Update 24

ससुर सेक्स की हिंदी कहानी में पढ़ें कि मेरे पति के दूर रहने के कारण मेरी चुदाई की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी. मैंने अपने देवर को फांसना चाहा पर हुआ कुछ ये …

नमस्कार दोस्तो, सेक्स कहानी शुरू करने से पहले मैं कुछ कहना चाहती हूँ मेरे कुछ नासमझ और बददिमाग पाठक हैं, जो कहानी को पूरा और समझ कर नहीं पढ़ते हैं और बाद में बिना मतलब के मैसेज करते हैं.

ऐसे पाठकों से मेरा इतना ही कहना है कि कहानी को दिमाग लगा कर पढ़ें और पहले ये जान लें कि कहानी किसकी है और आप क्या सवाल कर रहे हैं?

ससुर सेक्स की हिंदी कहानी के पहले भाग

मैं ससुर जी के सामने नंगी चली गयी
में अभी तक आपने कहानी में पढ़ा कि किस तरह से मेरी सहेली नैना अपने जिस्म की आग में जल रही थी, जिसके कारण उसने पहले अपने देवर पर डोरे डाले लेकिन सफल नहीं हुई. इसके बाद नैना और उसके ससुर के बीच ऐसा कुछ होने लगा, जिससे कि नैना उनके ऊपर आकर्षित होने लगी.

अब आगे की सेक्स कहानी में पढ़ते हैं कि क्या नैना और उसके ससुर के बीच कुछ हो पाया था या नहीं.

दोस्तो मैं नैना, आपको बता रही थी कि मेरे और ससुर जी के बीच एक दूसरे को गंदी निगाहों से देखने का खेल काफी समय से चल रहा था.

हम दोनों ही घर पर अकेले रहते थे. मैं उन्हें रिझाने के लिए अक्सर गाउन के अन्दर चड्डी ब्रा नहीं पहनती थी जिससे गाउन मेरे जिस्म पर चिपका रहता था और मेरे अन्दर के अंग गाउन से झलकते थे, जिन्हें देखने के लिए मेरे ससुर बार बार मेरे सामने आते थे.

हम दोनों के बदन में ही चुदाई की गर्मी भरती जा रही थी और हम दोनों ही जानते थे कि दोनों के दिल में क्या चल रहा है लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी कि किसी को कुछ बोले या आगे बढ़ कर पहल करे.

फिर साल 2020 में अचानक से सारे देश में लॉकडाउन लग गया.

इस बीच न हम लोग कहीं जाते थे और न ही हमारे यहां कोई आता था.

मेरे पति और देवर का भी आना मुश्किल हो गया था क्योंकि सभी साधन बंद हो चुके थे.

अब मैं और ससुर जी सारा दिन घर पर ही रहते.

इस बीच हम दोनों के बीच की वासना अपने चरम पर पहुंच गई.

ससुर जी की हवस भरी नज़रें मुझे बेहद ही गंदी तरह से देखने लगीं और अब मुझसे भी अपने आप पर कंट्रोल नहीं होता था.

मैं रोज अपनी उंगलियों से अपने आप को शांत करने लगी लेकिन फिर भी मेरा बदन किसी मर्द को पाने के लिए उतावला हो गया था.

आखिर में वो दिन आ ही गया जब हम दोनों का सब्र टूट गया.

हुआ यूं कि एक दिन शाम को खाने से पहले मैं खाना खाने के लिए ससुर जी को बुलाने उनके कमरे में गई.

उस वक्त वो बिस्तर पर बैठे हुए थे और सामने मेज पर शराब रखकर पी रहे थे.

मैं उन्हें खाने के लिए बोली और वापस चली आई.

कुछ समय बाद वो खाना खाने के लिए आए और हम दोनों ने खाना खाया.

खाना खाने के बाद मैं साफ सफाई करने लगी और फुर्सत होकर अपने कमरे में जाने लगी.

तभी मेरे ससुर जी ने मुझे आवाज लगाई.

मैं उनके कमरे में गई तो उन्होंने मुझसे पानी लाने के लिए कहा.

मैं पानी का जग लेकर उनके पास गई और उन्होंने पानी अपने दारू वाले गिलास में भरा और बाक़ी का जग का पानी अपने जग में भर लिया.

फिर उन्होंने दारू का एक सिप पिया.

जब मैं उनसे खाली जग वापस लेने लगी तो उन्होंने मेरे हाथों को बड़े प्यार से सहलाया और मुझे देखते हुए मुस्कुरा दिये.

उन्हें देख कर मेरे चेहरे पर भी मुस्कान की लहर आ गई.

ऐसा होना हम दोनों के लिए अब आम बात हो गई थी.

तभी अचानक से ससुर जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और एक झटके में मुझे अपनी ओर खींचकर मुझे अपनी गोद में बिठा लिया.

मैं उनसे छूटने के लिए जोर लगाने लगी और बोली- ये क्या कर रहे है आप पापा जी … छोड़िये ये सब गलत है. आपने ज्यादा पी ली है शायद इसलिए भूल गए हैं कि मैं आपकी बहू हूँ.

ससुर जी- हां मैंने ज्यादा पी ली है नैना और ये कुछ भी गलत नहीं है. नैना, हम दोनों ही को पता है कि हम एक दूसरे से क्या चाहते हैं. आज तुम मुझे मत रोको. तुम भी एक मर्द का साथ पाने के लिए तड़फ रही हो.

मैं- नहीं नहीं पापाजी, आप मुझे छोड़ दीजिए. ये सब किसी को पता चल गया तो बड़ी बदनामी होगी, आप इस बात को समझिए.

ससुर जी- जब कोई किसी को बताएगा, तभी तो किसी को पता चलेगा. जो बात रहेगी, हम दोनों के बीच रहेगी.

इतना कहते हुए उन्होंने मेरी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया और मेरी चिकनी कमर को कस कर पकड़ लिया.

वो मेरे गालों को चूमने लगे.

मैं मचल रही थी और बोले जा रही थी- नहीं पापाजी, ऐसा मत कीजिए.

लेकिन मजा मुझे भी आ ही रहा था और मैं केवल झूठा विरोध कर रही थी.

कुछ देर में मेरा विरोध भी खत्म हो गया और मैं भी उनसे लिपट गई.

मन ही मन मैं बहुत खुश हो रही थी और सोच रही थी कि अच्छा हुआ कि आज ससुर जी ने शराब पी ली, जिससे उनके अन्दर इतनी हिम्मत आ गई कि उन्होंने शुरूआत कर दी.

कुछ देर मेरे गालों को चूमने के बाद उन्होंने मेरे चेहरे का दोनों हाथों से थामा और मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा दिए.

मैं भी उनके होंठों से होंठ लगा कर उनको चुम्बन में साथ देने लगी थी, साथ ही मैं अपने हाथों से उनके बालों को सहलाने लगी थी.
वो भी समझ गए थे कि चिड़िया ने दाना चुग लिया है.

वो मेरे मुँह में अपनी जीभ डालने की कोशिश करने लगे थे.

खुद मैं इतनी जोश में आ गई थी कि अपनी जीभ निकाल कर उनके मुँह में डालने लगी जिसे वो अपने दांतों से हल्के हल्के काटते हुए चूसने लगे.

मैं उनकी जांघ पर बैठी हुई थी और उन्होंने मेरी साड़ी कमर तक निकाल दी थी

मेरे सामने टेबल पर ससुर जी का दारू का ग्लास बना रखा था.

मुझे प्यास लग रही थी और मेरा गला सूख रहा था.
मैंने झट से उनका पैग उठाया और एक ही सांस में हलक के नीचे उतार लिया.

ससुर जी ने ये देखा तो मुस्कुरा दिए.

मैं उनकी बांहों में अतृप्त यौवना सी मचल रही थी.

अब मेरे अन्दर भी शराब की मस्ती छाने लगी थी.

फिर उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया और बिस्तर पर खींच लिया.

बिस्तर पर ले जाकर उन्होंने तुरंत अपनी बनियान निकाल दी और मेरी साड़ी को भी अलग कर दिया.

एक झटके में वो मेरे ऊपर आ गए और मेरे चेहरे को जोर जोर से चूमने लगे.

हम दोनों ही बेहद उतावले हो गए थे और एक दूसरे को तेजी से चूम रहे थे.

कुछ देर बाद ससुर जी मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगे, लेकिन मेरे दूध के कसाव के कारण बटन खुल नहीं रहा था.

ससुर जी बेहद उतावले हो चुके थे और उन्होंने दोनों हाथों से ब्लाउज को पकड़ा और एक झटके में सामने से ब्लाउज फाड़ दिया, जिससे सारे बटन टूट गए.

अन्दर ब्रा नहीं होने के कारण मेरे दोनों दूध एक झटके में उछल कर उनके सामने तन गए.

मेरे बड़े बड़े तने हुए दूध देखकर ससुर जी जैसे पागल से हो गए.

उन्होंने मेरे मम्मों पर हमला बोल दिया और अपने दांतों से मेरे निप्पलों और स्तनों को बारी बारी से काटने लगे.

मेरे बड़े बड़े दूध पर वो जगह जगह काटे जा रहे थे और मैं मचलती जा रही थी- आआह हहआ आहह पापा जी आआ हह कैसे कर रहे हैं … आआ हह दर्द हो रहा है पापा जी … आऊऊच आआ आहह.

ससुर जी मेरे मम्मों को बिल्कुल निचोड़ रहे थे और मुझे काफी तकलीफ हो रही थी लेकिन मैं भी उस समय पूरे जोश से भरी हुई थी और अपनी शर्म को दूर करते हुए अपने आप को उनको सौंप चुकी थी.

वो दोनों हाथों से मसलते हुए दोनों मम्मों को बुरी तरह से चूम रहे थे.

फिर वो अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे पेटीकोट के अन्दर डालने लगे लेकिन मैंने उनका हाथ पकड़ लिया.

मेरे रोकने के बावजूद उन्होंने अपना हाथ अन्दर डाल दिया और मेरी जांघ को सहलाते हुए अपना हाथ मेरी चूत तक ले गए.

मैंने चड्डी भी नहीं पहनी थी और उनका हाथ मेरी चूत पर चला गया.

उन्होंने अपने अंगूठे से चूत को मसलना शुरू कर दिया और चूत से निकल रहा पानी उनके अंगूठे पर लग रहा था जिससे अंगूठा चिपचिपा हो गया और उन्होंने अंगूठा चूत में डाल दिया.

‘ऊईईई आहहह आह नहींईईई रुकिए आहहह रुकिए.’

फिर उन्होंने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और एक झटके में पेटीकोट नीचे खींच दिया.

अब मैं पूरी तरह से नंगी हो गई थी.

उन्होंने भी अपनी चड्डी निकाल दी और पहली बार मैंने उनका लंड देखा.

लंड देखकर ही मैं समझ गई कि ये मेरी हालत खराब कर देंगे.

उनका लंड लगभग 8 इंच लंबा और काफी मोटा था.

उन्होंने मेरी चूत को देखा और मेरे दोनों पैरो को एक साथ झटके से फैला दिया और अपना मुँह चूत पर लगाकर चाटने लगे.

मैं जोर जोर से उछलने लगी क्योंकि उनके चाटने से मुझे काफी गुदगुदी हो रही थी- आह हहह आहहह ऊईईई मां आआऊच ओह होह रुकिए आहहह!

जल्द ही मेरी चूत पानी से भर गई थी

मेरे ससुर भी काफी उतावले हो गए थे और वो तुरंत ही मुझे चोद लेना चाहते थे.

वो मेरे ऊपर आ गए और मेरे पैरों को फैलाकर लंड को चूत में लगाया और तुरंत एक धक्का लगा दिया.

लंड चूत को फैलाते हुए आधा अन्दर तक घुस गया.

तुरंत ही उन्होंने दूसरा धक्का भी लगा दिया और लंड चूत के आखिरी छोर तक पहुंच गया- ऊईईई मम्मी रेरेए … मर गई.

मुझे हल्का ही दर्द हुआ लेकिन बहुत अच्छा लगा.

कई दिनों बाद मेरी चूत ने लंड का स्वाद चखा था.

ससुर जी ने मुझे जकड़ लिया और अपने दोनों हाथों को मेरी पीठ पर लगाकर मुझे अपने सीने से लगा लिया.

अब उन्होंने दनादन धक्के लगाना शुरू कर दिए.

‘आह आह ऊईईई ऊईईई धीरे धीरे आह आआऊच आह …’

ऐसी आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगीं.

जिस हिसाब से वो मुझे चोद रहे थे उससे मुझे पक्का यकीन हो गया कि ससुर सेक्स के एक माहिर खिलाड़ी हैं और इनके साथ मुझे बहुत मजा आने वाला है.

ऐसी चुदाई करने का स्टाइल न मेरे बॉयफ्रेंड का था और न ही मेरे पति का … और न ही ऐसा लंड ही उन दोनों के पास था.

सुसर जी को चोदते हुए करीब 2 मिनट ही हुए थे कि उन्होंने अपना सारा माल मेरी चूत में उड़ेल दिया.

अब तक तो मैं झड़ी भी नहीं थी लेकिन मैं जानती थी कि इनका पहला बार है अभी और वो काफी उतावले होकर चोद रहे थे.

इसके बाद उनका समय और ज्यादा होने वाला है.

क्योंकि पहली बार सभी का जल्दी ही निकल जाता है.

फिर ससुर जी उठे और बगल में लेट गए.

कुछ देर बाद मैंने भी अपने पेटीकोट से अपनी चूत को पौंछा और चादर ओढ़कर लेट गई.

फुल सेक्स विद फादर इन लॉ का मजा लिया मैंने! ससुर जी का लंड बहुत बड़ा था. इतना बड़ा लंड मैंने पहले कभी नहीं लिया था. मुझे अपनी प्यास बुझाने को लंड मिल गया था.

नमस्कार दोस्तो, सेक्स कहानी के अगले भाग में आप सभी पाठकों का नैना की तरफ से स्वागत है.

फुल सेक्स विद फादर इन लॉ कहानी के दूसरे भाग

बहूरानी की चूत में लंड घुसा दिया

में आपने पढ़ा कि मेरे और ससुर जी के बीच हमारी पहली चुदाई हो गई.

हालांकि ये चुदाई केवल दो मिनट की थी लेकिन मुझे यकीन था कि ससुर जी आगे अपना जलवा जरूर दिखाएंगे.

उनके लंड को देखकर ही मुझे अंदाजा लग गया था कि वो मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर सकते हैं.

तो दोस्तो, कहानी में आगे क्या हुआ, वो जानते हैं.

मैं और ससुर जी एक बार चुदाई करने के बाद बिस्तर पर लेटे हुए थे.

मैंने तो चादर ओढ़ रखी थी लेकिन ससुर जी ऐसे ही खुले में नंगे लेटे हुए थे.

जल्द ही उनका बड़ा सा लंड सिकुड़ कर बैठ गया.

ससुर जी का बदन पसीने से भीग चुका था और वो आंख बंद किए लेटे हुए थे.

मैं भी लेटी हुई पहली चुदाई के बारे में सोच रही थी.

हम दोनों के बीच आज से एक नए रिश्ते की शुरूआत हो गई थी लेकिन इस रिश्ते को हम दोनों ही किसी के सामने नहीं ला सकते थे.

मुझे खुशी इस बात की थी कि अब मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए घर पर ही एक लंड का सहारा मिल गया था.

भले ही वो मेरे ससुर हैं और मेरे बाप की उम्र के थे लेकिन हम दोनों ही एक दूसरे की प्यास बुझाने के लिए यह सब कर रहे थे.

मुझे इस बात का बिल्कुल भी पछतावा नहीं था क्योंकि अगर मैं बाहर किसी से चुदाई करवाती तो भी बदनामी होनी ही थी. इससे अच्छा है कि घर में ही मुझे अब सब कुछ मिल जाएगा.

यही सब सोचते हुए मैं ससुर जी के लंड की तरफ देख रही थी जो कि सिकुड़ गया था और उसका सुपारा बाहर निकला हुआ मेरी तरफ ही था.

इतने बड़े सुपारे को मैं पहली बार ही देख रही थी क्योंकि इतना बड़ा लंड और सुपारा न तो मेरे बॉयफ्रेंड का था और न ही मेरे पति का.

कुछ देर बाद मेरे ससुर जी ने अपनी आंख खोली और मेरी तरफ देखा.

मैंने शर्म से अपनी आंखें बंद कर लीं.

उन्होंने मुझसे कहा- नैना, तुम चिंता न करो, ये सब बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी हम दोनों ही इस बात को गुप्त रखेंगे.

मैंने भी अपना सर हिलाकर सहमति जताई.

इसके बाद ससुर जी ने मेरे चादर को एक झटके में हटा दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया.

इसके बाद तो हम दोनों फिर से गुत्थमगुत्था होने लगे.

कभी मैं ससुर जी के ऊपर आती, कभी वो मेरे ऊपर आते.

इस तरह हम दोनों ही बिस्तर पर पलटते रहे.

कुछ देर बाद हम दोनों रुके और मैं ससुर जी के ऊपर थी. मेरे बड़े बड़े दूध उनके सीने पर दबे हुए थे.

उन्होंने मेरे सर को नीचे किया और मेरे होंठों को चूमने लगे.

मैं भी उनका साथ देने लगी.

ससुर जी अपने दोनों हाथों से मेरे उभरे हुए चूतड़ों को सहलाते हुए दबा रहे थे.

फिर मेरे चूतड़ को फैलाकर अपनी एक उंगली को गांड के छेद पर रगड़ते हुए नीचे चूत तक ले जाते और उंगली को चूत में डाल देते

उनके बार बार ऐसा करने से मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और मैं अपनी जीभ ससुर जी के मुँह के अन्दर डालने लगी, जिसे वो बड़े प्यार से चूस लेते.

मेरे पेट में उनका गर्म गर्म लंड महसूस हो रहा था जो कि अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था और उनका सुपारा मेरी नाभि में घुस रहा था.

उनके लंड से निकल रहा चिपचिपा पानी मेरी नाभि को गीला कर चुका था.

फिर कुछ देर बाद ससुर जी ने मेरे दोनों निप्पलों को अपने सीने के बगल से बाहर निकाला क्योंकि मेरे दूध उनके सीने में दबे हुए थे.

वो मेरे दोनों निप्पल को चुटकी में लेकर मसलने लगे.

ऐसा करने से मेरे बदन के अन्दर करंट सा दौड़ने लगा और मैं अपने दूध को उनके सीने पर रगड़ने लगी.

उनके सीने पर बहुत बाल थे जिसके कारण जल्द ही मेरे दूध पर कई जगह जलन होने लगी.

फिर ससुर जी ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद घुटनों पर बैठ गए. उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया.

मैंने भी अपनी दोनों टांगें फैलाईं और उनकी कमर में टांग डालकर उनके गले में अपनी बांहें डाल दीं.

ससुर जी ने नीचे से मेरे चूतड़ को एक हाथ से थामते हुए मुझे सहारा दिया और मुझे चूमने लगे.

कभी गाल पर कभी गले पर, कभी होंठ पर कभी सीने पर.

वो एक हाथ से मेरी गदराई हुई पीठ को सहलाते जा रहे थे.

मैं भी आंख बंद किये उस हसीन पल का मजा ले रही थी.

कुछ देर में ही मेरी चूत पानी से भर गई और टप टप करते हुए पानी ससुर जी के हाथ में गिरने लगा.

ससुर जी ने उस पानी को मेरी गांड पर लगाने लगे.​
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