Episode 15


उसने मिली की गर्दन थाम उसे उठाया और उसके लार से सने ओंठो को बुरी तरह चूमने लगा | वो भी सहाय का पूरा साथ देने लगी | सहाय ने उसके उरोजो को कसकर मसल दिया , जिससे वो चिहुंक उठी लेकिन उसकी आवाज उसके मुहँ में ही घुट गयी क्योंकि सहाय उसके ओंठो को बुरी तरह चूम रहा था | उसने एक हाथ से उसके चूत दाने को बुरी तरह से रगड़ने लगा, ताकि ठन्डे हो गए उसके शरीर में थोड़ी गर्मी आ जाये और उसकी चूत में गीली हो जाये | सहाय बिना रुके कुछ देर तक उसके चूत दाने को बेदर्दी से मसलता रहा और उसके रसीले ओंठो का रसपान करता रहा | चूत दाने पर हो रहे भीषण मर्दन से मिली फद्फड़ाने लगी | सहाय के ओंठो से अपने ओंठ अलग करते हुए - आआआह अब सर मुझसे रहा नहीं जा रहा है, अपना मुसल लंड घुसा ही दीजिये मेरी गीली चूत में, जमकर चोद दीजिये, चूत में बहुत पनिया रही है |

सहाय - हाँ साली रंडी की जनी, तुझे ही चोदने जा रहा हूँ, साली तूने भी तो चूस चूस के मेरी गांड फाड़ रखी थी, अब इस लंड को लोहे की राड की सख्त बना दिया है अब इसे तेरी चूत की भठ्ठी की आग ही पिघला कर नरम करेगी | जब तक तक ये लोगे जैसा सख्त लंड नरम नहीं होता तेरी चूत में की भट्ठी को चोद चोदकर उसमे हवा भरता रहूँगा और तेरी गुलाबी गरम चूत की भट्ठी की आग बढाता रहूँगा |

मिली कामवासना की उत्तेजना से बडबडाती - ओह्ह्ह्ह्ह्ह सरररर अब लंड घुस ही दो इस मुई चूत में, देखो कैसे फड़क रही है लंड लेने को |
सहाय - हाँ साली कुतिया, पता है तू बहुत गरम हो चुकी है इस वक्त, बस तेरी ही चूत फाड़ने जा रहा हूँ |
मिली - सर थोड़ा आराम से करना, आप एक बार चूत में लंड घुसाने के बाद कोई रहम नहीं दिखाते हो |
सहाय - साली चूत भी चुदवायेगी रंडियों की तरह और कहती है आराम से करना, एक बार चूत में घुसने तो दे फिर देख तेरी कैसी चीखे निकलता हूँ | साला लंड चूस चूस के मेरी गांड ही फाड़ दी | बिलकुल रंडियों की तरह चूसा है लंड तूने , तो अब रंडियों से भी बुरी तरह से चोदुंगा तुझे हरामजादी | तेरी चूत के चीथड़े न उड़ा दिए तो मै भी तेरा चूत खोर बॉस नहीं | साला कह रही है बहुत फड़क रही है, अभी फाड़ता हो तेरी फडकती चूत |
मिली - हाँ सर बहुत फड़क रही है |

सहाय - साली कुतिया, उसके चुताड़ो पर एक जोरदार चमाट मारते हुए, साली अभी देख कसी तेरी नाजुक चूत को चीर के भोसड़ा बनाता हूँ |
सहाय ने मिली को मेज पर पीठ के बल लिटा दिया, उसकी दोनों टांगे हवा में उठा दी , फिर उसे थोडा सा आगे की तरफ मेज के किनारे पर खीचकर उसकी जांघे अपने कंधो पर टिका दी | अब मिली की गुलाबी मखमली चूत बिलकुल सहाय के भूखे तड़पते, हवस की आग में भट्ठी बने लंड की सामने थी | अपने सामने गुलानी चिकनी साफ़ सुथरी चूत देख सहाय का लंड और पगला गया,उसमे खून का दौरान और तेज हो गया और वो वासना की आग में तपता जोर जोर से कांपने लगा | सहाय ने भी देर नहीं करी | उसने मिली को गोरी मांसल जांघे पकड़ कर उसे थोड़ा और अपनी तरफ खिसकाया, अब मिली के एक तिहाई चूतड़ मेज से बाहर लटक रहे थे | सहाय ने अपने लड़ का गरम सुपाडा मिली की गीली गरम चूत पर रखा और कमर में जोर लगाकर हचक के धक्का दे मारा |

सहाय का आग की तरह तपता मोटा लंड लंड मिली की भट्ठी बनी गुलाबी चूत को चीरता हुआ अन्दर तक जाकर धंस गया | मिली की तो चीखे उबल पड़ी |
मिली - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ मरररररररररर ररररररररररर ममामामामामामाम्मा
ईईईईईईईईईई गगागागाआआआआ आआआईईईईईईई ईईईईईईईईईइ |
एक ही झटके में लंड मिली की चूत की गुलाबी सुरंग की आधी से ज्यादा दूरी तय कर चूका था | इससे पहले मिली अपनी पहली चीख ख़त्म कर पाती, सहाय ने लंड को बाहर खीचा और फिर से और जोर से कमर को झटका दिया | सहाय का मोटा लंड मिली की चूत की चिपकी गुलाबी दीवारों को चीरता हुआ और अन्दर तक धंस गया |
मिली - मरररररर रररररररररर गाआआआआआआआ ईईईईईईईईई ईईईईईईईइ मरररररररररररररररर गाआआआआआआ आईईईईईईईई ईईईईईईईईइ, मार डाला बॉस आपने ने, आहआह्ह, ऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऊओफ़्फ़फ़्फ़, आऐईईईईई माआआआअ, मरररर गाईईईइ | ऊऊऊऊऊ आआऐईईईईईईईईईई आआआईईईईइऊऊऊऊऊऊऊउ |
सहाय अभिमान से हुंकारता हुआ - साली कुतिया फट गयी न गांड |

मिली - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ बाआह्ह्हूऊऊत्त्त दर्र्रर्रर्रर्ररद होहोहोहोहोहोहो र्र्रर्र्हहहहाहा है | आईईईईईईईई ईईईईईईईईइ माँआआआआअईईईईईईईईई |
सहाय फिर हुंकारा - साली अम्मा याद आ गयी अब, कैसे उछल उछल कर कह रही दी चोदो मुझे |ले अभी तो पूरा लंड खाया ही कहा है तेरी चूत ने |
सहाय ने फिर से सटक से लंड बाहर खीचा और फिर से करारा झटका दिया - सहाय का आग की तरह तपता लंड मिली की हवस की आग की गुलाबी भट्ठी में, उसकी चूत की गुलाबी दीवारों की हर अड़चन को चीरता हुआ चूत के अंतिम छोर तक जाकर धंस गया | सहाय ने एक हुंकार भरी और अपनी कमर को जोरो से हिलाने लगा |
मिली की चूत की दीवारे फट के दो फाड़ हो गयी, उसके बीच में सहाय के मोटे लंड ने अपना मुसल ठूंस दिया था , मिली की चीखे निकल आई और इस दर्द भरे झटको से भरी लंड पेलाई से मिली का कलेजा तो मुहँ को आ गया - हाय्य्य्य्य हाय्य्य्य्य साआअ ररर माआआआआआआ रररररर गाआई, फट्ट्ट्ट्ट गय्य्य्य्ई्ई्ई्ई मेरी चूत, ओह्ह्ह्ह्ह्ह जालिम लाआआआआड ने , मार्रर ही डाला रेएएएएएए | आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ रीईईईईए |
मिली खुद को संभाल नहीं आई इस भीषण दर्द में भी उसको ओर्गास्म हो गया |
मिली - आअहाआअहाआह्ह सर्र्र्रर्र्र मीईईरीईइ गाआईईईईईईईइ | आः आःह हाहाह आआह | मिली कांपने लगी |

सहाय मिली के कांपने तक थम गया, मिली का कांपना कुछ देर में ही रुक गया और सहाय ने फिर से एक भीषण ठोकर मरी और पूरा का पूरा लंड मिली की नाजुक गुलाबी दीवारों को चीरता हुआ उसकी मखमली गरम चूत सुरंग में घुस गया | झाड़ने से मिली की काम वासना की उत्तेजना कम हो चुकी थी, हालाँकि उसका बदन अभी भी गरम था फिर भी मिली दर्द से बिलबिला गयी, उसकी आँखों में आंसू छलछला आये | उसकी चूत पर हुए सहाय के लंड के इतने भीषण हमले से उसकी चूत में उठने वाला भीषण दर्द उसकी कमर चूतड़ जांघो तक फ़ैल गया | उसने सहाय के हाथो को कसकर थाम लिया क्योंकि चूत की दीवारे चीरने के बाद अब तो वो बेतहाशा जोरदार धक्के मार मार कर उसकी कमर तोड़ देगा | मिली जानती थी सहाय कैसी चुदाई करता है और अब तो बस लंड घुसाने तक ही दर्द होता है लेकिन पहली बार जब नौकरी के तीसरे महीने उसे सात दिन की छुट्टी चाहिए थी तब वो पहली बार बॉस के आगे गिदगिड़ाई थी और सहाय ने उसे गिव नाद टेक की पालिसी समझाई थी | फिर उस रात वो सहाय के घर गयी और रात में जो भीषण तरीके से उसकी चूत को रौंदा था सहाय ने | वो रात आज तक नहीं भूली, जब सुबह उसके बदन का पुर्जा पुर्जा दर्द से चीख चीख रहा था | सहाय ने उसे उस रात तीन बार चोदा था, रात के १० बजे से रात के एक बजे तक तीन बार बीस बीस मिनट तक उसे चोदा था | वो उससे पहले ऐसे कभी नहीं चुदी थी | पहली बार उसकी चूत कमर और चूतड़ पर इतने करारे झटके पड़े थे सहाय ने इतने करारे करारे झटके मार मार कर मिली को चोदा कि उसकी चूत, कमर, पिंडलिया, चूतड़, जांघे, पीठ, गर्दन सब सुबह बुरी तरह से दुःख रही थी |

हालाँकि सुबह वो ही मिली को क्लिनिक इस डर से लेकर गया कही उसने रात में चुदाई के जोश में कही मिली को चोट तो नहीं पंहुचाइ | मिली चौड़े मजबूत जिस्म की मालकिन थी, इसलिए उसका शरीर सहाय की ठोकरों से चूत चूर तो हो गया लेकिन वो टूटी नहीं | तब से लेकर आज तक वो मिली को ऐसे ही चोदता था, उसे फर्क नहीं पड़ता था की मिली के किस अंग में दर्द है, वो कराह रही है चीख रही है | जब तक उसका लंड मिली की चूत में रहता था उसे बस दनादन चुदाई याद रहती, जोरदार धक्के याद रहते थे, पूरी ताकत से लगाने वाले करारे धक्के, जिससे मिली का रोम रोम, पुर्जा पुर्जा हिल जाता था | मिली के बड़े बड़े चूतड़ और बड़े बड़े उरोर्जो का भी यही राज है | सहाय ने उन्हें कसकर इतना मसला है इतना मसला है की मिली के शरीर पर भी वो दोनों अलग चमकते है | उसकी उठी हुए भारी भरकम गांड और छाती के बड़े बड़े उरोज सहाय की मिली के जिस्म पर की गयी बेदर्दी भरी बेशुमार मालिश का ही नतीजा है | उसने मिली के खूब चूतड़ मसले है, खूब उरोजो को दबाया है | इसलिए आज मिली की छाती और चूतड़ दोनों कुछ ज्यादा ही उठे हुए बड़े बड़े नजर आते है | बदले में मिली ने भी सहाय से खूब पैसे कमाए है और सुविधाए ली है | मिली अपनी सैलरी से 6 गुना से ज्यादा कमा रही है, इसके अलावा सहाय से मिलने वाले गिफ्ट अलग | तो इस चुदाई के दर्द की उसने भी पूरी कीमत वसूली है |

सहाय जोरदार तरीके से मिली को ठोकर मार रहा था, अचानक चूत के चिरने से उसकी कमर चुताड़ो जांघो में घर कर गया दर्द अब गायब होने लगा था | उसके जिस्म में वासना की चिंगारियां फिर भरने लगी | उसका तपता बदन फिर से वासना की आग में झुलसने लगा | किसी चलते इंजन के पिस्टन की तरह सहाय का लंड मिली की गिलबी चिकनी चूत को रम रहा था | सहाय को लगा कही इस तरह से भीषण ठोकर मारते मारते मिली की पिंडली में दर्द न हो जाये | उसने मिली की चूत में लंड डाले डाले उसे गहरे से चूमने लगा | एक हाथ में ढेर सारी लार उधेली और मिली की चूत पर लंड निकालकर मलने लगा | मिली की चूत शुरूआत में लगे लंड के झटको के दर्द से उबर रही थी | सहाय ने इस समय धक्के रोककर उसे बड़ी राहत दी | चूत को चीरते लंड की ठोकरों से मिली के मुहँ से बड़ी दर्द भरी चीखे ही निकल रही थी | सहाय की भीषण चुदाई से आग की तरह तपती गुलाबी चिकनी चूत पर सहाय की गीली लार बारिश जैसी फुहार की तरह लगने लगी | मिली की चीखे सिसकारियो में बदल गयी | इससे पहले मिली कुछ सोच पाती तभी सहाय ने मिली को पलट कर उल्टा मेज पर टिका दिया, मिली भी फुर्ती से पलट गयी | अब मिली की पीठ सहाय के सामने थी और उसके भारी भरकम मांसल चौड़े चुतड सहाय के लंड पर नरम गुदगुदी कर रहे थे |

उसका भट्ठी की आग की तरह तपता लंड मिली के पसीने से नम नरम नरम चुताड़ो पर गुनगुना लग रहा था | मिली ने अपने दोनों हाथ मेज पर टिका दिए और पीछे को गर्दन घुमाकर देखने लगी | सहाय ने उसकी कमर पर हाथ रखकर थोड़ी से कमर हिलाई, फिर उसके मांसल चुताड़ो को कसकर मसलने लगा, उसके चुताड़ो पर एक एक थपाक मारी और अपना लंड उसकी गरम चूत के गुलाबी मुहाने में सटा दिया और जोर से धक्का देकर सटाक से अन्दर पेल दिया | मिली की चिकनी गीली गरम आग में धधकती चूत की गुलाबी दीवारों को चीरता हुआ लंड पूरी तरह से समां गया | सहाय ने जोर जोर से कमर हिलानी शुरू कर दी | मिली के लिए इसमें कुछ भी अजीब नहीं था | वही बॉस, वही उसका मोटा लम्बा लंड, वही चुदाई का वहसी भीषण अंदाज, ऐसे धक्को की तो अब मिली को आदत पड़ गयी थी | अब तो उसे हर तीसरे दिन चुदना ही था फिर क्यों न इन धक्को को बर्दास्त करना सीख ले | उसका गोरा मांसल बदन भी ऐसे धक्को का अभयस्त हो चूका था लेकिन कमोवेश पहली चुदाई के बाद हर तीसरे दिन अपनी चूत सहाय का लंड लेकर उससे ऐसे ही बुरी तरह चुदने के बावजूद सहाय उसकी चीखे निकाल ही देता था | अगर दो चार दिन तक उसकी चूत में सहाय का लंड न जाये तो मिली की चुदाई की भूख अपने आप ही उसके जिस्म को कचोटने लगाती | उसके लिए खुद की चुदाई की ललक को छिपाना मुश्किल हो जाता | वो अलग बात है सहाय ने ऐसे मौके बहुत कम ही आने दिए | दो ही बार ऐसा हुआ जब सहाय ने मिली को हफ्ते भर तक ना चोदा हो | एक जब वो विदेश गया था और दूसरा जब वो हॉस्पिटल में एडमिट हो गया था | बाकि उसकी मिली की चुदाई की कहानी हर बार सेम रहती जब भी वो मिली की गुलाबी चूत में पहली बार लंड पेलता, मिली की चीखे उबल पड़ती थी, जबकि सहाय ने उसकी चूत को चोद चोदकर चुदाई के लिए मजबूत बना दिया था सोचो अगर मिली की जगह किसी घरेलु औरत की चूत होती तो सहाय तो उसकी चीखे निकाल निकाल कर उसे बेहोश कर देता | मिली को करारे झटके लग रहे थे | मिली की चूत में सटासट एक बार में लंड पूरा सफ़र तय करके अपने अंतिम स्टेशन पहुँच जा रहा था और बिना रुके फिर वापस लौट लेता | ये सिलसिला इतनी तेज हो रहा था की लग था जैसे इंजन के बोर में पिस्टन आ जा रहा हो | मिली दनादन धक्को के बीच में ही अपना काबू खो बैठी, भीषण झटको से हिलती उसकी कमर में कम्पन होने लगा, जांघे कांपने लगी, उसके हाथो पर से उसका नियंत्रण छुटने लगा |

उसके दिलो दिमाग में थरथराहट होने लगी, उसके अन्दर उमड़ रहा वासना का तूफ़ान उसे अपने साथ उड़ा कर ले जाने लगा | वो फिर से कांपने लगी, वो फिर से झड़ने लगी लेकिन इस बार सहाय न रुका न थमा | उसके धक्के बदस्तूर जारी रहे | इतना तेज घर्षण, इतना घनघोर चूत की मखमली दीवारों का मर्दन, इतनी तेज मिली के चुताड़ो पर थप थप कर लगते झटके, उसका पूरा शरीर उन झटको से हिल रहा था और उसके बड़े बड़े सुडौल गोरे उरोज तो जैसे किसी मेले में झुला झूलने आये हो | हर धक्के के साथ उनका झूलना बदस्तूर जारी था | मिली कांप कर थम गयी और उसके चुताड़ो पर सहाय के धक्के बदस्तूर जारी रहे, सहाय उसे अपनी ही स्पेद्द से चोदता रहा | मिली के आह आह की कराहे और सहाय के मिली के चुताड़ो पर टकराती टांगो की थप थप की आवाजे कमरे में गूज रही थी | सहाय के धक्को से मिली का पूरा शरीर हिल रह रहा था | पंजो से लेकर सर तक कुछ भी स्थिर नहीं था |उसके चूतड़ सहाय की जांघो से चोट खाकर थलर थलर कर रहे थे | उसके स्तन, उसके बदन की तरह आगे पीछे झूला झूल रहे थे | वो बार बार अपनी रेशमी जुल्फे सँभालने की कोशिश करती लेकिन जब वो खुद ही अपने काबू में नहीं थी तो भला उसकी लटे कैसे काबू आती | उसके बदन पर फिर से वासना की तरंग चढ़ने लगी, उसके झड़ने की मिनट के अन्दर फिर से मिली अपनी चुदाई की तरंग में लौट आई | उसकी उत्तेजना फिर से उसके दिलो दिमाग पर छाने लगी | उसके बदन पर फिर से हवस का बुखार चढ़ गया और उस बुखार में उसका बदन का रोम रोम तपने लगा | सहाय के मोटे लंड की की भीषण चुदाई से उसके अन्दर कही हवस का एक दावानल उबलने लगा, जिसकी आग से उसका पूरा बदन तप रहा था और उस आग को बुझाने की प्यास में उसके बदन का रोम रोम प्यासा हो गया था, उसे अपने जलते बदन की आग बुझाने को उसे सावन की बारिश की ठंडी ठंडी फुहारे चाहिए थी जो सिर्फ उसकी चूत की भीषण चुदाई से निकलेगी |

इसलिए सहाय के हाहाकारी झटके और उसकी कोमल गुलाबी चूत को चीरता मोटे लंड का दर्द भी उसे मीठा मीठा गुनगुना लग रहा था | ये झटके ही अपनी बारिश की फुहारों से उस दावानल की आग को शांत करेगें | सहाय को सिर्फ मिली की चूत को चोदने से मतलब था लेकिन इसी हाहाकारी चुदाई में मिली अपने जिस्म की प्यास बुझा लेती थी | उसको मिलने वाला दर्द उसके लिए अमृत बन जाता | वो इसी दर्द में झटको से मिले कम्पन में अपनी उत्तेजना की तरंगे महसूस कर लेती | हर ठोकर से कांपते उसके बदन को एक अजीब सी संतुष्टि मिलती | मेज पर हाथ टिकाये सहारा लिए खड़ी मिली को सहाय पीछे से जबदस्त तरीके से चोद रहा था | मिली भी उतनी ही लगन से चुद रही थी | जब आदमी और औरत दोनों को चुदाई में दिलचस्पी हो और दोनों के बदन में हवस की आग बराबर लगी हो तो ऐसे ही औरत के चूतड़ कुचल कुचल के, उसके सुडौल स्तनों को मसल मसल के चुदाई होती है और औरत भी इस दर्द में बराबर मजा लूटती है, न कोई शिकवा न कोई शिकायत,बल्कि खुद ही गपागप चूत में अन्दर तक लंड लेती है | जिससे मर्फ को भी पूरा मजा आये और औरत को भी | सहाय का मिली से भावनात्मक लगाव नहीं था और मिली को ऐसे किसी चीज की उम्मीद नहीं थी | उसे इस चुदाई के बदले बहुत कुछ मिलता था इसलिए यहाँ सेंटीमेंटल बकवास के लिए कोई जगह नहीं थी | सहाय को पता था वो यहाँ क्यों आया है और क्या करना है और मिली को भी अच्छे से पता था कि उसे बॉस यहाँ क्यों लता है और उसे क्या करना होता है | एक चोदने आया था और दूसरी चुदने आई थी, दोनों के जिस्म में बराबर आग लगी थी, दोनों ही यहाँ अपने जिस्मो की आग बुझाने आये थे | एक चोदकर तो दूसरी चुदवाकर | तो जब दोनों एक ही काम के लिए आये थे और दूसरा कोई काम नहीं था तो दोनों दिल, आत्मा, मन ,तन ,बदन सब लगाकर वो एक काम क्यों न करते |

सहाय की बेदर्द ताड़बतोड़, टॉप गियर में बुलेट ट्रेन की स्पीड से की गयी चुदाई से हांफती मिली ने कमरे में उठ रही चुदाई की कराहे और ठोकरों की थाप के शोर को तोड़ते हुए सहाय से गन्दी गन्दी बाते शुरू कर दी - बॉस अपनी इस गुलाम को रंडियों की तरह चोदने में मजा आ रहा है | आपने तो शुरुआत में जान ही निकाल दी |
सहाय भी हांफता हुआ - हाँ मेरी चुदैल रंडी, तुझे चोदने में . . . बेबी तुझे चोदने में बहुत मजा आ रहा है, साला कितना भी चोदो, तुमारी चूत हमेशा उतनी ही टाइट रही है |
मिली - सच्ची बॉस,मेरी चूत टाइट है |

सहाय - साली कुतिया कौन सी क्रीम लगाती है जो हर बार ये इतनी टाइट हो जाती है, हर अपने लंड से चोद चोद कर इसको फैलाता हो, इसके छेद को खोलता हूँ, इसको भोशड़ा बनाता हूँ | तू हर बार इसे कच्ची काली जैसी चूत बनाकर ले आती है |
मिली - आपको मेरी कसी चूत चोदने में मजा तो आ रहा है न बॉस |
सहाय - हाँ बहुत मजा आ रहा है तेरी कसी चूत में पूरा लंड पेलने में | साला तेरी चूत चोदने के चक्कर में गांड में पसीना आ गया है | आआह्ह्ह्ह्ह्ह् क्या मख्खन मलाई जैसी चूत है, जैसे ही लंड डालो, कसकर जकड़ लेती है |

मिली - तो चोदो न बॉस, जमकर चोदो,जैसे मर्जी हो वैसे चोदो, जब तक मर्जी हो तब तक चोदो | ये चुदने के लिए ही तो है बॉस | हर रात इसे आपके लिए ही तो तैयार करती हूँ. ताकि अगले दिन आप इसमें अपना मुसल लंड डाल इसकी कुटाई कर सके |
सहाय - हाँ बेबी तुम बस ऐसे ही कसी कसी चूत लेकर आया करो और मै इसे चोद चोद कर भोसड़ा बनाता रहूँ |
तुमारी इस गुलाबी मांस की ओखली को कूट कूट कर मेरा मुसल भी कभी थकता नहीं है |
मिली - इतना कुटी जाती है बॉस फिर भी नहीं सुधरती ये मुई चूत |
सहाय कुछ देर मिली को धीमे चोदता, फिर एक दम से स्पीड बढ़ा देता और कुछ देर तक उसी भयानक स्पीड से मिली की चूत में लंड पेलता और तब तक पेलता रहता जब तक मिली की कराहे चीखों में नहीं बदल जाती या उसकी सांसे नहीं उखड़ने लगती | जब मिली के लिए चुदाई बर्दास्त से बाहर हो जाती तो सहाय फिर से अपना गियर बदल देता और धीमे धीमे चोदने लगता | जब फिर से मिली की सांसे काबू में आ जाती, सहाय फिर टॉप गियर डाल देता और दे दनादन दे दनादन धक्के पर धक्के धक्के पर धक्के मर मार कर मिली की चूत के रेल बना देता | इस हाहाकारी लंड पेलाई से मिली का कलेजा तो मुहँ को आ गया - हाय्य्य्य्य हाय्य्य्य्य साआअ ररर माआआआआआआ रररररर गाआई,मार्रर ही डाला आआआआआआआह्हीईईईईई ईईईईइ रीरीरीरीरीरीईईईईए |

लगातर लगते झटके से उसका शरीर हिल हिलकर चूर हो जाता, उसकी चूत और कमर में दर्द पैठ जाता और उसके मुहँ से निकलने वाली मादक कराहे आह्ह आःह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह करते करते आआआआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हा आआआआआआआह्हीईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊऊऊओओ सस्सस्सस्सआआहह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह तक और फिर दर्द भरी आआआआआआआआआआआआह्हह्हह्हह्हआआआआआआआआआआअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह की कराह तक पंहुच जाती | एक समय आता जब उसका मुहँ उसकी चूत में लग रहे लगातार लग रहे झटको के आघात से बंद ही नहीं होता और एक लम्बी न टूटने वाली रिदम में उसके मुहँ से आःह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आःह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आःह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आःह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आःह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आःह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह आःह्ह्ह आआआह्ह्ह्ह की कराह बस निकलती ही रहती | उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव आ जाते | वो बार बार सहाय की तरफ देखती, जो मशीन की तरह अपनी कमर हिला हिलाकर मिली की चूत का कचूमर निकालने पर आमादा है |

मिली की आँखों में याचना का स्वर होता है और मुहँ में दरद भरी लम्बी चुदाई की कराह लेकिन सहाय को फुर्सत कहाँ मिली की कराह सुनने की, उसे कहाँ फुर्सत मिली की आँखों में चुदाई का दर्द देखने की जो वो झटके धीमे कर दे | दर्द और भीषण झटको से बेहाल मिली आपने हाथ पाँव ढीले छोड़ मेज पर पसर गयी| उसका बदन नॉन स्टॉप इतनी स्पीड की चुदाई के बाद अपने आप ही निढाल होने लगा, तब जाकर सहाय ने मिली के बाल पकड़कर उसे चोदना शुरू कर दिया | बाल खीचे जाने से उसके चूतड़ फिर से सहाय की जांघो से सात गए | वो आगे की तरफ झुककर मिली को चूमने लगा तब उसे अहसास हुआ की उसने तो मिली को चोद चोदकर चूर कर दिया है, उसने आपने धक्के धीमे कर दिए और उसे गहरा चुम्बन करने लगा | मिली की जान में जान आई, उसका चेहरा दर्द से भर गया था, उसकी आँखों में वो पीड़ादायक झटकों और चुदाई का असर साफ़ दिख रहा था | सहाय ऐसे ही चोद चोद कर मिली का कचूमर निकाल देता था | कभी कभी मिली चुदते चुदते ही पूरी तरह पस्त हो जाती, न जांघो में जान बचती न हाथो में दम, बस सहाय की गिरफ्त में चुदती रहती, जमकर चुदती रहती, चाहे जितना भी दर्द हो थकान हो लेकिन मजाल है जो कभी सहाय को चुदाई के बीचो बीच चोदने से रोका हो |

सहाय मिली की चूत में आइस्ते आइस्ते लंड ठेलने में लगा था | उसने उसकी चूत को इतनी भीषण नॉन स्टॉप चुदाई के बाद भी आराम करने का कोई मौका नहीं दिया | उसमे आइस्ते आइस्ते लंड उसका रमता रहा | उसको मिली की चूत को चोदते चोदते काफी टाइम हो गया था, उसे लगा पोजीशन बदलनी चाहिए नहीं तो मिली को कही कोई दिक्कत हो गयी तो उसे प्रॉब्लम हो जाएगी | वैसे भी उसने लगातार दनादन धक्के मार मार के मिली का दम तो निकाल ही दिया था | मिली को वापस उसी तरह चुदने के लिए कुछ वक्त तो चाहिए होगा ताकि वो खुद को समेट सके, अपनी सांसे व्यवस्थित कर सके, अपने सरीर में फिर से उर्जा भर सके | सहाय को भी एक ब्रेक की जरुरत महसूस हुई | उसने कमर हिलाना बंद कर दिया और अपना लोहे की रोड जैसा मोटा सख्त गरम लंड मिली की चूत से निकाल लिया | लंड पूरी तरह से मिली की चूत के रस से गीला था | लंड को देखते ही मिली ने उसे अपने मुहँ में भर लिया |
आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ऐसा लग रहा था जैसे धूप में पड़ा गुनगुना केला मुहँ में डाल दिया हो | सहाय के तपते लंड को मिली के गीले मुहँ में बड़ी राहत मिली | सहाय तो आनंद से भर गया | मिली ने उसके लंड को चुसना शुरू कर दिया | अपनी गीली जीभ और लिसलिसे ओठो से अपने लंड चुदने के जादू का वो तिलिस्म बांधा कि सहाय के मुहँ से आहे निकलने लगी , वो एक झटके में इतनी देर तक मिली की चूत मारे में करारे झटको की सारी थकान भूल गया | उसका लंड एक दम तरो ताजा हो गया | मिली ने उठकर एक बोतल से एनर्जी ड्रिंक पी, जो की वो अक्सर चुदाई के वक्त साथ ही रखती थी | उसे पता था उसे इसकी जरुरत पड़ती है | बॉस से चुदवाना इतना आसन नहीं होता, जरा सी गलती और वो सारे ऐसो आराम, एक्स्ट्रा पैसे और नौकरी सबसे हाथ धो बैठेगी | वो इस बात का खास ख्याल रखती की बॉस को हर बार उसे चोदते वक्त कुछ स्पेशल फील हो | आखिर दुनिया में इतनी चूत है जो उसके अमीर बॉस से चुदने को राजी है, फिर जब तक वो कुछ स्पेशल नहीं देगी बॉस को, बॉस क्यों भाग भाग कर उसके पास आएगा | बॉस को जब मिली की चूत से वो स्पेशल मिलेगा जो और किसी चूत के बस का नहीं है तभी बॉस उस पर बेहिसाब पैसा खर्च करेगा |

सहाय मेज के पास से उठकर सोफे पर आ गया और पीठ के बल लेट गया | मिली भी ड्रिंक पीकर कुछ तरोताजा महसूस कर रही थी सहाय को लेटा देख समझ गयी अब उसकी बारी है | उसने अपनी दोनों जांघे घुटनों के बल सहाय के कमर के दोनों तरफ टिका दी और सहाय के लंड के ठीक सामने अपने भारी भरकम चूतड़ टिका दिए | मिली सहाय के ऊपर आने से पहले अपने बदन पर एक सुगन्धित तेल लगाकर आई थी जिससे भीषण चुदाई के बाद निकलने वाले मादक पसीने के बाद भी उसका बदन महकता रहे और उसके बॉस को कोई दिक्कत न हो | मिली के अपने ऊपर बैठते ही सहाय ने मिली के चूतड़ मसलने शुरू कर दिए | मिली आगे की तरफ झुककर सहाय के सूखे ओंठो को चूसकर उन्हें अपने मुहँ के रसीले मधुर रस से सरोबार करने लगी | सहाय भी उसके गुलाबी ओंठो का रस पान करने लगा | इधर उसके दोनों हाथ मिली के चुताड़ो का आटा गुथने में लगे हुए थे | मिली के चूतड़ यू ही नहीं उसके शरीर पर कुछ जायदा उठे नजर आते थे | सहाय को जब भी मौका मिलता वो मिली के चूतड़, कपड़ो के ऊपर से या बिना कपड़ो के मसलने लगता | उसका मिली के नरम मांस से अच्छे से भरे चौड़े गोरे गोरे मांसल चुताड़ो से विशेष अनुराग था, वो इसी तरह से मिली के छाती के स्तनों का भी आटा गूथना शुरू कर देता था | इनमे ऐसा खो जाता था कि कई बार मिली की चुदाई करना भूल जाता था और तब मिली को उसे याद दिलाना पड़ता था | अब मिली के चुताड़ो और स्तनों का मांस इतना बढ़ गया था कि सहाय को आटा गुथने के लिए मतलब भर का माल उपलब्ध होता | मिली समझ गयी अब सहाय के लिए आधा घंटा भी कम है | उसने सहाय को चुमते चुमते, एक हाथ से उसके कठोर लंड को अपने चूत के मुहाने पर लगाया और खुद ही चुताड़ो को नीचे को खिसका दिया | सहाय के लंड पर उसके जिस्म के बढ़ते भार से सहाय का लंड मिली की गुलाबी गरम चूत में समाने लगा और धीरे धीरे करके उसी में गायब हो गया | मिली ने ऊपर को कमर चूतड़ उछाले, लंड चूत से बाहर निकला, मिली फिर नीचे को बैठ गयी और लंड फिर चूत में समां गया |

मिली की अपनी कमर और चूतड़ हिलाने लगी | सहाय का पत्थर जैसा सख्त गरम तड़पता लंड, अपनी मखमली पनाहगाह में जाकर अन्दर बाहर होने लगा | मिली ने चुदाई शुरू कर दी | सहाय को इससे कोई मतलब नहीं था, वो बस मिली के चुताड़ो को दबाता रहा, उसके नरम मांस को मसल मसल कर मसाज करता रहा | जोर जोर से मसलने से मिली के चुताड़ो पर लालिमा आ गयी थी | मिली सहाय के ऊपर बैठकर खुद को ऊपर नीचे कर रही थी और एक तरह से सहाय को चोद रही थी भले ही लंड उसकी चूत में जा रहा हो | काफी देर तक मिली धीरे धीरे सहाय के लंड को अपनी चूत में ठेलती रही, आखिर वो भी थकने लगी | सहाय ने जब उसकी सांसो को उखड़ते देखा और उसके चुताड़ो को मसलना छोड़, हथेली खोलकर उन्हें कसकर थाम लिया, और मिली को आगे पीछे हिलाने लगा | उसका लंड मिली की रसभरी गीली चूत में सटासट अन्दर बाहर होने लगा | मिली सिसकारियां भरने लगी | वो लंड के इस तरह सटासट अपनी चूत में जाते देख अपने चूत दाने को रगड़ने लगी |
उसके मुहँ से बस मादक कराहे ही निकल रही थी - आआआअह्ह्ह कभी आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आह आआआआऐईईईईह्ह्ह्हह आह आआह्ह्ह | बस यही मिली के मुहँ से निकलने वाले शब्द थे |

सहाय नीचे से ही बुलेट ट्रेन की तरह अपनी कमर हिलाने लगा | मिली के चूतड़, मांसल चिकनी जांघे, सपाट पेट, भरा हुआ सीना, उठे हुए लटकते स्तन सर गर्दन सब थरथराने लगा, जैसे वो पटरी के किनारे बैठी हो और मालगाड़ी 100 की स्पीड में दौड़ती सरपट चली जा रही हो | उसकी चूत में सच में सहाय का लंड सरपट ही दौड़ रहा था और उसके मांसल चौड़े चुताड़ो सहित उसके पुरे बदन को थरथरा रहा था | सहाय फिर से टॉप गियर में मिली की चूत में लंड पेलने लगा | मिली इस भीषण चुदाई की उत्तेजना के रोमांच को दिलो दिम्माग में गहराई से महसूस कर रही थी | वो सहाय से मिलने वाले हर धक्के को अपने दिलो दिम्माग में संजो रही थी | मिली कराह रही थी, उछल रही थी, कामुक कराहे निकाल रही थी, मिली चुद रही थी कसकर चुद रही थी | इस चुदाई से थरथराते बदन में कब तरंग आती कब वो झड़ती उसे पता ही नहीं चलता | इस समय उसे बस अपने अन्दर पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होते लंड का अहसास था बाकि सारे अहसास बहुत पीछे छुट गए थे | इस समय उसका झड़ना न झड़ना बेमानी हो चूका था | वो दो बार झड चुकी थी अब तो बस चुदाई की ललक रह गयी थी भीषण चुदाई |

मिली के मुहँ से बस यही निकल रहा था - आह आह आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह ओह ओह ओह्ह्ह्ह्ह्ह आअहहहहहहहहह्हह्ह्हाआआआआआआ अहहह्हहहहहहहहहा हहह्हहाहह्ह अहहह्हहहहहहहहहा |

सहाय का लंड मिली की चूत में सटासट बिना किसी अड़चन के घुस रहा था | मिली की चूत की दीवारों और सहाय के लंड के बीच गर्षण इतना तेज था की सहाय का लंड और मिली की चूत दीवारे आग की भट्ठी की तरह तप रही थी | बेतहाशा चुदाई के कारन मिली की दीवारे गीली होकर फिर सुख गयी लेकिन सहाय के लंड की न स्पीड कम हुई न धक्के | मिली बस हर झाके के साथ टेप रिकॉर्डर की तरह बजती रही और उसके मुहँ से बस कराहने की अहहह्हहहहहहहहहा हहह्हहाहह्ह अहहह्हहह हहहहहहा जैसी आवाजे निकलती रही | सहाय अपना दम उखड़ने तक मिली को चोदता रहा और मिली बस सहाय से चिपकी अपनी चूत को सुपर फ़ास्ट ट्रेन की स्पीड से चुदवाती रही | मिली और सहाय दोनों से पसीने से तर बतर थे, मिली को सुपर स्पीड से चोदने के कारन सहाय भी बहुत हांफ रहा था और मिली भी मुहँ से तेज भाप छोड़ रही थी |
मिली लम्बी लम्बी तेज सांसो से हांफती हुई - सर आज क्या हो गया, आज तो आप सुपर फ़ास्ट एक्सप्रेस की तरह दौड़ रहे है, ऐसे ही स्पीड से चोदते रहे तो मै तो हांफ हांफ के ही मर जाउंगी |

सहाय भी हांफता हुआ बोला - आआअह्ह्ह्ह्ह्क्या बेबी इस्स्स्सस्स्स करू तुमारी चिकनी गुलाबी चूत जब चोदना शुरू करता हूँ, तो कुंवारी चूत जैसी फीलिंग करा देती है अआह्ह और फिर जब तुम्हे चोदते चोदते, चुदाई की ठरक इतनी तगड़ी हो जाती है की लंड न मुरझाने का नाम लेता है और न झड़ने का | तुमारी जवानी की गंध इतनी तेज है मेरा लंड मदहोश हो जाता है , ओह्ह्ह ह्ह्ह्हह तुमारे कोमल नाजुक बदन का जादू इस कदर मेरे दिलो दिमाग पर नशे की तरह चढ़ जाता है की कुछ याद ही नहीं रहता | तुम साक्षात् वासना की देवी लगने लगती हो | अब जिसके पास हवस की देवी खुद ही उसकी हवस की आग बढ़ाने के लिए मौजूद हो वो भला क्या थकेगा क्या रुकेगा | तुम लगता है पस्त हो गयी हो पूरी तरह | कोई नहीं आज मुझे भी कुछ ज्यादा टाइम लग रहा है, मैंने देर से झड़ने की दवा खा ली, मुझे लगा आज तुम पूरी रात चुदने के लिए तैयार होगी | इसलिए बहुत भीषण तरीके से तुमारी चूत चोदने की सोच कर. . . |

सहाय अपनी बात पूरी कर पाता इससे पहले ही मिली बोल पड़ी - आआह्ह्ह्ह सार्र्र्रर्र्र्रर मै रेडी हूँ बाआआआअस्स्स्स, आप मुझे रात भर चोदिये, बस बीच में थोड़ा साँस सँभालने का मौका दे दीजिये | आप भी थक गए होंगे |
सहाय बुरी तरह हांफता हुआ - अरे अभी कैसे मै थक गया |
मिली - सर आपका लंड इतनी देर से मेरी गुलाबी गरम भट्ठी बन चुकी सुरंग को चीर कर अन्दर तक रपट रहा है, उसे भी तो सटासट चलने के लिए ग्रीस और तेल की जरुरत होगी |
सहाय - आआह्ह ह्ह्ह्हह्ह अच्छा हाँ लंड की गीली मालिश की जरुरत तो है कर दो अपने नाजुक ओंठो से, बहुत कसकर चुदाई करी है बेचारे ने, उसका भी ग्रीस कम हो गया होगा, हमेशा की तरह मजा आ गया तुझे चोदकर, साला जन्नत की सैर करा देती है बिना उफ्फ्फ्फ़ सूउफ़्फ़्फ़्फ़ किये | दूसरी चुते तो चीख चीख कर कान फोड़ डालेगी जो ऐसे चोड़ दिया तो, ऊपर से पांच दिन बिस्तर से नहीं उठेगी सो अलग | कितना भी चीखे चिल्लाये लेकिन चुदाई में खलल नहीं डालती साली तू . . . . . . . . . . . बहुत ही रंडी चूत है कितना भी चोदो थकती ही नहीं |
मिली भी खिलखिला पड़ी |
मिली ने सहाय का लंड अपने मुहँ में ले लिया | मिली ने ऐसे सहाय के सामने मुहँ खोल दिया जैसे वो लंड चूसने के लिए बरसो से प्यासी हो, तड़प रही हो | मिली की लंड चूसने की ललक देखकर सहाय भी हल्का सा कामुकता से मुस्कुरा दिया | उसने अपने तने सख्त लंड को जड़ से थामा और मिली के सर के बाल पकड़कर उसके खुले मुहँ में ठेल दिया और कमर हिलाकर उसका मुहँ चोदने लगा | मिली के मुहँ में धक्के लगाने के बाद जब उसने लंड बाहर निकाला तो वो मिली के मुहँ की लार से सना हुआ था, उसके सुपाडे पर ढेर सारी लार चिपकी हुई थी |

सहाय ने अपनी दोनों हथेलियों से मिली का सर थम लिया ताकि उसका सर स्थिर रहे और उसके कमर हिलाने से उसका मोटा गरम खड़ा लंड सीधे उसके मुहँ में जाये, और इधर उधर उसके चेहरे पर लगकर उसे कोई नुकसान ना पंहुचाये | मिली भी ऊपर की तरफ गर्दन करके सहाय की आँखों में आंखे डाले देख रही थी | सहाय भी नीचे की तरफ मिली की आँखों में देख रहा था | सहाय ने मिली के खुले मुहँ में लंड घुसेड़ दिया | पहले से इतर इस बार वो लंड को मुहँ में गहराई में घुसेड़ कर मुहँ चोदने लगा | उसका लंड मिली के मुहँ के नीचे गले तक जाकर टकरा रहा था | वो लंड को मिली के मुहँ में अन्दर घुसाकर ही उसे चोद रहा था | मिली के मुहँ से बेतहाशा लार बह रही थी, मिली बार बार अपने नाजुक गुलाबी ओंठो से सहाय के मोटे गरम सख्त लंड के चारो ओर घेरा बनाने की कोशिश करती लेकिन मुहँ पर लगते सहाय के लंड के झटके से उसके ओंठो का घेरा टूट जाता | वो पूरी कोशिश कर रही थी कि सहाय का लंड उसके नरम ओंठो के कसे हुए गुलाबी छल्ले से गुजरता हुआ उसकी खुदुरी जीभ पर से रपटता हुआ गले तक उतरे लेकिन न उसकी सांसे काबू में थी न ही सहाय की | बस दोनों वासना की आग में जल रहे थे और अपने बदन की आग बुझाने की उत्तेजना में हर वो काम क्रीड़ा कर रहे थे जो दो जवानी के आग में धधकते जिस्म कर सकते है | हर एक राउंड की मुहँ चुदाई के बाद ढेर सारी लार मिली सहाय के लंड पर उड़ेल देती | उसके मुहँ से लार की तो जैसे नदी बह रही थी | बीच में बीच में मादक कराहे निकालती, जिससे सहाय उत्तेजित होता | उसका लंड चूसते हुए भी उसके मुहँ से ऐसी कराहे घुटी घुटी आवाजो में निकलती जी सहाय के दिलो दिमाग को बहुत आनंदित कर जाती | मुहँ चूसते चोदते समय निकलने वाली मादक आहे सहाय की उत्तेजन में उत्प्रेरक का काम करती | मिली ने सहाय का लंड जड़ से थम कर उसे अच्छी तरह से कसकर चुसना शुरू कर दिया और लंड बाहर आते ही उसके मुहँ से आआहा आहाहहह्हाहा की कराह निकल ही जाती जो कमरे की उत्तेजना और बढ़ा देती | मिली कभी सिर्फ सुपाडे को चूसती, कभी जड़ से लंड से थाम पूरा का पूरा लंड मुहँ में घोट लेती, जो उसकी गर्दन में जाकर अड़ जाता और फिर वो जबदस्ती सहाय के लंड को जड़ तक साबुत निगलने का प्रयास करती और वापसी में लंड मुहँ से निकालते समय आह आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह आह आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह और स्ल्स्लस्ल्स्लस्ल्स च्प्च्पच्प्च्प चप चप चप के साथ एक लम्बी साँस लेती |

सहाय फिर कमर हिलाने लगा | मिली ने अपना मुहँ को खोलकर ओंठो का गोल छल्ला बना दिया ताकि सहाय के लंड के लिए मुहँ का छेद चूत की तरह एक सुरंग बन जाये और वो उसके मुहँ की चुदाई कर सके | सहाय मिली के मुहँ को चोदने लगा | स्ल्स्लस्ल्स्लस्ल्स च्प्च्पच्प्च्प खप चप स्लप इस्सस उस्स्स्सस, लंड मिली की रस भरे गुलाबो ओंठो की गिरफ्त को चीरता हुआ, मिली का नाजुक मुहँ में जाने लगा | उसकी गीली जीभ पर उसके नाजुक सुपाडे की ठोकर मिली और सहाय दोनों को वासना से आनंदित कर रही थी | उसके मुहँ से गो गो गो की आवाजे निकल रही थी | सहाय का लंड मिली के मुहँ लार से पूरी तरह नहा गया | सहाय ने मिली के मुहँ से लंड निकाल लिया और फिर से पीठ के बल लेट गया | मिली उसके ऊपर आकर फिर से पंजो के बल उसकी कमर के ऊपर बैठ गयी | इस बार उसके भारी भरकम मांसल चूतड़ सहाय के मुहँ की तरफ थे उसने सहाय की तरफ पीठ करके अपना मुहँ सहाय के पैरो की तरफ कर रखा था | अपने गोरे गोरे मजबूत चिकने पैरो के बल पर खुद को सोफे से टिकाये और ऊपर के शरीर को पीछे पीठ की तरफ हल्का सा झुकाकर अपने हाथो को सहाय के सीने पर टिका दिया | सहाय हर बार तीन चार पोजीशन में मिली को चोदता था | सहाय ने अपने एक हाथ से लंड को सीधा किया और मिली की चिकनी गुलाबी चुदी हुई चूत के खुले छेद के मुहाने पर रखकर एक धक्का मार कर उसकी चूत में घुसा दिया | मिली के मुहँ से बस हल्की सी आह निकली | मिली का शरीर स्थिर था और सहाय नीचे से कमर उठकर धक्के लगा रहा था | मिली की चिकनी नरम चूत में सहाय का लंड सटासट अन्दर बाहर का सफर करने लगा |

मिली के मुहँ से - ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊ ऊऊऊऊऊफ़्फ़फ़्फ़ फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ूऊऊ ऊऊऊऊऊऊऊ आअहाआअहाआह्ह ऊऊऊऊऊऊह्हह्ह ह्हह्हह्हह्हह्हह्हह ही निकल रहा था | चोदो सर मुझे और जोर से चोदो | आप बहुत अच्छा चोदते हो | आपका लंड मेरी चूत की सारी खुजली आज मिटाए दे रहा है | आपका मोटा लंड मेरी चूत को चीर रहा है | बस ऐसे ही चूत को चोदकर इसकी सारी खुजली मिटा दो सर | चोद दो मेरी पनियाती चूत को |
सहाय मिली की अनुसुनी कर अपनी ही धुन मे लगा था | मिली की चूत में उसका लंड पूरी स्पीड में पूरी गहराई तक जा रहा था | वो मिली की चूत का एक एक कोना अच्छे से चोद रहा था | उसकी जांघे मिली के नरम नरम चुताड़ो से टकरा रही थी, उसकी गोलिया उछाल मार कर उसके चूत दाने से टकरा रही थी | पूरा का पूरा लंड जड़ तक मिली की चूत में आ जा रहा था | मिली बस वासना में डूबी मादक चुद्दकड़ गालियां निकाल रही थी | अब सचमुच में वो चुदाई की वासना की गिरफ्त में थी |
मिली - चोदो मुझे सर और जोर से चोदो, और अन्दर तक डाल कर मेरी चूत को फाड़ दो, मेरी हरामन चूत का कोना कोना कुचल डालो. मसल डालो इस रंडी चूत को |
मिली वासना की उत्तेजना में क्या क्या बडबडा रही थी उसे भी नहीं पता | सहाय का भी यही हाल था,
सहाय भी उत्तेजना से भरा हुआ था - चोद तो रहा हूँ साली रंडी की औलाद | क्या रंडी की चूत लेकर पैदा हुई है साली, इतना कसकर छोड़ रहा हूँ, फिर भी मरी जा रही है लंड के लिए साली हरामन कुतिया | कितना भी चोदो भूखी की भूखी ही रहती है | साली आधा घंटा हो गया है अपने मुसल लंड से तेरी चूत कूटते कूटते मसलते मसलते, इसकी चुदास अभी भी उतनी ही बरक़रार है |

मिली भी उत्तेजना के नशे में डूबी थी - सर ये मिली की चूत है, जितना चोदोगे उतना चुदास इसकी बढ़ जाती है |
आआआआआआआआ ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आआआआआआअह आआईई |
सहाय ने एक जोरदार झटका मारा और मिली की चीखे निकल गयी - आआआआआआआआआआआअ
आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ माआर डालालालालालालालाल |
सहाय - ले रंडी की लौड़ी और ले मेरा लंड , ऐसे ही चीखे निकलूगा तेरी |
मिली - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ ऊ्ऊ्ऊ्ई्ई्ई्ई… मां्म्म्आ्आ्आ्आ्आ सर थोड़ा धीईईईईईईईईईईरेरेरेरेरे ईईईई रीरीरीरीरीरीरीईईईईए चोचोचोचोचोचोआआआआदो सर |
दर्द उसकी जांघो और पिंडलियों में घर कर गे और मिली का बदन फिर कांपने लगा | उसकी वासना झाड़ने लगी | आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् सर माआईईईईईइ तो झ झाझाझाझाझाझाड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ड़ रही हूँ |

सहाय और जोर से ठोकर मरता हुआ - झड साली रंडी की औलाद आज तुझे रात पर बरसाऊंगा, रात पर ऐसे ही टप टप कर तेरी चूत बहेगी और तू ऐसे ही कांप काँप कर झाड़ेगी | सहाय ने फिर करार झटका मारा | मिली कांप कांप कर शांत हो गयी | लेकिन न उसकी चूत की चुदाई रुकी न सहाय ने ऐसी कोई कोशिश की | मिली को पाने हाथ पाँव में कमजोरी महसूस होने लगी थी, लेकिन नीचे उसकी चूत में आते जाते सटासट लंड की वजह से उसके बदन की गरमी बरकरार थी | कुछ देर बाद जब उसका शरीर पर नियंत्रण लौटा तो वो भी बीच बीच में अपनी कमर उठकर धक्के लगाकर अपनी चूत में लंड लेने लगती |

जब मिली कमर हिलाने लगती तो सहाय थम जाता | मिली में अब उतना दम नहीं बचा था वो दस बीस झटके लगाकर शांत हो जाती और सहाय की कमर फिर हिलने लगती और सहाय का लंड मिली की चूत को फिर चीरने लगता चोदने लगता | सटासट मिली की मखमली नरम चूत में जाता लंड दोनों को उत्तेजना के चरम की ओर ले जा रहा था | दोनों के तपते बदन एक दुसरे के अन्दर लगी हवस की आग को शांत करने की पुरजोर कोशिश कर रहे थे, इसी लिए दोनों अपने अपने जिस्म को जमकर निचोड़ने में लगे थे, जिससे दोनों के जिस्मो के सावनी फुहारों के फव्वारे फूटे और उनके बदन में लगी हवस की आग शांत हो सके | सहाय बिना रुके मिली की चूत को लगातार चोद रहा था और ऐसा बहुत कम होता है जब मर्द बिना ब्रेक लिए ऐसा कर पाए, तो मिली के लिए ये किसी जैकपोट से कम नहीं था | एक दो उसे इतना दमदार चोदने वाला मिला और उसे इसके पैसे भी मिलेगें | मिली के तो दोनों हाथो में लड्डू थे | उसे बस चुदते रहना था | यहाँ उसकी मर्जी चलने की गुंजाईश कम थी वैसे भी एक बार चुदाई शुरू होने के बाद औरतो की कहाँ चलती है | फिर तो जब तक पिचकारी न छुट जाये मर्द अपने हिसाब से ही औरत को चोदते है | फिर औरत चाहे टांग पटके या सर | जब तक आदमी झड़ नहीं जाता, चूत का रौदना रुकता नहीं | यहाँ तो मिली को तीन बार तो अपने होशो हवास में झड़ी बाकि भीषण चुदाई की ठोकरों के बीच उसके ओर्गास्म के कितने राउंड हुए उसे खुद ही नहीं पता |

सहाय की भीषण चुदाई की ठोकरों में मिली बदहवास सी हो जाती और फिर उसे भी अपने ओर्गास्म नहीं पता चलते | उसे बस इतना पता होता उसे कई बार झाड़ कर झड़ने वालो में था सहाय | सहाय के इतनी देर तक चोदने के पीछे का राज शायद मिली ही थी जो उसे खाने में और नाश्ते में ताकत के सुप्प्लिमेंट्स देती रहती थी, जो मर्द की ताकत तीन से चार गुना बढ़ा देते थे | फिलहाल न तो इन सब बातो कि न तो मिली को परवाह थी , न सहाय को | सहाय धकाधक मिली की चूत में लंड पेले जा रहा था | उसकी चूत का गीलापन सुख गया था लेकिन उसकी चूत की नरम दीवारों के कारन सहाय का पूरा का पूरा लंड मिली की चूत में समाये जा रहा था | जब चूत गरम होती है तो उसकी दीवारे फ़ैल जाती है और बड़े से बड़ा या यूं कहे अपने साइज़ का चार गुना लंड तक ले सकती है | चूत २ से चार या 6 इंच तक गहरी होती है | सबका अलग अलग साइज़ होता है | अब ४ इंच की चूत अपने अधिकतम फैलाव में १६ इंच का लंड ले सटी है फिर यहाँ तो मिली 9 इंच लम्बा लंड ही अपनी चूत मे ले रही थी | मिली बस आहे कराहे भर रही थी और नज़रे नीची करके अपनी चूत में गायब होते लंड को देख रही थी | पीछे बुरी तरह हांफता सहाय थोड़ा थमकर अपने लंड को ठीक करता है और फिर चूत में घुसेड देता है और मिली के चूत दाने को रगड़ने लगता है | अपनी घनघोर चुदाई में मंत्रमुग्ध मिली और ज्यादा आनंदित हो जाती है | चूत दाने को मसलने के कारन उठने वाली वासना की तरंगो के कारन अपनी जांघे सिकोड़कर लंड को कसने की कोशिश करने लगती है, सहाय उसकी जांघे फैलाता है लेकिन् मिली फिर से जांघे सिकोड़ लेती है | जिससे लंड नरम जांघो की एक्स्ट्रा रगड़न खाने लगता है | सहाय फिर से मिली की जांघे फैलाता है और उसके चूत दाने को रगड़ने की बजाय उसके दोनों स्तन हथेलियों में भरकर मसलने लगता है | मिली के चेहरे पर स्तनों के बुरी तरह मसलने के कारन कामुक दर्द की लकीरे तैर जाती है | सहाय और ज्यादा गहरे धक्के मिली की चूत में लगाने लगता है |

मिली के मुहँ की सिसकारियां और तेज हो जाती है | कमरे में बस फच फच चट चट की आवाजे ही गूँज रही थी | फच फच चट चट की आवाजो के बीच मिली की कराहे तब तेज हो जाती जब सहाय मिली के दोनों निप्पल चुटकी से कसकर पकड़कर मसलने लगता है और भीचने लगता है | मिली के मुहँ से बस यही निकलता - ओह्ह्ह्ह्ह्ह मा्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह ईईईईईर्र्ररररर | वो दर्द भरी मादकता से कराहकर रह जाती है लेकिन उसका उत्तेजना से भरा गरम शरीर ये बर्दाश्त कर ले जाता है | उसकी चूत में सहाय गहरे गहरे धक्के लगा रहा था | हर लगते धक्के का एक्सप्रेशन मिली के चेहरे पर दिख रहा था | सहाय के मिली के जिस्म को लगते धक्को के कारन शरीर में कराह पैदा कर दी थी | हर धक्के पर उसका कराहना बता रहा था अब वो अपनी शरीर की शक्ति से निढाल हो बस सहाय के झड़ने की आस में टिकी है और सहाय का मोटा लंड सटासटअपनी चूत मे ले रही है | सहाय ने भी पिछले आधे घंटे में उसकी चूत का कोना कोना बजा डाला था और उसके जिस्म का पुर्जा पुर्जा हिला डाला था | कोई इस तरह से एक औरत को चोद दे तो उसकी चूत में कम से कम तीन महीने तक खुजली नहीं मचेगी और न ही उसके जिस्म में हवस की भूख जगेगी | मिली को इस चुदाई की आदत हो गयी थी, उसके लिए हर हफ्ते के अंत में या कई बार हफ्ते में दो बार यही होना था, कभी लम्बा तो कभी शार्ट | सहाय को भी मिली कोक चोदकर बहुत मजा आता था| अब मिली को चोद पाना सामान्य लंड के बस का नहीं था | उसे सहाय जैसा ही कोई तगड़ा लंड चोद सकता था | सहाय मिली की चूत में लंड पेले जा रहा था | मिली को भी अपनी चूत के सूखे पन का अहसास हुआ | उसने मुहँ से ढेर सारी लार निकाली और अपनी चूत के मुहाने पर मल दी | सहाय ने दो चार करारे धक्के लगाये, जिससे मिली का पुर्जा पुर्जा हिल गया|
वो कराह पड़ी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ सर थोड़ा धीईरीईईईई रीईईईईए ,
आआआआआआआआआआआअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह मममममर्र्र्र्र्र्र गय्य्य्यी्ई्ई्ई्ई्ई रे ऊऊऊऊऊउ ईईईईईईईईईइ फ्फ्फफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ प्लीजजजजजजजजजज सससससरररर रररररररररररर आआआआराआम्म्म्म स्स्स्से ओओओओओओफ्फ्फ्फ, आह ओओओओओओफ्फ्फ्फ, आह |

सहाय ने लंड बाहर निकल लिया और मिली को आराम के लिए पीठ के बल लिया दिया | उसके पेट पर आकर बैठ गया, उसने घुटनों को बिस्तर पर टिका दिया और अपने खड़े लंड को मिली के खरबूजे जैसे बड़े बड़े मुलायम उरोजो के बीच में रख दिया | मिली ने अपने मुहँ से ढेर सारी लार निकली और सहाय के गरम सख्त लंड पर मल दी | फिर उसने अपनी दोनों उरोजो को हथेली में भरकर आपस में सटा दिया ताकि सहाय उसके स्तनों को चोद सके | सहाय ने अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी और मिली के रुई की तरह नरम नरम उराजो के बीच गरम तगड़ा लंड फिसलने लगा | सहाय मिली के स्पंज की तरह नरम स्तनों के बीच अपना कड़क गरम लंड मसल रहा था और मिली अपने दोनों उरोजो को थामे उसके लंड के चारो तरफ लपेटे हुई थी | मिली की चूंची चुदाई चल रही थी | उसकी नजरे सहाय की तरफ थी और सहाय की नजरे मिली के थके हुए कामुक चेहरे की तरफ | मिली को देखकर ही लग रहा था वो चुदाई से बुरी तरह थक गयी है | फिर भी वो सहाय का पूरा साथ दे रही थी, उसके जिस्म में जीतनी भी ताकत थी सब समेट के वो भी सहाय के साथ हवस का ये नंगा नाच बराबर खेल रही थी | सहाय ने लंड मसलते मसलते मिली को गोद में उठाया और एक टेबल पर आकर बैठ गया |

उसने अपना लंड मिली की चूत में घुसेड दिया और हलके हलके चोदने लगा | सहाय भी उत्तेजना के चरम पर पंहुचने के करीब था वो चाहता तो अगले कुछ मिनट मिली को जमकर चोदकर उसकी चूत में अपनी गरम सफ़ेद मलाई भर देता, लेकिन वो यहाँ जल्दी से फारिग होने नहीं आया था | वो तो यहाँ जितना ज्यादा हो सके चुदाई के मजे लेने आया था| उसने मिली को हौले हौले चोदना शुरू किया, उसके हाथ मिली के हाहाकारी मांसल चुदे चुताड़ो पर जमे थे और वो उन्ही के सहारे मिली को ऊपर उछाल उछालकर मिली की चूत में लंड पेल रहा था | मिली और सहाय के ओंठ आपस में सटे हुए थे दोनों एक दुसरे के अन्दर की सारी लार पी जाने पर उतारू थे | कभी सहाय मिली के ओंठ कचोटने लगता, तो कभी मिली अपनी जीभ सहाय के मुहँ में भरकर उसके ओंठो की प्यास बुझाने लगाती | सहाय का लंड बस आधा ही मिली की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था | उस पर भी इतनी देर से एक्सप्रेस स्पीड से मारते तेज धक्को का असर दिखने लगा था | ऊपर से अब वो मिली का और कचूमर नहीं निकालना चाहता था | वो आराम आराम से चोदकर इस पल को जितना लम्बा खीच सके खीचना चाहता था | मिली भी आराम से चुद रही थी, उसे भी अपने बॉस से कोई शिकायत नहीं थी | मिली के मुहँ से धीमी मादक सिसकारियां फूट रही थी - आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह, ओ्ओ्ओह्ह्ह् माई स्वीट बॉस बस मुझे ऐसे ही ययस्स्स्सस्स्सस यस्स्स्स्, प्यार करो, करते रहो |
मिली - आ्आआ््आआ््हह्ह, ओ्ओ्ओह्ह्ह् मेरी जा्आ्आ्आ्आन, इस्स्स्स्स ओ्ओ्ओह्ह्ह् माई स्वीट बॉस बस ऐसे ही मुझे चोदते रहो | ऐसे ही चोचोदचोचोचोद कररररर ल्ल्लंड अंदर घुस्स्स्स्आ्आ्आ्आ्ह्ह तेतेतेतेतेते रहोहोहोहो |

सहाय का चरम भी नजदीक ही आ रहा था उसका भी मूड बन चूका था - ओह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी जान हां मेरी रानी, चोद रहा हूँ, तुझे |
मिली की कामुक बाते सुनकर सहाय से झटको की स्पीड बढ़ा दी - आह्ह् ओह्ह्ह्ह्ह्ह मार ही डालोगे क्या अपनी रानी को, उफ्फ्फ जालिम, ओह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी जान | आह मेरे रज्ज्ज्ज्ज्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह मेरे बॉस बना दो मुझे पूरी की पूरी रंडी |
सहाय - हहन्हान्हान्हन मेरी गुलाबी चूत, तुझे अपनी रानी बना लूंगा, तुझे पूरी की पूरी रंडी बना दूगा, ओह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी जान, बस ऐसे ही चुदती रह तू |

सहाय के शरीर में उत्तेजना की तरंगे अब उफान पर थी, उसके दिली दिमाग में एक तूफ़ान उमड़ रहा था, उसके बदन में भरी हवस के दावानल की आग अब सफ़ेद पिचकारी के रूप में उसके जिस्म से बाहर आने को बेताब थी | उसके अन्दर के आवेग अब अपनी मंजिल की तरफ बढ़ने का इशारा कर रहे थे, लेकिन उनकी गति इतनी धीमी थी अगर सहाय ने जोर नहीं लगाया जो उसके सफ़ेद गरम लावे की झील कभी नहीं टूटेगी | सहाय अपनी ही गति से मिली को चोदता हुआ उसके गोरे गोरे नरम मांसल सुडौल सामने को तने हुए स्तनों में खोया था, उसका मुहँ मिली की छाती की पहाड़ियों की ओंट में गायब हो गया था | मिली के मुहँ से मादकता से भरी सिसकारियां फुट रही थी | सहाय उसके निप्पलो और स्तनों की चूम चाट रहा था उन्ही में मुहँ छिपा कर, मिली के चूतड़ पर हाथ जमाये उसे चोद रहा था | मिली भी सहाय को अपनी नरम छाती की जन्नत की सैर कराने को उसके गले में बाँहे डाले उससे चिपकी हुई थी | सहाय हौले हौले उसको चोद रहा था | अब सहाय के अन्दर की तरंगे बेकाबू होने लगी थी, अब उसका संयम भी जवाब दे रहा था | उसे भी लगने लगा था अपने अन्दर के गरम लावे को बाहर बाहर निकालने का वक्त आ गया है वरना उसी की हवस की आग उसे झुलसा डालेगी |
उसने मिली को चुमते हुए अपनी गोद से उतारा और बेड पर ले आया | मिली भी सहाय की आँखों में देख समझ गयी अब बॉस के चरम सुख पर पहुँचने की बेला निकट आ गयी है |
मिली ने उसका लंड मुहँ में ले चुसना शुरू कर दिया और जानना चाहा की कौन सी पोजीशन में अब उसे चोदेगा - बॉस अब इस इस अपनी जान को. . . . . . इस रंडी की चूत को कैसे चोदकर झड़ना चाहोगे ??
सहाय - हरामजादी कुतिया, साली अभी नहीं झड़ने वाला हूँ रंडी की चूत, मां की लौड़ी, ले ले ले ले और ले आह्ह, अभी तो मुहँ मे ले लंडखोर बुरचोदी, कुतिया बनाकर चोदूगा साली रंडी की चूत |

मिली समझ गयी अब सहाय बॉस ज्यादा देर के मालिक नहीं है, उसने अच्छे से चूस चूस कर उनके लंड को अपनी लार से गीला किया और बेड पर कुतिया की पोजीशन में आ गयी | उसने अपनी दोनों कोहनी और दोनों घुटने बेड पर टिका दिए | पीछे से सहाय ने आकर उसके चुताड़ो को हल्का सा ऊपर उठाया और अपने कड़क लंड को, जो अपने अन्दर से गरम लावा उड़ेलने को बेताब था, मिली की भाप छोड़ती गरम चूत पर लगा दिया |
कमरे में फच की आवाज आई और फिर फच फच फच फच फच फच फच फच फच फच फच जैसे कोई इंजन स्टार्ट कर दिया गया हो |
मिली के मुहँ से चुदाई की तेज आहे कराहे सिसकारियां सब शुरू हो गयी - उफ्फ्फ्फ्फ्फ, आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ्फ्फ ओह्ह्ह्ह्ह मां्आं्आं्आं, उफ्फ्फ्फ्फ्फ, ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ मां्आं्आं्आं मां्आं्आं्आं |

सहाय ने और टेक लंड पेलना शुरू कर दिया - हरामजादी कुतिया, रंडी की चूत, मां की लौड़ी, ले ले ले ले और ले आह्ह, ओह्ह्ह्ह्ह, लंडखोर बुरचोदी……
मिली को भी अब लंड लेने में मजा आ रहा था - ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह, चोद चूत खोर और जोर से चोद चोओ्ओ्ओ्ओ्ओदों, चोद चोद, की ओह्ह्ह्ह्ह, ओह्ह्ह्ह्ह, आह्ह आह्ह, उम्म्म्म्मा्आ्आ उम्म्म्म्मा्आ्आ, इस्स्स्स्स्स्स्स इस्स्स्स्स्स्स्स, उफ्फ्फ्फ्फ्फ चोद, उफ्फ्फ्फ्फ्फ मजा आ रहा है साले सहाय के लौंडे , उफ्फ्फ्फ्फ्फ |
मिली की चूत की गर्मी भी बढ़ गयी थी, उसका बदन भी गरम हो तप रहा था | उसकी सांसे भी तेज हो गईथी | उसने चुदाई की ठोकर खा खा कर लाल हो चुके चूत दाने को रगड़ना शुरू कर दिया | उसका शरीर हिलकोरे लेने लगा, उसने और तेज स्पीड से चूत दाने को रगड़ना शुरू कर दिया | सहाय भी अपने चरम को पाने के लिए बुरी तरह से मिली की चूत में लंड पेल कर उसका कचूमर बनाये दे रहा था | मिली चूत दाने को बुरी तरह मसल रही थी और सहाय का मुसल लंड उसकी चूत को बुरी तरह मसल रहा था, दोनों तरफ से उसकी चूत की शामत आई पड़ी थी | उसकी चूत की सब्र का बांध टूट गया, उसकी चूत से तेज पानी की धार बह चली थी | सहाय भी मिली की हालत देख हल्का सा थम गया | आखिर मिली का शरीर अकड़ने लगा, जांघे अपने आप हिलने लगी | उसके चूतड़ थरथराने लगे | कमर में अपने आप झटके लगने लगे | चूत की दीवारों में हो रही सनसनाहट अब फडफडाहट में बदल गयी |

उसकी चूत झरने लगी | उसका सारा शरीर कांपने लगा | वो खुद को संभाल नहीं पायी और उसकी कोहनियाँ मुड़ गयी वो बिस्तर पर धड़ाम हो गयी,उसके शरीर का सारा नियंत्रण ख़त्म हो गया | उसका शरीर जोर से कांपा और थम गया | मिली चरम सुख की गहरी लहरों में गोते लगाते लगाते वासना के चरमसुख के आनंद के गहरे सागर में डुबकी लगाने लगी | मिली झर झर के थमने लगी, उसने अपना चरम सुख हासिल कर दिया | शुरू से अब तक न जाने कितनी बार कांपी, कितनी बार झरी लेकिन ये ओरागास्म सबसे लम्बा था, सबसे प्रचंड था, सबसे सुखदायी था | उसके चूतड़ हवा में थे, सर बिस्तर में घुसा था और वो किसी त्रिकोण की तरफ बेड पर टिकी हुई थी | उसके हाथ पाँव सब शिथिल हो चुके थे | सहाय ने उसके बालों को पकड़ कर पीछे को खीचा | बालो के खीचने से होने वाले दर्द के कारन वो फिर से कुतिया बन गयी | सहाय ने दे दना दनादन बस चूत में लंड पेलना शुरू कर दिया | आखिर वो भी हांड मांस का इंसान था और चुदाई करने पर उसका भी अंत आना था | दवा के असर से वैसे भी उसने तीन गुना देर तक चुदाई करी, वरना अब तक तीन बार झड चूका होता | उसने एक करारा झटका मारा और उसके चुदाई की आग में जलते लंड के सुपाडे की दुआ उसकी गोलियों तक पहुँच गयी जो इतनी देर से किये जा रहे चुदाई के मंथन का सारा रस अपने में समेटे हुए थी | सहाय की गोलियों से गरम सफ़ेद रस का तेज आवेग ऊपर को लंड के सुपाडे की तरफ बढ़ चला | सहाय झट से मिली की चूत से लंड निकाल कर उसके मुहँ के पास आ गया | मिली ने भी अपना पूरा मुहँ खोल दिया | सहाय मिली के मुहँ पर झड़ने लगा |

सहाय के मुहँ से झड़ने की कराह निकलने लगी - आह्ह्ह्ह्ह मेरी रानी, ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह आआआआअ
आआआआआआआआआआआअ, . . . . . आआआआआआआआआआआअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह. . . . आआआआआआआआआअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह. . . . आआआआआआआआआअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह. . . . आआआआआआआआआअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह. . . . आआआआआआआआआअह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह |
इतनी देर से मिली की चूत जमकर मथने से ढेर सारी क्रीम सहाय की गोलियों में इकठ्ठा हो गयी थी, उसने सारी की सारी मिली के मुहँ पर उड़ेल दी | एक के बाद एक दे दनादन सहाय की पिचकारियाँ थमने का नाम ही नहीं ले रही थी | उसने मिली का पूरा चेहरा सफ़ेद गरम लंड रस से पाट दिया | जब तक एक एक बूंद उसके गोलियों से निचुड़ कर बाहर नहीं आ गयी वो अपने लंड को मिली के मुहँ पर झाड़ता रहा | मिली उसकी गोलियों में बची इक एक बूँद निचोड़ने को उसका लंड को हाथ में थाम उसे मथने लगी | हर तीन चार स्ट्रोक के बाद उसमे से दो चार बूँद रिस कर बाहर आ जाता जिसे मिली अपनी जीभ से चाट लेती | सहाय के लंड को मिली तब तक चाटती रही और मसलती रही जब तक उसमे से उसने एक एक बूँद निचोड़ नहीं ली |

उसके बाद सहाय का लंड मुरझाने लगा | मिली अपने मुहँ पर फैले सहाय के गाढे सफ़ेद लंड रस का कुछ हिस्सा चाट गयी और कुछ उसके चेहरे से रिसता हुआ, उसकी सुराही जैसी गर्दन में लिपट गया कुछ और नीचे उसके उरोजो को भीगोने लगा | मिली सहाय की तरफ देखती और फिर उंगली से अपने बदन में लगे लंड रस को चाट कर सहाय को आंख मार देती | सहाय से उसके बालो सहित पकड़कर उसको ऊपर उठा लिया और उसके मुहँ में अपनी जुबान घुसाकर उसको किस करने लगा | दुसरे हाथ से उसके चौड़े चूतड़ मसलने लगा | कुछ देर बाद उसके चुताड़ो पर जोरदार चमाट मारते हुए - आज तो मेरी रंडी रानी तूने निचोड़ ही लिया कसकर लंड को | साला कितना भी हचक कर चोदो साली, ऊन्ह आंह करेगी और चुदती रहेगी, कभी मना नहीं करेगी | कितनी मजबूत है तेरी चूत जो मेरे मुसल लंड से भी नहीं फटती |
मिली खिलखिलाती हुई - आप ही के लौंड़े ने चोद चोदकर मेरी चूत मजबूत कर दी है, वरना मै तो पहली बार बेहोश हो गयी थी | आप ने बहुत कसकर रगड़ रगड़ चोद चोद कर इसे मजबूत बना दिया है |

सहाय - वो तो है, तेरी चूत कभी चुदने से मना नहीं करती चाहे दिनभर चोदते रहो |
मिली अदा से अपने दूध दबाती हुई - तो चोदिये न सर इस रंडी चूत को |
सहाय - चुप कर हरामजादी कुतिया, साली अभी अभी तो झड़ा हूँ लंद्खोर बुरचोदी, रंडी की चूत, कितनी चुदास भरी है तेरे अन्दर, कितनी खुजली है तेरी चूत में माँ की लौंडी, अभी अभी तो तेरा मुहँ और चूत फाड़ी है लंड खोर बुर चोदी | साली चुदते चुदते पस्त हो गयी है , सीधे खड़े होकर अपने पैरो पर चलने को जांघो में जान नहीं बची होगी, फिर से चुदने को बोल रही है | अब मेरे भी जवानी के दिन नहीं है साली, वरना पूरी रात तुझे चोद चोद कर तेरी चीखे निकलवाता, सुबह एक कदम चलते ही तेरी चूत की चिटकी खुनी दरारे और उनका दर्द एक साथ बाहर आ जाते, तो एक कदम भी बिना नहीं चल पाती, जब तेरा सुजा हुआ चूत दाना जांघो से रगड़ता और तेरे कदमो में लडखडाहट पैदा करता तब तुझे अहसास होता किस लंड से पाला पड़ा था, तब पता चलता असली मर्द के असली लंड की चुदाई क्या होती है |
इतना कहकर वो मिली को बांहों में भरकर बिस्तर पर पसर गया | मिली उसकी बांहों में खिलखिलाते हुए अपनी गोरी जांघ सहाय के लंड के बीच जांघो में फंसाकर उसके आगोश में समां गयी |
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