Episode 10


रीमा अपनी ही हवस की आग में मस्त थी, रीमा को एक पल लगा प्रियम की बात समझने में | प्रियम के शब्दों ने जैसे आग पर पानी डाल दिया हो, रीमा के कान खड़े हो गए, वो चौंक गयी, इसकी इतनी हिम्मत हुई कैसे - क्या कर लेने दू, तुमारी इतनी हिम्मत हुई कैसे, तुम मुझी से मेरी चूत चोदने के लिए पूँछ रहे हो | चुपचाप मुट्ठी मारो, नहीं मै तुमारी गांड मार लूंगी अभी |

रीमा भी रौ में बोल गयी |
प्रियम भी त्रस्त हो गया था आखिर फट पड़ा - कब तक ऐसे करता रहू, मेरे सामने ही आप भी तो नंगी होकर अपनी चूत दिखा रही हो, इन्सान का बच्चा हूँ आखिर कैसे बर्दाश्त करू आप ही बता दो | मुझे अब और काबू नहीं हो रहा |
अब रीमा का गुस्सा चरम तक पंहुच गया | वो गुस्से से तमतमाने लगी | इतना सब कुछ होने के बाद भी इसकी इतनी हिम्मत, साला मुझे से मुझको चोदने के लिए पूछ रहा है | डर नाम की कोई चीज है या नहीं | इतना सब कुछ होने के बाद भी मेरी दहशत से बेख़ौफ़ है | इसकी इतनी हिमात हुई कैसे ? रीमा को चैलेन्ज | रीमा के हाथ पांव बस काबू में थे, यही क्या कम था फिर भी प्रियम पर फट पड़ी |

रीमा - भोसड़ी के मादरचोद, रंडी की औलाद, झांट भर के लंड, इंसान की चूत से निकले हो इन्सान के लंड के बच्चे की तरह रहना था न, अभी तो ठीक से तनता भी नहीं है कुचल दूँगी तो जिंदगी भर के लिए बस मुतने के काम आएगा | भोसड़ी के मुझे चोदोगे, तुमारी माँ की चूत . . . . . . . . . तड़ाक तड़ाक तड़ाक |
रीमा आगबबुला होकर पागल हो गयी थी - बर्दाश्त नहीं हो रहा तो अपनी अम्मा की चूत में जाकर डालो भोसड़ी के , तब तो यहाँ आये थे रीमा की चूत का विडिओ बनाने ताकि मुझे ब्लैकमेल कर सको चोदने के लिए | झांट भर के लंड वाले बच्चे कही क्या चूत के ख्वाब देखते है मादरचोद |
प्रियम बदहवास सा आखिरकार रोने लगा |
प्रियम - चाची गलती हो गयी , मै अँधा हो गया था इस ठरक के चक्कर में | आपने मेरी आंखे खोल दी | मुझे माफ़ कर दो | अब जिंदगी भर ऐसा नहीं करूगां , किसी के साथ नहीं करूगां |

उसे कुछ समझ नहीं आया था, उसके अन्दर की हिम्मत पाताल पंहुच गयी और वो बुरी तरह से डर गया था | बस रोये जा रहा था, पहली बार वो रीमा से न केवल अन्दर तक डर गया बल्कि उसके अन्दर सचमुच की दहशत भर गयी |
रीमा प्रियम को रोता देख मुहँ फेर, किचन के सिंक की तरफ चली गयी | एक गिलास पानी पिया, प्रियम का सिबुकना सुनकर कर उसकी तरफ दौड़ी और तड़ाक से एक करारा झापड़ जड़ दिया |

रीमा - चुप बिलकुल चुप, ये नौटंकी बंद , साँस की भी आवाज नहीं आनी चाहिए, मादरजात, वरना मार मार के पिचका दूँगी. तुझे भी और तेरे लंड को भी |
रीमा को सबसे बुरा ये लग रहा था कि इतना डराने धमकाने के बाद भी वो रीमा के सामने इतना बेख़ौफ़ कैसे हो सकता है | रीमा के हिसाब से उसे डरना चाहिए था, उसकी नजरे नीची होनी चाहिए थी और उसने जो किया था उसके लिए उसके अन्दर जबदस्त ग्लानी होनी चाहिए थी | परिस्थियों के अनुसार (जब आपके सामने खूबसूरत नंगी औरत हो, और उसकी चिकनी सफाचट चूत आपके अन्दर की आग के लगातार घी डाल रही हो) प्रियम की एक सामान्य सी मानव स्वाभाव की प्रतिक्रिया थी, रीमा को पता नहीं क्यों अपने अस्तित्व पर एक चुनौती की तरह लगी, उसका स्त्रीत्व का अहंकार, जो पहले से ही उस पर हावी था अपने चरम पर पंहुच गया | प्रियम ने हाथ पाँव सब ढीले छोड़ दिए, निढाल, हरा हुआ , पस्त , फर्श की तरफ जितना ज्यादा गर्दन झुका सकता था, झुकाए, आँखों से खामोश आंसू बहाता हुआ बैठा था, तब न सही लेकिन अब वो सब प्रियम के हाव भाव से जरुर झलक रहा था, जो रीमा के अहंकार को संतुष्ट करने के लिए जरुरी था | अब प्रियम बेबस, लाचार, थका हुआ, निस्तेज, मानसिक रूप से हारा हुआ, ग्लानी और अवसाद से भरा बैठा था | रीमा को अपमानित करने की इससे ज्यादा क्या सजा हो सकती थी, अहंकारी रीमा को अपने अहम् को संतुष्ट करने को और क्या चाहिए था | रीमा के इतना पास होने के बावजूद भी प्रियम की हिम्मत अपनी गर्दन ऊपर की तरफ करने की नहीं हुई, उसके अन्दर रीमा की आँखों से आंखे मिलाने की हिम्मत नहीं बची थी | उसकी आँखों से आंसू टपक रहे थे |

रीमा नफरत भरी आँखों से कुछ देर प्रियम को घूरती रही और उसकी हालत देखकर अपने अन्दर के अहम्तु को संतुष्ट करती रही, आखिरकार उसके गुस्से में कुछ नरमी आई |
रीमा - रोहित के लंड के बच्चे आये तो तुम थे मुझे चोदने का इरादा लेकर ही, इतना तो पक्का हो ही चूका है, तो लो मै तो चूत खोल के बैठी हूँ, नंगी, पूरी तरह से नंगी | बीच में झांटो का भी पर्दा नहीं, बिलकुल चिकनी सफाचट गुलाबी, गीली, रसभरी चूत | अब इससे ज्यादा औरत किसी अनाड़ी कच्चे लंड की क्या मदद कर सकती है?
क्या मै तुमारा अनाड़ी कच्चा लंड पकड़ के अब अपने ही चूत के छेद में भी घुसाऊ, फिर काहे के मर्द हो और काहे की मर्दानगी | गांड में दम है और सीने में हिम्मत है और लंड में जान है तो चोद डालो मेरी चूत को, सामने ही तो है,

प्रियम का रोना थमा ही था कि वो फिर से रोने लगा और रोते हुए कहने - चाची गलती हो गयी अब ऐसा कभी नहीं करूगां, प्लीज मुझे माफ़ कर दो, अब ऐसी गलती कभी नहीं होगी दुबारा | बहुत गलत सोच लिया था मैंने, बहुत ही बड़ी गलती करने जा रहा था | आपने रंगे हाथ पकड़कर मुझे सीधे नरक जाने से बचा लिया |
प्रियम की ग्लानी और आंसू से भरी आवाज रीमा के अन्दर तक छूती चली गयी | रीमा को एक पल को अपनी आक्रामकता का अहसास हुआ लेकिन फिर संभल कर अपने पर काबू किया -, मैंने जरा सा भाव क्या दिया बच्चा समझकर, तुम तो मुझसे ही मर्दानगी दिखाने लगे थे, मुझ पर ही मर्दानगी आजमाने लगे | कल को चूत से निकलकर पैदा हुए हो और लंड तो ऐसे तना हुआ था जैसे मेरी चूत फाड़कर रख दोगे, अब चूत से निकले बच्चे की तरह मिमियाने क्यों लगे | जिस चूत को चोदने आये थे वो तुमारे सामने है, गांड में हिम्मत है तो चोद के दिखावो | चोदो न रीमा की चूत, मै भी तो देखू कौन सा लंड दुनिया में ऐसा है जो बिना मेरी मर्जी के मेरी चूत में घुस जायेगा |

प्रियम का रोना जारी रहा - चाची सचमुच में बहुत बड़ी गलती हो गयी, माफ़ कर दो, अपनी मरी माँ की कसम खाता हूँ अब ऐसा कभी नहीं करूगां |
प्रियम की माँ मरी नहीं थी उसे छोड़ कर चली गयी थी और ये बात सिर्फ चार लोग जानते थे, रोहित, रोहित की बहन, रोहित का जीजा और रीमा | अब रीमा का दिल पसीजने लगा | वो सीधी हो गयी और उसी पत्थर पर सीधी बैठ गयी | कुछ देर सोचती रही फिर अपनी जांघे फैला दी और अपनी चूत के ओंठ खोल दिए | असल में रोहित से चुदने के बाद रीमा को अपनी असली स्थिति का अहसास हुआ | उसे पता लग गया की उसके और प्रियम के रिश्ते की एक हद है और उसे उससे आगे न खुद बढ़ना है न उसे बढ़ने देना है | यही सब सोचकर उसने एक नए तरीके से प्रियम के साथ रिश्ता बनाने की सोची थी लेकिन उसकी बेवखूफी ने सब गड़बड़ कर दिया और रीमा का गुस्सा सातवे आसमान पर पंहुचा दिया | इसलिए पिछले तीन से ज्यादा घंटे से उसकी सजा भुगत रहा है और अब सजा भुगतते भुगतते टूट गया |

रीमा ने अपनी आटे से सनी चूत के फांके खोले और प्रियम को दिखाते हुए बोली - देख रोहित के लाल, ये रीमा की चूत कमाल, जिस पर नहीं है एक भी बाल, इसमें तू मत अपना लंड डाल, ये नहीं बनी तेरे लिए लाल |
ये चूत तेरे लंड के लिए नहीं है | मै बस यही देखना चाह रही थी कि इस चूत के लिए तेरे अन्दर कितनी तड़प है | कान खोलकर सुन ले ये रीमा की गुलाबी चिकनी चूत तेरे लिए नहीं है, तेरे लिए नहीं है तेरे लिए नहीं है | अपने लंड को अच्छी तरह से समझा दे इस चूत के सपने देखना छोड़ दे | ये उसे नहीं मिलने वाली | तुझे चूत चोदनी है, मै दिलऊँगी ताजा फ्रेश कसी हुई गुलाबी कुंवारी चूत | इसके ख्वाब देखना छोड़ दे |
इसके बाद ख़ामोशी छा गयी | न प्रियम ने सर सीधा किया, न रीमा आगे कुछ बोली |

कुछ देर रूककर थोडा सोचकर रीमा ने ही किचन की ख़ामोशी तोड़ी - तू इसे चुसना चाहे तो चूस सकता है, छु सकता है चाट भी सकता है, इसका पानी भी पी सकता है लेकिन मै इसे तुझे चोदने नहीं दे सकती, न ही तू इसमें कभी अपना लंड घुसाने का ख्वाब देखना | तेरे लंड से रीमा की ये चूत कभी नहीं चुदेगी, न तू इसे कभी चोद पायेगा | कम से कम मेरे पुरे होशोहवास में तो कभी नही | (रीमा ने झूठ बोला ताकि प्रियम पर दबाव बना सके ) | इस चूत ने सिर्फ एक लंड लिया है अब तक और वो है मेरे पति का | तू अपनी छोड़ तेरे बाप की कभी हिम्मत नहीं हुई, मेरी चूत के बारे में सोचने की | तू बच्चा लंड है इसलिए तेरे लंड पर रहम कर रही हूँ वरना अभी रस्सी से बंधकर वो कसकर निचोड़ती तेरा लंड और गोटियों को कि यहाँ से सीधे हॉस्पिटल जाता | बच्चा है इसलिए प्यार से डील कर रही थी, अभी अभी तेरा लंड चूसा था, फिर खड़ा होगा, फिर चूस के झाड़ दूँगी लेकिन तू अपनी उम्र में लड़की दूंढ, वही तेरे लिए अच्छा है | तू मुझे नंगा देख चूका है, मेरे जिस्म जिस्म को छु चूका है, मेरी चूंची दबा चूका है, मेरे ओंठो का रस पी चूका है, मेरी चूत चाट चूका है, मेरा चूत दाना चूस चूका है | इससे ज्यादा औरत के जिस्म में लुटाने को और होता ही क्या है, अब बचा क्या है मेरे जिस्म में जिसको तुझे पाना है | एक बच्चा समझकर मैंने तेरी मदद की | तुझे चूत कैसे चोदते है ये भी सिखाऊंगी लेकिन किसी और की चूत के साथ | अब कान खोलकर सुन ले जो आज के बाद ऐसी बेवखूफी भरी हरकत की और ख़बरदार जो इसके बारे में किसी को बताया तो | तेरे बाप को सब पता है, ये भी बता दूँगी फिर सोच लेना क्या हाल करेगा तेरा वो रोहित |

प्रियम ने डरते हुए - लेकिन चाची एक बार, सिर्फ एक बार . . . |
रीमा फिर पुराने टन में लौट में आई - तुमारी गांड फाड़ के रखो तब तक ही तुम्हे मेरी बात समझ आती है | नहीं का मतलब नहीं है | मुझे नहीं चुदवाना समझे, एक बार नहीं चाहे हजार बार गिडगिडाओ | इस चूत में तुमारे लंड क लिए कोई जगह नहीं है |
प्रियम समझ गया ज्यादा जोर डाला तो फिर पहले की तरह चंडी बन जाएगी, बेहद धीमी डरती आवाज में - इसको क्या करू, अब हाथ से नहीं होगा मुझसे | आप सामने नंगी बैठी हो मुझसे नहीं हो पायेगा |

रीमा भी अब नार्मल हो गयी थी - ऊहोहोहो तो ये बात है, सामने नंगी औरत बैठी है इसलिए मुठीयाने में मजा नहीं आ रहा है | मेरी गुलाबी चूत देखकर लगता है पागल हो गया है बच्चा लंड | अच्छा एक काम कर बच्चे का कच्चा लंड जाकर फ्रिज से एक आइस क्यूब ले आ, जब मुझे मजा आएगा तभी तुझे मजा दूँगी | प्रियम का शरीर थका हारा था फिर भो वो फ्रिज तक गया और एक आइस उठा लाया | चल इसे मेरे चूत पर चारो तरफ रगड़ और फिर मेरे संकरे गुलाबी छेद में डाल दे |
प्रियम चौंक गया - ये ठंडा ठंडा नहीं लगेगा |
रीमा - यही ठंडा गरम तो चूत का असली मजा है जो औरत और उसकी चूत को घनघना, झनझना देता है, अच्छे अच्छे मर्द नहीं समझ पाए फिर तेरे जैसे कच्चे लंड के कैसे पल्ले पड़ेगा, तू बस जो बोला है वो कर |

प्रियम ने चारो तरह बर्फ का टुकड़ा घुमाया, फिर चूत दाने को रगड़ा और कुछ देर बाद ही उसे चूत के छेद में घुसेड़ दिया | गरम गीली चूत के अन्दर बर्फ के ठन्डे सर्द चुभन से एक अलग ही तरह का कम्पन रीमा के शरीर में हुआ | ऐसे लग रहा था जैसे किसी ने बर्फ के चाकू से उसकी चूत चीर दी हो लेकिन चूत की दीवारों पर ठन्डे बर्फीलेपन के अहसास से एक अलग ही किंकी सुख रीमा को मिला | अक्सर वो अपने शरीर पर बर्फ के टुकड़े फिराती थी लेकिन चूत और चूत के अन्दर ये अनुभव उसे पहली बार ही हुआ था |

उसकी चूत की दीवारे सुन्न होने की तरफ जा रही थी लेकिन रीमा ये बेहद अलग अनुभव किसी भी तरह जाया नहीं करना चाहती थी और इसलिए उसने प्रियम को खड़ा करके उसके पास घुटनों के बल बैठ गयी | उसका ये खुद को ही तकलीफ देकर एन्जॉय करने का तरीका प्रियम के ऊपर से निकल गया | बर्फ से सर्द टुकड़े ने रीमा की चूत में ऐसी हलचल मचाई की रीमा जोश में आ गयी | उसने एक लम्बा सा बर्गर उठाया उसे बीच से चीरा मारा और प्रियम के लंड को उसके अन्दर चारो ओर से लपेट लिया | प्रियम का लंड बर्गर में समां गया | रीमा ने प्रियम को उसके लंड के चारो तरफ लिपटे बर्गर को थामने को कहा ताकि वो उस पर क्रीम और सास लगा सके | जब प्रियम ने लंड के चारो तरफ लिपटे बर्गर को थामा तो रीमा ने मस्तियाते हुए बर्गर सहित प्रियम को अपने मुहँ में लेने की कोशिश की लेकिन नाकाम रही | फिर रीमा सास और क्रीम लेने चली गयी |

प्रियम हैरान था की अब रीमा चाची क्या करने वाली है | वो बस साँस थामे आगे होने वाले रीमा के एडवेंचर का वेट कर रहा था और मन ही मन सोच रहा था, कहाँ से इतने आईडिया आते है इनके पास , क्या सोचा था मैंने रीमा चाची के बारे में और ये क्या निकली | ये तो सेक्स की जन्म जन्मान्तर की भूखी है और थकती भी नहीं | मेरी तो अभी से जान निकल गयी है | इसके बाद तो मुझसे अपने पैरो पर खड़ा भी नहीं हुआ जायेगा |

रीमा ने प्रियम के लंड और बर्गर के चीरे के बीच में ढेर सारा टोमेटो सास उड़ेल दिया और चाट चाट कर चखने लगी | प्रियम हैरान था की रीमा चाची के पास कितने तरीके है लंड से खेलने के, अपने जिस्म से खेलने के | कैसे उनकी चूत इतनी ठंडी बर्फ निगल गयी | एक ही दिन में उसने औरत किचन में कितनी तरह से सेक्स गेम खेल सकती है ये सब देख लिया था | जिस उम्र में वो था शायद ही उसे कुछ समझ आया हो, लेकिन जो भी रीमा बोलती गयी किया उसने सब कुछ, भले ही उसके डर से | जाहिर सी बार है इसमें उसके लिए मजे वाली कोई बात नहीं थी, लेकिन अब उसकी चेतना लौट चुकी थी दिमाग ने सोचना शुरू कर दिया था | उधर रीमा ने प्रियम के लंड को लाल चटनी के साथ चाटना शुरू कर दिया | प्रियम का लंड कई बार मसला जा चूका था और सास में मिर्च का प्रभाव था इसलिए वो प्रियम के लंड पर जाकर तेजी से लगा | प्रियम चीखने लगा तो रीमा ने डांट दिया |

रीमा के डांटने से प्रियम तो चुप हो गया लेकिन उसकी आंखे बह चली | रीमा ने तेजी से लाल चटनी उसके लंड पर से साफ़ करने शुरू कर दी ताकि उसके लंड में हो रही जलन कुछ कम हो सके | साथ में बर्गर को पकड़कर उसके लंड के ऊपर ऊपर नीचे करने लगी | रीमा अपने हाथ की मुट्ठी की बजाय बर्गर से प्रियम का लंड रगड़ कर मुठिया रही थी | प्रियम का खड़ा लंड जलन से बेहाल था लेकिन रीमा की चूमा चाटी और मुठीयाने से मुरझा भी नहीं रहा था | बड़ी विषम स्थिति थी प्रियम की, रीमा चाची के सामने ही चार बार झड चूका था लेकिन मजाल है जो एक बार भी उसे रीमा ने इसके सुख का अहसास करने दिया हो |

रीमा प्रियम की हालत देख कर बोली - बिलकुल ऐसी ही हालत होती है औरत और उसके चूत की, जब कोई बिना पूछे, बिना चूमे, बिना चाटे, बिना मर्जी के औरत को चोदना शुरू कर देता है | उसे भी चुदाई में दर्द या चूत में जलन महसूस होती है, ऐसे ही जैसे अभी तुम्हे हो रही है | धीरे धीरे ये जलन तुमारी मै चाट चाट कर ख़त्म कर दूँगी और फिर तुम अपने वासना के ज्वार में डूब जावोगे | वैसे ही जैसे कुछ देर तक चूत में लंड जाने से चूत अपने आप गीली हो जाती है और औरत का बदन गरम, फिर वो भी चुदाई में साथ देने लगाती है | इसलिए ध्यान रखो बिना औरत की मर्जी के कभी उसकी चूत मत मारना, उसे बिलकुल उसी अनुभव से गुजरना पड़ता है जैसे अभी तुम गुजर रहे हो | जिस दिन इस दर्द के अहसास को अपना बना लोगे, और औरत को चोदते समय उसका ख्याल रखोगे, उसके बाद हर औरत खुसी खुसी तुमसे चुदेगी |

रीमा बर्गर को मुहँ में लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसका साइज़ बहुत बड़ा था. , फिर रीमा ने प्रियम के सुपाडे को चुसना शुरू कर दिया | प्रियम के लंड की जलन कम हो गयी थी और वो अपने लंड को काफी देर से हिला भी रहा था | बाकि कसर रीमा के चूसने ने पूरी कर दी | प्रियम की गोलियां फिर से फूल गयी और उसकी गोलियों में बचा हुआ सफ़ेद गरम रस उसके लंड के मुहाने की तरफ बह चला | प्रियम के हाथ पांव ढीले पड़ गए | प्रियम झड़ने लगा | अब उसके शरीर में जान नहीं बची थी, बस एक गरम रस का आवेग था जिसे बहकर निकल जाना था और प्रियम चाहता था ये जल्दी से जल्दी निकले | उसकी जान को सुकून मिले | इससे पहले कभी भी वो लगातार दो बार के बाद नहीं झड़ा था | आज तो उसकी सारी लिमिट टूट गयी | रीमा ने उसे जड़ सहित निचोड़ लिया | पिचकारी छुटते समय प्रियम की टांगे काँप गयी और उसका रस रीमा के सुडौल छातियों से जाकर चिपक गया | बस दो छोटी पिचकारी में ही उसका काम तमाम हो गया |

उसकी गोलियों में अब और रस नहीं बचा था | रीमा ने सब निचोड़ लिया था, एक एक बूँद निचोड़ लिया था | प्रियम पस्त हो चूका था | उसके हाथ पांव सब ढीले पड़ चुके थे | वो वही धम्म से बैठ गया | रीमा ने उसकी तरफ बर्गर बढ़ा दिया, बिना इनकार के प्रियम ने बर्गर ले लिया और खाने लगा | रीमा ने अपने उभरी छाती की पहाड़ी पर गिरे सफ़ेद रस को उंगलियों से पोछा और चाटने लगी | रीमा ने आज अपनी फंतासी जी भर के जी, प्रियम न आया होता तो शायद रूटीन की तरह नंगे होकर खाना बनाती, थोडा बहुत अपने जिस्म से खेलती और सो जाती | लेकिन प्रियम ने तो उसका दिन बना दिया | रोहित के चुदाई के बाद जो आत्मविश्वास उसे मिला था उसमे आज चार चाँद लग गए | पूरा सेक्स सेशन उसने लीड किया और प्रियम को अपने स्लेव की तरह बनाकर जो मर्जी हुई वो करवाया | उसे एक पल को प्रियम के लिए दुःख होता लेकिन अगलने पल ही वो गुस्से से भर जाती और खुद के फैसले और हरकतों को खुद के अन्दर ही जस्टिफाई करने लगती |

प्रियम तो बर्गर खाने के बाद जैसे फर्श पर ही पसर गया | रीमा समझ गयी उसे एनर्जी की जरुरत है, वो जल्दी से एग का फ्रूट शेक बनाकर ले आई |
उसने गिलास प्रियम की तरफ बढ़ा दिया - लो पियो |
प्रियम - आपने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, क्या मैंने इतनी बड़ी गलती कर दी थी की आप मेरी जान ही निकाल दो | आपने मेरो गोलियों की आखिरी बूँद तक निचोड़ ली है | मेरे लंड और सुपाडे में दर्द हो रहा है और गोलियों में भी | प्रियम दुखी होता हुआ बोला |

रीमा - लंड और गोलियों का दर्द तो ठीक हो जायेगा, कल सुबह तक गोलियां फिर से भरने लगेगी और २ दिन के अन्दर ही उनमे फिर से उतना माल जमा हो जायेगा जितने की अभी पिचकारी मारी है | तुमारी गलती इतनी बड़ी है की मै तुम पर अब जिंदगी भर भरोसा नहीं करूंगी | तुमने मेरा भरोसा तोडा है | ये जो सजा मिली है वो इस बात की है, औरत के कपडे उतारने से पहले उसकी इज्जत करना सीखो, चूत को चोदने से पहले उसकी कीमत जानो और उसको क़द्र करो | औरत का शरीर सिर्फ हांड मांस का जिस्म नहीं है, उसके साथ उसकी भावनाओं के अथाह सागर जुड़े है | उन भावनाओं की क़द्र नहीं करोगे तो तुममे और जानवर में अन्तर क्या है | औरत उन्ही भावनाओं में डूब कर ही तो दिलो जान से किसी को प्यार करती है और चुदती भी है | जब उन भावनाओं की क़द्र नहीं करोगे तो उसके जिस्म, उसकी चूत की क़द्र कैसे करोगे | औरत चुदते समय जिस दर्द के साथ लंड अपनी चूत में लेती, जिस दर्द से गुजरती है उसे महसूस तो करो, उसका अहसास तो करो कम से कम | जावो किसी औरत का दिल जीतो पहले, फिर जमकर चोदो उसे, जमकर मतलब जमकर, वो हर दर्द बर्दास्त करेगी, क्योंकि उसे पता है जिस लंड के लिए वो इतना कुछ बर्दास्त कर रही है उसे उसकी कीमत पता है, उसकी वो हमेशा क़द्र करेगा | अपनी गुलाबी मखमली चिकनी चूत को अच्छे से फैलाते हुए - देख लो इसे, ध्यान से देख लो, ये तुमारी रीमा चाची की चूत नहीं है बल्कि वो चूत है जो तुम्हे चाहिए, देखो इस छेद को ध्यान से, इसी में अपना लंड घुसेड कर अन्दर बाहर तो करना चाहते थे | ये मेरी चूत नहीं है ये वो चूत है जो तुम्हे चाहिए, सब औरतो की चूत एक ही जैसी होती है, रंग रूप की बात अलग है लेकिन जिस चूत को भी देखोगे ऐसी ही मिलेगी | जावो बाहर निकालो, अपने लायक, अपने लिए अपनी चूत ढूंढो, उसे अपना बनावो और खूब चोदो | यहाँ तुम्हें बस इतना ही मिल सकता है जितना तुमारे सामने है | इससे आगे बढ़ने की न तो मै तुम्हे इजाजत दूँगी और न ही तुम्हे इसका हक़ है |

रीमा ने जांघे समेत ली - जब तक तुम्हे चोदने के लिए तुमारी चूत नहीं मिलती, तुमारे लंड की स्टैमिना ट्रेनिंग जारी रह सकती है बशर्ते ये मै तय करूंगी की कब और कैसे ट्रेनिंग देनी है |
प्रियम - आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो, ऊपर से आप नंगी होकर तो कहर ही ढाती हो, भला मुझे कोई और कैसे पसंद आएगी |
रीमा - इस उम्र में होता है ये सब, धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा |
प्रियम - कैसे होगा, आपके जिस्म का इक एक हिस्सा, एक एक कसाव, एक एक कटाव, एक एक उभार सब देखा है मैंने | और कौन लड़की मुझे इस तरह से नंगा होकर ये सब दिखाएगी |
रीमा हल्का सा मुस्कुरा दी - पुरे के पुरे गधे हो क्या | क्या चाहते हो की पहले लड़की नंगा होकर तुम्हे अपना जिस्म दिखाए, अपनी चूत, छाती, चुतड के दर्शन कराये तब उससे दोस्ती करोगे | पहले दोस्ती होती है, खाना पीना साथ खाते है, कई महीनो तक अच्छे से एक दुसरे को जानने के बाद कही लड़की चुदने को तैयार होती है |
प्रियम - इतनी मेहनत करू भी और न पसन् आई उसकी चूत तो |
रीमा हंस पड़ी - चूत में क्या पसंद नापसंद, चूत तो सबकी एक जैसी ही होती है गधे कही के | रही बात मेहनत की तो देखो तो कितनी मेहनत लगती है चूत की एक झलक पाने में, चोदना तो बहुत दूर की बात है | यहाँ फ़ोकट में सब मिल गया] तो उल्टा मुझे ही ब्लैकमेल करने चले आये |
प्रियम - फिर भी न पसंद तो |

रीमा - पहले एक किसी को चोद तो सही, फिर बताना पसंद आई की नहीं | कम से कम तेरा खाता तो खुलेगा, फिर न पसन् आये तो लड़की को बोलकर अगल हो जाना, किसी और को ट्राई करना | लडकिय भी तो यही करती है | मेरी चूत के बारे में भूल जावो, ये तुम्हे मरते दम तक नहीं मिलने वाली | इसे चूम चाट लिया , इसे अपना सौभाग्य समझो | अब तो अन्दर तक छेद भी खोलकर दिखा दिया | इससे ज्यादा और क्या चाहिए | अब निकलो और सीधे अपने फ्रेंड के यहाँ जाना, जैसा तुमने रोहित को बोला था |

प्रियम ने झट से अपने कपडे पहने और अपने घर की तरफ निकल गया | जाने से पहले रीमा ने उसे कुछ गोलिया दी, जो इस तरह से निचोड़े जाने के बाद होने वाले उसके सर दर्द और बदन दर्द में काम आने वाली थी | रीमा ने उसे ये भी बता दिया की कब कौन सी गोली खानी खानी है | प्रियम राजू का मोबाइल लिए बिना ही वापस चला गया, उसे पता था की राजू को क्या बोलना है, रीमा नंगे ही खाना बनाने में लग गयी |

उस दिन के बाद से एक हफ्ते तक प्रियम को ये ही नहीं समझ आया कि उसके साथ हुआ क्या ? वो ईमानदारी से आकलन करने की मनोस्थिति में ही नहीं था, उसकी रीमा चाची उसकी ऐसी गांड फाड़ेगी, ये उसने सपने में भी नहीं सोचा था | उसे इस बात का भी अफ़सोस था कि गलती भी उसकी ही थी, लेकिन इससे ज्यादा सोच पाने में वो असमर्थ था | अपने दोस्तों को भी इस बारे में कुछ भी बता पाने में असमर्थ था, क्योंकि सच बोलता तो उसकी खिल्ली उड़ाई जाती और झूठ बोलता तो पकड़ा जाता | ऊपर से राजू पहले दिन से ही प्रियम से अपने फ़ोन के बारे में पूछ रहा था | प्रियम का हर बार एक ही जवाब होता कि कही खो गया है या गिर गया है वो उसे एक नया स्मार्ट फ़ोन लेकर दे देगा | अब सात दिन बीत चुके थे अब राजू का धैर्य जवाब दे रहा था | प्रियम ने हालाँकि खुद को सामन्य दिखाने की भरपूर कोशिश की लेकिन उसकी सुस्ती और कमजोर आत्मविश्वास ने राजू के अन्दर शक पैदा कर दिया |

उसने अपने मोबाइल पर कई बार फ़ोन लगाया लेकिन मोबाईल स्विच ऑफ़ ही आ रहा था | प्रियम ने भी उसे सिर्फ इतना कहा की वो उसको नया मोबाइल लाकर दे देगा इससे ज्यादा कुछ नहीं बोला | राजू समझ गया कुछ गड़बड़ है लेकिन प्रियम के मन की बात पता कैसे चले | एक दो बार उसने के साथ रीमा को लेकर अश्लील गप्पे मारने की कोशिश की लेकिन प्रियम ने अनमने भाव से मना कर दिया | प्रियम के खास दोस्तों में बस दो ही लोग थे एक जग्गू और दूसरा राजू | जग्गू से उसकी दोस्ती मतलब की थी चूँकि वो एक स्लम एरिया के मामूली से गुंडे का लड़का था, जो स्लम से निकालकर एक ठीक ठाक जगह रहने आ गया था | उसका बाप उसे अपने से अलग एक पढ़ा लिखा इंसान बनाना चाहता था इसीलिए उसको महंगे अंग्रेजी कॉलेज भेजा, लेकिन जग्गू एक नंबर का आवारा और बदमाश लड़का था | कॉलेज में आये दिन मारपीट करना धौंस दिखाना, कॉलेज के लड़के लडकियों को ड्रग्स बेचना (जो वो अपने बाप के पास से चुराता था ) और कभी कभार लडकियों को छेड़ना उसके लिए आम बात थी | पैसे और रसूखदार बाप की वजह से कॉलेज उसे फ़ैल नहीं करता था लेकिन बोर्ड में उसकी असलियत सामने आ ही जानी थी | इसके उलट राजू न केवल पढने में तेज था, बल्कि उसका दिमाग भी शार्प था | प्रियम अपनी बाते सिर्फ राजू से शेयर करता था लेकिन जग्गू को वो पता ही चल जाती थी | अभी तक जग्गू के मन में प्रियम की इमेज सिर्फ एक अमीर बाप की एकलौती औलाद की थी लेकिन जब से उसने रीमा चाची के लंड चूसने का किस्सा सुनाया तब से जग्गू की नजर में प्रियम की इज्जत और रुतबा दोनो बढ़ गया था | प्रियम और राजू दोनों कुंवारे थे, मतलब अभी तक दोनों के लंडो को चूत के अन्दर जाने का मौका नहीं मिला था जबकि जग्गू कई बार अपने रहने की पुराणी जगह जाकर झुग्गी की लड़कियों को चोद कर अपना कुंवारापन कब का गँवा चूका था |

फिर भी प्रियम ने जिस विस्तार से रीमा चाची द्वारा अपने लंड चूसने, मुट्ठ मारने और उनकी चूत चूसने की कहानी बताई थी, उसके बाद जग्गू को लगा एक बार प्रियम की रीमा को नंगा करके चोदना बनता है, हो सकता है उसे चुदाई का कुछ नया एक्सपीरियंस मिले | अब तक उसे कम उम्र लौडिया ही मिली थी जिनके हजारो नखरे थे, उन नखरो को झेलने में खड़े लंड को पसीने आ जाते थे, चुदाई का मजा लेना तो दूर बस किसी तरह से सारे जतन करके अपनी पिचकारी छोड़ने तक उन्हें रोकना मुश्किल हो जाता था | कई बार बीचो बीच चुदाई में उठकर भाग गयी और जग्गू को हाथो से हिलाकर लंड की प्यास बुझानी पड़ी | जवान होती जवानी में किसकी चाहत नहीं होती औरत के बदन की मादक खुसबू को अपने में उतारने की लेकिन राजू जग्गू की तरह मुखर नहीं था | उसकी भी चाहत थी कि वो किसी लड़की को चोद कर कुंवारापन मिटा सके लेकिन वो फट्टू बहुत था इसलिए लडकियों के मामले में हमेशा पीछे की तरफ भागता था | प्रियम के किस्से सुनने के बाद से दोनों की जवान होती लालसाए और ज्यादा तेजी से जवान होने लगी थी, क्योंकि उनके किशोर मन में पता नहीं क्यों ये बात घर कर गयी थी कि अब वो दिन दूर नहीं जब वो रीमा को चोदकर जवानी के आंगन में पहला कदम रख सकते है | एक सपना था जो उन्हें पूरा होता हुआ नजर आ रहा था | इस सपने की उम्मीद जगाने वाला और कोई नहीं बल्कि प्रियम था |

अब प्रियम को जल्दी ही जिस रीमा चाची के दर्शन हुई थे उसके बाद तो प्रियम की हिम्मत रीमा से नजर मिलाने तक कि भी नहीं थी | वो अन्दर ही अन्दर से बहुत पछता रहा था, उसे लग रहा था की अपना मामला उसे पाने और रीमा चाची के बीच ही रखना चाहिए था उसने राजू और जग्गू को बताकर शायद गलती कर दी | आये दिन जग्गू और राजू उसे रीमा को लेकर छेड़ते रहते और प्रियम बस चुपचाप उनके मजाक को सह लेता क्योंकि रीमा का नाम लेटे ही उसके सामने किचन का वो मंजर किसी फिल्म की तरह सामने चलने लगता | रीमा ने उसका आत्मविश्वास हिलाकर रख दिया था | वो रीमा पर बात करने से साफ़ मना भी नहीं पा रहा था जबकि उसके दोनों दोस्त खासकर जग्गू उसके मुहँ पर रीमा को चोदने की बात करने लगता | प्रियम बस टालमटोल करके जैसे तैसे उससे पीछा छुड़ाता |

इधर रीमा के आत्मविश्वास के क्या कहने थे, उसे लग रहा था की उसे आदमियों को कण्ट्रोल करना आ गया | उसने प्रियम से छीना मोबाईल, स्विच ऑफ़ करके अपने एडल्ट टॉयज वाले सीक्रेट ड्रोर में रखकर ताला लगा दिया | उसे उस मोबाईल से ज्यादा कोई मतलब था भी नहीं, बस अगर कभी प्रियम ने लाइन क्रॉस करी तो उसे धमकाने के लिए वो इस्तेमाल कर पायेगी | उस दिन के बाद रीमा अपने रूटीन काम में बिजी रही, उसका खुद के जिस्म के साथ खेलना भी जारी रहा | रीमा रोहित की बात होती, रीमा चाहती थी रोहित आये लेकिन अपनी तरफ से खुला आमंत्रण उसे देना अपने स्त्रीत्व स्वाभिमान के खिलाफ लगता था | उसको लगता था किसी न किसी दिन रोहित उसके जिस्म को भोगने की लालसा लिए हुए, उसकी चूत को चोदने की हवस से बेबस होकर किसी मल्लिका के गुलाम की तरह खुद ही आएगा | रोहित भी रीमा के पास आने की बहुत कोशिश करता, उसने प्रियम का अजीबो गरीब व्यवहार भी नोटिस किया, उसने प्रियम से इस बारे में पुछा, रीमा से भी जानने की कोशिश की लेकिन दोनों ने इस मामले को लेकर ओंठ सिल लिए थे |

रोहित भी बेहद सतर्क था कि कही गलती से भी प्रियम को उसके और रीमा के बारे में नहीं पता चलना चाहिये, क्योंकि प्रियम अब बड़ा हो गया था और औरत मर्द के बीच की दुनिअदारी समझने लगा था | जाहिर सी बात है रोहित और रीमा दोनों ही अपनी अपनी जगह तड़प रहे थे लेकिन परिस्थितयो के हाथो मजबूर थे | रोहित चाहता तो रीमा से कही बाहर भी मिल सकता था लेकिन शहर के लोग उसे अच्छी तरह से जानते थे इसलिए कोई भी उसे कही भी पहचान सकता था | रंगीन मिजाज होना एक अलग बात है लेकिन अपने ही मारे हुए भाई की बीबी के साथ सेक्स करना!!!!!!!!!!!!!!! समाज में हजार तरह की बाते होने लगेगी | वो तो एक बार को सुन भी लेगा लेकिन रीमा का क्या होगा? अभी वो जहाँ भी जाती है उसे उसके पति की जगह का सम्मान मिलता है | एक झटके में सब ख़त्म हो जायेगा, उसे संयम रखन चाहिए | यही सब सोचकर कर खुद को समझा लेता था |

फ़ोन पर बात करते समय एक एक दुसरे की भवनाओं का अंदाजा हो ही जाता था लेकिन क्या करे रोहित को इतना काम था कि एक दिन की भी छुट्टी नहीं थी ऊपर से उसे शायद अगले हफ्ते कम्पनी के नए प्रोजेक्ट की वजह से बाहर भी जाना पड़े | जाहिर सी बात है रोहित की धमक सिर्फ समाज में ही नहीं बल्कि उसके काम में भी वैसी ही थी | एक दिन रोहित ने बॉस से जल्दी जाने की छुट्टी मांगी, असल में राजू का बर्थडे था | राजू का बाप और रोहित दोनों जिगरी यार थे और सोशल स्टेटस भी बराबर होने के कारन उनमे खूब छनती थी | जाहिर सी बात है प्रियम और रोहित को जाना था | प्रियम सुबह से ही राजू के बर्थडे में जाने की तयारी कर रहा था | रोहित ने प्रियम को बोला था कि पांच बजे तक हर हाल में वो घर आ जायेगा | लेकिन जब वो बॉस के पास पंहुचा तो बॉस के केबिन में कुछ अलग ही रायता फैला हुआ था | कंपनी के ही क्वालिटी कण्ट्रोल डिपार्टमेंट की ऑडिट रिपोर्ट नेगेटिव आई थी और उसी डिपार्टमेंट की पॉजिटिव ऑडिट रेटिंग पर नए प्रोजेक्ट की डील फाइनल होनी थी | रोहित का काम डिजाईन और आर्किटेक्ट का था लेकिन अब ऑडिटर से रेटिंग पॉजिटिव करवाना बहुत जरुरी था वरना प्रोजेक्ट कंपनी के हाथ से निकल सकता था | बॉस रोहित की तरफ बहुत उम्मीदों से देख रहा था और रोहित भी मना कर सकने की स्थिति में नहीं था, क्योंकि अगर क्लाइंट प्रोजेक्ट रिजेक्ट कर देता तो रोहित का भी तो नुकसान था | रोहित ने ऑडिटर की बजट सीधे क्लाइंट से बात करने की सलाह बॉस को दी और तब तक एक जरुरी फ़ोन कॉल करके की बार कहकर बाहर आ गया | रोहित की बात सुनकर बॉस एकदम चौक गया | कुछ देर तो बाहर जा रहे रोहित को देखता रहा | फिर किसी को फ़ोन मिलाने लगा |

इधर रोहित ने घर पर फ़ोन मिलाया - हेल्लो प्रियम कैसे हो बेटा ??
प्रियम - डैड कहाँ तक पंहुचे, मै ready हूँ ?
रोहित - तुम अभी से ready हो गए |
प्रियम - यस डैड |
रोहित - हुन्हुन्हुन्हून | कुछ देर चुप्पी के बाद . . . . . . . .
प्रियम - हेल्लो डैड डैड . ,. . . . हेल्लो |
रोहित - बेटा एक प्रॉब्लम है, मुझे ऑफिस में बहुत ही अर्जेंट एक मीटिंग करनी है और इसमें रात के बारह बज सकते है, तो मै पांच बजे तक घर नहीं आ पाउगां |
प्रियम - नोनोनोन्नोनोनोनोनो दैदैदैद्द्द्दद्द्द , नो डैड डोंट से इट |
रोहित - प्रियम लिसेन तो मी केयरफुल्ली, इट्स अर्जेंट, वैरी अर्जेंट |
प्रियम मायूस होता हुआ - आप हमेशा यही करते हो, लास्ट वन इयर में मैंने एक भी बर्थडे पार्टी अटेंड नहीं है सिर्फ आपकी वजह से | राजू मेरा सबसे बेस्ट फ्रेंड है मुझे ये पार्टी अटेंड करनी है |

रोहित - यू डोंट अंडरस्टैंड, थिस इस वैरी टफ फॉर मी, लेकिन मेरा ऑफिस में रहन बहुत इम्पोर्टेन्ट है |
दोनों कुछ देर छुप रहे . . . . . . . . . समस्या ये थी पार्टी शहर से दूर बने एक गेस्ट हाउस में थी, वहां तक कोई भी पब्लिक व्हीकल नहीं जाता था और बाकि सारे लोग अपनी अपनी प्लानिंग के हिसाब से निकल गए थे | प्रियम को अकेला इस तरह जाने की परमिशन रोहित दे नहीं सकता था | उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे | तभी केबिन से बॉस की आवाज आई |
रोहित ने फ़ोन काटते हुए प्रियम से कहा - बॉस इस कालिंग मी, मै बस तुम्हे अभी फ़ोन करता हूँ | डोंट बी सैड, मै कुछ करता हूँ |
रोहित केबिन में घुस गया और बॉस के साथ क्लाइंट के साथ प्रॉब्लम को दुसरे तरीके से डिस्कस करने लगा | असल में रोहित को कुछ टाइम चाहिए था क्लाइंट से, कम से कम 6 महीने , तब तक एक और साइकिल ऑडिट हो जायेगा | वो क्लाइंट को ये समझाने में लगा था चूँकि ये एक बड़ा प्रोजेक्ट है, भले ही उनकी कंपनी को ऐसे प्रोजेक्ट का एक लम्बा एक्सपीरियंस है फिर भी क्यों न एक पायलेट प्रोजेक्ट पहले बनाकर स्टडी कर ली जाये ताकि फाइनल प्रोजेक्ट के फील्ड चैलेंज कम हो जायेगे | इसके पीछे रोहित का मकसद प्रोजेक्ट को 6-9 महीने डिले करने का था | क्लाइंट इस बात पर राजी तो हो गया लेकिन उसे पूरा प्लान अभी के अभी स्टेप by स्टेप समझना था | रोहित माथा पकड़कर बैठ गया | बॉस ने रोहित को उलझन में देख फ़ोन का स्पीकर म्यूट किया - रोहित एनी प्रॉब्लम, हमने कुछ ज्यादा तो नहीं प्रोमिस कर दिया |
रोहित - नहीं सर, आई कैन हैंडल इट |

बॉस - कुछ परेशान लग रहे हो |
रोहित - अब आपसे क्या छुपाना, मेरे बेटे के बेस्ट फ्रेंड का बर्थडे है और मैंने उसे प्रॉमिस किया था, मै उसे अपने साथ पार्टी में ले जाऊंगा |
बॉस - तुम नहीं जा रहे हो तो वो अकेला चला जाये, अब इतना भी छोटा नहीं है तुमारा बेटा |
रोहित - बॉस प्रॉब्लम ये है पार्टी, रिवर लाउन्ज में है |
बॉस - वो तो ये प्रॉब्लम है, और कोइ नहीं जो उसके साथ जा सके |
रोहित - राजू के साथ ही जा सकता था लेकिन वो लोग तो सुबह से ही बाहर है फैमिली सहित, है तो एक दो लोग, लेकिन सर ईमानदारी से कंहू, मुझे किसी पर भरोसा नहीं |
बॉस - मै समझ सकता हूँ | तुमारी सिस्टर आने वाली थी, कब आ रही है वो |
रोहित - सर वो जीजा जी के प्लान बदलते रहते है, जब उन्हें छुट्टी होगी तभी आयेगें |
बॉस - इट मीन्स कोई क्लोज रिलेटिव नहीं है जो प्रियम को रिवर लाउन्ज ले जा सके | यू नो रोहित हाउ इम्पोर्टेन्ट थिस इस |
रोहित - आई अंडरस्टैंड सर |
बॉस थोड़ा सोचकर - रोहित करेक्ट मी अगर मै गलत हूँ, याद है तुमने एक बार एक गॉर्जियस ब्यूटीफुल वैरी सिंपल लेडी से मिलवाया था, सीमा नाम था शायद उनका |
रोहित - सर रीमा |
बॉस - वो ब्यूटीफुल लेडी भी तो तुमारी शायद रिलेटिव है !!!!!!!!!!!!!!!!!!! इफ आई ऍम नॉट रांग |
रोहित मन ही मन बॉस को गलिय देता हुआ - साले ठरकी बुड्ढ़े, इस उम्र में तो तेरा वियाग्रा खाकर भी नहीं खड़ा होगा, रीमा के बारे में सोचना छोड़ दे हरामखोर साले | मुझे भी पता है वो ब्यूटीफुल है |

रोहित - यस बॉस, वो मेरे बड़े भाई की विडो है | कुछ सोचकर . . . . . . . . .
रोहित - बॉस आप क्लाइंट से कुछ देर गप्पे मारो, मै बस दो मिनट में आया |
बॉस - गुड लक, ब्यूटीफुल लेडी को हेल्लो बोलना |
रोहित मन ही मन में - ठरकी बुड्ढ़े काम पर ध्यान दे ----- ओके सर बोल दूगां |

रोहित ने रीमा को फ़ोन मिलाया | रीमा अभी घर पंहुची नहीं थी रास्ते में ही थी | आज के उसके कुछ अलग प्लान थे | उसने सोच रखा था, जाकर सबसे पहले 20 मिनट का पॉवर नैप लेगी | फिर मिनिमम कपड़ो में किचन की सफाई करेगी | फिर जल्दी खाना बनाकर, आज अपने सीक्रेट ड्रोर की सफाई करेगी | रोहित तो आने से रहा तो उसे अपनी प्यास अपने तरीके से ही बुझानी पड़ेगी, इसलिए उसी ड्रोर से अपने सीक्रेट टॉयज निकालेगी, जिन्हें खरीदने के बाद से एक बार भी रोहित के असली टॉय के दर्शन रीम को दुर्लभ हो गए, अब इन नकली मशीनी टॉयज से काम चलाना उसकी मजबूरी थी | इन टॉयज के साथ हर तरह की आजादी थी रीमा को लेकिन वो पुरुष देह का कठोर स्पर्श, उसकी मादक गंध, उसकी बलिष्ट भुजाये, चौड़ी छाती और गन्दी गन्दी मादकता फैलाती बाते | बहुत कुछ दिमाग में चल रहा था, लेकिन इतना तय था आज वो कुछ बड़ा खेल खुद के साथ खेलने वाली थी | जैसे ही उसका फ़ोन बजा, उसकी सोचने की तन्द्रा टूटी | स्क्रीन पर पर रोहित का नाम देखेते ही थोडा आश्चर्य हुआ, क्योंकि रोहित के फ़ोन आने का टाइम अक्सर फिक्स ही होता है | इस समय अचानक रोहित का फ़ोन आने से रीमा का चौकना स्वाभाविक था |

रीमा ने कॉल उठाई - हेल्लो रोहित . .
रोहित - हेल्लो रीमा , हाउ आर यू |
रीमा - मै अच्छी हूँ, अपना बतावो |
रोहित - एक काम है मेरा, अगर कर सको तो बहुत अहसानमंद रहूँगा तुमारा |
रीमा ने ताना मारा - मुझे पता था, बिना मतलब इस अबला को याद कौन करता है. . .
रोहित - रीमा मजाक नहीं, इट्स सीरियस |
उसके बाद रोहित ने सारी राम कहानी रीमा को सुना डाली | पहले तो प्रियम के साथ इतनी दूर जाने में रीमा हिचकी, वो निश्चित नहीं थी कि प्रियम कैसे रियेक्ट करेगा पब्लिक के सामने| उसके मन में हल्का सा संदेह था, इतनी दूर प्रियम के साथ अकेले गाड़ी में जाना ठीक रहेगा या नहीं, उसके अपने प्लान थे, अब उसे बेबी सिटर बनकर प्रियम के आगे पीछे घूमना पड़ेगा, पहले सोचा मना कर दे, क्या हो जायेगा अगर वो बर्थडे पार्टी में नहीं जायेगा लेकिन फिर रोहित के जोर देने पर सोचने को मजबूर हो गयी . . . . , फिर हिम्मत करके उसने रोहित को हाँ कर दी | उसने सोचा जो होगा देखा जायेगा . . . . |
रोहित ने प्रियम को फ़ोन मिलाया, प्रियम को जब उसने रीमा के साथ जाने के बारे में बताया तो एकदम से प्रियम उखड़ सा गया |
प्रियम - डैड ये आपके मेरे बीच की बात थी, ये रीमा आंटी बीच में कहाँ से आ गयी | आपने प्रॉमिस किया था चलने के लिए, मै किसी और के साथ नहीं जाऊंगा |
रोहित - मै मानता हूँ मैंने प्रोमिस किया था लेकिन अभी मै नहीं आ सकता | प्रॉब्लम क्या है रीमा के साथ जाने में |
मै नहीं चाहता तुमारी पार्टी मिस हो | मैंने रीमा से बात कर ली है |

प्रियम चौककर - क्या !!!!!!! आपने आंटी से बात भी कर ली और मुझसे पुछा तक नहीं डैड |
रोहित - तो क्या हो गया, तू ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहा है जैसे कोई बाहरी हो |
प्रियम - डैड मुझे आपके साथ जाना था, वहां ढेर सरो मस्ती करनी थी | आपको तो पता है न रीमा आंटी का नेचर | शी ऑलवेज बी सीरियस |
रोहित मन ही मन में - साले अपने बाप को चुतिया बना रहा है, मन ही मन में लड्डू फुट रहे होंगे | रोहित को असलियत पता नहीं थी इसलिए रोहित अपने हिसाब से अनुमान लगा रहा था - देख प्रियम तेरे पास ज्यादा आप्शन है नहीं , मै नहीं आ सकता बहुत ही इम्पोर्टेन्ट काम है | अब तुझे अगर राजू के पार्टी में जाना है तो तेरे पास सिर्फ यही एक रास्ता है | मैंने रीमा को बोल दिया है, एक घंटे के अन्दर वो रेडी होकर गाड़ी लेकर घर पर आ जाएगी | तू तैयार रहना | नहीं जाना है तो अभी बता दे |
प्रियम छुप रहा . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
रोहित - बोल हाँ या न |
प्रियम की सारी खुशियाँ हवा हो चुकी थी, बेहद मायुस आवाज में - ओके डैड . . . |

रोहित ने फ़ोन काटकर रीमा की मिलाया और उसे साफ़ शब्दों में प्रियम को किसी भी तरह के अल्कोहल पीने से रोकने की हिदायत दी | रीमा समझ गयी, उसे पता था अब क्या क्या करना पड़ेगा | पहले की बात होती तो एक सिंपल साड़ी लपेट कर पार्टी को रीमा चल देती, लेकिन अब वो अपने बारे में एक अलग नजरिया रखती थी इसलिए घर पंहुचने के बाद उसने अच्छे से खुद को तैयार किया | और अपने तय समय पर गाड़ी लेकर प्रियम के घर के सामने आ गयी | उसने एक दो बार हॉर्न दबाया, कुछ देर तक वेट किया जब प्रियम घर से बाहर नहीं निकला, तो रीमा घर के अंदर चली गयी | उसने प्रियम को आवाज दी | प्रियम अपने कमरे में कुछ ढूंढ रहा था | उसने अन्दर से ही धीमी आवाज में जवाब दिया | रीमा कुछ देर तक इधर उधर टहलती रही, फिर वही लटके झूले पर लेट गयी |

प्रियम अपने कमरे में कुछ नहीं कर रहा था बस वो रीमा का मूड पता लगाने की कोशिश कर रहा था | इसी चक्कर में बार बार पेंट बदल बदल कर पहन रहा था | पेंट पहनना तो बहाना था वो बस इतना निश्चित करना चाहता था की कही फिर से रीमा उसकी लेना न शुरू कर दे | रीमा ने फिर पुछा - क्या कर रहा है प्रियम, हम लेट हो जायेगें |
पूरी तरह से तैयार प्रियम अन्दर से धीरे से बाहर आया | रीमा ने झूले पर लेटे लेटे ही उसे ऊपर से नीचे तक गौर से देखा | रीमा - बच्चे पेंट की जिप बंद कर ले, बर्थडे पार्टी में जा रहा है लौंडियाँ चोदने नहीं |
प्रियम बुरी तरह झेंप गया - शिटटट ट ट . . . . . . . . . |
रीमा - जब बिना वजह पेंट बदलेगा तो यही होगा, मुझे पता है जब मै गाड़ी लेकर आई थी तो तू खिड़की के अन्दर से झांक रहा था | मुझे लगा अपने आप ही आ जायेगा | पर तुझे तो नौटंकी करने में और फिर अपनी बेज्जती करवाने में ज्यादा मजा आता है | कोई बात नहीं मेरे सामने क्या क्या बेज्जती. . . . . . . तुझे तकलीफ में देखकर मुझे भी दुख होता है | . . . . . . . . . . . अच्छे से सुन बिलकुल नार्मल दिखना, जैसा है, कॉंफिडेंट | अपने ऊपर ज्यादा लोड मत डाल, आज मै कुछ नहीं करने वाली हूँ | जो कुछ हुआ वो सिर्फ हमारे बीच में रहेगा, समझा न | (कुछ सोचकर ) अच्छा सुन . . . . . . . . . . . . किसी को न कुछ जताने की जरुरत है, न बताने की जरुरत, अच्छे से समझ ले फिलहाल आज के टाइम में रोहित और मुझसे ज्यादा सगा इस दुनिया में तेरा कोई नहीं है, कई मायनों में मै रोहित से ज्यादा सगी हूँ, रोहित के साथ तू बहुत कुछ नहीं शेयर कर सकता जो तू मुझे बेफिक्र बता सकता और जितना मै तेरे लिए कर सकती हूँ उतना कोई नहीं करेगा, मैंने अपने जिस्म का एक एक कोना तुझे दिखा दिया, और तो और तुझे अपनी चूत खोलकर दिखा दी है, तेरा भला ही चाहती और हर मुसीबत से भी तुझे बचाऊँगी बशर्ते मेरे सामने अपनी औकात में रहियो और मेरी बात मानेगा तो हमेशा फायदे में रहेगा | चल अब पार्टी फुल एन्जॉय करने को तैयार हो जा |
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