Episode 22


रोहिणी - थम जा बावली बता रही हूँ सब बता रही हूँ | मेरा एक लड़के से 6 महीने से चला रहा रिलेशनशिप टूट चूका था | दूसरा बॉयफ्रेंड खोने के कारन बहुत परेशान और दुखी थी | मेरे इम्पुल्सिव नेचर के कारन कोई भी लड़का मुझे बर्दाश्त करने में असमर्थ था | उस टाइम मै खुद को किसी तोप से कम समझती नहीं थी | ऐसे ही एक दिन मै कॉलेज से घर आ रही थी, गेट पर पंहुचने पर देखा, एक आदमी मेरे घर की चाहरदीवारी के ऊपर पेशाब कर रहा है | मेरे पारा जमीं से सीधा आसमान पंहुच गया | वो अलग बात थी की बाद में मुझे महसूस हुआ की वो इन्सान मेरे चाहरदीवारी की बजाय उससे सटकर बह रही नाली में मूत रहा है | उस समय तो मुझे कुछ सुझा नहीं, ब्रेकअप से सदमे में थी | उसके पास जाते ही फट पड़ी | जमकर माँ बहन करी, वो आदमी जो इत्मिनान से हलका हो रहा था, उसका मूतना रुक गया | उसका मूत लंड में और थूक गले में अटक गया, मैंने उसे ऐसी झाड़ लगायी | वो इतना ज्यादा डर गया की अपना लम्बा काला लंड भी अपनी पतलून में घुसेड़ना भूल गया और माफ़ी मांगने लगा | मेरे तेज आवाज से लोग हमारी तरफ आना शुरू हो गए और वो आदमी सब कुछ भूलकर मुझसे माफ़ी मांगने में जुटा रहा | उसकी सिट्टी पिट्टी इस कदर गम थी की उसे याद ही नहीं उसका लम्बा काला मोटा सांप अपने बिल से बाहर झूल रहा है | आखिर हारकर मैंने ही बोला - इस काले नाग को दिखाकर किसको डराने की कोशिश कर रहा है | इससे तगड़े मोटे लम्बे काले नाग मैंने बहुत देखे है | तब जाकर इनका ध्यान नीचे पेंट की तरफ गया और फटाफट इन्होने अपने काले भुजंग को अपनी पतलून में समेटा | मेरा गुस्सा चरम पर था, आस पास भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी | मै बस चिल्लाये जा रही थी |

तब तक अन्दर से डैड बाहर आ चुके थे - क्या हो गया बेटा |
मै गरजती हुई - ये आदमी अपनी दीवाल पर मूत रहा था मैंने मना किया तो बेशर्मी से अपना काला नाग मुझे दिखाने लगा |
इससे पहले कोई कुछ कहता ये बिलकुल समर्पण की मुद्रा में आ गए - बहन जी गलती हो गयी, मुझे बहुत तेज लगी थी और यहाँ कोई ओट नहीं थी इसलिए | इतना कहते ही बिना किसी के कुछ काहे उठक बैठक लगाने लगे | डैड अनुभवी आदमी थे, इनकी रोनी सूरत देख के ही समझ गए की लड़का गाय है बस गलती कर बैठा | वो भीड़ को समझाने बुझाने लगे ताकि कही कोई हाथ न उठा दे | धीरे धीरे करके मेरे डैड ने सबको वहां से भगाया और उस लड़के से जाने को भी बोलो दिया | मेरा गुस्सा अब काफी कम हो चूका था |
ये मरी हुई आवाज में बोले - अंकल जी अगर नजर न हो तो एक गिलास पानी पिला दीजिये, यहाँ दूर दूर तक कोई नल नहीं दिखाई दे रहा है | प्यास लगी है |
मुझे हंसी आ गयी, इतनी जोर से प्यास लगी है फिर भी अपनी टंकी खाली किये जा रहा है | ये सोचकर मुझसे रहा न गया, मेरे मुहँ से ठहाका छुट गया | मेरे डैड मुझे देखकर बोले - क्या हुआ तुझे, पागल है क्या लड़की, जाकर एक गिलास पानी ले आ |

मैंने साफ़ मना कर दिया | डैड उसे गेट पर खड़े रहने को बोलकर अन्दर चले गए और एक बोतल पानी लेकर बाहर आये | उसे पानी पिलाया और उसके बारे में पूछने लगे | मै अन्दर कमरे के दरवाजे ओंट में खादों सारी बाते सुनने लगी | रोहित बार बार मुझे परेशान करने आ जाता लेकिन मुझे उस मिमियाते काले भुजंग इंसान में न जाने क्यों दिलचस्पी पैदा हो गयी | कुछ देर बाद पता चला वो यहाँ कॉलेज में PG में एडमिशन लेने आया है | किसी गाँव का रहने वाला है और ग्रेजुएशन के बाद वहां आगे पढने के लिए कोई कॉलेज नहीं है | रोहित मुझे बार बार परेशान कर रहा था इसलिए ज्यादा बाते तो मै सुन नहीं पाई और रोहित की कुटाई करने उसके पीछे भागने लगी | डैड उससे काफी देर बात करते रहे | शाम को पता चला वो अपने कॉलेज का टापर है और आफ्टर ग्रेजुएशन की पढाई के लिए एडमिशन लेने आया है | उसका बैकग्राउंड कुछ खास नहीं था पिताजी थे नहीं माताजी छोटी सी जमीन पर सब्जी भाजी पैदा करके घर का खर्च चलाती थी |

एक महीने बाद मेरे उअप्र बम तब फटा जब डैड ने उसे ऊपर वाला कमरा रहने के लिए दे दिया और भी बिना एक पैसे लिए | उसके बाद एक लम्बे समय तक मै इनसे नफरत करती रही अपने अन्दर हिकारत भरती रही, इनके कपड़ो का मजाक, इनकी बोली का मजाक, इनके गरीब होने का मजाक उड़ाती रही और ये सब बर्दाश्त करते रहे | यही सब करते करते पता नहीं कब जाने इन्ही से प्यार हो गया |

अनिल बस पैग पर ध्यान लगाये थे और रीमा के जिस्म के कटाव घुमाव को आँखों से पीने की कोशिश कर रहे थे, रोहिणी यादो के समुद्र में खोयी थी और रीमा बस रोहिणी की यादो में खुद को डुबोने की कोशिश कर रही थी | एक और पैग ख़त्म हो चूका था | रीमा नयी बोतल निकालने के लिए उठी तो रोहिणी ने उसे थाम लिया - तू बैठ, जाइये आप बोतल निकाल कर लाइए और पैग बनाइये |
रीमा ने अपनी नशीली आँखों से रोहिणी की तरफ देखा और रोहिणी ने अपनी नशीली आँखों से रीमा को देखा | फिर दोनों ने अनिल को एक साथ देखा और नशे में झूमती खिलखिला कर हंस पड़ी | अनिल औरतो के इस विनोद से अन्दर तक गदगद होते हुए नयी बोतल निकालने चल दिए |
रीमा और रोहिणी को भरपूर नशा हो चूका था | अनिल के जाने के बाद रीमा को मस्ती सूझी - दीदी एक बात पूछु बताओगी |
रोहिणी - पूछ न |

रीमा - सच्ची मेरी कसम खावो |
रोहिणी - अरी पूछ तो सही |
रीमा - जीजा जी का सच में काले नाग के इतना मोटा है क्या ?
रोहिणी शरारती आँखों से - क्यों री, तुझे भी लेना है क्या |
रीमा सकपका गयी, रोहिणी खिलखिलाकर हंस पड़ी - हाहाहाहाहाहाहाहाहा तू डरती बहुत है, पता है क्यों, क्योंकि तूने कुछ किया नहीं है | मै तो मजाक कर रही थी |
रीमा के साँस में साँस आई - तो बतावो न दीदी |
रोहिणी आंखे मटकाते हुए - तुझे मेरे पति के उसमे बड़ी दिलचस्पी है. . . . . . |
रीमा ने भी ताड़ लिया की रोहिणी उसके मजे ले रही है उसने भी बनावटी नाराजी जाहिर की - इसलिए मै नही पूछ रही थी दीदी मुझे पता था आप मेरी ही टांग खिचोगी | मै तो बस ऐसे ही पूछ रही थी आप पता नहीं उसे कहाँ से खीचकर के मेरे ऊपर चिपकाये दे रही हो |
रोहिणी गंभीर होती हुई - अच्छा एक बात का जवाब दे, तुझे कैसा पसंद है, स्माल मीडियम या लाआआआआआआअरज |
जिस तरह से रोहिणी ने लार्ज को खीचा, रीमा भी रोहिणी के साथ खिलखिलाने लगी |
रीमा को लगा को इतना भी पर्दा क्या ठीक, जब दीदी इतना खुल गयी है तो मै क्यों खुद को लिहाज के बोरे में बंद रखु |
रीमा - दीदी अब आपके इतना तो एक्सपीरियंस है नहीं, मैंने तो ये भी सुना है आपने ही सारा काम ज्ञान जीजा को दिया है |
रोहिणी - तू जीतनी सीधी' दिखाती है उतनी है नहीं, मै कुछ और पूछ रही हूँ और तू जलेबी बनाकर मुझे ही गुमाए दे रही रही है, शैतान कंही की | सच सच बचा किस किस साइज़ के खा चुकी है मुई |

रीमा थोड़ा सा शरमाते हुए झेपते हुए - सारे |
रोहिणी अपने गालो पर हाथ रख कर मुहँ फैलाते हुए - हाय हाय मेरी कट्टो तुम तो छुपी रुस्तम निकली | मुझे पता था इतनी हसीन औरत ज्यादा दिन तक चूत की खुजली बर्दाश्त ही नहीं कर सकती |
रीमा मासूमियत से - क्या मै खूबसूरत हूँ दीदी |
रोहिणी - हाय मै मर जावा इस मासूमियत पे | अरे मेंरी कट्टो रानी तू बहुत खूबसूरत है, इतनी की मुझे डर है कही ये भी तेरे नाम की मुट्ठ न मारते हो |
रीमा - दीदी छी छी छी छी छी छी कैसी बाते करती है |
रोहिणी - मुझे तो ये भी लगता है ये हमरे खसम मौनी बाबा कही तुझे चोदने के सपने भी न देखते हो |
रीमा मुहँ बनाते हुए - दीदी छी छी छी छी छी छी बस करो दीदी, वरना सारा सारा नशा यही काफूर हो जायेगा | हाय हाय हाय आप ये सब कैसे सोच लेती हो |
रोहिणी फुल नशे में थी - जब 11 इंच मोटा लम्बा तगड़ा लंड एक झटके में निगल सकती हूँ तो क्या नहीं कर सकती |
अब चौकने की बारी रीमा की थी - हाय दईय्यिया इतना बड़ा है |
रोहिणी - चौंक गयी, बोल तुझे चखना हो तो बताना, ये तो अपने पालतू है जहाँ कह दूँगी वहां चाटना शुरू कर देगें |
रीमा सवालिया लहजे - क्या ???
रोहिणी - मर्द को क्या चाहिए . . (थोड़ा रूककर एक दुसरे की आँखों में आंखे डालकर) बोल क्या चाहिए | फिर दोनों एक साथ बोल पड़ी - चूत | इसके बाद फिर से खिलखिलाकर हँसने लगी |
रोहिणी रीमा को छेड़ते हुए - बता करेगी ११ इंच के नागनाथ के दर्शन | सबके बस का नहीं होता ११ इंच का घोटना लेकिन मुझे पूरा यकीन है तू पूरा निगल जाएगी |
रीमा - ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़ दीदी अब छोड़ो भी न | आप तो बात को पकड़कर ही बैठ गयी |
रोहिणी - देख कट्टो तू है तो एक नंबर की हरामन, इत्ती देर में पहचान गयी हूँ, अब खुलकर बात कर न | दीदी बोलती है तो सच बता |
रीमा - क्या बताऊ |
रोहिणी - सबसे बड़ा अब तक कितना बड़ा घोंट चुकी है | शर्मा मत, ऐसे बता जैसे अपने बचपन की सहेली के साथ बैठी हो |
रीमा थोड़ी शर्माते हुए - अब क्या बताऊ दीदी, कोई इंची टेप लेकर तो नापता नहीं |
रोहिणी उत्साह से - कोई नहीं कोई नहीं, अंदाजा |
रीमा - सात आठ इंच या ज्यादा से ज्यादा 9 होगा |
रोहिणी - हाय मै वारी जावा तेरी मासूमियत पर, हरामन 9 इंच मोटा लंड घोट चुकी है और ऐसे जता रही है जैसे अभी सील भी न टूटी हो | सोच जब 9 इंच का घोट चुकी तो २ इंच और सही |

रीमा झुंझलाकर - दीदी |
रोहिणी - अरे इसमें परेशान होने की बात क्या है, देख एक ही जिंदगी है, जी भर के जी ले | अगर मन है तो घोट ले अपने जीजा का ११ इंची नागनाथ, मुझे कोई ऐतराज नहीं है |
रीमा - क्या बात कर रही है दीदी. . . . . . . भला ऐसे कही होता है |
रोहिणी - देख पगली, मुझसे छुपकर कही इधर उधर मुहँ मरेगा और दुनिया भर की बीमारी लाकर मेरी चूत में घुसेड दे इससे तो अच्छा है की मेरा पति जिसको चोद रहा हो उसके बार एमे मुझे पहले से पता हो | एक साथ रहते रहते नीम करेले जैसी जिंदगी हो जाती है | कभी कभी टेस्ट बदलने में कोई हर्ज नहीं है | और अगर घर की बात घर में ही रहे तो इससे अच्छा क्या |
रीमा - दीदी आपको चढ़ गयी है |
रोहिणी - आदमी शराब पीने के बाद ही सच बोलता है | एक रात चोदने से कोई किसी से दूर नहीं जाता और न ही कोई और किसी के पास आ जाता है | हवस है भूख है , खावो पीवो और मिटावो, जहाँ बन पड़े जिससे बन पड़े | ये सब चीजे रिश्तो में नहीं घुसानी चाहिए थी | हवस का क्या है चाँद पलो की है और रिश्ते बरसो में बनते है | जिंदगी के बाद सबसे ज्यादा कदर रिश्तो की करनी चाहिए | बाकि ये लंड चूत का खेल तो चलता रहता है, इसके लिए ज्यादा दिल से नहीं सोचना चाहिए | अगर किसी को चोदने का मन हो या किसी से चुदने का मन हो तो बात वही निपटा देनी चाहिए |
रीमा समझ गयी थी रोहिणी अब फुल नशे में जा चुकी है |
रोहिणी काफी शराब पी चुकी थी, अनिल को पता था अगर बोतल ले गयी तो जब तक बोतल ख़त्म नहीं होगी रोहिणी नहीं मानेगी | इसलिए वो बस तीन गिलास में एक एक बड़ा पैग बनाकर लाये |

पैग आते ही रोहिणी और रीमा उस पर टूट पड़ी | और आधा गिलास एक साँस में ख़त्म कर दिया | रीमा के दिमाग में रोहिणी की बाते घूमने लगी | रीमा ने अनिल की तरफ देखा, उनको देखते ही वो ११ इंच लम्बा मोटा लंड इमेजिन करने लगी | रोहिणी ने तुरंत कोहनी रीमा को कोहनी मारी | रीमा कुछ समझी नहीं | रोहिणी ने झूमते हुए उसे अपनी बांहों में भरा और उसके कान में कुछ फूसफुसाया - वरी रीमा देख तेरे जीजा को दारू चढ़ गयी है कैसे अकड़ गया है |

रीमा ने अनिल की तरफ देखा और फिर रोहिणी की तरफ सवालिया नजरो से देखने लगी | रोहिणी ने आँखों से ही उसे नीचे की तरफ देखने का इशारा किया | रीमा ने जैसे ही गर्दन घुमाकर नीचे की तरफ अनिल को देखा, अनिल के लाख छुपाने के बावजूद उनके नागनाथ पूरी तरह से अकड़े हुए थे | अब ये शराब का नशा था या रीमा का लेकिन उनके मोटे ग्यारह इंची लंड का उभर पेंट के ऊपर से साफ़ झलक रहा था | रीमा और रोहिणी को अपनी तरफ ऐसे देख अनिल थोडा सा झेंप गए | उस्न्हे पता था वो दोनों क्या देख रही है लेकिन उसे छुपाना भी तो मुश्किल हो गया था | उन्होंने झेंपते हुए एक जांघ के ऊपर दूसरी जांघ रख दी |

रोहिणी खिलखिलाने लगी - शर्माइये मत मेरे खसम जी | अब जो है सो है, मैंने तो इस कट्टो को भी आपके काले नाग का साइज़ बता दिया है | अनिल का चेहरा देखने लायक था | इतना ज्यादा असहज शायद ही उन्होंने कभी महसूस किया हो | रीमा का चांस मिलने से पहले ही उसकी मल्टी टैलेंटेड बीबी लग रहा है ख़त्म कर देगी |
अनिल - यार रोहिणी क्या गजब करती हो तुम भी, कही भी कुछ भी बोलने लगाती हो , तुम्हे चढ़ गयी है चलो घर चलते है |
रोहिणी मुट्ठी को बांधकर कोहनी से हाथ मोड़कर ऊपर की तरफ सीधा करते हुए - हद करते हो आप भी अनिल, किसका चढ़ा है वो साफ़ दिख रहा है |
इतना कहकर वो दोनों आपस में लोटपोट हो गयी और बहुर देर तक हंसती रही | अनिल बस खुद को संयत रखकर पैग सिप करते रहे | जब उन दोनों का अनिल को देखकर चिढाना बंद नहीं हुआ तो अनिल भी अपनी रौ में आ गए | आखिर वो भी तो नशे में डूब चुके थे | उन्हें पता था बीबी को छेड़ा तो यही धज्जियां उड़ा देगी इसलिए उन्होंने रीमा को कुरेदने की सोची | जो की उनका असली मकसद भी था |

अनिल - अब जब हम सब इतना खुल ही गए है तो अपने बारे में कुछ बतावो | अपना पहल प्यार, पहला क्रस, पहला सेक्स, या सेक्सुअल फैंटसी , कोई ऐसी डिजायर जो अधूरी हो . . . कुछ भी ऐसा जो तुमने अभी तक किसी के साथ शेयर न किया हो |
रीमा नशे में थी फिर भी उसकी चेतना नहीं खोयी थी | सच बोल नहीं सकती थी नहीं तो पता नहीं बात कहाँ तक फ़ैल जाएगी | रीमा ने समझदारी से काम किया, बिना किसी हिचकिचाहट के आराम से बोली - जीजा जी जब इन्सान चला जाता है तो उम्मीदे भी मर जाती है जब उम्मीदें मर जाती है तो फिर क्या फैंटसी क्या डिजायर | उसके बाद ये सब चीजे बेमानी हो जाती है | अपने पति के जाने के बाद मैंने खुद को समेटकर अपने अंदर ही खत्म कर दिया |
अनिल को पता था रीमा झूट बोल रही है | सटी सावित्री थी तब थी अब तो नहीं है अब तो बस ढोंग कर रही है | इधर रोहिणी फुल नशे में टूल्ल्ल थी |
रोहिणी - माना तेरी बात इंसान के जाने के बाद बहुत कुछ ख़त्म हो जाता है मुई, लेकिन चूत तो रहती है और चूत है तो उसमे खुजली भी होगी | अब सच सच बता कितने लंड खा चुकी है अब तक मेरी कट्टो |

रीमा फंस सी गयी | अनिल ने भी रोहिणी को सपोर्ट किया - यह बात तो सच है कि एक इंसान के जाने के बाद में आदमी अंदर से टूट जाता है उसकी सारी इच्छाएं मर जाती हैं लेकिन फिर शरीर तो इच्छाओं से नहीं चलता शरीर की तो अपनी जरूरतें होती हैं | तुम अपना सुख दुःख, अपनी डीप डिजायर्स, फोर्बिडन डिजायर्स हमारे साथ शेयर कर सकती हो |
रीमा को रोहित के सिखाये लेसन याद आगये | भावनाओं के आगे दिमाग | रीमा बोली - मेरी जिंदगी तो रेगिस्तान के बगीचे की तरह है यहाँ ऐसा कुछ है ही नहीं जो बताने लायक हो |
रोहिणी रीमा को सांत्वना देती हुई - भरी जवानी में विधवा होने का दुःख और बोझ तुझसे ज्यादा कौन जान सकता है |
अनिल - कई बार हम जिंदगी भर अपनी दबी ख्वाइस का बोझ लिए मारे मारे फिरते रहते है, क्योंकि हमारे पास कोई नहीं होता जिसे हम बता सके | फिर सेक्स की फैंटसी तो ऐसी है की उन्हें तो हम खुद से भी छिपाते फिरते है | हमें तुम खुलकर बता सकती हो |
रोहिणी को अनिल का दुबारा से जोर डालकर पूछना पसंद नहीं आया - क्यों कुरेद रहे हो उसके दबे जख्मो को, एक बार उसने बोल दिया समझ नहीं आया |
रोहिणी की झिड़क से अनिल अन्दर ही अन्दर कुढ़ गए | पता नहीं क्या समझती है अपने आप को, कुत्ता बनाकर रखा हुआ है | किसी के सामने भी मेरी इज्जत का फालूदा कर देती है | अन्दर ही अन्दर कुढ़ कर रहे गए क्योंकि रोहिणी को चैलेंगे करने की हिम्मत नहीं थी | उनका स्वाभाव नहीं था औरतो पर जोर दिखाने का | उन्हें औरतो की दासता स्वीकार थी | उनका मानना था कि औरते पुरुष को न केवल नियंत्रित रखती है बल्कि उनके जीवन को भी संतुलित रखती है |

रात काफी हो गयी थी और पैग ख़त्म हो चुके थे | रोहिणी पूरी तरह से नशे में फुल हो चुकी थी | रीमा और अनिल भी कमोवेश उसी हालत में थे | अनिल को लगा अब यहाँ से चलना चाहिए नहीं तो पता नहीं नशे में फुल रोहिणी कही उनका फलूदा यही न बना डाले |
रोहिणी ने रीमा से लिपटकर विदाई ले और जल्दी ही फिर से ऐसी ही पार्टी करने का फैसला किया | रीमा दोनों को पिछले गेट तक छोड़ने आई | रात को आगे की सड़क पर कई बार आवारा कुत्ते आ जाते है इसलिए रात में पिछले रास्ते से जाना सेफ है ये रास्ता इस कालोनी के सारे घरो को जोड़ता है और बाहर से बंद है | दोनों धीमे कदमों से टहलते हुए रोहित के घर की तरफ चल दिए | अनिल जानबूझकर अपना फ़ोन रीमा के यहाँ भूल आये थे | गेट पर पंहुचते ही रोहिणी से बोले- तुम मेरा फ़ोन लायी हो न |

रोहिणी - भला मै तुमारा फ़ोन क्यों लाऊंगी |
अनिल - अरे तो मेरा फ़ोन रीमा के यहाँ ही छोड़ दिया |
रोहिणी - तुमारा ये हमेशा का है लेकर आवो |
अनिल तेज कदमो से वापस भागे | पीछे का दरवाजा खुला हुआ था | तेजी से अन्दर घुसे और जैसे ही डाइनिंग हाल में पंहुचे | उनकी गर्दन अपने आप ही बायीं तरफ घूम गयी | रीमा ने अनिल के जाने के बाद अपने सारे कपड़े उतार फेंके थे | उसके दिमाग में बस रोहिणी की बात ही घूम रही थी | किस औरत को अपनी खूबसूरती की तारीफ अच्छी नहीं लगती| यहाँ तो औरत ने औरत की तारीफ करी थी | रीमा बस आईने के सामने खड़े होकर अपने हुस्न को निहार रही थी | रीमा हर तरह से मंत्र मुग्ध होकर बस अपने ही रूप में खोयी हुई थी | बाहर हाल में अँधेरा था और कमरे में भरपूर रोशनी | इसलिए रीमा के इस नंगे जिस्म के दर्शन अनिल को सर्वसुलभ थे लेकिन रीमा अनिल को देख पाए इसका कोई चांस नहीं था जब तक की वो बेडरूम वाले कमरे से बाहर न निकले | अनिल तो स्वर्ग जैसी अपसरा का हुस्न लिए रीमा की नंग्न देह दर्शन में दिल दिमाग और आत्मा से खो गए | क्या सौन्दर्य है, स्त्री की नंग्न देह का अद्वतीय अद्भुद, कल्पना से परे ये नग्न प्रदर्शन, वर्षो से तपस्या में लीं ऋषियों का ताप तोड़ दे, फिर अनिल तो बस एक अदना सा इंसान था | अनिल अपनी आँखों से ही अपलक रीमा के सौन्दर्य को घूट घूट अपने दिलो दिमाग में उतारने लगा |

बिखरी बिखरी लट, चंचल हिरानी जैसे आंखे, रस टपकाते गुलाबी तीखे नुकीले ओंठ, सुराही के मुहँ जैसी पतली गोरी गर्दन, उसकी उठी हुई उभरी हुई उन्नत छातियाँ, और सीने के उभरे उन्नत उरोजो की छोटी छोटी पहाड़ियों पर स्थित हल्का भूरा गुलाबी रंग की चुचियाँ | आआहह्ह क्या बनावट थी, क्या उभार थे क्या रंग था. . . सीधे स्वर्ग से उतारी नग्न अप्सरा जैसा, जितना सुना था उससे कही बढ़कर, कही उत्तम कही ज्यादा अद्भुद, सब्द नहीं थे ऐसे सौन्दर्य के लिए | सीधा सपाट गोरा चिकना पेट, जैसे दो छोटी छोटी पहाड़ियों के बाद सपाट मैदान हो और उस मैदान सुघढ़ गोल गहरी नाभि , नाभि के नीचे की तरफ चिकना ढलान लाइट इलाका जो जन्नत की सुरंग पर जाकर ख़तम होता है और उसकी सफाचट चिकनी चूत त्रिकोण घाटी की मखमली ढलान . . देखकर कोई भी मदहोश हो जाये | धवल स्वेत गुलाबी लालिमा लिए रीमा का दमकता मदहोश करता मदमस्त नंगा जिस्म |

उसकी गोरी चिकनी नरम पीठ और नीचे की तरफ बल खाती कमर, उफ़ मुर्दे भी कब्र से निकल कर खड़े हो जाये | कमर में पड़े बल इस बात की निशानी थे की अब उसके कमर के निचले हिस्से की पहाड़ियों की चढ़ाई शुरू हो चुकी है | उसके पिछवाड़े की ऊँची ऊँची मांसल ठोस उठी हुई पहाड़ियां, उन पहाड़ियों के ही नरम मांस के बोझ से बल खाती उसकी जांघे, जो किसी केले के तने की तरह चिकनी और ठोस थी . . किसी भी लंड की नसे फाड़ने का मादा रखती थी | अनिल के पेंट में अकडन जबदस्त बढ़ गयी |

ऊपर से नीचे तक बनावट में, उभारो में, कसाव में कटाव में रीमा के गुलाबी जिस्म की कोई सनी नहीं थी | रीमा के शरीर के सेंसर जबरदस्त थे | उसे अहसास हुआ बाहर कोई है लेकिन इस वक्त कौन हो सकता है | फिर कुछ सोचकर वो मुस्कुराई, असल में अनिल के जाने के बाद उसने उनका मोबाईल देख लिया था | लेकिन उसे ये नहीं पता था जीजा जी इतनी जल्दी लौट आयेगें | अपने होशो हवास में होती तो शायद कुछ और बात थी | उसने अनुमान लगाया की उसे छिपकर शायद वही देख रहे है | वो तेजी से गयी और पिछला दरवाजा बंद करके फिर से कमरे में आ गई | अनिल ने बमुश्किल खुद को एक परदे के पीछे छिपाया | फिर से आकर वैसे ही कड़ी हो गयी जैसे कुछ हुआ ही न हो |

आगे पीछे ऊपर नीचे अपने जिस्म का कोना कोना खुद को नुमाइश करने लगी | बार बार खुद को शीशे में देखती मुस्कुराती, एक बार झाके से वो उस तरह को घूम गयी जहाँ से अनिल उसके अनिर्वचनीय सौन्दर्य का रसपान कर रहे थे | उसकी लहराती जुल्फे बार बार उसके चेहरे पर आ जाती | उसकी काली कजरारी आंखे और उसने कातिलाना अदा के साथ बाहर की तरफ देखना, जैसे कोई आमंत्रण हो | उसके उभरे हुए वक्षस्थल और उसकी चोटियाँ रीमा के सौंदर्य में चार चाँद लगा रहे थे | उसके उभरे हुए कुल्हे और पीछे को उठी हुए सख्त ठोस सख्त मांसल चूतड़ और उनके कटाव झुकाव बस देखते ही बनते थे | अनिल का मन तो कर रहा था जाकर उसके धवल गुलाबी उठे हुए मांसल चुताड़ो को अपने सख्त हाथ से मसल मसल कर बिलकुल टमाटर जैसा लाल कर दू | अनिल से अब बर्दाश्त से बाहर था | रीमा के नग्न साक्षात् अप्सरा स्वरुप से दर्शन के बाद उनके लंड में जो अकडन आई वो तो आई ही उनके दिलो दिमाग में रीमा के जिस्म का पोर पोर छप गया | रीमा कुछ देर तक बाहर के अँधेरे की तरफ घूरती रही, फिर समझ गयी अनिल अब आगे नहीं बढ़ेगे, इसलिए वो फिर से सीधे की तरफ सीधी होकर अपने ही सौंदर्य का अपनी ही कजरारी चंचल तीखे नैनो से रसपान करने लगी |

जब रीमा को लगा अब अनिल इससे आगे नहीं बढ़ेगे और इसी तरह चोरी चोरी उसके दमकते जिस्म का अपनी आँखों से रसपान करेगें तो वो भी अपनी रेशमी जुल्फे लहराती हुई बिस्तर पर आकर लेट गयी | जब से रोहिणी ने अनिल के लंड के बारे में बताया, लालसा तो उसके मन में भी जाग उठी की एक बार जीजा जी के नाग नाथ के दर्शन तो किये ही जाये लेकिन कैसे ? वो अभी भी फुल नशे में थी इसलिए उसे अपनी कामनाओं को अपने ही मन में जाहिर करने में कोई शर्म नहीं महसूस हो रही थी, वरना और कोई वक्त होता तो शायद अब तक इस ख्याल के लिए खुद को ही 20 बार कोस चुकी होती | कैसा होगा ११ इच्नी नागनाथ | दीदी की तो चीखे उबल पड़ती होगी | अरे अब कहाँ, अब तो दीदी को इसकी आदत हो गयी होगी | कैसे एक बार में ले लेती होगी फुफकारते ललकारते भीमकाय काले नागनाथ को | मै तो मर ही जाउंगी | रीमा अपने ही ख्यालों में खोयी एक करवट हो गयी | उसके रेशमी बाल बिस्तर पर फैले हुए थे | उसकी गोरी पीठ अलग ही दमक रही थी और उसके भरी भरकम ऊँचे ऊँचे उठे हुए मांसल चुताड़ो की पहाड़ियों के उभार हाहाकारी लग रहे थे | उसके भारी भरकम चुताड़ो के पहाड़ियों की संकरी घाटी के बीच में से उसकी गुलाबी चूत के सटे हुए ओंठ नजर आ रहे थे | रीमा ने हलके से घुटने मोड़ लिए और हल्का सा गर्दन पीछे मोड़कर देखने लगी | शायद अनिल को संदेसा दें चाहती थी देख लो मेरा खूबसूरत जिस्म, देख लो मेरे चूतड़, मेरी जांघ, मेरी हाथ, मेरी पीठ और देख लो भारी भरकम चुताड़ो के बीच से झांकती मेरी चूत को |
अनिल की हालत बहुत बुरी हो गयी | उनका शरीर पसीने पसीने हो चूका था | अपनी पेंट के अन्दर हाथ घुसेड़कर अपने नागनाथ को अब मसलने लगे थे |

लगे थे रीमा ने अपने जिस्म को सहलाना शुरू कर दिया | शायद वो भी अनिल से खेलना चाहती थी, उसे नहीं परवाह थी की ये गेम कहाँ जाकर खतम होगा लेकिन फिलहाल वो अभी तो इन सब बातो के बारे में नहीं सोच रही थी |
अनिल की हालत और बिगड़ रही थी | हालाँकि वो बंदा भी बहुत खेला खाया हुआ था इलसिए खुद को काबू करना आता था | उसे उसकी बीबी ने ही सिखाया है औरत को इतना मजबूर कर दो की खुद ही तुमारी बांहों में आकर बोले अब मुझे चोद दो | अगर मर्द औरत के पास पहले गया तो औरत चुदने में इतने नखरे दिखाएगी की आदमी की गांड से पसीना निकाल देगी |
और आगे हमेशा के लिए इसे ही अपना ट्रेडमार्क बना लेगी | इसलिए अनिल का फंडा था अपने जिस्म में चूत की प्यास उतनी जगावो जीतनी आपके लंड में सामने वाली चूत में आग लगाने की कुव्वत हो | एक बार आपके लंड के नाम की आग किसी चूत में लग गई फिर तो आप ही का लंड असली फायर ब्रिगेड है | जब मर्जी हो जीतनी मर्जी हो उतनी आग बुझाओ, जब तक न बुझे , चूत को मसलते रहो, कुचलते रहो, हंसी ख़ुशी राजी होकर औरत चुदवाती रहेगी | लेकिन आज ऐसा लग रहा था रीमा को देखकर उनका सारा काम ज्ञान फ़ैल होने वाला है | उनसे अब काबू नहीं हो रहा था और मन कर रहा था बस जाकर रीमा की जांघे फैलाये और पेल से अपना फनफनाता नागनाथ रीमा की गुलाबी चूत की मखमली गहराइयों में | कसम से रीमा जैसी चूत से एक रात में तो मन नहीं भरेगा | इसे तो कम से कम महीने भर तक चोदना होगा | क्या करू क्या न करू उनकी कुछ समझ नहीं आ रहा था |
रीमा को पता था अब अनिल इससे आगे जाने वाले नहीं है और उसकी आँखों में भी शराब और नीद का नशा पूरी तरह से घर कर चूका था |

रीमा ने बेड पर लेटे लेटे ही हल्का सा स्लीपिंग म्यूजिक बजा दिया और सोने के लिए अपने ऊपर चादर डाल ली | इधर अनिल बहुत उधेड़बुन में थे | रीमा को चोदना उनका सपना था और रीमा बस कुछ फुट और एक दीवार की दूरी पर पूरी तरह से नंगी लेती है | उनका लंड भी बुरु तरह से अकड़ा हुआ है | अब इससे अच्छा मौका दुबारा कहाँ मिलेगा | अभी वो शराब के नशे में है इसलिए उसे भी कहाँ कुछ पता चलने वाला है | एक बार पुछुगा, हाँ बोलेगी तो ठीक नहीं बोलेगी तो ठीक | साली को अपनी जांघ के नीचे दबाकर उसकी गुलाबी चूत में लंड पेल दूगां | बाकि एक बार चूत में लंड गया तो गया फिर झड़ने से पहले तो निकलेगा नहीं | सुबह जो भी रोना धोना होगा वो सुबह देखा जायेगा | रोहिणी के पैरो में गिर कर माफ़ी मांग लूगाँ | अपने अन्दर जमकर करके विस्वास इकठ्ठा करने के बाद अनिल ने रीमा के बेडरूम की तरफ कदम बढाया | इससे पहले वो दूसरा कदम बढ़ाते उनका फ़ोन घनघनाने लगा | गनीमत तो ये थी की वाइब्रेशन मोड में था वरना आज उनका पकड़ा जान निश्चित था | फिर के सामने ही उनकी चोरी पकड़ ली जाती | वाइब्रेशन की आवाज रीमा के कानो तक पहुँच गयी | जीजा को रंगे हाथो पकड़ने का इससे बेहतर कोई मौका नहीं था | यही सोच रीमा ने अपने जिस्म पर से हलकी चादर खिसकाई, चादर उसके कमर के नीच पहुँच गयी | उसकी चिकनी पीठ, भारी भरकम उठे हुए चूतड़ और उसका नंगा गोरा जिस्म कमरे की रौशनी में नुमाया हो गया | इससे पहले वो उठती उसे वाइब्रेशन की आवाज दूर जाती सुनाई दी | रीमा पीठ के बल लेटे लेटे बाहर की तरह देखने लगी | जैसे अनिल को चुनती दे रही हो देख फट्टू एक नंगी चूत तेरे सामने लेती है और तू बस अपना लंड सहला रहा है | अनिल अब तक बाहर की तरफ जा चुके थे | अनिल ने आइस्ते से पिछला दरवाजा खोला और बाहर निकले और फिर कॉल रिसीव की | कॉल उनकी पत्नी की जो उनसे फ़ोन मिला या नहीं ये जानना चाह रही थी | रीमा हल्का सा मुस्कुराई, थोडा सा अपने जिस्म पर इतराई और फिर तकिये में मुहँ घुसाकर सोने की कोशिश करने लगी |

उस दिन के बाद से अनिल के ऊपर तो जैसे रीमा का बुखार ही चढ़ गया | सुबह शाम दिन रात उनके दिमाग में वही रीमा का नंगा गोरा गुलाबी बदन ही आगे पीछे घूमता रहता था | रात में सोते तो भी रीमा उनको सपने में दिखाई देती थी | उस दिन जब अनिल रात को घर वापस गए तो उन्होंने और रोहिणी दोनों ने शराब पी रखी थी | उसके बाद जब वो मोबाईल लेने वापस रीमा के घर गए और वहां से वापस लौटे | जब तक वो घर पहुंचे रोहिणी लगभग लगभग नींद के आगोश में जा चुकी थी लेकिन अनिल बेचैन थे रीमा ने उनके अंदर वो आग लगा दी थी की वो समझ ही नहीं पा रहे थे की इसे कैसे बुझाये | क्या करें क्या न करें की पैंट के अंदर उनका काला मोटा लंड अभी भी उनकी पेंट में मीनार की तरह खड़ा हुआ था | अब पछता रहे थे क्यों वो फ़ोन वापस लेने गए थे | वहां जाकर जो जो कुछ भी देखा उसको देखकर अभी तक अनिल के दिलों दिमाग में बस वही छाया हुआ था | अनिल ने कपड़े उतार कर के सोने की कोशिश करी और चुपचाप बिस्तर में घुस गए | शराब का भरपूर नशा था फिर भी नींद आंखों से बहुत दूर थी बार-बार घूमकर उनके दिलो-दिमाग पर रीमा का नंगा गोरा बदन आ जाता था रीमा के भारी-भारी चूतड़ , उसकी गोरी छाती के उठे हुए उरोज, गोरी चिकनी पीठ, मांसल भरी भरकम चूतड़, गुलाबी कमसिन चिकनी चूत. . . . . . अनिल तो पूरी तरह से रीमा के गुलाबी गोर जिस्म के आकर्षण के मोह जाल में फंस चुके थे उनकी आंखों से नींद मीलो दूर थी फिर भी जबरदस्ती किसी तरह से वह अपना सर तकिये में घुसा कर सोने की कोशिश करने लगे | बहुत हाथ पाँव मारने के बाद, ढेर सारा पानी पीने के बाद, किसी तरह से सोने की गोली खाकर बहुत ही ज्यादा मुश्किल के बाद अपने आप को काबू करके आखिरकार अनिल सो गए | ये अनिल के लिए हाल के एक दशक की सबसे मुश्किल रात में बदल गयी |

सुबह जब उठे तो पहला विचार जो दिमाग में आया वह रीमा का ही था | अपने दिल का हाल किस्से काहे क्या काहे, अभी तो रोहित भी यहाँ नहीं था | कल तो रोहिणी शराब के नशे में थी इसलिए सब कुछ उसे मंजूर था लेकिन अब अगर उन्होंने गलती से भी रीमा का नाम भी अपनी जुबान पर ला दिया तो उनका सर काट कर उनके हाथ में दे देगी | अजीब सी दुविधा और पशोपेश से घिर गए थे |

अनिल कहां यहां पर छुट्टियां मनाने आए थे एंजॉय करने आए थे लेकिन यहाँ आकर तो रीमा नाम की एक अजीब सी नई मुसीबत में फंस गए थे | रीमा को पाने की लालसा, उसको चोदने की लालसा उनके अन्दर बलवती होती जा रही थी अब तो न सहा जा रहा था और ना ही रुका जा रहा था आखिर करे तो क्या करें चूत है ही ऐसी बीमारी जिसको लग जाए, उसको जब तक मिल न जाये तब तक उसकी भूख प्यास सब मर जाती है | अनिल अनुभवी इंसान थे सुबह का अशांत मन शाम तक शांत होने लगा | उनका दिमाग काम करने लगा | भावनाए और अन्दर का काम वेग थोडा सा थम गया | एक दो दिन इसी उधेड़बुन में निकल गए और इसी बीच अनिल के मस्तिस्क में पहले से ज्यादा स्थिरता आ गयी | दिन में तो खुद को संयमित कर लेटे लेकिन रात में रीमा के सपने आकर उन्हें बुरी तरह से परेशान करने लगे | एक दिन अपनी पत्नी के साथ गहरी नीद में सो रहे थे और उन्हें रीमा का सपना आ रहा था जिसमें रीमा बार-बार जालीदार कपड़े बदल बदल कर के पहनकर के वॉक करते हुए उनकी तरफ आ रही थी और वो उसको देखते ही जोर-जोर से तालियां बजा रहे थे और अपनी पेंट से अपना मोटा काला लंड निकाल कर के उसे जोर जोर से मुठिया रहे थे | रीमा ने एक पूरी तरह से जालीदार बॉडीसूट टीडी पहन रखा था जिसके अंदर से उसका पूरा नंगा शरीर झांक रहा था | दोनों कंधे के ऊपर पतली पतली काली
स्ट्रिप उस जालीदार पारदर्शी बॉडीसूट टेडी को उसके नंगे बदन पर लटकाए थी | और उसके नीचे उसके बड़े बड़े स्तनों को सहेजे पारदर्शी ब्रा से उसकी चुचियाँ झांक रही थी , वो नीचे जाकर जालीदार net से जुडी हुई थी | उस काली पारदर्शी बॉडीसूट टेडी से उसके बड़े बड़े बड़े उरोज जो उसके अन्दर संभाल कर छुपे हुए थे साफ़ साफ़ झलक रहे थे |

रीमा ने जालीदार बॉडीसूट टेडी छोटा सा स्कर्ट पहन रखा था जिसने बमुश्किल ही उसका बदन चुताड़ो तक ढक पा रहा था सब कुछ तो साफ बाहर झलक रहा था | रीमा के बड़े-बड़े दूधों को देख कर के किसी का भी लंड आराम से खड़ा हो सकता था | ब्रा ख़त्म होते ही काले धागे की जाली शुरू हो गयी थी, जो उसके कमर के निचले हिस्से कमर के निचले हिस्से तक गई हुई थी | जिसका पहनना न पहनना बराबर था | उसमें से रीमा का पूरा नंगा सफेद गोरा गुलाबी बदन साफ़ साफ़ झलक रहा था नीचे की तरफ को सपाट पेट दिख रहा था उसमें गोल गोल सुघड़ नाभि भी दिख रही थी और उसके नीचे जाने के बाद रीमा की निचली मखमली घाटी का इलाका शुरू हो जाता है |

रीमा का चूत त्रिकोण बिलकुल चिकना सफाचट गोरा गुलाबी रंगत लिए हुए उसके हुस्न में चार चाँद लगा रहा था | जब रीमा चलती तो उसकी नाजुक गोरी जांघे आपस में रगड़ खाती, और उसके साथ उसकी चूत के कसे ओंठ आपस में रगड़ खा जाते | उस जालीदार सूट से रीमा की खूबसूरत मखमली चूत का हल्का सा चीरा हल्का सा दिख रहा था | हर कदम के साथ उसकी मटकती कमर और उठते गिरते कुल्हे, थलर थलर होते उसे पहाड़ी भारी भरकम मांसल चूतड़ | अनिल के लंड में तो जैसे किसी ने पंप से खून भरना शुरू कर दिया हो | इस तरह से फूलकर कांपने लगा जैसे कोई गुस्स्से से लाल काला नाग फुफकारता है | हर अनिल की तरफ बढ़ते कदम के साथ उसकी जांघें आपस में आपस में एक दूसरे को क्रॉस कर रही थी और उसके उसकी चूत के सख्त कसे हुए ओंठ आपस में रगड़ खा रहे थे | रीमा ने भारी मेकअप किया हुआ था और उसने बाल भी बनाए हुए थे उसकी काली काली कजरारी आंखें उसके लिपिस्टिक लगाए हुए लाल लाल होंठ उसके गुलाबी छटा बिखेरते हुए नरम नरम गाल और उसका गोरा दमकता हुआ बदन | रीमा किसी परी से कम नहीं लग रही थी | यह सब सपने में देखते देखते अनिल का लंड फटने की कगार पर पंहुच गया था | उनके लंड की अकडन अब बर्दाश्त से बाहर हो रही थी | उन्होंने आगे बढ़कर रीमा पकड़ने की कोशिश की लेकिन रीमा खिल्किलाती हुई पीछे हट गयी और अपने काले लंड को मुठियाते अनिल मन मसोस कर रह गए | सपने में बुरी तरह से खोये अनिल ने अपनी बीवी रोहिणी को कस कर पकड़ लिया था रोहिणी भी गहरी नींद में थी लेकिन जैसे ही अनिल ने उसे खीचा वो अनिल की बांहों में समाती चली गयी | उसका एक हाथ अपने आप ही अनिल के लंड पर चला गया | वो सोते सोते अनिल के लंड को मुठीयाने लगी | रोहिणी अनिल का लंड सहला रही थी और अनिल रीमा के गुलाबी खूबसूरत हसीन जिस्म का सपना देख रहे थे | अनिल तो रीमा की गुलाबी चूत के चीरे पर ही अटक कर रह गए | सपने में भी बार-बार उनकी नजर बस रीमा के चूत त्रिकोण की निचली दरार जो उन्होंने पारदर्शी जाली के अंदर देखी थी उस पर जाकर अटक जाती |

रीमा की मखमली चूत का वो चीरा जब इतना खूबसूरत है तो रीमा की गुलाबी कमसिन चूत कितनी खूबसूरत होगी | क्या खूबसूरत चूत त्रिकोण है क्या चिकना बदन है क्या चिकनी चूत है क्या कमाल का जिस्म है है उपरवाले ने कैसे बनाया होगा इतनी कमसिन हसीना को | मैंने तो अपनी जिंदगी में देखी नहीं ऐसी औरत | अब मुझसे रहा नहीं जाता है अब तो साला रीमा को चोदना ही होगा | उपरवाले अब रीमा को बस मेरे पास भेज दो, इतना कहना था कि रीमा एक और पारदर्शी लिबास में अदा से कैटवॉक करते हुए उनकी तरफ बढ़ती हुई चली आ रही थी उसको देखकर अनिल की सांसे और खून का दौरान अपने आप ही बढ़ने लगा था | जैसे-जैसे रीमा उनके करीब आती जा रही थी वो अपनी जालीदार कपड़ा उतारती जा रही थी | अनिल के पास तक आते आते रीमा ने वो जालीदार कपड़ा पूरी तरह से उतार दिया | रीमा अब पूरी तरह से नंगी थी अनिल आगे बढ़े और आगे बढ़ के जल्दी से रीमा के दोनों बड़े बड़े स्तनों को कस कर पकड़ लिया और पूरी ताकत से मसलने लगे | अनिल के मजबूत हाथों की जकड़न से रीमा के मुंह से दर्द भरी चीत्कार निकल गई | अनिल बिलकुल वहशी होकर रीमा के स्तनों को मसलने लगे | रीमा को तेज दर्द होने लगा था, वो अनिल को मना करने लगी लेकिन अनिल तो जैसे जानवरों की तरह उसके उरोज को मसल रहे थे रीमा ने अनिल के हाथ से अपनी नरम नाजुक छातियाँ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन अनिल तो पूरी तरह से वैसी जानवर बन चुके थे उन्होंने रीमा के नरम नाजुक स्तन और कसकर भींच लिए | रीमा ने हर कोशिश कर ली इस दर्द से बचने की लेकिन असफल रहने पर रीमा ने एक झन्नाटेदार झापड़ अनिल के मुंह पर जड़ दिया | अनिल का सपना सच में टूट गया, उसके हाथ अपनी बीबी रोहिणी के उरोर्जो को बुरी तरह से अपनी गिरफ्त में लिए हुए है उन्होंने देखा कि वह अपनी बीवी रोहिणी के बड़े बड़े स्तनों को मसल रहे थे और रीमा नहीं रोहिणी ने ही उन्हें झापड़ मारा है | भारी नीद से भरी आँखों के साथ अनिल माथा पकड़ कर बैठ गए, यह तो सपना था बस | उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़, रीमा क्या करवा डाले मुझसे |

अनिल को काफी शर्मिंदगी महसूस हुई उस रात को | उसके बाद में उन्होंने इसी में भलाई समझी कि वह रोहिणी से अलग कमरे में सोये | वो नहीं चाहते थे की रीमा के नशे में वो रोहिणी को कोई नुकसान पंहुचा बैठे | अलग कमरे में सोने के के बाद भी उनके दिम्माग में आने वाले सपने उनका पीछा नहीं छोड़ रहे थे जैसे ही वो नींद के आगोश में गए उन्होंने देखा आसमान में बादलों के बीच में रीमा तैरती हुई उनके पास आ रही है उसने सफ़ेद रंग की एक बिकनी पहन रखी है अपनी तरफ आते देख अनिल ने निश्चिंत करना चाहा की कही ये भी तो सपना नहीं है लेकिन जिस अदा से रीमा उनकी तरफ बढ़ती हुई आ रही थी उनको लगा ये सपना नहीं है इस बार सच में रीमा ही है बड़ी अदा से कमर मटकाती हुई सफेद बिकनी पहने हुए अपनी जुल्फें लहराते हुए अपनी कजरारी आंखें मटकाती हुई उनकी तरफ आ रही थी उसको देखते ही अनिल के जिस्म में फिर से खून का दौरान बढ़ने लगा था उनके लंड में फिर से अकड़न आने लगी थी अब तक रीमा उनके काफी नजदीक आ चुकी थी जैसे ही वह उनके थोड़ा नजदीक आई उसने अपने कंधों से वह बिकनी नीचे खिसका दी और उसके बड़े बड़े दूध जैसे गोरे गोरे उरोज हवा में झूल गए , अनिल की आँखों के सामने नुमाया हो गए | रीमा अपनी जुल्फें इधर उधर लहरा रही थी कभी इस कंधे पर डालती कभी उस कंधे पर डाल दी इसी बीच में उसके बड़े बड़े उरोज ऊपर नीचे जोर-जोर से हिल रहे थे | रीमा का कमर के नीचे का हिस्सा अभी भी उसी सफ़ेद बिकनी से ढका हुआ था |

नंगे बदन रीमा कभी मुस्कुराती कभी बलखाती कभी अपने भारी भरकम चूतड़ हिलाती कभी अपनी छाती हिलाती और यह सब देखकर एक बार फिर से अनिल का लंड पूरी तरह से तन गया था | अनिल से अब बर्दाश्त से बाहर हो गया था |
आखिर वो बोल ही पड़े - मेरे पास आवो रीमा अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा है, कितना तड़पातीहो तुम, दिल दिमाग शरीर आत्मा सब बेचैन है तुमारे गोरे बदन का नरम मखमली स्पर्श पाने के लिए | मेरा लंड देखो कितना अकड़ गया है |
रीमा मटकती हुई बोली - तो मै क्या करू |
अनिल बेबस होते हुए - इसकी प्यास बुझावो , ये तुमारे लिए तड़प रहा है |
रीमा खिलखिलाते हुए - अरे तो मैंने थोड़े कहा था तड़पने के लिए |
अनिल - रीमा अब और न तडपाओ नहीं तो मै मर ही जाऊंगा | अब मेरे पास आ जावो, अब बस मै तुमको चोदना चाहता हूँ | बस चोदना चाहता हूँ |
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