Episode 26


रीमा ने लंड को कसकर थामा और पूरा जोर लगाकर रोहिणी की गांड के सख्त छेद पर ठेल दिया | रोहिणी की गाड़ भीषण दर्द और जलन से जल उठी | रोहिणी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ माआआआआआआर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र गयी आआआआआआआह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह |

उसकी गांड के सख्त छल्ले की इस्पाती मांसपेशियों बढ़ते दबाव के कारन फैलने लगी, उनसे उठने वाला दर्द से उसके चूतड़ कमर जांघे पिंडलियाँ सब नहा गए | रीमा ने पूरा जोर लगाकर रबर के लंड को छेद से सटाए रखा | गांड के छेद के छल्ले में दरद था लेकिन वो फैलने लगा और रीमा का लंड रोहिणी की गांड में | रोहिणी के जबड़े भिंच गए | रोहिणी दर्द बर्दाश्त करने लगी लेकिन रीमा ने इसका इन्तजार नहीं किया और हल्का सा लंड खीचकर फिर से ठेल दिया | रोहिणी की गांड के मुहाने में बहुत जलन हो रही थी और दर्रीद भी भीषण था लेकिन रीमा नहीं रुकी उसने लंड को अन्मादर बाहर करना जारी रखा उसने चार पांच बार ऐसा किया फिर अपनी कमर हिलाने लगी और इसी के साथ उसका रबर का वो तगड़ा लंड रोहिणी के गांड के छल्ले के हर प्रतिरोध को धराशाही करता हुआ उसकी सुरंग का मर्दन करने लगा |

रोहिणी वाइब्रेटर को कसकर अपने चूत दाने से सटाए हुए थी और अब उसकी गांड में लंड आसनी से आने जाने लगा था | उसके चेहरे की दर्द भरी लकीरे अब गायब हो गयी थी और उसके सख्त भींचे जबड़े अब अपनी पुराणी जगह लौट आये थे | वो सुरुआती दर्द का अहसास अब कम होने लगा था और रोहिणी इस अद्भुद अनोखे वासना के खेल में डूबकर अपनी वर्जित वासनाओं की पूर्ति करने को तैयार थी | उसने रीमा से स्पीड बढ़ाने को कहा | रीमा ने अपनी कमर के झटके तेज कर दिए और रोहिणी के गांड के छेद ने अपना सारा प्रतिरोध छोड़ते हुए उसकी पिचली सुरंग का पूरा मुहाना खोल दिया था | चिकने लोशन से भरी उसकी गांड के छेद में अब रीमा का लंड सटासट जाने लगा | रीमा को भी हर झटके के साथ उसके चूत दाने पर ठोकर लग रही थी और वो भी सिसकारियां ले रही थी | रोहिणी दोनों जांघो को चिपकाये घुटनों के बल खुद को टिकाये रीमा से अपनी वर्जित वासनाओं की पूर्ति करवा रही थी | वो और औरत से अपनी गांड मरवा रही थी | अपनी अप्राकृतिक वासनाए जिनकी वो गुलाम बन चुकी थी उनको पूरा करने को अपने ही छोटे भाई की विधवा से अपनी गांड मरवा रही थी | दोनों ही कराह रही थी एक गांड में होने वाले कामुक तीखे दर्द से दूसरी अपने चूत दाने के मसलने से उठने वाली मीठी कामुक तरंगो से | रोहिणी की गांड में रीमा लंड सटासट जा रहा था | दोनों इस अप्राकृतिक वासना में डूबकर खुद की दबी हुई वासना की कामना के सपने को हकीकत बना रही थी |

रीमा ने बाथरूम की दोहरी कराहों की ख़ामोशी तोड़ी - दीदी कैसा लग रहा है |

रोहिणी बस उस तीखे दर्द और अपनी गांड की दीवारों में रीमा के लंड की लगती ठोकरों से उठने वाली तरंगो के भंवर में डूबी हुई थी | इस वक्त उसे रीमा की ये आवाज किसी कर्कश कोयल की तरह लगी | अभी वो बस गांड मरवाना चाहती थी बस उसका सारा ध्यान वही था, उसमे से निकलने वाले दर्द में था, उसमे से निकलने वाली जलन में था उसमे से निकलने वाली कामुक तरंगो में था जो उसकी चूत की दीवारों में भी पिछली सुरंग में लगने वाली भीषण ठोकरों से निकलने वाली कामुकता की दहसत की तरंगो का कंपन भर रही थी |
रोहिणी दर्द की सिसकारियां भरते हुए - मै तो मखमली सेज पर लेती हूँ और मोर के पंखो से मुझे कोई सहला रहा है और मेरे बदन पर मक्खन की हल्की मालिश कर रहा है | ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग में हूँ |

रीमा की खिलखिलाहट निकल गयी |
रोहिणी चिढ़ती हुई - हां हाँ हंस ले , ले ले मजे, अभी जब मै तेरी चीरूंगी तब देखूँगी | हाथ पाँव पटक पटक कर पूरा मोहल्ला न जगा दे तो कहना | कैसा लग रहा का क्या मतलब है, गांड मार रही है तू मेरी | कभी मरवाई है पहले इससे |
रीमा चुप, उसने कोई जवाब नहीं दिया |
रोहिणी दर्द की सिसकारियो के बीच - अरी हरामन मै तुझसे पूछ रही है करमजली, ऐसे गांड मरवाने के बीच में मुहँ खुलवा रही है कीड़े पड़ेगे तेरी चूत में | बोल न तुझी से पुछा है कभी मरवाई है इससे पहले गांड |
रीमा इतराकर बोली - नहीं, कभी नहीं, ये सब गंदे काम मै नहीं करती |
रोहिणी - गन्दी की बच्ची जब एक मरवाएगी तब तो पता चलेगा इस दर्द में कितना मजा है | आज तक कभी गांड ने जब लंड के दर्शन किये ही नहीं तभी तो बड़ी खिलखिलाहट छूट रही है |
रीमा गंभीर होते हुए - बहुत दर्द हो रहा दीदी, आराम से करू |
रोहिणी उसे डपटते हुए बोली - चुपकर कर करमजली, जो कर रही है वैसे ही करती रह | बहुत बोलती है तू | पक्का है चुदाई के बीच में भी तेरा मुहँ बंद नहीं रहता होगा, जब तक कोई चीखे न निकाल दे |
रीमा सफाई देती हुई बोली - दीदी मै तो बस आपके. . . |
रीमा के धक्के बदस्तूर जारी थे |
रोहिणी - चुपचाप गांड मार मेरी बस | तुझे क्या लगता है मै यहाँ फूलो की सेज पर सो रही हूँ | गांड में 9 इंची मोटा लंड जा रहा है | तू बस इसी तरह पेलती रह | चुदना ही औरत की नियति है | और जब औरत चुदेगी तो दर्द तो होगा ही ये दर्द तो सबको सहना पड़ता है, जब गांड में जाता है तो और ज्यादा दर्द होता है | जब झटके लगेगे तो दर्द तो होगा ही मीठा तो या कड़वा | यही दर्द में ही तो मजा है री करमजली | रीमा ने झटको की स्पीड बढ़ा दी | रीमा और गहराई तक रोहिणी की गांड ,में लंड पेलने लगी | रोहिणी का दर्द और सिसकारियां भी तेज हो गयी | उसके चूत दाने में हो रहे वाइब्रेशन से उसकी चूत पहले ही गीली हो चुकी थी | अब रोहिणी पूरी तरह से वासना में डूब चुकी थी | उसकी आवाज में कंपकपाहट थी और उसके शरीर भी स्थिर नहीं था | रीमा ने अपनी हाथो से कसकर उसे थामा और दनादन उसकी गांड में रबर का लंड पेलने लगी | रोहिणी के मुहँ से दर्द भरी सिसकारियां फूटने लगी | रीमा समझ गयी अब बस दीदी जल्दी ही अकड़ने वाली है | उसके अपने एक हाथ को उनके चूत पर रख दिया और उनकी चूत में अपनी उंगलियाँ घुसेड दी | बेतहाशा तेजी के साथ उनकी चूत चोदने लगी | रोहिणी के दोनों छेदों में बाहर से हमला जारी था | उसकी चूत की दीवारों में भी कम्पन तेज हो गए थे | रीमा के लंड की ठोकरों से चूत की दीवारे पानी पानी हो रही थी

रोहिणी और रीमा दोनों तेजी से हांफ रही थी | रीमा इसलिए हांफ रही थी क्योंकि उसे ठोकर मार कर लंड रोहिणी की सख्त गाड़ में पेलना पड़ रहा था और रीमा का लंड इतनी तेजी से रोहिणी की गांड में आ जा रहा था की उसकी सांसे खुदबखुद तेज हो गयी थी | रीमा के लंड के करारे झटको से आखिर रोहिणी बिखर ही गयी | उसकी चूत की दीवारे झरना बनकर बहने लगी | उसका शरीर तेजी से कांपने लगा, उसकी गांड में एक अग्ग तरह की सनसनाहट दौड़ रही थी जो उसकी जांघ और कमर दोनों ही हिलाए पड़ी थी | उसके मुहँ से इस चरम सुख की तेज आवजे निकल रही थी | उसका पूरा शरीर अकड़ गया और फिर ढीला पड़ता चला गया | उसके हाथ पाँव सब की ताकत जैसे ख़तम हो गयी | रोहिणी निढाल हो गयी | रीमा ने उसे कसकर जकड लिया नहीं तो बाथटब में गिर जाती | रीमा का लंड अभी भी उसकी गाड़ में धंसा था | उसने गर्दन घुमाकर रीमा के ओंठो पर अपने ओंठ रख दिए | ये रीमा को एक थैंक्यू मेसेज था |

रोहिणी फिर घूमकर रीमा से चिपक गयी | दोनों एक दुसरे को चूमने लगे

दोनों की सांसे ढलान पर थी | रीमा ने स्ट्रैप भी नहीं उतारा था और उसने शावर फिर से ऑन कर दिया | दोनों एक दुसरे से चिपककर भीगने लगी | उसके बाद दोनों कमरे में आ गयी
खुद को तौलिये से पोछा | और बेड पर लुढ़क गयी | आधी रात बीत चुकी थी | रीमा ने अपना स्ट्रैप उतारा ही था की उसे रोहिणी ने पहन लिया | उसमे उसने एक दुसरे साइज़ का रबर का लंड फिट किया |
फिर रीमा को आकर बांहों में भर लिया | उसको चूमने लगी, उसके चूत दाने को रगड़ने लगी | उसकी चूत में उंगलियाँ घुसाकर उस्क्प चोदने लगी | रीमा का मुहँ खुल गया और वहां से बस मादक सिसकारियां फूटने लगी |

रोहिणी आदेश देती हुई - चल तैयार हो जा, निकालती हूँ तेरा डर अब ठीक से |
रीमा मासूमियत से - दीदी मैंने क्या किया है |
रोहिणी - अपनी बारी आई तो देखो बड़ी मासूम बन रही है, अभी कुछ देर पहले कैसे हचक हचक के धक्के लगा रही थी, पूरी गांड चीर के रख दी मेरी |
रीमा - वो तो आपने कहा था करने के लिए |
रोहिणी - बड़ी आज्ञाकारी है न तो अब भी मेरी बात मान ले | चल घोड़ी बन जा |
रीमा न नुकुर करती रही लेकिन रोहिणी के आगे उसकी एक नहीं चली | रोहिणी उसकी चूत दाने को मसलते मसलते उसको उल्टा कर दिया | उसके बाद खुद पीछे से आ गयी | रीमा के चुताड़ो को हवा में ऊपर उठा दिया और अपने लंड को चिकने लोशन से सरोबार करने लगी |
रीमा कुछ कहना चाहती थी लेकिन रोहिणी सुनने को तैयार ही नहीं थी | उसके चूत दाने को मसलते मसलते उसकी गांड पर उंगली फिराने लगी और फिर एक उंगली उसकी गाड़ में घुसाने लगी | रीमा ने गांड के छेद को सिकोड़कर और कस लिया |

रीमा - दीदी मेरी बात तो सुनो, प्लीज दीदी वहां नहीं, वहां कभी नहीं गया है | प्लीज दीदी मान जावो |
रोहिणी चुपचाप अपने काम में लगी थी | जब उसने देखा रीमा ने गांड का छेद पर अपनी कसावट और बढ़ा दी है जिससे की उसकी उंगली का भी घुसना मुश्किल हो गया है तो उसने रीमा के चूत में अपना रबर का लंड घुसेड दिया और उसे चोदने लगी | रीमा को इसकी आशंका बिलकुल नहीं थी उसकी चूत भी इस हमले के लिए तैयार नहीं थी | रीमा के मुहँ से हल्की चीख निकल गयी - आआआआआआआआआआ आअऊऊऊऊऊउ ईईईईईईईईईइ च्च्च्चच्च्च्छच्च्च्क, आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हहओह माय गॉड, दीदीदीदीदीदीदीदीदीदीदीदी प्लाज जजजजजजजजजज | आअहाआअहाआह्ह |
रोहिणी के धक्के उसके लंड घुसाते ही चालू हो गए | रीमा कराहने लगी | उसकी चूत को खुलने में टाइम लगा और इसलिए उसकी चूत की दीवारे दर्द और जलन से तड़प उठी | उसने मुट्ठियाँ भींच ली और दर्द के सामन्य होने का इन्तजार करने लगी |

रोहिणी - मुझसे बदमाशी करेगी तो ऐसे ही दर्द से तड़पती रहेगी | चल अब गांड का छेद ढीला कर वरना अभी ठोकर मार मार कर तेरी बच्चेदानी सुजा दूँगी |
रीमा समझ गयी दीदी से चालाकी करने का कोई फायदा नहीं जो उन्होंने ठान लिया है वो करके मानेगी | मैंने उनकी गांड मारी है अब आज मुझे नहीं लगता मेरी गांड कुंवारी बच पायेगी | फिर भी रीमा इत्ती आसानी से हार मानने वालो में नहीं थी |
रीमा - दीदी यही करती रहो न |
रोहिणी - चुप कर करमजली |
रीमा - दीदी आप मुझे क्यों दर्द से तड़पता देखना चाहते हो, इसका मतलब आप मुझे प्यार नहीं करते हो |
रोहिणी - पगली ये ड्रामा किसी और पर ट्राई करना, मुझ पर काम नहीं करेगा |
रीमा - आप मेरे पिछवाड़े के पीछे क्यों पड़ गयी हो, आप भी मर्दों की तरह मुझे रुलाना चाहते हो बस |
रोहिणी इस बार गंभीर हो गयी - नहीं पगली, मै तुझसे बहुत प्यार करती हूँ, इसीलिए तेरी गांड को छुते ही तेरे मुहँ से निकलने वाली सिसकारियां मैंने देखि है | मै बस तेरी वो प्यास बुझाना चाहती हूँ | पहली बार है इसलिए दर्द तो होगा ही, लेकिन जब चूत चुदवाई थी तब भी तो पहली बार किया था | तब नहीं दरी तो अब क्यों डर रही है | मै एक औरत हूँ तेरा दर्द समझ सकती हूँ क्योकि मैंने भी उसे जिया है | बस तू हिम्मत न हार, बाकि सब मुझ पर छोड़ दे |
रीमा छुप रही, अब वो निरुत्तर थी |

रोहिणी - तुझे अपनी दीदी पर भरोसा नहीं, बोल न |
कुछ देर की ख़ामोशी के बाद - पूरा भरोसा है आप दीदी लेकिन मै ये नहीं कर सकती |
रीमा - तुझे करने के लिए बोल कौन रहा है, बस मेरी लाडली बनकर मेरी बात अच्छे से मानती जा, सब अपने आप हो जायेगा |
रोहिणी ने रीमा की चूत में तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए और अपनी उंगली रीमा की गांड में घुसाने लगी | रीमा के चुताड़ो के निचले हिस्से की दरार घाटी में एक अजीब सी सनसनाहट हुई और उंगली उसकी पिछली सुराग के इस्पाती दरवाजे को चीरने लगी | धीरे धीरे रोहिणी की उंगली रीमा की वर्जित सुरंग के इलाके को खोलने लगी | रीमा के मुहँ से उन्न्न्नन्न आननं की आवजे निकल रही थी
रीमा के बदन को वासना की तपती भट्टी बनाने के लिए उसकी चूत में दनादन रोहिणी अपना लंड पेल रही थी |
कुछ देर बाद रोहिणी ने रीमा की गांड में जब दूसरी उंगली घुसाई तो रीमा कराह उठी | उसके मुहँ से आआआआह्ह्ह्ह की एक लम्बी कराह निकली | रोहिणी को बहुत जोर लगाना पड़ा तब जाकर उसकी दोनों उंगली का पोर उसकी गांड की सुरंग के गुलाबी इस्पाती सख्त पहरेदार की जकड़न में फंस गयी | न उंगलियाँ आगे जा रही थी न पीछे | उंगलियों के पोर वही जाम हो गए थे | गांड के छल्ले की सख्त जकड़न ने उन्हें वही दबोच लिया था | रोहिणी बस हाथ हिलाने लगी, जिससे गांड का छल्ला थोडा बहुत आगे पीछे हिलाने लगा और उसके साथ रीमा के चुताड़ो की घाटी का मांस भी हिलाने लगा |

रोहिणी रीमा को अपने ऊपर ले आई | उसका मोटा लंड रीमा की चूत में धंसा था | उसके हाथ रीमा के चुताड़ो को थामे थे | रोहिणी ने रीमा के रसभरे गुलाबी ओठ अपने मुहँ में भर लिए और उसके ओंठो को कसकर चूमने लगी, उसके स्तनों को मसलने लगी और नीचे से त्तेजी से कमर हिलाकर उसको चोदने लगी | वो पहले जल्द से जल्द रीमा के बदन को गरम करना चाहती थी लेकिन अपनी ही चिंता में दुबली हुई पड़ी थी इसलिए उसके बदन में वासना की गरमी नहीं चढ़ रही थी | वो निश्चित नहीं थी की रोहिणी क्या करने वाली है, क्या सचमुच उसकी गांड मारने वाली है या बस सुभारम्भ करेगी और फीता काटकर उसकी गांड को बक्श देगी | अब उनसे पूछना भी व्यर्थ था |
इसलिए रोहिणी रीमा को अपने ऊपर ले आई और उसको जोर जोर से कमर हिलाकर चोदने लगी |
रोहिणी रीमा के कान में फुसफुसाई - अपने मन से डर निकाल दे बस चुदाई के मजे ले, सोच रही तेरी गांड का नथ उतारने का प्रोग्राम किसी और दिन का रखु | अब चिंता में दुबली होना बंद कर और अपनी चूत में लंड की ठोकरों का मजा ले |
रीमा की तो जैसे जान में जान आई | उसके गुलाबी ओंठ खुदबखुद ही रोहिणी के ओंठो से चिपक गए | रोहिणी उसके स्तनों को मसलने लगी | रीमा अपने ही चूत दाने को रगड़ने लगी | इतने में रोहिणी ने रीमा को पलट कर अपने नीचे कर दिया और उसे हचक हचक कर चोदने लगी |

रीमा ने भी अपनी जांघे फैला दी | रोहिणी की ट्रिक काम कर गयी थी | रीमा अब चुदाई से मदहोश होने लगी | य्सके हाथ रोहिणी की पीठ पर आकर जैम गए | उसके ओंठ अभी भी रोहिणी के अधरों का रस पान कर रहे थे | दोनों जिस्म फिर से गरम होकर वासना की भंवर में गोते लगाने लगे और रीमा की चूत में रोहिणी का लंड सटासट जा रहा था | रीमा के मुहँ से हर झटके के साथ लयबद्ध सिसकारियां फुट रही थी | रीमा उत्तेजना की सीढियां पार करते करते अब वासना की भंवर में गहराई तक गोते लगाने लगी थी |
रोहिणी उसकी छाती पर अपनी छाती रगड़ रही थी, दोनों के उन्नत ठोस सुडौल उरोज एक दुसरे से रगड़ खा रहे थे | उनकी चुंचियां आपस में रगड़ खाकर तनकर सख्त हो गयी थी | रोहिणी ने अपना एक हाथ रीमा की पीठ के नीचे से निकाला और रीमा की जांघ से नीचे खिसकाते हुए उसकी गांड के छेद के पास ले गयी | रोहिणी ने रीमा की चूत में लगाने वाले धक्के हलके कर दिए | उसने दो उंगलियों के उपरी सिरे को आपस में चिपकाया और उसकी चूत से बह रहे रस से उनको गीला किया और फिर रीमा के हलके भूरे गुलाबी गांड के छेद पर उसे गोल गोल घुमाने लगी | बीचे में जोर से दोनों को घुसेड़ने की कोशिश की लेकिन एक ही पल बाद फिर से घुमाने लगी | रोहिणी के उंगलियों के पोर का सुखद स्पर्श रीमा की गांड के जब सवेदनशील इस्पाती जकड़न वाले गांड के छेद से हुआ तो अपने आप ही उससे उठने वाली तरंगो का अहसास रीमा के पुरे बदन को होने लगा | रोहिणी ने रीमा की गांड पर उंगलियाँ फिराना तेज कर दी |

उनसे उठने वाली सनसनाहट रीमा के शरीर की बेचैनी बढ़ाने लगी | रोहिणी ने अचानक से उंगलियाँ घुमाना बंद कर दिया और दोनी उंगलियाँ उसकी गांड के सख्त पहरेदार की जकड़न को खोलने के लिए उसकी गांड के छेद में घुसा दी | पहरेदार ने सख्ती बढ़ाई लेकिन इस बार रोहिणी तेज निकली और उसकी उंगलियाँ एक एक पोर भर रीमा के गांड के सख्त छल्ले की इस्पाती जकड़न को चीरती हुई रीमा के गांड में घुस गयी | रीमा हलके दर्द से सीत्कार उठी - आआआआऐईईईईईईईऊऊऊऊऊऊऊऊ ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह | रोहिणी ने उंगलियों पर और जोर डाला और पोर भर और उंगलियाँ रीमा की गांड में घुसा दी | उसके गांड के सख्त छल्ले की मांसपेशियां खिचने लगी और तीखा सा दर्द पैदा करने लगी | रोहिणी का लंड रीमा की चूत में बराबर लयदार झटको के साथ अंदर बाहर हो रहा था | रोहिणी की उंगलियाँ रीमा की गांड में फंस गयी थी, बाहर तो निकल सकती थी लेकिन अन्दर जाना अब मुश्किल लग रहा था | ऊपर से गांड के छल्ले की सख्ती बढ़ती जा रही थी | रीमा का शरीर भी स्वाभाविक रूप से गाड़ को चुताड़ो को सिकोड़कर और सख्त बनाए दे रहा था | रोहिणी ने रीमा के चूत दाने की मसलना शुरू कर दिया और दुसरे हाथ की दो उंगलियाँ वही रीमा की गाड़ में फंसाए रखी |

कुछ देर बाद जब उसने उंगलियों को हिलाना चालू किया तो रीमा के मुहँ से भी दर्द की कराह निकलने लगी | उसकी गाड़ के मुहाने में हल्की जलन और हल्का दर्द था, उससे उठने वाली सनसनाहट अब रीमा के दिलो दिम्माग तक सीधे जाने लगी थी | रीमा दर्द से कसमसा रही थी रोहिणी ने उंगलियों का दबाव और ज्यादा बढाया तो रीमा कराह उठी | रोहिणी को लगा अभी नहीं तो कभी नहीं, उसने रीमा की चूत में ठोकरे लगानी और तेज कर दी | उसने अपनी उंगलियों की बाहर निकाला और मुहँ की ढेर सारी लार उसपर टपका कर उन्हें आचे से गीला किया और फिर से रीमा की गांड में घुसेड दिया | इस बार रीमा के मुहँ से निकली सिसकारी ने रोहिणी की हिम्मत बढ़ा दी | रोहिणी ने रीमा की गांड के पहरेदार की सख्त जकड़न के बावजूद अपनी उंगलियों को अन्दर बाहर करना शुरू किया ताकि उसका छल्ला कुछ नरम हो सके और उसमे लंड घुसने की गुंजाईश बन सके |जिसकी गांड के बार खुल चुकी हो उसे इतनी दिक्कत नहीं होती लेकिन रीमा की पिछली सुरंग आजतक कोरी थी और उसका पहरेदार बहुत सख्त | रोहिणी भी जिद्दी थी उसने भी आज पहरेदार को हराने का फैसला कर लिया था | पहरेदार को रीमा की गांड का छेद खोलना ही होगा, उसे अपनी जकड़न नरम करनी ही पड़ेगी | रोहिणी की उंगलियाँ तेजी से रीमा की गांड में अन्दर बाहर होने लगी | ऐसा लग रहा था जैसे किसी मोटी इलास्टिक छल्ले का सख्त कसावट उसकी उंगलियों को कसे ले रहा था | उसकी उंगलियाँ बहुत ही कसे हुए सकरे छेद में अन्दर बाहर हो रही थी |

इधर रोहिणी की कमर तेजी से रीमा की चूत की चुदाई कर रही थी | रीमा चूत और गांड दोनो की कामुक सवेदनाओ में फंसकर किर्तव्य विमूढ़ सी हो गयी | उसने सब कुछ रोहिणी पर छोड़ दिया था | उसे लग रहा था वो जो भी करेगी वो सही ही करेगी |

रोहिणी को लगने लगा था अब उंगलियाँ रीमा की गांड के छेद के लिए नाकाफी है | उंगलियों ने रीमा के गुलाबी गांड के सख्त इस्पाती कसावट वाले मुहाने की बस दरार भर खोली थी लेकिन इससे ज्यादा कुछ उंगलियाँ कर पाने में असमर्थ थी | रोहिणी रीमा के ऊपर से एक करवट आ गयी और उसने रीमा को पीछे से जकड लिया | उसकी एक जांघ ऊपर को उठाकर उसकी चूत और चूतड़ घाटी का इलाका पूरा खोल दिया | रीमा की चूतसे लंड निकलते ही रीमा का खुद बखुद उसके चूत दाने और चूत पर चला गया | रोहिणी ने रीमा के पीछे से आकर पोसिजन ली और फिर अपने रबर के लंड को गाढे चिकने लोशन से सरोबार किया | फिर उसने रीमा की उठी जांघ को कसकर थम लिया | उसका एक हाथ रीमा की गर्दन के नीचे था और उसे ऊपर खिसकने की हालत में उसे कसकर जकड़कर स्थिर रखने की स्थिति में था |

रोहिणी ने अपना गीला लंड रीमा के गांड के छेद से सटाया | रीमा के मुहँ से एक लम्बी साँस निकल गयी | रोहिणी उसके कान में बोली - खुद को ढीला छोड़ दे और दिमाग में कोई टेंसन मत ला, पूरी तरह से रिलैक्स हो जा | हाथ पाँव सब ढीला छोड़ दे, बाकि मै संभाल लूंगी |
रीमा की हालत ऐसी नहीं थी की वो अभी रोहिणी से सवाल जवाब कर सके, उसका गांड न मारने का वादा उसे याद दिला सके | रीमा ने खुद को ढीला छोड़ दिया | रोहिणी ने पूरी तरह से कसकर लंड को जकड़ लिया और पूरा जोर लगाकर रीमा की गांड में ठेल दिया | जीतनी तेजी से रोहिणी ने लंड ठेला था उतनी तेजी से वो रीमा की गांड के सख्त पहरेदार को ठोकर मारकर चूत की तरफ फिसल गया | रीमा की चूतड़ की घाटी में इस ठोकर के लगने से एक तीखा सा चीर कर रख देने वाला दर्द उठा | रीमा ने दोनों पाँव सिकोड़ लिए, उसके चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैर गयी |

रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
रोहिणी समझ गयी, रीमा के छल्ले को और ज्यादा फैलाना होगा नहीं तो लंड ऐसे ही रपटता रहेगा | उसने लंड के सुपाडे की चिकनाई पोच दी और फिर से उसे रीमा की गांड से सटा दिया | इस बार रोहिणी ने झटका नहीं लगाया बल्कि अपनी कमर का पूरा जोर अपने लंड पर डाल दिया | रीमा की गांड के छल्ले ने पूरा जोर लगाया , रोहिणी के लंड को रोकने के लिए लेकिन रोहिणी की ताकत के आगे फ़ैल हो गया | उसकी मांसपेशियां में इतना भीषण दर्द उठा जैसे लगा किसी ने चाकू से काटकर दो टुकडे कर दिए हो | रीमा की गांड का पहरेदार ने हथियार डाल दिए और रोहिणी के लंड का सुपाडा रीमा की बेहद कसी गांड के छल्ले को चीरता हुआ अन्दर घुस गया |

जैसे ही लंड रीमा की गांड में घुसा उसके पुरे शरीर में सिहरन और कंपकपी दौड़ गयी | गांड के छेद को चारो ओर से घेरे छल्ले के खुलते ही रीमा को भीषण दर्द का अहसास होना शुरू हो गया | ऐसा लगा किसी ने उसके पिछवाड़े में नस्तर घुसेड़ कर उसे चीर दिया हो | उसके गांड के छल्ले में सिर्फ ही नहीं जलन भी बहुत तेज होने लगी | रीमा अपनी पिछवाड़े में हुए इस आक्रमण से बहुत तेज चीख पड़ी | रोहिणी ने खुद को स्थिर कर लिया और इससे पहले रीमा हाथ पांव पटकना शुरू कर दे उसे कसकर जकड लिया |
रीमा बहुत तेज दर्द से चीखने लगी – आआआआआऐईईईईईईईईईईऊऊऊऊऊऊ आआआआआ ईईईईईईईईईई ग्घ्ह्हह्ह्हह्ह आः ऊऊ आया ऊ ईईईईईईईईईईईइ, माआआआअररररररररररररर गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |

दर्उद इतनी तेज था की उसके आँखों से आंसुओ की धार अपने आप बह चली |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ फ़ाआआआआआआआआआआआआआआआअट गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई
मीईईरीईइ गाआआआआआआआआआन्न्न | आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह माआआआअरररररररररररररमाँ दीदी | बहुत जलन हो रही है | ऐसा लग रहा हिया किसी ने चाकू भोक दिया हो |
रीमा दर्द से अपने पैर पटकने लगी | रोहिणी ने कसकर उसे थामे रखा | रीमा - दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज दीदी | रीमा रोने लगी | रोहिणी उसके पुचकारने लगी सहलाने लगी, उसके स्तनों को मसलने लगी |
रोहिणी - बस बस हो गया मेरी परी, बस अब इससे ज्यादा कुछ नहीं होना, खुद ही देख पूरा सुपाडा तेरी गांड में धंसा हुआ है |
रीमा को दर्द से ही होश नहीं था, उसकी आँखों से झर झर आंसू फुट रहे थे | वो दर्द के कारन रोये जा रही थी | बार बार रोहिणी से लंड को बाहर निकालने की गुहार कर रही थी |

रीमा - दीदी बहुत दर्द हो रहा है प्लीज बाहर निकाल लो, वरना मै मर जाऊँगी | ह्हाआआआआआ प्लीज |
रोहिणी उसे थामे वैसे ही लेती रही लेकिन रीमा का दर्द कम नहीं हुआ | रोहिणी ने रीमा का हाथ उसके चूत दाने पर रखा लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ | रोहिणी ने ही फिर रीमा के चूत दाने को मसलना शुरू कर दिया | काफी देर तक उसे पुचकारती रही, सहलाती रही और थामे रही | धीरे धीरे रीमा का दर्द कम होने लगा, उसका सिबुकना बंद हो गया और चूत दाने को मसले जाने से उसके ठन्डे पड़ गए शरीर में कुछ गर्मी लौटी | रोहिणी ने अपनी कमर हल्की सी हिलाई और दो बार उसकी गांड पर ठोकरे मारी और रीमा की गांड का तीखा दर्काद और भीषण जलन फिर से लौट आई | रोहिणी की कमर फिर थम गयी | रोहिणी उसे फिर से पुचकारती रही, सहलाती रही और बहुत धीमे उसकी गांड में लंड को अन्दर और बाहर खिसकाती रही | उसकी गांड में अभी बस सुपाडा ही घुसा था और रोहिणी पूरी कोशिश में थी कम से कम आधा लंड तो उसकी गांड में घुसा ही दू भले ही चोद न पाऊ | ताकि अगली बार लंड लेने के लिए गांड कुछ हद तक तो तैयार हो | रोहिणी आइस्ते आइस्ते अपने लंड का दबाव उसकी गांड पर बढ़ा रही थी जिससे वो उसके सुरंग की गहराई नाप सके लेकिन उसकी सुरंग का जख्मी पहरेदार ही रीमा के नासूर बन गया था और हल्की सी हरकत होने से रोये खड़े कर देने वाला तीखा दर्द पैदा कर देता था | दर्द से रीमा के चूतड़ जांघे और पिंडलियाँ सब बराबर पस्त थे | रोहिणी पूरी कोशिश में थी की उसका दर्द कम हो जाये तो उसकी गांड को थोड़ा रवा किया जाये लेकिन रीमा का जख्मी पहरेदार भी बहुत मुस्तैद था | रोहिणी की जरा सी हरकत से रीमा की जान हलक तक खीच लाता था | रोहिणी ने लंड का सुपाडा रीमा की गांड के गुलाबी छेद से निकाला और उसमे ढेर सारा गाढ़ा चिकना लोशन भर दिया | ये चिकनाई के साथ साथ दर्द भी कम करता था | रीमा को जल्दी सी राहत की साँस मिलने लगी |

रोहिणी ने फिर से लंड उसकी गांड में सटा दिया और अन्दर घुसेड़ने लगी | रीमा उसकी सख्त जकड़न में थी इसलिए हिलाने डुलने का सवाल ही नहीं था | आइस्ते से रोहिणी फिर से उतना ही लंड घुसेड़ दिया और जोर देकर और ज्यादा अन्दर को ठेलने लगी | लोशन से रीमा को बहुत राहत पंहुची थी लेकिन उसकी गांड के मुहाने पर दर्द और जलन बराबर बना हुआ था | हालाँकि अब उसका छेद इतना खुल गया था की वहां से उसकी गुलाबी सुरंग और उसकी सटी दीवारे नजर आने लगी थी | रोहिणी कमर हिलाने लगी | रीमा की गांड के छल्ले की में फंसा उसका लंड बस हलका सा आगे पीछे होने लगा | बीच बीच में रोहिणी तेज झटका मार देती तो रीमा चीख उठती | रोहिणी का सब्र अब टूटने लगा था |
रोहिणी - सुन कट्टो लगता है तेरा छेद बहुत जिद्दी है, लगता है खुलेगा नही इतनी आसनी से | रहने दे इसके किस्मत में लंड नहीं है लगता है |
रीमा - दीदी अब इतना कुछ बर्दाश्त कर लिया है तो थोडा और कर लूंगी | कम से कम एक बार पूरा लंड तो घुसेड़ दो |
रीमा की बातो से रोहिणी की हिम्मत बंधी - ठीक है तू कहती है तो एक बार तरी करती हूँ |

रोहिणी ने जोर देकर लंड को पूरा अन्दर तक ठेलने की कोशिश की और रीमा की गांड में फिर से वही चीरने वाला पुराना दर्द लौट आया | रीमा दर्द से दोहरी हो गयी | उसकी मुठियाँ भिंची हुई थी, जबड़ो को भींचकर वो दर्द को बर्दास्त तो कने की कोशिश कर रही थी लेकिन दर्द उसकी बर्दाश्त से बाहर था उर उसकी चीखे निकलने लगी |
रोहिणी थम गयी - रहन दे छुटकी, फिर कभी देखेगें | मै तो आती ही रहूंगी |
रीमा - दीदी मै क्या करू बहुत दर्द हो रहा है ऐसा लग रहा है जैसे कोई चुताड़ो को चीर कर दो किये दे रहा हो |
रोहिणी - कोई नहीं पहली बार ऐसा की लगता है जैसे किसी ने चाकू लेकर बीच से चूताड़ काट दिए है और उसमे चाकू रख दिया हो | तूने कोशिश तो पूरी करी |
रीमा - दीदी हमने कोशिश करी | एक बार हचक के पेल दो जो होगा देखा जायेगा | मै बर्दास्त कर लूंगी |
रोहिणी - पागल हो गयी है क्या, कही कुछ आगे पीछे हो गया तो |
र्रीमा - अब क्या होगा, जो होना था वो हो गया, एक बार आप जोर लगाकर देखो तो सही |
रीमा पेट के बल बिस्तर पर उल्टा लेट गयी | रोहिणी उसके पीछे आ गयी | रोहिणी ने उसकी गांड पर अपना लंड सटा दिया | रीमा ने कसकर बिस्तर को भींच लिया और पुरे शरीर को कड़ा कर लिया |

रोहिणी - शरीर को ढीला छोड़ पगली वरना और ज्यादा दर्द होगा |
रीमा - दीदी आप बस लंड पेलो |
रोहिणी के अपनी कमर पर जोर डाल कर लंड को रीमा की गाड़ में घुसेड दिया | रीमा की गांड के छल्ले ने उसी पहले की तरह ही जकड लिया |
रीमा - दीदी पूरा जोर लगाकर १० -20 बार ठेल दो, फिर आगे का आगे देखूँगी |
रोहिणी ने भी पूरा जोर लगाकर झटका मारा और रबर का चिकनाई से सना लंड रीमा के गांड के दर्द से भरे जलते मुहाने को चीरता हुआ अन्दर तक धंस गया | ऐसा लग रहा था जैसे पहले किसी ने नस्तर घुसेड़ दिया हो और अब उस पर तेज़ाब डाल दिया हो | उसकी गांड में भीषण जलन होने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे वहां किसी ने आग लगा दी हो | रीमा दर्द और जलन से लगभग बेहोश होने की कगार पर पहुच गयी |
रीमा - रुको मत दीदी |

रोहिणी ने रीमा की कमर पर कसकर हाथ जमाये और दे दनादन दे दनादन उसकी गांड को चीरने लगी | जलन बढ़ती गयी और दर्द बर्दाश्त से बाहर होता चला गया लेकिन एक ही साथ में लगाये गए १5 -20 झटको से लंड पूरा का पूरा रीमा की गांड में समां गया | रीमा की दर्द से हालात ख़राब होने लगी | रोहिणी ने झट से लंड बाहर निकाल लिया और रीमा को अपनी बांहों में समेत लिया |
रोहिणी - बस हो गया मेरी कट्टो चूत रानी | तू बहुत हिम्मत वाली है तूने एक ही रात में ये कर दिखाया |
रीमा के चुताड़ो के बीच बेतहाशा जलन और दर्द हो रहा था | रोहिणी ने रमा की गांड में एक ठंडा वाला चिकनाई भरा जेल भर दिया | जिससे उसकी जलती गांड को कुछ राहत मिली | रोहिणी ने उसे कसकर बांहों में भर लिया और उसकी आँखों से बह रहे आंसू पोछने लगी अपनी गुलाबी अधरों से उन्हें पीने लगी | ऐसा लग रहा जैसे आंसू बनकर निकलने वाले रीमा के दर्द को रोहिणी पी रही हूँ | रीमा भी अपनी दीदी रोहिणी की बांहों में समाती चली गयी | आज रोहिणी ने उसके पिछले दरवाजे को खो दिया | पता नहीं कितनी कामनाये कितनी वासनाए जो आज तक बस मन के किसी कोने में दबी हुई थी, उनके अब पूरी होने का रास्ता साफ़ हो गया था | रोहिणी ने स्ट्रैप निकाला और फिर से रीमा को बांहों में भर लिया |

अगली सुबह दोनों देर तक सोती रही | अनिल कई बार रीमा के बेडरूम तक आये और वापस लौट गए | दरवाजे पर नॉक करने की हिम्मत नहीं हुई | जैसे जैसे समय आगे बढ़ता जा रहा था अनिल के मन में कुलबुलाहट बढ़ती जा रही थी | फिर हारकर वो रोहित के घर चले गए ताकि कम से कम उनका मन इधर उधर भटक सके | दोनों रात में बहुत लेट सोयी थी इसलिए सुबह १० बजे तक सोती रही | रोहिणी की नीद पहले खुली | उसने कपड़े पहने और फ्रेश होने चली गयी | जब वापस आई तो देखा रीमा की आंख भी खुल गयी है |
रोहिणी - क्या हाल मेरी छुटकी का |

रीमा अलसाते हुए - आपने तो रात में जान ही निकाल दी, दर्द और जलन अभी तक हो रही है |
रोहिणी - कोई नहीं, मै तुझे अभी जादुई क्रीम देती हूँ सब ठीक हो जायेगा |
रोहिणी ने उसे उसी की ड्रोर से एक क्रीम निकाल कर दी, फिर रीमा गाउन डालकर फ्रेश होने चली गयी |
रोहिणी ने दरवाजा खोला और बाहर देखा चारो तरफ देखा अनिल कही दिखाई नहीं दिए |
उन्होंने अनिल को फ़ोन मिला दिया | अनिल तो जैसे फ़ोन की राह ही देख रहे थे झट से फ़ोन उठाया |
रोहिणी - कहाँ चले गए, मै जरा सा उठने में लेट क्या हो गयी तुम तो फुर्र ही हो गए |
रीमा को देखने की लालसा में अनिल कुछ नहीं बोले - बस आ गया | इतना कहकर फ़ोन काट दिया |
कुछ ही देर में अनिल रीमा के घर पहुँच गए |
रोहिणी - यहाँ कोई नौकर तो है नहीं जो नाश्ता बनाएगा, तुम हो की मेरी ओट पाते ही फुर्र हो लिए |
अनिल - अरे तुम सोकर नहीं उठी थी इसलिए बच्चो के पास तक चला गया था | बस अभी बनाकर लाता हूँ |
तभी अनिल को अपने बाथरूम से रीमा निकलती दिखाई दी |
अनिल के न चाहते हुए भी उनके मुहँ से निकल गया - कैसी हो रीमा |
रीमा हल्का सा मुस्कुरायी - बढियां हूँ जीजा जी |

अनिल - क्या बात है तुमारी हालत देखकर लगता है तुमारी हालत ठीक नहीं है |
अनिल के सवाल से रीमा सकपका गयी, रीमा - अरे ऐसी कोई बात नहीं है जीजा जी मै ठीक हूँ |
अनिल को फिर भी संतोष नहीं था, वो कुछ बोलना चाह रहे थे इससे पहले ही रोहिणी ने उनकी बात काट दी - कुछ खिलाओगे पिलाओगे या इंटरव्यू ही लेटे रहोगे |
अनिल - अरे वो तो मै रीमा का हाल चाल ले रहा था | चेहरे से उसकी हालत ठीक नहीं लग रही |
रोहिणी को भूख लगी थी और अनिल यहाँ जासूस बने हुए थे | रोहिणी अनिल की हरकते जानती थी इसलिए फट फड़ी - जाकर चुपचाप ब्रेक फ़ास्ट बनावो अहम् दोनों के लिए |
अनिल - अरे तुम बेवजह भड़क रही हो मै तो बस हालचाल ले रहा था |
रोहिणी और भड़क गयी - क्या पूछना है क्या पूछना है मुझसे पूछो |
अनिल - गरम मत हो मै जा रहा हूँ, रीमा कोई स्पेशल डिमांड ब्रेकफास्ट में |
रीमा फिर से मुस्कुरायी - नहीं जीजा जी |
रोहिणी अनिल को घूरने लगी लेकिन अनिल को लगा सच में रीमा की तबियत ठीक नहीं है |
रोहिणी - क्या अब यहाँ क्यों बुत बने खड़े हो |

अनिल - कल के बाद से रीमा की हालत मुझे ठीक नहीं लग रही है |
रोहिणी फट पड़ी - हाँ रीमा की हालत ठीक नहीं है क्योंकि राटा भर मैंने उसकी गांड मारी है अब खुश | अब जाकर नास्ता बनाकर लावो |
रोहिणी के तेवर देख अनिल ने वहां से खिसकने में ही भलाई समझी | रीमा रोहिणी की बात सुनकर हैरान रह गयी | मन ही मन सोचने लगी दीदी ऐसा कैसे कह सकती है खुलेआम |
रीमा का चेहरा देखकर रोहिणी को अपनी गलती का अहसास हुआ - अरे कुछ नहीं पगली तू चिंता मत कर, वो कुछ नहो सोचेगा तेरे बारे में | मै उसे घुट्टी पिला दूँगी | तू निश्चित रह | आ चल तुझे कुछ देती हूँ |
कमरे में जाकर उसे बट प्लग दिया, जिसको पहनने से गाड़ का छेद नरम हो जायेगा और खुल भी जायेगा |
रोहिणी ने उसे बट प्लग पहन कर भी दिखाया | और रोज रात में सोने से पहले पहनने को कहा |

दो दिन तक रोहिणी ने भी रोहित की तरह रीमा को तरह तरह के प्राकृतिक अप्राकृतिक पाशविक काल्पनिक सब तरह के सेक्स की खूब कहानियां सुनाई | रीमा ने भी उसकी कहानियां खूब दिलचस्पी लेकर सुनी | रीमा के लिए वासना के नए नए आयाम रोज खुलते जा रहे थे | दो दिन तक रोहिणी रीमा के घर पर ही रुकी हालाँकि उसने अनिल को वापस बच्चो के पास रोहित के घर बेज दिया था |
रीमा भी नार्मल हो गयी थी | सब कुछ रूटीन लाइफ की तरह नार्मल हो गया था और प्रियम भी अब रीमा के साथ सहज रहने लगा था | उसे अपनी हद साफ़ साफ़ पता चल गयी थी | उसके दिमाग पर चढ़ा नशा उतार गया था | उसे ख़ुशी दी रीमा चाची ने उसे माफ़ कर दिया | वो खुद को लकी मनाता था की रीमा चाची उसके बाप के पीछे उसका ख्याल रखने के लिए उसके पास है |

एक दिन रीमा शाम को अकेली घर में थी तभी एक फ़ोन उसे आया | वो पहचान नहीं पाई की फ़ोन किसका है लेकिन उधर से आने वाली आवाज ने सिर्फ इतना कहा - तुमने जो पाप किये है उसकी सजा इसी जनम में तुम भोगोगी | एक बार मेरे आदमियों के हाथ से फिसल गयी हो कब तक इस तरह से बचकर निकलती रहोगी | मै तुम्हे दबोच ही लूँगा और फिर मै तुमारे साथ वो करूंगा जिसकी तुम कल्पना तक नहीं कर सकती |

रीमा - कौन बोल रहा है ?
उधर वाला आदमी फ़ोन पर ही हँसने लगा |
रीमा - तुमारे जैसे दो चार रोज मुझे गीदड़ धमकी देते है | ऐसे डरने वाली होती तो आज तक अकेले जी नहीं पाती | असली का मर्द है तो सामने आकर बात कर, साले छक्के कही के, फ़ोन पर धमकी दे रहा है |
फ़ोन - ऐईईईईईईईईईई मेरी मर्दानगी को मत ललकारना वरना बहुत पछताएगी |
रीमा - क्यों तुमारी लुल्ली सिर्फ दो इंच की है या तुम 20 सेकंड में निपटने वालो में से हो |
फ़ोन - तू जानती नहीं मै कौन हूँ |
रीमा - तो जान पहचान करा दो, चल फ़ोन रख तेरे जैसे बहुत देखे दो टके के सड़क छाप |
फ़ोन - तू मुझे बहुत हलके में ले रही है | पिछली बार जनरल स्टोर वाले हब पर पार्किंग लोट में तू फिसल गयी थी लेकिन इस बार तू नहीं बचेगी |
रीमा समझ गयी ये वही आदमी है जिन्होंने उसको किडनैप करने की कोशिश की थी |
रीमा थोड़ा गंभीर हो गयी - आखिर तुम कौन हो और तुम्हे क्या चाहिए |
फ़ोन - मुझे बस तुम चाहिए सिर्फ तुम |

रीमा - तुमारा दिमाग तो नहीं घूम गया, पता है मै कौन हूँ, यहाँ की सिक्युरिटी तुमारे बाप दादा तक के घर की नीव खोद डालेगी अगर मुझे कुछ हो गया तो |
फ़ोन से आने वाली आवाज - तुझे सजा जरुर मिलेगी और वो मै दूंगा |
इतना कहकर फ़ोन काट गया | रीमा ने अपने पति के दोस्त को वो नंबर दे दिया हालाँकि इसका जिक्र उसने अनिल और रोहिणी से बिलकुल नहीं किया |
बात आई गयी हो गयी कुछ दिन बीत गए | कुछ दिन रीमा सतर्क रही | उसके फ़ोन में जीपीएस हमेशा ऑन रहता और सिक्युरिटी ने भी उसके फ़ोन को सर्विलांस पर डाल रखा था | रीमा ने ये बात अनिल को नहीं बताई
फिर भी ये बात रोहित को पता चल गयी और रोहित ने रोहिणी से इस बारे में बात करी | रोहिणी ने अनिल को इस बारे में बताया | अनिल ने भरोसा दिलाया वो रीमा पर नजर रखेगें | अनिल रीमा के पास जाने से हिचकने लगे थे फिर भी अगर कोई काम होता था तो रोहिणी के साथ ही जाते थे |
रीमा को वो सच बताकर डराना नहीं चाहते थे इसलिए रीमा की सुरक्षा के लिए जो भी किया चुपचाप किया |

एक दिन की बात थी रीमा जब ऑफिस से वापस आ रही थी तो उसने देखा उसकी गाडी का टायर पंचर हो गया | पार्किंग में खड़ी गाड़ी का टायर कैसे पंचर हो सकता है लेकिन उसकी गाड़ी का टायर पंचर था | उसने ऑफिस से नौकर को बुलाकर टायर बदलने को कहा | लेकिन जब ऑफिस बॉय ने स्टेपनी टायर निकाला तो वो तो पहले से ही पंचर था |
रीमा ने माथा पीट लिया | वो उस टायर को ठीक कराना भूल ही गयी थी | ऑफिस बॉय ने रीमा को गाड़ी बाद में ठीक कराकर भेजने की बात कह दी और उसके लिए टैक्सी देखने चला गया | किस्मत अच्छी थी बिल्डिंग के बाहर गेट पर एक टैक्सी थी | वो रीमा को उसमे बैठाकर फिर कार का टायर ठीक कराने चला गया | रीमा ने कार में बैठेते ही अपने घर का पता बता दिया | कुछ दूर चलने के बाद तेल भराने के बहाने ड्राईवर ने यू टर्न ले लिया |
रीमा - किधर जा रहे हो आगे भी तो पेट्रोल पम्प है|

ड्राईवर - मैडम जी मैंने आगे वाली पेट्रोल पम्प की मेम्बरशिप ली, मुझे ठीकठाक कैशबैक दे देते है, मैडम जी आप परेशान न हो बस पांच मिनट की तो बात है |
रीमा सर हिलाकर रह गयी | पेट्रोल पंप मुख्य सड़क से थोडा अन्दर था और उसके लिए एक सुनसान गली से गुजरना पड़ता था | रीमा फ़ोन में बिजी हो गयी थी | जैसे ही ड्राईवर ने कार मैंन सड़क से नीचे उतारी, कुल १०० मीटर चलने के बाद ही तीन आदमी कार के चारो तरफ कूद पड़े | एक आदमी ने फटाक से ड्राईवर वाला दरवाजा खोला और उसको गन सटा दी | इससे पहले रीमा कुछ समझ पाती दो आदमी दोनों तरफ के दरवाजे खोलकर पिछली सीट पर आ गए | रीमा तो एकदम से घबरा गयी, उसके होश उड़ गए | उसमे से एक ने चाकू निकाल लिया और दुसरे ने गन | दोनों ने रीमा की तरफ चाकू और गन तान दिए | रीमा गन और चाकू देखकर बहुत घबरा गयी थी | वो दहसत से भर गयी | उसका दिल जोरो से धड़कने लगा और अचानक सब कुछ इतनी तेजी से हुआ की रीमा को प्रतिक्रिया देने का अवसर ही नहीं मिला | सबी आदमियों के चेहरे पर नकाब था इसलिए किसी को पहचानना मुश्किल था | फिर भी उसने दिमाग ने तेजी दिखाते हुए अपना फ़ोन अपनी जांघ के नीचे दबा लिया | ड्राईवर को आगे वाले आदमी ने बाहर आने को कहा और जैसे ही वो बाहर आया, उसका फ़ोन पर्स सब छीन लिया और उसके सर पर पिस्टल का कुंडा मार कर उसे जमीन पर गिरा दिया | आगे वाले ने कार को फिर से तेजी से उसी तरफ ले गया जहाँ से वो पेट्रोल पंप की तरफ मुड़ी थी | कार के शीशे चढ़ा लिए और रीमा को नीचे की तरफ झुका दिया | कार तेजी से मैंन रोड से होती हुई कुछ ही मिनटों में शहर पार कर गयी | पिछली सीट पर बैठे आदमी रीमा के सर पर गन ताने रहा और दूसरा पकड़कर उसे नीचे की तरफ झुकाए रहे ताकि बाहर से कोई देख न ले | शहर पार करते ही उन दोनों की साँस में साँस आई | उन्होंने एक सुनसान इलाके में कार रोकी | रीमा को कार से बाहर निकाला |

रीमा- कौन हो तुम लोग और क्या चाहते हो मुझसे | तुम्हे पैसा चाहिए तो मै दे दूँगी | प्लीज मुझे कोई नुकसान मत पंहुचाना |
उन्होंने रीमा की बात अनसुनी कर दी |
वो आपस में ही उलझ कर रह गए | उनको आपस में उलझा हुआ देख रीमा ने भागने की कोशिश की, तो ड्राईवर सीट पर बैठे इन्सान ने बाहर निकलकर उस पर गन तान दी - मैडम होशियारी नहीं चलेगी सीधे जान से जाओगी | रीमा तो जैसे वही बर्फ बन गयी, एक दम सर्द बर्फ के मुताबिक जम गयी, उलटे पाँव लौट आई - प्लीज गोली मत चलाना, गोली मत चलाना |
वही बोला - अबे गधो ज्यादा टाइम नहीं है हमारे पास इसे बांधकर पीछे डालो डिग्गी में |
उनमे से एक बोला - बॉस ये रस्सी लाना भूल गया, बांधे किससे |
ड्राईवर सीट वाला - तुम साले दोनों के दोनों जिंदगी भर गधे ही रहोगे | एक काम नहीं होता तुमसे ढंग से |
थोड़ा सोचकर - गाड़ी में जाकर देखो पड़ी होगी |
रीमा - प्लीज प्लीज ऐसा मत करो, जो तुम कहोगे वो मै करूंगी |
पिछली सीट वाले में से एक - बॉस ये हमारे साथ शांतिपूर्वक चलने के लिए तैयार है |
ड्राईवर सीट वाला - अबे गधे इसको गोली मारने से पहले मै तुझे न उड़ा दू |
एक आदमी वहां से रस्सी ढूंढ कर लाया | उसने रीमा के हाथ पांव और मुहँ तीनो बांध दिए और दिग्गी में धकेल दिया | जल्दी से तीनो वहां से कार लेकर निकल गए |

रीमा अन्दर डिग्गी में हजार सवालो के साथ भयभीत हुई पड़ी थी | ये सब मेरे साथ क्या करने वाले हैं इनका निजी क्या मकसद है यह क्यों क्यों मुझे किडनैप करके कही ले जा रहे है रीमा का डर और दहसत से बुरा हाल हो गया | वो सदमे में चली गयी, उसकी हालत अर्द्ध बेहोशी की हो गयी थी | रीमा का मोबाईल कार की पिछली सीट पर पड़ा था | कार मैंन रोड से उतर कर अब जंगलो के बीच सुनसान सड़क पर जा रही थी | कुछ देर बाद कार एक कच्चे रास्ते पर उतर गयी | तभी रीमा के मोबाईल पर पीछे सीट पर बैठे लडके की नजर गयी | उसने इतना महंगा फ़ोन देखते ही उछाल पड़ा | उसके हाथ में फ़ोन देखते ही आगे कार चला रहा आदमी चिल्लाया - अबे गधो फ़ोन स्विच off करो वरना सिक्युरिटी हमारी मौत का फरमान लेकर आती होगी |
उन्ही में से एक बोला - क्या माल मिला है किडनैप करने को, मैडम तो बिलकुल चकाचक है, बिलकुल रसमलाई की तरह मन करता है गप गप कर खा जाऊ | साड़ी में जब इतना कहर ढा रही है तो एक बार बिना कपड़ो के . . . . . . . |
आगे वाले से - भाई बस एक झलक लेनी मम्मो की बस एक झलक, कैसे दुधिया मम्मे होंगे | |
जो गाड़ी चला रहा था वो बोला - बकवास बंद कर साले वरना तेरी खोपड़ी में अभी छेद कर दूंगा | साले हमें इसको बिना किसी नुकसान के बॉस तक पंहुचाना है | मैडम की तरफ नजरे भी उठाई तो आंखे फोड़ दूंगा |

पिचली सीट पर बैठे - भाई आप तो नाराज हो जाते हो लेकिन आप ही दिल पर हाथ रखकर बतावो मैडम है तो चकाचक न |
जो गाड़ी चला रहा था वो बोला - फ़ोन स्विच off कर वर्ना मै तुझे स्विच off कर दूंगा |
पिचली सीट पर बैठे लड़के ने जल्दी से फ़ोन स्विच off किया | गाड़ी जिस तरह से हिल रही थी उससे लग रहा था गाड़ी कच्चे रास्ते पर चल रही है | कुछ देर चलने के बाद गाड़ी रुक गयी | तीनो car से उतरे | एक ने आकर कार की डिग्गी खोली | रीमा की दहसत भरी और आसुओं से भरी आँखों को देखकर बोला - मैडम तो सच में डर गयी |
रीमा ने मुहँ से कुछ कहने की कोशिश की लेकिन उसके मुहँ में तो कपड़ा बंधा हुआ था इसलिए आवाज बस घुट कर रह गयी |
किडनैप करने वाला - कोई चालाकी मत कर वरना कुतिया की मौत मरी जाओगी | वो कुछ कहना चाहती थी इसलिए उसने हल्का सा उसके मुहँ से कपड़ा हटाया और रीमा गिडगिडाने लगी - प्लीज मुझे छोड़ दो, मैंने क्या बिगाड़ा है तुमारा, क्यों कर रहे हो ये सब | तुम्हे पैसा चाहिए मै तुम्हे ढेर सारा पैसा दूँगी | प्लीज . . . |
इससे आगे वो कुछ बोलती किडनैपर ने फिर से उसके मुहँ में कपड़ा ठूंस दिया | रीमा फिर से कुछ कहना चाहती थी | किडनैपर ने फिर से उसके मुहँ से कपड़ा नीचे खिसकाया |
रीमा - प्लीज जिस तुम बोलेगे मै वैस ही करूंगी, मेरे हाथ पाँव खोल दो | मै बिलकुल नहीं चिल्लाउंगी | प्लीज |
किडनैपर ने कुछ सोचा और उसने हाथ पकड़कर उसे डिग्गी से निकाला और रीमा के हाथ पैर खोल दिए थे, रीमा ने अपने मुहँ पर लगा कपड़ा भी निकाल फेंका | चारो एक पगडण्डी पर चलने लगे | तभी एक और आदमी वहां आ गया जो भी मुहँ पर मास्क लगाये हुए था | दो आदमी रीमा का हाथ सख्थाती से थामे उसके साथ चल रहे थे | एक आदमी पीछे से उस पर गन ताने था | जबकि तीसरा आदमी रीमा को देखकर बहुत खुस था | रीमा समझ गयी थी यहाँ चालाकी दिखाने का कोई मतलब नहीं है | यहाँ कुछ भी गलत किया तो लावारिश लाश बनकर रह जाउंगी |

रीमा चुपचाप जंगल में उन किडनैपर के साथ चलती रही, कुछ देर बाद एक मकान दिखा | सभी उस में घुस गए | रीमा को नहीं पता था कि वो कहाँ पर है | उसे बस इतना अंदाजा था की गाड़ी कम से 40 मिनट चलने के बाद यहाँ आई है | इसलिए उसे लग रहा था की वो शहर से कोई 50-60 किमी दूर किसी जंगल के बीचो बीच में है | अन्दर जाकर एक लड़के ने रीमा को कुर्सी पर बैठ दिया और उसके हाथ पाँव दोनों कुर्सी से बांध दिए | दोनों लडके रीमा को बांधने के बाद उससे दूर चले गए | जो उन किडनैपर का लीडर था | उसने बाद में आये आदमी से मुखातिब होते हुए बोला - मैं अपना काम कर दिया, अब मुझे पेमेंट चाहिए |
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