो से पूछी तो वो बात टाल गयी , बल्कि आगे बढ़ा दिया, मुस्करा के बोली , अरे चमेलिया मेरी पक्की सहेली है हो जाएगा उसका भी भी जुगाड़, बताती हूँ , लेकिन बताओ फायदा है न चांदनी पार्लर वाली को साथ मिलाने का, और अभी तो मैंने पहला फायदा बताया, ननद रानी को मशहूर करने का,.
बात कम्मो की एकदम सही थी , एक बार अपने मोहल्ले में मशहूर हो गयी अच्छी तरह से की लौंडों से फंसी है , चलती है , फिर तो वो चाह के भी अपनी शलवार का नाड़ा नहीं बाँध पाएगी,
उसकी गली के यार बाँधने ही नहीं देंगे, और एक तो उसके लिए आसानी, थोड़ी देर के लिए जाने का बहाना कर के , एक दो राउंड अपने यारों के साथ,. और उससे भी ज्यादा उसके यारों का फायदा, बेचारे जब जोबन उसके चूजे ऐसे थे तब से लाइन मार रहे थे, अब जब दबाने मसलने का मौका आया तो कोई और,
और मैं सोच रही थी , पहले तो चमेली की मसाज वाली लड़कियां, और उस के बाद जब वो खुद गली मोहल्ले के लौंडो के सामने स्कर्ट फ़ैलाने लगेगी, तो फिर उनकी बात भी सही होगी और वो और ज्यादा मिर्च मसाला लगा के, फिर पार्लर में आने वाली औरतों की किटी में सिर्फ उसी गली मोहल्ले की थोड़े ही आती होंगी , आस पास के मोहल्लों में भी,
पहला फायदा तो सही सोचा था कम्मो ने ,
और दूसरा फायदा, मैं अपने को नहीं रोक पायी
और कम्मो ने दूसरा फायदा भी गिनवाना शुरू कर दिया।
मैं बेताबी से कम्मो की बात सुन रही थी,
" देखो कउनो लौंडिया हमारे तोहरे ससुराल क चोदवासी होती है तो ओके का चाही और कौन दिक्कत होती है , . "
मैं चुप रही मैं जानती थी जवाब वही देगी, और वही हुआ , कुछ देर तक मुझे देखने के बाद मुस्कराकर बोली,
और दूसरा फायदा,
कम्मो की बात मैं मान गयी लेकिन अपनी आँख से, . चमेलिया देखेगी ननद के ऊपर चढ़ते तभी जा के, . . . कैसे और यही बात जो मैंने कम्मो से पूछी तो वो बात टाल गयी , बल्कि आगे बढ़ा दिया, मुस्करा के बोली ,
"अरे चमेलिया मेरी पक्की सहेली है हो जाएगा उसका भी भी जुगाड़, बताती हूँ , लेकिन बताओ फायदा है न चांदनी पार्लर वाली को साथ मिलाने का, और अभी तो मैंने पहला फायदा बताया, ननद रानी को मशहूर करने का,. "
और दूसरा फायदा, मैं अपने को नहीं रोक पायी
और कम्मो ने दूसरा फायदा भी गिनवाना शुरू कर दिया।
मैं बेताबी से कम्मो की बात सुन रही थी,
" देखो कउनो लौंडिया हमारे तोहरे ससुराल क चोदवासी होती है तो ओके का चाही और कौन दिक्कत होती है , . "
मैं चुप रही मैं जानती थी जवाब वही देगी, और वही हुआ , कुछ देर तक मुझे देखने के बाद मुस्कराकर बोली,.
" ये मत कहना लंड, अरे हमरे तोहरे ससुराल क कुल मरद ससुरे नंबरी बहिनचोद हैं और लौंडिया सब भाई चोद, और फिर हमरे तोहरे भाई तो लंड का कउनो कमी नहीं, और खुजली तो यहाँ क लौंडियन क झांट आवे के पहले से, तो पहले एक डर था की कहीं पेट न रह जाए, तो अब उसकी गोली, कंडोम,. तो अब वो भी नहीं, तो असली बात ये है आखिर चुदवावे तो कहाँ, अरे कौन हमार तोहार गांव तो है ना की गन्ने का खेत, अरहर, गझिन अमराई,, तो ये परेसानी गुड्डी रानी के सामने भी तो आएगी न २१ दिन बाद, २१ दिन का तो ये बढ़िया पिलानिंग हमरे ननदिया के लिए कर दी और देखना सवा सौ पार करेगी, . "
बात उनकी एकदम सही थी , एक बार दूकान खुल गयी, ग्राहक आने लगे तो फिर दुबारा तो शटर डाउन नहीं होगा और होना भी नहीं चाहिए, ये तो मैंने सोचा भी नहीं था,
२१ दिन में तो हमारी ननद एकदम पॉपुलर हो जाएंगी, यारों की कोई कमी नहीं रहेगी, और रोज चार पांच चढ़ेंगे तो उसको भी बिना लम्बे मोटे नींद नहीं आएगी , पर एक बार जेठानी सास लौट आएँगी और वो अपने घर लौट जायेगी,. तो जगह कहाँ मिलेगी टाँगे उठाने के लिए, कोई तो जगह चाहिए फिर चांदनी पार्लर में जब उसकी तारीफ़ होने लगेगी तो गली मोहल्ले के लौंडे , अगल बगल के मोहल्ले में भी, पर कबड्डी होगी कहाँ , बात कम्मो की एकदम सही थी,
और कम्मो ने फिर बोलना शुरू किया,
" देखा, एक तो हमार कोठरिया है ही पीछे वाली, लेकिन हफ्ता में एक दो दिन तो, पर ओकरे बाद,. कहीं आते जाते घर के लोग , तोहार जेठानी,. कोई भी पूछ सकता है , फिर उसके मोहल्ले से इतना दूर, तो इसी लिए चमेलिया क जउन चांदनी पार्लरवा है वो सबसे फिट जगह है, ज्यादा टाइम भी नहीं , घर के एकदम पास में, फिर कोई आते जाते देख लेगा, तो बोल देगी, चमेली भौजी के यहाँ थ्रेडिंग कराने गयी थी,. और पास में एक सिलाई मशीन वाला कॉलेज है, एक म्यूजिक टीचर रहती है , उनके यहाँ भी, हफ्ते में तीन दिन सीना पिरोना , तीन दिन गाना बजाना, बस उसके बहाने भी, . . "
बात तो कम्मो की एकदम सही थी , ख़ास तौर से जो उसकी अपनी गली मोहल्ले के यार होंगे उनके साथ मस्ती करने के लिए, लेकिन फिर मैंने पूछ लिया,
" पर पार्लरवा में जगह कहाँ,. "
कम्मो ने पूरी बात सुने बिना, जवाब दे दिया,
" अरे चमेलिया बड़ा मस्त छत पर बनवायी है, जउन तोहार कमरा है एकदम उहै साइज, खूब चौड़ा बेड, दो जोड़ा साथ कबड्डी खेलें,. सामने खूब बड़ा शीशा, पूरा एसी,. और पार्लर के बगल में एक दरवाजा है सीधे वहीँ से सीढ़ी और ऊपर,. किसी को पता भी चलेगा, अपने खास क्लाएंट के लिए तो ननद से बढ़ के ख़ास कौन हो सकता है। "
अब मेरे चुप होने की बारी थी , और कम्मो ने कुछ और अल्टेरनेटिव भी बता दिए, और पार्लर में भी मसाज वाले, उस में भी ठीक ठाक,. ठोंकने के लिए बहुत जगह होती है , चुदवास लगने पर तो गन्ना क खेत और मक्का बाजरा में लौंडियाँ टांग उठा देती हैं , कार के पीछे वाली सीट पर, तो ओसे से तो ज्यादा जगह है , फिर शुद्ध कडुवा तेल कोल्हू वाला,. "
हम दोनों हंसने लगे ,
सच में ये बड़ा सही इंतजाम हो जाएगा ननद रानी के लिए।
और अंत में कम्मो ने तीसरा फायदा भी गिना दिया।
तीसरा फायदा
कम्मो ने पूरी बात सुने बिना, जवाब दे दिया,
" अरे चमेलिया बड़ा मस्त छत पर बनवायी है, जउन तोहार कमरा है एकदम उहै साइज, खूब चौड़ा बेड, दो जोड़ा साथ कबड्डी खेलें,. सामने खूब बड़ा शीशा,बिस्तर पर की सारी कबड्डी शीशे में साफ़ साफ कबड्डी खेलने वाले देख सकते हैं,
पूरा एसी,. और पार्लर के बगल में एक दरवाजा है सीधे वहीँ से सीढ़ी और ऊपर,. किसी को पता भी चलेगा, अपने खास क्लाएंट के लिए,. तो ननद से बढ़ के ख़ास कौन हो सकता है। "
अब मेरे चुप होने की बारी थी , मैं मन ही मन सोच रही थी सही बात है , २१ दिन के बाद जब सब लोग घर वापस आ जाएंगे तो गुड्डी के और उसके यारों के लिए किसी जगह का इंतजाम तो होना ही चाहिए था , और इससे बढ़िया क्या होगा,
और कम्मो ने कुछ और अल्टेरनेटिव भी बता दिए,
और पार्लर में भी मसाज वाले, अरे जहाँ लड़कियां सब मसाज करती हैं , तीन तीन केबिन हैं, अक्सर एक दो तो खाली ही रहते हैं,. . ,उस में भी ठीक ठाक,. ठोंकने के लिए बहुत जगह होती है , चुदवास लगने पर तो गन्ना क खेत और मक्का बाजरा में लौंडियाँ टांग उठा देती हैं , कार के पीछे वाली सीट पर, तो ओसे से तो ज्यादा जगह है , फिर शुद्ध कडुवा तेल कोल्हू वाला,. "
हम दोनों हंसने लगे ,
सच में ये बड़ा सही इंतजाम हो जाएगा ननद रानी के लिए।
और अंत में कम्मो ने तीसरा फायदा भी गिना दिया।
एक बात तो मैं जानती थी, चमेली गुड्डी की शलवार का नाड़ा खोलने के लिए बेताब थी, लेकिन कौन भौजाई नहीं थी। जो ननदें शलवार का नाड़ा खुलवाने में में ज्यादा नखड़ा करती हैं , भौजाइयां उन्ही के पीछे ज्यादा पड़ती हैं,
फिर गुड्डी तो उसी गली मोहल्ले की थी, और रूप जोबन भी जबरदस्त, सबसे बढ़कर वो छनछनाती भी बहुत थी, छूने की बात दूर अगर कोई 'असली वाली ' गारी उस का नाम ले के,
ये बात मुझे पहले दिन से ही पता चल गयी थी, इसलिए शादी के तीसरे दिन, जब छत पर गाने गाने का प्रोग्राम हुआ, शुरू तो फ़िल्मी और सीधे साधे गानों के बाद जब असली गारियाँ शुरू हुयी तो मैंने चुन के अपनी छोटी ननदी को चुना , और वही तो एक ननद थी जो इस शहर में मेरे साथ रहने वाली थी, और चमेली ने मेरा खूब खुल के साथ दिया, और उस दिन कूंवा झाँकने की रस्म में भी,.
फिर मैं भी उस के घर भी गयी, उस की सास बहुत इसरार करके गयी और वो कोल्हू भी देखा जिसका पेरा कड़ुवा तेल, दिन दहाड़े और रात रात भर,.
और ये भी मुझे धीरे धीरे पता चल गया की वो कन्या प्रेमी भी है, और कन्या प्रेमी महिलाओं की ख़ास पसंद तो कच्ची कलियाँ होती है और वो भी जो बहुत हाथ पैर फेंकती हो,.
लेकिन जो कम्मो ने बात बतायी वो मैं सोच भी नहीं सकती थी।
कम्मो बोली की काम कला ने चमेली उससे भी दस हाथ आगे थी, जिस तरह से कम्मो ने अपने देवरों की ली थी, मैं मान नहीं सकती थी की कोई कम्मो से भी ज्यादा , लेकिन कम्मो ने फिर हाल खुलासा बताया तो मेरी आँखे खुली रहगयी,
जो मैगी नूडल होते हैं न, टू मिनट वंडर, उनको भी चमेली मैडम ऐसे विश्वास दिला देतीं हैं की अपने जिले के सबसे जबरदस्त सांड़ वही हैं,
और कहीं मुश्किल से कोई तगड़ा मरद भिड़ गया ( मैंने इनकी तारीफ़ सुनने के लिए कम्मो को चिढ़ाया , आपके देवर जैसा,. तो दस बातें सुनने को मिल गयीं,. की उसने बहुत देखें हैं , लेकिन कम्मो के देवर यानी इनसे, सब १९ नहीं है १६-१७ होंगे , और कम्मो तो सेंसर बोर्ड के सख्त खिलाफ थी तो लम्बाई मोटाई कड़ापन सब बखान दिया उसने ) तगड़े का मतलब ७ या ७ + वाले जो दस बारह मिनट तक टिकने वाले हों, उन्हें भी वो बस जब उस की मर्जी होती तो तब निपटा सकती थी.
लेकिन कम्मो की एक बात जिसकी मैं सबसे ज्यादा कायल हो गयी, वो थी एरोजीनस प्वाइंट , जो हर मरद या या औरत के अलग अलग होते हैं, लेकिन उनको पहचानना सबके बस की बात नहीं।
लेकिन उससे बड़ी बात है मरद हो या औरत वो सिर्फ अपने मज़े के चक्कर में रहते हैं, औरत ने कहीं दो चार बार झूठ मूठ की भी सिसकी भर दी, तो अपने को पंचायती सांड़ समझने लगते हैं , और यही बात औरतों के लिए भी उतनी ही सही है, मेरी गुरुआइन ( और कौन रीतू भाभी ) कहतीं थी , अरे अब चाकू छुरी का जमाना चला गया, राकेट मिसाइल का जमाना है , बिना छुआ छुअन के जो लड़की दूर से आँखों से , मुस्करा के , दुपट्टा ठीक कर के साड़ी का पल्लू गिरा के, मुस्करा के लड़के का खड़ा न कर दे,.
तो बस कम्मो के अनुसार चमेली उस तरह की थी। देह का सारा भूगोल , का कहते हैं आजकल हाँ केमिस्ट्री सब कुछ उसको मालूम है , और एक बार अगर गुड्डी उसके साथ तो एक एक चीज वो उसको सिखा देगी ,