Episode 04


रीमा ने अब आगे होने वाले दर्द को बर्दाश्त करने के लिए तकिये में अपना मुहँ दबा लिया, ओठ भींच लिए, मुट्ठियाँ भींच ली, और पैर के पंजो और उंगलियों को सिकोड़ कर खुद को दर्द झेलने के लिए तैयार कर लिया | रोहित ने एक लम्बा झटका लगाया

रीमा के मुहँ से घुटी घुटी चीख निकल गयी, उसके दोनों आँखों में आंसू आ गए लेकिन रोहित ने लंड पर दबाव बनाते हुए उसे रीमा की चूत में घुसेड़ना जारी रखा | रीमा कभी पैर पटकती कभी सर झटकती | लेकिन रोहित ने रीमा की चूत में लंड पेलना जारी रखा | उसने रीमा की चूत को चोदना जारी रखा |

जरा जरा सा खिसकता हुआ लंड धीरे धीरे रीमा की चूत में समां रहा था | रीमा की चूत की आपस में चिपकी दीवारे रोहित के लंड के लिए जगह बनाती जा रही थी, चूत की दीवारों की सिलवटे गायब होती जा रही थी, मक्खन जैसे नरम गुलाबी दीवारे जितना ज्यादा फ़ैल सकती थी फ़ैल जा रही थी और रोहित के मुसल जैसे लंड को कसकर जकड़ ले रही थी | रोहित रीमा को लगातार चोद रहा था अपना लंड उसकी चूत में ठेलता जा रहा था | उसने फिर से रीमा को सीधा किया और पहले की तरह चोदने लगा | रीमा की पिंडलियाँ और नितम्ब उसकी चूत में हो रहे दर्द के कारन उसकी कमर को नीचे की तरफ ठेल रहे थे लेकिन रोहित रीमा को हिलने का कोई मौका नहीं दे रहा था | रीमा रोहित के लंड की खाल की सलवटे और फूली हुए नसे अपनी चूत की दीवारों पर महसूस कर रही थी लेकिन उसका दर्द के मारे बुरा हाल था, दर्द के कारन उसकी आँखो में आंसू आंसुओं की धारा बह रही थी,फिर भी उसने रोहित को रुकने का इशारा किया नहीं किया | रोहित भी लगातार धक्के लगाकर रीमा को चोदता रहा |

रोहित समझ गया था रीमा को भीषण दर्द हो रहा होगा, आखिर उसका लंड है ही इतना मोटा तगड़ा और रीमा की चूत में सालो से कोई लंड नहीं गया था, इसलिए उसकी चूत का छेद बहुत संकरा और दीवारे कुछ ज्यादा ही सख्त हो चुकी थी | रोहित के लिए इसमें कुछ ज्यादा अलग नहीं था, उसने जीतनी भी लडकियों को चोदा था लंड चूत में डालते समय लगभग सबका ही हाल ऐसा हो जाता था | रोहित ने रीमा का चेहरा तकिये से निकाला और उसके दर्द से भरे चेहरे को एकटक देखने लगा, उसकी आँखों के किनारे से होकर कान की तरफ बहती आंसुओं की धार पोंछी और पूरे चेहरे को बेतहाशा चूमने लगा | रोहित ने रीमा के ओठो पर अपने ओठ रख दिए और जीभ उसके मुहँ में घुसेड दी और कसकर उसे चूमने लगा | रोहित ने रीमा की पोजीशन फिर बदल दी , अब वो उसे घुटनों पर ले आया | रीमा को चुदाई में दर्द हो रहा था और रीमा कई सालो बाद चुद रही थी इसलिए उसे ज्यादा देर एक पोजीशन में चोदना ठीक भी नहीं था | रोहित ने अपने खून से भरे मोटे फूले हुए लंड को उसकी चूत पर रखा और फिर से एक झटके में रीमा की गीली दर्द से बेहाल चूत पेल दिया | रीमा के मुहँ से चीख निकल गयी | रोहित पीछे से उसकी चूत में सटासट लंड पेलने लगा |

रीमा फिर से भीषण दर्द से कराह उठी उसने बिस्तर में अपना मुहँ छिपा लिया, बिस्तर की चादर को कसकर जकड लिया, इस कारन उसकी चीख उसके चेहरे और बिस्तर के बीच में ही घुटकर रह गयी | रीमा की दोनों आँखों से दर्द के कारन लगातार आंसू बह रहे थे | रीमा से दर्द बर्दास्त नहीं हो रहा था, उसने रोहित को रोक दिया और सीधी होकर पीठ के बल बिस्तर पर लेट गयी | रोहित रीमा के ऊपर आ गया, रीमा ने रोहित को अपनी बांहों में जकड लिया और उसकी कमर पर पैर जमा दिए | रीमा की गोरी गुदाज जांघे और कोमल हाथ रोहित के बलिष्ट शरीर के इर्द गिर्द लिपट गए | रोहित ने रीमा की चूत पर लंड सटाकर अन्दर की ओर पेल दिया और कमर हिलाकर धक्के लगाने लगा | रीमा से कसकर रोहित को जकड़ लिया और अपनी नाजुक संकरी चूत में उसका लंड फिर से लेने लगी | रीमा के मुहँ से अब भी दर्द भरी कराहे ही निकल रही थी |

रोहित जोर जोर से कमर हिलाकर रीमा की गुलाबी गीली चूत की दीवारों को जो उसके लंड को कसकर जकड़े थी को चीर कर, रगड़ता हुआ अपने मोटे मुसल जैसे लंड को रीमा की चूत में पेल रहा था, और हर धक्के के साथ चूत की गहराई के आखिरी छोर तक जाने का रास्ता बना रहा था |

रीमा कांपती हुए आवाज में – रोहित अब देर मत करो, दर्द होता है तो होने दो| लंड को पूरी ताकत से चूत की आखिरी गहराई तक उतार दो, पूरा का पूरा लंड चूत के अन्दर डाल दो| मुझे मेरे चूत के आखिरी कोने तक जमकर चोद डालो | मुझे तुमारा पूरा लंड चाहिए | जो होगा देखा जायेगा | ये चूत है ही इसी लायक, जब तक मोटा तगड़ा लोहे जैसा सख्त लंड इसे कुचलेगा नहीं ये ऐसे ही नखरे दिखाती रहेगी | इस पर जितनी दया दिखावोगे उतना ही ये नाटक करेगी,बिना सख्ती किये ये तुमारे लंड को अपनी गहराई में उतरने का रास्ता नहीं देने वाली | मरी चूत फटती है तो फट जाने दो |

रोहित के धक्के बदस्तूर जारी थे और रीमा की कराहे भी |

जलन के कारन रीमा की चूत की गुलाबी दीवारों से रिसने वाला पानी बंद हो गया था, जिससे उसकी चूत सूख गयी थी, इससे रोहित को लंड पेलने में ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा था और चूत की दीवारों से रगड़ भी ज्यादा हो रही थी जो असुविधा जनक था | कम से कम आरामदायक लंड पेलने के लिए वो आदर्श स्थिति नहीं थी | पहले रीमा की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी लेकिन अब उसकी दीवारे दर्द के कारन खुश्क हो गयी है | रोहित ने अपने लंड को बाहर निकाला और पास में पड़े चिकने तेल से सरोबार कर लिया | थोडा सा तेल रीमा की चूत के छेद पर उड़ेल दिया | फिर रीमा की चिकनी चूत के छेद पर रखकर ठेल दिया | रोहित का लंड रीमा की गुलाबी नरम चूत की दीवारों को चीरता हुआ अन्दर चला गया |

रोहित ने रीमा को सख्ती से जकड लिया और अपनी कमर पर पूरा जोर लगा दिया | रोहित का लंड वासना की आग में तप रही रीमा की चूत की दीवारों के प्रतिरोध को धराशाई करता हुआ, चीरता हुआ चूत की गहराईयों में जा धंसा | चूत की गुलाबी दीवारों की सलवटे गायब हो गयी, दीवारों के दोनों छोर अलग अलग हो गए और दर्द से कांपती रीमा की चूत की दीवारे फैलती चली गई और रोहित के लंड ने आखिरकार अपने जरुरत भर की जगह बना ली | इतनी भीषण रगड़ के कारन रीमा की चूत की गुलाबी मखमली दीवारे फिर से बुरी तरह जल उठी, वही भीषण दर्द फिर से लौट आया | दर्द से बेहाल रीमा की चूत की दीवारे तड़पते हुए रोहित के आग की तरह तप रहे मुसल जैसे मोटे लंड को अपनी जकड़न से बांधने की असफल कोशिश करने लगी, लेकिन अब न रोहित न ही रीमा को जलन की परवाह थी न दर्द की | रोहित ने कमर उठाई और फिर में अपना मुसल लंड रीमा की नाजुक सी चूत में पेल दिया | लंड के लिए राह बनाते हुए चूत की दीवारे फैलती चली गयी और अन्दर जाते ही रोहित के लंड को फिर से जकड लिया | रोहित अब बेदर्दी से बिना किसी दया के रीमा की चूत में लंड पेल रहा था |

इतना बड़ा लंड था कि रीमा की जांघो के बीच में बना संकरा सा चूत का छेद पूरी तरह एयरटाइट हो गया था, उसकी चूत पुरी तरह से भरी भरी महसूस हो रही थी जबकि लंड का कुछ भाग अभी भी बाहर था | रोहित तेजी से रीमा की चूत में लंड ठेल रहा था |

रोहित हर बार थोड़ी सी कमर उठाता और पूरा का पूरा लंड रीमा की चूत में ठेल देता, हर धक्के के साथ रीमा के मुहँ से एक वासना भरी मादक कराह निकलती | जब रीमा का दर्द थोडा कम हुआ तो उसने आंखे खोली, और समाने रोहित का चेहरा देखकर हल्का सा शर्मा गयी | मै अपने देवर की बांहों में, उसके समाने पूरी तरह से नंगी होकर उससे अपने बदन की आग बुझवा रही हूँ | मेरा सगा देवर मुझे चोद रहा है और मै जांघे उठा कर अपनी नाजुक सी फूल सी कोमल चूत में उसका लंड ले रही हूँ |

इतना मोटा लंड की लगता है जैसे चूत का कोना कोना लंड से भर गया हो अब कही भी १ मिमी की भी गुंजाईश नहीं है | इस तरह से कोई लंड से उसकी चूत ऊपर तक टाइट पैक हो जाएगी, उसके अन्दर की सारी जगह घेर कर उसकी चूत को चूत के मुहँ तक इस कदर कसकर भर देगा उसने कभी सोचा नहीं था | रोहित ने कमर हिलाने की स्पीड तेज कर दी, हर धक्के के साथ रोहित का मोटा लंड रीमा की चूत का हर कोना भरता हुआ उसकी अंतर की गहराई के आखिर छोर तक पहुँच जाता और फिर एक झटके में बाहर आकर फिर अन्दर चला जाता | रीमा की चूत की दीवारे फिर से चूत रस छोड़ने लगी थी | लगातार चोदते रहने से रोहित बुरी तरह हांफने लगा था | वो कुछ सुस्ताना चाहता था ताकि उसकी सांसे काबू में आ सके | उसने रीमा से दोनों हाथ अपने चुताड़ो पर रखकर उन्हें फ़ैलाने को कहा | रीमा से अपनी जांघो के सर से मिला दिया और दोनों हाथो से चुतड फैला दिए | रोहित ने धीरे से उसकी चूत में लंड घुसेडा और हलके धक्के धक्के लगाने लगा | रीमा अपनी नाजुक सी छोटी गुलाबी चूत में इतना मोटा लंड देखकर हैरान थी |रोहित ने आइस्ते आइस्ते लयबद्ध तरीके से रीमा की चूत में लंड पेलने लगा |

रीमा ने फिर से चुतड छोड़ अपनी जांघे सीधे करी और रोहित की कमर पर अपनी जांघो का घेरा बना लिया | रोहित रीमा को चूमता हु आराम से धक्के लगा रहा था | रीमा भी इस आराम से हो रही चुदाई का पूरा मजा ले रही थी |

रोहित को अब लंड को चूत में पेलने के लिए थोडा कम ताकत लगानी पड़ रही थी | रोहित ने एक करारा झटका लगाया और लंड चूत को चीरता हुआ सीधा रीमा के बच्चे दानी के मुहँ से टकराया और रोहित ने पूरा जोर लगा दिया | रोहित का मोटा लम्बा लंड पूरा का पूरा रीमा की नाजुक चूत में समा गया, रोहित को ये करने में समय कुछ ज्यादा लगा लेकिन आखिरकार उसने कर डाला |

रीमा की आंखे फ़ैल गयी, रीमा की बच्चे दानी के मुहँ पर बहुत दबाव पड़ रहा था लेकिन रोहित कुछ देर के लिए वैसे ही ठहर गया | फिर रीमा के स्तनों को जकड़कर धक्के लगाने लगा | रीमा का पूरा शरीर कांपने लगा, शायद उसे इस दर्द में भी ओर्गास्म हो गया था | कुछ देर तक वो तेज तेज कराहाती रही और उसका पूरा शरीर कांपता रहा |
रीमा के मुहँ से कामुक और दर्द भरी कराह निकलती रही-यस यस यस यस यस ओह गॉड आह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्ह स्सस्सस्स आःह्ह ओह्ह्ह्हह स्सस्सस्स ओह गॉड, ओह्ह्ह्ह गॉड यस यस यस

जब वो थोडा शांत हुई-मुझे माफ़ कर दो रोहित मेरा खुद पर काबू ही नहीं है, मै फिर से झड गयी |
रोहित उसकी बात अनसुनी करते हुए किसी और ही धुन में था,, हांफते हुए बोला - तुमने कर दिखाया |

रीमा –क्या?
रोहित उसका हाथ पकड़कर चूत के पास ले गया |

रीमा समझ गयी, उसे यकीन ही नहीं हुआ, इतना लम्बा मोटा मुसल जैसा लंड, उसकी चूत में पूरा का पूरा समां गया | रीमा रोहित के लंड को पेट के निचले हिस्से में महसूस कर रही थी | रीमा ने अपनी वासना से भरी सुर्ख आँखों से रोहित की तरफ देखा | रोहित ने सर हिलाया | रीमा अब सातवे आसमान पर थी, रोहित का लंड पूरा का पूरा उसके अन्दर था ये उसके लिए गौरव की बात थी | जैसे आदमियों के लिए लगातार बिना रुके कई चूत चोदना गौरव की बात की होती है उसी तरह से कोई भी औरत हो जब वो बड़े से बड़ा लंड अपनी चूत में पूरा का पूरा घुसेड लेती है तो उसके अन्दर का स्त्री गौरव चरम पर पंहुच जाता है | उसके अन्दर का सब डर भय मिट गया था, अब उसे किस बात की चिंता होनी थी अब तो वह खुलकर चुदेगी, हचक हचक के चुदेगी |

रीमा – अब बस जी भर के चोद लो जैसे मुझे चोदना चाहते हो |
रीमा बस अभी झड़ी थी इसलिए रोहित ने हल्के हल्के चूत में लंड पेलना जारी रखने का फैसला किया | रोहित ने फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिए | जैसे जैसे लंड चूत में अन्दर बाहर होता रीमा के मुहँ से सिकरियां निकलने लगती|

रोहित ने धीरे धीरे फिर चोदने की स्पीड बढ़ा दी और अब वो रीमा की चूत की अंतिम गहराई तक सीधे सीधे चोदने लगा, रीमा की चूत को इतने गहराई तक कभी किसी ने नहीं चोदा था, जैसे रोहित चोद रहा था | एक तो मोटा सा लंड, वो भी भी पूरी ताकत के साथ चूत की दीवारों को चीरता हुआ, आखिरी छोर पर जाकर बच्चेदानी के मुहँ से टकरा रहा था |

रोहित का लंड चूत का छेद पूरी तरह से भरते हुए चूत की दीवारों से इस कदर चिपका जाता की रीमा लंड के ऊपर की हर सिकुडन, फूली हुई नसे, यहाँ तक की उसके लंड में हो रहे खून के तेज बहाव को महसूस कर सकती थी | तभी रोहित ने लंड को थोडा और अन्दर ठेलने की कोशिश की | चूत की दीवारे अपनी अंतिम सीमा तक फ़ैल गयी | रीमा को महसूस हुआ की रोहित का लंड नाभि से बस कुछ ही नीचे गहरे से उसकी टाइट चूत में धंसा हुआ है | रोहित ने रीमा के ओठो को अपने मुहँ में ले लिया और अपनी जीभ उसके मुहँ में डाल दी और दोनों के ओठ जीभ आपस में गुथाम्गुत्था हो गए |

रोहित ने महसूस किया की अब रीमा की चूत का संकरा छेद थोडा सा खुल गया है और उसकी चूत के बीच की दीवारों की संकरी जगह फ़ैलने लगी है, अब उसके लिए लंड पेलना थोडा थोडा आसान हो गया है , रीमा की चूत की दीवारों का विरोध अब कमजोर हो गया है और उनका लंड पर कसाव भी ढीला हो चला है | रीमा को चोदना अब रोहित के लिए पहले से ज्यादा आसान है, रीमा की चूत रोहित के मोटे लम्बे लंड के मुताबिक खुद को एडजस्ट कर चुकी थी | अब रोहित चोदने की स्पीड मनमुताबिक घटा बढ़ा सकता था | ऐसा नहीं है की लंड में दर्द नहीं होता,जब चूत कसी हुई हो तो लंड को भी उसे चोदने में दिक्कत होती है | अब रोहित के लंड पर दबाव कम पड़ रहा था और वो आसानी से रीमा की चूत में अन्दर तक जा रहा था | रोहित तेजी से धक्के धक्के लगाते हुए बीच में पूरा लंड अन्दर तक पेल के कुछ देर रुक जाता |

रीमा की चूत की दीवारे अपनी अधिकतम सीमा तक फ़ैल कर रोहित के लंड को अपने आगोश में लेने की पूरी कोशिश करती | इसी के चलते बच्चे दानी भी काफी ऊपर तक उठ जाती और रीमा को नाभि के नीचे तक रोहित का लंड महसूस होता | चूत की इस गहराई तक कोई लंड जा सकता है उसने सपने में भी नहीं सोचा था | लगातार बच्चे दानी पर ठोकर लगने से उसको हलक हल्का दर्द होने लगा था लेकिन उसने रोहित को ये बात नहीं बताई | वो रीमा के इस नए दर्द से बेपरवाह मोटे मुसल जैसे लंड को रीमा की संकरी चूत में उसके आखिर छोर तक एक झटके में पेल देता | इस तरह से चोदने से रीमा एक तरफ आनंद में गोते लगाने लगाती दूसरी तरह उसे दर्द भी सहना पड़ता | लेकिन रीमा चुदाई के उत्तेजना में सब कुछ भूल जाती, चूत की दीवारों से लगातार पानी रिस रहा था और दोनों पसीने से नहाये हुए थे | रोहित को लगाने लगा की अब वो ज्यादा देर तक रीमा को चोद नहीं पायेगा | उसका चरम अब करीब था, रीमा तो दो बार पहले ही झड चुकी थी | फिर भी रोहित चाहता था कि रीमा उसके झड़ने से पहले ही झड जाये | यही सोचकर उसने धक्को की स्पीड थोड़ी कम कर दी | रीमा का वासना से तपता शरीर उसके मन के नियंत्रण से पहले ही बाहर था | उसकी गीली चूत के अन्दर मचे तूफान को शांत करने के लिए किस तरह चूत की दीवारे लंड के चारो तरफ फैलती चली जा रही थी | उसका पूरा शरीर कापने लगा था, उसके स्तन और शरीर में अकडन आ गयी थी, पूरा शरीर पसीने से नहाया हुआ था | रोहित ने रीमा की हालत का अंदाजा लगा लिया, वो भी ज्यादा देर तक नहीं रुक पायेगी | इसलिए अपना हाथ रीमा के चुतड के नीचे ले जाकर, उसके नरम ठोस गोल चुतड को अपनी हथेली में भरकर, रीमा को अपनी तरफ ऊपर की तरफ ठेलने लगा | रीमा की कमर ऊपर उठने से उसकी चूत का छेद और चौड़ा हो गया, रोहित ने तेजी से अपना मोटा मुसल जैसा लंड रीमा की चूत में पेल दिया | लंड रीमा की दीवारों को फाड़ता हुआ चूत की जड़ में जाकर बच्चे दानी के मुहँ से जोर से टकराया |

जिन चूत की दीवारों ने इतने मोटे लंड को बड़े आराम से अन्दर जाने दिया, खुद को फैलाकर फैलाकर लंड के लिए रास्ता बनाया, उसे चूत की दीवारों की कुचलने रगड़ने चीरने में बिलकुल भी दया नहीं आई | टक्कर इतनी जोर से लगी की रीमा की चीख निकल गयी | कमर ऊपर उठने पूरा लंड चूत में जाकर धंस गया और रोहित ने भी बड़ी बेरहमी से लंड को पेला था | रोहित ने फिर से उसी स्पीड से लंड निकालकर अन्दर डाल दिया | रीमा के पैर कमर पिंडलिया चूत की इस गहराई में इतनी जोरदार टक्कर के कारन कांपने लगे | दर्द और उत्तेजना के कारन रीमा की आंखे बंद थी | रोहित झटके पर झटके लगा रहा था और पूरी गहराई तक जाकर जोरदार टक्कर मार रहा था | उसे रीमा को दर्द देने में मजा आ रह था, पहली बार रीमा के दर्द भरे चेहरे को देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गयी|

एक हाथ वो रीमा के चुतड के नीचे लगाये था जबकि दूसरे हाथ से बारी बारी से रीमा के स्तनों को बुरी तरह मसला रहा था | रीमा की उत्तेजना चरम पर थी इसलिए उसे इस तरह से स्तन मसलवाने में भी आनंद महसूस हो रहा था लेकिन रोहित तो सिर्फ दर्द देने के लिए रीमा की छाती को बुरी तरह मसल रहा था | रोहित अब रीमा की चूत में इतने जोरदार झटके लगा रहा था की उसकी गोलिया रीमा के चुताड़ो और गांड से टकराने लगी थी | रीमा वासना से सरोबार हो आनंद के सागर में गोते लगा रही थी, उसे तो इस बात का अहसास ही नहीं था कि झड़ने की कगार पर पहुँच चूका रोहित अब उसे पूरी स्पीड से चोद रहा था, उसे अपनी चूत की गहराई में लंड के सुपाडे से लगने वाली जोरदार ठोकर से होने वाले दर्द का भी अहसास नहीं था, उसके कोमल से गोरे स्तनों पर नाखून गड़ाती रोहित की उंगलियो का भी होश नहीं था, रोहित की वजह से गोरे स्तन लाल हो चले थे और उन पर नाखुनो के निशान साफ़ साफ़ नजर आ रहे थे |

रीमा वासना के परमानन्द में डूबी हुई थी और बडबडा रही थी - ओह यस ओह यस, चोदो मुझे, अन्दर तक चोदो मुझे, अपने मोटे लंड से फाड़ दो मेरी चूत को, चीर के रख दी इन जालिम चूत की दीवारों को, दिन रात ये मुझे वासना की आग में जलाती रहती है, बुझा दो इनकी आग, मसल कर रख दो इन्हें, चोदो रोहित और जोर से चोदो मुझे

रीमा ने शरीर में जबदस्त अकडन आ गयी थी, उसने अपना सर तकिये में दबा लिया | उसके दिमाग में प्रियम की शक्ल कौंध गयी, कैसे वो उसका मुहँ चोद रहा था, कैसे झटका मर कर ऊसने लगभग उसका दम ही घोट दिया था | वैसे ही उसका बाप मुझे बड़ी बेदर्दी से चोद रहा है,इसने मेरी चूत को ऐसे चोदा है जैसे मुझे इससे पहले किसी ने नहीं चोदा, मेरी छोटी सी नाजुक सी चूत में अपना मोटा सा मुसल लंड डालकर उसे सुरंग बना दिया है | इतनी तेज पेलता है की मेरी जान निकल जाती है | ठोकरे मार मार कर मेरी बच्चेदानी सुजा दी होगी, इतना तो पक्का है | इतन दर्द उसे पुरे जीवन में नहीं हुआ जितना रोहित ने चुदाई में दिया है, इसी दर्द के लिए ही तो तड़प रही थी, यही तो वो चाहती थी कोई उसे मसले कुचले रगड़े पेले और जबदस्त पेले | औरत की जिंदगी यही है उसे दर्द में ही मजा आता है | तभी रोहित का एक तेज झटका और उसकी कमर और पिंडली में भीषण दर्द पैदा कर गया, रीमा- आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह ओअओअओअओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड मर गई ओह गॉड |

रोहित नहीं रुका उसने एक और करार झटका दिया और रीमा का अकड़ा हुआ शरीर कांपने लगा| उसकी कमर नितम्ब जांघे, पेट सब कुछ अपने आप हिलाने लगा, वो झड़ने लगी | पूरा शरीर कंपकपी से कापने लगा, रोहित कुछ पल के थम सा गया | रीमा के हाथ पांव सब ढीले पड़ने लगे| उसकी जांघे की पकड़ अब शिथिल हो चली | रीमा का कम्पन थमते ही रोहित ने टॉप गियर लगा दिया, जितनी तेज लंड चूत में पेल सकता था पेलने लगा| रीमा की चूत की गहराई में लग रही ठोकर से रीमा को फिर दर्द होने लगा लेकिन वो जानती थी रोहित अब बस निपटने वाला है इसलिए आंख बंद करके ओठ भींच के दर्द बर्दास्त करने लगी | रोहित जितने गहरे जितने तेज धक्के लगा सकता था लगा रहा था |

वो रीमा के अन्दर समां जाने को आतुर था | रोहित के मुहँ से भी कराहने की आवाज निकलने लगी | रीमा बेसब्री से ओठ दबाये, बच्चेदानी पर लग रहो जोरदार ठोकर से होने वाला दर्द बर्दास्त कर रही थी | वो इसी तरह से चुदने के तो ख्वाब देखती थी |आज रोहित उसका ख्वाब पूरा कर रहा था, भले ही इसमे दर्द हो लेकिन उसकी सालो की दबी कामना पूरी हो रही थी | चूत के आखिरी कोने तक हचक हचक के चुदाई, जिसमे चूत का कोई कोना बचे ना | पूरी चूत लंड से भरी हो और हवा जाने के भी जगह ना हो |

रोहित के कराहने की आवाज और तेज हो गयी | रोहित रीमा को बेतहाशा चूमने लगा, अपनी लार और जीभ दोनों उसके मुहँ में उड़ेल दी औरउसके मुहँ की लार को पीने की कोशिश करने लगा | रोहित की गोलियां फूलने लगी, उनके अन्दर भरा गरम गाढ़ा लंड रह ऊपर की तरह बह चला | तेज कराहने की आवाज के साथ अपने कुछ अंतिम धक्के अपनी पूरी ताकत से लगाने लगा | एक धक्का इतना तेज था की रीमा दर्द से बिलबिला गयी और उसकी कमर अपने आप नीचे की तरफ खिसक गयी| रोहित ने झट से चुतड के नीचे लगे हाथ से उसकी कमर को ऊपर उठाया और चूत में अन्दर तक लंड पेल दिया |
|

हर धक्के के साथ रोहित को अहसास हो रहा था की उसके अन्दर कोई ज्वालामुखी फटने वाला है और उसके गरम लावे से वो रीमा की चूत का हर कोना भर देगा | उसकी लटकती गोलियों से गरम सफ़ेद लावा ऊपर की तरफ बह निकला और अगले तेज झटके के साथ उसके अन्दर का गरम सफ़ेद गाढ़ा लावा तेज पिचकारी के साथ लंड के छेद से निकल कर रीमा की चूत में गिरने लगा |

पहला शूट सीधे रीमा की बच्चे दानी से टकराया | रोहित ने झटके लगाने नहीं रोके, लेकिन लंड को वो चूत की गहराई में ही आगे पीछे कर रहा था | एक दो तीन . . . और इसी तरह 15 छोटी पिचकारियो से उसने रीमा की चूत लबालब भर दी |

रोहित का लावे जैसा गरम लंड रह, चुदाई से आग की भट्ठी बन गयी चूत की दीवारों पर बिलकुल वैसा ही था जैसा गरम तवे पर पानी की बूंदे | रोहित के लंड रस से रीमा की चूत की दीवारे तर हो गयी | उनकी बरसो से लंड रस से तर होने की मुराद पूरी हो गयी | रोहित का गाढ़ा सफ़ेद लंड रस इतना यदा था की रीमा की चूत के दीवारे उसे रोक नहीं पाई और उनसे रिसकर वो बाहर चूत के चारो तरफ छिटकने लगा |

रोहित ने झड़ने के बाद रीमा की चूत की गहराई में हलके हलके धक्के लगाने जारी रखे, रीमा की लंड रस से भरी चूत में लम्बे गहरे धक्के लगाता रहा, जिससे उसका लंड रस रीमा की चूत रस के साथ अच्छी तरह मथ गया | रोहित न्र धीरे धीरे स्पीड कम करते हुए कुछ देर बाद धक्के लगाने बिलकुल बंद कर दिए | रीमा की लंड रस से भरी चूत से उसका लंड फिसल कर बाहर आ गया | उसका लंड रीमा की चूत रस और अपने ही सफ़ेद लंड रस से पूरी तरह सना हुआ था | जैसे ही रीमा की चूत से रोहित का लंड निकल, रीमा की चूत से लंड रस की एक धार सी बह निकली |

रीमा की चूत से निकलता रोहित के लंड से निकला सफ़ेद गाढ़ा लंड रस |

दोनों पसीने से कई बार नहा चुके थे, रोहित अपने लंड को लंड रस से सनी चूत की गहराई में ठेल कर थका हुआ हाफता हुआ रीमा के ऊपर पसर गया और रीमा के नरम होंते स्तनों पर ही सर रखकर लेट गया | रीमा ने भी रोहित को बांहों में भर लिया और उसके बाल सहलाने लगी |

रीमा और रोहित दोनों की सांसे उखड़ी हुई थी, दोनों सांसो को काबू में करने लगे | रीमा अपनी चूत में वो अभी भी हलका कम्पन महसूस कर रही थी | रोहित का लंड रीमा की चूत के अन्दर ही सिकुड़ने लगा था | रीमा का पूरा शरीर इस तकलीफ भरी जोरदार चुदाई से थक के चूर हो चूका था, उसकी कमर में हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था | रीमा संतुष्ट थी तृप्त थी लेकिन उसे अजीब सा लग रह था, उसका देवर उसकी बांहों में पड़ा अपनी सांसे काबू में कर रहा था | उसने कभी सपने में भी सोचा नहीं था की वो अपने देवर से ही चुदेगी, उसकी वासना और हवस की पूर्ति उसका देवर करेगा | लेकिन अब उसकी हवस का पिटारा खुल चूका था, अब पीछे जाने का कोई मतलब नहीं रहा गया था | उसके देवर का मोटा लंड उसकी गीली चूत के अन्दर पड़ा हुआ, उसे लंड ही तो चाहिये था, चाहे आदमी का हो या बच्चे का, उसे खड़ा लंड चाहिए था जो उसको चोद सके, जो उसकी चूत की गहराई तक जाकर उसकी चूत की दीवारों की मालिश कर सके, उसके औरतपन को लूट ले , उसके जिस्म को जीभर के भोगे सके, उसके स्तनों को जमकर निचोड़ सके, उसे उसके औरत का अहसास कराये, एक समपूर्ण औरत | उसके जिस्म की वासना को तृप्त करे, उसे एक तृप्त औरत का अहसास कराये | अब वो इस बात से इंकार नहीं कर सकती थी की वो एक औरत है और उसे अपनी वासना पूर्ति के लिए एक आदमी (लंड) की जरुरत है जो उसे चोद सके, उसे तृप्त कर सके, उसके जिस्म की भूख मिटा सके |

क्या वो जिंदगी के ऐसे दौर में पंहुच गयी जहाँ उसका अपनी कामनाओं, वासनाओं पर काबू नहीं रहा, क्या उसका शरीर उसके नियंत्रण से बाहर जा रहा है | क्या वो अपनी वासना और हवस की इस कदर गुलाम बन चुकी है की उसे न देवर के रिश्ते का कोई लिहाज रहा न उसके बेटे से | क्या उसके जीवन में नैतिकता के लिए अब कोई जगह नहीं बची है | क्या शरीर की हवस उसे तृप्त करना अब उसके जीवन लक्ष्य है, क्या वासना की आग मे तड़पते अपने बदन की आग बुझाना ही सबसे जरुरी है | क्या आने वाले दिनों में मै बिना लंड के रह पाउंगी | कही चुदाई मेरे जिस्म की ऐसी जरुरत तो नहीं बन जाएगी कि उसके लिए मै कोई भी हद पार कर जाऊ | क्या आने वाले दिनों में रोहित और प्रियम के लंड मेरे जिस्म की जरुरत बन जायेगें, क्या मै उनके लंड की दासी बन जाउंगी | इतने सालो तक चुदाई के लिए तड़पी हूँ लेकिन क्या ये चुदाई अब मुझे अपना गुलाम तो नहीं बना लेगी | मन में ऐसे न जाने कितने विचार आ जा रहे थे | तभी उसने रोहित को अपना नरम हो चूका स्तन सहलाते चूसते देखा| उसकी तरफ देख कर हल्की स्माइल करी | रोहित स्तन के अलावा उसके बाकि शरीर पर भी हाथ फिरने लगा, उसका लम्बा मोटा लंड अब सिकुड़ कर धीरे धीरे चूत से खिसककर बाहर निकलने लगा था | रीमा तो चाहती थी की रोहित का लंड इसी तरह उसकी चूत की गहराई में घुसकर आराम फरमाता रहे, लेकिन ये संभव कहाँ था | रोहित के लंडरस और चूतरस से सने सिकुड़े लंड के निकलते ही रीमा की चिकनी सफाचट चूत से लंडरस और चूत रस का मिश्रण निकल कर बहने लगा |

रीमा रोहित के लंड रस को बेकार नहीं जाने देना चाहती थी, इसलिए उसने झट से उठकर उसका सारा लंड रस चूत के अन्दर से निचोड़ हथेली पर रख लिए, और पी गयी | जब वो खडी होने के लिए उठी तो उसके पांवों में लड्खाहट थी और उसकी नाभि के नीचे हो रहे दर्द का उसको अहसाह हुआ | इसलिए फिर से बेड पर पसर गयी और रोहित से लिपट लेट गयी | दोनों एक दूसरे को सहलाने लगे |

रोहित के लिए रीमा को चोदना किसी स्वर्ग की सैर से कम नहीं था | रोहित रीमा की नाभि में उंगली घुमाते हुए – मजा आया रीमा|
रीमा - हूँ |
रोहित - क्या हूँ?
रीमा खामोश रही, उसे नहीं समझ आ रहा था क्या बोले, उसे हल्की हल्की शर्म भी लग रही थी | वो वहां से उठकर जाना चाहती थी लेकिन रोहित की गिरफ्त से निकलने का बहाना नहीं मिल रहा था |

रोहित - रीमा कुछ बोलो न, मजा आया न, दम निकल गया मेरा, कुछ तो बोलो | रोहित ने एक चिकोटी काट ली |
रीमा - आऔऊऊऊऊउच, क्या कर रहे हो |
रोहित - जो पूछ रहा हूँ उसका जवाब दो न |
रीमा - ऊऊफ़ बाबा क्या बोलू मै |
रोहित - कुछ भी जो तुमारा मन करे, कुछ सेक्सी सा, कुछ गन्दा सा, बतावो न इतने सालो बाद चुदकर मजा आया कि नहीं |
रीमा शिकायत करते हुए- छी छी. . . . तुम्हे अभी भी उसी की पड़ी है, तुम मर्दों को औरतो के मुहँ से ये सब सुनने में बड़ा मजा आता है | . . . . . . . . .
थोड़ा रूककर बताने लगी - मुझे क्या खाक मजा आया, जान निकाल दी अपने मुसल लंड से बच्चेदानी पर ठोकर मार मार कर, अभी भी दर्द हो रहा है | इतना बड़ा लंड था पूरा का पूरा एक झटके में ही पेल देते थे |

रोहित - चुदाई में लंड ही पेलते है ?
रीमा - हाँ लंड ही पलते है लेकिन ऐसे . . . मुझे तो चुदाई के कारन किसी बात का होश ही नहीं था, ऊपर से मेरी कमर उठा कर भी चोद दिया, जो कुछ बची कुची चूत फ़ैलने खिचने से रह गयी थी उसको भी चीर के फैला दिया | भला ऐसे भी कोई चोदता है, मेरी नाभि तक तुमारा वो मुसल लंड आ रहा था, मैंने महसूस किया है, मेरी चूत है कोई नरम मांस की सुरंग नहीं की अपना लंड पेलते ही जावो पेलते ही जावो | एक ही झटके में पूरा लंड चूत में पेल देते थे कलेजा मुहँ को आ जाता था | बच्चे दानी पर पक्का है सुजन आ गयी होगी, इतनी बेदर्दी से ठोकरे मारी है जान ही निकल जाती थी | अभी उठने को हुई, खड़ी भी न हो पाई | लगता है अगले दो तीन दिन तो ठीक से नहीं ही चल पाऊँगी |
रोहित - ड्रामा क्यों करती हो, कुछ भी तो नहीं हुआ है | अभी देखना कैसे चूतड़ उछाल उछाल कर चलोगी |
रीमा - तुम्हें कैसे पता चलेगा, लंड घुसता तो मेरे अन्दर था न, मेरा जिस्म गरम था और मेरी चूत भी गरम थी इसलिए ले लिया पूरा लंड अपने अन्दर लेकिन अब उसकी दीवारों में भी दर्द होना शुरू हो गया है |
रोहित सफाई देता हुआ – अरे तुम्ही ने तो कहा था हचक हचक के चोद दो, चूत की गहराई तक | मैंने चोद दिया |

रीमा-हाँ मैंने कहा था ताकि तुम थोडा निश्चिन्त होकर चुदाई करो, इसका ये मतलब नहीं था की मेरी बच्चेदानी ठोकरे मार के सुजा दो |
रोहित- अब ठीक से नहीं चोदता तो शिकायत करती, की चोदने में कसर क्यों छोड़ दी | और अगर तुम्हे दर्द हो रहा था तो बोली क्यों नहीं|
रीमा –अब तुम्हे क्या डिस्टर्ब करते, तुम मन लगाकर मेरी नाजुक से चूत को ऐसे चोद रहे थे, जैसे जिंदगी में आखिरी बार हो, इसलिए मैंने सोचा मै ही दर्द बर्दाश्त कर लू |
रोहित- तो अब शिकायत क्यों कर रही हूँ |
रीमा- मुझे लगा तुम समझोगे, तुम मर्द बस एक ही बात को ठीक से समझते हो लंड को चूत में कैसे पेलना है और कैसे चूत को चोदना है बाकि कुछ तुमारे पल्ले पड़ता ही नहीं | तुम्हे औरत के जिस्म में उस छेद के अलावा और कुछ दिखाई ही नहीं देता | भरा पूरा हांड मांस का जिस्म होता है, जैसे तुमारा है वैसे मेरा है | फिर भी जैसे ही लंड से गरम लावा निकलता है तुम मर्दों की बुद्धि के दरवाजे बंद हो जाते है |

रोहित हसने लगा-दर्द में ही तो मजा है, इतना पेल के इतनी अन्दर तक अगर तुमको न चोदता तो अभी भी तुम मेरा लंड हाथो मे लेकर सहला रही होती, तुमारी चुदास ख़तम नहीं होती|
रीमा – तुम सब मर्द एक जैसे होते हो, बस तुम्हे चूत से मतलब है औरत की, उसके नाजुक बदन की कोई परवाह ही नहीं, न ही उसकी भावनाओं की कोई क़द्र है | अपना पेट भर जाये, बस एक बार चोद लो फिर अगली चुदाई तक औरत जिन्दा है या मर गयी, कोई मतलब नहीं रहता | रीमा उसने करवट बदल ली |

रोहित - ऐसा नहीं है |

रोहित ने उसको पीछे से बांहों में भर लिया | उसका सिकुड़ा हुआ लंड रीमा के चुतड में छु रहा था | पता नहीं अब आगे क्या होने वाला था | रीमा रोहित की गिरफ्त से आजाद होकर उठकर नहाने के लिए जाने लगी | बेड से उठकर रीमा ने अपने आप को आईने में देखा, जितना वो सुबह से शाम तक सजी धजी थी सब रोहित ने लूट लिया , उसने अपनी छाती करीब को शीशे के करीब करते हुए, स्तनो पर नाखूनों से बने निशान देखने लगी, फिर एक टांग ऊठा कर नीचे चूत देखने लगी, उसकी गुलाबी चूत गहरे लाल रंग की लालिमा लिए हुए थी, ये उस मोटे लंड से बुरी तरह कुचलने मसलने की कारन हुआ था | उसकी चूत में हल्की सी सुजन सी आ गयी थी, और ये उसकी हवस की तृप्ति की ये एक छोटी सी कीमत थी |

रीमा और रोहित दोनों ही पसीने से नहा गए थे | बुरी तरह मसलने के कारन रीमा के सुडौल स्तन लाल हो गए थे उसके सपाट पेट पर भी लालिमा छाई हुई थी और चुताड़ो पर हाथो की छाप पड़ी हुई थी | चूत में हल्की सुजन थी | रीमा बुरी तरह पस्त हो चुकी थी, उसमे अब उठने चलने की दम नहीं बची थी | रोहित ने सहारा देकर रीमा को उठाया | रीमा शावर ने नीचे जाकर नहाने लगी और रोहित उसके नंगे गोरे बदन को देखता रहा | रीमा बॉडी क्लीनर लगाकर नहाने लगी | रोहित एकटक उसके बदन से फिसलती पानी की बुँदे या साबुन का झाग देख रहा था |

हथेलियों के जरा सा ज्यादा दबाव पड़ते ही रीमा सिसक उठती |फिर रीमा वैसे ही पानी से भीगी हुई बाथरूम से बेडरूम की तरफ चल दी | रीमा के जाते ही रोहित अपने कपड़े समेटने लगा और रीमा के पीछे पीछे हो लिया | रीमा के मटकते कुल्हे बलखाती कमर देख अन्दर तक दिल बाग़ बाग़ हो गया |

रीमा ने टॉवल से खुद को सुखाया और बेड पर धड़ाम होने ही जा रही थी की रोहित ने काफी मांग ली - रीमा अगर बना सकती तो एक कप काफी पिला दो | रीमा चुदाई से पस्त थी, लेकिन मन से पूरी तरह तृप्त और मस्त थी और उसका कारन भी रोहित ही था | इसलिए रोहित को इंकार नहीं कर सकी | रीमा पैंटी पहन चुकी थी और टॉप पहनने जा रही थी तभी रोहित ने उसका हाथ थम लिया - तुम ऐसे ही बला की खूबसूरत लग रही हो कपडे पहनने की किया जरुरत है |
रीमा - हद है अब मै कपड़े भी न पहनू, नंगी घूमती रहू |
रोहित - इसमें अलग क्या है, मै भी नंगा ही हूँ |
रोहित रीमा को सेक्सी नजरो से देखता हुआ रिक्वेस्ट करने लगा - हम बस दो ही लोग तो है यहाँ, दो हम दोनों फिर जरुरत क्या है |
रीमा समझ गयी थी रोहित उसे नंगा ही देखना चाहता है बनावटी चिढ़न दिखाते हुए - हाँ मुझे नंगा रखा चाहते हो तो तुम भी नंगे ही रहोगे वरना सोच लेना |
रोहित हँसते हुए - जैसा हुक्म मेरी मलिका | जब तक आपका हुक्म नहीं होगा मै कपड़ो को पहनना तो दूर हाथ भी नहीं लगाऊंगा |
रीमा - नौटंकी करवा लो बस |
इतना कहकर रोहित ने रीमा को बेड पर गिरा दिया और उसकी पैंटी उतारने की नाकाम कोशिश करने लगा |

रीमा उसे धक्का देती हुई उठी और किचन में चली गयी | रीमा हलके कदमो से अन्दर ही अन्दर मुस्कुराती हुई किचन में चली गयी | रोहित वहां तक देखता रहा, जहाँ तक उसके ठोस सुडौल चूतडो का उठना गिरना उसे दिखता रहा |

रोहित बेड पर लेट गया, उसने तो चड्डी भी नहीं पहनी, बस एक हल्की चादर खीचकर अपने उपर डाल ली |बेड पर पसरते ही पिछले कुछ जादुई पल एक साथ उसके नजरो के सामने छा गए | कुछ देर के लिए रीमा के साथ बाथरूम में बिताये हर एक पल में खो गया | उसका मुर्छित लंड में फिर से हरकत होने लगी थी | तभी रीमा काफी बनाकर ले आई | रीमा के कमरे में कदम रखते ही रोहित की जैसे नीद टूटी | एक हल्की मुस्कराहट के साथ थैंक्यू बोलते हुए उसने काफी ली |

दोनों काफी पीने लगे | रीमा बार बार रोहित को देखकर मुस्कुराती और काफी सिप करने लगती |

रोहित ने आधी काफी ख़त्म करने के बाद रीमा को ऊपर ने नीचे तक जी भर के देखा जो सिर्फ एक पैंटी में उसके पास ही बेड पर बैठी थी | रीमा के खूबसूरत जिस्म को देखते ही रोहित के अन्दर की लालसा फिर जगने लगी | उसे महसूस हुआ की इतनी खूबसूरत रीमा को कम से कम एक बार तो और चोदना बनता है | उसका शायद मन नहीं भरा था | भरेगा भी कैसे इतनी हसीन मदमस्त जिस्म की औरत, जिसके जिस्म के हर कोने से मादकता टपकती हो, उससे बस फुट भर दूर बैठी थी | रोहित का क्या किसी भी मर्द का मन नहीं भरेगा | ऐसी औरत को तो हर मर्द रात भर चोदता रहना चाहेगा, बस चोदते ही रहना चाहेगा | तभी रोहित के विवेक ने उसे झकझोरा, नहीं अभी अभी तो उसने सेक्स किया है, अब फिर कैसे | दुसरे वो उसकी बीबी नहीं है | गनीमत तो ये है की रीमा ने मना नहीं किया और उसके मुसल लंड को झेल ले गयी | वरना कई औरते तो बीचे चुदाई से भाग खडी हुई | अब दोबारा रीमा से किस मुहँ से पूछु, नहीं नहीं अभी फिर से ठीक नहीं होगा | अभी उसकी चूत भी सूजी हुई है, नहीं अभी पूछने का मतलब है की मै स्वार्थी वासना का भूखा भेड़िया हूँ जिसे बस रीमा का जिस्म चाहिए | नहीं मुझे इस बारे में सोचना बंद कर देना चाहिए | आज के लिए इतना ही काफी था | सोचते सोचते काफी सिप करने लगा |

गरम काफी ने दर्द से टूटते रीमा के जिस्म को बड़ी राहत पहुचाई | काफी पीने के बाद वो काफी उर्जावान महसूस कर रही थी | रोहित की तरह ही रीमा भी अपनी उधेड़बुन में खोयी थी |

वो समझ नहीं पा रही थी की रोहित ने उसे कपड़े पहनने से क्यों रोका, क्या वो मुझे फिर से चोदना चाहता है या उसे बस मेरे बेपर्दा हुस्न का दीदार करना है | उसने रोका तो रोका, उसने क्यों रोहित की बात मान ली | उसने तो कभी रोहित के सामने अपना पल्लू तक नहीं सरकने दिया, आज उसे क्या हो गया, चुदाई के समय तो सभी नंगे होते है लेकिन उसके बाद तो कोई नंगा नहीं घूमता | फिर मैंने क्यों उसकी बात मान ली, मै क्यों नंगी बैठी हूँ | अब इसके बाद भी क्या मुझे कुछ चाहिए | हाय अब मुझे क्या चहिये ?? रोहित इतनी बेदर्दी से चोदा है, कि जिस्म का एक एक पुर्जा हिल गया है अब इसके बाद भी इस मुई चूत को, और क्या चाहिए , क्या चाहिए मेरे इस हवस के भूखे जिस्म को | ये जिस्म अब मेरा दुश्मन बनता जा रहा है | ये मुझे कही का नहीं छोड़ेगा | पता नहीं रोहित के दिमाग में क्या चल रहा है | मुझे उसके सामने नंगे होकर बैठे में शर्म भी नहीं आ रही | वो तो मर्द है उसको तो सब मर्दों की तरह औरत को नंगे देखने में ही मजा आएगा | मै क्यों उसके सामने नंगी बैठी हूँ, हाय जरा भी लाज शर्म नहीं आ रही मुझको, ऐसी तो नहीं थी तुम रीमा. तुम्हे क्या हो गया है. . . . . . . . .

रीमा को विचारो में खोया और हल्का सा परेशान देख रोहित ने का ध्यान रीमा की तरफ गया | रोहित भी इसी उधेड़बुन में था अब इसके आगे क्या ? कौन सा कदम बढ़ाऊ, न बढ़ाऊ ??????? कई सारे सवालो से घिरे रोहित को जब रीमा का ख्याल आया | अरे मै तो यू ही परेशान हूँ पहले ये तो पता चले रीमा के दिमाग में क्या चल रहा है, जैसा वो चाहेगी मै वैसा ही करूगां | हो सकता है उसके दिमाग में कुछ ऐसा ही चल रहा हो, या न भी चल रहा हो | औरते चुदाई को लेकर अलग तरह से सोचती है | उसके दिमाग में भी यही सब चल रहा है या कुछ और ये कैसे पता लगे |?

कमरे के अन्दर पसरी एक लम्बी ख़ामोशी को तोड़ते हुए रोहित - रीमा डिअर क्या कुछ कुछ परेशान लग रही हो, कोई ऐसी बात जो तुम्हे परेशान कर रही हो तो मुझे बता सकती हो |

रीमा रोहित को कोई भी संकेत नहीं देना चाहती थी की उसके दिमाग में क्या चल रहा है - नहीं नहीं रोहित ऐसी कोई खास बात नहीं है, कॉलेज के एनुअल प्रोजेक्ट का अभी तक डिसिशन नहीं ले पायी हूँ उसी बारे में सोच रही थी |

रोहित भी मर्द औरत के गेम का पुराना खिलाडी था, उसने रीमा का मन भापने के लिए तीर छोड़ा - चल झूठी, सच क्यों नहीं कहती, हमारे बीच इतना सब कुछ हो गया है, अब तो कोई पर्दा नहीं है अब तो सच बोल दे झूठी कही की |

रीमा ने कोई जवाब नहीं दिया, उसे लगा अगर इसकी सफाई दी तो जरुर पकड़ी जाउंगी , इसलिए चुप रही |

रोहित - अच्छा मै गेस करता हूँ तुम बस हाँ न में सर हिलाना |

रीमा ने रोहित को अजीब बेपरवाह तरह से देखा और मन ही मन सोचने लगी - ये चाहता क्या है मुझसे, इसके सामने क्या मै रंडियों की तरह बाते करने लगु, कोई शर्म लिहाज नाम की कोई चीज है या नहीं | मै कोई रंडी थोड़े ही हूँ |

रोहित - गेस करू ?

रीमा ने चेहरे पर बेपरवाही बनाये रखी,ताकि रोहित को जरा सा भी अंदाजा न हो |

रीमा ने रोहित से नजरे मिला ली |

रोहित से सीधा ही तीर छोड़ दिया - तुम मेरे बारे में सोच रही हो न ?

रीमा सकपका गयी, उसे समझ नहीं आया कैसे रियेक्ट करे, ऐसा लगता था जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो | रीमा ने खुद को संभला - नहीं, नहीं, मतलब हाँ , मेरा मतलब है नहीं मै तुमारे बारे में. . . . |

रोहित ने बीच में ही उसकी बात काट दी - मैंने सिर्फ हाँ या न में जवाब माँगा था | तुम सफाई क्यों दे रही हो | कोई चोरी पकड़ी गयी है क्या ?

रीमा समझ गयी रोहित उसका मन टटोल रहा है, सकपकाई रीमा ने पलट कर उलटा सवाल कर दिया - तुम क्या सोच रहे थे बतावो |

रोहित को लगा यही शॉट मारने का मौका है - मै झूठा नहीं हूँ तुमारी तरह, सच बोलूगा, मै तो १०० टका बस तुमारे बारे में ही सोच रहा था | इतनी हसीन बेपर्दा अप्सरा होते हुए भी भला कोई सच्चा मर्द किसी और चीज के बारे में कैसे सोच सकता है | रोहित ने रीमा की आँखों में आँखों डालते हुए कहा |

रीमा शर्म से झेंप गयी | इसी बात का तो डर था उसे | वही बात रोहित ने सीधे बोल दी | पहले के मुकाबले रीमा रोहित से बहुत खुल चकी थी इसलिए अब उसे शर्म तो आई लेकिन हिचकिचाहट नहीं हुई और न ही किसी तरह की आत्मग्लानी हो रही थी | वो समझ गयी थी रोहित के दिमाग में जो कुछ चल रहा है उसी को लेकर चल रहा है | अब उसने क्या क्या सोच रखा उसके बारे में तो बस रोहित ही जानता था |

रोहित - हेल्लो तुम फिर से कही खो गयी, कॉलेज वाला प्रोजेक्ट परेशान कर रहा है, इतना कहते ही रोहित ने रीमा को अपनी तरफ खीच लिया |

रीमा ने प्रतिरोध किया और अपनी जगह से हिली भी नहीं | रोहित को ही उसकी तरफ खिसककर जाना पड़ा | रीमा ने वही बैठे बैठे खुद को ही समेट लिया |

रोहित- देखो मैंने तो तुम्हे अपने दिल की बात साफगोई से बता दी, अब तुम भी बता दो न ब्यूटीफुल डार्लिंग, सच में तुम बेपनाह खूबसूरत हो डिअर |

अपनी तारीफ सुनकर रीमा ने मुस्कुराना चाहा लेकिन कण्ट्रोल कर ले गयी |

रोहित ने रीमा के चेहरे कोई हाव भाव न देख - माई मोस्ट ब्यूटीफुल रीमा डार्लिंग , किस बात की झिझक है, कौन सी चीज है जो तुम्हे मुझसे अपने दिल की बात बताने से रोक रही है | अब तो हमारे लंड और चूत में भी दोस्ती हो गयी है, दोनों जमकर गपियाते है एक दुसरे से |

रीमा हंस पड़ी |

रोहित - ये हुए न बात |

रोहित ने रीमा का हाथ थम लिया और उसके पास जाने लगा - जब हमारे लंड और चूत एक दुसरे से बाते कर सकते है, अपने डार्क से डार्क सीक्रेट शेयर कर सकते है तो हम क्यों नहीं | इतना कहकर एक हल्की चिकोटी काट ली, और उसके नंगे जिस्म के बिलकुल पास पंहुच गया | आपने एक हाथ से नंगी उसकी पीठ सहलाने लगा |

रीमा इतने सालो में अपने चेहरे के हावभाव छिपाना बखूबी जान गयी थी इसलिए उसके अन्दर की बात आजतक कोई जान नहीं पाया था | आज भी रीमा का वही स्किल रोहित के सामने पहाड़ बनकर खड़ा था | रोहित समझ ही नहीं पा रहा था की रीमा के अन्दर क्या चल रहा है वो रोहित के सामने पहेली बनकर कड़ी थी | रोहित भी हार मनाने वालो में से नहीं था |

उसने इमोशनल कार्ड खेलना शुरू किया |

रोहित - अच्छा ठीक है बाबा बस मेरे एक सवाल का जवाब दे दो फिर मै अपनी घर वापसी की तयारी शुरू करू | (उसका चेहरा अपने दोनों हाथो में लेते हुए, थोडा सा भावुक होकर) सीरियसली बताना, कैसा लग रहा है | सेक्स के बाद अच्छा फील कर रही हो, बुरा फील कर रही हो, आत्मग्लानी हो रही है, प्राउड फील कर रही हो, रिलैक्स फील कर रही जैसे बरसो का बोझ उतर गया, या अभी भी अन्दर तूफान उमड़ रहे है |

रीमा कैसे अपने दिल के भावो की बताये, उसने आज तक किसी को नहीं बताया अब कैसे बता दे ,उसने ये सब कभी नहीं किया था ये तो फिर रातो रात कैसे वो बदल जाएगी | है तो वही टिपिकल रीमा | उसने ख़मोशी बनाये रखी, और तिरछी कनखियों से एक बार रोहित को देखकर नजरे झुका ली |

रोहित - अच्छा चलो अपने प्रोजेक्ट के बारे में ही बताओ | लेकिन कुछ बोलो, खामोश मत रहो |

अब रीमा की ख़ामोशी पर रोहित को गुस्सा आने लगा - मेरी सांसे उखड़ गयी तुम्हे चोदने में, लंड छिल गया तुँमारी चूत का छेद नरम करने में और चूत की गहराई तक जाने में सर का पीसना पैर तक आ गया और तुम हो की एक शब्द बोलने में भी तुम्हे तकलीफ है |

रोहित रीमा को झटक के चला |

रीमा भी भावुकत से फट पड़ी - क्या चाहते हो रोहित ? मै तुमारे साथ रंडियों की तरह गन्दी गन्दी बाते करू | मुझसे नहीं होगा ये, मै रंडी नहीं हूँ | तुमने कहा कपडे मत पहनो, मैंने नहीं पहने, तुमने कहाँ काफी बनाकर लावो मै बनाकर लायी | बोलो अब और क्या चाहते हो | अभी भी कुछ करने को बचा है क्या ??????, सब कुछ तो कर चुके हो | क्या बाकि रह गया है, कुछ बाकि रह गया हो तो वो भी कर लो, मेरे रोकने से रुकोगे क्या ?

रोहित समझा गया चोट सही जगह लगी है - मैंने सिर्फ इतना पुछा था तुम्हे कैसा लगा ? तुम खुस हो | तुम संतुष्ट हो | तुम तृप्त हो | जिस चीज के लिए इतना तड़पी हो वो मिली या नहीं मिली |

रीमा भावुक हो गयी - एक दिन में इतना सब कुछ तो दे दिया है तुमने, क्या बोलू मै, मुझे नहीं पता मै तुमारे सवालो का क्या जवाब दूं | जो मिला है उसके लिए कोई शब्द नहीं होते, अगर होते भी होंगे तो मुझे नहीं पता | क्या जवाब दूं जिसके लिए मेरे पास शब्द ही नहीं है |

रोहित - ठीक है, तुम कंफ्यूज हो हमेशा की तरह | सिर्फ इतना बता दो तो फिर मै जाऊ या रुकू ? मै सिर्फ इसलिए पूछ रहा हूँ कि बाद में मत कहना की सब मर्द एक जैसे होते है, अपना काम निपटते ही औरत को भूल जाते है |

रीमा चुप रही | रोहित - अगर तुम्हे जरुरत है तो मै रुकू नहीं तो. .. ???

रीमा ने इस बार रोहित की बार पकड़ ली | वो समझ गयी अगर इसको जाना होता तो एक बार बोलकर चला गया होता | ये रुकना चाहता है लेकिन चाहता ये है मै बोलू रुकने के लिए | भावुक बैठी

रीमा के दिमाग में शरारत सूझी - मर्जी तुमारी, आये अपनी मर्जी से थे, तो जाने के लिए क्यों पूछ रहे हो | अगर इतना मन है रुकने का तो रुक क्यों नहीं जाते | मुझसे क्यों पूछ रहे हो ?

रोहित - रुककर भी क्या करू, तुमने तो बाथरूम से निकलने के बाद मौन ब्रत रख लिया है | या तो तुम्हे चुदाई पसंद नहीं आई . . . . |

रीमा रोहित की बात बीच में ही काटती हुई बोली - रोहित बार बार एक ही बात क्यों बुलवाना चाहते हो मुझसे, मै नहीं बोलूगी , तुम मर्दों को जब तक चीख चीख कर न बताया जाये तुम्हे कुछ पता ही चलता | जो तुमने मुहे आज दिया क्या वो तुम्हे मेरी आँखों में नहीं दिखता क्या ? तुम तो बड़े एक्सपर्ट बनते हो औरतो को |

रोहित ने अपने अन्दर के सारे किन्तु परन्तु किनारे रख दिए | रीमा के पास आ गया, अपना बाया हाथ रीमा की पतली नाजुक कमर में डाल उसको अपने तरफ खीच लिया और उसके ओंठो पर अपने ओठ रख दिए | दुसरे हाथ से रीमा के स्तन को मसलने लगा | उसे समझ आ गया था कि अगर कुछ करना है तो कर डालो लेकिन पूछो मत, रीमा को चूमना है चाटना है चोदना है तो चूम लो चाट लो चोद दो लेकिन पूछो मत |

बाथरूम से आने के बाद से रोहित का लंड तो कभी ठीक से मुरझाया ही नहीं था, क्योंकि उसके मन में रीमा को दोबारा चोदने की इक्षा बरक़रार थी और होनी भी चाहिए | इतनी खूबसूरत औरत को कोई एक बार चोद के थोड़े ही छोड़ देता है | ऐसी खूबसूरत औरत के लिए तो कई राते भी कम पड़ जाती है | बार बार चोदने का मन करता है और तब तक इक्षा नहीं भरती जब तक शरीर का एक एक पुर्जा जवाब न दे दे |

रीमा ने भी प्रतिरोध नहीं किया, शायद उसके मन में भी कही न कही ये इक्षा थी, लेकिन उसको लेकर वो निश्चित नहीं थी | वो कंफ्यूज थी अपनी लालसा और मन के बीच में | मन मना कर रहा था लेकिन लालसा उसे उसी ओर खीचे ले जा रही थी | उसका जिस्म तृप्त हो चूका था मन भी तृप्त था लेकिन शायद मन के किसी कोने और ज्यादा तृप्ति की अभिलाषा बाकि थी, शायद वो रीमा से कह रही थी आज मौका मिला है निकाल लो बरसो की कसर | खूबसूरत औरतो को न केवल भरपूर चुदाई चाहिए बल्कि भरपूर तृप्ति भी चाहिए, लेकिन इसको लेकर वो हमेशा कंफ्यूज भी रहती है | जब कोई कर डालता है तब उन्हें समझ में आता है अच्छा मुझे ये चाहिए था | रीमा चुदी थी और अच्छे से बुरी तरह चुदी थी लेकिन अन्दर से आत्मा से तृप्त नहीं थी | उसकी काम लालसा अभी जिन्दा थी और शायद वो अभी और वासना का हवस का नंगा खेल खेलना चाहती थी | अपनी हदों से ज्यादा आगे जाकर शायद खुद को ही आईना दिखाना चाहती थी कि देख रीमा तूने खुद को बरसो किस खोखले रुई के जाल में बांध कर खुद को रोके रखा, तू एक नकली जिंदगी जी रही थी | तेरी असली जिंदगी ये है जो आज तेरे सामने है, जो तू हमेशा बनने की कोशिश करती थी वो तेरी बनावटी जिंदगी थी | इन्ही खयालो में खोई रीमा की तन्द्रा तब टूटी जब रोहित ने उसे अपनी बांहों की गिरफ्त में ले लिया |

रोहित ने अपने हाथो की गिरफ्त को और कस दिया, उसके स्तन पर सख्ती और बढ़ा दी | हालाँकि थोड़ी देर पहले ही मसले जाने से उन पर की लालिमा बस अभी छटना ही शुरू हुई थी, रोहित ने फिर से उन्हें मसलना शुरू कर दिया | दोनों के ओठ एक में गुथाम्गुथा थे | सांसे गरम होने लगी और गरम होकर एक में घुलने लगी | रोहित के जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था और रीमा बस पैंटी पहने हुए थी | रोहित उसे उठाकर रीमा की चूत के ऊपर के चिकने हिस्से, जहाँ के बाल उसने बना डाले थे उस पर हाथ फेरने लगा

रोहित का लंड तनने लगा उसमे खून का दौरान बढ़ने लगा | रोहित रीमा को चुमते चुमते बिस्तर पर झुकाता चला गया | रोहित का सख्त होता लंड रीमा की बायीं जांघ पर ठोकरे मारने लगा | रीमा ने भी रोहित की पीठ पर हाथ जमा दिए और रोहित के ओंठो को चूमने लगी | रोहित और रीमा ने पलती खाई, अब रीमा रोहित के ऊपर थी, उसके सुडौल ठोस स्तन रोहित के भारी ठोस सीने से रगड़ खा रहे थे | रोहित रीमा के सर से लेकर चुताड़ो तक सहला रहा था | रीमा रोहित से कुछ कह रही थी - रोहित ये जो हम कर रहे है क्या ये सही है, मतलब इस तरह से हमें ये सब करना चाहिए क्या ?
रोहित रीमा को सहलाता रहा - सोचो मत जो मन में आये कर डालो, सोचने वाले ही पछताते रहते है जिंदगी भर | तुम्हे अच्छा लग रहा है न |

रीमा - हूँ, लेकिन ये ठीक नहीं है |

रोहित इस समय कुछ भी सुनने के मूड में नहीं था, उसने रीमा को छुप कराने के लिए पलट कर अपने नीचे कर लिया और उसके ओठो को कसकर चूमने लगा | रीमा भी बराबर रोहित का साथ देने लगी | वो पहले से ही वासना की मदहोशी से मस्त थी | रोहित के ओंठो के गरम चुम्बन ने उसके अन्दर हवस की वासना की तरंग दौड़ा दी |

रोहित ने रीमा की कमर के नीचे से बायाँ हाथ निकालकर रीमा के स्तन को मसलना शुरू कर दिया | रीमा दर्द से सिसक उठी | रोहित को अपनी गलती का अहसास हुआ | रोहित समझ गया, उसके स्तन पर बने नाख़ून के निशान के कारन उसे दर्द हुआ होगा | रोहित असमंजस में पड़ गया, रीमा का बदन तो दुःख रहा है अब कैसे चुदाई होगी | ऐसे आगे बढ़ा तो ये तो दर्द से कराहती ही रहेगी | मै सिर्फ अपनी प्यास ही थोड़े बुझाने आया हूँ | अगर रीमा को मजा नहीं आएगा तो अकेला मै मजे लेकर क्या करूगां | कुछ देर तक रीमा का स्तन थामे सोचता रहा | फिर एकदम से रीमा से अगल होकर बेड से उठकर चला गया | रीमा कुछ समझ नहीं पाई और बिस्तर पर ही पसर गयी |
Next page: Episode 05
Previous page: Episode 03