Episode 18
रीमा के शरीर में एक ठंडी सिरहन दौड़ गयी, मन ही मन सोचने लगी ये क्या बोल गयी मै, ये तो मेरे इज्जत लूटने की सोच रहे है | रीमा डर से कांपते शब्दों में बोली - मेरा मतलब पैसे से था, जग्गू को मुखातिब होते हुए - तुम तो भले इंसान लगते हो, जितना पैसा चाहिए मै दे दूँगी | हम दोनों को छोड़ दो |
जग्गू - हम कौन तुझे साथ ले जाने आये है छोड़ देगें, इतनी जल्दी भी क्या है कुछ खातिरदारी तो करवा ले पहले |
जग्गू - जूनियर जाकर उस छोरे को पकड़ के लावो और सामने वाली कुर्सी में इस धोती से बांध दो |
राजू ने बिलकुल वैसे ही किया | उसने प्रियम को लाकर रीमा के बिलकुल सामने पड़ी कुर्सी पर बांध दिया |
जग्गू ने जमीं पर पड़ी नावेल उठाकर देखने लगा - Fifty Shades of Grey | पति मर गया है और novel ये पढ़ रही हो, कही किसी के साथ अफेयर चल रहा है या बस मन में ख्याली पुलाव पक रहे है |
प्रियम भड़कता हुआ - साले मेरी माँ समान चाची से ऐसे बात नहीं कर सकता |
जग्गू - मै इम्प्रेस हुआ, राजू इसकी पेंट खोल साले की, इसकी चड्ढी उतार |
राजू ने दो मिनट में प्रियम को कमर के नीचे नंगा कर दिया |
रीमा - ये क्या कर रहे हो, तुम्हे पैसा चाहिए तो मै दूँगी | उसे छोड़ दो |
जग्गू - उसे छोड़ दूगां तो तुम कैसे दोगी |
रीमा सदमे की स्थिति में थी हालाँकि अब उसका खून नहीं सुख रहा था लेकिन फिर भी बहुत डरी हुई थी, उसका दिमाग नहीं काम कर रहा था, वो जग्गू की बातो का अर्थ समझ पाने में असमर्थ थी | राजू ने प्रियम को सीने से जकड कर बांध दिया और एक हाथ भी कुर्सी से बांध दिया | बस एक हाथ खुला छोड़ दिया |
जग्गू - चल सामने चाची को देख लंड को मुठियाना शरू कर, समझ ले ये बिलकुल नंगी बैठी | इसकी गुलाबी चूत तेरे सामने बेपर्दा है |
प्रियम चिल्लया - हरामजादो मै तुमारा खून पी जाउगा, एक बार मेरी रस्सी खोल दो |
रीमा बेबस सी लाचार दरी सहमी बैठी थी - क्या चाहिए तुम लोगो को बोलो न कितना पैसा चाहिए. मै देने के लिए तैयार हूँ | प्लीज ये सब मत करो |
जग्गू प्रियम की तरफ देखता हुआ - लड़के लंड मुठियाना शुरू कर वरना . . . . . . . . . . |
प्रियम और ज्यादा भड़कता हुआ - वरना क्या, वरना क्या |
जग्गू कुछ देर तक प्रियम को घूरता रहा फिर रीमा की तरफ देखकर बोला - मैडम आप इसकी कुछ मदद करेगी, क्योंकि मुझे नहीं लगता ये ऐसे मनाने वाला है |
रीमा के चेहरे पर सवालिया निशान थे - मै कुछ समझी नहीं |
जग्गू - आप बड़ी भोली है मैडम, देख रही है न आपका भतीजा कितना जिद्दी है | हम यहाँ से चले जायेगे लेकिन थोडा एंटरटेनमेंट करने के बाद | अब आपका भतीजा तो हमारी बात मान नहीं रहा, तो क्या आप उसके लंड को उठाने में कुछ मदद करेगी | जब आपका नंगा बदन देखेगा तो अपने आप उठेगा ऊपर को, आप इतनी हसीन है कि आपकी चूत को देखेते ही पिचकारी छोड़ देगा | एक बार इसका लंड सीधा हो जाये फिर आगे का काम तो हमारा जूनियर कर लेगा |
रीमा - क्या बकवास कर रहे है आप, ऐसा कैसे हो सकता है |
जग्गू - बिलकुल हो सकता है, आप कोई भी जुगत भिड़ाये, अपने कपड़े उतारे, उसके लंड को मसले, चुसे, अपनी चूत को उसे दिखाए या पूरी नंगी हो जाये | मुझे उसका लंड खड़ा चाहिए |
रीमा बेबस सी बिलकुल मरियल आवाज में - लेकिन क्यों ?
जग्गू - बस हमें देखना है, जितना जोश इसकी आवाज में है, क्या उतना ही दम इसके लंड में भी है या नहीं | इसके लंड की दम देखने के बाद हम तय करेगे कितना माल ले जाये | अगर ये तय समय से पहले झड़ गया तो
आपको न केवल हमें पैसे देने होंगे बल्कि एडिशनल कुछ भी देना पड़ेगा, अगर इसने हमारी डेड लाइन पार कर ली तो हम कम पैसे लेकर भी जा सकते है | ये मान लीजिये हमने और जूनियर ने आपस में शर्त लगी थी |
रीमा को उसका लॉजिक समझ नहीं आया - लेकिन तुम्हे कितने पैसे चाहिए ?
जग्गू - मैडम हम वो अभी नहीं बता सकते |
रीमा की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कैसे डकैत है | वो बेहद डरी हुई थी और उसका दिमाग बिलकुल भी काम नहीं कर रहा था | राजू धीरे से बोला - मैडम एक बार अपने हसीन जिस्म के दर्शन तो कराइए, ये लंड क्या चीज है मुर्दे भी बोल पड़ेगे | एक बार अपनी हसीन ऊँची ऊँची चुचियो और उरोजों के तो दर्शन कराइए |
रीमा समझ गयी उन दोनों की नीयत उस पर ख़राब हो चुकी है लेकिन अभी वो कुछ कर भी नहीं सकती थी |
कुछ देर तक रीमा जडवत वैसे ही बैठी रही, मन ही मन सोच रही कैसी मुसीबत आन पड़ी |
जग्गू रीमा को धमकाता हुआ - मैडम हमारे पास टाइम नहीं है, या तो उससे कहिये अपने लंड को मसलना शुरू कर दे या आप अपने कपड़े उतारना शुरू कर दो | जो भी करना है जल्दी करो, वरना हम शुरू हो जायेगे |
जूनियर प्लास लाये हो, देना जरा, इसका एक नौखुन उखाड़ता हूँ तब इसका चीखना चिल्लाना कम होगा |
राजू ने जग्गू को इशारे में, प्लास तो वो लाया नहीं | जग्गू ने बात सँभालते हुए - किचन से ले आ |
प्रियम चिल्लाया - किचन में तुम्हे प्लस कभी नहीं मिलेगा क्योंकि वो तो स्टोर रूम के ड्रोर में रहता है |
जग्गू - थैंक्यू प्रियम |
रीमा हैरान थी प्रियम इतना बड़ा बेवकूफ कैसे हो सकता है | अपनी ही बर्बादी का सामान की जगह बता रहा है |
राजू ढूंढकर प्लास ले आया | जग्गू ने रीमा पर गन ताने रखी | राजू प्रियम की तरफ बढ़ गया |
राजू प्रियम से - किस उंगली का नौखून आप पहले दान करना पसंद करेगे |
प्रियम और ज्यादा जोश से - एक बार मेरी रस्सी खोल दे, तेरी गर्दन ही दान कर दूगां |
राजू - बॉस एनी स्पेसिफिकेशन |
जग्गू - दाहिने हाथ की सबसे छोटी उंगली |
रीमा किर्तव्य विमूढ़ सी, बदहवास, वो कभी ऐसे परिस्थिति से गुजारी नहीं थी इसलिए समझ नहीं आ रहा था क्या करे | दो अजनबियों के सामने इस तरह से अचानक कपड़े उतारना, वो भी तब जब प्रियम सामने बैठा हो | कपड़े उतारना बड़ी बात नहीं, एक बार कपड़े उतर गए फिर न जाने ये क्या करेगे | छोटे वाले की नीयत तो अभी से ठीक नहीं लग रही है |
राजू ने प्रियम की उंगली प्लास में दबा ली, दबाई नहीं थी लेकिन प्रियम ने ऐसा जताया जैसे उंगली काट गयी हो | रीमा प्रियम की तरफ उठ कर भागी लेकिन जग्गू ने पीछे धकेल उसके सर पर बंदूक तान दी |
जग्गू गुस्से से - बहुत हो गया मैडम, अब हम और मिन्नतें नहीं करेगे | राजू उखाड़ दे नाख़ून | प्रियम और जोर से चीखने लगा | रीमा बदहवास सी चिल्लाई - रुको, रुको, प्रियम को कुछ मत कर, वो बच्चा है अभी |
जग्गू भी तेज आवाज में बोला - बिना इस लड़के के पिचकारी छुटे हम भी हिलने वाले नहीं है |
रीमा प्रियम से रिक्वेस्ट करने लगी - प्रियम मान जाओ, अपने लिए, वरना तुझे ये हर्ट करेगे |
प्रियम - मै मर जाऊंगा लेकिन इनकी घटिया बात कभी नहीं मानुगा |
इससे पहले जग्गू कुछ कहता, रीमा ने पल्लू नीचे सारा दिया | उसकी छाती से कसकर बंधा ब्लाउज रीमा के गोल गोल बड़े बड़े उरोजो को अपने में समेटे साड़ी के परदे से बाहर आ गया | रीमा का ब्लाउज तो बस उसके उभारो पर बस एक झीना कपड़ा था | रीमा ने एक झटके में साड़ी नीचे गिरा दी और फिर पूरी तरह से उतार दी |
रीमा ने नीचे से पेटीकोट भी उतार दिया | सामने रखे शीशे में अपने मुरझाये चेहरे को देखने लगी | वो क्या कर रही है क्यों कर रही है, एक बार नंगा होने के बाद क्या ये तुझे बिना कुछ किये छोड़ देगें | क्यों खुद ही अपने आप को नरक की तरफ ले जा रही है, ये बिना चोदे तुझे नहीं छोड़ने वाले | फिर एक बार चोदेगे या बार बार पता नहीं, तुझे अपनी सेक्स गुलाम बना लेगें | फाइनली रीमा के दिमाग में आईडिया आने लगे थे | बार बार तुझे सेक्स के लिए मजबूर करेगे | नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता, ये मुझे सेक्स गुलाम नहीं बना सकते, मै रीमा हूँ, रीमा सिर्फ अपने जिस्म के सेक्स की दासी है वो दुसरे की दासी नहीं बनेगी | रीमा का आत्मविश्वास कुछ हद तक लौटा | क्या हुआ अगर एक बार छोड़ लेगें, है तो लंड ही चूत में ही तो जायेगें, इसमें नया क्या है और डरने वाला क्या | अगर ये तुझे चोदना चाहते है तो ये तो तेरे लिए प्लस पॉइंट है | तू इनका इस्तेमाल कर, इन्हें बरगला, इन्हें भटका और प्रियम को आजाद करा |
रीमा ने फैसला कर लिया था अब वो वही करेगी जो वो दोनों चाहते है | उधर रीमा के बदन से कपडे हटते ही रीमा का बदन दमकने लगा | जग्गू और राजू दोनों की लार टपकने लगी | रीमा ऊपर सिर्फ ब्लाउज पहने थी और नीचे पैंटी | दोनों रीमा को कसकर घूर रहे थे |
रीमा ने जग्गू से पुछा - मै इसका लंड हिलाऊ ?
जग्गू एकदम हतप्रभ था ये पल भर में आत्मा परिवर्तन कैसे, उसको आगे का कुछ नहीं सुझा | राजू ने रीमा के आगे बढ़ना का इशारा किया | जग्गू उसकी तरफ गन ताने रहा |
रीमा प्रियम के पास जाते ही कुछ खुसफुसाने लगी- डरो मत मै कुछ करती हूँ इनका |
उसका मुरझाये लंड को खड़ा करने के लिए हिलाने की कोशिश करने लगी | अपने इतने करीब रीमा को देखकर और जब उसके हाथ में उसका लंड हो प्रियम थोडा असहज हो गया, उसे किचन की लंड मसलाई याद आ गयी | रीमा ने प्रियम के लंड पर अपने हाथो की गति बढ़ा दी | जग्गू और राजू दोनों आंखे फाड़े पीछे से रीमा के नंगे चूतड़ जो बड़ी मुस्किल से एक छोटी पैंटी से ढके थे को देखकर ही उत्तेजित हुई जा रहे थे | रीमा ने अपने ऊपर का ब्लाउज भी उतार फेंका | अब वो प्रियम का लंड हाथ में थामे कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी थी | रीमा बिना प्रियम का ख्याल किये स्ट्रोक लगा रही थी और प्रियम का लंड भी सीधा होने लगा था | रीमा खुद को प्रियम के करीब ले आई और उसके लंड को अपनी छातियों के पहाड़ी उरोजो के बीच में रखकर मसलने लगी |
रीमा का डर कम हो गया था या यू कहे उसके अन्दर के सेक्स फंतासी ने कुचाले मारना शुरू कर दिया | इस माहौल में भी उसे प्रियम से मस्ती करने की सूझी - हाँ बेबी यू लाइक इट . . . हाँ बेबी यू लाइक माय स्ट्रोक |
प्रियम की उत्तेजना बढ़ने लगी, ये सब देखकर राजू और जग्गू भी अपने मुखौटे के अन्दर से उत्तेजना की तेज सांसे लेने लगे | उनकी निगाहे तो रीमा के नंगे जिस्म पर ही टिकी थी | राजू और जग्गू दोनों ही अपने अपने लंड पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगे | रीमा न केवल प्रियम को लंड को खड़ा कर चुकी थी, बल्कि उसको अब उसका स्वाद भी चखना था लेकिन फिर उसे शर्त का याद आया तो धीरे धीरे ही प्रियम के लंड को मसलती रही | साथ ही धीमी आवाज में प्रियम को उकसाती भी रही - हां बेबी मेरा लंड मसलना अच्छा लग रहा है, मै ऐसे ही मुठ मार मार के तुमारी पिचकारी निकालूंगी | तुमारा लंड बहुत गरम हो गया है | मेरे नाजुक स्तनों को कही झुलसा न दे | प्रियम भी रीमा की आँखों में आंखे मिलाये बस उसी वासना के भाव से देख रहा था |
अन्दर से प्रियम की फटी पड़ी थी, अब तक सब कुछ उसके प्लान के मुताबिक गया था लेकिन अब जो हो रहा था वो प्लान का हिस्सा नहीं था | अनप्रिडिक्टटेबल रीमा के बारे में कुछ भी प्लान बनाना मतलब अपना सर दीवार पर दे मारना है | रीमा प्रियम का लंड हिलाने में लगी है और पीछे राजू, जग्गू भी पेंट से अपने लंड निकाल हिलाने लगे | थोड़ी ही देर में उनके लंड भी तनने लगे और प्रियम की तरह की कठोर होकर पत्थर बन गए | जब से रीमा प्रियम के पास आई थी उसने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा लेकिन सांसो की आवाजो से उसने अंदाजा लगा लिया था पीछे का क्या माहौल है | रीमा ने बस कनिखियो से पीछे देखा, दोनों रीमा को घूर घूर कर अपने लंड मसल रहे थे | प्रियम की फटी पड़ी थी और वो दोनों रीमा के रूप जाल की हवस में धंसते चले जा रहे थे | आखिरकार रीमा ने थोडा और इन्तजार करने की सोची | उसने प्रियम के लंड के लाल सुपाडे पर अपनी खुरधुरी जीभ चला दी | प्रियम की सिसकारी निकल गयी | रीमा प्रियम का लंड मुहँ में लेकर चूसने लगी | प्रियम ने उत्तेजना के कारन मुट्ठियाँ भींच ली | उसके मुहँ की सिसकारी और तेज हो गयी |
रीमा के मुहँ में प्रियम का लंड फिसलने लगा, रीमा भी अपन सर लहरा लहरा कर गहराई तक प्रियम का लंड मुहँ में लेकर चूसने लगी | ये सब राजू और जग्गू लाइव देख रहे थे जो प्रियम ने उसे बताया था | अपनी आँखों से अपने सामने वो तो अपनी किस्मत पर यकीं ही नहीं कर पा रहे थे | एक ही कमरे में तीनो और उनके सामने लगभग लगभग नंगी रीमा का गोरा गुलाबी बदन, सचमुच की रियल रीमा चाची मौजूद थी | जिसके बारे में सोचकर न जाने कितनी बार पेंट में तम्बू तना था, आज उस चूत को चोदने की चाहत उन्हें यहाँ खीच लायी और वो चूत बस कुछ दूरी के कदमो पर थी | एक पैंटी उतारने की देर थी और वो जन्नत की ओर जाने वाली मखमली गुलाबी सुरंग उनके सामने होगी |
जग्गू की उत्तेजना तो रीमा के बारे में सोच सोचकर काबू ही नहीं हो रही थी | साली के एक झटके में इसकी चूत में पूरा लंड घुसा दूंगा | कितना मजा आएगा, साली जब मेरे चोदने पर चीखेगी | अभी चूस ले लंड प्रियम का, अभी लंड तो मै पेलुगां तेरी चूत में | साला तेरे चक्कर में क्या क्या दिन देखने पड़ गए | राजू का भी यही हाल था, उसने तो इस तरह से पूरी नंगी औरत अपने जिंदगी में कभी देखि नहीं थी, वो तो बस रीमा को देखे के अपने लंड को मुथियाये जा रहा था | चाहता तो वो भी रीमा को चोदना था लेकिन उसके लिए रीमा के जिस्म को नंगा देखना ही बहुत बड़ी बात थी, वो उत्तेजना की रौ में बहता चला जा रहा था | उसकी उत्तेजना उसके काबू में नहीं थी और जितना वो रीमा को देखता उतनी तेज उसका हाथ लंड पर आगे पीछे होता | वो उत्तेजना के कारन बढ़ता बढ़ता रीमा की तरफ चला गया | सभी वासना की उत्तेजना के भंवर में थे इसलिए किसी का भी खुद पर काबू नहीं था | जग्गू ने रोकना चाहा लेकिन वो खुद रीमा को देखकर पगला रहा था | राजू को पास आया देख रीमा एक हाथ से उसके लंड को सहलाने लगी और जैसे ही रीमा ने राजू के लंड पर चार पांच स्ट्रोक लगाये, राजू उत्तेजना में बह निकला | इतनी देर लंड मथने से बना सफ़ेद गाढ़ा लावा उसके शरीर से पिचकारी के रूप में बह निकला |
रीमा के हाथ राजू के लंड रस से सन गए | रीमा भावहीन चहेरे से राजू के ढके मुहँ की तरफ देखती रही | राजू पिच्ज्कारी छुटते ही हांफने लगा |
रीमा ने राजू के लंड रस से सना हाथ प्रियम के लंड पर दौड़ना शुरू किया | रास्ता स्मूथ था इसलिए पिस्टन की तरह प्रियम का लंड रीमा के हाथो में अन्दर बाहर हो रहा था और आखिर कब तक प्रियम रीमा के आगे टिक पाता, उसने भी रीमा के हाथ से मथकर तैयार किये गए लंड को रीमा के ऊपर ही उडेलना शुरू कर दिया | रीमा के ओंठो के आस पास का इलाका प्रियम के लंड रस से बुरी तरह सन गया | रीमा प्रियम को देख रही थी और प्रियम रीमा को देख रहा था | दोनों में से किसी ने भी नजरे नहीं हटाई, शायद झड़ता प्रियम रीमा के सौंदर्य के किसी और रूप के ही दर्शन कर रहा था | रीमा भी प्रियम में कुछ तलाशने में लगी थी | प्रियम के लंड से गरम लावे की आखिरी बूंद निचोड़ने को रीमा के हाथ पुरजोर कोशिश कर रहे थे | तभी राजू उत्साह में बोल पड़ा - जग्गू भाई मजा आ गया |
रीमा की एकाग्रता भंग हुई, उसने कुछ सुना जग्गू, ये नाम तो जाना पहचाना है | प्रियम को लगा अब खेल ख़त्म, जग्गू ने बात संभालते हुए कहा - अबे गधे कितनी बार बोला है, मुझे पता है ये तेरा मुस्किल टाइम है, मुश्किल वक्त में दिमाग का इस्तेमाल किया कर |
राजू - जी बॉस जगदेव प्रसाद |
रीमा को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे संजीवनी बूटी पिला दी हो | अपने मुहँ पर लगे प्रियम के लंड रस को पोछते हुए तेजी से पीछे की तरफ उठी और जग्गू के हाथ से बन्दूक छीन ली, और जग्गू राजू की तरफ तान दी |
रीमा दहाड़ी - चलो अपने मास्क उतार दो, कोई फायदा नहीं, तुम पकडे जा चुके हो बच्चे जग्गू |
प्रियम चौंक गया, उसे लगा अब सचमे गेम ख़त्म | जग्गू अपनी जगह से इंच भर नहीं हिला |
रीमा दहाड़ी - मास्क उतारो वरना जीतनी गोली उसमे है सब के सब उतार दूँगी |
जग्गू अपने लंड को मसलते हुए हंसने लगा - हा हा हा हा उसमे कोई गोली नहीं है रीमा मैडम, ज्यादा लाल पीला नहीं होने का |
राजू ने अपना मास्क उतार दिया - जग्गू तू मरवाएगा मुझे, खाली पिस्टल लेकर चला आया, साले मुझे बताया तक नहीं | भला ऐसा कोई करता है क्या |
जग्गू उसे धमकाता हुआ बोला - अबे फट्टू, साले इन मैडम की हालत देखि थी | बिना गोली के ये हाल था सोच गोलिया होती तो क्या हाल होता |
जग्गू ने भी अपना नकाब उतार दिया और अपने लंड को मसलते हुए रीमा के करीब जा पंहुचा - उसके हाथ से पिस्टल छीन ली - मेरा लंड तो अभी खड़ा का खड़ा ही है मैडम, इसकी भी पिचकारी निकाल दो | अब बताओ प्यार से करोगी या जबरदस्ती करनी पड़ेगी |
राजू के तरफ देखकर - राजी मैडम की फोटो तो खींच दो चार |
रीमा एक थके हारे इंसान की तरह से बिस्तर पर बैठ गयी, उसको अन्दर ही अन्दर जोर से रोना आ रहा था लेकिन तभी जग्गू का डायलोग याद आ गया | मुसीबत के वक्त दिमाग लगावो | उसने खुद की भावनाओ की काबू करते हुए, जग्गू राजू और प्रियम तीनो को बारी बारी से देखा | प्रियम ने सर झुका लिया | रीमा समझ गयी ये सब इन तीनो का मिलकर किया धरा है |
प्रियम की तरफ लपककर तेजी से गयी और एक तेज झन्नाटेदार झापड़ रसीद कर दिया - रंडी की औलाद, दिखा दी ना अपनी औकात |
राजू की फट के हाथ में आ गयी, उसे लगा अब हड्डी पसली एक होनी है, कांपते हाथो से वो रीमा की जो सिर्फ पैंटी पहने थी फोटो खीचे जा रहा था, रीमा ने एक झन्नाटेदार झापड़ उसे भी रसीद कर दिया | फ़ोन राजू से दूर छिटक कर जा गिरा | राजू पर ताड़बतोड़ हाथ बरसाने लगी |
रीमा रुन्वासी हो आई, राजू की भी आवाज भर्रा गयी | रीमा बड़ी हिकारत से - राजू तुम भी, मै ही मिली थी तुम सबको, यही सब अपनी माँ के साथ कर सकते हो | कुछ अरमान थे एक बार प्यार से आकर दिल की बात कहते तो सही | घिन आती है तुम सबसे मुझे, तुम सब भी इस सड़क छाप की तरह निकले |
प्रियम सर झुकाए बैठा रहा लेकिन राजू सिबुकने लगा - उसे रोते रोते एक साँस में सारी कहानी रीमा को सुना डाली | इन सबकी जड़ में जग्गू और प्रियम थे जो उससे अपना बदला लेने आये थे |
रीमा माथा पकड़कर बैठ गयी | तभी जग्गू अपना लंड मसलता हुआ रीमा के करीब आया - बड़ा अफ़सोस हो रह है न मैडम रीमा जी | उस दिन नहीं हुआ था जब मेरी शिकायत करने कॉलेज गयी थी | अब ले लंड ले मेरा मुहँ में इसको चूस, नहीं तो गन में गोलियां नहीं लेकिन चाकू असली है | उसने पेंट के जेब से एक खतरनाक चाकू निकाला | इसको चूस, अंदर तक गले तक ले जा | आज तुझे जमकर चोदूगा, एक बार में ही पूरा लंड घुसा दूगां, हचक हचक के इतना चोदूगा की तुमारी कमर में दर्द कर दूगां, पूरी रात तुझे कुतिया बनाकर ऊपर से नीचे से पीछे आगे से हर तरह से चोदूगा | तेरी जिस्म की जवानी के रस की जब तक एक एक बूंद नहीं निचोड़ लूँगा तब तक तुझे चोदता रहूगां और तुमारी नाजुक चूत को अपने लंड से कुचलता रहूगां, फिर तेरे बड़े बड़े चुताड़ो को, जिनको खूब मटका मटका कर चलती है इन्हें हवा में उठाकर तेरी गांड भी मारूंगा वो भी बिना लोशन या क्रीम के | तेरा गुरुर तोड़कर ही जाऊंगा |
रीमा भी उसकी आँखों में आँखे डाल घूरती रही | अब उसके लिए हया शर्म के नाम पर बचा ही क्या था | जब उम्मीदे ख़त्म हो जाती है और बन्धनों का मोह छुट जाता है तब इन्सान ज्यादा तार्किक फैसले लेता है | रीमा समझ चुकी थी इस जाल से निकलना मुश्किल है, जग्गू अपना बदला लेने आया है और वो किसी भी हद तक जा सकता है | उसे हर्ट भी कर सकता है | उसे संयम और समझदारी से काम लेना होगा, नहीं तो जग्गू न केवल उसको उसकी मर्जी के खिलाफ चोदेगा बल्कि दुर्गति भी करेगा | वो अगर इस हद तक आ गया है तो कुछ भी कर सकता है, बेहतर होगा उसके साथ बुद्धि से काम लिया जाये | एक पल में रीमा ये सब सोच गयी और जग्गू को देखकर हलके से मुस्कुराने लगी |
रीमा को मुस्कुराता देख जग्गू हैरानी में पड़ गया, मन ही मन सोचने लगा कही रीमा मैडम पागल तो नहीं हो गयी सदमे से | प्रियम और राजू भी हैरान थे |
रीमा उनके हैर्रण चेहरे देखकर - बस इतनी सी ख्वाइश है तुमारी, बच्चे |
जग्गू हैरानी से - चालाकी नहीं, तुम्हे पता है मै बहुत डेंजरस हूँ क्या मतलब है तुमारा |
रीमा निश्चिंत होकर - बस जी भर के चोदना चाहते हो मुझे और उसके लिए इतना सारा ड्रामा
उफफ्फ्फ्फ़ तुम बच्चे भी न | तुम्हे पता है न मेरे पति बरसो पहले मर गए है | अब इतने सालो से लंड का अकाल पड़ा है जिंदगी में और तुम हो कि एक लंड लेकर आये हो तो चाकू दिखाकर धमका भी रहे हो |
जग्गू को अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ, जग्गू ही क्यों किसी को भी अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ |
जग्गू - मेरे को ये समझ नहीं आई |
रीमा - इसलिए कहा है बच्चे हो अभी तक, इधर आवो, जग्गू को अपनी तरफ खीचकर उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी | बच्चा लोग कान खोलकर सुन लो मेरी चूत चोदनी है तो मेरा कहना मानना होगा |
उसके सारे कपड़े उतारकर जग्गू को पूरी तरह से नंगा कर दिया | राजू से प्रियम की रस्सी खोलने को कहा | तब तक अपनी पैंटी भी उतार दी | राजू और प्रियम भी पूरी तरह से नंगे हो गए | उस कमरे में अब सब से सब पूरी तरह से नंगे थे | रीमा ने तीनो को अपने लंड को मुठीयाने को बोला, कमरे का माहौल अब बदल गया था | तीनो आज्ञाकारी बच्चो की तरह अपने अपने लंड मुठीयाने लगे, लेकिन जग्गू को औरत का कण्ट्रोल बर्दाश्त नहीं हुआ और वो जाकर रीमा के पास खड़ा हो गया |
जग्गू - यहाँ बॉस मै हूँ और जो मै कहूँगा वो सबको मानना पड़ेगा |
रीमा चाहती थी मामला शांति से निपट जाये लेकिन जग्गू मानने को तैयार ही नहीं था, हर बात में वो अपनी धौंस ज़माने की कोशिश करता | रीमा को लगा इसका इलाज करना ही पड़ेगा | रीमा ने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और लगी मुठीयाने | जग्गू बीच में कुछ कहना चाहता था, रीमा ने उसे रोक दिया - मुझे तुझसे ज्यादा एक्सपीरियंस है चुदाई का और तेरे से डबल डबल लंड अपनी चूत में लेकर रात रात भर चुदी हूँ, मुझे चोदना मत सिखा | तेरा लंड भी चुसुंगी, मुहँ में लूंगी, चूत में लूंगी | तेरी हर ख्वाइश पूरी होगी अब अपना सड़क छाप अकड़ कुछ देर अपनी जेब में रख |
जग्गू चुप हो गया, बाकि दोनों अपने अपने लंड को हिलाने में लगे रहे | रीमा जग्गू का लंड मुठीयाने लगी और फिर धीरे से उसके सुपाडे पर अपनी गीली लिसलिसी जीभ फिराने लगी | जग्गू के लिए ये बिलकुल नया अनुभव था, वो आनंद से सरोबार हो गया - यस्स्स्सस्स्सस रीमा मैडम, आआअह्ह्ह मजा आ गया |
रीमा उसकी बातो से बेपरवाह उसके लंड को आराम से अपनी जांघे फैलाकर हाथो से मुठिया रही थी | जग्गू को रीमा की गुलाबी चूत साफ़ दिखा रही थी जिसको देख देखकर वो बौराया जा रहा था | रीमा बहुत तेज लंड पर हाथ का स्ट्रोक लगा रही थी | बीच बीच में उसका सुपाडा मुहँ में लेकर चूसने लगाती तो जग्गू अंदर तक मस्तियाँ जाता था - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मैडम आआआआह्ह्ह्ह ऐसा लग रहा है जैसे स्वर्ग में हूँ |
रीमा के बड़े बड़े उठे उठे सुडौल ठोस उरोजो को देखकर, उसके दुधिया बदन को देखकर जग्गू तो जैसे पागल हुआ जा रहा था | उसे अभी भी खुद को यकीन दिलाना पड़ रहा था की उसके सपनो की रानी रीमा के हाथ में उसका लंड है और वो रीमा के बदन की गर्माहट महसूस कर रहा है |
रीमा ने उसे बिस्तर की तरफ और झुका दिया और उसके लंड को अब मुहँ में ही भर लिया और चूसने लगी | रीमा के नरम मुहँ का गीलापन , जग्गू के गरम लंड पर बड़ा सुखद लग रहा था | उधर राजू और प्रियम के लंड भी फिर से अकड़ने लगे थे | रीमा जोरो से जग्गू के लंड को मुहँ में लेकर चूस रही थी, धीरे धीरे रीमा जग्गू को बिस्तर पर झुकाती जा रही थी और उसके ऊपर खुद झुकती चली जा रही थी |
जग्गू के लंड के साथ उसकी हरकते अब उग्र होती जा रही थी, जैसे कसकर लंड को मसल देना, उसके सुपाडे पर दांत लगा देना, उसके लंड को कसकर चूस लेना, उसके साथ साथ वो जग्गू को गोलियों के साथ भी खेलने लगी | जग्गू इस समय स्वर्ग में था, उसे अंदाजा नहीं था ऐसे भी लंड चूसा जा सकता है | रीमा ने तो उसे सीधे ही जन्नत की सैर करा दी थी | वो बस उत्तेजना और आनंद से कराहे जा रहा था | प्रियम के लिए ये एकदम नया नहीं था लेकिन राजू के लिए ये सब एक नयी दुनिया से परिचित होने जैसा था |
रीमा ने जग्गू के लंड को अपने मुहँ की गहराई तक उतारने लगी थी | जैसे रीमा मुहँ को नीचे की तरफ ले जाती जग्गू का लंड एक तरह से गायब ही हो जाता | रीमा पूरा का पुरा लंड मुहँ में समाये ले रही थी | रीमा के गुलाबी रसीले ओंठ जग्गू के लंड की जड़ को स्पर्श कर रहे थे | रीमा ने पहले एक दो बार धीरे धीरे सावधानी से पूरा लंड निगला, फिर पूरा लंड सटासट गले तक उतारने लगी | उसे जग्गू के लंड पर ओंठो का दबाव भी बढ़ा दिया था, जग्गू के लंड और उसके गुलाबी रसीले ओंठो के बीच जबदस्त गर्षण हो रहा था |
जग्गू के मुहँ से बस - आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआह्ह्हह्हहहहहह ही निकल रहा था | रीमा न केवल जग्गू के लंड पर सख्ती किये हुई थी बल्कि उसकी गोलियों को भी दही की तरह मथ रही थी | राजू एकटक जग्गू के लंड की चुसाई देख रहा था, उसने ये नजारा अपने जीवन में कभी भी नहीं देखा था | रीमा पूरी तनमयता से जग्गू का लंड चूस रही थी |
रीमा की ये खास बात थी उसे किसी लंड पसंद हो न हो लेकिन एक बार वो शुरू हो गयी फिर वो दिलो जान से उसके लंड को जन्नत की सैर कराती थी | रीमा एक ही झटके में जग्गुके लंड को मुहँ के अन्दर गायब किये दे रही थी | रीमा ने तेजी से रिद्धम के साथ सर को ऊपर नीचे करना शुरू किया, जग्गू के कराहे बढ़ गयी थी और अब उसकी पिचकारी छूटने वाली ही थी | रीमा ने अपनी गति और बढ़ा दी और बेतहाशा बुरी तरीके से जग्गू के लंड को मुहँ में ही मसलने लगी | जग्गू के शरीर में भी हरकत होने लगी | उसने लंड मंथन का लावा अपने अन्डकोशो से बहा निकला और सीधे पिचकारी के रूप में रीमा के मुहँ में समाने लगा |
रीमा के मुहँ खोलते ही वो जग्गू के पेट पर गिरने लगा | जग्गू स्वर्ग की सैर कर रहा था रीमा उसके लंड को निचोड़ रही थी | जग्गू के आंखे बंद हो गयी | रीमा उसके रिसते लंड को छोड़ जग्गू के ऊपर आ गयी | जग्गू मदहोश थ और रीमा ने तेजी से अपनी साड़ी उठाई और जग्गू के दोनों हाथो में गांठ लगाकर उसे बेड से बांध दिया | जग्गू जब तक कुछ समझ पाता, उसके हाथ कसकर बेड से बांधे जा चुके थे | जग्गू कुछ पूछता इससे पहले ही रीमा उसके कान में फुसफुसा आई - सेकंड राउंड, थोड़ा और ज्यादा मुश्किल लेकिन उतना ही रोमांचकारी | जग्गू उसी मस्ती में मस्तियाँ गया और उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया |
रीमा जल्दी से बेड से उतरी और ड्रोर से चाभी लेकर एक रूम की तरफ चली गयी | वहां से वो दो बड़े बड़े डिब्बे के पैकेट लेकर आई | वही रख दिए, प्रियम और राजू दोनों ही अपने लंडो को मसल रहे थे | रीमा ने देखा जग्गू चुपचाप आंख बंद करके लेता है | रीमा राजू के पास आ गयी और उसके बाद राजू के पास बैठकर उसके लंड को सहलाने लगी | वो राजू की आँखों में एकटक देख रही थी और राजू सुरुआती झेंप के बाद रीमा की नशीली आँखों में खो गया | रीमा राजू का लंड मसलते हुए उसको एकटक देख रही थी | वो राजू के चेहरे के भाव पढ़ा रही थी | राजू मस्ती और कामवासना की उत्तेजना में डूबा हुआ था | राजू के मुहँ से बस - आह आह आह आह ही निकल रहा था |
राजू का लंड पूरी तरह खड़ा हो चूका, उसके लंड में खून का दौरान तेजी से हो रहा था और उसके कारन उसके लंड की नसे साफ़ झलक रही थी | रीमा ने उसके लंड की तरफ झुकते हुए उसके खड़े सख्त लंड की खाल की पीछे तक खीच दिया और उसका लाल फूला सुपाडा रीमा के चेहरे के सामने नुमाया हो गया, उसका लंड तेज खून के दौरान के कारन काँप रहा था | राजू की धड़कने तेज थी और सांसे बेकाबू थी | राजू और रीमा एकक दुसरे की आँखों में एकटक देख रहे थे | रीमा ने बड़ी अदा ने राजू के गरम सख्त लंड का सुपाडा मुहँ में निगल लिया और सर हिला हिला कर चूसने लगी | राजू के मुहँ से जोरो की सिसकारी फूटने लगी | रीमा उसकी आँखों में आंखे डाल उसके लंड को चूसने लगी | रीमा लयबद्ध तरीके से अपना हाथ राजू के लंड को मसलते हुए उसकी जड़ तक ले जाती और फिर आगे सुपाडे तक लाती और उसके सुपाडे को अपने रसीले ओठो की सख्त गिरफ्त में लेकर कसकर चूस रही रही थी और मुहँ में अन्दर बाहर कर रही | रीमा ने राजू को इशारे से उसकी आँखों में लगातार देखने की हिदायत दी | राजू उसकी बात नहीं समझा | रीमा ने मुहँ से उसका फूला सुपाडा निकल कर बोला - वो सिर्फ उसकी आँखों में देखे | पहली बार में राजू टाइम से पहले झाड़ गया था इसलिए रीमा उसे कुछ एक्स्ट्रा आनंद देना चाहती थी | इसलिए जग्गू से निपटे ही रीमा राजू के लंड को लेकर चूसने लगी | रीमा के नरम मुहँ की लिसलिसे गीलापन राजू के गरम लंड पर बहुत ही आनंददायी था | राजू ने मस्ती में आंखे बंद करने की कोशिश की लेकिन रीमा ने दुसरे हाथ से चपत मार कर उसको याद दिलाया की उसे रीमा की नशीली आँखों में ही डूबे रहना है |
इतना रोमांचकारी सीन देखकर प्रियम की भी अच्छे से उत्तेजित हो गया, वो रीमा की राजू के लंड की चुसाई देखकर कर अपने लंड को कसकर मसलने लगा | उधर जग्गू बेड पर पड़ा हुआ था उसके हाथ बांधे थे | वो अपने हाथ खोलने की कोशिश कर रहा था | वो बेड पर लेटे लेटे ही चिल्लया - प्रियम मेरे हाथ खोल मुझे रीमा मैडम की गोरे गोर उठी हुई ठोस उरोजो को मसलना है |
प्रियम उसकी तरफ जाने वाला था , रीमा ने उसे घुड़क दिया | प्रियम फिर से चुपचाप अपने लंड को मसलने लगा | जग्गू का धैर्य जवाब दे रहा था - मैडम मेरे हाथ खोलो, मुझे भी आपको स्वर्ग की सैर करनी है |
रीमा - बस कुछ देर और बच्चे, राजू को निपटा लू फिर तेरे पास ही आ रही हूँ |
जग्गू रीमा की मादक आवाज से फ्लैट हो गया, उसने कुछ नहीं कहा | रीमा फिर से और ज्यदा सख्त हाथो और ओठो से राजू के लंड को चूसने लगी | राजू इस जादुई पल को जीवन भर के समेत लेना चाहता था वो चाहता था ये जादुई सफ़र कभी ख़त्म ही न हो | कामवासना के समद्र में गोते लगाते हुए उसने मादकता से कराहते हुए - रीमा आंटी थोडा स्लो, प्लीज |
रीमा समझ गयी राजू को क्या चाहिए | रीमा ने आइस्ते आइस्ते उसके लंड को चुसना शुरू कर दिया |
राजू अभी अभी झड़ा था इसलिए इस बार इतनी जल्दी झड़ना संभव नहीं था दुसरे वो रीमा के इस स्वर्गदायी आनंद को जीभर के महसूस करना चाहता था | वो चाहता था ये सफ़र कभी खतम ही न हो, रीमा चाची उसके लंड की यू ही जादुई चुसाई करती रहे | रीमा अभी भी लंड चूसते समय राजू की ही आँखों में देख रही थी, उसने राजू की बात मानकर उसकी स्पीड जरुर थोड़ी कम कर दी | रीमा की गीला नरम मुहँ और राजू का कठोर सख्त गरम लंड का फूला सुपाडा, आह क्या जादुई अनुभव था राजू के लिए | कभी प्रियम भी ऐसे ही मैजिकल मोमेंट से गुजरा था | आज राजू के लिए भी वैसा ही जादुई पल था, कोई इतने कलात्मक तरीके से, इतने सलीके से, इतनी बेहतरीन और अलग अंदाज में भी लंड चूस सकता है ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था |
राजू अब चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ने लगा था | उसकी सांसो की गति और मुहँ से निकलती कराहे और शरीर के हव भाव बता रहे थे अब वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है | रीमा आराम से धेरे धीरे उसके लंड के सुपाडे से खेल रही थी लेकिन राजू के लिए अब अन्दर उमड़ते लावे को रोक पाना मुश्किल हो गया था | उसकी झील का बांध टूट गे अता उर उसमे से तेज धार के साथ सफ़ेद गरम गाढ़ा लावा बाहर की तरफ बह निकला | एक तेज पिचकारी रीमा के ओंठो से टकराती हुई हवा में उछाल गयी | राजू के म्यहं से बस इतना ही निकला - रीम्म्म्मम्म्मम्म्म्म आंटी मैमैमैमैअमिया गयाआआआ आआआआआआआआआआआअ ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह आअहाआअहाआह्ह आअहाआअहाआह्हआअहाआअहाआह्हआअहाआअहाआह्ह |
रीमा ने राजू के टूटे बांध की धार अपने नरम हाथो की सख्त सख्त जकड़न से रोक ली और राजू के मुहँ की तरफ लंड सीधा करके हल्का सा हाथ हिलाया, दूसरी पिचकारी सीधे राजू के सीने से लेकर मुहँ तक उसी को भीगो गयी |
सामने रीमा के गोल गोल सुडौल पुष्ट उरोज धीरे धीरे हिल रहे थे, रीमा एकटक राजू की आँखों में ही देख रही थी बिना किसी अतिरिक्त उत्तेजना के और उसका हाथ राजू के लंड को हलके हाथो से हिला रहा था पिचकारी की बौछार उसमे से निकल कर राजू को ही तरबतर किये से रही थी | राजू बस अपने लंड से निकलते सफ़ेद लावे के कारन कराह रहा था | प्रियम और जग्गू दोनों ही हैरानी से ये सब देख रहे थे | वो एक एक पल को अपने दिलो दिमाग में हमेशा के लिए संजो लेना चाहते थे | उन्होंने ऐसा कभी न देखा था न सोचा था |
राजू की पिचकारियाँ निकालनी बंद हो गयी थी | रीमा ने उसके लंड को छोड़ दिया और बस उठने को हुई, तभी उसने देखा जग्गू ने किसी तरह अपने हाथो की गांठ लगभग लगभग खोल ली | ये देखकर रीमा सिहर गयी | उसने जल्दी से अपने दोनों लाये पैकेट में से एक को खोला और गन निकल ली, पाना मोबाइल उठाया | पलक झपकते ही गन को लोड किया और जग्गू की तरफ तान दिया | जग्गू को लगा रीमा मजाक कर रही है उसने जोश में आकर कहा - ईइस्स्स आआऐईस्स्स्स अब आएगा मजा | राजू और प्रियम दोनों चौंक गए | आंखे फाड़ फाड़ कर देखने लगे आखिर अचानक ये क्या हो गया | किसी को कुछ समझ नहीं आया |
रीमा जग्गू की तरफ गन ताने ताने चिल्लाई - हिलना मत लड़के, ये असली गन है लोडेड भी | हाथ बांध फिर से अपने | . . . कुछ सोचकर - प्रियम इसके हाथ बांध जैसे पहले बांधे थे |
प्रियम बिलकुल शुन्य हो गया, उसे समझ ही आया ये माजरा क्या है | रीमा फिर चिल्लाई - हाथ बांध जग्गू के मादरचोद |
अब प्रियम को करंट जैसा लगा - बिना कुछ सोचे, बिना दिमाग लगाये वो बेड पर चढ़ गया |
जग्गू ने प्रतिरोध किया, तो प्रियम बोला - मरवाएगा क्या साले, मान जा न | प्रियम जग्गू के हाथ बांधने में असफल रहा, रीमा ने राजू को इशारा किया, जो अभी भी अपनी उखड़ी सासें नार्मल करने की कोशिश कर रहा था |
रीमा खिड़की पर से ही गन ताने धमकाने लगी - राजू मदद कर प्रियम की जग्गू को बांधने, वरना आज सब के सब मरोगो | ये गन भी अलसी है, इसमें गोली भी है | चुपचाप बांध इसके हाथ और जैसा मै कहती हूँ वैसा करता जा |
रीमा के हाव भाव देखकर प्रियम और राजू दोनों को लगा मामला सीरियस है लेकिन उन्हें समझ नहीं आया अचानक ऐसा क्या हो गया | कही जग्गू ने अपने हाथ खोलकर रीमा चाची का प्लान तो नहीं बिगड़ दिया | लेकिन इतना ज्यादा गुस्सा करने की जरुरत क्या है |
राजू भी वही पंहुच गया, प्रियम जग्गू से - मान जा न यार, काहे पंगे ले रहा है , रीमा चाची का कुछ प्लान होगा, तूने बिगड़ दिया है इसलिए गुस्सा कर रही है |
जग्गू मानने को तैयार नहीं था | रीमा एक झटके में कमरे से बाहर निकल गयी और कमरे को बाहर से बंद कर दिया |
रीमा ने बाहर खिड़की से तीनो को धमकाया - अब कान खोल के सुनो लड़कों, तुम सब यहाँ अपनी मर्जी से आये थे और क्या इरादा लेकर आये थे ये भी मुझ अच्छी तरह पता है | अब ये दरवाजा मेरी मर्जी से खुलेगा |
चल राजू वो मोबाईल उठकर दे जिसमे तूने मेरी नंगी तस्वीरे खींची थी |
राजू फ़ोन उठाने चला लेकिन जग्गू ने रोक दिया - राजू मत देना, वही तो एक चीज है जिसके दम पर ये हमारे काबू में रहेगी |
रीमा जोर से ठहाका लगाकर हसने लगी - बेवखूफी मत करो बच्चो, बच्चे हो बच्चो की तरह रहो | तुम सबका MMS है मेरे पास |
जग्गू - ये तुझे डराने की कोशिश कर रही है और कुछ नहीं |
रीमा - एक सड़क छाप, सबको पाने जैसा फर्जी समझता है | एक खाली गन लेकर मेरे घर में घुसकर मुझे ही चोदने चले थे | रीमा को चोदने आये थे | एक बात तो है हिम्मत ही तुम सभी दाद दूँगी लेकिन हो सब एक नंबर के चूतिये लंड | तुम्हे क्या लगा था तुम यहाँ आवोगे, मुझे धमकाओगे, और मै डर जाउंगी | तुमारे सामने कपड़े उतार नंगी हो जाउंगी और जांघे खोल कर अपनी चूत तुमारे सामने कर दूँगी और कहूँगी लो चुतिया लंडो छोड़ लो मुझे |
रीमा फिर ठहाका लगाकर हंसने लगी - कितने बड़े चुतिया लंड हो तुम सब के सब |
प्रियम की तरफ हैरानी से देखते हुए - प्रियम तुम भी इस चुतिया जग्गू की बातो में आ गए, तुम तो मुझे जानते हो |
जग्गू - सुन बे चुतिया लंड, जीतनी तेरी उम्र नहीं है उससे ज्यादा सालो से मै चुदाई कर रही हूँ, अपनी चूत में ले लंड रही हूँ | तुम रीमा की चूत चोदने चले थे | मुझे तो बड़ी हैरानी होती है तुम ने ये सोच भी कैसे लिया |
राजू मोबाईल दे इधर, वरना तेरा MMS तेरे बाप को भेजू बता |
राजू को लगा सचमुच रीमा उसका चुतिया काट रही है - कौन सा MMS |
रीमा - आआलेलेलेल मेरे बच्चे कितने मासूम है, जब तुमता लंड नूतन चूस रही थी | अगर भरोसा न हो तो दिखा भी सकती हूँ, प्रियम और तुम और नूतन, रिवर लाउन्ज में पीछे वाले हट में . . कुछ याद आया |
प्रियम को लगा रीमा चाची ब्लफ मार रही है - रीमा चाची आप जो कहेगी वो हम करेगे लेकिन इस तरह से ब्लफ मार कर हमें ब्लैकमेल ना करिए |
रीमा बड़ी अदा से - आआलेले मेरे प्रियम, तेरे खिलाफ तो इतना कुछ है न , अगर मेरा सगा भतीजा न होता तो तेरी एक भी हड्डियाँ सलामत नहीं बचती | मोबाइल से राजू |
जग्गू ने रोका - राजू यही आखिरी चाभी है रीमा की चूत चोदने की, मत देना |
रीमा ने मोबाइल खोला और एक विडिओ क्लिप चला दी और स्क्रीन अन्दर कमरे की ओर करके बोली - देख लो अपन सेक्स विडिओ, वैसे तो भरोसा करोगे नहीं |
राजू की आंखे फटी की फटी रह गयी, वो रुआंसा सा हो आया, उसकी आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा | उसके रोने से चेहरे को देखकर रीमा बोली - बच्चे अब तो वो मोबाईल दे दे | वरना ये विडिओ मै तेरे बाप कपिल को बेज देती हूँ |
जब तक जग्गू राजू से मोबाईल छीनने के लिए उसकी तरफ लपकता तब तक राजू ने फुर्ती से रीमा की बात मानकर आज्ञाकारी बच्चे की तरह मोबाईल खिड़की से रीमा की तरफ फेंक दिया |
रीमा मोबाईल उठाकर - वेरी गुड | अब जैसा जैसा मै कहती जाऊ वैसा वैसा करते जावो, तो तुम तीनो इज्जत के साथ सही सलामत घर जा पावोगे | अब इस जग्गू को उलटा लिटाकर इसके हाथ और पैर दोनों बेड में कसकर बांध दो | जग्गू प्लीज उन दोनों की मदद करो | वरना तुमारा तो रेप का MMSहै | जब तुम नूतन के साथ जबदस्ती करने की कोशिश कर रहे थे | एक बार सिक्युरिटी के पास पंहुच गया फिर सोच लो | जग्गू को लगा वो फंस गया है |
राजू और प्रियम दोनों ही दहसत में आ गए, उन्हें जग्गू की बात नहीं मनानी चाहिए थी | पता नहीं रीमा चाची ने और क्या क्या उनके खिलाफ इकठ्ठा कर रखा है | क्या रीमा चाची को इसकी भनक पहले ही लग गयी थी कि हम ऐसा कुछ करने वाले है | राजू सोच रहा था प्रियम सही कह रहा था रीमा चाची से पंगे नहीं लेने चाहिए थे, जितना ऊपर से सीधी दिखाती है उतना ही अन्दर से हरामिन कामिनी है | प्रियम के भी कुछ ऐसे ही ख़यालात थे | रीमा ने बाहर से ही खिड़की से झांककर देखा | अन्दर का माहौल उसे ठीक लगा, लेकिन उसे भरोसा नहीं | हो सकता तीनो मिलकर सिर्फ ड्रामा कर रहे हो | मेरे अन्दर जाते ही मुझ पर एक साथ टूट पड़े | उसके बेडरूम की खिड़की के सारे परदे राजू से खोलने को कहा | राजू ने बिलकुल वैसा ही किया |
जग्गू - हम कौन तुझे साथ ले जाने आये है छोड़ देगें, इतनी जल्दी भी क्या है कुछ खातिरदारी तो करवा ले पहले |
जग्गू - जूनियर जाकर उस छोरे को पकड़ के लावो और सामने वाली कुर्सी में इस धोती से बांध दो |
राजू ने बिलकुल वैसे ही किया | उसने प्रियम को लाकर रीमा के बिलकुल सामने पड़ी कुर्सी पर बांध दिया |
जग्गू ने जमीं पर पड़ी नावेल उठाकर देखने लगा - Fifty Shades of Grey | पति मर गया है और novel ये पढ़ रही हो, कही किसी के साथ अफेयर चल रहा है या बस मन में ख्याली पुलाव पक रहे है |
प्रियम भड़कता हुआ - साले मेरी माँ समान चाची से ऐसे बात नहीं कर सकता |
जग्गू - मै इम्प्रेस हुआ, राजू इसकी पेंट खोल साले की, इसकी चड्ढी उतार |
राजू ने दो मिनट में प्रियम को कमर के नीचे नंगा कर दिया |
रीमा - ये क्या कर रहे हो, तुम्हे पैसा चाहिए तो मै दूँगी | उसे छोड़ दो |
जग्गू - उसे छोड़ दूगां तो तुम कैसे दोगी |
रीमा सदमे की स्थिति में थी हालाँकि अब उसका खून नहीं सुख रहा था लेकिन फिर भी बहुत डरी हुई थी, उसका दिमाग नहीं काम कर रहा था, वो जग्गू की बातो का अर्थ समझ पाने में असमर्थ थी | राजू ने प्रियम को सीने से जकड कर बांध दिया और एक हाथ भी कुर्सी से बांध दिया | बस एक हाथ खुला छोड़ दिया |
जग्गू - चल सामने चाची को देख लंड को मुठियाना शरू कर, समझ ले ये बिलकुल नंगी बैठी | इसकी गुलाबी चूत तेरे सामने बेपर्दा है |
प्रियम चिल्लया - हरामजादो मै तुमारा खून पी जाउगा, एक बार मेरी रस्सी खोल दो |
रीमा बेबस सी लाचार दरी सहमी बैठी थी - क्या चाहिए तुम लोगो को बोलो न कितना पैसा चाहिए. मै देने के लिए तैयार हूँ | प्लीज ये सब मत करो |
जग्गू प्रियम की तरफ देखता हुआ - लड़के लंड मुठियाना शुरू कर वरना . . . . . . . . . . |
प्रियम और ज्यादा भड़कता हुआ - वरना क्या, वरना क्या |
जग्गू कुछ देर तक प्रियम को घूरता रहा फिर रीमा की तरफ देखकर बोला - मैडम आप इसकी कुछ मदद करेगी, क्योंकि मुझे नहीं लगता ये ऐसे मनाने वाला है |
रीमा के चेहरे पर सवालिया निशान थे - मै कुछ समझी नहीं |
जग्गू - आप बड़ी भोली है मैडम, देख रही है न आपका भतीजा कितना जिद्दी है | हम यहाँ से चले जायेगे लेकिन थोडा एंटरटेनमेंट करने के बाद | अब आपका भतीजा तो हमारी बात मान नहीं रहा, तो क्या आप उसके लंड को उठाने में कुछ मदद करेगी | जब आपका नंगा बदन देखेगा तो अपने आप उठेगा ऊपर को, आप इतनी हसीन है कि आपकी चूत को देखेते ही पिचकारी छोड़ देगा | एक बार इसका लंड सीधा हो जाये फिर आगे का काम तो हमारा जूनियर कर लेगा |
रीमा - क्या बकवास कर रहे है आप, ऐसा कैसे हो सकता है |
जग्गू - बिलकुल हो सकता है, आप कोई भी जुगत भिड़ाये, अपने कपड़े उतारे, उसके लंड को मसले, चुसे, अपनी चूत को उसे दिखाए या पूरी नंगी हो जाये | मुझे उसका लंड खड़ा चाहिए |
रीमा बेबस सी बिलकुल मरियल आवाज में - लेकिन क्यों ?
जग्गू - बस हमें देखना है, जितना जोश इसकी आवाज में है, क्या उतना ही दम इसके लंड में भी है या नहीं | इसके लंड की दम देखने के बाद हम तय करेगे कितना माल ले जाये | अगर ये तय समय से पहले झड़ गया तो
आपको न केवल हमें पैसे देने होंगे बल्कि एडिशनल कुछ भी देना पड़ेगा, अगर इसने हमारी डेड लाइन पार कर ली तो हम कम पैसे लेकर भी जा सकते है | ये मान लीजिये हमने और जूनियर ने आपस में शर्त लगी थी |
रीमा को उसका लॉजिक समझ नहीं आया - लेकिन तुम्हे कितने पैसे चाहिए ?
जग्गू - मैडम हम वो अभी नहीं बता सकते |
रीमा की कुछ समझ में नहीं आ रहा था कैसे डकैत है | वो बेहद डरी हुई थी और उसका दिमाग बिलकुल भी काम नहीं कर रहा था | राजू धीरे से बोला - मैडम एक बार अपने हसीन जिस्म के दर्शन तो कराइए, ये लंड क्या चीज है मुर्दे भी बोल पड़ेगे | एक बार अपनी हसीन ऊँची ऊँची चुचियो और उरोजों के तो दर्शन कराइए |
रीमा समझ गयी उन दोनों की नीयत उस पर ख़राब हो चुकी है लेकिन अभी वो कुछ कर भी नहीं सकती थी |
कुछ देर तक रीमा जडवत वैसे ही बैठी रही, मन ही मन सोच रही कैसी मुसीबत आन पड़ी |
जग्गू रीमा को धमकाता हुआ - मैडम हमारे पास टाइम नहीं है, या तो उससे कहिये अपने लंड को मसलना शुरू कर दे या आप अपने कपड़े उतारना शुरू कर दो | जो भी करना है जल्दी करो, वरना हम शुरू हो जायेगे |
जूनियर प्लास लाये हो, देना जरा, इसका एक नौखुन उखाड़ता हूँ तब इसका चीखना चिल्लाना कम होगा |
राजू ने जग्गू को इशारे में, प्लास तो वो लाया नहीं | जग्गू ने बात सँभालते हुए - किचन से ले आ |
प्रियम चिल्लाया - किचन में तुम्हे प्लस कभी नहीं मिलेगा क्योंकि वो तो स्टोर रूम के ड्रोर में रहता है |
जग्गू - थैंक्यू प्रियम |
रीमा हैरान थी प्रियम इतना बड़ा बेवकूफ कैसे हो सकता है | अपनी ही बर्बादी का सामान की जगह बता रहा है |
राजू ढूंढकर प्लास ले आया | जग्गू ने रीमा पर गन ताने रखी | राजू प्रियम की तरफ बढ़ गया |
राजू प्रियम से - किस उंगली का नौखून आप पहले दान करना पसंद करेगे |
प्रियम और ज्यादा जोश से - एक बार मेरी रस्सी खोल दे, तेरी गर्दन ही दान कर दूगां |
राजू - बॉस एनी स्पेसिफिकेशन |
जग्गू - दाहिने हाथ की सबसे छोटी उंगली |
रीमा किर्तव्य विमूढ़ सी, बदहवास, वो कभी ऐसे परिस्थिति से गुजारी नहीं थी इसलिए समझ नहीं आ रहा था क्या करे | दो अजनबियों के सामने इस तरह से अचानक कपड़े उतारना, वो भी तब जब प्रियम सामने बैठा हो | कपड़े उतारना बड़ी बात नहीं, एक बार कपड़े उतर गए फिर न जाने ये क्या करेगे | छोटे वाले की नीयत तो अभी से ठीक नहीं लग रही है |
राजू ने प्रियम की उंगली प्लास में दबा ली, दबाई नहीं थी लेकिन प्रियम ने ऐसा जताया जैसे उंगली काट गयी हो | रीमा प्रियम की तरफ उठ कर भागी लेकिन जग्गू ने पीछे धकेल उसके सर पर बंदूक तान दी |
जग्गू गुस्से से - बहुत हो गया मैडम, अब हम और मिन्नतें नहीं करेगे | राजू उखाड़ दे नाख़ून | प्रियम और जोर से चीखने लगा | रीमा बदहवास सी चिल्लाई - रुको, रुको, प्रियम को कुछ मत कर, वो बच्चा है अभी |
जग्गू भी तेज आवाज में बोला - बिना इस लड़के के पिचकारी छुटे हम भी हिलने वाले नहीं है |
रीमा प्रियम से रिक्वेस्ट करने लगी - प्रियम मान जाओ, अपने लिए, वरना तुझे ये हर्ट करेगे |
प्रियम - मै मर जाऊंगा लेकिन इनकी घटिया बात कभी नहीं मानुगा |
इससे पहले जग्गू कुछ कहता, रीमा ने पल्लू नीचे सारा दिया | उसकी छाती से कसकर बंधा ब्लाउज रीमा के गोल गोल बड़े बड़े उरोजो को अपने में समेटे साड़ी के परदे से बाहर आ गया | रीमा का ब्लाउज तो बस उसके उभारो पर बस एक झीना कपड़ा था | रीमा ने एक झटके में साड़ी नीचे गिरा दी और फिर पूरी तरह से उतार दी |
रीमा ने नीचे से पेटीकोट भी उतार दिया | सामने रखे शीशे में अपने मुरझाये चेहरे को देखने लगी | वो क्या कर रही है क्यों कर रही है, एक बार नंगा होने के बाद क्या ये तुझे बिना कुछ किये छोड़ देगें | क्यों खुद ही अपने आप को नरक की तरफ ले जा रही है, ये बिना चोदे तुझे नहीं छोड़ने वाले | फिर एक बार चोदेगे या बार बार पता नहीं, तुझे अपनी सेक्स गुलाम बना लेगें | फाइनली रीमा के दिमाग में आईडिया आने लगे थे | बार बार तुझे सेक्स के लिए मजबूर करेगे | नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता, ये मुझे सेक्स गुलाम नहीं बना सकते, मै रीमा हूँ, रीमा सिर्फ अपने जिस्म के सेक्स की दासी है वो दुसरे की दासी नहीं बनेगी | रीमा का आत्मविश्वास कुछ हद तक लौटा | क्या हुआ अगर एक बार छोड़ लेगें, है तो लंड ही चूत में ही तो जायेगें, इसमें नया क्या है और डरने वाला क्या | अगर ये तुझे चोदना चाहते है तो ये तो तेरे लिए प्लस पॉइंट है | तू इनका इस्तेमाल कर, इन्हें बरगला, इन्हें भटका और प्रियम को आजाद करा |
रीमा ने फैसला कर लिया था अब वो वही करेगी जो वो दोनों चाहते है | उधर रीमा के बदन से कपडे हटते ही रीमा का बदन दमकने लगा | जग्गू और राजू दोनों की लार टपकने लगी | रीमा ऊपर सिर्फ ब्लाउज पहने थी और नीचे पैंटी | दोनों रीमा को कसकर घूर रहे थे |
रीमा ने जग्गू से पुछा - मै इसका लंड हिलाऊ ?
जग्गू एकदम हतप्रभ था ये पल भर में आत्मा परिवर्तन कैसे, उसको आगे का कुछ नहीं सुझा | राजू ने रीमा के आगे बढ़ना का इशारा किया | जग्गू उसकी तरफ गन ताने रहा |
रीमा प्रियम के पास जाते ही कुछ खुसफुसाने लगी- डरो मत मै कुछ करती हूँ इनका |
उसका मुरझाये लंड को खड़ा करने के लिए हिलाने की कोशिश करने लगी | अपने इतने करीब रीमा को देखकर और जब उसके हाथ में उसका लंड हो प्रियम थोडा असहज हो गया, उसे किचन की लंड मसलाई याद आ गयी | रीमा ने प्रियम के लंड पर अपने हाथो की गति बढ़ा दी | जग्गू और राजू दोनों आंखे फाड़े पीछे से रीमा के नंगे चूतड़ जो बड़ी मुस्किल से एक छोटी पैंटी से ढके थे को देखकर ही उत्तेजित हुई जा रहे थे | रीमा ने अपने ऊपर का ब्लाउज भी उतार फेंका | अब वो प्रियम का लंड हाथ में थामे कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी थी | रीमा बिना प्रियम का ख्याल किये स्ट्रोक लगा रही थी और प्रियम का लंड भी सीधा होने लगा था | रीमा खुद को प्रियम के करीब ले आई और उसके लंड को अपनी छातियों के पहाड़ी उरोजो के बीच में रखकर मसलने लगी |
रीमा का डर कम हो गया था या यू कहे उसके अन्दर के सेक्स फंतासी ने कुचाले मारना शुरू कर दिया | इस माहौल में भी उसे प्रियम से मस्ती करने की सूझी - हाँ बेबी यू लाइक इट . . . हाँ बेबी यू लाइक माय स्ट्रोक |
प्रियम की उत्तेजना बढ़ने लगी, ये सब देखकर राजू और जग्गू भी अपने मुखौटे के अन्दर से उत्तेजना की तेज सांसे लेने लगे | उनकी निगाहे तो रीमा के नंगे जिस्म पर ही टिकी थी | राजू और जग्गू दोनों ही अपने अपने लंड पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगे | रीमा न केवल प्रियम को लंड को खड़ा कर चुकी थी, बल्कि उसको अब उसका स्वाद भी चखना था लेकिन फिर उसे शर्त का याद आया तो धीरे धीरे ही प्रियम के लंड को मसलती रही | साथ ही धीमी आवाज में प्रियम को उकसाती भी रही - हां बेबी मेरा लंड मसलना अच्छा लग रहा है, मै ऐसे ही मुठ मार मार के तुमारी पिचकारी निकालूंगी | तुमारा लंड बहुत गरम हो गया है | मेरे नाजुक स्तनों को कही झुलसा न दे | प्रियम भी रीमा की आँखों में आंखे मिलाये बस उसी वासना के भाव से देख रहा था |
अन्दर से प्रियम की फटी पड़ी थी, अब तक सब कुछ उसके प्लान के मुताबिक गया था लेकिन अब जो हो रहा था वो प्लान का हिस्सा नहीं था | अनप्रिडिक्टटेबल रीमा के बारे में कुछ भी प्लान बनाना मतलब अपना सर दीवार पर दे मारना है | रीमा प्रियम का लंड हिलाने में लगी है और पीछे राजू, जग्गू भी पेंट से अपने लंड निकाल हिलाने लगे | थोड़ी ही देर में उनके लंड भी तनने लगे और प्रियम की तरह की कठोर होकर पत्थर बन गए | जब से रीमा प्रियम के पास आई थी उसने पीछे मुड़कर भी नहीं देखा लेकिन सांसो की आवाजो से उसने अंदाजा लगा लिया था पीछे का क्या माहौल है | रीमा ने बस कनिखियो से पीछे देखा, दोनों रीमा को घूर घूर कर अपने लंड मसल रहे थे | प्रियम की फटी पड़ी थी और वो दोनों रीमा के रूप जाल की हवस में धंसते चले जा रहे थे | आखिरकार रीमा ने थोडा और इन्तजार करने की सोची | उसने प्रियम के लंड के लाल सुपाडे पर अपनी खुरधुरी जीभ चला दी | प्रियम की सिसकारी निकल गयी | रीमा प्रियम का लंड मुहँ में लेकर चूसने लगी | प्रियम ने उत्तेजना के कारन मुट्ठियाँ भींच ली | उसके मुहँ की सिसकारी और तेज हो गयी |
रीमा के मुहँ में प्रियम का लंड फिसलने लगा, रीमा भी अपन सर लहरा लहरा कर गहराई तक प्रियम का लंड मुहँ में लेकर चूसने लगी | ये सब राजू और जग्गू लाइव देख रहे थे जो प्रियम ने उसे बताया था | अपनी आँखों से अपने सामने वो तो अपनी किस्मत पर यकीं ही नहीं कर पा रहे थे | एक ही कमरे में तीनो और उनके सामने लगभग लगभग नंगी रीमा का गोरा गुलाबी बदन, सचमुच की रियल रीमा चाची मौजूद थी | जिसके बारे में सोचकर न जाने कितनी बार पेंट में तम्बू तना था, आज उस चूत को चोदने की चाहत उन्हें यहाँ खीच लायी और वो चूत बस कुछ दूरी के कदमो पर थी | एक पैंटी उतारने की देर थी और वो जन्नत की ओर जाने वाली मखमली गुलाबी सुरंग उनके सामने होगी |
जग्गू की उत्तेजना तो रीमा के बारे में सोच सोचकर काबू ही नहीं हो रही थी | साली के एक झटके में इसकी चूत में पूरा लंड घुसा दूंगा | कितना मजा आएगा, साली जब मेरे चोदने पर चीखेगी | अभी चूस ले लंड प्रियम का, अभी लंड तो मै पेलुगां तेरी चूत में | साला तेरे चक्कर में क्या क्या दिन देखने पड़ गए | राजू का भी यही हाल था, उसने तो इस तरह से पूरी नंगी औरत अपने जिंदगी में कभी देखि नहीं थी, वो तो बस रीमा को देखे के अपने लंड को मुथियाये जा रहा था | चाहता तो वो भी रीमा को चोदना था लेकिन उसके लिए रीमा के जिस्म को नंगा देखना ही बहुत बड़ी बात थी, वो उत्तेजना की रौ में बहता चला जा रहा था | उसकी उत्तेजना उसके काबू में नहीं थी और जितना वो रीमा को देखता उतनी तेज उसका हाथ लंड पर आगे पीछे होता | वो उत्तेजना के कारन बढ़ता बढ़ता रीमा की तरफ चला गया | सभी वासना की उत्तेजना के भंवर में थे इसलिए किसी का भी खुद पर काबू नहीं था | जग्गू ने रोकना चाहा लेकिन वो खुद रीमा को देखकर पगला रहा था | राजू को पास आया देख रीमा एक हाथ से उसके लंड को सहलाने लगी और जैसे ही रीमा ने राजू के लंड पर चार पांच स्ट्रोक लगाये, राजू उत्तेजना में बह निकला | इतनी देर लंड मथने से बना सफ़ेद गाढ़ा लावा उसके शरीर से पिचकारी के रूप में बह निकला |
रीमा के हाथ राजू के लंड रस से सन गए | रीमा भावहीन चहेरे से राजू के ढके मुहँ की तरफ देखती रही | राजू पिच्ज्कारी छुटते ही हांफने लगा |
रीमा ने राजू के लंड रस से सना हाथ प्रियम के लंड पर दौड़ना शुरू किया | रास्ता स्मूथ था इसलिए पिस्टन की तरह प्रियम का लंड रीमा के हाथो में अन्दर बाहर हो रहा था और आखिर कब तक प्रियम रीमा के आगे टिक पाता, उसने भी रीमा के हाथ से मथकर तैयार किये गए लंड को रीमा के ऊपर ही उडेलना शुरू कर दिया | रीमा के ओंठो के आस पास का इलाका प्रियम के लंड रस से बुरी तरह सन गया | रीमा प्रियम को देख रही थी और प्रियम रीमा को देख रहा था | दोनों में से किसी ने भी नजरे नहीं हटाई, शायद झड़ता प्रियम रीमा के सौंदर्य के किसी और रूप के ही दर्शन कर रहा था | रीमा भी प्रियम में कुछ तलाशने में लगी थी | प्रियम के लंड से गरम लावे की आखिरी बूंद निचोड़ने को रीमा के हाथ पुरजोर कोशिश कर रहे थे | तभी राजू उत्साह में बोल पड़ा - जग्गू भाई मजा आ गया |
रीमा की एकाग्रता भंग हुई, उसने कुछ सुना जग्गू, ये नाम तो जाना पहचाना है | प्रियम को लगा अब खेल ख़त्म, जग्गू ने बात संभालते हुए कहा - अबे गधे कितनी बार बोला है, मुझे पता है ये तेरा मुस्किल टाइम है, मुश्किल वक्त में दिमाग का इस्तेमाल किया कर |
राजू - जी बॉस जगदेव प्रसाद |
रीमा को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे संजीवनी बूटी पिला दी हो | अपने मुहँ पर लगे प्रियम के लंड रस को पोछते हुए तेजी से पीछे की तरफ उठी और जग्गू के हाथ से बन्दूक छीन ली, और जग्गू राजू की तरफ तान दी |
रीमा दहाड़ी - चलो अपने मास्क उतार दो, कोई फायदा नहीं, तुम पकडे जा चुके हो बच्चे जग्गू |
प्रियम चौंक गया, उसे लगा अब सचमे गेम ख़त्म | जग्गू अपनी जगह से इंच भर नहीं हिला |
रीमा दहाड़ी - मास्क उतारो वरना जीतनी गोली उसमे है सब के सब उतार दूँगी |
जग्गू अपने लंड को मसलते हुए हंसने लगा - हा हा हा हा उसमे कोई गोली नहीं है रीमा मैडम, ज्यादा लाल पीला नहीं होने का |
राजू ने अपना मास्क उतार दिया - जग्गू तू मरवाएगा मुझे, खाली पिस्टल लेकर चला आया, साले मुझे बताया तक नहीं | भला ऐसा कोई करता है क्या |
जग्गू उसे धमकाता हुआ बोला - अबे फट्टू, साले इन मैडम की हालत देखि थी | बिना गोली के ये हाल था सोच गोलिया होती तो क्या हाल होता |
जग्गू ने भी अपना नकाब उतार दिया और अपने लंड को मसलते हुए रीमा के करीब जा पंहुचा - उसके हाथ से पिस्टल छीन ली - मेरा लंड तो अभी खड़ा का खड़ा ही है मैडम, इसकी भी पिचकारी निकाल दो | अब बताओ प्यार से करोगी या जबरदस्ती करनी पड़ेगी |
राजू के तरफ देखकर - राजी मैडम की फोटो तो खींच दो चार |
रीमा एक थके हारे इंसान की तरह से बिस्तर पर बैठ गयी, उसको अन्दर ही अन्दर जोर से रोना आ रहा था लेकिन तभी जग्गू का डायलोग याद आ गया | मुसीबत के वक्त दिमाग लगावो | उसने खुद की भावनाओ की काबू करते हुए, जग्गू राजू और प्रियम तीनो को बारी बारी से देखा | प्रियम ने सर झुका लिया | रीमा समझ गयी ये सब इन तीनो का मिलकर किया धरा है |
प्रियम की तरफ लपककर तेजी से गयी और एक तेज झन्नाटेदार झापड़ रसीद कर दिया - रंडी की औलाद, दिखा दी ना अपनी औकात |
राजू की फट के हाथ में आ गयी, उसे लगा अब हड्डी पसली एक होनी है, कांपते हाथो से वो रीमा की जो सिर्फ पैंटी पहने थी फोटो खीचे जा रहा था, रीमा ने एक झन्नाटेदार झापड़ उसे भी रसीद कर दिया | फ़ोन राजू से दूर छिटक कर जा गिरा | राजू पर ताड़बतोड़ हाथ बरसाने लगी |
रीमा रुन्वासी हो आई, राजू की भी आवाज भर्रा गयी | रीमा बड़ी हिकारत से - राजू तुम भी, मै ही मिली थी तुम सबको, यही सब अपनी माँ के साथ कर सकते हो | कुछ अरमान थे एक बार प्यार से आकर दिल की बात कहते तो सही | घिन आती है तुम सबसे मुझे, तुम सब भी इस सड़क छाप की तरह निकले |
प्रियम सर झुकाए बैठा रहा लेकिन राजू सिबुकने लगा - उसे रोते रोते एक साँस में सारी कहानी रीमा को सुना डाली | इन सबकी जड़ में जग्गू और प्रियम थे जो उससे अपना बदला लेने आये थे |
रीमा माथा पकड़कर बैठ गयी | तभी जग्गू अपना लंड मसलता हुआ रीमा के करीब आया - बड़ा अफ़सोस हो रह है न मैडम रीमा जी | उस दिन नहीं हुआ था जब मेरी शिकायत करने कॉलेज गयी थी | अब ले लंड ले मेरा मुहँ में इसको चूस, नहीं तो गन में गोलियां नहीं लेकिन चाकू असली है | उसने पेंट के जेब से एक खतरनाक चाकू निकाला | इसको चूस, अंदर तक गले तक ले जा | आज तुझे जमकर चोदूगा, एक बार में ही पूरा लंड घुसा दूगां, हचक हचक के इतना चोदूगा की तुमारी कमर में दर्द कर दूगां, पूरी रात तुझे कुतिया बनाकर ऊपर से नीचे से पीछे आगे से हर तरह से चोदूगा | तेरी जिस्म की जवानी के रस की जब तक एक एक बूंद नहीं निचोड़ लूँगा तब तक तुझे चोदता रहूगां और तुमारी नाजुक चूत को अपने लंड से कुचलता रहूगां, फिर तेरे बड़े बड़े चुताड़ो को, जिनको खूब मटका मटका कर चलती है इन्हें हवा में उठाकर तेरी गांड भी मारूंगा वो भी बिना लोशन या क्रीम के | तेरा गुरुर तोड़कर ही जाऊंगा |
रीमा भी उसकी आँखों में आँखे डाल घूरती रही | अब उसके लिए हया शर्म के नाम पर बचा ही क्या था | जब उम्मीदे ख़त्म हो जाती है और बन्धनों का मोह छुट जाता है तब इन्सान ज्यादा तार्किक फैसले लेता है | रीमा समझ चुकी थी इस जाल से निकलना मुश्किल है, जग्गू अपना बदला लेने आया है और वो किसी भी हद तक जा सकता है | उसे हर्ट भी कर सकता है | उसे संयम और समझदारी से काम लेना होगा, नहीं तो जग्गू न केवल उसको उसकी मर्जी के खिलाफ चोदेगा बल्कि दुर्गति भी करेगा | वो अगर इस हद तक आ गया है तो कुछ भी कर सकता है, बेहतर होगा उसके साथ बुद्धि से काम लिया जाये | एक पल में रीमा ये सब सोच गयी और जग्गू को देखकर हलके से मुस्कुराने लगी |
रीमा को मुस्कुराता देख जग्गू हैरानी में पड़ गया, मन ही मन सोचने लगा कही रीमा मैडम पागल तो नहीं हो गयी सदमे से | प्रियम और राजू भी हैरान थे |
रीमा उनके हैर्रण चेहरे देखकर - बस इतनी सी ख्वाइश है तुमारी, बच्चे |
जग्गू हैरानी से - चालाकी नहीं, तुम्हे पता है मै बहुत डेंजरस हूँ क्या मतलब है तुमारा |
रीमा निश्चिंत होकर - बस जी भर के चोदना चाहते हो मुझे और उसके लिए इतना सारा ड्रामा
उफफ्फ्फ्फ़ तुम बच्चे भी न | तुम्हे पता है न मेरे पति बरसो पहले मर गए है | अब इतने सालो से लंड का अकाल पड़ा है जिंदगी में और तुम हो कि एक लंड लेकर आये हो तो चाकू दिखाकर धमका भी रहे हो |
जग्गू को अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ, जग्गू ही क्यों किसी को भी अपने कानो पर यकीन नहीं हुआ |
जग्गू - मेरे को ये समझ नहीं आई |
रीमा - इसलिए कहा है बच्चे हो अभी तक, इधर आवो, जग्गू को अपनी तरफ खीचकर उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी | बच्चा लोग कान खोलकर सुन लो मेरी चूत चोदनी है तो मेरा कहना मानना होगा |
उसके सारे कपड़े उतारकर जग्गू को पूरी तरह से नंगा कर दिया | राजू से प्रियम की रस्सी खोलने को कहा | तब तक अपनी पैंटी भी उतार दी | राजू और प्रियम भी पूरी तरह से नंगे हो गए | उस कमरे में अब सब से सब पूरी तरह से नंगे थे | रीमा ने तीनो को अपने लंड को मुठीयाने को बोला, कमरे का माहौल अब बदल गया था | तीनो आज्ञाकारी बच्चो की तरह अपने अपने लंड मुठीयाने लगे, लेकिन जग्गू को औरत का कण्ट्रोल बर्दाश्त नहीं हुआ और वो जाकर रीमा के पास खड़ा हो गया |
जग्गू - यहाँ बॉस मै हूँ और जो मै कहूँगा वो सबको मानना पड़ेगा |
रीमा चाहती थी मामला शांति से निपट जाये लेकिन जग्गू मानने को तैयार ही नहीं था, हर बात में वो अपनी धौंस ज़माने की कोशिश करता | रीमा को लगा इसका इलाज करना ही पड़ेगा | रीमा ने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और लगी मुठीयाने | जग्गू बीच में कुछ कहना चाहता था, रीमा ने उसे रोक दिया - मुझे तुझसे ज्यादा एक्सपीरियंस है चुदाई का और तेरे से डबल डबल लंड अपनी चूत में लेकर रात रात भर चुदी हूँ, मुझे चोदना मत सिखा | तेरा लंड भी चुसुंगी, मुहँ में लूंगी, चूत में लूंगी | तेरी हर ख्वाइश पूरी होगी अब अपना सड़क छाप अकड़ कुछ देर अपनी जेब में रख |
जग्गू चुप हो गया, बाकि दोनों अपने अपने लंड को हिलाने में लगे रहे | रीमा जग्गू का लंड मुठीयाने लगी और फिर धीरे से उसके सुपाडे पर अपनी गीली लिसलिसी जीभ फिराने लगी | जग्गू के लिए ये बिलकुल नया अनुभव था, वो आनंद से सरोबार हो गया - यस्स्स्सस्स्सस रीमा मैडम, आआअह्ह्ह मजा आ गया |
रीमा उसकी बातो से बेपरवाह उसके लंड को आराम से अपनी जांघे फैलाकर हाथो से मुठिया रही थी | जग्गू को रीमा की गुलाबी चूत साफ़ दिखा रही थी जिसको देख देखकर वो बौराया जा रहा था | रीमा बहुत तेज लंड पर हाथ का स्ट्रोक लगा रही थी | बीच बीच में उसका सुपाडा मुहँ में लेकर चूसने लगाती तो जग्गू अंदर तक मस्तियाँ जाता था - आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् मैडम आआआआह्ह्ह्ह ऐसा लग रहा है जैसे स्वर्ग में हूँ |
रीमा के बड़े बड़े उठे उठे सुडौल ठोस उरोजो को देखकर, उसके दुधिया बदन को देखकर जग्गू तो जैसे पागल हुआ जा रहा था | उसे अभी भी खुद को यकीन दिलाना पड़ रहा था की उसके सपनो की रानी रीमा के हाथ में उसका लंड है और वो रीमा के बदन की गर्माहट महसूस कर रहा है |
रीमा ने उसे बिस्तर की तरफ और झुका दिया और उसके लंड को अब मुहँ में ही भर लिया और चूसने लगी | रीमा के नरम मुहँ का गीलापन , जग्गू के गरम लंड पर बड़ा सुखद लग रहा था | उधर राजू और प्रियम के लंड भी फिर से अकड़ने लगे थे | रीमा जोरो से जग्गू के लंड को मुहँ में लेकर चूस रही थी, धीरे धीरे रीमा जग्गू को बिस्तर पर झुकाती जा रही थी और उसके ऊपर खुद झुकती चली जा रही थी |
जग्गू के लंड के साथ उसकी हरकते अब उग्र होती जा रही थी, जैसे कसकर लंड को मसल देना, उसके सुपाडे पर दांत लगा देना, उसके लंड को कसकर चूस लेना, उसके साथ साथ वो जग्गू को गोलियों के साथ भी खेलने लगी | जग्गू इस समय स्वर्ग में था, उसे अंदाजा नहीं था ऐसे भी लंड चूसा जा सकता है | रीमा ने तो उसे सीधे ही जन्नत की सैर करा दी थी | वो बस उत्तेजना और आनंद से कराहे जा रहा था | प्रियम के लिए ये एकदम नया नहीं था लेकिन राजू के लिए ये सब एक नयी दुनिया से परिचित होने जैसा था |
रीमा ने जग्गू के लंड को अपने मुहँ की गहराई तक उतारने लगी थी | जैसे रीमा मुहँ को नीचे की तरफ ले जाती जग्गू का लंड एक तरह से गायब ही हो जाता | रीमा पूरा का पुरा लंड मुहँ में समाये ले रही थी | रीमा के गुलाबी रसीले ओंठ जग्गू के लंड की जड़ को स्पर्श कर रहे थे | रीमा ने पहले एक दो बार धीरे धीरे सावधानी से पूरा लंड निगला, फिर पूरा लंड सटासट गले तक उतारने लगी | उसे जग्गू के लंड पर ओंठो का दबाव भी बढ़ा दिया था, जग्गू के लंड और उसके गुलाबी रसीले ओंठो के बीच जबदस्त गर्षण हो रहा था |
जग्गू के मुहँ से बस - आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआह्ह्हह्हहहहहह ही निकल रहा था | रीमा न केवल जग्गू के लंड पर सख्ती किये हुई थी बल्कि उसकी गोलियों को भी दही की तरह मथ रही थी | राजू एकटक जग्गू के लंड की चुसाई देख रहा था, उसने ये नजारा अपने जीवन में कभी भी नहीं देखा था | रीमा पूरी तनमयता से जग्गू का लंड चूस रही थी |
रीमा की ये खास बात थी उसे किसी लंड पसंद हो न हो लेकिन एक बार वो शुरू हो गयी फिर वो दिलो जान से उसके लंड को जन्नत की सैर कराती थी | रीमा एक ही झटके में जग्गुके लंड को मुहँ के अन्दर गायब किये दे रही थी | रीमा ने तेजी से रिद्धम के साथ सर को ऊपर नीचे करना शुरू किया, जग्गू के कराहे बढ़ गयी थी और अब उसकी पिचकारी छूटने वाली ही थी | रीमा ने अपनी गति और बढ़ा दी और बेतहाशा बुरी तरीके से जग्गू के लंड को मुहँ में ही मसलने लगी | जग्गू के शरीर में भी हरकत होने लगी | उसने लंड मंथन का लावा अपने अन्डकोशो से बहा निकला और सीधे पिचकारी के रूप में रीमा के मुहँ में समाने लगा |
रीमा के मुहँ खोलते ही वो जग्गू के पेट पर गिरने लगा | जग्गू स्वर्ग की सैर कर रहा था रीमा उसके लंड को निचोड़ रही थी | जग्गू के आंखे बंद हो गयी | रीमा उसके रिसते लंड को छोड़ जग्गू के ऊपर आ गयी | जग्गू मदहोश थ और रीमा ने तेजी से अपनी साड़ी उठाई और जग्गू के दोनों हाथो में गांठ लगाकर उसे बेड से बांध दिया | जग्गू जब तक कुछ समझ पाता, उसके हाथ कसकर बेड से बांधे जा चुके थे | जग्गू कुछ पूछता इससे पहले ही रीमा उसके कान में फुसफुसा आई - सेकंड राउंड, थोड़ा और ज्यादा मुश्किल लेकिन उतना ही रोमांचकारी | जग्गू उसी मस्ती में मस्तियाँ गया और उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया |
रीमा जल्दी से बेड से उतरी और ड्रोर से चाभी लेकर एक रूम की तरफ चली गयी | वहां से वो दो बड़े बड़े डिब्बे के पैकेट लेकर आई | वही रख दिए, प्रियम और राजू दोनों ही अपने लंडो को मसल रहे थे | रीमा ने देखा जग्गू चुपचाप आंख बंद करके लेता है | रीमा राजू के पास आ गयी और उसके बाद राजू के पास बैठकर उसके लंड को सहलाने लगी | वो राजू की आँखों में एकटक देख रही थी और राजू सुरुआती झेंप के बाद रीमा की नशीली आँखों में खो गया | रीमा राजू का लंड मसलते हुए उसको एकटक देख रही थी | वो राजू के चेहरे के भाव पढ़ा रही थी | राजू मस्ती और कामवासना की उत्तेजना में डूबा हुआ था | राजू के मुहँ से बस - आह आह आह आह ही निकल रहा था |
राजू का लंड पूरी तरह खड़ा हो चूका, उसके लंड में खून का दौरान तेजी से हो रहा था और उसके कारन उसके लंड की नसे साफ़ झलक रही थी | रीमा ने उसके लंड की तरफ झुकते हुए उसके खड़े सख्त लंड की खाल की पीछे तक खीच दिया और उसका लाल फूला सुपाडा रीमा के चेहरे के सामने नुमाया हो गया, उसका लंड तेज खून के दौरान के कारन काँप रहा था | राजू की धड़कने तेज थी और सांसे बेकाबू थी | राजू और रीमा एकक दुसरे की आँखों में एकटक देख रहे थे | रीमा ने बड़ी अदा ने राजू के गरम सख्त लंड का सुपाडा मुहँ में निगल लिया और सर हिला हिला कर चूसने लगी | राजू के मुहँ से जोरो की सिसकारी फूटने लगी | रीमा उसकी आँखों में आंखे डाल उसके लंड को चूसने लगी | रीमा लयबद्ध तरीके से अपना हाथ राजू के लंड को मसलते हुए उसकी जड़ तक ले जाती और फिर आगे सुपाडे तक लाती और उसके सुपाडे को अपने रसीले ओठो की सख्त गिरफ्त में लेकर कसकर चूस रही रही थी और मुहँ में अन्दर बाहर कर रही | रीमा ने राजू को इशारे से उसकी आँखों में लगातार देखने की हिदायत दी | राजू उसकी बात नहीं समझा | रीमा ने मुहँ से उसका फूला सुपाडा निकल कर बोला - वो सिर्फ उसकी आँखों में देखे | पहली बार में राजू टाइम से पहले झाड़ गया था इसलिए रीमा उसे कुछ एक्स्ट्रा आनंद देना चाहती थी | इसलिए जग्गू से निपटे ही रीमा राजू के लंड को लेकर चूसने लगी | रीमा के नरम मुहँ की लिसलिसे गीलापन राजू के गरम लंड पर बहुत ही आनंददायी था | राजू ने मस्ती में आंखे बंद करने की कोशिश की लेकिन रीमा ने दुसरे हाथ से चपत मार कर उसको याद दिलाया की उसे रीमा की नशीली आँखों में ही डूबे रहना है |
इतना रोमांचकारी सीन देखकर प्रियम की भी अच्छे से उत्तेजित हो गया, वो रीमा की राजू के लंड की चुसाई देखकर कर अपने लंड को कसकर मसलने लगा | उधर जग्गू बेड पर पड़ा हुआ था उसके हाथ बांधे थे | वो अपने हाथ खोलने की कोशिश कर रहा था | वो बेड पर लेटे लेटे ही चिल्लया - प्रियम मेरे हाथ खोल मुझे रीमा मैडम की गोरे गोर उठी हुई ठोस उरोजो को मसलना है |
प्रियम उसकी तरफ जाने वाला था , रीमा ने उसे घुड़क दिया | प्रियम फिर से चुपचाप अपने लंड को मसलने लगा | जग्गू का धैर्य जवाब दे रहा था - मैडम मेरे हाथ खोलो, मुझे भी आपको स्वर्ग की सैर करनी है |
रीमा - बस कुछ देर और बच्चे, राजू को निपटा लू फिर तेरे पास ही आ रही हूँ |
जग्गू रीमा की मादक आवाज से फ्लैट हो गया, उसने कुछ नहीं कहा | रीमा फिर से और ज्यदा सख्त हाथो और ओठो से राजू के लंड को चूसने लगी | राजू इस जादुई पल को जीवन भर के समेत लेना चाहता था वो चाहता था ये जादुई सफ़र कभी ख़त्म ही न हो | कामवासना के समद्र में गोते लगाते हुए उसने मादकता से कराहते हुए - रीमा आंटी थोडा स्लो, प्लीज |
रीमा समझ गयी राजू को क्या चाहिए | रीमा ने आइस्ते आइस्ते उसके लंड को चुसना शुरू कर दिया |
राजू अभी अभी झड़ा था इसलिए इस बार इतनी जल्दी झड़ना संभव नहीं था दुसरे वो रीमा के इस स्वर्गदायी आनंद को जीभर के महसूस करना चाहता था | वो चाहता था ये सफ़र कभी खतम ही न हो, रीमा चाची उसके लंड की यू ही जादुई चुसाई करती रहे | रीमा अभी भी लंड चूसते समय राजू की ही आँखों में देख रही थी, उसने राजू की बात मानकर उसकी स्पीड जरुर थोड़ी कम कर दी | रीमा की गीला नरम मुहँ और राजू का कठोर सख्त गरम लंड का फूला सुपाडा, आह क्या जादुई अनुभव था राजू के लिए | कभी प्रियम भी ऐसे ही मैजिकल मोमेंट से गुजरा था | आज राजू के लिए भी वैसा ही जादुई पल था, कोई इतने कलात्मक तरीके से, इतने सलीके से, इतनी बेहतरीन और अलग अंदाज में भी लंड चूस सकता है ये तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था |
राजू अब चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ने लगा था | उसकी सांसो की गति और मुहँ से निकलती कराहे और शरीर के हव भाव बता रहे थे अब वो ज्यादा देर का मेहमान नहीं है | रीमा आराम से धेरे धीरे उसके लंड के सुपाडे से खेल रही थी लेकिन राजू के लिए अब अन्दर उमड़ते लावे को रोक पाना मुश्किल हो गया था | उसकी झील का बांध टूट गे अता उर उसमे से तेज धार के साथ सफ़ेद गरम गाढ़ा लावा बाहर की तरफ बह निकला | एक तेज पिचकारी रीमा के ओंठो से टकराती हुई हवा में उछाल गयी | राजू के म्यहं से बस इतना ही निकला - रीम्म्म्मम्म्मम्म्म्म आंटी मैमैमैमैअमिया गयाआआआ आआआआआआआआआआआअ ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह आअहाआअहाआह्ह आअहाआअहाआह्हआअहाआअहाआह्हआअहाआअहाआह्ह |
रीमा ने राजू के टूटे बांध की धार अपने नरम हाथो की सख्त सख्त जकड़न से रोक ली और राजू के मुहँ की तरफ लंड सीधा करके हल्का सा हाथ हिलाया, दूसरी पिचकारी सीधे राजू के सीने से लेकर मुहँ तक उसी को भीगो गयी |
सामने रीमा के गोल गोल सुडौल पुष्ट उरोज धीरे धीरे हिल रहे थे, रीमा एकटक राजू की आँखों में ही देख रही थी बिना किसी अतिरिक्त उत्तेजना के और उसका हाथ राजू के लंड को हलके हाथो से हिला रहा था पिचकारी की बौछार उसमे से निकल कर राजू को ही तरबतर किये से रही थी | राजू बस अपने लंड से निकलते सफ़ेद लावे के कारन कराह रहा था | प्रियम और जग्गू दोनों ही हैरानी से ये सब देख रहे थे | वो एक एक पल को अपने दिलो दिमाग में हमेशा के लिए संजो लेना चाहते थे | उन्होंने ऐसा कभी न देखा था न सोचा था |
राजू की पिचकारियाँ निकालनी बंद हो गयी थी | रीमा ने उसके लंड को छोड़ दिया और बस उठने को हुई, तभी उसने देखा जग्गू ने किसी तरह अपने हाथो की गांठ लगभग लगभग खोल ली | ये देखकर रीमा सिहर गयी | उसने जल्दी से अपने दोनों लाये पैकेट में से एक को खोला और गन निकल ली, पाना मोबाइल उठाया | पलक झपकते ही गन को लोड किया और जग्गू की तरफ तान दिया | जग्गू को लगा रीमा मजाक कर रही है उसने जोश में आकर कहा - ईइस्स्स आआऐईस्स्स्स अब आएगा मजा | राजू और प्रियम दोनों चौंक गए | आंखे फाड़ फाड़ कर देखने लगे आखिर अचानक ये क्या हो गया | किसी को कुछ समझ नहीं आया |
रीमा जग्गू की तरफ गन ताने ताने चिल्लाई - हिलना मत लड़के, ये असली गन है लोडेड भी | हाथ बांध फिर से अपने | . . . कुछ सोचकर - प्रियम इसके हाथ बांध जैसे पहले बांधे थे |
प्रियम बिलकुल शुन्य हो गया, उसे समझ ही आया ये माजरा क्या है | रीमा फिर चिल्लाई - हाथ बांध जग्गू के मादरचोद |
अब प्रियम को करंट जैसा लगा - बिना कुछ सोचे, बिना दिमाग लगाये वो बेड पर चढ़ गया |
जग्गू ने प्रतिरोध किया, तो प्रियम बोला - मरवाएगा क्या साले, मान जा न | प्रियम जग्गू के हाथ बांधने में असफल रहा, रीमा ने राजू को इशारा किया, जो अभी भी अपनी उखड़ी सासें नार्मल करने की कोशिश कर रहा था |
रीमा खिड़की पर से ही गन ताने धमकाने लगी - राजू मदद कर प्रियम की जग्गू को बांधने, वरना आज सब के सब मरोगो | ये गन भी अलसी है, इसमें गोली भी है | चुपचाप बांध इसके हाथ और जैसा मै कहती हूँ वैसा करता जा |
रीमा के हाव भाव देखकर प्रियम और राजू दोनों को लगा मामला सीरियस है लेकिन उन्हें समझ नहीं आया अचानक ऐसा क्या हो गया | कही जग्गू ने अपने हाथ खोलकर रीमा चाची का प्लान तो नहीं बिगड़ दिया | लेकिन इतना ज्यादा गुस्सा करने की जरुरत क्या है |
राजू भी वही पंहुच गया, प्रियम जग्गू से - मान जा न यार, काहे पंगे ले रहा है , रीमा चाची का कुछ प्लान होगा, तूने बिगड़ दिया है इसलिए गुस्सा कर रही है |
जग्गू मानने को तैयार नहीं था | रीमा एक झटके में कमरे से बाहर निकल गयी और कमरे को बाहर से बंद कर दिया |
रीमा ने बाहर खिड़की से तीनो को धमकाया - अब कान खोल के सुनो लड़कों, तुम सब यहाँ अपनी मर्जी से आये थे और क्या इरादा लेकर आये थे ये भी मुझ अच्छी तरह पता है | अब ये दरवाजा मेरी मर्जी से खुलेगा |
चल राजू वो मोबाईल उठकर दे जिसमे तूने मेरी नंगी तस्वीरे खींची थी |
राजू फ़ोन उठाने चला लेकिन जग्गू ने रोक दिया - राजू मत देना, वही तो एक चीज है जिसके दम पर ये हमारे काबू में रहेगी |
रीमा जोर से ठहाका लगाकर हसने लगी - बेवखूफी मत करो बच्चो, बच्चे हो बच्चो की तरह रहो | तुम सबका MMS है मेरे पास |
जग्गू - ये तुझे डराने की कोशिश कर रही है और कुछ नहीं |
रीमा - एक सड़क छाप, सबको पाने जैसा फर्जी समझता है | एक खाली गन लेकर मेरे घर में घुसकर मुझे ही चोदने चले थे | रीमा को चोदने आये थे | एक बात तो है हिम्मत ही तुम सभी दाद दूँगी लेकिन हो सब एक नंबर के चूतिये लंड | तुम्हे क्या लगा था तुम यहाँ आवोगे, मुझे धमकाओगे, और मै डर जाउंगी | तुमारे सामने कपड़े उतार नंगी हो जाउंगी और जांघे खोल कर अपनी चूत तुमारे सामने कर दूँगी और कहूँगी लो चुतिया लंडो छोड़ लो मुझे |
रीमा फिर ठहाका लगाकर हंसने लगी - कितने बड़े चुतिया लंड हो तुम सब के सब |
प्रियम की तरफ हैरानी से देखते हुए - प्रियम तुम भी इस चुतिया जग्गू की बातो में आ गए, तुम तो मुझे जानते हो |
जग्गू - सुन बे चुतिया लंड, जीतनी तेरी उम्र नहीं है उससे ज्यादा सालो से मै चुदाई कर रही हूँ, अपनी चूत में ले लंड रही हूँ | तुम रीमा की चूत चोदने चले थे | मुझे तो बड़ी हैरानी होती है तुम ने ये सोच भी कैसे लिया |
राजू मोबाईल दे इधर, वरना तेरा MMS तेरे बाप को भेजू बता |
राजू को लगा सचमुच रीमा उसका चुतिया काट रही है - कौन सा MMS |
रीमा - आआलेलेलेल मेरे बच्चे कितने मासूम है, जब तुमता लंड नूतन चूस रही थी | अगर भरोसा न हो तो दिखा भी सकती हूँ, प्रियम और तुम और नूतन, रिवर लाउन्ज में पीछे वाले हट में . . कुछ याद आया |
प्रियम को लगा रीमा चाची ब्लफ मार रही है - रीमा चाची आप जो कहेगी वो हम करेगे लेकिन इस तरह से ब्लफ मार कर हमें ब्लैकमेल ना करिए |
रीमा बड़ी अदा से - आआलेले मेरे प्रियम, तेरे खिलाफ तो इतना कुछ है न , अगर मेरा सगा भतीजा न होता तो तेरी एक भी हड्डियाँ सलामत नहीं बचती | मोबाइल से राजू |
जग्गू ने रोका - राजू यही आखिरी चाभी है रीमा की चूत चोदने की, मत देना |
रीमा ने मोबाइल खोला और एक विडिओ क्लिप चला दी और स्क्रीन अन्दर कमरे की ओर करके बोली - देख लो अपन सेक्स विडिओ, वैसे तो भरोसा करोगे नहीं |
राजू की आंखे फटी की फटी रह गयी, वो रुआंसा सा हो आया, उसकी आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा | उसके रोने से चेहरे को देखकर रीमा बोली - बच्चे अब तो वो मोबाईल दे दे | वरना ये विडिओ मै तेरे बाप कपिल को बेज देती हूँ |
जब तक जग्गू राजू से मोबाईल छीनने के लिए उसकी तरफ लपकता तब तक राजू ने फुर्ती से रीमा की बात मानकर आज्ञाकारी बच्चे की तरह मोबाईल खिड़की से रीमा की तरफ फेंक दिया |
रीमा मोबाईल उठाकर - वेरी गुड | अब जैसा जैसा मै कहती जाऊ वैसा वैसा करते जावो, तो तुम तीनो इज्जत के साथ सही सलामत घर जा पावोगे | अब इस जग्गू को उलटा लिटाकर इसके हाथ और पैर दोनों बेड में कसकर बांध दो | जग्गू प्लीज उन दोनों की मदद करो | वरना तुमारा तो रेप का MMSहै | जब तुम नूतन के साथ जबदस्ती करने की कोशिश कर रहे थे | एक बार सिक्युरिटी के पास पंहुच गया फिर सोच लो | जग्गू को लगा वो फंस गया है |
राजू और प्रियम दोनों ही दहसत में आ गए, उन्हें जग्गू की बात नहीं मनानी चाहिए थी | पता नहीं रीमा चाची ने और क्या क्या उनके खिलाफ इकठ्ठा कर रखा है | क्या रीमा चाची को इसकी भनक पहले ही लग गयी थी कि हम ऐसा कुछ करने वाले है | राजू सोच रहा था प्रियम सही कह रहा था रीमा चाची से पंगे नहीं लेने चाहिए थे, जितना ऊपर से सीधी दिखाती है उतना ही अन्दर से हरामिन कामिनी है | प्रियम के भी कुछ ऐसे ही ख़यालात थे | रीमा ने बाहर से ही खिड़की से झांककर देखा | अन्दर का माहौल उसे ठीक लगा, लेकिन उसे भरोसा नहीं | हो सकता तीनो मिलकर सिर्फ ड्रामा कर रहे हो | मेरे अन्दर जाते ही मुझ पर एक साथ टूट पड़े | उसके बेडरूम की खिड़की के सारे परदे राजू से खोलने को कहा | राजू ने बिलकुल वैसा ही किया |