Update 90

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 14

समस्या और समाधान

मुझे महसूस हुआ मेरा लिंग आज से पहले कभी भी इतना सख्त नहीं हुआ था और झड़ने के बाद इतनी जल्दी दुबारा पूरा खड़ा नहीं हुआ था और मेरी और सेक्स करने की इच्छा भी हो गई थी , हालांकि मैंने अभी कुछ ही देर पहले शानदार चरमोत्कर्ष का अनुभव किया था.

मैं दुबारा सेक्स के लिए बिलकुल तैयार था, तभी मेरी नज़र दरवाजे पर गयी तो वहां पर मेरी पहली प्रेमिका रोजी खड़ी हुई धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी .( रोजी के बारे में आप मेरे अंतरंग हमसफर कहानी में पढ़ सकते हैं) . मैंने उसे देखा और जब वो कुछ देर वैसे ही खड़ी रहे तो मैं समझ गया वो मुझसे कुछ बात करना चाहती है .. रोजी और मेरा मानसिक जुड़ाव काफी गहरा है .. और हम अक्सर एक दुसरे को देख कर अंदाजा लगा लेते थे की दुसरे के मन में क्या है ? और फिर मेरे पास अब तो अंगूठी भी है जिससे मैं दूसरो को प्रभवित भी कर सकता हूँ तो मैंने अंगूठी के प्रभाव को जांचने की सोची .

मैंने उसके मन में झाँका तो पाया:
आपकी बड़ी भाभी ( भाई महाराज की महारानी) का सन्देश ले कर उनकी सेविका आयी है .
मेरा उस समय उठने का बिलकुल मन नहीं था .. और मन था अभी कामिनी की एक बार चुदाई फिर की जाए तो मैंने उसे मन में निर्देश दिया रोजी उसे थोड़ी देर इन्तजार करने को बोलो तो रोजी कइ ने मन में जवाब दिया सेविका बोली है सन्देश बहुत महत्वपूर्ण है आपको अभी देना होगा .. तो मैंने फिर रोजी को निर्देश दिया वो सन्देश उससे ले लो और पढ़ो .. .. फिर उसके मन में झाँका तो पता चला सेविका को निर्देश है सन्देश मुझे ही देना है और अभी देना है ..

तो मैंने उसे मानसिक निर्देश दिया .. ठीक है इधर ही बुला लो .. देविका आयी मैं सन्देश लेने की लिए और थोड़ा सा हिला तो लंड बाहर आ गया .. और वो सेविका मेरा लंड देखती रह गयी .. मैंने सन्देश पढ़ा तो उसमें भाभी ने लिखा था

प्रिय कुमार

जैसा की आपको विदित है आपको गर्भादान के लिए नियुक्त किया जाना है और इसके लिए महाऋषि ने जो प्रक्रिया बताई है उसके अंतर्गत सब सबसे पहले राजा हरमोहिंदर को एक कुंवारी कन्या से विवाह करना होगा फिर उस कुंवारी कन्या के साथ कुमार आपको को सम्भोग करके गर्भदान करना होगा चुकी आप अभी अविवाहित हैं तो आपको फिर विवाह करना होगा और अपनी पत्नी के साथ सम्भोग करने के बाद ही आप महारानी के साथ सम्भोग कर गर्भदान कर सकेंगे .. .

महारानी के साथ जब महारज का विवाह हुआ था तो उसमे ये शर्त थी की महारानी पुत्र ही युवराज होगा . इस प्रक्रिया से तो महारानी का पुत्र अग्रज नहीं होगा .. और पूर्वजो द्वारा दिया गए वचन टूट जाएगा और अब महारानी की माहवारी का कल चौदवा दिन है और ये दिन गर्भदान के लिए सर्वोत्तम होता है .. आप डॉक्टर भी है ..अब इस स्तिथि में कोई उचित उपाय अब आप ही निकाल सकते हैं ..

कुमार आप इस कार्य में गोपनीयता का महत्त्व से तो परिचित ही हैं

स्नेह सहित आपके उत्तर में प्रतीक्षारत

नीचे महाराज और महारानी के हस्ताक्षर थे

मुझे यही समझ आया महारानी मुझसे जल्दी से चुदाई करवा कर माँ बन् ना चाहती है, और ये पढ़ कर मेरा लंड एकदम तन गया ,, परन्तु अब ये नियमो के अंदर कैसे हो मैं इसी संशय में था .. ..

मैंने इसके लिए रोजी को मानसिक आदेश दिया की वो इसका जबाब महारानी को तुरंत भिजवा दे की इसका उपाय हम ढूंढ कर रोजी को आपके पास भेज देते हैं ..

रोजी ने यही एक कागज़ के टुकड़े पर ये लिखकर उस सेविका को दे दिया और

उसके जाने के बाद मुझे याद आया रोजी ने आयुर्वेदिक डॉक्टर की पढाई का कोर्स पूरा कर लिया था और रूबी ने नर्सिंग का कोर्स कर लिया था और एक ट्रेनेड दाई बन गयी थी . और फिर मैंने थोड़ा जोर डाला तो याद आया गर्भदाब के लिए सम्भोग आवश्यक ही नहीं है और ये प्रक्रिया तो अब कृत्रिम गर्भाधान के द्वारा की जा सकती है ..

नर के वीर्य को एकत्रित कर मादा के जननेन्द्रियों (गर्भाशय ग्रीवा) में यन्त्र की सहायता से कृत्रिम रूप से पहुंचाना ही कृत्रिम गर्भाधान कहलाता है। इसके लिए रोजी और रूबी पूर्ण प्रशिक्षित व योग्य कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता हैं जिसको आजकल IVF. कहते हैं और डॉक्टर इसके लिए बहुत पैसे लेते हैं .. काहिर पैसो की समस्या तो नहीं थी मामला नियमो का परिवार के अंश का था ..

हमारे पास सभी साधन उपलब्ध थे , मेरा वीर्य . भाभियो का गर्भ और प्रशिक्षित कार्यकर्ता और डॉक्टर .. उपकरण तो मिल ही जाएंगे क्योंकि महल में मैं और रोजी दो डॉक्टर उपलब्ध हैं .. उपकरण जो चाहिए होंगे हस्पताल से आ जाएंगे .. इसलिए मैंने रोजी को मानसिक निर्देश दिया .. आप महारानी को कृत्रिम गर्भाधान के बारे में बाताओ और वीर्य कैसे लेना है इस पर भी उनके पास जाकर चर्चा करो ताकि ये कार्य शीघ्र ही किया जाए ..

उसके बाद मैंने कामिनी को चूमना शुरू किया और अपने लंड को उसकी योनि में फिर से डाला, मैंने एक प्रतिरोध महसूस किया क्योंकि कामिनी अभी दुबारा सम्भोग के लिए तैयार नहीं थी है। मैंने अपने विचारों को उसकी ओर धकेला और उसके यौन कामोत्तेजना को बढ़ा दिया।

जैसे ही कामिनी की कामोत्तेजना बढ़ी तत्काल उसने अपने पैरों को मेरे पीठ के चारों ओर लपेट मुझे अपने ऊपर और पैरो से मेरे कूल्हे दबा कर मेरे लंड को अपने अंदर खींच लिया, और जैसे ही मैंने एक जोर का धक्का मार कर पूरा लंड अंदर डाला उसका कराहना फिर शुरू हो गया क्योंकि मेरा लंडमुंड उसके गर्भाशय ग्रीवा से साथ जा टकराया था और मेरे लिंग का आधार उसके खड़े भगशेफ के खिलाफ रगड़ गया था, फिर मैंने धक्को की गति बढ़ा दी और और फिर ये गति बहुत ही जल्दी तेज हो गई और वह मेरी पीठ को सहला रही थी और हर बार जब मेरा आगे को लंड पूरा डालता तो वो ऊपर की ओर जोर लगाती थी तो और मुझे मेरे कूल्हों को पाने पैरो के दबा कर मुझे अपनी ओर खींचती थी। उत्तेजना और आन्नद के कारण उसका सिर एक बार एक ओर और फिर दूसरी ओर घूम रहा था और उसके नाखूनों मेरी पीठ में चुभते हुए महसूस कर था था क्योंकि उसका जोश उन्माद में बदल गया था।

हमारा ये सम्भोग पिछली बार की तुलना में अधिक समय तक चला लेकिन कामिनी का चरमोत्कर्ष आखिरकार बनना शुरू हो गया। मैं उसकी विचार तरंगेो को रिंग की शक्ति के माध्यम से यह जानता थीं कि कामिनी के आने वाले चरमोत्कर्ष को कैसे तब तक रोकना है जब तक कि मैं भी तैयार न हो जाऊं, इस बार मैं चाहता था हम दोनों साथ में चरमोत्कर्ष पर पहुँच जाए ।

मैं धक्के लगा रहा था और वो जोर से कराह रहा थी

"ओह हाँ, ओह हाँ, रुको मत। मुझे फिर से आपका वीर्य अपने अंदर महसूस करना है ," जल्द ही हम दोनों उस बिंदु पर पहुँच गए .. उसकी टाँगे काम्पने लगी और शरीर ैठने लगा , मैं ने अपने चरमोत्कर्ष को ठीक उसी समय चरम पर जाने दिया, और एक बार फिर, उसने उसके गर्भ में गहराई से एक तेज पिचकारी मार दी। मैं आया और आया, इस बार मेरा बहुत अधिक वीर्य निकला जो अंतहीन लग रहा था, अंत में में और अधिक उत्पादन नहीं कर सका और मैं उसके ऊपर गिर गया । कामिनी और मैं दोनों पसीने से लथपथ थे , उसके पसीने से उसका बदन चमक रहा था और पास्सेने की बूंदे उसके लाल, उत्तेजित, और उजागर स्तनों और उसके शरीर से नीचे छलक रही थी। पसीने की एक महीन चमक ने उसके माथे और उसके चेहरे को ढँक दिया, उसके बाल गीले थे। वह यौन रूप से संतुष्ट और पूरी तरह से थकी हुई थी।

मैंने प्यार से उसके सूजे हुए निपल्स और उसके होंठो को चूमा तो उसने भी मुझे वापिस चूमा और मुस्कुरायी । धीरे से मैंने अपने स्थिर और आधे कड़े लंड को बाहर निकाला और उसको आराम दिया और उसे उठाकर धीरे से उसे ऊपर ले गया और बिस्तर पर आराम से लेटा दिया उसके साथ लेटगया और उसे चादर में ढक दिया, और उसके कंधों पर हाथ रख दिया और वह कुछ ही मिनटों में सो गई। उसके सोने के बाद मैं बिस्तर से नीचे उतरा, और सोफे पर बैठ गया, और उसने सोचा कि पिछले कुछ घंटों में क्या कुछ नहीं हुआ था।

मैंने एक बूढ़े आदमी को बचाने की कोशिश की थी, जिसने उसे एक रहस्यमयी अंगूठी दी थी, जिसने उसे कुछ शक्तियां दी थीं; जिसकी विशालता को मैं अभी तक पूरी तरह से समझ नहीं पाया था। फिर मैं अपनी भावी पत्नी से मिला जो शायद अभी विवाह के लिए त्यार नहीं थी पर मैं अंगूठी के प्रभाव से उसकी हलकी फुलकी विरोध की भावनाओ को दबाने में सक्षम हुआ था और आखिरकार मैंने उस वृद्ध की युवा और नयी पत्नी के साथ अब तक का सबसे अच्छा सेक्स किया, एक बार नहीं बल्कि दो बार। मैं उसके अंदर चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया था। और फिर मेरी भाभी ने एक ऐसी समस्या बताई थी जिसका कोई उपाय नहीं मिला था उसे मैंने लगभग सुलझा लिया था .. तो मैंने थोड़ी शैम्पेन पी और अंगूठी को देखा तो वो पहले से कहीं ज्यादा चमकीली हो गयी थी।

मैंने अपनी उंगली से अंगूठी खींचने की कोशिश की, लेकिन यह इस तरह से फिट हो गयी थी की उसे जैसे ही मैंने उसे खींचा मुझे अपने मस्तिष्क में एक हल्का सा दर्द महसूस हुआ जो खींचे पर तीव्रता में बढ़ गया जब भी मैं अंगूठी को हटाने की कोशिश करता रहा; दर्द बढ़ने लगता और जब अंगूठी को छोड़ देता तो दर्द थम जाता . अंत में मैंने अंगूठी निकालने का विचार त्याग दिया और यह महसूस किया कि आवाज और वो दिव्य पुरुष ठीक कह रहे थी की जब तक मुझे उत्तराधिकारी नहीं मिल जाता, तब तक ये अंगूठी मुझे पहननी होगी ।

फिर बिस्तर पर जाकर गहरी और निर्बाध नींद में सो गया।

जब मैंने रोजी को महारानी के लिए कृत्रिम गर्भान का उपाय बता दिया तो वो अपनी बहन रूबी के पास गयी और पूरी बात बताई

महारानी इसके लिए तुरंत त्यार हो गयी . हॉस्पिटल से तुरंत जरूरी उपकरण मांगा लिए गए जो दो घंटो में आने वाले थे. रोजी ने महारानी की सभी रिपोर्टो की जांच की और पाया महारानी गर्भ धारण के लिए सवस्थ थी और रूबी ने जांच की और पाया महारानी अपने माहवारी चक्र के चौदवे दिन में थी और अब समस्या थी मेरा वीर्य कैसे लिया जाये .
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