Episode 25


पसीने से तरबतर दोनों नंगे बदन एक दुसरे से चिपक गए और दोनों एक-दूसरे को बाहों में समां गयी | दोनों अपनी तेज धड़कने और सांसे काबू करने लगी | दोनों की रेशमी जुल्फे बिस्तर पर फैली हुई थी | दोनों एक दूसरे को बांहों में थामे अपनी अपनी सांसे हल्की करती रही | रोहिणी रीमा के बाल सहलाने लगी | औरतो का अगर शरीर न थके तो वो कभी रुके ही न | रोहिणी ने आंख खोलकर देखा तो रीमा की अभी भी आंखे बंद थी, शायद उसे संतुष्टि का अहसास की ज्यादा चाहत थी और अब वो उस भंवर को पार कर जाने के सुकून में वो ज्यादा ही शांति महसूस कर रही थी |

रोहिणी - अब तो कोई डर नहीं है मन में
रीमा ने हलके से आंखे खोली और रोहिणी को देखा, हल्का सा मुसुकुराई और इनकार से सर हिला दिया | रोहिणी ने उसे अपने बाहुपाश में और कसके जकड लिया | रोहिणी रीमा की तरह अंतर्मुखी नहीं थी, उसे कुरेदती हुई पूछने लगी - बता न री चला गया न मन का डर या अभी कही कोने में बैठा हुआ है |
रीमा पूरी तरह से मस्तियाई हुई थी, उसके तेज दिमाग ने ये बात तुरंत पकड़ ली - उसे लगा कही रोहिणी की बात का दूसरा मतलब तो नहीं है | इसलिए उसने उल्टा ही सवाल पूछ लिया - दीदी कौन से डर की बात कर रही हो |
रोहिणी भी समझ गयी रीमा ने बात पकड़ ली लेकिन रोहिणी भी कोई सीढ़ी गाय तो थी नहीं - उसने भी वैसा ही जवाब दिया जैसा रीमा ने सवाल किया था - अरी कट्टो वही डर जो तेरे दिलो दिमाग में घर कर गया था |

रीमा को समझ नहीं आया अब इस पर क्या सवाल पूछे - कौन सा दीदी ? कैसा डर ?
रोहिणी भी कम नहीं थी उसने भी अपना पासा फेंका - ज्यादा लोमड़ी की चूत मत बन, तुझे भी पता है कौन से डर की बात कर रही हूँ |
रीमा रोहिणी के तेवर देख समझ गयी दीदी सीरियस है - हाँ वो तो कब का निकल गया, जब आप पास हो तो डर कैसा |
रोहिणी ने तपाक से बात पकड़ ली - तो दूसरा डर भी निकाल दू | इतना कहकर उसने रीमा के चूतड़ अपने हाथो में भर लिए और उसे ओंठो को कसकर चूम लिया |
रीमा हल्का सा शर्मा गयी |
रोहिणी तो रीमा के नंगे बदन पर बिलकुल फ़िदा हो गयी थी | रीमा को बहुतो बार नंगे देखा था, उसके साथ एक ही कमरे में कपड़े बदले थे लेकिन कभी उसके बदन की खुसबू इतने करीब से उसके जेहन में नहीं समाई थी | रीमा उनके इतनी करीब थी की उसके अप्सरा जैसे खूबसूरत संगमरमरी बदन रस स्वाद गंध मादकता में वो पूरी तरह से डूब चुकी थी |
रोहिणी रीमा की शर्माहट से थोड़ी और उत्साही हो गयी - बोल न, दूसरा डर भी निकाल दू या नहीं |

रीमा हैरानी से - अब कौन सा डर बचा है | रोहणी से उसके नरम मांसल चुताड़ो पर से अपने हाथ फिसलाते हुए उसके चुताड़ो की दरार में घुसाने लगी | उसके होठ सख्ती से तेजी से रीमा के ओंठो से चिपक गए | दोनों के बदन के पसीने की महक दोनों के नथुनों को महकाए हुए थी | रीमा ने कोई प्रतिरोध नहीं किया | रोहिणी ने उंगलियाँ आगे बढ़ा दी और रीमा के मांसल भारी भरकम चुताड़ो की दरार को चीरते हुए उसकी तलहटी में स्थित, रीमा के हलके भूरे गुलाबी कसे गांड की छल्ले की सख्त गिरफ्त की के चारों ओर घुमाने लगी | रीमा ने भी रोहिणी के चूतड़ थाम लिए और मसलने लगी | रोहिणी की उंगलिया रीमा के गुलाबी कसे गांड के ऊपर नाच रही थी, देखादूनी में रीमा भी रोहिणी के उसी इलाके में पंहुच गयी और रोहिणी के चूत और गांड के संधि छेत्र को सहलाने लगी | रोहिणी के अपनी कमर रीमा की कमर से चिपका दी | अपनी चूत त्रिकोण घाटी को रीमा की मखमली चूत घाटी से सटा दिया | दोनों के जांघे एक दुसरे पर क्रॉस बनाकर चिपक गयी | दोनों के बदन एक दूसरे से रगड़ने लगे | रोहिणी ने अपने हाथ से रीमा का हाथ पकड़कर सीधे अपने चुताड़ो के बीच गांड पर फंसा दिया और उसकी उंगली पकड़कर अपनी गांड में घुसाने लगी | रीमा के लिए बस इशारा काफी था | रोहिणी का हाथ फिर से रीमा के गोरे बदन पर पंहुच गया | रीमा ने रोहिणी के कसे भूरे छल्ले की इस्पाती जकड़न पर दबाव डाला और पूरी तरह से एयर टाइट बंद उसकी गांड के छेद में अपनी उंगली घुसाने लगी | रीमा को ज्यादा जोर नहीं लगाना पड़ा और दो तीन बार जोर लगाने से ही रीमा की एक उंगली रोहिणी के पिछवाड़े की कसावट को चीरती हुई अन्दर धसने लगी |

रोहिणी ने भी रीमा के चुताड़ो की दरार के बीच अपनी उंगली का जोर बढ़ा दिया था | उसने अपने मुहँ की लार से अपनी बीच की उंगली भिगोई और रीमा के चुताड़ो की दरार की तलहटी में स्थित उसके पिछवाड़े की सुरंग का छेद जो अपने इस्पाती कसावट और मजबूती वाले छल्ले से पूरी तरह से एयर टाइट बंद था, उस सुरंग के दरवाजे को खोलने का प्रयास करने लगी | रीमा और रोहिणी फिर से वासना के जज्बातों में बहने लगे | रोहिणी की उँगली बार बार जोर लगाती और पीछे हट जाती | रोहिणी सुरंग के मुहाने का गीलापन बढ़ाती और फिर से उंगली के पोर का जोर रीमा की पिछली गुलाबी सुरंग के इस्पाती मुहाने पर बढ़ा देती | रीमा का खुला मुहँ बंद आंखे और तेज होती सांसे ही ये बयां करने के लिए काफी थे कि उसके बदन में वासना की आग लगातार जल रही है |

रोहिणी ने काफी देर तक रीमा के पिछले मुहाने की इस्पात नरम के बाद उंगली पर कसकर जोर लगाया और उंगली रीमा की कसे हुए इस्पाती गांड के छल्ले को धता बताती हुई अन्दर घुस गयी और रीमा के मुहँ से एक मादक कराह निकल गयी - आआआआआऐईईईईईईईईईईइ ऊऊऊऊऊऊऊऊह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह |
रोहिणी ने मौका ताड़ लिया - मै इस दुसरे डर की बात कर रही थी | तू चलती फिरती वासना की देवी है, तेरे अन्दर की आग भला कभी बुझ सकती है | जिसका जिस्म इतना खूबसूरत हो भला वो औरत इतनी आसानी से कैसे ठंडी हो जाएगी | ये तेरा दूसरा डर, तेरी वासना की अनलिमिटेड प्यास, जिसे तू हमेशा दबाती है छिपाती है |
रीमा कुछ नहीं बोली लेकिन उसके हाथ पाँव धड़कने जैसे सब एक साथ रूक गए हो | ऐसा लग रहा था जैसे रोहिणी ने उसे खुलेआम चोरी करते रंगे हाथो पकड़ लिया हो | वो क्या बोले क्या काहे कैसे रियेक्ट करे कुछ समझ नहीं आ रहा था | उसकी अनचाही वासना आज फिर से उसके सामने जीने मरने का सवाल बनकर खाड़ी हो गयी | अगर वो सच स्वीकारे तो अपनी ही नजरो में गिर जाये नकारे तो झूठी बन जाये |

रोहिणी रीमा की मनोदशा भांप गयी उसने एक और चोट करी - इतना क्या सोच रही है, जो कहा है सोलह आने सच है की नहीं | चुदाई के हजारो अनुभव लिए है मैंने, कुछ बाकि न रखा, इतनी गलत नहीं हो सकती हूँ मै |
रीमा हमेशा की तरह छुप रही |
रोहिणी - तेरी चुप्पी सब सच कहानी कह रही है, मुझे पता है तू नहीं बताएगी लेकिन फिर भी पूछती हूँ |
रोहिणी ने इमोशनल कार्ड खेला - देख दीदी बोलती है झूठ मत बोलना . . . . . . सच्ची सच्ची बता आज तक कितनी बार चुदाई करी है | मतलब ठीक से नहीं गिनती याद होगी लेकिन अंदाजा बता |

रीमा को समझ नहीं आया रोहिणी का सवाल , बड़ी मासूमियत से बोली - मतलब ?
रीमा को दुविधा में देखकर बोली - मतलब की बच्ची, उम्र में मुझसे चार पांच साल छोटी होगी लेकिन मासूम इतनी बन रही है जैसे अभी अभी पैड लगाना सीखा है लंडखोर |
रीमा को कुछ समझ नहीं आया की क्या जवाब दे | उसकी दुविधा का निवारण करते हुए - ठीक है साफ़ साफ़ सीधा सवाल पूछूंगी, सीधा सीधा जवाब चाहिए नहीं तो तेरी फुद्दी की आज खैर नहीं (उसका कान उमेठते हुए रोहिणी बोली) |
रोहिणी - बोल न कितनी बार चुदी है अब तक कितने लंड खा चुकी है |
रीमा - ये कौन गिनता है दीदी |

रोहिणी - कुछ तो अंदाजा होगा, वही बता दे |
रीमा शिकायती अंदाज में - दीदी दीदीदीदीदीदी ये कोई याद रखने की बात है क्या ?
रोहिणी - तू है एक नंबर की लंड खोर ये तो मुझे पता था, इतनी आसानी से कैसे पेट के कोने में छिपे राज उगल देगी | अच्छा बता शादी के पहले चुदाई करी थी या नहीं |
रीमा ने इनकार में सर हिला दिया - नहीं |
रोहिणी भी कम नहीं थी - लंड चुसे थे |
रीमा - हाँ |
रोहिणी - कितने ?
रीमा - दो या तीन रहे होंगे |
रोहिणी - दो तीन के चुसे थे या दो तीन बार चुदे थे |
रीमा - दो तो बॉयफ्रेंड थे और एक बार मेरी गली के लड़के ने ही देख लिया था बॉयफ्रेंड के साथ इसलिए उसको भी |
रोहिणी - चुसना पड़ा . . . . . . पूरी बात बोला कर हरामन | (रोहिणी ने वाकया पूरा किया और उसके ओंठो को कस कर चूम लिया, पीछे रोहिणी की उंगली रीमा की पिछली सुरंग में आधी गहराई तक आने जाने लगी थी और रीमा इससे बिलकुल बेखबर थी | )
रोहिणी - और कितनी बार चूसा होगा लगभग |

रीमा - दीदी ठीक से याद नहीं लेकिन एक का 8 से १० बार और दुसरे का भी इतनी ही बार | तीसरे वाला का सिर्फ तीन बार | 20 से ज्यादा बार नहीं हुआ होगा |
रोहिणी - इसका मतलब शादी के पहले कोई लंड नहीं खाया, बस गप्प गप्प करी मुहँ में | और शादी के बाद |
रीमा - क्या बताऊ शादी के बाद की कहानी, आपको तो पता है मै रिसर्च कर रही थी सारा टाइम पढाई और आपके भाई सिक्युरिटी में थे, कभी हफ्ते में एक बार कभी महीने में एक बार घर आते थे | शादी के पांच सालो में 3 साल तो बाहर ही रहे | आखिर के दो साल ही साथ रहे | बस वही है जो यादो के साथ संजो कर रखा है | बाकि तो सब रेगिस्तान जैसी जिंदगी है |
रोहिणी - सेंटी न ही, सेती और सेक्स दोनों अलग चीजे है | सेंटी सिर्फ पति के साथ होना चाहिए लेकिन सेक्स किसी के साथ भी हो सकता है | तो बता शादी के बाद कितनी बार |
रीमा को लगा सब कुछ रोहिणी उसके बारे में ही पूछे जा रही है अपना भी तो कुछ बताये - पहले आप बतावो दीदी |
रोहिणी तो जैसे इसके लिए तैयार बैठी थी | उसके बीच वाली उंगली रीमा की गांड में घुसाए घुसाए उसके मांसल चुताड़ो पर जोर डालकर उसके चूत इलाके को अपने चूत इलाके से और सटा लिया | दोनों की गुलाबी मखमली चूत के नरम ओंठ और चूत दाना आपस में रगड़ खाने लगा |

रोहिणी ने एक लम्बी साँस भरी - देख मेरी कहानी तो खुली किताब है | शादी के पहले भी कई सारे बॉयफ्रेंड थे | उसनके साथ क्लब जाती थी, सुट्टा मरती थी गांजा पीती थी दारू पीती थी | उसके बाद जो हाथ में आ जाता था उसकी को मुठीयाने लगती थी | फिर एक बार मै प्रेग्नेंट हो गयी | घर में किसी को नहीं बताया | चुपचाप सफाई कराई और खसम खा ली आज के बाद चूत में लंड लेना बंद | कसम तो खा ली लेकिन आदत से मजबूर थी, लंड और लड़को दोनों की आदत पड़ गयी थी, इसलिए चुसना शुरू किया और फिर एक दिन एक लड़के ने पिछवाड़े का सुभारम्भ कर ही दिया | तकलीफ हुई | दो चार बार अच्छा भी नहीं लगा लेकिन एक बार जब समझ में आ गया कैसे करना है तब से लेकर शादी तक किसी लंड को चूत से नहीं खाया |
रीमा भी रोहिणी की बात को पकड के बैठी थी - दीदी साहित्य नहीं चलेगा , नंबर बताइए |
रोहिणी ने उसके ओंठो पर अपने दांतों को गडा कर कार लिया - तू एक नंबर ही हरामी चूत है, बस मौके की तलाश में रहती है कोई मौका नहीं छोडती सामने वाले को पटकने का, बिस्तर पर तू क्या कमाल ढाती है ये तो मै देख ही चुकी हूँ |
रीमा मिन्नतें करते हुए - बतावो न दीदी |

रोहिणी - मुझे पता है तुझे चूत चुदाई की बाते करने में बड़ा मजा आता है तो सुन . . . . . . शादी से पहले तीन साल मान के चल हर हफ्ते में कम से कम तीन चुदाई या चुसाई होती ही थी | कई बार तो पांच भी हो जाते थे | जब ग्रुप पार्टी होती थी तो कोई गिनती नहीं, जिसका लंड मुहँ में आया उसका मुहँ में, जिसका हाथ में आया उसका हाथ में उसका चूत में घुस गया उसका चूत में | वहां लंड और चुदाई गिनने का कोई मतलब नहीं था | रात भर दारू चलती थी और रात भर हम लडको के लंड मसलते थे, सुबह होने तक तब तक लडको को नहीं छोड़ते थे जब तक उनके लंड पूरी तरह से मुरझाकर सुख न जाये | कर ले गिनती साल के ३६५ दिन और हफ्ते में कम से कम पांच चुदाई औसत |
रीमा चौंक गयी - बहुत स्टैमिना है आप में दीदी |
रोहिणी - अब कहाँ, अब तो बुढ़ापा शुरू हो गया है |
रीमा की उत्सुकता और बढ़ गयी - फिर शादी के बाद . . . . . . . . . |
रोहिणी रीमा की गांड में पूरी की पूरी उंगली घुसेड़ कर अन्दर बाहर कने लगी थी जबकि रीमा के के हाथ रोहिणी के चुताड़ो पर कब के रुक गए थे | रीमा को कहानी मे ज्यादा दिलचस्पी थी जबकि रोहिणी कहानी भी सुना रही थी और उसके हाथ की उंगलियाँ रीमा के बदन पर बराबर अपना काम कर रहे थे |

रोहिणी - शादी के तीन महीने पहले ही मै अनिल से मिली थी | अनिल से मिलने के सातवे दिन मै अनिल के कमरे में गयी | मै डैड द्वारा कमरा दिया जाने से बहुत ज्यादा खफा थी और मैंने इनको सबक सिखाने की सोची थी | मै फुल नशे में थी और इनके कमरे में जाते ही मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और इनसे लिपटने की कोशिश करने लगी | ये बिलकुल शांत रहे | मैंने इन्हें चोदने को भी कहा, अपनी जांघे फैलाकर अपनी नंगी चूत भी खोलकर दिखा दी लेकिन मजाल जो बन्दे की चेहरे पर शिकन आ जाये | हालाँकि उनकी पेंट में तम्बू बन गया था लेकिन उनका रेस्पोंस न देना मेरा गुस्सा बढाता जा रहा था और मेरे ऊपर शराब का नशा भी बहुत हावी हो चूका था | मैंने अनिल को झपट्टा मारकर अपने ऊपर खीचने की कोशिश की और फिसल गयी | फिर क्या हुआ पता नहीं लेकिन सुबह बस यही कहानी पता चली की मै उसके कमरे में फिसल गयी थी और बेहोश हो गयी थी | अगले दिन माथे पर पट्टी बांधे पुरे होशो हवास में मै अनिल के कमरे में गयी और कल रात जो भी ड्रामा किया था उसके लिए माफ़ी मांग ली | उस समय ये सचमुच शरीफ थे | मैं वापस नीचे चली आई और फिर पाट नहीं क्या सुझा अचानक से फिर उनके कमरे में घुस गयी और फिर वहां जो मैंने देखा तो मेरे होश उड़ गए या यू कहो बांछे खिल गयी | अनिल अपने पजामे में हाथ घुसेड़े हिला रहे है | मैंने उन्हें रंगे हाथो मुट्ठ मारते हुए पकड़ लिया |

मेरा पहला सवाल था - किसको सोच कर मुठ मार रहे हो |
अनिल खडभड़ा गए, उन्होंने झट से अपना हाथ बाहर निकाल लिया लेकिन उनके लंड का तनाव और साइज़ दोनों पजामे के ऊपर से साफ़ पता चल रहे थे | मेरे दिमाग में पहला विचार अनिल को सबक सिखाने का आया | कल मेरी वजह से अनिल ने मुझे पूरा का पूरा नंगा बदन सब कुछ देख लिया, छाती पेट नाभि चूतड़ जांघे चूत सब कुछ , आज मै इन्हें नंगा करके देखूँगी |

रोहिणी - जल्दी बोलो किसको सोचकर लंड मसल रहे थे अपना |
अनिल ने सर झुका लिया मै समझ गयी वो कोई और नहीं था बल्कि मै ही थी जिसने उनका लंड में अकडन पैदा कर दी थी |
रोहिणी - मुझे सोचकर लंड मुठिया रहे थे, कल नंगा देख लिया, जब चुदवाने आई थी, सारे कपड़े उतारकर नंगी पड़ी थी बिस्तर पर तब कुछ नहीं किया और अब आज उसी को सोच सोचकर लंड मसल रहे हो | चलो जल्दी से कपड़े उअतारो नहीं तो सब कुछ जाकर डैड को बता दूँगी और तुमारी छुट्टी |
रोहिणी रीमा की गांड में पूरी की पूरी उंगली घुसेड़ कर अन्दर बाहर कर रही थी, अब वो उसके चूत दाने को भी मसलने लगी थी | रीमा मदहोश होने लगी थी |
अनिल तो बेचारे रूआसे हो आये थे | शरीफ थे कभी किसी लड़की के सामने नंगे होना तो दूर बनियान तक नहीं उतारी थी | अनिल की हालत ख़राब हो गयी | चेहरे पर बदहवासी छा गयी | शर्म से सर नीचे झुका लिया | लेकिन मुझे अनिल पर कोई दया नहीं आई मै बदले की आग में जल रही थी |

मैंने दुबारा धमकाया, तो चुपचाप कपड़े उतारने लगे | कपड़े उतारते ही जो मैंने देखा वो मेरे अनुमानों से कही ज्यादा था | उनके पैजामा नीचे खिसकाते ही काला लम्बा हाहाकारी भुजंग लंड एक दम से हवा लहरा गया | ऐसा काला लम्बा मोटा तगड़ा लंड मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था उसका हाहाकारी अंदाज मेरी आँखों और दिल में दहसत भर रहा था | जितना अनिल सीधे थे उतना ही उनका लंड खूंखार लग रहा था | कुल पल को तो मेरी आंखे ही उनके लंड पर से न हटी, पूरी तरह से अकड़ा हुआ तेज खून के दौरान से ऐसे काँप रहा था जैसे वर्षो से भूखा हो और सामने वाले को एक ही झटके में निगल जाना चाहता हो | मेरा ये पहला वास्ता था किसी काले आदमी और उसके हाहाकारी काले लंड से | इतने लंड खाने के बाद जब मैंने उसे इस अंदाज से अभिमान से भरे हुए चुनौती देते देखा तो मेरे अन्दर का ईगो भी जाग गया | पूरी तरह से सख्त लोहे की राड बना हुआ मानो मुझे चुनौती देकर कह रहा हो की बहुत अकड़ और घमंड है लंड खाने का, अन्दर लेने का जरा इसे लेकर देख एक बार, आंखे और चीखे दोनों एक साथ न बाहर आ गयी तो जिंदगी भर के लिए चूत के दर्शन करना भूल जाऊंगा | मै भी घमंड से भर गयी मैंने मन ही मन उसकी चुनती स्वीकार कर ली | अनिल बेचारे शर्म के मारे सर झुकाए ऐसे खड़े थे जैसे उनकी जिंदगी भर की इज्जत मेरे पैरो में पड़ी हो | उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी मुझसे आंख मिलाने की | उनके लंड को देखकर मुझे तो जैसे एक नशा सा हो गया, एक बुखार सा चढ़ गया | मैंने उनके सीने पर हाथ लगाकर उन्हें बिस्तर पर धकेल दिया और तेजी से अपनी स्कर्ट और पेंट उतार दी | ऊपर के कपड़े उतारने का टाइम नहीं था | तेजी से बिस्तर पर चढ़ गयी और अनिल के कमर पर दोनों तरफ जांघे फैलाकर बैठ गयी |

अनिल को कुछ समझ नहीं आया, इससे पहले वो कुछ रियेक्ट करता मैंने उसका गरम आग की भट्टी की तरह तपता लंड अपने हाथ में ले लिया | ऐसा लग रहा था जैसे कोई काली मोटी सख्त गरम राड मेरी हथेली में आ गयी है जो मुझे झुलसा का रख देगी | मैंने उसे जल्दी से पोजीशन किया और अपने चूत मुहाने [पर लगाकर खुद को नीचे की तरफ ठेल दिया | इतना बड़ा मुसल लंड मैंने कभी नहीं लिया था अपनी मखमली चूत में | मुझे दो तीन बार जोर लगाना पड़ा तब जाकर मै उसे अपने अन्दर घुसा पायी इतना मोटा तगड़ा था | मै बस उसका थोडा हिस्सा ही घुसकर अपनी कमर हिलाने लगी | अनिल तो जैसे बेहोश होने लगे | पहली बार लंड को मिले इस मखमली चूत के आनंद में सरोबार हो गए | डर आश्चर्य और आनंद का मिश्रण उनके चेहरे पर साफ़ झलक रहा था | मैंने एक भद्दी सी गली देते हुए बोला चूत चोदनी नहीं आती क्या मुर्दे की तरह पड़े हो | और कोई होता तो इस काले हहह्कारी नागनाथ से अब तक मेरी चूत के चीथड़े उड़ा चूका होता | इतना सुनते ही अनिल अपने सदमे से बाहर निकले और अपनी कमर को पहला झटका दिया और उनका लंड एक इंच अन्दर घुस गया, फिर दूसरा तीसरा चौथा पांचवा झटके लगने शुरू हो गए और इंच डर इंच मेरी चूत को उनका मोटा तगड़ा काला मुसल भरने लगा | इससे पहले इससे ज्यादा आज तक कभी मैंने खुद को भरा हुआ नहीं महसूस किया था | फिर तो जैसे धक्को की रेल निकल पड़ी | दे दे दनादन दे दनादन ठोकरों पर ठोकरे मेरी गुलाबी चूत पर पड़ने लगी | काला मोटा तगड़ा लंड मेरी चूत को चीरने लगा, कुचलने लगा |
रीमा की सिसकारियां तेज हो गयी थी |

रोहिणी ने आगे की अपनी चोद्कथा जारी रखी - कुछ देर तक तो मै बर्दाश्त करती रही फिर निढाल हो गयी | अनिल को बांहों में भरकर पलट गयी और अनिल के नीचे आ गयी | अब तक मन से अहंकार और बदला सब कुछ निकल चूका था अब बस एक ही चाहत थी चुदने की बुरी तरह चुदने की | अनिल तब जवान थे, भरपूर हट्टे कट्टे, क्या चोदा था उन्होंने मुझे, रात रात भर लोगो के लंड मसल कर उनका रस निचोड़कर उन्सुहें सूखाने वाली आज खुद पानी के झरने की तरह बह रही थी, लगातार बह रही थी | मेरी सोच शक्ति सब ख़त्म हो गया था मै बस अनिल के रहमोकरम पर थी जो जिंदगी में पहली बार अपनी वासना की आग बुझाने को चूत पाए थे | अनिल ने जमकर चोदा, हचक कर चोदा, तेज तेज चोदा, खूब चोदा और फिर चूत में ही झड गए |

रीमा का झरना बह निकला पता नहीं क्यों लेकिन रीमा खुद को संभाल नहीं पाई | रोहिणी भी हैरान रह गयी आखिरकार हुआ क्या | दोनों ही अपनी अपनी मदहोशी में थे इसलिए ज्यादा किसी ने गौर नहीं किया | रोहिणी ने अपनी चोद्कथा जारी रखी -मै पहली बार एक ही चुदाई से इतनी पस्त हो गयी थी कि दुसरे के बारे में सोचना भी गुनाह लगने लगा | मेरी चूत ने हाथ खड़े कर दिए और इसी के साथ शरीर और मन भी पस्त हो गया था | अनिल हांफते सांड की तरह बिस्तर पर लुढ़क गए और मै पस्त वैसे ही पड़ी रही | मेरी चूत से उनका गाढ़ा रस रिस रिस कर बाहर आता रहा और मै अपनी ही मदहोशी में खोयी रही | मुझे होश तब आया जब मेरा फ़ोन बजने लगा | मै बिना कुछ बोले उठी अपने कपड़े पहने, बिस्तर पर पसरे अनिल को और उन्हें सोते लंड को देखा | अनिल के चेहरे पर ग्लानी और शर्म छाई हुई थी | मै भी आगे के बारे में निश्चित नहीं थी | मै बिना कुछ काहे वहां से निकल गयी | दो दिन तक न हमने एक दुसरे को देखा और न ही कोई मुलाकात हुई | फिर अगले दिन अचानक से मै फिर अनिल के कमरे में जा धमकी | अनिल फिर से सहम गए और मैंने उन्हें चुदाई का सब सच डैड को बताने की धमकी देकर और डरा दिया | मैंने बोला मै डैड से बोल दूँगी तुम मेरे नाम से मुट्ठ मारते थे और जब मैंने मना किया तो मेरे साथ जबदस्ती करी |

अनिल की पहले से ही फटी पड़ी थी अब और ज्यादा फट गयी | इसी तरह से मै रोज जाकर अनिल का लंड अपनी चूत में लेने लगी | मै तो हर तरह से चुदाई और नशे की चरसी थी लेकिन मैंने अब अनिल को अपनी चूत का चरसी बना दिया था | दो महीने में बस तीन चार बार ऐसा हुआ जब हमने चुदाई नहीं करी हो वर्ना रोज हवस का नंगा नाच खेलते थे | अनिल की पढाई चौपट हो गयी थी और दो महीने बाद पता चला मै प्रेग्नेंट हूँ | अब तो राज खुल ही जाना था आखिरकार मैंने डैड से बोल दिया मै अनिल से शादी करना चाहती | डैड को बस इतना सरप्राइज हुआ की अचानक कैसे इतनी जल्दी मैंने फैसला कर लिया, बाकि उनकी नजर में शायद अनिल से शरीफ कोई लड़का नहीं था | हमारी शादी हो गयी लेकिन मैंने अपनी जिदगी के स्याह सच सब पहले ही बता दिए थे और आगे भी वो सब करने की आजादी मुझे चाहिए थी | अनिल इस स्थिति में नहीं थे की मुझे कोई जवाब दे सके | गरीब आदमी को पैसा मिल रहा था , घर मिल रहा था और सबसे बड़ी बात एक बीबी मिल रही थी अब उसके कुछ नखरे तो उठाने ही होंगे | समय के साथ अनिल भी खुलते चले गए | वो भी मेरे अलावा इधर उधर मुहँ मारने लगे, मुझे कुछ वक्त लगा ये सच हजम करने में लेकिन फिर मै नार्मल हो गयी | घर परिवार और बच्चो की जिम्मेदारी ने बहुच कुछ बदल दिया | अरमान अब भी है लेकिन या तो कोई जाबांज मर्द मिलता है या तेरी जैसी कट्टो तभी पुरानी रोहिणी अपने फॉर्म में आती है |

रीमा - आपने नंबर तो बताया ही नहीं |
रोहिणी - तूने इनफिनिटी वाली थ्योरी नहीं पढ़ी | कुछ चीजे अनंत होती है उनकी गिनती नहीं होती |
रीमा और रोहिणी दोनों खिलखिला पड़ी |
रीमा ने अनायास ही पूछ लिया - क्या सच में इतना हाहाकारी है जीजा का, आपको एक बार में ही पस्त कर दिया |
रोहिणी - तू बता तुझे देखना है |

रीमा - दीदी मै तो बस पूछ रही थी. . . आप भी |
रोहिणी उसे छेड़ते हुए - कोई यू ही नहीं किसी के बारे में ऐसे पूछता, अन्दर की दबी चाहत का तीसरा डर कही अनिल का काला नागनाथ तो नहीं है | रोहिणी ने अपनी दूसरी उंगली रीमा की गांड में घुसेड दी | रीमा चिहुंक उठी - दीदी दिदीईईईईई |
रोहिणी - यही यही इसी डर की बात मै कर रही थी, यही तेरा दूसरा तीसरा चौथा डर | ये जो कसी गांड छुते ही तेरा वासना का बुखार चढ़ने लगता है , काला लंड की चुदाई की चोद्कथा सुनते ही तेरा झरना बहना शुरू हो जाता है | आखिर ये सब क्या है | क्या है ये सब, क्या तेरे अंतर्मन की खवाइश नहीं है ये सब, तेरे अन्दर की दबी वासना नहीं है ये सब | ये तेरी दबी कुचली वासना की चिंगारियां नहीं है तो क्या है | जवानी तूने भोगी नहीं जीभरकर, इसलिए ये तेरे दिलो दिमाग में बसी हुई है | तू कितना भी दबाये लेकिन ये नहीं जाने वाली बल्कि और भड्केंगी | ये कुछ नया या अलग नहीं है बस तेरे जबान जिस्म की आग है इसे बुझा और जैसे हो सके जो तेरा मन करे उससे बुझा | अगर तेरा मन चुदवाने का है तो चुदवा ले, मर्द ढूंढ अपने लायक और चुदवा खुद को | अगर तेरा मन अपनी गांड की खुजली मिटाने का तो मिटा ले | दुनिया भर की औरते करती है तो तेरा जिस्म भी तो वही मांग रहा है |
रीमा परेशान हो गयी - दीदी बस, हर चीज की एक हद होती है, हर चाहने वाली चीज मिले ही ये तो मुनकिन नहीं |
रोहिणी - लेकिन जो तेरे हाथ में उसे तो तू हासिल कर सकती है |
रीमा - क्या है मेरे हाथ में |
रोहिणी - काले लंड से चुदना और गांड मरवाना |
रीमा - ये गलत है दीदी |
रोहिणी - कुछ गलत नहीं है |
रीमा - नहीं दीदी, ऐसा कुछ नहीं है मुझे ऐसा कुछ नहीं चाहिए न मेरी ऐसी चाहत है, ये सब गलत है और पीछे . . . वो तो और भी गन्दा है |
रोहिणी चुप हो गयी | रीमा धीरे से बोली - मुझे बाथरूम जाना है |
रोहिणी - पगली तू ऐसे क्यों पूछ रही है जैसे मै तेरी क्लास टीचर हूँ | बिंदास होकर जा चूतड़ मटकाते हुए, उरोज हिलाते हुए | इतना कहकर उन्होंने उसके नरम मांसल चुताड़ो पर एक थाप जमा दी |

बाथरूम कमरे से सटा हुआ था इसलिए रीमा को बाहर नहीं जाना पड़ा | वो नंगी ही उठी और बाथरूम में घुस गयी | रीमा बाथरूम जाकर फ्रेश होने लगी | पीछे से रोहिणी भी बाथरूम के गेट पर आकर खड़ी हो गयी | वो रीमा के गोरे गुलाबी जिस्म के सौंदर्य को निहारने लगी | रीमा खुद को साफ़ कर रही थी, हाथ में शावर लेकर खुद के गोरे बदन को धो रही थी जो पसीने से भीग कर नमकीन हो चूका था | रोहिणी से भी रहा नहीं गया | वो भी बाथरूम में घुस गयी, पहले फ्रेश हुई फिर वो भी शावर के नीचे आ गयी | और रीमा के साथ खुद भी नहाने लगी | दोनों बाथरूम में थी | दोनों नंगे बदन थी और बाथरूम में नहा रही थी |

रोहिणी को शावर के नीचे आते देख रीमा बाथ टब में जाकर बैठ गयी और रोहिणी रीमा की जगह आ गयी और खुद को धोने लगी | रीमा ने बाथटब के नल खोल दिए ताकि उसमे पानी भर सके और उसी में बैठ गयी, रोहिणी के मसलते बदन को पानी से भीगते बदन को देखने लगी | इधर नीद का एक स्लॉट पूरा कर चुके अनिल की आंखे अचानक खुल गयी | उनकी बीबी रीमा के कमरे में रीमा के बिस्तर पर थी, उन्हें पक्का पता था रोहिणी कुछ न कुछ खुराफात ही उसे सिखा रही होगी, यही देखने की लालसा में उठकर रीमा के बेडरूम तक आये लेकिन निराशा हाथ लगी | खिड़की दरवाजे सब पूरी तरह से बंद थे लेकिन कमरे के अन्दर की लाइट जल रही थी | अनिल समझ गए रोहिणी ने कुछ तो जरुर किया है इसी लिए सारे दरवाजे खिड़की सील पैक किये है | वो बाहर बने गेस्ट बाथरूम में चले गए | वहां से निपट कर बिस्तर पर आ गए लेकिन आँखों में नीद नहीं थी | कमरे के अन्दर क्या हो रहा है ये जानने की उत्सुकता था |

इधर रीमा अपनी गोरी चिकनी गुलाबी मखमली चूत को सहलाने लगी थी तभी अचानक खुद के बदन की मसलते धोते रोहिणी के हाथ का शावर जो अभी तक उसके बदन को धो रहा था वो रीमा की तरफ हो गया | रीमा एक दम से चौंक गयी | पानी की ठंडी फुहारों से उसके बदन के रोये खड़े हो गए | रोहिणी शोअवर को उसके सीने पर गिराते गिराते नीचे की तरफ ले आई और उसकी जांघो के बीच स्थित उसके चिकने चूत घाटी के त्रिकोण सफाचट मैदान पर बरसाने लगी जिस पर बालो का कही नामोनिशान नहीं था | उसकी चूत का गुलाबी इलाका और उसकी चूत के मोटे मोटे गुलाबी रंगत की छटा बिखेरते बाहरी ओंठ, अंदरूनी मखमली रेशमी गुलाबी पतली पंखुडियो से दोनों तरफ से घिरा उसकी गुलाबी चूत सुरंग का मखमली मुहाना और उसके शीर्ष पर विराजमान उसकी वासना का केंद्र बिंदु उसका चूत दाना . . कुछ अलग ही छटा बिखेर रहा था और ऊपर से गिरते पानी के झरने और बदन की गीली गोरी रंगत ने तो जैसे अप्सरा को ही जमीं पर उतार दिया हो | उसके पेडू पर गिरता [पानी उसकी चूत घाटी के त्रिकोण मैदान पर से बहता हुआ दोनों जांघो के किनारे से बहकर नीचे जा रहा था और उसके गरम गांड के छेद को अपनी ठंडक से सरोबार किये हुए था | रीमा की गरम चूत घाटी पर पड़ती पानी की शीतल फुहारे रीमा को स्कीवर्ग पंहुचाने के लिए काफी थी | उसने आनंद में आंखे बंद कर ली | रीमा की आंखे बंद देख रोहिणी ने शावर हटा लिया, रीमा की आंखे खुल गयी |
रीमा - दीदी हटा क्यों लिया कितना अच्छा लग रहा था | करो न फिर से |

रोहिणी अपनी चूत के सामने शावर लगाकर अपनी चूत को धोती हुई बोली- आय हाय मेरी कट्टो रानी को मजा आ रहा था, करूंगी फिर से करूंगी, तब तक करती रहूंगी जब तक तेरी प्यास बुझ नहीं जाती | मै कही नहीं जा रही बिना तेरी प्यास बुझाये |
रीमा - दीदी आप तो एक ही बात को पकड़ कर बैठ जाती हो, मै फाउंटेन शावर की बात कर रही हूँ | बड़ा अच्छा लग रहा था |
रोहिणी - मै भी वही बोल रही थी, तेरे दिमाग में बस वही भरा है तो तू वही समझेगी न | सीधी बात का सीधा मतलब भी होता है | महफ़िल के सारे मजे तेरी गुलाबी मखमली चूत ही क्यों लुटे, कुछ पर इस बेचारी का भी हक़ है (अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए) |
रीमा - दीदी आप मुझे हमेशा अपनी बातो में फंसा लेती हो |
रोहिणी - कोई नहीं जब 15-20 लंड खा लेगी तो तू भी ऐसे ही चंट हो जाएगी बल्कि मै तो कहूँगी मेरी भी नानी बन जाएगी देख लेना |
रीमा बनावटी रूप भिनकने लगी | रोहिणी ने कुछ पल को शावर उसकी तरफ कर लिया फिर अपनी तरफ घुमा लिया | रीमा बाथटब में खड़ी होकर अपने शरीर पर बॉडी क्लीनर लोशन मलने लगी | रोहिणी भी यही करने लगी | दोनों अलग अलग अपने शरीर को साफ़ कर रही थी | पानी से भीगे गीले बदन और बॉडी क्लीनर का झाग | रीमा टब से निकलकर बाहर आ गयी और उसने दीवार में लगे शावर को ऑन कर दिया |

उसके नीचे नहाने लगी | उसने बॉडी स्क्रबर उठाया और खुद को साफ़ करने लगी | गर्दन से लेकर पांव तक उसने अपने शरीर को मल डाला तभी उसका ध्यान रोहिणी की तरफ गया | उसने घूमकर पीछे से रोहिणी के बदन पर ढेर सारा बॉडी क्लीनर लोशन लगा दिया और उसके बदन को मलने लगी | रोहिणी खुद को थाम के खडी हो गया और रीमा के हाथ रोहिणी के बदन पर फिसलने लगे | उसने रोहिणी के बड़े बड़े उरोजो को मलना शुरू किया फिर पेट पीठ जांघे सब मथ डाला | रोहिणी का शरीर पर झाग ही झाग छा गया | फिर रीमा रोहिणी के पीछे गयी और उसके चूतड़ मलने लगी | उसकी चुताड़ो की दरार को स्क्रबर से खूब मल मल कर धोया | उसका एक हाथ रोहिणी की जांघो के बीच में घुस गया | उसकी जांघो के जोड़ की घाटी से लेकर उसकी चूत घाटी तक सब कुछ रीमा मलने लगी | कसकर रगड़कर खूब जोर जोर से मल रही थी | रोहिणी बस खुद को स्थिर किये कड़ी रही | उसे रीमा के नरम हाथो का गीला सुखद स्पर्श बहुत आच्छा लग रहा था | एक औरत ही एक औरत के बदन की नजाकत समझ सकती है | रीमा के हाथ भी उसी नजाकत से रोहिणी की चूत की सफाई कर रहे थे | ना बहुत कठोर न बहुत हलके, उसके हाथो का स्पर्श बहुत संतुलित था औत=र जादुई भी क्योंकि रोहिणी मदहोश होने लगी थी | रीमा रोहिणी की चूत रगड़ते रगड़ते उसके चुताड़ो की दरारों में घुस गयी और उसके पिछले छेद को साफ़ करने लगी | रोहिणी का छेद रीमा के इतना इस्पाती कसावट तो नहीं लिए था फिर भी उसमे गजब की कसावट थी | रीमा ने उसकी कसावट और प्रतिरोध को धराशायी करते हुए अपनी उंगली उसमे घुसेड दी | अब चिहुंकने की बारी रोहिणी की थी क्योंकि रीमा ने बिना देर किये दूसरी उंगली भी घुसा दी | उसके बाद अन्दर बाहर करने लगी | जब उसे सुरंग का मुहाना खुलता दिखने लगा तो उसने हैण्झड शावर के झरने का सर छेद से सटा दिया और उसकी पिछली सुरंग को पानी से भरने लगी | उसके बाद शावर हटाकर उसके छेद के सख्त छल्ले के गुलाबी मुहाने पर अपना स्क्रबर और उंगली दोनों बारी बारी से रगड़ने लगी | रोहिणी इस जादुई कलात्मक स्पर्श से कामुकता की सीढियाँ चढ़ने लगी |

रोहिणी ने दीवार वाला शावर चला दिया | उसके बदन का झाग बहकर नीचे गिरने लगा | रीमा ने अपनी दो उंगलियाँ रोहिणी के पिछवाड़े की सुरंग में और स्क्रबर छोड़ अगले हाथ को रोहिणी के चूत दाने और चूत पर सटा दिया | आगे से चूत दाने पर दबाव डालती और पीछे से उसकी गुलाबी सुरंग के मुहाने के सख्त छल्ले को नरम करने में लगी थी | कुछ देर बाद उसकी उनगलियन रोहिणी की चूत में घुस गयी अब रीमा के एक हाथ की उंगलियाँ चूत चोद रही थी और दूसरा हाथ उसकी पिचली सुरंग के सख्त गेट को नरम कर्केमे लगा था | रोहिणी कुछ देर तक तो कामुकता की बयार में बहती रही लेकिन उसके लिए ये नाकाफी था | उसे तो और ज्यादा की लालसा थी |
रोहिणी - सुन कट्टो मजा नहीं आ रहा, कुछ जोरदार कर न. . . . . . |
रीमा रोहिणी की बात सुनकर हैरान रह गयी |
रीमा - कितना जोरदार चाहिए दीदी |

रोहिणी - एक मोटे तगड़े लंड जितना, काश तेरे पास लंड होता तो जमकर मजा आता |
रीमा को शरारत सूझी - जीजा जी को जगाऊ | है न उनके पास मोटा तगड़ा |
रोहिणी - चुपकर लंद्खोर, अगर उस कलुये को बुला लिया तो पहले वो तेरी चीखे निकलेगा, समझी, मुझे चोदना तो छोड़ शायद मेरी तरफ देखे भी न | तेरे जिस्म के हुस्न में पगलाया रहता है | मैंने काबू करके रखा है एक बार छोड़ दिया तो सोच ले, कचूमर निकाल देगा तेरा और तेरी चूत का | चलना दूभर हो जायेगा तेरा |
रीमा - दीदी बात बात पर आप जीजा जी के नाम से डराने क्यों लगाती हो मुझे | एक तरफ तो कहती हो तेरा डर दूर करने आई हूँ और दूसरी तरफ . . . . . |
रोहिणी - अच्छा सॉरी मेरी कट्टो रानी अब कुछ कर, तूने तो आज पिछवाड़े में भी खुजली मचा दी |
रीमा को जग्गू के साथ हुई घटना याद आ गयी |

रीमा हिचकते हुए - दीदी अगर आप काहे तो मेरे पास स्ट्रैप और डिल्डो पड़े है . . |
रोहिणी एक दम खुसी से उछाल पड़ी - अरे मेरी गुलाबो चूत रानी, नेकी और पूछ पूछ | लेकर आ तूने तो जैसे प्यास से मरते इंसान को पानी के लिए पूछ लिया हो |
रीमा ने अपना गीला बदन पोछा और कुछ ही देर में एक बड़ा सा रबर का लंड, एक लोशन बोतल और वाइब्रेटर ले आई | रबर के लंड को जल्दी से रोहिणी ने रीमा की कमर में स्ट्रैप बांधकर फिट किया और फिर बाथटब के ऊपर झुक गयी और अपने चूत दाने पर वाइब्रेटर चिपका दिया | रोहिणी पीछे से खेली खाई हुई थी लेकिन पीछे का छेद पीछे का ही होता है, कितने भी लंड उसमे गए हो कोई फर्क नहीं पड़ता | पहली बार खोलने में सबकी हालत ख़राब हो जाती है, कितनी भी खेली खाई गांड हो उस गांड के छेद के कसे हुए बाहरी छल्ले को खोलते समय ऐसा लगता है जैसे किसी ने नस्तर घुसेड़ दिया हो | भीषण दर्द की मार जांघो पिंडलियों चुताड़ो में घर कर जाती है | रोहिणी शुरूआती दर्द के लिए तैयार हो रही थी | उसे फुल वाइब्रेशन में वाइब्रेटर को अपने चूत दाने से सटा लिया | रीमा ने एक पैर बात बाथ टब की कोर पर रखा और एक नीचे | उसने रोहिणी के पिछले छेद में दो उंगलियाँ घुसयिया उर चारो ओर घुमाकर उसे खोलने लगी फिर उसके खुले हुए मामूली से दरवाजे में लोशन की बोतल का मुहाना घुसेड़ दिया और उसकी पिछली गुलाबी सुरंग को लोशन से भर दिया | उसने ढेर सारा लोशन अपने रबर के लंड पर भी लगाया और बिलकुल रोहिणी के पीछे आ गयी और उसकी गांड के कसे हुए गुलाबी छल्ले पर अपना मोटा तगड़ा रबर का लंड सटा दिया | रोहिणी अपनी गांड मरवाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, रीमा ने भी देरी नहीं करी और मोरे रबर लंड को उसकी गांड में पेलना शुरू कर दिया | पहली बार में लंड फिसल गया | रोहिणी बोली - हाथ से कसकर पकड़कर ठेल नहीं टी ऐसे ही रपटता रहेगा |
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