नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अमन(बदला हुआ नाम) हैं।
मैं एक हट्टा कट्टा नौजवान हूं। मेरी उम्र 25 वर्ष है। मैं अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहता हूं, हमारे पड़ोस में एक शादीशुदा जोड़ा रहता है जिन्हें मैं भैया भाभी कहता हूं।
भैया का नाम सागर है, उनकी उम्र 30 वर्ष है और वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते है, जिस कारण उन्हें अक्सर दुसरे शहर काम के सिलसिले में जाना पड़ता है।
इसलिए वो भाभी को टाइम नहीं देते हैं।
भाभी एक गृहिणी है, उनका नाम "अनुष्का" है, और उनकी उम्र 27 वर्ष है।
हमारे घर एक ही बिल्डिंग के फ्लेट में थे। इसलिए हमारा एक दूसरे के घर आना जाना भी होता रहता है और मेरी भाभी के साथ अच्छी जमती है।
हम दोनों अक्सर मिलते और बातें करते हैं।
पर कभी भी मेरे मन में भाभी के लिए ऐसा-वेसा ख्याल नहीं आया।
लेकिन एक दिन मैं किसी काम से बाहर जा रहा था। तभी पीछे से एक आवाज आई - अमन, कहां जा रहे हों?
मैं पीछे मुड़ा तो देखा कि अनुष्का भाभी खड़ी थी, उन्होंने टाॅप और जीन्स पहन रखा था। जो कि वो अक्सर पहनती हैं।
मैंने कहा - वो भाभी, मम्मी पापा शादी में गए हैं ना तो मैं होटल में खाना खाने जा रहा था।
भाभी बोली - होटल जाने की क्या जरूरत है, मैं हूं ना। आ जाओ साथ में डिनर करते हैं।
मैंने कहा - अरे भाभी, आप फालतू की तकलीफ़ क्यों लें रहें हो, मैं होटल में खा लुंगा।
वो बोली - इसमें तकलीफ कैसी, रोज़ ही में अकेली खातीं हूं, आज तुम्हारे साथ की कम्पनी मिल जाएंगी।
मैंने कहा - क्यों भैया नहीं है क्या।
भाभी बोली - नहीं वो हमेशा की तरह दुसरे शहर में गए हैं।
यह कहकर भाभी उदास हो गई, फिर मैंने भी हां कर दी। यही सोचा कि कहीं वो और ज्यादा उदास ना हो जाए।
फिर हमने एक साथ खाना खाया। फिर भाभी ने मुझे कहा तुम रुको मैं अभी आती हूं।
यह कहकर वह रूम में चली गई।
फिर थोड़ी देर बाद रूम से आवाज़ आई - अमन इधर आना। मैं यह सोचकर अंदर जाने लगा कि शायद कहीं भाभी को कुछ काम होगा।
पर जैसे ही दरवाजा खोला तो देखा कि भाभी एक गुलाबी रंग की नाइटी में बेड पर लेटी हुई थी।
मैंने नीचे आंख करके कहा - साॅरी भाभी मुझे नहीं मालूम था कि आप ऐसे लेटी हुई है।
भाभी ने कहा कोई बात नहीं, इधर बेड पर आके बैठो मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
मैं नीचे आंख करके बेड पर बैठ गया, और बोला - जी कहिए भाभी?
वो बोली - जब से मैंने तुम्हें देखा है, मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगी हूं।
यह सुनकर मैं चौंक गया, जब तक मैं कुछ समझ पाता, भाभी ने मुझे अपनी ओर खींच कर अपने होंठ मेरे होंठो के ऊपर रख कर उन्हें चूसने लगी।
मैंने जैसे-तैसे खुद को संभाला और मैं वहां से भाग कर अपने घर में आ के बेड पर लेट गया और सोचने लगा कि भाभी ने ऐसा क्यों किया होगा।
यही सोचते सोचते मुझे कब नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला और मैं सो गया।
सुबह डॉरबेल की वजह से मेरी आंख खुली, मैंने सोचा कि इस समय कौन आया होगा।
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। क्योंकि सामने अनुष्का भाभी खड़ी थी और उन्होंने नीली रंग की पारदर्शी नाईटी पहन रखी थी जिसमें से उनकी ब्रा और पैंटी साफ़ नज़र आ रही थी।
भाभी बोली - अब देखना बंद कर और मुझे अंदर आने दें।
यह कहकर वो अंदर आ गई।
मैंने कहा - भाभी आप इन कपड़ों में यहाॅं।
नंगी तो नहीं हूं ना! भाभी ने मेरी बात काटते हुए कहा।
यह सुनकर मैं चौंक गया ।
मैंने कहा - नहीं मेरा मतलब कि आप इतनी सुबह-सुबह यहां, कोई प्रोब्लम तो नहीं है ना।
वो बोली - अच्छा हां, वो मैं कल रात वाली बात से शर्मींदा हूं, पर मैं सचमुच में तुमसे प्यार करती हूं।
मैंने कहा - लेकिन आप तो भैया को प्यार करते हो ना, मुझे कैसे।
वो बोली - अरे नहीं करती तेरे भैया से प्यार, उनके पास मेरे लिए टाइम ही नहीं है। देख न हमारी शादी को 1 साल हो गए, लेकिन कभी भी वो मुझे टाइम नहीं देते।
मैं तो तुम से प्यार करती हूं, वो भी बहुत ज्यादा।
यह कहते हुए उन्होंने एक बार फिर मेरे होंठों पर अपने गुलाबी मुलायम होंठ रख कर चूसने लगी और इस बार उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया था, कहीं में फिर से भाग न जाऊं।
मैं भी उनका साथ देने लगा क्योंकि भाभी के बदन की खुशबू ने मेरा दिमाग बंद कर दिया।
करीब 10-15 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे।
फिर मैंने भाभी को अलग किया और कहा भाभी यह सब ग़लत है, आप शादीशुदा हो और आप पे सिर्फ़ सागर भैया का ही हक है, मेरा नहीं।
भाभी ने कहा - पर वो अपनी बीवी का ख्याल ही तो नहीं रखते, देखो ना हमें सेक्स करे कितने महीने हो गए। जब भी हम सेक्स करने जाते हैं, उनका फोन आ जाता है और वो ऑफिस चले जाते हैं।
फिर मैं भाभी को सांत्वना देने लगा और फिर भाभी मेरी छाती पर सिर रखकर रोने लगी और मैं उनको चुप कराने लगा - भाभी रो ओ मत , मुझसे आपके आंसू नहीं देखें जाते, प्लीज़ शांत हो जाओ। आप जो बोलोगी वो मैं करूंगा।
भाभी बोली- जो बोलूंगी वो करोगे। मैंने कहा - जी भाभी आप जो बोलोगी। फिर वो बोली - तुम मेरी प्यास बुझा दो।
मैंने कहा - लेकिन भाभी!
लेकिन-वेकिन कुछ नहीं कहते हुए, भाभी ने मेरा लोअर उतार दिया और नीचे बैठकर मेरी चड्डी के ऊपर से ही मेरे लौड़े को मसलने और चाटने लगी।
फिर उन्होंने एक झटके से मेरी चड्डी उतार दी और मेरा तना हुआ 7 इंच का लंड सीधा उनके मुंह पर जा लगा।
और भाभी बोली- ओह! इतना बड़ा लंड मैंने कभी नहीं देखा।
मैंने कहा - क्यों भैया का नहीं देखा है क्या?
वो बोली - उनका तो बहुत छोटा है, अब तू चुप हो जा, मुझे इस लंड के मज़े लेने दे।
मैंने कहा - जरूर मेरी अनु रानी, ये अब तेरा ही है।
फिर वो मेरे लौड़े के सुपाड़े को चाटना शुरू किया और थोड़ी देर बाद उन्होंने लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। पर वो पूरा लंड नहीं ले रही थी।
फिर मैंने उनका सिर पकड़ कर पूरा लंड मुंह में डाल दिया। जिस वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और फिर मैंने लंड बाहर निकाला और भाभी खांसने लगी और भाभी बोली- अरे मुझे..........
उनके बोलने से पहले ही मैंने दुबारा लंड उनके मुंह में डाल दिया।
देसी डीप थ्रोट मुखमैथुन ऐसे ही कुछ देर चलता रहा।
फिर हम दोनों अलग हुए और मैंने कहा - अब हमें भी तो अपना पूरा बदन दिखाओ। भाभी बोली- तो देख लो ना, रोका किसने है, कहते हुए भाभी भागकर रूम में चली गई।
मानों कि वो मुझे चिढ़ा रही हों।
मैंने भी अपनी टी-शर्ट उतारी और भाग कर रूम में गया और भाभी को पकड़ कर बोला अब कहां जाओगी।
फिर मैंने भाभी को बेड पर धक्का दे दिया।
कसम से उस वक्त वे लेटी हुई कहर ढा रही थी। वैसे तो मैंने बहुत चुदाई करी है, पर मेरे घर में मेरे ही बेड पर यह पहली बार था।
भाभी बोली - अब निहारते ही रहोगे कि कुछ करोगे भी।
मैंने कहा - आप हो ही हुस्न-परी, कहते हुए मैं भाभी को चूमने लगा फिर धीरे-धीरे गर्दन को चूमने लगा। अब भाभी की मादक सिसकारियां निकलने लगी।
फिर मैंने उनका रोब(नाईटी) हटा दिया, और अब भाभी के गोरे बदन पर नीली ब्रा और पैंटी एकदम मस्त लग रही थी।
भाभी एकदम क़यामत लग रही थी, और उनके दो गोल-गोल 36 के स्तन, ब्रा से झांक रहे थे, मानो कह रहे हो कि आओ और हमें चूस-चूस कर इनमें से पूरा दूध निकाल दो।
मैंने भी बिना देर किए उनकी ब्रा को नीचे सरका कर, उनके स्तनों को चूसने मसलने लगा और जब तक चूसता रहा जब तक कि स्तन लाल ना हो गए थे।
फिर मैं नीचे पेट पर अपनी जीभ फिराने लगा और कभी कभी नाभि भी चाटने चूमने लगा। अब भाभी तेज़-तेज़ आहें भरने लगी - आआह … आआह..............
अब भाभी बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी। फिर मैंने उनको पलट दिया, अब मैं उनकी 28 की कमर को चूमने लगा।
फिर मैं उन्हें चूमते हुए नीचे की ओर आया और भाभी की पैंटी की मादक खुशबू लीं और पैंटी को उतार दिया। अब भाभी मेरे सामने पूरी नंगी लेटी हुई थी।
हाय हाय! क्या मस्त माल लग रही थी उस वक्त भाभी।
फिर मैंने भी देर न करते हुए उनकी भूरी चूत को चाटने लगा और कभी कभी क्लिट(चूत दाना) को काट देता जिससे भाभी उछल पड़ती। फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए और करीब 15 मिनट बाद हम दोनों एक दूसरे के मुंह में ही झड़ गए।
फिर हम दोनों अलग हुए और भाभी मेरी बाहों में सिर रखकर लेट गई।
हम दोनों नंगें ही लेट कर बातें करने लगे।
फिर कुछ देर बाद, भाभी खड़ी हुई और मेरे लौड़े को अपने हाथों से हिलाने लगी। फिर एक झटके से अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी और अब मेरा लंड वापस खड़ा होने लगा।
अब भाभी तेज़-तेज़ लंड चूसने लगी और वो लंड को गले तक उतारने लगी। फिर भाभी मेरी छाती को चूमते हुए ऊपर आ गई और मेरे होंठों को चूमने लगी। हम दोनों फ्रेंच किस करने लगे, थोड़ी देर बाद मैं भाभी के ऊपर आ गया और भाभी को चूमने लगा।
भाभी फिर से पूरी तरह से गरम हो गई थी और उनकी सांसें तेज हो गई थी और फिर भाभी बोली - अब लंड मेरी चुत में डाल भी दो, मुझे और मत तड़पाओ.
मैंने कहा - तड़पाने का मज़ा ही अलग होता है, मेरी जान।
फिर मैं भाभी के स्तनों को दबाते हुए अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा और मैं लंड से चुत पर वार कर रहा था।
भाभी सिस्कारने लगी- आआह … ईईईई … आआह … अब बस भी करो अमन! अब मुझसे रहा नहीं जा रहा और जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड डाल कर इसकी प्यास बुझाओ।
अब मैंने अपना लंड उनकी चुत पर सेट करके एक ही झटके में पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया। भाभी चिल्ला दी- हाय! मैं मर गई! तूने तो फाड़ दी मेरी चूत! हाय आआह … आआह … उफ़्फ़ … हाय!
मैं कुछ देर रूका रहा और उनके स्तन दबाने लगा, जब वो थोड़ी सी शांत हुई तो मैंने भी अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा। थोड़ी देर बाद भाभी का दर्द भी कम हो गया था और वो भी मेरा साथ देने लगी थी।
वो कहने लगी - आआह … आआ आह … ईईईई … चोदो मुझे! मैं तुम्हारी हूं। आआह … आआ आह चोदो मुझे और ज़ोर से चोदो। दम नहीं है क्या ज़ोर से चोदो।
यह सुनकर मुझे कुछ ज्यादा ही जोश आ गया और मैं भाभी को जोर जोर से चोदने लगा। अब भाभी की मादक आवाज़ों से पूरा घर गूंजने लगा - आआह … आआ आह … ईईईई … चोदो चोदो मुझे!
कुछ देर बाद हम मिशनरी पोजीशन में आ गए, और उन्होंने अपने पैरों को मेरे कमर पर फोल्ड(बाॅंध) कर लिए और अब हम दोनों "लेग-लोक" पोजीशन में सेक्स करने लगे।
अब तक भाभी दो बार झड़ चुकी थी, पर मैं लगा हुआ था धक्के मारने। करीब 15 मिनट तक हम सेक्स करते रहे, फिर मैं झड़ने वाला था और मैंने भाभी से पूछा कहां निकालूं मेरी रानी?
भाभी बोली- अंदर ही निकाल दो, में तुम्हारे वीर्य को अंदर तक महसूस करना चाहती हूं।
फिर मैंने 15-20 झटकों के बाद, मैं भाभी के अंदर ही झड़ गया और फिर उन्हीं पर लेट कर उन्हें चूमने लगा।
फिर हम अलग हुए और भाभी बोली- आज मुझे बहुत मज़ा आया तुम्हारे साथ, उन्होंने मुझे से पूछा तुम्हें आया क्या?
मैंने कहा - मुझे भी बहुत मज़ा आया।
भाभी बोली- मैं पहली बार इतनी बार झड़ी हूं। कहते हुए भाभी और मैं एक दूसरे से चिपक कर सो गए।
फिर करीब 1 घंटे बाद मैं उठा और देखा भाभी रोब पहन कर किचन में कुछ बना रही थी, उनका आगे से पूरा बदन खुला था। फिर मैं उनके पीछे से गले लगा और मेरे नंगें होने कि वजह से मेरा लंड उनकी गांड़ की दरार में घुस ने की कोशिश कर रहा था।
भाभी बोली- उठ गए आप?
ज़ी भाभी। मैंने कहा,
भाभी बोली- आप मुझे अकेले में भाभी मत बोला करो, मैं अकेले में आपकी बीवी हूं।
मैंने कहा - अच्छा ओके, तो अच्छी बीवी अपने पति को क्या देती हैं?
फिर भाभी ने मुझे फ्रेंच किस दी।
शाबाश अब अच्छी बीवी को ईनाम मिलेगा कहते हुए मैंने अनुष्का को गोद में उठा कर कमरे में ले गया और फिर हमने दुबारा से एक राउंड चुदाई फिर की।
और ऐसे ही मैं और भाभी मेरे घर पर रहने लगे, और ऐसे ही हम पति-पत्नी बनकर सेक्स करते रहे कई दिनों तक, फिर बाद में भैया कुछ दिनों के लिए आए हुए थे। तो भाभी अपने घर चली गई थी पर जब भी हमें टाइम मिलता हम सेक्स कर लेते थे।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी अनसैटिस्फाईड हॉट पुसी फक स्टोरी?
अब मैं आप लोगों से लेता हूं विदा।
धन्यवाद, आपका अपना Anshul
मैं एक हट्टा कट्टा नौजवान हूं। मेरी उम्र 25 वर्ष है। मैं अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहता हूं, हमारे पड़ोस में एक शादीशुदा जोड़ा रहता है जिन्हें मैं भैया भाभी कहता हूं।
भैया का नाम सागर है, उनकी उम्र 30 वर्ष है और वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते है, जिस कारण उन्हें अक्सर दुसरे शहर काम के सिलसिले में जाना पड़ता है।
इसलिए वो भाभी को टाइम नहीं देते हैं।
भाभी एक गृहिणी है, उनका नाम "अनुष्का" है, और उनकी उम्र 27 वर्ष है।
हमारे घर एक ही बिल्डिंग के फ्लेट में थे। इसलिए हमारा एक दूसरे के घर आना जाना भी होता रहता है और मेरी भाभी के साथ अच्छी जमती है।
हम दोनों अक्सर मिलते और बातें करते हैं।
पर कभी भी मेरे मन में भाभी के लिए ऐसा-वेसा ख्याल नहीं आया।
लेकिन एक दिन मैं किसी काम से बाहर जा रहा था। तभी पीछे से एक आवाज आई - अमन, कहां जा रहे हों?
मैं पीछे मुड़ा तो देखा कि अनुष्का भाभी खड़ी थी, उन्होंने टाॅप और जीन्स पहन रखा था। जो कि वो अक्सर पहनती हैं।
मैंने कहा - वो भाभी, मम्मी पापा शादी में गए हैं ना तो मैं होटल में खाना खाने जा रहा था।
भाभी बोली - होटल जाने की क्या जरूरत है, मैं हूं ना। आ जाओ साथ में डिनर करते हैं।
मैंने कहा - अरे भाभी, आप फालतू की तकलीफ़ क्यों लें रहें हो, मैं होटल में खा लुंगा।
वो बोली - इसमें तकलीफ कैसी, रोज़ ही में अकेली खातीं हूं, आज तुम्हारे साथ की कम्पनी मिल जाएंगी।
मैंने कहा - क्यों भैया नहीं है क्या।
भाभी बोली - नहीं वो हमेशा की तरह दुसरे शहर में गए हैं।
यह कहकर भाभी उदास हो गई, फिर मैंने भी हां कर दी। यही सोचा कि कहीं वो और ज्यादा उदास ना हो जाए।
फिर हमने एक साथ खाना खाया। फिर भाभी ने मुझे कहा तुम रुको मैं अभी आती हूं।
यह कहकर वह रूम में चली गई।
फिर थोड़ी देर बाद रूम से आवाज़ आई - अमन इधर आना। मैं यह सोचकर अंदर जाने लगा कि शायद कहीं भाभी को कुछ काम होगा।
पर जैसे ही दरवाजा खोला तो देखा कि भाभी एक गुलाबी रंग की नाइटी में बेड पर लेटी हुई थी।
मैंने नीचे आंख करके कहा - साॅरी भाभी मुझे नहीं मालूम था कि आप ऐसे लेटी हुई है।
भाभी ने कहा कोई बात नहीं, इधर बेड पर आके बैठो मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
मैं नीचे आंख करके बेड पर बैठ गया, और बोला - जी कहिए भाभी?
वो बोली - जब से मैंने तुम्हें देखा है, मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगी हूं।
यह सुनकर मैं चौंक गया, जब तक मैं कुछ समझ पाता, भाभी ने मुझे अपनी ओर खींच कर अपने होंठ मेरे होंठो के ऊपर रख कर उन्हें चूसने लगी।
मैंने जैसे-तैसे खुद को संभाला और मैं वहां से भाग कर अपने घर में आ के बेड पर लेट गया और सोचने लगा कि भाभी ने ऐसा क्यों किया होगा।
यही सोचते सोचते मुझे कब नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला और मैं सो गया।
सुबह डॉरबेल की वजह से मेरी आंख खुली, मैंने सोचा कि इस समय कौन आया होगा।
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला मेरी आंखें फटी की फटी रह गई। क्योंकि सामने अनुष्का भाभी खड़ी थी और उन्होंने नीली रंग की पारदर्शी नाईटी पहन रखी थी जिसमें से उनकी ब्रा और पैंटी साफ़ नज़र आ रही थी।
भाभी बोली - अब देखना बंद कर और मुझे अंदर आने दें।
यह कहकर वो अंदर आ गई।
मैंने कहा - भाभी आप इन कपड़ों में यहाॅं।
नंगी तो नहीं हूं ना! भाभी ने मेरी बात काटते हुए कहा।
यह सुनकर मैं चौंक गया ।
मैंने कहा - नहीं मेरा मतलब कि आप इतनी सुबह-सुबह यहां, कोई प्रोब्लम तो नहीं है ना।
वो बोली - अच्छा हां, वो मैं कल रात वाली बात से शर्मींदा हूं, पर मैं सचमुच में तुमसे प्यार करती हूं।
मैंने कहा - लेकिन आप तो भैया को प्यार करते हो ना, मुझे कैसे।
वो बोली - अरे नहीं करती तेरे भैया से प्यार, उनके पास मेरे लिए टाइम ही नहीं है। देख न हमारी शादी को 1 साल हो गए, लेकिन कभी भी वो मुझे टाइम नहीं देते।
मैं तो तुम से प्यार करती हूं, वो भी बहुत ज्यादा।
यह कहते हुए उन्होंने एक बार फिर मेरे होंठों पर अपने गुलाबी मुलायम होंठ रख कर चूसने लगी और इस बार उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया था, कहीं में फिर से भाग न जाऊं।
मैं भी उनका साथ देने लगा क्योंकि भाभी के बदन की खुशबू ने मेरा दिमाग बंद कर दिया।
करीब 10-15 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे।
फिर मैंने भाभी को अलग किया और कहा भाभी यह सब ग़लत है, आप शादीशुदा हो और आप पे सिर्फ़ सागर भैया का ही हक है, मेरा नहीं।
भाभी ने कहा - पर वो अपनी बीवी का ख्याल ही तो नहीं रखते, देखो ना हमें सेक्स करे कितने महीने हो गए। जब भी हम सेक्स करने जाते हैं, उनका फोन आ जाता है और वो ऑफिस चले जाते हैं।
फिर मैं भाभी को सांत्वना देने लगा और फिर भाभी मेरी छाती पर सिर रखकर रोने लगी और मैं उनको चुप कराने लगा - भाभी रो ओ मत , मुझसे आपके आंसू नहीं देखें जाते, प्लीज़ शांत हो जाओ। आप जो बोलोगी वो मैं करूंगा।
भाभी बोली- जो बोलूंगी वो करोगे। मैंने कहा - जी भाभी आप जो बोलोगी। फिर वो बोली - तुम मेरी प्यास बुझा दो।
मैंने कहा - लेकिन भाभी!
लेकिन-वेकिन कुछ नहीं कहते हुए, भाभी ने मेरा लोअर उतार दिया और नीचे बैठकर मेरी चड्डी के ऊपर से ही मेरे लौड़े को मसलने और चाटने लगी।
फिर उन्होंने एक झटके से मेरी चड्डी उतार दी और मेरा तना हुआ 7 इंच का लंड सीधा उनके मुंह पर जा लगा।
और भाभी बोली- ओह! इतना बड़ा लंड मैंने कभी नहीं देखा।
मैंने कहा - क्यों भैया का नहीं देखा है क्या?
वो बोली - उनका तो बहुत छोटा है, अब तू चुप हो जा, मुझे इस लंड के मज़े लेने दे।
मैंने कहा - जरूर मेरी अनु रानी, ये अब तेरा ही है।
फिर वो मेरे लौड़े के सुपाड़े को चाटना शुरू किया और थोड़ी देर बाद उन्होंने लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। पर वो पूरा लंड नहीं ले रही थी।
फिर मैंने उनका सिर पकड़ कर पूरा लंड मुंह में डाल दिया। जिस वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और फिर मैंने लंड बाहर निकाला और भाभी खांसने लगी और भाभी बोली- अरे मुझे..........
उनके बोलने से पहले ही मैंने दुबारा लंड उनके मुंह में डाल दिया।
देसी डीप थ्रोट मुखमैथुन ऐसे ही कुछ देर चलता रहा।
फिर हम दोनों अलग हुए और मैंने कहा - अब हमें भी तो अपना पूरा बदन दिखाओ। भाभी बोली- तो देख लो ना, रोका किसने है, कहते हुए भाभी भागकर रूम में चली गई।
मानों कि वो मुझे चिढ़ा रही हों।
मैंने भी अपनी टी-शर्ट उतारी और भाग कर रूम में गया और भाभी को पकड़ कर बोला अब कहां जाओगी।
फिर मैंने भाभी को बेड पर धक्का दे दिया।
कसम से उस वक्त वे लेटी हुई कहर ढा रही थी। वैसे तो मैंने बहुत चुदाई करी है, पर मेरे घर में मेरे ही बेड पर यह पहली बार था।
भाभी बोली - अब निहारते ही रहोगे कि कुछ करोगे भी।
मैंने कहा - आप हो ही हुस्न-परी, कहते हुए मैं भाभी को चूमने लगा फिर धीरे-धीरे गर्दन को चूमने लगा। अब भाभी की मादक सिसकारियां निकलने लगी।
फिर मैंने उनका रोब(नाईटी) हटा दिया, और अब भाभी के गोरे बदन पर नीली ब्रा और पैंटी एकदम मस्त लग रही थी।
भाभी एकदम क़यामत लग रही थी, और उनके दो गोल-गोल 36 के स्तन, ब्रा से झांक रहे थे, मानो कह रहे हो कि आओ और हमें चूस-चूस कर इनमें से पूरा दूध निकाल दो।
मैंने भी बिना देर किए उनकी ब्रा को नीचे सरका कर, उनके स्तनों को चूसने मसलने लगा और जब तक चूसता रहा जब तक कि स्तन लाल ना हो गए थे।
फिर मैं नीचे पेट पर अपनी जीभ फिराने लगा और कभी कभी नाभि भी चाटने चूमने लगा। अब भाभी तेज़-तेज़ आहें भरने लगी - आआह … आआह..............
अब भाभी बिन पानी मछली की तरह तड़पने लगी। फिर मैंने उनको पलट दिया, अब मैं उनकी 28 की कमर को चूमने लगा।
फिर मैं उन्हें चूमते हुए नीचे की ओर आया और भाभी की पैंटी की मादक खुशबू लीं और पैंटी को उतार दिया। अब भाभी मेरे सामने पूरी नंगी लेटी हुई थी।
हाय हाय! क्या मस्त माल लग रही थी उस वक्त भाभी।
फिर मैंने भी देर न करते हुए उनकी भूरी चूत को चाटने लगा और कभी कभी क्लिट(चूत दाना) को काट देता जिससे भाभी उछल पड़ती। फिर हम 69 की पोजीशन में आ गए और करीब 15 मिनट बाद हम दोनों एक दूसरे के मुंह में ही झड़ गए।
फिर हम दोनों अलग हुए और भाभी मेरी बाहों में सिर रखकर लेट गई।
हम दोनों नंगें ही लेट कर बातें करने लगे।
फिर कुछ देर बाद, भाभी खड़ी हुई और मेरे लौड़े को अपने हाथों से हिलाने लगी। फिर एक झटके से अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी और अब मेरा लंड वापस खड़ा होने लगा।
अब भाभी तेज़-तेज़ लंड चूसने लगी और वो लंड को गले तक उतारने लगी। फिर भाभी मेरी छाती को चूमते हुए ऊपर आ गई और मेरे होंठों को चूमने लगी। हम दोनों फ्रेंच किस करने लगे, थोड़ी देर बाद मैं भाभी के ऊपर आ गया और भाभी को चूमने लगा।
भाभी फिर से पूरी तरह से गरम हो गई थी और उनकी सांसें तेज हो गई थी और फिर भाभी बोली - अब लंड मेरी चुत में डाल भी दो, मुझे और मत तड़पाओ.
मैंने कहा - तड़पाने का मज़ा ही अलग होता है, मेरी जान।
फिर मैं भाभी के स्तनों को दबाते हुए अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा और मैं लंड से चुत पर वार कर रहा था।
भाभी सिस्कारने लगी- आआह … ईईईई … आआह … अब बस भी करो अमन! अब मुझसे रहा नहीं जा रहा और जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड डाल कर इसकी प्यास बुझाओ।
अब मैंने अपना लंड उनकी चुत पर सेट करके एक ही झटके में पूरा लंड उनकी चूत में डाल दिया। भाभी चिल्ला दी- हाय! मैं मर गई! तूने तो फाड़ दी मेरी चूत! हाय आआह … आआह … उफ़्फ़ … हाय!
मैं कुछ देर रूका रहा और उनके स्तन दबाने लगा, जब वो थोड़ी सी शांत हुई तो मैंने भी अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा। थोड़ी देर बाद भाभी का दर्द भी कम हो गया था और वो भी मेरा साथ देने लगी थी।
वो कहने लगी - आआह … आआ आह … ईईईई … चोदो मुझे! मैं तुम्हारी हूं। आआह … आआ आह चोदो मुझे और ज़ोर से चोदो। दम नहीं है क्या ज़ोर से चोदो।
यह सुनकर मुझे कुछ ज्यादा ही जोश आ गया और मैं भाभी को जोर जोर से चोदने लगा। अब भाभी की मादक आवाज़ों से पूरा घर गूंजने लगा - आआह … आआ आह … ईईईई … चोदो चोदो मुझे!
कुछ देर बाद हम मिशनरी पोजीशन में आ गए, और उन्होंने अपने पैरों को मेरे कमर पर फोल्ड(बाॅंध) कर लिए और अब हम दोनों "लेग-लोक" पोजीशन में सेक्स करने लगे।
अब तक भाभी दो बार झड़ चुकी थी, पर मैं लगा हुआ था धक्के मारने। करीब 15 मिनट तक हम सेक्स करते रहे, फिर मैं झड़ने वाला था और मैंने भाभी से पूछा कहां निकालूं मेरी रानी?
भाभी बोली- अंदर ही निकाल दो, में तुम्हारे वीर्य को अंदर तक महसूस करना चाहती हूं।
फिर मैंने 15-20 झटकों के बाद, मैं भाभी के अंदर ही झड़ गया और फिर उन्हीं पर लेट कर उन्हें चूमने लगा।
फिर हम अलग हुए और भाभी बोली- आज मुझे बहुत मज़ा आया तुम्हारे साथ, उन्होंने मुझे से पूछा तुम्हें आया क्या?
मैंने कहा - मुझे भी बहुत मज़ा आया।
भाभी बोली- मैं पहली बार इतनी बार झड़ी हूं। कहते हुए भाभी और मैं एक दूसरे से चिपक कर सो गए।
फिर करीब 1 घंटे बाद मैं उठा और देखा भाभी रोब पहन कर किचन में कुछ बना रही थी, उनका आगे से पूरा बदन खुला था। फिर मैं उनके पीछे से गले लगा और मेरे नंगें होने कि वजह से मेरा लंड उनकी गांड़ की दरार में घुस ने की कोशिश कर रहा था।
भाभी बोली- उठ गए आप?
ज़ी भाभी। मैंने कहा,
भाभी बोली- आप मुझे अकेले में भाभी मत बोला करो, मैं अकेले में आपकी बीवी हूं।
मैंने कहा - अच्छा ओके, तो अच्छी बीवी अपने पति को क्या देती हैं?
फिर भाभी ने मुझे फ्रेंच किस दी।
शाबाश अब अच्छी बीवी को ईनाम मिलेगा कहते हुए मैंने अनुष्का को गोद में उठा कर कमरे में ले गया और फिर हमने दुबारा से एक राउंड चुदाई फिर की।
और ऐसे ही मैं और भाभी मेरे घर पर रहने लगे, और ऐसे ही हम पति-पत्नी बनकर सेक्स करते रहे कई दिनों तक, फिर बाद में भैया कुछ दिनों के लिए आए हुए थे। तो भाभी अपने घर चली गई थी पर जब भी हमें टाइम मिलता हम सेक्स कर लेते थे।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी अनसैटिस्फाईड हॉट पुसी फक स्टोरी?
अब मैं आप लोगों से लेता हूं विदा।
धन्यवाद, आपका अपना Anshul