Episode 12
रीमा और नूतन दोनों मैंन हाल की तरफ भाग निकले, एक अच्छी खासी दूर आने के बाद नूतन ने जैसे तैसे अपने बदन पर कपडे डाले | उसके बाद दोनों मैंन हाल की तरफ चलते रहे | बीच बीच में नूतन अपने अस्त व्यस्त बालो को ठीक करने लगती लेकिन अभी भी उसे पूरा होश नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है , उसके टॉप से उसके बड़े बड़े स्तन बाहर को साफ़ झलक रहे थे | उसके बाल उलझे थे, चेहरे का मेकउप अस्त व्यस्त हो गया था, आँखों से आंसू निकलने के कारन काजल बहकर गालो तक आ गया था | दोनों तेज तेज भागते हुए मैंन हाल की तरफ पंहुच गए, बाहर लान में लाइट जल रही थी लेकिन धीमी धीमी, जबकि अन्दर हाल पूरा रौशनी से जगमग था | रीमा ने बाहर से ही हाल की तरफ देखा, जिसमे शीशे के बड़े बड़े दरवाजे लगे, उसे हाल में कोई दिखाई नहीं दिया | वह नूतन को वही एक कोने में खड़ी रहने को कहकर तेजी से अन्दर गयी, वहां कोई नहीं दिखा, उसे समझ नहीं आया कि लोग ऐसे कैसे गायब हो गए, कहाँ गए सब के सब | उसने वहां सर्व कर रहे एक वेटर से भी पुछा | उसने अनभिज्ञता जाहिर की | उसने वेटर से पानी की दो बोतले ली और नूतन को पकड़कर बाथरूम की तरफ चली गयी | बाथरूम जाकर उसका अच्छे से मुहँ धोया, नूतन के कपड़े ठीक करने लगी | नूतन की भी चेतना लौटने लगी थी | नूतन भी खुद को सँभालने लगी | नूतन ने अपना मुहँ पोछा, बाल ठीक किये और शीशे में खुद को देखने लगी | उसके चेहरे पर डर और सदमे दोनों के भाव थे | वो बस फिर से रोने वाली ही थी, रीमा ने हाथ पकड़कर मजबूत आवाज में - रोना मत नूतन, उस हरामी के पिल्लो को आज सबक सिखाकर ही यहाँ से जायेगें | अगर तूने रो दिया तो वो साला दो टके का लौंडा जग्गू और उसके अन्दर का जानवर जीत जायेगें | चल अभी तो उसकी फाड़ने की बारी है |
उधर जग्गू नशे और वासना में धुत , उसे समझ ही नहीं आया कि क्या हो रहा है, उसके हाथ पर नूतन के दांतों के खुनी निशान बन गए थे, वो दर्द से बिलबिला रहा था, लंड उसका पहले की तरह ही अकड़ा हुआ था | इधर जग्गू जब तक अपनी पेंट संभालता और उसमे अपने पूरी तरह से तने कठोर मुसल लंड, जो खून के तेज दौरान से फड़क रहा था, को हाथ से मसलता हुआ, नशे में हिलता हुआ, अपने हाथ को सहलाता हुआ, नूतन के दांतों के बने निशान देखकर कराहता हुआ जैसे ही रीमा और नूतन को पकड़ने/रोकने हट गेट के बाहर निकला, उसे रीमा और नूतन मैंन हाल की तरफ भाग कर जाती दिखाई दी | नशे में होने के बावजूद वो उनके पीछे भागा, उसकी पेंट और अंडरवियर घुटनों से खिसकती हुई पंजो की तरफ जा रही थी, जब उसकी पेंट और चड्ढी ही उसके कदमो में फसने लगी तो वो झुंझलाकर कुछ कदम दौड़कर रुक गया | नशे में भी उसका दिमाग काम कर रहा था, वो समझ गया मैंन हाल में उसका बाप होगा और ये जालिम कमसिन बेशुमार हुस्न की मलिक्का रीमा चाची पता नहीं क्या करने वाली है | उसने अपने मन में ही अंदाजा लगा लिया कि वहां क्या होने वाला होगा |
वो हाल की तरफ भागती जा रही रीमा के उठते गिरते थलर थलर होते और नूतन के अध् खुले बड़े बड़े मांसल उठे हुए चुतड़ो तब तक देखता रहा जब तक उसकी नजरो से वो मंजर ओझल नहीं हो गया | रीमा और आधी नंगी नूतन उसकी पलको के सामने से एक पल में ओझल हो गयी | जग्गू कभी अपने हाथ पर बने दांतों के घाव को देखता कभी खून से भरे तने कठोर लंड को | क्या करे क्या न करे ये सब उसकी समझ से दूर था | अपने घाव वाले हाथ को दुसरे हाथ से थामे, दर्द को सहता हुआ, पैरो के पंजो तक सरक कर पंहुची अंडरवियर और पेंट में फंसे पैरो से दो चार कदम और आगे की ओर चला, लेकिन रीमा और नूतन गायब हो गए थे, जहाँ तक उसे बल्बों की रौशनी दिख रही थी, सन्नाटा था, कोई नहीं था, उसके आगे घटाटोप अँधेरा | हारे हुए जुंआरी की तरह थका हारा जग्गू पीछे की तरफ लौटा, जैसे ही उसके कदम पीछे की तरफ घूमे उसे अपनी हालात का ख्याल आया | एक पल को वो तेजी से पीछे हटा, हाथ के दर्द को बर्दाश्त करते हुए, किसी तरह अपनी अंडरवियर और पेंट को ऊपर को चढ़ाया, और हट की तरफ भागा | हट के अन्दर आते ही जोर से चीखना चाहता था लेकिन चीख नहीं सका, अपने लंड को जोर जोर से मुठीयाने लगा, लेकिन शायद वक्त और माहौल को उससे ज्यादा उसका लंड भांप चूका था, उसने अपनी अकडन छोड़ नरम होना शुरू कर दिया, उसके अन्दर की वासना मर चुकी थी, उसके मन मस्तिष्क उसके हाथो का साथ नहीं दे रहा था | बेतहाशा मुठीयाने के बावजूद लंड मुरझाता ही जा रहा था |
आखिर हारकर उसने उसे अपनी अंडरवियर और पेंट में कैद कर दिया | उसे पता था मैंन हाल में जाना बेवकूफी है और प्रियम राजू ने भी उससे अपना राज शेयर नहीं किया था | कुछ देर अपने आधे होशो हवास में वो सोचते सोचते वही बैठा रहा फिर आखिरकार थके बोझिल लड़खड़ाते कदमो से हारे हुए योद्धा की तरह पार्किंग की तरफ चल दिया | वहां उसकी गाड़ी में लेटे उसके ड्राईवर को भगाकर उसमे लेट गया | ड्राईवर को जग्गू के इस तरह के व्यवहार की आदत थी, वो जाकर जान पहचान वाले एक ड्राईवर के साथ उसकी गाड़ी में बैठ गया |
रीमा और नूतन बाथरूम से मेकअप करके हाल में लौटी, लेकिन यहाँ पहले की तरह ही घनघोर सन्नाटा था | रीमा को कुछ समझ नहीं आया आखिर लोग गए कहाँ, वो इस तरह की शहर से दूर, नदी के किनारे जंगल के बीचो बीच में होने वाली पार्टियों में नहीं आती थी | रोहित ने एक दो बार उससे पुछा भी लेकिन उसने मना कर दिया था | ये पहला मौका था जब वो इस अनजान जगह आई थी | उसने वेटर से कपिल का नाम लेकर पुछा, वेटर ने इनकार कर दिया लेकिन जाते जाते वो एक सीनियर स्टाफ की तरफ इशारा कर गया- आप उनसे जाकर पूछ लीजिये | रीमा नूतन का हाथ थामे थामे उस तरफ बढ़ गयी |
रीमा सीनियर स्टाफ के बन्दे पास पंहुच कर कपिल के बारे में पूछताछ करने लगी | उसने गौर से रीमा को देखा और फिर नूतन को, वो पहले थोड़ा सकुचाया बताने में की कपिल कहाँ है लेकिन रीमा के जोर डालने उसने एक लोकल एक्सटेंशन नंबर मिलाया, बात होने के बाद रीमा को बोला - साहब अभी बिजी है आप मेसेज छोड़ दीजिये | रीमा का पारा चढ़ गया | वो सीनियर स्टाफ के बन्दे पर बरसने लगी, रीमा के तेवर देखकर उस बन्दे ने फिर फ़ोन मिलाया - इससे पहले वो दूसरी तरफ से बन्दे से अपनी बात पूरी कर पाता, रीमा ने उसके हाथ से फ़ोन रिसीवर छीन लिया और लगी धमकाने - व्हाट एवर यू मिस्टर, आई वांट टू टॉक टू मिस्टर कपिल राईट नाउ, राईट नाउ मीन्स राईट नाउ, इट्स लाइक इमरजेंसी, एनी वे टेल मी वेयर ही इस, आई ऍम कमिंग देयर |
सामने वाला बंदा गिडगिडाने लगा - मैडम गिव मी अ मिनट, मिस्टर कपिल टोल्ड अस डोंट डिस्टर्ब हिम एंड हिज फ्रेंड . . . . . . लेट मी टॉक टू हिम एंड इ विल कन्फर्म यू, मैडम प्लीज जस्ट वेट फॉर अ सेकंड |
रीमा - बेटर . . . . . . . . |
फ़ोन वाले बन्दे ने किसी से फ़ोन पर बात करी और कुछ देर बात रीमा को बोला - मैडम कपिल सर आपके पास 5 मिनट में आ जायेगें |
रीमा को ये सब बड़ा अजीब लगा | एकदम से कपिल और बाकि सारे मेहमानों का गायब होना, फिर पांच मिनट में कपिल का उसके पास आना | रीमा इस पर ज्यादा सोचने के बजाय जग्गू को सबक सिखाने के बारे में ज्यादा सोच रही थी | उसने इस घटनाक्रम पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, लेकिन उसके दिमाग के कोने में कीड़ा कुलबुला रहा था |
उधर कपिल को अंदाजा हो गया था कुछ सीरियस मैटर है इसलिए जल्दी से वहां से भागा, उसके साथ साथ लाउन्ज का मालिक और जग्गू का बाप भी साथ हो लिया | असल में सब के सब रीमा के बेमिशाल हुस्न पर अपनी आंखे सेकना चाहते थे | इस पार्टी में रीमा ही नई थी जो पहले कभी उनकी पार्टी में नहीं आई, बाकि सारी हुस्न परियों को वो पहले ही देख चुके थे, लगभग सभी के साथ वो फैमिलेअर थे और मौका मिलने पर उनके साथ फ्लर्ट करने से बाज नहीं आते थे | जो सेट हो गयी उनके साथ सोना तो इनका पंसदीदा शगल था | इन्हें पता था रीमा एक बहुत ही कठिन औरत है खासकर फ्लर्टिंग को लेकर, फिर भी उसके हुस्न का दीदार करने में क्या जाता है और शराब के नशे में थोड़ी आजादी लेकर रीमा के साथ गपशप करने में क्या बुराई है | यही सोचकर अपना जरुरी काम छोड़कर रीमा के एक फ़ोन पर मैंन हाल में तीनो हाजिर हो गए तीनो का साथ में आने का और कोई मकसद नहीं था | जग्गू का बाप इस रिवर लाउन्ज के मुख्य मालिक के साथ बिज़नस में हिस्सेदार था |
रीमा ने तीनो को आते देखा तो थोड़ा अजीब लगा | उनके पास आते ही समझ गयी तीनो नशे में फुल है, चूँकि पुराने पियक्कड़ है इसलिए इतनी शराब गले के नीचे उतारने के बाद भी फुल कण्ट्रोल में है | तीनो के ओंठ सुख रहे है और नशे में आंखे सुर्ख लाल है, आते ही तीनो रीमा को घूरने लगे | इससे पहले रीमा असहज हो कपिल बोल पड़ा - एक्स्चुज अस, बताइए रीमा जी, आपने मुझे क्यों याद किया है, कपिल आपकी सेवा में हाजिर है | ये गुलाम आपकी क्या खिदमद कर सकता है |
बाकि दोनों कभी रीमा को देखते कभी नूतन को | दोनों को बारी बारी से देखकर कुछ समझने की कोशिश में लगे थे, लेकिन डिकोड कर पाने में अक्षम थे |
आखिर सच रीमा के मुहँ से निकलने के बाद ही पता चला | रीमा ने तेज आवाज में में चिल्ला चिल्लाकर बताया, ताकि पुरे हाल में आवाज सुनाई पड़े - जब वो प्रियम को ढूढ़ने पीछे हट की तरफ गयी थी तो वहां शराब जग्गू नूतन का रेप करने की कोशिश कर रहा था |
नशे में होने के बावजूद सभी ने वही सुना जो रीमा ने कहा | किसी को भी यकीन नहीं हुआ | जग्गू का बाप अपने बेटे को जानता था, ड्रग्स का मामला होता या मारपीट का तो समझ में आता उसके लेकिन रेप, वो भी उस लड़की का जिसे वो रोज कॉलेज में मिलता है | जग्गू का बाप भी नूतन को जानता था | तीनो का नशा काफूर सा हो गया | तीनो में से किसी को भी रीमा की बात पर भरोसा कर पाना मुश्किल था | सभी हैरान थे, ऐसा हो कैसे गया | तीनो क्या सोचकर आये थे, की मौका मिलते ही थोडा बहुत रीमा के साथ मटरगस्ती करेगें लेकिन यहाँ तो सावन में रेगिस्तान वाला हाल हो गया |
रीमा की बात सुनकर, नूतन के हाव भाव देखकर कपिल समझ गया कुछ तो गलत हुआ है, वो एकदम से गंभीर हो गया - दिस इस शॉकिंग, अनएक्सेप्टबल | क्या मैंने जो सुना वही तुमने कहा |
रीमा ने अपनी बात फिर से दोहरा दी | कपिल और लाउन्ज के मालिक की नज़ारे नूतन की तरफ चली गयी | नूतन अब अपने आंसू नहीं रोक पायी, सिबुकने लगी | रीमा ने उसके कंधे पर हाथ रखकर ढाढस बंधाया |
कुछ देर तक तीनो नशे में धुत होने के बावजूद घटनाक्रम को समझने की कोशिश करते रहे और बार बार रीमा और नूतन की बातो को चुपचाप अपने अनुभव कि कसौती पर कसते रहे |
लाउन्ज का मालिक ज्यादा अनुभवी था, जग्गू का बाप उसका बिज़नस पार्टनर, ऐसे आंख बंद करके रीमा के कहे को सच मान लेने की बजाय उसने सच को परखना जरुरी समझा, नूतन के पास जाकर, उसके सर पर हाथ फेरा - बोलो बेटा, कुछ गलत किया जग्गू ने तुमारे साथ, डरो मत, हम सब तुमारे साथ है, ये जग्गू का बाप है, वो इसका बेटा हुआ तो क्या हुआ तुम बस सच बतावो उसकी ये हड्डी पसली एक कर देगा |
अब तक बमुश्किल सिबुकती नूतन अपने आंसू लेकर नूतन फफकने लगी, जोर जोर से रोने लगी | ये देखकर तीनो की हवा टाइट हो गयी, उन्हें मामले की गंभीरता समझ गई |
जग्गू का बाप - रो मत बेटी, मै एक बेटे का बाप हूँ तो दो बेटियों का बाप भी, टांगे चीर दूंगा उस जग्गू की, सच सच बोल, तेरे साथ क्या हुआ |
नूतन ने रोते रोते, सिबुकते हुए पूरी कहानी बताई, लेकिन कहानी का पहला भाग (राजी और प्रियम की लंड चुसाई) नहीं बताया | इसकी जगह वो बोली, उसे कुछ देर एकांत में रहना था तो वो पीछे की तरफ चली गयी | वहां कुछ कीचड़ था जो वो देख नहीं पाई, और उसके कपड़े में कीचड़ लग गयी, पास में कॉटेज था इसलिए उसके अन्दर बदलने चली गयी और इतने में पता नहीं कहाँ से जग्गू आ गया | उसके साथ जबरदस्ती करने लगा | नूतन की कहानी पर लाउन्ज का मालिक सवाल जवाब करना चाहता था लेकिन उसके बोलने से पहले ही जग्गू का बाप नशे में ही दहाड़ा - उसे कुत्ते के बच्चे को मै छोड़ूगा नहीं, जहाँ देखो वहां मेरी नाक कटवाता रहता है, समाज में कही जाने लायक नहीं छोड़ा है | इसलिए लिए इस सुवर को कही ले नहीं जाता हूँ | कहाँ है साला, ढूंढ के लावो, आज इसकी हड्डी पसली एक करता हो |
लाउन्ज का मालिक बीच में बोला - बेटा जहाँ तक मुझे पता है, पीछे कही कीचड़ है ही नहीं |
जग्गू का बाप - यार लड़की की हालत देख तुझे लगा रहा है कि ये झूठ बोल सकती है, तूने ज्यादा पी रखी है, तू चुप रह, मै इससे बात कर रहा हूँ न | नूतन बेटी तू बोल . . . . . |
नूतन - अंकल उसने मेरे बाल खीचे, दो बार मुझे जमीन पर पटका, किसी तरह से मै जान बचाकर भागी हूँ, अगर आपको यकींन हो तो उसके हाथ पर मेरे दांतों के निशान देख सकते है | मैंने बहुत जोर से काटा था और फिर अपनी इज्जत बचाकर भागी हूँ वहां से | बाहर आते ही मुझे रीमा औंटी मिल गयी | रीमा नूतन के शरीर पर के चोट के निशान दिखाते हुए - ये देखो सबुत |
लाउन्ज का मालिक फिर से कुछ पूछने जा रहा था, उसे जग्गू के बाप ने फटकारा - क्या यार तू भी व्योमकेश बक्शी हो रहा है, जग्गू को ढूंढ के ला, दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा | लड़की की हालत से नहीं लगा रहा तुझे कि इसके साथ कुछ गलत करने की कोशिश हुई है | जग्गू को ढूढ़ के ला यहाँ | जब लाउन्ज स्टाफ जग्गू को ढूढ़ने चला तो रीमा ने प्रियम को भी ढूंढ कर लाने को कहा |
जग्गू अपने बाप का इकलौता लड़का था फिर भी जग्गू का बाप उसको लेकर बहुत सख्त रहता था | जग्गू का बाप एक झोपड़ पट्टी में पैदा हुआ वही पला बढ़ा | आगे चलकर उसने ड्रग्स, फिरौती वसूलना, गुंडा गर्दी सब कुछ कुछ किया, फिर उसे एक लड़की से प्यार हो गया और वो लड़की शादी के लिए इसी शर्त पर राजी हुई की वो ये सब मारपीट गुंडागर्दी छोड़कर एक शरीफों वाली जिंदगी जियेगा | तब से जग्गू का बाप एक सफेदपोश बिज़नस मैंन बन गया | अन्दर खाने उसके कुछ पुराने धंधे चलते रहे कुछ बंद हो गए, लेकिन उसने पहले के कमाए पैसो से रियल स्टेट के बिज़नस में काफी पैसा लगाया और शहर के पह्चानदार लोगो में अपनी जगह बना ली | वो नहीं चाहता था की जग्गू उसकी तरह कम पढ़ा लिखा रहे, गुंडा गर्दी करे मावली गिरी करे, इसीलिए उसकी माँ से ज्यादा वो सख्त रहता था | यहिकरण था बाप बेटे का रिश्ता बहुत ज्यादा मधुर नहीं था | ऐसा नहीं था जग्गू का बाप उसे प्यार नहीं करता था, आखिर अकेला लड़का किसको प्यारा नहीं होता, फिर भी उसे अपराध की दुनिया से बचाकर एक अच्छा सिविल इंसान बनाना उसकी पहली प्राथमिकता थी और इसीलिए जग्गू को किसी भी गलत काम की सजा देने में उसे कोई हिचक महसूस नहीं होती, इसके उलट उसकी बेटियां न केवल पढने में तेज थी बल्कि आज्ञाकारी भी थी यही बात जग्गू के बाप को और परेशान कर देती इसीलिए कभी कभी वो जग्गू पर और ज्यादा कठोर हो जाता |
लाउन्ज के आदमी जग्गू को ढूढ़ने में लग गए | लाउन्ज में ठहरने का भी इंतजाम था | मैंन हाल के उत्तरी सिरे पर दो मजिल के बेहतरीन सुविधाओं से लैस कम से कम ३० कमरे थे | प्रियम, राजू और उसकी मंडली उसी बिल्डिंग की छत पर अपने में मस्ती कर रही थी | उन दोनों को होश की नहीं था की इतनी देर बाद बाद नूतन यहाँ नहीं आई और न ही उनका दोस्त जग्गू यहाँ मौजूद है | स्टाफ का आदमी पता लगाते लगाते बिल्डिंग की छत पर पंहुच गया | जब प्रियम को पता चला की उसे मैंन हाल में बुलाया गया है, तब उसे होश आया, की कॉटेज से निकलने के बाद नूतन कहाँ रह गयी | उसे रीमा चाची का ध्यान आया, उसने स्टाफ से मामला जानने की कोशिश की लेकिन स्टाफ ने अनभिज्ञता दर्शायी | प्रियम नशे में अब पहले से ज्यादा धुत था | जब स्टाफ के साथ प्रियम हाल में पंहुचा तो वहां रीमा चाची और नूतन को देखते ही सकपका गया | नूतन और रीमा चाची एक साथ . . . . . क्या रीमा चाची को उनका भी सच पता चल गया, लगता है नूतन ने सब बता दिया | अब तो गजब हो जायेगा , रीमा चाची सबको बता देगी और फिर हमारे बाप हम दोनों को कच्चा चबा जायेगें | अब क्या होगा, उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी |
रीमा ने प्रियम की हालत देखी, उसे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था, जग्गू का भी पता लगाया जा रहा था | रीमा ने स्टाफ के वहां से जाने के बाद तीनो लोगो से कहा - क्या वो एक मिनट के लिए पीठ करके खड़े हो जायेगे | सभी ने एक दुसरे को अचम्भे से देखा, चूँकि रीमा का तीनो को ये पहला अनुरोध था, इसलिए आँखों हो आँखों में इशारा हुआ और बिना किसी सवाल जवाब के तीनो घूम गए | उनका घूमना था कि तड़ाक की आवाज से पूरा हाल गूँज उठा - आज के बाद जब मेरे साथ आना तो ये दोबारा कभी मत करना |
तीनो जन चौंक गए, अचानक मुड़कर देखा तो रीमा गुस्से से लाल पीली प्रियम को घूर रही है और प्रियम अपने गाल पर हाथ रखे अपने असहनीय दर्द को छिपाने की नाकाम कोशिश करता हुआ, रीमा को देख रहा है |
प्रियम को लगा रीमा चाची को सब पता चल गया है, अब तो उसका मरण तय है, उसकी आँखों में तेज पड़े झापड़ के दर्द के कारन आंसू छलक आये |
रीमा दांत पीसती हुई - मैंने मना किया था न शराब पीने से |
यहाँ सबके सामने वो कॉटेज की हरकत के लिए नहीं मार सकती थी, रीमा को गुस्सा इस बात का नहीं था की कॉटेज में वो नूतन से अपना लंड चुसवा रहा था, उसे गुस्सा इस बात का था कि नूतन ने दोनों के लंडो को जमकर चूसा, उन्होंने भी उसके मुहँ को जमकर चोदा, नूतन दोनों को जितना सुख दे सकती थी दिया, फिर अपने अपने लंड से पिचकारी निकलते ही दोनों ने अपने कपड़े सही किये और नूतन को वही छोड़कर बेपरवाह निकल गए | वासना का बुखार उतरते ही उनकी दिलचस्पी नूतन में ख़त्म हो गयी | वो बस नूतन के जिस्म के सहारे अपनी किशोरवय वासना बुझाना चाहते थे या उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था, और ये उन्हें नूतन ने ऑफर किया था, फिर भी दोनों को फर्ज बनता था कि अपने लंड मुरझाने के बाद भी थोड़ी देर नूतन के साथ बिताते, उसके साथ बाते करते और कायदे से जब तीनो साथ साथ आये थे तो उन्हें नूतन को साथ लेकर ही वहां से निकलना चाहिए था | अगर वो दोनों अपने साथ नूतन को लेकर निकलते तो ये नौबत नहीं आती या जग्गू के आने पर वो दोनों वहां मौजूद होते तो भी ये नहीं होता जो हुआ | प्रियम ने एक लम्बी साँस ली, ये राहत की साँस थी - थैंक गॉड रीमा चाची ने शराब के लिए थप्पड़ मारा |
प्रियम - आई ऍम सॉरी |
रीमा - अभी तुमारी इतनी भी उम्र नहीं है जो शराब पियो, एन्जॉय वो करो जो शरीर बर्दाश्त कर सके |
जग्गू का बाप - आप बिलकुल सही बोली है रीमा जी, आजकल के लड़के इसी नशे में तो बर्बाद है |
रीमा बेरुखी से - नशे की बात आप तो न ही करिए . . . . . . . . . |
कपिल ने उसे कुछ इशारा किया, जग्गु का बाप कुछ बोलना चाहता था लेकिन चुप हो गया, फिर दहाड़ा - अरे भाई कहाँ है जग्गू, इतनी देर हो गयी है और तुम लोग उसे ढूंढ नहीं पा रहे हो, साला सबकी पगार आधी करवा दूंगा |
कपिल भी स्टाफ से कहने लगा - जल्दी करो, हम लेट हो रहे है, मीटिंग ख़तम हो जाएगी |
रीमा - रात को १० बजे कौन सी मीटिंग होती है |
कपिल - सॉरी मीटिंग नहीं डीलिंग | मीटिंग तो ऑफिस में ही कर लेते है, लेकिन ऑफिस में तो सिर्फ मीटिंग मीटिंग करनी है ये बिज़नस डीलिंग ऐसी पार्टियों में ही होती है | तुम नहीं समझोगी |
रीमा - हूंम्मम्मम्म |
जग्गू के बाप को भी मीटिंग की देर हो रही थी - उसने किसी को फ़ोन मिलाया, बात की | उसके बाद रीमा और नूतन को मुखातिब होकर बोला - हमारे लड़के ने बड़ी गलती कर दी है, हमें माफ़ कर दो | नूतन बेटा मेरा वादा है जग्गू सुबह सब मेहमानों के सामने तुमारे पैरो में नाक रगड़ रगड़ कर माफ़ी मांगेगा | उस नालायक की हरकत के लिए एक दो बेटियों का बाप तुमसे मांफी मांगता है | इतना कहकर नूतन के सामने कमर तक झुक गया | नूतन असहज हो गयी, जब उसकी बाप की उम्र का आदमी उसके सामने हाथ जोड़कर कमर तक झुककर खड़ा हो जाये |
रीमा और नूतन को ये समझने में कुछ वक्त लगा, आखिर फ़ोन पर बात करने के बाद जग्गू का बाप एकदम से सरेंडर मोड में क्यों आ गया | असल में जब लाउन्ज का स्टाफ जग्गू को ढूढ़ने में नाकाम रहा तो उसने अपने ड्राईवर को फ़ोन मिलाया और ड्राईवर ने न केवल जग्गू के गाड़ी में सोने की बात बताई, बल्कि जाकर उसके हाथ पर दांतों का निशान भी चेक किया | इसलिए जग्गू का बाप रीमा और नूतन के सामने झुककर मांफी मांगने लगा | अभी वो नशे में धुत सो रहा था इसलिए जग्गू के बाप ने सुबह तक रुकने की रिक्वेस्ट करी | लाउन्ज के मालिक भी रीमा और नूतन से मिन्नतें करने लगा, कुछ भी हो जाये ये बात बाहर पब्लिक को पता नहीं चलनी चाहिए | उसने FIR न करने के लिए स्पेशल रिक्वेस्ट करी | उसने पैसे से लेकर सबके सामने जग्गू से माफ़ी मांगने का वादा भी कर दिया | जग्गू के बाप ने भी वादा किया वो सुबह सबके सामने जग्गू से माफ़ी मंगवायेगा |
पैसो का नाम सुनते ही नूतन थोड़ा नरम पड़ गयी, एक गरीब परिवार से थी इसलिए पैसो की अहमियत उससे ज्यादा कौन जान सकता था, ऊपर से अगर जग्गू उससे जबदस्ती न करता तो शायद चुदाई को छोड़कर वो अन्य तरह के सारे सुख जग्गू को भी दे सकती थी | फिलहाल उसकी इज्जत पर कोई आंच नहीं आई थी, लाउन्ज का मालिक और जग्गू का बाप दोनों उसके सामने नतमस्तक थे ऊपर से अच्छा खासा पैसा भी मिल रहा था | नूतन जैसी महत्वकांक्षी लड़की को और क्या चाहिए था |
कपिल रीमा के थोड़ा करीब जाकर कान के पास - रीमा जी, इस लड़की से बोलिए थोड़ा कोआपरेट करे | ये लोग माफ़ी मांगने के साथ साथ पैसा भी अच्छा खासा देने को तैयार है |
रीमा हैरानी से कपिल को देखती हुई, कुछ सोचकर - इसका फैसला मै कैसे ले सकती हूँ, नूतन . . . . बोलो | रीमा को लगा था नूतन नहीं झुकेगी, क्योंकि उसकी जगह वो होती तो शर्तिया जग्गू को जेल भिजवाती , लेकिन नूतन की तरफ से हामी भरते ही रीमा सकते में आ गयी | नूतन की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही तीनो ऐसे भागे, जैसे कोई ट्रेन छुट रही हो |
रीमा को उनका इस तरह जाना जरा अजीब लगा, लेकिन वो नूतन के इस फैसले से खिन्न हो गयी | उसके नैतिकता के सारे सिधान्तो को एक पल में नूतन ने ठेंगा दिखा दिया था | आज ही रीमा को पैसे की ताकत पता चली और क्यों लडकियां पैसो के लिए किसी भी नैतिकता और आदर्शो को ठोकर मारने को तैयार है | वही है जो ये सब ढोने की असफल कोशिश कर रही है | कोई नहीं मानता इन खोखली बातो को आजकल | सब बिकाऊ है बस बोली लगाने वाला होना चाहिए | हेय द्रष्टि से नूतन को देखती हुई अगर इसका रेप हो जाता तो उसकी भी ये कीमत वसूल लेती | कैसी है आजकल के ज़माने की लड़कियां | कहाँ एक पल पहले वो नूतन की रक्षा के लिए किसी भी हद तक उसका साथ देने को तैयार थी और अब उसे नूतन के पास खड़े होने में भी घुटन होने लगी|
खुद को समझती हुई बोली, चल यहाँ से वरना तेरे दिमाग की नशे ये सब सोच सोच कर फट जाएगी | अपने विचारो की उधेड़बुन में खोयी पड़ोस में खड़े प्रियम पर उसकी निगाह गयी | और उसके विचार एक पल में बदल गए | मै कौन होती हूँ किसी को चरित्र प्रमाण पत्र देने वाली, मै भी इसका लंड चूस चुकी हूँ, ये मेरे जिस्म का कोना कोना देख चूका है, मेरी चिकनी गुलाबी चूत न केवल देख चूका बल्कि उसका तो रसपान भी किया | अपने लड़के की उम्र के बच्चे के साथ नंगी होकर मैंने भी तो अपनी प्यास बुझाई थी, कीमत सिर्फ पैसो की ही तो नहीं होती | तुमारी वासना भी तो बेलागाम थी और प्रियम का लोलीपोप लंड चूसकर तुमने उसे बुझाया | आखिर तुमने भी तो रिश्तो की बलि चढ़ा दी, इसके आगे पैसो की कीमत तो बहुत कम है | पराये मर्द का लंड अपनी चूत में लेने वाली मै कौन होती हूँ किसी की चूत को कुलटा का सर्टिफिकेट देने वाली | उसे पैसे की जरुरत है और कमाने का मौका है तो पैसा वसूल रही है | तुम्हे भी तो लंड की जरुरत थी और जब रोहित तुमारे पास आया था तो तुम मना कर सकती थी लेकिन तुमने मना नहीं किया फिर तुम नूतन से अलग कैसे हो | सबकी अपनी अपनी जरूरते है | रीमा के मन के अंतर्द्वंद का कोई अंत नहीं था लेकिन उसकी चेतना मन की गहराई से बाहर निकल वास्तविकता में लौटी, एक पल पहले जो मन नूतन के फैसले पर व्याकुल था वहां अब शांति थी और रीमा का मन स्थिर हो चूका था |
रीमा प्रियम से मुखातिब हुई - कहानी समझ आई या फिर से समझाऊ | चलो इतनी रात को मै वापस शहर नहीं जाउंगी | सुबह जब जग्गू नूतन से मांफी मांग लेगा तभी यहाँ से निकलूंगी | तब तक चलकर सोते है आराम से | एक काम करो तुम दोनों लोग चलो, मै जरा रूम की चाभी लेकर आती हूँ |
नूतन बोली - मै अकेले कंही नहीं जाउंगी |
रीमा - ठीक है एक मिनट रुको, मै (हाल के कोने में बने काउंटर पर बैठे आदमी की तरफ इशारा करके ) चाभी लेकर आती हूँ |
काउंटर पर बैठ आदमी फ़ोन में गौर से एकटक कुछ देखने में बिजी था | रीमा काउंटर पर गयी - गेस्ट कोड 17R के रूम की चाभी देना | उस आदमी में एक बड़ा सी चाभियो से भरी ड्रोर से दो चाभी निकाली और रीमा को दे दी | रीमा उसको थैंक्यू बोलकर बस आगे ही बढ़ी थी, पीछे से काउंटर पर बैठे आदमी ने उसे रोका - सॉरी मैडम, वो मैंने आपको एक गलत चाभी दे दी | एक आपके रूम की चाभी है, दूसरी मैंने आपको गलती से दे दी है |
असल में फ़ोन पर वो कुछ अश्लील फिल्म देख रहा था, इसलिए उसका पूरा ध्यान वही लगा हुआ था | रीमा की तेज निगाहे से उसका फ़ोन बच नहीं पाया | उसने सकपकाते हुए फ़ोन ऑफ किया | वो समझ गयी की ये फ़ोन पर क्या देख रहा था रीमा ने एक बार उस आदमी को घूर कर देखा और एक बार चाभी को, काउंटर पर बैठे आदमी ने चाभी लेने के लिए हाथ आगे किया | रीमा ने उसकी तरफ ध्यान देने की बजाय चाभी को ध्यान से देखा,चाभी पर 17R नंबर पड़ा था, उसने पहले वाली चाभी को देखा उस पर भी 17R पड़ा था |
रीमा ने दोनों चाभी को गौर से देखा, एक चाभी के दूसरी तरफ पैराडाइज लिखा था | रीमा ने पूछ लिया - दोनों चाभियो पर नंबर तो एक जैसा ही पड़ा है |
वो आदमी सकपकाया - मैडम वो मीटिंग रूम की चाभी है |
रीमा - मीटिंग रूम, जहाँ ये कपिल मीटिंग करने गया है |
स्टाफ - जी वो हमें नहीं मालूम |
रीमा - तुम्हें मालूम नहीं है तो यहाँ क्यों बैठो हो, जिसको पता है उसको बैठाओ यहाँ पर |
स्टाफ - मैडम, हमें जितना बताया जाता है उतना ही कर सकते है | आपकी चाभी ये है, वो पैराडाइज वाली चाभी आप वापस कर दीजिये |
रीमा चाभी को देखती हुई - ये पैराडाइज क्या है ?
स्टाफ - मैडम मुझे नहीं पता है, मुझे बस इस कंप्यूटर स्क्रीन पर आता है किस गेस्ट को कौन सी चाभी देनी है, मै उसे निकालकर दे देता हूँ |
रीमा - तुम्हे नहीं पता है तो किसको पता होगा ? उसका नाम बतावो नहीं तो मै तो दोनों चाभियाँ रखूंगी |
स्टाफ गिडगिडाने लगा - आप मेरे सुपरवाइजर से बात कर लो मैडम, मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता |
रीमा - सुपरवाइजर कौन है उसे यहाँ बुलाओ |
स्टाफ सरेंडर की मुद्रा में आ गया - मैडम मै आपकी फ़ोन पर बात करा सकता हूँ, मैडम आप समझ नहीं रही है मेरी नौकरी चली जाएगी | मालिक का सख्त आदेश है, किसी से जरा सी भी गड़बड़ हो तो उसे तुरंत नौकरी से निकाल दो |
रीमा ने स्टाफ की रोनी सी शक्ल देखि फिर चाभी को गौर से देखा, एक बार को उसने पैराडाइज वाली चाभी वापस करने को हाथ आगे भी बढ़ा दिया, फिर तेजी से वापस पीछे खीच लिया | रीमा ने प्रियम को इशारे से बुलाया, उसे अपने रूम की चाभी दी और बिल्डिंग में जाकर सोने को बोला | उसने प्रियम से थोड़ी देर में आने को बोला, वो बस दूसरी चाभी वाला मसला दूर करके आ जाएगी | साथ ही हिदायत दी नूतन को कही भी अकेला न छोड़े | साथ में लेकर सीधे रूम में जाये |
प्रियम नूतन चले गए | रीमा अब इस चाभी का सच जानना चाहती थी |
रीमा - दोनों चाभी एक जैसी, फिर मै इस चाभी को अपने साथ क्यों नहीं ले जा सकती | ये बताओ कपिल ले गया है ऐसी चाभी |
स्टाफ वाला बंदा कुछ सकुचाया, रीमा ने घुड़का - कंप्यूटर में देखकर बताते हो या फ़ोन वाली बात बताऊ तुमारे मालिक को और हाँ मै ये चाभी लेकर जा रही हूँ |
स्टाफ बस रीमा के पैरो में गिरने को रह गया था - मैडम मेरी नौकरी चली जाएगी |
रीमा - नहीं बताएगा, नौकरी तो तेरी वैसे भी जानी है |
स्टाफ बहुत ही धीमी आवाज में - हाँ मैडम, जिसको मीटिंग करनी होती है उसको ये चाबी दी जाती है और मीटिंग करने सब बड़े लोग आते है, हमें तो बस अपना काम करना होता है | मैडम प्लीज किसी को बताना मत की मैंने ये बात आपको बताई है |
इससे पहले वो कुछ समझ पाता, रीमा ने मॉनिटर की स्क्रीन अपनी तरफ मोड़ ली | पार्टी में आये गेस्ट में से जिनको भी वो जानती थी सबको पैराडाइज वाली चाभी भी असाइन थी | मजे की बात सॉफ्टवेर में मास्टर की भी दिख रही थी | रीमा ने मास्टर की का नंबर देखा, मॉनिटर स्क्रीन वापस उस बन्दे की तरफ घुमाते हुए - मै ये चाभी तुम्हें वापस कर दूँगी लेकिन एक शर्त पर, ये बतावो मै तुम्हें कैसी लगती हूँ |
वो भौचंका सा रीमा को देख रहा, वो कुछ समझ ही नहीं पाया, क्या बोले, क्या रियेक्ट करे |
रीमा - देखो मुझे M01R पैराडाइज चाहिए, मुझे पता है तुम पोर्न देख रहे थे और तुमने मुझे गलत चाभी भी दी है अब अगर मै अभी तुमारे बॉस को बुला लू या इस लाउन्ज के मालिक को तो तुमारी छुट्टी पक्की है | मै तुम्हे ये चाभी वापस कर दूँगी लेकिन M01R पैराडाइज चाभी चाहिए |
स्टाफ वाला बंदा हलकान हो गया, किर्तव्य विमूढ़ सा बैठा, क्या करे क्या न करे |
रीमा - देखो मेरे पास टाइम नहीं है, मुझे बस जाना है और वापस आना है २ मिनट लगेगे | मै थक गयी हूँ फिर मुझे सोने जाना है | ये चाभी मेरे हाथ में है, जल्दी से सोच लो |
स्टाफ - मैडम मेरी नौकरी चली जाएगी, मै सड़क पर आ जाऊंगा |
रीमा - नौटंकी मत कर ये ड्यूटी पर बैठकर पोर्न देखने से पहले सोचना चाहिए था | चल निकाल कर चाभी दे, नहीं तो अपने ऊपर वाले को फ़ोन लगा |
स्टाफ - मैडम आप दो मिनट में आ जाएँगी न |
रीमा - पक्का लेकिन जब चाभी देगा तब तो वापस आउंगी |
स्टाफ के बन्दे ने कांपते हाथो से ड्रोर से चाभी का गुच्छा निकाला, रीमा ने उसके हाथ से गुच्छा झपट लिटा और पलक झपकते ही चाभियाँ पलट पलट कर M01R दूंढ निकाली |
चाभी हाथ में आते ही - किधर जाना है, जल्दी बोल |
स्टाफ - मैडम वो मुझे नहीं पता, वो सिर्फ मेरे सुपरवाइजर को पता है |
रीमा - तू न बहुत बड़ा नौटंकी है, फ़ोन कर और पूँछ कर बता |
स्टाफ - मैडम मै नहीं पूँछ सकता, मालिक का सख्त आदेश है पैराडाइज के बारे स्टाफ में कोई भी किसी तरह की बात नहीं करेगा, न ही कोई जानकारी जुटाने की कोशिश करेगा | मैडम हमें कुछ नहीं पता, हम बस चाभी मैनेज करते है |
रीमा को लगा इस पर टाइम खराब करने से अच्छा है खुद ही ढूंढ ले | वो चाभी ले तेजी से बाहर निकली | स्टाफ - मैडम जल्दी आना, वरना मेरी नौकरी चली जाएगी | बाहर निकलते ही रीमा पहले गेस्ट के ठहरने के लिए बनी बिल्डिंग की ओर चली लेकिन तभी उसके दिमाग में कुछ कौंधा | जब वो प्रियम को ढूढ़ने पीछे की तरफ जा रही थी | तभी एक कॉटेज में तीन चार लड़कियां जाती दिखाई दी थी, जब तक रीमा उनके करीब पंहुचती कॉटेज बंद हो चूका था | जहाँ तक रीमा को याद है वो उस पार्टी में कही नहीं दिखी थी | कॉटेज के गेट पर एक हैंडल लॉक था और गेट पर लाइट्स जल रही थी, लेकिन कॉटेज का गेट खुलने और बंद होने के बीच कॉटेज में से कोई लाइट निकलती नहीं दिखाई दी | रीमा अच्छे से याद करके उस तरफ बढ़ी | लान की लाइट्स या तो बंद हो चुकी थी या डिम कर दी गयी थी | जब रीमा उस कॉटेज के पास पंहुची तो वहां घनघोर अँधेरा था | उसके आस पास की लाइट्स अब बंद हो गयी थी | रीमा कॉटेज के दरवाजे में लगे हैंडल को मोबाईल की रौशनी में देखने से पहचान गयी | उसका दिल जोरो से धड़क रहा था, इसका अहसास मंजिल के इतने करीब आकर हुआ | पता नहीं क्या हो रहा होगा अन्दर | मुझे क्यों अन्दर जाना चाहिए | जिसको जो करना है करे, मुझसे क्या मतलब | मै क्यों फालतू में किसी के लफड़े में पडू | अगर यहाँ किसी ने देख लिया, हाय मै तो शर्म से पानी पानी हो जाउंगी, क्या मुहँ दिखाउंगी इन सबको | अभी सबके सामने शान से छाती उठकर चलती हूँ, पता नहीं अन्दर क्या होगा, कौन होगा, क्यों फ्री फंड में मुसीबत को खुद ही दावत दे रही हूँ | इतने समझाने के बाद भी रीमा के मन के सवाल जस के तस थे | आखिर सबको पैराडाइज की चाभी क्यों दी गयी है सिवाय मुझे छोड़कर | क्या ये सब पहले भी आते रहे है या मै रोहित के बदले चली आई इसलिए | आखिर ये सब के सब औरते भी कौन सी मीटिंग कर रहे है | सिर्फ मै ही क्यों अकेले छोड़ दी गयी | मुझे अन्दर जाकर एक बार पता तो लगाना ही चाहिए | लेकिन अन्दर जाते हुए किसी ने मुझे देख लिया तो कितनी शर्मिंदगी होगी |
खुद को आस्वस्त करने और अपने अन्दर हिम्मत जुटाने में उसे कुछ समय लगा | आशंकित मन और कांपते हाथो से उसने हैंडल लॉक में टटोल कर मास्टर की लगायी और लॉक खुल गया | रीमा घटाटोप अँधेरे में अन्दर घुसी, जैसे ही उसने दरवाजा बंद किया, दरवाजा लॉक हो गया | दरवाजा लॉक होते ही एक कीपैड चमका और कीपैड से आवाज आई, इंटर योर कोड | रीमा को कुछ समझ न आया तो कुछ देर उलझन में उसी अँधेरे में शंकित नजरो से कीपैड को देखती रही, कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, रीमा को समझ नहीं आया क्या टाइप करे, करे या न करे, वापस भाग चले | लेकिन सवाल था अब वापस भी कैसे जाएगी | दरवाजा तो लॉक हो चूका है | कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, आर प्रेस यच फॉर हिंट | रीमा ने यच प्रेस किया, कीपैड से फिर आवाज आई इंटर योर कोड, योर कोड इज योर की नंबर | रीमा ने फटाफट M01R टाइप किया, कॉटेज के अन्दर बने 4 दरवाजो में से एक अनलॉक हो गया और हल्की सी रौशनी जल गयी, जहाँ से उसको नीचे की तरफ जाती हुई सीढियां दिखाई दी | रीमा धड़कते दिल और आइस्ता कदमो से सीढियों से नीचे उतरने लगी | नीचे जाते ही उसे हलकी रौशनी में चार दरवाजे फिर दिखाई पड़े, सब पर उनका कोड पड़ा था | रीमा ने M01R वाले दरवाजे में चाभी लगायी और दरवाजा खोलते ही फिर सीढियां दिखाई दी जो पांच कदम चलते ही खतम हो गयी | उसके बाद था एक आलिशान सा कमरा, जिसमे सोफा, बेड, टीवी और कुर्सी सब मौजूद था | कमरे में आगे बढ़ने पर उसके दोनों छोरो पर एक एक बड़ा सा शीशा लगा था जिसमे से बाहर की तरफ तो देखा जा सकता था लेकिन बाहर वाला अन्दर नहीं देख सकता था | शीशे के किनारे पंहुचते ही रीमा को समझ आ गया आखिर क्यों इसको मास्टर रूम कहा जाता है | शीशे से रीमा ने जो नजारा देखा, उसकी आंखे फटी की फटी रह गयी, उसने सपने में भी नहीं सोचा था यहाँ आकर ऐसा कुछ भी देखने को मिल सकता है, वो तो यहाँ कुछ और ही सोचकर आई थी लेकिन उसने ये सब तो कभी नहीं सोचा था |
रीमा की आँखों के सामने जो भी था वो रीमा के लिए एक 440 वोल्ट के झटके से कम नहीं था |
रीमा जिस कमरे में अभी थी, वहां मध्यम लाइट जल रही थी लेकिन बाहर से अन्दर दिखने का कोई चांस नहीं थी | कमरा काफी बड़ा था और साथ में अटैच्ड एक आलिशान बड़ा बाथरूम था | कमरे में एक तरफ छोटा सा केबिन भी बना हुआ था, जिसमे कम से कम एक दर्जन स्क्रीन लगी हुई थी | मास्टर रूम के चारो तरफ 8 फीट नीचे चारो तरफ एक दर्जब खुला केबिन बने हुए थे, जो लगभग लगभग उसके रूम की डिजाईन के ही थे लेकिन उनका साइज़ इससे छोटा था | हर केबिन में वही सारा सामान था जो मास्टर केबिन में था बस फर्क ये था उन सब की छत सीमेंट की नहीं थी | हर केबिन की छत पर एक वही शीशा लगा हुआ था जो मास्टर रूम में था, बस फर्क ये था उसमे केबिन की अन्दर वाला कुछ भी बाहर का नहीं देख सकता था, उसे छत की तरफ देखने पर ये अहसास भी नहीं होता की छत पारदर्शी है, लेकिन मास्टर रूम के दोनों छोरो पर शीशे से झांकते इंसान को उन केबिन की सुई तक दिख सकती थी | मास्टर केबिन की लाइट डिम थी लेकिन केबिन में लाइट बहुत थी और ऊपर से सब कुछ दिखाई दे रहा था | इसके अलावा मास्टर केबिन में बना साइड केबिन जिसमे हर केबिन की हरकत देखने को मॉनिटर लगे थे, वहां से भी केबिन में क्या हो रहा है इस पर नजर रखी जा सकती थी |
रीमा ने जो कुछ उन केबिन में होता देखा, उसके होश उड़ गए | उसे लगा कोई केबिन से उसे यहाँ खड़ा इस तरह देख न ले इसलिए पीछे हटकर बेड पर बैठ गयी | हर केबिन की एक अपनी कहानी थ, यहाँ कोई मीटिंग नहीं हो रही थी | ये एक अय्याशी का खुफिया अड्डा था इसलिए यहाँ सिर्फ उन्ही को आने की इजाजत थी जिन्होंने इसके लिए पैसे भरे थे | मास्टर केबिन और उसके आस पास के केबिन ऐसे डिजाईन किये गए थे, की किसी को भी भनक न लगे की पड़ोस में क्या हो रहा है और मास्टर केबिन में बैठा इंसान सब कुछ देख ले | जबकि केबिन का आदमी सिर्फ केबिन में ही मस्त रहे | मास्टर केबिन में एक बड़ा सा पर्दा था रीमा को समझ नहीं आया ये क्या है | वो बेड पर बैठी बस चारो तरफ केबिन का जायजा ले ही रही थी | मन में डर और आशंका के साथ एक अनचाही सी लालसा भी थी, वो क्या थी पता नहीं | रीमा शंकाओं से घिरी हुई थी, उसने केबिन में जो भी होता देखा वो उसके लिए किसी सदमे से कम नहीं था | वो ये सब देखकर कुछ भी सोच पाने में असफल थी | कैसी है ये दुनिया, कैसे है ये लोग | उसके अन्दर दुविधा, हीनता, अविश्वास और सबसे ज्यादा शर्म घर करती जा रही थी | उसने यहाँ का जो नजारा देखा उसके बाद यहाँ से जाने का फैसला कर लिया | वो इस गन्दगी से जीतनी जल्दी हो सके दूर जाना चाहती थी | उसने चाभी हाथ में थामी और तेजी से बेड से उठी और अपने केबिन के दरवाजे को उन लॉक किया और बाहर निकल गयी | जीतनी शांति से वो यहाँ आई थी उतनी ही शांति से वो यहाँ से चली गयी | वो कॉटेज से बाहर निकली ही थी, रोहित का फ़ोन आ गया | एक बरगी को रोहित का नाम देखकर चौंक गयी लेकिन उसे लगा शायद रोहित उसके और प्रियम के लिए चिंतित होगा, इसलिए फ़ोन किया होगा |
रीमा - हेल्लो रोहित |
रोहित - कैसी हो रीमा |
रीमा - बढ़िया |
रोहित - पार्टी एन्जॉय करी |
रीमा - अरे कहाँ ??
रोहित - झूठ क्यों बोल रही हो, मैंने सुना है तुमने वहां भी झंडे गाड़ दिए है | हर कोई तुमारा दीवाना हो गया है |
रीमा - जस्ट शट उप, . . . . . . . . . . . वैसे कौन बोल रहा है, किसी ने फ़ोन किया तुम्हे |
रोहित - अरे मुझे कौन नहीं जानता उस पार्टी में, कोई होगा मेरा शुभ चिन्तक |
रीमा - बाते न बनावो, कौन है वो ?
रोहित - अपने ख़ुफ़िया सूत्रों का खुलासा नहीं किया जाता |
रीमा - ठीक है फिर बाय, मुझे बात नहीं करनी तुमसे |
रोहित - अरे रुको रुको . . तुम तो नाराज हो गयी, वैसे क्या प्लान है |
रीमा - मै इतनी रात को नहीं आउंगी, सोने जा रही हूँ, थक गयी |
रोहित - और थकावट किस बात की है ????
रीमा भांप गयी रोहित मस्ती के मूड में - क्या बात है आज साहब जी का मूड बदला हुआ लग रहा है |
रोहित - तुमने प्रियम को थप्पड़ मारा, मुझे अच्छा लगा कि तुम्हे प्रियम को देखकर बुरा लग रहा था |
रीमा - उसने शराब पी रखी थी मेरे मना करने के बावजूद |
रोहित - इसलिए तुम्हे बुरा लगा न |
रीमा खामोश रही, रोहित आगे बोला - अच्छा वो सब सेंटीमेंटल बाते छोड़ो ये बताओ अभी हो कहाँ पर |
रीमा - कहाँ पर का क्या मतलब है |
रोहित - रिवर लाउन्ज में कहाँ पर हो |
रीमा - ये जानकर तुम क्या करोगे, वैसे में सोने के लिए गेस्ट रूम वाली बिल्डिंग में जा रही हूँ |
रोहित उसे रोकता हुआ बोला - अरे अरे रुको वहां मत जाना |
रीमा - क्यों ????
रोहित - पहले तुम अपनी लोकेशन बताओ. रिवर लाउन्ज के अन्दर एक्चुअली तुम कहाँ हो |
रीमा - नहीं रोहित, नहीं ये नहीं हो सकता, नो नो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता | इतनी रात को इस सुनसान जंगल में आने का कोई मतलब नहीं है रोहित, नो वे, तुम्हे यहाँ आने की कोई जरुरत नहीं है |
रोहित - रीमा रीमा रीमा तुम मुझे इतने सालो से जानती हो फिर भी . . . . . . . . . आने का सवाल छोड़ो, मै आलरेडी आ चूका हूँ |
रीमा के अन्दर आश्चर्य और ख़ुशी दोनों का मिश्रण था, लेकिन उसका मन ये मानने को तैयार ही नहीं था, उसे लगा रोहित मजाक कर रहा है - नहीं ये नहीं हो सकता |
रोहित - मै रोहित हूँ, मै कुछ भी कर सकता हूँ |
रीमा का मन ये मानने को तैयार नहीं था लेकिन उसका अंतर्मन की चाहत अन्दर से इतनी तेज वेग से बाहर निकली, की रीमा का मानसिक संयम धराशायी हो गया | रीमा के अन्दर अचानक से रोहित पास में होने की लालसा जगी और उसने रोहित जो अपनी लोकेशन बता - मै पैराडाइज कॉटेज की तरफ से मैंन हाल की तरफ जा रही हूँ ?
रोहित - ओह माय गॉड, क्या मैंने भी वही सुना जो तुमने कहाँ , पैराडाइज आर यू क्रेजी . . . . . . . . . . |
रीमा को रोहित का रिएक्शन अजीब लगा, उसे लगा शायद रोहित इसके बारे में जानता है - तुम जानते हो इसके बारे में |
रोहित को एक पल लगा रीमा के पैराडाइज वाली बात को हजम करने में - यकीं नहीं होता, तुम पैराडाइज इतनी जल्दी कैसे पता लगा सकती हो, तुम क्रेजी हो पूरी तरह से क्रेजी |
रीमा ने थोड़ा मासूम बनने की कोशिश की - तुम ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहे हो, जैसे मैंने अजूबा देख लिया हो | कुछ भी तो नहीं था, मैंने रिसेप्शन पर चाभी मांगी, उसने मुझे पैराडाइज की चाभी दे दी, तो पूछते पूछते पैराडाइज चली गयी लेकिन वहां तो घनघोर अँधेरा है, मुझे डर लग रहा था तो वही से वापस आकर मैंन हाल में वापस जा रही हूँ, उसको हड्काने |
रोहित - झूठ मत बोलो, तुमने सचमुच वहां कुछ नहीं देखा |
रीमा - वहां था क्या ऐसा देखने लायक, अँधेरे में कहाँ जाती, आगे का कुछ दीखता तो जाती न |
रोहित - चाभी नंबर क्या है तुमारा, बताओगी ?????
रीमा - पहले ये बताओ , ऐसा क्या खास है वहां, तुम ऐसे क्यों रियेक्ट कर रहे हो ??
रोहित - पहले चाभी नंबर ?
रीमा - ओके बाबा, तुम हमेशा अपनी मनवा कर ही मानते हो, चाभी नंबर है M01R |
रोहित - नो नो नो नो शिट, ये तुमने क्या कर दिया रीमा, तुम्हे पता भी है इसका मतलब |
रीमा - क्या क्या कहना चाहते हो, क्या खास है इस चाभी में ऐसा, एक नंबर पड़ी चाभी ही तो है |
रीमा अब जान बूझकर नाटक कर रही थी ताकि रोहित के मुहँ से उगलवा सके |
रोहित - वही रुक जाओ, वहां से हिलना मत, मै बस एक मिनट में आया | रोहित ने फ़ोन काट दिया |
बिना कुछ किये रीमा के चलते कदम ठहर गए | रीमा फ़ोन कान में लगाये - हेलो हेलो रोहित हेलो हेलो करती रही | वो समझ गयी रोहित ने फ़ोन काट दिया | रीमा सरप्राइज थी की रोहित यहाँ आ गया था | उसके मन में हजारो सवाल थे लेकिन रोहित के अपने पास होने की लालसा सब पर भारी थी | रोहित यहाँ क्यों आया है, किसने उसको फ़ोन किया था, रोहित पैराडाइज के बारे में क्या जानता है, कब से जानता है | क्या कभी रोहित भी पैराडाइज के अन्दर गया है | क्या रोहित पहले भी यहाँ ऐसी पार्टियों में आता रहा है | उसके दिमाग में सवालो की झड़ी लगी पड़ी थी | इस सबके बीच वो एक बात को लेकर निश्चिन्त थी रोहित से झूठ बोलने का कोई फायदा नहीं, उसने जो कुछ भी अन्दर देखा, सब का सब रोहित को बता देगी | रोहित से उसका सिर्फ एक रिश्ता था विस्वास का और वो उसे नहीं तोडना चाहती थी | रोहित भी कई बार मर्दों वाली बात रीमा को बता देता था जो के आमतौर पर औरतो के बताने से नुकसान हो सकता है | इस मामले में रीमा थोड़ी अलग थी, उसके अन्दर नैतिकता की दुहाई पर जीने वाली रीमा भी थी तो उसका एक डार्क शेड में था, जहाँ सारे नियम कानूनों से परे वो कुछ भी करने को आजाद थी | रीमा इन्ही विचारो की उधेड़बुन में खोयी हुई थी और पीछे से उसके कंधे पर किसी ने हल्का सा स्पर्श किया | रीमा के चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी | रोहित का स्पर्श, उसके अन्दर की कामना पूरी हुई, रोहित उसके पास था, उसके पीछे था | अन्दर से उमड़ रहे भावनाओं के ज्वार को काबू करते हुए पीछे की तरफ घूमी | रोहित और रीमा गले मिले | रोहित ने रीमा को एक गुलदस्ता दिया | एक पल को दोनों की नजरे मिली, दोनों मुस्कुराये |
रोहित - खूबसूरत लग रही हो हमेशा की तरह |
रीमा ने भी हाजिरजवाबी पेश की - तुम भी हैण्डसम लग रहे हो हमेशा की तरह |